हट चेक प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्र� प्रशान पर प् प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश् प्रश्न प्रश्न दाड़ दाड़ ना कारा वागे धडड धडड धडड ना कारावागे प्रभु आग मननो उल्लास जागे जिसुते लो आतम जगाडे प्रभु जी भले पधारे जिसुते लो आतम जगाडे प्रभु जी भले पधारे भले पधारे बाला भले पधारे देलिये डंको बागेरे प्रभुजी बाले पदारे धेलिये डंको भागे प्रभुजी बाले पदारे धाक धाक धबकारा भागे धक धक धक धबकारा वागे प्रभु आग मन नो एंदान जागे प्रभु आग मन नो एंदान जागे जयातम पोषण आपे ए प्रभुजी पाले पढ़ारे देलिये देलिये तेलिये डंको वागे रे प्रभुजी भाले पधारे जय जय जय कारगाजे जीमना उपकारो गाजे जे आजे मुद्रावाणी अनुभव प्रकाशे जे भक्तोंने भाव मा लावे प्रभुजी भाले पाधारे डेलिये डंको वागे रे प्रभुजी बले पैधारे धडड धडड धडड नगारा वागे जे आतम ग्नान पमाडे ए प्रभुजी भाले पधारे जे आतम ग्नान पमाडे ए प्रभुजी भाले पधारे पमाडे प्रभुजी भले पधारे भतों मा व्यापेचे आनन्द आजे आनन्द नहीं लोडा चड़ेचे आजे जे भावो समाधिना पमाडे प्रभुजी आवियोगारे जे भावो समाधिना पमाडे पमाडे पमाडे पमाडे जय जय जय कारे कारे जय आशीश अनुपम आपे ए प्रभुजी आवि उभारे जय दशा पूर्व पमाडे ए प्रभुजी जे दशा अपूर्व पमाडे प्रभुजी आवियो भारे जे आतम ज्ञान पमाडे प्रभुजी आवियो भारे जे भवियो ना भव दुक टाडे प्रभुजी आवियो भारे दुख ताड़े ए प्रभुजी आवियो भारे धडडडडडड नकारा वागे प्रभु आग मननो उल्ला से जागे जिसुते लो आतम जगाड़े ए प्रभुजी आवियो भारे जिसुते लो आतम जगाड़े जे मुक्ती ने माड़ा पहरावे ए प्रभुजी आवी ओ तो जे मुक्ती ने माडा पे रावे प्रभुजी आभी उखारे निशिही निशिही निशिही पहलू निशिही हूँ मारा मन में रहेला संसार भावने विसरी अने प्रभुना द्वारे आबूचु हूँ मारा मन में रहेला संसार भावने विश्री अने प्रभुना द्वारे आवूछूँ बीजू निशिही। हूँ प्रभुना मंदिर मा अंतरंग अने बायती वचनने विश्रूछूँ। हूँ प्रभुना मंदिर मा अंतरंग अने बायती वचनने विश्रूछूँ। त्रीजू निशिही, हूँ प्रभुनी समक्ष आवताज मारा देहने विसरी, आत्मा थी प्रभु मैं थावचू, निशिही, निशिही, निशिही ओम्बूर्ड जैराज राज श्रीराज राज जय राज श्री राज राज श्री राज राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श्री राज जय राज श कि अ पाड़ों देवाय नमः परमुख पाड़ों देवाय नमः परमुख पाड़ों देवाय नमः परमुख पाड़ों देवाय नमः ओम्श्री सद्गुरु के वाय नमः ओम्श्री सद्गुरु के वाय नमः ओम्श्री सद्गुरु के वाय नमः ओम्श्री सद्गुरु के वाय नमः ओम्श्री सद्गुरु के वाय नमः ओम्श्री सद्गुरु के वाय नमः अजब धुन अरहमनी लागीरे अधुने मारो आतम गयो जागी रे आधुन मारो आतम गयो जागीरे अजब धुन अरहम नी लागीरे अजब धुन अरहम नी लागीरे के अरहम अणु अणु मागाजे के अरहम राजनगर मागाजे आधुने मारो आतम गयो जानी रे जागीरे आदूने मारो आतम गयो अजब धुन अरहमनी लागीरे जब धुन भर हम निलागीर के अरहम रूम रूम मा गाजीर के अरहम रूम रूम मा गाजीर अधुने मरो आहम गयो भांगीरे अजबत उने अरहम नीला गीरे अजब दुन हर हमनी लागी रे आजब दुन मारो आतम गयो जागी रे अजब दुन हर हमनी लागी अजब दुन अरहमनी लागी रे भवी भावे तेरा सर आवो जिनन्द वर जय बोलो देरा सर आवो जी नंद वर जै बोलो पछी पूजन करी शुब भावे रदय पट खोलो ने पची पूजन करी शुब भावे रदय पट खोलो ने भवी भावे देरा सर आवो जी नंद वर जै बोलो राजनगर जीन थी भव अंत मांगो बव अंत मांगो लख चौरासीना फेरा हूं त्यागो आगनामा रहे आमन रदय पट रदय पट खोलो ने भवी भावे देरा सर आवो जी नंद वर जय बोलो मनुष देह छे मुँगूने दूरलब जाप प्रभु गुण नो सरण ने सूलब ने सूलब मनुष्य देह चे मौंगों ने दूर लब जाप प्रभु गुण नो सरण ने सूलब मनुष्य देह चे मौंगों ने दूर लब जाप प्रभु गुण नो सरण ने सूलब जीवन जीवाई भक्ति मैं जीवन जीवाई रहता है पट्ट रदय पट खोलो ने बवी भावे देरा सर आवो जी नंद वर जै बोलो पची पूजन करी शुब भावे रदय पट खोलो ने पची पूजन करी शुब भावे रदय पट खोलो ने आवो जी नंद वर जय बोलो बवी भावे देरा सर आवो जी नंद वर जय बोलो हे भवी जीवो, हे भवी जीवो देरा सर आवोने साहिब तुमारो दास हुँ तारो बोलो साहिब तुमारो साहिब तुमारो दास हूँ तारो कुरूपा तारी मारो जीवन ना धारो गुपा तारी मारो जीवन आधारो तारा चर्णे आजीवन अरपण रदय पटल रदय पट खोलो ने भवी भावे तेरा सर आवो जीनन्द वर जै बोलो पची पूजन करी शुब भावे रदय पट खोलो ने बवी भावे देरा सर आवो जीनन्द्री जीनन्द बर जय बोलो बवी भावे देरा सर आवो जीनन्द बर जय बोलो सद्गुरुदेव कुरुपाडुदेव सद्गुरुदेव ओ सद्गुरु देव कुरुपाडु देव सद्गुरु देव कुरुपाडु देव सद्गुरु देव कुरुपाडु देव सद्गुरु देव कुरुपाडु देव सद्गुरु सद्गुरु कुरुपाडु देव सद्गुरु देव सद्गुरु सद्गुरु कुरुपाडु दे सद्गुरु सद्गुरु कुरुपाडु दे सद्गुरु सद्गुरु कुरुपाडु दे सद्गुरु दे कुरुपाडु दे सद्गुरु दे कुरुपाडु दे कुछ पाड़ू देव सद्ध गुरुदेव कुछ पाड़ू देव सद्ध गुरु कुछ पाड़ू देव सद्ध गुरु सद्ध गुरु कुछ पाड़ू देव सद्ध गुरु देव कुछ पाड़ू देव पाड़ू देव सद्गुरु देव कृपाड़ू देव कुरुपाडु देव सद्गुरु देव बोलो सद्गुरु देव की जै मम सद गुरुदेव सहजात्म स्वरूपी कृपाडु देव मम सद गुरुदेव सहजात्म स्वरूपी कृपाणु देव सहजात्म स्वरूपी कृपाणु देव वसद गुरुदेव सहजात्म स्वरूपी कृपाणु