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कंप्यूटर फंडामेंटल्स की महत्वपूर्ण जानकारी

हेलो फ्रेंड्स कंप्यूटर फंडामेंटल सीखने के लिए यह कंप्लीट वीडियो टूटोरेल है इस वीडियो टूटोरेल के माध्यम से आप कंप्यूटर फंडामेंटल कंप्लीटली सीख जाएंगे बस आपको करना क्या है इस वीडियो फंडामेंटल के सभी टॉपिक दे दिए उन टॉपिक के सामने उनके टाइम स्टेम दिए गए आप जिस भी टोपिक को पहले सीखना चाहते हैं, यानि उसके बारे में पहले जानना चाहते हैं, बस आपको time stamp पर click कर देना है, आप direct उस topic पर पहुंच जाएंगे, तो आप पहले किसी भी topic की knowledge ले सकते हैं. प्रेंट्स, computer fundamental एक बहुती ज़्यादा important topic होता है computer का, क्योंकि इसकी knowledge होना में बहुत ज़्यादा ज़रूरी है, क्योंकि कई बार job interviews में, competitive exam में काफी ज़्यादा question computer fundamental वाले पार्ट से पूछे जाते हैं, यदि आपने computer में कोई भी course किया हुआ है, या आपको किसी भी software में command ह उसके बावजूद भी अगर आपसे कोई computer fundamentals related question पूछ लेता है और आपको इसकी knowledge नहीं होती है तो व��� सामने वाला वेक्ति आपको यह मान लेता है कि आपको computer में कुछ नहीं आता क्योंकि computer fundamentals से भी काफी ज़्यादा questions पूछे जाते हैं तो बस आपको इस वीडियो को सुरू से लेकर एंड तक देखना है ताकि आपको computer fundamentals की knowledge अच्छे से हो जाए है फ्रेंड्स यदि आप इस वीडियो को देखना स्टार्ट कर चुके हैं तो प्लीज इस वीडियो को एक लाइक कर दीजिए ताकि मुझे आगे भी इस तरह की वीडियो बनाने के लिए मोटिवेशन बिलता है और यदि आप इस चैनल पर पहली बनाना आए तो नीचे रेड बेटर्न पर क्लिक करके चैनल को भी सब्सक्राइब कर लीजिए साथ बेल आइकन बेट कंप्यूटर एक लेक्टोनिक डिवाइस है जो इन्पूट डिवाइस से रो डेटा का इन्पूट लेता है और उस डेटा पर काम करके रिजल्ट को आउटपूट के रूप में बदलता है तो कंप्यूटर क्या है एक लेक्टोनिक डिवाइस है कंप्यूटर एक लेटिन भासा के सब्द कंप्यूट से मिलकर बना है इसका मतलब होता है गणना कणना कंप्यूटर को हिंदी में संगणक भी कहा जाता है अब फ्रेंड्स हम बात करते हैं कि कंप्यूटर की फुल फॉर पूछ ली जाती है तो देखिए कंप्यूटर में इन 8 करेक्टर का मतलब क्या होता है तो कंप्यूटर देखिए इन 8 करेक्टर से मिलकर बना है तो यहाँ पर C का मतलब है common, O for operating, M for machine, P for particularly, U for used for, T for technological, E for engineering, कई जगह पर इसे education भी बोलते हैं और R for research और इन सब को अगर हम आपा कि कोमन ऑपरेटिंग मशीन पर्टिकुलरली यूज़ फॉर टेक्नोलोजिकल इंजनेरिंग रिसर्च तो यह क्या है कंप्यूटर की फुल फॉर में ओके कंप्यूटर का इनवेंशन चार्ज बेबेज ने किया था यानि कंप्यूटर का अविशकार ने किया था चार्ज बेबेज ने किया था आपको इसे याद रखना है और इसे इन्होंने 1837 में बना लिया था ओके तो चार्ज बेबेज द्वारा ही बनाया गया था और इसका नाम था एनालिटिकल इंजन ओके इसे भी आपको याद रखना है तो फ्रेंड्स देखिए यहां से भी एक इंपोर्टेंट क्वेश्चन पूछा जाता है कई गवर्नमेंट एक्जाम के अंदर वह है कि फादर ऑफ कंप्यूटर किसे कहा जाता है तो फादर कि आज जिन कंप्यूटर को यूज करें वह कंप्यूटर हमें डायरेक्ट नहीं मिले हमें पहले कई तरह के कंप्यूटर को यूज करना पड़ा था तो वह चीन जनरेशन के कंप्यूटर थे उनके बारे में ही हमें जानना है तो जो सबसे पहली जनरेशन आई थी वह थी फर्स्ट जनरेशन अभी फर्स्ट जनरेशन 1946 से 1959 तक रही और फ्रेंड्स इस जनरेशन की साइज काफी बड़ी होती थी और वेक्यूम ट्यूब कई सारे यूज करने पड़ते थे इसलिए इन कंप्यूटर की जो साइज थी वह काफी बड़ी थी यानि एक कमरे के बरावर के कंप्यूटर हुआ करते थे आप इमेज में भी देख सकते हैं यह जो कंप्यूटर की किया जा सकता था यह मशीनी लैंग्वेस सपोर्ट करते थे इन लैंग्वेस को केवल साइंटिस्ट ही समझ सकते थे और इन कंप्यूटर को ज्यादातर साइंटिस्ट ही यूज करते थे क्योंकि इनकी जो कॉस्ट थी वह बहुत ज्यादा थी हर कोई इन्हें परिद नहीं सकता था तो फैंस यह जो कंप्यूटर थे यह बहुत ज्यादा ही को जनरेट करते थे कारण क्योंकि इनकी साइस काफी बड़ी थी तो फैंस इन कंप्यूटर्स को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशन यानि ऐसी की जरूरत होती ही थी साइज काफी बड़ी तो कंप्यूटर थे उनमें इनपुट आउटपुट डिवाइस के रूप में पंच कार्ड पेपर टेप और मैंनेटिव टेप का यूज किया जाता था जो कि काफी स्लो थे तो फ्रेंड्स इस जनरेशन के कुछ कंप्यूटर है जिनके नाम मैं आपको बता रहा हूं उनमें स इस generation के बीच में जो भी computer थे वो सभी second generation के computer थे इस generation के अंदर vacuum tube की जगे transistor का use होता था अब vacuum tube और transistor में क्या था size का difference था vacuum tube की size काफी बड़ी थी जबकि transistor की size थोड़ी छोटी थी और transistor vacuum tube से थोड़े सस्ते भी होते थे और जो power consumption वो भी कम करते थे इस वज़े से computer थोड़ा छोटा हो गया और फर्स्ट जनरेशन के मुकाबले सेकंड जनरेशन का जो कंप्यूटर था वह फास्ट था एयर कंडीशन अभी भी सेकंड जनरेशन के कंप्यूटर में रिक्वाइड था यानि ऐसी आपको लगाना ही पड़ता था इस जनरेशन में देखिए बस एक अच्छी बात यह थी क यह कंप्यूटर फर्स्ट जनरेशन के मुकाबले थोड़े रिलायबल थे मतलब इनसे जो रिजल्ट आता था उन पर थोड़ा विश्वास किया जा सकता था अगर कंपेर करें फर्स्ट जनरेशन से तो और फ्रेंड्स यह जो कंप्यूटर थे अभी भी कोशली थे इने केवल CDC 1604 ये सभी क्या हैं सेकंड जनरेशन के कंप्यूटर हैं अब फ्रेंड्स हम बात करते हैं थर्ड जनरेशन की थर्ड जनरेशन 1965 से 1971 तक चली इस जनरेशन के कंप्यूटर में IC यानि Intergrated Circuit का यूज होने लगा और Intergrated Circuit का जो अभिशकार है वो Jack Kelway ने किया था जब से Intergrated Circuit यानि IC का डेवलेप्मेंट हुआ तो जो थर्ड जनरेशन के कंप्यूटर थे वो काफी छोटे थे और काफी छोटे होने की वज़े से कम एलेक्ट्रिसिटी कंजूम करते थे और एर कंडिशन तो अभी भी रिक्वायट था लेकिन फ्रेंड्स इन कंप्यूटर की एक खास बात थी व कि एक कंप्यूटर हाई लेवल लेंग्वेज जैसे फोल्टराम सेकंड से फोर तक को बोल पासकल बैसिक जैसी हाई लेवल लेंग्वेज जैसे फोल्टराम सेकंड से फोल्टराम सेकंड लेकिन यह कंप्यूटर अभी भी कॉशली थे तो फ्रेंड्स इस जनरेशन के अंदर जो कंप्यूटर यूज होते थे देखिए उनके नाम है IBM 360 सीरीज, Honeywell 6000 सीरीज, PDP, IBM 370 and 168 यह सभी कंप्यूटर इस जनरेशन में यूज होते थे अब फ्रेंड्स हम बात करते हैं 4th जनरेशन की, 4th जनरेशन 1971 से 1980 तक रही, जैसे 4th जनरेशन आई तो फ्रेंड्स कंप्यूटर के अंदर क्रांती आ गई अब कंप्यूटर के अंदर क्रांती क्यों आ गई क्योंकि फोर्थ जनरेशन से ही कंप्यूटर हर जगे यूज होने लगे जहां भी आज आप कंप्यूटर को देखते हो फोर्थ जनरेशन से ही वहाँ पर कंप्यूटर और इसको आईसी की जगह पर यूज हुआ यानि कंप्यूटर में जो सबसे में डिवाइस था वह वीएलसाई था इस वीएलसाई ने कंप्यूटर को काफी छोटा और फास्ट कर दिया जब इस जनरेशन आई तो इस जनरेशन के अंदर सभी हाई लेवल प्रोग्रामिंग ले पड़ता था यह कंप्यूटर रिलायबल थे प्रेंट्स फॉर्थ जनरेशन से ही इंटरनेट का कंसेप्ट भी आया एनि इंटरनेट इंट्रीड्यूज हुआ तब से कंप्यूटर में और ज्यादा क्रांति आ गई जब से इंटरनेट इंट्रीड्यूज हुआ यानि आप अब फ्रेंड हम बात करते हैं 5th जनरेशन की, 5th जनरेशन 1980 से लेकर अभी तक चली आ रही है, यानि आप जो भी कंप्यूटर यूज़ कर रहे हैं, वो सभी 5th जनरेशन के अंदर आते हैं, 5th जनरेशन के कंप्यूटर के अंदर VLSI की जगह एक नई टेक्लोनोजी का यूज� कि प्यूटर परफॉर्मेंस और स्पीड में काफी अच्छे हो गए हैं इसलिए इन कंप्यूटर का यूज है वर्क में किया जाता है जैसे कि रोबोटिक्स में गैमप्लाइंग के अंदर और सॉफ्टवेड एवलप्मेंट के अंदर साथी इन कंप्यूटर का यूज एडिटिशनल इंटेलिजेंसी के अंदर किया जा रहा है तो फ्रेंड्स यह जो फिट जनरेशन यह काफी पॉपुलर