महान साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा लिखा गया उपन्यास डाक बांग्ला का आत्म सारांश देखेंगे डाक बांग्ला उपन्यास की कहानी फ्लैशबैक में चलती है तिलक सारी कहानी सुना रहा है जो कुछ भी उसने हीरा से सुना और समझा वह इस प्रकार है इरा इस उपन्यास की नायिका है जो योगी है जिसने अपने जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखे हैं और वह अपने समकालीन समाज का या एक युवती का रिप्रेजेंटेशन कर रही है हीरा कश्मीर के एक स्थान आलू के डाक बंगले में रुकी है कश्मीर की यात्रा में तिलक और सोलंकी भी उसी डाक बनने में ठहरे हैं तीनों साथ-साथ हैं इस उपन्यास में इरा के चरित्र से एक साधारण औरत की आंतरिक और बाहरी संघर्ष को बताया मार्क्स को बहुत सुंदरता से प्रस्तुत किया माता-पिता का प्यार शिक्षा और सुरक्षा नहीं मिली हीरा का भाग्य कितना खराब था की मैन के मार जाने पर उसके पिता ने हीरा की तरफ से ध्यान हटा लिया और वे अपने जिंदगी में ही मस्त रहे के लिए इधर-उधर भटकती रही उसे ईरानी प्यार किया लेकिन वह उसे छोड़कर चला गया उसके बाद हीरा के जीवन में तीन पुरुष आए पत्र सोलंकी और डॉक्टर इन तीनों का अनुभव कहती भी है की मुझे छोड़कर सब चले जाते हैं हीरा को परिवार नहीं मिला जिसके कारण वह व्यावहारिकता नहीं सिख पाई और पुरुषों की परख नहीं कर पाई इसीलिए हर बार उसने धोखा खाया पुरुष का सुरक्षा कवर ढूंढ रही थी जिसमें हर बार उससे गलती हुई एक साधारण औरत की तरह इच्छा रखती है की उसका भी एक पति हो जो उसे पर प्रेम और विश्वास रखता हो बचपन से प्यार की भूखी हीरा इधर-उधर अपना सहारा खोजती रही अपने जीवन के अनुभव से समझ गई थी की वह एक इच्छा पूर्ति का साधन मात्रा है कोई उससे प्यार नहीं करता वह समझती है की समर्पण से वह पुरुष का प्यार वी सुरक्षा हासिल कर सकती है लेकिन उसने अपना सर्वस्व होकर यह सिखा की आदमी ने एक भेड़िया होता है जो केवल उसका रिमूव करेगा धीरे-धीरे वह ऐसे दलदल में फैंस जाती है की आस्था विश्वास आदर्श नैतिकता और अच्छाइयों के प्रति वह बेखबर हो जाती है वह जीवन भर सोचती रह जाती है की जैसे शरीर को ढकने के लिए कपड़े चाहिए वैसे औरत को सुरक्षा के लिए किताब भाई पति का कवच चाहिए और कुछ ना हो तो साथ में एक पुरुष नौकर की हो तो भी वह सुरक्षित रह सकती है लेकिन हर बार उसे धोखे के अलावा कुछ ना मिला तेरा का बचपन एकदम आम बच्चे की तरह था जब तक उसकी मैन जिंदा थी मैन के मरने के बाद जीवन भावनाओं से खाली हो गया राजकुमार आएगा और मुझे अपने साथ ले जाएगा बचपन में करती थी लेकिन मैन मारी और पिताजी पर आए हो गए एक बार क्लब के सदस्यों के साथ एक्टिंग करने शिमला गई वहीं पर विमल से मुलाकात हुई जो इरा का पहला प्यार था पिता के विरुद्ध जाकर इरा विमल के साथ रहने लगी और दोनों रंगमंच के लिए अर्थात नाटक में कम करने लगे विमल को इस क्षेत्र में सफलता नहीं मिली वह चाहता था की रह वापस चली