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Business Studies: Types of Cooperative Societies and Companies

व्हाट्स अप एवरीवन वेलकम बैक टू द चैनल दिस इज डे 16 ऑफ आवर 100 डेज कॉमर्स प्रो सीरीज और आज की इस क्लास में हम लोग हमारे चैप्टर नंबर टू ऑफ बिजनेस स्टडीज को ऑलमोस्ट कंप्लीट कर देंगे ऑलमोस्ट क्या कंप्लीट ही कर देंगे और फिर हम अगले वीक से बिजनेस स्टडीज में चैप्टर नंबर थ्री शुरू कर पाएंगे तो बहुत शानदार रहने वाली है आज की क्लास बहुत ध्यान से समझना जो भी बुक आप फॉलो करते हो साथ साथ ओपन कर लो ताकि आप मार्किंग्स कर पाओ इंपॉर्टेंट टॉपिक्स को लिख पाओ और फिर अच्छे से लर्न कर पाओ तो चलिए शुरू करते हैं और समझना शुरू करते हैं कि चैप्टर नंबर टू में और क्या-क्या है कैसे अब आप कंपनीज बना सकते हो चलिए जल्दी से लेट्स [संगीत] [संगीत] बिगन तो बेटा जी हमने लास्ट क्लास में कोऑपरेटिव सोसाइटीज के बारे में पढ़ा था कि कैसे एक कोऑपरेटिव सोसाइटी काम करता है आप 10 एडल्ट मेंबर मिलके कोऑपरेटिव सोसाइटी बना सकते हो बहुत सारा पैसा बच सकता है और थोड़ा बहुत छोटा-मोटा बिजनेस भी हो सकता है अब कोऑपरेटिव सोसाइटीज कितने तरीके की हो सकती हैं बेटा जी छह तरीके की कोऑपरेटिव सोसाइटीज हो सकती हैं यह बहुत ही आसान सा टॉपिक है सबसे पहला कंज्यूमर कोऑपरेटिव सोसाइटीज फिर प्रोड्यूसर फिर मार्केटिंग फिर क्रेडिट फिर फार्मर फिर हाउसिंग सबसे पहले कंज्यूमर कोऑपरेटिव सोसाइटी समझो बेटा जो नाम है ना वैसे ही लोग इसके अंदर मेंबर बनेंगे कंज्यूमर कोऑपरेटिव सोसाइटी का मतलब है कि जितने भी कंज्यूमर्स हैं वो सब मिलजुल के आएंगे सस्ते में सामान लेंगे बल्क में और अपना-अपना पैसा सेव करेंगे तो कंज्यूमर कोऑपरेटिव सोसाइटी के जो मेंबर्स होने वाले हैं वो सब कहीं ना कहीं कंज्यूमर्स होने वाले हैं ठीक है प्रोड्यूसर कोऑपरेटिव सोसाइटी के मेंबर्स कौन होंगे सारे के सारे प्रोड्यूसर्स यहां पे सारे प्रोड्यूसर्स मिलके आएंगे और इंडिविजुअली ना बेच के बल्क में अपना सामान बेचेंगे तो उनको ज्यादा बड़ा मार्जिन होगा देखो जितना बड़ा बिजनेस होता है उतना मार्जिन बड़ा होता है तो जब सब प्रोड्यूसर्स मिल जाएंगे बल्क में प्रोडक्शन करेंगे बल्क में बेचेंगे तो फिर उस सिनेरियो में ऑफकोर्स आपको मार्जिन ज्यादा होगा ठीक है तीसरा होता है मार्केटिंग कोऑपरेटिव सोसाइटीज इसके अंदर मार्केटिंग मिलजुल के करी जाती है इसके अंदर सामान को मार्केट अच्छे से किया जाता है सामान को बेचा अच्छे से जाता है कंज्यूमर जो कंज्यूमर लोग मिलके आएंगे प्रोड्यूसर जो बनाने वाले आएंगे मार्केटिंग में यही लोग यहां पे आके अपना सामान इकट्ठा बेच सकते हैं सेल कर सकते हैं लोगों तक पहुंचा सकते हैं उसके बाद क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीज इसका काम होता है उधार देना मेंबर्स को ही पैसे की जरूरत है किसी काम के लिए कोई बिजनेस करना है पैसे की जरूरत है तो सोसाइटी एक अच्छे रेट ऑफ इंटरेस्ट पे बैंक से सस्ते रेट ऑफ इंटरेस्ट पे उधार दे देती है उसको बोलते हैं क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी फार्मर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी अब देखो आपको पता चल गया होगा किसकी होगी किसान लोगों की होगी फार्मर्स आपस में मिलके काम करेंगे तो उसको बोलेंगे फार्मर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी