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इंजीनियरिंग की ज़िन्दगी का हँसने वाला पहलू

Jun 9, 2024

इंजीनियर्स की ज़िन्दगी का हँसने वाला पक्ष

मुस्कान का किस्सा

  • मुस्कान नाम की फ्लाइट अटेंडेंट ने कहा कि वह अब इंडिया के लड़कों को डेट नहीं करना चाहती।
  • जब पूछा गया, तो उसने बताया कि उसे भारत के लड़के पसंद नहीं, जबकि फ़ॉरेनर्स उसे बेहतर लगते हैं।

इंजीनियरिंग का दौर

  • 2005-2010 में भारत में इंजीनियरिंग का बहुत चलन था।
  • माता-पिता अपने बच्चों को बिना सोचे-समझे इंजीनियरिंग में भेज देते थे।
  • छात्र तैर रहे थे, डूब रहे थे, मछलियाँ भी उनके साथ संभोग कर रही थीं।
  • इंजीनियर्स की शामत आई थी – प्यार और पैसे दोनों की कमी।

बीटेक करने वालों की दुर्दशा

  • बीटेक करने वाले छात्रों की संख्या बहुत बढ़ गई थी।
  • समय ऐसा था कि 30 लाख के पैकेज का सपना देखा जाता था लेकिन हकीकत में 3.2 लाख रुपए तक ही पहुँच पाते।
  • कैंपस प्लेसमेंट एक मजाक लगने लगा था।

मैनेजमेंट कोटा का संघर्ष

  • छात्र अपनी मेहनत से एडमिशन लेते हैं, वहीं मैनेजमेंट कोटा वाले पैसे देकर एडमिशन लेते हैं।
  • मैनेजमेंट कोटे वालों की फीस और डोनेशन की अलग समस्याएं होती हैं।

हॉस्टल का जीवन

  • हॉस्टल में शराबखोरी और नशे का माहौल था।
  • पौधों की स्थिति खस्ता थी, और छात्रों के बाथरूम भी शराबखाने बन गए थे।
  • लड़कों के बर्थडे पर उनकी मौत निश्चित लगती थी।

इंजीनियरिंग और वाकई का संघर्ष

  • इंजीनियरिंग करने वाले छात्र अक्सर अपनी डिग्री नहीं लेते हैं।
  • जॉब मिलने की संभावना कम होती है, विशेषकर छोटे कॉलेजों से।
  • कुछ छात्रों ने नौकरी का सपना छोड़ अपने डिग्री उठा ली।