देव गुरुदेव सहजात्म स्वरूफी कृपार्देव मव्वा ममसद गुरुदेव सहजात्म स्वरूफी कृपाडुदेव मम सद गुरुदेव सहजात्म स्वरूपी कृपाडुदेव मम सद गुरुदेव बधाने जै सद गुरुदेव अन्दन एक साच्यो साधक तो आखा वर्ष दर्मेयान पुरुशार्थ और आरादना करतो वाज होई छे अने ए पुरुशार्थ ने वेग आपवा माटे जुदा जुदा निमित ने उच्छाहती वधावे चे तो एवो एक उत्तम निमित परियोशन महापर्व आवी गयो चे शमा, सैयम, भक्ती इब बधाने विक्सित करवानो पर्व, आराधना करवानो पर्व, राग द्वेश रहित थवानो पर्व अने पुतानी निकट आवानो पर्व एवो सर्वोत्तम पर्व परियूशन महापर्व आ परियूशन महापर्व 2024 मा अब सर्वनु खूबज भावपूर्वक स्वागत करिया चे आ पावन दिवसों मा आराधना करवा माटे नु उत्तम शेत्र आ जिनमंदिर अने इमा बिराजमान महाविर स्वामी भगवान परम कृपालु देव अने परम पुजे पपाजी केवा रूडा लागे चे ने चालो आज इन मंदिर मा देखाता एवा हर एक भाव प्रेरक साधन ने आपने आपरा प्रभुने मन मंदिर मा स्तापित करिये अने इमना प्रेम भक्ती मा तलीन थाईये। जेम धूप अशुब भाव नी दुर्गन ने दूर करी, शुब भाव नी सुहास ने उपर फैलावे छे, तेम हे प्रभू अम सव माथी मिथ्यात्व गाड विशै राग ने दूर करो, अमे पण तमारी चारो और फैलाईली एवी प्रेम सुहास ने सदा माणिये, अने आ संस आज चंदन नी जेम अमारा अंतर मन मां भी समतार शीतलता अनुभविये अने अंते आदीवानी जोत नी जेम अंतर जोत जगाड़वानो निश्चय सदाई पाको रहे अने आपनी आगन्या में रही पुरुशात करिये मात्र आज भावना। सद्गुरुदे सहजात्म स्वरूपे कृपाडुदे सद्गुरुदेव सहजात्म स्वरूपी कृपा श्री गुरु देव सहजात्म स्वरूपी कृपा श्री गुरु देव सहजात्म स्वरूपी कृपा श्री गुरु देव सद्गुरुदेव सहजात्म स्वरूपी कृपडुदेव कि सह जात्म स्वरूफी एक रुपाणु देव सद्ध गुरुदेव सह जात्म स्वरूफी एक रुपाणु देव सद्ध गुरुदेव सह जात्म स्वरूफी कृपा डू देव सद्गुरु देव सहाजात्म स्वरूफि कृपा डू देव सद्गुरु देव सहाजात्म स्वरूफि कृपा डू देव असद गुरु देव सहजात्म स्वरूफि फ़ावदेव सहजात्म स्वरूफी कृपा देव सद्गुरू देव सहजात्म स्वरूफी असत गुरुदेव सहाजात्म स्वरूपी कृपाडू गुरुदेव सद्गुरुदेव सहजात्म स्वरूपी कुपाडुदेव अधिक गुरुदेव सहाजात्म स्वरूपी कृपा अडूदेव सद्गुरुदेव सहजात्म स्वरूपी क्रुपाणुदेव सहजात्म स्वरूपी कृपाण सद गुरुदेव सहजात्म स्वरूपी कृपाडु देव, माम सद्गुरु देव सहजात्म स्वरूपी पाडू देव सद्गूरु देव सहजात्म स्वरूपी कृपडू सद्गूरु देव सहजात्म कि स्वरूपी पुपा सद्गुरुदेश सहाजात्म स्वरूपी कृपा देश सद्गुरुदेश सहाजात्म स्वरूपी कृपा सद्गुरुदेव सहजात्म स्वरूपे कुपाडुदेव आजनी परमनान सबाना लाभारती छे सुप्रिया बेन गुप्ता जैये सद्गुरु देवन असद गुरुदे सहजात्म स्वरूपी कृपाडू दे सद्गुरुदेव सहजात्म स्वरूपे कुपाण। गुरुदेव सहजात्म स्वरूपे क्रुपा देव सद्गुरुदेव सहजात्म स्वरूपे क्रुपा देव सद्गुरुदेव सहजात्म आजना अका दिवसना स्वामी बाच सेलेना लाभारती छे मीनल बेन और चिंतन भाई शा यूएसे जये सद्गुरु देवन देन श्वरू सद्ग सहा जाँ श्वरू आप अर्यूशन दर्मेयान अपने भक्ती मार्ग ना रहस्याने अजी उंडान थी समझवानो प्रयत्न करशू। परम कृपाडु देव कहे छे, प्रभु भक्ती मा जेम बने तेम तत्पर रहवू एमने मोक्ष नो धुरंदर मार्ग लाग्यो छे। आप किवो रहस्य प्रभु कि भक्ती मार्ग एज मुक्ती नो मार्ग और भक्ती एज साधना? बस आज जिगनासा साथ है अने आज भावना साथ है विनंती करें पुज़न इलेश भाईने कि तेवों हमने मुक्ती तरफ लाई जानार एवो भक्ती मार्गनों रहस्या प्रकट करें। ओम सज आत्मस्वरुप परमगुरु श्री संत ना कहवाती मारे परमकुरुपालु देवनी आगना मान्य छे तेरे नाम का सुमेरन करके मेरे मन सुख भर आज तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन में सुख बर आया तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैं प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र दुनिया की ठोकर खाके जब हुआ कभी बिसहारा धोकर खाके जब हुआ कभी बिसहारा ना पाके अपना कोई जब मैंने तुझे बुकारा एनाथ मेरे शिरू पर तूने अमृत बरसाया तेरी कृपा को मैंने पाया दिन्देने तेरे नाम सुमरन करके मेरे मन में सुख बर आया तेरी गुपा को मैंने पाया ओ तेरी दया को भवसागर की लहरों में भटकी थी मेरी नईया अवसागर के लहरों में भटके थी मेरी नईया तट छूना भी मुश्किल था, ना दी से कोई खिवैया तू लहर का रूप पहन कर मेरी नाव किनारे लादेरे कुपा ने पाये तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन में सुख भर आया तेरी कुपा मैंने पाये निपा रुपा तेरी दाया ओम, सहज आत्मस्वरुप पे परमगुरुव, परियोशन परवना उत्तम दिवसो, एवा दिवसो मा परमपुजे पपाजी नो विवेचन करेलो भक्ति मागनु रहस्य ते विशेश पणे रदेना उन्डान थी फील थाई अने एवो पुरुशात जो आँ उत्तम दिवसों मा करवा मा आवे तो चुक्कस जे रिते भक्ति एमने समझावी चे एवी भक्ति आपने बद्धाने प्राप्त थाई। भक्ति मागनु रहस्यर। इतले के भक्ति शब्द जे छे एना अर्थ थाई छे के प्रेम, शद्धा। अने अरपन्ता आत्रान च सब्द समझवाना नथी पण एने आत्म साथ करवाना चे अवाज मारो एको थाईचे जो आत्रान सब्द आत्म साथ थेजासे तो जे क्रम की दो छे ए पण मोक्ष सुधी आपने पहुचाड़े छे। आ जे चेप्टर छे एमा भगवान नी भक्ती नु स्वरूप पेज नमबर 67 अने ए जे छे ए यहाँ बापूजी है समझावी छे ते आगड वाचे। जेम जेम श्रद्धा उच्छतर स्तर ने प्राप्थती