बिस्मिल्लाह रहमान रहीम अस्सलाम वालेकुम नाजरीन आज मेरे साथ एक बड़ी अहम और बड़ी तारीखी शख्सियत मौजूद है बरे सगीर में दीनी रिवायत के सबसे बड़े अलंबरदार और अमीन मौलाना सैयद अबुल आला मदद के नाम से पाकिस्तान क्या बरे सगीर क्या दुनिया में जहां भी मुसलमान बसते हैं इस नाम से आगाह हैं उनका जो इल्मी वरसा है मुख्तलिफ जबान में छपक हर मुसलमान के हाथ में इस वक्त मौजूद है और हम यह देखते हैं कि व अपनी जात में इल्म और दानिश के एक हसीन और जमील पैकर थे और उन्होंने अपने कलमी सफर का जब आगाज किया तो मुसलमानों की हालत इतनी अच्छी नहीं थी और उन्होंने कोशिश की और कोशिश अपनी इंतिहा तक चली गई जिस तरीके से उन्होंने बरे सगीर के मुसलमानों को बेदार करने के लिए जद्दोजहद की और अपना सब कुछ वक्फ कर दिया उसके लिए और जो कुछ उन्होंने वक्फ कि उसमें यहां तक बात की जाती है कि उन्हें अपने घर के मामलात तक मुतजेंस पर भी उस तरीके से तवज्जो नहीं दी जितनी उन्होंने अपनी तस्नीफ पर तवज्जो दी अपने इल्म पर तवज्जो दी और मुसलमानों के जो हालात थे उनको बेहतर बनाने के लिए तवज्जो दी और अपनी जमात को मुस्तहकम करने के लिए तवज्जो दी आज हमारे साथ मौजूद हैं मौलाना सैयद अबुल आला मूरी साहब के साहबजादे हुसैन फारूक मौजूद साहब ये अमेरिका में रिहाइश पजीर हैं और पाकिस्तान तशरीफ लाए हुए थे यहां पर उन्होंने शमार इलाका जात की सहर भी की और फिर उसके बाद यहां इस्लामाबाद में जो कुछ अहम शख्सियत हैं जो मौलाना महदूद साहब से खास अकीदत रखती हैं उनके साथ उनका इठ हुआ मैंने उनसे दरख्वास्त की कि आप थके हुए हैं लेकिन हम यह चाहेंगे कि आप स्टूडियो में तशरीफ लाएं और हमारे नाजरीन के साथ कुछ बातचीत करें और हुसैन सा मुझे मौला मुदरी साहब का एक जुमला एक याद आता है के जब वो आखरी उम्र में बीमार पड़ गए तो उन्होंने लिखा कि एक वक्त था के मेरी आंखें मुझे कहती थी कि मैं हम थक गई हैं अब हमें सोने दो तो मैं सोता नहीं था और मेरा जिस्म मुझे कहता था कि मैं काम करते करते थक गया हूं मुझे आराम की जरूरत है तो मैं अपने जिस्म को आराम नहीं देता था तो उम्र के इस हिस्से में अब आंखें सोना चाहती हैं तो उन्हें नींद नहीं आती और रीड की हड्डी बार-बार कहती है कि अब जब मेरे आराम का वक्त है तो आपने मुझे आराम नहीं करने दिया तो मैं अब आपको आराम नहीं करने दूंगी तो आप भी थके हुए हैं तो मुझे इस थकावट से मौलाना के जुमले हैं मु याद आ गए तो बहुत-बहुत शुक्रिया आपका आप यहां तशरीफ लाए मुझे थोड़ा सा हुसैन सा बताइएगा कि आपका अपना जो खानदान है जो पस मंजर है थोड़ा सा बताइएगा बहन भाई कितने थे बच्चे कितने हैं क्या कर रहे हैं हम लोग नौ बहन भाई थे जिसमें एक मेरी हमरा का इंतकाल हो गया है सही अब हम आठ रह गए हैं अच्छा उसमें से मेरे एक सबसे बड़े भाई तो लाहौर मटन में है रिटायर्ड लाइफ गुजार रहे हैं उनका क्या नाम है उमर फारूक वो सबसे बड़े हमारे सबसे बड़े बहन भाइयों सबसे बड़े उमर फारूक स उसके बाद डॉक्टर अहमद फारूक जो बफलो न्यूयॉर्क में है वो को 60 साल से वहीं है और उन्हीं के यहां हमारे वालिद का इंतकाल हुआ था उन्हीं के पास गए हुए थे उसके बाद मोहम्मद फारूक है वो भी लाहौर में मैं उसके बाद हूं चौथे नंबर प चौथे नंबर पे मैं बफलो इस वक्त टेक्सस स्टेट में हूं और ह्यूस्टन शहर में सही और आजकल मैं मैं मेरी वाइफ भी आई हु है और मेरे ग्रैंड सन भी मेरे साथ है जो पाकिस्तान की शहर करने के लिए आए मेरे साथ उनको हम शुमाली जात में ले गए उनको सारा शहर करवाई सही अच्छा हुसैन साहब ये बताइएगा कि यह जो जमात इस्लामी का पूरा एक पस मंजर बयान किया जाता है और उसमें ये कहा जाता है कि मौलाना मदी ने जितनी तवज्जो जमात को दी अपने बच्चों को और अपने घर को वो तवज्जो नहीं दे पाए क्या ये बात दुरुस्त है ये उन्होंने लिखी भी है बहुत जगह कि मेरे पास ना उन्होंने कहा कि मैंने अपने बच्चों को अल्लाह के सपोर्ट कर दिया है क्योंकि मेरे पास वक्त नहीं है उनको देने के लिए सही बल्कि मैं आपको वाकया सुनाऊ कि मैं जब बीए की एडमिशन के लिए मैं उनके पास गया तो उन्होंने मुझे कहा तुमने अच्छा मैट्रिक भी कर लिया एफ भी कर लिया अच्छा उन्हे इल्म नहीं था कि आपने मैट्रिक और एफ कर लिया है उनको ये भी इल्म नहीं था वो तो और बिल्कुल वो यानी जो बच्चों के मामलात थे वो वाकई उन्होंने अल्लाह के सपोर्ट कर दिया था तो हम लोग मैं ये कहता हूं मेरे भाई भी कहते हैं कि हम जो कुछ है वो खुद है अपने बलबू मैं हुसैन फारूक मैं खुद हूं हुसैन फारूक इसमें किसी का कोई या नहीं सही तो जो कुछ में और उन्होने हमें आजादी दी थी कि हम जो चाहे करना चाहे जिस सब्जेक्ट में जाना चाहे हमारी बहन अंग्रेजी एमनी करनी चाहती थी सही ग उनको मालूम था कि लिटरेचर में क्या है हम उन्होंने दबे अल्फाज में मुखालफत भी की लेकिन इजाजत भी दी सही ठीक क्यों लिटरेचर आपको मालूम है इन्होने अंग्रेजी जो कुछ उस लिटरेचर में है एक मजबी आलम दन के घर में बच्ची पढ़ किया उन्होंने अंग्रेजी एम किया फिर उनको सऊदी अरेबिया में इंग्लिश डिपार्टमेंट में अंग्रेजी यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी प तालि बात को अंग्रेजी पढ़ाने के जॉब भी मिला अच्छा वो भी हमारे वालिद के थ्रू उनको मिला सही तो हम लोग जो कुछ भी है खुद है खुद है तो यानी इसमें मौलाना मदी साहब जिस तरह उन्होंने कहा कि मैं अपनी औलाद को को अल्लाह के सुपुर्द कर दिया है तो वो इस तरना खास तवज्जो नहीं दे पाए नहीं बाज लोग ये बात भी करते हैं कि बच्चों के अंदर जो रेजिस्टेंस पाई जाती है जमात के खिलाफ तो कहीं इसकी वजह यही है कि मौलाना महदूद तवज्जो नहीं दे पाए थे बच्चों पर इस वजह से एक रद्दे अमल बहुत ज्यादा पाया जाता है नहीं वो असल में उसकी बेसिक वजह ये है ना कि अबन का जो काम था हमारे वालिद का वो घर और अपना दफ्तर अलग नहीं कर सकते थे सही बिल्कुल तो हम लोग जो बड़े हुए ना तो जमात के लोगों से हमारी लड़ाइयां और वो ये सब की वजह यह बनी कि हम लोग बिल्कुल ही और फिर उनका कभी ये ख्वाहिश नहीं थी कि हम बच्चों में से या कोई भी यानी जमात का रुकन बने या कोई जैसे बहुत सारे लीडरों की ये ख्वाहिश है कि उनके बाद उनका बेटा या वो वो संभाले उनकी जगह हमारे वालिद का ये बिल्कुल नजरिया नहीं उने बिल्कुल कहीं यह कोशिश नहीं की कि उनके बाद उनके बच्चों को रुकने बनाया जाए या उनको आगे बढ़ाया जाए नहीं यानी मौलाना की अपनी ख्वाहिश भी नहीं थी और जमात ने भी कभी कोशिश नहीं की कोशिश नहीं बल्कि बल्कि येना कि उन्होने कोशिश नहीं की लेकिन ये कि अब ने कभी उनको कहा भी नहीं जमात वालों को कि मेरे बच्चों को जमात में लो या नहीं और ना हमने कभी हम में से किसी की ख्वाहिश नहीं थी कि हम जमात में कोई किसी पोजीशन पर पहुंचे सही और जमात को और अपनी औलाद को उन्होंने बिल्कुल अलग रखा सही अच्छा हुसैन साहब मैं थोड़ा सा आऊंगा जमात के खलाफा अपनी जगह पर है मौलाना मदी साहब की जो शख्सियत थी बतौर वालिद एक फ्रेम अगर आप बनाए एक तस्वीर बनाए तो मौलाना महदूद कैसे दिखते हैं उस तस्वीर में आपको ब उनका सबसे बड़ी बात है कि उनका हर चीज एक उसूल जिंदगी का जा जिस पर वो चल रहे थे ठीक और उनकी सबसे बड़ी खुशी थी उनके जो टाइमिंग और उनके तमाम चीजें वो इतनी एक्यूरेट और इतनी सही थी कि एक मिनट कहीं से कहीं लेट नहीं होता था जितना जब उनके खाने के टाइम एग्जैक्ट टाइम पे वो खाने की मेस पे होते थे अच्छा नाश्ते के भी एग्जैक्ट टाइम प नाश्ते की मेज प होते थे रात का खाना हम लोग उनके साथ खाते थे सब हमारी कोशिश होती थी कि सब अपने अपने काम खत्म करके रात का खाना उनके साथ इठे खाते तो जब खाने की टेबल पर बैठते थे तो क्या बातचीत होती थी आपके साथ मुख्तलिफ सियासत भी होती थी जमात वाले भी होते थे मेरा रवैया बहुत नरम हर चीज में था वैसे बड़े भाई जो मोहम्मद फारूक हैं वो काफी अग्रेसिव थे इन चीजों में वो बहुत शिकायात भी करते थे तो फिर हमारे वालिद यही कहते थे कि यही लोग हैं जो जिन्होंने मेरा साथ दिया है हम तो इन्हीं के साथ चलूंगा अच्छा मोहम्मद फारूक साहब को जमात के लोगों से शिकायात थी जिनका वो मौलाना से जिक्र करते थे तो उनको ये कहते थे यही लोग हैं जिन्होंने मेरा साथ दिया है तो उन्हीं के साथ गुजारा करें आपके साथ साथ गुजारा करें अच्छा मुझे बताएं कि आपको मौलाना ने कभी डांट डांटते थे भाइयों को या कभी कोई मार पटाई मूमन जो हमारे वालदैन मज भी लोग बहुत ज्यादा करते हैं नहीं नहीं अच्छा मुझे याद है मेरी एक दफा अच्छा मैं एक दफा जब गवर्नमेंट कॉलेज में पढ़ता था तो रात को एक ड्रामा था या क्या उसमें से मैं निकला तो उस वक्त ट्रांसपोर्ट तो होती ही नहीं थी रात ड्रामा कहां पे कि थिएटर में या कॉलेज में अच्छा कॉलेज अच्छा फिल्म मिल्म देखने नहीं हम जाते थे लेकिन ये कि वो इजाजत नहीं देते थे या आप जाते नहीं नहीं हम जाते भी नहीं थे ज्याते भी नहीं शौक भी नहीं था ज्यादा बाद में मैंने शादी के बाद दो चार फिल्में देखी अंग्रेजी