एक गाँव में अली नाम का एक लड़का रहता था। उसका सपना था कि वो एक दिन एक बड़ा खिलाड़ी बने। लेकिन हालात बहुत मुश्किल थे — न अच्छे जूते, न मैदान, न कोई सुविधा। उसके पास सिर्फ एक सपना था… और मेहनत करने का जज़्बा।
हर रोज़ वो पुराने फटे हुए जूतों में मीलों दौड़ता, पेड़ों पर बॉल मारकर प्रैक्टिस करता और जब थक जाता तो खुद से कहता:
“एक कदम और…”
लोग हँसते थे, ताने मारते: “इतनी मेहनत क्यों कर रहा है? तू कुछ नहीं बन पाएगा।”
लेकिन अली ने कभी हार नहीं मानी। उसे यकीन था कि जो कोशिश करता है, वही आगे बढ़ता है।
कई सालों की मेहनत के बाद एक दिन उसे शहर में एक बड़े ट्रायल में बुलाया गया। हजारों लड़कों के बीच अली का आत्मविश्वास सबसे अलग था। उसकी आँखों में बस एक बात थी:
“एक कदम और…”
उसका चयन हो गया। आज अली एक सफल खिलाड़ी है। उसकी कहानी हर उस इंसान के लिए सबक है जो अपने हालातों से लड़ रहा है — कि सपने वही सच होते हैं, जिनके पीछे हम हर दिन “एक कदम और” बढ़ते हैं।
सीख:
अगर मंज़िल दूर लगे, तो थमो मत… बस खुद से कहो:
“एक कदम और…”