चेप्टर नंबर जो वन है हमारा उसका पहला जो यूनिट है उसका नाम है meaning and scope of accounting ठीक है तो इसमें क्या क्या बाते है हमें पता होनी चाहिए सबसे बहली बात है कि accounting जो है वो क्या होती है accounting is language of business यानि कि business की language को हम accounting कहते हैं दूसरा point है कि transaction और event किसे कहा जाता है तो transaction का मतलब होता है कि जब कोई act हम perform करते हैं मतलब कुछ होना, यानि performance of an act, और उस act के, यानि कि उस transaction का जो परिणाम होता है, उस transaction का जो result होता है, उस result को हम कहते है event. तो event के सिफ दो ही examples हैं, जो हमें याद रखने हैं, एक होता है closing stock का बचना, और एक होता है year के end पर profit या loss का होना, इन दोनों को हम कहते है event. इसके अलावत जो भी चीज़े होती हैं वो, एक तरह से transactions होती हैं, जैसे आपने goods खरीदे, या आपने goods बेचे, या आपने capital invest करी, या आपने कोई expense करा, ये सब चीज़े जो होती हैं, वो transactions होती हैं.
अब एक special point होता है, वो है purchase या sale of fixed asset, अगर हम कोई fixed asset खरीदते हैं या बेचते हैं, तो इसे consider किया जाता है कि ये अपने आप में एक transaction और event दोनों होगा, तो इस पे आप से चोटा सा one number तक का, मला वन नंबर में MCQ फॉर्म में अगर पूछता है तो या फिर ट्रू फॉल्स में क्वेश्चन पूछ सकता है फिर अगला जो टॉपिक होता है वह होता है कि अकाउंटिंग के फंक्शंस क्या होते हैं तो यह जो अकाउंटिंग के फंक्शंस है यह अकाउंटिंग प्रिंसिपल बोर्ड यानि कि एपी बी और वह भी अमेरिका के इंस्टिट्यूट ने यानि कि अमेरिकन इंस्टिट्यूट क्लासिफाइंग का मतलब है ledger, summarizing का मतलब है जिसमें आप final accounts बनाते हो, trial balance and P&L balance sheet, फिर analyzing and interpretation, analyzing और interpretation का मतलब है कि जिसमें हम financial position को analyze करते हैं, accounting reports बनाते हैं, और पाँचवा communicating to user, यानि कि जो भी हमारे results आए, वो results हम अपने users को बता देते हैं, तो उसे बोलते हैं, Communicating to End User. तो APB के तहट, मतलब Functions of Accounting जो हैं, वो पांच हो गए, Recording, Classifying, Summarizing, Analyzing, Interpretation और Communicating to End User. फिर point बन सकता है कि Accounting के Objectives क्या होते हैं, मतलब हम क्यों Accounting करते हैं?
तो Accounting करने के Objective very simple है, पहला, एक तो इससे हमारी Transactions की Systematic Recording हो जाती है, दूसरा, इससे हम अपने results का और अपनी financial position का पता लगा लेते हैं तीसरा हम अपने users को सही जानकारी दे देते हैं ताकि वो decision making कर सकें और चौथा इससे हमें अपनी company की solvency position का भी पता लग जाता है तो accounting करने के objectives क्या हो गए ये हो गए फिर कुछ चोटे चोटे facts हमें पता होने चाहिए accounting की शुरुबात हुई थी इस टीवर्डशिप अकाउंटिंग से स्टीवर्ड जो होते थे वह होते थे एक तरह से मंत्री या मुनशी जो किसी बड़े राजा के हाथ काम करते थे तो सबसे पहले स्टीवर्डशिप अकाउंटिंग की शुरुआत हुई थी उसके बाद डबल इंट्री सिस्टम जो हम पढ़ते हैं आज यह पंदरवी शताबदी यानि कि फिफ्टीन सेंचरी में इजाद हुई थी और जो फादर अकाउंटिंग ने कहा जाता है वह है लुकेस पैसी ऑलिव तो यह कुछ छोटे-छोटे फैक्स हो गए उसके बाद अगला जो है टॉपिक उसका नाम है functions या uses of accounting, लेकिन ये जो functions हैं ये उपर वाले functions से अलग हैं, उपर वाले functions जो हैं वो तो किसने बताए हैं, APB ने, लेकिन जो ये functions हैं या uses हैं accounting, ये हम in general पढ़ रहे हैं, आम, तो accounting के functions हैं, पहला measurement, मतलब कि हम पुरानी performance को measure क इसके अलावा Forecasting, इसमें हम भविश्य का अनुमान लगाते हैं Decision Making, Management की Decision Making में मदद हो जाती है Comparison and Evaluation, हम दो Companies का Comparison कर लेते हैं या Evaluation कर लेते हैं Control करने में भी Accounting मदद करता है Control में कैसे, जैसे अगर हमारे कोई Operational System में कमी होगी, कोई weakness होगी तो उस System की weakness को Accounting आइडेंटिफाई कर देगा, Help कर देगा इसके अलावा government regulations या taxation में भी accounting मदद करती है, हमें कितना tax देना है, ये बात हमें accounting करके पता लग जाएगी, तो ये हो गए हमारे फंक्शन्स या यूजिस ऑफ अकाउंटिंग फिर आता है इसी तरह लिमिटेशन ऑफ अकाउंटिंग की अकाउंटिंग में कमिया क्या होते हैं तो अकाउंटिंग की कमी है पहली कि हम कहते हैं कि ये फुली एक्जेक्ट नहीं है क्योंकि इसके अंदर हम कुछ एस्टिमेट् या आप provision for doubtful debts भी जो create करते हो वो एक estimation के basis पर करते हो, तो इसलिए accounting को हम कहते हैं कि वो fully exact नहीं है, दूसरा limitation वो भी हम जानते हैं कि इसमें कोई भी qualitative aspect नहीं record होता, तो अगर दो managers की आपस में लड़ाई हो गई, तो हम इस चीज को record नहीं कर सकते, क्योंकि इसमें कोई quantitative aspect नह विंडो ड्रेसिंग का मतलब है कि हम अकाउंटिंग में छेड़ चाड़ करके जोल जाल करके ज़ादा प्रॉफिट्स शो कर सकते हैं। तो यह हो गया विंडो ड्रेसिंग। फिर आता है अकाउंटिंग के सब फील्ड्स क्या क्या हो सकते हैं। जो हेल्प करता है मैनेजमेंट की डिसीजन मेकिंग में। जिसमें हम प्रोडक्ट की कॉस्ट निकाल लेते हैं एक होता है social reporting accounting जिसमें हमने सामाज को कोई अगर नुकसान पहुचाया या हमने सामाज को कोई फायदा दिया तो उसे भी हम mention करते हैं जैसे Tata Group तो वो अपनी कंपनियों से कितना धुआ अगर निकला वो भी बताते