की वो भी पाकिस्तानी इंडियन उर्दू फिल्में कोई शौक नहीं था अच्छा सही लेकिन अंग्रेजी की जो जैसे बैन होर थी अच्छा अच्छा इस तरह की जो बड़ी तारीखी फिल्में थी लेकिन ये कि मैं ड्रामे से निकला रात लेकिन कोई सवारी नहीं मिली हम और हमारे पास कोई सवारी नहीं थी ना स्कूटर ना साइकिल ना कोई तो मैं पैदल घर आया उसमें मैं लेट हो गया अच्छा तो उस वक्त फिर मुझे एक दफा उन्होंने बस पूछा कुछ नहीं कि क्यों लेट हुए क्या लेकिन बस वोरी एक दफा जिंदगी में पटाई की एक दफा बस अच्छा बस उसके बाद कभी नहीं तो आपने शिकवा नहीं किया कि आपने मुझसे पूछा ही नहीं हम लोग बोलते नहीं थे अच्छा उनके सामने नहीं बो तो क्या उनका रोब बहुत ज्यादा था रोब बहुत था अच्छा इस वजह से वो बात नहीं करते थे ना ज्यादा वो बोलते ज्यादा नहीं थे अा अच्छा लेकिन ये कि हंसी मजाक और वो अच्छी बातें ये वो सब बहुत प्यार बहुत करते थे अच्छा मैं एक दफा बीमार हो गया तो मुझे याद है कि वो सारी रात मेरे सरने में बैठे रहे अच्छा सारी रात मैं अनकॉन्शियस हो गया था गिर गया था कहीं तो व सारी रात मेरे सरने बैठे रहे अच्छा अच्छा हुसैन साहब ये बताइएगा किय जो आपने कहा कि वह रात को बैठते थे और बैठ के थोड़ी सी गपशप लगाते थे मौलाना मदी का जो हमारे सामने चेहरा बनता है तो इंतहा संजीदा आलिम दन के तौर पर है और ऐसा लगता है कि जैसे वह बड़े मिजाज में सख्त है पाबंदी औकात में बहुत सख्त है मामलात में बहुत सखत है मुजा करराक्स बनती है तो उसमें सख्ती ही दिखाई देती है वो बिल्कुल इसके अपोजिट और फिर उनकी उनके मजा की किताबें भी छपी हुई है जी जी हां और फ कुछ आपको याद है उनका मजा कोई कैसे होती थी जैसे या असर की नमाज के बाद वो बाहर बैठते थे उनकी महफिल जमती थी अच्छा और उस महफिल में असर की नमाज के बाद ये इमरान खान के वालिद भीला ी साहब रिटायरमेंट के बाद वो भी होते थे जनरल आजम खान जिन्होंने उनको फांसी की सजा सुनाई थी वो भी उस महफिल में बैठे होते थे वो सारी उम्र यही कहते थे कि मैं वो कफारा अदा कर दूं हालांकि वो तो एक कैप्टन थे उस वक्त जो ऊपर से लिखी सजा वो उन्होंने सुनाई थी कादियानी मसले पे अच्छा तो वो भी आके बैठे होते थे और सारे ल जिसको भी मिलना होता था वो शाम को आ जाता था वो महफिल अा यानी ये पब्लिक गैदरिंग होती थी जो जिसका जी चाय आके मिलता था तो वो असर की नमाज से मगरिब तक सही और फिर मगरिब की नमाज पढ़ के लोग जाते थे घरों को सही कोई खास वाकया याद है कि उस दौरान आपको कोई उनका मजा हमारे नाजरीन के लिए कोई कोई वाकया ऐसा हो जिसे आप याद करते अभी मुस्कुराहट आ जाती है चेहरे पर असल में बहुत सारी चीजें थी इस वक्त जहन में तो नहीं आ ये था ये लाहौर का वाकया था कि लाहौर का मेयर भी एक राना नजर रहमान और एक राना लाद भी तो जी जी हां उसपे उन्होंने कहा था कि लाहौर जो है दो दौरान के दरमियान दोरान के दरमियान आ गया महूर बात अच्छा अच्छा और तर के बहुत से वाकत मौलाना मदी के हैं उनकी जो हिस्से लता फत है और इससे मजा है जिसकी नुमाइंदगी करती है उनकी अच्छा थोड़ा सा हुसैन साहब यह बताइएगा कि आपने एक किताब भी लिखी है और वो जो किताब है आफताब इफा सद अबू आला मदी इस किताब में आपने बहुत सी चीजों का जिक्र किया मौलाना की शख्सियत के हवाले से भी और आपके और जमात के जो आपस में खलाफा है उनके हवाले से भी आपने बातचीत की है यह बातें बड़ी अहमियत की हाल है लेकिन थोड़ा सा ये बताइएगा कि अ इंस्पायरेबल खराब है मैं किसी डॉक्टर से के पास जाना चाहता हूं तो उन्हें किसी ने बताया कि जिस तरह आपका मैटर का उन्हें नहीं पता था बीए एफ ए का नहीं पता था तो किसी ने उनको बताया कि मौलाना आपकी अपनी बेटी भी तो डॉक्टर है ना यह वाकया दुरुस्त है नहीं उनकी कोई बेटी डॉक्टर नहीं थ अच्छा ये वैसे ही कहा जा हमारी बहन हमारी कोई हम मेरे भाई डॉक्टर हैं भाई डॉक्टर है अच्छा वो यहां रहते ही नहीं थे तो इसलिए नहीं ये बात अच्छा बहुत सी चीजें ऐसी हैं कि जो हम देखते हैं कि सुनी सुनाई होती है और मशहूर हो जाती हैं तो यह मेरा ख्याल है कि बहुत अच्छा होता है कि आप अपने दौर के उन लोगों से इंफॉर्मेशन जो है व जरूर ले लिया करें अच्छा थोड़ा सा यह बताइएगा कि मौलाना मूदीराम एक उनके जो बड़े भाई हैं मौलाना सैयद अबुल खैर महदूद साहब और मौलाना अब्दुलसलाम नियाजी साहब उनका जिक्र बतौर खास आता है और दोनों की आपस में दोस्ती का ताल्लक भी मौलाना अब्दुल खैर मदी साहब का और नियाजी साहब का बड़ा जिक्र आता है और बड़े तायफ भी और बड़े जुमलेबाजी जो है वो भी हमने पढ़ी है मैंने एक किताब पढ़ी थी मौलाना अब्दुलसलाम नियाजी साहब से मुतालिक जो लिखी हुई थी उसमें बड़े वाकत है वो वाकया में चाहूंगा कि बतौर खास आप जरा जिक्र करें जिसमें अब्दुलसलाम नयाज साहब ने कहा था मौलाना मूदीवल्ला वहां पर आप होने चाहिए वो क्या वाकया था वो जब ये मेरे वालिद उनसे यानी प जमाने में पढ़ रहे थे तो उनका यह हुकम था कि आप जब फजर की अजान हो र हो तो आप मेरी सीढ़िया चढ़ रहे हो सही मेरे हुजरे की जहां जहां वो रहते थे तो उनका घर जो था कोई डेढ़ दो मील के फासले प था तो सर्दियों में पैदल वो चल के जाते थे और जब सीढ़ियां चढ़ रहे होते थे तो उनकी ऊपर से आवाज आती थी शाहजी आज मूड नहीं है आज पढ़ाने का मूड नहीं है आज मूड नहीं है उसी तरह वापस आ जाते वापस आ जाते इस तरीके से उन्होंने क्योंकि ना वो हमारे वालिद किसी स्कूल में गए ना किसी कॉलेज में ना ना किसी यूनिवर्सिटी ना किसी मदरसे में मद में कहीं उन्होने सब खुद हासिल किया और अपने ताय अपने बड़े भाई से अपने जो बड़े भाई हैं तो ये एक वाकया बड़ा मशहूर है मौलाना अबुल खैर महदूद साहब का और मला अब इलाम नियाजी साहब का और वो यह है कि वो एक दिन दोनों इकट्ठे हुए तो मौलाना अलाम नियाजी साहब ने कहा कि अबुल खैर आओ चलते हैं अल्लाह की राह में जो सबसे प्यारी चीज से कुर्बान करते हैं तो उन्होने लेकर निकले और नाई की दुकान पे चले गए उने कहा हम दोनों की दढ़िया शेव कर दो ये वाकया दुरुस्त है नहीं मैंने नहीं सुना अच्छा अच्छा लेकिन अलाम क्लीन शेव करते थे उन्होंने शे बाद में उद शे दिया उन्होंने शेव करनी शुरू कर दी थी जी बिल्कुल अच्छा थोड़ा सा ये बताइएगा कि ये जो आपने कहा कि उन्होने सारी तालीम मौलाना मदी साहब ने खुद हासिल की और उन पर सबसे बड़ा इल्जाम यही है कि ये किसी स्कूल में ये किसी स्कूल इनका कोई उस्ताद नहीं को इनकी डिग्री कोई नहींन उस्ताद ही कोई नहीं तो ऐसे शख्स के बारे में कहा जाता है और सबसे बड़ा तराज ये किया जाता है कि सिलसिला तालीम का नब नहीं है बकल इनके पास नहीं है तो कहते हैं ना किस मदरसे से तालीम हासिल की उलमा जो कहते हैं किस फिक से ताल्लुक रखते हैं सही तो इसका खुद मौलाना ने कभी कोई जवाब दिया इस तराज का वो असल में उनका तरीका यह था कि किसी तराज का जवाब देते ही नहीं थे वो कहते थे मेरे पास इतना वक्त नहीं है कि लोगों के तराज का जो मुझे करना है वो मैं करता जा जागा सही लोग तराज करते रहे मुझे उससे फर्क नहीं पड़ता अच्छा ये भी एक सुना वाकया है कि मौलाना मदी जिस जगह जुम्मे की नमाज पढ़ने के लिए जाते थे उस मस्जिद के इमाम जो थे वो उनके खिलाफ तकरीरें करते थे ये चुप करके सुनते रहते थे ये दुरुस्त बात है एक वाकया हुआ था सिर्फ अच्छा मौलाना मोहम्मद उमर इरवी जी जी हां मशहूर वो हमारे घर से थोड़े से फासले पर उनकी मस्जिद थी हमारे घर तक भी जा लेकिन उस मस्जिद में हमारे वालिद नमाज पढ़ने नहीं जाते थे क्योंकि वहां वो या वालिद पर तबरा भेजते थे सही तो एक दिन यह हुआ कि मैं उनके साथ था मैं लेकर जाता था उ तो सब जगह से नवाज करते वहां सिर्फ रह गई थी अच्छा तो हम वहां चले गए तो वहां पीछे जब खड़े हुए तो उन्होंने देख लिया तो उनके बैठे ही उन्होंने शुरू कर दिया बयान प अच्छा और बाद में नमाज के बाद लोग सारे इकट्ठे हो गए बहुत सारे वहां कि यह क्या आपने गजब किया कि आप इनकी मस्जिद में आ ग उन्होने क मस्जिद तो अल्लाह की है इनकी किसी मसल की तो मैं नमाज पढ़ने आ ये तो मस्जिद सारी लेगी अच्छा मौलाना उमर अरवी ने कहा नहीं उन्होंने लोगों ने कहा अच्छा लोगों ने कहा एक दफा एक और भी वाकया हुआ था कि हम इस्लामाबाद से लाहौर जा रहे थे अच्छा मैं ही गाड़ी चला रहा था तो रास्ते में मगरिब का वक्त हो गया अच्छा तो हम रास्ते से जीटी रोड से उतर के एक मस्जिद में नमाज पढ़ने चले गए तो वहां नमाज शुरू हुई हुई थी हम पीछे जाक खड़े हो गए तो जब इमाम ने सलाम फेरा सही और वो दरूद सलाम वाली मस्जिद थी तो शुरू कर दिया तो तो लोगों ने पीछे देखा मला मदी खड़े हुए हैं सही तो हम जब नमाज पढ़ के बाहर निकले तो एक मजमा इकट्ठा हो गया सही उन्होने कहा जी ये तो उनकी मस्जिद है आपने ये क्या कदम किया इसमें आ गए उन्होंने कहा ये मस्जिद लेगी आपके बाद उन्होने या यह हालत थी कि लोग अगर हमारे वालिद वहां नमाज पढ़ ले तो उसको कहते थे अब ये नापाक हो गई है नापाक हो गई है मस्जिद को धो सही ठीक अच्छा यानी इस तरह की ये जो क्या