जनरेशन है और अभी जितने भी कंप्यूटर है यह सभी फिट जनरेशन के अंदर ही आते हैं अपने इंपोर्टेंट बात कर देता हूं कि कंप्यूटर की जनरेशन है वह केवल फिट ही है अब जो generations आती हैं वो processor की generation आती है या नहीं microprocessor की generation आती है जो scientist हैं वो processor की speed को बढ़ाने में और processor की size को छोटा करने में लगे हैं यानि अब जितनी भी generation आगे आने वाली हैं वो सभी generation processor की generation है ना कि computer की generation Core i3 first generation, second generation, third generation टेन जनरेशन अभी 11 जनरेशन भी आने वाली है तो फ्रेंड्स यह क्या है माइक्रो प्रोसेसर की जनरेशन नाकि कंप्यूटर की जनरेशन तो कि अब कंप्यूटर तो छोटा कर लिया गया है काफी फास्ट कर लिया गया है अब तो केवल बना रखा है यह सीपीयो का इंटरनल डाइग्राम अ मतलब कि CPU कैसे internal process करता है उस चीज के लिए एक diagram है लेकिन इससे पहले हम यह जानते हैं कि CPU क्या होता है CPU computer का एक सबसे important part होता है जिसका पूरा नाम है central processing unit इसे computer का mind भी कहा जाता है देखिए CPU computer के अंदर microprocessor को ही कहा जाता है अब microprocessor computer के अंदर अलग-अलग capacity और performance के साप से आते हैं जैसे core i3, core i5, core i7 और इनके अंदर भी generation और इनके काम करने की speed है तो माइक्रो प्रोसेसर के पर डिटेल वीडियो में कभी अलग से बना दूंगा तो अभी आप यह समझ लीजिए कि माइक्रो प्रोसेसर को यह सीप्यू कहते हैं और आज हम माइक्रो प्रोसेसर के या सीप्यू के इंटरनल प्रोसेस बारे में ही जानने वाले कि कैसे सीप्यू काम करता है यहां पर फ्रेंड सबसे पहले हम इनपुट डिवाइस के बारे में जानेंगे तो इनपुट डिवाइस कंप्यूटर के वह डिवाइस होते हैं जिनकी साहता से हम डेटा को कंप्यूटर के अंदर सीप्यू तक भेजते हैं यानि वह सभी डिवाइस जो डेटा को कंप्यूटर में भेजने का काम करते हैं सिंपली अगर हम समझे तो वह सभी डिवाइस इनपुट डिवाइस के लाते हैं अब ऐसे डिवाइस कौन-कौन से हैं वैसे तो ऐसे डिवाइस बहुत सारे बट अभी एग्जांपल के लिए आप समझ लीजिए कीवोर्ड और माउस कीवोर्ड एक इनपुट डिवाइस है माउस एक इनपुट डिवाइस है क्यों है वह भी मैं आपको समझाने वाला हूं अ जिस डेटा पर कंट्रोल यूनिट प्रोसेस करता है और प्रोसेस करने के बाद रिजल्ट जनरेट करता है तो कंट्रोल यूनिट रिजल्ट को आउटपुट डिवाइस पर ही वेसता है तो ऐसे डिवाइस जो डेटा को रिजल्ट के रूप में शो करते हैं आपको ऐसे समझना है फिर आता है प्रिंटर, स्पीकर, प्लोटर यह सभी के आउटपुट डिवाइस हैं तो मॉनिटर आप जानते होंगे तो input device और output device क्या होते हैं आपको समझ में आ गया अब हम बात करते हैं control unit की यानि CU की जैसा कि नाम से पता लग रहा है control कनने वाली unit इस unit का काम होता है सभी device पर control रखना input से आने वाले data को process करना, output तक पोचाना arithmetic logic unit तक पोचाना तो ये unit क्या करती है control कनने का काम करती है अब कैसे करती है, कैसे data output तक पोचता है जैसा कि हमने definition में समझा था कि ऐसे device जो कि data को computer में भेजने का काम करते हैं, यानि CPU तक पोचाने का काम करते हैं, वो सभी device input device के लाते हैं, तो यहाँ पर देखिए क्या आता है keyboard, तो यहाँ पर देखिए question बनता है कि keyboard को input device में क्यों रखा, अब जैसे माली जि आपने keyboard से कुछ भी लिखा, जैसे आपने लिखा computer, अब computer जैसे आपने keyboard से type करा, तो keyboard से, यानि तार से होता हुआ यह data कहां जाएगा, कंट्रोल यूनिट के पास जाएगा यानि कीबोर्ड इनपुट डिवाइस में जुड़ा हुआ है और इनपुट डिवाइस इनडारेक्टली सीप्यू से जुड़ा हुआ है और सीप्यू यह जो हम पूरा स्ट्रेक्चर समझ रहे हैं सीप्यू का ही इंटरनल स्ट्रेक्चर ह और सीप्यू के अंदर भी किस पार्ट के पास गया कंट्रोल इनिट के पास गया है इसलिए कीबोर्ड को इनपुट डिवाइस में रखा है क्योंकि जब भी कीबोर्ड से कोई हम की को प्रेस करते तो डेटा कहां जाता है अंदर अब यहां पर मैं बार-बार एक पार्ट का यूज करा हूं वह डेटा अधिक डेटा क्या होता है देटा म तो सभी क्या डेटा है कंप्यूटर में आप कोई भी इनफॉर्मेशन पास करते हैं तो वह क्या होता डेटा होता है या कंप्यूटर में जो भी स्टोर्ड फॉरमेट में रो मैटेरियल है वह भी क्या है डेटा है जैसे MP3 वीडियो गैम्स कि जब हम की को प्रेस करते हैं तो डाटा कहां जाता है कंट्रोल नेट के पास जाता है इसलिए कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है अब देखिए क्या होगा कि कंट्रोल नेट के पास जो भी आपने कीबोर्ड से एंटर करा वो कहां जाएगा कंट्रोल नेट के पास जाएगा अब कंट्रोल नेट क्या चेक करता है कि जो डाटा आया है उस पर क्या कोई से प्रोसेस करना है तो इसने क्या देखा कि अभी आप अब मोनीटर पर क्या जाएगा जो भी आपने कीबोर्ड से टाइप करा वह आपकी मोनीटर की स्क्रीन पर आपको लिखा हुआ दिखाई दे जाएगा ठीक है तो अब मोनीटर क्यों आ रहा है क्योंकि इस पर क्या रिजल्ट आ रहा है देखिए मोनीटर से तो कुछ हम इनपुट नहीं कर रहे हैं कीबोर्ड इनपुट डिवाइस में क्यों आया क्योंकि हमने डेटा कहां भेजाएं अंदर और अंदर कंट्रोल ने चेक कराएं कि जो डेटा है वह डेटा क्या उसे डारेट मोनीटर पर ट्रांसपर कर देना चाहिए तो जो करेक्टर से मिलकर बना हुआ डाइटा उसे डारेट कंट्रोल यूनिट ने आउटपुट डिवाइस यानि मोनीटर पर ट्रांसपर कर दिया अब मान लो आपने और यहां पर देखिए इंपुट में माउस भी आता है माउस से आपने क्या करा कैलकुलेटर सॉफ्टवेट जो है उसे ओपन करा ओके तो कैलकुलेटर आपने और आप यहां पर कोई भी कैलकुलेशन कर सकते हैं अब कैलकुलेशन करने के लिए आपने कीबोर्ड से देखिए मोनीटर पर आउटपुट दिख रहा है कंट्रोल निट ने कैलकुलेटर वाले सॉफ्टवेयर को अपन कर दिया अब आपने इनपुट डिवाइस यानि कीबोर्ड से प्लस टू टाइप किया तो यह टू प्लस टू कीबोर्ड से यानि ताड़ से होता हुआ कहां गया अंदर गया कंट्रोल निट के पास अब कंट्रोल निट चेक करा कि जो डेटा इस बार आया है ना यह डेटा कैसा आया है एक तो control unit का काम calculation करना नहीं होता, control unit तो control करता है data आपको, तो यहाँ से control unit data को कहां भेज़ देगा, arithmetic logic unit के पास, अब यह arithmetic logic unit का काम क्या होता है, जो भी calculation वाला data ना उस पर काम करना, तो 2 plus 2 को 4 में कौन बदलेगा, 2 plus 2 को 4 में बदलेगा, arithmetic logic unit, तो इस unit का काम होता है calculation करना, कोई यूनिट का होता है तो आप क्या होगा जो डेटा है ना वह डेटा कंट्रोल ने निटू प्लस टू का भी जाए अर्थमेटिक लोजिक यूनिट के पास पेश दिया पर अब अर्थमेटिक लोजिक यूनिट ने से क्या करा और में बदला और फॉर में बदलने के बाद इसे वापस कंट्रोल यूनिट को दिया और कंट्रोल यूनिट ने से आउटपुट डिवाइस में यानि मोनीटर पर जो ओके फ्रेंड तो कुछ इस तरह से internal process होती है यानि calculation वाला सारा काम कौन समालता है arithmetic logic unit आपको यहाँ पर ध्यान रखना है job interview में या competitive exam के अंदर यह पूछा जाता है कि arithmetic logic unit का क्या काम होता है तो इसका काम होता है calculation करना ठीक है logical data पर काम करना जैसे logical data हो गया कि 2 greater than 3 कि क्या 2 3 से greater than है तो नहीं है तो यह सब कौन check करेगा arithmetic logic unit यह सब काम होता है arithmetic logic unit का ठीक है तो इस तरह से input device में वह सभी device आएंगे जो data को input करने में help करेंगे control it का काम हो गया data पर control करना output device का काम हो गया data को result के रूप में show करना arithmetic logic unit का काम हो गया calculation करना ठीक है numeric data पर calculation करके output देना इसके बाद देखे एक unit और है memory unit और memory unit के अंदर हम दो memory को रखते हैं एक primary memory एक