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हनुमान और पौंडरक का संवाद

कर दो पर ने प्रिश्ण गोश्चा शिवी राँ वासुदेवू, ये तो अपना सेनापती दूरधर है। जिसने चोरी-चोरी छल से एक योध्या की हत्या की और अब मुझ पाई बठा है। कौन है वो? हाँ, कौन है वो? मैं हूँ जिसने तुम्हारे अत्याचारी सेनापती को नर्क का रास्ता बताया है। मैं ही हूँ वो। हे ब्राह्मण, शीखर बताओ तुम कौन हो। मेरा नाम हनुमान है। पवन पुत्र हनुमान। तू ये हनुमान हो ही नहीं सकता यदि ये हनुमान है तो इसकी पूछ कहा है?

कहा है इसकी पूछ? हे पहरूपिये तुम यहां आ तो गए हो परन्तु यहां से जीवित नहीं जा सकते हाँ नहीं जा सकते हे पौन्ड्रक, जिस तरह मैं लंका में रावण का वद कर सकता था, परंतु मेरे स्वामी की आज्या नहोने के कारण उसे छोड़ दिया था। उसी तरह इस समय भी मैं विवश हूँ, वरना इसी समय तुम्हारा वद करके मुझे असीम शान्ती प्राप्त होती। काश मेरे स्वामी श्रीराम ने मुझे इसकी आज्या दी होती। पौन्रक मैं जा रहा हूँ और यदि तुम शीगर ही धर्म के मार्क पर नहीं लोटे तो मैं लोट कराऊँगा, अवशाऊँगा जै शिरीराम प्रणाम प्रभु हन्मान तुम कुछ विचलित दिखाई दे रहे हो। प्रभु, आपके आदेशा नुसार, मैंने पापी पौन्डरोग को धर्म के मार्ग पर लाने की चेष्टा की। परन्तु आहंकारी अपने आपको धर्म के रास्ते पर लाने को तैयार नहीं है। उसका विनाश अवश्य है। हाँ हनुमान, ये तो सिर्ष्टी का अटल नियम है, कि जैसी करने, वैसी भरने। पौंड्रेक भी इस नियम के प्रभाव से बाहर नहीं है, परन्तु अभी उसे पश्चताप और भूल सुधारने का आउसर मिलना चाहिए, क्योंकि उसके पाप का घड़ा अभी भरा नहीं है। प्रभु, आप तो चानते हैं कि ऐसे पापियों का मन पाप और विलाज से कभी नहीं मरता। यही तो विडंबना है मेरे भक्त। मनुष्य जब गलत रास्ते पर पक धरता है, तो उसे ठोकर लगती है। सद्बुद्धी वाला मनुष ये समझ जाता है कि वो गलत रास्ते पर चल पड़ा है और वो तुरंत समल जाता है परंतु पापों के कारण जिनकी बुद्धी भ्रष्ट हो जाती है वो बार बार ठोकर खा कर भी ये बात समझ नहीं पाते कि ये उनकी कर्मी का फल है खमा करें प्रभू ये पौंडरक तो उन लोगों में से है जो जान बूच कर पाप की डगर पर चल पड़ते हैं हाँ मेरे परमप्री भक्त, ���ुम्हारी बात एक कटू सत्य है। तुम परमज्ञानी हो, तुम साब जानते हो। प्रभु, मैं तो यह भी जानता हूँ कि एक दिन वो पौंडरक का विनाश होगा। प्रभु, यदि इस सेवक को अवसर दें, तो मैं इस झूटे भगवान का वत करना चाहूँगा। हनुवान मैं तुम्हारे भक्ति और सेवा भावनाओं का आधर करता हूँ पर ये संभाव नहीं है पर क्यों प्रभु इसलिए कि पौन्डरक ने मेरा सौंग रचाओ जो अपरात किया है उसका तंड मेरे अत्रिक्त कोई और दे ये उचित नहीं है हाँ ये बात तो ठीक ही है प्रभू परन्त भागत तुम दुखी क्यों होते हो मैं तुम्हें सेवा का आवसार अवश्य दूँगा अभी मुझे कई लोगों के अहंकार तोड़ने है मैं अपने इन संबंधियों का अहंकार अपने ही परम भक्त के हाथ तो तोड़ना चाहता हूँ, पर अभी नहीं। प्रभो, मैं आपके आदेश की उत्सुक्ता से प्रतीक्षा करूँगा, ये मेरा सौभाग्य होगा। सेनापती दुर्धर, सेनापती दुर्धर का वाद कैसे हो गया? वो तो दैद्यों में महाशक्तिशाली था, महामयावी था, उसका वत कैसे हो गया, हाँ, कैसे हो गया, भ्यातश्री, जी, हमारे सेनानायकों को आदेश दो, कि वो पता करें, वो पागल पूढ़ा, कौन था, और कहां से आया था, जाओ, जो आग्या वासुदेव, स्वामी, आप हनुमान जी के साथ क्यों दुश्मनी ले रहे हैं?