जाए लेकिन इरा और उसके पिता दोनों ही वापसी के रास्ते बंद कर चुके द रंगमंच का कार्य ठीक से ना चलने के कारण विमल ने रोजी रोटी चलाने के लिए हीरा से कहीं नौकरी करने की बात कही विमल ने ही किसी से कहकर तेरा को पत्र के घर नौकरी दिला दी लेकिन दिल जला जेल रहा था एक दिन बिना कहे हीरा को छोड़कर कहीं चला गया बाद में पता चला की वह क्रांतिकारी के साथ कहीं पकड़ा गया है विमल का चित्रा शांत नहीं रहता वह इराक बत्रा के घर नौकरी करने पर शक करता की केवल फोन अटेंड करने के लिए इतनी तनख्वाह देने की क्या जरूरत है लेकिन वहां रॉबिन ही पाया क्योंकि पापी पेट का सवाल है एक दिन बेहद हताश होकर विमल बंबई चला गया वहां इरा को सिर्फ तीन लाइनों का खत मिला था वह इस प्रकार था की यह घबराकर यहां चलाया हूं जल्दी ही आऊंगा तुम तैयार रहना यहां ठीक होते हैं तुम्हें भी बुला लाऊंगा और इरा के जीवन भर दिन फिर कभी नहीं आया कुछ दिनों बाद हीरा बत्रा के घर में ही रहने लगी उसे पिता के बाद विमल विमल के बाद पत्र रूपी कवच मिल गया अपने को सुरक्षित महसूस करने लगी लेकिन तभी बदरा के घर शिला गई शिला भारत पाकिस्तान के बंटवारे की मारी थी बिछड़ने से पहले वह बदरा से प्यार करती थी लेकिन बंटवारे में दोनों की जिंदगी बदल दी शिला ने परिवार को आर्थिक समस्या से बचाने के लिए स्वयं को गलत रास्ते पर दल लिया वह उन पुरुषों के घर जाकर पत्नी की तरह जब तक रहती यही उसका पैसा था ऐसे ही बत्रा के घर आई तो इरा को देखकर उसे बर्दाश्त ना हुआ की उसका प्रेमी किसी और के साथ रहे षड्यंत्र रच कर हिलाने हीरा को मथुरा के घर से निकलवा दिया बत्रा के साथ रहते समय ही हीरा की मुलाकात सोलंकी से भी होती है बत्रा ने किसी सेकंड कर हीरा के लिए डॉक्टर के घर गार्जियन की नौकरी लगवा दी नहीं तो तेरा अपनी सहेली दमयंती के घर नागपुर चली जाती है विशेष प्रजनन से कहकर baturani यह कार्य करवाया था क्योंकि वह जानता था की अगर यह नौकरी बत्रा स्वयं हीरा को देगा तो इरा से स्वीकार नहीं करेंगे इसलिए बताने मिसेस कृष्णन का सहारा लिया इसके बाद डॉक्टर चंद्र मोहन के घर वह गण के रूप में नौकरी करने पहुंचती है डॉक्टर चंद्र मोहन के दो आठ और 10 साल के बच्चे द लेकिन बच्चों से ज्यादा डॉक्टर चंद्र मोहन को गार्जियन की जरूरत थी डॉक्टर की अकेली बहन शिलांग में रहती थी इसलिए उसने परिवार के साथ डिब्रूगढ़ जाना निश्चित किया और वे सभी हीरा समेत असम चले गए [संगीत] पैसों का हिसाब बता कर अपने धन का प्रदर्शन करना और फिर एक दिन शादी का प्रस्ताव रखा इधर ही रखो की सहारा चाहिए पति के रूप में स्वीकार नहीं कर पाई अपना समर्पण नहीं किया उसने एक दिल से छोड़कर नागपुर ए गई लेकिन 7-8 दिन बाद डॉक्टर के कंपाउंडर का तारा एक रात को मिला की डॉक्टर को गोली लग गई है तुरंत चले लिए एरा क्या manirna से भरा था इसके बावजूद भी इरा वहां पहुंच गई डॉक्टर बेहोश था लेकिन होश में आने पर हीरा को प्यार