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बायोटेक्नोलॉजी के मूल तत्व और प्रक्रियाएँ

कि जब बायो बोलो तो लिविंग औरगानिजम्स और टेक्नोलॉजी साथ आ जाते हैं तो बन जाते हैं कई यूजफुल प्रॉड़ेट्स यही पढ़ेंगे इन बायो टेक्नोलॉजी प्रिंसिपल्स एंड प्रॉसेस एंड आज मैं लेकर आई हूं Class 12th Biology, Biotechnology, Principle and Processes का One Shot Video हमेशा की तरह खतम करेंगे इस पूरे lesson को सिर्फ एक वीडियो में और सिर्फ इस एक वीडियो को देखने के बाद हमेशा की तरह आपके concepts होंगे crystal clear तो मैं हूँ रोशनी from Learnohub, the free learning platform जहां पर आप पढ़ सकते हो physics, chemistry, maths, biology सब कुछ absolutely for free only at learnohub.com तैयार है सबी लोग, I'm sure तैयारी होंगे, let's get started तो बच्चों बायो टेक्नोलॉजी होता क्या है तो बायो लॉजिकल और गानिसम्स का यूज अलाव विद टेक्नोलॉजी बोले तो अलाव विद अ सेट ऑफ प्रोसेस जिससे हम कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स बना सके कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स मैनुफाक्चर कर सके जो humans के लिए useful हो अब जाहिर से बात है कि बेट टेक्नोलॉजी का यूज हम humans कहां करते हैं ऐसी जगहों पर करते हैं जो हमारे लिए फायदेमंद हो राइट येस तो कुछ एग्जांपल्स देखेंगे ऐसे useful application के जैसे कि शायद आप लोगों ने सुना होगा test tube baby के बारे में या फिर IVF that is in vitro fertilization के बारे में जो बहुत सारे infertile couples को babies पाने में मदद करता है तो basically ये एक technology है जहाँ पर sperm और ovum दोनों को body के बाहर in vitro environment में fertilize कराया जाता है और fertilize हो जाने के बाद उसे woman की body के अंदर डाल दिया जाता है, right? तो इस तरीके से IVF जो है ये एक technology है जो कि आप कह सकते हो कि biotechnology का ही एक application है, इतना ही नहीं, बहुत बार बहुत से लोगों को genetic disorders होते हैं, right? मतलब उनकी body के अंदर, उनके cells के अंदर जो genes हैं, उनमें कुछ defect होता है, तो इस तरह के defect जीन को करेक्ट करने में भी बायो टेक्नोलॉजी का बहुत इंपोर्टेंट एप्लीकेशन होता है नीड लेस्ट उसे एग्रीकॉल्चर के फील्ड में भी बायो टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा एप्लीकेशन होता है इन फैक्ट इस लेसन के बाद जो दूसरा अगला कौन-कौन से एरियास में हम बायो टेक्नोलॉजी के इन प्रिंसिपल्स को बायो टेक्नोलॉजी के इस थिवरी को जो हम यहां पढ़ेंगे उसको किस तरीके से अप्लाई करते हैं और किस तरीके से लिए किसी वह हमारे काम आता है तो बच्चों सबसे पहले यह समझो कि बायो टेक्नोलॉजी में किस लेवल पर काम होता है तो बायो टेक्नोलॉजी में क्या होता है कि किसी एक लिविंग ऑर्गानिजम के अंदर से हमने कोई जीन निकाली जो हमारे काम की है अफ कॉर्स और फिर उस जीन को हमने किसी और ऑर्गानिजम के अंदर डाल दी तो बेसिकली मिक्स एंड मैच जीन का मिक्स एंड मैच हो रहा होता है अब यहां पर एक सोचने वाली बात यह जाती है कि मैं जब हम अपने आसपास लिविंग ऑर्गानिजम को देखते हैं आनिमेल्स बर्ड्स इंसेक्ट्स यूमन्स यह सारे तो एक दूसरे से इतने ज्यादा अलग है तो हम इनके जीन्स का मिक्स एंड मैच करने के बारे में सोच भी कैसे सकते हैं वेल सोच सकते हैं बिल्कुल सोच सकते हैं और रीजन बीं कि यह जितने भी लिविंग औरगानिसम्स हैं यह स अब इसके बारे में तो मुझे बिल्कुल जरूरत नहीं होनी चाहिए क्योंकि आप लोगों ने पूरा इनहेरिटेंस एंड वेरिएशन पढ़ा है पूरा मॉलेकुलर बेसिस ऑफ इनहेरिटेंस पढ़ा है तो आप लोगों को डिएने के बारे में अच्छा ऐडिया है साथ ही साथ आप लोगों को यह भी पता है अगर डिएने के स्ट्रक्चर को देखो तो डिएने के अंदर क्या होता है बताओ फटाफट बताओ यार नाइट्रोजिनिस बेसिस होते हैं एजीटीसी जहां पर आडिनिन थाइमिन के साथ पेर अप बॉंड गुवनिन साइटोसिन के साथ पेयर अप करता है विच ट्रिपल बॉंड तो यह जो स्ट्रक्चरल ऑर्गनाइजेशन है ना डिएने का यह सभी ऑर्गानिजेंस में सेम है और मेरे प्यारे बच्चों यही बायो टेक्नोलॉजी का बेसिस भी है तो इसका मतलब यह जो अलग-अलग ऑर्गानिजेंस इतने अलग दिख रहे होते हैं बट डीप डाउन जब आप उसके जीन के लेवल पर चले जाते हो जब आप उसके डिएने के लेवल पर चले जाते हो तो इन सारी ऑर्गानिजेंस में कुछ तो है जो कॉमन है और ये जो चीज कॉमन है कॉमन होने की वज़े से ही ये mix and match possible है उसी की वज़े से biotechnology possible है अब बच्चो DNA के अंदर ये जो sequences होते हैं, यही sequences किसी भी organism के unique characteristics को determine करता है, ठीक है, मतलब DNA के अंदर ये जो ATGC, ये जो sequencing होती है, ये same नहीं होती है हर organisms की, ठीक है उसी वजह से सारे ऑर्गेनिसम्स अलग-अलग दिखते हैं ठीक है तो इसका मतलब डीएने के अंदर की यह जो सीक्वेंसिंग है यह प्ले करता है मोस्ट इंपोर्टेंट रोल अब यहां पर भी देखो कुछ मज़ेदार बातें हैं जैसे अगर हम सारे यूमन बींक्स को देखें तो लगभग सारे यूमन बींक्स सिमिलर होते हैं सेम तो नहीं होते हैं और मैं अपने आपको आपके साथ कंप्यॉर करूं तो हम दोनों के ही दो आखें हैं एक नाक है एक मूँ है, दो हाथ है, दो पैर है, तो मतलब basic धाचा same है, right, लेकिन वही अगर मैं अपने आपको एक बिल्ली के साथ compare करूँ, तो differences बहुत ज्यादा है, right, तो ऐसा क्यों है, ऐसा इसलिए है, क्योंकि जितने human beings होते हैं न, इन सारे human beings में 99% of the base pairs are same, same बोले तो same, मतलब DNA के उसमें से 99% same है, मेरा और आपका 99% base pairs same है हम दोनों अलग दिखते हैं that is only because of the 1% base pairs अब आप बहुत हलके में ले लोगे सिरफ 1% base pairs अलग होते हैं और उसकी वज़े से हम इतने अलग दिखते हैं हाला कि 1% base pair को भी क्योंकि एक DNA के अंदर 3 billion base pairs होते हैं, billion billion बोले तो 10 to the power पावर नाइन इतने बेस पेयर्स होते हैं एक डिएने के अंदर तो उसका वन परसेंट भी अगर आप ले लोगे तो वह भी कुछ कम नहीं है वह भी टेंट टू दी पावर सेवन में आता है ना तो मतलब वह वन परसेंट बेस पेयर्स अलग होना है अपने आप में काफी सारे बेस पेयर्स अलग है बट बोलने का मतलब यह है कि सारे ऑर्गेनिजम्स का बेसिक जनेटिक मेटेरियल डीएने होता है डिएने के अंदर जो बेस पेयर्स होते हैं वह भी सेम होते हैं लेकिन बेस पेयर्स के जो सीक्वेंस होते हैं वह अलग होता है जितना अलग होता है यह यह सीक्वेंस उतने ही ऑर्गेनिजम्स एक दूसरे से अलग होते हैं तो अब हम लोग बायो टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल्स के बारे में बात करेंगे सबसे पहला प्रिंसिपल जो हम डिस्कस करेंगे देट इस जनेटिक इंजीनियरिंग जनेटिक जीन्स के साथ खिलवार तो बेसिकली मिक्स एंड माच ऑफ जनेटिक मेटीरियल मतलब एक बहुत इंट्रेस्टिंग सा आधारन सा एग्जांपल लेंगे डेली फिश सबने देखा होगा अ देखा नहीं भी होगा तो टीवी पर देखा होगा तो जेली फिस्ट जो समुंदर के अंदर होते हैं और जेली फिस्ट में एक खास बात होती है कि यह ग्लो करते हैं राइट इन में ग्लो करने का जो है यह करक्टरेस्टिक होता है अब आने आपका पॉसिबल हो सकता है सोचा जाए तो लॉजिकली पॉसिबल शायद हो सकता है कैसे अगर जेली फिस्ट के अंदर कोई ना कोई के लिए अगर उस जीन को हम जेली फिश के अंदर से निकाल के फ्रॉग के अंदर डाल दे तो शायद फ्रॉग भी लोग लग जाएगा तो लॉजिकल तो यह पॉसिबल लग रहा है पर इसमें हम करना क्या चाह रहे हैं जीन का हेराफेरी इसका जीन इस ऑर्गानिजम से जीन निकाल के दूसरे ऑर्गानिजम में डाल रहे हैं तो बेसिकली देट इज वाट जेनेटिक इंजीनियरिंग इस ऑल अबाउट इसका जीन उसमें उसका जीन इसमें यही करते हैं हम मिक्स एंड मैच ऑफ जेनेटिक मेटीरियल ठीक है अ अगर हम दूसरे principle की बात करें, which is bioprocess engineering, यह क्या होता है, अब देखो मैंने पहले ही बताया था कि biotechnology में हम करना क्या जा रहे हैं, हमारा end goal क्या है, कुछ useful products बनाना, living organisms और technology के help से कुछ useful products बनाना, अब यह useful products enzymes हो सकते हैं, vaccines हो सकते हैं, antibiotics हो सकते हैं, बहुत तरह के products हो सक कि हमें सक्त जरूरत होगी और वो क्या है स्टेराइल एंवाइनमेंट स्टेराइल बोले तो क्लीन फ्री फ्रॉम कोंटामिनेशन एक एंवाइनमेंट जहां पर सिर्फ हमारे डिजायर्ड माइक्रोब्स ही ग्रो करें अन्वांटेड चीजें बिल्कुल ग्रो ना करें एंड डेट इज वाट वी टॉक अबाउट इन बायो प्रोसेस इंजिनियरिंग तो बायो टेक्नोलॉजी के यह कुछ प्रिंसिपल्स है तो चलो एक सिंपल से एग्जांपल लेते हैं ठीक है लेट ए सपोस दो वाराइटी है कैट की एक है फरी कैट विलकुल यू नो फर बहुत सारा फर है उसमें दूसरा है लेस्ट हेयर्ड कैट ठीक है अब सब कुछ हम यूमन्स के नजरिये से देखेंगे क्योंकि यह जो बायो टेक्नोलॉजी का पूरा फील्ड है ये humans अपने हिसाब से ही करता है, technology का use वो अपने benefit के लिए करता है, ठीक है, तो genetic engineering के बाद हम इसलिए करते हैं, ताकि जो desired traits हैं, किसके desired, हमारे desired जो traits हैं, उनको जो हम पा सके जीन के मिक्स और मैच से ठीक है अब यह जो दो वाराइटी ऑफ कैट्स है ना जब हम पेट की बात करते हैं तो बहुत से यूमन्स प्रेफर करते हैं लेस्ट हेयर्ड कैट क्योंकि फर से क्या होते बहुत बार allergic जैसी problems होती है तो less haired cat preferred है तो अब हम क्या चाहते हैं कि भाई ज्यादा cats हमें less haired cats हमारे पास ज्यादा हो अब इसके कई सारे options है अब आप बोलोगे कि ma'am उसके लिए तो traditional hybridization का भी method है जहाँ पर हम दो different species या फिर दो different varieties को आपस में mate कराते हैं आपस में reproduce करवाते हैं तो अब देखो भाई reproduction के अपने present कौन से हैं अगर हम sexual reproduction की बात करें तो वहाँ पर variations होती हैं, वहाँ पर uniqueness होती हैं, asexual reproduction की बात करें, तो वहाँ पर कोई variations नहीं होती है, बस copies बनती चली जाती हैं, अब अगर हम traditional hybridization की बात करें, जहाँ पर हम दो different species को cross करवाते हैं, या