हाउसिंग सोसाइटी का क्या काम होता है आपको या तो प्लॉट देना इंस्टॉलमेंट प या सस्ते रेट ऑफ इंटरेस्ट पर लोंस देना ताकि आप हाउसेस ले सको तो इनका यह यूजुअली बने बनाए या तो घर देते हैं या प्लॉट्स देते हैं इंस्टॉलमेंट्स पे आइए इनके बारे में एक एक बार अच्छे से डिस्कशन कर ले देखो सबसे पहले हमारे पास आ रही है कंज्यूमर कोऑपरेटिव सोसाइटी प्रोड्यूसर कोऑपरेटिव सोसाइटी और मार्केटिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी अब देखो कंज्यूमर का काम क्या है कंज्यूमर को सेव करना प्रोड्यूसर का क्या काम है प्रोड्यूसर की हेल्प करना मार्केटिंग में प्रोड्यूसर्स को अपना सामान बेचने में हेल्प करती है कंज्यूमर कोऑपरेटिव सोसाइटी में कंज्यूमर्स ही हैं जो मेंबर्स होते हैं जिनको अच्छा सामान चाहिए रीजनेबल प्राइस पे इनका एम क्या होता है इकोनॉमी लेके आना यानी सामान सस्ता पड़े क्योंकि बल्क में खरीदेंगे डायरेक्टली किससे होलसेलर से भाई इंडिविजुअली एक-एक कंज्यूमर सामान खरीदता है तो महंगा पड़ता है बल्क में अगर 500 लोगों का सामान इकट्टा खरीद जाएगा तो होलसेलर से खरीद सकते हो सस्ता पड़ेगा है ना यही इनका काम होता है और फिर अगर यह चाहे तो फिर उसको प्रॉफिट भी बीच में बना सकते हैं भाई फॉर एग्जांपल आटा 25 किलो बचता है मार्केट में मिलता है जब आपने बल्क में खरीदा तो आपको ₹ पर केजी मिल गया अब सोसाइटी ने क्या करा ₹2500000 लगाया होता है तो यह हमारी कंज्यूमर कोऑपरेटिव सोसाइटी होती है प्रोड्यूसर कोऑपरेटिव सोसाइटी में कौन मेंबर्स होते हैं प्रोड्यूसर्स होते हैं जिनका मकसद क्या होता है इनपुट मिल जाए उनको सस्ते रेट पे इनपुट का मतलब रॉ मटेरियल सस्ता मिल जाए किसी भी तरीके का कोई सामान चाहिए तो वो सस्ता मिल जाए क्योंकि बल्क में खरीद सकते हैं ये भी तो इजी पड़ेगा सस्ता पड़ेगा सोसाइटी एम्स टू फाइट अगेंस्ट द बिग कैपिटल जो बड़े-बड़े कैपिटिस हैं जो बड़े-बड़े बिजनेसमैन हैं अब एक छोटा बिजनेसमैन उससे नहीं लड़ सकता मार्केट में जाके लेकिन अगर सोसाइटी होगी जिसमें बहुत सारे प्रोड्यूसर्स होंगे आसानी से फाइट कर सकते हैं उसके अगेंस्ट है ना और अच्छा प्राइस मिलेगा उनको अपने प्रोड्यूस का सही हो गया कोई भी प्रॉफिट होगा तो वह सब लोग आपस में बांट लेंगे मार्केटिंग में क्या करते हैं यह सामान बेचते हैं अच्छे तरीके से बल्क में बेच सकते हैं द मेंबर्स कंसिस्ट ऑफ प्रोड्यूसर्स हु विश टू ऑब्टेन रीजनेबल प्राइस फॉर देयर आउटपुट सोसाइटी का एम होता है मिडल मैन खत्म करना अच्छा कंपटिंग पोजीशन लेके आना अपने मेंबर्स के लिए ताकि उनको अच्छे से प्राइस मिल सके अच्छे से आगे बढ़ सके वो प्रॉफिट कोई भी होता है तो वह मेंबर्स में ही डिस्ट्रीब्यूटर है तो तीन चीज समझ गए यह कंज्यूमर्स के लिए ये प्रोड्यूसर्स के लिए ये सेल करने के लिए उसके बाद कौन सा आता है हमारे पास फार्मर्स फार्मर्स में आप जानते ही हो फार्मर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी में कौन लोग होंगे सारे फार्मर्स होंगे है ना देखो क्या लिखा है दे प्रोटेक्ट द इंटरेस्ट ऑफ फार्मर्स बाय प्रोवाइड बेटर इनपुट्स एट रीजनेबल कॉस्ट फर्टिलाइजर चाहिए इंसेक्टिसाइड चाहिए पेस्टिसाइड्स चाहिए कोई मशीनें चाहिए तो वो सही रेट पे मिल जाती हैं जब आप एज अ सोसाइटी जाके बाय करते हो है ना मेंबर्स में फार्मर्स होते हैं जो जॉइंट फार्मिंग एक्टिविटी करते हैं मिलजुल के जॉइंट