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How traits are passed from one generation to another

ट्रेट्स एक जनरेशन से दूसरे जनरेशन में जाते हैं ये तो हमने देख लिया जनेटिक्स में लेकिन सवाल यह उठता है कि डी एने इन ट्रेट्स को जैसे कि हेर कलर, आई कलर जैसे ट्रेट्स को कंट्रोल करता कैसे है इसे बात को समझने के लिए let's deep dive into molecular basis of inheritance Hello everyone, मुझे उम्मीद है कि आप सब भी अच्छे हैं और आज मैं लेकर आए हूँ class 12th biology molecular basis of inheritance का एक जबरदस्त वीडियो खतम करेंगे हम इस पूरे lesson को सिर्फ दो वीडियो में और इन दोनों वीडियो को देखने के बाद आपके concepts होंगे crystal clear तो मैं हूँ रोश्णी from Lano Hub, the free learning platform जहांपर आप physics, chemistry, maths, biology सब कुछ पढ़े सकते हो absolutely for तो तैयार है सभी लोग? Let's get started! है तो बच्चों अभी तक कि हमारी जेनेटिक्स की जितनी जर्नी रही उससे हमने यह सीखा कि मोस्ट ऑफ द ऑर्गानिजम्स का जो जेनेटिक मेटीरियल होता है वह क्या होता है वह होता है डीएने यानि कि डीएने के अंदर स्टोर्ड रहता है जेनेटिक इनफॉरमेशन डीएने कहां होता है सोचो सोचो सोचो सोचो सब कुछ बढ़ा है हमने अमारे पुरान लेशन में तो डीएने कहां रहता है डीएने रहता है क्रोमोजोम में क्रोमोजोम कहां रहता है क्रोमोजोम रहता है न्यूक्लियर्स के बॉडी के अंदर तो बच्चों इस पूरे लेसन के दौरान हम कुछ सवालों के आंसर ढूंढने की कोशिश करेंगे ढूंढने की कोशिश तो हम क्या ही करेंगे हमें बेसिकली इन कुछ सवालों के जवाब मिल जाएंगे जैसे कि आव डू डी एने कंट्रोल ट्रेट्स डी या फिर आई कलर ब्लू होना चाहिए राइट ठीक उसी तरीके से हम यह देखेंगे कि प्रोटीन सिंथेसिस और डीएने का कैसा और किस तरीके से रिलेशन है साथ हम यह देखेंगे यह डीएने डीएने की इतनी बातें किए जा रहे हैं बट आरेनी भी तो जरूरी है तो आरेनी का रोल क्या है तो यह कुछ सवाल है जिनको हम आंसर करेंगे बाइट एंड ऑफ दिस लेसन और जैसे ही यह सारे सवाल आंसर हो जाएंगे वैसे ही आपको पता चल जाएगा कि यह जो जेनेटिक्स में हम देखते हैं कि भी ट्रेट जो है वो एक जेनेरेशन से दूसरे जेनेरेशन, दूसरे से तीसरे, तीसरे से चौथे जेनेरेशन में पास होते रहता है आखिर ऐसा होता क्यों है अटम मॉलिकूलर लेवन तो बच्चो अब हमारी कहानी की शुरुवात होगी DNA से DNA, RNA ये क्या है ये है नूकलिक आसेड्स तो यहाँ पर हम अपनी कहानी की शुरुवात करेंगे वापस DNA के स्ट्रुक्चर से तो हमें पता है कुछ चीजें जैसे कि न्यूक्लिक आसेड दो टाइप के होते हैं डीएने विच इस डियोक्सी राइबो न्यूक्लिक आसेड आरेने विच इस राइबो न्यूक्लिक आसेड बट यहां पर हम डिटेल में एक बार फिर से देखेंगे स्ट्रक्चर आफ डीएने आन्ड आरेने तो एक ब्लू स्ट्रैंड है, जो हेलिक्स की तरह एक दूसरे के साथ, एक दूसरे के अराउंड लपेटे हुए हैं, और वह इसका बात है दिन्ना के बात के लिए। और उन repeating units को हम कहते हैं monomers, तो यहाँ पर DNA के case में वो monomer है deoxyribonucleotide, DNA का length कितना होगा, यह बताता है कि इसके अंदर कितने nucleotides हैं, बहुत obvious ही बात है, अब मालों अगर 3 nucleotide को जोड़ के हमने DNA बनाया, तो 1, 2, 3, कुछ लगबग इतना length होगा, वही 3 की जगर हम 30 nucleotide को ज बात करें आरेनी के बारे में आरेनी बोले तो राइबो न्यूक्लियोटाइड आरेनी के स्ट्रक्चर को देखें तो यह सिंगल स्ट्रांडेड स्ट्रक्चर होता है मतलब एक ही स्ट्रांड होता है यहां पर दो स्ट्रांड नहीं होते हैं यह भी एक पॉलिमर बोले तो पॉ तो उसकी तीन components होते हैं पेंटो शुगर phosphate group and nitrogenous base pentose sugar, pent बोले तो पांच एक ऐसा monosaccharide जिसमें पांच carbon atoms है RNA की बात करें तो वहाँ पर जो pentose sugar होता है that is ribose sugar DNA की अगर बात करें तो वहाँ पर होता है deoxy ribose sugar अगर इन दोनों के structure को देखो दोनों ही पेंटो शुगर हैं, दोनों ही पांच कारवन वाले मोनो साकराइट्स हैं, लेकिन फरक क्या है, एक है राइबोस, दूसरा है डी ओक्सी राइबोस, डी ओक्सी मतलब ओक्सीजन हटा दिया गया हो, तो इसलिए अगर राइबोस शुगर के स्ट्रक्चर को देखो, तो डी ऑक्सी राइबो शुगर तो इस जिस जिस वन वेट टू रिमेंबर कि भाई दोनों में क्या फरक है ठीक है नेक्स्ट चलते हैं अगले कॉंपोनेंट पे विच इस फॉस्फेट ग्रूप फॉस्फेट ग्रूप क्या है ये ओबिसली ये पॉली नुक्लियोटाइट चेन का तो यानि कि ये जो पेंटो शुगर है मिल करके इस पूरे पॉली नुक्लियोटाइट का बैक बोन बनाता है अब देखते हैं तीसरा कॉंपोनेंट nitrogenous base, nitrogenous base, मतलब कोई ऐसा एक compound जिसमे nitrogen present है, that is why it is nitrogenous, base क्यों, क्योंकि इसकी properties base की तरह है, acid base तो याद है न, बस वही वाले base की बात कर रहे हैं हम, तो nitrogen containing compound with properties of base, उन्हें हम कहेंगे nitrogenous base, तो nitrogenous base दो type के होते हैं, purines and pyrimidines, प्यूरिंस और पिरिमिडिंस दोनों ही होते हैं, heterocyclic, aromatic, एक कमपाउंड अरोमाटिक मतलब जिसमें अरोमा होता है खुशभू होता है राइट ऑर्गानिक केमिस्ट्री में बहुत पढ़ा है हमने अरोमाटिक कमपाउंड हेटरोसाइक्लिक साइट ले तो साइट कमपाउंड सबको पता है एटरो मतलब डिफरेंट मतलब जो साइट कमपाउंड है इसमें डिफरेंट डिफरेंट तरह के एलिमेंट्स आपको देखने को मिलते हैं ओके अब देखते हैं प्यूरियन क्या होते हैं प्यूरियन में देखा जाता है नाइन मेंबर्ड रिंग नाइन मेंबर्ड रिंग मतलब देखो जो पहला नहीं दिख रहा है 123456 लेकिन साथ में एक और और रिंग है 7, 8, 9, तो इसमें कितना हो गया, ये 9-membered ring हो गया, इसके examples है adenine and guanine, जिनने हम short में A और G से भी denote करते हैं, अब बात करेंगे pyramidins की, तो pyramidins होते हैं 6-membered ring, तो देखो यहाँ पर एक ही एक single ring दिख रहा है, तो it is a 6-membered ring, तो बात कर लो इसके vertices 1, 2, 3, 4, 5, 6, 6-membered ring है, pyramidin के examples हो जाएंगे cytosine, uracil and thymine, अब यूरेसिल आरेने में पाया जाता है, थाइमिन कहां पाया जाता है, डियने में पाया जाता है तो कुल मिला के ये हमारे नाइट्रोजिनस बेसिस हैं कौन-कौन से है नाइट्रोजिनस बेसिस? अल्टोगेदर, प्यूरीन, पिरिमिडन मिला के आडरिनिन, गुवानिन, साइटोसिन, थाइमिन और यूरेसिल तो सबसे पहले हम क्या देखते हैं? जो बेस है वो पेंटो शुगर के साथ जुड़ के लिए जुड़ जाता है और बनाता है न्यूक्लियोसाइड याद रखना है इस नॉट न्यूक्लियोटाइड न्यूक्लियोसाइड न्यूक्लियोसाइड कौन-कौन बनाता है बेस और पेंटोशुगर कैसे बनाता है वाइग्लाइकोसिडिक बॉंड यह जो बॉंड इनके बीच मे चल के आता है और कहां पे आके जुड़ता है 5-OH ऐसे लिखा रहता है आपके textbook what does it mean? it means कि जो 5 number carbon है उससे जो OH group attached है उस OH group के साथ आके हमारा ये phosphate group जुड़ जाता है और किस तरह का bond बनाता है? phosphoester bond और जैसे ही ये जुड़ जाता है तो क्या हुआ क्या बन गया नुकलियो साइड के साथ जुड़ गया फॉस्फेट ग्रूप तो हमें मिल गया नुकलियो टाइड अबसुलूटली तो देखो एक नुकलियो टाइड का स्ट्रॉक्चर कैसा दिख रहा है जिसके अंदर पेंटो शुगर है पेंटो शुगर के साथ जुड़ गया है ग्लाइकोसिडिक बॉंड से बेस और पेंटो और इस पूरे स्ट्रॉक्चर के साथ यानि कि इस पूरे नुकलियो साइड के साथ जुड़ गया है अब अगला step यह है कि यह जो nucleotides बनते हैं ऐसे बहुत सारे nucleotides मिल करके बनाते हैं poly nucleotide तो देखना है यह है कि इतने सारे nucleotides कैसे जुड़ते हैं to form poly nucleotide and the answer is they link together या फिर they combine together through 3-5-phosphodiester bond अब यह phosphodiester bond बनता कैसे है चलो देखते हैं exactly देखेंगे कि किस तरीके से 2 nucleotide को जोड़के हम एक dinucleotide बनाते हैं, तो 2 का जोड़ना समझ में आजाएगा, तो obviously समझ में आजाएगा कि उसी concept से बहुत सारे जोड़के बनाते हैं poly nucleotide, तो चलो समझते हैं formation of a dinucleotide, ले लेते हैं 2 nucleotides, let's say ये nucleotide number 1 है, ये nucleotide number 2 है, तो हम देखते हैं कि एक nucleotide का, जो एक sugar molecule है, उस sugar molecule का 5 position वाला carbon, दूसरे नुक्लियोटाइड का जो शुगर मॉलिक्यूल है उसका थ्री पोजीशन वाला कारबन इन दोनों के बीच में बन जाता है फॉसफो डाई इस्टर बॉंड अगर ध्यान से देखो तो ये जो दो पोजीशन है एक शुगर मॉलिक्यूल का थर्ड वाला कारबन दूसर लिंकेज और इस लिंकेज से क्या हो रहा है यह दोनों न्यूक्लियोटाइड जुड़ जा रहे हैं और जो हमें चीज मिल रही है उसे हम कहते हैं डाई न्यूक्लियोटाइड और ठीक इसी तरीके से जब ऐसे पॉस्पो डाई इस्टर बॉंड से बहुत सारे न्यूक्लियो� हम आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपको आपक इस पॉली नूक्लियोटाइट चेन के दूसरे एंड की बात करें तो वो होता है 3-end क्यों? क्योंकि उस एंड में जो शुगर मॉलिक्यूल होता है उसके 3 नंबर वाले पोजीशन पे जो कार्बन होता है उससे अटाश्ट होता है एक फ्री हाइड्रोक्सिल ग्रूप यानि के यह फॉस्फेट होता है, यह दोनों मिल करके बनाता है इसका बैक बोन, शुगर और फॉस्फेट बनाता है इसका बैक बोन, और जो बेसिस होते हैं, वो क्या करते हैं? वो बेसेस जो होते हैं वो इस बैकबोन से प्रोजेक्ट आउट करते हैं मतलब एक बैकबोन स्केलिटन जो हम कहते हैं स्केलिटन या फिर धाचा जो हम कहते हैं वो धाचा कौन बनाता है? फॉस्फेट और शुगर और जो बेसेस होते हैं वो इसे धाचे से प्रोजेक्ट आउट करते दिखते हैं हमें तो चलो बच्चो आप डीटेल में डीप डाइव करते हैं डेने के स्ट्रक्चर पे तो सबसे पहले वाटसन और क्रिक ने प्रोपोज किया था डबल हेलिक स्ट्रक्चर और कि डिएने उन्होंने यह स्ट्रक्चर प्रोपोज किया था बेस्ट ऑन एक्सरेड