Transcript for:
दुख का अधिकार

हेलो स्टूडेंट्स वेलकम बैक यहां पर ए गए हम अपना नई बुक लेकर हमने अपने प्रीवियस वीडियो में अपनी संजय बुक समाप्त करें तो संचयन में हमने जितने भी पार्ट पड़े वह सभी गद्दे विधा में द मगर जो हम स्पर्श पढ़ना आप शुरू करेंगे इसमें शुरू में आपका गद्दे पार्ट है और उसके बाद में हम काव्य खंड में ए जाएंगे तो गद्य खंड में वैसे ही हमारे पास में स्टोरी दी हुई हैं हम उन्हें आपको समझाएंगे उनके क्वेश्चंस और सॉल्व कराएंगे लेकिन काव्य खंड में हमारे पास क्या होता है की हमें उसका एक्सप्लेनेशन लेना पड़ता है समझाना पड़ता है जो भी कहती रहता है तो गद्य खंड में जो हम कहानियां पढ़ने जा रहे हैं इस पे आधारित क्वेश्चन जो है वो अलग-अलग तरीके से पूछे गए हैं तो चलिए सबसे पहले हम पहला पार्ट हम देखते हैं पहला पार्ट हमारा है दुख का अधिकार ये लिखित है यशपाल जी द्वारा तो यशपाल जी ने इस पाठ में बताया है की अमीर हो चाहे गरीब हो उसे दुख का अधिकार बराबर होता है यह इस पाठ के अंदर बताएं पार्ट बहुत छोटा सा है लेकिन इसके अंदर जो छिपी बात है वो बहुत बड़ी है की चाहे किसी कोई भी व्यक्ति हो अमीर हो गरीब हो अगर उसे दुख पड़ता है तो उसका दुख से ही होता है मगर लोग उसमें डिफरेंशिएट करते हैं वो गरीब है अरे उसको कुछ नहीं अमीर का मार गया हे यार इतनी तकलीफ हो रही है तो यहां पर हम यही चीज देखेंगे कैसे देखेंगे चलिए शुरू करते हैं लेखक ने कहा की मनुष्यों की पोशाके उन्हें विभिन्न श्रेणियां में बांट देती हैं प्राय पोशाक की समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज निश्चित करती हैं अब क्या होता है की हम जो अटायर लेते हैं मतलब हम जो कपड़े पहनते हैं वह हमें तुरंत जज करते सबसे पहले जब हम किसी से मिलते हैं हम किसी के सामने जाएंगे तो वो सबसे पहले हमारा चेहरा बाद में देखता है मगर पहले क्या देखता है की कैसे कपड़े पहने अगर फटे पुराने एकदम गले संधे गंदे कपड़े पहने अरे ये बहुत गरीब टपके का है इसको क्या पता होगा क्या नॉलेज होगी कुछ भी नहीं होगा लेकिन अगर वो बड़ा अच्छे से कपड़े टॉप 10 के सामने गया है तो हम क्या देखते हैं की नहीं ये सब ये समाज से आया है इसे बहुत अच्छी नॉलेज होगी हम बड़े अच्छे से बात करेंगे हम किसी और पे उंगली उठाने से पहले देखें सबसे पहले हम देखेंगे हम जजमेंट कैसे करते हैं तो अक्सर ये देखा गया की हमारा जजमेंट जो है वो कपड़ों के हिसाब से ही रहता है आप कहीं पर भी यह कभी भी देखिए कभी-कभी देखिए ना बहुत गरीब लोग होंगे कभी बहुत अच्छा गाना गा रहा होगा कोई कोई कभी कितना अच्छी नॉलेज रखता है किसी परिस्थिति वर्ष वो गरीब हो गया है लेकिन तकलीफ सबकी से होती है तकलीफ किसी को भी हो अगर उंगली कट्टी है तो जितना दर्द हमें हो रहा है या एक अमीर को होगा उतना ही एक गरीब को भी होगा तो वो दर्द तो से होता है ना तो वही चीज बताइए यहां पर पोशाक के हिसाब से हम दर्द डिवाइड नहीं कर सकते की भाई अगर गरीब बांदा है तो उसे दर्द कम होगा अमीर है तो उसे दर्द ज्यादा होगा ऐसा तो नहीं होता भाई हमारा शरीर है तकलीफ अगर कटेगा तो सबको एक ही जैसा दर्द होगा तो हमें पोशाक के हिसाब से हम जजमेंट करते हैं क्या यहां पे बोला की हम पोशाक के हिसाब से नहीं अपने पहनावे के हिसाब से उनके डिसाइड करते हैं की सामने वाला व्यक्ति कैसा है यह चीज हम अपने दिमाग में तुरंत चीज बना लेते हैं हम जब झुककर निचली श्रेणी की अनुभूति को समझना चाहते हैं तो यह पोशाक ही बंधन और अचानक बन जाती है तो क्या होता है जब हम चाहते हैं की चलो गरीबों को थोड़ा सा समझे जाने तो क्या होता है वो पोशाक हमारे लिए बंधन बन जाती है कैसे बनती है अरे अरे इतना गंदा है ऐसा है हम कैसे जाएंगे क्या करेंगे बहुत करीब है हमारे कपड़े गंदे हो जाएंगे ये हो जाएगा ये हमें उन लोगों के पास जाने और जानने समझने से कहीं ना कहीं रोकने लगता है तो यह भी कारण क्या है पोशाक ही है बाजार में खरबूजे बेचने वाली एक औरत कपड़े में मुंह छुपाए सर को घुटने में रखे फफक कर रो रही थी अब रेखा जो है ना एक वाक्य हम लोग के साथ शेयर करते हैं और बताते हैं इस फर्क को हमें कैसे बताएंगे की बाजार था बाजार में एक खरबूजे वाली बैठी थी खरबूजे बेच रही थी खरबूजा आता ना फिर तो वो बेच रही थी और वो क्या था वो अपना मुंह छुपा के कपड़े में खूब जोर-जोर से रो रही थी खूब अच्छे से रो रही थी जैसे ना रोने की आवाज़ तेजी से आती है वो खूब तेजी से रो जा रही थी पड़ोस के लोग उसे घृणा की नजरों से देखते और उसे बुरा भला कहते हैं आसपास के लोग जो है ना उसको बहुत ही घृणा की नजर से देख रहे द क्योंकि उसने कपड़े कैसे वो गरीब थी उसके पास भाई पैसा नहीं तभी तो वो खरबूजे लेके बैठी है बेचने के लिए गरीब है वो तो अब वो क्या था वो खूब रो जा रही थी और उसके पोशाक की वजह से आसपास के लोग क्या एक गंदी सी औरत यहां पे बैठ के पागल है रो रही है यह हो रही तो मतलब एक होता है नफरत की निगाह से देखना वो उसको देख रहे द बार-बार उसको ऐसे ही निगाह से देख रहे द और उसे बुरा भला का रहे द अरे तुम यहां से उठ के जाओ यहां जाओ यहां गंदगी नहीं फैलाओ ये करो वो करो तो बार-बार उसको बुरा भला भी बोलते जा रहे द पास पड़ोस की दुकानों से पूछने पर पता चला की उसका 23 बरस का लड़का परसों सुबह सांप के डसने से मार गया तो क्या हुआ जब हम उसने लेखक जी ने आज पड़ोस में दुकानों में पूछने गया की आखिर ये औरत क्यों रो रही है क्या कारण है तो पता चला की परसों सुबह मतलब दो दिन पहले जो है उसका 23 साल का लड़का 23 साल का लड़का मतलब जवान लड़का सांप ने उसको दस लिया था और वो मार गया तो इसी कारण से वो इतना रो रही थी भाई किसी का भी इतना जबान बच्चा मार जाएगा तो बच्चा चाहे जबान हो बुधा हो जैसा भी हो अगर किसी कोई भी अपना गुजरेगा तो तकलीफ होती ही है तो वही तकलीफ कौन जेल रही थी वो खरबूजा बेचने वाली बुद्धि और जो कुछ घर में था सब उसको विदा करने में चला गया घर में उसकी बहु और पोते भूख से बिलक रहे बिलबिल रहे हैं इसलिए वह बेबस होकर खरबूजे बेचने आई थी ताकि उन्हें कुछ खिला सके परंतु सब उसकी निंदा कर रहे द इसलिए वो रो रही थी तो क्या हुआ की उसका बेटा मार गया अब क्रिया कर्म में भी पैसा लगता है तो घर में जितना कुछ था भाई पैसे द कुछ भी ऐसा था उसे लड़के को जो है विदा करने यानी की उसकी अंतिम क्रियो में वो सारा पैसा खर्च हो गया अब घर में एक बहु है बच्चे हैं और वो क्या है भूख से तड़प रहे हैं क्योंकि घर में कुछ खाने को ही नहीं था भाई पैसे नहीं बचे द जितना था आप माना खा चुके अब नहीं था तो क्या हुआ अब इसी वजह से वो खरबूजे बेचने निकली थी और क्योंकि वो एक गरीब टपके द गरीब थी तो लोग उसको घृणा की नजरों से देख रहे द बार-बार बातें सुना रहे द तो और कोई उससे समान नहीं ले रहा था इस वजह की खूब रो रही थी की लोग इससे इतना घाना कर रहे एक तो मैं और पहले से ही इतनी तकलीफ में हूं और मैं अब अपनी तकलीफ को जब कम करना चाहती हूं मेहनत कर रही हूं की खरबूजे लेके आई हूं कोई खरीद ले तो लोग वो भी नहीं ले रहे हैं की मैं अपना और अपने बच्चों का पेट पाल सकूं तो वो भी नहीं हो रहा तो अब उसको तकलीफ और तकलीफ हो रही थी तो तकलीफ थी की सब बच्चे भूखे द ये तकलीफ पहले बच्चा मारा उसपे तकलीफ की घर में कुछ खाने को नहीं उससे तकलीफ की घर में जो बच्चे हैं वो भूख से तड़प रहे हैं अब वो निकली है मेहनत करने के लिए तो लोगों से घृणा कर रहे हैं तो इस तरीके से एक