एक्टिविटीज करेंगे एम क्या है इसका भी लार्ज स्केल फार्मिंग करें और ज्यादा पैसा कमा पाएं तो यह सब फार्मर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी में आ जाता है प्रॉफिट कोई भी होगा फिर से तो आपस में डिस्ट्रीब्यूटर चीजें हैं जो अभी तक आप देखते आए हो क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी इजी लोन मिलना रीजनेबल टर्म्स पे यह लोग क्या करते हैं लोन देते हैं अपने मेंबर्स को और फिर बहुत लो रेट ऑफ इंटरेस्ट चार्ज करते हैं सही है यह भी आपको पता होना चाहिए इनका एम क्या है दस सोसाइटीज इज टू प्रोटेक्ट द मेंबर्स फ्रॉम द एक्सप्लोइटेशन ऑफ द लेंडर्स जो बहुत उल्टे सीधे रेट ऑफ इंटरेस्ट चार्ज करते हैं क्योंकि यह सही रेट ऑफ इंटरेस्ट प देती है तो एक्सप्लोइटेशन नहीं होता किसी भी मेंबर का ठीक है हाउसिंग मकान मिलेंगे या प्लॉट्स मिलेंगे दे हेल्प पीपल विद लिमिटेड इनकम टू कंस्ट हाउसेस एट रीजनेबल कॉस्ट मेंबर्स ऑफ सोसाइटीज कंसिस्ट ऑफ पीपल हु आर डिजायरस ऑफ प्रोक्योरिंग रेजिडेंशियल अकोमोडेशन रेजिडेंशियल का मतलब जिसमें एक इंसान रह सके द एम इज टू सॉल्व द हाउसिंग प्रॉब्लम्स ऑफ द मेंबर्स बाय कंस्ट्रक्टिंग हाउसिंग एंड गिविंग देम ऑप्शन ऑफ पेइंग इन इंस्टॉलमेंट्स हाउसेस बना के दे देंगे और उनको ऑप्शंस देंगे कि भैया आप किश्तों में पेमेंट कर सकते हो इसको बोला जाता है कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटीज समझ गए तो यह बच्चों हमारे मेरे पास इसका भी स्क्रीनशॉट ले लो छह तरीके की सोसाइटीज होती हैं कंज्यूमर प्रोड्यूसर फार्मर मार्केटिंग क्रेडिट और हाउसिंग ठीक हो गया इसका जल्दी से स्क्रीनशॉट लेंगे अब हम चलते हैं हमारा लास्ट फॉर्म ऑफ बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन जो कि है कंपनी कंपनी बनानी है तो कैसे चलेगा अब देखो बेटा जो जॉइंट स्टॉक कंपनी होता है वोह लास्ट फॉर्म ऑफ बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन होता है आपने सोल प्रोपराइटरशिप पढ़ा पार्टनरशिप पढ़ा कोऑपरेटिव सोसाइटी पढ़ा एचयूएफ पढ़ा या फिर जॉइंट हिंदू फैमिली बज बोल लो लास्ट आता है कंपनी सर अगर मुझे कंपनी बनानी है तो कैसे बनाऊ और कंपनी होती क्या है देखो कंपनी बच्चे दो तरीके की कंपनीज हो सकती हैं या तो प्राइवेट कंपनीज होती हैं या पब्लिक कंपनीज होती हैं प्राइवेट कंपनी में क्या होता है पैसा आप ही का लगा होता है बस जैसे अगर मेरी कंपनी है फॉर एग्जांपल उस कंपनी में जो भी रिसोर्सेस हैं मैंने खुद ही लगाए हैं मैंने किसी से बाहर से कोई पैसा रेज नहीं करा मैंने अपने घर से ही पैसा लगाया है और उस कंपनी में दो ही मेंबर है मैं मेरा भाई या मैं मेरे पापा या मैं कोई भी मेरा एक फ्रेंड हो सकता है हम दो लोगों ने मिलके प्राइवेटली अपना पैसा लगाया और एक कंपनी बनाई सर कंपनी क्यों बनाते हैं लोग देखो कंपनी बनाने का मोटिव ये होता है एक तो कंपनी का ना सेपरेट लीगल एक्जिस्टेंस होता है कंपनी का अपना पहचान होता है अपना नाम होता है कंपनी अपने नाम से लोन ले सकती है कंपनी अपने नाम से किसी भी कांट्रैक्ट में एंटर कर सकती है प्रॉपर्टी खरीद सकती है कंपनी कुछ भी कर सकती है तो कंपनी की इज्जत बहुत है मार्केट में दूसरी बात कल को आपका मन करे कि यार आपको पब्लिक से पैसा रेज करना है तो पब्लिक का भी इंटरेस्ट रहता है किसी भी कंपनी में पैसा इन्वेस्ट करने में क्यों क्योंकि कंपनीज