डिफ्रैक्शन कैसे प्रोपोज किया था वह इंपोर्टेंट तो है बट फिलहाल हमारे लिए ज्यादा इंपोर्टेंट है यह देखना कि यह स्ट्रक्चर होता कैसा है वह टेस्ट डबल ये होते क्या है? They are basically the polynucleotide chains. अभी-अभी हमने देखा कि polynucleotide chain कैसे बनता है? अब इस पूरे structure का जो backbone होता है, वो कौन बनाता है? आप खुद याद करो, polynucleotide chain का backbone कौन बनाता है? Sugar and phosphate. Absolutely. और क्या होता है polynucleotide chain में? nitrogenous basis absolutely तो यह जो basis है यह क्या करते है backbone तो बन गया basis जो है वो internally एक दूसरे के साथ pair up कर जाते हैं कैसे pair up करते हैं through hydrogen bonds हमने कई तरह के basis के बारे में पढ़ा था right adenine guanine cytosine thiamine इनके बारे में हमने पढ़ा हम notice करते हैं कि यह आपस में जो है hydrogen bonding से एक दूसरे के साथ pair up कर जाते हैं and that's how इंटीरियर का पूरा जगह है वो बेसेस ओक्यूपाई कर लेते हैं ठीक है अच्छा यहां पर बहुत इंट्रेस्टिंग बात यह कि यह जो पेरिंग होती है यह कैसी पेरिंग होती है कॉंप्लीमेंटरी पेरिंग मतलब यह जो बेसिस है यह कोई भी किसी के साथ पेयर अपने कर सकता है इनका वह फिक्स है कि भाई कौन किस साथ पेयर करेगा तो कैसे होती है पेयर इन जो है वह हमेशा थाइविन के साथ पेयर अप करता है विद डबल बॉंड साइटोसिन जो है वह हमेशा गुवैनिन के साथ पेयर अप करता है विधर ट्रिपल बॉंड ठीक है ठीक उसी तरह गुवैनिन सिर्फ तो ट्रिपल बॉन थाइमिन सिर्फ अडनिन के साथ पेर अप करता है विधर डवल बॉन सो देट इस कंप्लीमेंटरी बेस पेरिंग अब इंट्रेस्टिंगल हम यह नोटिस करते हैं कि इस हेलिक्स के जो दोनों स्ट्रांड्स होते हैं इनके बीच का जो डिस्टेंस होता है देट इस यूनिफॉर्म थ्रूआउट ठीक है वेरी इंट्रेस्टिंग फैक्ट यह हेलिक्स स्ट्रक्चर होता है यानि कि यह जो दो स्ट्रांड्स है यह यूएक दूसरे के पैरलल लगेवे नहीं होते हैं यह दोनों कैसे लगे होते हैं यू यू यू एक हेलिक्स मतलब समझ लो कि एक रिबन है उस रिबन रिबन को तुमने ऐसे हेलिकल फॉर्म में रखा एक और रिबन लिया उसको भी हेलिकल फॉर्म में रखा और इन दोनों को जो है एक दूसरे के सामने सामने रख दिया तो क्या बन जाएगा डबल हेलिक स्ट्रक्चर जो कि कैसा स्ट्रक्चर होता है डियने का स्ट्रक्चर होत ट्रक्चर्स बनाती है और एक दूसरे के सामने होती है इसलिए यह डबल हेलिक स्ट्रक्चर का शेप हमें दिखता है डिएने के डबल हेलिक स्ट्रक्चर के एक और खास बात यह होती है कि डिएने के जो दो पॉली न्यूक्लियोटाइट चेंस होते हैं डे एंटी पैरलल पोलारिटी एंटी पैरलल पोलारिटी बोले तो अभी तक तो यह समझ में आ था कि यह दोनों पॉली न्यूक्लियोटाइट चेंस है यह दोनों एक दूसरे से बराबर डिस्टेंस में होते हैं हालांकि वह डबल हेलिक्स फॉर्म करते हैं पर एंटी पर अंटी परलेल का इन जनरल क्या मतलब होता है कि अगर एक इधर से इधर जा रहा है तो दूसरा इधर से इधर आ रहा है तो अंटी परलेल पोलारिटी का यहां से मतलब है इसकी डिरेक्शन की बात कर रहे हैं जैसे अगर एक पॉली नुक्लियोटाइट चेन जो है वो 5 डाश आ गया कि जो DNA का length है वो काफी काफी काफी ज्यादा है compared to the size of the nucleus, right? Now that is strange क्योंकि हमें अभी तक यही पता था कि बैज इस nucleus के अंदर chromosomes होता है और chromosomes में होता है DNA, right? लेकिन मैं कह रही हूँ कि DNA इतना लंबा है कि वो nucleus के अंदर कैसे आएगा? आए नहीं सकता है, समझ रहे हो? It is like आपके पास एक छोटा सा purse है और मैंने आपको एक कोई बहुत बहुत लंबी सी रसी दे दी रखने के लिए ठीक है अब अगर आप सिर्फ उस रसी की लेंथ को देखोगे तो आप क्या बोलोगे कि मैं यह इतने छोटे से बैग में तो अटे गए नहीं क्योंकि इसकी लेंथ बहुत जादा लंबी है लेकिन अगर मैं कहो कि नहीं भाई उस उसे किस तरीके से पैक करके उस बैग के अंदर फिट कर दिया तो कुछ ऐसा ही होता है हमारे DNA के साथ इसलिए we will talk about packaging of DNA कि DNA किस तरीके से packaged form में रहता है ताकि वो nucleus के अंदर fit हो जाए तो यहाँ पर हम देखेंगे packaging of DNA both for prokaryotes and eukaryotes तो सबसे पहले बात करते हैं बच्चों prokaryotes के बारे में prokaryotes क्या होते हैं जिन में well defined nucleus होता ही नहीं है बात करते हैं E.coli की, bacteria, है न, तो इन्हें well defined nucleus नहीं होता है, तो अब आप सोचोगे कि तो इसका मतलब क्या cell के अंदर जो DNA है वो पूरे जगपे scattered होता है, नहीं, not really, फिर कैसे होता है, DNA जो है ये loops के form में होता है, और इसको पकड़ के रखा होता है proteins ने, यानि कि DNA is in the form of loops held by अ� DNA जो है that is negatively charged अब आप फिर से सवाल करोगे कि DNA negatively charged क्यों है DNA के structure को देखो DNA के structure में repeatedly हमें एक group दिखता है which is phosphate group phosphate group पे अगर हम focus करें तो हम देखते हैं कि phosphorus और oxygen के बीच में bond बनी होती है and we see that oxygen is negatively charged अब एक DNA के structure में एक नहीं बलकि कई phosphate groups होते हैं यानि कि कई negatively charged oxygen atoms होते हैं यानि कि overall DNA कैसा होता है negatively charged होता है ठीक है इस negatively charged DNA को पकड़ के रखते हैं कुछ positively charged proteins positive charge, negative charge आपस में attraction तो होना ही है तो कुछ ऐसा ही होता है यहाँ पर भी कि कुछ positively charged proteins इस negatively charged DNA को पकड़ के रखते हैं और जिस region में पकड़ के रखते हैं उस region को हम कहते हैं नूकलियोइड अब बात करेंगे eukaryotes की, eukaryotes के अंदर ये जो organization होता है या फिर ये जो packaging होती है DNA की ये और ज्यादा complex होती है, तो यहाँ पर भी अमारा DNA तो negatively charged है और यहाँ पर भी होते है कुछ positively charged basic proteins जिनने हम कहते है histones, हम देखते हैं कि हमारे जो DNA है, negatively charged DNA ये histone proteins के around यूं wrap around करके रहते हैं, मतलब उनको लपेट के ये बैट जाते हैं, क्यों लपेट लेते हैं क्योंकि भाई histones जो है, पॉजिटिव चार्ज डीएने नेगेटिव चार्ज तो उसको लपेट के बैठ जाते हैं ठीक है ओके यह जो स्ट्रक्चर बनता है यानि कि हिस्टोन के ऊपर किसका रापिंग डीएने का रापिंग इस स्ट्रक्चर को हम कहते हैं न्यूक्लियोजोम एक न्यूक्लियोजोम में लगभग टू हंड्रेड बेस पेयर्स ऑफ डीएने हेलिक्स होता है ठीक है मतलब आप समझ लो कितना यह न्यूक्लियोजोम कहां पर पाया जाता है तो हम लोग चलो चलते क्योंकि यूकरियोट्स के अंदर तो एक particular nucleus होता है, nucleus के अंदर यादे हमने chromatin के बारे में पढ़ाता हूँ, which are thread like structures present inside nucleus, ये जो thread like structures होते हैं, अगर इसको हम microscope के अंडर देखें, तो इन thread like structure में हमें बीच-बीच में ना beads जैसे चीज़ें दिखती हैं, बीट समझते हो, जैसे यूँ समझ लो कि एक माला है, माला में बीच-बीच में मोती लगी हुई है, तो कैसा दिखेगा, thread, मोती, thread, मोती, thread, मोती, ऐसा दिखेगा, right, यहाँ पर भी, माइक्रोस्कोप के अंडर जब आप अब्सर्व करोगे क्रोमाटिन के स्ट्रॉक्चर को, तो आप देखोगे आपको वैसा ही थ्रेड मोती थ्रेड मोती दिख रहा है, तो तो वो जो थ्रेड दिख रहा है, तो अब समझ में आ गया कि कहाँ पर डिएने रहता कि इन्हें क्रोमाटिन के अंदर डिएने की पैकेजिंग कैसी है पेस्ट ऑन देट क्रोमाटिन के दो फॉर्म्स होते हैं यू प्रोमाटिन एंड हेट्रो क्रोमाटिन यू प्रोमाटिन के अगर हम बात करें तो इसमें लूज पैकेजिंग ऑफ डिएने कि ट्रांट से कॉपी करते हुए आरेने का बनना राइट दिए ने से आरेने का बनना देट ट्रांसक्रिप्शन तो यू प्रोमाटिन यह वह वाला क्रोमाटिन है जिसके अंदर जो डीएने होता है वह ट्रांसक्रिप्शन अंडरगो करता है वहां से आरेने बनता है देट वाइट देट ट्रांसक्रिप्शन अली एक्टिव यह कहां पाया जाता है यह प्रोकारियोट एस वेल एस यू कैरीओट दोनों में पाया जाता है अब दूसरी तरफ बात करेंगे हम हेटरोक्रोमाटिन की हेटरोक्रोमाटिन बहुत टाइटली पैकेज्ड होता है, टाइटली पैकेज्ड बोले तो इसमें ज्यादा DNA होता है, राइट, मतलब ऐसे समझो, एक बॉल है, उसके उपर आपने बहुत राउंड्स आफ रसी गुमा रखे, एकदम टाइटली गुमा रखे, मतलब इसमें रसी बहुत जादा है लाइटली स्टेन नहीं दिखता है, हेविली स्टेन दिखता है, डार्क स्टेन दिखता है, ट्रांस्क्रिप्शनल ये इनाक्टिव होते हैं, यहां पर से इस वाले पोर्शन ओफ डिएनेस से आरेने का बनने का कोई सीन नहीं होता है, ये किस में पाये जाते हैं, दे आर फा� experiments आएं तो इन सारे scientists ने अपनी experimental और अपनी theoretical study पर बेस करके यह तो बता दिया था कि भी यह जो जेनेटिक मेटीरियल है ना यह कहीं ना कहीं क्रोमोजोम में है ठीक है लेकिन एक्साक्टली कौन सा वो मॉलिक्यूल है जो जेनेटिक मेटीरियल की तरह बेहेव करता है या फिर जो जेनेटिक मेटीरियल है वो अभी तक हमें प्रिटेक्टिक मेटीरियल की खोज में कई सारे साइंटिस्ट ने कई सारे एक्सपेरिमेंट्स किये तो फिलाल हम बात करेंगे ग्रिफित्स एक्सपेरिमेंट के बारे में ग्रिफित्स ने एक्सपेरिमेंट परफॉर्म किया यूजिंग बैक्टीरिया तो क्या एक्सपेरिमेंट परफॉर्म किया उन्होंने अपने एक्सपेरिमेंट के दौरान इस बैक्टीरिया के दो स्ट्रेन यूज़ किये S स्ट्रेन, R स्ट्रेन S स्ट्रेन बोले तो स्मूथ स्ट्रेन यह है जिनका एक smooth polysaccharide coat होता था यानि कि इन bacteria के बाहर यह अप यू समझ लो कि यह bacteria जो है ना एक protective coat पहन के रहते थे जब बहुत बारिश हो रही होती है अगर आप rain coat के अंदर हो तो आप protected रहोगे राइट क्यों क्यों कि आपने एक outer coat लगा रखी है तो कुछ इसी तरीके से यह जो bacteria थे इनके बाहर