कहते हैं लोगों के दरमियान इस तरह के जो मामलात थे वो यहां पर मौजूद थे और लोग इन चीजों को बहुत कम वो करते थे अच्छा थोड़ा सा मुझे बताइएगा कि मैंने जिक्र किया मौलाना अब्दुलसलाम नियाजी साहब के साथ वो पढ़ते थे फिर वो पठानकोट में उन्होंने एक बस्ती बसाई थी पूरी दारुस्सलाम के नाम से तो वो इसलिए बसाई गई थी कि यहां पर जमात इस्लामी जो है उसको बनाया जाए वहां पर सब लोगों को इकट्ठा किया जाए और फिर वहां से वो हिजरत करके पाकिस्तान आ गए तो मुझे बताइएगा वहां पठानकोट में तो बड़े मामलात थे उनके तो जब यह वहां से पाकिस्तान आ गए तो पाकिस्तान में ये जो क्योंकि सारा इस वक्त जो क्लश है व सारा उसी जगह से बना हुआ है तो ये सारी कहानी क्या थी तो मुसर नगर असल में ये जो इसका आइडिया था अल्लामा इकबाल का था सही और जिनकी वो जगह थी वो अल्लामा इकबाल के दोस्त थे चौधरी नियाज अली खान सही ये लाहौर वाली या पठानकोट वा पठान पठान लाहौर में तो जहां मैं रहता हूं इस्लामिया पार्क जो जमात इस्लामी बनी थी वो उसी एक गली में मकान भी मौजूद है जिसमें ये पहले लोग इकट्ठे हुए हैं और जमात इस्लामी बनी है अच्छा और जिसमें उन्होंने बहन को अमीर चुना है अच्छा ये वहां इजलास हुआ था अच्छा उ औरतों में मेरी सास भी थी और भी और थी अच्छा सही तो वो वहां बना तो राबता था अल्लामा इकबाल से सही तो उन्होंने अल्लामा इकबाल को यह हुआ कि चौधरी नियाज अली खान साहब ने कहा कि मेरे पास जगह है मैं यह वफ करना चाहता हूं सही तो उन्होंने कहा कि आप मौलाना महदूद से मिले उनको यह दावत दे हम और उनको दारुल सलाम की दावत है हमारे वालिद को उन्होंने मैसेज भिजवाया कि ये आ रहे हैं और ये उनका जो आपका आईडिया है जमात बनाने का ये उसकी बेहतरीन जगह हो सकती है अच्छा तो हमारे वालिद फिर पठानकोट वो फिर जमात में शरीफ भी हो लेकिन बाद में फिर निकल चले गए थे च खान सही तो ये पठानकोट उस वक्त ये पठानकोट की कितनी जगह थी तकरीबन ये पूरा यानी एक गांव था अच्छा उसमें सर्व क्वाटर बहुत सारे बने हुए थे एक में हमारे वालिद थे और ये सब गैर आबाद था लेकिन जब यानी जब ये आबाद किया जाए तो ये होता था कि रात खाना खा रहे हैं बैठे हुए थे ये सांप चला गया अच्छा बिच्छू निकल आया अच्छा पठानकोट में ये हालात है यानी उजाड़ जगह थी ना अच्छा सही ये जब इन्होंने बसाया है जाकर सही तो ये हालत थी अच्छा जो हमारी वालिदा कहती है कि वो सांप निकल के चला जाता था एकदम से अच्छा तो ये बताए कि पठानकोट की वो जो बस्ती है वो अभी भी जमात इस्लामी हिंद के पास है या वो नहीं नहीं वो तो उसी वक्त हिंदुओ ने कब्जा कर लिया अच्छा हिंदुओं ने कब्जा करया उस वक्त उनकी जुर्रत नहीं हो रही थी वो समझते थे कि यह बड़े ऑर्गेनाइज लोग हैं और जमात वालों ने वहा खंदक खोद के ना और बंदूक और वो रात को पहरा देते थे तो उस पूरे इलाके में ये मशहूर हो गया था कि ये कोई बहुत ऑर्गेनाइज ग्रोह है तो वो अटैक से बचे रहे अच्छा तो फिर पहला जो ट्रक वहां से चला औरतों बच्चों का उसमें हम बच्चे मैं उस वक्त दो साल का था अच्छा मैं उस वक्त दो साल था दो साल था मेरा छोटा भाई जो है वो चंद महीने का था हैदर हैदर फारूक मदी हां वो चंद महीने के बोध में थे तो फिर यहां इस्लामिया पार्क में मौलवी जफर इकबाल किया हां हम बी हमारी वालिदा और बच्चे उतरे थे सही अच्छा और बाकी जो लोग थे जमात के वो मुख्तलिफ जगहों पे उनको भिजवाया बहन ने रसूला खान अजीज थे वहां टेंपल रोड पेके कुछ नान उनके यहां उतरे कुछ और जगहों पे सही इस और फिर आखरी आदमी जब निकल गया वहां से तब हमारे वालिद निकले जब तक एक आदमी भी चला गया व जमात का उसके बाद वहां से ख सही अच्छा आपकी उम्र तो दो साल थी मौलाना की कितनी उम्र थी उस वक्त 1903 की पैदाइश थी तो आप समझ ली 47 में क्या 47 में 30 30 30 35 के दरमियान के थे ठीक है अच्छा हुसैन साब थोड़ा य बताइएगा कि जो ही आप पाकिस्तान आ गए मौलाना यहां पर पहुंचे तो यहां पर हम दे इरा में लन पहले मतलब वहां से आप इरा आ गए थे नहीं यह हुआ था कि जब आ गए ना पाकिस्तान बन गया तो अबन जी आ गए तो चौधरी मोहम्मद अली साहब क्योंकि उस वक्त उस गुरु प ने पाकिस्तान बनाया और अबन के बहुत दोस्तों में से थे उन्होंने यह जो मदरसातुल बनात है ना लाहौर में सही वो जो वो सोहनलाल कॉलेज था सही सोहनलाल कॉलेज था और उसकी सोहनलाल की तीन कोठिया थी अच्छा वो सारा अन को अलट कर दिया अच्छा जो जायदाद छोड़ के आए थे ना उस व हैदराबाद में और प पठनकोट तो लेकिन हैदराबाद में और दिल्ली में जो जायदाद छोड़ के आए थे उसके बदले में वो पूरा अ सही तो जमात के लोगों असल में जब ज अपने मवी जफर इकबाल साहब के इस्लाम पाक में थे तो बारिश हो रही थी तो सामने मैदान में रोलद से टेंट लेकर लगा के जमात वाले उसम थे अच्छा टेंट में रह रहे थे सिर्फ अभन उसी में रहते थे लेकिन हम बच्चों को उन्होंने बरसात की वजह से मौली जफर इकबाल साहब के घर में भेज दिया था अच्छा उस जब उस उसको साफ कर रहे थे तो यह मदरसातुल बनाज की जो हमरा बेगम अब पता नहीं हैया है या नहीं वो अबन के पास आए उन्होंने कहा जी ये प्रॉपर्टी हमें अलॉट हो गई है अच्छा तो मेरे वालिद ने कहा कि ये प्रॉप अलॉटमेंट प अलॉटमेंट कैसे आ सकती है सही तो उन्होंने कहा जी आप यूं करें क्योंकि हमें मदरसा बनाना है हम तो आप सोनलाल कॉलेज हमें दे दें और तीन कोठियां आप ले ले अब मैंने कहा कि जो लोग इतने बनत हो सकते हैं कि एक अलॉटमेंट के ऊपर एक और अलॉटमेंट दे दे उनके मैं तो इन लोगों के साथ नहीं चल सकता ये कल फिर मुझे निकाल के बाहर खड़ा कर द उन्होने कहा जी आप पूरा ही ले लीजिए फिर येरे की कोटी 50 रुपए में किराए प ली गई थी अच्छा फिर ये हम वहा मंत्र कर सही तो इरे वाली कोठी में सिर्फ मौलाना का घर और आप नहीं जमात का दफ्तर घर वहां पर मौजूद ये मंसूरा कब लिया मंसूरा तो बहुत बाद की बात है अच्छा उसमें मंसूरी की जगह इन्होंने खरीद जगह इन्होंने खरीद रही थे बनाना चाहते थे लेकिन उस जमाने में एक अहमद नसरुद्दीन थे पता नहीं हयात है सही टेरियन थे लेकिन इटली में सेटल हुए बहुत बड़े बिल्डर था दुनिया में स्विटजरलैंड में इटली में मरोक्को में दुनिया में बड़े बड़े वो अब इनकी कुछ किताबें पढ़ी तो वो ता हुआ निकला उनको वहां से अच्छा इजिप्ट गया वहां वो जो है उस यूनिवर्सिटी जो है अच्छा जामदुल अजहर में जाम अजर में उन्होंने कहा नहीं ये तो पाकिस्तान में रहते हैं फिर वो कराची पहुंचे सही सही कराची में फिर उन्होंने कहा नहीं वो तो लाहौर में रहते हैं वो लाहौर आ गया अच्छा और टैक्सी वाले ने उनको यहां पहुंचा दिया अच्छा तो बड़े गिफ्ट और ये चीज में बहुत अमीर आदमी था तो उसने कहा कि मैं आपकी खिदमत करना चाहता हूं मैंने कहा कि मैं तो किसी से खिदमत कराता नहीं हां उन्होंने कहा अगर आपने करना है तो येय जमात वा ने जमीन ली हुई है इनका हेड क्वार्टर बना दीजिए मंसूरा सही तो उसने कहा जी बिल्कुल मैं बना देता ये मंसूरा की जमीन खरीदी हुई थी उस कंस्ट्रक्शन करते हैं आप पूरी डेवलपमेंट घर ये तमाम ऑफिसेल मैं बना दूंगा तो ये उन्होंने बनाया था इसकी भी बहुत तफसील है लेकिन उस तफसील में जाएंगे फायदा सही हां लेकिन ये बताए कि मंसूरा की जमीन कितनी है कुल मुझे कुछ अब बहुत और भी ले ली फिर उन्होने बाद में और जमीने ले ली वो साथ स्टूडियो था वो भी खरीद लिया अच्छा इन्होने फिर बहुत बढ़ा दिया उसको लेकिन ओरिजिनल कम थी सही ये स्टूडियो बाद में लिया फिर उसके सामने भी जमीने ले ली पीछे भी जमीन ले ली सही बाद में सही ठीक हो गया अच्छा ये थोड़ा सा बताइएगा कि आपने जो किताब लिखी है उस किताब के कुछ इतबा सात मैंने भी पढ़े तो एक राय जो किताब पढ़ के बनती है वो यह है कि मौलाना मदी साहब की औलाद होने के नाते आप सारे बहन भाई जो हैं उनमें कोई फिकरी हवाले से एक स्ट्रांग चीज सामने आती है जैसे मौलाना मदी साहब के सामने आ रही है तो आप बहन भाइयों में ऐसी कोई चीज सामने नहीं आई किताबें तो आप लोगों ने लिखी हैं और कंटेंट भी आप लोगों ने लेकिन वो सारा कंटेंट जमात के खिलाफ है और हम देखते हैं कि हैदर फारूक मौजूद साहब का जो रविया है बहुत ज्यादा रिएक्शनरी है लाजमी इसके पीछे कुछ ना कुछ चीजें होंगी तभी इतना सख्त रिएक्शन आ रहा है सारा तो ये थोड़ा सा बताइएगा कि जमात के साथ ये जो तसा दुम है ये जो क्लेश है इसकी वजू हात क्या है मतलब है कि जमात क्यों इतनी आपकी मुखालिफ है और आप लोग जमात के इतने मुखालिफ क्यों है देखिए ना हम तो कोई मुखालिफ नहीं है सही मतलब ये है ना कि हमारे वालिद ने अपनी जिंदगी में जमात को जो कुछ उन्होंने देना था उन्होंने जमात को दे दिया 80 किताबों से ज्यादा उन्होंने जमात को दे दी उसकी तमाम बाहर की रॉयल्टी हर चीज उन्होंने जमात को दे दी हमें सिर्फ आठ किताबें दी और एक तर्जुमा कुरान दिया अच्छा उसके भी उन्होंने तर्जुमा कुरान के भी एक मसाइल हल कर दिया उन्होंने कहा कि इसकी एडमिनिस्ट्रेशन में जमात नहीं दखल देगी और इसके एडिटोरियल में तुम लोग दखल नहीं दोगे अच्छा