दोस्तों आमतौर पर ऐसा कहा जाता है कि भारत का सबसे अमीर राज्य महाराष्ट्र है लेकिन अगर बात की जाए भारत के सबसे अमीर कम्युनिटी की तो आरोनिक वह मराठी नहीं बल्कि गुजराती लोग होते हैं चाहे वो अंबानी हो अडानी हो या अजीज प्रेम जी भारत में ऐसे 54 बड़े अरबपति गुजराती ही हैं भारत में गुजराती लोग बिजनेस में कितने सक्सेसफुल हैं ये बात शायद ही किसी से छुपी हो और आज गुजराती कम्युनिटी देश के वर्कफोर्स में सिर्फ 5 पर का कंट्रीब्यूशन करती है लेकिन यही 5 पर भारत के टोटल बिजनेस का 10 पर रन करता है और यही 5 पर भारत से होने वाले 22 पर फॉरेन एक्सपोर्ट के लिए भी जिम्मेदार हैं भारत में तो ये कम्युनिटी बिजनेस में सक्सेसफुल है ही लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दूसरे देशों में भी कम्युनिटी बिजनेस के मामले में सबसे आगे है एग्जांपल के लिए यूएसए को ही ले लें तो आज अमेरिका की पॉपुलेशन में सिर्फ 1 परही इंडियंस रहते हैं और उसमें गुजराती की संख्या और भी कम है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी गुजरातियों की ये छोटी सी संख्या भी अमेरिका के 50 पर से ज्यादा मोटल्स को ओन करती है और गुजरात की ही पटेल कम्युनिटी आज पूरे अमेरिका में इस मोटेल बिजनेस को डोमिनेट करती है इसके अलावा यूएस के साथ ही ब्रिटेन में ही गुजराती कम्युनिटी सबसे बड़े फार्मेसी चेंस को ओन करती है और इसीलिए आज दुनिया भर में गुजरातियों को भारत के सबसे बेहतरीन मर्चेंट्स की तरह देखा जाता है जो अपने शांत स्वभाव सिंपल लिविंग और बिजनेस माइंडसेट की वजह से भारत की सबसे अमीर कम्युनिटी बन गए हैं ऐसे में दोस्तों सवाल ये उठता है कि आखिरकार गुजरातियों में ऐसा क्या खास है उनके पास ऐसा कौन सा तरीका है जो उन्हें इतना अमीर बनाता है इस सवाल के जवाब के लिए हमें गुजराती कम्युनिटी के इतिहास को समझना होगा दोस्तों और साथ ही उसके बाद हम उन प्रिंसिपल्स को भी समझेंगे जिन्हें फॉलो करके गुजराती देश की बाकी कम्युनिटी से अलग बनते हैं और आखिर कैसे ग्लोबल बिजनेस या कहे कि ग्लोबल इकॉनमी में अपना दबदबा बनाए रखे हुए हैं लेकिन इन सब को समझने से पहले आइए सबसे पहले हम समझते हैं कि कैसे गुजरात की ज्योग्राफी ने इस रीजन को बिजनेस के लिए फेवरेबल बनाया है नमस्कार दोस्तों मैं हूं शशांक पांडे और आप देख रहे हैं वर्ल्ड अफेयर्स लेकिन दोस्तों इससे पहले हम इस वीडियो में आगे बढ़े मैं आप सभी के साथ एक इंपॉर्टेंट इंफॉर्मेशन शेयर करना चाहता हूं दोस्तों अनअकैडमी जो कि इंडिया का बेस्ट प्लेटफॉर्म है फॉर यूपीएससी प्रिपरेशन उसने अपनी यूपीएससी सब्सक्रिप्शन के प्राइसेस ड्रेस्ट रिड्यूस कर दिए हैं unacademy.com और चलिए अब वीडियो पर वापस आते हैं इन सबको जानने से पहले दोस्तों हमें यह समझना जरूरी है कि आज के समय में वो कौन सी क्वालिटीज हैं जो गुजराती लोगों को बिजनेस में देश के बाकी लोगों से अलग बनाती हैं आइए अब उन्हें ही समझते हैं क्वालिटीज दैट मेक गुजराती मोर सक्सेसफुल बिजनेसमैन दोस्तों गुजरात के लोगों के बिजनेस माइंडसेट को समझने के लिए धीरू भाई अंबानी ने एक बहुत रिलेटेबल बात कही थी उन्होंने कहा था कि अपने सपनों को पूरा करो