Transcript for:
Commerce Pro Series - Day 9: Accounting Principles

व्हाट्स अप एवरीवन वेलकम बैक टू द चैनल गाइज आज हम लोग आ गए हैं ऑन आवर डे नाइन ऑफ कॉमर्स प्रो सीरीज और बस 90 डेज और 91 डेज और और आने वाले 90 डेज के अंदर हम लोग पूरा ही सिलेबस अकाउंट्स बिजनेस स्टडीज इकोनॉमिक्स खत्म करेंगे शानदार तरीके से कवर करेंगे आप लोग जल्दी से जाके अटेंडेंस लगा के आओ आज हम चैप्टर नंबर थ्री अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स शुरू करने वाले हैं दो क्लासेस में बच्चों ये चैप्टर होगा आज की क्लास बहुत कं चुअल रहने वाली है थोड़े बेसिक्स के ऊपर डिस्कशन करेंगे और कुछ प्रिंसिपल्स के बारे में पढ़ेंगे और कल की क्लास में हम लोग इसको कंप्लीट कर देंगे तो दो क्लासेस और आपका यह चैप्टर भी समाप्त हो जाएगा मैंने प्लेलिस्ट बना दी है प्रॉपर प्लेलिस्ट देखते चलना कंप्लीट करते चलना और सारे चैप्टर बढ़िया तरीके से तैयार करते चलना तो चलिए जल्दी से शुरू करते हैं और चीजों को समाप्त करते हैं लेट्स बिगन [संगीत] [संगीत] सर यह अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स होते क्या हैं इसका मतलब क्या है देखो बच्चों प्रिंसिपल्स वर्ड का क्या मतलब होता है सर्टेन रूल्स सर्टेन गाइडलाइंस जो हमें हेल्प करती हैं डिसीजन मेकिंग में जो हमें हेल्प करती हैं किसी भी काम को करने में जो हमें हेल्प करती हैं चीजों को समझने में और आसानी से करने में तो अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स का भी वही काम है अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स धीरे-धीरे स्टडी करके एनालिसिस करके ऑब्जर्वेशन करके बहुत स्टडी के बाद बनाई गई हैं जिसकी मदद से जो रूल्स और रेगुलेशंस आए उसके आधार पे हम सारे के सारे अकाउंट्स बना देते हैं आपने जितनी भी अकाउंटिंग इक्वेशंस पढ़ी या आप लोग जितने भी चैप्टर्स आगे पढ़ने वाले हो वो सब अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स पे ही बेस्ड होंगे तो सर ये अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स का मतलब क्या होता है देखो तो हम क्या बोलेंगे अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स हैव बीन जनरली एक्सेप्टेड बाय द अकाउंटेंट्स ऑल ओवर द वर्ल्ड पूरे वर्ल्ड में इनको एक्सेप्ट किया जाता है एज जनरली जनरल गाइडलाइंस फॉर प्रिपेयरिंग द काउंटिंग स्टेटमेंट्स दीज प्रिंसिपल्स हैव बीन डेवलप्ड कैसे डेवलप हुई है ओवर अ कोर्स ऑफ़ पीरियड फॉम यूसेज यूज़ करके रीज़न एक्सपीरियंस के साथ उसके साथ-साथ लोगों के स्टेटमेंट्स प्रोफेशनल बॉडीज के स्टेटमेंट्स गवर्नमेंट एजेंसीज के स्टेटमेंट्स और इनको यूजुअली क्या बोला जाता है जीड एपी द जनरली एक्सेप्टेड अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स जनरली एक्सेप्टेड क्यों क्योंकि थोड़ा-थोड़ा अपने कंट्री टू कंट्री डिफर करता है चेंज होते हैं बट जनरली ऑल