के बाद एक तकलीफ का सामना करने के कारण वो इतना रो रही थी लेखक ने उसके दुख की तुलना अपने पड़ोस के एक संभ्रांत महिला के दुख से करने लगता है जिसके दुख से शहर भर के लोगों के मैन उसे पुत्र शोक में द्रवित होते हैं लेखक सोचता चला रहा की शोक करने गम मनाने के लिए sakhuliya चाहिए और दुखी होने के लिए भी एक अधिकार होता है तो यहां पर क्या हुआ लेखक ने देखा की किस तरीके से जो है एक गरीब टपके की औरत तकलीफ में थी अब वो तुलना क्या करती है की संविधान परिवार संभरण परिवार मतलब पढ़ा लिखा पैसों से संपन्न एक परिवार होता है वो जो है उसका भी एक लड़का मारा होता है लेकिन लोग उसके लिए बड़ी सहानुभूति दिखा रहे हैं अरे उसका बेटा मार गया ये हो गया वो हो गया लेकिन वैसा ही बच्चा तो उसे गरीब औरत का भी मारा था दोनों में समानता थी मगर सिर्फ एक असमानता थी की एक गरीब थी और एक अच्छे धनी परिवार की थी धनी परिवार की थी मगर दोनों दुख में कैसे फरक सुख हो सकता है बेटे तो दोनों के गए द तो यहां पर वो बता रहे द की किस तरीके से दोनों में डिफरेंस था की एक पैसा ना होना गरीबी ना गरीबी होने के कारण तो क्या दुख का अधिकार भी है जाता है दुख का अधिकार तो उतना दोनों का बराबर होता है इसलिए जब दुख का अधिकार बराबर है तो सहानुभूति भी हमें दूसरों दोनों को बराबर देनी चाहिए ना की धनी को ज्यादा देनी चाहिए और गरीब को कम तो यहां पर इस पार्ट के जरिए लेखक ने हमको यह बताने का प्रयास किया है की दुख का अधिकार सभी को बराबर होता है अगर किसी को भी तकलीफ है तो एक जितना दर्द एक गरीब को होगा उतना ही अमीर को होगा और जितना अमीर को होगा उतना ही गरीब को होगा तो ये समाज में दुख का अधिकार सबका बराबर है तो उसको सहानुभूति भी हमें बराबरी देनी चाहिए ना की पैसे और पोशाक देखकर हमें अलग-अलग जगह अपने ही देनी चाहिए आई होप ये चैप्टर आपको बहुत अच्छे से समझ में आया होगा किस चैप्टर में किस तरीके से क्या-क्या चीज आपको समझे गई हैं चैप्टर बहुत छोटा सा था इसमें ऐसा कुछ नहीं था की कुछ समझने के लिए रहे लेकिन तब भी इसने हमको बहुत बड़ी सिख दी है की क्या सिख दी है की पैसा हमारे दुख को कम नहीं कर सकता की पैसा है तो किसी के पास दुख कम है या पैसा नहीं है तो दुख ज्यादा है या कम है अगर पैसा हो या ना हो दुख सभी के बराबर होते हैं तो पहला क्वेश्चन हमसे क्या का रहा है निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए कहने का क्या मतलब है इसे हमें ज्यादा लंबा नहीं देना है एक या दो लाइन में हम इसका उत्तर देंगे तो ये ध्यान रखना है की जैसे हमसे क्वेश्चन पूछा जा रहा है वैसे ही हमें आंसर देना है उन्होंने बोला एक दो पंक्ति पंक्ति तो हमें एक दो पंक्तियों में ही देना है यानी लाइंस पंक्ति का मतलब लाइंस में हमको देना होता है चलिए देखिए पहला क्वेश्चन किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है तो कैसे लिखेंगे किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसका दर्ज और अधिकार का पता चलता है तथा उसे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का पता चलता है मतलब जैसे ही उसकी आर्थिक स्थिति होगी वो वैसे ही कपड़े पहनेगी ये हम सोच लेते हैं चीज को की समाज में की वो किसके लगेगा मतलब एकदम निम्न दर्जे का है माध्यम दर्जे का है उच्च दर्जे का है यह हम कपड़े देखकर पहचान लेते हैं तो ये सब चीज पोजीसन से डिसाइड हो जाती है नेक्स्ट खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बेटे के को मारे हुए एक दिन हुआ था और वह बिना तेरहवीं करें फल बेचने ए गई थी इसलिए लोग सूतक मानकर उसके खरबूजे नहीं खरीद रहे तो क्या होता है ना जिस घर में कोई किसी का देह वासन हो जाता है तो वहां 13 दिन तक क्या होता है एक सूतक क्रिया होती है वो लगती है तो जब 13 दिन के बाद तेरी भी हो जाती है उसके बाद उसे घर की सुनती होती है मगर अब उसके घर में पैसे खाने को नहीं था तो उसे निकल नहीं पड़ा तो इसलिए लोग सूतक मैन रहे द और उसे खरबूजे नहीं खरीद रहे द की इस परिस्थिति में से बाहर नहीं आना चाहिए तो अपने घर में रहना चाहिए था बाहर सब जगह अशुद्धियां को नहीं फैलाना चाहिए था उसे स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा जब वह स्त्री जो रो रही थी उसको देखकर लेखक को कैसा महसूस हुआ उसे स्त्री को देखकर लेखक का मैन व्यथित होता उसके मैन में उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई वह उसके दुख को जाने के लिए बेचैन होता जब लेखक ने देखा की एक बुद्धि स्त्री इस तरीके से इतनी बुरी तरीके से हो रही है तो लेखक बहुत बेचैन हो गए की आखिर क्या कारण है वो इतना रो रही है तो फिर उन्होंने आज पड़ोस की दुकानों में जाकर पता करना चाहा की क्या कारण है तो वो बहुत बेचैन हो रहे द की आखिर इतना ज्यादा क्यों ये स्त्री रो रही है वो गए और उन्होंने उसके बारे में पता किया तो जो भी स्थिति थी लेखक की वो हमें यहां पर लिखनी होती है नेक्स्ट क्वेश्चन उसे स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था उसे लड़के को सांप ने काटा था इस कारण से वो मारा था तो कैसे उसे स्थिति का लड़का एक दिन मुंह अंधेरे खेत में खरबूजे तोड़ रहा था मुंह अंधेरे मतलब सुबह उजाला नहीं हुआ था और वो अंधेरे ही चला गया था खरबूजे जो है तोड़ने के लिए गीली मेड की तरावत में आराम करते सांप पर उसका पैर पद गया तो आप क्या था सांप जो है वो आराम कर रहा था खरबूजा कब होते हैं गर्मी के मौसम में होते हैं और गर्मी में सांप बहुत परेशान हो जाते हैं तो खेत में पानी पड़ा था तो वह वहां ठंडी जगह थी तो सांप क्या था वो मेड पर बैठकर आराम कर रहा था और सांप पर उसे लड़के का पैर पद गया जो मेड मेड जाने लगा तो उसे पर उसे लड़के का पैर पद गया और साथ में उसे लड़के को दस लिया तुरंत सांप ने उसको काट लिया ओझा के झाड़ फूंक आदि का उसे पर कोई प्रभाव ना पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई उसने क्या किया डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय ओझा के पास ले गई की झाड़ फूंक करके जो है वो जहर उतर जाएगा लेकिन नाजिर नतीजतन क्या हुआ उसे बच्चे की मृत्यु हो गई बुधिया को कोई भी क्यों उधर नहीं देता उधर क्यों नहीं दे रहा था बुधिया का बेटा मार गया था इसलिए बुधिया को दिए उधर को लौटने की कोई संभावना नहीं थी इस वजह से बुधिया को कोई उधर नहीं दे रहा था तो कारण क्या था अब उसके घर में जितना पैसा था वो जाकर उससे उसने अपने बच्चे का क्रिया कर्म कर दिया आपने लड़के का जितनी भी क्रिया करते होती है सब उसने कर दिया घर में खाने को नहीं था तो वो सबसे पहले उधर मांगने जाती है की भाई उदाहरण manglate हैं अभी खिला देते हैं और बाद में मेहनत करके चुका देंगे लेकिन कोई भी उसको उधर नहीं दे रहा था क्यों नहीं दे रहा था की भाई अगर मैन लो यह नहीं चुका पाए तो इनके पीछे कौन chukaega कोई भी तो नहीं है पीछे चुकाने वाला है इसलिए उसको कोई उधर देने को तैयार नहीं था और इन्हीं परिस्थितियों में जब कोई खाएं उसको पैसे नहीं दे रहा था तो आप उसे विवश होकर क्या करना पड़ा घर से निकली खरबूजे लेकर बेचने के लिए अब यहां पर अब हमारे पास में ए जाता है उत्तर अब हमें क्या देने हैं 25 से 30 शब्दों में तो अब दो लाइन के क्वेश्चन क्या होंगे तीन लाइन में बदल जाएंगे हमारे जो अभी तक एक या दो पंक्ति में बोल रहे द अब हमें वो दो से तीन पंक्तियों में लिखने होंगे क्योंकि ये वर्ड लिमिट जो