और मैं इसको चलाता मैं इसका प प पब्लिशर आप थे मैं प्रिंटर पब्लिशर मैं था उससे पहले ताया थे हमारे जब तक ताया हयात रहे वो रहे और उसके बाद उनके इंतकाल के बाद और कोई चारा नहीं था वरना तर्जुमा छपता नहीं उसके बाद ये मैंने अपने नाम करवा लिए नहीं क्योंकि ये सब कुछ करता था तो मेरे मेरे पास प्र पब्लिश थे उन्होंने ये दोनों को अलग कर दिया था और जब नईम सिद्दीकी साहब वाला मामला हुआ था जब ज काजी साहब ने उनको उससे तज मान से निकाला था क्यों निकाला का साहब उन्होंने आप पूरी डिटेल में जाते बुरी बयान करते मुसर थोड़ा सा अगर आप देखिए उन्होंने जमीयत के खिलाफ जब जमीयत में जो जमीयत जो कुछ यूनिवर्सिटीज में कर रही थी तो वहां के प्रोफेसर ने आकर नईम साहब से कहा कि नईम साहब जमीयत ये क्या कर रही है सही उस उससे बाद भी मैं एक दफा वाइस चांसलर से मिला ता हफीज नियाजी साहब के थ्रू अच्छा और मैंने उनसे शिकायत की थी कि आपका इस पंजाब यूनिवर्सिटी का दुनिया में कोई नाम नहीं है सबसे बेस्ट स्टूडेंट आपके पास आता है सारा पैसा आपको मिलता हैमत से और लम यूनिवर्सिटी कहां है उसपे उन्होंने कहा था इसके जिम्मेदार आपके वालिद है हम ये जो जमीयत को बना के बकट छोड़ दिया ना हम ये उसकी वजह है अच्छा जब नईम साहब से उन्होंने शिकायत की उस जमाने में पहले तो नईम साहब ने तीन आर्टिकल लिखे थे उसमें जमीयत के खिलाफ अच्छा कि ये लोग क्या कर रहे हैं अच्छा ये एडमिशन खुद कराते हैं ये नकले मारते हैं वहां पर बैठ के और दो लड़के खड़े होते हैं एक दूसरी तरफ और ये नकल मार रहे होते हैं बैठ के लड़के लियाकत बलोज साहब का उन्होंने बताया कि लियाकत बलोज साहब बैठे हुए थे उनके एक लड़का एक तरफ खड़ा हुआ था गले के एक तरफ और वो नकल मार रहे थे ये मेरी किताब में भी लिखा हुआ है वाकया अा हां आपने बिल्कुल तो वो वासल ने मुझे बताया था सही अच्छा इस पे जब उन्होंने आर्टिकल लिखे तो काजी साहब के पास इतनी फुर्सत नहीं थी कि वो तर्जुमा के इशारा पढ़ते हम वो तो काजी आवे आवे और जावे जावे उस ला में लगे हुए थे वो पढ़ते थोड़ी थे तो रम मुराद साहब ने उनसे कहा साहब य देखिए यह नईम साहब क्या लिख रहे हैं सही तो उन्होंने रात को बैठ के पढ़े और मुझे सुबह नईम साहब ने अपने घर बुलाया उन्होंने कहा कि सुबह काजी साहब नमाज के बाद धम धम करते आ गए उन्होंने दरवाजे दरदर की बेल नहीं बजाई मैंने दरवाजा खोला तो बगैर सलाम भी नहीं किया दुआ भी नहीं हाथ भी नहीं बलाया और एक जाकर कोने पर बैठ ग उन्होंने कहा जी आप क्या लिख रहे हैं तर्जुमा में अच्छा उन्होने कहा जो उन्होने कहा आइंदा आप नहीं लिखेंगे उन्होने कहा जी मैंने इस दफा के इशारा भेज दिए वो भी वापस मंगवा लू हम तो उन्होने कहा नहीं आइंदा आप नहीं लिखेंगे अच्छा और ये जिस फ्लैट में आप रहते हैं ये आप खाली कर द 24 घंटे में अा 24 घंटे में ये खाली कर दी अच्छा इस तरह यानी इस तरह जैसे धक्के में निकालना अच्छा इस बेइज्जती से और फिर जाते हुए कहते हाथ नहीं मिलाया ना सलाम दवा दिया तो नईम साहब ने मुझे बुलाया कि आप इसमें दखल दे आप प्रिंटर पब्लिशर है मैंने वही बात अबने वाली बात बताई मैं इसम दखल नहीं दे सकता एडिटोरियल जो है वो उनका काम है और पब्लिशिंग मेरा काम है ये पाबंदी वजह से मैं नहीं कर सकता नहीं कर सकता सही मैंने मात कर ठीक तो यह इस वजह से उनको तर्जुमा से काज साहब ने निकाला था सही सही आप जिक्र कर रहे थे कि नईम साहब को जब निकाला गया तो फिर क्या वाकत हुए नम साब आपके इशू थे जमात के साथ कोई नहीं उसके बाद या उन्होने तो नहीं लिखे खम मुराद लिखते थे एडिटोरियल अच्छ और बाद में सुलेमान खालिद लिखते थे पता नहीं कौन कन लिखता तर्जुमा कुरान था वो तर्जुमा कुरान आलमी कैसे बना और ये क्या इशू हुआ ये इन्होंने मुझ मुझ पर प्रेशर डालते रहे जब तक मैं यहां था 86 तक जब मैं इंचार्ज था ये मुझ पर प्रेशर डालते रहे कि आप जमात को दे दिए नहीं अ इसको तय कर गए मैं क्यों दू आप कहने लगे जी हम इसको बहुत ज्यादा तादाद में छाप मैंने कहा आपको छापने कोई पाबंदी नहीं हम आप 200 हज कहेगा मैं 200 हज में छाप दूंगा पैसे आप दे दीजिएगा उसके क्योंकि जो मेरा बिकता है वो तो 12000 बिकता है आप तो फ्री बांटेंगे ना हर आदमी को पांच पांच पर्चे देंगे आप कि ये पाटो फ्री तो उसके पैसे आप दे दीजिएगा उस परे नहीं आते थे सही मेरे बाद इन्होंने खालिद साहब मेरे छोटे भाई से जिनको मैं सारे इंतजा मात दे गया बगैर बहन भाइयों की इजाजत के उन्होंने जमात को दे दिया तो मैं जब आया तो मैंने इनको खत लिखे कि आप किसके तहत य इसम मेरा नाम कहां गायब हो गया ये कैसे मेरा नाम छपता था मैंने कहा जब मैं प्रिंट पब्लिश तो ये आप कैसे छाप सकते इन्होंने फिर एक ये लिया जाली लगा के आलमी अच्छा छोटा सा आर्मी लिख दिया उन्होंने हां बस एक और डिक्लेरेशन ले लिया अब मैं इसका प्रिंट पशन नहीं ह ये हमारा नहीं है इसका मला मदद से कोई तालुक नहीं ये जाली तर्जुमा कुरान छापते हैं तो जो असली वाला वो छप नहीं रहा बंद है इस वक्त मेरे पास है वो आपके पास बंद है और ये जो छप रहा है ये ये जाली है ये जाली इसम इतना सा नाम मला को लिख देते इतना सा और आलमी लगा के वही कैलीग्राफी है मुझे अकरम शेख साहब जो लयर लॉयर उन्होंने मुझे कहा था कि एक हियरिंग में बंद करा दूंगा मैं नहीं बंद ये चाहते हैं कि मैं बंद करा दूं ताकि ये मुझ पर ब्लेम दे कि अपने बाप की चलती हुई चीज को इसने बंद करा दिया सही मैं नहीं कर तो आप क्यों नहीं छाप रहे कौन पढ़ेगा उसको कौन खरीदेगा हां क्योंकि जमात के लोग तो वो पढ़ेंगे आलमी वो नहीं भी खरीद मेरा नहीं खरीदे सही अच्छा मुझे थोड़ा सा बताइएगा मौलाना अबुल खैर मदी साहब जो आपके ताया थे और वो माशाल्लाह खुद बहुत जबरदस्त आलिम थे और मैंने देखा कि जोश मली आबादी ने उनकी तारीफ की हुई है बहुत ज्यादा मलाम नियाजी साहब ने उकी तारीफ की ब सगीर के कई उलमा ने उनकी फनी कद था उसके बारे में लिखा है मुझे बताइएगा कि उनका कुछ भी हमारे सामने नहीं हैना ना उनकी कोई किताब हमारे सामने है ना कोई उनके मजमीन इस तरीके से हमारे सामने आते हैं य वो बहुत बड़े आलिम थे उन्होंने जब हमारे वालिद जेल में थे मुल्तान जेल में उन्होंने हदीस की दो किताबें तैयार की हदीस हदीस बड़ी पाय की अच्छा तो उन्होंने जेल में जब वो मिलने गए तो उन्होंने कहा कि मेरे वालिद से कहा कि मेरी वो सही जिल्द जो है ना सीरत प दोनों तैयार है तो मैं चाह रहा हूं कि कोई पब्लिश छाप दे तब ने कहा कि मैं शेख कमरुद्दीन से कहता हूं जो तफन छाते थे म तामीर इंसानियत की ज उनसे मैं कहता हूं वो इनको छाप देंगे चुनांचे उन्होंने मैसेज भेजा वो आए मिले हमारे ताया से उन्होंने वो दोनों जिदों का मसदा दे दिया अब वो ऐसे जालिम शख्स थे कमरुद्दीन साहब जी अच्छा उन्होंने वो लेजा के एक हफ्ते दो हफ्ते के बाद वो वापस गए हमारे ताया के बाद उन्होंने कहा कि ये इस काबिल तो नहीं है कि छापा जाए लेकिन क्योंकि आप मौलाना मदी के छोटे भाई बड़े भाई है तो मैं यह छाप दूंगा अच्छा उन्होंने वो उससे ले लिया म वो बड़ी जलाली तबीयत के थे सही बड़ी जलाली जी जी हा उन्होंने वो मसदा ले लिया हमारा ड्राइवर था गफूर अब तो मर गया उसको उन्होंने बुलाया एक बोरी में सारी जितनी तहरीर थी उनकी अपना जितना भी साथ साथ इल्मी सारा सामान सारा जो भी लिखा था वो उस बोरी में डाला उसे कुरान पर हर्फ लिया कि तुम किसी अंधे कुए में डालो किसी को बताओगे नहीं क उसने आखिर वक्त तक नहीं बताया किसी वो सब कुरान प हल्फ दिया हुआ था गलत कर सही अच्छा ये नकश में जितने भी मजमीन छपते थे जी जी तुफैल साहब के नाम वो सब हमारे ताय के लिखे हुए होते थे अच्छा वो सारे मलार उने पाबंदी लगा दी थी कि आप मेरा नाम नहीं लिखेंगे वो नकश में जो मजमीन छपते थे वो सब हमारे ताया के वो बड़े पाय के छपते थे किसी को जा वो हमारे ताय की लेकिन उन्होंने अपना नाम नहीं छपने दिया उसके बाद तो ये इसका मतलब है मला खैर महदूद साहब के साथ भी जो मामलात थे जमात के और उनके कोई ज्यादा नहीं जमात वाले तो उनको बहुत दूर रखते थे अच्छा बहुत नहीं जाते थे उनकी महफिल में ये लोग नहीं जाते थे अच्छा हकीम अभी अशर दवाखाना हकीम नबी न नूर म दवाखाना अजमल वाले सही सही वो ये बड़े-बड़े थे तो रात को उनकी महफिल में बैठा करते थे हकीम अशरफ साहब भी हकीम अशरफ साहब जी जी बिल्कुल सही ये लोग बैठा करते थे उनकी महफिल में रात स अच्छा छोटा उनका कुछ असासा जो है हैदर फारूक के पास है हमारे ताय का तो वो कुछ शाय करना चाहते हैं वो मैं उनके पीछे हूं के कुछ करें अब मैं और फारूक साहब मिलके और हम लोग कोशिश करेंगे कुछ उनकी चीज किताबी शक्ल में साम अच्छा हुसैन साहब ये बताइए छोटी सी एक बात है कि हम ये देखते हैं कि मौलाना अबूस नदवी साहब मौलाना मंजूर न मानी साहब और इस तरह की कई शख्सियत ऐसी थी जो मौलाना मदद साहब के साथ थी जमात इस्लामी कयाम करते हुए लेकिन बाद में इन सब शख्सियत ने मौलाना का साथ छोड़ दिया शुरू में और फिर कुछ शख्सियत ऐसी