फिर वही हनुमान, फिर वही हनुमान महराज काशिराज, हम महराने तारा का ये ब्रह्म कैसे दूर करें कि वो हनुमान नहीं था? नहीं था? एक वानर की सत्यता को एक वानर ही बता सकता है वासुदेव। परन्तु कौन है वो वानर जो ये सत्य बता सकता है? आप अपने हनुमान को भूल गए?

हमारा हनुमान हाँ वासुदेव आपका मित्र महामायावी महाकाय दूइद वानर जो आपका सचमुच का हनुमान है अनुमान का दावा करने वाले उस पागल पूड़े अंकारी का अंकार मिटाने के लिए दिविद्वानर से पढ़कर और कौन हो सकता है? कौन हो सकता है? हाँ वासुदेव, अब आप अपने मयावी दिविद्वानर को तुरंट प्रकट कीजिए हमारा अनुमान दिविद्वानर मित्र दिवित, हम वासुदेव पौन्डरक तुम्हें प्रकट होने की आग्या देते हैं, प्रकट हो दिवित, प्रकट हो प्रणाम वासुदेव प्रणाम मित्र प्रणाम मित्र काशिराज प्रणाम दिविद्वानर प्रणाम महरानी आओ मित्र तुबारा स्वागत है आओ मित्र वासुदेव पौन्डरक बताओ मुझे क्यूं बुलाया है मेरा आवान क्यूं किया क्या तुम्हारा कोई शत्रु है जो तुम्हे त्रस्त कर रहा है। हे दिविद। तुम तो जानते ही हो। तुम्हारा और हमारा एक ही शत्रु है। गौला कृष्ण। अरंतु इस समय पर आप पूरा रहे हैं। एक पागल बुढ़ा हमारे लिए समस्या बन के खड़ा हो गया है उसने हमारे सेनापती दुर्धर की हत्या कर दी है एक बुढ़े ने भी सेनापती दुर्धर की हत्या कर दी हाँ वो बुढ़ा आवश्य है अरंत महा मायावी और महा शक्तिशाली है इसलिए वो अपने आपको हनुमान कहता है पवन पुत्र हनुमान हाँ मित्र और हमारी महरानी को भी ये ब्रह्म हो गया है कि वो बागल बुड़ा पवन पुत्र हनुमान है हाँ हनुमान ये मेरा ब्रह्म नहीं है मेरा विश्वास है कि वो हनुमान ही थे नहीं नहीं आप सब अपने मन से ये भ्रम निकाल दो कि हनुमान जीवित है यदि वो जीवित होता तो मैं उसकी चिता जला देता हाँ मित्र हमें तुम पर पूर्ण विश्वास है कि यदि हनुमान अभी जीवित है तो तुम उसकी चिता अवश्य से जला देता है सजा दोगे अब मुझे आज्या दीजिए कि मैं पौंड नगरी के आसपास के सभी राजाओं की चिता जला दूं जो आपको भगवान नहीं मामते और उन साद्यों के यग्गी कुंड को नष्ट कर दूं जिससे उस गोले किश्ण की ताकत बढ़ती जा रही है अवश्य जाओ मित्र अवश्य जाओ प्रणाम वासुदेव चलो काशिराज मुझे भाई लगने लगा है स्वामी साक्षात हनुमान जी ने आपको जो संकेत दिये हैं आप उन्हें महत्व नहीं दे रहें आप वासुदेव श्री कृष्ण को भगवान मानिये महाराने चिंता न कीजिये महारानी वो गुआला हमारा बाल भी बाका नहीं कर सकता स्वयं वासुदेव पौंडरक परम प्रतापी है और द्विद जैसे सामनत्य शाली और शोरे शाली महावीर हमारे मित्र है प्रेम गले तैक्शन वन्दा आप अपने पूजा ना करके उनका अपमान कर रहे हो। इस यज्ञ के कारण वो मायावी कृष्ण चक्तिशाली बनता जा