नहीं तो कोई और अपने सपनों को पूरा करने के लिए तुम्हें हायर करेगा और यही बेसिक क्वालिटी हर गुजराती के अंदर देखने को मिलती है यानी कि पैसा कमाने के लिए नौकरी पर डिपेंडेंट ना होना दोस्तों क्योंकि गुजरात के इस हिस्से की एक रिच ग्लोबल ट्रेड हिस्ट्री है और उसके लिए उसकी फेवरेबल ज्योग्राफी शुरू से ही मौजूद थी इसीलिए वहां के लोगों का ऐसा सोचना उनके लिए फायदेमंद भी साबित हुआ इसीलिए गुजरात में बहुत ही कम लोग ऐसे मिलेंगे जो गवर्नमेंट जॉब की प्रिपरेशन करते हुए नजर आए लेकिन गुजरातियों के इस बिजनेस में सक्सेसफुल होने के पीछे के कुछ रीजन जरूर है दोस्तों इनमें से सबसे पहला कारण है उनके पास एक क्लोज कम्युनिटी का नेटवर्क होना दोस्तों आमतौर पर ऐसा देख खा जाता है कि हर गुजराती परिवार का कोई ना कोई रिश्तेदार बिजनेस में जरूर होता है इसीलिए अगर कोई नया इंसान बिजनेस शुरू करना चाहता है तो उसे बेसिक गाइडेंस कैपिटल सपोर्ट और आगे उस सेक्टर में बढ़ने के लिए एक स्ट्रांग नेटवर्क मिल जाता है दोस्तों ये सब इसीलिए पॉसिबल हो पाता है क्योंकि गुजराती कम्युनिटी आपस में बहुत जुड़ी हुई है और क्लोज कम्युनिटी के साथ ही साथ गुजरात में इतनी डावर्स इंडस्ट्रीज हैं कि हर नए बिजनेस करने वाले के लिए बहुत सारे रास्ते होते हैं गुजरात के लोगों में बिजनेस को लेकर अलग सोचना और बिजनेस को प्रॉफिटेबल बनाने के लिए एक जेनेटिक टैलेंट होता है जिसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि उनकी अपब्रिंगिंग जिस माहौल में होती है वहां की डेली लाइफ में प्रॉफिट और बिजनेस डेवलपमेंट को ही डिस्कस किया जाता है जिस वजह से बच्चों का बिजनेस के लिए झुकाव ज्यादा होता है दोस्तों आमतौर पे ऐसा कहा जाता है कि नई जनरेशन अपने फ्यूचर या करियर के लिए हमेशा एक लोकल हीरो को चुनती है जो उनके परिवार का कोई सदस्य या इलाके का कोई सक्सेसफुल आदमी होता है क्योंकि बिहार के केस में ऐसा सक्सेस आमतौर से यूपीएससी का एग्जाम क्वालीफाई करने को माना जाता है इसीलिए बिहार के बच्चों के लिए बहुत से लोकल हीरोज आसपास के आईएएस अधिकारी होते हैं जिस वजह से बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से हर बार सबसे ज्यादा लोग यूपीएससी क्वालीफाई करते हैं ठीक इसी माइंडसेट को गुजरात के प्रोस्पेक्टिव में लगाएं तो गुजरात की नई जनरेशन के लिए उनके लोकल हीरोज आमतौर से कोई सक्सेसफुल बिजनेसमैन होते हैं और इसीलिए उनकी नई जनरेशन भी उसी के जैसा बनने की कोशिश में बिजनेस को चुनती हैं इसके अलावा गुजरात के लोगों के अमीर होने का एक कारण जैन धर्म भी है जी हां दोस्तों जैन धर्म जब चौथी सदी में गुजरात पहुंचा तो उसने वहां के लोगों को खूब प्रभावित किया और आज भी गुजरात भारत में जैन धर्म का एक बड़ा केंद्र है चूंकि जैन धर्म में शांति धैर्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया जाता है इसीलिए जरूरी ह्यूमन क्वालिटीज गुजरात के लोगों में भी रज बस गई हैं और वहां के लोग इसीलिए किसी भी तरह के वायलेंस या झगड़े में इवॉल्व नहीं होते हैं और साथ ही उनके भीतर धैर्य बहुत ज्यादा होता है जिसका फायदा उन्हें उनके बिजनेस में होता है इसके