बहुत फास्ट ग्रो करती हैं लोग शेयर्स बाय करते हैं ना क्यों बाय करते हैं क्योंकि अगर वह पैसा अपने घर में रखेंगे तो वो उतना ही रहेगा इवन कम होता चला जाएगा क्योंकि पैसे की वैल्यू कम होती है टाइम के साथ जो चीज आज ₹1 की है जो आज 100 में आ जाती है 1 साल बाद शायद उस 100 में वो ना आए तो 100 की वैल्यू कम हो गई ना वहीं अगर आपने वो ₹1 किसी कंपनी में लगाए हैं इन्वेस्ट करे हैं शेयर्स खरीदे हैं तो कंपनी ने जो प्रॉफिट कमाया होगा वो आपको भी देगी क्योंकि पैसा तो आपने भी लगाया है कंपनी में तो वहां से आपके पैसे की वैल्यू बढ़ती है इसीलिए लोग कंपनीज में पैसा इन्वेस्ट करते हैं तो कंपनी को आसानी से पब्लिक से भी पैसा मिल जाता है पब्लिक से लोन भी मिल जाता है पब्लिक से पैसा भी मिल जाता है तो जब हम कंपनी की बात करते हैं बच्चों तो कंपनी है क्या कंपनी तीन शब्दों का एक कोलबो मेशन है एक तरीके से जॉइंट स्टॉक कंपनी जॉइंट का मतलब होता है कलेक्टिवली स्टॉक का मतलब होता है शेयर्स एंड डिबेंचर ठीक है स्टॉक का मतलब होता है शेयर्स हो डिबेंचर हो राइट और कंपनी का मतलब एक लीगल एंटिटी जो कि एसोसिएशन ऑफ पीपल से बनी है तो कंपनी को हम बोलते हैं एक सेपरेट लीगल एंटिटी यानी एक अपनी पहचान है जो कि एक एसोसिएशन ऑफ पीपल को रिप्रेजेंट कर रहा है जो कलेक्टिवली सारा बिजनेस कर रहे हैं और सिक्योरिटीज को ओन कर रहे हैं तो कंपनी कैन बी डिस्क्राइब्ड एज एन आर्टिफिशियल पर्सन आर्टिफिशियल पर्सन का मतलब बच्चों नेचुरल पर्सन हमारे जैसा पर्सन तो नहीं है लेकिन फिर भी हमारे जैसा सारा काम कर सकता है तो आर्टिफिशियल पर्सन है सेपरेट लीगल एंटिटी है अपना खुद का पहचान है परप चुअल सक्सेशन है परप चुअल सक्सेशन का मतलब होता है बेटा कंपनी कभी बंद नहीं होती लोग आते जाते रहते हैं मेंबर्स आते जाते रहते हैं कंपनी गो ऑन फॉरएवर य देख लो धीरू भाई अंबानी ने बनाई थी मुकेश अंबानी ने चलाई अभी आज आकाश अंबानी चला रहे हैं तो बहुत सारी ऐसी मल्टीपल कंपनीज हैं जो जनरेशन जनरेशन टाइम से चल रही है है ना तो हो क्या रहा है कंपनी एक आर्टिफिशियल पर्सन है सेपरेट लीगल एंटिटी है परपे चुअल सेशन है और एक कॉमन सील होता है कंपनी का कॉमन सील का मतलब होता है बेटा सिग्नेचर होता है कंपनी अपने नाम से कांट्रैक्ट कर सकती है तो साइन तो करेगी ना तो स्टैंप को कॉमन सील बोला जाता है देखो कंपनी जो है वो कंपनीज एक्ट 2013 2013 के थ्रू सारा का सारा काम होता है रजिस्ट्रेशन इसी में होता है पहले कंपनीज एक्ट 1956 चलता था अभी 2013 चलता है ठीक है एज पर सेक्शन टू सबसेक्शन 20 ऑफ द एक्ट अ कंपनी मींस अ कंपनी इन इनकॉरपोरेटेड अंडर दिस एक्ट यानी कि रजिस्टर होनी चाहिए या तो 2013 में या उससे पहले वाले किसी एक्ट में ओनरशिप ऑफ द कंपनीज रिप्रेजेंटेड थ्रू इट्स शेयर होल्डर्स जो कंपनी के ओनर्स हैं वो शेयर होल्डर्स होते हैं शेयर होल्डर्स का मतलब कितना किसके पास हिस्सा है फॉर एग्जांपल 100 से कंपनी शुरू करी है और चार लोगों ने करी है कितने-कितने पैसे लगा के 25 25 25 25 तो देखो चार शेयर होल्डर हो जाएंगे एक के पास 25 पर हिस्सा है तो यह चार ओनर्स हैं इस कंपनी के समझे तो शेयर होल्डर बेसिकली ओनर्स ऑफ द कंपनी होते हैं उसके बाद कंपनी को मैनेज कौन करता है मैनेज करते हैं बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तो कंपनी में ओनर्स अलग होते हैं और मैनेजर्स अलग होते हैं