जाई चे, तेम तेम प्रेम अमुरुत नु शांती दायक जरण निरावन पणे वेग थी वहे चे। इतलिके जेम धोध पढ़तो होई अने अस्खलित पणे निरंतर एक धारा चालती होई। एवी रीते आत्मानी अंदर आगुण एक वार प्रगट थाए, तो पछी भवो भव सुधी आगुण हाजर रहे चे। हवे एक गुण नु नाम प्रेम बोलवू चे। कि जगतना कोई पण पदात के प्राणी प्रत्ये विशम भाव नु न होवू, विशम भाव कहता एटले कोई पण एवा उल्टा अथवा विपरित भाव नु न होवू, अथवा कोई पण प्रकार न द्वेश भाव, नकार भाव, धिकार भाव. गृणा भाव कहीं पण न होगो। जे जेम चे एम जानियाच करूँ। ए प्रेम चे। आ अलोकिक और आवो जे शब्द चे जेम जेम आपने फील करसू। तेम तेम प्रेम। ए आत्मानों गुण छे अने जहां सुधी आत्मा पदार्थनी उडखान नती थती त्यां सुधी जे कैं आपडे समझिये छे ए बदु राग छे माटे आत्मानों गुण प्रेम अन्य प्रेम थी आत्मा नी समझन द्रड़ता करवानी छे। संसार मा जे करिये छे ए प्रेम नथी प्रेम चेष्टा एम समझे। पछी आगळ। हवे प्रेम अन्य श्रद्धा नु शुद्ध अन्य सत्य स्वरूप आगळ उपर कहवा मा आउशे। दर्मया नहीं प्रेम और राग ना अर्थों मा शु तफावत छे ते अवलोकिक जवानु उचित जणा से। जेन दर्शन मा जे रिते अपने समझावियू छे एचे सम्यक गनान। सम्यक गनान एकले के प्रेम। त्यार पची चे सम्यक दर्शन एनु बिजु नाम चे शद्धा अने त्यार पची चे सम्यक चारित्र अने ते चे अर्पन्ता आ रत्न त्रैनी जे एक्यता चे अगनान, दर्शन अने चारित्र ए चे प्रेम, शद्धा अन्य अर्पन्ता ए त्रणे आप भक्ति नियंदर मा समाई छे हवे समझवानु छे राग अने प्रेम मा सू फरक छे। प्रेम ए परम मित्र छे। राग अथवा स्ने ते खानगी मा रहेलो जबर्टस्त दुश्मन छे। प्रेम ए अना सक्ती नो घोतक छे। राग ए आसक्ती नो घोतक छे। पोशक छे, प्रेम निस्वार्थ अने निस्प्रुह छे, राग स्वार्थी अने स्प्रुहा वाडो छे, प्रेम कर्मना बंदन थी जीवने छोड़ावे छे, राग कर्म बंदनने आकर्षन करे छे.
प्रेम भव कटी करवा मा कुशड छे, राग भव नी बुरुद्धी करवा मा कुशड छे, सफड छे। प्रेम चारित्रनु घड़तर करेंछे, राग चारित्रने नड़तर करेंछे। प्रेम परनो भोग आपवा निरंतर। तत्पर चे, राग ए पर नो उपभोग करवा मा सतत अनुरक्त रहे चे, इतले के रंगायलो रहे चे, तलीन रहे चे, प्रेम अमरुत स्वरूप चे, राग विश स्वरूप चे, प्रेम स्थिर स्वभावी चे, राग अस्थिर स्वभावी चे पेली लाइन चे, प्रेम ए परम मित्र चे आख बन करीने, त्री सेकेंड, लिस्ट विचारी लियो आ लाइन ना अनुसंधान मा के प्रेम परम मित्र छे हवे जे लिस्ट आपडे बनावी हूँ अने लिस्ट मा दरे के जिनी साथे प्रेम छे ए लिस्ट ना बदा नाम लईखा, पोते विचारे लिधा, जिना लिस्ट मा सोथी पेलू नाम प्रेम शब्द हसेने ए लिस्ट साचू. वाक्य छे प्रेम ए परम मित्र छे. अपने सुझ समझिये छे, मित्र ने हूँ प्रेम करूँछू। जे मूड वस्तु छे, के जे मित्र जे छे एने, प्रेम ने मित्र बनावानो छे। अने ज्यां सुधी प्रेम ने मित्र नहीं बनावे, केवो परम मित्र। ए ज्यां सुधी प्रेम... परम मित्र नहीं बने, जे बदा मित्र चे, ए बदा राग वाड़ा चे, स्वार्थी चे, अपेक्षा वाड़ा चे। माटे प्रेम ए परम मित्र चे, राग अथवा सने ते खानगी मा रहेलो जबर्दस्त दुश्मन चे। लाइन वाचिये छे के राग अथवा स्ने ते जबड़दस दुश्मन छे अने आपने एकदम न्यूट्रल छे कहीं फील नती थतू वाक्य वाची अने कम्प्लीट थे जाई छे जया सुदी दुश्मन ना नाम याद नती आवता त्या सुदी ये फिलिंग पण क्या थी आवे जब दुश्मन लिस्ट आवी जाए जाए त्यारे इना प्रत्ये अन्गमों चे इना प्रत्ये दुएश त्यारे हाजर थाई चे पण राग जे चे ए दुश्मन चे ए क्यारे पण समझवा मा नती आवतू जियां सुधी जेने राग करे चे इना थी दुख नती थातू त्यां सुधी राग जेने करिये चे ए अत्यंद प्रिय अने गमे चे। राग अने प्रेम मा मुख्य पणे कई के वस्तु मा फरक पड़े चे ए हवे वाँ चे। पतंत्रता, dependency, second, जेने जेने राग करिये छे, condition applies, condition छे, सु के आ मारी पत्नी छे, आ मारा दिखरो छे, आ मारा मित्र छे, ज्याज्या मारापणानो टैग लाइगो छे अहमत्व और ममत्व भाव जाचे त्याज पछी आपने राग छे राग अपेक्षा वाडो छे और अपेक्षा थी बरेलो छे राग दुख आपे छे क्लेश करावे छे और कशाई मा तीवर कशाई मा आगण वदारे चे अने पाँचमू चे राग मा इर्शा भाव एटले के आपने जेने राग करिये चे अने ए व्यक्ति कोई बिजाने राग करे तो त्या इर्शा भाव जे चे ए चोकस हाजर ताई चे प्रेम मा कया कया गुणों चे तो प्रेम मा स्वतंत्रता छे, फ्रीडम छे, त्या कोई जातनु बंधन नती अने जीव पोते फ्री छे, त्यार पछी छे, शत्रू अने मित्रनो भेद छोड़ावे छे, जहां जहां प्रेम छे, त्यां आज ये भेदबाव छे, ए भेदबाव थी पारिचे प्रेम ए अनासक्ति नो घोतक छे अने राग आशक्ति नो पोशक छे। आत्मा नी उडखान थै गया पछी प्रेम थोड़ोक थोड़ोक जारे समझाई जाई छे त्यार पछी। आपनों जे स्ट्रेंथ छे, जहां जहां आपनी विकनस छे, एनों स्ट्रेंथ छे, एचे प्रेम नो अनासक्ती नो घुतक छे। जे जे वस्तु अनाधी कार्थी आपने एवा आकरशित जड़ पदार थो। कि पछी रागे करेला एवा रूनानु बंधी ए बदा प्रते जि आपडी विकनेस चे कि एना माटे कैंक तो करवू चे थाई जाई चे ए जारे प्रेम थाई चे त्यारे आव वस्तु एटले के जिया जा एवी विकनेस चे ए दाट बिकाम्स ता स्ट्रेंथ जहां संसार नी प्रेम नी रिते जहां संसार नी रिते प्रेम छे एम कहिए ए जग्याए ओल दे टाइम कईंक ने कईंक इना प्रत्ये आकर्षन भाव आसक्ती एटले के मो भाव रहेशे तीवर एवा आसक्ती नु कारण छे अजर जितली वधारे आसक्ती मो भाव छे एटलो जीवने प्रेम प्रति त्याग थाई अथवा वियोग थाई तो भयंकर दुख नु कारण जिया आपने जोईए चे जैरे जैरे जेना जेना प्रत्ये राग चे अने एनो जैरे वियोग थाई चे वियोग थाई चे त्याँ दुख चे प्रेम चे एटले के जैरे आज समझन आवे चे त्यारे एवा जे व्यक्ति अथवा एवा जे पदार्थ छे, जे कर्म बंधन माटे सोथी वदारे हानी कारक छे, एवा जारे प्रिय पदार्थ के प्रिय रुणानु बंधी साथे दूर थाई छे, आ समझन थी प्रेम वदे छे.