रहा है। कि अब मैं पृत्वी लोग पर किसी को भी यज्ञ करने नहीं दूंगा तो कि यज्ञ पूजा आदि भंग कर दूंगा अब मैं कृष्ण के सामर्थ में पृद्धि नहीं होने दूंगा अब अब अब कि अ और उसके भाई बल्राम दोरों का वद करूँगा इस यग्गी की भारती किश्ण की दुआर का नगरी दुष्ट कर दूँगा शार्थी क्या चीन्टी की गती से रद चला रहे हो तुम जरा तेज चलाओ कितने दिनों के बाद तो मैं इंद्र प्रस से द्वारिका लोट रहा हूँ अपने कनहिया से मिलने के लिए बहुत व्याकुल हूँ मैं उसे गले लगाने के लिए तडब रहा हूँ रद की गती ब� शार्थी रत रोको, रत रोको शार्थी बचाओ, बचाओ, बचाओ, बचाओ आप लोग इतने भैभित क्यों हैं? क्या बात आप किस से भाग रहे हैं?

कोई पापी आपर अत्याचार कर रहा है? हाँ, ये सब पापी पौंडरक का प्रकोप है पौंडरक? कौन है ये दुष्ट? वो दुष्ट अपने आपको बाद रहा है वह भगवान समझता है वह भगवान कैसे समझ लें जूता है इसलिए उसकी नगरी को छोड़कर तू परवतों पर तपस्या करने चले गए थे वहां भी उसके पापी दुष्ट सेनिक हमारे सिरों पर तलवार लेकर पहुंच गए अ हम किसी तरह अपने प्रानों को बचा कर भागे हैं परन्तु पौन्रक का सेरा नायक किसी श्राब की भाती हमारे पीछे पढ़ गया है हमें बचाईए बर्राम जी हमें बचाईए हमें बचाईए वो रहे है साधू बखल लो उन्हें हमें बचाईए है रो एदानो, इन साधु पर क्यों त्याचार कर रहे हो तुम? हम वासुदेव पौंडरक के आदेश का पारण कर रहे हैं.

इन मुर्खों ने उन्हें भगवान मानने से इंकार कर दिया है. पौंडरक? वासुदेव भगवान? ये क्या पारण कर रहे है? तो तुम भी नास्तिक हो, वासुदेव पौंडरक को ईश्वर नहीं मानते। सैनिकों, इन साध्यों के साथ साथ इस युवक को भी बंदी बना कर ले चलो। ए अत्याचारी, मैं बलराम हूँ, बलराम, मैं तुम्हे अदेश देता हूँ, तुरंत और चुपचाप अभी यहां से लोड़ जाओ, वरना, अदेश, और हमें, अरे मूर्ख, हम केवल वासिदो पॉंडरक के अदेश का पालन करते हैं, बलराम तुम्हें डरने की कोई आवशक्ता नहीं वासुदेप ओंटरक भगवान है भगवान उनका प्रकोप जितना भयंकर है उनकी दया भी उतनी विशाल है यदि तुम उनके चरणों में माथा रगड कर अपने प्राणों की भीक माँगोगे तो वो अवशक्ता नहीं है वश्च तुम्हें जीवन दान दे देंगे मूर्क दानाओ जैनिकों इसे भी जंजीरों से जगड़ कर ले चलो कर दो अच्छा जय हो, कनेया, सुनो, सुनो, सुनो मेरे बात सुनो, तुम्हारे इन हाथों से मुझे अपनी सेवा करवाना अच्छा नहीं लगता, अरे दाव भाईया, मैं आपको छोटा भाई हूँ, वो ठीक है कनेया, परन्तु तुम्हारे हाथों से एक बहुत महतुपूर्ण कार होने वाला है, दावभाईया, मुझे अभिमान है कि आप जैसा परम बलिशाली, महावीर, मेरा बड़ा भाई है। दावभाईया, मुझे उन साधों ने सारी बाते बता दी। कि आपने कैसे अपनी एक ही ठोकर से धरती फार दी वाह!