मैनेजमेंट किसके हाथ में है बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के हाथ में वो आप अपॉइंट्स है ठीक है समझ गए चलो सर कंपनी के क्या-क्या फीचर्स होंगे चार तो मैंने आपको पढ़ा ही दिए आर्टिफिशियल पर्सन होगा यानी एक अपना इंडिविजुअल उसका पह चान है सेपरेट लीगल एंटिटी होगी अपने नाम से कुछ भी कर सकती है प्रॉपर्टी खरीद सकती है कांट्रैक्ट्स में एंटर कर सकती है तो सेपरेट लीगल एंटिटी है उसके बाद बच्चों क्या है फॉर्मेशन कैसे फॉर्म होगी फॉर्म हो सकती है रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा आपको 1956 में या 2013 में अब तो 2013 चलेगा परपे चुअल सक्सेशन है बच्चों परपे चुअल सक्सेशन का मतलब कंपनी में गो ऑन फॉरएवर कंपनी बंद नहीं होती है लोग आते जाते रहते हैं कंपनी चलती रहती है कंट्रोल किसके हाथ में रहेगा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के हाथ में ओनरशिप किसकी है शेयर होल्डर्स की है लेकिन मैनेजमेंट सारा का सारा कौन देखते हैं बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स देखते हैं ठीक है लायबिलिटी कितनी होती है बेटा कंपनी में कंपनी में बाबू लायबिलिटी लिमिटेड होती है जितने आपके शेयर्स हैं जैसे ₹1 में मैंने ₹ के शेयर होल्डिंग रखी हुई है तो मैं 25 पर के लिए ही लायबल हूं उससे ज्यादा के लिए मैं लायबल नहीं हूं मेरी लायबिलिटी लिमिटेड है जितना मैंने कैपिटल इन्वेस्टमेंट किया है उतना ही मेरे पर्सनल एसेट से कोई मतलब नहीं है ठीक है तो लायबिलिटी लिमिटेड होती है इसके अंदर कॉमन सील मैंने आपको बता दिया सिग्नेचर ऑफ द कंपनी कंपनी आर्टिफिशियल पर्सन है जो अपने नाम से काम करती है तो उसको कुछ ना कुछ तो ऑथेंटिकेट करना पड़ेगा ना डॉक्यूमेंट को कैसे करोगे कॉमन सील से रिस्क बेयरिंग रिस्क जो है बेटा व सभी ओनर्स का होता है यानी शेयर होल्डर्स का होता है तो डिस्ट्रीब्यूटर होता है ठीक है मेरिट्ज लायबिलिटी नहीं है जितना आपने पैसा लगाया है आप उतने के लिए ही लायबल हो अ कंपनी हैज अ डिस्टिंक्ट आइडेंटिटी एंड ओनली द एसेट्स ऑफ द कंपनी कैन बी यूज टू सेटल द डेट्स द लायबिलिटी ऑफ द शेयर होल्डर्स इज लिमिटेड शेयर होल्डर्स की लायबिलिटी लिमिटेड है कितने हद तक लिमिटेड है जितना उन्होंने कैपिटल कंट्रीब्यूट करा है बस उतना उतना दूसरा ट्रांसफर ऑफ इंटरेस्ट ट्रांसफर ऑफ इंटरेस्ट का मतलब क्या आप अपना हिस्सा किसी और को ट्रांसफर कर सकते हो बिल्कुल कर सकते हो बच्चों अगर मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अब इस कंपनी के साथ नहीं रहना चाहता तो मेरे पास जितनी भी शेयर होल्डिंग है मैं उसको सेल कर सकता हूं किसी और इंसान को यानी मेरे पास अगर 100₹ में से ₹2500000 कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी कभी भी स्टेबल एजिस्ट मेंस रहता है कंपनी चलती रहती है चलती रहती है चलती रहती है एक्सपेंशन आसानी से हो सकता है सर एक्सपेंशन आसानी से क्यों हो सकता है क्योंकि पैसा आसानी से मिल जाता है चाहे आप लोन ले लो चाहे आप बैंक से लोन ले लो चाहे आप पब्लिक से पैसा रेज कर लो पैसा आसानी से मिलता है कंपनी को एक्सपेंशन में कोई प्रॉब्लम नहीं आती उसके बाद बच्चों मैनेजमेंट प्रोफेशनल होता है इसके अंदर बहुत सारे प्रोफेशनल्स हायर करे जाते हैं क्वालिटी से काम होता है इनको फंड्स की कोई कमी नहीं होती तो इसीलिए कंपनी के अंदर यूजुअली मैनेजमेंट