इन्होंने 2530 दी ना ये हमारे कम से कम तीन लाइनों में आंसर ए ही जाते हैं तो उसे हिसाब से देना है यहां पर हमारा ये बढ़ जाता है मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है पोशाक हम जो पहनते हैं जो कपड़े पहनते हैं उसका क्या महत्व रहता है के मनुष्य के जीवन में पोशाक का बहुत महत्व है पोशाके ही व्यक्ति का समाज में अधिकार निश्चित करती हैं पोशाके व्यक्ति को ऊंच-नीच की श्रेणी में बांट देती हैं कई बार अच्छी पोशाके व्यक्ति के भाग्य के बंद दरवाजे खोल देती है सम्मान दिलाती है तो अगर मैन लो हम कहीं पर बड़े अच्छे में इंटरव्यू देने जा रहे हैं जहां हम अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं तो क्या होता है हम बहुत अच्छे से ड्रेस अप हो बन जाते हैं ताकि लोग हमारे पहनावे से जो है वो प्रभावित हो जाएं और हमें वो नौकरी मिल जाए और ऐसा कई बार हो भी जाता है इसलिए पोशाक जो है मनुष्य का बहुत हद तक जो है दर्ज निश्चित करते हैं समाज में की वो किस दर्जे से ए रहा है कैसे ए रहा है ये सब चीज हमें निश्चित करती हैं पोशाक के पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है जब हमारे सामने कभी ऐसी परिस्थिति आती है की हमें किसी दुखी व्यक्ति के साथ सहानुभूति प्रकट करनी होती है परंतु उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हमारी पोशाक उसके समीप जाने में तब बंधन और अर्जुन बन जाती है तो क्या होता है जब किसी गरीब इंसान को देखते हैं की वो तकलीफ में हमारा मैन करता है जाकर हम उसको सहानुभूति दे या उसकी तकलीफ को बनते या उसकी कुछ मदद करें लेकिन उसे जगह उसकी पोशाक जो की खराब है और मेरी पोशाक जो की उससे अच्छी है वो अर्चन बन जाती है की हम कैसे इतने अच्छे हो के उसके करीब के इंसान के पास जाएं तो यह हमारी अर्चना ए जाती है हमारी उसे फीलिंग के आगे और हम क्या होते हैं हम नहीं जाते हम आगे बढ़ जाते कहां उसे गरीब बंदे इंसान के पास हम जाएं इतनी अच्छे कपड़े लेकर तो ये जो है उसे समय वंदन बन जाती है लेखक उसे स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया वह स्त्री घुटनो में सर गए फफक फक्कड़ रो रही थी मतलब बैठी थी और बैठ के दोनों पैरों के बीच अपने मुंह को दबाई थी और वहीं पर जो है मुंह दबाकर रो रही थी इसके बेटे की मृत्यु के कारण लोग इसके खरबूजे नहीं ले रहे द उसे बुरा भला का रहे द उसे स्त्री को देखकर लेखक का मैन व्यथित हो उठा उसके मैन में उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई परंतु लेखक उसे स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि उसकी पोशाक रुकावट बन रही थी तो क्या हुआ अब वो एकदम गरीब थी दोनों घुटनो के पैरों पैरों के बीच में अपने सर को दबाकर रो रही थी समझी नहीं का रहे द लेखक अब वो गरीब थी और लेखक ने एक अच्छी पोशाक पहनी हुई थी तो वो उसके पास जा नहीं का रहे द की कैसे हम उसके पास जाकर पूछे तो वो क्या हुए वो आसपास की दुकानों में जाकर उसके कारण को पता कर लिया लेकिन उससे वो जाकर नहीं पूछ पाए की आखिर क्यों रो रही हो तो यहां पर कारण क्या बनी वह पोशाक थी कारण भारी उनके वहां ना जाने की भगवान अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था तो क्या हुआ भगवान शहर के पास डेढ़ भीगा भर जमीन में कछियारी करके अपने परिवार का निर्वाह करता था वह अपनी जमीन में हरि सब्जियां और खरबूजे जैसे falkaya करता था और उन्हें बेचता था भगवान था उसे बुद्धि औरत का बेटा तो वो कैसे गुजारा करता था जो है वो डेढ़ बीघा जमीन थी उसके पास ठीक है और कछियारी की यानी की नदी का पानी जब उतर जाता है वैसा पाएं तो परिवार का निर्वाह वहां पर हरि सब्जियां और खरबूजे उगता था उन्हें से वो अपने घर का पेट पलटा था लड़की की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुधिया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी अब क्या कारण था उसे कोई उधर नहीं दे रहा था घर में खाना खाने को नहीं था तो बेघर मुझे तो बचेगी तो वही आपको यहां पे लिखना बढ़िया बेटे की मृत्यु का शौक तो प्रकट करना चाहती थी परंतु उसके घर की परिस्थितियों उसे ऐसा करने नहीं दे रही थी इसका सबसे बड़ा कारण धन का अभाव था उसके बेटे भगवान के बच्चे भूख के मारे बुलबुला रहे द बहु बीमार थी यदि उसके पास पैसे होते तो वह कभी भी सूतक में सौदा बेचने बाजार में नहीं जाते तो क्या हुआ क्यों गई क्योंकि उसके जो है ना बेटा जो है मार गया था और उसके घर में धन का भाव था धन नहीं था और उसके बेटे के बच्चे जो हैं वो भूख से तड़प रहे द और उसकी पत्नी जो है वह बीमार थी इस कारण वह सूतक की परिस्थिति में ही खरबूजे बेचने के लिए निकल पड़ी बुधिया की दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की समाधान महिला की याद क्यों आई भाई दुख दोनों का से था उसे बुधिया बुद्धि औरत जो गरीब थी उसका भी बेटा मारा था उसे सम्राट औरत की भी घर में बेटा मारा था दोनों का दुख से था मगर दोनों की परिस्थितियों अलग-अलग थी दोनों के तप के अलग द एक निम्न निम्न टपके का था एकदम करीब और एक उच्च धनी वर्ग का था तो वहां पर दोनों की परिस्थितियों अलग-अलग होने पर दोनों के ऊपर लोगों की जो अभिव्यक्ति थी दुख व्यक्त करना सहानुभूति की जो भावना होती दोनों की ही अलग-अलग थी कैसे लेखक के पड़ोस में एक संभ्रांत महिला रहती थी उसके पुत्र की भी मृत्यु हो गई थी और बुधिया के पुत्र की भी मृत्यु हुई थी दोनों के पुत्रों की मृत्यु हुई थी परंतु दोनों के शोक मनाने का ढंग अलग अलग था ठीक है दोनों के शॉप बनाने का ढंग अलग बेटे की मृत्यु के अगले ही दिन वृद्धा को बाजार में खरबूजे बेचने आना पड़ा था वह घर में बैठकर रो नहीं सकती थी मानो उसे इस दुख को मनाने का अधिकार ही नहीं था आसपास के लोग उसकी मजबूरी को अनदेखा करते हुए उसे वृद्धा को बहुत बुरा भला बोलते हैं जबकि सम्राट महिला को असीमित असीमित समय था यानी उसके बाद बहुत सारा समय था लड़ाई मास से पलंग पर ही डॉक्टर सिरहाने बैठा रहता था लेखक दोनों की तुलना करना चाहता था इसलिए उसे सम्राट महिला याद आई की मतलब वो बेटे के दुख में बेड पर ए गई थी और डॉक्टर उनके सर पे बैठा हुआ था लोग उससे अच्छे से सहानुभूति भी दिखा रहे द मगर यहां बुद्धि की बुद्धि औरत की परिस्थितियों अलग थी की वह शाहकार भी दो चोक नहीं बना का रही थी क्योंकि उसके पास धन नहीं था उसे कमाने के लिए घर से निकलना ही निकलना था अब क्या आता है हमें 50 से 60 शब्दों में लिखना है अब यहां पर हमें ज्यादा लाइंस में लिखना है एटलिस्ट फाइव तू सिक्स लाइंस में हमें आंसर देना होगा क्योंकि यहां पर वर्ड लिमिट बढ़ जाती है क्या पूछा है बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बारे में क्या-क्या का रहे द अपने शब्दों में लिखिए देखिए फिर वही आंसर ए गया की अपने शब्दों में लिखिए तो अपने शब्दों में लिखना जो भी बोला गया है उसे आप अपने अकॉर्डिंग लिख सकते हैं लेकिन जो बोला गया है वही अपने अपने मैन से उसमें कोई चीज आपको नहीं जोड़नी है तो कैसे लिखेंगे धन के अभाव में बेटे की मृत्यु की अगले दिन ही वृद्धा को बाजार में खरबूजे बेचने आना पड़ा था बाजार के लोग उसकी मजबूरी को अनदेखा करते हुए उसे वृद्धा को बहुत भरा बुरा बोलते हैं कोई घृणा से ठोकर बेहया कहता रहा कोई उसकी नियत को दोष दे रहा था कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता है कोई कहता है इसके लिए रिश्तो का कोई मतलब नहीं है परचून वाला