पढ़ जो आ समझन प्रेम नी नथी आउती, जीव राग में अटकी रहे जीव दुख कारण चोकस थाई जीव राग में अटकी रहे जीव दुख कारण चोकस थाई जीव राग में अटकी रहे जीव दुख कारण चोकस थाई जीव दुख कारण चोकस थाई जीव दुख कारण चोकस थाई जीव दुख कारण चोकस था उत्पन थाई चे। आपने जे थाई चे एचे दयाभाव। ग्नानी ने जे करुणा चे ए रीते समझी चे के आजीफ जे पूर्व कर्म ना कारणे जे जे कर्म थी पीड़ित चे अने जे ना कारणे एने आजे आवा अशुप कर्म नो भूग भूगवो पड़े चे। आवा अशुब कर्म थी आत्मा दुखी थता एवा आत्मा दुखी आत्मा ने जोईने एने जे भाव थाई छे ए भाव छे करुणा भाव अनुकम पाव भाव जैन लक्ष ए रहे छे कि कै रीते आ जीव आ आत्मा कै रीते आत्मा हित करी सके अने आत्मा नी ओडखान करी सर्व कर्म थी मुक्त थाए। आज है जारे जारे एवो जे प्रेम जेम जेम वत्तो जासे, एमें चोककस आपने खबर पड़े चे, के ज्याँ जा दुखना कारण राग थी थाई चे, ए प्रेम जारे शरुवात क्या करवानी चे, तो के जगतना जीवो प्रत्य नहीं। एवा प्रेम नी सरुआत एवा परम कुरुपाडू देव एवा परम ग्नानी अने एवा परम ग्नानी प्रत्ये जारे प्रेम नी सरुआत करेंचे एज राग जेचे शुद्ध थता आपड़ने प्रेम नी आन्शिक अनुभव थी खबर पड़ेंचे अनुकंपा भावना अर्थ एं के आ आत्माएं केवा कर्म करेला छे के आटलो दुखी थाई छे हवे क्या प्रकारे नवा कर्म, शुब कर्म, पुण्य कर्म बांधिये के भविष्य मा आवू दुख न थाई अने आभव मा कर्म शुब थाई, ओचा थाई अने केम थाई तो कर्मने आत्माने समझीने जे काई इना प्रते भाव थाई ते अनुकंपा भाव चे। जैरे संसार नी अंदर चे ए आपने करुणा शब्द वापरिये, दया शब्द वापरिये, पर साथे साथे दुखी तो थता जोईये। आरिते ज्याँ शुद्ध प्रेम चे त्यां बंधन नु कारण होतु नथी। त्यां आशक्ति भाव नती, पर पूर्व कर्म ने कारणे जितली मदद ए जीमने जोती होई, ए कदाच वधारे मड़े। राग जेने छे इना प्रत्ये जारे कोई सेवा आपिये छे, त्यारे घणिये वार आपडे आशब्द बोलिये छे। कि हवे आवा समय करता भगवान एने छोड़ावो तो सारू आए एग्जाम्पल थी ए समझवानो चे कि जिया जिया आपने राग चे माबाप परते निकट ना रुणा बंदी परते ए जरे बिमार थाई एवी कोई अहशाता वेदनी आवे अने जरे आपने इमनी सेवा करता होई छे अने एनी सेवा ज़रे करता होईशे त्यारे जीवने एवो भाव चुक्कस आवी जाईशे सु के आवा समय अटले के एमने जे अत्यारना पीड़ा थाईशे तो हे भगवान एने छोड़ाओ तो सारू आपना सगा माबाप होई के अत्यान निकटनी व्यक्ति होई अने थोड़ा मैना सुदी ए पथारी माज बदू संडास और मुत्र थतु होई और आ थतु होई और लागे हवे उभा थवाना न न थी तो पहलो विचार आवे के सेवा बेवा पची वैला सिधावे तो सारू विचार करी जो जो आपने चुक्कस एवा भाव थता ज़ता पहला अने ज्या अनुकंपा भाव छे त्या एक कई छे नहीं, जेनु जे कर्म छे ए भूगवे छे, मारु कर्म सेवा नु छे, हूँ सेवा करूँ छूँ अने ए सेवा ना भाव नी अंदर पवित्रता पवित्रता अने कितलाई कर्मों नी निर्जरा थाई चे जैरे जैरे आपने आवा सेवा मा जुड़ा यहे चे त्यारे सु भाव राखवा के भाव ए राखवाना के हुँ जे काई भी अत्यारना सेवा करी रहे हो चु करी रहे हो चु ए मारू सेवा नु कर्म जे अन्य मारे ए सेवानु कर्म जे प्रमाणे छे जितलू मारा थी थाई सके ए प्रमाणे मारे निरंतर ए वस्तु ए क्रिया ए भाव साथे कट्टा जवेवानु छे अन्य ए भाव थी जारे ए करे छे त्यारे ए भाव नि अंदर पवित्रता अने कितला कर्मों नी निर्जरा थाई छे अने राग भाव होई तो बोलिये एवू के हवे बिचारा छूटे तो सारू, बिचारा छूटे तो सारू, हुँ भले बंदाओ मने वांदो नती। आज समझवानू छे कि सेवाना कार्यक करती वक्ते राग होई छे त्यारे अंतरंग मा किवा भाव चाले छे अने जैरे प्रेम छे अने जैरे जैरे प्रेम। इतले कि एवा जीव प्रते करें चे अने लक्ष करन के प्रेम आत्मा नो गुण चे नथी थतो तो प्रेम भाव अंदर मा उत्पन पण थतो नथी। आवो प्रेम भाव जरे उत्पन थाई चे के मारू कर्म स्वसेवा एटले के जे कर्म थी हूँ एनी साथे जुड़ायो लो चूँ एक सेवा नु काम मारे निरांतर अकण पड़े एवा शुद्ध भाव थी च कर्म नी निर्जरा थाई छे अने सामा जीवने पण अत्यान तेवू बढ़वान शुब नु कारण पण बने छे राग और प्रेम जिने जिने आपडे राग करिये छे अने आजे आपडे गढ़ा बद्धा जुए छे खास करीने यंग्स्टर्स मां के यंग एज मां जल्दी राग थे जाई चे त्यार पच्छी मैरेज अने मैरेज पच्छी हवे आपने सामबडे चे डाइवोस पण इतला जल्दी थे जाई चे जिया पण एवा मैरिटल अफेस थाई चे कोई भी एक पार्टनर बे वफा निकड़े चे तो त्यार तरथ दुख नु कारण थाई छे अने खूब रदए ने दुख पहुँचे छे हवे आतो राग छे अने संसार नु जे एक्जामपल छे ए तो आपडे बद्धा वाकेफ छे आपडे बद्धा ने खबर छे पर मूड वस्तु ए समझवानी छे परमार्थ है के ग्नानी नी करुणा अनुकम पा के उपेक्षा भाव ए समझवा ज़िवो छे। आजे आपडे जोईए छे के एवा जे सत्पुरुष छे। एवा जे आत्म प्राप्त साच्या एवा ग्नानी छे। एवा ग्नानी ने आश्रे जे जीव