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लिंग, धर्म और जाति का समाज पर प्रभाव

हलो एवरीवन, आज हम पढ़ेंगे Class 10 Civics का चेप्टर नमबर 3 जिसका नाम है Gender, Religion and Caste हमारे देश भारत में हमें अलग-लग जेंडर के लोग देखने को मिलते हैं अलग-लग रिलीजन के लोग देखने को मिलते हैं और कास्ट के बेसिस पर भी लोग बटे हुए होते हैं ये कोई नई बात नहीं है, ऐसा हमारे देश में ही नहीं पर matter ये करता है कि इन तीनों के contest में हमारी politics किस तरीके से perform करती है और politics पर क्या effect पड़ता है और साथ में हम ये भी जानेंगे कि जो ये social differences होते हैं वो हमारी democracy के लिए अच्छे होते हैं या नुक्षान दायक होते हैं तो चले इस टार्ट करते हैं सबसे पहले हम पढ़ते हैं जेंडर डिवीजन के बारे में जनरली क्या होता है? मेल और फीमेल के बीच में डिवीजन देखने को मिलता है और ये जो इस तरीके का हिरार्कियल सोसल डिवीजन होता है वो हमें हर तरफ देखने को मिलता है बट इसे हमारी पॉलिटिक्स में बहुत कम रीकोगनाइश किया जाता है हम अकसर ऐसा सोचते हैं हम ऐसा समझते हैं कि जो ये gender division होता है वो natural और unchangeable होता है पर ऐसा नहीं है, it is not based on biology मतलब ऐसा नहीं है दोस्तों कि हम लड़का पैदा हुए या लड़की पैदा हुए इस बजे से ये division देखने को मिलता है बलकि हमें ये division इसलिए देखने को मिलता है क्योंकि हमारी society इस तरह का division create करती है हमारी society की ऐसी social expectations और stereotypes होती हैं जिनकी बजे से ये division create हो जाता है कैसे? समझाता हूँ Public and Private Division अगर हम अपनी Society की बात करें तो जो लड़के लड़कियां होती हैं उन्हें सुरू से ही ये सिखाया जाता है कि जो Women होती हैं उनकी Main Responsibility होती है घर के काम काज करना और बच्चे पालना जातर Families में क्या होता है Sexual Division of Labour देखने को मिलता है मतलब Sex के According काम बाट दिया जाता है महिलाओं को बोला जाता है कि घर के अंदर जितने भी काम हैं जैसे की Cooking, Cleaning, Boshing, Tailoring looking after children etc. और वहीं जो घर के बहार के काम होंगे वो men करेंगे तो इसका मतलब ये नहीं है कि men घर का काम नहीं कर सकते बिल्कुल कर सकते हैं लेकिन we ये सोचते हैं कि इस तरह का काम करना और्थों की ही responsibility है और इसमें major role society का होता है उन्हें सुरू से ही ये सिखाया जाता है कि ये काम woman के हैं और ये काम men के हैं अब दोस्तों ऐसा नहीं है कि महिलाएं घर के बहार का काम नहीं करती हैं बलकि महिलाएं घर के बहार का काम भी करती हैं जैसे कि हमने गाउं वगैरा में देखा है, महिलाएं पानी भरने जाती हैं, लकडियां कलेक्ट करती हैं, खेतों में काम करती हैं इसी तरीके से अगर हम अर्वन एरियास की बात करें, तो कई सारी महिलाएं डॉमिस्टिक हेलपर का काम करती हैं कई सारी महिलाएं ओफिसेस में भी काम करती हैं, इन फेक्ट जायतर जो महिलाएं होती हैं, वो घर की आमदानी के लिए छोटे छोटे काम भी करती हैं, साथ में वो अपने घर का काम भी करती हैं वहीं अगर हम मेल की बात करें तो उन्हें उनके वर्क की वैल्यू भी मिलती है और रिकॉगनिशन भी मिलता है। जैसे ही कई सारे मेल्स होटल्स में सैफ के रूप में भी काम करते हैं, कई सारे मेल्स टेलरिंग भी करते हैं। वहीं महिलाएं ये सब काम घर पर फ्री में करती हैं। तो इस तरह का जो डिवीजन होता है वर्क के बेशिश पर, इसका रिजल्ट ये निकल के आया कि औरतें घर की चार दिवारी में सिमट कर रह गई हैं, जो बहार की पबलिक लाइफ है उसमें औरतों का इंफ्लुएंस ब especially अगर हम politics की बात करें तो उसमें महिलाएं बहुत minimum role play करती हैं सुरुबाती समय में क्या होता था mean को ही allow किया जाता था public affairs में public offices में सहमती लेने के लिए और vote डालने के लिए इन सब में men का ही dominance था इस बजे से धीरे धीरे gender issue भी दिखना सुरू हो गया था politics में अब जो women थी उन्होंने सोचा कि कुछ तो करना पड़ेगा तो दुनिया की अलग-अलग महिलाओं ने क्या किया organize होकर movement start किये और equal rights की demand करना सुरू कर दिया मतलब समान अधिकार की मांग करना सुरू कर दिया उनकी demand थी कि महिलाओं को भी equal voting rights मिलने चाहिए साथ में ये भी मांग करी कि महिलाओं के political and legal status को उपर उठाया जाए और महिलाओं के लिए educational and career opportunities को भी बहतर किया जाए कुछ movement की ये भी मांग थी कि महिलाओं को personal life में equality तो मिले ही मिले साथ में family life में भी equality मिले तो इस तरह के जो मुमेंट किये गए उनको बोला गया feminist movement feminist movement क्या होते हैं तो सरल भासा में feminist movement वो मुमेंट होते हैं जिनमें महिलाओं को पुरुसों के समान equal rights and opportunity दिलाने की मांग की जाती है आया समझ में तो इस तरीके के जब ये feminist movements हुए और gender division को लेकर politics में questions उठने सुरू हुए जब से धीरे धीरे पबलिक लाइफ में वुमन्स का रॉल थोड़ा बैतर हुआ है जैसे कि आज के समय में हम वुमन्स को कई सारे प्रोफेशन्स में देखते हैं जैसे कि महिलाएं आज साइंटिस्ट के रूप में भी काम कर रही हैं डॉक्टर्स के रूप में भी काम कर रही हैं इंजीनियर्स, लॉयर्स, मेनिजर्स, टीचर्स इन सब के रूप में आज महिलाएं काम करती हुई नजर आती हैं लोग educated हुए तो public life में भी women's का role improve करने लगा In fact, कई सारी countries ऐसी हैं जाएं women's का participation public life में काफी जादा हैं जैसे कि Sweden, Norway and Finland इन countries में महिलाएं public life में जादा active हैं लेकिन जब हम अपनी country की बात करते हैं, हमारे प्यारे भारत की बात करते हैं तो हमें still improvement की जरूरत है क्योंकि अभी भी भारत की महिलाएं पुरसो से पीछे हैं क्योंकि हमारी जो समाज है वो Patriarchal Society है मतलब Male Dominating Society है जिस बज़े से और्तों को आज भी कई सारे Disadvantages और Discrimination जैसी समझ्चाओं से गुजरना पड़ता है आईए इसके बारे में डिटिल से जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन से Reason हैं जिनकी बज़े से Women सफर करती हैं पहला है, इंडिया में Women की Literacy Rate Only 54% है and Men की Literacy Rate है 76% औरतोर जो लड़कियां होती हैं, उन्हें higher studies के लिए पढ़ाया ही नहीं जाता, बलकि उन्हें school से पहले ही निकाल लिया जाता है, भले ही वो लड़की लड़के से जादा intelligent हो. क्योंकि अगर किसी parent के एक लड़का और एक लड़की हैं, तो अगर parent किसी एक को पढ़ा सकते हैं, तो parents हमेशा ऐसी situation में लड़के पर खर्च करना जादा prefer करते हैं as compared to girl. और बिचारी जो बहन होती है, वो हमेशा sacrifice करती है अपने भाई के लिए कि चल भाई तु पढ़ ले.