कहता है यह धर्म ईमान बिगाड़ कर अंधेर मचा रही है इसका खरबूजे बेचना सामाजिक अपराध है इन दिनों कोई भी उसका समान छूना नहीं जाता था क्योंकि वह इन दोनों सूतक में थी तो यहां पर लोग उसको जैसे-जैसे बोल रहे द वह सारी चीज लिखेंगे और किस कारण से ये बोल रहे द क्यों क्योंकि वहां इन दिनों सूतक में थी यह चीज भी आपको मेंशन करनी होगी वहां पर नेक्स्ट पास पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला क्या पता चला था पास पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को पता चला की बुधिया का 23 साल का जवान लड़का था घर में उसकी बहु और पोता पोती है लड़का शहर के पास डेढ़ भीगा भर जमीन में कछियारी करके निर्वाह करता था मतलब वहां पर खेती करता था खरबूजा की दलिया बाजार में पहुंचकर कभी लड़का कभी मैन बैठ जाती परसों सुबह अंधेरे खेत में से बलों से तरबूज चुन रहा था की तरावत में आराम करते सांप ने पर उसका पैर पद गया और सांप ने उसे लड़के को दस लिया ओझा के झाड़ फूंक आदि का उसे पर कोई प्रभाव ना पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई तो जो भी लेखक ने जाकर राज पड़ोस की दुकानों से पता किया था वह सारी बात हम इस तरीके से यहां पर लिखेंगे लड़के को बचाने के लिए बुधिया मैन ने क्या-क्या उपाय किए अब लड़के को जब सांप ने काट लिया था तो मैन ने जो जो उपाय किए द वो आपको यहां पर मेंशन करनी है लड़के को बचाने के लिए बुधिया जो कुछ कर सकती थी उसने वहां सब भी उपाय की वह पागल सी हो गई झाड़ करवाने के लिए ओझा को बुलाई सांप का विश निकल जाए इसके लिए नाग देवता की भी पूजा की घर में जितना आता अनाज था वह डैन दक्षिण में ओझा को दे दिया परन दुर्भाग्य से लड़के को कोई नहीं बचा पाया मतलब उसके जितने प्रयास द पूजा करना डैन दक्षिण देना ओझा को लाना उसने सारे कार्य किए मगर वह अपने बेटे को नहीं बचा पाएगी तो वो जितने भी प्रयास है वो हम यहां पर मेंशन कर देंगे लेखक ने बुधिया के दुख का अंदाजा कैसे लगाया लेखक उसे पुत्र viyogni के दुख का अंदाजा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुखी माता की बात सोचने लगा अब अंदाजा लगा उसने क्या लिखा पहले जो है ना उसके पड़ोस में कुछ टाइम पहले एक लड़के की मृत्यु हो गई थी तो उसकी मैन कैसे दुखी थी उसने वो चीज से तुलना करनी शुरू कारी वह महिला से मतलब करीबन तू एंड हाफ मैन से पलंग पर थी और जो है 15-15 मिनट बाद पुत्र वियोग से मूर्छित हो जा रही थी मतलब हर 15 मिनट बाद वो मूर्छा में चली जाती मतलब बेहोश हो जाती थी डॉक्टर सिरहाने बैठा रहता था शहर भर के लोगों के मैन में पुत्र शोक से द्रवित होते द अब मैन की ऐसी हालत देखकर जो है ना वहां आसपास कितना बुरा हुआ है इतना बड़ा बेटा खत्म हो गया उसको सब जो है बहुत बुरा क्या का रहे हैं और दूसरे के लिए बड़ी अच्छी sahanubhutiyan दिखा रहे हैं इस तरीके से जो है उन्होंने दुका अंदाजा लगाया दोनों अलग-अलग लोगों का इस पाठ का शीर्षक दुख का अधिकार कहां तक सार्थक है स्पष्ट कीजिए तो कभी जो इस पार्ट का लेखक ने जो इस पाठ का नाम रखा है दुख का अधिकार वो इस पार्ट पे एकदम सही बैठता है की नहीं बैठता है ये सार्थकता हमको सिद्ध करनी है तो ये हम कैसे करेंगे देखिए इस कहानी में उसे बुधिया के विषय में बताया गया है जिसका बेटा मार गया है धन के अभाव में बेटे की मृत्यु के अगले दिन ही श्रद्धा को बाजार में खरबूजे बेचने आना पड़ता है बाजार के लोग उसकी मजबूरी को अनदेखा करते हुए उसे वृद्धा को बहुत बुरा भला बोलते हैं कोई घृणा से थूक कर बेहया का रहा था तो कोई उसकी नियत में दोष दे रहा था कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता तो कोई कहता की इसके लिए रिश्तो का कोई मतलब नहीं है परचून वाला कहता है यह धर्म ईमान बिगाड़ कर अंधेर मचा रही है इसके खरबूजे भेजना सामाजिक अपराध है इन दिनों कोई भी उसका समान छूना नहीं चाहता था यदि उसके पास पैसे होते तो वह कभी भी सूतक में पैसा सौदा बेचने बाजार में नहीं जाती दूसरी ओर लेखक के पड़ोस में एक संविधान महिला रहती थी जिसके बेटे की मृत्यु हो गई थी उसे महिला के पास शोक मनाने का असीम इस समय था अदाई मैन से पलंग पर थी डॉक्टर सिरहाने बैठा रहता था लेखक दोनों की तुलना करना चाहता था इस कहानी से स्पष्ट है की दुख मनाने का अधिकार भी उसके पास है जिसके पास पैसा है निर्धन व्यक्ति अपने दुख को अपने मैन में ही रख लेता है वह इसे प्रकट नहीं कर पता इसलिए इस पाठ का शीर्षक दुख का अधिकार सार्थक है तो सबसे पहले हमने इसकी कहानी के सर को लिखा यानी की समरी लिखी की किस तरीके से ये आएगा फिर ये हमने तुलना जब दोनों की तुलना हमने कर दी तो ये चीज यहां पर हमने बताई की जिसके पास पैसा है उसे दुख मनाने का अधिकार है और जिसके पास नहीं है उसे दुख मनाने का भी अधिकार नहीं है तो ये इस कहानी के लिए एकदम सार्थक सिद्ध होता है नाम अब क्या है हमारे पास आता है आशय स्पष्ट कीजिए मतलब हमारे सामने वक्तव्य आएगा और उसका मतलब हमें स्पष्ट करना होगा क्या जैसे वायु की लहरों कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देती उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकते से रोक लेती है तो क्या होता है जब पतंग कट्टी है तो वो एकदम से जमीन पर नहीं गिरती क्यों नहीं गिरती क्योंकि हवा उसे धीरे-धीरे धीरे-धीरे दूर तक बहन ले जाती हैं उसी तरह हमारी पोशाके क्या होती हैं हम एकदम से किसी गरीब व्यक्ति के पास जाकर उसके दुख को नहीं पूछ पाते क्योंकि हमारी पोशाक मतलब हमारा जो आ वो है की हम एक अच्छे दर्जे के हैं ये हम हमें उसे तक झुकने नहीं देता तो इस बात का कैसे लिखेंगे हम यहां पर आपको बताएंगे प्रस्तुत कहानी समाज में फैले अंधविश्वासों और अमीरी गरीबी के भेदभाव को उजड़ उजागर करती है ये कहानी अमीरों के अमानवीय व्यवहार और गरीबों की को दर्शाती है मनुष्यों की पोशाके उन्हें विभिन्न श्रेणियां में बांट देती हैं प्राय पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार है और उसका दर्ज निश्चित करती है वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है परंतु कभी ऐसी परिस्थितियों ए जाती हैं की हम जरा नीचे झुक कर समाज की निचली श्रेणियां को की अनुभूति को समझना चाहते हैं उसे समय यह पोशाक ही बंधन और अर्जुन बन जाती हैं जैसे वायु की लहरों कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देती उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पुश के जो हैं हमें झुक सकते से रोक लेती हैं की वहां तक आप मत जाइए इनके लिए बेटा बेटी खसम लुगाई धर्म ईमान सब रोटी का टुकड़ा है तो यह वक्तव्य बोला जा रहा था इसका क्या मतलब था बोले जाने का ये हमें यहां पर बताना है समाज में रहते हुए प्रत्येक व्यक्ति को नियमों कानून और परंपराओं का पालन करना पड़ता है दैनिक आवश्यकताओं से अधिक महत्व जीवन मूल्य को दिया जाता है यह वाक्य गरीब पर एक बड़ा व्यंग है गरीबों को अपनी भूख के लिए पैसा कमाने रोज ही जाना पड़ता है चाहे घर में मृत्यु हुई क्यों ना हो गई हो परंतु कहने वाले उनसे सहानुभूति नरक कर यह कहते हैं की रोटी ही इनका ईमान है रिश्ते नाते इनके लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि वो औरत चली गई थी सूतक में बाहर खरबूजे बेचने तो यह आसपास के लोगों का बोलने का था की रोटी ही इनके लिए सब कुछ है इसलिए बोला गया था शोक करने गम मनाने के लिए भी sakhuliya चाहिए और दुख होने का भी