secondary memory और मेमोरी पर अलग से चैप्टर है जिसे मैं आगे आने वाली वीडियो में आपको डिटेल्ड में समझाऊंगा अभी मैं सिर्फ इतना बता रहता हूँ कि जो भी डेटा या जो भी कैलकुलेशन हो रही है अब यह डिपेंड करेगा कि डेटा परमारिंट सेव है तो secondary memory में होगा और अगर data temporary है तो primary memory में होगा इसे मैं आपको बिल्कुल detailed में समझाऊंगा इससे आगे आने वाले videos के अंदर फिलाल इतना ही ओके अब हम सभी input device को line by line समझते हैं फिर मैं आपको output device बताऊंगा detailed में ओके तो चलिए अब input device इसको डिटेल में जानते हैं कि कौन-कौन से इनपुट डिवाइस होते हैं तो देखिए फेंड्स इनपुट डिवाइस के अंदर सबसे पहले हम रखते हैं कीबोर्ड को जिसे मैं आपको अलरेडी समझा चुका हूँ तो चलि सबसे पहले हम बात करेंगे कीबोर्ड की तो कीबोर्ड देखिए कुछ इस तरह का दिखाई देता है वैसे आप सभी ने देखा होगा कीबोर्ड के बारे में ज्यादा डिटेल में ना तक इन्हें हम फंक्शन कीज कहते हैं इसके बाद देखिए यहां पर यह न्यूमेरिक की होती है इसके बाद देखिए यहां पर एलफाबेट कीज है ऐसे लेकर ज़ेट तक इसके बाद यहां पर कुछ टोगल कीज होती है टोगल का मतलब होता है जिनका भी डबल काम होता हो उल्टा काम होता जैसे कैप्स लोग जब लोग अगर ओन है तो कैपिटल लेटर में टाइप होगा अ अगर ओफ है तो small letter में type होगा और यहाँ पर अगर आपके पास एक standard keyboard है तो side में आपको numeric pad दिखाई देगा जिसमें अलग से calculation करने के लिए आपको button दिये होते हैं जो यहाँ पर side में होता है तो यह है हमारा keyboard एक normal keyboard के अंदर 102 से लेकर 104 key तक होती है वैसे मैं आपको keys पर जारा detail नहीं बताऊंगा क्योंकि देखें आजकल keyboard कई तरह के आ रहे हैं जिन्ने multimedia keyboard केते हैं मल्टी मीडिया कीबोर्ड में आपको काफी सारे एक्स्ट्रा बटन मिल जाएंगे जिन्हें मैं आपको काउंट करके नहीं बता सकता क्योंकि डिपेंड करता है कि आपने कौन सा मल्टी मीडिया कीबोर्ड लिया है जितना आप पेसा कीबोर्ड पर खर्च करेंगे आपको उतना अच्छा मल्टी मीडिया कीबोर्ड मिलेगा मल्टी मीडिया कीबोर्ड के खासि तो यहां ऊपर एक कैलकुलेटर का बटन होगा जैसे आप उस बटन को दबाएंगे तो ऑटोमेटिक कैलकुलेटर ओपन हो जाएगा मालो आपको ब्राउजर ओपन करना है तो एक बटन होगा आप ब्राउजर वाला बटन दबाएंगे तो ब्राउजर ओपन हो जाएगा आपको वॉल्यूम को इंक्रीज डिक्रीज करना है तो वहाँ पर एक प्लस माइनस का बटन होगा उससे क्या होगा जो आपके कंप्यूटर की वॉल्यूम है वो इंक्रीज डिक्रीज हो जाएगी ऐसे काफी सारे आपको सोटकट बटन मिल जाएगे तो यह डिपेंड है ओके अब फ्रेंड्स हम बात करते हैं नेक्स्ट इनपुट डिवाइस की वह हमारा माउस को एक पॉइंटिंग डिवाइस भी कहते हैं एक नॉर्मल माउस में केवल दो ही बटन हमें मिलेंगे एक यहां पर बीच में हमें इसको करने के लिए वील मिलता है जिसे आगे-पीछे करने पर हम पेज को स्क्रोल कर सकते हैं लेकिन फ्रेंड्स आज के समय में आपको जिनसे आप क्या कर सकते हैं गेम को कंट्रोल कर सकते हैं लेकिन एक normal mouse के अंदर आपको केबल दो ही बटन दिखाई देंगे एक left होगा एक right होगा और बीच में आपको scroll करने के लिए एक wheel दिखाई देगा तो friends mouse भी दो तरह के आते हैं wired mouse और wireless mouse ठीक है अब friends हम next input device की बात करते हैं यह है हमारा joystick joystick का use computer में गेम खेलने के लिए किया जाता है और इसे input device में क्यों रखते हैं तो जब आप बटन प्रेस करते हैं तो कमांड इनफॉरमेशन यानि कि सिगनल्स कहां जाते हैं कंप्यूटर में कंट्रोल यूनिट के पास जाते हैं यानि CPU में जाते हैं तो जो भी डिवाइस डेटा को सिगनल्स को कंप्यूटर में भेजने का काम करते हैं वो उन्हें किसमें रखते हैं इनपुट डिवाइस में रखते हैं तो जोइस्टिक भी क्या कर रहा है डेटा और सिगनल्स को कहां भेज रहा है कंप्यूटर में भेज रहा है और इसका य� लाइट पेन का यूज करके आप कंप्यूटर की स्क्रीन पर डारेक लिख सकते हैं इसका यूज ड्रोइंग करने के लिए किया जाता है आपने काफी सारी कॉंप्यूटिव एक्जाम के तयारी कराने वाले यूटूब चैनल देखे होंगे उनके पास एक डिजिटल बोर्ड ह जिसका यूज करते हो लिखा जाता है तो इसे इनपुट डिवाइस में क्यों रखते हैं क्योंकि जब हम पैन से लिखते हैं तो दिखाई देता है बट इसके अंदर बीच में स्क्रोल वील की जगह एक बोल लगी होती है और यह बोल को जब आप क्या और इसे एक pointing device भी कहा जाता है यह आपको ध्यान रखना trackball एक pointing device है तो यहां से भी कई बार question बनता है और बाकी काम तो इसका mouse के जैसा ही होता है next input device है हमारा वह है scanner लेकिन नाम से पता लग रहा है scan करने वाला तो इसका use करके आप क्या कर सकते हैं किसी भी photo को किसी भी document को computer में scan करके भेज सकते हैं तो यहां पर क्या करा जाता है document को रख दिया जाता है इसके बाद इसका जो धक्कने से लगा दिया जाता है इसके बाद computer म वह स्केन होकर कंप्यूटर में आ जाता है तो देखिए डाटा भार से कहां गया है कंप्यूटर के अंदर गया है देखिए कोई फोटो आपने इसमें रखा तो फोटो क्या था हाड कॉपी के फॉरमेट में था और जैसी फोटो कनवर्ड हुआ किसके अंदर गया कंप्यूटर के अंदर गया और एक सॉफ्ट फाइल बन गई तो डेटा भार से अंदर गया इसलिए इसे इंपुट डिवाइस में रखा गया है क्योंकि ये भी तो वही कर रहा है डेटा को कहां भज रहा है कंप्यूटर में भेज रहा है इसलिए स्केनर ए इसके बाद देखिए next input device है हमारा graphics tablet अब graphics tablet का काम क्या होता है graphics tablet का काम होता है कि यहाँ पर देखिए आपको एक tablet दिखाई दे रहा है इस tablet के साथ एक pen आता है तो जो भी किसी को लिख कर explain करना होता है तो वो इस tablet पर लिखता है और computer में वो चीज छपती जाती है जैसा कि मैं आप क्या करे थे इसको देख पा रहे थे जो भी मैं आपको लिख कर समझा रहा था तो यहां पर लिखना पड़ता है और यह ऑटोमेटिक इसके साथ एक USB केवल आती है जो कि कंप्यूटर से कनेक्ट होती है और जो भी हम इस पर लिखते हैं वो कहां जाता है सीधे कंप्यू� क्योंकि जब हम इस पर लिखते हैं तो data कहां जाता है computer के अंदर जाता है अब friends हम next input device की बात करते हैं वो है हमारा microphone यानि mic mic को input device में इसलिए रखा जाता है क्योंकि जब हम mic में बोलते हैं तो जो voice है वो as a information बाहर से कहां गई है computer के अंदर गई है और computer में अंदर जाके store हो गई है तो mic क्या कर रहा है data को information के रूप में अंदर भेज रहा है ना इसलिए mic को input device में रखा गया है ok इसके बाद देखें, next आता है friends, वो है magnetic ink character reader या recognizer, यानि MICR, तो MICR की full form क्या है, कई बाहर आपसे किसी भी competitive exam के अंदर, जिसमें भी computer से related question आते हैं, या जो भी interview के अंदर MICR के बारे में पूछा जा सकता है, या इसकी full form पूछी जा सकती है, तो full form देखें, यहाँ पर लिखी इमेज इसलिए available नहीं है friends क्योंकि मुझे Google पर इसकी कोई free image नहीं मिली है जिसे मैं वीडियो में use कर सकूँ तो आपको क्या करना अगर MICR देखना हो तो आप Google पर just search कर लेना MICR आपको काफी सारी image दिख जाएगी but वो free नहीं थी इसलिए मैंने अपने वीडियो में use नहीं कर तो MICR आपको bank में देखने के लिए मिल जाएगा और इसका काम होता है check को verify करना और check को verification करने के लिए क्या करता है computer के साथ connect होता है और computer के साथ connect होने के बाद check की information को कहां भेसता है computer में भेसता है और computer में मिला कर check किया जाता है तो check verify हो जाता है तो data बहार से computer के अंदर गया ह optical character reader यानि OCR तो OCR की भी image available नहीं थी जो की free हो और जिसे मैं अपने इस video में use कर सकूँ अगर आपको