mate करवाते हैं, कि बहुत से cases में जो undesirable traits हैं, या फिर जो undesirable genes हैं, वो भी express हो जाते हैं, ऐसा भले ही हो सकता है कि किसी एक generation में वो traits हो जाती है, ट्रेट हिडन रह गया बट आगे के जनरेशन में हो सकता है वह ट्रेट दुबारा से हमको देखने को मिल जाए तो यह एक बहुत बड़ा डिज़डवांटेज होता है ट्रेडीशनल हाइब्रेड़िजेशन का जैसे मान लो हो सकता है कि हमको लेस्ट लेस्ट हेयर्ड कैट मिल गया बट आगे के किसी जनरेशन में हो सकता है हमें वापिस से फॉरी कैट मिल जाए तो यानि कि जो अंडेजाइबल जीन्स है उनके मल्टिप्लाई होने के बीच आंसर रहते हैं उनके express होने के भी chances रहते हैं if not in this generation but in the coming generations but जब हम genetic engineering की बात करते हैं तो आप समझो इस बात को कि हम जीन के level पे ही प्रॉब्लम को सॉल्व कर देते हैं, मतलब हम जीन के लेवल पर ही भाई, मेरे को ये वाला जीन चाहिए, तो वो वाला जीन, less haired cat मेरे को चाहिए, तो जो जीन less hair के लिए responsible है, उस जीन को निकाल करके cat के अंदर डाल दिया, cat के अंदर, cell के अंदर डाल दिया, अब क्या होगा, कि आने वाली जितनी भी प्रोजेनी हैं, उन सब में क्या होगा, वही जीन है जो less hair, बच्चों अब सबज में आ गया ना यहीं पर एंट्री मारता है जनेटिक इंजिनियरिंग तो जनेटिक इंजिनियरिंग में हम हमारे डिजाइड जीन्स को एक टारगेट और गानेजम के अंदर इंट्रोड्यूस करते हैं फॉर एग्जांपल जो जेली फिश वाला एग्ज वाला जो जीन है वह जीन ले करके उसको फ्रॉग के बॉडी के अंदर इंट्रोड्यूज करूंगे ताकि फ्रॉग के अंदर भी मुझे वही फीचर देखने को मिले ठीक है तो इसका मतलब जनेटिक इंजिनियरिंग क्या हुआ इट इस बेसिकली मैनिपुलेशन ऑफ द जने एक organism में हमारे desired modifications ला सकें अब सबसे बड़ा सवाल यह आता है कि किस तरीके से हम ये genetic material का जो modification है बोले तो DNA का जो ये modification है इसको हम करते कैसे हैं सुनने में तो बड़ा आसान लग रहा है कि बई इसमें से जीन निकालो इसमें जीन डाल दो बट इसको exactly हम करते कैसे हैं चलो उसी process को अब हम समझेंगे तो बच्चो अब हम लोग ये समझेंगे कि genetic engineering में जीन का mix and match exactly होता कैसे है तो इसको इकदम step by step step Crystal क्लियर करेंगे ठीक है तो सबसे पहला स्टेप हमारा क्या होगा एक ऐसा डीएनी आइडेंटिफाई करना जिसके अंदर हमारे डिजायर्ड जीन्स हो जैसे जीन्स हमको चाहिए वह जीन्स जिस डीएने में है सबसे पहले उसको आइडेंटिफाई करना है इसे हम कहते हैं जीन ऑफ इंटरेस्ट जिसे कई बार शॉट फॉर्म जी ओआई लिखते हैं हम जीन ऑफ इंटरेस्ट मतलब क्या कौन सा फीचर है जो हमको चाहिए और वह फीचर को कंट्रोल करने वाला जीन कहां पर है तो सबसे हमले उसको लोकेट कर लो उसको identify कर लो, कर लिया identify, अब क्या करेंगे, अब हमें उस वाले portion को cut करके लाना है, अब ma'am DNA के एक particular portion को cut करके लाना है, इसके लिए क्या चाहिए होता है, कोई भी चीज कट करने के लिए क्या चाहिए होता है, scissors exactly, तो यहाँ पर DNA cut करना है, तो DNA scissors का use करेंगे, DNA scissors कौन सी चीज होती एंजाइम ठीक है तो जस्टिक्शन एंजाइम जो होते हैं यह केपल होते हैं डीएने को स्पेसिफिक लोकेशन पर कट करने के ठीक है इसलिए इनको डीएने सिजर्स में कहा जाता है अब यह डीएने को कट कैसे करते हैं उसको भी समझेंगे बहुत बारी की से समझेंगे लेकिन थोड़ी देर के बाद ठीक है तो अभी के लिए क्या हुआ पहले हमने DNA आइडेंटिफाई किया जहां पर हमारा जीन ऑफ इंटरेस्ट है उसके बाद हमने Restriction Enzyme से उसको कट कर लिया यानि कि अब हमार organism है उसके अंदर हमको इसको डालना है अब यहाँ पर अच्छे से समझो बात को अगर मैंने directly इसको उस organism के अंदर डाल दिया तो क्या होगा भले ही यह जीन उस organism के अंदर चला जाएगा बट हम क्या चाहते हैं उस organism में सिरफ change हो ऐसा तो नहीं चाहते हैं हमारा cut piece DNA है, वो उस host organism के genome का part होगा, उस host organism के chromosome का part होगा, ताकि ये जो gene of interest है, इसका भी replication हो, replication में क्या होता है, ये सारी चीज़े हमने molecular basis में पढ़ा है, जब DNA replicate करता है, तो क्या होता है, उसकी multiple copies बनती है, अब ये जो gene मुझे चाहिए, जब उस gene की multiple copies बनेंगी, तो आने वाले generations में भी हमको ये वाला gene of interest देखने को मिलेगा, यानि कि ये वाले traits देखने को मिलेगा. देखने को मिलेंगे तो यानी कि मेरा गोल काफी क्लियर है अब मैंने मेरे डिजाइड जीन जो है उसका कट पीस डीएन तो ले लिया है मेरे पास वह रेडी है अब करना सिर्फ इतना है कि इसको होस्ट ऑर्गानिजम के अंदर इस तरीके से डालना है ताकि यह जो मेरा कट पीस डीएन है यह उस होस्ट ऑर्गानिजम के बॉडी के अंदर जाकर भी रेप्लिकेट करें यह अपनी मल्टिपल कॉपीज बनाएं तो इसके लिए हमें जरूरत पड़ती है एक वेहिकल की एक वेक्टर की वेक्टर क्या होता है वेक्टर आप समझ लो एक वेहिकल डीएने है वेहिकल क्या करता है वो हमें एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाता है तो यहाँ पर ये वेक्टर भी यही काम करता है ये क्या करेगा कि ये जो कटपीस डीएने है इसको कैरी करके लेके जाए वेक्टर की तरह काम क्यों करते हैं? क्योंकि प्लाजमेट्स क्या होते हैं? ये सरकुलर डिएने होते हैं जो केपबल होते हैं इंडिपेंडेंटली रेप्लिकेट करने के. जैसे बैक्टिरिया के अंदर बैक्टिरियल डिएने के अलावा ये सरकुलर डिएने तो क्या होगा हमारा कट पीस डीएने भी रेप्लिकेट करेगा अबस्टूल्यूटली वहीं तो हम चाहते हैं कि यह रेप्लिकेट करें तो यानि कि अब क्या हुआ अब शुरू से फिर से स्टेप बार-बार करेंगे ताकि एकदम क्लियर हो जाए दिमाग में ठीक है सबसे पहले हमने क्या किया था हमने डीएने आइडेंटिफाई किया था जहां पर हमारा जीन ऑफ इंटरेस्ट हो उसके बाद हमने डीएने को कट किया डीएने सीजर के हेल्प से और अब हमारे पास कट पीस डीएने को हम वेक्टर के हेल्प से होस्ट organism के अंदर डालेंगे कैसे डालेंगे देखते हैं तो अब यह जो कट पीस डिएने है यह लिंक कर जाता है प्लाज मीडिएने के साथ और बना देता है रिकॉम्बिनेंट डिएने जिसे हम आर डिएने भी कहते हैं अब बहुत सिंपल सी रहा है इसके साथ लिंक कर जाएगा मेरा यह कट पीस डिएन है अब देखो कोई भी चीज जब कुछ दूसरे चीज के साथ लिंक करती है तो कैसे चिपकती है है वह हम कोई चीज दो चीज को चिपकाते हैं तो ग्लू चाहिए होता है तो यहां पर वह ग्लू का काम करता है एक एंजाइम जिसे हम कहते हैं डीएने लाइगेज ठीक है तो इस तरीके से बन जाता है आर्डीएने या फिर रिकॉम्बिनेंट डीएने अब अगला स्टिप्ट क्या होता है यह रिकॉम्बिनेंट डीएने जो है यह होस्ट ऑर्गानिजम के अंदर ट्रांसफर हो जाता है अब होस्ट ऑर्गानिजम के अंदर जाने के बाद यह आर्डीएने की खासियत क्या थी कि यह रेप्लिकेट कर सकता है तो यह रेप्लिकेट करता है और अपनी अपनी मल्टिपल कॉपीज बनाता है करेक्ट अब आप मुझे यह बताओगे कि रेप्लीकेशन के दौरान जब यह रेप्लीकेट कर रहा होता है तो उस दौरान कौन सा इंजाइम है जो एक बहुत क्रूशियल रॉल प्ले करता है फटाफट से बताना है मॉलेक्यूलर बेसिस ऑफ इनहेरिटेंस में हमने पढ़ा था जब डीएने रेप्लीकेशन होती है तो उस टाइम पर कौन सा इंजाइम है जो बहुत क्रिटिकल रॉल प्ले करता है स्पॉट ऑन एडिस डीएने पॉलीमरीज का काम ही क्या होता है छोटे-छोटे न्यूक्लियोटाइट्स को जोड़ते हुए बड़ा सा स्ट्रैंड बनाना ठीक है तो यहां पर भी डीएने पॉलिमरीज के हेल्प से क्या होता है यह रेप्लिकेशन होती रहती है तो देखो एंड अफ दे हुआ क्या जो हमारे डि था उस जीन के हमने multiple copies बना दिये जिसे हम कहते हैं जीन cloning साथ ही साथ हमने एक organism को और साथ उसके progeny को genetically modify भी कर दिया ठीक है तो यहाँ पर हमने actually यह जो पूरा जो genetic engineering का end to end process है ना, पूरा end to end process हमने देखा, कि किस तरीके से एक organism से एक desired gene ले करके, हम दूसरे organism में वो gene डाल सकते हैं, और उसको genetically modify कर सकते हैं, हाला कि इसको बहुत deep में, बहुत detail में हमने नहीं देखा, but at least end to end process का हमने idea लग गया, अब इस पूरे lesson के दोरान हम लोग इन ही steps को थोड़े और बारीकी से, थोड़े और detail में थोड़े और अच्छे से समझें, देखो तो बनाना और अंदर से देखो तो कौन तो जब हम जेनेटिक मॉडिफिकेशन की बात करते हैं किसी भी ऑर्गानिजम की अगर इस पूरे प्रोसेस को मुझे एक क्विक रीकाब देना हो तो हम क्या कह सकते हैं तो सबसे पहला स्टेप हमारा क्या होता है आइडेंटि� introduction of our DNA into the host organism, पाँचवा step क्या होता है, multiplication of our DNA inside the host organism, and finally sixth step हमारा होता है, transfer of our DNA into the progeny, बहुत सारी copies बनाने के बाद में, ये जो our DNA है, ये हमारी progeny में भी transfer होता है, तो ये था overall हमारा genetic engineering का process, जिससे हम किसी organism को genetically modify कर सकते हैं, information के लिए, यह भी बता दूं कि एक genetically modified organism को हम अक्सर ही कहते हैं transgenic. तो बच्चो genetic engineering को हम अक्सर ही r-DNA technology या फिर recombinant DNA technology भी कहते हैं. ऐसा हम क्यों कहते हैं यह तो आप समझी चुके हो गए क्योंकि मैंने genetic engineering का जो पूरा end-to-end process है वो आपको एक उसका एक overview मैं आपको दे चुकी हूँ तो आपने देखा कि recombinant DNA का बनना इस पूरे process के अंदर one of the most crucial steps है इसी वज़े से इसे R-DNA technology भी कहा जाता है तो कुछ very important tools for genetic engineering क्या है genetic engineering को करने के लिए genes के mix match को करने के लिए कौन से चीज़े हैं जो हमें बिलकुल चाहिए ही चाहिए सबसे पहला restriction enzymes देखा ही था हमने कि ये भाई scissors हैं DNA को कट करने के काम आता है है दूसरा वेक्टर क्योंकि इसको कैरी कॉन करेगा यह जो हमारा कट पीस डीएनए है इसको कैरी करने वाला वेक्टर ही तो होता है तीसरा डीएने लाइकेज अब आर डीएने