से देखता कुछ बोलना चाहता तेरा के मैन में डॉक्टर के प्रति जो घृणा थी वह संवेदना में बदल चुकी थी घृणा के बावजूद भी इरा से जीवित देखना चाहते द उसके मैन में डॉक्टर के प्रति प्रेम उपज रहा था लेकिन पंच बेटे उसका दम टूट गया असम के विद्रोही ने गलती से सरकारी अफसर समझकर डॉक्टर को गोली मार दी इरा डॉक्टर के दोनों बच्चों रंजन और विज़न को अपने साथ रखना चाहती थी दिल्ली में पटना चाहती थी वह अपने पक्ष को इस तरह पूरा करना चाहती थी अपनी ज्ञानी थी की अब मैं डॉक्टर के जिम्मेदारी स्वयं ले लूं लेकिन डॉक्टर की बहन दोनों बच्चों को अपने साथ शिलांग ले गई रंजन डॉक्टर कर रहा है और विजेंद्र के समय इंटर पढ़ रहा है डॉक्टर चंद्र मोहन की बहन के लिए शब्द की यह मत समझना भाभी की भैया के एन रहने तभी तो मैं रुई चलते समय डॉक्टर की बहन ने बताया की भैया ने बच्चों के लिए ₹25000 छोड़ गए हैं जो मेरे नाम है और 25000 के कागज तुम्हारे लिए हैं जिसे तुम्हें कोई दिक्कत ना हो सचमुच डॉक्टर बहुत समझदार था उसकी मृत्यु के साथ हीरा के जीवन का दुखद और कारण अध्याय पूरा हुआ तिलक इराक की बातें सन सन कर उसकी हरकतों को देखते कर आक्रांत वह समझ नहीं का रहा था की यह कैसा चरित्र और कैसा व्यक्तित्व है [प्रशंसा] अपनी व्यथा कथा सुनाती रही और सोलंकी के मिलते ही 16 साल की लड़की की तरह उसके साथ व्यापार कर रही है और जीवन में इतने कठोर थपेड़े भी खा चुकी है यह सब तिलक की समस्या [संगीत] और सोलंकी मामू के साथ पढ़ और दूध सर झील देखने गए और मृत्यु से आमना सामना करके लौटे तिलक चार दिन होकर वापस दिल्ली जाना चाहता था लेकिन मौसम की खराबी के कारण जा नहीं का रहा था बाद में रेसिडेंसी रोड पर अचानक तिलक मिलाकर सोलंकी ने पूछा की इरा का कोई पता है क्या वह आडू के दाग बदले में समान छोड़कर उसने बताया तक नहीं मैं उसका समान उठा लाया उसने मेरे साथ मेरा चलने का प्रोग्राम भी बनाया था यह सुनकर तिलक भी परेशान हो उठा बाद में दिल्ली में हीरा से तिलक की मुलाकात हुई तो उसे निशारा खेल सारी कहानी तिलक से इस प्रकार बताई की वह आलू के दाग घर में अपनी डाक लेने के लिए गई थी जिसमें नागपुर से दमयंती की चिट्ठी थी की एक दिन विमान उसे खोजता हुआ यहां आया था 12 बरस बाद उसकी खोज खबर मिली है 7 8 हौर इंतजार करने के बाद आखिर वह घूमता फिरता जमीन के घर मिला हालत खराब थी वह उसे जबरदस्ती अपने घर ले गई लेकिन विमल था चंडीगढ़ में नौकरी मिली उसने तिलक को फोन करके अलविदा कहा इसे छोड़ने पहुंचा हीरा ने घर खाली नहीं किया था उसे विश्वास नहीं था की चंडीगढ़ में वह टिक पाएगी हो सकता है वापस आना पड़ेगा तो घर तो रहेगा हीरा कहती है की कितने अपने और कितने बेगाने होते हैं इस डाक बंगले में मुसाफिर आते हैं और चले जाते हैं तिलक ने कालका मेल में हीरा को बिठाकर विदा किया चंडीगढ़ के लिए और इसी के साथ पूरा होता है अब हम इस उपन्यास की विशेषता की ओर बढ़ते हैं इस उपन्यास