हैं तो social cost और social benefit वो बता देते हैं और पाँचवा जो सबसे advance है वो है human resource accounting उसमें हम अपने human resource पर, यानि कि अपने employees पर, जिने हम अपना asset मानते हैं, उनमें क्या value देख रहे हैं, उसकी भी reporting करते हैं, हलाकि जो practically अभी नहीं होती, लेकिन फिर भी कहने के लिए हम कह देते हैं, इसको बोला जाता है human resource account. तो पहले यहां तक यहाँ था, ओके आ गया, user, user किसे कहा जाता है, user कौन होता है, तो user की परिभाशा simple है, user हम कहते हैं कि वहीं दो तरह के लोग होते हैं, एक को बोलते हैं internal, एक को बोलते हैं external. Internal ऐसे लोगों को बोला जाता है जिनके पास access होता है जानकारी का. तो आम तौर पे जैसे मालिक हो गया या management हो गया. External वो हो गया जिनके पास access नहीं हो सकता, यानि कि जो internal information है, जब तक वो public ना की जाये, तो ऐसे लोगों को हम external कह देते हैं, चाहें उसमें creditor हो, चाहें उसमें bank हो, चाहें उसमें सरकार हो, researchers हो, public हो, etc. employees में मैंने कहा था कि वो भी एक तरह से external में ही अब माना जाता है क्योंकि उनके पास हम मानते हैं कि access नहीं होता तो जो बस owners हैं और जो management हैं वो ही हमारे लिए एक तरह से internal users हो गए फिर अगला topic आता है qualitative characteristic इसका मतलब है कि जो हमारी accounting information होती है उसके अंदर क्या qualities होने चाहिए यानि कि उसे बोलते है qualitative characteristic तो हम कहते हैं चार quality उसमें होने चाहिए जिसमें पहले दो important है, number one है relevance, मतलब जितना ज़रूरी हो उतनी information, number two है reliability, यानि उस पर भरोसा किया जाना चाहिए, number three है understandability, यानि कि वो किसी भी user को आसानी से समझ आ जाए, और number four है comparability, यानि कि उससे हम information को compare कर सकें आसानी से, company के बीच में comparison करा जा सकें.
फिर छोटा सा point है कि accounting का relation, बहुत सारे अदर फील्ड्स के साथ भी है, Economics से है, Statistics से है, Law से है, Mathematics से है, Management में है, यानि कि Accounting का यूज़ इन हर सबजेक्ट में आप कह सकते हो कि कहीं ना गहीं कहीं ना गहीं होता है, तो इसलिए Accounting को माना जाता है कि वो इन सारे ही सबजेक्टों से या Disciplines से Closely Related है, फिर उसके बाद आता है point कि Accounting, करने से आपको क्या होगा यानि कि accountant के role क्या है या areas of service क्या है तो मैंने इसमें आपको बताया था कि accountant बनने के बाद आप statutory audit कर सकते हो statutory audit का मतलब होता है कि किसी company को उसकी balance sheet को CA जब sign करता है तो उसको हम कहते हैं audit करना तो कोई व्यक्ति यानि कि कोई CA किसी company का audit कर रहा है तो हम कहते है statutory audit इसी तरह कुछ company एक CA को अपने अंदर ही employee की तरह hire कर लेती है तो उसको बोल सकते है कर सकते हैं इंटरनल ऑडिट या टेक्सेशन का काम कर सकते हो आप यह सलाह दे सकते हो मैनेजमेंट कंसल्टेंसी यह सेक्रिटेरियल वर्क कर सकते हो आप यह कई बार और अदर वर्क कर सकते हो जैसे और फिर आता है एक टॉपिक कि बुक कीपिंग क्या होती है तो बिक बुक कीपिंग एक छोटा एस्पेक्ट होता है जिसमें हम कहते हैं कि सिर्फ हमारा मेन फोकस रिकॉर्डिंग पोर्शन पर होता है यानि कि बुक कीपिंग वहां से शुरू बुक कीपिंग करता है बुक कीपिंग जूनर स्टाफ करता है बुक कीपिंग बहुत ही रेगुलर नेचर का काम है मतलब बोरिंग काम होता है और bookkeeping में हम कोई financial statement prepare नहीं करते, वो सारी चीज़े हम accounting के अंदर prepare करते हैं, और last हमने एक चोटा सा चित्र बनाया था, सिर्फ समझने के लिए, कि bookkeeping हम कह सकते हैं सबसे चोटा दाएरा, accounting थोड़ा उससे बड़ा दाएरा, लेकिन accountancy वो एक अपने आप में knowledge है, या एक तरह से हम कह सकते हैं कि वो तो हमारा subject matter है, तो accountancy एक सबसे wider बकसे में नज़र हाँ. तो ये तो हो गया था हमारा, मतलब यूनिट वन की कहानी. फिर दो छोटे यूनिट्स थे, उनके बारे में और चर्चा कर लेते हैं. दो छोटे यूनिट्स को कम्बाइन करके हमने नाम दे रखा है, तो अकाउंटिंग स्टेंडर्ड का मतलब होता है कुछ ऐसे नियम, कुछ ऐसे रूल्स, कुछ ऐसे कह सकते हो आप पॉलिसियां या फॉर्मुलें, या principles जो हमारी institute यानि ICAI भारत में issue करती है और जिसको सारे accountant follow करते हैं तो ये भी हमारे लिए एक तरह से rules बन गए तो इसलिए लिखा है second point में कि accounting standards आदा written policy documents issued by expert accounting body of each country और ICAI जो है वो इंडिया में इसको issue करता है point ये कि accounting standards क्यों आए या क्यों बनाने पड़े इनके objectives क्या है तो इनके objective बहुत ही simple है, कि अगर एक मुन्शी अलग तरह से accounting करेगा, दूसरा मुन्शी अलग तरह से accounting करेगा, तो फिर हम compare नहीं कर पाएंगे, तो इसलिए सारे मुन्शी एक तरह से accounting करें, तो non-comparability को eliminate करने के लिए accounting standards को बनाया गया, इसी तरह transparency या consistency को बरकरार रखने के तो जैसे कि हर फील्ड में कुछ नियम होते हैं, तो अकाउंटिंग में भी नियम होते हैं, तो उनको हम बोल रहे थें, अकाउंटिंग स्टैंडर्ड. फिर प्रकरिया दे रखी है कि ये कैसे बनता है, तो बहुती सिंपल है, ICI ने एक अकाउंटिंग स्टैंडर्ड बोर्ड बना रखा है, जो 1977 में बना था, और वो अकाउंटिंग स्टैंडर्ड बोर्ड जो होता है, वो इन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड को AS को फॉर्मिलेट क कि AS कभी भी law को override नहीं कर सकता, तो इसलिए AS को हमने क्या नाम दिया था?