एक smooth polysaccharide का coat था जिसकी वज़े से they were resistant to the immune system of the host अब यह जो bacteria है यह किसी host बॉडी में जाकर रहते हैं, किसी और की बॉडी में जाकर रहते हैं, वहाँ से अपना खाना पीना लेते हैं, है ना, लेकिन उस होस्ट का जो इम्यून सिस्टेम है, वो इन बैक्टेरिया को कुछ नहीं कर पाता था, क्यों, क्योंकि इनके पास था protective coat, तो ये था S strain, दूसरी तो ग्रिफिट ने अपने experiment में इस particular bacteria यानि कि streptococcus pneumonia का इन दोनों strain का use किया, S strain और R strain, और देखो क्या किया experiment के अंदर, ग्रिफिट ने अपने experiment के दोरान कुछ चार different different चीज़ें की, पहले चीज़ उन्होंने क्या किया, he injected S strain of bacteria into a mouse, एक mouse के अंदर उन्होंने S strain bacteria inject किया, स्ट्रेन बैक्टेरिया मतलब उसमें स्मूथ कोट है उस बैक्टेरिया के पास स्मूथ कोट है तो बैक्टेरिया के पास सुरक्षा का वज़ है तो बैक्टेरिया को तो कुछ नहीं होगा लेकिन क्या होगा जो माउस है यानि कि जो होस्ट है उसको निमूनिया ज़रूर हो ज प्रप्रचा कवच उनके पास नहीं था तो क्या हुआ इस केस में माउस को कुछ नहीं हुआ ठीक है ओके तो ग्रिफिट ने क्या ऑब्जर्व किया इन दोनों चीजों से कि जब ही भी वो माउस को इंजेक्ट करता था विट एस ट्रेन तो उसे निमूनिया हो जाता था और ज तो S-train जब body के अंदर जाता है, तो वो host उसको pneumonia हो जाता है, right, so that means S-train is harmful, लेकिन our strain is not harmful, ठीक है, okay, अब Griffith ने यह observe किया, कि heat करके वो bacteria को kill कर सकता है, ठीक है, heating kills the bacteria, तो उन्होंने सोचा, ठीक है, चलो अब एक next series try करते है, उन्होंने क्या किया, जो S-train था, उसको heat कर दि heat कर दिया तो वो kill हो गया, तो heat killed S-train को अब mouse के अंदर inject किया, ठीक, normally जब S-train को inject किया था तो क्या हुआ था, वो जो mouse था, it died of pneumonia, but अब जब heat killed S-train को inject किया, तो क्या हुआ, mouse was alive, उसको कुछ नहीं हुआ, right, उसको नहीं हुआ pneumonia, क्यों नहीं हुआ, क्योंकि जो वो S-train थ तो वो kill हो चुका था, वो bacteria killed था, वो bacteria was not effective, वो bacteria मर चुका था, तो इसलिए वो उस mouse के अंदर pneumonia infect नहीं कर पाया, अब देखो interesting चीज अब आएगी, अब Griffith ने क्या किया, उन्होंने heat killed S-strain के साथ साथ live R-strain को डाल दिया, inject कर दिया mouse की body के अंदर, अब आपके according होना क्या चा स्ट्रेन है तो इसका मतलब वो अब हामफूल नह क्योंकि वैसे तो S-Strain हामफूल होता है बट heat killed है तो अब वो हामफूल नहीं होगा साथ में हमने क्या डाला है Live R-Strain Live R-Strain तो वैसे हामफूल नहीं होता है क्योंकि R-Strain में वो coat हो नहीं होता है उनके पास तो इस case में दोनों ही चीज हामफूल तो नहीं लग रही है, तो मुझे ऐसा लगता है कि इस case में जो mouse है वो live ही रहना चाहिए, उसको pneumonia नहीं होना चाहिए, लेकिन to his surprise what he observed was that the mouse died of pneumonia, अब इस result ने Griffith को चौका दिया, Griffith was thinking कि भाई ऐसा क्या हो गया, मैंने तो heat killed S strain डाला था और live R strain डाला था, रिफित तो वैसे ही काफी चौके वे थे, काफी सप्राइस थे, तो उन्होंने क्या किया, कि ये जो dead mouse था, जो मर चुका था, उस mouse की body से उन्होंने क्या recover किया, उन्होंने देखा कि उस dead mouse की body के अंदर live S-strain था, wow, that is another amazing fact, live S-strain तो हमने inject ही नहीं किया था, हमने क्या inject किया लाइव S-Train इसका मतलब है कुछ तो अंदर ऐसा हुआ था जिसकी वज़े से जो लाइव R-Strain था वो लाइव S-Train में ट्रांसफॉर्म हो गया इसका मतलब है कि कुछ तो ऐसा ट्रांसफॉर्मिंग प्रिंसिपल था कोई तो ऐसी ट्रांसफॉर्मिंग चीज थी जो Heat-Killed S-Train से लाइव R-Strain में गई और उस लाइव R-Strain को Virulent बना दी यानि कि उस लाइव R-Strain को लाइव S-Train बना दिया उसे harmful बना दिया उसी वज़े से तो वो माउस जो है वो मर गया इन फट मरेवे माउस के अंदर से हमें क्या मिला हमें live s train भी मिला तो अब ये transforming principle क्या था वो तो Griffith के experiment से पता नहीं चला लेकिन ये जरूर पता चला कि कुछ तो ऐसा एक transforming principle है जो एक चीज से दूसरे चीज में pass on हो सकती है लेकिन इस transforming principle का biochemical nature क्या है ये exactly क्या है ये protein है, carbohydrate है, nucleic acid है ये क्या है इसके उपर भी काफी सारा काम किया गया है इसके उपर भी कई सारे scientists ने काफी सारे experiments perform किये काफी सारा research किया तो बच्चो, bacteriologists ने फिर से experiments के line लगा दी ये find out करने के लिए कि भाई ये transforming principle आखिर है क्या तो जब ये series of experiments किये गए तो कुछ observations ऐसे रहे जैसे कि ये जो transforming principle था इत precipitated with alcohol दूसरा observation था कि transforming principle could not be destroyed with proteases protease क्या होते है protein digesting enzyme तो यानि कि प्रोटिएज का इन transforming principle पर कोई असर नहीं था इसका मतलब ये transforming principle जो है और चाहे जो कुछ भी हो बट ये protein तो नहीं है क्योंकि protein को digest करने वाले enzymes का इन पर कोई असर नहीं हुआ तीसरा observation ये रहा कि transforming principle could not be destroyed by lipases लाइपेज क्या होते हैं लिपिट डाइजिस्टिंग एंजाइम्स तो इससे क्या प्रूव हुआ कि भाई transforming principle लिपिट्स भी नहीं है चोथा observation transforming principle could not be inactivated with ribonuclease यानि कि ribonuclease क्या होता है ऐसा एंजाइम जो RNA को inactivate कर दे तो इसका मतलब हुआ कि हमारा transforming principle RNA भी नहीं है पर अब सब सोच रहे हैं कि भाई तो फिर ये है क्या? Finally ये पाया गया कि transforming principle could be inactivated with dioxiribonuclease which means ये क्या है? Which means that it is DNA और इस तरीके से prove हुआ कि DNA ही हमारे movie का hero है यानि कि DNA is the genetic material तो बच्चो DNA ही genetic material है इसको prove करने के लिए कई और experiments भी किये गए एक ऐसा ही बहुत popular experiment है हरशे चेज experiment ठीक है? है तो हर शेयर चेज ने एक्सपेरिमेंट किए विद बैक्टेरियों फेज बैक्टेरियों फेज बैक्टेरियों नहीं होते हैं यह वाइरस होते हैं लेकिन इनको बैक्टेरियों फेज हम इसलिए कहते क्योंकि यह ऐसे वाइरस होते हैं जो बैक्टेरिया को एटाक करते हैं एटाक करते हैं बोले तो मतलब यह ऐसे वाइरस होते हैं जो बैक्टेरिया से जाकर एटेश हो जाते हैं और इनका जो जेनेटिक मेटीरियल है वह बैक्टेरिया के अंदर चला जाता है ठीक है अब इस जिनेटिक मेटीरियल जो उसके अंदर आ चुका होता है उसको अपना जिनेटिक मेटीरियल समझ लेता है और क्या करता है उसको रेप्लिकेट करता रहता है जिसके वजह से बैक्टेरिया के अंदर ये और वाइरसेस प्रोडूस करते रहता है तो बैक्टेरियोफेज की ख के बारे में मैंने एक थोड़ा background दे दिया ठीक है ओके अब हर्षी एंड चेज ने जो experiment परफॉर्म किया था उस experiment के थूं वह यह देखना चाहिए थे कि भाई वाइरस जो यह मेटीरियल अपना जो जिनेटिक मेटीरियल बैक्टेरिया के अंदर ट्रांसफर करता है वह मेटीरियल क्या होता है क्या वह डीएने होता है या फिर वह प्रोटीन होता है ठीक है तो हर्षी एंड चेज ने किया क्या उन्होंने कुछ वाइरसेस लिए उनको ग्रो किया एक ऐसे मीडियम में जिसमें रेडियो अक्टिव फॉसफोरस था उन्होंने कि और वायरस लिए और उनको ग्रो किया एक और मीडियम में जिसमें था रेडियो अक्टिव सलफर तो बेसिकली यहां पर दो तरह के वायरस ग्रो किया जा रहे थे ठीक है एक रेडियो अक्टिव फॉसफोरस में और दूसरा रेडियो अक्टिव सलफर में अब जिन वायरस इसको हम रेडियो अक्टिव फॉसफोरस में ग्रो कर रहे थे उनके डीएने में क्या होगा उनका यानि कि DNA के structure में phosphorus होता है तो अगर हम इन viruses को radioactive phosphorus में grow कर रहे हैं तो इसका मतलब है इसका DNA भी radioactive होगा clear है ओके दूसरी तरफ जिन वाइरस को हम रेडियो एक्टिव सल्फर में ग्रो कर रहे हैं उनके केस में क्या होगा उनका डीएने रेडियो एक्टिव बिल्कुल नहीं होगा क्योंकि डीएने में तो सल्फर होता है नहीं है लेकिन उनका प्रोटीन रेडियो एक्टिव होगा ठीक है तो हर्षी एंड चेज ने क्या किया उन्होंने दो तरह के वाइरस ग्रो किए ठीक है एक ऐसे जिनका डीएने रेडियो एक्टिव था दूसरे ऐसे जिनका प्रोटीन रेडियो एक्टिव था तो देखो हुआ क्या सबसे पहले और नहीं क्या कि जो बैक्टेरियो फेज रेडियो आक्टिव डीएने के साथ थे ठीक है उनको लिया उनको बैक्टेरिया पर अटैक करवाया बैक्टेरिया इनफेक्ट हो गया ठीक है अब क्या किया इस पूरे चीज को इन सब को एजिटेट किया इन ब्लेंडर ब्लेंडर हैं बेस्ट ऑन देट डेंसिटीज वह सेपरेट आउट हो जाते हैं ठीक है तो यहां पर भी कुछ ऐसा हुआ हमने नोटिस किया जो फेज पार्टिकल्स यानि कि जो बैक्टेरियो फेज के पार्टिकल्स थे वो सेपरेट आउट हो गए किससे? बैक्टेरियो सेल्स से ठीक है? मतलब बैक्टेरिया के जो पार्टिकल्स थे और बैक्टेरियो फेज के जो पार्टिकल्स थे वो दोनो सेपरेट आउट हो गए अब देखो इंटरेस्टिंगली क्या नोटिस हुआ? अब यह नोटिस हुआ कि जो बैक्टेरियो सेल्स थे वो रेडियो आक्टिव थे लेकिन जो फेज पार्टिकल्स थे वो रेडियो आक्टिव नहीं थे तो बैक्टेरियो सेल्स रेडियो आक्टिव थे यानि कि वो रेडियो आक्टिव कैसे हुए? वो रेडियो आक्टिव नहीं थे उस जेनेटिक मेटीरियल के पास होने से हुए, right? क्योंकि जो