एक अधिकार होता है यह ऐसा क्यों बोला गया यह रंग अमीरी पर है क्योंकि समाज में अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं मतलब अब दुख मनाने का भी हमारे पास बहुत समय हम अगर कुछ दिन कम पे नहीं जाएंगे तो नुकसान होगा तो हम बर्दाश्त कर लेंगे ठीक है तो ये दिया की समय है और दुख मनाने की सुविधा इसलिए होती है पैसा है तो आप आराम से खर्च करिए और बैठ जाइए तो ये सुविधा होती है इसके लिए मैं दुख मनाने का दिखावा भी कर पाते हैं की हान भैया बहुत अच्छे शांति सभाए सब जगह करते हैं की हमको दुख हो रहा है ये सब चीज दिखावा भी करते हैं उसे अपना अधिकार समझते हैं शो करने गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए सहूलियत मतलब हमें धन चाहिए धन होगा तभी हम शोक का दिखावा कर पाएंगे की हम इतने दुखी हैं दुख में मातम सभी मानना चाहते हैं चाहे वह अमीर हो या गरीब अगर किसी वह दुख है तो मातम हर कोई व्यक्ति बनाना चाहता है क्यों क्योंकि उसे वक्त किसी को कुछ सोचता नहीं लेकिन अगर पेट से कोई भूखा है ज़रूरतें हमें मजबूर कर देती हैं कम करने के लिए परंतु गरीब विवश होता है वह रोजी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है उसके पास दुख मनाने का ना तो समय होता है और ना ही सुविधाएं सुविधाएं क्यों नहीं जब पैसा नहीं है तो भाई वो दुख का दिखावा नहीं कर सकता अब वो पैसा ही रोज कम रहा है रोज खा रहा है तो अगर वो एक दिन दुख मनाने बैठ जाएगा तो क्या कमेगा और क्या खाएगा इसलिए वो ये भी नहीं कर पता इस प्रकार गरीबों को रोटी की चिंता उसे दुख मनाने के अधिकार से वंचित कर देती हैं तो वहां पर क्या था फुटपाथ पे एक बुधिया थी जो बैठी हुई थी वह रो रही थी ठीक है कपड़े में घुटने के अंदर प्यार करके घुटने के अंदर मुंह करके और जो है कपड़े में मुंह ढाबा के वो रो रही थी तो यहां पर क्या है लेखक किसके रोने का कारण नहीं जान पाया बच्चे के नहीं बुधिया के मैन वाले के नहीं इसमें से कोई नहीं तो क्या था लेखक जो है वो बुधिया के रोने का कारण नहीं जान का रहा था की क्यों रो रही है वो अब इसके आगे देखते हैं हम प्रश्न संख्या दो प्रश्न संख्या दो में क्या दिया है बुधिया की दुख को देखकर लेखक को किस की याद ए गई थी बुधिया का दुख जब वो जान गए क्या कारण है वो रो रही थी तो उसके साथ उन्हें किसकी उसे किसके साथ वो सिमिलर करने लगे द किसकी याद आई थी अपनी मैन की गांव की संभ्रांत महिला की या बच्चों की तो उन्हें याद किसके आई थी संभ्रांत महिला की वो महिला जिसका पुत्र गुजर गया था और वह अढ़ाई महीने तक जो है वो बिस्तर पे ही पड़ी रही थी दुख के कारण तो यहां पर जब बुधिया को उन्होंने बुधिया का दूध जाना तो उन्होंने संभ्रांत एक महिला की याद ए गई थी अब आते हैं क्वेश्चन नंबर थ्री क्या दिया है समाज में मनुष्यों का अधिकार और उसका दर्ज कैसे सुनिश्चित होता है यानी की जो उनका दर्ज है जो पोजीशन है वो समाज में कैसे निश्चित होती है रहन सहन से खानपान से पोशाक से या घाव वाला का और ख सही है तो यहां पर हमारा सही क्या होगा हमारा पोशाक से की किसी के भी रहने सहने की जो भी पोजीशन होती है वो हमें समाज में उसके पोशाक द्वारा ही पता चलती है अब आते हैं क्वेश्चन नंबर फोर क्या दिया है हमारे पास खरबूजे बेचने वाली बुधिया के बेटे का क्या नाम था जो खरबूजा बेच रही थी उसके पुत्र का नाम क्या था भगवान तो यहां पर उसके सही का क्या नाम था भगवान उसे जो खरबूजा बेचने वाली थी उसके बेटे का नाम क्या था भगवान यह देखिए अब आते हैं क्वेश्चन नंबर फाइव क्वेश्चन नंबर फाइव क्या है बुद्ध की मृत्यु के अगले दिन किसे बाजार आना पड़ा था किसका पुत्र मार गया था उसके अगले ही दिन उसको बाजार आना पड़ा था लेखक को पड़ोसी को बुधिया को या इनमें से किसी को नहीं तो वो बुधिया ही थी जिसे अगले दिन खरबूजे बेचने के लिए बाजार में आना पड़ा था क्वेश्चन नंबर सिक्स क्या दिया है बुधिया को बुधिया के पुत्र की मृत्यु के अगले ही दिन बाजार क्यों आना पड़ा था तो कौन अब किसको आना पड़ा था हमने देखा बुधिया को लेकिन क्यों आना पड़ा था क्या कारण था वो आई थी खरबूजे बेचने सब्जी खरीदने घूमने या इनमें से कोई नहीं तो वो क्या करने आई थी खरबूजे बेचने के लिए आई थी क्वेश्चन नंबर सेवन में क्या दिया है कहानी में किसके मरने पर 13 दिन 13 दिन का सूतक कहा गया है किसके मरने पर 13 दिन का सूतक कहा गया है कौन मार गया था जिसके मरने पर 13 दिन का सूतक बनाने की बात कही गई है बच्चे के स्त्री के विरुद्ध के या पड़ोसी के तो यहां पर बच्चे के किसके बच्चे के बुधिया के बुधिया का जो बच्चा था वो मार गया था ना भगवान तो उसके मरने के बाद 13 दिन सूतक मनाने की बात इस कहानी में कहीं गई है क्वेश्चन नंबर 8 क्वेश्चन नंबर 8 में क्या दिया है बुधिया के बच्चे की मृत्यु कैसे हुई थी बुधिया का जो बच्चा था वो कैसे मार गया था दुर्घटना से बीमारी से सांप के काटने से या खेत में गिरने से तो उसके पुत्र की जो मृत्यु हुई थी वो सांप के काटने से हुई थी खेत में उसे सांप ने काट लिया था और उसी से उसकी मृत्यु हो गई थी अबे प्रश्न संख्या नौ प्रश्न संख्या नौ में क्या दिया है कहानी में लोगों ने किसे पत्थर दिल कहा है किस किसको पत्थर दिल कहा है लेखक को बुधिया को या भगवान को पड़ोसी को तो यहां पर कहानी में लोगों ने बुधिया को पत्थर दिल कहा है की पुत्र मार गया है उसका शोक मनाने की बजाय वो बुधिया कितनी पत्थर दिल है की खरबूजा बेचने के लिए वह कहां पर ए गई बाजार में ए गई तो सभी बुधिया को जो है वो पत्थर दिल बोल रहे द क्वेश्चन नंबर 10 में क्या दिया है कपड़े में मुंह को छिपाए सर को घुटने पर रखकर कौन रो रहा था तो जैसे हमने पिक्चर में भी देखा इस पार्ट के इसमें की उसमें कौन रो रहा था बुधिया रो रही थी लेखक नहीं रो रहा था भगवान नहीं रो रहा था ना ही पड़ोसी रोड रही थी बुधिया का पुत्र मार गया था अगले दिन उसे पर आना पड़ा था उसको बहुत दुख था तो किस बोलती क्या करती है तो वो चुपचाप कपड़े में मुंह दबाए घुटने में सर रख के वो रो जा रही थी अब है क्वेश्चन नंबर 11 में क्या दिया है किसकी मृत्यु के पक्ष बुधिया के परिवार का पालन पोषण करने वाला कोई नहीं था कौन मार गया था जिसके कारण जिसके बाद अब उसके परिवार का पालन पोषण करने वाला कोई नहीं था लेखक की मृत्यु के बाद पड़ोसी की मृत्यु के बाद भगवान की मृत्यु के बाद या इनमें से कोई नहीं तो कौन था भगवान की मृत्यु हो गई थी भगवान कौन था बुधिया का पुत्र था उसकी मृत्यु हो जाने के बाद उसके घर का पालन पोषण करने वाला कोई भी नहीं था जो उसका पालन पोषण करता देखभाल करता है उसके परिवार की क्वेश्चन नंबर 12 क्वेश्चन नंबर 12 में हमारे पास में क्या दिया है बाजार में लोग बुधिया को किस दृष्टि से देख रहे द बाजार में जो लोग द वो बुधिया को किस दृष्टि से देख रहे द प्रेम की दृष्टि से घृणा की दृष्टि से नफरत की दृष्टि से या ईर्ष्या की दृष्टि थी तो वहां पर सभी उसको नफरत की दृष्टि से देख रहे द की ये कैसी औरत है जो यहां पर ए गई है अब है प्रश्न संख्या 13 में क्या दिया है सांप के काटने पर बुधिया किसको बुलाई थी यानी की जब उसके बेटे भगवान आपको सांप ने काटा था तो बुधिया किसको बुला कर लेकर आई थी डॉक्टर को पड़ोसी को ओझा को या गांव वालों को तो तुरंत कहां गई थी वह तुरंत ही ओझा को बुला लाई थी सांप के काटने पर की ओझा जो है जल्दी से वह सांप के जहर को उतार देगा तो तुरंत ही ओझा को बुलाने दौड़ गई