वाह, दाव भीया, वाह! काश मैं वो आलोकिक दृष्च देखने के लिए आपके साथ वहाँ होता कनहिया, त्रिलोक में मेरे जितना बलशाली तो कोई होगा ही नहीं क्यों? हाँ हाँ सच मानो कनहिया, अगर उस समय मेरे साथ वो साधु संत नहीं होते, तो उसी पल मैं पौंडर नगरी पर आकरमन कर देता। पौंडर अत्याचारी है, दुराचारी है, अनाचारी है। और उसका सबसे बड़ा अपराप्त तो यह है कनहिया कि वो अपने आपको वासुदें समझने लगा है। दो भईया, तो समझने दीजे। समझने दू?

हाँ दाओ भिया, यदि कोई लोमडी शेर की खाल पहन ले, तो लोमडी शेर नहीं बन जाती है. तुम बिल्कुल सत्य कह रहे हो कनिया. हाँ दाओ भिया, सारे संसार को अपने अधीन करने की लालसा, जब किसी मनुश्र को अपने अधीन कर लेती है, तो वो अपने आपको भगवान नहीं बन जाती है. समझने लगता है और मनुष्य के साथ ऐसा केवल इसलिए होता है दाव भीया क्योंकि ईश्वर ने मनुष्य को उत्तम बुद्धि प्रदान करके उसे सारे प्राणियों में सरस्वेष्ट बनाया है और अपने आपको भगवान समझने बालों को ठीक करने के लिए उसी श्वर ने मुझे बल प्रदान किया है क्योंकि यह है हुआ है कर दो तुम कौन हो ये सब क्या कर रहे हो तुमने वासुदेव पॉंडरक को भगवान न मान कर बहुत बड़ा अपराध किया है और तुम उस गौले को वासुदेव समस्ते हो तुमारा ये अपराध शबा योग्य नहीं है मैं इसका दंड तुमें अवश्य दूँगा मैं सर्वशक्तिमान हूँ, मेरे जैसा बल्वाम त्रिलोक में कोई नहीं, तुम मेरा कुछ नहीं बिगार सकते हो, परन्तु मैं तुम्हारा सब कुछ बिगार सकता हूँ, सर्वनाश कर सकता हूँ, किश्ण को वासुदेव समझने के अपराध में मैं तुम्हारी नगरी जला जो कृष्ण का मित्र है, वो मेरा शत्रू है। और जो वासुदेव पांडर का मित्र है, वो मेरा मित्र है। कृष्ण ने मेरे परम मित्र नरकासुर का वद किया था। मैं भी उसके सारे मित्रों का वद करूँगा। ए राजा बोल वासुदेव पॉंडर की जै हो वासुदेव श्री किष्ण की जै हो जै हो सैनिको बालो इसे जै हो प्रश्न प्रश्न स्वामी वासुदेव पौंडरक, जो कोई भी आपको वासुदेव कहने से इंकार करेगा, मैं उसका सरवनाश करूँगा, ये मेरा वचन है स्वामी, कि मैं अपने बाहु बल से किष्ण को भी आपको वासुदेव कहने से इंकार करेगा, मैं उसका सरवनाश करूँगा, ये देव कहने पर विवश कर दूंगा किष्ण का सर भी आपके चड़ों में जुगा दूँगा मवस्ते जुगा दूँगा प्रभू प्रभू इस दिविद वानर का आहंकार तो देखे निहत्य लोगों पर अत्याचार करके अपने आपको बड़ा बलवान समझ रहा है। और तु और वो इस गुनान में पढ़ गया है कि वो आपको भी इतना विवश कर देगा कि आप भी पौन्रप को वासुदेव कहने लगेंगे। क्या बात है प्रभू इतना होने पर भी आप किवल मुस्कुरा रहे हैं। मुझे तो क्रोध आ रहा है कि आप इस वानर को दन क्यों नहीं दे रहे हैं प्रभु यदि आप इसी तरह चुपचाब बैठे रहे हैं तो रंधीर, काशीराज और पॉन्डरक का दुस्साहस और भी बढ़ जाएगा ये चुहे अपने आपको शेर समझने लगेंगे अखिर कब तक, कब तक आप एक दर्शक की भूमिका निभाती रहेंगे प्रभू?