थी जिनमें डॉक्टर सर अहमद साहब और बाकी जो हकीम अशरफ साहब थे या बाकी इन लोगों ने बाद में मौलाना का साथ छोड़ दिया तो यह क्या वजह हुई क्या मौलाना की फिक्र सेन लोगों के खलाफा हो गए या मौलाना की शख्सियत से क्या प्रॉब्लम क्या था ये शुरू के जो लोग थे ना उन्होंने तक के बेस पे ना हमारे वालिद एक तो हमारे वालिद की शादी बड़ी अमीर खानदान में हम उनके रिश्तेदारी थे हमारे वालिद की रिश्तेदारी थी लेकिन मेरी वालिदा बहुत मॉडर्न उस घराने से थ कन्वेंट के में पड़ती थी और वो साइकिल भी चलाती थी और यंग सी लड़की होती है तो वो उन्होंने कहा कि आप एक तो यह कि उनके घर का एक खानसामा नौकर जो था वो साथ आया इस तरह की जो होती है उनके साथ घर तो वो साथ आया उस परे तराज था कि आप क्या ये गैर महरम है और आपके घर केरन नौकर क्यों है तो उसपे हमारे वालिद ने उन्होंने कहा कि आप औरत रख ले तो उन्होंने कहा फिर वही मसला मेरे साथ होगा हां तो वहां बिल्कुल सही तो मैंने कहा और दूसरे ये कि आपको शादी में चांदी का पान दन क्यों मिला है जहेज में अच्छा इस तरह के फ इस पे दूसरे ये वो कहते थे कि आप सुबह फजर की नमाज में नहीं आते सही अब कहते थे एक तो मैं गुर्दे की मुझे तकलीफ है दूसरे में सारी रात काम करता हूं तो सुबह में तहज्जुद पढ़ के फजर पढ़ के सो जाता हूं मेरे लिए ुद की नमाज में शालि होने का मतलब ये है कि मेरा एक आध घंटा और जाय हो जाए फिर मैं अगर सोऊंगा आके तो 11 12 बजे जाके उठूंगा सही तो मेरे लिए मुमकिन नहीं है कि फजर की नमाज में मैं आ सकू तो उन्होंने फिर इस बेज प छोड़ दिया कि आप तक में उस उस लेवल प नहीं है जिस लेवल पे हम समझते थे आपको ये डॉक्टर सार अहमद के हवाले से भी सोशल मीडिया पर एक बयान ये तो उन्होंने अमीन सलाई साहब भी वो ये मजूर न मानी साहब लाए थे जी जी उन्होंने अमीन असराई साहब से भी कहा कि आप छोड़े उन्होंने कहा मैं ये नहीं कर सकता कि आज जाऊ छोड़ दो मैं साथ रहूंगा और जो है उन परे मैं तवज्जो दिलाता रहूंगा सही उन्होंने उस वक्त नहीं साथ छोड़ा अमीन स्ला लेकिन डॉक्टर इसरार अहमद जब जमीयत से आए और इन्होंने जब इन लोगों को यह बकाया के साहब हमें जो मौलाना महूदी के असल है तबलीग और वो उसको सियासत की तरफ हमें नहीं जाना चाहिए जमात को नहीं ले जाना चाहिए वो उन्होंने ने काफी बहस भी की अयान से बहुत लिखा भी और ये कुछ लोग जो थे उनके साथ फिर उसमें शरीक तो माची गोट के इतमा पे फिर हमारे वालिद की इसी मौजू पे 6 घंटे की तकरीर थी अच्छा और उन्होंने फिर इस पे भी तराज उठाया था कि जमात के अंदर रहते हुए नजम के खिलाफ बातें करना और इसको जो एक रास्ता तय है जमात का उसे हटाने की बातें करके और एक ग्रुप बनाना इसकी इजात नहीं होनी चाहिए स बाद में जब यह लोग निकल गए तो बाकी सब जो जमा हुए उने कहा हम म मदी को नहीं तंग करने देंगे इन लोगों को सही इनको जाना होगा ये 25 20 25 लोग निकल गए थे उस सही य बा उसका मैंने उसका मैंने वाकया आपको सुनाया था वहा कि वो जो हुआ था उसका पहला इजलास इन लोगों ने ये डॉक्टर का असली जमात लामी बनाएंगे जो फिर उस रास्ते पर जाएगी जो मला ओरिजनल बनाया था सही अबन कहते था कि अगर आपने सियासत छोड़नी है और इसम जाना है तो फिर आप तबलीगी जमात में सब चले जाए उससे बेहतर तो कोई जमात नहीं हो सकती अगर आपने सियासत में जाना ही नहीं और हालात नहीं बदलने किसी मुल्क के तो फिर आप तबली जमात तबली जमात को जवाइन करले स ठीक अच्छा यहां पर एक छोटा सा वकफा लेते हैं बहुत लंबा हो गया हा ये उसके बाद फर थोड़ी सी बात करते हैं वक के बाद नाजरीन एक दफ फिर दोबारा खुशामदीद हुसैन फारूक मदद साहब हमारे साथ मजूद है अच्छा हुसैन फारूक महदूद साहब मुझे दो छोटी छोटी चीजें बताइएगा मौलाना के बारे में कहा जाता है कि उनके नुक्ता नजर में बड़ी कंफन थी वह सियासत के हवाले से शायद बाद में उनको यह तरदिनी का जो फैसला है वह गलत किया है और उन्होंने अपने आप को इल्मी और फिकरी कामों तक महदूद कर दिया था क्या यह बात दुरुस्त है नहीं उनको कभी जो उन्होंने रास्ता इख्तियार किया था ना जमात के लिए उसम और सियासत में वो एक बात का जो शेर है जिदा जदाओ दीन सियासत से तो रह जाती है चंगी वो उसके कायल थे और वो एक इंच भी अपने उससे नहीं हिले यानी आखर दम तक इसी पर आखर दिन तक उनको कोई इसमें वो नहीं तो ये फिर क्यों जमात सारी उन्होने मिया तुफैल साहब के हवाले कर दी और ख साइड प हो ग वो तो एक सिस्टम है ना जमात का देखिए ना एक अमीर उस वक्त तक अमीर रहता है जब तक उसको अरकाने जमात सिलेक्ट करते रहते फिर जब वो अमीर देखता है कि मैं अब इस काबिल नहीं रही मेरी ताकत और तो वो फिर उनसे कहता है कि जी मेरा प्ली नाम निकाल दीजिए तीन नाम जो दिए जाते हैं ना उसमें से निकाल द उसके बाद फिर जैसे मियां साहब हमारे वालिद के बाद मिया साहब ने वही किया जी फिर उसके बाद काजी साहब आ गए वो सबसे लंबा दौर जो है वो काजी साहब सबसे क्योंकि वो नौजवान थे ना सबसे लंबा दौर होका है फिर मुनव्वर साहब बरी एज के लोग थे हम उनको एक ही दफा मौका इन लोगों ने दिया वजह वजह यह कि वो बत सख्त जो उन्होंने बयान दे दिया था उसके खिलाफ आर्मी के ि आर्मी के खिलाफ सही उसम आर्मी बड़ी तो कहते ये है कि ऊपर से प्रेशर नहीं था कि आपने मुन साहब को सिलेक्ट नहीं करना अच्छा ये मसूरे प एक ग्रुप का कब्जा है अच्छा जो लकत ब्रोच एकास फरीद परा इन लोगों का कब्जा है अच्छा मैंने जो नए अमीर है उनको भी मैसेज भिजवाया था कि आप दो साल के लिए मंसूर से हेड क्वार्टर कराची ले जाए अच्छा इनके चंग से निकाल के ले जाए वरना इनकी मर्जी से अमीर आता है इनकी मर्जी से मेरी जाता है अच्छा यानी उस वक्त जब मुनव्वर साहब का सेकंड इलेक्शन था तो दो अफसर बड़े एक महकमे के मंसूर में बैठे हुए थे अच्छा कि आप मुनव्वर साहब को नहीं डिक्लेयर करेंगे 5000 उनके वोट गायब किए उन्होंने जो मनोवर साहब ने अपनी स्पीच में भी कहा हैंड ओवर टेकओवर की कि वो जो 5000 वोट गायब हुए हैं जमात की इसमें कोई नजीर नहीं है इनकी तहकीकात होनी चाहिए अच्छा 5000 वोट गायब किए गए ये जमात के इलेक्शन के अंदर रिगिंग होती है नहीं ये जिसको कहते हैं ना के यह इलेक्शन जो होता है जिसको क्या कहते हैं इलेक्शन जो चोरी हो जाता है नहीं इलेक्शन जो किया जाता है ना जिसको क्या कहते हैं मनवर किया जाता है इलेक्शन जैसे डिसाइड कर लिया जाता है जमा ये आएगा ये नहीं अच्छा इंजीनियर हां इंजीनियर सही सही मैं काजी साहब के पहले इलेक्शन पे भी मुझे ये है कि वो इंजीनियर इलेक्शन था अच्छा अगर मियां साहब मियां ल म साहब हयात होते तो वो मेरे साथ यहां बैठे होते अगर तो मेरी बात की ताई करते क्यों उन्होंने मुझे खुद कहा कि मैं कभी सोच नहीं सकता था कि काजी साहब जीत सकते हैं अमीर जमात अच्छा रा तलाई साहब को आना था लेकिन सरद रम जाहा मुराद कराची और सरद कजी साहब यह मिल गए थे अच्छा अच्छा पठान जो होता है पठान को वोट देता है हमेशा दूसरे को नहीं देता कभी अगर पठान खड़ा हो जाए वो पठान को देता है स और उधर सारा कराची जो मेजॉरिटी वोट था वो उनके साथ मिल गया तो अमीर उनका आ गया अमीर उनका आ गया अच्छा बताइए प्रोफेसर गफूर अ क्यों जमा सामी के अमीर नहीं बन सके लोग कहते हैं कि उनमें बड़ी टैलेंट था बड़ी तवाना वाज थी वो असल में सही बात है लेकिन ज्यादातर अमूमन जो जमात का अमीर बनता है ना जो कयम जमात होता है ना जो सारी जमा अन को जानता है वो बनता है अब हमारे वालिद के बाद मिया साहब कबन जमात थे काजी साहब के बाद रहमत अ साहब का य जमात उनको बनना था लेकिन वहां से इंजीनियर हो गया अच्छा अब ये इंजीनियर इलेक्शन होते हैं सही ये जो इससे पहले अमीर थे क्या नाम उनको जो सिराजुल हक साब सिराज हक साहब उनको इंजीनियर की जिन्होने पहला इलेक्शन बाद में तो व खुद इलेक्ट हुए थे लेकिन पहला इलेक्शन मुन साहब की जगह वो दरवेश आदमी था मुन सही वो एक ब्रीफ केस में रहता था मंसूर में और एक एक कमरे में हॉस्टल के एक कमरे में रहता था सही और जिस दिन वो अम का खत्म हुआ वो एक ब्रीफ केस उन्होने उठाया और की गाड़ी भी नहीं ली किसी की अपनी गाड़ी में हा किसी की दोस्त की गाड़ी मना के चले वापस चलेगी अच्छा दो छोटी छोटी चीज मैं आपसे जिक्र करना चाहूंगा ये जब आपने मियां तुफेल साहब की बात की तो हमने देखा कि मौलाना मदी साहब जिया साहब के मुखालिफ थे और मियां तुफैल साहब जिया साहब के बड़े करीब थे और जब इन्होंने जया साहब की सपोर्ट का ऐलान किया मिया तो फैल साहब ने तो मौलाना मजदी साहब ने एक स्टेटमेंट जारी किया जिसका जिक्र आपने अपनी किताब में भी किया हुआ है और वह जो स्टेटमेंट था बाद में कहा गया कि मौलाना मु स्टेटमेंट से रुजू कर लिया और यह मौलाना ने रुजू नहीं किया था तो यह क्या वाकया था यह असल में मिया साहब बहुत ला के अबने दोनों अरा इस वजह से दोनों नहीं मतलब वजह क्या थी ये नहीं मालू लेकिन जब शूरा पहली बनी है तो जलक ने हमारे वालिद से कहा कि अपना एक बेटे का नाम दे दे शूरा के लिए अच्छा अबन और जमात को भी