बैक्टेरियोफेज था, वो बैक्टेरियल सेल को अपना क्या दे रहा था? अपना जेनेटिक मेटीरियल दे रहा था, right? और इस केस में हमने क्या देखा था? कि जो बैक्टेरियोफेज था, उसका DNA radioactive था, right? यानि कि वो जो जेनेटिक मेटीरियल उसने पास ओन किया था, वो radioactive था? DNA था, correct? दिने हमारा इस केस में रेडियो अक्टिव था ठीक है समझ में आया अब देखो अब देखो सेकंड सेनारियों में क्या किया हर्षय और चेज ने उन्होंने क्या किया उन्होंने बैक्टेरियोफेज लिया जिनका रेडियो अक्टिव प्रोटीन था ठीक है और सेम चीज किया एजिटेट किया इन ब्लेंडर सेंट्रीफूगेश��� की वजह से फेज पार्टिकल्स और बैक्टेरियल सेल्स सेपरेट पर उठो गए अब देखा गया कि जो बैक्टेरी तो यह थे वह रेडियो अक्टिव नहीं थे लेकिन जो फेज पार्टिकल्स थे वह रेडियो अक्टिव ही थे इसका क्या मतलब हुआ इसका यही मतलब हुआ कि यहाँ पर भी जो बैक्टेरियो फेज थे चुके उन्होंने बैक्टेरिया को इंफेक्ट किया था तो उन्होंने अपना जेनेटिक मेटिरियल तो पास ओन किया था बट यहाँ पर हम देख रहे हैं कि रेडियो अक्टिविटी की जो प्रॉपर्टी का मतलब जो genetic material है वो protein नहीं है क्योंकि यहाँ पर तो protein radioactive था तो protein bacteriophage के अंदर था और वो bacteriophage के अंदर ही रह गया इसलिए phage particles radioactive निकले last तक लेकिन जो genetic material था यानि कि जो DNA था वो pass on हुआ bacterial cell में और DNA इस case में non radioactive था इसलिए bacterial cells भी non radioactive था है ना देखो कितना मज़ेदार experiment perform किया तो हर्षे और चेज ने बहुती जबरदस्त experiment perform करके फिर से ये prove कर दिया कि भाई genetic material कौन है? DNA तो बच्चो full and final तरीके से ये prove हो चुका था कि DNA is the genetic material in most of the organisms अब देखो फिर से एक doubt खड़ा कर रही हूँ मैं ये कहके कि in most of the organisms यानि कि all organisms में DNA is not the genetic material कुछ थोड़े बहुत exceptions हैं in fact कुछ ऐसे viruses हैं जिसके अंदर DNA के बजाए RNA उनका genetic material होता है जैसे कि TMV, Tobacco Mosaic Virus, जैसे कि QB Bacteriophage, ये कुछ ऐसे viruses हैं जुसके अंदर RNA उनका genetic material होता है अब इस discussion के साथ एक बहुत obvious सवाल शायद आपके दिमाग में आ रहा होगा शायद नहीं भी आ रहा होगा बट वो सवाल ये है कि कौन से ऐसे चीज़े हैं कौन से ऐसे properties हैं जो किसी substance को एक अच्छा genetic material बराएगा कि नाता है मतलब वाइज़ एड कि डीए नहीं एक अच्छा जेनेटिक मेटीरियल है कोई और जेनेटिक मेटीरियल की तरह बेहेव क्यों नहीं करता है सो व्हाट इज एड डेड डिसाइड कि कौन अच्छा जेनेटिक मेटीरियल बन सकता है तो क्यों क जेनेटिक मेटेरियल बनने के लिए तो जो सबसे पहला क्रिटेरिया है तो ये ये खुद को रेप्लिकेट कर सकता हो खुद की कॉपी बना सकता हो अब देखो कंटेंडर्स तो बहुत हैं कार्बोहाइड्रेट है, प्रोटीन है, फैट है डियने है, आरेने है ज़रूरी है, stability ही नहीं है, तो कहे का genetic material? क्योंकि जो genetic material होगा, उसे एक generation से दूसरे generation तक trait को लेके जाना है, right? तो अगर वो खुदी stable नहीं होगा, तो वो बीच में कोई नोगो reaction में participate करके तूट फूटके रह जाएगा, है न? तो इसलिए chemically or structurally, दोनों दरीके से इसे stable होना चाहिए, provide scope for mutation which may lead to evolution, very very important. बाई genetic material की मैं बात कर रहे हूँ, इसका मतलब है ये ऐसा material, जो traits को एक generation से दूसरे generation में ले जाएगा ये इसका एकलावता काम नहीं है इसका काम ये भी है कि कुछ नए traits भी आ सकें with time तब ही तो evolution होता है जैसे हम सबने अपने जब हम evolution के बारे में हमने पढ़ा है तो हम सबने क्या पढ़ा है कि आज हम जितने organisms देखते हैं चाहे human beings हो, चाहे elephants हो चाहे चोटा सा कीड़ा हो, चाहे bacteria हो ये सारे चीज़े लगबख same origin से आई है but over millions and millions and millions of years क्या हुआ है ये evolve कीए हैं अलग-अलग तरीके से तो ये evolution क्यों possible हुआ? क्यों? क्योंकि नए changes आए, mutations आए तो genetic material ऐसा होना चाहिए जो ये scope दे कि बहुत slow, slow, slow अगर उसमें कुछ changes हो रहे हैं तो वो, मतलब it can still manage with those changes क्योंकि वो चोटी, चोटी, चोटी, चोटी changes से ही over a long period of time कुछ नए चीजे बन सकती है कुछ evolve हो सकता है, evolution हो सकता है तो ये एक बहुत ही मतलब एक बहुत ही special property है जो obviously सारी चीजें हमें नहीं दे सकती है चौथा point which is last but definitely not the least capable of expressing itself in the form of Mendelian characters हमने Mendelian genetics पढ़ा था तो हमने देखा था वहाँ पर कि कैसे एक particular generation में traits अपने आपको express करते हैं जो अगर हम pea plant के experiments को देखें किसी generation में हमें tall plants दिख रहे थे प्रेशन में हमें कुछ टॉल कुछ ड्वार्फ प्लांट्स दिख रहे थे राइट कभी हमें राउंड सीड्स मिल रहे थे कभी हमें रिंकल्ड सीड्स मिल रहे थे तो यह सब क्या है यह सारे ट्रेट्स है ट्रेट्स खुद को एक्सप्रेस कर रहे हैं तो इसका मतलब है जो मेरा जेनेटिक मेटीरियल है वह जेनेटिक मेटीरियल में यह केपबिलिटी होनी चाहिए कि वह ट्रेट्स को इस तरीके से कंट्रोल कर सके लाइट जैसा हमने मेंडेलियन जनेटिक्स में देखा था ट्रेट्स का एक्सप्रेशन ट्रेट्स के उन एक्सप्रेशन को यह कंट्रोल कर सके तो यह कुछ एक प्रिटेरिया है जो किसी भी एक परिक्यूर चीज को फॉलो करना होगा सो देट इट कैन आट एज जेनेटिक मेटीरियल और हम देखते हैं कि इन सारे क्रिटेरिया को डीएने डीएने के साथ साथ आरेने दोनों ही काफी हद तक इन सारे क्रिटेरिया को फुलफिल करता है ठीक है, कैसे fulfill करते हैं, देखते हैं, चलो दोनों का देखेंगे कि कौन सी चीज़े RNA में ज़्यादा अच्छा है और कौन सी चीज़े DNA में ज़्यादा अच्छा है, ठीक है, तो अगर हम mutation और evolution की बात करें, तो हम क्या देखते हैं, कि RNA जो है, वो ज़्यादा easily mutate होता है, क्य कि अंबर वाले कार्बन पर जो हाइड्रॉक्सल ग्रूप प्रेजेंट होता है वह हाई ली रियाक्टिव ग्रूप होता है और उसके प्रेजेंट होने की वजह से आरेने का जो स्ट्रक्चर है वह कम स्टेबल होता है राइट और कम स्टेबल होने की वजह से क्या होता है यह बहुत इजीली डिग्रेट हो जाता है बहुत इजीली यह चेंजेंस अंडरगो करता है म्यूटेट हो जाता है तो इवोल्यूशन जो है वह फास्टर होता है आरेने के केस में कंपेर्ट टू डीएने डीएने के तो evolve भी जो है ये comparatively slower होता है ठीक है तो यहां से हमें दो चीज़ें पता चली एक चीज़ ये पता चली कि अगर हम सिर्फ mutation और evolution की बात करें तो RNA थोड़ा ज़्यादा fast है compared to DNA पर अगर हम stability की बात करें तो DNA थोड़ा ज़्यादा stable है both structurally as well as chemically when compared to RNA अगला point अगर हम दोलों के structures को देखें for example DNA का जो structure होता है that is a double stranded structure आरेने का स्ट्रक्चर है सिंगल स्ट्रैंडर स्ट्रक्चर डिएने के डबल स्ट्रैंडर स्ट्रक्चर होने की वजह से एरर रेक्टिफिकेशन ज्यादा आसान होता है एरर रेक्टिफिकेशन बोले तो मतलब जब भी भी रेप्लिकेशन हो रहा है जब भी हम कॉपी बना रहे हैं अगर कुछ गलती हो जाती है तो उनको रेक्टिफाई करना कंपेरिटिवली इजी है इन डिएने ऐसा क्यों क्योंकि डिएने में देखो दो स्ट्रैंड्स होते है But still, अगर suitable conditions होने पे, ये दोनों strands वापिस आके जुड़ भी सकते हैं, right? ऐसा क्यों? क्योंकि DNA के जो दो strands हैं, they are complementary to each other, right? तो वो अपने-अपने जो base pairing, जो हो रखी है, उस base pairing की वज़े से अगर वो separate out भी हो जाते, they can still come back and they can again form the double stranded structure. अगर बात करें protein synthesis की, तो हम देखते हैं कि DNA directly कभी भी protein synthesize नहीं कर सकता है. कि डीएने को हमेशा किसके ऊपर डिपेंड करना पड़ता है आरेने के ऊपर तो होता कुछ यूज जो वर ऑल प्रोसेस होता है वह क्या होता है कि डीएने से ट्रांस्क्रिप्शन होकर पहले आरेने बनता है आरेने डिरेक्टली प्रोटीन सिंथेसाइज करता है ठीक है और जो प्रोटीन सिंथेसिस होता है उस प्रोटीन की वजह से ही जो ट्रेट समय दिखते है उस प्रोटीन को सिंथेसाइज कौन करता है आरेने आरेने कहां से आता है डिएने से रेक्ट मतलब बोलने का मतलब है कि DNA खुद किसी और पर depend किये बिना directly protein synthesis कर सकता है, but DNA ऐसा नहीं कर सकता है. DNA को हमेशा RNA के उपर depend करना पड़ता है to synthesize proteins. तो कुल मिला के इस पूरे discussion से हम यह देखते हैं कि DNA और RNA यह दोनों ही genetic material हो सकते हैं. लेकिन DNA को हम हमेशा prefer करते हैं as a genetic material majorly because of two reasons. यह दो रिजन्स स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी ऑफ डीएने एंड केमिकल स्टेबिलिटी ऑफ डीएने क्योंकि केमिकली और स्ट्रक्चरली डीएने आरेने के कंपैरिजन में काफी ज्यादा स्टेबल होता है और इसी स्टेबिलिटी की वजह से डीएने को प्रेफर किया जा यहाँ पर हमें एक चीज देखने को मिलती है कि उनका evolution काफी faster होता है In fact अगर इन viruses के ही बात करो तो इनका lifespan shorter होता है But ये mutate और evolve काफी fast करते हैं ऐसा क्यों? Because of RNA अब अगला सवाल यह आता है कि who came first? DNA या फिर RNA? Well, RNA था पहला genetic material RNA was the first genetic material In fact, Walter Gilbert नाम के एक scientist