दूसरा है जो high paid jobs होती हैं, valued jobs होती हैं, वहाँ पर महिलाएं अभी बहुत कम हैं, औरतोर इंडिया में average एक woman, एक पुरुस के comparison में रोजाना एक घंटा जादा काम करती है, पर उनकी इतने जादा काम करने पर भी उन्हें पैसे नहीं मिलते, इसलिए उनके काम की कोई value नहीं ताकि महिलाओं को equal work करने पर equal wages मिले मतलब बराबर काम करने पर बराबर पैशा मिले लेकिन almost हर एक areas में sport and cinema शे लेकर factories and fields तक महिलाओं को same काम करने पर कम wages मिलती हैं पुरुषों के comparison में फोर्थ है इंडिया के कई parts में ऐसा देखा जाता है कि जो parents होते हैं वो male child को जादा prefer करते हैं और female child को जन्म लेने से पहले ही abort करा देते हैं यानि कि गर्ब में ही मार देते हैं तो इस तरह की जो मानसिक्ता पैदा हो रही है हमारी society में इस तरह की जो sex selective abortion हो रहे हैं उससे child sex ratio decline कर रहा है अगर हम अपनी country की बात करें तो हमारी country का sex ratio 919 है मतलब per thousand लड़कों पर 919 लड़कियां है जिसका मतलब यह है कि सबी लड़कों की साधी नहीं होगी ये तो पूरी इंडिया का बताया मैंने अगर हम state wise देखें कुछ areas का ratio 850 से भी कम है और कुछ areas का ratio तो 800 से भी कम है तो ये सब discrimination की बजे से ही देखने को मिलता है फिप्त है हम रोजाने ऐसी कई सारी खबरे सुनते हैं जैसे की harassment, exploitation and violence against women इन सब के regarding हम कई सारी news सुनते हैं खास करके जो urban areas हैं वो काफी unsafe माने जाते हैं woman के लिए वुमेन अपने घरों में भी unsafe feel करती हैं क्योंकि वहाँ भी उन्हें beating, harassment and other form of domestic violence को जेलना पड़ता है तो देख रहे हैं वुमन को हर field में discrimination face करना पड़ रहा है ये कुछ points हैं जो कि ये बताते हैं कि आज भी किस तरीके से महिलाओं को disadvantages और discrimination का सामना करना पड़ता है आया समझ में? दोस्तों हमारी सुसाइटी में अवीवी वूमन के हित के लिए और कई सारे इसूस पर इनफ अटेंशन नहीं दिया जाता कई सारे फेमिनिश्ट का मानना ये है कि जब तक महिलाओं को पावर नहीं दिय जाएगी तब तक महिलाओं की प्रॉबलम्स को उतना अटेंशन नहीं मिलेगा तो वूमन्स को पावर में लाने का एक ये तरीका है कि जनता दोरा चुने हुई रिप्रेजेंटेटिब्स में वूमन्स की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए तो इस बात की highest probability है कि वे मेंस के comparison में महिलाओं के लिए better decision ले पाएंगी तो इसके लिए महिलाओं का political representation बढ़ाना होगा पर अगर हम हाली की कुछ सालों का scenario देखें तो woman का proportion legislature में बहुत कम है 2019 में हमारी लोगसभा में total members में से मातर 14.36% member ही woman के रूप में elect हुए थे और State Assembly में तो ये सिर 5% से भी कम था इसी से regarding आप इस graph को देख सकते हो ये 2018 का data है इसमें हमारी इंडिया जायतर countries से पीछे आती है मातर 11% इंडिया वुमन्स नेशनल पारलियामेंट में बैठती है और वहीं अदर countries को देखें जैसे कि Nordic countries, America's तो इनके comparison में हमारी इंडिया बहुत पीछे है वर्ल्ड के average से भी देखें तो वो भी 24% है लेकिन हमारी इंडिया का तो बहुत कम है अगर हमारी इंडिया में कोई महिला चीप मिनिष्टर या प्राइम मिनिष्टर बन भी जाती है तो जो कैबिनेट्स होते हैं उनमें जातर लीडर मेल होते हैं इसलिए उनका इंफ्लूएंस जादा होता है तो इस समस्चा को सॉल्व करने का एक तरीका निकल के आया कि महिलाओं के लिए लीगली रूप से फेर प्रोपोर्शन फिक्स कर देना चाहिए मतलब elected bodies में कुछ हिस्सा फिक्स कर देना चाहिए ताकि महिलाओं को भी election में खड़ा होने का मौका मिले तो इस तरह की process हमारी इंडिया में पंचायती राज यानि की local level पर अपनाई गई है जिसमें बन थर्ड सीट्स, local government bodies में यानि की पंचायत्स and municipalities में महिलाओं के लिए reserve कर दी गई है अब इससे हमें फायदा भी देखने को मिला है आज के समय में more than 10 lakh women representatives, rural and urban local bodies में हैं तो ये तो बात हुई local level पर, यहां तो हमें कुछ अत्तक improvement देखने को मिला है due to बन थर्ड reservation लेकिन what about state and central level इन दो levels पर कैसे improvement आएगा तो इसके लिए भी कई सारी women organizations ने and activists ने ये demand की है कि लोकसवा और state assemblies में भी महिलाओं को बन थर्ड reservation मिलना चाहिए पर ये जो bill था वो पिछले कई