अब ने कहा कि आप शूरा में मत जाइएगा अच्छा तो फिर शूरा में जमात का कोई आदमी नहीं कि था जब ये मिनिस्टर बन रहे थे उस वक्त भी अब ने मना किया कि आप लोग मत बने इस इतहाद में मत जाए अच्छा इस हुकूमत में जब ये सारे हुकूमत चले गए तो उस वक्त एक गफूर अहमद साहब थे जो एक ब्रीफ केस में रहते थे और वो इसके शदीद खिलाफ दे क्योंकि काम तो करने नहीं दे रहे थे उसके बाद फिर उन्होने हमारे वालिद से शिकायत की उ क जी मौलाना ये जला की जो कैबिनेट है हमें काम नहीं करने दे रहे तो अबन ने जावल को फोन किया बुलवाया तो उसने कहा सब मिनिस्टर को बुला ले मेरे सामने बिठा दे और इनसे कहे कि सिवाय अपने जाती कामों के कोई प्रोजेक्ट बना के दिया हो कोई पूरे जैसे खुर्शीद साहब प्लानिंग कमीशन में थे कोई इन्होने दिया खुर्शीद साहब ने कुछ दिया हो रहमत साहब ने कुछ दिया हो ये वाडा के मिनिस्टर थे गफूर साहब ने बहुत गफूर साहब की बहुत इज्जत करता था और बम फारूकी जो इसके इंफॉर्मेशन के थे सही इन्होंने कुछ दिया हो और उस सेक्रेटरी ने नहीं काम किया हो मैं उसको अभी निकाल दूंगा इनके जाती काम को छोड़ दीजिए यह जाती काम करवाते थे या जमात इस्लामी की कयादत जक से जाती काम करवा ये लोग मिनिस्टर नहीं ये जो मिनिस्टर थे अपने जाति काम इसको नौकरी प इसको निकाल दो इसकी प्रमोशन कर दो इसको यह दे दो उसको यह दे दो ये कराते थे अच्छा बल्कि ये ये जो महमूद ज फारूकी था पे वो इंफॉर्मेशन के मिनिस्टर थे बड़े-बड़े इश्तिहार चल रहे थे टीवी और सब अख बारात प सिगरेट के खिलाफ मैं इनके दफ्तर में गया तो यह पाई पी रहे थे अच्छा और जमा सामी के हां मैंने उनसे कहा फारूकी साहब ये इतने बड़ी बड़ी आप इश्तिहार चला रहे हैं और खुद आप पाइप प और आप खुद पाइप पी रहे हैं ये क्या दोगलापन है कैन अपने काम काम से काम रखिए मैंने कहा मैं काम से काम तो रखूंगा लेकिन मैं अभन को भी बता दूंगा ये आपकी हरकत और मैं जहां भी भी बोल सकूंगा ये बताऊंगा ये दोले लोग है आप लोग दोले हैं अच्छा मैंने कहा मैं किसी काम के लिए नहीं आ मुझे कोई सिफारिश नहीं आपसे करानी मैं तो आपसे वैसे मिलने आया हूं तो मुझे अफसोस हुआ कि आप बैठे पाइप पी रहे लेकिन यही वजह तो नहीं थी कि आपको मौला मदी साहब जब निशत होती थी वहां से उठा दिया करते थे एक वाकया भी है कि आप भुट्टो साहब जब मिलने के लिए आ रहे थे तो जिन लोगों ने डील करनी थी तो आप बैठे हुए थे तो मौलाना ने आपको कहा था बाहर चले नहीं वो ये हुआ था कि वो जो मुलाकात हम बहुत इसमें थे कि मलाना मदी की और भुट्टो की मुलाकात नहीं होगी सही और यह कोई तख्ता लटने से चार दिन पहले की बात है ये चार दिन पहले की बात तो उसम मैंने देखा कि वो पीर अशरफ साहब एक अमीर जमात के अमीर थे वो ये कहां के अमीर थे जमात के सूबे के पंजाब केर पंजाब के तो वो बीच में बैठे हुए एक तर रा रद है मैं उसको बड़ी अच्छी तरह जानता था राहु रशीद को और एक और कोई आर्मी या पुलिस ऑफिसर जो जैसे होते ना क्लीन य से वो बैठा तो मैं वापस गया घर गाड़ी मोड़ के तो मैंने उस बंदे को पीर अश को पकड़ लिया मैंने कहा तुम यह राहु रशीद को किस लिए लाए हो उसने चलो अंदर बात करते हैं मौलाना के सामने उन्होने कहा मौलाना ये चौधरी नियाज अली साहब के भतीजे हैं वो आपको सलाम कर रहे हैं मैंने कहा ये सलाम करने नहीं आए ये राहु रशीद जो है इस वक्त जो लाहौर में सब कुछ हो रहा है पुलिस का वो सब कुछ ये करा रहा है और वो सिर्फ इसलिए आया कि आपसे किसी तरह भुट्टो से मुलाकात करा दे आपकी सही तब कर लेग चलो कोई बात नहीं आ लेने दो अच्छा बात कर लेते हैं ये ले आया जाक पिता तीनों तो मैं भी साथ बैठ गया सही तो वो फिर राहु रशीद कहने लगा कि मसे क बाहर चले जाए तो मैंने उनसे कहा जी राहु रशीद साहब आपको मैं बहुत अच्छी तरह जानता हूं आप क्या है और आप किस लिए आए ये भी मुझे मालूम है तो आप मेरे सामने क्यों नहीं बात कर सकते जो आप करना चाहते हैं अच्छा इस पे उन्होंने कहा कि जी इनको बाहर भेज द तो बन कहने लगा तुम बाहर चले जाओ सही तो फिर मैं क्या कर सकता था अच्छा इस वजह से आप बाहर गए तो फिर हुआ क्या था उस मीटिंग मैंने उसको पकड़ लिया पीर अशर के मैंने कहा जो तुमने किया ना ये तुम भुगतो ग अच्छा हां तुम ये सोच लो कि तुम उसने क्या भोगता फिर जी उसने फिर व मुलाकात करा दी ना अच्छा लेकिन उसको अफजल सईद खान जो स्पेशल सेक्रेटरी थे हम वो हमारे खालू थे अच्छा अच्छा वो बहुत कोशिश कर रहे थे कि ये मुलाकात बल्कि उसको मालूम था कि म मंद जी के रिश्ते इंटे बटर साहब को पता था इंटेलिजेंस उनको बताया कि ये अफजल सईद खान मौलाना महूदी के बड़े करीबी रिश्तेदार है तो भुट्टो ने कहा कि मैं मेरे बहुत बा एतमाद आदमी है इनको मैं नहीं हटाऊ ये मेरे साथ रहेंगे उस वक्त फिर बुट्टो ने उनको कहा कि मेरी मुलाकात कराओ सही तो उसने ताना दिया बाद में कि तुमने नहीं मेरे भी लकला तो दूसरे दिन वो बताते हैं कि पीर अशरफ को ₹ करोड़ कैश और एक पीर अशरफ जमात इलामी पंजाब के अमीर को ₹ करोड़ कैश कैश गणपत रोड पे जहां वो इतनी सी जगह पे बैठता था कागज की अलमारी थी उसमें वो बैठते थे पीर अशरफ साहब वहां एक गाड़ी 77 में यानी इस वक्त के समय चार पाच अरब रुप बंता है इस वक्त वो उनको वहां डिलीवर हुआ अफ जमा पंजाब के अमीर ने अफजल सईद ने मुझे बताया कि मैंने डिलीवर कराया वो अच्छा वो हमें कहते थे जो आपके सके खालू है उन्होने वो हमें कहते थे कि ये मुलाकात हो लेने दो मैं तुम्हें बहुत पैसा दिला बहुत कुछ दिला दूं मैं भुट्टो से मेरे हाथ में सब कुछ तो फिर वो क्या हुआ उनका अशरफ साहब का उनको निकाल दिया जमात से शहादत प निकाल दिया और ये साबित हुआ कि उन्होंने करप्शन किया ये पैसे मिले हैं उनको ये कौन साबित करे ये चीजें कहां साबित होती है अच्छा लेकिन मुझे तो पता है ना अच्छा और उसके बाद उन्होने बड़ा शा आप जो खालू है उन्होंने बड़ा शानदार घर मंसूर में प्लॉट लिया हुआ था उसमें बड़ा शानदार घर लगाया उसमें उसकी जो मुस्लिम लीग उसकी पीर बगाड़ के मुस्लिम लीग का झंडा लगा फंशन मुस्लिम ली हां उसका झंडा लगाया जमात के हेड क्वार्टर में अच्छा प साने लगाया अच्छा और वो जमात वाले कहते थे भेद वो कीमत त होती थी ये सोचते रहते थे अगले साल फिर जा वो तो कहते पिछले साल की कीमत थी अब तो वो रही न सा न साल की कीमत है समझते थे कारोबार कर रहे थे तो कारोबारी आदमी थे मेरी जान के दुष्ट में थे पीर साब अच्छा मुझे ये बताइएगा कि ये जिस रात फिर भुट्टो साहब की मुलाकात हो गई चार दिन पहले उस रात फिर भुट्टो साहब आ गए थे जब इस मीटिंग मुझे बताइए कि मौलाना मूदोई और क्या आप मौजूद थे उस मुलाकात में नहीं वो तो अकेले होती है लेकिन ये कि मुझे सारा पता है अच्छा आपको बताया मौलाना मुद ने क्या बातें हुई है अच्छा क्या क्या कहा था मतलब ये कि ये मुलाकात जब ई बुट्टो साहब आ गए तो वो अच्छा मैंने अभी उनसे कहा कि ये एक गेम खेल रहा है इस वक्त आपके साथ सही आपकी उम्र कितनी थी उस वक्त मैं उस वक्त ये 7 मेरी शादी हो चुकी थी अच्छा अच्छा सही मेरी शादी हो चुकी थी सही 28 29 साल में मेरी शादी हु 30 साल को सही मैंने सारे हमारे वालिद के सारे इंतजा मेरे कब्जे अच्छा आप करते ही मेरे बड़े भाई दोनों बाहर जा चुके थे बड़ वो ज्यादा इंटरेस्टेड नहीं थे वो अपने उसम रहते थे मैं ही सारे करता था ये मुलाकात भी मेरे यानी मेरी नॉलेज में ही हुई सही और ये सब कुछ मुझे ही अने बताया कि ये वो रात को आ रहे हैं बाद में मैंने पूछा क्या तुम्हे फिर बात बताऊंगा असर के बाद उन्होंने बताया कि ये भो साहब आ रहे हैं बजे तो अब ये सारे इंतजा मात हमारी वालिदा को नहीं पता था अंदर बैठा हुआ है ये नहीं पता था यही नहीं बताता कि बुट्टो बाहर बैठा हुआ है अच्छा ये भी तो था ना कि वहां उस वत मुजरे हो रहे थे सारे सारे लाहौर में मुजरे थे भोटो साहब के खिलाफ मुजरे हो रहे हैं और भटर साहब मौलाना महदूद के पास बैठे हुए हैं बगैर नंबर की गाड़ियों में य आए कोई हूटर नहीं कोई पुलिस ने कुछ नहीं न और सोना मौला मद ने जमीयत के जो कारकुन थे उनको वहां से हटा दिया था उन्होंने उनको मैसेज भेजा कि सिर्फ चार पांच या 10 लड़के रह जाए और बाकी सब चले जाए इसलिए कोई हंगामा नया नहीं होना चाहिए क्यों मेहमान है का र उ मेरे मेहमान है मु साहब इस अच्छा और पुलिस के उसके नहीं आ रे हमारे उस क्यों आए थे वैसे मौलाना मदी के पास गेम खेलने आए थे अच्छा अच्छा वो मैं बताता हूं ना उन्होंने ये कहा कि वो एक कागज उन्होंने निकाल के रखा और उसपे दस्तखत किए हुए थे उन्होंने पेन रख दिया कि मौलाना आप जो इसम लिख दें उन्होंने कहा मैं किसी लीडर का कोई एहतराम नहीं करता किसी की इज्जत नहीं है मेरे दिल में सिवाय आपके भोटर साहब ने कहा मौला महदूद से हां कि मेरे दिल में आपकी इज्जत है आप जो कहेंगे अब ने कहा कि मैंने आपकी खातिर ही तो मजीद निजामी के कहने पे आपको नाइन पॉइंट भेजे थे नाइन पॉइंट हां जो डॉन में और सब अखबारों में छपे थे जिसको अल्ताफ गौर ने जेल में पढ़ा तो