थे जिन्होंने एक hypothesis दी थी एक वर्ल्ड उनका यह कहना था कि किसी टाइम पर वनस अपन टाइम इस पूरे अर्थ में आरेने था एंड ऑल द लाइफ फॉर्म्स जो हम आज अर्थ पर देखते हैं देख ऑल केम फ्रॉम आरेने तो मतलब किसी जमाने में एक वर्ल्ड था विच आरेने वर्ल्ड बिकुल इट वस जस्ट आरेने तो मतलब बाकी सारी चीजें आरेने से ही आई है ठीक है तो अब भाई आरेने एक टोरेज ऑफ जनेटिक मिटीरियल दूसरा ट्रांसमीशन ऑफ जनेटिक मिटीरियल ताकि वह एक जनरेशन से दूसरे जनरेशन तक पहुंच सके तीसरा कैटलिटिक एंड एंजाइमिटिक एक्टिविटीज मतलब यह खुद जो है एक कैटलिस्ट की तरह बिहेव करता है एंजाइम की तरह बिहेव करता है ऐसा क्यों होता है क्योंकि जैसा कि मैंने बताया कि आरेने का अगर आप स्ट्रक्चर देखो तो आरेने स्ट्रक्चर ली कम स्टेबल होता है चुकी कम स्टेबल होता है तो यह ज्यादा टाइलिस्ट की तरह बेहेव करता है विद टाइम टाइम के साथ साथ चीजें चेंज होने लगी चीजें इवॉल्व होने लगी एंड थैंक्स हॉट आरेने से हमें डीएने मिला आरेने भी काफी मॉडिफिकेशन ऐसा नहीं आरेने ही डीएने बन गया बोलने का हमें एक नई चीज मिल जाती है तो उसे तरीके से कहने का मतलब है कि हमें आरेने में ही फर्थर मॉडिफिकेशन साफर दर रिएक्शन्स वगरा होते होते हमें एक ऐसा फॉर्म मिला विच इस डीएने जो कि आरेने से कई ज्यादा स्टेबल है तो बच्चों लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट लुट या बुक्स की जिरॉक्स कराते रहते हैं जिरॉक्स में होता क्या है उसे चीज की एक copy बन जाती है, right? तो यहाँ पर जब हम DNA replication की बात करते हैं, हम क्या कह रहे हैं कि DNA की copy बनाना, अब DNA की Xerox कोन निकालता है और कैसे? अब replication of DNA की जब हम बात करते हैं, तो सबसे पहले discuss करेंगे वो वाला model, जो suggest किया था Watson and Crick ने. Watson and Crick ने suggest किया था Semi-Conservative DNA Replication Model. DNA के जो दो strands हैं, वो दोनों strands, एंड सेपरेट हो जाते हैं ठीक है और यह जो दोनों स्ट्रांड से यह खुद एक टेंपलेट स्ट्रांड की तरह काम करते हैं टेंपलेट मतलब इनके बेसिस पर दूसरा स्ट्रांड बनता है ठीक है अब यह जो टेंपलेट स्ट्रांड है ठीक है इनमें वह भी सीक्वेंस है लेटर सपोस एगी टीएसी ऐसे करके सीक्वेंस है इन्हीं कि कंप्लीमेंटरी बेस पेरिंग के कंसेप्ट से यह एक और नया स्ट्रांड सिंथेसाइज कर लेते हैं ठीक है तो यानी कि क्या हुआ पहले एक डिएने था जिसके दो स्ट्रांड अब क्या हो गया वो दो स्ट्रांड सेपरेट आउट हो गए अब इस वाले स्ट्रांड ने एक और न्यू स्ट्रांड सिंथिसाइज कर लिया इसने एक और न्यू स्ट्रांड सिंथिसाइज कर लिया ठीक है तो अब मेरे पास कितने डियने हो गए दो डियने हो गए तो हो ग� इस वही स्ट्रांड है और एक-एक स्ट्रांड जो है वो newly synthesized स्ट्रांड है तो इसे हम कहते हैं semi-conservative model, ना तो दोनों नाई स्ट्रैंड है और ना ही दोनों parental strand है, तो इस model को कहा जाता है semi-conservative model of DNA replication जो दिया था Watson and Crick ने, वैसे ये एक लौता hypothesis नहीं था, इसके अलावा भी कई और hypothesis थे regarding DNA replication, जैसे कि conservative DNA replication, conservative मतलब ये fully conservative है, इसमें क्या होगा, कि DNA का कोई एक ट्रांट टेंपलेट की तरह काम नहीं करता है पूरा का पूरा डीएने यानि कि दोनों स्ट्रांड उसके देट टूगेदर आक्ट एज टेंपलेट और यह अपनी एक और कॉपी बना देता है एडिट इस ठीक है तो मतलब एक डीएने से एक और डीएने का कॉपी बन गया त पर शॉट पीसेस में होते थे इसी दिन एक पूरे स्ट्रक्चर को देखो तो थोड़ा सा डिएने जो है वह पर इंटरनेट उसके बाद न्यूली सिंथेसाइज फिर परिंटल फिर न्यूली सिंथेसाइज तो मतलब न्यूली सिंथेसाइज डिएने जो है वह पोटे-पोटे पीसेस में शॉट पीसेस में होते हैं और इसमें जो एटैचमेंट होती है वह ऐसी होती है कि जो इस तरीके का दिखता है हमारा replication of DNA जब हम dispersive hypothesis की बात करते हैं तो बच्चो अब सवाल ये था कि DNA replication होता कैसा है semi-conservative होता है, conservative होता है या फिर dispersive होता है इसी point को prove करने के लिए Missilson Stahl ने एक experiment perform किया with E. coli in 1958 अब उन्होंने किया क्या वो अभी हम देखेंगे बट उससे पहले एक थोड़ा सा background दे देती हूँ अगर E.coli को आप एक ऐसे medium में grow करोगे जिसमें N15 है, N15 बोले तो nitrogen 15, nitrogen के दो isotopes होते हैं N14 और N15, तो let us suppose कि आपने E.coli को N15 में grow किया, और दूसरे तरफ आपने कुछ E.coli को N14 medium में grow किया, तो क्या आपको लगता है कि इन दो तरह के E.coli के DNA में कुछ फरक होगा, बिल्क� नाइट्रोजीनिस बेसिस भी होते हैं राइट तो जिन इकोलाई को आप एन 15 मेडियम में ग्रो करोगे उनके डिएने में जो नाइट्रोजीनिस बेसिस है उनमें नाइट्रोजिन कैसा होगा एन 15 जिनको आप एन 14 मेडियम में ग्रो करोगे उनके डिएने में कौन सा वाला नाइट्रोजिन होगा एन 14 अबसॉल्यूटली तो अभी देखो फॉर यू आर इजियर अंडेस्टैंडिंग जैसे-जैसे हम इस एक्सपेरिमेंट को डिस्कस करेंगे तो हम एन 15 वाले डिएने को ब्लू कलर से डिनोट करेंगे और एन 14 वाले DNA को हम green color से denote करेंगे, ठीक है, this is just for your easier understanding, ठीक है, यहाँ पे एक बात और बता दू, कि जो N15 isotope होता है, यह heavier isotope होता है, कैसे पता चला, centrifugation से, centrifugation क्या करता है, चीजों को ऐसे ऐसे ऐसे घुमाता है, जो भारी होता है, जो heavy होता है, वो पास ही रह जाता है, तो, कि सेंट्रीफिगेशन से ऐसा देखा गया कि जो एन 15 होता है वह हेवियर आईसोटोप होता है ठीक है कंपेर्ट टू एन 14 तो चलो आप देखते हैं कि भाई मैं से सेंट्रीफिगेशन ने अपने एक्सपेरिमेंट में क्या किया तो बच्चों फॉर सेवरल जनरेशन्स कई जनरेशन तक उसको एन 15 मीडियम में ग्रो करते रहें ठीक है तो यह वाले जो इको लाइक का डिएने ऐसा था इन 15 वाला यानि कि ब्लू कलर वाला डिएने था ठीक है और अब उन्होंने क्या किया? ये जो E.coli थे जिनमें N15 वाला DNA था, इनको transfer कर दिया एक ऐसे medium में जिसमें N14 था, ठीक है? और उसके बाद इन E.coli cells को divide करने के लिए छोड़ दिया, तो अब ये cells फिर से divide करने लगे, multiply करने लगे, right? अब क्या किया गया? At periodic interval of time, periodically इसमें से sample निकाल के DNA को extract किया गया, ठीक है? अब देखना ये था कि अब हमें DNA कैसा मिल रहा था? तो observations were very very interesting, अब results बहुत ही interesting थे, हमने notice किया कि पहला generation, पहला generation बोले तो एक round of replication, एक round of replication होने में लगबख 20 minutes लग जाते हैं E.coli को, तो 20 minutes के बाद, यानि कि generation 1 में, हमने notice किया कि जो DNA मिला, they were of intermediate density between N14 and N15, मैंने पहले ही बोला था कि N15 जो है, normally N14 से है, कि यह होता है सेंट्रीफिगेशन से हमें पता चला था ठीक है बट अब हमने यहां देखा यहां पर कि जो हमें डीएने मिल रहे थे वह एंड 14 और एंड 15 के बीच में कहीं पर थे विच मींस कि यह वाले डीएने कैसे होंगे ना तो पूरी तरह ब्लू ना तो पूरी तरह ग्रीन बट ब्लू और ग्रीन का मिक्स राइट ओके जनरेशन टू का जो अब्सरवेशन था वह तो यहाँ पर देखा गया कि equal amount of DNAs with two different densities were found. मतलब यहाँ पर हमने देखा कि जो भी हमें DNA मिल रहा था, उसमें से 50% ऐसे थे जो intermediate density वाले थे, और 50% ऐसे थे जो N14 के density वाले थे. That was interesting. तो जैसे माल लो अगर total हमारे पास 4 DNA है, तो उसमें से 2 ऐसे थे जो blue-green के mixture थे, और 2 ऐसे थे जो green थे. रिजल्ट्स हमें मिले इन रिजल्ट्स को अनलाइज करके चलो देखते हैं कि कौन सा वाला मॉडल वर्क्स है ना तो देखो हमने रिजल्ट्स में क्या देखा सबसे पहले देखते हैं जनरेशन वन जनरेशन वन में हमें इंटरमीडियेट डेंसिटी वाले डियने मिले ठीक ह ना रेप्लीका बनाता है अपना कॉपी बनाता है ठीक है तो यानि कि कंजर्वेटिव हाइपोथेसिस में मिक्सिंग का कोई क्स्कॉपी नहीं है तो इसलिए इस तरह के मिक्स या फिर इंटरमीडियट डेंसिटी वाले डीएने पाने की कोई संभावना नहीं है तो इससे क्या प्रूव हो गया कि जो कंजर्वेटिव हाइपोथेसिस था वह तो नहीं है डीएने रेप्लीकेशन का मॉडल ठीक है अब चलते हैं जनरेशन टू के रिजल्ट पर वह यह कह रहा था कि भी 50% इंटरमीडियट डेंसिटी वाले थे और 50 परसेंट एंड फोर्टी डेंसिटी वाले थे ठीक है अब इस रिजल्ट से फिर से एक और हाइपोथेसिस रूल आउट हो जाता है और वह है इस पर सिव हाइपोथेसिस क्योंकि इस पर सिव हाइपोथेसिस क्या कहता था कि न्यू ली सिंथेसाइज डीएने जो होते थे वह छोटे-छोटे जो parent है उससे identical DNA नहीं बन सकता है तो यहाँ पर ऐसा नहीं हो रहा है यहाँ intermixing भी हो रही है और N14 के identical भी बन रहे हैं तो यानि कि dispersive hypothesis भी rule out हो गया तो अब बचा कौन सा semi-conservative hypothesis तो अब semi-conservative DNA replication model को अगर हम apply करें तो क्या वो इन सारे result को explain कर पाएगा बिल्कुल कर पाएगा, क्यों? क्योंकि सेमी कंसर्वेटिव मॉडल तो ये कहता था कि बहुत DNA के जो दो स्ट्रांड्स हैं, वो स्ट्रांड्स ही सेपरेट आउट हो जाते हैं, और फिर वो एक एक और स्ट्रांड नूली सिंथसाइज करते हैं, तो उस लॉजिक से ये ग्रीन इस टाल के experiment से हमें ये पता चला कि DNA replication is semi-conservative in nature. अगला सवाल ये है कि replication के लिए क्या हमें किसी और चीज़ की भी ज़रूरत है? जरूरत तो है तो बच्चो अगर आप machinery और enzymes की बात करें खासतोर पर अगर हम enzymes की बात करें तो enzymes एक बहुत important role play करता है in DNA replication क्यों? क्योंकि ये enzymes catalyst की तरह काम करते हैं कौन से है