OCR देखना हो तो आप Google पर search कर लेना आपको काफी सारी image मिल जाएगी या आप Amazon पर भी search कर सकते हैं OCR वहाँ पर भी आपको OCR की image कि OCR दो तरह के होते हैं एक होता है चोटा pen जैसा pen होता है हमारा या marker होता है इस तरह का होता है और एक OCR होता है printer के जैसा अब काम क्या होता है OCR का देखिए प्रिंटर वाला अगर OCR है मतलब प्रिंटर जैसा दिखने वाला अगर एक OCR है तो उसके अंदर अगर आपने किसी बुक को रख कर सकें किया तो स्केन करने के बाद उसमें जो भी लिखा हुआ है ना वो एक करेक्टर वाइस करेक्टर प� तो कई बार क्या होता है पुरानी बुक से जिन्हें लिखा गया है उन्हें अगर टेक्स में कनवर्ड करना हो तो ओसियर की जरूरत पड़ती है काफी सारे गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में लेटर को बापस से टेक्स में बदलने के लिए ओसियर का यूज किया जाता है फेंट्स देखिए एक टाइप का ओसियर और होता है जो कि पेन जैसा या मारकर जैसा दिखाई देता है ये ओसियर अगर आप यूज कर रहे हैं तो आपको क्या करना पड़ेगा बुक के अंदर एक ला कंप्यूटर के अंदर जाकर टाइप होती जाएगी किसी सॉफ्टवेयर के अंदर तो आपको लाइन बालाइन क्या करना पड़ेगा जैसे माली जी आपको क्या करना है एक बुक है उसमें लिखा हुआ है ओप्टिकल करेक्टर रीडर तो आपको उसके ऊपर ऐसे फेर देना ह केनर और ओसियार में अंतर है इसके ने क्या करता है उसे वॉलपेपर फॉरमेट में या निक्चर फॉरमेट में सेव करता है कि इसको फोटो को या बुक में जो भी आपने लिखा हुआ है उसको फोटो फॉरमेट में सेव करेगा और उसको लिखा हुआ उसे एडिट कर सकते हैं मान लीजिए कोई कंप्यूटिव एग्जाम में आने वाली बुक है जिसके में काफी अगर आपने स्कैनर से स्कैन किया तो वह फोटो कॉपी बन जाएगी यानि उसको एडिट नहीं किया जा सकता लेकिन अगर आपने उसको OCR से स्कैन किया तो उसके अंदर जो भी objective question है उन्हें एडिट किया जा सकता स्कैन करने के बाद किससे अगर आपने OCR से उन्हें read कराए तो ओके तो आपको समझ में किया OCR का काम क्या है शॉपिंग मॉल में देखा होगा यह क्या करता है प्रोडक्ट की बिलिंग करने के लिए यूज में लाए जाता है तो अगर आपने सॉपिंग मॉल वगैरह यह किसी ब्रांड शोरूम के अंदर सॉपिंग करिए तो आपको मालूम होगा कि वहां पर प्रोडक्ट पर एक बार को लिखा होता उस बार कोड के अंदर उस प्रोडक्ट की प्राइस छुपी होती है तो इस मशीन से क्या करते हैं और उसको पर जो भी प्राइस होती है वह होती जाती है फाइनल जब लास्ट में सभी प्रोडक्ट के बार कोड को तो इस तरह से बार कोड रीडर क्या करता है टाइम को बचाता है तो फ्रेंड्स बार कोड रीडर का यूज करके बिलिंग वगैरह का काम किया जाता है अब देखिए फ्रेंड्स नेक्स इनपुट डिवाइस है हमारा ओप्टिकल मार्क रीडर अब ओप्टिकल मार्क रीडर क और उस sheet के अंदर आपको, इसके नीचे जो आपको four circle दिये गए हैं, और जो भी सही answer है, उसको आपको black pen से fill करना होता है, अब यह OMR sheet OMR machine से check करी जाती है, अब OMR machine काम कैसे करती है, कैसे वो sheet को check करती है, कि जो भी सही questions हैं, जितने भी questions उस exam में पूछे गए हैं, उनका जो तो जब शीट को ओमर मशीन पर रखा जाता है तो एक laser light निकलती है और वो जिस भी black करे हुए circle से टकराती है तो computer में जो software है और उसमें जो भी साइए अंसर है वो आपकी शीट से match होते हैं तो जहां पर laser light टकराती है वहाँ पर check कर लिया जाता है कि कौन सा question साइए है और अगर वो match कर जाता है computer में जो भी साइए solution है तो question का marks जूड जाता है otherwise minus marking में चला जाता है यह सब काम किस में क्या गया है computer software के अंदर है जैसे कि जेरोक्स मशीन काम करती है अगर आपने जेरोक्स मशीन से जेरोक्स कर दिये तो आपने देखा होगा जहां भी लिखा होता है वहाँ पर laser light टकराती है एक laser light निकलती है ना आपने जेरोक्स मशीन में देखा होगा तो जहां भी लिखा हो आए ना वहाँ laser light टकराती है तभी तो ब्लैक पैन से फिल करने के लिए बोला जाता है तो जो वाइट वाला एरिया ना वहां से तो लेजर लाइट आरपाण निकल जाती है और जो ब्लैक कलर से फिल किया गया है वहां पर टकराती है और कंप्यूटर के साथ मेच करके देखा जाता है तो यूज किया जाता है जैसे एटीएम कार्ड पर आपने देखा होगा एक ब्लैक कलर की पट्टी होती है उस पट्टी कांदर आपके एटीएम कार्ड का कोड छुपा होता है और जब इस एटीएम कार्ड का शुरू है पर शेयर करवाते हैं तो जो आपका कार्ड है उसका जो नंबर है वह से स्वेप कर लिया जाता है तो ऑप्टिकल मार्क रिटर वाला कंसेप्ट मां भी काम करता है अब यहां पर एक सबसे इंपोर्टेंट बात कि ओमर मशीन को इनपुट डिवाइस क्यों रखा लेकिन ओमर मशीन का काम क्या है वह मां शीट को चेक करना और सीट चेक होने के लिए यानि देखा जाता है कि कौन सा क्वेश्चन सही और कौन सा गलत तो अंदर जा रहा है ना डाटा इसलिए इसे input device में रख गया और input device क्या जो भी data को computer में भेजने का काम करते हैं तो optical mark reader भी तो data को कहां से end कर रहा है computer में इसलिए इसे input device में रखा तो friends ये सब ही हमारे थे input device अब हम बात करेंगे output device की तो देखे output device के अंदर सबसे पहले हम रखते है monitor को अब friends हम बात करते है monitor की monitor एक output device है और monitor पर data का क्या आता है result आता है data result के रूप में प्राप्त होता है monitor generally यहां पर चार प्रकार के होते हैं सबसे पहले टाइप के पुराने टाइप के मोनिटर है वह है हमारे कैथोड रे ट्यूब यानि सीएरटी मोनिटर स्याटिक फुलफॉर्म भी कई बार पूछी जाती है तो यहां पर मैंने आपके लिए लिख दिए कैथोड तो ये वाले मोनिटर बिलकुल फ्लैट होते थे एलेक्ट्रिसिटी कम कंजूम करते थे इसके बाद एक और टेक्नोनॉजी आई मोनिटर में जो कि दिखने में तो ऐसी लगेगी टी एफटी जैसी बट उसका नाम है LCD लिक्विट क्रिस्टल डिस्प्ले लाइट एमब्रिटिटिंग डायोड वाले जो मॉनिटर है इलेक्ट्रिसिटी बहुत ही ज़्यादा कम कंजियम करते हैं और यहाँ पर पिछर की क्वालिटी काफी इंप्रूप कर दी गई है हाई रेजुलेशन में आपको यहाँ पर पिछर दिखाई देती है कोई भी इमेज दिखाई देती है और यहाँ पर पिक्सल की जो क्वालिटी है वो काफी बढ़ा दी गई है तो अभी प्रिजेंट टाइम की टेक्नोलोजी है एलीडी ओके तो यह चार तरह के मॉनिटर होते प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है अब प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस क्यों है इस चीज को समझते हैं मालो आपने इनपुट डिवाइस से यानि माउस से एक फाइल को ओपन किया कंट्रोल इनिट ने मोनीटर की स्क्रीन पर उस फाइल को ओपन करा हुआ दिखा दिया जो भी सॉफ्ट कॉपी डाटा कंप्यूटर में उससे हार्ड कॉपी डाटा के रूप में पेपर पर प्रिंट कर देना तो प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है क्योंकि जो भी रिजल्ट आ रहा है इस बार अगर उस रिजल्ट को पेपर पर प्रिंट करना है तो मोनीटर नहीं करेगा इस काम को प्रिंटर करेगा अब friends next output device है हमारा वो है plotter अब plotter का काम होता तो printer जैसा ही printer करना बत ये क्या करता है बड़े चित्र को print करता है printer तो छोटे चित्र को print कर सकता है ये बड़े चित्र को print करने के लिए use में ला जाता है तो कोई भी images, wallpaper अगर आपको print करने जैसे आपने देखेंगे hoardings print होते हैं printing machine पर flags, banner वगेरा print होते हैं या poster print होते हैं तो वो printers हो तो plotter का use किया जाता है तो जो printing machine होती है वो plotter ही होती है यह आप समझ सकते हैं कि एक तरह का printer है बट size में काफी बड़ा होता है और काफी बड़े level पर print कर सकता है और यह output device क्यों है क्योंकि यह भी तो क्या कर रहा है जो भी computer में print है उसे ऐसे output के रूप में एक बड़े paper पर print कर रहा है next output device है हमारा speaker और headphone speaker output device क्यों है क्योंकि