चोटा कानून, तो law जो है वो तो बड़ा कानून है ही क्या, तो AS जो है वो हमारे लिए है चोटा कानून, तो वो law को override नहीं कर सकता, तो AS जो है it cannot override, इस टैक्ट्यू मतलब की law, दूसरा limitation ये कि AS से थोड़ा सा rigidity हो जाएगी, rigidity का मतलब ये, कि flexibility कम रहेगी, क्योंकि हमें जो नियम दे रखे हैं उसी के हजाब से काम करना पड़ेगा. और तीसरा यह, कि कई बार accounting standards में अलग-अलग accounting treatments होते हैं, तो उनके बीच में choice करना मुश्किल हो जाता है. जैसे best example है, accounting standard 6 depreciation में दो methods दे रखे होते हैं, तो अब कुछ मुश्किल हो सकता है, SLM method follow करें, कुछ मुश्किल हो सकता है, WDB method follow करें.
तो कभी-कभी different alternative accounting treatments के बीच में से, कौन सा बहतर है यह चुनना? मुश्किल हो जाता है तो अकाउंटिंग स्टेंडर्स के भी हम कह देते हैं कि लिमिटेशन होते हैं बाकि इनकी लिस्ट हमारे स्लेवस में नहीं है तो वह इंस्टिट्यूट ने कह रखा है कि आपको मतलब पढ़ने की आवश्यकता नहीं है अब हमने और हर देश अपने अपने हिसाब से अपने अपने नियमों को फॉलो करते हैं। यानि कि internationally एकी तरह के accounting के नियम होने चाहिए तो IFRS को हमने नाम दे दिया chocolate ice cream तो एक तरफ है हमारी अपनी इंडिया में चलने वाली vanilla ice cream और दूसरी तरफ है internationally rules बनाने वाला chocolate ice cream, तो अब हमारे पास offer था कि हम अपनी vanilla ice cream को छोड़कर chocolate ice cream खा सकते हैं, लेकिन हमने क्या करा, हमने mix कर लिया, जिसको बोलते हैं कि हमने अपने accounting standards को converge कर लिया with IFRS, यानि कि हमने अपने rules को भी रखा, थोड़ा सा इनको modify करके international rules के साथ चोको वनीला आईस्क्रीम, जिसको हम बोलते हैं इंडियन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स, तो ये बन गया IAS, तो बस ये बेसिकली छोड़ा सा पॉइंट है, तो IAS जो है वो होते हैं इंडियन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स, बाकि IFRS के साथ कन्वर्ज करने से फायदा क हम international business भी असानी से कर सकते हैं क्योंकि हमारे भी नियम international नियम के साथ match कर रहे हैं दूसरा investor को भी फायदा हुआ अब आप अगर US की company में invest करना चाहते हो तो आप असानी से कर सकते हैं क्योंकि आपको पता है कि वो भी वो इन नियम follow कर रहे हैं जो हमारे हैं और industry को भी overall फायदा मिला क्योंकि हम foreign countries से या foreign markets से lower interest rates के हिसाब से loan ले सकते थे तो मतलब in totality आई एस यानि कि इंडियन अकाउंटिंग स्टेंडर्ड्स के बनने का फायदा एकनॉमी इन्वेस्टर और इंडस्ट्री तीनों को हुआ चौको वनीला आईस्क्रीम बाकी इसकी जो लिस्ट है वो हमें याद नहीं रखनी लेकिन ये होते कैसे हैं उसकी प्रकरिया भी देख जो एस बी यानि अकाउंटिंग स्टैंडर्ड बोर्ड है आईसी एडियो का उसके सुपरवीजन के अंदर और कंसल्ट करती है किसके साथ एन एसी एस के साथ यानि नैशनल एडवाइजरी कमेटी ऑन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड तो जो प्रकरिया हो कुछ हैसी है कि जो एन एस है वह अपने रिकमेंडेशंस किसको भेजता है मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्परेट अफेयर्स को एमसीएड और एमसीएड फिर वह आईएस को इशू कर देती है बाकि आईएस की जो लिस्ट है वह हमें स्लेवर्स के अनुसार नहीं पढ़नी है, तो ये दो चोटे से units थे, vanilla ice cream और choco vanilla ice cream, यानि AS और Indian AS की, तो याद आ गया story, तो online वाले चीतो को बताओ, याद आ गई, choco vanilla ice cream की कहानी, unit 2 जो है, ये आप अच्छे से करके जाना, exam के लिए, मेंली, इसका question जो है, वो बिलकुल आएगा, तो इसका unit का नाम है basically accounting principles या conventions या concept कुछ भी कहलो तो हम इसको principles से ही शुरू करते हैं नाम से तो principle का मतलब यह होता है कि हमने कुछ rules बना लिये, कुछ norms बना लिये जो सबको follow करने हैं लेकिन इन्हें दो categories में divide करा गया है, एक को बोलते है accounting concepts और दूसरे को बोलते है accounting conventions concepts का मतलब यह होता है कि कुछ हम दिमाग में assumptions सोचते हैं कि भाई assumptions हैं और accounting conventions का मतलब होता है कि जो हमारी पुरानी प्रथाएं चली आ रही हैं उन प्रथाओं को हम follow कर रहे हैं और वो आज नतीजे बन गए, outcome बन चुके हैं तो पहले हम concepts की बात कर लेते हैं तो accounting में सिफ तीन ही assumptions होते हैं जो हर मुन्शी को मानने पड़ते हैं पहले assumption का नाम है going concern, दूसरे का है consistency और तीसरे का है accrual Going concern का मतलब है कि हम ये सोचते हैं कि हमारा business चलता रहेगा और हमारी कोई भी intention इसे बंद करने की नहीं है ये तो हो गया simple point लेकिन इस assumption की वजह से ही हम capital और revenue expenditure के बीच में भेदभाव करते हैं क्योंकि जब हम capital और revenue expenditure के बीच में difference सोचते हैं तो हमारा नजरिया capital expenditure को लेकर होता है लंबे समय का और revenue expenditure को लेकर होता है छोटे समय का तो देट मीन्स हम ये सोच रहे हैं कि कंपनी अभी लंबे समय तक चलती रहेगी तो going concern का मतलब यही है कि हमारी assumption ही ये सोच रही है कि business जो है ये लंबे समय तक चलता ही रहेगा तो इसलिए हम कहा देते हैं going concern business चलता रहेगा लेकिन