ये enzymes? DNA polymerase, helicase, primase DNA ligase ये कुछ important enzymes हैं एंजाइम्स करते क्या हैं? शुरुवात करेंगे DNA Polymerase से, नाम से पता चल रहा है कि ये polymerization में मदद करता है, यानि कि छोटे-छोटे monomer units को जोड़ के polymer बनाता है, so DNA Polymerase help करता है DNA को बनाने में from the nucleotides, nucleotides को join करके वो DNA बनाने में मदद करता है, दूसरा है helicase, helicase के भी नाम पे focus करो, helix से helicase, तो ये कुछ तो करता है घपला helix के साथ, तो जैसा कि हमें पता है कि DNA का ट्रक्चर कैसा होता है डबल स्ट्रैंडेड हेलिक्स डबल स्ट्रैंडेड एकदम टाइटली वूंड एक डबल स्ट्रैंडेड हेलिकल स्ट्रक्चर होता है और यह हेलिकेस क्या करता है यह अनवाइंड करता है डिएने के स्ट्रैंड को हेलिक्स में से यह डबल स्ट्रैंडेड स्ट्रक्चर में से दोनों स्ट्रैंड को अनवाइंड करने का काम करता है हेलिकेस इसके बाद प्राइमेज प्राइमेज क्या करता है एगेन नाम पर फोकस करो प्राइमेज प्राइमर्स बनाता है प्राइमर्स क्या होता है छोटे-छोटे आरेने सेगमेंट्स को हम कहते हैं प्राइमर्स कैसे बनाता है दिने का कोई भी एक स्ट्रांड जो टेंपलेट स्ट्रांड की तरह काम करता है उससे कॉंप्लिमेंटरी बेस पेरिंग के कॉंसेप्ट से ये एंजाइन यानि की प्राइमेज जो है छोटे-छोटे आरेने के सीक्वेंसेस या फिर आरेने के सेग्मेंट्स बनाता है और उन से अब बारी ये DNA ligase की चाहे repair कहलो, चाहे replication कहलो, चाहे recombination कहलो DNA की ये सब कुछ करता है DNA ligase इन फैक्ट अगर एक molecular biology के laboratory में जाके देखोगे तो DNA ligase ये one of the most widely used enzymes होता है DNA Polymerase जो की एक बहुत ही important enzyme है, इसकी दो बहुत खास बाते हैं, इसकी efficiency और इसकी accuracy. अगर हम DNA Polymerase की efficiency की बात करें, तो ये large number of nucleotides को polymerize कर देता है in very very short period of time. बहुत ही कम समाय में बहुत सारे nucleotides को ये polymerize कर देता है. एग्जाम्पल के तौर पर लेते हैं E-Coline. E-Coline में अगर हम number of base pairs देखें, मतलब DNA के अंदर कितने base pairs हैं, अगर हम वो देखें, so that number is 4.6 into 10 to the power 6 base pairs, इतने सारे base pairs होते हैं, and let me tell you कि इसका replication हो जाता है in 18 minutes, only 18 minutes में 4.6 into 10 to the power 6 base pairs का replication हो जाता है, मतलब उनकी copy बन चुकी होती है, right, तो अगर आप rate of replication calculate करो, which will be 4.6 into 10 to the power 6, dividing, तो जो rate आपको मिल रहा है that is huge तो मतलब ये बहुत ही ज़ादा efficient होता है क्योंकि ये बहुत ही fast कि यह पूरा चीज करता है मतलब पॉलिमरेज क्या करता है यह न्यूक्लियोटाइट को जोड़कर डीएनए बनाता है राइट तो जो डीएनए सीक्वेंस है उसी का और रेप्लिकेट जब भी बनाने होते हैं तो डीएनए पॉलिमरेज इस यूजफुल ठीक है अब बात करेंगे इसकी एक्यूरेसी की आपको यह जानकर बहुत ही सप्राइस लगेगा कि यह बहुत ही हाई एक्यूरेसी के साथ कॉपी करता है फर एग्जांपल जैसे डीएने की जो कॉपी बन रही है कॉपी बन रही है मतलब क्या वापिस से न्यूक्लियोटाइट को जो यू विल बे सो एमेज्ड टू नो कि एरर होने की जो फ्रीक्वेंसी है ये इतनी कम है लाइक वान एरर इन वान बिलियन कॉपीज मतलब एक बिलियन बेस पेर्स अगर क्रियेट होते हैं तो उस एक बिलियन में कोई एक एरर निकलता है तो सोच के देखो कितना कम एरर है राइट वान बिलियन इस लाइक यूज और वान बिलियन बेस पेर्स जब क्रियेट होते हैं तो उसमें से एक कोई एरर निकल जाता है तो डिने पॉलिमरेज क्या करता है जैसे जैसे ये नए base pairs create करता है, it keeps proof reading, just to check for errors, हाला कि अगर यह errors रह जाते हैं, तो यही चोटे-चोटे errors हैं, which later leads to mutations, तो बच्चों, याद रखना, every time a cell divides, you need DNA polymerase, क्यों? क्योंकि जब-जब एक cell divide करेगा, तो उसके daughter cells को भी DNA चाहिए होगा, और DNA चाहिए होगा, तो कहां से आएगा? DNA की copy बनानी पड़ीगी, और copy कौन बनाएगा? DNA polymerase. अगला जवाल यह आता है कि इस replication process के लिए energy कौन देगा? जैसे कोई भी काम करवाने के लिए, let us suppose एक company है, उस company में कुछ लोग हैं जिन्हें एक particular काम करना आता है, but उस काम को करवाने के लिए somebody has to fund, किसी को पैसे खर्च करने पड़ेंगे ताकि raw materials आ सके, उन लोगों को अपना labor का cost मिल सके and that entire work can be done. In a similar way, यहाँ पर भी DNA polymerase इसकी copy तो बना सकता है, but इस पूरे process के दोरान बहुत सारी energy जाएगी. और वो energy कौन देगा? Energy देगा Deoxyribonucleoside Triphosphates, जिस तरह से हम सबने ATP का नाम सुना है, Adenosine Triphosphate, क्या होता है वो? Energy Currency होता है, right? हमारे body का, हमारे body के अंदर जो energies आती हैं, that is in the form of ATP, है न? तो Adenosine Triphosphate क्या है? They are high energy phosphates, उसे तरीके से Deoxyribonucleoside Triphosphate भी high energy phosphates हैं, जो energy provide करते हैं for the एक रिप्लीकेशन प्रोसेस आफ डीएने इन फैक्ट यह रिप्लीकेशन का प्रोसेस होता है थे थे अच्छी लिए पॉलिमराइजेशन रिएक्शन रेट जिसमें क्या होता है कि एक टेंपलेट दिया होता है उसी टेंपलेट के हिसाब से हम और न्यूक्लियोटाइट जो जो के जो जोड़के उसकी कॉपी बनाते हैं तो इस पॉलिमराइजेशन रिएक्शन के लिए जो एनर्जी चाहिए होती है वह आउट डस डिएने पॉलिमरेज वर्क डिएने पॉलिमरेज काम कैसे करता है सबसे पहले तो अभी कि समझ लो कि यह जो रेप्लीकेशन का प्रोसेस है यह डीएने पॉलिमरीज खुद से इनिशिएट नहीं कर सकता है और ना ही यह डीएने के किसी भी रिजियंस से इसको इनिशिएट कर सकता है तो डीएने का वह वाला रिजियंस यहां से रेप्लीकेशन का यह प्रोसेस शुरू होता है उसे हम कहते हैं ऑरिजिन ऑफ रेप्लीकेशन ठीक है तो देखो शुरू से समझेंगे सबसे पहले क्या होता है डीएने का स्ट्रक्चर कैसा था डबल हेलिक स्ट्रक्चर यानि कि दो स्ट्रांड जो है वह एक दूसरे से बराबरी का distance बनाए हुए helix बनाकर रखते हैं सबसे पहले आएगा पिक्चर में कौन? enzyme helicase मैंने पहले बताया था helicase का काम क्या है? helix को अलग करना मतलब जो दो strands हैं DNA के उनको separate करना तो helicase क्या करेगा? helicase आएगा, कच कच कच कच hydrogen bonds को तोड़ेगा कौन से hydrogen bonds? जो DNA का हमारा helix होता है उसमें क्या होता है? जो दोनों strands होते हैं उसमें nitrogenous basis होते हैं जिनके बीच में हाइड्रोजन बॉंड्स होते हैं जैसे A और T के बीच में हाइड्रोजन बॉंड्स, G और C के बीच में हाइड्रोजन बॉंड्स, तो यह हेलिकेज क्या करेगा, आएगा और इन हाइड्रोजन बॉंड्स को कटता चला जाएगा, हाइड्रोजन बॉंड्स ज इंट्रेस्टिंग एंड इंपोर्टेंट पार्ट है यह तो हेलिकेज ने क्या किया दोनों स्ट्रैंड को सेपरेट आउट कर दिया ठीक है अब हम इन दोनों स्ट्रैंड में सिंथेसिस को समझेंगे ठीक है कि कैसे दोनों स्ट्रैंड में जो है ना एक न्यूली सिंथेसिज स्ट्रैंड बनेंगे ठीक है धीरे-धीरे तो सबसे पहले हम बात करते हैं ट्रैंड समक्रिएस ट्रैंड की बात करें अभी लीडिंग स्ट्रैंड यह नाम है इसका ठीक है तो लीडिंग स्ट्रैंड में यहाँ पर क्या सिंथेसाइज हो रही है? दिने का नया स्ट्रांड तो नया स्ट्रांड कंटिनूअसली सिंथेसाइज होती है उसे कहते हैं कंटिनूअस सिंथेसिस और जिस स्ट्रांड में कंटिनूअस सिंथेसिस होती है उसे हम कहते हैं लीडिंग स्ट्रांड कि लीडिंग स्ट्रांड में डिएने पॉलिमरेज आएगा फटा-फटा-फटा-फटा रीड करता रहेगा टेंपलेट में टेंपलेट क्या है जो मेरा एक्सिस्टिंग स्ट्रांड है राइट यहां पर जैसे देखो जो ब्लैक कलर का स्ट्रक्चर है ना वह दिनेट था जो ब्लैक दो लाइन चली जा रही है वह क्या है हेली के इसने वह दोनों को सेपरेट कर दिया है दोनों स्ट्रांड को अब यह जो ब्लैक वाला लाइन है राइट लीडिंग स्ट्रांड में यह मेरा टेंपलेट है इसके बेस के सीक्वेंस को पढ़कर इनके कंप्लीमेंटरी न्यूप्लीओटाइड बनाने होंगे कौन बनाएगा डेने पॉलिमर इस वह इसका काम है कि जो एक्सिस्टिंग सीक्वेंस उसको रीड करेगा और उन्हीं का कॉंप्लीमेंटरी सीक्वेंस बनाता जाएगा और उन न्यूक्लियोटाइट को जोड़कर पूरा डीएने बनाता जाएगा यही उसका काम है तो भाई जब उसका वही काम है तो वो अपना काम इसलिए इसे हम कहते हैं continuous synthesis समझ आया? एप्स पॉलारिटी की बात करेंगे तो यह जो मेरा लीडिंग स्ट्रांड था मतलब जो टेंपलेट था वह उसकी पॉलारिटी क्या थी वह देखो कहां से कहां रन कर रही है हम उसी डिरेक्शन से देखेंगे राइट जिस डिरेक्शन से हमारा सिंथेसिस हो रहा है तो देखो वह रन कर रहा है 3-5 टाइप टिक है इसका मतलब जो न्यूली सिंथेसाइज्ड स्ट्रांड है रेड वाला जो स्ट्रांड है उसका पॉलारिटी क्या होगा 5-3 टाइप क्योंकि हमने पहले सीखा है कि यार डी कि यह ने कि जो दोनों स्ट्रांड्स होते हैं वह एंटी पारलल पोलारिटी के होते हैं एक अगर थ्री डाश फाइड जाएगा तो दूसरा फाइड जाएगा ठीक है पोलारिटी क्लियर है सूपर अब नेक्स्ट चीज देखेंगे यह कि यहां पर जिस डिरेक्शन में डिएनेस सिंथेसाइज हो रहा है रेड वाले स्ट्रांड पर फोकस करो वहीं हमारा न्यूली सिंथेसाइज डिएने है तो खच खच खच खच खच काट रहा है तो replication fork मेरा इसी direction में जा रहा है और मेरा जो newly synthesized strand है जो red color की line है वो भी इसी direction में जा रही है तो basically जो newly DNA synthesize हो रहा है that is in the same direction as the direction of the growth of the replication fork तो बच्चों अब बात करेंगे हम lagging strand की यानि की दूसरे वाले strand की और यहां पर होता है discontinuous synthesis