थी अबे प्रश्न संख्या 14 में क्या दिया है किसके दुख को देखकर लेखक को संभ्रांत महिला की याद आई थी तो किसका दुख देखा था उसने बुधिया का दुख देखा था तभी उसे सम्राट महिला की याद ए गई थी अब है प्रश्न संख्या 15 में क्या है लेखक के अनुसार किसे दुख मनाने का अधिकार नहीं है यानी की लेखक ने जब ये पाठ लिखा तो सबको कंपेयर किया तो उसको अंत में उन्होंने क्या बोला था की किसको जो है दुख मनाने का अधिकार नहीं होता बुधिया को पड़ोसी को गरीबों को या बच्चों को तो यहां पर क्या है गरीबों को काट के अनुसार लेखक के अनुसार लेखक ने जो पाठ लिखा है उसके अनुसार गरीबों को दुख मनाने का अधिकार नहीं होता है अब है प्रश्न संख्या 16 में क्या दिया है बुधिया बाजार में क्या बेचने गई थी वह बेचने के लिए क्या गई थी तरबूज खरबूजे सब्जी या खिलौने तो वो क्या बेचने गई थी खरबूजा को बेचने के लिए वो मंडी आई थी प्रश्न संख्या 17 बुधिया का हाल पूछने में लेखक को किस के कारण परेशानी थी बुधिया के किसके कारण परेशानी हो रही थी पोशाक के कारण पड़ोसी के कारण दुकानदारों के कारण या बच्चों के कारण उनको दिक्कत क्या हो रही थी वो अपनी पोशाक के कारण बुधिया से उसकी परेशानी नहीं पूछ का रहे द क्योंकि यह पाठ यह है की भाई पोशाक हमारे वर्ग को निश्चित करता है और हमें नीचे गिरने से बचाता है अर्थात हम नीचे तब के लोगों से जल्दी बात नहीं कर पाते तो यहां पर लेखक के अनुसार उनकी पोशाक ही जो है उन्हें बुधिया का हाल पूछने के लिए रोक रही थी प्रश्न संख्या 18 क्या दिया है लेखक के अनुसार बुधिया को कोई क्यों उधर नहीं देता है उसको कोई भाई उसके पास पैसे नहीं द इसलिए वो खरबूजे बेचने के लिए मार्केट में आई थी तो मुझसे कोई उधर क्यों नहीं दे रहा था वह गरीब थी उसका पति नहीं था उसके बेटे की मृत्यु हो गई थी इनमें से कोई नहीं तो कारण क्या था उसके बेटे की मृत्यु हो गई थी और वो 13 दिन के सूतक में थी और यह भी सोच रहा था सोच रहे द सभी की भाई इसका अगर इसको उधर दे दिया तो ये नहीं चुका पाएगी तो कौन chukaega ये तो खुद ही बुधिया है कम मार जाए नहीं पता तो यहां पर कारण ये था की उसके पैसे अगर ये नहीं चुका पाएगी तो इसका तो कोई पीछे है भी नहीं जुड़ चुका पाए तो सभी कारण कहां पर द उसके बेटे की मृत्यु हो गई थी इसी कारण उसे कोई भी उधर नहीं दे रहा था प्रश्न संख्या 19 लोगों के अनुसार बुधिया को कितने दिन सूतक करना चाहिए था तो शासन 13 दिन का सूतक करना चाहिए तो यहां पर लोगों के अनुसार भी उसे 13 दिन का सूतक करना चाहिए था तो सूतक का यहां तात्पर्य क्या है की जब कोई मार जाता है तो उसे घर के व्यक्ति कहीं नहीं जाते बाहर नहीं जाते किसी के घर नहीं जाते कोई कार्य पे नहीं जाते तो तेरा दिन तक वह शोक मानती हैं घर के अंदर रहते हैं तो वो कहते हैं एक तरीके से अशुद्ध हो जाता है अगर 13 दिन बाद पूजा पाठ करने के बाद वो सूतक हटा है तो वही चीज उन्होंने आप बोलिए की तेरा दिन तक सूतक बनाना चाहिए था अबे प्रश्न संख्या 20 प्रश्न संख्या 20 में क्या दिया है 7 के काटने के कारण लड़के का शरीर कैसा हो गया था जब भगवान आपको सांप ने काट लिया था उसका शरीर कैसा हो गया था ठंडा कला सफेद या कला तो उसका कैसे बताया गया था उसका शरीर कला पद गया था सांप के काटने के बाद उसका शरीर कला हो गया था प्रश्न संख्या 21 में क्या दिया गया है खरबूजे बेचने वाली से कोई खरबूजे क्यों नहीं ले रहा था वह खरबूजा उससे कोई भी खरबूजा नहीं खरीद रहा था तो कारण क्या था उसके खरबूजे अच्छे नहीं द उसके रेट बहुत अधिक द उसके पुत्र की मृत्यु हो गई थी जिसके कारण उसके घर में अभी सूतक था या इनमें से कोई नहीं तो सही कारण क्या था कोई से खरबूजे क्यों नहीं ले रहा था क्योंकि उसके घर में उसके पुत्र की मृत्यु हो गई थी और अभी उसके घर में सूतक चल रहा था तो सूतक में भी कोई समान उनके घर से नहीं लिया जा सकता था यहां पर इसी कारण उसके खरबूजे कोई भी खरीद नहीं रहा था अबे प्रश्न संख्या 22 22 में क्या दिया है भगवान अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था सब्जी तरकारी बेचकर परचून की दुकान से मजदूरी करके फेरी लगाकर कपड़े बेचकर पाठ में क्या दिया है कछियारी करके तो कछियारी का तात्पर्य क्या था सब्जी तरकारी बोना अब उन्हें को वो बेचकर अपना पालन पोषण पूरे परिवार को पलटा था तो सही यहां पर क्या होगा भगवान अपने परिवार का निर्माण सब्जी तरकारी बेचकर करता था तो कछियारी का तात्पर्य हमारा हमने आपको बता दिया पाठ में कछियारी लिखा है यहां पर हमने उसके अर्थ के हिसाब से आपके लिए ही सामने प्रश्न रखा है तो सबसे तरकारी बेचकर वह निर्वाह करता था अबे प्रश्न संख्या 23 23 में क्या दिया है लड़के की मृत्यु के दिन ही बुधिया खरबूजे बेचने क्यों चल दी थी जिस दिन लड़का मारा और उसी दिन वो चली गई क्या कहते हैं खरबूजे बेचने के लिए इसका कारण क्या था उसके घर में खाने को कुछ नहीं था उसके पोता पोती भूख से बिलबिल रहे द उसकी बहु बुखार से तप रही थी उपयुक्त सभी तो यहां पर हम देखेंगे की यह सभी कारण द जिसकी वजह से बुधिया को अपने घर से बाहर अपने पुत्र की मृत्यु के दिन ही खरबूजे भेजें क्योंकि उसके पास कुछ नहीं था बच्चे सब भूख से बिलबिल रहे द की कुछ खाने को उनको चाहिए और कुछ भी नहीं था और ऊपर से बहु बुखार से तप रही थी उसको भी दावा देनी थी सब कर रहा था तो कुछ पैसे ना होने के कारण उसको यही सोचा की मैं खरबूजे बेचू तो मुझे पैसे मिलेंगे ताकि ये सारी समस्याएं हाल हो पाएंगे तो यहां पर यह सभी कारण एकदम सही द अबे प्रश्न संख्या 24 प्रश्न संख्या 24 में क्या दिया लड़की को बचाने के लिए बुधिया ने क्या किया जब बच्चे को सांप ने काट लिया था तो उसने क्या किया था बचाने के लिए वह चिकित्सक को बुलाकर लाई थी उसने स्वयं ही देशी दावा खाने को दे दी मतलब देसी जो घरेलू दवाइयां होती है वो खाने के लिए दे दी की ये खालू सही हो जाएगा वह झाड़ फूंक करने वाले ओझा को बुला के लाई इनमें से कोई नहीं तो सही क्या था उसने बचाने के लिए तुरंत ही वो दौड़कर गई और झाड़ खूब करने वाले ओझा को बुलाकर ले आई थी अभय प्रश्न संख्या 25 प्रश्न संख्या 25 में क्या दिया है बुधिया खरबूजे कहां रखकर बेचती थी यानी की जब वो पाठ में हमने देखा गया ना तो वो आई खरबूजे बेच रही थी तो कहां पर रखे द उसने दुकान पर फुटपाथ पर रेहड़ी पर या सर पर रखकर तो वो कहां पर राखी थी फुटपाथ पर रखकर वो खरबूजा को बेच रही थी यानी की जो फुटपाथ था उसी तरह से खरबूजा को लगा रखा था और उसी पर वो बेच रही थी अबे प्रश्न संख्या 26 पृष्ठ संख्या 26 में क्या दिया है लेखक ने अपनी तुलना किस की है लेखक ने पहले ही पेज में जो है तुलना कारी हुई है किस वो तुलना कर रहे हैं अब जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली कटी पतंग केट हुए वृक्ष से तो उन्होंने अपनी तुलना किस कारी है कटी हुई पतंग से ठीक है जैसे कटी हुई पतंग होती है वो उड़ती हुई आती है और तेज हवा की जो भूखे होते हैं उसे जमीन में गिरने से बचा लेते हैं तो यहां पर लेखक भी जो था वो झुक नहीं का रहा था उसे बुधिया का दुख नहीं पूछ का रहा था कारण क्या था की उसकी पोशाक यानी की जो पोशाक थी वो उसे नीचे झुक कर पूछने से माना कर रही हैं अब आते हैं प्रश्न संख्या 27 पे 27 में क्या दिया है मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है पोशाक मनुष्य के सामाजिक स्टार को दर्शाती है मतलब जो हम पोशाक पहनते होता है बताते हैं की