उन्होने कहा मौलाना मदी ने बुट को बचा दिया क्योंकि उस पर इस्तीफा नहीं था उस वक्त अच्छा इस्तीफा नहीं था उन पॉइंट में अगर वो ना पॉइंट निकाले आप तो आपको वो मिल जाएंगे अच्छा वो छपे थे सही तो बु साहब कहने लगे मैं असल में सोच डाला तो वक्त निकल गया तो ने कहा अब वो वक्त नहीं है अब इसके सिवा कोई चारा नहीं है कि आप रिजाइन कर दे और दोबारा इलेक्शन करा दे य इसका सलूशन है तो अबने कहा कि आप और उन्होंने कहा कि मैं आपको गारंटी देता हूं कि आप दोबारा जीत जाएंगे वो मेजोरिटी नहीं मिलेगी जो आपने हासिल की थी उस वक्त वो नहीं मिलेगी आपको लेकिन आप जीत जाए इलेक्शन जीत जाएंगे आप जीत जाएंगे तो अबे ने कहा कि अगर आप ये नहीं करेंगे तो मुझे लगता है कि फौज किसी वक्त भी वक इन हो जाएगी सही तो उसपे उसने कहा कि मैं आपको मना गारंटी देता हूं मैंने कांस्टिट्यूशन में मौत की सजा रखी है जो आईन तोड़ेगा या सही तो कोई जुरत नहीं करेगा अब मैंने कहा आप फौज को नहीं समझते यानी भो साहब फौज को नहीं समझते थे मौला म समझ रहे थे फौज क्या करने वाली अब ने कहा कि मैं बटों की आवाज सुन रहा हूं ये कोई नॉलेज नहीं थी उनको था उनका जो हालात जहां पहुंच गए हैं उसका सिवाय एक सलूशन कि फौज इंटर कर या आप खुद सलू आप कांशन में तो इसका कोई जरिया ही नहीं है हाला कोई जरिया नहीं सही इनके हाथ में था जैसे इमरान खान के हाथ में था पहले अगर इलेक्शन वो खुद करवा देता तो ये उस वक्त मैंने दो मैसेज भेजे इसको इमरान खान को आप इमरान खान से गपशप है हफीज उला नियाजी और हमारे सब हारून रशीद सही सही हा सारे हमारे दोस्त है जो उसके करीब है उस वक्त भी मैंने इसको मैसेज भेज पाया तो उसने कहा कि इस वक्त मैं अगर तोड़ के इलेक्शन करा दूंगा मुझे वोट कौन देगा जो इसके साढ़े साल काक इसको ये भी तो पता था उस वक्त तहरीक इंसाफ के लोग जो हैं वो पार्टी छोड़ के दीगर पार्टियों से टिकट लेने के चकर में थे नहीं खत्म हो चुकी थी पार्टी ऐ ही अगर इलेक्शन हो जाता तो जा मतलब इमरान खान ने ठीक फैसला किया लेकिन वोटर साहब ने गलत फैसला किया उस वक्त उस वक्त अगर वो जाकर नहीं वो गेम खेलने आया था कि मैं जाकर उसने हमारे से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला ली थी जाते ही अच्छा और उसम उसने अनाउंस करना था कि मेरी मौलाना म से बात हो गई जमात इस्लामी पर जलजला गिना था और हमारे वालिद तोड़ फोड़ सौदेबाजी हो गई ब तो मैंने उसी वक्त मा टेली को फोन किया रात को जैसे ये निकल के गया 10 बजे मेरी पहली फल माक टेली के पास गई मैंने जर्नलिस्ट था वो जर्नलिस्ट याद है मशहूर सारे जर्नलिस्ट को फोन किया मजीद निजामी साहब मुस्तफा सादिक साहब को सब रात प्रेस कॉन्फ्रेंस है उनको फोन आ चुके थे उस वक्त भुट्टो के अच्छा जन जो आए उन्होंने कहा जी हमें वहां के भी दावत नामा आ चुका था गवर्नमेंट हाउस में हम हमारी प्रेस कॉन्फ्रेंस पहले हो गई तो बुट्टो की प्रेस कॉन्फ्रेंस रह गई उस मैंने कह दिया कि मैंने उसे साफ कह दिया कि कोई सलूशन नहीं है सिवाय इसके कि आप इस्तीफा आप रिजाइन करें इस्तीफा सही और 10000 का मजमा हमारे घर में था मुर्दाबाद के नारे लगाता फिर उसको कंट्रोल किया वहां उनको बताया फिर वो जिंदाबाद के नारे लगाते चले वरना उलट गई थी गेम उस रात सही मैंने ब उलट उल्ट उसी वक्त प रात को दो बजे प्रेस कान्फ्रेंस अच्छा सही और ये बोटो साहब के इदार छिने से मार्शला उससे चार दिन पहले और बटो साहब अगर उस वक्त रिजाइन कर देते और अगले की बात करते बच भी जाते और शायद मला मुक भी बता यहां नौबत ना पहुंचती जहा प और सस दन के बारे में कहा जाता है कि वो वक्त की नबज प उसका हाथ होता है तो पाकिस्तानी सियासत दानों को देखकर लगता है कि उनको नस का नहीं पता होता हाथ तो दूर की बात है क् कहां होता है उनका थोड़ा सा मुझे ये बताइएगा कि वो पार्टी जिसके बारे में ये कहा जाता है कि बड़ी प्रो डेमोक्रेटिक थी वो पार्टी जो अयूब खान के मुकाबले में मोहतरमा फातिमा जना के साथ खड़ी होती है जो डिक्टेटर्स की बजाय भुट्टो साहब को अच्छे मशव देती है उस पार्टी के बारे में तासर पैदा हो जाता है कि यह फौज की 11वी कोर है असल में मिया साहब ने बीटीएम बना दिया ना सही मिया साहब ने इसको बी टीम बना दिया मार्शला के सही उसके बाद बाद के जो वाकत हुए उसके बाद जो आईएसआई के साथ जो काजी साहब के तालुकात और यह सब उसमें यह बिल्कुल ही उस दूसरे रास्ते प ले गए जमात को मनवर साहब ने कुछ कोशिश की वापस लाने की लेकिन नहीं लेकिन ये कि उस वक्त जो ये गई और उसके बाद जिस तरह इनको आईएसआई पैसा मिलता रहा काजी साहब के जमाने में और जो गुलबदन हिक यार इनको डॉलर मिलते रहे उसने जमात को बिलकुल जमात असल में अब आवाम के दिलों में जमात की कोई वो नहीं है अच्छा अब आप देखि ना अगर हां खालिद दे देंगे ये जो इनकी खिदमत है उसमें लोग दे देंगे सब कुछ अच्छे काम है लेकिन सियासत में इनका कोई मकाम नहीं रहेगा इनकी पाकिस्तान में कोई सीट नहीं है आप कह फला सीट है वो भी दीर की एक सीट थी वो भी इनके हाथ से निकल गई निकल गई डीजी खान की जो डॉक्टर नज सी व इन्होने कभी उनके बाद जीती नहीं उनके भाई नहीं जीती सही डीजी खान की सीट उनके ड लेकिन आपको नहीं लगता कि अभी की जमात इस्लामी जो अपना मिजाज बदल रही है हाफिज रमान आए हैं इशू पर बात कर रहे हैं मौलाना हिदायत रहमान ग्वादर में सोशल इशू पर बात कर रहे हैं लोग उन्हें वोट भी दे रहे हैं लेकिन वह जमात के नजरिए पर नहीं दे रहे आवामी इशू पर बात करने से दे रहे हैं तो ऐसा नहीं है कि जमात थोड़ा सा अपने तर्ज अमर बदल रही है इस वक्त शुक मैं कहता हूं दुआ करता हूं यह बदले अच्छा इस तासुर को फेल करें कि यह बसला की ब टीम है इससे निकले फौज किसी मुल्क का कोई हल नहीं है सियासी तौर पर कोई हल नहीं है सही जब तक फौज इन अपने मामला अपने ताल्लुक आवाम में ये पार्टियों से अलग नहीं करेगा सियासत से अलग नहीं करेगी मुल्क नहीं तरकी कर सकता सही मुल्क नहीं तो आपको लगता है कि जमात इस्लामी अब बतौर जमात उसके अंदर कुछ चीजें बेहतर हो पा रही है और कोई ट्रस्ट दोबारा से गन कर लेगी कर लेगी इंशाल्लाह अगर मनसूर में पावर ना चेंज हुई तो फिर कुछ नहीं कर सकते अच्छा मसूरे की पावर चेंज होनी चाहिए जो मैं न दस्तखत की थी खुदा के वास्ते आपका हाफिज अरमान साहब से राबता हुआ इलेक्शन जीतने के बाद अमीर बनने के बाद नहीं मेरी एक दफा इनकी मुलाकात हुई थी कराची में जब मेरे दोस्त मोहम्मद मया सुमरो साहब गवर्नर सिं थे जी जी उस वक्त मैं कराची आया हुआ था तो जो नेमतुल्लाह साहब से जी जी उनसे मैं मिला था फिर मैंने उनसे मोहम्मद ब सुम को मिलाया और इनसे भी मुलाकात कराई थी मोहम्मद ब सु से अच्छा मुझे बताए कि जमात के जो रहनुमा है कारकुन है आपका जमात का थोड़ा से खलाफा तो है क्या उनके हां आपकी कोई बात सुनी जाती है आपके तालुकात है आपकी रिस्पेक्ट है बिल्कुल बिल्कुल बिल्कुल मेरी है और किसी की नहीं है अच्छा बाकी भाइयों की इस तरह नहीं है सिर्फ मेरी है आपकी है हा सबसे ताल्लुक है मेरे जमात से कोई इख्तिलाफ नहीं है अच्छा कोई इख्तिलाफ नहीं तो फिर वो जमात आपको कबूल नहीं कर रही असल में मतलब ये है ना कि मैं तो ये नहीं चाहता जमात में जाना कबूल की बात नहीं मैं तो ये चाहता हूं कि हम दो अलग नहीं हो सकते मौलाना मदद की औलाद और जमात अलग-अलग नहीं है हम एक धड़ा है सही सिर्फ इन्होंने गलतियों से यहां तक नौबत पचाई है और हमारे भाइयों में इलाफ से देखिए ना जब इलाफ होते हैं औलाद में तो खानदान वाले करने की कोशिश करते वरना फिर जो अन के वालिद के दोस्त होते वो हमारे वालिद के दोस्तों ने इससे फायदा उठाया हमारे इलाफ से इससे फायदा उठाया देखिए हमारे घर प अ इन का कब्जा है फा जलदार प अच्छा मुझे वैसे थोड़ा सा बताएंगे कि बड़े-बड़े इख्तिलाफ आत क्या हैं मौलाना महदूद के खानदान के और जमात इस्लामी के बड़े-बड़े इख्तिलाफ आत क्या-क्या हैं प्रॉपर्टी ये जो ये हमारी जो जिसकी हमारे वालिद ने पूरी कीमत अदा कर दी थी हम वो कौन सी प्रॉपर्टी है फाइज अदार पार्क अच्छा उसके पूरे पैसे दे दिए थे हम लेकिन उनके नाम ट्रांसफर नहीं हुए इस वक्त इ इनके वकील ने अदालत में ये कहा जमात के वकील ने कि ये बच्चे जो है किस प्रॉपर्टी जमात से लड़ रहे हैं ये तो उनकी मौलाना मौद की प्रॉपर्टी ही नहीं है अच्छा जिसके पैसे दिए हुए हैं जिसके पैसे दिए हुए हैं प्लॉट दिया हुआ है नाल का प्लॉट वहा खाली पड़ा हुआ है मसूरे में हम तो कहते हैं कि आप प्लॉट हमें दे दीजिए ये ले लीजिए अच्छा कुछ तो करिए ना हमारे इन्होंने भा खलाफा आखिरी दफ सेकंड जब मुनव्वर साहब ने कब्जा किया है तो पक्का काम किया मंगवा के बल्कि मेरी बहन उन्होंने खुद मुनव्वर साहब ने बताया कि आपकी फला बहन ने कहा कि मैं इनके साथ हूं लेकिन मैं दस्त किसी प करूंगा तो मुन साहब ने कहा कि मैंने कहा मोहतरमा आप जब तक आकर मेरे सामने मेरी ये इस पर दस्त नहीं करेंगे हम इसको नहीं मानेंगे आप मेरे दफ्तर में आइए और इसम दस्तखत कीजिए