बनता कैसे है डीएने लाइकेज के हेल्प से आफ्टर ऑल यह ग्लू का जान जो करता है चौथा इस होस्ट ऑर्गानिजम अफ कॉर्स अगर होस्ट ऑर्गानिजम हो गई नहीं तो यह पूरा जिनेटिक इंजिनेरिंग होगा कैसे एंड पांचवा विच इस लास्ट पर नॉट लीस्ट पॉलीमरीज एंजाइम्स यूजी होस्ट ऑर्गानिजम की बॉडी के अंदर replication होने के लिए चाहिए होगा polymerase enzymes तो अब एक-एक करके ये जो सारे important tools हैं, ये जो पाँचो important tools हैं ये क्या होते हैं कैसे काम करते हैं इसको बहुत detail में हम लोग देखेंगे तो बच्चों सबसे पहले बात करेंगे हम restriction enzymes की restriction enzymes होते हैं ये DNA scissors होते हैं जो पाए जाते हैं कहां bacteria में ध्यान देना ये bacteria में पाए जाते हैं और ये DNA cutting enzymes होते हैं यानि कि कि इनमें यह खासियत होती है कि यह डिएने को किसी स्पेसिफिक लोकेशन पर कट कर सकते हैं ठीक है अब एक्साइटली यह कट करते क्या है अगर डिएने के स्ट्रक्चर को हम देखें तो डिएने में क्या होता है जी ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक टाइड होते हैं जो फॉसफो डाइस्टर बॉंड से जुड़े हुए होते हैं मतलब बहुत सारे न्यूक्लियोटाइड फॉसफो प्राइड के अंदर एक नाइट्रोजीनस बेस होता है एक फॉसफेट ग्रूप होता है एक शुगर होता है तो इस तरीके से पूरा डिएने का स्ट्रक्चर होता है अब यह जो रेस्ट्रिक्शन एंजाइम्स होते हैं यह क्या करते हैं यह इन फॉसफो से डिएने जो है वह कट कर जाएगा है तो अब यह जो रेस्ट्रिक्शन एंजाइम्स है देव बिलॉन टू अपने इंजाइम्स बॉल्ड न्यूक्लिएज जो नाम है यह आया है न्यूक्लिक आसेड से इन फाक्ट नूकलियेज भी दो टाइप के होते हैं, एग्जो नूकलियेज और एंडो नूकलियेज, एग्जो का मतलब होता है बाहर, आउटसाइड, तो एग्जो नूकलिये जो डिएने को बाहर की तरफ से कट करते हैं, मतलब जैसे मालो एक डिएने का स्ट्रैंड है, तो बाहर की तरफ, आउटसाइड की तरफ, एंड की तरफ, जो नुक्लियोटाइट्स हैं, ये उनको कट करते हैं, एंडो नुक्लियेज क्या होते हैं, एंडो का मतलब है, मतलब होता है अंदर मतलब डिएने के अंदर से स्पेसिफिक लोकेशंस पर यह डिएने को कट करते हैं तो उसको हम कहते हैं एंडो न्यूक्लियेस अब बच्चों यहां पर हम जो इंजाइन की बात कर रहे हैं वह रेस्ट्रिक्शन एंडो न्यूक्लियेस यानि कि जो DNA को specific points पे cut करते हैं, ठीक है, अब ये जो restriction endonucleases होते हैं न, हर एक restriction endonucleases का अपना एक specific sequence of base pair होता है, जिसको वो ढूंढता रहता है, as in, let us suppose कि ये एक particular restriction endonucleases enzyme है, ठीक है, अभी मैं थोड़े ही देर में कुछ examples लेके भी बताओंगे, मालों कि ये एक particular enzyme है, ये क्या करे एक रांडम सीक्वेंस बता रही है अब वह हर जगह एजीटीसी ढूंढता फिरेगा जहां भी उसको एजीटीसी मिल गया वहां पर वह जी और टी के बीच में कट लगा देगा उस एंजाइम का काम ही वही है तो इसका मतलब वह जो दिखा वहां पर जी और टी के बीच में कट लगा देगा तो यह जो स्पेसिफिक सीक्वेंस है जिसको एक एडिस्ट्रिक्शन रेकगनीशन सीक्वेंस क्योंकि वह सीक्वेंस को यह रेकगनाइज करता है सीक्वेंस को रेकगनाइज करके वहां पर कठ मारता है ठीक है अब रेस्ट्रिक्शन एंडो न्यूक्लियस एंजाइम एक तो होता नहीं है ऐसे बहुत सारे एंजाइम से और हर एंजाइम का अपना एक स्पेसिफिक रेकगनीशन सीक्वेंस भी है तो चलो एग्जांपल लेते हैं तो अब से पहला रेस्ट्रिक्शन एंडो न्यूक्लियस का एग्जांपल लेते हैं बाम हाई अब बाम हाई जो है इसका रेकगनीशन सीक्वेंस है जीजी एटी सीसी यानि कि ये पूरे DNA में ढूंढते रहता है कि कहां पर GGATCC है, जैसे ही इसको GGATCC दिख जाता है, तो ये GG के बीच में कट लगा देता है, ठीक है, यानि कि GG के बीच में क्या करता है, कट करता है, अब देखो जाहिर सी बात है, ये DNA को कट कर रहा है, DNA कैसा होता है, डबल स्ट् है तो फिर उसका जो complementary strand है 3 prime to 5 prime वाला उसमें क्या होगा उसमें इसका complementary sequence होगा है कि नहीं तो अब ये जो BAM-HI है ये cut कैसे लगाएगा दोनों ही strand में G और G के बीच में cut लगाएगा है ना तो दोनों ही strand में देखो G और G के बीच में cut लग गया तो ये प्रेसिफिक पॉइंट पर डीएने को दो टुकड़ों में कट कर दिया है कि नहीं यहीं तो हुआ अब इससे हमें यह पता चला कि भाई बहाविंद चाहिए हमेशा क्या ढूंढते रहेगा इसका रिकग्निशन सीक्वेंस को ढूंढता रहेगा जो जी है जीजी एटी सीसी अब इसी तरीके से एक एग्जांपल और लेते हैं एग्जांपल लेते हैं इको आर्वन का यह भी क्या है ATTC ठीक है? तो ये ढूंढता रहेगा G A T C जहां ये मिल गया तो ये G और A के बीच में कट लगा देगा जैसे ही ये कट लगाएगा तो इस तरीके से ये भी दो हिस्से में कट हो जाएगा दो हिस्से में स्पिलिट हो जाएगा है कि नहीं अब बच्चो यहाँ पर आप एक चीज नो� राइट अब जैसे इस टुकडे की अगर आप बात करो तो यहाँ पर T, A, A जो है इनका जो corresponding base pair है वो pair तो missing है राइट इसका मतलब है कि ये जो टुकडे हैं इन टुकडे में जो सिंगल वाले बेसिस हैं, जिनका pair missing है, उनका attitude कैसा होगा, उनको कहीं पर भी अपने complimentary वाले अगर basis दिख जाएंगे, तो ये तुरंत जाके चिपक जाएंगे, है की नहीं, क्योंकि भाई ये अकेले है, इनको pairing करनी है अपनी, है की नहीं, इस तरह के ends को हम कहते हैं, sticky ends, sticky, जो जाई हो या फिर इको आरवन दोनों ही केस में हमने क्या देखा बच्चों दोनों ही केस में हमने देखा कि हमें जो दो टुकड़े मिले वह दोनों में ही स्टिकी एंड्स थे है कि नहीं हालांकि ऐसा नहीं है कि हमेशा हम स्टिकी एंड्स मिले कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जो कटिंग होती है यह कुछ इस तरीके से होती है कि हमें ब्लंट एंड्स भी मिलते हैं अब सोच कर देखो मतलब लेट असे कोई भी रैंडम अगर एंजाइम हो जो एक्साइट बीच से कट करें तो उसके इसमें में क्या होगा जो दोनों टुकड़े हमें मिलेंगे वह दोनों टुकड़ों में कहीं पर भी सारे बेस पेयर्स होंगे जिनके पेयर्स होंगे लाइक राइट तो उस केस में क्या हो गया हमें वह ब्लंट एंड्स मिलेंगे ठीक है तो फिलहाल हमने एग्जांपल्स देखे इक गया वहीं पर यह कट मार देते हैं तो चलो भाई अब देखते हैं नाम करन किसका नाम करन रेस्ट्रिक्शन एंजाइम्स का है ना तो शुरुआत करेंगे इको आरवन के एग्जांपल से ठीक है इको आरवन भी बहुत लोग बोल देते हैं और इको आरवन भी लेते हैं ठीक है हालांकि है यह आई नहीं यह है रोमा नंबर वन ठीक है तो देखो नाम कहां से आया यह जीव से टू पहला लेटर होता है ना मैं मैंने सबसे पहले यह बताया था कि यह जो रेस्ट्रिक्शन एंजाइम्स होते हैं यह कहां पाए जाते हैं यह बैक्टीरिया में पाए जाते हैं राइट यह मैंने बहुत शुरुवात में बताया था तो जिस बैक्टीरिया में यह पाए जाते हैं उस बैक्टीरिया का जो ज तो वहाँ से आ गया E, उसका जो species है, that is, coli, वहाँ से आ गया है, अगले दो letters, that is, CO, ठीक है, तो यानि कि कोई भी restriction enzyme का जो पहला letter होता है, वो आता है, bacteria के genus से, अगले जो दो letters होते हैं, वो आते हैं, bacteria के species से, उसके बाद जो अगला letter होता है, जो कि यहाँ पर R है, वो बता वन है, यह बताता है कि किस order में वो enzyme extract हुआ है, जैसे माल लो कि एक bacteria से, शायद बहुत सारे enzymes extract हुए हो, जो पहले extract हुआ है, उसके लिए वन डाल देंगे, जो दूसरा extract हुआ है, उसके लिए टू डाल देंगे, थ्री डाल देंगे, and so on, ठीक है, तो इस तरीके से आता है restriction enzymes के नाम, कुछ और examples देखते हैं, जैसे HIND 2, HIND यह कहां से आया है, H stands for Haemophilus, IN stands for Influenza, बैक्टेरिया से यह मिला है हमें एंजाइम that is hemophilus influenza, D इसका strain बताता है और 2 बताता है किस order में यह एंजाइम एक्स्ट्राक्ट हुआ है, BAM HI, यहाँ पर BAM क्या बता रहा है, Bacillus amylolyquefaciens, यानि कि इस बैक्टेरिया से हमें मिला है, H बताता है इसका strain, और जो 1 है वो क्या L है Albus, तो Streptomyces Albus से हमें ये enzyme मिला है, and of course 1 जो है वो क्या बताता है, किस order में ये enzyme extract हुआ है, तो I think with this restriction enzymes की naming कैसे हो रही है, ये तो clear हो गया होगा, तो बई अब restriction enzymes के बारे में basic जानकारी तो हो गई, अब चलो इनके working पे focus करते हैं, तो जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि हर एक restriction enzyme जो है, वो किस की तलाश में रहता है, वो अपने recognition sequence की तलाश में रहता है, जो कि कई बार palindromic sequence होता है, अब यहाँ पर मैं ले कर आ गई एक नया term, which is palindromic, palindromic जो word है, यह palindrom से आया है, palindrom का मतलब क्या आपको पता है, क्या होता है, palindrom का मतलब basically होता है, कि कोई भी ऐसा sequence of characters, जो forward या backward एक ही जैसा read करें, for example, level, इसको आगे से पढ़ो तो भी level, जैसे कि madam, M A D A M आगे से पढ़ो तो भी madam, पीछे से पढ़ो तो भी madam, तो ये कुछ palindromes के example है, अब बहुत बार क्या होता है, कि ये जो recognition sequences होते हैं, जैसे मानलो मैं eco R1 की बात करती हूँ, तो उसका recognition sequence क्या होता है, G A T C, ये होता है recognition sequence, तो अगर इस recognition sequence को बड़े ध्यान से देखो, वो complementary strand को अगर आप पीछे से पढ़ो तो क्या है? सेमी है पीछे से अगर आप पढ़ो तो G-A-A-T-T-C ही तो है तो यानि कि ये दोनों palindromes हैं राइट, तो इस तरह के रेकजन, जैसे तो ECO R1 के केस में हम कह सकते हैं, यह भाई इसका जो रेकजन सीक्वेंस है न, वो पैलिंड्रॉमिक सीक्वेंस है, है न, हाला कि आप इस गलत फहमी में मत रहना, कि DNA स्ट्रांड के उपर सारे कॉंप्लिमेंटरी सीक्वेंस पैलिंड् बट इनकी complementary strand पे they are not palindromic, आगे से पड़ो, पीछे से पड़ो, ये अलग है, तो बोले का मितलब है कि कुछ restriction enzymes के जो ये recognition sequences होते हैं, ये कैसे होते हैं, ये palindromic sequences होते हैं, और ये जो restriction enzymes होते