अगर by chance ये assumption कभी भी flop हो गया मतलब ये valid नहीं रहा मालो मुझे पता चल गया कि कल तो business बंद होने वाला है तो उस case में फिर हम fixed asset को cost पर नहीं value करते हैं किस पर value करते हैं नेट रियलाइजेबल वेल्टी होता है, तो यह एक छोटा सा true false में पूछ सकता है, दूसरी असम्शन होती है consistency, consistency का मतलब होता है कि अगर हमने कोई accounting policy एक साल follow करें, तो वो accounting policy फिर हमने कोई accounting policy फिर हमने को� साल दर साल साल दर साल सेम फॉलो करते रहेंगे पर क्या हम उसमें चेंज कर सकते हैं? कर सकते हैं अगर तीन बातें हैं तो या तो लौ बोले तो या छोटा कानून बोले तो या फिर बहतर प्रेजेंटेशन के लिए हम चाहें तो पॉलिसी को चेंज कर सकते हैं तीसरा अजम्शन होता है एक्रूवल वो हम जानते हैं कि हमारी पूरी accounting accrual basis पर चलती है accrual को पता है क्या बोलते हैं accrual को दूसरे नाम से बोला जाता है mercantile system जैसे एक system होता है cash system तो accrual system को हम क्या भी बोल देते हैं mercantile system तो accrual का मतलब ये कि कोई भी transaction हम कब record करते हैं जब वो हुई चाहें पैसे पहले मिले हो चाहें पैसे बाद में मिले हो वो material नहीं करता तो अगर हमने 4 फरवरी को गुट्स खरीदे और पैसे 7 मार्च को दिये तो हम बुक्स में कब रिकॉर्ड करेंगे उसे 4 फरवरी को जिस दिन ट्रांजेक्शन हुई तो यह होते हैं हमारे तीन अजम्शन अब कुछ जो और प्रिंसिपल्स है वो क्या है एक है बिजनस एंटिटी प्रिंसिपल तो बिजनस एंटिटी प्रिंसिपल यह कहता है कि भी मुकेश अम्बानी और रिलायंस इंडॉस्ट्री अलग-अलग है विजयमा यानि कि business को और owner को हम अलग-अलग consider करते हैं, और हम जो भी accounting करते हैं, वो किस के point of view से करते हैं, business के point of view से करते हैं, इसका best example होता है capital या interest on capital, जब हम owner के ही पैसे को एक liability मान रहे हैं, तो that means हम business को अलग और owner को अलग समझ रहे हैं, तो यह इसमें principle होता है, अगला होता है money measurement, Money measurement तो बहुत एकी line में खतम हो गया कि हम हर वो transaction accounting में record करते हैं जो money के terms में हो, simple. अगला होता है periodicity, periodicity का मतलब होता है कि जो भी हमारी business की life है, मालो 10 साल, 20 साल, 50 साल, तो हम उस business की life को चोटे-चोटे periods में तोड़ लेते हैं और आम तोर पर वो एक period कितने समय का होता है, एक साल का होता है, तो इस principle को बोल दिया periodicity. साथपाव होता है matching, matching का मतलब है कि जो भी हमारे खर्चे हैं इस साल के हम उन्हें इस साल के revenues के साथ match करते हैं, जैसे for example depreciation, अब हमने अगर machine इस साल इस्तमाल करी और उस machine को इस्तमाल करके हम कुछ sale कर पाए, तो उस machine की value में जो गिरावट हुई, जो expense हुआ depreciation का उस expense को भी ह कि revenue आज record कर लिया और expense अगले साल record करें, तो वो matching नहीं होगा, तो matching का मतलब है, अगर revenue इस साल का है, तो उससे related expense भी इस साल का आप record कर लो, तो इसको बोलते है matching.
फिर एक बड़ा अच्छा बादल लिखवाया था आपको, कि तीन चीजें मिलकर income recognition कर रही होती हैं, यानि कि accrual, periodicity और matching. जब हम ये तीनों principles को मिलाते हैं, तब वो सही income measurement करवा रही होती है क्यों? तो हमने उधारान लिया था कि जब हम P&L account बनाते हैं तो उसके अंदर हम accrual follow करते हैं या cash basis follow करते हैं accrual follow करते हैं फिर P&L account हम एक साल का बनाते हैं कि 20 साल का बनाते हैं एक साल का बनाते हैं तो मतलब periodicity और P&L के अंदर अगर हम revenue लिखते हैं तो P&L के अंदर हम expenses भी match करते हैं तो इसका मतलब उसमें हम matching भी करते हैं तो जब ये तीन प्रिंसिबल इखटे काम कर रहे होते हैं, तो हमारा सही profit आ रहा हो, तो ये एक true false के लिए point बन गया, फिर है जी cost concept, cost concept कहता है कि fixed assets को cost पर record करना है, market value को ignore करना है, same चीज realization concept भी कहता है, it follows cost concept only, तो ये कहता है कि हम अपने fixed assets को cost पर ही record करेंगे, लेकिन हाँ, हम उसकी realizable value तभी record करेंगे जब हम उसको actual में बेच देंगे, उससे पहले हमें realization value का कुछ नहीं करना, तो realization concept या cost concept दोनों एकी बात कह रहे हैं, कि हमें अपने fixed asset को cost पर show करना है, लेकिन जब उसको बेचेंगे actual में, तब actual value बेचने की record करेंगे, तो इसको बोलते है realization concept, फिर आता है materiality, materiality का मतलब होता है importance, तो अगर दस रुपए मुकेश अमबानी के खो गए और दस रुपए किसी गरीब व्यक्ति के खो गए तो गरीब व्यक्ति के लिए वो दस रुपए इंपोर्टेंट है, मुकेश अमबानी के लिए वो दस रुपए इंपोर्टेंट नहीं है, तो material का मतलब होती है importance और इस principle म इसको डिस्क्लोज करना है इसी के बड़े भाई का नाम है फुल डिस्क्लोजर प्रिंसिपल फुल डिस्क्लोजर प्रिंसिपल कहता है कि जितने भी मटीरियल आइटम्स है उन्हें हमें फुली डिस्क्लोज करना है तो इन दोनों में मैंने फर्क भी बताया था कि मैटीरियलि कि कुछ चीजे आप balance sheet के नीचे भी अलग से show कर देते हो, so that is because of full disclosure.