ओवर द वर्ल्ड ये इसी तरीके से एक्सेप्ट करी जाती हैं इसीलिए अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स को बोला जाता है जनरली एक्सेप्टेड अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स ठीक है इसके बाद क्या-क्या फीचर्स होते हैं बच्चों इन प्रिंसिपल्स के सबसे पहला फीचर दीज आर यूनिफॉर्म सेट ऑफ रूल्स यूनिफॉर्म सेट ऑफ रूल्स का क्या मतलब है कि ये जितने भी प्रिंसिपल्स हैं ये कुछ यूनिफॉर्म सेट ऑफ रूल्स है जो वर्ल्ड वाइड सिमिलर ही हमें देखने को मिलती हैं अकाउंट टिंग हमें इसी तरीके से देखने को मिलती है और इन रूल्स को हमें एज इट इज फॉलो करना है चाहे हम 11थ की अकाउंटिंग कर रहे हैं 12थ की अकाउंटिंग कर रहे हैं या कहीं तक की भी अकाउंटिंग आप करोगे रूल्स सेम रहेंगे तो दीज आर यूनिफॉर्म सेट ऑफ रूल्स दीज आर मैन मेड लोगों ने बनाए हैं अपने ऑब्जर्वेशन से अपनी प्रैक्टिस से अपने एक्सपीरियंस से दीज आर फ्लेक्सिबल फ्लेक्सिबल का मतलब है कि टाइम के साथ देखो बिजनेस करने का तरीका बदलता है टाइम के साथ नई टेक्नोलॉजी आती है ह्यूमन बिहेवियर इवॉल्व होता है चीजें बदलती हैं तो यह भी फ फ्लेक्सिबल इनफ है कि इनको भी हम समय के अनुसार चेंज कर सकते हैं एज इट इज नहीं रहेंगी तो क्या है अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स आर नॉट रिजट बट फ्लेक्सिबल फ्लेक्सिबल का मतलब दीज आर बाउंड टू चेंज विद पैसेज ऑफ टाइम ठीक है अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स आर जनरली एक्सेप्टेड जनरली एक्सेप्टेड का मतलब है कि यह गाइडलाइंस है बेस है बहुत सारी अकाउंटिंग प्रॉब्लम्स का सॉल्यूशन है तो कहीं पे भी अगर अकाउंटेंट ऑल ओवर द वर्ल्ड कहीं पे अटक जाए तो वो इन प्रिंसिपल्स की मदद से चीजें सॉर्ट आउट कर सकते हैं तो ये कुछ बेसिक फीचर्स होते हैं करेक्टर सिक्स होते हैं अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स के इतना पढ़ने के बाद आई एम होप फुल कि आपको अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स का मतलब समझ में आया होगा बेसिक फीचर्स बेसिक कैरेक्टरिस्टिक समझ में आए होंगी अब हमारे पास आगे होता है कि अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स जो हैं वो कैसी होनी चाहिए अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स का क्या पर्पस रहना चाहिए तो हम बोलेंगे देखो एक तो रेलीवेंस होनी चाहिए रेलीवेंस का मतलब कि अकाउंटिंग प्रिंसिपल रिलेवेंट हो इंपॉर्टेंट हो यूजफुल टू द ओनर हो जितने भी लोग हैं अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स को अगर यूज़ कर रहे हैं देख रहे हैं समझ रहे हैं तो उनके लिए रिलेवेंट हो वो कुछ भी इरेलीवेंट चीजें इसके अंदर ना हो दूसरा प्रिंसिपल शुड बी ऑब्जेक्टिव ऑब्जेक्टिव का मतलब होता है बेटा फ्री फ्रॉम पर्सनल बायससनेट मैनिपुलेशंस चांसेस ऑफ फ्रॉड कुछ इस तरीके की चीजें नहीं होनी चाहिए