decades से pending डला हुआ था और ये pending इशले डला हुआ था क्योंकि जितने भी political parties थी वो नहीं चाती थी कि इस तरीके का कोई bill pass हो क्योंकि पार्टीज में मेल डॉमिनिशन ज़्यादा था जिस वज़े से ये विल काफी टाइम तक पास नहीं हो पाया था लेकिन 2023 में Women's Reservation Act 2023 पास होता है जिसके तहत मैलाओं को 33% reservation मिल जाता है लोकशबा में, State Legislative Assemblies में और साथ में दहली Assembly में भी तो हमने इतनी सारी बाते करी Gender Division से regarding तो इससे हमें ये पता चलता है कि जिस तरीके से Gender Division जैसे मुद्धों को जब politics में लाया जाता है और जब ये political issue बन जाते हैं तो जिन groups को disadvantages face करने पड़ रहे थे उन्हें भी फायदा मिलता है जैसे कि gender division जब political issue बना तो महिलाओं की स्थिती पहले से बैतर हुई है और जैसे जैसे शमय निकलेगा तो हो शक्ता है बैसे बैसे स्थिती और जाता बैतर होती चली जाएगी आये समझ बाएं Next topic है हमारा religion, communalism and politics इस टॉपिक में हम एक अलग तरीके के डिवीजन के बारे में पढ़ेंगे मतलब ऐसे डिवीजन के बारे में पढ़ेंगे जो की धर्म के आधार पर होता है मतलब रिलीजन के बेसिस पर होता है तो रिलीजन के बेसिस पर जो डिवीजन होता है वो जेंडर डिवीजन की तरह यूनिवर्सल तो नहीं होता लेकिन फिर भी रिलीजस डाइवरसिटी काफी जादा है बल्ड वाइट जिस वज़े से रिलीजन के बेसिस पर भी हमें डिवीजन देखने को मिलता है बलकि अलग अलग देशों में भी देखने को मिलता है आईए अब हम कुछ ऐसे points को देखते हैं जो कि religious differences पर based हैं अगर हम ये देखें कि गांधी जी का क्या मानना था religion को लेकर politics में तो गांधी जी का मानना ये था गांधी जी ये मानते थे कि religion can never be separated from politics मतलब उनका मानना ये था कि हम religion को कभी भी politics से अलग करी नहीं सकते उनका मतलब यहां किसी एक religion से नहीं था बल्कि जितने भी रिलीजन होते हैं चाहे वो हिंदुजम हो और चाहे वो इश्लाम हो हर धरम में लोग कई सारी moral values को सीखते हैं तो वो मानते थे कि ऐसी moral values या ethics जो सभी धरमों से जुड़े हैं हमें उनका इस्तिमाल करना चाहिए politics को guide करने में ये गांधी जी का मानना था ये तो बात हुई गांधी जी की कि गांधी जी का क्या बिचारता religion को लेकर politics में अब हम ये देखते हैं कि जो human rights groups होते हैं मतलब ऐसे groups जो की मानबो के अधिकारों के लिए लड़ते हैं उनके क्या बिचार हैं इस विशय पर तो ऐसे लोगों का मानना ये है कि हमारे देश में जब भी कमुनल राइट्स होते हैं मतलब जब अलग-लग धर्मों के लोगों के बीच में जब दंगे होते हैं तो जहाँ तर नुक्षान या लॉश होता है वो ऐसे लोगों का होत मतलब जिनकी population कम होती है ऐसे religious groups जादा सफर करते हैं जैसे मालो ये दो अलग-अलग religion के group हैं तो अगर इनमें दंगा होगा तो obviously इनके victims जादा देखने को मिलेंगे इनको जादा loss होगा क्योंकि ये minority में है तो human rights groups का यही कहना है कि government को कुछ special steps लेने चाहिए to protect religious minority मतलब जिन धर्म के लोग minority में हैं उनके लिए सरकार को प्रोटेक्ट करने के लिए कुछ स्टेप लेने चाहिए इसी तरीके से अगर हम बात करें वूमन्स की तो महिला अंदुलन करताओं का मानना है कि जो फैमिली लॉज होते हैं अलग-लग धर्मों के इन सब के जो लॉज होते हैं अलग-लग रिलीजन में तो इन फैमिली लॉज की बज़े से महिलाएं जादा सफर करती हैं और ऐसे laws बनाने चाहिए जिससे महिलाएं बरावरी का दर्जा महसूस करें तो अभी तक हमने religion and politics को लेकर अलग-अलग लोगों के विचारों को देखा अब हम ये जानते हैं कि क्या बास्तम में religion and politics का relation हमारी democracy के लिए अच्छा है या फिर नहीं है चलिए जानते हैं उन्हें religious practices पर नजर रखनी चाहिए ताकि अगर कोई किसी के साथ भेदवाव करता है या oppress करता है religion के बेशिश पर तो उसे रोका जाना चाहिए अगर हमारी government सभी religions को equal treat करती है तो ऐसे कामों में कोई बुराई नहीं है कहने का मतलब ये है कि अगर हमारी government सभी religion को समान रूप से देखती है तो हम religion को politics से जोड सकते हैं otherwise नहीं आया समझ में next अब हम पढ़ते हैं communalism के बारे में तो सबसे पहले हम ये देखते हैं कि ये कमुनलिजम का मतलब क्या है तो हम एक एक्सांपल लेते हैं जैसे मालो दो कमुनिटी हैं माल लेते हैं एक कमुनिटी X रिलीजन फॉलो करती है और दूसरी कमुनिटी Y रिलीजन फॉलो करती है तो माल लो जो X रिलीजन है वो अगेंस्ट हो जाए बाय रिलीजन के और अपने आपको सुपीरियर