प् पर्दिशों के हैं मारे हुए ना पुष्मों रोके सदाये हुए ना पुष्मों के शादा के हुए दुश्मनों के सताए हुए हैं दंदिशों के हमारे हुए ना धर्विशाई कोवने हुए ना दुश्मनों के सताए हुए हैं दुश्मनों के सताए हुए हैं इतने भी जफ्टने हैं मेरे दिल पर जितने भी जात मारे वेदे भी परणे रोस्टोके लगाये हुए जितने भी जात मारे वेदे भी परणे रोस्टोके लगाये हुए इसको रोग मार देते हैं, अकल को सोग मार देते हैं, आदमी फुद बखुद नहीं मरता, दूसरे लोग मार देते हैं, प्राटियों से बचके चलती हैं, हमने भूलों से दस्म खाई हैं, तुम तो महरों की बात करती हो, हमने अपने भी आजमाए हैं, जुतने भी दर्म हैं, बेशक पर दोस्तों क्या? आज वे जब आज ये नदी ताके तो जब आज ये नदी ताके तो जब आज ये नदी ताके तो जब आज ये नदी ताके तो जब आज ये नदी ताके तो जब आज ये नदी ताके तो जब आज ये नदी ताके तो जब आज ये नदी ताके तो जब आज ये नदी ताके तो कासाई दीदले के दुनिया में मैंने दीदार की गदाजी की मेरे चितने भी यार थे सबने अस्वेतों भी तुबे ववाई की चितने भी दम है ने दीदारे दोस्तों के प्रश्ने प्रश्न प प्रशान पर प्रशान आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज जब से भागा खाबन गिराया आद से शीशा सुराही तोड़ दी मैंने जब से खाबन गिराया आद से शीशा सुराही तोड़ दी मैंने प्यामत की निशानी कौन देखेगा बुते काफिर तेरी उठती जवानी कौन देखेगा जब साथ देखा दिल पे ठूटी हुई है कयामत अरबला से रहे तू सलामत तू जानी के आए हुए है अपना से लेना दे इंसाना में जबानी पे आये हुए और दे मुझको दे और सापी आज नहीं आपको परिवार भी आओ के शोक दीन मिटे शराब और पिलाओ के कुछ नशा उतरे और दे मुझ को दे और तापी और दे मुझको दे और पाती अपने दिले सच्चाप को सी सकता हूँ महरू में करम हो कभी जी सकता हूँ मौकूफ नहीं चाम पे रिंदी मेरी साकी तेरे गुशे को भी भी सकता हूँ और दे मुझको दे और पाती प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प्रश्न प् आज तलकी भी है इतना आपी आज वो भी बरादे हुए हैं आज नलिक उस दिल्या तुका आपकी ही आज वो भी बरादे हुए हैं आज आप लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग लोग अब है कैदों की महबिस में देरे कलते आबाद पूने मेड़ा अब हाँ गारों की महफिल में गेरें, मेरी महफिल में परके अंदेरें, मेरी महफिल में परके अंदेरें, अपनी महफिल साजाये हुए हैं, मेरी महफिल में परके अंदेरें, अपनी साजाये हुए हैं, अपने हाथों से घंचर चला कर कितना मासूम चेहरा बना कर अपने कांदों पे अब मेरे कादिल मेरे इन मैयात उठाए हुए हैं पेखातों पेखाब ले रेखाती अरे इन मैयात उठाए हुए हैं ए बहवशों को ववासे क्या मतलब इन बुतों को खुदा से क्या मतलब ए बहवशों को खुदा से क्या मतलब इनकी मासूम नजरोंने नासे लोग पाच में नाचे लोग पाच में नाचे लोग पाच में नाचे लोग पाच में नाचे लोग पाच में नाचे लोग पाच में नाचे लोग पाच में नाचे लोग पाच में नाचे लोग पाच में नाचे लोग पाच में नाचे लोग पा करदिशों के हमारे गुणा पिश्मान लोंटा सिका विना लाख तभाल पुण।