काफी प्रोफेशनल होता है बहुत अच्छे से कर रहे होते हैं अच्छा ह्यूमन रिसोर्स हायर करते हैं तो किसी भी तरीके की कोई प्रॉब्लम कंपनी की वर्किंग में नहीं आती तो यह भी सबसे बड़ा मेरिट है कि प्रोफेशनली कंपनी रन करी जाती है यह सारे बेटा एडवांटेजेस हैं आप लोग को अगर आप कंपनी बनाते हो डिसएडवांटेजेस की अगर मैं बात करूं सर कोई डिसएडवांटेजेस भी है क्या नंबर वन कॉम्प्लेक्शन इंफॉर्मेशन बहुत पेपर वर्क होता है बेटा इतना आसान नहीं है ना आसान नहीं है उसके बाद मैनेज करने में भी आपका बहुत खर्चा आएगा तो बहुत एक्सपेंसिव है इसके ऑपरेशंस आपकी सारी फाइलिंग्स चाहे वो इनकम टैक्स की हो चाहे वो जीएसटी की हो उसके बाद मल्टीपल एमसीए के रेगुलेशंस होते हैं सर व्हाट इज एमसीए मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स जो सब कुछ मैनेज करता है कंपनी के लिए उसकी बहुत रेगुलेशंस हैं तो काफी कॉम्प्लेक्शन आप कुछ भी सीक्रेट नहीं रख सकते कंपनी में कंपनीज को अपनी सारी की सारी चीजें डिस्क्लोज करनी होती है बच्चों आप किसी भी कंपनी के बारे में कुछ भी जानना चाहते हो आप प डालो लिखा आ जाएगा क्यों क्योंकि कंपनीज की सब कुछ ओपन होता है पब्लिक होता है कंपनी कोई भी चीज सीक्रेट नहीं रख सकती आपको मीटिंग्स में प्रेस में मीडिया में रिपोर्ट्स में वह सारी चीजें डिस्क्लोज करनी पड़ती तो कंपनी लैक ऑफ सीक्रेसी हैंडल करती है इंपर्सनल वर्क एनवायरमेंट इंपर्सनल वर्क एनवायरमेंट का मतलब यह है बच्चों कि ओनर अलग है और मैनेजमेंट अलग है अब देखो अगर मैं ही ऑनर हूं और मैं ही सब मैनेज करता हूं तो मेरा एक पर्सनल लगाव होगा मेरे बिजनेस से कि यार बढ़िया तरीके से चलेगा लेकिन अगर ओनर कोई और है अब सपोज फॉर एग्जांपल मैंने लेशंस की यही प्रॉब्लम है कि हर कोई कंपनी नहीं चला सकता न्यूमरस रेगुलेशंस डिले इन डिसीजन मेकिंग बेटा बहुत समय लगता है डिसीजन मेकिंग में क्योंकि जो मैनेजमेंट है ना वह डेमोक्रेटिक फॉर्म पे चलता है डेमोक्रेसी है सबसे पूछना पड़ेगा सबसे बिना पूछे आप कोई डिसीजन नहीं ले सकते तो डेमोक्रेटिक फॉर्म से कंपनी चलती है डेमोक्रेटिक फॉर्म से बिजनेस चलता है तो मैनेज करना कहीं ना कहीं बहुत डिफिकल्ट होता है लेवल्स होते हैं मैनेजमेंट में टॉप लेवल मिडिल लेवल लोअर लेवल सबसे पूछना पड़ता तो आसान नहीं है उसके बाद कॉन्फ्लेट कई बार लड़ाई झगड़े यह तो है ही है जितने ज्यादा लोग होंगे उतना इंटरेस्ट में कॉन्फ्लेट तो आएगा ही आएगा ठीक है यह डी मेरिटस का स्क्रीनशॉट ले लो बच्चों देन वी हैव टाइप्स ऑफ कंपनीज कितने तरीके की कंपनी हो सकती है प्राइवेट पब्लिक वन पर्सन कंपनी ठीक है सबको डिस्कस करते हैं प्राइवेट कंपनी कौन सी होती है बच्चों प्राइवेट कंपनी वो है जो कि कुछ इंडिविजुअल्स मिलकर बनाएंगे मैंने बोला ना मैंने और मेरे दोस्त ने मिलके कंपनी बना ली है ना तो बेसिकली प्राइवेट कंपनी एक व कंपनी है जो यह रिस्ट्रिक्टर है कि आप अपने शेयर्स ट्रांसफर नहीं कर सकते आप प्राइवेट हो आपने बनाई है तो आप ही रखोगे कम से कम दो लोग होंगे मैक्सिमम 200 लोग हो सकते हैं प्राइवेट कंपनी में प्राइवेट कंपनी में जो मेंबर्स होंगे जो शेयर होल्डर्स होंगे वो दो मिनिमम मैक्सिमम 200 हो सकते हैं इंक्लू अ एंप्लॉयज को छोड़ दो है ना इट डजन इनवाइट पब्लिक टू सब्सक्राइब टू इट्स शेयर प्राइवेट कंपनी जो है वो प्राइवेट होती है तो आप ही का पैसा लगेगा पब्लिक का उसमें