हैं, वो इन ही sequences की तलाश में होते हैं, तो अभी हम लोग restriction enzyme के working को समझेंगे, taking the example of ECO R1 as usual अपने recognition sequence की तलाश में है जो की है G A T C, जैसे ही इसे अपना ये recognition sequence मिल जाता है, जैसे ही वो इस recognition sequence को identify कर लेता है, तो ये DNA के साथ खुद को bind कर लेता है, और bind करने के बाद ये क्या करता है, DNA के दोनों strand में, G और A के बीच में ये cut लगाता है, right, ध्यान देने वाल जो restriction endonuclease enzyme होता है ये दोनों ही strand में same basis के बीच में cut लगाता है दोनों ही strand में देखो ECO R1 क्या करता है G और A के बीच में cut लगाता है ठीक है ये cut लगाने के बाद हमें क्या मिल जाते हैं हमें DNA के pieces मिल जाते हैं और उन pieces में होते हैं क्या sticky ends तो इस तरीके से जो restriction endonuclease है ना ये DNA scissors का काम करती हैं और इस तरीके से ये DNA को specific positions पर cut करती हैं, तो चलो बच्चो, अब हम लोग देखेंगे, r-DNA formation, recombinant DNA कैसे बनता है, बहुत interesting है, बहुत मज़ा आने वाला है, ठीक है, तो अभी तक हमने क्या देखा कि भाई, हमने एक foreign DNA, foreign DNA कहेंगे इसको हम, मतलब कोई ऐसा DNA, जिसके अंदर हमको अब हमारा अगला स्टेप क्या है कि ये जो कटपीस डियने है इसको हम क्या करना चाहते हैं वेक्टर डियने यानि की प्लाजमिट डियनी के साथ इसको हम बाइंड करके आर डियने बनाना चाहते हैं ठीक है ये हमारी कहानी है अब ये बनेगा कैसे ये देखते हैं ठीक है यह वही enzyme हमारे vector DNA को भी cut करेगा, फिर से सुनना, जो enzyme, जैसे माल लो अभी हम eco R1 की बात कर रहे थे, तो eco R1 जो हमारा restriction enzyme है, अगर eco R1 हमारे foreign DNA को cut करके वो cut piece DNA निकाल रहा है, तो eco R1 को ही हमारे vector DNA को भी cut करना है, ऐसा क्यूं? ऐसा इसलिए कि अगर same enzyme दोनों को cut करेगा, तो क्या होगा? जो sticky ends हमको foreign DNA में मिलेगा, उसी का complementary sticky end हमको कहां मिलेगा, हमको vector DNA में मिलेगा, जब complementary sticky ends होंगे तो वो आपस में जुड़ जाएंगे और इस तरीके से हमें R DNA मिलेगा, समझ में आया, नहीं समझ में आया, कोई बात नहीं, अच्छे से step by step example के साथ समझेंगे, तो example लेंगे हम eco TTC हमें पता है जब भी ये sequence दिखता है तो ये G और A के बीच में लगा देता है cut ठीक है अब माल लो हमारे पास है ये foreign DNA ठीक है foreign DNA मतलब इस DNA के अंदर मेरे को मेरा gene of interest मिला है ठीक है तो अब इस foreign DNA के अंदर हमारा जो enzyme है वो कौन है eco R1 ने cut लगाया तो हमें क्या मिला हमे अब मान लो कि यह हमारा वेक्टर डीएने है ठीक है अब वेक्टर डीएने में भी हम इनको आरवन से ही कट लगाएंगे क्योंकि वेक्टर डीएने कैसा है प्लाजमी डीएने सर्कुलर डीएने है तो उस सर्कुलर डीएने का भी आपको कुछ पोर्शन को तो पर भी कट हमने किससे करवाया हमने करवाया इको आरवण से ठीक है अब ECO R1 से करवाया तो यहाँ पर भी ECO R1 ने G A T C को ढूंडा और G और A के बीच में कट लगाया तो यहाँ पर भी हमें क्या मिल गया हमें मिल गया DNA pieces with sticky ends अब देखो मज़दार बात दोनों ही तरफ जो sticky ends हमें मिला है वो sticky ends तो भाई complementary है और ऐसा अजूबा हुआ कैसे ऐ तो हमें same enzyme को use करना है vector DNA को cut करने के लिए, उसी को use करना है foreign DNA को cut करने के लिए, ठीक है? अब क्या हो गया? इन दोनों में क्या है? sticky ends तो है ही, साथे साथ complementary sticky ends है, तो as a result क्या हुआ, ये दोनों क्या हो गए, दोनों जुड़ गए, correct, कैसे जुड़े, जुड़ने में मदद की एक enzyme ने, जिसे हम कहते है DNA ligase, और जैसे ही ये जुड़ गए, तो हमें क्या मिल गया, हमें मिल गया recombinant DNA, कॉम्बिनांट, मतलब combine करके, recombine करके जो DNA बन रहा है, that is recombinant DNA या फिर rDNA, तो बच्चों अब यहाँ पर आती है एक और सोचने वाली बात ठीक है हमने क्या देखा हमने देखा कि भाई restriction enzyme जो है इसने क्या किया किसी foreign DNA से हमाई DNA cut pieces दिये ठीक है अब बहुत logically सोचो अब एक जो DNA है अब माल लो मैं eco R1 की बात कर रही हूँ तो वो तो सिर्फ यही डूं� अब ये G, A, T, C उसे कई जग़र देखने को मिल सकता है तो जहां उसे वो दिखेगा वहां वो G और A के बीच में कट लगाता जाएगा इसका मतलब है restriction enzymes के action से हमें ऐसे बहुत सारे DNA fragments मिलेंगे right but क्या हम इन सारे DNA fragments में interested हैं नहीं हमारा interest क्या है हमारा interest है gene of तो अब सवाल ये उठता है कि इतने सारे जो DNA fragments हमें restriction endonuclease ने दिया है, इसमें से कौन सा वाला DNA fragment को plasmid DNA के साथ जुड़के recombinant DNA बनाना है, recombinant DNA कैसे बनेगा वो तो हमने देख लिया, बट question आप समझो, अच्छे से question को समझो, कि बई restriction enzymes ने हमें बहुत सारे DNA fragments दिया है, बट इसमें से कौन सा वाला DNA fragment जिसके अंदर gene of interest हो, जिसको प्लाजमिट डियने के साथ कमबाइन करके R-DNA बनाना है, यह हम कैसे पता करें? तो यहाँ पर काम आता है जल इलेक्ट्रोफोरेसिस. तो जल इलेक्ट्रोफोरेसिस एक ऐसा टेकनीक है, जिसके हेल्प से यह जितने भी डियने फ्राग्मेंट्स होते हैं, इन सारे डियने फ्राग्मेंट्स को हम सेपरेट आउट करते हैं, और उसके बाद हम आइडिंटिफाई करते हैं कि कौन सा वाला डियने फ्राग्मेंट जो है, यह R-DNA बनाएगा प्लाजमिट डियने के साथ बाइंड करके. ठीक है तो चलो अभी समझेंगे हम लोग जेल एलेक्ट्रोफोरेसिस सबसे पहले इसका सेट अप समझते हैं तो इसके सेट अप में होता है आगरोस जेल जिसे हम डिराइव करते हैं फ्रॉम सी विड ठीक है यह जेल का यूज हम इसलिए करते हैं क्योंकि इसके ऊपर जो डि� तो जब हम electric field apply करते हैं, तो क्या होता है? DNA जो है, ये negatively charged होता है, पता था कि नहीं था? नहीं पता था? अब DNA के structure को ही देख लो, इसके अंदर phosphate group होता है, और phosphate group क्या होता है? PO4 3-, phosphate group में negative होता है भाई, तो यानि कि DNA negatively charged होता है, अब जैसे ही आपने electric field apply कर दिया, तो negatively charged DNA किस तरफ भागेगा? Positive की तरफ भागेगा? है कि नहीं? Positive potential की तरफ भागेगा? अब ये जो DNA fragments हैं कुछ छोटे हैं, कुछ बड़े हैं, कुछ heavy हैं, कुछ light हैं तो जाहिर सी बात है कि भाई जब heavy particle होगा तो वो धीरे भाग पाएगा जब light particle होगा बड़ी तेजी से भागेगा तो मतलब आपने देखा ही होगा अगर कोई बंदा बहुत तो उसके भागने के speed generally थोड़ी कम होती है, हाला कि अगर कोई बहुत healthy है तो शायद it's vice versa for them, but normally हेवी बल्की होता है तो वो धीरे भाग पाता है लेकिन वही कोई बहुत स्लिम ट्रिम सा बंदा हो तो एकदम फटा-फटा से भाग लेता है ना तो कुछ ऐसा है यहां पर होता है तो जो हेवी फ्राग्मेंट्स होते हैं वो थोड़ा सा धीरे भागते हैं जो लाइट फ्रा� कर जाते हैं तो हम electric field को switch off कर देते हैं और इन DNA fragments को हम stain करते हैं with ethidium bromide followed by ultraviolet exposure इससे क्या होता है ये fragments visible हो जाते हैं in fact ये जो bands है ना जो हमको अलग-अलग bands की तरह बन रखे थे वो अब visible हो जाते हैं तो जब ये visible हो जाते हैं तो हम अपने पसंदीदा जो भी DNA fragment हमको चहिए उस fragment को हम extract कर लेते हैं लेकिन अब यहाँ पर एक सवाल और आएगा आपकी दिमाग में कि अच्छा मैम अब जब आप यहां से ये पूरे जेल पीस से जब आप उस वाले डियेने फ्रागमेंट को एक्स्ट्राक्ट करोगे मतलब निकालोगे तो बेसिकली सिर्फ डियेने तो रहेगा नहीं डियेने और साथ में वो जेल का पीस भी तो रहेगा तो यानि कि अब अमारे पास एक और काम रहेगा कि उस स्पेसिफिक डियेने फ्रागमेंट को उस जेल पीस में से एक्स्ट्राक्ट करना होगा और यहां हम कहते हैं illusion illusion जो है एक ऐसा process है जिसके help से ये जो DNA है जो इस gel के साथ absorb हो रखा है ध्यान देना absorb नहीं absorb मतलब surface level पे जो DNA है वो इस gel के साथ जुड़ा हुआ है मिला हुआ है right तो इसको उसमें से separate करेगा तो illusion में हम use करते हैं एक solvent जिसे हम कहते है illuent और ये solvent क्या करता है इस DNA को इस gel में से हटा के अपने साथ ले आता है तो ये जो solution हमें मिलता है जिसमें ये solvent होता है और साथ में ये DNA होता है साथ में collect होता है उसे हम कहते है illuate तो basically ये एक ऐसा process है जिसके help से हम DNA को इस gel piece में से extract कर लेते हैं तो बच्चो by the end of this process हमने क्या किया ये gel electrophoresis followed by illusion यह जो दोनों process को खतम करने के बाद हमारे हाथ में क्या आया हमारे हाथ में DNA का वो fragment आया जिस fragment को plasmid DNA के साथ मिल करके R DNA बनाना है बात समझ में आगे यहाँ तक तो यहाँ तक हमारी जो पूरी genetic engineering की कहानी है यह कहां तक बढ़ी सबसे पहले हमने DNA को identify किया था जिसमें genome of interest है फिर restriction enzymes के help से हमने क्या किया उसके fragments बनवाएं अब ये gel electrophoresis और illusion के process से उन सारे fragments में से हमने वो वाला DNA fragment choose किया जिसमें gene of interest है और उसके बाद ये जो है plasmid DNA के साथ मिल करके बनाता है क्या? और DNA जिसे हम कहते है recombinant DNA तो बच्चो अब हमारे हाथ में आ चुका है ये DNA fragment जिसके अंदर हमारा gene of interest है अब इसको कहाँ पर entry लेनी है अब इसको host organism के अंदर entry लेनी है और ये entry लेनी के लिए इसे ज़रूरत है एक vehicle की, exactly, तो इसे ज़रूरत है vector की, vector होता है एक vehicle DNA molecule, जो इस foreign DNA को host organism के अंदर लेके जाता है, ठीक है, अच्छा, तो ये जो vector है, इस