के पत्रों की कहानी में हम देखते हैं की जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान किसी अन्य समस्या से किया गया है इरा के पिता परिवार के प्रति उपेक्षा के कारण बेटी हीरा पर प्रतिबंध नहीं लगा पाए और इरा मनचाही रह पर निकल गलती पर गलती करती गई ईरानी स्वयं को सशक्त करने के स्थान पर हर बात सहारा ढूंढा विमल के चले जाने पर बत्रा का संरक्षण स्वीकार किया डॉक्टर से विवाह किया सोलंकी को आजादी दी और अपना जीवन कृष्ण दोनों साथ-साथ कर सकते द इस उपन्यास से सीखी मिलती है की हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझना चाहिए और इरा जैसे आंख बंद करके निर्णय नहीं लेना चाहिए शिला का चरित्र भी यही सिख देता है की व्यक्ति अगर आत्मसम्मान और atmagati महक और आत्म गरिमा का ध्यान रखें तो जीवन कभी भी नर किए नहीं हो सकता जीवन में स्थिरता आती है शिला और शिला और इरा दोनों का जीवनी के समान है जिसमें कितनी ही मुसाफिर आते हैं और चले जाते हैं उनके अपने भी मुसाफिर ही लगते हैं की अगर जीवन में उचित मार्गदर्शन हो जाता है [संगीत] की अपने फंदे atmasamand आत्म गरिमा ऐसे naitiktapurn और जीवन मूल्य के प्रति हमें बहुत सचेत रहना चाहिए और एक समाज के सम्मानीय नागरिक बनने की जिम्मेदारी भी हमारी होती है हमारे ही कर्तव्य है की हम समाज के लिए एक अच्छे नागरिक और एक आदर्श व्यक्ति बने रहे साथ ही साथ इस उपन्यास में इन चरित्र के माध्यम से समाज की सच्चाई को भी प्रस्तुत किया है sadharantah हम देखते हैं की हमारे जीवन में ऐसी घटनाओं को हम ghrunak नजरों से देखते हैं लेकिन जीवन में यह सब कुछ चलता रहता है समाज में यह सारी घटनाएं घटती रहती है और हम देखते हैं की बहुत सारे लोग एक मुखौटा ओढ़े रहते हैं बाहर से अच्छा दिखने का सोलंकी पत्र सब कोई के जीवन उनके जीवन में उनके चरित्र में रहते हैं जीवित रहते हैं तो इसके साथ ही इस उपन्यास की पाठ्य सामग्री पुरी होती है अब हम अब हम छात्रों पाठशाला के अगले भाग की ओर बढ़ते हैं की प्रश्नपत्र में आपको सबसे पहला प्रश्न आता है प्रश्न एक निम्नलिखित शब्दों के उत्तर एक शब्द या वाक्य में लिखिए जिससे अंतर्गत आपको पुरी किताब में से अलग-अलग परतों में से ऐसे प्रश्न तैयार करके दिए जाते हैं जिसके उत्तर आपको एक शब्द वाक्य में लिखना होता है और आपको उत्तर भी वैसा ही लिखना चाहिए तो यहां पर आप देख रहे हैं की इस पाठ पर आधारित एक प्रश्न यहां पर कुछ उत्तर के साथ तैयार किए गए हैं तो यह जो प्रश्न उत्तर है वह आपको परीक्षा में प्रश्नों के उत्तर लिखने में सहायता करने के साथ-साथ पाठ का सरन समझने और उत्तर लिखने में भी आपकी सहायता करेंगे अब हम आगे बढ़ते हैं दूसरा प्रश्न आता है प्रश्न पत्र में से तीन प्रश्न दिए जाएंगे लिखने का फॉर्मेट क्या है प्रारूप क्या है आप इसको अनुसरण कर सकते हैं की पहला होता है संकेत जिसमें आपको लिखना होता है की आप तीन में से कौन