अखिर, अखिर अधर्मियों का संघार कौन करेगा? देवी, मैंने पित्री लोग पर अधर्मियों का संघार करने के लिए ही जन्म लिया है. परन्तु मैं यदि हर बार और हर कहीं धर्म शत्रों का विनाश करने के लिए जाऊं, तो मनुष्य अपना कर्तव निभाना पूर्ण होगा. भूल जाएगा, अपने धर्म का पालन करना और अपने धर्म की रक्षा करना मनुष्य का अपना कर्तव्य है। मैंने मनुष्य को उसकी अपनी सुरक्षा के लिए बल और अपने सिद्धानतों की सुरक्षा के लिए बुद्धी और सहास दिया है। इस धर्ती पर तो हर युग में धर्म, शत्रु और दानों मानों के रूप में जन्म लेते रहेंगे। उनका संघार यदि लोग करना भूल जाएंगे, तो धर्ती पर केवल दानों का मन, माना, राज इस्थापित होगा। इसलिए देवी, मैं हर बार मनुष्की साहिता के लिए आगे नहीं बढ़ता, इस तरह मैं पूरे मानो समाज को कर्म का पाठ पढ़ा रहा हूँ, परन्तु जब अधर्मियों से ज़रूर पढ़ा रहा हूँ, तो मैं पूरे मानो समाज को कर्म का पाठ पढ़ा रहा हूँ, धर्मी संकट में आ जाएगा तो मेरी साहता किसी न किसी रूप में धर्ती पर अवश्च पहुँचती रहेगी शमा करें प्रभू पर व्यक्ति चरित्र के उत्तम स्थर तक कैसे पहुँच सकेगा इसका ज्ञान उसे कैसे मिलेगा? देवी, मैंने अलग-अलग युग में, अलग-अलग अवतार लेकर, उत्तम मानोचरित्र के पच्चिन, समय की रेध पर छोड़े हैं। आप तो जानती हैं, मैंने श्रीराम अवतार में, कर्म-योग का उद्देश रखा था। और शिरी परुष्राम के अवतार में मैंने ये दिखाया था कि शत्रियों के अत्याचार के विरुद एक साधारन और सामानिम मनुष्य भी हत्यार उठा सकता है। और कृष्ण के रूप में मेरे इस अंतिम अवतार में व्यक्तिगत और समाजिक संदर्भ में शिक्षा के शेष पाठ भी मनुष्य को पढ़ाना चाहता हूँ। कि मनश के जीवन में अर्थ, काम और मोक्ष का जितना महत्व है, उतना ही महत्व धर्म, नियाय और सत्य की प्राप्ति का है। किसी भी मानों का जीवन इन से अधिक मुल्यवान नहीं है। जब मनुष्य इनकी सुरक्षा के लिए अपनी जान हादेली पर रखकर अधर्मियों से युद्ध करना सीख जाएगा, तब मुझे इस प्रत्यीलोक पर फिर कभी मानों का अवतार लेनी की आवश्यकता नहीं रहेगी। देवी, कोई भी राज्य, धर्म, नीति, नियाय और सत्य के इस्तंभों पर टिका रहता है। और उनमें से यदि कोई भी इस्तंभ तूट जाता है, तो वो राज्य रेट पर पूरा है। तो क्या पंड़ो की सामराजी का भी अंत होगा यदि वो धरम के रास्ते पर वापस नहीं आया तो ये परिणाम अनिवार है अटल है देवी पकड़ो पकड़ो बागल बुरा भाग गया पकड़ो पकड़ो चादी न दो पहल की दुआर बंद कर दो वीर मणी तुम्हारा काका कि अरेस राज का असली राजा अरेस पागल बुद्धियों को यहां क्यों लाए हो पागल मैं नहीं पागल तुम हो तुम कि तुम सत्ता के लालच में पागल हो गए हो अरे अपने काका को काका श्री कहने के बदले में पुढ़ा कह रहे हो विकार है तुम्हें मेरा राजजादिया अगर तुम राजा पने हो इस पर भी तुम्हारी राजपाट की लाल सम्मिटी नहीं तो अपने आपको वासुदाओ कहते हो भगवान कहलाते हो तो इसमें बुरा क्या है हम है ही वासुदाओ हम है ही भगवान सब