computer में मान लो आपने कोई song को play करा तो उसकी information उसकी आवाज कहा रही है बाहर आ रही है ना यानि data computer से कहा रहा है बाहर की ओर आ रहा है और ऐसे device वो data को result के रूप में show करते हैं यानि data कहा आता है result के रूप में बाहर आता है तो जो information है जैसे आप अभी इस video के अंदर आवाज को सुन पा रहे हो यानि information सुन पा रहे हो किसकी help से speaker की help से तो speaker क्या है output device है headphone भी क्या है output device है earphone भी क्या है output device है क्योंकि उसके अंदर भी क्या होते है speaker ही होते है ना अब नेक्स्ट आउटपूट डिवाइस है हमारा प्रोजेक्टर अब प्रोजेक्टर आउटपूट डिवाइस क्यों है क्योंकि इसे कंप्यूटर से कनेक्ट कर दिया जाता है और इसका काम क्या होता है जो भी पिच्चर या इमेज उसे बड़े रूप में प्रदर्शित कर तो देखिए modem का काम क्या होता है internet को आपके computer तक पहुचाना तो जब यह internet को आपके computer पे पहुचा रहा है तो क्या कर रहा है input कर रहा है और जब आप अपने computer से कुछ send कर रहे हैं किसी दूसरे को तो यही modem से होता है वो आपका data दूसरे के पाथ जाएगा तो यह क्या करेगा output भी करता है इसलिए इससे input और output दोनों device में रखा जाता है ठीक है तो USB वाला छोटा वाला modem भी आता है जिसे dongle कहा जाता है इसके बाद देखिए जो next device है जिसे input और output दोनों में रखा जाता है वह touch screen अब टैच स्क्रीन वाला अगर आपके पास एक लैपटॉप है तो उसमें क्या होगा आपके मोनीटर पर लैपटॉप का जो स्क्रीन है उस पर आप टैच कर सकते हो तो जब आप टैच करोगे तो इनपुट हो रहा है और उसी पर वापस क्या हो रहा है रिजल्ट यानि आउ� ओके फ्रेंड तो यह थे हमारे input device, output device और यह जो आज हमने diagram समझा है यह CPU के internal process का diagram है तो फ्रेंड देखिए computer memory के बारे में जाने से पहले हमें पता होना चाहिए कि memory का मतलब क्या होता है memory का मतलब होता है याद रखना ओके तो computer के अंदर देखिए memory का काम क्या होता है याद रखने के लिए यानि आप क्या याद रखने के लिए उसे हमें समझना है तो यदि हम कंप्यूटर मेमोरी की बात करें तो कंप्यूटर के अंदर वह एलेक्ट्रोनिक एरिया जहां पर डेटा को स्टोर करके रखा जाता है चाहे वो वर्किंग के लिए हो चाहे फ्यू� और एक होती है हमारी सेकंडरी मेमोरी ओके फ्रेंड्स तो हम मेमोरी को कितने पार्ट्स में बाटते हैं दो पार्ट्स में बाटते हैं पहला है प्राइमरी मेमोरी और दूसरा है सेकंडरी मेमोरी अब प्राइमरी मेमोरी को कंप्यूटर की मेन मेमोरी भी कहा जाता है एक है हमारी RAM और एक है हमारी ROM तो ये दोनों मेमोरी क्या है प्राइमरी मेमोरी है और अगर हम सेकंडरी मेमोरी की बात करें HDD जानि Hard Disk Drive उसके बाद आता है हमारा CD DVD, SSD, Solid Stored Drive, USB Memory Stick तो ये सब क्या हैं हमारी Secondary Memories हैं सबसे पहले हम बात करेंगे Primary Memory की अब Primary Memory जैसा कि मैंने आपको बताया है कंप्यूटर की Main Memory होती है और इसके अंदर हम RAM और ROM को रखते हैं अब RAM का देखे पूरा नाम है Random Access Memory और ROM का जो पूरा नाम है वो है Read Only Memory अब आप इन दोनों में मैं आपको कंपेर भी करके बताऊंगा कि दोनों में क्या डिफरेंस है और दोनों का काम क्या है यह तो मैं पता लग गया कि रेम और रॉम क्या एक प्रामेरी मेमोरी है अगर हम काम की बात करें कि दोनों मेमोरी का काम क्या है तो उसे हम डिफरेंस वाइस समझते हैं अगर हम रेम की बात करें तो रेम का काम क्या होता है कि जो भी यानि अगर मैं अभी वीडियो रिकॉर्ड कर रहा हूं तो वीडियो भी अगर recording चल रही है मेरे laptop पर तो वो कहां से चल रही है भी RAM से चल रही है तो सबसे पहले होता क्या है वो चीज समझे जब computer पूरी तरह से start हो जाता है और आपके computer में जो भी operating system जो भी window installed है वो windows जाकर load हो जाती है कहां पर RAM पर यानि आपका operating system load हो गया तो आप जो भी software computer में चला हो गये वो सभी कहां से चल रहे होंगे आपकी RAM memory से चल रहे होंगे अब माली जी कि आपने किया करा अपना computer start होने के बाद एक mp3 song को play करा MP3 Song जिस भी प्लेयर में चल रहा होगा वो प्लेयर कहां लोड होगा रेम के अंदर तो वो प्लेयर कहां लोड है रेम में MP3 Song कहां चल रहा है उस प्लेयर के अंदर और अचानक क्या हुआ कि लाइट चली गई और आप डेक्स्टॉप पर MP3 Song को सुन रहे थे उस डेक्स्टॉप किसी भी UPS किसी भी बैटरी से कनेक्ट नहीं था यानि पूरी तरह से आपका कंप्यूटर बंद हो चुका है तो लाइट जाने के बाद ऑटोमेटिक लैपटॉप बैटरी पर आता है और मान लीजिए बैटरी भी डेड है और अगर आप चार्जर से डारेट अपने लैपटॉप को चला रहे हैं तो लाइट जाने की कंडिशन में यानि पावर कट होने की कंडिशन में आपका लैपट� है तो होगा यह कि आपको सोंग दुबारा से प्ले करना पड़ेगा आपने जहां तक उसको सुन लिया था ना वहां से स्टार्ट नहीं होगा अब ऐसा क्यों होता है नोट ऑली सोंग के अगर में बात करो अगर आप कोई गैम प्ले कर रहे हैं पड़ेगा गेम आपने जहां तक छोड़ा था आपको वहां से नहीं मिलेगा ठीक है तो आपको यह गेम प्ले दुबारा क्यों करना पड़ता है तो यही एग्जांपल हमें समझना है यह काम इसलिए हो रहा है क्योंकि जो भी आप सॉफ्टर चला रहे हैं जो भी गेम चला रहे हैं वो स उसके बाद आप जो भी सॉफ्टर चलाते हैं वो सब कहां से चल रहा है रेम से अब गेम अगर आप खेल रहे हैं तो वो भी कहां पर लोड है रेम में लोड है अगर आप टाइपिंग कर रहे हैं तो वो भी रेम में लोड है आप MP3 सॉंग सुन रहे हैं या आप कोई मूवी देख रहे हैं वीडियो देख रहे हैं अचानक पावर कट होता है तो रेम अपना काम करना बंद कर देती है और रेम अपना काम करना बंद करती है तो जो भी डेटा उसके अंदर है वो डिलीट हो जाता है ओटोमेटिक इरेज कि रेम एक ट्रेंप्टेरी मेमोरी है और रेम ट्रेंप्टेरी मेमोरी क्यों है मैंने आपको समझा दिया क्योंकि इसमें डाटा तब तक ही स्टोर रहता है जब तक इसे कंटिनेशली एलेक्ट्रिसिटी मिल रही है जैसे एलेक्ट्रिसिटी मिलना बंद होती है यह रेम तो भी इसके अंदर लोड है वह सब इरेज हो जाता है इसलिए रेम कैसी मेमोरी है रेम प्रेरी मेमोरी है अब यहां पर रेम के लिए वाड़ और यूज होता है रेम एक वोलेटाइल मेमोरी है वोलेटाइल मेमोरी भी इसीलिए है क्योंकि यह डाटा को परमानिट स्टोर करके नहीं रख सकती जब तक इसके अंदर एलेक्ट्रिसिटी है तब तक रेम के अंदर डाटा अपलेबल रहेगा जैसे एलेक्ट्रिसिटी कट हो जाएगी रेम भी अपना काम करना बंद कर देगी इसलिए रेम को volatile memory भी कहा जाता है तो कई बार आपसे exams में interview में पूछा जाता है कि रेम कैसी memory और options में आपको दिदिया जाएगा volatile, non-volatile या कोई other options भी तो आपको याद रखना है कि रेम एक volatile memory है और इसे temporary memory भी कहते हैं क्यों कहते हैं वो मैंने आपको आलरेडी समझा दिया temporary क्यों है वो भी आप समझ चुके हैं अगर रेम और रोम में difference देखें तो रोम क्या है permanent memory है अब ये रोम permanent memory क्यों है उससे पहले हमें रोम का काम समझना पड़ेगा रेम का काम तो हमें समझ में आ गया है जो भी हम कंप्यूटर में चलाते हैं वो रेम में जाकर लोड हो जाता है वो भी कब तक जब तक कंप्यूटर चालू है कंप्यूटर वर्किंग मोड में तब तक रेम काम कर रही है जैसे कंप्यूटर को स्विच ओप करते हैं रेम भी अपना काम करना बंद कर देती है ठीक है पर रोम का काम क्या होता है रोम एक परमानेंट मेमोरी है रोम का काम है जैसे आप कंप् थोड़ी देर आपका कंप्यूटर स्टार्ट होने में लेता है भली आपने SSD लगा रही कि आपका कंप्यूटर बहुत फास्ट स्टार्ट हो जाता है लेकिन कुछ जो सेकंड्स आपका कंप्यूटर स्टार्ट होने में लेता है उस दोरान एक प्रोसेस होती है इस प्रोसेस का नाम है बूटिंग की प्रोसेस बूटिंग प्रोसेस ओके यानि कंप्यूटर बूट होता है तो कंप्यूटर बूट होता है वो क्यों होता है क्योंक तो आप नोटिस करना