कोई इवॉल्वमेंट नहीं होता अगर आपको पब्लिक से पैसा रेज करना है जनता को यह कहना है कि भैया आप हमारी कंपनी में पैसा लगा दो तो आपको फिर पब्लिक कंपनी बनानी पड़ेगी प्राइवेट कंपनी में जनता पैसा नहीं लगाती नाम में ही है ना यार प्राइवेट प्राइवेट है तो आपकी अपनी कंपनी है आप ही पैसा लगाओ ठीक है तो पब्लिक नहीं आती शेयर्स खरीदने के लिए प्राइवेट कंपनी अपने नाम के पीछे प्राइवेट लिमिटेड लगाएगी जिन भी कंपनीज के पीछे ऐसा लिखा हो पीवीटी एलटीडी इसका मतलब है प्राइवेट लिमिटेड कंपनीज है वो ठीक है परफेक्ट है तो अगर देखो लिखा हुआ है कि प्राइवेट कंपनी कोई भी इन चीजों के अगेंस्ट जाती है तो फिर उसका रजिस्ट्रेशन वगैरह कैंसिल कर दिया जाता है और उसकी पोजीशन एज अ प्राइवेट कंपनी खत्म हो जाती है ओके प्राइवेट कंपनी को क्या-क्या प्रिविलेज है सिर्फ दो ही मेंबर्स बना सकते हैं पब्लिक में कम से कम सात लोग चाहिए तो प्राइवेट कंपनी बनाना आसान है है ना पब्लिक कंपनी को रूल्स रेगुलेशंस बहुत ज्यादा है प्राइवेट कंपनी को ऐसे कोई भी रूल्स रेगुलेशंस नहीं है प्राइवेट कंपनी अपने हिसाब से सारा का सारा काम कर सकती है उसको कोई भी मिनिमम सब्सक्रिप्शन यानी शेयर्स में इसको मैं अभी फॉर्मेशन ऑफ अ कंपनी में मिनिमम सब्सक्रिप्शन की बात करूंगा अभी के लिए ये समझ लो कि बहुत इजली प्राइवेट कंपनी बन जाती है अनलाइक पब्लिक कंपनी प्राइवेट कंपनी इज नॉट रिक्वायर्ड टू मेक इंडेक्स ऑफ मेंबर्स पब्लिक कंपनी को एक डॉक्यूमेंट बनाना पड़ता है बच्चों इंडेक्स ऑफ मेंबर्स अपने आप में एक बड़ा डॉक्यूमेंट है प्राइवेट कंपनी को वो नहीं बनाना अनलाइक अ पब्लिक कंपनी प्राइवेट कंपनी डज नॉट नीड टू इशू प्रोस्पेक्टस टू इशू ऑ शेयर्स बेटा पब्लिक कंपनी देखो पब्लिक कंपनी शेयर्स इशू करती है जनता को जनता से पैसा लेती है तो उसको बहुत कुछ बताना होता है प्रोस्पेक्टस बनाना होता है पूरा डिटेल डॉक्यूमेंट बनाने होते हैं प्राइवेट कंपनी को ऐसा कुछ बनाने की जरूरत नहीं है तो बहुत कॉस्ट सेविंग होती है उसकी प्राइवेट कंपनी कैन स्टार्ट इट्स ऑपरेशन एज सून एज इट रिसीव अ सर्टिफिकेट ऑफ इनकॉरपोरेशन प्राइवेट कंपनी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लेते ही अपना काम स्टार्ट कर सकती है पब्लिक कंपनी को बहुत प्रॉब्लम्स आती है वो नहीं कर सकती ऐसे उसके बाद प्राइवेट कंपनी नीड्स टू हैव ओनली टू डायरेक्टर्स अनलाइक अ पब्लिक कंपनी मिनिमम थ्री डायरेक्टर्स आर नीडेड प्राइवेट कंपनी दो डायरेक्टर्स के साथ भी काम शुरू कर सकती है पब्लिक कंपनी को कम से कम दो से सॉरी पब्लिक कंपनी को कम से कम तीन डायरेक्टर्स चाहिए प्राइवेट को दो पब्लिक को तीन ठीक है अब सर पब्लिक कंपनी कौन सी होती है पब्लिक कंपनी वो है जो प्राइवेट कंपनी नहीं है है ना देखो पब्लिक कंपनी मींस अ कंपनी व्हिच इज नॉट अ प्राइवेट कंपनी इसका मतलब इसके अंदर कम से कम सात मेंबर चाहिए बेटा मिनिमम सेवन मैक्सिमम अनलिमिटेड वहां पे दो से 200 थे याद रखना यहां सात से अनलिमिटेड है उसके बाद यह अपने शेयर्स को आराम से ट्रांसफर कर सकती है कोई भी सेल परचेज कर सकता है शेयर्स को कभी भी यह पब्लिक को भी इनवाइट कर सकती है कि भैया आप हमारे कंपनी में पैसा लगा लो यह अपने नाम के पीछे सिर्फ लिमिटेड शब्द लगाएंगे अपने नाम के पीछे पीवीटी एलटीडी नहीं लगाते सिर्फ एलटीडी लगाते तो अगर किसी कंपनी के पीछे एलटीडी लगा हु है लिमिटेड