अगला होता है revenue recognition, यह मैंने बताया था कि यह accrual का ही छोटा भाई है, जो चीज अक्रूल ने सब के लिए बोली, वोई सेम चीज revenue recognition ने खाली revenue के लिए बोली, तो revenue recognition यह कहता है, कि हम transaction को तभी record कर लेंगे, जब हमारा मतलब अधिकार बन गया, यानि जब हमने transaction करी, एक्चुल पैसे चाहे बाद में मिले हो उससे फरक नहीं पड़ता। तो अगर हमने 4 फरवरी को गुड़्ज बेचे और पैसे हमें 7 मार्च को मिले, तो हम रिकॉर्ड कब करेंगे रेविन्यू को? 4 फेबररी। तो रेविन्यू रिकॉर्ड भी एक्रियोल बाली ही भाषा बोल रहा है। डेविट का मतलब हमने asset के रूप में लिख लिया या समझ लिया और credit का मतलब capital of liability के रूप में समझ लिया, तो ये equation हमेशा आपकी match करती है, asset अगर भड़ेंगे तो capital या liability भी भड़ जाएगी, asset अगर कम होंगे तो capital या liability भी कम हो जाएगी, कहीं बार asset ही भड़ेगा, asset ही घ यानि कि प्रूडेंस प्रूडेंस यह कहता है कि अगर हमें भविष्य में नुकसान होने की संभावना लग रही है तो हम उसको कंसिडर कर लेंगे उसको रिकॉर्ड कर लेंगे लेकिन अगर हमें भविष्य में प्रॉफिट्स हो रहे हैं या लग रहा है कि कुछ फायदा हो� लेकिन अगर आपको सपना आया, कि आपकी rank 1 आ गई, तो आप ऐसा तो नहीं है कि मिठाईया बातना शुरू कर दोगे, आप क्या करोगे, उसको ignore कर दोगे, क्योंकि आपको पता है कि यह reality नहीं है, तो same चीज conservatism में है, तो जहांपर भी हमें भविष्य में नुकसान होने का 14 प्रकार के क्या? माला principles, तो जिसमें 3 आपको क्या याद रखने है? assumptions, और 11 एक तरह से आपको दूसरे principles कहलो, वो पता होने चाहें, तो clear है सारे?
उसके बाद है एक छोटा हमारा unit, जिसका नाम है contingent asset and contingent liability, ये बहुत simple है, इसमें आपको बिल्कुल ऐसे सोचना है, कि हम मान लेते हैं रात को सो रहे हैं ठीक है अब हमें कुछ सपना आया क्योंकि यह पूरा का पूरा चेप्टर ही एक्सपेक्टेशन पर बेस्ट है कॉन्टिंजेंट का मतलब ही होता है कि मतलब यह हकीकत नहीं है आप सिर्फ एक्सपेक्ट कर रहे हो तो दो बातें हो सकती है है तो हम उसको कह देते हैं कि यह मतलब भविष्य में फायदा हो रहा है तो कंटिंजेंट एसेट तो उसको तो क्या करना है इग्नोर करना तो यह तो किसा ही खत्म हो गया लेकिन अगर आपको लग रहा है कि मेरा भविष्य में नुकसान तो हम उसकी तीन कैटेग्रियां बनाते हैं एक को बोलते हैं प्रॉबेबल प्रॉबेबल का मतलब हो गया कि जब आप बिल्कुल ऑलमोस्ट पर सेंट तो नहीं लेकिन 80-90% ये शौरो की नुकसान तो हो गई, दूसरी category बना ली reasonably possible, मतलब जिसमें आपको 50-50 लग रहा है, आपको लग रहा है हो भी सकता है, नहीं भी हो सकता है, और तीसरी category बना ली remote, आपको लगा कि नहीं नहीं नहीं, ये बस ऐसी है, छोटा सा सपना है, नुकसान-नु और बुक्स में रिकॉर्ड करने का मतलब है हम एक प्रोविजिन क्रिएट कर लेते हैं। लेकिन जब हमें लगता है 50-50 चांस हो भी सकता है, नहीं भी हो सकता है, तो फिर हम इसको बुक्स में रिकॉर्ड नहीं करते हैं, में यानि कि कॉंटिंजेंट लायबिलिटी और जब बिल्कुली रिमोट लगे कि भाईया यह तो नुकसान नहीं के बराबर ही है तो फिर हम इग्नोर कर दो बेसिकली यह चार्ट जो है यह अपने आपमें यूनिट के बारे में बता देता है बाकी परिभाशाएं हैं वो आ� बेज्ड है जिसका होना या ना होना किसी one or more uncertain future events पर निर्भर करेगा जो आपके हाथ में नहीं है, control में नहीं है. बाकि prudence के तहट हम इसको disclose नहीं करते यानि कि इसको ignore कर देते हैं. लेकिन अगर ये बिल्कुल virtually certain बन जाए कि ये तो फायदा होगा ही तो ही हम उसको फिर अपनी books में record करते हैं. बाकि contingent assets को आम तौर पे हम कहाँ पर show करते हैं? Board of Directors की report.