तो ऑब्जेक्टिविटी होनी चाहिए क्लेरिटी होनी चाहिए किसी तरीके का कोई फ्रॉड मैनिपुलेशन नहीं होना चाहिए तो रिलेवेंट होनी चाहिए ऑब्जेक्टिव होनी चाहिए फीजिबिलिटी होनी चाहिए फीजिबिलिटी का मतलब क्या होता है फीजिबिलिटी का मतलब कि हम बिना किसी कॉम्प्लेक्शन के इजली उसको अप्लाई कर पाएं तो प्रिंसिपल्स इस तरीके से डिफाइंड है कि हम इनको आसानी से अप्लाई कर सकते हैं कोई कॉम्प्लेक्शन इनको अप्लाई करने में नहीं आएगी ठीक है जी अब आ रहे हैं कितने प्रकार के अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स हो सकते हैं तो बच्चों इस चैप्टर में हम दो तरीके की चीजें पढ़ने वाले हैं अकाउंटिंग कांसेप्ट या अंश और अकाउंटिंग कन्वेंशंस अब मैं थोड़ा सा इस पे डिस्कशन करूंगा कि है क्या यह तो देखो जो कांसेप्ट और अंश है अकाउंटिंग कांसेप्ट एंड अकाउंटिंग अंश यह बेटा फंडामेंटली हमें देखने को मिलते ही हैं अकाउंट्स में मतलब कि यह डेवलप हुए हैं एक्सपीरियंस के साथ यूसेज के साथ प्रोफेशनल बॉडीज के एक्सपीरियंस नॉलेज के साथ तो धीरे-धीरे धीरे-धीरे डेवलप हुए हैं तो यह आपको एज इट इज देखने ही है लेकिन जो कन्वेंशंस है कन्वेंशंस बेटा कस्टम्स पे बेस है बिलीव्स पे बेस है कुछ कुछ लोग इसको मानते हैं कुछ लोग इसको नहीं मानते यानी लीगल एक्सेप्टेबिलिटी इनके अंदर कम है ये लीगल एक्सेप्टेबिलिटी इनके अंदर भरपूर मात्रा में है यानी ये तो फॉलो होंगे ही होंगे ये कैसे फॉलो होंगे ये अलग-अलग कस्टम्स पे अलग-अलग ट्रेडिशनल अलग बिलीव्स पे बेस्ड है अब जैसे इसके अंदर एक कन्वेंशन होता है फुल डिस्क्लोजर सब कुछ फुल्ली डिस्क्लोज करो तो कुछ लोग मानते हैं कि फुल डिस्क्लोजर करो वहीं पे एक कन्वेंशन होता है मटेरियल सिर्फ उतना लिखो जितना इंपॉर्टेंट है तो देखो कुछ लोगों का मानना है कि फुल डिस्क्लोजर होना चाहिए कुछ लोगों का मानना है कि बस उतना होना चाहिए जितना इंपॉर्टेंट है तो अलग-अलग मान्यताएं हो गई ना तो यह मान्यताओं पे बेस्ड है ना कि लीगल एप्लीकेशंस पे ये लीगल एप्लीकेशंस पे बेस्ड है जो आपको देखने को मिलेंगे ही मिलेंगे ठीक है तो हम सबसे पहले आज अकाउंटिंग कांसेप्ट या कन्वेंशंस ही कांसेप्ट और अंश ही पढ़ेंगे इन ऑर्डर टू मेक अकाउंटिंग लैंग्वेज कन्वे द सेम मीनिंग टू ऑल द पीपल एंड टू मेक इट मोर मीनिंगफुल मोस्ट ऑफ द अकाउंटिंग हैव रीड ऑन नंबर ऑफ कॉन्सेप्ट्स व्हिच आर यूजुअली फॉलो फॉर प्रिपेयरिंग द फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स हम यह चाहते हैं कि अकाउंट्स वर्ल्ड वाइड एक्सेप्टेबल हो वर्ल्ड वाइड सेम हो ऐसा ना हो कि अगर हम कहीं किसी और देश में जाए तो वहां हमारे रूल समझ में ही ना आए तो वर्ल्ड में जितने भी अकाउंटेंट्स हैं सबने कुछ सर्टेन रूल्स को एक्सेप्ट किया है वर्ल्ड वाइड अपनाया है वही प्रिंसिपल्स हम यहां पे पढ़ने वाले हैं ठीक है अब हमारे पास क्या-क्या आ जाता है बच्चों तीन हमारे पास सबसे