अलावा रिस्क लेना नई और इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज के प्रति सजग रहना किसी भी बिजनेस मार्केट की डेली नीड का हिस्सा बनना ये वो क्वालिटीज हैं जो गुजरातियों को देश के बाकी लोगों से बिल्कुल अलग बनाती है और इसीलिए गुजरात में ऐसी पॉसिबिलिटी हमेशा रहती है कि कोई नया शख्स आए जो एक साधारण परिवार से आने के बाद भी अपनी लाइफ में इंडिया का सबसे अमीर शख्स बनने का पोटेंशियल रखता है इसलिए दोस्तों ऐसा कहा जाता है कि जो बिजनेसमैन मारवाड़ी से माल खरीदकर सिंधी को माल बेच दे और उसमें भी प्रॉफिट कमा ले वह गुजराती ही हो सकता है अपनी स्किल और बिजनेस माइंड की वजह से आज गुजराती इतने रिच हैं कि आज पूरे राज्य की पर कैपिटा जीडीपी 3893 गवाही देती है कहा जाता है कि इंटेलिजेंट इन्वेस्टर वो होता है जो तब सेक्टर में इन्वेस्ट नहीं करता जब सब लोग उस सेक्टर में इन्वेस्ट कर रहे हो बल्कि वो तब इन्वेस्ट करता है जब लोग उस सेक्टर में इन्वेस्ट करने से डर रहे होते हैं क्योंकि जिस समय गुजरात के लोगों ने इस मोटेल इंडस्ट्री में इन्वेस्ट करना शुरू किया था तब ये इंडस्ट्री काफी लॉस में जा रही थी और अमेरिका के लोग इसमें अपने पैसे लगाने को तैयार नहीं थे क्योंकि हॉस्पिटैलिटी में जितना खर्च लग रहा था उतना रिटर्न वापस नहीं आ रहा था लेकिन गुजरातियों को पता था कि एक दिन यह बिजनेस उनको बड़ा रिटर्न देगा और क्योंकि पटेल्स जब इमीग्रेट करके अमेरिका आने लगे तो उन्हें रहने की प्रॉपर जगह की तलाश थी और आमतौर से गुजरात में बड़ी और जॉइंट फैमिली का कल्चर होता है इसी वजह से अमेरिका में रहने के लिए उन्हें बड़ी जगहों की तलाश थी इसीलिए उन्होंने सस्ते दामों पर मोटल्स को खरीदा जिसमें आमतौर पर 10 से 12 कमरे होते थे और इस परचेसिंग से पटेल्स की दो प्रॉब्लम सॉल्व हो गई पहला उनके पास रहने के लिए अब घर की व्यवस्था हो गई थी और दूसरा घर के साथ ही साथ उनके पास एक प्रॉपर बिजनेस भी आ गया था दोस्तों जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि उस टाइम पर मोटल बिजनेस लॉस में जा रहे थे इसीलिए हॉस्पिटैलिटी का खर्च बहुत बढ़ रहा था और क्योंकि हॉस्पिटैलिटी बिजनेस में सबसे ज्यादा खर्च सर्विस देने वाले लोगों की सैलरीज में जाता है इसीलिए गुजरातियों ने इसका सलूशन निकाला और उनके परिवार के लोग ही मोटेल में हॉस्पिटैलिटी का काम करने लगे जिसकी वजह से एक सस्ते दाम में मोटेल खरीद लेने के बाद उसे रन करने के लिए ज्यादा कैपिटल की जरूरत नहीं थी और मोटेल से जो भी प्रॉफिट होता वो एक पूरे परिवार की कमाई होती इसी तरह धीरे-धीरे गुजरातियों ने पूरे अमेरिका के 50 फीसद से भी ज्यादा मोटल्स को अपने कंट्रोल में ले लिया लेकिन गुजराती इस का इस तरह से बिजनेस माइंडेड होना और रिच होना कोई नई बात नहीं है बल्कि इसकी जड़ें बहुत ही गहरी हैं जिसे समझने के लिए हमें गुजरात की फेवरेबल ज्योग्राफी और रिच हिस्ट्री को समझना होगा ज्योग्राफी ऑफ गुजरात दोस्तों गुजरातियों के माइंडसेट के पीछे उनकी ज्योग्राफी ने एक बड़ा रोल प्ले किया है और क्योंकि इंडिया के वेस्ट कोस्ट में मौजूद गुजरात के पास भारत की सबसे लंबी कोस्ट लाइन है