इन्हा समागम मा आवे छे। अने जेतलो जेतलो एने एनो सानिध्य मड़े छे। अने सानिध्य मेड़ा पछी कोई एवी कर्म नी विचित्रता एवा अशुप कर्म ना उदै थी जीव त्यां थी पाचो फरे चे। अने पाचो फरे चे एटले के ए पछी त्यां थी निकडी अने पछी पूतानी रीते जे रीते आत्मानी आरादना जेवी जेनी समझन ए प्रमाणे लिये चे। हमें विचारी करवानों छे के जे मुमुक्षु अटला वकद एना परिचे मा रहा चता ए वस्तु जैरे छोड़ीने एने चालियो जाई छे तो आपने बद्धाने एवो विभाव के विकल्ब चुक्कसावे के अटला क्लोज होगा चता पर ए जीव केम वया गया जैरे एग नानी ना टच मा हता त्यारे एने टॉप मा राइखा, टिप टॉप करी दिधा, खूब सारी रिते एने बद्धी वस्तुनी आपया, पछी पण आवु जारे वर्तन थाई छे अने ए जाई छे, तो सु ग्नानीना ग्नान मा आ नहीं होई? ग्नानीने तो बद्धी वस्तुनी खबर अच्छे, आपडा सत्पुरुष एतले के मने जो एम शद्धा चे के मारा सत्पुरुष सर्वग्न चे इना ज्ञान मा तो छेज। इने खबर भी चे के पाँच वरस, दस वरस के पचीस वरस पच्छी आज जीव पाचो जवानो चे। तो पाण इने खबर चे ए जवानो चे तो इ जारे जाए त्यारे बिचारो एकलो न जाए। कुरुपाडु देव ने रदे मा लईने जाए। आ एनी करुणा चे। एने जारे खबर चे के एवा कर्म ना उदे आउसे अने जीव कदाज ब्रह्मित थाई अने कर्म ना उला मा आवी अने एवु पगलू लईने जाई भी करा। कल्याण ना जे बाव चे है इना रदे नी अंदर एने परम कुरुपाडू देवनी जे स्थापना करी छे। ए जीव जारे पाछो पढ़ संसार मा जाई छे के बिजे ओले जाई छे। ए कदाज ए सत्पुरुष्टी विमुख हसे। पढ़ कुरुपाडू देव अने मार्ग जे छे ए मार्ग नी साथे जाए। एवी एमनी ज ए जीव ने आपे छे आज चे प्रेम के जानिया पची पण ए ततस्त चे एने कोई फरक नती पड़तो के आज जीव भविश्यम मा केवी रीते अने केटलो विपरित वर्षे ए खबर होवा चता एना गनान मा एना वर्तन मा एनी वाणी मा क्या रे फरक मिन में आज चे प्रेम भाव जे आपने ग्नानी ने अव्जव करवाती, ग्नानी ने अवलोकन कराती आपने समझाई चे के जे ग्नान चे ए ग्नान नी कितली बदी पवित्रता चे, के ए ग्नान नी अंदर मा जे काई समाई चे ए अत्यन शुब और शुद्ध सिवाई बिजु कहीं क यह वो कोई विशम भाव के विपरीद भाव होयद न सके त्यार पछी चे राग मा जिने आपडे राग करिये चे त्यां अपेक्षा चे अपेक्षा पूरी न थता दुख थाई चे दुख थवा थी एवा तीवर कशाई नु बंद पड़े चे राग चे इनी अंदर मा जिने जिने प्रेम चे त्यां जेने जेने प्रेम करिये चे, इने जे प्रेम करिये चे, इने प्रेम अच्छे करिये चे, और पची प्रेम करता ज रहिये चे, पची एमा कोई कारण नती, एमा कोई बंधन नती, एमा कोई जात नी dependency के expectations कही नती. प्रेम एटले करिये छे कि बस हूँ प्रेम छूँ आत्मानु बिजु नाम छे प्रेम जो आत्मानो आन्शिक साक्षातकार जेने जेने थाई जाए छे एवो आन्शिक अनुबव थाई जवा थी प्रेम आत्मानो गुण बनी जाए छे यह लक्षण, धर्म अथवा गुण कही है। प्रेम थी आत्मा उड़काई चे, आत्मा थी प्रेम उड़काई चे। अवे जैरे पोते पोताना मा, स्वामा, एटले के प्रेम स्वरूप मा रही अने जैरे पर साथे, जे रीते, जे काईं भी करवा मा आवे चे, ए प्रेम मा रही ने पची जे करे चे, ए जे करे चे, जे करे चे, जे करे चे, जे करे चे, जे करे चे, जे करे चे, जे करे चे, जे करें एक बिजू सु करी सकें कार्य के नी सरुवात प्रेम थी चे एक जे करसे एक प्रेम थी करसे एनु परिणाम जे आउसे प्रेम थी आउसे अने प्रेम जे चे एक धारानी जे विदाउट अ ब्रेक विदाउट अ इंटरअप्शन चालिया ज करें चे आचे प्रेम नु प प्रेम करिये चे, एने प्रेम करता ज रहिये चे, इरिस्पेक्टिव एनु बिहेवियर, इरिस्पेक्टिव ए ध्यान आपे, के न आपे, मिस्बिहेव करे, के बिहेव करे, प्रेम करवा वाडो डसन गेट इंफ्लूइंस्ट विथ एनी वन, राइट टाइम फ़ॉर प्रेम, एक मिनिट माटे राखूँ ओम अजे एक मिनिट राखीज है ये तो जरे संसार मा होई है तरे डिसकनेक करवा माटे राखीज है अजे तो आपडे पछी इहिटेव नहीं साबे बूलवानु नती, डिसकनेक्ट थाईये छे, अइया कनेक्टेड रहवानु छे, कनेक्ट तो छे, कनेक्टेड रहवानु छे प्रेम काई सेलो नथी और अटली बदी बार वाइचा पची पण फरी थी ए वस्तु उपर डिपेंडेंट थवू जपड़े जहां सुधी ग्नानीना वचन नु अवलंबन नथी लेता त्यां सुधी ग्नानीना वचन नु अवलंबन नथी लेता ज्याशुदी कोने खबर बोलिये प्रेम शब्द और अंदर रागज फील थाया करें। तो फरी थी यह वचन ने याद करी बोली और प्रेम ज्याशुदी यह भाव से बोली थी। साथे नहीं जोडाए रागभाव छूट से क्या थी माते मने तो यहु लागे जो मैं हाइलाइट के रूचे मार्क पर के रूचे पर एम थाई चे के परम पूजे पपाजी ये आज जे रीते प्रेम उपर ने आ पेरेक्रफ उपर खास करीने विशेष समझावू चे एक पण लाइन, एक पण पेरेग्राफ के एवा शब्द मिस करवा जेवा नती, एक एक अक्षर जे छे इना उपर खुब एकागरत है, विचार करवा जेवा रही है छे थोड़ू माचू छू, थोड़ू लाग से रिपीट थाई छे, पर मांदो नहीं, राग रिपीट थासे, तो घुटवानू छे, आ छोड़वानू छे, जे न समझाए, ए समझी लेवानू छे, ए प्रेम छे, ग्रहन करवानू छे। संसानी अंदर जरे स्वार्थ कहिए छे, तो स्वार्थ नो अर्थ सू छे, स्व इतले पोतानू नथी। एवु जे पार्कु अने पोताना करिया करूँ ए मोटो दोश चे। इतले के संसार नी अंधर जे कै जड़ पदार्थों चे एवा जे जड़ पदार्थ के जे चेतन ना नथी अने नथीज एवा जड़ पदार्थ नू नाम माता पिता भाई बहन पतनी पिता अथवा तो गर्नी जे कहें जुदी जुदी सामग्रियों कहें, जाहो जलाली कहें, ए बद्धा जण पदार्थों