से प्रश्न का उत्तर लिख रहे हैं तो यहां आप देख रहे हैं संकेत किस प्रकार लिखा गया है उसके बाद होता है प्रसंग प्रसंग में आप लिखेंगे की जो पंक्तियों का आठ हाथ लिख रहे हैं और हमारी किताब में से किताब का नाम लिखेंगे उसमें संघ के लिए पाठ का नाम लिखेंगे और लेखक का नाम लिखेंगे से ली गई है उसके बाद आता है संदर्भ तो यह पंक्तियां किस संदर्भ में कौन इसे का रहा है या लिखा जाएगा और उसके बाद आता है उसका अर्थ आप क्या समझते हैं और उसके उसे समझा कर आप vistarpurva 6 से 7 लाइनों में लिखेंगे उसके बाद अगला बिंदु आता है उससे आपको क्या संदेश मिलता है और लेखक ने क्या संदेश दिया है और आपको क्या सिख मिलती है तो इस प्रकार हम देखते हैं की दो प्रश्न पहला दूसरा पूरा हुआ तीसरा प्रश्न आता है की कहानी का सारांश लेकर उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए तो यह प्रश्न भी आपको दो प्रश्न में से एक प्रश्न करना होगा टिप्पणी लिखिए तो टिप्पणी लिखने के लिए भी ऐसे ही आपको दो शीर्ष दे दिए जाएंगे दो में से एक के ऊपर आपको टिप्पणी लिखना होगी जो होगा पंच अंक के लिए एक प्रश्न तो इसमें भी आपको शीर्षक लिखना है और उसके बाद आपको शीर्ष का परिचय देना है की यह शीर्षक कहां से आया इसमें आपके अगला प्रश्न आता है टिप्पणी लिखिए तो इस प्रकार आपको कई सारे शीर्ष सकती है या हम देखेंगे शिला बत्रा डॉक्टर चंद्र मोहन सोलंकी तिलक और विमल तो इनमें से आपको किस प्रकार की उनका टिप्पणी लिखना होती है जो आपको पंच अंकों के लिए प्रश्न आता है तो यहां हम देखेंगे की पहले सबसे पहले हम जो की मैन लीजिए आप शिला का एक ऊपर टिप्पणी लिख रहे हैं सुशीला का परिचय देंगे शिला का परिचय इस प्रकार होगा के बाद हम शिला की टिप्पणी लिखेंगे ये शिला रावलपिंडी में बत्रा के घर के पास रहती थी दोनों एक दूसरे को चाहते द दंगों में शिला के पिता मारे गए और शिला अपनी बहनों और मदारी और पैसों की मांग में उसे ऐसा बना दिया दंगों के बादशाह 1950 में दिल्ली में बकरा आया तो किसी जान पहचान वाले के यहां शिला दिखाई थी और उन्होंने मेरी बीवी भी ना का कर शिला का परिचय कराया दोनों ने अनजाने की तरह व्यवहार किया एक दिन इंडिया गेट पर नहर के पास शिला पत्र को मिली तो उसने बताया की मैं हेमेंद्र की पत्नी बनी थी चाहो तो तुम्हारी बीवी भी बन सकती हूं और यही शिला का पिसा था शिला स्वयं मर्दों के पास है लेकिन उसे हीरा का पत्र के साथ रहना पसंद नहीं आया [संगीत] का परिचय भी देंगे की डाक बांग्ला उपन्यास जिसके लेखक कमलेश्वर जी हैं उसका यह एक विशेष पत्र है इस प्रकार लिखेंगे की बत्रा एक अधेड़ उम्र का धन्यवाद देती है जो लोगों के कम कमीशन लेकर पूरे करवाता है जैसे सरकार ठेके दिखाना आदि इस कार्य को करने के लिए वह महंगे होटल में जाता है बड़े-बड़े सरकारी अफसर के साथ को अपना बैठना शराब आदि का खर्चा उठाता है और अपना कम करवाता है विमल एरा को बत्रा के यहां