तो ये तीन बाते आप इसके बारे में लिख देना, तो short note लिखने को आएगा मान लो, तो आप ये सारी बाते इसमें लिख सकते हो, अच्छा इसी तरह contingent liability क्या होती है, contingent liability भी वो ही possible obligation हो सकती है, जो किसी past event की वज़े से या तो depend कर रही है कि हो या ना हो, depending on one or more uncertain future event जो आप प्रोवीजन जो होता है वो हमारे लिए एक प्रेजेंट लाइबिलिटी है क्योंकि उसे हम रिकॉर्ड करते हैं यानि कि वो रिकग्नेशन क्राइटीरिया मीट करती है और प्रोवीजन के आप एग्जांपल्स भी मतलब सोच सकते हो जो आप रिकॉर्ड करते हो जैसे प्रो� और दूसरे का नाम है accounting as measurement disciplines तो accounting policy में तो आपको बस ये पता होना चाहिए कि accounting policy किसे कहते हैं तो accounting policy का मतलब होता है बिल्कुल वो ही सेम परिभाशा जो accounting standard की है कि भाई ये भी कुछ principles हैं या उन principles को apply करने के तरीके हैं जैसे example sir जैसे आप depreciation में देखते हो कि accounting policy FIFO या LIFO किसी का या आप goodwill की valuation में देखते हो कि किसी के accounting policy है average profit method किसी के accounting policy है super profit method तो accounting policy मतलब ये चीज़े होती हैं लेकिन जो बस एक ही question इसमें बनता है exam में वो ये कि आप accounting policy को select करने के लिए क्या देखोगे, किन तीन बातों का ध्यान रखोगे यानि कि selection of accounting policy is based on तो बताओ based on प्रूडेंस, मेटीरियालिटी और सब्स्टैंस ओवर फॉर्म तो प्रूडेंस का मतलब आपको पता ही है यानि कंजर्वेटिजम वाला मेटीरियालिटी का मतलब आपको पता ही है कि अगर वो इंपोर्टेंट है हमारे लिए सब्स्टैंस ओवर फॉर्म का मतलब है कि सब्स्टैंस यानि कि सिच्चाई ओवर मतलब उपर और फॉर्म मतलब कानून हम कानून से भी उपर किसको रखते हैं सच्चाई को रखते हैं कि मान लेते हैं आपने 27 मार्च को एक building खरीदी और उस building की registration यानि की registry आपके नाम पर जब हुई तब तक 13 अपरेल का दिन आ चुका था अब 31 मार्च को जब आप books close करते हो तब officially या legally आप building के मालिक नहीं हो क्योंकि building की registry आपके नाम पर 13 अपरेल को हुई है तो क्या 31 मार्च को आप अपनी books में building show करोगे very good तो इसका मतलब ये महदे लौ के हिसाब से चल रहे हैं तो यही बात हमें सीखनी थी मेरे दोस्त कि हमें यहाँ सचाई को उपर रखना है लौ से तो लौ कह रहा है कि बिल्डिंग हमारे नाम पर नहीं है नहीं होगा क्योंकि यहाँ पर हम कौन से पॉलिसी में किस फीचर को ध्यान रख रहे हैं सबस्टैंस ओवर फॉर्म transaction should be accounted for मतलब transaction को record कर लो इन अकॉर्डेंस विद एक्चुल हैपनिंग एंड इकनॉमिक रियालिटी आफ ट्रांजेक्शन नॉट बाई इट्स लीगल फॉर्म तो हम किसी भी खरीद ली तो मतलब खरीद ली यह इकनॉमिक रियालिटी है रजिस्ट्री में 10 दिन लग गए और लीगल रूप में वह तो खेर, तो तीन features होते हैं बस जिसके आधार पे हम अपनी accounting policy का selection करते हैं, prudence, सब्स्टैंस ओवर फॉर्म और मेटीरियालिटी उसके बाद अकाउंटिंग एंड मेजर्मेंट प्रिंसिपल मेजर्मेंट डिसिप्लिन में बस छोटी बात हैं वो आपको बस बन-बन नंबर के हिसाफ से ट्रू फॉल्स में पता होनी चाहिए कि भी मनी जो है वो हमारा मेजर तो आप 2000 का नोट लेकर यूए से पहुंच जाओ, तो वो कहेंगे ये क्या ले आया, money जो है वो stable नहीं होता, यानि volatile होता है, आज 1 डॉलर 80 रुपए का है, हो सकता है परसो 90 का हो जाए या 60 का हो जाए, तो मतलब money की value भी stable नहीं होती, बाकि measurement के elements हैं, वो एक simple steps हैं, आप उसमें keywords याद रखना, कि identification, selection और evaluation, यानि कि पहले सबसे पहले हम identify करते हैं, कि हमारा event क्या है, फिर हम selection करते हैं कि उस event को किस scale में measure करना है, कि dollar की terms में, rupee की terms में, pound की terms में, किस scale में उसको measure करना है, और फिर हम उसका करते है evaluation, यानि कितने का है, यानि 1000 रुपए, 2000 रुपए, या 1500 रुपए, whatever. तो तीन steps बन गए, elements of measurement के identification, selection और evaluation. लेकिन जो question आता है, वो एक ही आता है, कि valuation के कितने principle होते हैं?
चार principle होते हैं. एक को बोलते है historical cost, एक को बोलते है current cost, एक को बोलते है realizable value, एक को बोलते है present value. तो चार principles होते है valuation के.
तो इसके एक example discuss कर ले दें. आपने 5 साल पहले एक घर खरीदा 20 लाग का, जिसकी आज realizable value, यानि अगर आज आप उस घर को बेचोगे, लेकिन अगर आप वो ही same, यानि कि बिल्कुल वैसा similar घर खरीदोगे, अपने पड़ोसी का मान लो, तो वो मिलेगा आपको 28,00,000 का, 28,00,000 का, आपके घर की future value 3 साल बाद 50,00,000 है, और उसी की आज की discounted present value 35,00,000 है, तो यहां से यही 4 principles हमारे derive हो रहे हैं, तो अगर हम देखें 20,00,000 का. अगर हम कहें कि current cost क्या है, तो current cost का मतलब याद रखना हमेशा, current cost का मतलब होता है, कि जो हमारे वाले घर की तरह, similar घर है, वो कितने गाए?
तो वो है 28,00,000 का. अगर कोई पूछे कि हमारे घर की आज की realizable value क्या है, तो हम कहेंगे 25,00,000 का. Future value ये कोई valuation principle नहीं होता, इस बात का भी ध्यान रखना है true false के लिए, तो इसीलिए इसको हमने काट रखा है ब्लॉग बनाके, तो valuation principle पांच नहीं होते, सिर्फ कितने होते हैं, चार होते हैं, तो future value को हम valuation principle नहीं मानते, तो historical cost, current cost, realizable value और present value, तो याद आ गया, तो online वाले चीतों को भी पूछ लेते हैं, तो online वाले चीते, अब इसके बाद एक unit और है जिस पर question कई बार 5 नंबर तक की weightage में हमसे पूछ लेता है, उस unit का नाम है capital and revenue expenditure या receipt, तो इसमें लिखा हुआ है कि 50% understanding और 50% रटना, यानि कि इसमें कुछ बाते आपको थोड़ा सा learn करनी पड़ेंगे और कुछ बाते आपको समझनी पड़ेंग स्वाद अनुसार नमक की तरह है, तो वो तो आपको खुदी अपने हिसाब से करना पड़ेगा.
चेबे, तो खेर पहले Capital Expenditure पर Focus करते हैं, इसके सारे अच्छे से पॉइंट देखते हैं. Capital Expenditure में हमने बहुत से पॉइंट्स लिखे हैं, और पहला पॉइंट यह है कि जब हम कोई Fixed Asset खरीदते हैं, वो एक Capital Expenditure है. दूसरा फीचर यह हो सकता है कि Capital Expenditure आपको Non-Recurring नेचरकान मिले, मला बार-बार नहीं होगा.