छें। हवे एने पोताना मानवा के आ मारा छें, आ मारा छें, अने एवा पदार्थों बिजा पासे होई, अने ए आपने मड़ी जाएं, चोरी थी, बनावड थी, कोई पढ़ रही थे, फूसला वीने, तो त्याँ स्वार्थ छे। इतले संसार मा स्वार्थ ज़्यारे कहिए त्यारे जड़ पदार्थों कोई नी पासे होई ये आपड़ ने प्राप्त थाई एवो जे भाव छे येने स्वार्थी कहिए छे। तो वात तो साची छे छेतन नाम नो पदार्थ पुतानी जात ने भूली जाए। पर एवा जड़ पदार्थ इना प्रत्ये तीवरा आशक्ती मोभाव करी ए ग्रहन करवानु जितलू भी करवा मा आवे छे ए बद्धू स्वार्थ छे। खुब कल्याण नु कारण चे अइया कहे चे के प्रेम ए निस्वार चे एटले के संसार ना कोई पढ़ पदार्थ ना आसकती नती अथवा पर पदार्थ ने पोताना मानी लेवा एवी पढ़ वात नती जैरे प्रेम समझाई जाई चे जैरे जे अत्यार सुधी स्वार्थी थाईने जे बदी भूलो करता जाविया था ए बदी वस्तु लाख प्रयतन करवा चता पड़ ए उची न थाई कारण के साची समझन आज सुधी करी ज न थी ज न थी जाँ सुधी ए राग बदी ने तीवर राग ए न थी बदी ने प्रेम सुधी नथी पोचता, त्यां सुधी आप बद्धी वस्तु जे आपड़ने फील थाई छे, कर्म बंधन नु कारण थाया करे छे, ए थतू ज रहे छे। ए तले के हूँ तमने जो अनहत प्रेम करूँ छू तो ए तमारा देह ने नहीं, तमारा आत्मा ने कल्यान नु कारण केम थाई। एवा लक्ष साथे थतो होई अने दे गम्मे ते क्रिया करती होई तो पण दोश न लागे। आ पूर्व कर्म चे छुटी जसे। ग्नानी ना परिचय मा रहेशे तो चुक्कस छुटी जसे। तो तमारा दे के तमारी संपति के बाहिय जे काई छे इनी साथे ग्नानी नेवे। कहीं पर सब्बन न न थी, पर ये जीवो न आत्मा नु कल्यान थाएं, आत्मा कहता चेतन पदार्थ एम कहिए, ये चेतन न लक्षे एनी साथेज कहीं प्रवर्तन थाई छे, एने प्रेम कहिए छे। अब आपने खाली short and simple समझवानु छे, आपने वच्चे उभा छे। आब बाजु रागना जुदा जुदा कारणों, निमितों, पदार्थों, व्यक्ति छे। आब बाजु एवा सत्पुरुष, ग्नानी पुरुष और प्रेम छे। वच्छे आपने छे। द्रश्टी जारे आ तरफ जाई छे, त्यारे एज बदी वस्तु अनादी कारणी भूल रागे करीने चालिया ज करे छे। जे समझन राग ना अतले के राग थी आपने अत्यार सुधी सहिमजा चाहे जे व्यक्ति उपर करता था पर राग करता था एवोज राग ने शिफ्ट करी एवा ग्नानी प्रत्ये हवे फोकस करिये चे जिये करता था ए चालू चे राग न करवानू क्यारे ही नथी कितू कोना उपर करियू ए हमेसा भूल करी एटले दुखी थाया माटे राग चालू करिये चे हवे एक नवी परम व्यक्ति मड़ी गए परम पुरुष मड़ी गया। एवा परम पुरुष प्रत्ये एज राग ज़्यारे करिये चे। एटले के एमनी देनी थती क्रिया जेने प्रेम चेस्टा केवाई चे। एनी देनी थती क्रिया ने ओब्जर्व करवा थी ए देनी पाचर रहेलो आत्मबाव एक कई रीते काम क जाईशे एवो लक्ष थवा थी अवलोकन करवा थी ग्नानी नी देहिक क्रिया थी आत्मा भावे इतले कया समझन थी ए देश साथे वड़ते चे के जेना थी पाँच इंद्रिया मन चेट बुद्धी ए साथे रहिने छुटा पड़ता जाईशे कर्म नी निवृत्ति माटे थाई रही चे पण जो द्रश्टी आपडी आ तरव चे ए राग ना कारणे जे काई आपडे दे ने राग करी अने दे थकी जे बदा एवा पदार्टों ने राग करिया एना थी संसार वधारियो आज वस्तु जरे इमने जुवा थी एच संसार मा रही ने एवाज संसार ना शुब अशुब रुणाना बंधी थी कई रिते छुटा थाए, एज वस्तु ए परम पुरुष आपने प्रेम थी समझावे चे, सिखडावे चे, अने वारंवार आपनो जे अशुद भाव रागनो चे, इने प्रेम तरफ लई जाए चे, आज ए ग्नानीनी प्रेम वाडी कर एक एग्जांपल है संसार नो, कि जैरे जैरे जीवने पोताने असमर्थ पणु पोतानामा देखाए, निर्माली पणु देखाए, पोतामा डर, भई, विगेरे एवा अन्य विभावों कॉंस्टंट अंतरंग मा चालता होए.
एवः अग्नानी जीव पछी लाचार थे, विवर्ष थे और फोर्सफुली शान थे जाई चे। शान रहे चे और समता मा रहे चे। ज़्यारे बद्धू कहिरा पछी पण कहीं पण सवडू नती थतू, एटले पछी जीव एमज विचारे चे। कि हवे मारा थी कहीं नती थतू, जेम चे एने एक्सेप्ट करी लियो, अने एक खूब समता पूर्वक शान्ती थी जे आवे चे एक्सेप्ट करी लिये चे, ने? अने एक्सेप्ट करी लिये चे, ए जे समता आवे चे, ए समता मिठ्या समता चे. सुकाम, जो सम्ता आवी गए, तो पछी खेट सुकाम, कम्प्लेंट सुकाम, मने काई मोडू नती एवो विचार सुकाम, जारे जारे एवा शान थाई गया, अने एने सम्ता प्राप्त करी, ए मनस क्यारे जीव सुकी नती, दुखी छे, कि बिकोस बाई डिफॉल्ट फोर्सफुली, पण ख्याल यह रहे चे के समझ समता चे अने दुखी चे त्यारे समझाई चे के आ समता नाम नो जे गुण चे ए जारे आत्मा नी ओडखान थया पची जेतली जेतली समता जारे जारे प्राप्त थाई ए आनन्नो विशे होई यज अने समता मेड़ा पची पण जीव दुखी होई तो पछी ए भ्रांती चे कल्पना चे। माटे आवी जे आत्माना जे बधा गुणों चे ए गुणों ज्ञानीना आश्रे मा रहिने ज प्राप्त थाई सके चे। ए सिवाई जो एवा गुण नी प्राप्ती थाई हसे अने एवु अशुब कर्म नेक्स्ट मोमेंट हाजर थाई से। एक गुण जैचे, एक क्याई गायब थे जासे, खबर नती पड़तो। तो बची गुण गायब थे जाए, पण आत्मा तो हजी छे, ने। अगनान नी तरीके पण आत्मा तो छे, आत्मा तो गायब नती, गुण गायब छे। इना परती समझाई छे, गुण और पदार्थ साथे चाले छे। जो गुण नु होवा पड़ू छे। तो पची पदार्थ नु अस्तित्व होवु जरूरी चे अने जो पदार्थ हाजर चे तो आन्शिक रिते जितला पण गुण प्रगट थेला चे आन्शिक रिते ए सर्व गुणों हाजर रहे चे प्रेम स्थेर स्वभावी चे, राग अस्थेर स्वभावी चे आ रिथे हवे जिनने आपडे