जो 1600 किमी लंबी है इसीलिए गुजरात के साथ उसके लिए सबसे बड़ा ज्योग्राफिकल एडवांटेज यह रहा कि समुद्री तट पर नेचरल पोर्ट्स भी यहां एशियंट टाइम से ही मौजूद थे और अर्ली सेकंड मिलेनियम बीसी के दौरान यहां इंडस वैली सिविलाइजेशन के लोथल से व्यापार शुरू किया गया था यानी इन पोर्ट्स का इतिहास हजारों साल पुराना है जिस वजह से जहाजों का आना और जाना गुजरात से बहुत आसान रहा आपको बता दें कि आज गुजरात में कुल 42 पोर्ट्स हैं जिसमें इंडिया के दो मेजर पोर्ट्स कांडला और मुंद्रा पोर्ट भी गुजरात में ही हैं दोस्तों अब आप कहेंगे कि गुजरात के अलावा भी तो ऐसे बहुत सारे कोस्टल एरिया वाले स्टेट होंगे तो दोस्तों ऐसे स्टेट जरूर हैं लेकिन अपनी ज्योग्राफिकल लोकेशन की वजह से गुजरात सीधे अरेबियन सी में एंट्री लेता है और साथ ही मिडिल ईस्टन कंट्रीज के साथ भी सबसे करीब होने की वजह से गुजरात के पोर्ट से मिडिल ईस्ट या अफ्रीका पहुंचना बहुत आसान हो जाता है और बाकी स्टेट्स के मुकाबले यह सस्ता भी है इसीलिए गुजरात और गुजराती शुरुआत से ही अपने ग्लोबल ट्रेड एक्सेस का फायदा उठाते थे और उसके लिए वहां के नेटिव लोग भी जिम्मेदार हैं सी एक्सेस के साथ ही साथ 196000 किमी स् के क्षेत्रफल में फैले स्टेट के पास कुदरत का दिया हुआ बहुत कुछ है जिसकी वजह से ये स्टेट इंडिया के ऑन शोर ऑयल प्रोडक्शन का 55.1 और नेचुरल गैस का 32.3 अकेले प्रोड्यूस करता है और साथ ही यह इंडिया की सबसे अधिक ऑयल रिफाइनिशिव भी है जो इंडिया की टोटल रिफाइनिशिव अगेन जिसे लार्ज स्केल में बढ़ाने के लिए गुजराती के माइंडसेट ने एक बड़ा रोल प्ले किया है ऑयल और गैस के अलावा गुजरात में बिजनेस और इंडस्ट्री को डेवलप करने के लिए चाइना क्ले डोलोमाइट बॉक्साइड फ्लोर्स बार जिप्सम लाइगर सिलिका कॉपर जिंक और लेड जैसे जरूरी मिनरल्स भी पाए जाते हैं और साथ ही गुजरात के काठियावाड़ी इलाके में आने वाले पोरबंदर में सबसे फाइन बिल्डिंग स्टोंस पाए जाते हैं जो शुरुआत से ही गुजरात के बिजनेस के लिए काफी ज्यादा वैल्युएबल एसेट रहे हैं लेकिन दोस्तों अगर गुजरात की इकॉनमी और गुजराती के हिस्टोरिकल डेवलपमेंट की बात करें तो इसमें सबसे बड़ा रोल नमक का रहा है और गुजरात देश का 70 पर से ज्यादा नमक प्रोड्यूस करता है और गुजरात की वजह से आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा नमक प्रोड्यूस करने वाला देश है और ऐसा इसीलिए है क्योंकि गुजरात की ज्योग्राफी उसके लिए एक ऐसा क्लाइमेट तैयार करती है जो नमक के लिए जरूरी है और इसका अंदाजा यहां रहने वालों ने पहले ही लगा दिया था दोस्तों आपको बता दें कि गुजरात के कोस्टल रीजन में लगभग पूरे साल ही एरिड या सेमी एरिड क्लाइमेट रहता है और इसी सूखे एटमॉस्फियर की वजह से ही नमक को सी वाटर इवेपरेशन की मदद से गुजरात में आसानी से प्रोड्यूस किया जाता है और क्योंकि नमक इंसान की बेसिक और कभी ना खत्म होने वाली डिमांड है इसीलिए गुजरात के लोगों ने इस डिमांड की सप्लाई के जरिए बेसिक बिजनेस एटीट्यूड को डेवलप किया है नमक के साथ ही साथ गुजरातियों ने एशियंट ग्लोबल ट्रेड के लिए जरूरी कॉटन की खेती भी शुरू से ही गुजरात की इकॉनमी का