तीसरा feature ये मिल सकता है कि capital expenditure आपको एक लंबे समय का benefit देगा, मतलब एक साल से जादा का आपको benefit प्रोवाइट करेगा. चौथा point ये बन सकता है, जो सबसे important है कि जब आप कोई repair करते हैं, जिसकी वजह से आपके asset की productive capacity बढ़ जाए, जैसे हमने एक example लिया था कि एक cinema hall वाले ने अपने cinema hall के अंदर repairs करवाया और उसके repairs की वजह से 200 की capacity बढ़कर 250 हो गए. तो हम इस repair को क्या बोलेंगे capital expenditure similarly अगर आप कोई second hand asset खरीदते हैं आपने एक second hand गाड़ी खरीदी और उस गाड़ी को खरीदते ही just after that गाड़ी आप कुछ खर्चा करते हो जैसे आपने उसमें कुछ गाड़ी खरीद के उसका आपने कवर खरीदा या आपने एक रुपए का कुछ भी खरीदा तो वो सारे खर्चे भी capital expenditure मान लूज़ें। यानि कि आप unsuccessful रहे तो फिर वो revenue expenditure कहलाया जाएगा तो आपने अगर license या rights को obtain करने के लिए successfully obtain करने के लिए पैसा खर्चा करा तो वो खर्चा capital expenditure कहलाया जाएगा अगर आपने मालो 10 लाख रुपए खर्च कर दिये license लेने के लिए और license आपको नहीं मिला तो फिर वो revenue expenditure कहलाया जाएगा इसके अलाबा आपने कोई नई machine खरीदी और उसको trial run पर लगाया कि भी एक बर चला के देखो तो उस ट्रायल रन के जो खर्चे हैं वो भी capital expenditure माने जाते हैं, इसी तरह आप कोई building construct कर रहे हो 5 करोड की या 25 करोड की और उस building को construct करने के लिए आपको कुछ जौपडियां साइड में मस्गदूरों के लिए बनवानी पड़ी हैं, 50,000 रुपए की, तो उन temporary huts की cost भी आपके तो capital expenditure जो है वो कुछ-कुछ इस तरह का होगा, लेकिन मूल nature की अगर मैं हम बात करें, तो capital expenditure का मूल nature उदर कौने में लिखता है कि जिससे आपके यातो asset बढ़ेंगे, या आपकी liability काम हो जाएगी.
दूसरे होते हैं जि revenue expenditure उसके उल्टे, यानि कि ये हमारे रोजमर्रा के खर्चे होते हैं, जिनने हम कह सकते हैं directly हमारे revenue से related. सबसे सिंपल तरीका याद रखने के लिए कि जितने भी खर्चे या जितने भी चीजे आप P&L में डेविट करते हो, वो सारे खर्चे revenue expenditure होते हैं. इनका nature जो होता है वो recurring होता है, यानि कि ये आपको बार-बार होते हुए नजर आएंगे.
इसके अलावा इनका benefit भी आपको एकी अब्धी तक मिलता है, ऐसा नहीं है कि लंबे समय तक मिलेगा. इसके उधारण में है जैसे maintenance expense, maintenance expense को हम मानते हैं कि इससे कोई productive capacity नहीं बढ़ रहें. जैसे कि whitewash हम दिवारे या पुतवालें तो इससे कोई capacity नहीं बढ़ेगी इसी तरह अगर आपने license या rights को लेने के लिए कुछ खर्चा करा लेकिन वो आपको नहीं मिला यानि कि unsuccessful रहे गया तो revenue expenditure है इसके अलावा किसी भी तरह की renewal fees आप pay करते हो renewal का मतलब ही होता है हर साल जैसे insurance premium तो वो एक revenue expenditure है कई मार आपने किसी का कोई contract breach कर दिया आपने contract का उलंगन कर दिया law में पढ़ा होगा तो आप उसके कोई damages pay करते हो तो ये damages पे करना भी एक revenue expenditure है। आपने अपने new showroom का inauguration करवाया और उसके लिए अमिता बच्चन जी को बुलाया और inauguration के expenses दापने करें तो वो भी आपके लिए एक revenue expenditure है। तो इन दोनों पर देखो मैंने बना रखा है R का symbol यानि कि ये दोनों खर्चे revenue expenditure के हैं तो ये P&L में debit हो जाएंगे। बाकि एक true false का point बनता है कि अगर हम किसी revenue expenditure को capital expenditure समझ लेंगे तो तो उससे फिर हमारे प्रॉफिट्स और हमारे एसेट्स का ओवर स्टेटमेंट हो जाएगा क्योंकि हम अपने खर्चे को खर्चा ना समझकर एसेट समझ रहे हैं तो देखिए इस हमारे प्रॉफिट्स और हमारे एसेट्स बढ़ जाएंगे तो यह हो रेवेन्यू एक्सपेंडेचर बाकी के कुछ डिफरेंस है यह आपको पता होनी चाहिए अच्छे से कुछ तो मैंने बताई दिया लेकिन अगर हम जैसे लोग फर्नीचर खरीदे, मतलब कि कोई और बिजनस वाला फर्नीचर खरीदे, तो उसके लिए वो क्या है?
Capital expenditure. Recurring, non-recurring मैंने बताई दिया, अगर recurring nature का खर्चा है, तो revenue, non-recurring nature का है, तो capital. Period of benefit, अगर एक साल के अंदर expire हो जाएगा, तो revenue, एक साल से जादा चलेगा, तो capital.