पहले बेसिक अकाउंटिंग अंश हैं तीन फंडामेंटल अकाउंटिंग अंश हैं जो अकाउंटिंग स्टैंडर्ड एएस व के थ्रू हैं जो इंस्टीट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने दिए हैं और हम इनको फॉलो करके ही चलते हैं हम यह मान के चलते हैं कि कोई भी बिजनेस हो वो कोई अकाउंटिंग कांसेप्ट फॉलो करे या ना करे यह जरूर फॉलो कर रहा होगा तीन ये तीन कौन से होते हैं आज हम इन्हीं पे चर्चा करेंगे अदर हम कल की क्लास में करेंगे और चैप्टर खत्म हो जाएगा कौन से तीन हैं सबसे पहला है बेटा गोइंग कंसर्न दूसरा कंसिस्टेंसी तीसरा एक्रूअल कांसेप्ट इसका स्क्रीनशॉट ले लो फिर मैं आपको डिटेल में पढ़ाने वाला हूं तो सबसे पहले हमारे पास आ रहा है द गोइंग कंसर्न कांसेप्ट सर ये गोइंग कंसर्न का मतलब क्या है देखो गोइंग कंसर्न का मतलब है कि लोग आते जाते रहेंगे बट बिजनेस मे गो ऑन फॉरएवर बिजनेस नहीं रुकेगा अब देखो हम बैंक से लोन लेने के लिए जाते हैं तो बैंक स्टेटमेंट्स चेक करके 10 साल का 15 साल का 20 साल का भी लोन दे देता है हम उधार में सामान खरीदते हैं तो हमारा क्रेडिटर उधार में सामान भी दे देता है बिजनेस की कोई गारंटी है क्या कल होगा या नहीं होगा बैंक लोन दे रहा है 20 साल का क्रेडिटर उधार दे रहा है एक साल का तो क्या कोई गारंटी है बिजनेस सरवाइव करेगा कोई सर्टिफिकेट है कि भैया इतना जीवन चलेगा बिजनेस का ऐसा तो कुछ नहीं है बंद होने को कल बंद हो जाए तो हमारा यह एक अजमन होता है फंडामेंटल अजमन होता है कि बिजनेस लंबे समय तक चलता ही रहेगा बिजनेस जल्दी से बंद नहीं होगा इसी को को बोलते हैं हम गोइंग कंसर्न कांसेप्ट इट इज ऑन दिस कांसेप्ट दैट वी रिकॉर्ड फिक्स्ड एसेट्स एट देयर ओरिजिनल कॉस्ट और फिर हम उन परे डेप्रिसिएशन लगाते रहते हैं बिकॉज़ ऑफ द कांसेप्ट ऑफ गोइंग कंसर्न फुल कॉस्ट ऑफ द मशीन वुड नॉट बी ट्रीटेड एज एन एक्सपेंस जब हमारे पास एक मशीन हमने खरीदी 1 लाख की मशीन खरीदी और हमें ऐसा लग रहा है कि 5 साल तो चली जाएगी तो 20 हज का हम खर्चा मानते हैं हर साल बिजनेस भी तो चलना चाहिए 5 साल तो यह जो गोइंग कंसर्न कांसेप्ट है यह यह बोलता है एज पर दिस कांसेप्ट कुछ भी हो लोग आएंगे जाएंगे लेकिन बिजनेस में गो ऑन फॉरएवर बिजनेस लंबे समय तक चलता रहेगा यह गोइंग कंसर्न कांसेप्ट कहता है बेटा ठीक हो गया क्लियर हो गया चलो सर इसके बाद हमारे पास कौन सा कांसेप्ट आ रहा है यह हेडिंग को प्लीज इग्नोर करना पता नहीं कौन से लैंग्वेज में हेडिंग आ गई है यहां पर पीबीटी में इसको प्लीज इग्नोर करना यह कुछ नहीं है यह कौन सा प्रिंसिपल है बच्चों कंसिस्टेंसी ठीक है अब कंसिस्टेंसी कांसेप्ट क्या बोलता है कंसिस्टेंसी कांसेप्ट बोलता है यू हैव टू स्टे कंसिस्टेंट ऑन अप्लाइज मेथड्स यानी कि जैसे हम डेप्रिसिएशन यूज करेंगे तो डेप्रिसिएशन कैलकुलेट करने के बच्चों अलग-अलग मेथड्स है डेप्रिसिएशन कैलकुलेट करने के अलग-अलग तरीके दिए हुए हैं हर