मानते हैं पनन्तु मैं नहीं मानता तुम सारे सारे अन्सार की आखों में धूल चोख सकते हो, परन्तु मेरी आखें सब देख रही हैं। भगवान और तुम, बहुत नाटक कर चुके हो तुम। बहुत दाटक हो चुका है पॉंडरट तुमने अपने आपको भुगवान सित्त करने के लिए क्या क्या जूटी कहानी अगड़ी और अपने चेलों के दौरा फैला रखी है मैं सब जानता हूँ कुप्चा को सुन्दर बना दिया अंधों को आखे दे दें और मिर्च सेना को जीवित कर दिया अरे पाखंडी तू एक सेना को तो क्या एक चीटी तक को जीवित नहीं कर सकता अभी अभी उस अभागी मा के पुत्र को तू जीवन नहीं दे सका, तू क्या जीवन देगा, तू केवल मित्यू दे सकता है, केवल मित्यू, और कुछ नहीं, और वो भी यदि इश्वर की इच्छा हुई तो अन्यता तू एक चीटी तक के प्राण नहीं ले सकता अरे दुष्ट भतीजे कब तक अपनी प्रजा को तू डडा कर धंका कर और लालश दे कर अपने आपको वास्तव करें आशुदेव कहलाने पर विवस्थ करेगा तुम बागल हो गए बड़े और इस बागलपन में नजाने क्या-क्या अनाप्शना पके जा रहे हो इसलिए हमने तुम्हें इन जंजीरों में बांध कर रखा हुआ है जूड़ तो तुम बड़ी सफाइस बोल लेते हो अभिनेवी अच्छा कर लेते हो अच्छा नाटक खेल रहे हैं अरे पाखंडी फतीजे तुमने मेरे छूटे पागलपन का धिनोरा चारों दिशाओं में इसलिए फैला रखा है क्योंकि यदि मेरी प्रीय प्रजा यह जान गई कि मैं पागल नहीं हूं तो विद्रोह कर देगी और और तुम्हारा राजपाद खातरे में पड़ जाएगा अपनी काली जीब बंद रखो अशिक शब्द हम तुझे अध्या कर देंगे अ मुझे मारोगे अच्छी तिटोली कर रहे हैं अरे मैंने कहा ना तुम मुझे तो क्या एक चीटी तक को नहीं मार सकते हैं कि तुम मुझे जीवित रखने के लिए विवस हो बाखंडी भतीजे विवस हो क्योंकि यदि मेरी प्रीजनता को मेरी अकसमात मिर्त्यु पर संदे हो गया तो तुम्हारा राजसिंगासन डामाडोन हो जाएगा इसलिए तुम मुझे नहीं मार सकते नहीं मार सकते कटाप भी नहीं मार सकते परन्तु काराग्रह में अवश्य डाल सकते हैं। तुम्हारी जीब बहुत लंबी हो गई है। तुम्हारे मूँसे निकले हुए भयानक शब्द। अगर इस राजमहल से बाहर निकल गए। तो सचमुच अनर्थ हो जाएगा। रहरियों इसे काराग्रह में ले चलो। काका श्री अब एकांत में विश्राम करेंगे। चलिए काकश्री, हम आपको आपके राज कक्ष में सोहेम छोड़ाते हैं, चलिए। यदि मेरे इश्वर की यही इच्छा है, तो चलाओ। परंत याद रखो, यदि भगवान श्री कृष्ण की यह इच्छा नहीं हुई, तो मैं तुम्हारे कारावास से किसी पंची की बात ही उड़ जाऊंगा। भगवान कृष्ण देचना इसे यही प्रभू की लीला है देख अपनी आखों से दुरचाडी चल बुद्धे कि अ कर दो कि तेरा यही प्रारप्त है इसी कालकोटरी के अंदर तु तिल तिल करके मरेगा परन्तु मेरी आज्या के बगएर तुझे मृत्यु भी नहीं आएगी तु मर भी नहीं सकता है हां अरे मोर्ग यह सब तेरा भ्रम है अपने भ्रम जाल से बाहर निकल जा और सत्यता का सामना कर और सत्य यह है कि तेरे चाहने ना चाहने से कुछ नहीं होता है तक भगवान च्रिक्रिष्ण की मुझ पर कृपा है, तू मेरा पाल भी पाका नहीं कर सकता। प्रति प्रति