हिस्सा रही है और शुरू से ही यहां की काली मिट्टी कॉटन की खेती के लिए मददगार साबित हुई है इस तरह से आप समझ सकते हैं दोस्तों कि कोस्टल एरियाज नेचुरल रिसोर्सेस बिल्डिंग स्टोन सॉल्ट और कॉटन प्रोडक्शन के लिए परफेक्ट एनवायरमेंट ये सब मिलाकर गुजरात की ज्योग्राफी को एक परफेक्ट बिजनेस ओरिएंटेड ज्योग्राफी बनाते हैं जिसके लिए यहां की लोकल कम्युनिटी शुरू से ही जागरूक रही है लेकिन उनकी इस जागरूकता की शुरुआत कैसे हुई और कैसे गुजराती लोगों ने बिजनेस को अपनी तकदीर बनाना शुरू किया आइए उसे गुजरातियों की इकोनॉमिक हिस्ट्री से समझते हैं हिस्ट्री एंड द राइ ऑफ गुजराती मर्चेंट्स दोस्तों इंडियन ओश में इंडियन किंगडम एंड रूलरसोंग्स गुजराती मर्चेंट्स के राइज का सबसे बड़ा कारण है आइए अब इसे थोड़ा डिटेल में समझते हैं दोस्तों इंडिया अफ्रीका एक्सचेंज यानी इंडिया और अफ्रीका के बीच ट्रेड मेडियल एरा से चला आ रहा है और शुरुआत में इन दोनों देशों के बीच टेक्सटाइल और फूड का एक्सचेंज होता था लेकिन 1392 में गुजरात सल्तनत के एस्टेब्लिशमेंट के बाद एफ्रो यूरेशियन ट्रेड के एक नए दौर की शुरुआत हुई और तभी गुजराती मर्चेंट्स जो उस रीजन में ट्रेड किया करते थे वो एफ्रो यूरोपियन ट्रेड से तेजी से अपना प्रभाव बनाने लगे और यह गुजराती व्यापारी गुजरात से अफ्रीका के बीच व्यापार करने लगे जिसमें गुजरात से वह कपड़ों को अफ्रीका ले जाते और गोल्ड के बदले उसे वहां भेजते क्योंकि गुजरात के कपड़े बाकी के देशों में भी जाते थे लेकिन जैसे-तैसे गुजरात लोगों ने अफ्रीकन गोल्ड और वहां की आइवरी को इंडिया लाना शुरू किया और उन्हें ऐसा लगा कि अफ्रीका के गोल्ड और आइवरी ज्यादा रिच है और इसी वजह से गुजराती व्यापारियों ने 16 सेंचुरी तक अपना पूरा ध्यान अरब सागर के जरिए अफ्रीका पर ही लगा दिया गुजराती व्यापारी ऐसा इसलिए भी कर रहे थे क्योंकि गुजरात में इस दौरान अफ्रीकन प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ने लगी यानी वहां के गोल्ड और वहां से लाई हुई धातुओं से जो प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे थे वो काफी वैल्युएबल हो गए जिस वजह से गुजरात के एलीट लोग उसकी मांग करने लगे और 1500 से 1800 के बीच यही गुजराती व्यापारी सिर्फ अफ्रीका से व्यापार करके अमीर हो गए 1520 में दू पोर्ट गुजरात सल्तनत का सबसे इंपॉर्टेंट पोर्ट हो चुका था जो पूरी तरह से गुजराती मर्चेंट सी चलाते थे और इसी वजह से 1550 में पुर्तगालियों ने इस पोर्ट को अपने कब्जे में ले लिया लेकिन इसके बावजूद गुजरात की बनिया कम्युनिटी ने अपना दबदबा बनाए रखा वो बड़े-बड़े शहरों से कॉटन टेक्सटाइल्स को खरीदने लगे जिस वजह से यूरोपियन कंपनीज को कॉटन टेक्सटाइल इंडिया से बाहर भेजने के लिए गुजराती व्यापारियों पर डिपेंड होना पड़ता था था और इसी वजह से अहमदाबाद और सूरत जैसे टेक्सटाइल हब्स तैयार हुए लेकिन 18 सेंचुरी में ईस्ट इंडिया कंपनी के रूल ने गुजरात के लोगों से कॉटन टेक्सटाइल्स की एडमिनिस्ट्रेशन की पावर को छीन लिया जो एक तरह से उनके डाउनफॉल का समय था लेकिन अफ्रीकन देशों से लाया गया गोल्ड और आइवरी गुजरात के लोगों के पास मौजूद था जिसने एक