मानने लगे हेट करने लगे या उन्हें धवाने लगे तो इस तरह की जो आइडलोजी होती है उससे हम कम्यूनिलिजम कहते हैं तो हम लिख सकते हैं मतलब जब politics में religion को exclusive and partition terms में express किया जाता है जिस बज़े से एक religion दूसरी religion के against में हो जाता है और उसे pittate करने लगता है, खिलाप हो जाता है तो इस तरह की जो ideology होती है उसे हम communalism कहते हैं ये Communalism तब देखने को मिलता है जब एक religion के belief को superior बताया जाता है दूसरी religion के beliefs से और जब एक religious group अपनी demands को दूसरी religious groups के opposition में खड़ी कर देता है तो ये सब देखने को मिलता है Communalism में और जब State Power यानि कि हम Government कह सकते हैं वो भी अगर अपनी powers का इस्तिमाल किसी एक religion के domination या केवल उसे ही बढ़ावा देने के लिए करने लगे तो इस तरह की politics को हम Communal Politics कहते हैं तो हम ऐसा लिख सकते हैं अब हम ये जानते हैं कि कमुनिलिजम में किस थरे की thinking को बड़ाबा दिया जाता है तो कमुनिलिजम में क्या होता है जो एक particular religion की followers होते हैं वो एक ही community से belong करते हैं मतलब एक रिलीजन के लोग अपनी अलगी कमुनिटी बना के रखते हैं और साथ में उनके जो fundamental interests होते हैं वो same होते हैं मतलब एक जैसे होते हैं जारतर लोगों की सोच एक जैसी ही रहती है एक religious community में आपसी मदबेद भी अगर हो जाता है तो इससे पूरी की पूरी community life पर असर नहीं पड़ता है ये एक important point है कमुनिजम का कि जो लोग होते हैं अलगले religions के वो same social community से belong नहीं कर सकते मतलब अलगले religions के लोग एक community में नहीं रह सकते कमुनलिजम में ये माना जाता है कि अलग-अलग religion एक साथ रहने की बात करी नहीं सकते क्योंकि इन्हें समानता देखना पसंद नहीं आता इस तरह की एक साथ रहने की बातों को कमुनलिजम में superficial and immaterial माना जाता है और धर्म के आधर पर ही community बनाना ही अच्छा लगता है कई बार जब कमुनलिजम extreme level पर होता है या अपने peak पर पहुंच जाता है तो एक religion के लोग दूसरे religion के domination में equal citizen के रूप में नहीं रह सकते तो ऐसे में दो अप्सन निकल के या तो उस कमुनिटी के लोगों को दूसरी कमुनिटी के डॉमिनेशन में रहना होगा या फिर उनके लिए एक अलग निशन बनाना होगा मतलब जब कमुनिलिजम एक्स्टीम लेबल पर पहुँच जाता है तो बात निशन के पार्टिशन यानि की बटवारे तक भी पहुँच जाती है जैसे कि इंडिया का जो पार्टिशन हुआ था रिलीजन के बेशिश पर जिसमें कमुनिलिजम एक मेजर रीजन था अब हम ये देखते हैं कि कमुनिलिजम में क्या क्या कमिया है बैसे तो कमुनलिजम पूरा का पूरा कमियों से भरा हुआ है, लेकिन फिर भी चलिए हम कमुनलिजम की कुछ खामियों के बारे में डिसकस करते हैं. जैसे कि हमें पता है कि कमुनलिजम कहता है कि एक कमुनिटी के लोगों के इंटरेस्ट एक जैसे होने चाहिए, उनको एक तरह से ही सोचना चाहिए, पर आप खुश सोचो कि हर एक इंडिविजुल के अलग-अलग रोल होते हैं, अलग-अलग पोजिशन्स होती हैं, और उनकी उनके interests और aspirations हर एक contest में एक जैसे नहीं हो सकते, बलकि सबका सोचना आलग-अलग होता है.

लेकिन फिर भी वो communism के system में फ़स जाते हैं, क्योंकि उनके उपर एक communal और religious ideology का pressure होता है. बैसे तो हर एक community के अंदर कई सारी अवाज उठाई जाती हैं उनके लोगों के द्वारा ही, पर उनकी अवाज ये कहकर दवा दी जाती है कि उनकी विचार गेरधार्मिक है. इस तरह से community की कई सारी voices को सप्रेस कर दिया जाता है अब दोस्तो अब हम ये देखते हैं कि कमुनलिजम हमें पॉलिटिक्स में किन-किन फॉर्म्स में देखने को मिलता है मतलब कमुनलिजम पॉलिटिक्स में कैसे-कैसे रूप ले लेता है मतलब ऐसा नहीं है कि कमुनलिजम अगर पॉलिटिकली देखने को मिल रहा है जैसे कि डेली लाइफ में भी लोग कई सारे डिस्कसन करते हैं कि हमारा रिलीजन अच्छा है, हमारे रिलीजन में ये अच्छी बाते हैं, हमारा रिलीजन ही सारे रिलीजन से सुपीरियर है, ऐसे ही दूसरे गुरुब बाले ये डिस्कसन करते हैं कि हमारा रिलीजन अच्छ दूसरा पॉइंट है कि जो कमुनल माइंड के जो लोग होते हैं वो हमेशा इसी फ्राक में बैठे रहते हैं कि कैसे ही ना कैसे उनके रिलीजियस पाइटी का पॉलिटिकल डॉमिनेंस होना चाहिए इसलिए ऐसी कमुनल माइंड के जो कमुनल माइंड के जो लोग होते हैं वो हमेशा जादा से जादा डॉमिनेंस हासिल करने के प्रयास में रहती हैं और जो कमुनल माइंड के जो लोग होती है वो ये इच्छा में रहती है कि हमारे लिए एक अलग पॉलि� इस point को हम इंडिया पाकिस्तान के point से भी relate कर सकते हैं आया समझ में?