एंड लेट में टेल यू कि यहां पर जो सिंथेसिस होता है यह कई ज्यादा कॉम्प्लीकेटेड होता है compared to the continuous synthesis इस नाम से ही पता चल रहा है कि यहां पर नहीं हो रहा होगा यहां पर ब्रेक में कुछ हो रहा होगा एक्सेक्टल और हम यहां पर देखेंगे कि यहां पर सिर्फ डीएने पॉलिमरेज ही नहीं बल्कि कुछ और भी जिनका बहुत इंपोर्टेंट रोल होता है ओके तो यहां इन फैक्ट लागिंग स्ट्रांड कौन सा वाला है 5-2 3-3 कि देखो जिधर इस रेप्लीकेशन फोक का मुख खुला हुआ है उधर से हम इसको देखते स्ट्रांड ठीक है यहां पर इस प्रोसेस को इनिशिएट करता है एक एंजाइन जिसका नाम है प्राइमेज एब्सॉल्यूटली प्राइमेज क्या करता है आरेने प्राइमर्स बनाता है छोटे-छोटे आरेने सेगमेंट बनाता है तो यहां भी वही करता प्राइमेज आता है और वो क्या करता है डियने के जो का जो टेंपलेट स्टैंड है उसके सीक्वेंस को रीड करता है उसका कॉरेस्पॉंडिंग एक आरेने सेग्मेंट बनाता है फिर आगे जाता है फिर एक छोटा सा आरेने सेग्मेंट बनाता है और तो आप ऐसे छोटे छ क्योंकि DNA Polymerase का वही काम है जिसका जो काम है वही करेगा DNA Polymerase क्या करेगा इनके साथ Free Nucleotides को जोड़ देता है As a result होता है यह है कि RNA जो है In fact RNA के जो segments हैं they get removed and replaced with DNA के segments अब सवाल होता है कि यह तो segment segment segment में है इनको जोड़ेगा कौन तो वहाँ पर आता है तीसरा enzyme scene में which is DNA ligase DNA ligase इन सारे DNA segments को जोड़ के एक DNA बना देता है है कैसे जोड़ता है भाई फॉसफो डाइस्टर बॉंड तो इस तरीके से जो न्यू डीएने स्ट्रैंड है वह सिंथेसाइज होता है एंड इस टाइप ऑफ सिंथेसिस इस कॉल्ड डिसकंटिन्यूअस सिंथेसिस तो चलो बच्चों अब यह रेप्लीकेशन का पूरा सिलसिला तो हमें समझ में आ गया तो आइए वियर ऑल सेट टू स्टार्ट विद ट्रांसक्रिप्शन ट्रांसक्रिप्शन क्या होता है एक ओवरव्यू एक डेफिनेशन सॉर्ट आफ थिंग हमने पहले भी सुना था ट्रांसक्रिप्शन में क्या होता है कि डीएने से हम हम बनाते हैं RNA ताकि उस RNA से हम आगे जाके protein synthesize कर सके जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि DNA जो है independently या directly protein नहीं synthesize कर सकता है तो transcription हम उस process को कहते हैं जिसमें DNA के एक particular segment से हम copy करके बनाते हैं corresponding RNA and that process is called transcription in fact gene expression का ये पहला step है gene expression बोले तो जब जीन में जो चीज़े हैं वो express होने के लिए express कब होंगी जब उस जीन में जो भी चीज़े हैं उसका corresponding protein synthesize होगा and then the trait will get expressed right तो इस जीन expression के process का ये पहला step है transcription जिसमें हम DNA के एक particular part से copy करते हुए RNA बनाएंगे In fact अभी अभी जिस flow की मैंने बात की the first step of gene expression ये जो पूरा flow है this is called central domain प्रग्मा आफ मॉलिक्यूलर बायाले यह जो hypothesis था यह propose किया था Francis Crick ने in 1956 और यह central dogma यह कहता है कि जो DNA में information होता है from there we synthesize mRNA that is messenger RNA now what exactly is messenger RNA हम थोड़ी ही देर में जानेंगे कि RNA के भी कई types होते हैं and then from messenger RNA we get protein synthesis तो यह जो protein synthesize होता है उसके accordingly the traits get expressed in fact यह जो hypothesis है कि किसी भी biological system में genetic information के flow को बताता है कि भी genetic information कैसे कैसे flow करता है एक biological system में और इस central dogma का ही पहला part है जो हम अभी discuss कर रहे हैं and that's transcription. तो बच्चो let us understand कि transcription में exactly होता क्या है तो DNA के जो दो strands हैं उसमें से एक strand acts as the template strand template strand क्या होता है anyways template का मतलब ही होता है कि उस strand के sequence के हिसाब से का कॉम्प्लीमेंटरी स्ट्रैंड बनेगा या फिर जो नया स्ट्रैंड बनना है वह स्ट्रैंड सिंथेसाइज होगा ठीक है तो यहां पर भी कुछ वैसा ही होता है कि डिएने का एक स्ट्रैंड एक टेंपलेट स्ट्रैंड और उस टेंपलेट स्ट्रैंड के हिसाब से आरेन कि आरेने कैसा होता है आरेने सिंगल स्ट्रैंड स्ट्रॉक्चर होता है यानि कि आरेने में मुझे एक ही स्ट्रैंड बनाना है अगर एक ही स्ट्रैंड बनाना है तो उसका टेंपलेट स्ट्रैंड भी एक होना चाहिए राइट मतलब लेट अपसे कर रहे तो उसके इसमें क्या होगा दोनों स्ट्रैंड एक एक नया स्ट्रैंड बनाएंगे राइट तो यानि कि जो नयूली कि एक कंप्लीमेंटरी होंगे तो आरेन डबल स्ट्रैंड जो की नहीं हो सकता, right? तो इसलिए DNA का एक ही strand जो है, वो template strand की तरह behave करता है, और उसके accordingly RNA का strand बनता है, और फिर RNA जो है, वो directly synthesize करता है protein. तो transcription के दौरान हमें क्या समझ में आया, कि DNA के जो दो strands थे, उसमें से एक strand template की तरह काम करता है, जिसके accordingly RNA का strand बनता है, तो इस strand का नाम क्या पढ़ गया, template strand, जो दूसरा strand है, वो किसे चीज के लिए code नहीं करता है, वो कुछ नहीं करता है, बट उसका नाम क्या है? coding strand, right, तो ये थोड़ा सा misnomer है, क्योंकि ये exactly कुछ code तो करता नहीं है, मतलब ये RNA के लिए कुछ code word नहीं करता है, बट still इसका नाम पढ़ गया है, coding strand, interestingly you will notice कि जो coding strand का sequence है, और जो RNA का sequence है, वो exactly same होगा, क्यों? अबिसी बात है ना यार क्योंकि ये जो coding strand है ये भी template strand का complementary है क्योंकि DNA के दोनों strands आपस में complementary होते हैं और जो RNA का नया strand बन रहा है वो भी template strand का complementary ही बन रहा है तो ये दोनों identical होते हैं सिवाई एक फर्क है बोलो क्या RNA में जो 4 nitrogenous basis होते हैं वो कौन-कौन से होते हैं adenine, guanine, cytosine and uracil लेकिन DNA में जो 4 होते हैं वो कौन-कौन से होते हैं adenine, guanine इन साइटर इन एंड थाइमिन एब्सॉल्यूटली तो आरेने के स्ट्रांड में और कोडिंग स्ट्रांड में फर्क सिर्फ होता है यूरेसिल का आइए आरेने में यूरेसिल होता है और डीएने वाले स्ट्रांड में होता है थाइमिन सिर्फ इतना फर्क होता है तो अब हमें लगभग यह तो समझ में आ गया कि ट्रांस्क्रिप्शन प्रोसेस के दौरान क्या होता है अब वाला स्ट्रेच डियने का वो वाला पोर्शन जो RNA में Transcribe होता है उस वाले पोर्शन को हम कहते हैं Transcription Unit Now let me tell you, let me clarify this कि ऐसा नहीं है कि पूरा का पूरा DNA जो है वो पूरा का पूरा DNA RNA में Transcribe हो रहा है नहीं डियने का एक पोर्शन होता है जो पोर्शन RNA में Transcribe होता है ठीक है That portion is called Transcription Unit Transcription Unit के तीन regions होते हैं Promoter, Structural Gene और टर्मिनेटर ठीक है प्रोमोटर नाम से पता चल रहा है यह प्रोमोट करता है क्या प्रोमोट करता है बेसिकली प्रोमोट कर लिए यह स्टार्ट करता है इट शोज द इनिसियेशन ऑफ द ट्रांसक्रिप्शन यूनिट उसके बाद रहता है स्ट्रक्चरल जीन स्ट्रक्चरल जीन मतलब इट इस द एक्चुअल सीक्वेंस अफ दोस जीन्स जो आरेने में ट्रांसक्राइब होंगे राइट मतलब अभी मैं बता रहे थे राइट कि DNA का एक strand template strand की तरह काम करेगा जिसके basis पर ही RNA की coding होगी तो ये जो strand है ना that template strand basically is this region ये structural gene जो है ना इसमें वो वाला sequence है जिसके accordingly आरेने सिंथेसाइज होगा ठीक है एंड एंड एंड टर्मिनेटर टर्मिनेटर मतलब जो टर्मिनेट कर देगा जो खत्म कर देगा तो टर्मिनेटर मार्क्स थे एंड ऑफ थे ट्रांस्क्रिप्शन यूनिट तो चलो ट्रांस्क्रिप्शन यूनिट रीजन होता है जो इनिशिएट करता है ट्रांस्क्रिप्शन का प्रोसेस आई वुड नॉट से ट्रांस्क्रिप्शन का प्रोसेस प्रोसेस यही इंडिकेट करता है कि भाई यहां से जो है अब ट्रांस्क्रिप्शन शुरू शुरू होने वाला है इन फैक्ट यह वही वाला रीजन होता है जहां पर आरेने पॉलिमरेज आके बाइंड करता है आरेने पॉलिमरेज क्या होता है डीएने पॉलिमरेज की हमने बहुत बाते की थी पहले जब हम डीएने रेप्लिकेशन की बात कर रहे थे तो आपको यादी RNA, absolutely, तो RNA polymerase का यहाँ पर leading role है, अगर हम बात करें location की, तो हम notice करते हैं कि DNA के upstream में located होता है promoter region, मतलब जैसे मालो एक पहाड है, पहाड में उपर की तरफ जो चीज लोकेटे है, that is upstream, जो नीचे की तरफ लोकेटे है, that is downstream, similarly DNA में जो उपर की side located है, that is upstream, तो उपर की side located है promoter region, और नीचे की तरफ downstream में located है terminator region, है ठीक है ओके अब थोड़ा सा इसको और क्लियरली समझते हैं अभी के लिए जस्ट फॉर इजीयर अंडरस्टैंडिंग एजूम कर लो कि जो डीएने के दोनों स्ट्रैंड है ना वह बिल्कुल दो स्ट्रेट लाइन से विचार पारलर टू इच अदर रियालिटी में ऐसा होता नहीं है रियालिटी में वही हेलिकल स्ट्रक्चर होता है ठीक है अब इसके लिए अजय कर लेते हैं ठीक है तो आप नोटिस करेंगे कि यह जो दो स्ट्रैंड से इसमें से एक टेंपलेट स्ट्रैंड है और दूसरा कोडिंग बनता है, coding strand क्या करता है? कुछ code नहीं करता है, बस उसका नाम coding strand है, अब notice करते हैं polarity को, अगर हम template strand को देखें तो ये run कर रहा है 3-5-की तरफ, अगर हम coding strand को देखें तो इसकी polarity है 5-3-अब ये एक convention है कि जब कभी भी हम ये कहते हैं कि बही DNA का polarity है वो किधर से किधर है, त 3-5-होगा, अगर coding strand के terms में बोलोगे तो 5-2-3-होगा, right? So that's a confusion. तो convention के तौर पे ये follow किया जाता है कि coding strand का जो भी polarity है, हम उसी polarity को in general बताते हैं. ठीक है, this is a convention that is followed. जैसे मान लो, अगर पूछा जाए कि जो promoter region है, वो DNA में किस तरफ located है? 