तरह से उनके डाउनफॉल में उनका साथ दिया लेकिन गुजरात के लोगों के बीच बिजनेस की आदत को कॉलोनाइजेशन नुकसान नहीं पहुंचा पाई गुजरात आफ्टर इंडिपेंडेंस दोस्तों आजादी के बाद भी गुजरात का अपना कोई अल अलग एक्जिस्टेंस नहीं था बल्कि वह बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा था लेकिन एक बड़े आंदोलन के बाद 1960 में यह महाराष्ट्र के साथ एक अलग राज्य बना जिस वक्त गुजरात की आर्थिक हालत यह थी कि वहां की खेती पूरी तरीके से बर्बाद हो चुकी थी और साथ ही वहां की टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी अपने डाउनफॉल पर थी और यहीं गुजराती लोगों ने गुजरात के पोस्ट इंडिपेंडेंस एरा को सबसे मजबूत इकॉनमी का सफर तय करने के लिए तैयार किया क्योंकि गुजरात के लोग के पास सिर्फ नमक बनाने और उसे बेचने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं था लेकिन उस समय भी उन्होंने हार नहीं मानी और वहां के लोकल लोगों के माइंडसेट की वजह से ही नई इकोनॉमिक ग्रोथ में गुजरात ने नई कहानी को लिखना शुरू किया और जिसमें सबसे पहला कंट्रीब्यूशन सूरत की डायमंड इंडस्ट्री का है जब गुजरात में नए डायमंड ट्रेडर्स दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से हीरे लाकर सूरत में उसकी कटिंग और पॉलिशिंग करने लगे लेकिन डायमंड के साथ ही साथ ठीक उसी समय पर गुजरात में आर्टिफिशियल सिल्क प्रोडक्शन और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्रीज ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे और इन सभी इंडस्ट्रीज की शुरुआत भी सूरत से ही हुई 1970 से लेकर 1980 तक इन तीनों इंडस्ट्रीज के एस्टेब्लिश हो जाने की की वजह से गुजरात की इकॉनमी में थोड़ा बहुत सुधार जरूर आया लेकिन अभी भी उसकी ग्रोथ काफी नहीं थी इसके बाद गुजरात के लोगों ने यह पाया कि जिस इकनॉमिक ग्रोथ का वह सपना देख रहे हैं उसके लिए उन्हें अलग मार्केट बिल्ड करना होगा और दोस्तों क्योंकि वह दौर जब इंडिया भी आजादी के बाद तरक्की की नई सीढ़ियां चढ़ने को तैयार हो रहा था इसीलिए नए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए पावर और एनर्जी की बहुत ज्यादा जरूरत थी गुजरात में इसी जरूरत को देखते हुए लार्ज स्केल इंडस्ट्रीज को स्टेट में एस्टेब्लिश करना शुरू किया और फिर बड़ी स्क्रीन एंटरप्राइजेस जैसे कि सीमेंट बिल्डिंग मटेरियल इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन ऑयल और नेचुरल गैस रिफाइनरी में बड़ी एंटरप्राइजेस की वजह से देश भर की डेवलपमेंट प्रोग्राम को गुजरात की तरफ बार-बार देखना पड़ता था जिसने गुजरात के फ्यूचर के लिए एक स्ट्रांग बेस तैयार कर दिया था और दोस्तों इसी बेस में गुजरात के आर्थिक विकास को साल 2000 के बाद और तेजी से आगे बढ़ाया गया जिसमें इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट तो था ही लेकिन उसमें साथ ही साथ गवर्नमेंट पॉलिसीज की वजह से एग्रीकल्चर भी आगे आकर कंट्रीब्यूट करने लगा और इसमें मोदी गवर्नमेंट का बड़ा रोल रहा मोदी और बीजेपी के आने के बाद गुजरात को डेवलपमेंट की एक नई दिशा मिली और अब यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आजादी