vector के अंदर हमें कौन से qualities चाहिए, मतलब कौन सा ऐसा DNA molecule है, जो vector की तरह काम कर सकता है, तो उसमें सबसे पहली quality जो हम ढून रहे हैं, वो ये है self replication की quality, यानि की, वह इंडिपेंडेंटली रेप्लिकेट कर सके इंडिपेंडेंटली वह अपनी मल्टिपल कॉपीज बना सके साथ ही साथ वह इस फॉरेंड डीएने की भी मल्टिपल कॉपीज बना सके फॉरेंड डीएने समझ रहे हो ना क्या है फॉरेंड डीएने बोले तो वह वाला फॉरे राइट रिकंबिनांट डीएने बनाएं जो कि सेल्फ रेप्लीकेशन के केपबल हो ठीक है तो इसका मतलब वेक्टर की तरह काम कौन कर सकता है प्लाजमिट्स हो सकते हैं जो कि सरकुलर डीएने होते हैं जो बैक्टेरिया के अंदर पाये जाते हैं बिसाइड्स द बैक्टेर बैक्टीरियोफेजेस नाम पर मत जाना यह वाइरसेस होते हैं जो बैक्टीरियल सेल्स के अंदर रेप्लिकेट करते हैं और यह जो वाइरसेस होते हैं इनके कॉपी नंबर्स बहुत हाई होते हैं यानि कि यह अपनी बहुत सारे मल्टिपल कॉपीस ब होते हैं तो प्यारे बच्चों अब हमें यह देखना है कि यह जो वेक्टर्स है इन वेक्टर्स में हमें वह कौन से फीचर्स चाहिए ताकि जब फॉरेंड डीएने इस वेक्टर के साथ मिल करके आर डीएने बनाएं तो वह आर डीएने होस्ट परिगानिजम के अंदर जा करके अपने मल्टिपल कॉपी बना सके राइट मतलब कि रेप्लीकेशन कर सके तो इसके और इजिन ऑफ रेप्लिकेशन दूसरा सिलेक्ट बल मार्कर्स और तीसरा यूनिक रेस्ट्रिक्शन साइट तो बच्चों अभी हम लोग इन तीनों फीचर्स को बहुत जादा डेप्ट में डीटेल में समझेंगे विद एग्जांपल्स तो बच्चों सबसे पहले डिस्कस क जो हमारा DNA है, DNA का वो वाला sequence जहां से replication का process शुरू हो रहा है, उसे हम कहते है origin of replication, जिसे short form में हम ORI भी लिखते हैं. तो अब ये जो origin है ये जो DNA का sequence है जहां से replication शुरू हो रही है यहां से कोई भी DNA का piece अगर linked रहे तो वो DNA भी replicate कर सकता है अब host cell के अंदर ये पूरा rDNA का concept ही क्यों था क्योंकि हमारा जो gene of interest था हम चाहते थे कि वो host cell के अंदर जा करके replicate करे बट उसको replicate करने के लिए क्या करना होगा वो DNA का जो piece है that should be linked to the origin of replication of the vector DNA जो हमारा vector DNA है उसके origin वाले part से उसको link होना पड़ेगा ठीक है तो यह होता है origin of replication इसके अलावा origin of replication जो है यह control करता है copy number of DNA copy number बोले तो जैसे मालो जो हमारा target DNA है उस target DNA के हमें जितने number of copies चाहिए अगर हमें multiple copies चाहिए बहुत सारे copies चाहिए तो हमें उस target DNA को एक ऐसे vector के साथ link कराना होगा, जो high copy number support करे, समझ रहे हो, मतलब हर एक vector का ना एक वो होगा, जैसे copy बोले तो, जैसे xerox करते हैं हम, अब मालों कि आपको अपने notes की 5 copy बनवानी है, या फिर आपको अपने notes की 50 copy बनवानी है, या 5000 copy बनवानी है, राइट, ये depend करेगा कि भाई कौन सा machine आपका copy निकाल रहा है, तो कोई काम की नहीं है वो, पर अगर आपको 5000 copies चाहिए तो आपके पास एक ऐसा machine होना चाहिए जो उसके 5000 copy निकाल सके, तो कुछ इसी तरह की बात यहाँ पर भी हो रही है कि यह जो origin of replication होता है न, किसी भी vector का, वो copy number को control करता है, कि भाई जो linked DNA होगा, उसके कितनी copies बनेंगी अब देखो यहाँ पर भी एक अजीब सा abbreviated नाम है, तो चलो इस नाम के पीछे की कहानी भी देख लेते हैं, P stands for Plasmid, जैसे मैंने इसके पहली ही बताया था, कि कौन-कौन सी चीज़े हैं, जो vector की तरह काम कर सकती हैं, जिसमें से एक था Plasmid, तो यह P stands for Plasmid, BR जो है, यह scientist के न वॉलिवर एंड रोडरिग्स तो इस तरीके से यह नाम आया पी बी आर ठीक है तो बच्चों अभी फिलहाल हम लोग यह देख रहे हैं कि एक वेक्टर में कौन-कौन से फीचर्स होने चाहिए तो पहला फीचर हमने देखा ऑरिजिन ऑफ रेप्लीकेशन इसका होना मस्ट है ताकि वह रेप्लीकेट कर सके होस्ट के अंदर और साथ ही साथ अपने लिंक डीएने को भी रेप्लीकेट करवा सके तो इसी के साथ और इंपोर्टेंट बात बतानी जरूरी है कि बच्चों हमने देखाई रेस्ट्रिक्शन एंजाइम जो है जो कटिंग का काम करते हैं, इनका role बड़ा important है, ठीक है, और restriction enzymes काम कैसे करते हैं, अपने recognition sequence को ढूंढ के ही अपना काम शुरू करते हैं, right, क्योंकि restriction enzymes specific sites पे cut करते हैं, और कहां पे cut करेंगे, वो कौन decide करता है, उनका recognition sequence, इसका ये मतलब है, कि ये जो हमारा vector है, इ तभी तो हमारे रेस्ट्रिक्शन एंजाइम्स काम करेंगे और हमने यह भी देखा है कि अलग-अलग रेस्ट्रिक्शन एंजाइम्स के अलग-अलग रेस्ट्रिक्शन अलग-अलग रेकग्निशन सीक्वेंस होते हैं ठीक है तो अब एग्जांपल के तौर पर अगर आप पी साल वन का एक specific recognition site है उसी तरीके से जो बाकी restriction enzymes है इन सब के अलग-अलग sites है in fact इनका होना बहुत ज़रूरी है ताकि restriction enzymes अपना काम कर सके cutting का तो बच्चो अब हमारा अगला जो feature है that is selectable markers selectable markers क्या होते हैं देखो ये वाला जो topic है ना ये थोड़ा सा complex लग सकता है कुछ बच्चों को हाला कि मैं अपने end से पूरी कोशिश करूँगी तो selectable markers क्या होते हैं? यह बताने से पहले मैं यह बताती हूँ कि कुछ होते हैं antibiotic resistant genes, मतलब ऐसे genes जिनको antibiotic के presence में कुछ फरक नहीं पड़ता है, ठीक है? antibiotic बोले तो ampicillin, tetracycline, chloramphenicol, canamicin, तो यह कुछ antibiotics है, ठीक है? अब हम देखते हैं हमारे vector को जो की है PBR322, अगर आप पीबी आट थी ट्री ट्वेंटी टू को देखो तो इसके अंदर एमपी और टीएटी वाले रीजन्स आपको दिखेंगे यह रीजन्स क्या है यह ऐसे रीजन्स हैं जो हमें रेजिस्टेंस प्रोवाइड करते हैं एगेंस्ट एंपीसिलिन जो कि एक एंटीबाइ कुछ ऐसे रीजन्स भी होते हैं जो एंटीबाइटिक से जो स्पेसिफिक एंटीबाइटिक से रेजिस्टेंस प्रोवाइड करते हैं ठीक है और इन रीजन्स का होना बहुत जरूरी है और इन ही रीजन्स की बात हम करते हैं इन सिलेक्टेबल मार्कर्ट्स तो सिलेक्टेबल कि कौन ट्रांसफॉर्मेंट है और कौन नोन ट्रांसफॉर्मेंट है अब देखो मैम यहां पर आप फिर से दो नाएं टर्म ले गए आए ट्रांसफॉर्मेंट नोन ट्रांसफॉर्मेंट यह क्या होते हैं अब ट्रांसफॉर्मेंट और नोन ट्रांसफॉर्मेंट वेक्टर के ऊपर पाए जाने वाला कुछ ऐसा region जो हमें transformative और non-transformative के बीच में distinguish कराता है, उसे हम कहते है selectable markers, अब ये कैसे करवाता है, क्यों करवाता है, ये सारी बाते अभी हम देखेंगे, तो चलो भाई सबसे पहले समझते हैं कि transformation होता क्या है, टिकेट, transformation word का मतलब भी क तो हम क्या कहते कि यार उसका तो transformation हो गया है ना मतलब पूरी तरह से वो इंसान बदल गया हो है ना तो कुछ ऐसा ही यहाँ पर भी होता है transformation का मतलब है कि जब हम एक foreign DNA को introduce करते हैं एक host bacterium में तो अब उसके कई consequences हो सकते हैं पहला consequence यह हो सकता है कि जो host bacterium है वो non transformed रह जाए उसको घंटा वरक पड़ता है कि भाई तुमने क्या foreign DNA डाला उसके अंदर उसको लिया ही नहीं वो जैसा था वो वैसा ही रह गया यानि कि पहले सेनारियों में हमारा होस्ट बैक्टीरियम कैसा रह गया नॉन ट्रांसफॉर्म उसमें कोई बदलाव नहीं आया दूसरे सिचुएशन में क्या हुआ वह ट्रांसफॉर्म को हुआ बट विद नॉन रीकंबिनांट वेक्टर मतलब इसके अंदर देखो वेक्टर जो है वह गुशा तो सही वेक्टर इंट्रोड्यूस तो हुआ तो अगर बड़े ध्यान से देखो तो यह rDNA नहीं है, यह recombinant vector नहीं है, इसका मतलब इसके अंदर हमारा जो वो gene of interest था, वो missing है तो vector तो चला गया इसके अंदर बट इसके अंदर हमारा gene of interest missing है, तीसरा situation, third scenario यह bacterium जो है हमारा जो host bacterium है, वो transform हुआ, with recombinant vector, ठीक है तो ये तीन possible scenarios हैं, अब साफ पता चल रहा है कि पहले scenario में हमें जो मिल रहा है, that is a non-transformant, जो transform हुआ ही नहीं है, दूसरे और तीसरे scenario में हमें जो मिल रहा है, they are transformants, ठीक है, ये बात समझ में आई, great, आप देखो, अगर इन तीनों को, इन तीनों का behavior, अगर हम लोग antibiotics मे अब मान लो जो पहला जो बैक्टेरिया है जो non-transformed है उसको अगर हम antibiotic में डाल दे तो क्या ये grow करेगा बिलकुल नहीं करेगा यार क्योंकि antibiotic क्या करता है बैक्टेरिया को मार देता है तो बैक्टेरिया grow कहां से करेगा तो पहले scenario में जो non-transformed है वो grow नहीं करेगा in antibiotic अब बात अब ध्यान से सोचो इसके अंदर क्या है इसके अंदर क्या अलग है इसके अंदर वेक्टर है अभी जैसे माल लो कि ये वेक्टर PBR322 है हमने अभी क्या देखा था PBR322 में कुछ रीजन्स होते हैं जो अंटिबाइटिक रेजिस्टेंट होते हैं जैसे कि PBR322 की जो कि ट्रांसफॉर्म है विद नोन रिकंबिनांट बैक्टेरिया यह एंटीबाइटिक में ग्रो कर सकता है प्रोवाइडेड जो एंटीबाइटिक है वह क्या है या तो एंपिसिलिन है या फिर टेट्रासाइटली है क्योंकि इन इसके पास इन्हीं के रिजिस्टेंट चीन है ठीक है बात समझ में आ गई ग्रेट अब चलते हैं हम तीसरे सिनारियों में जहां पर बैक्टेरियम जो है यह ट्रांसफॉर्म हो चुका है और वह भी विद रिकंबिनांट वेक्टर के साथ ठीक है अ यानि कि इसके अंदर क्या हुआ है जो vector है उस vector के एक रीजन में एक सेक्शन में आके जुड़ गया है हमारा जीन ऑफ इंटरेस्ट अब यहां पर जो है कहानी में थोड़ा सा ट्विस्ट आ जाता है क्या होता है लेट अ सपोस्ट ऐसे इमेजिन करो यह जो जीन ऑफ इंटरेस्ट है ना यह आके अम्पिसिलिन वाले रीजन में ज वहीं पे जो है ये हमारा foreign DNA जो है यानि कि ये जो हमारा gene of interest है वो आके जुड़ गया है ठीक है इसके जुड़ जाने से क्या हुआ भाई ये आके चिपक गया वहाँ पे तो यानि कि वहाँ पर जो ampicillin resistant genes produce हो