कि क्या आपको इस प्रोग्राम को रोज रोम में स्टोर करना पड़ता है खुद को आपको तो नहीं करना पड़ता ना आप तो सिर्फ कंप्यूटर को स्टार्ट करते हैं और कंप्यूटर अपने आप स्टार्ट हो जाता है तो रोम के अंदर क्या हुआ जिस भी कंपनी का कंप्यूटर है उसने क्या कराए रोम के अंदर पहले एक प्रोग्राम इंस्टॉल कर दिया है उसने बता दिया कि कंप्यूटर को कैसे स्टार्ट करना है रोम को कंप्यूटर स्टार्ट होने के बाद जो भी ओपरेडिंग सिस्टम जो भी विंडोज आपने तो रोम एक परमानेंट मेमोरी है क्यों कि इसके अंदर एक पहले से प्रोग्राम स्टोर है जिसे हमें बदलना नहीं पड़ता है और ये सब परमानेंटली है इसलिए रोम एक परमानेंट मेमोरी जबकि रेम एक ट्रेंपरेरी मेमोरी आपको याद रखना है अब रोम को हम non-volatile memory भी कहते हैं non-volatile का मतलब जिसे बदला नहीं जा सकता जिसके अंदर changes possible नहीं है इसलिए रोम क्या है एक non-volatile memory है अगर हम दूसरे difference की बात करें रेम और रोम में तो रेम के अंदर आप read and write दोनों तरह का काम कर सकते हैं मतलब आप क्या कर सकते हैं read भी कर सकते हैं और write भी कर सकते हैं किसके अंदर बात कर रहा हूँ मैं रेम के अंदर बात कर रहा हूँ read and write दोनों तरह का काम हो सकता है आप सुनने के बाद अपने notes बनाना जो अगर आप खुद से अपने notes बनाएंगे तो काफी अच्छे से आपको याद हो जाएगा इसलिए आप बहुत ध्यान से earphone लगा के सुनना आपको अच्छे से समझ में आएगा कि मैं क्या बोल रहा हूँ क्योंकि मैं लिखूंगा थोड़ा कम तो रेम के अंदर मैं आपको बता रहा था कि रेम के अंदर आप read and write दोनों तरीका काम कर सकते हैं जबकि रोम में केबल क्या कर सकते हैं read कर सकते हैं इस बात को देखिए समझाता हूँ मैं आपको मेरे कहने से नहीं होता है क्योंकि ये पहले से तै किया गया है जो मैं आपको क्यों ये read and write टाइप की memory है क्योंकि देखिए अभी आप जो screen पर देख पा रहे हैं इसे जब मैंने computer पर record करा होगा तो उस समय में इसे देख भी पा रहा होगा और ये सब देखिए अभी मैं लिख रहा हूँ जैसे मैंने यहाँ पर क्योंकि ये सब कुछ कहां से memory है RAM एक ऐसी memory जिसमें हम read and write दोनों तरह का काम कर सकते हैं अब read, read मतलब मैं इसे पढ़ भी पा रहा हूं जो भी यहां लिखा हुआ है और राइट मतलब अगर मैंने कुछ लिखा तो मैं राइट भी कर पा रहा हूं तो रेम में रीड एंड राइट दोनों तरीका प्रोसेस संभव है यानि आप जो भी सॉफ्ट एर्थ में काम कर रहे हैं वो रेम म नियुक्त नियुक तो उसकी welcome screen आती है तो उस दोहरान के क्या आप कुछ लिख सकते हैं आपने notice करा कभी कि जिस समय computer आपका start हो रहा है उस समय केवल आपको बेट कर प्रतिक्षा करनी होती है कि computer कब पूरी तरह से start होगा यानि केवल आप क्या कर सकते हैं read कर सकते हैं और read क्यों कर सकते हैं इसलिए रोम कैसी memory है read only memory यानि उसमें जो पहले से installed program है वेट करना है कि जब तक computer start नहीं होगा तब तक आप काम नहीं करेंगे क्योंकि अभी ROM काम कर रही है और ROM के अंदर केबल read किया जा सकता है write नहीं किया जा सकता है तो यही difference है second difference हमने आपके discuss करा read and write work RAM में किया जा सकता है और इसमें केबल read किया जा सकता है अब friends मैं आपको RAM से related एक बात और बता देता हूँ कि आपके computer में जितनी अच्छी capacity की RAM लगी होगी आपका computer उतना अच्छा काम करेगा क्योंकि software जितने जदा बड़े software या आप गेमप्लेट वगैरह करते हो वह अगर आप अपने कंप्यूटर पर कर रहे हो तो उसके लिए आपको रेम की रिक्वारमेंट होगी यानि आपके कंप्यूटर में अच्छी कैपेसिटी वाली रेम लगी होगी वैसे तो रेम को अगर डिटेल पर पढ़ना तो रेम है ना यह भी दो तरह की होती है एक होती है इस रेम एक होती डी रेम एक एसरे में एक डीरे में वैसे तो friends ये देखिए S-RAM, D-RAM के बारे में अगर आप डिटेल में जाना चाहते हैं तो ये computer hardware course का part है लेकिन हम जो सीख रहे हैं वो computer fundamentals के बारे में इसलिए मैं इसके अंदर ज़्यादा डिटेल में जाते हुए आपको ये बताता हूँ कि S-RAM का मतलब होता है static RAM और D-RAM का मतलब होता है dynamic RAM अब S-RAM का use cache memory के रूप में किया जाता है ये costly memory होती है ठीक है और इससे upgrade नहीं कर सकते हैं लेकिन dynamic RAM जो होती है यह एस रेम के मुकाबले सस्ती मेमोरी होती है इसको हम अपग्रेट कर सकते हैं और इसका यूज हम कंप्यूटर के अंदर जो रेम होती है नॉर्मल रेम उसके रूप में करते हैं अभी मैं आगे चलके आपको कैश मेमोरी के बारे में बताऊंगा तो आपको अच्छे से समझ तो यह क्या है रोम के टाइप अब देखिए फ्रेंड्स मैं आपको एक बात बताता हूं कि रोम का यूज केबल कंप्यूटर में नहीं बहुत सारे एलेक्ट्रोनिक डिवाइस में किया जाता है क्योंकि एक तरीकी चेप होती है इसके अंदर प्रोग्रामिंग की रहा सकती है और किसी भी डिवाइस से काम करवाया जा सकता है जैसा कि देखिए वाशिंग मशीन में ऐसे देखिए रोम का यूज माइक्रोवेब में भी किया जाता है माइक्रोवेब में भी रोम चिप का यूज करके उसके अंदर ऐसी प्रोग्रामिंग की गई है कि माइक्रोवेब को पता लग जाता है कि जो भी आप प्रिपेर कर रहे हैं वो कंप्लीट हो चुका है और माइ तो इनके बारे में अगर जानना है आपको तो कंप्यूटर हार्डवेर का वैसे तो ये पार्ट है और इसके बारे में आपको डीपली कंप्यूटर हार्डवेर के अंदर जानने के लिए मिलेगा और हम पढ़ रहे हैं कंप्यूटर फंडामेंटल्स अब देखें फेंड्स हमारे पास मेमोरी के अंदर जो सेकंड टाइप की मेमोरी है वो है सेकेंडरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी का यूज डेटा को परमानेंट स्टोर करने के लिए किया जाता है यानि ऐसी मेमोरी जिसके अंदर डेटा को परमानेंट स्टोर कर देखिए यहाँ पर primary memory में data permanent store नहीं हो रहा, मतलब आप backup purpose से या extra data को आप खुछ से store नहीं कर सकते, ROM permanent memory जरूर है, but आप तो store नहीं कर सकते न, ROM के अंदर interactions, रोज change तो नहीं कर सकते न, और ऐसी RAM के अंदर भी हम कुछ अपनी इच्छा से store करके permanent नहीं रख सकते, तो यह तो है primary, अब लेकिन secondary memory के बिना आप computer में कोई भी data को permanent store करके नहीं रख सकते, तो secondary memory का use क्या हो गया? कि इस मेमोरी का यूज करते हुए आप अपने कंप्यूटर में डाटा को परमानेंटली स्टोर करके रख सकते हैं उनमें से सबसे पॉपुलर सबसे पहले हम बात करेंगे एसडीडी हार्डिस्ट ड्राइव यानि कंप्यूटर कि हाडिस ट्राइब लगी होती है वह क्या होती सेकंडरी मेमोरी होती है अगर आपके पास एक कंप्यूटर है और आप नहीं जानते हाडिस कैसी होती तो देखिए मैं आपको इमेज में भी बताते जा रहा हूं किस तरह के हाडिस दिखाई होती है इस हाडिस के अंदर एक प्लेटर होता है और एक हैड होता है रिड एन राइट हैड होता है जिसकी हेल्प से अब मैं आपको केवल इतना बता देता हूँ कि HardX Secondary Memory क्यों है क्योंकि इसके अंदर आप क्या कर सकते हैं डेटा को परमानीड स्टोर करके रख सकते हैं मलाबाब मूवीज रखिए पिच्चल स्टोर करके रखिए अब देखिए फ्रेंड्स मैं आपको एक एक्जांपल देता क्योंकि सॉफ्टर काम करना बंद कर देगा क्योंकि रेम ने काम करना बंद कर दिया है लाइट दुबारा से आने पर मैं कंप्यूटर को स्टार्ट करूँगा फिर से मुझे रिकोडिंग करनी पड़ेगी लेकिन रिकोडिंग कंप्लीट होने के बाद तुरंत मैंने क्या करा उस रिकोडिंग को सेव कर दिया तो जैसे हम रिकोडिंग को सेव करते हैं तो अभी जो काम चल रहा है मालो रेम पर चल रहा है तो रिकोडिंग सेव हो जाएगी कहां पर हार्डिक्स के अंदर यह क्या है हार्डिस्प SDD तो यहां से रिकोडिंग कहां चली गई हमारी हार्डिक्स में जैसे मैंने फाइल को सेव कर दिया रिकोर्डिंग की अब हार्डिक्स में जाने के बाद हार्डिक्स कैसी मेमोरी है सेकेंडरी मेमोरी है और डेटा परमानिट स्टोर हो जाएगा यानि रिकोर्डिंग परमानिट स्टोर हो जाएगी जैसा कि आप अपने कंप्यूटर के अंदर क्या करते