तीसरा point है कि कमुलिजम की एक ऐसी form भी देखी जाती है जिसमें political mobilization होता है इसमें क्या होता है? Political leaders हमारे religious symbols, religious leaders और emotional appeals का इस्तिमाल करते हैं और हमारे emotions के साथ खेलते हैं और इस तरह का डर अपने ही लोगों में बैठा देते हैं कि अगर तुमने support नहीं किया तो हमारा धर्म खतरे में आ जाएगा हम बरबाद हो जाएगे इस तरीके से अपने रिलीजन के लोगों को मूवलाइज किया जाता है राजनीती की छेतर के लिए मतलब इस तरह का डर पैदा कर दिया जाता है कि कोई बोटर अपने रिलीजन के कैंडिडेट के अलाबा किसी और रिलीजन के कैंडिडेट को बोट करने से पहले सोबार सोचेगा चोथा पॉइंट है कई बार क्या होता है कम्यूनलिजम एक ऐसी फॉर्म ले लेता है जो कि बहुत भ्यानक होती है कम्यूनलिजम की चलते कम्यूनल बॉयलेंस रोइट्स मैसकर भी देखने को मिलते हैं जैसे कि इंडिया पाकिस्तान का जो डिवीजन हुआ था उस समय जो कम्युनल रोइट्स यानि की धंगे हुए थे इन फैक्ट पोष्ट इंडिपेंडेंस पीरिड में जो लाज स्केल पर कम्युनल बॉयलेंस देखने को मिली थी आया समझ में? ऐसे में हमारे कंस्टिटूशन मेकर जो थे उन्हें भी ये बात पता थी कि कमुनलिजम हमारे देश की डेमोक्रेसी के लिए एक मेजर चैलेंज बन सकता है। इसलिए उन्होंने हमारे देश के लिए एक ऐसा मोडल चुना जिसकी मदद से कमुनलिजम देखने को ना मिले। और वो मोडल था सेकुलर स्टेट का जिसके लिए कंस्टिटूशन में कई सारे प्रोविजन्स लाये गए ताकि वो भारत को एक सेकुलर स्टेट बना सके। अब ये सेकुलर स्टेट क्या होता है?

तो सेकुलर स्टेट मतलब ऐसा देश जो की धर्म के मामले में न्यूटरल रहता है। और सारे सिटीजन्स को एकुली ट्रीट करता है बिना उसके धर्म को बीच में लाए मतलब एक सैकुलर स्टेट में किसी भी एक रिलीजन को सपोर्ट और अपोज नहीं किया जाता आया समझ में? तो हमारा प्यारा जो भारत है वो ए तो अब question ये arise होता है कि ऐसी कौन-कौन सी चीज़े हैं जो हमारे देश को एक secular state बनाती हैं तो first point है कि हमारे देश में किसी भी religion को official religion के रूप में नहीं चुना गया है वहीं अगर हम बात करें other countries की जैसे की स्रीलंका तो उसमें बुद्धिजम को special status दिया गया है ऐसे ही पाकिस्तान में इसलाम को इंग्लेंड में Christianity को इनको special status दिया गया है पर हमारे देश में ऐसा नहीं है हमारे देश में किसी भी एक religion को special status नहीं दिया गया है दूसरा point है कि हमारा constitution हर एक बेक्ती को और हर एक community को ये आजाधी देता है कि वो अपनी मरजी से किसी भी धर्म को follow कर सकते हैं और उसका प्रचार प्रसार कर सकते हैं तीसरा point है कि हमारा constitution religion के बेशिश पर होने वाले किसी भी तरह के discrimination को prohibited मानता है मतलब according to the constitution धर्म के आधर पर भेदवाव नहीं किया जा सकता फोर्थ पॉइंट है कि हमारा कंस्टिटूशन यह अलाव करता है कि जो गवर्मेंट है वो धार्मिक मुद्दों पर धखल दे सकती है ताकि धर्म के आदर पर एक्वलिटी बनी रहे और ग्राउंड लेबल पर धर्म के आदर पर भेदवाव ना हो सकें। तो अभी हमने जो पढ़ा उससे हमें ये पता चलता है कि सेकुलरिज्म की आइटलोजी ना केवल कुछ पाइटीज और लोगों के द्वारा अपनाए जाने बाली बिचारधारा नहीं है बलकि ये हमारे कंस्टिटूशन का फाउंडेशन है यानकि बेश है इसी आदर पर सारे लीजन खुसी-खुसी रहते हैं ऐसे में कमुनिलिजम केवल हम सब के लिए खतरा नहीं है बलकि हमारे कंस्टिटूशन के लिए भी एक चैलेंज है हमें केवल ऐसा लगता है कि कमुनिलिजम को रोकने के लिए हमारा कंस्टिटूशन इनाफ है बल्कि हमें अपनी डेली लाइफ में जो कम्यूनल प्रजिडूसेस और प्रोपोगेंडा देखने को मिलते हैं जिनसे रिलीजियस बेस्ट मोबिलाइजिशन होता है तो हमें इनसे भी बचना है तब जाके हम कम्यूनलिजम के आइडलोजी से बच सकते हैं तो अभी तक हमने दो तरह के सोसल डिफरेंसेस के बारे में पढ़ा जो की है जेंडर और रिलीजन अब हम पढ़ेंगे तीसरे सोसल डिफरेंस के बारे में जो की है कास्ट और जानेंगे कि कास्ट के बेसिस पर किस तरीके से डिवीजन होता है और साथ में हम political expect भी देखेंगे सबसे पहले हम पढ़ते हैं कास्ट inequalities के बारे में मतलब जाती को लेकर जो inequalities होती हैं उसके बारे में पढ़ते हैं तो gender और religion के बेसिस पर डिवीजन हमें पूरी दुनिया में देखने को मिलता है पर कास्ट के बेसिस पर डिवीजन especially इंडिया में ही देखने को मिलता है दोस्तों हमारी society में social