रहे थे वो अब नहीं होंगे यानि कि ये जो ampicillin resistant जो region था वो in तो यानि कि इस third situation में क्या होगा? ये tetracycline medium में तो grow करेगा, लेकिन ampicillin medium में grow नहीं कर पाएगा, यानि कि अब इसका क्या हो गया? एक जो side है ना, वो block हो गया, और block किसने किया? किसने inactivate किया? किसने inactivate किया? हमारे gene of interest ने inactivate किया, तो ये पूरे तीनो cases आपको समझ में आए, अब इन तीनो cases से हमें क्या पता चल रहा है? हमें ये पता चल रहा है कि भाई ये जो vector है ना हमारा ये जैसे for example यहाँ पर हमने PBR322 की बात करी, PBR322 के ये जो antibiotic resistant जो regions हैं, इन regions की होने की वजह से हमको ये पता चल सकता है कि भाई कौन transformant है और कौन non-transformant है, right, क्योंकि जो transformant होगा वो antibiotic से resistant होगा तो antibiotics में भी वो grow कर पा� तो इस तरह के differences की वज़े से ये जो selectable markets हम इनी regions को कहते हैं, जो regions antibiotic resistant genes बनाते हैं, तो ये वाली regions का यही significance है, ठीक है? अब यहाँ पर जो हमने third situation देखा, वहाँ पर हमने एक बहुत ही interesting चीज़ देखी, कि जैसे ही हमारा gene of interest आके जुड़ा, तो उसने एक region को तो inactivate कर दिया, है न? third situation को थोड़ा सा और depth में देखते हैं, तो बच्चों यहाँ पर आता है एक concept जिसे हम कहते है insertional inactivation, बड़े द्यान से देखो insertional inactivation मतलब किसी चीज के insert होने की वज़े से किसी चीज का inactivate हो जाना, कौन सी चीज insert होती है और कौन सा चीज inactivate होता है, देखो वही हमारे third scenario को थोड़ा deep dive करेंगे ठीक है, यह हमारा PBR 322 vector है जिसके अंदर ampicillin resistant genes भी हैं और इसके अंदर हमारे पास tetracycline resistant genes भी हैं, यानि कि ये दोनों antibiotic resistant genes वाले regions हैं, ठीक है, अब जैसे ही एक foreign gene की entry होती है, तो मान लो कि यहाँ पर जो foreign gene entry कर रहा है, ये आके कहां पे चिपक गया, ये चिपक गया tetracycline TET वाले region पे, तो इसके insert होन जो हमारा TET वाला region है ना वो inactivate हो गया, right, because tetracycline resistant genes जो हैं, वो अब नहीं बन पाएंगे, वो वाला जो gene बनाने का region है, वो तो अब block हो गया है, वो inactivate हो गया है, ठीक है, तो इसे कहते है insertional inactivation, दूसरी तरफ, जो दूसरा antibiotic resistant gene है, ampicillin वाला जो region है, ये कीस काम आएगा, यह काम आएगा to distinguish transformants, क्योंकि यहाँ पर क्या होगा, यह ampicillin resistant genes बनाएगा, तो जो transformants हैं, जो transformed हैं, वही लोग grow कर पाएंगे, right, क्योंकि जो transformed नहीं हैं, वो bacteria ampicillin medium में तो grow कर नहीं पाएगा, क्योंकि antibiotic के presence में bacteria grow नहीं कर पाते हैं, तो इसका मतलब है, यह जो ampicillin वाला यह जो antibiotic resistant जीन वाला region है, यह क्या distinguish करेगा, यह transformants को distinguish करेगा from non-transformants, ताकि transformants grow कर सके, और non-transformants को हम eliminate करते जाएं, ठीक है, तो यहाँ पर एक बहुत ही beautiful, बहुत ही important concept हमें पता चल रहा है, और वो concept क्या है, कि बताओ क्या है इन सर्चनल एक्टिवेशन को कंसेप्ट क्या है बहुत बार एंसीएटी में जो बाप लाइन सुरीट करते हो तो आपको में कंसेप्ट समझ में नहीं आता है इसका कंसेप्ट क्या हुआ कंसेप्ट यह हुआ कि भाई फॉर एंड जीन की एंट्री हुई फॉर एंड जीन की एंट्री की वजह से मेरा एक एंटीबाइटिक रिजिस्टेंट जीन जो है वह इन अक्टिवेट हो गया लेकिन जो दूसरा एंटीबाइटिक रिजिस्टेंट जीन है उसका काम अभी भी क्या रहा तो to distinguish the transformants, ताकि transformants को हम growth का permission दे, यानि कि transformants grow करते रहे, और जो non-transformants हैं, वो eliminate होते रहे, ठीक है, और बच्चों, यही concept है, selectable markers का, क्योंकि यह जो selectable markers है, यह क्या है, यह simply इस vector के उपर ऐसे regions हैं, जो regions यह decide करते हैं, कि कौन से transformants हैं, और वो transformants को grow करने देते हैं, जो non-transformants हैं, उनके growth को eliminate करते हैं, इसलिए इनका नाम रखा गया है selectable markers, क्योंकि इनका काम क्या होता है, select करना, कि भाई जो grow करने लायक है, उनको grow करने देते हैं, जो grow करने लायक नहीं है, उनको grow नहीं करने देते हैं, that is the concept of selectable markers, उमीद है कि I try to make it simple, I try to make it understandable for you, क्योंकि ब एंसी आर्टी की टेक्स्ट बुक में एक पैराग्राफ लिखा हुआ है जिसको पढ़कर आईएंड आयम कन्विंस्ट कि सिर्फ उस एक पैराग्राफ को पढ़कर सिलेक्टेबल मार्कर का कंसेप्ट समझ में नहीं आता है बट आईएंड ओपन इस एक्सप्लेनेशन आपको स तो इसे के साथ हम लोगों ने genetic engineering के इस टूल्स डिसकस कर लिए, हमने restriction enzymes डिसकस कर लिया, हमने vectors डिसकस कर लिया, हमने ligase में डिसकस कर लिया है, तो अब बारी आती है हमारे चौथे important tool की which is host, in fact सरफ host बोलना काफी नहीं है, we should say competent host, competent host क्यों, क्यों गे आप देखो बिच्चो, तो आर डिएने तो तैयार है रिकंबिनांड डिएने हमारा तैयार है कैसे बना वह सब कुछ हमने डिसकस कर लिया है अब बारी है रिकंबिनांड डिएने की फोटो इसे एंट्री रिकंबिनांड डिएने को होस्ट सेल के अंदर एंट्री मानी है जो आपको शायद लग रहा होगा कि बहुत आसान है बट रियालिटी में इतना आसान है नहीं रिकंबिनांड डिएने जो है वह प्रेक्टी होस्ट सेल के अंदर घुस नहीं पाता है क्यों क्योंकि भाई होस्ट सेल क्या है किसी भी और cell की तरह वो भी एक cell है, जिसका एक cell membrane है, और वो जो cell membrane है, उसका structure कैसा है, bilayer lipid structure है, जो phospholipid से बना हुआ है, और ये जो phospholipid वाला जो structure है, ये nature में कैसा है, hydrophobic है, hydrophobic, बोले तो पानी से डर, पानी पसंद नहीं है इसको, और दूसरी तरफ हमारा जो DNA है, इसका nature कैसा है, ये है hydrophilic, लो कर लो ���ात, डीएने इधर हाइड्रोफिलिक है, सेल मेंब्रेन इधर हाइड्रोफोबिक है, तो इन सारे चक्कर में जो डीएने है उसके लिए आसान नहीं होता है सेल मेंब्रेन के अंदर एंट्री मानना, ठीक है, तो मतलब कहानी कुछ ऐसी हो गई कि बही एक पाटी चल रही है कहीं पर तो आप अलाउड हो अंदर जाने के लिए लेकिन आपके पास नहीं है लेकिन फिर भी आपको पार्टी के अंदर जाना है तो क्या उपाय है आप जा सकते हो किसी मेडिएटर के थ्रू हो सकता है यह कोई जान-प्रचान और उस मेडिएटर के थ्रू आपको पार्टी के अंदर इंटरी मिल सकती है तो कुछ वैसी ही कहानी यहां पर है यहां पर जो गैस्ट यानी कि जो आप हो वह कौन है वह आरडीएनए है रिकमिनाइन डीएनए है और पार्टी का जो वेन्यू है वह है होस्ट सेल अ ठीक है अच्छा अब इस आर डिएने को होस्ट सेल के अंदर पार्टी के अंदर एंट्री दिलाने में जो मीडियेटर मदद करेगा वो मीडियेटर है कुछ ऐसे टेकनीक्स जो आर डिएने को होस्ट सेल के अंदर एंट्री देती है तो अभी बच्चों हम लोग डिसकस करने टेक आप आर डीएने तो चलो फटाफट से देखते हैं कुछ ऐसे टेकनीक्स पहला जीन गन मेथड दूसरा इलेक्ट्रोपोरेशन मेथड एंड तीसरा माइक्रोपीपिट मेथड तो सबसे पहले देखेंगे जीन गन मेथड गन मतलब फायरिंग तो यहां पर जो थी कुछ फायरिंग छोटे-छोटे पंक्स्टेन के पार्टिकल्स को कोट कर दिया जाता है डीएने से जिसकी बदली करानी है यार और इन छोटे-छोटे पार्टिकल्स को फायर किया जाता है विद अब वेरी हाई वेलोसिटी इन इंटू द न्यूक्लियर्स ऑफ थे होस्ट सेल मतलब सीधा होस्ट सेल के न्यूक्लियर्स के अंदर इनको फायर कर दिया जाता है तो यह होता है जीन गन मेथड जिसे बायो रिस्टिक्स भी कहा जाता है तो बच्चों अगला मेथड एलेक्ट्रो पोरेशन मेथड के नाम पर ही पता चल रहा है इलेक्ट्रो पोरेशन यानि कि यहां पर हम यूज करेंगे एलेक्ट्रिक फील्ड का टू मेक द आरेने एंटर इनसाइड तो होस्ट सेल क्या होगा एलेक्ट्रिक फील्ड एप्लाई करने से जो सेल मेंब्रेन की जो परमीबिलिटी है मतलब सेल मेंब्रेन की परमिट करने की जो एबिलिटी है वह बढ़ जाएगी और एप्लाइंग एलेक्ट्रिक फिल्ड जिसकी वजह से हमारा जो आरेन है वह फटाफट से सेल के अंदर घुश जाएगा तो इसका एक प्रॉफर सेट अप होता है जैसे कि सीएट प्लस जैसा एक डाइवालेंट एलेक्ट्रोलाइट होता है अ फिर एक electric potential apply किया जाता है या फिर आप कहलो electric field apply किया जाता है जिसकी वजह से जो हमारा host cell है उस host cell के membrane के across भी एक potential difference develop हो जाता है जिसके कारण हमारी host cell के अंदर में जो है ज्यादा positive charge होता है और हमें तो पहले से ही पता है कि हमारा DNA negatively charged होता है after all उसमें phosphate ion है तो इस वजह से हमारा DNA जो है वो cell membrane के pores के थूँ फटा फट से entry मार लेता है inside the host cell. हमारा तीसरा method है micro pipette method, pipette method से ही समझ में आ रहा होगा कि यहाँ पर हम क्या करते हैं, हमारा DNA को directly host cell के nucleus के अंदर inject कर देते हैं, यूजिंग अ माइक्रो पिपिट इस मेथड को इसी वजह से माइक्रो इंजेक्शन मेथड भी कहा जाता है मतलब एक तरीके से ना जो आइटम को अंदर घुसाना है उसको सीधा का सीधा इंजेक्ट कर दो अंदर जहां डालना है इसलिए इसको कहा जाता है माइक्रो इंजेक यह देखते हैं कि जिनेटिक इंजिनियरिंग का जो यह पूरा प्रॉसेस है इसके सारे स्टेप्स देखते हैं और साथ ही साथ यह भी देख लेंगे कि हम कौन से स्टेप तक अभी तक पहुंचे हैं तो हमारा सबसे पहला स्टेप जिनेटिक इंजिनियरिंग का होता है आइडेंटीफाइंग डिजायर्ड जीन मतलब हमको जो जीन चाहिए उस जीन को तो सबसे पहले आइडेंटिफाइंग करो है कि ने दूसरा स्टेप हमारा क्या होता है कट डीएने अब जो भी हमारा जीन ऑफ इंटरेस्ट