नौकरी dilvata है इरा का कम केवल फोन रिसीव करना है शिला से प्यार करता है सैन 1950 में दिल्ली आया था मित्र हेमचंद्र के यहां शिला से मुलाकात होती है उसके बाद शिला बत्रा की बीवी बनकर कभी-कभी उसके पास रहती है [संगीत] अगला हम आ देखेंगे सोलंकी के ऊपर की तो सोलंकी का खर्चा भी उसी प्रकार दिया जाएगा की यह डाक बांग्ला उपन्यास लेखक अमलेश्वर एक विशेष बात है सोलंकी को ईरानी पहली बार बत्रा और शिला के साथ होटल वोल्गा से लौटे हुए देखा था 16 की का चेहरा बहुत कठोर है उसकी चमड़ी फैब्रिक पेपर की तरह खुरदरी है लंबा चौड़ा व्यक्ति है जो आर्मी में कम करता था वह अचानक कश्मीर में हीरा को मिलता है और मामले में रुकते हैं कोल्हाई से बूथ सर जाते समय एवं मृत्यु के आगोश में रहकर भी जमीन से कीमती पत्थर कठोर कर चेस्टर की जेब में batorta है उसे नहाना अच्छा नहीं लगता है कश्मीर में पूरे समय हीरा को खुश करना चाहता था इरा के बिना बताए चले जाने पर वह परेशान हो जाता है और वह बताता है अब हम चंद्रमोहन पर टिप्पणी देखते हैं की चंद्रमोहन भी एक विशेष पत्र है डाक बांग्ला उपन्यास का उपन्यास के लेखक हम अब हम देखते हैं टिप्पणी चंद्र मोहन के ऊपर दो चंद्र मोहन के आठ और 10 साल के दो बेटे रंजन और विज़न द जिनके लिए गर्जन के रूप में ईरानी डॉक्टर के यहां नौकरी की थी लेकिन बच्चों से अधिक आवश्यकता गार्जियन के डॉक्टर को थी डॉक्टर की एक लौटी बहन शिलांग में रहती थी इसलिए डॉक्टर डिब्रूगढ़ असम जाता है और इरा को भी साथ ले जाता है वहां इरा और डॉक्टर शादी करते हैं लेकिन डॉक्टर की राशि पत्नी का सुख प्राप्त नहीं कर पता परेशान होकर हीरा नागपुर अपनी सहेली के यहां चली जाती है की डॉक्टर को गोली लग गई है तुरंत चली लिए विद्रोही डॉक्टर को सरकारी अफसर समझ कर बोली मार देते हैं डॉक्टर के बैठे हो जाती है डॉक्टर अपनी पत्नी हीरा और बच्चों के लिए 25-25 हजार रुपए छोड़कर बनता है जिससे उन्हें जीवन में कोई तकलीफ ना हो इस प्रकार चंद्र मोहन के ऊपर की गई चंद्र मोहन की टिप्पणी यहां पुरी होती है अब हम विमान के ऊपर टिप्पणी किस प्रकार लिखी जाएगी देखेंगे की विमल जो शीर्षक है वह कमलेश्वर द्वारा लिखित उपन्यास दल [संगीत] का पहला प्रेमी है जो नाटक के लिए कम करता है लेकिन उसे असफलता मिलती है वह जीवन में आकाश निराश हो जाता है और समस्याओं का सामना करने के स्थान पर कर की भांति उनसे मुख मोड लेता है वहां पर वह विद्रोहियों के साथ जेल जाता है घर नागपुर पहुंचता है वहां पर इरा से जब मुलाकात होती है तो इरा उसे देखकर बहुत विमल हो जाती है और उसे अपने साथ अपने घर दिल्ली ले जाती है वहां उसकी देखभाल करती है लेकिन उसकी हालत इतने बुरे होते हैं की वह अधिक दिन जीवित नहीं रह पता है और मार जाता है इस प्रकार हम देखते हैं की विमल के ऊपर भी टिप्पणी यहां पर पुरी होती है और छात्रों इस प्रकार हमने देखा की सरन और टिप्पणी का भाग यहां पर पूरा होगा