inequalities और काम के आधार पर division देखने को मिलता है जायता societies में क्या होता है जो mostly occupations होते हैं वो एक generation से दूसरी generation में pass on होते हैं जैसे अगर कोई नाई है यानि की बारबर है तो उसका बेटा भी नाई ही बनेगा अगर कोई मटके बनाता है अगर कोई कपड़े दोता है तो उसकी जो future generation होगी और अगर कोई व्यक्ति सूस पॉलिस करता है तो उसकी next generation भी सूस पॉलिस करेगी ऐसे ही अगर कोई साफ सफाई करता है तो उसकी next generation भी साफ सफाई करेगी mostly society में ये system आज भी follow होता है इसलिए follow होता है क्योंकि उनकी caste को उनके काम से जोड़ दिया गया है मतलब कोई लड़का अगर नाई के घर पैदा हुआ है तो वो इस caste system की वज़े से ये ही सोचेगा कि उनका काम किबल बाल बनाना है और society भी उने इसी काम की permission देती है फिर वले ही वो लड़का कोई और काम भी करने लगे लेकिन caste उसके साथ चिपकी रहेगी जिस बजे से उसे सुसाइटी में एक नाई के रूप में ही एक्सप्रेस किया जाएगा भले वो कोई और काम ही क्यों ना कर रहा हो इस तरह का जो सिस्टम है वो एक एक्स्टीम फॉर्म को दरसाता है कास्ट सिस्टम की जिसे Hereditary Occupational Division बोला जाता है Hereditary Occupational Division मतलब इस तरह का Division जिसमें जो वर्क होता है वो Family से Pass On होता है Next Generation के लिए जैसा कि मैंने अभी अभी बताया तो हमारी Indian Society में ये जो Hereditary Occupational Division है वो rituals के द्वारा sanction किया गया है मतलब ये system रीती रिवाजों से जुड़ा हुआ है और काफी पुराने शमय से ये follow हो रहा है अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जो member होते हैं same caste group के वो social community के रूप में दिखने लग जाते हैं जो कि same तरह का या similar काम करते हैं और क्या होता है इसमें साधी भी same caste group में ही की जाती है मतलब एक caste का वेक्ती अपनी same ही caste में साधी करेगा inter caste marriages ज़्यादातर allow नहीं होती अगर आप remote areas में देखोगे तो ये तो एक बहुत बड़ा गुना माना जाता है समाज की नजर में केवल इतना ही नहीं other caste group में तो लोग खाना भी नहीं खाते थे तो इस तरीके से division बढ़ता चला गया और caste system की एक extreme form देखने को मिली तो जब caste system बहुत extreme level पर पहुचा तो जो outcast groups थे मतलब ऐसे caste groups जिनने society में बहुत छोटा माना जाता था या पर नीचा माना जाता था उनके साथ बहुत ज़दा discrimination होने लगा था discrimination इस हद तक बढ़ गया था कि untouchability जैसे समस्या लोगों के बीच में देखने को मिल रही थी मतलब हमारी इंडिया में ये scene हो गया था कि caste discrimination इस हद तक बढ़ गया था कि जो upper caste के लोग थे वो lower caste के लोगों को छूना भी पसंद नहीं कर रहे थे तो इसके लिए कई सारे political leaders ने, social reformers ने जैसे की जोतिवा फूले, मात्मा गांधी, बियार अम्बेटकर और प्रियर रामा श्वामी नाईकर इन सब ने caste inequality को समाज से हटाने के लिए काफी मेहनत की इन सब के effort के बज़े से और other socio-economic changes की बज़े से भारत के caste and caste system में काफी ज़्यादा change आया है और साथ में ये changes इसलिए भी देखने को मिले क्योंकि आमार economic development हो रहा है, large scale urbanization हो रहा है मतलब लोग सहर की तरह बढ़ रहे हैं, हमारे देश की literacy rate और education बढ़ रही है, occupation mobility आ रही है, मतलब कोई भी वेक्ती अपना profession चुन सकता है. साथ में जमीदारी सिस्टम भी खतम हो रहा है, इन सब reasons की बज़े से जो पुराने टाइम की caste हिरार की जो की हमारे देश में जमी हुई थी, उच नीच का जो वेदवा होता था वो अब खतम होता सा नजर आता है. यह आप कभी notice नहीं करते हैं Similarly जब आप किसी restaurant में जाते हैं तो आप यह कभी notice नहीं करते हैं कि आपके सामने वाली chair पर किस caste का बैक्ती बैठा है और नाहीं आपको उस बैक्ती की caste से कोई भी फरक पड़ता है जहाँ तक कि हमारी इंडिया का जो constitution है उसमें भी किसी भी प्रकार के caste discrimination को prohibited किया गया है मतलब जाती को लेकर कोई भी भेदवाव नहीं किया जा सकता पर दोस्तों क्या लगता है आपको कि caste system हमारी इंडिया से completely disappear हो गया है मतलब खतम हो गया है?