प्रेम समझिये छे, बिजी एक व्याख्या प्रमाणे के जेमा काईंक चेस्टा, एटले के जेस्चर, बिहेवियर, चाड़ा थाई, एनु नाम राग छे। हवे आपडे कहता होई कि बहुत प्रेम करूँछ। अने कोई पण जातनी चेस्टा देनी थती होई तो सो टका मान जो ए राग छे। बले गमे ते तमे कहो अने कोई पन जातनी चेष्टा काई भी नहोई अने एक समझन होई एनु नाम प्रेम चे प्रेम नी एक आत्मा नी एक समझन चे कोई क्रिया नती राग चे एक क्रिया चे चेष्टा चे अभी व्यक्ति चे एक लिए ए रिते प्रेम स्थिर जै, राग अस्थिर जै, कारण के दरेग चेष्टानी अंदर कईंक ने कईं प्रवर्तन होई, होई अने होई जैज। अने ज्या दे थी थती, दे थी प्रवर्तन होई, तो भावनु जोडान होई। भावनु जोडान, देनी क्रिया, इतले घाती, अघाती, बे कर्म नो थोकडो। जो आटली समझन जो आवी जाए तो चोकस कल्याण नु कारण थाए। हवे भक्ती मार्ग मा समावेश पामता प्रेम अने शद्धा ना भावो जुया, पछी अंतरगर्ट अर्पन्ता ना त्रीजा भाव प्रतिवडिये। प्रेम अने शद्धा नु प्राप्त फड ते अर्पन्ता चे। आखास वारमवार विचारवा जिवू कि कै रिते परम पुजे बापुजी अने पुजे पपा जिये आव जणाएवू छे। प्रेम अने श्रद्धानु प्राप्त फड़ ते अरपणता छे। विवार द्रश्टान ते पण विचारती समझा से के जिया प्रेम इतले के राग अने श्रद्धानु प्राप्त फ़र्ट ते अरपणता छे। पति पत्नी ना सम्बन्दे जूओ के पिता पुत्र ना सम्बन्दे जूओ धर्म उपार्जन वेडानी स्थिती सबंदे जूओ के आपतनी कसोटी वेडाये बचावी शके एवी व्यक्ति प्रत्यना पोताना भावो सबंदे जूओ तो दरेक स्थडे राग श्रद्धा अर्पन्ता जुआमड से व्यवार मा आस्थिती हुआने लिदे तेने संसार भक्ती कहिए तो चाले व्यवार मा आस्थिती हुआने लिदे तेने संसार भक्ती कहिए तो चाले पछी कहे छे, जेम जेम प्रेम और श्रद्धा वदे छे, इतले के निर्मण थै, शुद्धता तरफ जाए छे, तेम तेम अरपणतानो विकास थाई छे, अरपणता खिले छे, अने तेनी उपकारिता प्रगटताये अनुभवाई छे.
हवे उन जे वाचूशू, एक अदाज बुक ने तमे फॉलो करसो, तो बैक एंड फोर्ट, करनके पपा जी है, कोई परेग्राफ उपर जेने रिपीट कहीरो होई, कोई लाइन पची लीती होई, तो थोड़ूग तमने लागे आगड पाचड थाईचे, पर आगड पाचड जेम जेम प्रेम अने श्रद्धा यथ्यात रिते समझाई छे, मात्र समझन थी नहीं, पर एवी वर्थन थी, अने ए रिते ए श्रद्धा थी जो पालन थाए, एनु जे फड़ छे, एनु जे परिणाम छे, ए छे अर्पन्ता जो प्रेम और शद्धा मा कचास तो अर्पन्ता मा पण एना थी पण वधारे कचास माटे फोकस अथवा पुरुषाद प्रेम वद्ध से शद्धा वद्ध से शद्धा वद्धे ए प्रेम वद्धे आ बन्ने वस्तु साथे पण चाले छे पण छे क्रम्मा, अटले के पहला प्रेम चे, पछी श्रद्धा चे, अने पछी अर्पन्ता चे, ये आगर पछी फरी थी जारे प्रेम, श्रद्धा, अर्पन्त आउसे त्यारे, पर एटलू अत्याने कही सके के प्रेम अटले के जिया जिया जे काई पण नवी वस्तु जोआ मा आव जानवा मावे ए वस्तुने जोईने सर्वप्रतम जे भाव उत्पन थाई छे ए छे आ मने गमे छे आ मने जोईये छे आ सारू लागे छे रिमेंबर दे फर्स्ट टाइम जे वस्तु पूर्वे मा नथी जोई अने इने फर्स्ट टाइम तमे जोसो अने जोईने जीव इतलो नकी करें आगमे चे for example प्रेम कारके बहुत वधारे ना समझाए पर इतलो feel थाए के एमनु जे वर्तन चे आपडी तरफ ये मने सारू लागे चे मने गमे चे समझाई चे एवरीते जुदा जुदा आत्माना जे गुणों चे असंगता वितरागता यह काई समझाता नती, पण सामडे ने चोककर्स फिल थाए। गमे चे, सारू लागे चे, समझवू चे जेम जेम आफ फर्स्ट समझाई चे, गमे चे आत्माना गुण ने लक्षमा राखी ने ए जारे सरुवा थाई चे, ए चे प्रेम जेम जेम एवा गुणों साथे परिचित थता एवा आंशिक गुणों विशेश परने समझवा थी खात्री थाई चे के चुक्कस वित्रागता एटले आज केवाई ए मने खात्री चे ए खात्री नो बिजू नाम चे श्रद्धा चे एवा जे आत्माना गुणों नो जरे विशेश जानकारी थता थता आंशिक प्रगट थवा मा आवे चे एवा पूताना स्वा अनुभवती जे काई समझाई चे, फील थाई चे, ए फील थावानू चे, ए दरड़त्व करावे चे, आई, बिलीफ, अने ए चे, श्रद्धा, ए पर्टिकुलर आत्माना गुणने लाइने, आज ए प्रेम, जेम जेम प्रेम वदे चे, एम श्रद्धा स्ट्रॉंग थती जाई चे, मजब अने शद्धा एक सिकाना बे छे त्यारे जे काई देथी क्रिया करवा माँसे ए बद्धी छे अरपणता पान अरपणता मा पान ए इस दे मोस्ट इंपोर्टन बद्धू करवा हूँ तयार छू पपा तमे जे केसो ए करवा तयार छू पान आ माराती नहीं थाए एचे प्रेम नी कचास्ट। इमने मने केम आवू किदू, एवो जे विभाव छे, एचे शद्धा नी कचास्ट। अने एचे जे किये छे, जारे किये छे, जे इम किये छे, एचे सर्व मने मान्य छे, अने मारे एच करूँ छे, एचे अरपड़ता। पणता आ जाएँचे के जेमा जीवने ग्नानी, ग्नानीना वचन नु ए सिवा एने बिजो कोई लक्ष नती, एक अज निश्चे चे, ए जेम कितु चे, एम मारे करवानु चे, ए रिते जारे वर्तन थाईचे, त्यारे अरपन्तानी सरुवात थाईचे, आ अरपन्तानी सरु एक प्रेम नी जे शुद्धता चे ए पछी वत्ती जाए चे और या बद्धी वस्तु एक बिजा ने ए रिते हेल्प करे चे एक वदे चे और बिजो एनो आधार बने चे अरपन्ता मा हवे आवे चे मुख्य त्रन वस्तु समझवा जेवी सवथी पहली आवे चे ए चे आगना आराधन त्यार पछी आवेचे आगनान कित पणू अने त्रिजू आवेचे स्वचन नो त्याग स्वइच्छा नो नाश। आत्रान जे वस्तु छे के जेना ती अरपणता समझवानी छे अने जेम जेम आत्रान वस्तु जारे मुख्य पणे खुब उन्डान ती समझाई जाई छे आगना आराधन। आगनान कितपणू अने स्वा इच्छानो त्याग त्यारे अर्पन्ता जाईचे