है उस जीन ऑफ इंटरेस्ट हमको फॉर इंडियन से कट करना है रेस्ट्रिक्शन एंजाइम के help से जो हमारा vector DNA है उसको cut करना है restriction enzyme के help से ताकि ये vector DNA और foreign DNA का जो piece है ये दोनों मिल करके बना सके rDNA यानि कि recombinant DNA इसके बाद क्या होता है recombinant DNA को insert किया जाता है into the host cell इसके बाद क्या होता है हमारा जो gene of interest है उसके multiple copies बनाये जाते हैं और ये multiple copies बनाने में मदद करता है कौन polymerase chain reaction PCR इसके बारे में भी हम लोग अभी डिटेल में डिसकस करें के इसके बाद हमें क्या मिलता है हमें मिलता है एक foreign gene product so obtaining foreign gene product और अगर आप इस प्रश्न हमारा जीन ओफ इंटरेस्ट किदर है, अब जीन ओफ इंटरेस्ट तो डियने में ही लोकेटेट रहेगा, जाहिर सी बात है, लेकिन मेरे को डियने को आइसोलेट करना है इन प्यूर फॉर्म, अब ये अपने आप में ही एक काफी tedious task है क्योंकि हमारे body के cell के अंदर DNA अकेला तो बैठा होता नहीं है साथ में proteins रहते हैं, lipids रहते हैं, RNA रहते हैं तो इन सब को हटा के मुझे सिरफ और सिरफ DNA चाहिए in pure form तो चलो अब हम लोग देखेंगे कि कौनों कौन से चीज़े हैं जो मदद करती हैं टू आइसोलेट डीएने तो बच्चों नोटिस करते हैं कि बहुत सारे ऐसे एंजाइम्स हैं जो डीएने आइसोलेशन में हमारी बहुत मदद करते हैं कैसे मदद करते हैं यह बेसिकली क्या करते हैं कि डीएने के अलावा जो बाकी सारे कंपोनेंट चाहे प्रोटीन से लिपिट से आ रहे नहीं है इन सब का ब्रेकडाउन कर देते हैं तो चलो देखते हैं ऐसे लिस्ट ऑफ एंजाइम्स तो पहला एंजाइम है सेल्यूलेज सेल्यूलोज के ब्रेकडाउन में मदद करता है उसी तरह से पेक्टीनेज के ब्रेकडाउन में मदद करता है करता है और पेक्टीन जो है वह सेल वॉल का एक बहुत इंपोर्टेंट कंपोनेंट होता है काईटीन इस यह काईटीन के ब्रेकडाउन में मदद करता है और काईटीन जो है यह फंगल सेल वॉल का एक बहुत इंपोर्टेंट कंपोनेंट होता है प्रोटीएज यह प्रोटीन के ब्रेकडाउन में मदद करता है इन फैक्ट अगर आप देखोगे तो डीएने के काफी क्लोस कनेक्शन में पाया जाता है हिस्टोन प्रोटीएंस ठीक है तो उनके ब्रेकडाउन में मदद करता है प्रोटीएज इसके breakdown में मदद करता है और फाइनली लाइपेज जो लिपिड्स के ब्रेकडाउन में मदद करता है और लिपिड���स कहां पाया जाता है सेल मेंब्रेन में पाया जाते हैं लिपिड्स है तो यहां पर हम क्या देख रहे हैं कि यह सारे के सारे इंजाइम में यह क्या करते हैं अलावा जो बाकी चीजें हैं उन सब के ब्रेकडाउन में मदद करते हैं तो जब सारी चीजें ब्रेकडाउन हो जाती है तो बचता क्या है डीएने तो हम बड़ी आसानी से डीएने को आइसोलेट कर लेते हैं तो भी जेनेटिक इंचिनियरिंग में एक बार जब हमने डीएन enzymes हमारे foreign DNA के specific location से उसे cut करता है और इस तरीके से हमें हमारा desired cut piece DNA मिल जाता है ठीक है अब ये जो DNA fragments हमें मिलते हैं इन DNA fragments को हम separate out करते हैं using gel electrophoresis और gel electrophoresis के बाद illusion के process को करने के बाद हमें क्या मिल जाता है हमारा desired DNA fragment जिसमें हमारा gene of interest होता है ठीक है अब हम क्या करते हैं अब हम वापस उसी restriction endonuclease enzyme के help से हमारे vector DNA यानि प्लाजमेट DNA को भी cut करते हैं और प्लाजमिट डीएने और हमारा यह कट पीस डीएने जिसमें हमारा जीन ऑफ इंटरेस्ट है यह दोनों मिल करके बनाते हैं रिकॉम्बिनेंट डीएने जिसे हम कहते हैं आर डीएने और यह दोनों मिल करके जब आर डीएने बनाते हैं तो यहां पर अब जैसा कि मैंने इस वीडियो के शुरुवात में भी कई बारी बात बताई है कि हम सरफ ये नहीं चाहते हैं कि जीन ओफ इंटरेस्ट एक ओर्गानिजम में हो हम चाहते हैं कि ये जीन ओफ इंटरेस्ट उस ओर्गानिजम के आने वाली प्रोजेनी में भी हमें दिख कि इस जीन आफ इंटरेस्ट की मल्टिपल कॉपीज बनाई जाए तो जीन आफ इंटरेस्ट की मल्टिपल कॉपीज कैसे बनती है बाय ए टेकनीक कॉल्ड पी सी आर जिसका फुल फॉर्म है पॉलिमरेज चेन रियाक्शन और इस टेकनीक को पहली बार डेवलप की किया गया था इन नाइन टी नाइटी थ्री बाइट कैरी म्यूलिस तो इस टेक्निक के अंदर जो हमारा जीन ऑफ इंटरेस्ट यानि कि कोई भी एक पीस ऑफ डीएने है या वह डीएने का एक सीक्वेंस है उस सीक्वेंस के मल्टिपल कॉपीज बनाये अंदर हमारा जो जीन ऑफ इंट्रेस्ट है या फिर हमारा डीएने का जो वाला पोर्शन है जिसके हम मल्टिपल कॉपीज बनाना चाहते हैं वो लोकेटेड हो क्योंकि इसी डीएने के बेसिस पर हम कॉम्प्लीमेंटरी स्ट्रांट्स बनाकर इनके कॉपीज बना चेक नंबर टू हमें जरूरत होगी आप डीएने पॉलिमरीज एंजाइम की इस एंजाइम का सबसे क्रूशियल रोल होता है इस प्रोसेस में इस एंजाइम का काम क्या होता है यह टेंपलेट स्टैंड को रीड करता है और उसके कॉंप्लीमेंटरी न्यूक्लियोटाइड्स क मदद करता है DNA Polymerase Enzyme, in fact इस process को हमने काफी बारीखी से Molecular Basis of Inheritance वाले lesson में भी देखा है, ठीक है तो ये थी हमारी दूसरी result जरूरत और जो हमारी तीसरी जरूरत है थर्ड इंपोर्टेंट थिंग जो हमें चाहिए पीसी आर के लिए वह है टू सेट्स ऑफ प्राइमर्स क्या होते हैं प्राइमर्स जो वर्ड है यह प्राइमरी से आया है प्राइमर्स जो है यह समझ लो ऑलीगो टाइट से ऑलीगो मतलब फ्यू मतलब थोड़े बहुत नूक्लियो टाइट साथ में जुड़ करके बनाते हैं ऑलीगो टाइट तो ऐसे चोटे-चोटे ओलिगोटाइड्स जो इस पूरे प्रोसेस की शुरुआत करते हैं, मतलब ये जो मैंने बोला कि DNA Polymerase जो है, ये नूक्लियोटाइड्स को जोड़ के पूरी स्ट्रैंड बनाता है, बट ये प्रोसेस शुरु कहां से होता है, तो ये प्रोसेस शुरु अब ये primers जूड़ते कहां हैं तो हमारे पास होता क्या है पहले सबसे पहले हमारे पास एक DNA template होता है अब DNA double stranded structure है यानि कि एक strand जो है वो 5 prime to 3 prime है दूसरा strand जो है वो 3 prime to 5 लाइफ प्राइम है ठीक है यह बातें तो हमें पता ही है तो अब हम क्या करते हैं दोनों ही स्ट्रैंड के थ्री प्राइम एंड पर यह प्राइमर्स लगे होते हैं राइट तो दोनों ही स्ट्रैंड के थ्री प्राइम एंड के कंप्लीमेंटरी थ्री प्राइम एंड के कॉंप्लिमेंटरी में ये जो हमारे ओलिगोटाइट्स है या फिर ये जो प्राइमर्स है ये लगे होते हैं और उसके बाद डिने पॉलिमरेज अपना काम शुरू कर देता है और उसके बाद यहाँ पर ये जो प्राइमर्स लगे वे थे ये प्रा पूरा जो है चेन बनाने लग जाता है by the action of DNA polymerase ठीक है तो मतलब खुल मिला के जो PCR होता है polymerase chain reaction जो होता है इसके अंदर हमें सबसे पहले DNA template चाहिए एक DNA polymerase enzyme चाहिए और दो set of primers चाहिए ताकि हम लोग इस chain reaction की शुरुवात कर सकें तो प्यारे बच्चो चलो अब हम लोग PCR को देखेंगे step by step तो इसे हम बच्चो कवर करेंगे पांथ step में जिसमें से पहला स्टेप है इनिशियल आइजेशन नाम से ही बता चल जाए इनिशियल आइजेशन हम कौन सी चीज इनिशियेट करें बेसिकली इस पूरे प्रोसेस को इनिशियेट करें इनिशियेट करने के लिए किसको अक्टिव डीएने पॉलिमरेज को एक्जाक्टली कि यह ऐसा एंजाइम है जो इस पूरे प्रोसेस में सबसे क्रूशियल रोल प्ले करता है ओके अच्छा डीएने पॉलिमरेज को अटिवेट करते कैसे हैं हम हीट से अक्टिवेट करते हैं इसको तो डीएने पॉलिमरेज अटिवेट करने के लिए हम इसे हीट करते हैं फॉर वन टू नाइन मिनट टू टेंपरेचर ऑफ अराउंड 96 डिग्री सेल्चियस अब यहां पर एक इंट्रेस्टिंग चीज नोट करना बच्चों कि हर एक स्टेप में जो टेंपरेचर है ना वह अलग होगा तो टेंपरेचर का जो वर्योशन है वह बहुत ही ब्यूटिफुल है एड एवरी स्टेप ऑफ पीसी आर ठीक है तो यह था हमारा पहला स्टेप जिसमें हमने क्या किया सिर्फ और सिर्फ हीट के हेल्प से हमने डीएने पॉलिमरेज को अक्टिवेट किया एंड इस इनिशियलाइजेशन ठीक है हमारा अगला स्टेप नंबर टू डेट इस डी नाचिरेशन में हम क्या करते हैं कि डीएने के जो दो स्ट्रैंड है डबल स्ट्रैंड स्ट्रॉक्चर है तो यह जो दो स्ट्रैंड से हम इन दोनों स्ट्रैंड को सेपरेट करना चाहते हैं कैसे सेपरेट करते हैं हम अब इन दोनों स्ट्रैंड के बीच में रहता है हाइड्रोजन बॉंड्स तो हम इन हाइड्रोजन बॉंड्स को डिसरप्ट करते हैं इनको हम तोड़ते हैं कैसे हीट से एगेन तो यहां पर डिनाचिरेशन में हम इन को हीट करते हैं टू टेंपरेचर आफ एरांड 98 डिग्री सेल्टियर्स मतलब इनिशियल आइजेशन से भी ज्यादा हो गया है यह सेपरेट आउट हो जाए अ ठीक है तो इसे हम कहते हैं डी नैचुरेशन इसे हम डीएने मेल्टिंग भी कहते हैं डीएने मेल्टिंग क्यों ऑफियसी बात है हम टेंपरेचर को बढ़ा के किसी चीज को यूनो सेपरेट कर रहे हैं तो इसे लिए डीएने मेल्टिंग अब इसके साथ हम पहुंच जाएंगे हमारे स्टेप नं� अनिलिंग का मतलब क्या होता है to recombine मतलब यहाँ पर हम तोर फोर की बात नहीं करेंगे यहाँ पर हम किसी चीज को combine करेंगे यहाँ फिर bind करेंगे तो अनिलिंग में क्या होता है कि यह जो दो DNA के strand separate हुए इन दोनों strand के 3 prime end पे primers जाके जुडेंगे bind करेंगे primers क्या होते हैं यह मैंने पहले भी बताया था primers क्या होते हैं oligotides होते हैं थोड़े बहुत nucleotides को जोड़ के oligotides बनाया जाता है और ये oligotides जो है ये primers जो है ये 3 prime end के complementary जाके वहाँ पे bind कर जाते हैं और उसके बाद जैसे ही primers जाके जुड़ जाते हैं primers के साथ bind हो जाते हैं कौन DNA polymerase भी जाके bind हो जाता है और उसके बाद DNA polymerase अपना काम चालू कर देगा तो basically annealing वाले step में क्या हो रहा है annealing वाले step में primers जाके bind कर रहे हैं DNA के strands के साथ और डीएने पॉलिमरेज में जाकर बाइंड कर रहा है ताकि वह अपना काम शुरू कर सके अ� देख सोचने वाली बातें बच्चों यहां पर चुकी बाइंडिंग हो रही है तो हमें बहुत हाई टेंपरेचर नहीं चाहिए क्योंकि जेनरली हाई टेंपरेचर में चीजें तूटने लगती हैं तो इस वाले स्टेप में आनिलिंग जो है यह होता है टेंपरेचर नंबर फोर विज एलोंगेशन अ एलांगेशन वह स्टेप है जहां पर हमारे डीएने की पूरे स्ट्रांड अब प्राइमर के बाद बनती है जो नई स्ट्रांड बन रही है ना इनके बनने का पूरा काम होता है एलांगेशन में और यहां पर ऑफिस