नहीं, ऐसा नहीं है, बलकि कास्ट सिस्टम के कुछ पुराने पहलू अभी भी बरकरार हैं, जैसे कि अभी भी जायतर लोग अपनी कास्ट में या अपनी ट्राइब में साधिया करना पसंद करते हैं, अधर कास्ट में लोग अभी भी साधिया करना पसं और साथ में lower caste के लोगों को reservation भी दिया गया है ताकि जो लोग पीछे रह गए हैं समाज में उन्हें भी बराबर किया जाए अब आज के contest में reservation सही है या गलत है ये एक अलग debate है लेकिन तब के contest में reservation बिलकुल सही था अगर आप एक चीज़ देखोगे तो जो upper caste के लोग हैं वो generally आपको economically strong देखने को मिलेंगे वहीं जो lower caste के लोग हैं वो generally आपको economically weak देखने को मिलेंगे जिससे ये बात तो जायर होती है कि caste का economic status से काफी link है मतलब caste का economic status से काफी लिना देना है आया समझ में आगे बढ़ते हैं अब हम पढ़ते हैं caste in politics के बारे में मतलब इसमें हम पढ़ेंगे कि caste को जब politics में लाया जाता है तो क्या scenario रहता है तो जिस प्रकार हमने religion के case में देखा था कि जब religion को सब कुछ मान लिया जाता है अपने religion को ही सबसे उपर मानने लगते हैं तो हमें communalism देखने को मिलता है ऐसे ही ठीक इसी प्रकार से जब caste को यानि की जाती को ही sole basis मान लिया जाता है community का या फिर परम आधार मान लिया जाता है community का तो उसे हम casteism कहते हैं मतलब religion को base मानते हैं तो वो communalism होता है और जब caste को base मानते हैं तो वो casteism होता है तो कास्टिजम में क्या होता है जो लोग सेम कास्ट के होते हैं वो अपनी एक नैचुरल कमुनिटी बना के रखते हैं जिनके इंटरस्ट सेम होते हैं और इनके जो इंटरस्ट होते हैं वो दूसरी जाती के लोगों से अलग होते हैं तो जैसे कि हमने कमुनिलिजम में देखा था कि कैसे कमुनिलिजम पॉलिटिक्स में अलग अलग फॉर्म ले लेता है ठीक उसी प्रकार से अब हम ये देखेंगे कि कास्ट पॉलिटिक्स में किस किस तरह की फॉर्म ले लेती है या हम ये भी कह सकते हैं कि कास्ट पॉलि तो कास्ट पॉलिटिक्स में कई सारी बेरियस फॉर्म्स ले सकती है चलिए उन सारी फॉर्म्स को डिसकस करते हैं फ़र्स्ट पॉइंट है जब पॉलिटिकल पार्टी चुनाओं के लिए कैंडिडिट चूस करती है तो वो अपने माइंड में ये चीज ध्यान रखती है कि उस इलेक्टोरेट में कास्ट का कंपूजिशन क्या है मतलब कौन सी कास्ट जादा है ताकि वो उसी कास्ट के कैंडिडिड को खड़ा करे इलेक्शन में ताकि उन्हें इलेक्शन जीतने के लिए नेसिसरी सपोर्ट मिल जाए मतलब पार्टी किसी भी कैंडिडेट को टिकेट देने से पहले ये जरूर देखती है कि उस रीजन में किस कास्ट के लोगों की मिजॉर्टी है तब ही वो कैंडिडेट को चूज करती है इसके अलावा जब गवर्मेंट फॉर्म की जाती है तो पॉलिटिकल पार्टी ये बिसेश ध्यान रखती है कि रीपरेजेंटेटिव्स डिफरेंट कास्ट और ट्राइब से होने चाहिए ताकि उनकी पकड़ जादा से जादा कास्ट क्रॉप्स में बनी रहे आया समझ में दूसरा पॉइंट है पॉलिटिकल पार्टी और केंडिडेट्स इलेक्सन जीतने के लिए cast sentiments के साथ खेलते हैं मतलब उनकी भावनाओं के साथ खेलते हैं ताकि वो जाज से जादा उस कास्ट का सपोर्ट गैदर कर सके और बिचारे जो बोटर्स होते हैं वो बैकावे में आ जाते हैं क्योंकि उन्हें ये लगता है कि हमारी कास्ट की ये कितना सोच रहे हैं फिर बाद में पता चलता है कि उनके साथ तो खिलवाड हुई है तीसरा पॉइंट है हमारी इंडिया में यूनिवर्सल अडल फ्रंचाइसी देखने को मिलती है मतलब हर एक बेक्ती के पास अपना एक बोट है तो जो political parties होती हैं उन्हें भी ये बात पता होती है कि हर एक board की equal value है तो वो जाद से जादा लोगों को mobilize करने का प्रियास करती हैं जिस बज़े से जिन लोगों को अभी तक भी छोटा माना जाता था उन्हें भी एक मौका मिल जाता है अपनी बात रखने का क्योंकि political parties उनको भी mobilize करने का प्रियास करती हैं क्योंकि हर एक board की equal value होती है जिस बज़े से political party किसी भी caste को छोटी या नीची नजर से नहीं देख पाती क्योंकि उन्हें सब को बराबर देखना पड़ता है because every vote have equal value आया समझ में? तो अभी तक हमने जितना भी पड़ा उससे हमें ये समझ में आया कि कास्ट बहुत जादा role play करती है पॉलिटिक्स में पर ऐसा क्या हमेशा होता है? नहीं कई बार कास्ट पॉलिटिक्स में इतना जादा role play नहीं करती इसके लिए हम कुछ point discuss करते हैं कि कास्ट का पॉलिटिक्स में हमेशा असर नहीं पड़ता जैसा कि पहला पॉइंट है हमारी कंट्री में किसी भी पारलिमेंटरी कंस्टिट्यूएंसी में क्लियर मिजॉर्टी नहीं आई है एक सिंगल कास्ट की बज़े से इसलिए हरे केंडिडिट या पार्टी को एलेक्शन जीतने के लिए एक से जादा कास्ट या कमोनिटी का बिस्वास जीतना पड़ता है अकेली एक कास्ट से काम नहीं चलता दूसरा पॉइंट है कि कोई भी पार्टी किसी एक कास्ट या कमोनिटी के सभी लोगों के बोट हासल नहीं कर सकती भले ही वो उसका बोट बेंक ही क्यों ना हो जैसे कि अगर कोई पार्टी कहती है कि राजपूत समाज मेरा बोट बैंक है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि सारे के सारे राजपूत के बोट उस पार्टी को मिल जाएंगे, बलकि इसका मतलब ये है कि उस पार्टी को मिजॉर्टी और बोट मिल जाएंगे राजपूत के तीसरा पॉइंट है कि कई सारी पॉलिटिकल पार्टी सेमी कास्ट के केंड्रेट को खड़ा कर देती हैं जब