हम समाज में कौन से वर्ग में हैं हम निम्न वर्ग में हैं माध्यम वर्ग में है उच्च वर्ग में है या उच्चतम वर्ग में है हमारे वर्ग को वो दर्शाती है पोशाक के द्वारा ही मनुष्य अपने और अन्य मनुष्य में भेद करता है इन्हीं पोजीसन के कारण हम जान पाते हैं की हम किस वर्ग के हैं और बाकी दूसरे किस वर्ग से आते हैं खास परिस्थितियों में पोशाक हमें नीचे झुकने से रुकते है बहुत सी ऐसी परिस्थितियों आती हैं की हम ऐसे कार्यों को करने से रुक जाते हैं की हम तो इस वर्ग से संबंधित हैं तो हम ऐसा कार्य क्यों करें तो यह बात होती है उपयुक्त सभी कथन सत्य तो क्या है मनुष्य के जीवन में पोशाक के ये सारे ही महत्व एकदम सही है जो ऊपर के दिए गए हैं तीनों ही कथन हमारे यहां पर सही है अब आते हैं प्रश्न संख्या 28 पर 28 में क्या दिया है दुख का अधिकार कहानी में लेखक क्या बताना चाहता है ये जो हमने पाठ पूरा पढ़ा हुआ था इसलिए लेखक कहना क्या चाहते हैं दुख व्यक्त करने का अधिकार अमीरों को ही होता है ये बता रहे हैं वो गरीब आदमी को दुख की अनुभूति कम होती है यानी गरीब आदमियों को ज्यादा दुख नहीं होता है गरीब आदमी को दुख व्यक्त करने का अधिकार नहीं है गरीब आदमी को दुख व्यक्त करने का अधिकार नहीं मिलता है दुख के अनुभूति सभी को समान रूप से होती है तो यहां पर इस बात में लेखक ने हमें क्या बताया है की दुख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है चाहे वो अमीर हो चाहे गरीब हो मगर परिस्थितियों उन्हें व्यक्त करने का तरीका हमारे लिए अलग-अलग कर देती है यह चीज उन्होंने हमें समझने की कोशिश करिए तो सही यहां पर क्या है दुख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है अबे प्रश्न संख्या 29 29 में क्या दिया है निम्नलिखित में से कौन सी कृति यशपाल की नहीं है ये पाठ हमारा यशपाल जी द्वारा लिखित है तो इसमें हमें देखना है की कौन सी कृति उनके द्वारा लिखित नहीं है देशद्रोही भाषा और समाज ज्ञान डैन मेरी तेरी उसकी बात तो यहां पर जो कृति यशपाल जी द्वारा लिखित नहीं है वो है भाषा और समाज ये यशपाल जी की कृति नहीं है तो ये अगर कौन सी है कौन सी नहीं है इसके लिए आप यशपाल जी का जो जीवन परिचय बुक में दिया गया है उसको ध्यान से उनकी जो रचनाओं के नाम है उन्हें padhiyega तो आपको पता चल जाएगा की कौन-कौन से नाम है और कौन-कौन से नहीं है अबे प्रश्न संख्या 30 प्रश्न संख्या 30 में क्या है यशपाल का जन्म कहां हुआ है कहां पर हुआ है फिरोजपुर छावनी में अंबाला छावनी में कानपुर में या बरेली छावनी में तो जो बुक में हमारा दिया हुआ है उनका जन्म फिरोजपुर छावनी में हुआ था अब आते हैं प्रश्न संख्या 31 पे अब 31 के लिए हमारे सामने गद्यांश दिया गया है उसको हम पढ़ेंगे उसी पे आधारित प्रश्नों को हमें देखना है क्या दिया गया निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए मनुष्यों की पोशाके उन्हें विभिन्न श्रेणियां में बांट देती हैं प्रयाग पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज निश्चित करती हैं वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती हैं परंतु कभी ऐसी भी स्थिति ए जाती है की हम जरा नीचे झुक कर समाज की निचली श्रेणियां की अनुभूति को समझना चाहते हैं उसे समय यह पोशाक ही बंधन और अर्जुन बन जाती है जैसे वायु की लहरों कटी हुई पतंग को सह सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देती उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकते आधारित हमारे सामने प्रश्न रखे गए क्या क्या कार्य करती हैं उनको प्रतिष्ठित बनाती हैं उनको विभिन्न श्रेणियां में बांट देती हैं भेदभाव को कम करती हैं भाईचारे को बढ़ते हैं तो सही क्या है जो गद्यांश के अनुसार है उनको विभिन्न श्रेणियां में बांट देती है यानी अलग-अलग उनके वर्ग बना देती है प्रश्न संख्या 32 में क्या दिया हुआ है हमारे पास हमारे बंद दरवाजा को कौन खोलता है दरबार हमारी avashyaktaein हमारी पोशाक हमारी आर्थिक स्थिति तो गद्यांश के हिसाब से हमारी पोशाक ही हमारे बंद दरवाजा को खोलती है अबे प्रश्न संख्या 333 में क्या है पोशाक हमारे लिए बंधन कब बन जाती है जब हम अपने से निचली श्रेणियां की अनुभूति को समझना चाहते हैं जब हम दूसरों से आगे बढ़ाना चाहते हैं जब हम किसी समारोह में जाना चाहते हैं जब हम विद्यालय में पढ़ने जाते हैं तो हमारे लिए बढ़ा कब बनती है जब हम अपने से निचली श्रेणियां की अनुभूतियों को समझना चाहते हैं तो वह पोशाके हमें निचली श्रेणियां से बात करने के लिए बंधन बन जाती है हमें नहीं बात करने देती हमारा वर्ग निश्चित कर देती भाई हम तो उच्च वर्ग के हैं वो निचली वर्ग के हम उनसे बात नहीं करेंगे तो ये हमारे लिए श्रेणियां के विभिन्नता के कारण ये पोशाक हमें इन सब चीजों को करने से रोक देती है प्रश्न संख्या 34 में हमारे पास में क्या दिया है पोशाक की तुलना किस की गई है धन से अहंकार से कटी पतंग से या दरवाजा से तो यहां पर पोशाक की तुलना कटी पतंग से की गई है अबे प्रश्न संख्या 35 में क्या दिया है निम्न में से कौन सा शब्द वायु का पर्याय नहीं है पर्यायवाची मतलब पर्यायवाची शब्द नहीं है पवन समीर पवन हवा तो आप देख रहे हैं क्या होता है वायु का हम देखते हैं तो पवन समीर और हवा ये तीनों ही हमारे किसके पर्याय हैं वायु के लेकिन पवन शब्द जो है यह वायु का पर्याय नहीं है पर्यायवाची नहीं पवन मतलब पवित्र तो ये हमारा हवा का पर्यायवाची शब्द नहीं है अब आते हैं प्रश्न संख्या 36 में 36 में क्या दिया यशपाल का जन्म कब हुआ है 1903 में 1913 में 1923 में या 1905 में तो सही क्या है यशपाल जी का जन्म 1903 में हुआ था 1903 में हुआ था प्रश्न संख्या 37 37 में क्या दिया गया मनुष्य की पोशाके उन्हें विभिन्न में बांट देती हैं विभिन्न में विभिन्न क्या में बांट देती है उन्हें विभिन्न श्रेणियां में बांट देती हैं अलग-अलग की श्रेणियां में उनको बांट देती है अबे प्रश्न संख्या 38 38 में क्या दिया संभ्रांत महिला से लेखक का क्या तात्पर्य है सम्राट महिला की बात करिए तो उसमें लेखक क्या बताना चाहते हैं एक पढ़ी लिखी महिला एक धनी परिवार की महिला एक उच्च विचारों से युक्त महिला एक समाजसेविका तो यहां पर उन्होंने क्या बताया सम्राट महिला का मतलब है एक धनी परिवार की महिला यानी की जिनके आधार अच्छा खास होता है सम्राट महिला से यहां पर लेखक का यही तात्पर्य है अब हमारे पास ए रहा है क्वेश्चन नंबर 39 39 में क्या है दादी ने बच्चों को खाने के लिए क्या दिया जब उसके घर में उसके पोता-पोती जो है वो बहुत परेशान हो रहे द भूख से भी लक रहे द तो घर में कुछ भी खाने को नहीं तब क्योंकि सब तो ओझा को दिया जा चुका था तो अब उसे मैं दादी ने क्या दिया था बच्चों को खाने के लिए भुन शांत करने के लिए सेब केला खरबूजे या आम अब उनके यहां खरबूजे ही द जो थोड़ा तोड़ रहा था भगवान और उसको सांप ने काट लिया था तो उन्हें खरबी खरबूजा को जो है उसने दादी ने बच्चों को दे दिया की लोग खाओ ताकि उनकी थोड़ी सी भूख शांत हो सके अब आते हैं क्वेश्चन नंबर 40 में क्या दिया गया है पतंग को भूमि पर कौन कौन नहीं गिरने देता कौन नहीं गिरने देता कौन ने गिरने देता है उसकी डोरी उसका शरीर वायु की लहरों या इनमें से कोई नहीं तो जो पतंग को भूमि पे नहीं गिरने देता वो है वायु की लहरों यानी की हवा जो चलती है वो पतंग को तुरंत नहीं करने देती कितनी दूर तक उड़ते उड़ते लेके जाती है पतंग हल्की