एमना तरफ नी आपडी चुक्कस जाईचे ए शरू थाईचे। अने ए रिदे ग्नानीना आश्रे मा रेवा थी। एने प्रेम करवा थी। एवी प्रेम में अवस्था आवा थी। एना वचन उपर। इतली अटूट शद्धा हुआ थी, जीवेवो निष्चे चुक्कस करे चे, जे एमना वचन चे, ए वचन ने अनुरूब, आ दे नी जो कोई भी क्रिया जो करवा नी है, यी एकच्छे, ग्नानी नी आ ग्नानू आराधन मा, आ दे जितलू गसातु होई, ये भले गसाए, मने एज कर्तव्य छे, एज करूँ छे, एज रूची छे। आवी जो भावना, आवा जो भाव अंतरंग मा रहया करे, जिमा आत्मा जागरत छे। एवो जागरत आत्मा जारे दे साथे जुड़ाए और देने ए लक्षे ग्नानीना वचन तरफ इने केंद्रित करे। त्यारे आपडो सच्चो पुरुषाद जे जे, ए... लक्ष जे छे ए फरी थी पाचा ए वचन थी सरुवार थाई छे एवी अर्पन्ता आपने सर्वने आप परिवशन पर्वमा जितली जितली समझाती जाए अने विशेश मामाने समझाए अने एमना प्रते प्रेम श्रद्धा दिन प्रती दिन बत्तो जाए बध्या करे अने एमज रहा करे पछी सू, पछी एज, अने एज करवा जो। ओम, शान्ति, शान्ति, शान्ति। त्रोड़ मिनिट राखूँछो। आत्म प्राप्ति सद्धि गुरू ने प्रणाम आत्म प्राप्ति सद्धि गुरू ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरु ने प्रणाम ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरु ने प्रणाम ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरु ने प्रणाम ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरु ने प्रणाम ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरु ने प्रणाम ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरु ने प्रणाम ने प्रणाम सद्गुरु ने प्रणाम सद्गुरु ने प्रणाम सद्गुरु ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरु ने प्रणाम प्रणाम आत्म प्राप्ति सद्गुरू ने प्रणाम ने प्रणाम ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरू ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरू ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरू ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरू ने प्रणाम ने प्रणाम आत्म प्राप्त सद्गुरू ने प्रणाम सद्गुरू ने प्रणाम सद्गुरू ने प्रणाम आत्मा प्राप्त सत्गुरुने राम राम आत्म प्राप्त सद्गुरू ने प्रणाम ने प्रणाम सद्गुर्णि प्रणाओ आत्मा प्राप्त सद्गुर्णि प्रणाओ हवे आपरे कनक आंटी ने रिक्वेस्ट करिये कि हमने पचकान आ सहजात्मस्वरु परमगुरु परम कृपाड़ु देव नु एक वचन चे पत्रांग चोपन मा कृपाड़ु देव एक अविचे स्री जीने सहस्त्र ग्रमे क्रियाओ और उपदेशो एक अज मार्ग अपवा माटे कहा चे ते मार्ग ने अर्थे ते क्रियाओ और उपदेशो ग्रहन थाई तो सपड चे और ए मार्ग ने भुली जाई ते क्रियाओ और उपदेशो ग्रहन थाई तो ते निसपड चे तो आजे आपने अपनी जी क्रिया करिये चे ने ना पच्कान करिये चे तो ये आपने आत्मा ने लक्षे करिये तो जे थी आपनी बदी क्रिया सपड़ था पच्कान ने धारी ले एका सनाना पच्कान आत्मा अनाहरी चे अने आत्मा नु वीर्य वधारवाना आरते स्री सद्गुरु नी आगना थी एका सनाना पच्कान सद्देव, सद्गुरू और सद्धर्म नी साक्षिये आजना दिवसे धारणा प्रमाणे एकासनाना इतले अखा दिवस मा एक वार एक आसने जम्बाना पच्कान। प्रत्यक्ष सद्पुरुस नी साक्षिये ग्रहन करूँचू। संजोग वसात झरूर पड़े तो पाणी अने अवसद नु आगार। भी आसनाना पच्कान। आत्मा अनाहरी चे अने आत्मा अवसद नु आगार। आत्मानु विर्य वधारवाना अर्थे स्री सद्गुरु नी आगना थी ब्यासनाना पचकन। सद्देव, सद्गुरु और सद्धर्मनी साक्षिये आजना दिशे धारणा प्रमाणे ब्यासनाना इतले अखा दिवस मा बेवार एक आसने जम्बाना पचकन। प्रत्यक्ष सद्पुरुस नी साक्षिये ग्रहन करूँ चूँ। संजोग वसाद जरूर पड़े तो पाणी। और अवसद नो आगार आत्मा अनहारी चे और आत्मा नो विर्य वधारवाना अर्थे स्री सद्गुरु नी आगना थी उपवास ना पचकान सद्देव, सद्गुरु और सद्धर्मनी साक्षिये आजना दिवसे एक उपवास, बे उपवास के त्रान उपवास ना पचकान गरहन करूँचे चार आहार मां थी, त्रान आहार ना जिमके बोजन, मिठाई, मुखवास, फड आदी ना पचकान। प्रत्यक्ष सत्पुरुस नी साक्षिये ग्रहन करूँच। संजोग वसाद जरूर पड़े तो पाणी और आउशन्द वागार। आयम्बिल। आत्मा अनाहरी चे और आत्मा विर्य वधारवाना अर्थे स्री सत्गुरु नी आगना थी आयम्बिल ना पचकान। सत्दिव, सत्गुरु और सत्धर्म नी साक्षिये। आजना दिसे आइम्बिल एटले एक वार एक आसने जम्माना पच्कान प्रत्यक्ष सत्पुरुस नी साक्षिये ग्रहन करूँचु जिमा विगई एटले के विकार उत्पन करनार वस्तु घी, गोड, धूद, दही, तेल और लिलोतरी तेमज तड़ेली वस्तु, मीठाई वगेरे नी बादा, संजोग वसात जरूर पड़े तो पाणी और अउसद नो आगार बद्धाने वो सीरा में, कई पण भूल चुक थाई वो तो मिच्छा म अहो अहो श्री सद्गुरू करुणा सिन्धु अपार आपामर पर प्रभु कर्यो अहो अहो उपकार शुप्रभु चरण कने धरून आत्मा थी सव हीन ते तो प्रभुए आपियो वर्तो चरण आधीन आदे हादी आज थी वर्तो प्रभु आधीन दास दास हूँ दास छूँ आप प्रभु नो दीन शट स्थानक समझ जाएगा जाविने भिन्न बताव्यो आप म्यान थकी तरवारवत ए उपकार अमाप जेह स्वरुप समझाविना पाम्यो दुख अनन्त प्रभु ते पदनमु श्री सद्गुरु भगवंत परम पुरुष प्रभु सद्गुरु परम ज्ञान सुख धाम जेने आप्यूं भाननेज तेने सदा प्रणाम प्रभु हो वंदन अगनेत त्रिलोकना नाथ श्री महाविर स्वामी भगवान नीमादा नी जय हो, महावीर शिष्य परम कुरुपाडु देव नी जय हो, सद्गुरु देव नी जय हो।