नया विषय: साइकोलोजी स्कूल में ज्यादा नहीं पढ़ाई जाती। यह एक नया और अलग विषय है, जो हमारे बेस के लिए महत्वपूर्ण होगा।
मानव व्यवहार का अध्ययन: यह विषय मुख्यत: मानव के व्यवहार और भावनाओं का अध्ययन करने पर केंद्रित है।
डेटा के अध्ययन: साइकोलोजी हमें सिखाती है कि कैसे केवल विचार ही नहीं बल्कि विरोधात्मक तर्क भी अस्तित्व में होते हैं।
साइकोलोजी का इतिहास
युवावस्था: साइकोलोजी कुछ सदियों पुरानी है, जबकि अन्य विषय जैसे विज्ञान और गणित हजारों साल पुराने हैं।
व्यवहार और विचार: दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार के भावनाओं और व्यवहार को समझना साइकोलोजी का मुख्य कार्य है। जैसे कि गुस्से में कैसे प्रतिक्रिया होती है, तनाव में क्या होता है, इत्यादि।
साइकोलोजी के मुख्य प्रश्न
सोल और माइंड: सोल और माइंड की अवधारणा को समझना और उसे व्यवस्थित रूप से परिभाषित करना कठिन है। शुरुआती परिभाषाओं में सोल को विज्ञान का हिस्सा माना गया।
कांशसनेस: 19वीं सदी में कांशसनेस यानी सजीवता का अध्ययन शुरू हुआ। मुख्यतः विल्हेम वुंट द्वारा।
साइकोलोजी जर्मन दृष्टिकोण
विल्हेम वुंट: जर्मन चिकित्सक और दार्शनिक जिन्होंने साइकोलोजी को विज्ञान की श्रेणी में डाला।
पहली प्रयोगशाला: लेपज़िग यूनिवर्सिटी में पहली साइकोलोजिकल लैब की स्थापना हुई।
पेरसेप्शन और रिएक्शन टाइम: पेरसेप्शन यानी धारणा और प्रतिक्रिया समय का अध्ययन साइकोलोजी के महत्वपूर्ण हिस्से रहे हैं।
प्रमुख थ्योरीज और विचारक
प्लेटो: मानव की नैतिकता और ज्ञान जन्मजात होते हैं।
जॉन लॉक: ज्ञान और तजुर्बा बचपन से सीखने के बाद आता है, जन्मजात नहीं।
साइकोलोजी और यथार्थ
ऐबस्ट्रैक्ट कॉन्सेप्ट: सोल और माइंड ऐबस्ट्रैक्ट यानी काल्पनिक हैं। विज्ञान में अवलोकन और प्रयोग के माध्यम से तथ्यों को स्थापित करते हैं।
आवश्यकता: वर्तमान जनसंख्या और पर्यावरण की समस्या को हल करने के लिए मानव के व्यवहार का अध्ययन महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
साइकोलोजी का महत्व: साइकोलोजी का ज्ञान न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। यह हमें न केवल समझ बढ़ाने में मदद करता है बल्कि जीवन में शांत और अर्थपूर्ण संतुलन भी प्राप्त कराता है।