मेथड से अलग-अलग डेप्रिसिएशन आता है अब इस साल मैंने अलग डेप्रिसिएशन कैलकुलेट करा अगले साल मैंने अलग डेप्रिसिएशन कैलकुलेट करा तो मेरी बुक्स में दो साल के खर्चे अलग-अलग हो गए इस साल अलग अगले साल अलग ये तो गलत बात हो गई ना मैं दोनों को कंपेयर कैसे करूंगा मेथड सेम होगा तभी तो मैं कंपेयर कर पाऊंगा कि खर्चा बढ़ रहा है या घट रहा है तो डेप्रिसिएशन का मेथड हो गया स्टॉक को कैलकुलेट करने का मेथड हो गया जैसे स्टॉक को वैल्युएशन करते हैं ना तो उसके भी अलग-अलग मेथड्स होते हैं इसी तरीके से बहुत सारे मेथड्स हमारे अकाउंट्स में अवेलेबल है तो हमें क्या करना है हर साल सेम मेथड्स ही फॉलो करने हैं हमें अपने मेथड्स चेंज नहीं करने हैं ये प्रिंसिपल ये बोलता है कि अगर आपको अपने अकाउंट्स की अपनी बिजनेस की ट्रू पिक्चर देखनी है एक्चुअल पिक्चर देखनी है तो यू शुड फॉलो सेम रूल्स एंड रेगुलेशंस बार-बार रूल्स को बदलना नहीं है बार-बार मेथड्स को चेंज नहीं करना है तो देखो क्या लिखा हुआ है दिस कांसेप्ट स्टेट्स दैट अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स एंड मेथड शुड रिमे कंसिस्टेंट फ्रॉम वन ईयर टू अनदर एक साल से दूसरे में यह कंसिस्टेंसी के साथ चलने चाहिए इफ अ फर्म अडॉप्ट्स डिफरेंट अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स इन टू अकाउंटिंग पीरियड्स अगर अलग-अलग यूज़ करेंगे प्रॉफिट्स ऑफ करंट ईयर विल नॉट बी कंपैरेटर प्रॉफिट ऑफ प्रीसी दिंग ईयर हम प्रॉफिट्स को कंपेयर ही नहीं कर सकते यार दो बुक्स ऑफ अकाउंट्स दोनों अलग-अलग मेथड से बनी है तो कैसे कंपेयर करोगे सेम मेथड से बनाओगे तभी तो बोलोगे कि ग्रोथ हुई या डाउनफॉल हुआ क्या हुआ तो इसीलिए हम बोलते हैं कि हमें कंसिस्टेंसी फॉलो करना चाहिए जो मेथड्स हम यूज कर रहे हैं वोह कंसिस्टेंट रहने चाहिए ईयर टू ईयर समझे तो गोइंग कंसर्न क्लियर हो गया कंसिस्टेंसी क्लियर हो गया तीसरा कौन सा आता है बच्चों एक्रूअल सर व्हाट इज एक्रूअल कांसेप्ट देखो बेटा हमारी जो बुक्स ऑफ अकाउंट्स है ना वह दो तरीके से बन सकती है कैश बेसिस पे और एक्रूअल बेसिस पे कैश बेसिस यह बोलता है कि सर जब आपके पास कैश आएगा या जब आपके पास से कैश जाएगा आप उस टाइम ट्रांजैक्शंस को रिकॉर्ड किया करो जैसे फॉर एग्जांपल मुझे आपके मार्च के कोई पैसे देने हैं मैंने आपको म में दिए तो कैश बेसिस बोलता है मे में लिखो आपने मेरे कोई पैसे देने हैं पिछले साल के और आपने इस साल दिए कैश बेसिस बोलता है इस साल लिखो पिछले साल से कोई मतलब नहीं है कैश बेसिस के अनुसार ट्रांजैक्शन तब रिकॉर्ड होनी चाहिए जब पैसा आया या पैसा गया एक्रूअल बोलता है यह गलत हो गया एक्रूअल बोलता सपोज पिछले 3 साल के पैसे हैं और इस साल आपके पास आए आपने सारे इस साल लिख दिए तो फिर तो इस साल आपकी स्टेटमेंट बहुत ज्यादा ओवर वैल्यूड दिखाई देंगी आपकी स्टेटमेंट में बिना बाद पैसा बढ़ा हुआ दिखाई देगा जबकि वो इस