ली सबसे इंपोर्टेंट रोल प्ले कौन DNA polymerase of course, तो मतलब आप कह सकते हो कि DNA polymerase elongation वाले step में आके ना full fledged अपना काम शुरू कर देता है, इसका काम क्या होता है, वो जो primer, primer किस end पे लगा था, existing strand के 3 prime end के complementary में primer लगा था, तो यानि कि जो नया strand है, उसमें primer किस end पे है, 5 prime end पे है of course, क्योंकि दोनों strands complementary है, अब इस primer के इनको जोड़ते हुए हमारा डिएने पॉलिमरेज जो है यह हमें ना पूरे डिएने की स्ट्रांड बनाता चला जा रहा है तो यानि कि यह जो डिएने का जो स्ट्रांड बन रहा है नया वाला यह 5 प्राइम टू 3 प्राइम डिरेक्शन में बन रहा है है कि नहीं तो इस तरीके से आप यह भी देख रहे हो कि एलोंगेशन वाले स्टेप में जो डिएने पॉलिमरेज है यह अपने बेस्ट परफॉर्मेंस देता है अपना क्योंकि इसका जो सबसे इंपोर्टेंट रोल है वो इसी स्टेज में होता है और डिएने पॉलि अपना बेस्ट आक्शन जो देता है वह किस टेंपरेचर रेंज में देता है लगभग 75 टू 80 डिग्रीज सेल्चिएस इस टेंपरेचर रेंज में डिवे पॉलिमरेज एकदम मस्त परफॉर्म करता है ठीक है अच्��ा इसी स्टेप में हम यह भी से दोनों स्ट्रांड सेपरेट हो गए दोनों स्ट्रांड के कॉंप्लीमेंटरी स्ट्रांड बन गए तो बेसिकली एक डिएने से हमें क्या मिल गया हमें दो डिएने मिल गया अब इन दोनों डिएने के भी फिर से स्ट्रांड सेपरेट हो जाएंगे राइट तो हमें फिर से टोटल कितने डिएने मिल जा रहे हैं आठ डिएने इन आठ डिएने से हर एक से हमें फिर दो-दो मिलेगा तो हमें इस तरीके से देखो यह चेन रिएक्शन है मतलब जो डिएनी की जो कॉपीज वह मल्टिप्ला होती चली जा रही है और इसी वजह से इसे चेन रिएक्शन कहा जाता है अ ठीक और इसी के साथ हम आ पहुंचे हैं हमारे आखरी और पांच में स्टेप में विच इस फाइनल होल्ड नाम से क्या लग रहा है फाइनल है वह लास्ट स्टेप है होल्ड मतलब पकड़कर रखना किसी चीज को स्टोर करना यह किसको स्टोर करेंगे अब कौस हमारे फाइनल प्रॉडक्ट को तो यहां पर हमारा फाइनल प्रॉडक्ट क्या है मल्टिपल कॉपीज ऑफ डीएने यही तो है हमारा फाइनल प्रॉडक्ट है ना यह जो धेर सारे डीएने आपकी कॉपीज में मिली है इनको हम टेंपरेड ली कुछ टाइम के लिए शॉर्ट टर्म स्टोरेज करते हैं इनका और स्टोरेज भी एक प्रॉपर टेंपरेजर पर होना जरूरी है तो कौन से टेंपरेजर पर स्टोर होता है यह 4-15 डिग्रीज सेल्चियस इस इस टेंपरेचर रेंज में हम इन मल्टिपल कॉपीज ऑफ डीएने को स्टोर करते हैं अच्छा यह जो मल्टिपल कॉपीज हमें मिलती है इनको अगर हमें विजुअलाइज करना हो तो कैसे करेंगे कोई बता सकता है इस सवाल का जवाब क्योंकि हम इन डीएने के फ्रागमेंट्स को या इन डीएने पीसेस को देख सकते हैं विजुअलाइज कर सकते हैं किसी के दिमाग में इलेक्ट्रोफोरेसिस में हम फ्रागमेंट को सेपरेट करते हैं और उसके बाद यूवी एक्सपोजर से और उसको स्ट्रेन करते हैं थीडियम ब्रोमाइड से और तब वह विजिबल हो जाते हैं राइट तो अगर विजुअलाइज हमें करना हो था इसमें कुल मिला के फाइव स्टेप्स थे पहला स्टेप था इनिशियलाइजेशन दूसरा स्टेप क्या था डी नाचिरेशन एक्जैक्टली दीसरा था एनिलिंग चौथा इलांगेशन आज अजय को और पांचवा final hold, तो इस तरीके से इन पांचों step के साथ हमारा जो ये पूरा polymerase chain reaction है, वो process complete होता है, तो अगला जो हमारा step होता है इस पूरे genetic engineering process का, वो है insertion of our DNA into the host cell, इसके बारे में हम already पहले discuss कर चुके हैं, कौन-कौन से techniques होते हैं, अब आप मुझे बताओगे, जिससे हम इलेक्ट्रो पोरेशन में था और तीसरा मा तो ये तीन methods होते हैं जिससे हम R DNA को host cell के अंदर insert करवाते हैं अब transformation होगा या नहीं ये depend करता है कि whether host cell ने R DNA को लिया या नहीं ये भी हमने discuss किया था right इफेक्टिवेशन के प्रोसेस के अंदर कि भाई किस केस में अगर वह उसको लेता ही नहीं है आप यह ने भली अंदर गया हो बट सेल ने उसको लिया ही नहीं एक्सेप्ट नहीं किया तो वह नॉन ट्रांसफॉर्म्ड रह जाएगा अगर उसने उसको एक्सेप्ट क तो इसलिए यह डिपेंड करता है सेल के ऊपर वेदर इट टुक द आर डीएने और नॉट ठीक है तो यह तो था हमारा यह वाला स्टेप तो यह सारे स्टेप्स हमने पहले डिस्कस कर लिए बट अभी चुकी हम एक फ्लो में चल रहा है तो हम यह सारे स्टेप बाइस टिप देखते चलेंगे तो बच्चों अब इसी प्रोसेस के साथ जैसे-जैसे हम आ� प्रोडक्ट फॉर इन जीन प्रोडक्ट बोले तो क्या यह जो फॉर इन डीएने था यानी कि इसके अंदर हमारा जीन ऑफ इंटरेस्ट था वह हमने ऑर्गानिजम के अंदर डाल दिया पर हम चाहते क्या है कि वह ऑर्गानिजम के अंदर मल्टिप्लाई करें वह एक्जांपल लूंगी भाई जैली फिश जिस जीन की वजह से ग्लो करता है उस जीन को हमने फ्रॉक के अंदर डाल दिया बट हम चाहते हैं कि फ्रॉक के अंदर जाकर वह एक्सप्रेस हो यानि कि वह जीन वह रिक्वाइड प्रोफी प्रोटीन बनाएं जिसकी वजह से वह ग्लो हमें देखने को मिले तो इसका मतलब है सिर्फ उस जीन का जाना काफी नहीं है जीन का एक्सप्रेस होना बहुत इंपोर्टेंट है और टार्केट प्रोटीन का सिंथेसाइज होना बहुत जरूरी है तो यहाँ पर हम किसकी बात कर उसी के काम आता है bioreactors, तो क्या होते है bioreactors, तो bioreactors large devices होते हैं, जिसके अंदर हम large volume of culture को process करके कुछ useful products बनाते हैं, ठीक है, समझ आया, नहीं आया, अभी समझ में आएगा, तो large बोले तो कितना large, आप ऐसे समझ लो कि बहुत large vessels, जिनकी capacity 100 litres से 1000 litres तक हो सकती है, इतने बड� microbial, plant cells, animal cells, human cells, कुछ भी हो सकता है, और इनको process करके हम कुछ useful products बनाते हैं, जैसे कि मान लो enzymes, right, तो ये जो process होता है, वो इन bioreactors के अंदर होता है, bioreactors कई type के होते हैं, तो बच्चों ये जो bioreactors है, ये कई type के पाए जाते हैं, जैसे कि airlift bioreactor, mist bioreactor, stirred bioreactor, membrane bioreactor तो ऐसे बहुत तरह के bioreactors होते हैं हला कि यहाँ पर हम थोड़ा सा detail में देखेंगे stirred bioreactor, stir का मतलब क्या होता है? किसी चीज को मिक्स करना है एक्जाटली तो स्टिर्र्ड बायो रियाक्टर के कंस्ट्रक्शन को अगर आप देखो तो इनका जो मेन फीचर होता है तैट इस द स्टिर्रर जिससे मिक्सिंग की जाती है प्रॉपरली क्योंकि ये जितने भी रॉ मेटिरियल्स होते हैं इनको ओक्सिजन के चाहिए ताकि ये प्रॉसेस हो सके तो यहाँ पर ये मिक्सिंग भी एंशॉर करता है ये जो स्टिर्रर है और साथ ही साथ ये एंशॉर करता अगर इसके construction को बड़े ध्यान से देखो तो इसमें एक agitator system है जिससे mixing proper होती है, एक temperature control system है, एक pH control system है, साथ ही साथ एक oxygen availability का भी system है, oxygen supply system है, थे थ्रू स्टेराइल एयर की एंट्री होती है इतना ही नहीं इसके में कई सारे सांपलिंग पोर्ट्स है ताकि कम वॉल्यूम में कल्चर को बीच-बीच में परियॉर्डिकली विड्रॉक कर लिया जाए तो इस तरीके से एक ऐसा सा सेट अब बना होता है एक फोन कं सिस्टम भी होता है ना तो इस तरह के बहुत सारे सिस्टम प्लेस है और इस तरह के एक सेटअप को हम कहते हैं स्टूर्ड बायो रियाक्टर तो बच्चों जेनेटिक इंजीनियरिंग के आ चुके हैं हम बिल्कुल आखिरी स्टेप में विच डाउनस्ट्रीम प्रोसेसिंग अब जेनेटिक इंजीनियरिंग में क्या है यह पूरा एक टि कुछ यूजफुल प्रोडक्ट को मनुफाक्चर कर रहे हैं, तो मतलब it is like manufacturing with the help of some raw materials जो की living organisms से हमें मिल रहे हैं, तो genetic engineering के steps जैसे हम देखते आ रहे हैं, उसमें हमें काफी similarity दिख रहे हैं, वहीं उन्हीं चीजों की जो हमने बायो टेक्नोलॉजी के आर डीएने टेक्नोलॉजी में पढ़ा है ना ओके अब डाउनस्ट्रीम प्रोसेसिंग हमारा आखरी स्टेप है जिसमें जो हमारा फाइनल बायो सिंथेटिक प्रोडक्ट हमें मिला जैसे मालो हमारा बायो सिंथे जो final product हमें मिला है, इसकी final round of purification, अब माल लो हमको enzyme चाहिए, तो उसमें सरफ enzyme ही होना चाहिए, इसको downstream processing के अंदर हम क्या करते हैं, सबसे पहले तो हम remove करते हैं जितने भी impurities हैं, insoluble impurities को remove करते हैं, कैसे? फिल्टरेशन और सेडिमेंटेशन जैसे प्रॉसेस है, फिल्टरेशन में वो वैसे ही अलग हो जाएंगे, जैसे चाय चलनी होती है, तो जो चाय की पत्ती है, वो उपर रह जाती है, जो लिक्व तो इस तरीके से separate out कर सकते हैं, इसके अलावा sedimentation के help से कर सकते हैं, बाई जो heavy particles हैं वो नीचे जमा हो जाएंगे, जो liquid हैं वो हमें उपर मिल जाएगा, यह processes anyways आपको पता है, तो यह एक step होता है, जिसमें हम जितने भी insoluble impurities हैं, उनको हटाते हैं, इसके अलावा product isolation, मतलब अगर enzyme हम बना रहे थे, तो enzyme को isolate करो, enzyme को अलग से निकाल दो बाकी सारी चीजों में से, product purification, enzyme को purify करो, ताकि उसमें कोई गंदगी कोई भी undesirable quantities, कोई भी undesirable चीजे present ना हो, and finally product polishing, जो भी enzyme है, उसको एक final round of polish तो, ताकि हमारे पास एक purified, polished, final product ready रहे, ठीक है, तो इसी के साथ खतम होता है हमारा genetic engineering के सारे steps, ठीक है, तो इस पूरे lesson में बच्चों हमने क्या किया पढ़ा, हमने पढ़ा biotechnology के basis को इसका मिक्स अनमेच करते हैं उस उनके पीछे के प्रोसेस को समझा किस तरीके से वह होता है वह सबकुछ समझा और उसके बाद एक पूरा ओवरव्यू लिया हमने जेनेटिक इंजीनियरिंग के प्रोसेस का इसके अगले वीडियो में हम प्रोसेस है इसको हम किस तरीके से ऐसे एरियाज में यूज करते हैं जो हमें डेट टू डे लाइफ में बहुत काम आपने यह पूरा वीडियो देखा होगा आफ्टर ऑल आप लोगों की तरफ से बहुत हाई डिमांड था इस वीडियो का और मुझे साथ साथ यह भी उम्मीद है कि आप लोगों के कॉन्सेप्ट ऑन बायो टेक्नोलॉजी प्रिंसिपल्स एंड प्रॉसेस हुए होंगे वह जल्द लेकर आऊंगी कुछ और बहुत ही शानदार बहुत ही अमेजिन वीडियो तब तक के लिए स्टेफ टेक केर बाइ