उन्हें ये लगता है उस कास्ट का डॉमिनेस जा तो ऐसे में जो voters होते हैं उनके पास semi-caste के एक से जादा option होते हैं vote करने के लिए वहीं कुछ voters ऐसे भी होते हैं जिनकी caste का एक भी candidate नहीं होता आये समझ में फोर्थ point है हमारे देश में जो ruling party है और जो MPs और MLA होते हैं वो अकसर हारते रहते हैं तो आप खुश सोचो कि अगर ये caste की majority की बज़े से जीतते हैं तो इन्हें तो हर बार जीतना चाहिए पर ऐसा नहीं होता तो इससे हमें क्या पता चलता है कि politics में caste तो matter करती है पर इसके साथ साथ कई अन factors भी जरूरी होते हैं हमेशा caste ही matter नहीं करती कई बार तो voters अपनी caste से जितना attached रहते हैं अक्सर उससे ज़्यादा attached वो political parties से रहते हैं for example अगर कोई ऐसा voter है जो BJP party से काफी ज़्यादा influenced है तो ऐसे में वो वोटर उसी पार्टी के कैंडिडेट को बोट करेगा भले ही वो उसकी कास्ट का हो या ना हो और अदर पार्टीज में अगर उसकी कास्ट का कैंडिडेट ही क्यों ना खड़ा हो फिर भी उसकी प्रेफरेंस बीजेपी की तरफ ही जाएगे क्योंकि बोटिंग के टाइम उसने कास्ट को सेकंडरी रखा आया समझ में लास्ट अब हम पढ़ते हैं पॉलिटिक्स इन कास्ट मतलब अभी हमने पढ़ा कास्ट इन पॉलिटिक्स मतलब कास्ट पॉलिटिक्स में क्या रॉल प्ले करती है राजनीती में जाती का क्या रॉल रहता है लेकिन इसमें हम पढ़ेंगे कि कास्ट में पॉलिटिक्स क्या रोल प्ले करती है मतलब पॉलिटिक्स के चक्कर में कास्ट पर क्या असर पढ़ता है यही हम इस टॉपिक में जानेंगे तो कास्ट गुरूप अपने नेवरिंग कास्ट और सब कास्ट को एकटे करने की कोसस करता है बले ही वो सुरुवात में अलग अलग हो लेकिन एलेक्शन के टाइम पर सब को एक साथ लाने का प्रयास किया जाता है ताकि जब party या candidate vote मांगने आए तब उनका बोल वाला जादा हो तो उनको जादा जादा favor मिले और obvious ही बात है कि जो political party या candidate होगा वो एक बड़े group को जादा importance देगा as compared to small group क्योंकि बड़े group का vote bank बड़ा होगा उसे वहाँ से जादा vote मिलेंगे आए समझ में तो यहाँ पर ध्यान से सोचना कि यहाँ पर politics के चक्कर में caste पर असर पड़ रहा है कि कास्ट का असर पॉलिटिक्स पर पड़ रहा था यहां उल्टा है यहां बेसिकली ये देख रहे हैं कि पॉलिटिक्स का असर कास्ट पर क्या पड़ता है हाँ समझ में दूसरा पॉइंट है कि जब अलग-अलग कास्ट गुरुप कॉलोइजन बनाते हैं मतलब एक साथ आते हैं एलेक्शन के लिए मतलब आपस में कई सारे समझोते किये जाते हैं तीसरा point है कि politics की बज़े से नए तरह के caste groups भी form हो जाते हैं जैसे कि backward class, forward class ताकि राजनीती की छेतर के लिए उनको आसानी से target किया जा सके आया समझ में?

तो अब यहाँ पर एक question arise होता है कि जो ये caste based politics होती है वो सही होती है या गलत होती है? चलिए जानते हैं तो caste का politics में आना या politics का caste में आना सही भी हो सकता है और गलत भी हो सकता है क्योंकि कास्ट डिफरेंट टाइप ओफ रॉल प्ले करती है पॉलिटिक्स में तो हम दोनों एक्सपेक्ट को समझते हैं तो सबसे पहले हम पॉजिटिव रॉल देखते हैं एक बात हम जानते हैं कि एलेक्शन के टाइम पर जो पॉलिटिकल पार्टीज होती हैं ऐसे कास्ट ग्रुप्स या ऐसे कमुनिटीज जिने पहले पूछा नहीं जाता था मतलब जिने पहले डिसएडवांटेजेस फेस करने पड़ते थे अब चुकी एलेक्शन है तो उन्हें हर पार्टी टार्गेट करेगी ऐसे में उन्हें एक मौका मिल जाता है अपनी बात आगे रखने का और पावर आसल करने का तो हम लिख सकते हैं एक्सप्रेशन अफ कास्ट डिफरेंसिस इन पॉलिटिक्स गिप्स मैनी डिसएडवांटेज्ड कमोनिटी दा स्पेश टू डिमांड देर सेर अफ पावर आया समझ में जो बैकवार्ड क्लासेस के लोग होते हैं जैसे कि दलिट्स और OBC कास्ट के जो लोग होते हैं उनको काफी ज़दा फायदा मिलता है क्योंकि काश्ट पॉलिटिक्स की बज़े से उनके लिए बहतर डिसीजन लिये जाते हैं तीसरा पॉजिटिव रॉल ये देखने को मिलता है कि जो सेवरल पॉलिटिकल और नॉन पॉलिटिकल ओर्गनाइजिशन्स होते हैं वो काश्ट पॉलिटिक्स की बज़े से ऐसे मुद्धों पर भी अबाज उठाने लगते हैं जैसे कि डिस्क्रिमिशन खतम होना चाहिए जातियों को लेकर तो इस तरह के points भी सामने उबर कर आते हैं तो ये तो हमने positive role देखे कास्ट politics के अब हम negative roles देखते हैं तो negative roles देखने को तम मिलते हैं जब हम कास्ट को ही सबसे उपर मानने लगते हैं मतलब जब politics अकेली कास्ट identity के basis पर ही होने लगे तो वो हमारी democracy के लिए बहुत ज़ादा unhealthy माना जाता है तो बड़े और जरूरी issues जो होते हैं जैसे कि poverty, development, corruption इन पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना देना चाहिए बलकि इन पर ध्यान देना जादा ज़रूरी होता है rather than caste तीसरा negative role ये देखने को मिलता है कि इसी caste based politics की बज़े से कई बार tension इतना ज़ादा बढ़ जाता है कि हमें conflicts और violence भी देखने को मिलता है तो यहाँ पर हमारे ये chapter खतम होता है आयोप आपने इस chapter से कई सारी नई बाते सीखी होंगी ये chapter हमारे exam के लिए ही नहीं बलकि हमारे real life के लिए भी काफी ज़रूरी था जिसे आज हमने इस वीडियो में कबर किया मिलते हैं नेक्स वीडियो में तब तक के लिए टेक क्यार बाइ