साल का पैसा है भी नहीं अगर पिछले 3 साल का पैसा है तो हमें पिछले 3 साल में लिख देना चाहिए फर्क नहीं पड़ता कि मिला है या नहीं मिला है अगर मेरा मार्च का बिजली का बिल है और मैं उसको मे में पे कर रहा हूं तो मैं उसे मार्च में ही लिखूं पे चाहे मैंने मई में किया हो खर्चा कब लिखना चाहिए माच मार्च में ही लिखना चाहिए क्योंकि वह बिल मार्च का था यह एक्रूअल कांसेप्ट बोलता है तो एक्रूअल कांसेप्ट के अनुसार बच्चों कोई भी खर्चा हो जिस दिन वह खर्चा हुआ है उस दिन उस खर्चे को लिखना है कैश गया कब कैश आया कब इससे फर्क नहीं पड़ता सिमिलरली अगर मेरी सैलरी मार्च की है और मुझे अप्रैल में मिली तो मैं मार्च में ही लिखूं अप्रैल में नहीं क्यों क्योंकि अगर अप्रैल में लिखूंगा तो अप्रैल की बिना बा की इनकम बढ़ जाएगी जबक इनकम वो मार्च की है वो अलग बात है कि कैश अप्रैल में मिला लेकिन है तो मार्च की ना तो जिस मंथ का एक्सपेंस है या जिस मंथ की इनकम है आप उसी मंथ में लिखो इट इज इ मटेरियल कि भैया कब मिल रहा है समझे और यह कांसेप्ट तब भी अप्लाई होता है जब उधार की ट्रांजैक्शंस होती है जैसे आज मैंने उधार प कोई माल बेचा कैश बेसिस आज उसको रिकॉर्ड ही नहीं करेगा कैश बेसिस तो यह बोलेगा तब रिकॉर्ड करो जब पैसा आएगा लेकिन सेल तो आज हुई है ना तो मुझे आज लिखना चाहिए ना ये एक्रूअल बेसिस बोलता है सिमिलरली मैंने कोई सामान खरीदा उधार पे आज तो कैश बेसिस बोलेगा लिखने की जरूरत ही नहीं है पैसा तो गया ही नहीं एक्रूअल बोलता है नहीं इनकंप्लीट इंफॉर्मेशन हो जाएगी आज अगर कोई चीज खरीदी है तो आज लिखो ना यार उधार में खरीदी है कोई बात नहीं आज की डेट पे लिखो ये है एक्रूअल कांसेप्ट ठीक है तो रेवेन्यू में भी चलता है एक्सपेंसेस में भी चलता है रेवेन्यू कब रिकॉर्ड होगा जिस डेट पे सर्विसेस या गुड्स आपने सेल करे हैं एक्सपेंस कब रिकॉर्ड होगा जब वो ड्यू हुआ है फर्क नहीं पड़ता कैश गया है या नहीं गया है ठीक है तो यह तीन बच्चों हमारे पास बेसिक अकाउंटिंग अंश होती हैं कौन-कौन सी गोइंग कंसर्न एक्रूअल और कंसिस्टेंसी उसके बाद कुछ इंपॉर्टेंट कॉन्सेप्ट्स आएंगे जो कि हम कल की क्लास में कवर करेंगे यह कुछ अदर कांसेप्ट है इनको हम कल की क्लास में कवर करेंगे और चैप्टर समाप्त हो जाएगा तो आज आपको जो भी बुक फॉलो करते हो खोलो प्रिंसिपल्स का मीनिंग मार्क करो फीचर्स मार्क करो शुरू में कांसेप्ट और कन्वेंशंस को एक बार गो थ्रू कर लो एंड बेसिक फंडामेंटल अंश जो मैंने आपको बताए गोइंग कंसर्न अ क्रूअल कंसिस्टेंसी उनको एक बार गो थ्रू करो और चीजें कंप्लीट हो जाएंगी ठीक है आज के लिए इतना ही कल की क्लास में बेटा जी हम लोग इस चैप्टर को भी खत्म कर देंगे और हमारा चैप्टर नंबर वन टू थ्री और अकाउंटिंग इक्वेशन समाप्त हो जाएगा ऑलराइट थैंक यू सो वेरी मच एवरीवन फॉर जॉइनिंग इन आई एम गोना सी यू ल टुमारो टिल देन टेक केयर कीप ग्रोइंग एंड कीप ग्लोइंग h