हैं अपने अगर आपके अंदर कोशिश करते हैं ऐसे देखिए अगर सेकेंडरी मेमोरी भी है जिनके अंदर डेटा परमानिट स्टोर रहता है जैसे CD के अंदर DVD के अंदर इनके अंदर क्या होता है डेटा परमानिट स्टोर रहता है जब हमें जरूरत होती है हम CD लगा कर प्ले कर लेते हैं ठीक है ऐसे हम DVD लगा कर भी डेट लगके अंदर देखिए प्लेटर होता है एक रिड एन राइट हैड होता है और इस हार्ड एक्स के गिरने पर डेटा क्रेश जल्दी हो जाता है एचडी से फास्ट होती एसेसडी अगर कंप्यूटर में एसेसडी लगी हुई है तो कंप्यूटर बहुत ही ज्यादा फास्ट स्टार्ड हो जाता है बट यहां पर एक सबसे मेन बात है वह है कि एसेसडी एचडी से महंगी होती है इसलिए इसे तो हम HDD की जगह SSD का यूज करते हैं क्योंकि ये costly होती है अब costly तो है बट facility क्या देती है कंप्यूटर में जो भी आप software load करेंगे तो वो तुरंत hard disk से निकल कर RAM में आ जाएगा यानि अगर HDD की जगह SSD है तो फटा फट से start होगा और RAM में load हो जाएगा जबकि SDD में time लगता है तो अगर आप कोई gameplay वगेरा करते हैं आप Amazon पे जाकर search करियेगा दोनों को SDD को और SSD को आपको प्राइस में डिफरेंस मिल जाएगा आपको पता लग जाएगा कि दोनों में कितना डिफरेंस है काम दोनों का एक है डेटा को परमानिट स्टोर रखना बट जब ट्रांसपर की बात आती है रेम में बापस से तो सबसे पहले SSD काम करती है जब सबसे फास्ट काम करती है SSD उसके बाद देखिए Memory Stick की बात कर रहे हैं USB Memory Stick यानि Pen Drive की बात हो रही है अब Pen Drive भी क्या है एक Secondary Memory पेंड्राइब आप सब जानते ही होंगे ऐसे एक मेमोरी कार्ड होता है जो DSLR में फोन में यूज किया जाता है तो वो भी क्या सेकंडरी मेमोरी है तो सेकंडरी मेमोरी कुल मिला के डेटा को परमानिंट स्टोर करने के लिए यूज में लाई जाती है और इसमें डेटा परमा अब देखिए फ्रेंड्स एक टाइप की मेमोरी और होती है जिससे कैश मेमोरी कहा जाता है तो चलिए कैश मेमोरी को भी समझे ताकि आपको बिल्कुल अच्छे से मेमोरी वाला चेप्टर क्लियर हो जाए तो यह सीप्यू की स्पीड को बढ़ाने में हेल्प करती है अब देखिए इस मेमोरी का काम क्या होता है आपको काम को ध्यान से समझना है अब देखिए फ्रेंड्स कोई प्रोसेस है या कोई डेटा है जिसकी जुरत बार-बार सीप्यू को पढ़ रही है तो सीप्यू कहां से कि यह रेम से डाटा का जा रहा है सीपी के पास जा रहा है और रेम के पास डाटा का से आ रहा है यह कोई प्रोग्राम है या कोई प्रोसेस है वह कहां से रेम एक्सेस कर पाए डाटा को हाटड्राइब से तो कितना लंबा प्रोसेस हो रहा है सीपी को अगर डाटा को एक्सेस करना है तो पहले उसे रेम से एक्सेस करना पड़ेगा फिर वह रेम कहां से एक्सेस जा रहा है रेम के पास फिर रेम से CPU के पास तो क्या होता है इससे का तब के कंप्यूटर की स्पीड जो थोड़ी स्लो हो जाती है तो कुछ ऐसे टास्क है जिसे सीपीओ के द्वारा बार-बार किया जा रहा है यानि कोई प्रोग्राम से या कोई प्रोसेस है जिसे बार-बार सीपीओ को यूज में लेना पड़ता है तो वह प्रोग्राम या प्रोसेस देखिए यहां जो CPU बार-बार यूज में लेता है तो वह क्या करेगा उन प्रोग्राम और प्रोसेस को रेम की जगह अपनी कैश मेमोरी में स्टोर कर लेगा और वह डायरेक्ट कहां से एक्सेस कर लेगा अपनी कैश मेमोरी से कौन CPU तो उससे क्या बसता है टाइम कैसे बचा CPU को पहले रेम से एक्सेस करना पड़ेगा रेम क तो यह जो लंबा प्रोसेस हो रहा ना यह नहीं होगा तो कैश मेमोरी का यूज क्या हो गया जो डेटा या प्रोग्राम frequently बार CPU को यूज में लेना पड़ता है वो डेटा या प्रोग्राम कहां जाके स्टोर हो जाता है कैश मेमोरी में और कैश मेमोरी CPU के अंदर ही होती है फास्ट काम करने लगता है तो इसलिए कैश मेमोरी जिस CPU की यानि जिस माइक्रो प्रोसेसर की कैश मेमोरी वह कोशिट लिए आएगा अगर आप यह जानना चाहते हैं कि सीपीयो में किस तरह की कैश मेमोरी आती है तो आपको क्या करना है एमेजोन पर जाकर अलग-अलग टाइप के प्रोसेसर को सर्च करना है जनरेशन वाइस सर्च करीज से को राइट तो आपको एक बात का पता लगेगा कि सीपीयो के महंगे होने के साथ उसकी कैश मेमोरी ज्यादा आती है यानी ज्यादा कैश मेमोरी आपका सीपीयो उतना फास्ट काम कर पाएगा क्यों क्योंकि जितनी ज़्यादा cache memory होगी वो उतने ज़्यादा programs को data को cache memory में store कर पाएगा और जल्दी use कर पाएगा उससे processor की speed बढ़ जाएगी तो जिस processor के साथ cache memory ज़्यादा आती है वो processor costly आते हैं आप amazon पर search करेंगे तो आपको ज़्यादा cache memory वाले processor मिल जाएंगे तो ये memory costly होती है तो मैंने आपको RAM के अंदर static RAM के बारे में बताया था तो static RAM का use cache memory के रूप में होता है ये बात मैंने आपको समझा दिया था तो कैश मेमोरी क्या होती है एक तरीकी static RAM होती है इसलिए ये costly होती है ओके और इसे upgrade नहीं किया जा सकता क्योंकि ये CPU के साथ होती है तो friends ये थी कैश मेमोरी और जिसका काम क्या है वो आपको मैंने समझा दिया है ओके अब friends इसके next वीडियो में मैं आपको memory unit के बारे में बता फ्रेंड्स अगर हम कंप्यूटर मेमोरी यूनिट्स की बात करें तो कंप्यूटर मेमोरी यूनिट्स के अंदर मेमोरी की सबसे चोटी यूनिट होती है बिट यानि बिट को मेमोरी की सबसे चोटी यूनिट कहा गया है एक बिट के अंदर या तो जीरो आता या वन आता है दोनों भी साथ नहीं आते हैं तो यहाँ पर एग्जाम में एक कॉशन बनके आता है वो है कि मेमोरी की सबसे चोटी यूनिट कौन सी होती है तो आपको याद रखना है मेमोरी की सबसे चोटी यूनिट होती है बि� यानि 1 nibble equal to 4 bits और इसके बाद जब 8 bits या 2 nibble आपस में मिलते हैं तो क्या बनता है 1 byte यानि 1 byte equal to 8 bits या 2 nibble दोनों में से कुछ भी हो सकता है इसके बाद अगर 1024 bytes आपस में मिलते हैं तो क्या बनता है 1 kilobyte इसके बाद देखिए 1024 kilobyte यानि 1024 kb मिलकर क्या बनाते हैं 1 एका बाइट यानि वन एमबी इसके बाद देखिए 1024 एमबी एकाजार 24 एमबी क्वेश्चन कितना होता है वन गीगा बाइट यानि अगर आपके पास एक पैन ड्राइब है जो कि वन जीवी का है उसके अंदर आप 1024 एमबी तक का डेटा स्टोर कर सकते हो क्योंकि वन जीवी को एकजार 24 एमबी इसके बाद आता है 1024 जीवी मिलकर क्या बनाते वन टेरावाइट यानि अगर आपके पास आपके तो साडिक्स के अंदर आप 1024 जीवी तक का डेटा को स्टोर कर सकते हो क्यों कि वन टीवी इक्वल टू यानि वन टेराबाइट इक्वल टू 1024 जीवी अब अगर 1024 टीवी आपस में मिलते हैं तो क्या बनाते हैं वन पीवी यानि वन पेटाबाइट यानि वन प 1024 एक्जावाइट आपस में मिलते हैं तो क्या बनाते हैं 1 जेटावाइट इसके बाद अगर 1024 जेटावाइट आपस में मिलते हैं तो क्या बनाते हैं 1 योटावाइट और इसके बाद यदि 1024 योटावाइट आपस में मिलते हैं तो क्या बनाते हैं 1 ब्रुंटोवाइट औ तो आपको यह याद रखना है अब आपको इसे याद कैसे करना है देखिए वह तरीका मैं आप यह तीन तो याद कर लीजिए उसके बाद देखिए 1024 याद करना है आपको बस यह याद रखना है कि मेजरमेंट 1024 अपने वन बाइट तक याद कर लिया उसके बाद 1024 बाइट इक्वल टू वन के बी किलो बाइट शॉट में आपकर के बी फिर फूल फॉर्म आपको अपने अभी आदू जाएगी किलो बाइट यह 1024 बाइट मिलकर क्या बनाते वन के बी फिर 1024 यहां से देखिए नीचे लिया है यहां से इसको नीचे लिया है 1024 के बी वन एमबी फिर यहां से इसको नीचे लिया यह 1024 MB, 1 GB, 1024 GB, 1 TB, 1024 TB, 1 PB, 1024 PB, 1 EB, और 1024 Pb, 1 ZB फ्रेंड्स वैसे तो ज़्यादातर एक्जाम में यह यहां तक पेटा बाइट तक पूछ लिया जाता है अब आपके कंप्यूटर में जो हार्डिक्स लगी होगी या तो जीवी में लगी होगी या टीवी में लगी होगी उससे उपर के हार्डिक्स आपके कंप्यूटर में नहीं होगी और आपने सूनी भी नहीं होगी लेकिन इससे उपर का मेजरमेंट होता है यानि ये पीवी य पर रोज लाखों वीडियो अपलोड होते हैं जिनकी कोई काउंटिंग नहीं है इतने वीडियो यूट्यूब पर डेली अपलोड हो रहे हैं तो यह जो वीडियो है यह इनकी साइज तो होती है ना अभी देखिए यह वीडियो है अगर इसकी साइज बताऊं मैं आपको तो यह करीबन 400-500 MB का एक