5-की तरफ या 3-की तरफ? DNA में कहां located है? तो आप coding strand का ही reference लोगे, coding strand is from 5'to 3', और जो promoter region है, it is located towards the 5'region, तो आप कहोगे, it is located towards the 5'end of the structural gene, clear, सबको समझ में आ गया, super, इसके बार बारी है structural gene की, structural gene वो वाला region होता है, जिसके अंदर actually वो sequence होता है, that codes for the RNA, रेट, मतलब यह जो RNA polymerase है यह आके bind तो करता है promoter region पे, बट उसके बाद यह RNA polymerase क्या करेगा, उस structural gene का जो sequence है उसको read करता रहेगा, और उसके corresponding complementary pairs बनाता रहेगा, and that's how it forms the RNA, इसी तरीके, इसके बाद है तीसरा region that is Terminator Terminator ये बताता है कि भाई transcription खतम हो गया है तो यहीं पे transcription की कहानी खतम होती है It is located downstream, DNA के downstream पहाड के नीचे यानि कि DNA के नीचे की तरफ located होता है किस end की तरफ located होता है It is located towards the 3 dash end of the structural gene अब तो इसमें कोई डाउट नहीं है, right? Coding strand पे focus करो. Coding strand का देखो, जो 3-end है ना, उस तरफ located होता है हमारा Terminator. तो चलो बच्चों, देखते हैं कि transcription के इस process में कौन सा enzyme main role play करता है? यह तो मैं already बता चुकी हूँ that the lead role in this case is played by RNA polymerase. कैसे काम करता है RNA polymerase? RNA polymerase bind करता है या फिर जोड जाता है at the promoter region. उसके बाद RNA polymerase इसका काम क्या होता है? Polymerization में मदद करना यानि कि ये DNA के template strand को read करता रहता है और उसका corresponding complementary nucleotides को बनाते रहता है और उसके बाद उन complementary nucleotides को जोड के बना देता है RNA का नया strand तो इस तरीके से newly synthesize होता है RNA strand RNA का synthesis होता है in 5-3-direction क्योंकि हमेशा क्या होता है, जो मेरा template strand था, that was from 3-5-direction, तो जो complementary strand बनता है, यानि कि जो RNA का strand बनता है, that is from 5-3-direction, तो बच्चों, यहाँ पर हम लेंगे एक pause, और यहाँ पर मैं पूछूंगी आपसे एक सवाल, कि हमने RNA बनाया क्यों, DNA से हमने RNA का transcription क्यों किया, ताकि RNA आगे RNA में कुछ portion ऐसे होते हैं which do not code for proteins at all, right, यानि कि कुछ portion ही protein synthesize करते हैं, कुछ portions protein synthesize ही नहीं करते हैं, and this is where we introduce the concept of exons and introns, now what are they, देखते हैं एक-एक करके, सबसे पहले discuss करेंगे exon, exon nucleotide का वो sequence होता है, जो किसी भी gene में रहता है, right, ये DNA में भी रहता है, और corresponding mRNA, यह वाला portion होता है जो protein के लिए code करता है, which synthesizes proteins, इनको हम कहते हैं exons, exons क्यों, because they are the expressed sequences, क्योंकि वो खुद को express करते हैं during protein synthesis, ठीक है? इसको याद रखने के लिए look at this picture, देखो DNA में भी blue, white, blue, white, blue, white ऐसा sequence दिख रहा है, RNA में भी वैसा दिख रहा है, right, so ये जो blue वाले region है न, they are the exons, right, तो ये जो blue वाले region है, ये protein को synthesize करते हैं, protein के लिए code करते हैं, तो इसलिए DNA से जो initial mRNA बनता है, उसमें भी ये exons present होते हैं, और फिर जब प्रोटीन बनता है उसमें से तो वह प्रोटीन में यह एक्जॉन्स पार्टिसिपेट करते हैं दूसरी तरफ इंट्रोन्स यानि कि जीन में कुछ ऐसे न्यूक्लियोटाइट सीक्वेंस जो प्रोटीन के लिए कोड ही नहीं करते हैं जो प्रोटीन सिंथेसाइज नहीं करते हैं तो यह जो इंट्रोन्स होते हैं यह कैसे होते हैं देखो जो वाइट वाले रीजन हैं दे रिप्रेजेंट इंट्रोन्स तो अगर देखो डियने में भी यह होते हैं इनिशियल मारेने में यह होते हैं लेकिन mature mRNA में ये नहीं होते हैं, और mature mRNA से क्या बनता है, protein बनता है, तो mature mRNA में ये होते ही नहीं है, क्योंकि ये जो है protein के लिए code ही नहीं करते हैं, protein synthesize नहीं करते हैं, इसलिए इन्हें हम कहते हैं intervening sequences, that's why introns, क्योंकि ये क्या करते हैं, सिर्फ intervene करते हैं, interfere करते हैं, but ये खु� आज रहे हैं, it is very important कि हम RNA के types को समझें, क्योंकि RNA जो है ये तीन types के होते हैं, messenger RNA जो से हम mRNA भी कहते हैं, transfer RNA जो से हम tRNA भी कहते हैं, and ribosomal RNA जो से हम rRNA भी कहते हैं. तो चलो हर एक RNA का role या फिर function देखते हैं, सबसे पहले messenger RNA या फिर mRNA, messenger मतलब क्या होता है, जो message carry करता है, जो एक जगह से दूसरे जगह तक संदेश लेके जाता है, या message लेके जाता है, that is messenger RNA, तो देखो नाम से इसका function काफ़ि similar होता है, messenger RNA का काम होता है to provide a template to synthesize protein, जो protein synthesize होगा, वो synthesis किस basis पे होगा, right, तो उसका एक template provide करता है, इस template के according ही protein synthesis होता है, उसके बाद T-RNA, that is transfer RNA, T-RNA का काम होता है, transfer, मतलब ये चीजों को एक जगह से दूसरे जगह लेके जाता है, किन चीजों को, amino acids को, क्योंकि जब protein synthesize होना है, protein किस से बना हुआ होता है, amino acids से, तो amino acids को लेके आना पड़ेगा, right, तो transfer RNA का काम ही है ही होता है, कि ये amino acids को लेकर के ताकि इन amino acids को peptide bond के जरीए join किया जा सके to form proteins, ठीक है, तो transfer amino acid का main काम होता है to transfer या फिर to bring the amino acids in sequence, उसकी बाद rRNA, that is ribosomal RNA, इसका बहुत critical role होता है during translation, translation मतलब, अभी तो हम transcription की बात कर रहे हैं, मतलब DNA से RNA, translation मतलब RNA से protein synthesis, तो जब protein synthesis हो, जब actually protein बनता है तो उस समय क्या होता है? peptide bond formation होता है amino acids के बीच में और इस peptide bond formation के दोरान rRNA जो है ये एक catalyst की तरह behave करता है तो बच्चों अभी तक हमने ये देखा कि transcription के process में जो enzyme catalyst की तरह काम करता है that is RNA polymerase transcription होता है transcription unit में जिसके तीनों region के बारे में भी हमने discuss किया तो जो transcription का ये process है ये तीन step में होता है इनिशिएशन एलोंगेशन एंड टर्मिनेशन तो सबसे पहला स्टेप है इनिशिएशन इनिशिएशन स्टेप के दौरान सबसे पहले क्या होगा आरेने पॉलिमरेज बाइंड करेगा आट द प्रोमोटर रीजियन ऑफ द ट्रांसक्रिप्शन यूनिट ठीक है उसके बाद पिकल जो structure है, उस helix को ये open करवाता है, जिसकी वज़े से होता है elongation, आप कुछ सोचो, मान लो आपके पास कोई रसी है, जिसको ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे फोल्ड करके रखा हुआ है, और अभी इसने इतनी जगले रखी है, अगर मैं इसको यूं straight कर दू, तो क्या होगा, ये elongate हो को रीड करता है और उसका कॉंप्लीमेंटरी न्यूक्लियोटाइड बनाते रहता है एड एड जो आरेने का स्ट्रैंड है वह बनते रहता है एलोंगेशन के दौरान सिर्फ आरेने का स्ट्रैंड बनता ही नहीं है बल्कि प्रूफ रीडिंग भी होती रहती है ताकि अगर बाय चांस कोई इनकरेक्टली बेस पेर मैच हो गया है तो उसे करेक्ट किया जा सके स्टेप नंबर थ्री इस टर्मिनेशन आरेने पॉलिमरिस्ट रांसी एंट्री एसोशिएट करता है एक टर्मिनेशन फैक्टर के साथ जिसे रो फैक्टर भी कहा जाता है रो फैक्टर का मेन काम होता है कि जो newly synthesized RNA strand है और जो template strand है इन तोनों के बीच के interaction को ये destabilize कर देता है तो जैसे ही इन दोनों के बीच का interaction है वो destabilize हो जाता है तो क्या होता है newly synthesized RNA strand जो है वो fall off कर जाता है from the elongation complex मतलब it is like कि आप और आपके दोस्त हो आपने अपनी दोस्त का हाथ पकर रखा है तो वो वहाँ पे है जैसे ही आपने छोड़ दिया तो वो वहाँ से चला गया तो something like that यहाँ पर भी क्या हुआ कि template strand और newly synthesized RNA strand के बीच में पहले एक interaction था लेकिन जैसे ही terminate तो रो फैक्टर ने उनके बीच का वो कनेक्शन तोड़ दिया जैसे ही तोड़ दिया तो न्यूली सिंथेसाइज्ड आरेने उस एलोंगेशन कॉंप्लेक्स से गिर गया जो आरेने पॉलिमरीज था वो डिसोशियेट हो गया तो क्या हो गया ये पूरा जो ट्रांस्क्रिप् अगर आपके वीडियो को देखने के बाद, अगला वीडियो जरूर से देखेगा, जो की जल्द आने वाला है, तो मुझे उम्मीद है कि इस वीडियो को देखने के बाद, molecular basis of inheritance के concepts crystal clear हुए होंगे, पढ़ने में मज़ा आ रहा होगा, ऐसा नहीं लग रहा होगा कि क्या boring सा topic ह इसके अगले वीडियो के साथ तब तक के लिए स्टेइ होम स्टेइ सेफ ठेक हेर