के बाद जो एग्रीकल्चर गुजरात में बर्बाद हो चुका था वही 1999 के बाद से हर साल 9 पर की स्टेडी ग्रोथ से आगे बढ़ रहा था जिस वजह से गुजरात भारत का सबसे बड़ा कॉटन प्रोड्यूस ंग स्टेट बन गया और साथ ही बहुत से कैश क्रॉप्स गुजरात के एग्रीकल्चर का हिस्सा बन गए जो गुजरात में एग्रो ब्रांड इंडस्ट्रीज को प्रमोट करने में बड़ा कंट्रीब्यूशन करने लगे साल 2002 के बाद से वो सभी इंडस्ट्रीज जो 1970 में इकोनॉमिक लिबरलाइजेशन तक कुछ गुजराती लोगों ने सेट की थी उन्होंने बहुत तेजी से प्रॉफिट जनरेट करना शुरू किया जिस वजह से नई केमिकल पेट्रोकेमिकल और फर्टिलाइजर इंडस्ट्रीज ने गुजरात में जगह बनाई और आज इसी वजह से गुजरात इंडिया का इंडस्ट्रियल हब है दोस्तों इस इंडस्ट्रियल हब होने के फायदे अगर आप समझना चाहते हैं तो आप यह समझिए कि साल 2002 में जहां गुजरात की जीडीपी सिर्फ 1.7 बिलियन डॉलर थी वो 20222 तक 282 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई और ऐसा इसीलिए हो पाया क्योंकि गुजरात के लोगों ने अपने स्टेट के पोटेंशियल को समझा और इसी हिसाब से वहां पर बिजनेस खड़े किए कंक्लूजन दोस्तों इस तरह से आप समझ सकते हैं कि गुजरात का इतिहास और वहां की ज्योग्राफी का प्रभाव गुजरात के लोगों को इस तरह से तैयार करती है कि वह किसी भी ऐसी चीज में बिजनेस ढूंढ लेते हैं जिसे आमतौर पर लोग इग्नोर कर देंगे और यही कारण है कि गुजराती लोग कुछ नहीं में से भी पैसा कमा लेने की कैपेसिटी रखते हैं इसीलिए भारत के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट बिना गुजरातियों के पूरी ही नहीं हो सकती कर सकती और जिस तरह से भारत तेजी से डेवलप कर रहा है उसे देखकर यह भी कहा जा सकता सगता है कि आने वाले समय में दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट भी बिना गुजरातियों के पूरी नहीं हो पाएगी अपने ओपिनियन हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए और दोस्तों इससे पहले हम इस वीडियो को एंड करें एक इंपॉर्टेंट इंफॉर्मेशन यूपीएससी प्रीलिम्स 2024 के स्टूडेंट्स के लिए दोस्तों अनअकैडमी करा रहा है यूए आईपीएमटी यानी अनअकैडमी यूपीएससी प्रीलिम्स मॉक टेस्ट 2024 9th जून 2024 को और यह मॉक टेस्ट बिल्कुल यूपीएससी प्रीलिम्स के लेटेस्ट पैटर्न पर बेस्ड होगा और जिसमें आपको मौका मिलेगा देश के सबसे बड़े एस्परेंस के पूल के साथ पार्टिसिपेट करने का और अपनी अपनी परफॉर्मेंस को एनालाइज करने का बिफोर प्रिलिम्स एग्जामिनेशन जिसमें अब दो हफ्तों से भी कम का टाइम बचा है दोस्तों इसका जीएस टेस्ट होगा 9:30 ए टू 11:30 ए एंड सीट का टेस्ट होगा 2:30 पए टू 4:30 पए ऑन द सेम डे और तो और दोस्तों इस टेस्ट के टॉप 500 पार्टिसिपेंट्स को मिलेगा फ्री प्रीलिम्स टेस्ट सीरीज का एक्सेस और टॉप 10 पार्टिसिपेंट्स को मिलेगा अनअकैडमी का यूपीएससी सब्सक्रिप्शन फ्री फॉर वन मंथ तो दोस्तों आज ही एनरोल कीजिए एंड दीजिए ये एग्जाम 9 जून को वो भी अपने घर से बिना इस भयानक गर्मी में बाहर जाए ऑल द लिंक्स आर इन द डिस्क्रिप्शन एंड मिलते हैं आपसे ऐसे ही एक और इंटरेस्टिंग और इंफॉर्मेशन वीडियो के साथ तब तक के लिए जय हिंद