समझ जाना व पब्लिक कंपनी है ठीक है परफेक्ट डिफरेंस देखो बेटा यहां पर आपको अच्छे से समझ में आ जाएगा सबसे पहले मेंबर्स पब्लिक कंपनी में बेटा सात से अनलिमिटेड प्राइवेट में दो से 200 द मिनिमम नंबर ऑफ मेंबर्स इन प्राइवेट कंपनी इज टू एंड द मैक्सिमम इज 200 डायरेक्टर की बात करूं तो कम से कम तीन यहां पर कम से कम दो इंडेक्स ऑफ मेंबर्स मैंने आपको पहले बताया पब्लिक कंपनी के लिए कंपलसरी है बनाना पड़ता है इसके लिए कंपलसरी नहीं है इसको बनाने की जरूरत नहीं है ट्रांसफर ऑफ शेयर्स पब्लिक कंपनी कर सकती है प्राइवेट कंपनी नहीं कर सकती पब्लिक को इनवाइट कौन कर सकता है पब्लिक कंपनी कर सकती है प्राइवेट कंपनी नहीं कर सकती अपना पैसा खुद ही लगा के चलना पड़ेगा ठीक हो गया सर वन परसन कंपनी कौन सी होती है बेटा वन परसन कंपनी वह है जो कि एक ही पर्सन अपने नाम से रजिस्टर करके चला रहा है इसकी बस डेफिनेशन आपको पता होनी चाहिए कि एक इंडिविजुअल इंडिविजुअली मतलब मैं अकेला ही अगर कोई कंपनी बनाना चाहूं तो प्राइवेट पब्लिक तो नहीं बना सकता न पर कंपनी बना सकता हूं 2013 से पहले यह नहीं होती थी अभी 2013 में ही आया है ये आप रजिस्टर कर सकते हो अपने आप को एज अ कंपनी ओपीसी 2013 के बाद ठीक है देखो क्या-क्या फीचर्स होते हैं सिर्फ एक नेचुरल पर्सन जो कि इंडियन सिटीजन हो एक नेचुरल पर्सन जो कि एक इंडियन सिटीजन हो भारतीय होना चाहिए और इंडिया में ही रहता है वही एक ओपीसी वन परसन कंपनी बना सकता है ठीक है शेयर होल्डर जो है वो नॉमिनेट करेगा एक पर्सन को जो शेयर होल्डर बनेगा अगर उसकी डेथ हो जाती है जैसे नॉमिनी होता है ना बैंक में आपके खाते के साथ नॉमिनी लगाया जाता कि आपके बाद ये पैसा किसका ऐसे ही ओपीसी में भी एक नॉमिनी देना होता है कि वो नॉमिनी कौन है वो नॉमिनी भी बेटा हमारे पास नेचुरल पर्सन इंडियन सिटीजन ही होना चाहिए ठीक है इसके अंदर एक डायरेक्टर होता है एक ही शेयर होल्डर होता है और कंपनी का मैक्सिमम नंबर ऑफ 15 डायरेक्टर्स ही हो सकते हैं देखो ओनरशिप और मैनेजमेंट अलग-अलग होती है ना तो ओनर तो एक ही होगा और मैनेजमेंट वो अलग से हम मैनेज कर सकते हैं यह ओपीसी हो गया बेटा लास्ट आता है सोल प्रोप्रेस में क्या बेसिकली डिफरेंस होता है देखो बेटा लायबिलिटी की बात करें तो ओप सी में लायबिलिटी लिमिटेड है सोल प्रोवाइडर में अनलिमिटेड है है ना सीधी सधी सी बात है ओपीसी में ज्यादा फ्लेक्सिबल है ज्यादा लोग ट्रस्ट करेंगे सोल प्रोपराइटर पे शायद इतने लोग ट्रस्ट ना करें क्योंकि वो एक कंपनी नहीं है तो ये कुछ एडवांटेजेस भी हो जाते हैं ओपीसी के किसके ऊपर सोल प्रोप्रों हमारा फॉर्म्स ऑफ बिजनेस ऑर्गेनाइजेशंस यह आज हमारा समाप्त हो जाता है इसके बाद आने वाले वीक में यानी कि अब बिजनेस स्टडीज की क्लास तो मंडे को आएगी तब हम लोग अच्छे से पढ़ाई करेंगे किस चीज की तब हम पढ़ाई करेंगे बेटा जी बहुत शानदार तरीके से चैप्टर नंबर थ्री से शुरुआत करेंगे नई यूनिट पे चलेंगे और चैप्टर नंबर थ्री भी आपका नेक्स्ट वीक में ही खत्म हो जाएगा तो बहुत शानदार चीजें आगे आने वाले टाइम में होने वाली हैं हमारे लिए इजी होगा बेहतर होता चला जाएगा और हम सब कंप्लीट करते चले जाएंगे तो आप खूब अच्छे तरीके से पढ़ाई करो ऑल द वेरी बेस्ट एवरीवन थैंक यू सो मच फॉर जॉइनिंग इन आई एम गोना सी यू ऑल सुपर सून टिल देन सी या टेक केयर बाय बाय कीप ग्रोइंग एंड कीप ग [संगीत]