तब हम मानेंगे आपकी बात वना नहीं अच्छा यानी आप पक्का काम करके पक अच्छा अभी इसीलिए तो ये सारी चेंस कर रहे है यानी एक आपकी प्रॉपर्टी है फाइव लदार एक तर्जुमा कुरान है तर्जुमा कुरान का क्या इशू है कि वो आलमी बना दिया आपका जाली छाप रहे जो अबन का जो था वो बंद पड़ा हुआ है मैं तो कहता हूं उसको छप आप और क्या है बस कोई इलाफ ही नहीं और कोई इलाफ नहीं जमात की फिक्र से कोई इलाफ नहीं कोई फिक्र नहीं कोई नजरिए से कोई इलाफ ये जो हैदर फारूक महदूद साहब बात करते हैं कि मेरे अब्बा ने हमें इस तरह जमीयत से दूर रखा जिस तरह नश वो असल में देखे ना वजह ये होती है अच्छा वो बहुत जज्बाती हमारे ताया बहुत जज्बाती जैसे उन्होंने सारा मसदा उठा के कु इस तरह हैदर भी बहुत जज्बाती जब इसके घर प कब्जा किया हमारे साहब के जमाने में इसका सारा सामान उठाकर फेंक दिया हम अच्छा वो रद अमल में आ गए वो रद अल अच्छा वो ये बातें सही नहीं है वो वो रद्दे मन में सही तो यानी कि इस सबसे उसी अकेला वो वहां बैठा हुआ है हम जो पीछे एक जो पीछे कमरे थे हमारे जिसमें हमारे वालिद खाना खाते थे जिसमें अल्ताफ गौर में उस टेबल प खाना खाया जनरल शेर अली रा फरमान अली ये सब बड़े पीर पगड़ा ये सब मुफ्ती महमूद जहां बैठ के खाना है उन कमरों को इन्होने पीछे से गिरा दिया अच्छा इन्होने उसकी जगह बड़ा शानदार फ्लैट बना दिया पीछे अच्छा तो वो दीवार जो थी वो जो छत थी उसका वो सीधी हैदर जो फाद रहते उनके बच्चों की उसम जाती थी इन्होंने जब वो लेंटो तोड़े हैं तोव सारी छते भी गिर गई इनका मकसद यह था कि वो छोड़ के भाग जाएगा यहां से पहले जब मैं यहां से गया हूं तो मेरे जाने के बाद इन्होने उस घर की कटवा दी क्योंकि हैदर का भी उसम से बिजली जाती थी कि वहां से भाग जाएगा छोड़ के या सबको भगाना चाहते थे और ये मौलाना महदूद की जितनी भी यादगार थी वो सारी की सारी खत्म हो गई सब कोई चीज वहा नहीं है मलाना म जिसमें वह सोते थे पलंग तोड़ के फेंक दिए जहां व बैठते थे जहां व बैठ के खाते थे इस वक्त उस घर में मला महदूद के नाम की कोई चीज नहीं सब झूठी चीज लाकर रखी है इधर उधर सिर्फ यह दिखाने के लिए कि हालाकि उस प्रॉपर्टी से कोई ताल्लुक नहीं जब इन्होंने कहा था अने कहा था कि मैं जमात के खर्चे पर अपने बच्चों को नहीं रखूंगा अगर आपने मुझे य घर देना है दे वरना मैं शिफ्ट हो जाऊंगा य से अच्छा दो छोटे से वाकया सुनके आप बहुत थक गए और मैं माजर भी करूंगा इस बात प लेकिन क्योंकि मुझे पता है दोबारा आपने हमारे हाथ तो सिर्फ दो बातें एक थो बताइएगा कि जो की मूवमेंट थी उसमें कुछ खबरें ऐसी आ रही है आपने किताब में का जिक्र किया है कि लकत ब पहले क्लीन शेफ होते थे उन्होने बाद में दाढ़ी रखी ये दाढ़ी रखने का क्या मामला था उनका ये मियांवाली से और मेरे भाई मोहम्मद फारूक ये मियांवाली से जी जी एम्युनिशन लेके आ रहे थे हंगाम में आपके भाई और लकत बलोच जी ये मिया वाली से एम्युनिशन लेके आ रहे थे अच्छा इंटेलिजेंस को पता था उन्होंने गाड़ी तो नहीं पकड़ी रोका नहीं उन्होंने बहुत बड़ा घास का का गड्डा था वो इनके रास्ते में गिरा दिया इनके आने से पहले उसकी जो खाक उड़ी ना गिराने से तो ये जब सीधे आए ना तो उसमें घुस गए अच्छा मोहम्मद फारूक लियाकत बलोज साहब सात की सीट प सो रहे थे अच्छा उनको बहुत चोट आई अच्छा उसको फिर हम सुबह इनको उठा के जब मुझे तला मिली इनको लेके आए तो फिर इसको मैं इनको मैं मे हस्पताल नहीं लेके गया या किसी सरकारी ताकि ये अरेस्ट ना हो जाए मैंने अपने प्राइवेट हस्पताल जो मेरे खानदान का मेरे ससर का जो था व जगह वहां व प इनको लेटा के फिर इनके यहां 12 टाके लगे थे अच्छा ये दाढ़ी पे 12 टाके ये मुह फट गया था उनका 12 टाके लगे थे फिर उसके बाद इन्होने दाढ़ी रखी अच्छा ये जो ड़ी है ये टांके के निशान छुपाने के लिए रखी उन्होंने अच्छा दूसरा एक वाकया थोड़ा सा मुझे बताइएगा कि जब मौलाना मुद साहब को सजाए मौत का ऐलान होता है अगले दिन अखबार में खबर छपती है आपकी वालिदा बच्चों को नाश्ता तैयार करवा रही है और वो खबर पढ़ती है और खबर पढ़ने के बाद वो क्या होता है कि मतलब वो अखबार छुपा देती यह वाक दुरुस्त है असल में वो जैसे शाम के करीब वो खबर आई तो जमीन में छप गए तो शाम का करीब तो जमीन में छप गए उस अखबार सुबह के आ चुके थे अच्छा तो जमीन में छप गए तो सारे शहर में जमीन में तो हमें हमसे छुपा दिया वालिदा ने वालिदा ने तो हम दूसरे दिन स्कूल गए तो पता लगा फिर वहां से हम वापस आए तो फिर सारा घर भरा हुआ था लोगों से या आपके वालिदा ने आपको बताया नहीं को स्कूल भेज उन्होंने छुपा लिया उस वक्त बच्चों को ना पता लगे सही अच्छा मुझे बस आखिर में बताए कि ये लाजमी इस तरह के वाकत हैं बड़ी बहादुरी के और बड़ी जुरत के वाकत हैं आखिर में बताइएगा कि यह जो जमात इस्लामी है इसके साथ आपने कहा कि दो मामलात हल हो जाए मौलाना महदूद के खानदान का जमात इस्लामी के साथ मामलात खत्म हो जाए खत्म हो कोई झगड़ा ही नहीं कोई झगड़ा नहीं और ये सब इन लोगों ने पैदा किए हैमा इसकी जमात जिम्मेदार है हम लोग नहीं जिम्मेदार इसकी जमात जिम्मेदार सही तो आप जिनको हल करना चाहिए था मसला वो खुद का हि बन पार्टनर बन गए ना सही तो आप किसे कहेंगे मौजूदा अरे जमात उनकी नॉलेज में कुछ भी नहीं है सिराजुल हक को मैंने चार खूत लिखे इस मामले में एक का जवाब दे दिया सही पूरे 10 साल में एक का जवाब नहीं दिया एक जवाब लकत बलोच ने मुझे दिया सही कि ये अब जमात की प्रॉपर्टी है इसके मुकदमा अदालतों में है वहां से अगर कोई फैसला होगा तो हम उस पर गौर करू अगर को फैसला होगा तो गौर करेंगे फिर जमात गौर करे अगर आपके किसी भाई बहनों को कोई शिकायत है तो जो आपके भाई यहां मौजूद है व हमसे बात कर सकते हैं सिर्फ आपने जो पुट ना है पुट लीजिए ये कहा उन्होंने मतलब यही लिखा जो करना है आप कर लीजिए ये तो अब हमारी प्रॉपर्टी है अदालत ने कुछ फैसला दिया तो फिर हम सोचेंगे य है ना जो आपने करना कर लीजिए फटना छोड़ दे लेकिन य जो आपने ये जो हा करना कर लीजिए अच्छा एक बात ये बताइएगा कि जमात मौलाना मदी को मंसूरा में सुपुर्द खाक करना चाहती थी लेकिन आप लोग नहीं माने असल में उसमें भी हमारे साथ सियासत खेली गई और उसमें फिर हमारे जो भाई साहब है डॉक्टर साहब उन्होंने उसम एक और स्टोरी है लेकिन मैं बयान नहीं करना चाहता व एक और अंसर इवॉल्व हुआ था उसम जमात के अंदर का था बाहर का बाहर का था इन्होंने सारा फित खड़ा किया वरना हमने मिया साहब से ये डिसाइड कर लिया था हम सब बहन भाइयों ने यहां जो मौजूद थे कि हम मसूरे में करेंगे तफन अच्छा वरना ये सारे झगड़ा ही ना होते आज अच्छा अगर ये यहां तफन ना होती तो ये झगड़े होते कुछ भी नहीं होता हम सही तो आप उस बंदे को क्यों बेनकाब नहीं करना चाह रहे जोने इतनी खानदान का अच्छा खानदान के अंदर का इशू है ऐसा व है बात कि वो मैं उस वो नहीं करना चाहता असल में एक तो मेरे पास सबूत कोई नहीं है लेकिन इन तमाम कड़ियों को मिला तो उधर जाता सारा मुझे जिस तरीके से टारगेट किया गया और जिस तरह मुझे यहां से बद्दल करके अमेरिका निकाला गया सब चीजों प ये कब्जा किया गया और ये सब जमात के हवाले किया गया ये सब की एक स्टोरी है बैक मुझे मजबूरन यहां से छोड़ के जाना पड़ा सही खत्म करते हैं जी प्रोग्राम को लेकिन एक छोटी सी बात आखिर में आपसे करना चाहूंगा के इतना सब कुछ आप लोगों ने देखा फैमिली सारी सफर हुई मौलाना मदी साहब आपको वक्त नहीं दे पाए हमेशा जब जो वक्त दिया भी तो वो टेंशन वाला टाइम ही था और फिर उसके बाद जो उन्होंने जमात में आई उसने आपको टेंशन दी औलाद को जो कुछ छोड़ के गए उन चीजों ने आपको टेंशन दी पाकिस्तान से आप लोगों को दरबदर होना पड़ा रिवर्स अगर करना चाहे तो आप चाहेंगे कि सारी चीजें अगर काश रिवर्स हो जाए एक चीज मैं आपको कर दूं इसमें हमारे वालिद ने हमें हर हर तरह का वक्त दिया जो भी उनके पास था जो भी उनके पास था सही ये नहीं कि मुझे कोई शिकायत और मेरे बहन भाइयों किसी को भीय शिकायत नहीं कि हमारे वालिद ने हमें वक्त नहीं दिया नहीं ये बात नहीं उन्होने हर हर तरह के इतनी मोहब्बत से व बच्चों का हम लोगों को और इतनी आपने जिक्र भी किया सारी रात खड़े रहे आपके सारी रात मेरे सने बैठे रहे लेकिन ये बात इसलिए कर हमें कोई शिकायत नहीं अपने वाले से कोई बहुत बहुत शुक्रिया हुसैन फारूक महदूद साहब नाजरीन आपने गुफ्तगू सुनी बहुत ही अहम वाकत तारीख के हवाले से उन्होने बयान किए हैं कुछ और बातें भी हम करना चाह रहे थे लेकिन शदीद थके हुए हैं एक लंबा सफर करके लाहौर से इस्लामाबाद आए फिर इससे पहले भी उन्होने सफर किए तो बहुत शुक्रिया आपका दोबारा इंशाल्लाह कुछ सवालात हुए तो आपकी खिदमत में हाजिर होंगे आपका भी बहुत शुक्रिया न का बहुत शुक्रिया मेरी उम्मीद ये है कि लोग इसको पसंद करेंगे बहुत सारी चीजों का मसले हल हो जाएंगे बहुत चीज बहुत सारे सवालात का जवाब मिल जाएगा फिर भी मैं हाजिर हूं अगर कोई सवालात हो शुक बहु श