Purpose क्या है? अगर maintenance purpose है, तो revenue, अगर production capacity भर देई, तो capital. Materiality, अगर जादा पैसा involved है, है तो कैपिटल कम पैसा इंवॉल्व है तो रेवेन्यू बाकि सिक्योरिटी डिपॉजिट एडवांस जो हम देते हैं इन्हें हम आमतौर पर कोई एक्सपेंडिचर नहीं कंसिडर करते हम कहते हैं यह हमारे लिए एसेट्स तो यह हो गए हमारे हमें अपने बिजनेस में मिली और जिसको हम पीएनल अकाउंट के क्रेडिट साइट पर रिकॉर्ड करते तो जैसे हमने सेल करा गुड्स का सर्विस का इंट्रस्ट मिला डिविडेंट मिला बैट डेट मिला प्रॉफिट हुआ कुछ भी और आमतोर पर इनका नेचर हम कहते हैं कि यह रिकरिंग का है तो यह होते हैं हमारे कुछ रेवन्यू रिसिप एसे रिसेप्ट हो गए जो हमारी लाइबिलिटीों को भड़ा रहे होते हैं या हमारे एसेट्स को कम कर दे जैसे कि आपने बॉरो करा चाहे शौर्ट टर्म चाहे लॉंग टर्म और आम तोर पर ये नॉन रिकरिंग नेचर के होते हैं जैसे इंशौरंस क्लेम रिसीप जो हमने क्लास 12 के गॉर्मेंट बजट चप्टर से चुराया था कि कैपिटल एक्सपेंडिचर मतलब यह जो एसेट भड़ाए और लाइबल्टी कम करें रेवेन्यू एक्सपेंडिचर उसी को काट दो यानि कि वह ऐसा नहीं करते फिर उस साइड कैपिटल रिसिप्ट मतलब वह जो लाइबल्टी भड़ाए और एसेट कम करें और रेवेन्यू रिसिप्ट आप उसी को काट दो यानि कि जो वह ऐसा नहीं करें तो यह बेसिकली होता है कैपिटल आपको भी याद आ गया, तो सारे क्लियर होगी कहानी, तो अब मैं आपको दिखाता हूँ कि पिछले चार एटेंट्स के RTP में इस चेप्टर के क्या क्वेश्चन दे रखें, तो वो हम डिसकस करके देखते हैं कि क्या वो क्वेश्चन अगर हमसे पूछे जाएं, तो वो हम क एक्सप्लेम कैश एंड मरकंडाइल सिस्टम आफ अकाउंटिंग ठीक है तो कैसे सिस्टम कौन सा होता है जिसमें हम कैश बेसेस फॉलो करते हैं यानि कि जिसमें हम रिकॉर्ड तभी करेंगे जब हमें पैसा मिला और मरकंडाइल सिस्टम कौन सा होता है एक्रूअल वाला सिस्टम जिसमें हम रिकॉर्ड तब कर लेते हैं ट्रांजेक्शन को जब एक्रूअल बताएगा और तीसरा पॉइंट बताओ कि कंपनीज कौन सा मेथड फॉलो करती है एक्रूअल फॉलो करती है तो कैश बेसिस कौन फॉलो करता होगा इसमाल सॉल प्रोप्राइटर जिनका बहुत छोटा वैपर जैसे आप पनवाड़ी के पास गए उससे वो तो कहेगा पैसा आया पैसा गया तो मतलब यह को के हो गया क्वेश्चन अच्छा अब देखो दूसरा भी डिफाइन तो इनका ट्रीटमेंट क्या करते हैं रेविन्यू रिसिप्ट का पी एन एल में क्रेडिट कर देते हैं, बस, तो कह रहा है explain, तो ये भी हो जाएगा, तो ये आपका इस साल का RTP का पुष्टर है, फिर उससे पिछले attempt का देखते हैं, May 22 का, May 22 में है देखो A, distinguish between fundamental accounting assumptions and accounting policies, तो देखो, assumptions तो होते हैं, जो हम assume करते हैं, और वो कितने हैं, सिर्फ तीन, है गोइंग कंसर्न कंसिस्टेंसी और एक्रूअल और अकाउंटिंग पॉलिसी होती है कि वह जो मेथड्स है या जो रूल से जिन्हें हम फॉलो करते हैं जो हमने अकाउंटिंग पॉलिसी में पढ़ा जैसे कुछ कंपनियों के लिए अकाउंटिंग चेंज इन अकाउंटिंग पॉलिसी में है वह मैटीरियल इफेक्ट ऑन द आइटम्स ऑफ फाइनेंशल स्टेटमेंट एक्सप्लेन द स्टेटमेंट एक्सप्लेन द स्टेटमेंट एक्सप्लेन द स्टेटमेंट वो explain हो जाएगा बस अच्छा तो अब देखो जब हम कोई accounting policy change करते हैं जैसे example लेते हैं क्योंकि आपको example लिखना पड़ेगा न तो आप बताओगे कि मान लो कोई company पहले SLM method follow करती थी लेकिन इस साल उस company ने policy को change कर लिया और अब वो SLM की बजाए WDB method follow करने लगी, तो अब देखो अगर policy change करती है company, तो उससे उसके financial statements पर effect पड़ेगा कि नहीं पहले तो पड़ेगा, तो हम कहेंगे हाँ कि इससे material effect पड़ेगा financial statements पर, तो ये तो हो गया question, बस इसी example को हम समझा देंगे figures के साथ, तो आप इसमें कुछ भी figure ले सकते हो, कि मा तो उस case में उसका हर साल depreciation कितना कितना चलता रहता मान लो 10-10,000 लेकिन second year पर आने के बाद company ने SLM की जगा WDV लगाना शुरू कर दिया तो अब उसका depreciation 9,000 या फिर 8,100 आना शुरू हो जाएगा, तो एक तरह से अब उसका हम कह सकते हैं P&L में खर्चा कम हो गया, क्योंकि पहले उसको depreciation 10 लिखना पड़ता था, अब कितना लिखना पड़ेगा, खाली 9, तो बस आप ये समझा दोगे, कि अगर हम accounting policy change करेंगे, त तो 10,000 depreciation लिखना चाहिए था पहले, लेकिन अब हम खाली 9,000 ही लिखेंगे क्योंकि method change हो गया, तो एक तरह से हमने P&L में कम खर्चा लिखा, तो इसको हम यह भी कह सकते हैं कि इस वज़े से हमारे इस साल के profits 1000 रुपए जादा आ जाएंगे, तो आप यह example बता सकते हो, तो यह उससे पहले साल का नवंबर 2021 का आर्टीपी का क्वेश्चन ए तो सेम हो गया कैशर मर्कन टाइल का डिफरेंस बीमे कह रहा है कि अकाउंटिंग स्टैंडर्ड को सेट करने के फायदे बताओ तो दो मेन फायदे थे वैसे तो इसके लेकिन तो आप तीन लिख सकते हो कि एक तो कंप्यॉर बेलिटी बढ़ जाएगी है ना ग्लोबल कंप्यॉर बेलिटी बढ़ जाएगी ट्रांसपेरेंसी हो जाएगी तीसरा आप कह सकते हैं, यूनिफॉर्मिटी हो जाएगी, क्योंकि हर मुन्शी सेम तरह से काम करेगा, तो बस इसमें उसने वैसे भी स्टेट बोला है, तो स्टेट का मतलब होता है कि आपको खाली लाइन लिखने है, तो आप धाई नंबर के लिए कोई भी तीन पॉइंट्स है तो यह हमने अभी करा था मनी मेजरमेंट तो कहता है कि ट्रांजेक्शंस और इमेंट जो मनी की टाइम्स में वहीं रिकॉर्ड करेंगे और मैचिंग कॉनसेप्ट तो वह था जिसमें हम कह रहे थे कि रेवेन्यू अगर रिकॉर्ड हुआ तो उससे लेटेड एक्सपेंस को भी हम रिकॉर्ड कर दो और भी देखो वह से मिया गया तो यह चेंज इन अकाउंटिंग पॉल