प्रति शायणिको शायणिको कि अधिकों को अधिक अधिक अधिक अधिक अधि का प्रयास कर रहे हैं अपने आपको वासुदेव कहलाने वाले छूठे तेरा यही प्रारथ होगा आप तो आ दो आप तुम लोग तुम लोग अब तू भी कैदी बन गया है तुझे अब इसी काल कोठी में मेरे साथ बंद रहना पड़ेगा चुक चुक चुप मुझे नहीं तुझे होना पड़ेगा पॉइंटर तुझे अन्यता भगवान के प्रकोप से तेरे जीवा कटकर बाहर गिर जाएगी सैनिको तू यही मरेगा बुट्ठे, यही मरेगा तू वाँ प्रभुवा, आपने तो पौन्डरोग को भी अपनी लीला दिखा दी कारागरी में उसकी जाते ही सारी दौर अपने आप बंद हो गए परंत उसकी आखे फिर भी नहीं खुली। मैं उसे बार-बार स्पष्ट रूप से सबजाने के लिए संकेत पर संकेत दे रहा हूँ। उसे वो सीमाय दिखा रहा हूँ। जिनने वो घिरा हुआ है। और जिनने वो तोड़ कर बार नहीं आ सकता। कारा ग्रह के दरवाजों का विश्व गया था प्रभु उसकी सारे सुद्ध बूत वह भूल गया था उस समय उसकी दशा एक चूहे की बाती थी जो किसी बिल्ले के तेज नकों वाले पंजों में आ गया हो पर उस पंजे से मुक्ति मिलते ही वह फिर पहले की बात फुदक नहीं लगा था कर दो प्रादर्शी, सैनिकों को आदेश दो कि वीर मणी को कारा ग्रह से बाहर निकाल कर हमारे पास लिया हैं। हम उसे दन्ड देना चाहते हैं। शमात करें वासुदेव। कि दंद तो काराग्री में ही दिया जाता है फिर आप उसे बाहर खुले में क्यों लाना चाहते हैं तुमसे जो कहा गया है वही करो जाओ जो आग्या वासुदेव अ कर दो कर दो कर दो प्रेम प्रेम प्रे कि अ क्यों गए काकाश्री दर गए मित्यु को अपने समीप देखकर भैबित हो गए आइए आइए पहरियों इन्हें सामने खड़ा कर दो आइए आइए मिर्तु का भय मुझे नहीं है पौन्रक। मैं डरपोक नहीं हूँ। तुम अपने सेनिकों के धनुष पर चले हुए बाणों से मुझे डलाना चाहते हो। मौन का तुम पौन्रक। वीर बड़ी। देखा। मेरी जीप से निकला हुआ एक ही बाण कैसा सीधा निशाने पर लगा। वीर मणी तुम्हारी चीब नाग से भी अधिक विशैली है वासुदेव हमने भूल की जो इस नाग को दूद पिलाते रहे हाँ काशीराज ठीक ही कह रहे हैं वासुदेव यदि नाग को पालना हो, तो पहले उसके उपर के दाद को निकाल देते हैं। फिर उसके फन को ही कुछल डालते हैं। यदि आप मुझे आदेश दे, तो मैं अभी इसके फन को अपने पैड़ों से कुछल डालूं। नहीं मित्र, अभी नहीं। काका वीरमनी, मैं तुम्हें एक अंतिम अवसर देता हूँ। आप यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम अपने लिए मृत्यु का चैन करते हो या जीवन का यदि तुम जीवन का चैन करते हो तो तुम भी भगवान मानोगे वास्तव देव मानोगे भगवान वास्तव देव पर पंड़क इश्वर का नाम जपने वाली जीव इसी और का नाम कैसे ले सकती है अच्छा अ अभी पता लग जाएगा काकाश्री, अभी पता चल जाएगा धनूरधायो मैं तीन बार कहूँगा, यदि तुम नहीं माने तो यह बार तुम्हारी छाती में छेत कर देंगे तुम्हारी छाती में छेत कर देंगे वासुदेव पॉन्डरक की जय जय श्री कृष्ट बोलो वासुदेव पांडरक की जय जय श्री कृष्ट बोलो वासुदेव पांडरक की जय तो श्रेखिश्चने कृष्णा परिश्चा परिश्चा