वीडियो होगा अब ऐसे वीडियो यूट्यूब पर एक दिन में जाने कितने अपलोड होंगे तो यूट्यूब पर इन वीडियो को स्टोर करके रखने के लिए कोई स्पेस तो होगी अब क्योंकि यूट्यूब एक बैपसाइड है और एक बैपसाइड किसी ना किसी कंप्यूटर, किसी ना किसी सर्वर से ही चल रही है तो YouTube का सर्वर यानि Google का Data Center अगर आप देखना चाहते हैं तो आपको YouTube पर जाकर सर्च करना है Google Data Center आप जब YouTube पर जाकर सर्च करेंगे ना Google Data Center तो आपको एक वीडियो मिलेगा YouTube सर्वर की साइज काफी बड़ी है California के अंदर काफी बड़े लार्ज एरिये में YouTube सर्वर फेला हुआ है और उन सर्वर्स के अंदर बहुत सारी चोटी-चोटी हार्डिक्स लगा रही कि उन्होंने और जब आप बहुत सारी हार्डिक्स लगा देते हो और जब बहुत सारी हार्डिक्स आपस में मिल जाती हैं तो एक बहुत बड़ी मेमोरी की मेजरमेंट बना लेती हैं जब नहीं YouTube सर्वर में लगी हुई है लेकिन एक harddisk से वहाँ पर काम नहीं चलने वाला था इसलिए वहाँ पर बहुत सारी harddisk को लगाया गया है और एक बहुत बड़ा सर्वर बनाया गया है क्योंकि इतना सारा data store करना था और ये जो हम videos वगेरा YouTube पर upload करते हैं तो ये store तो करना पड़ है और उसकी जो साइज है वह वन टीवी अब मान लीजिए मेरा काम जो वन टीवी से नहीं चल रहा है हाड़िक्स फूल हो चुकी है अब मुझे फॉर टीवी के हाड़िक्स लगानी है तो मेरे पास ऑप्शन दो हैं अगर फॉर टीवी की सिंगल हाड़िक्स अब लेवल है जो कि अब लेवल है तो मैं क्या करूंगा फॉर टीवी की एक और हाड़िक्स लगा लूंगा तो यह वाली कि इस पेस होगी वह कितनी होगी वह होगी 5TB क्यों क्योंकि वन टीवी और फॉर्टीवी मिलकर क्या बना लेंगे 5TB अब मैं क्या बोलूंगा कि मेरे कंप्यूटर में कितनी हाडिक्स लगी हुई है 5TB की मैं टोटल बोलूंगा स्टोर किया जा सकता है ठीक है वहां पर अपग्रेडेशन होता ही रहता है तो फ्रेंड्स यह थी कंप्यूटर की मेमोरी विनिट है अपने समसे पहले बात करेंगे कंप्यूटर हार्डवेयर की हार्डवेयर इस दॉप फिजिकल कंपोनेंट्स ऑफ अ कंप्यूटर डेट कैन बी सीन एंड टच्च्ड इसका मतलब होता है कि कंप्यूटर के वह सभी फिजिकल कंपोनेंट जिसे आप देख सकते हैं आपको इनपूर्ट आउटपूर्ट डिवाइस पढ़ाए थे वह सभी किसके अंदर आते हार्डवेयर के अंदर आते हैं अब हम बात करते हैं सॉफ्टवेयर की तो सॉफ्टवेयर की डेफिनेशन क्या होगी सॉफ्टवेयर इज अ सेट ऑफ प्रोग्राम डेट वी एन ओनली सी कांट टच मतलब कं चूना ही सकते हैं तो वह क्या कहलाएंगे सॉफ्टवेयर्स कहलाएंगे आप देखिए फ्रेंड्स जो सॉफ्टवेयर होते हैं वह टू टाइप्स के होते हैं एक होता है सिस्टम सॉफ्टवेयर एक होता है एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर अगर हम सबसे बहुत बात करें सिस् और ये system software होते हैं, computer के main software होते हैं अगर आपके computer में system software नहीं है, तो आपका computer start नहीं होगा तो कौन से होते है system software? अगर हम example की बात करें, तो system software के अंदर हम रखते हैं operating system को अब operating system बनाने वाली बहुत सारी companies हैं, उनके बहुत सारे operating system आते हैं कुछ मैं आपको top companies के operating system के बारे में बताता हूँ जैसे Microsoft company की तरफ से आने वाली Windows operating system के अगर हम बात करें आप सभी नहीं यूज़ कराओगा Windows operating system को अगर आपके computer से Windows को अटा दिया जाए तो क्या आपका computer start होगा तो Windows यानि operating system system software का example है क्योंकि ये computer के main software होते हैं और इनके बिना computer को चलाया नहीं जा सकता ठीक है तो operating system में हमने सबसे पहले बात करी थी किसकी Microsoft की तरफ से आने वाले Windows की ऐसी Apple company भी अपने Apple के computer के लिए क्या बनाती Mac operating system बनाती है ऐसी Google company भी operating system बनाती है जिसका नाम है Android तो अगर आप अपने phone से Android को अटा दे यानि Android operating system को अटा दे तो क्या आपका phone काम करेगा नहीं करेगा वो एक hardware बन के रह जाएगा तो without software hardware काम नहीं करता तो Android क्या है operating system है तो friends ये सब ही example है operating system के और operating system software का example है अब friends हम बात करते हैं application software की application software are designed to do a particular work इसका मतलब यह है कि यह software केवल वही काम करेंगे जिनके लिए उन्हें बनाया गया है इससे आप दूसरे type का काम नहीं ले सकते जैसे कि देखिए मैं आपको एक example देता हूँ कि school में जो fee management के लिए software use में लाया जाता है वह software उस school के लिए fee को management करने का काम करेगा जिसके लिए उस software को बनाया गया है वह स्कूल के लिए फीज को मैंनेजमेंट करेगा इस टूडेंट की रिसेप्ट को प्रिंट करेगा अगर कोई चाहिए कि उस सॉफ्टवेयर को जो स्कूल में फीज मैंनेजमेंट का काम कर रहा है उस सॉफ्टवेयर को किसी मेडिकल स्टोर में बिल मैनेजमेंट आपने MS Office में Word, Excel, PowerPoint पे काम किया होगा जैसे अगर किसी को Office में कोई काम करना है तो Word, Excel, PowerPoint में करेगा अगर किसी को Accounting करनी है तो वो Tally में करेगा किसी को MP3 Song सुनना है तो वो MP3 Player में सुनेगा तो अब देखिए बात समझिए किसी को Accounting का काम करना है तो वो Tally में करेगा ना कि MP3 Player में करेगा क्योंकि MP3 Player का काम है केवल MP3 Song को सुनाना और Accounting करने वाला काम टेली में ही हो सकता है वह दूसरे सॉफ्टवेयर में हो सकता जो फैसलेटी टेली देती है वह टेली में होगा तो किसी प्राइटिकुलर टाइप के काम को करने वाले सॉफ्टवेयर सभी किसमें आते हैं एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में आप ऐसे कि सॉफ्टवेयर केवल दो टाइप के होते हैं सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर बट देखिए कई बार आपको एक टाइप और सुनने के लिए मिल सकता है वह यूटिलिटी सॉफ्टवेयर तो यूटिलिटी भी एक सॉफ्टवेयर का टाइप है अब antivirus वैसे तो application software ही है, बट चाहें तो इसको अलग से हम एक utility software category इसमें रख सकते हैं, antivirus का काम क्या होता है, protection करना, virus से system software को बचाना, application software को बचाना, तो protection और maintenance purpose से जो software काम मिली जाते हैं, वो utility software के लाते हैं, और भी आते हैं, जैसे temporary file को delete करने वाले, disk को clean up करने वाले, ऐसे बहुत सारे software आते हैं, जिनने utility software में रखा जा सकता है, अब देखिए फ्रेंड्स एक इंपोर्टेंट बात जान लीजिए हार्डवेयर विना सॉफ्टवेयर काम का नहीं है सॉफ्टवेयर विना हार्डवेयर काम का नहीं है जैसे मैं आपको एक पैसिक सा एग्जाम्पल देता हूं कि जो लैपटॉप होता है उसके अंदर वाई तो आपको अलग से एक Wi-Fi receiver परचेस करना पड़ता है आप Amazon Flipkart पे जाके सर्च कर सकते हैं Wi-Fi receiver ओके, छोटा सा एक Bluetooth जैसा होता है, उसे USB में लगा दिया जाता है तो वो एक hardware होता है, जिसे आप देख पारें, जिसे आप छूँ सकते हैं ओके, वो क्या है, hardware है, उसे आपने अपने desktop में लगा दिया पर वो लगाने के बाद काम नहीं करेगा, वो आपके mobile के साथ connect नहीं कर पाएगा वह सॉफ्टवेयर उसी के साथ आता है उसके साथ एक छोटी सी डिस्क आईगी CD आईगी उस CD से आपको उसका ड्राइवर डालना पड़ेगा यानि उसका सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ेगा तो जो ड्राइवर्स होते हैं जिनकी हेल्प से कंप्यूटर में डिफरे फिर आप अपने मोबाइल से डेक्स्टॉप को कनेक्ट नहीं कर पाएंगे तो आपको बात समझ में आगी ऐसे काफी सारे डिवाइस आते हैं जिनके साथ उनका सौफ्टेर आता है अगर सौफ्टेर इंस्टॉल नहीं करेंगे तो हार्डवेर काम नहीं करेगा I hope friend आपको वीडियो पसंद आया हो thanks for watching