होती है तो वायु की लहरों उसको जमीन पर नहीं करने देती हैं अरे क्वेश्चन नंबर 4141 में क्या दिया है लेखक बेचैन था क्योंकि लेकिन क्यों बेचैन था लेखक के क्षेत्र में आने वाली दिशा बताएं इसे आहट किए हुए द मतलब जो चीज उसके जो उसकी दिशाएं थी उसे पे वो बहुत ही आहट था यानी की जो वो सोच रहा था वो सब चीज पूर्ण नहीं हो रही थी समाज की गिरती थी गिरती स्थिति उसे परेशान किए हुई थी बुधिया के दुख को नहीं जान का रहा था अपनी स्थिति से भी बहुत परेशान था तो सही क्या है बुधिया के दुख को वो जान नहीं का रहा था इसलिए लेखक जो है वो बहुत ही अधिक बेचैन था क्वेश्चन नंबर 42 42 में क्या दिया है भगवान की पत्नी के लगातार रोने से क्या हो गया था भगवान जब मार गया था तो उसकी बीवी लगातार लगातार रो जा रही थी तो उसके कारण उसे क्या फर्क पड़ा क्या हो गया था लगातार होने के कारण कुछ तो होगा इतना ज्यादा रोएगा कोई व्यक्ति तो कुछ तो उसे पर असर आएगा तो उसको क्या हुआ था वह बाहरी हो गई थी उसे बुखार हो गया था उसने खरबूजे खाने बंद कर दिए द इनमें से कोई नहीं भाई उसकी पट्टी को मुझे तोड़ते हुए सांप ने काटा था इसलिए उसने शायद खरबूजे खाने बंद कर दी तो कारण क्या था उसकी भगवान की पत्नी जो लगातार रो रही थी इसके कारण उसको बुखार हो गया था बहुत ज्यादा तप हो गया था यानी की फीवर ए गया था उसको बहुत ज्यादा क्वेश्चन नंबर 43 तो 43 में क्या दिया है संभ्रांत महिला ने ऐसा क्या किया की लोग उसके दुख को देखकर द्रवित हो गए द उसे सम्राट महिला का पुत्र खत्म हो गया था उसको ऐसा क्या हुआ था वो ऐसा क्या कर रही थी की सभी उसके दुख को देखकर बार-बार परेशान हो गए द अपना सर्वस्व त्याग कर वैराग ले लिया था पुत्र वियोग में अढ़ाई महीने तक अचेत पड़ी रही थी पुत्र वधू का पुनः विवाह करवा दिया था उसने अपने प्राण त्याग दिए द तो संभ्रांत महिला क्या हुई थी अदाई महीने तक वह बिस्तर पर अचेत पड़ी रही थी मतलब 2 1/2 महीने तक वो बेहोश शिव रहती थी यह अपने पुत्र वियोग के कारण अब आता है क्वेश्चन नंबर 44 में क्या दिया है गरीब और अमीर महिला के मध्य तुलना करके लेखक ने क्या बड़ा अंतर देखा गरीब और महिला के बीच में जब अंतर किया तो उन्होंने क्या अंतर देखा था दोनों की आर्थिक स्थिति में जमीन आसमान का अंतर होना दोनों के मध्य शिक्षा के स्टार को लेकर बहुत अंतर होना दोनों की परिस्थितियों में अंतर होना दोनों के परिवार को लेकर अंत होना तो अंतर किस्म था उन दोनों की स्थिति आर्थिक स्थिति में भाई भगवान की जो मैन थी उसकी स्थिति क्या थी वो गरीब थी संभ्रांत महिला बहुत गरीब थी दोनों के दुख एक द क्योंकि दोनों के जो हैं पुत्र बड़े-बड़े जवान पुत्र खत्म हुए द तो दुग्ध दोनों का एक था लेकिन आर्थिक स्थितियों पर थी यानी एक अमीर था और दूसरा गरीब था तो यहां पर सही आंसर क्या है गरीब दोनों की आर्थिक स्थिति में जमीन आसमान का अंतर होना ये लेखक ने देखा था आवाज़ है क्वेश्चन नंबर 45 में क्या दिया है दुख का अधिकार कहानी के माध्यम से लेखक किस पर व्यंग करता है यह जो हमारे सामने कहानी राखी गई है इस पे लेखक व्यंग किस पे कर रहे हैं नखरा पर यानी की जो बहुत बड़े लोग होते हैं अमीर लोग होते हैं उनके जो नखरे रहते हैं उन पर निम्न वर्ग की छोटी सी सोच पर समाज के बनाए नियमों पर या भारतीय सभ्यता के स्वरूप पर तो यहां पर जो समाज ने नियम बनाए हैं उन पर व्यंग्य है यानी की समाज भाई पुत्र दोनों की खत्म हुए एक अगर अपने पेट पालने के लिए कार्य कर रहा है आप उसके दुख को यहां पर मजाक बना दिया आपने उसको घृणित बोल रहे हैं घृणा कर रहे हैं दूसरी तरफ उसी जो अमीर है उसकी आप बहुत परेशानी कितना दुख है कितना दुख है भाई दोनों का दुख तो से था ना तो यहां पर समाज के जो बनाए नियम हैं उसे पर जो है लेखक ने व्यंग किया दिया है बुधिया को कोई भी उधर क्यों नहीं देता था उसे कोई उधर क्यों नहीं दे रहा था क्योंकि उसे जरूरत नहीं थी क्योंकि उसके घर में कमाने वाला कोई नहीं था क्योंकि उसके पास पैसे नहीं बचे द क्योंकि उसे पहले ही पैसे नहीं का द तो कारण क्या था अब उसका पुत्र मार गया था और उसके घर में कोई भी कमाने वाला नहीं था तो अगर कोई उधर दे देगा तो वो उधर वापस भी तो चाहेगा तो पुत्र मार गया और उसके घर में कोई कमाने वाला नहीं था इस कारण से उसे कोई भी उधर देने को तैयार था ही नहीं वे क्वेश्चन नंबर 47 47 में क्या दिया है किसी भी व्यक्ति की पोशाक देख कर हमें क्या पता चलता है यानी की जब उसका पोशाक देखते हैं तो क्या पता चलता है वर्ग समुदाय हिस्सा या व्यापार हम ये देखते हैं जब किसी का किसी की पोशाक देखते तो मैं पता चलता है की वो समाज के किस वर्ग से आता है वो निम्न वर्ग से है माध्यम वर्ग से है उच्च वर्ग से है या उच्चतर वर्ग से है यह बात हम देखते हैं हमें उसकी पोशाक देखकर यह बात पता चल जाती है अब आते हैं क्वेश्चन नंबर 48 पर 48 में क्या दिया है बुधिया के किस कम को लोग अपराध बता रहे द क्या कम था बुधिया ने जो किया था सभी उसको अपराध बता रहे द सूतक में खरबूजे बेचने को सूतक में खरबूजा खाने को सूतक में परचून की दुकान पर जाने पर सूतक में घूमने को लेकर तो यहां पर क्या था सूतक में वो बुधिया जो है वो खरबूजे बेच रही थी इस कारण सभी उसको अपराध बता रहे द अबे क्वेश्चन नंबर 49 49 में क्या है दुकान के तत्वों पर बैठे लोग बुधिया के बारे में कैसी बातें कर रहे द दुकान का जो तख्त है वहां पर बहुत सारे लोग बैठे द और सभी उसे बुधिया के बारे में बात कर रहे हैं तो वो किस तरीके की बातें कर रहे द उसकी बहुत बधाई कर रहे द समझदारी भारी बातें कर रहे द गणित बातें कर रहे द या सच्ची बातें कर रहे द तो वहां जितने लोग बैठे द वह सभी उसे बुधिया को गणित घृणा की दृष्टि से देख रहे द और गणित बातें कर रहे द की सूतक है इसको यहां नहीं आना चाहिए ताकि इसका बेचा खरबूजा किसी ने खा लिया तो उसे कुछ हो जाएगा तो जितने भी लोग वहां बैठे द वो उसे बुधिया के बारे में सभी घृत बातें कर रहे द अबे क्वेश्चन नंबर 50 क्वेश्चन नंबर 50 में क्या दिया है लेखक बुधिया के दुख से दुखी होकर भी स्वयं उसकी सहायता के लिए क्यों नहीं गया जब लेखक को पता चला की बुधिया का दुख है तो लेखक भी उसे बात से दुखी हुआ लेकिन तब भी वो उसे बुधिया की मदद करने क्यों नहीं गया क्या कारण था वह स्वयं को अशुद्ध नहीं करना चाहता था भाई वो सूतक में थी इसलिए उसको अशुद्ध अपने आप को अशुद्ध नहीं करना चाहता था इसलिए नहीं गया वह समाज के नियमों में विश्वास रखता था यानी की समाज को जो नियम है की सूतक से बने जो भी लोग हैं उनके पास हमें नहीं जाना चाहिए इसलिए वो नहीं गया उसे अपनी पोशाक की मर्यादा को बनाए रखना था भाई वो उच्च वर्ग था तो कहा था तो वो निम्न वर्ग के लोगों की सहायता नहीं करना चाहता था इसलिए नहीं गया वह लज्जा का पत्र नहीं बन्ना चाहता था मतलब उसे किसी शर्मिंदगी का हिस्सा नहीं बन्ना था इसलिए नहीं गया तो सही कारण क्या था उसे अपनी पोशाक की मर्यादा को बनाए रखना था की मतलब हम उच्च वर्ग के हैं हम माध्यम वर्ग के हैं हम लगाकर निम्न वर्ग के लोगों से बात नहीं करेंगे उनको सहानुभूति नहीं दिखाएंगे तो यहां उसकी पोशाक की मर्यादा को अपनी बनाए रखना था इसीलिए बुधिया के दुख को जानकर भी वो उसकी मदद करने के लिए नहीं गया था वे क्वेश्चन नंबर 51 51 क्या है बुधिया को देख कर लेखक की मनु दशा कैसी हो गई थी जब उसने बुधिया को देखा था की वो फुटपाथ पर बैठे कपड़े में मुंह दबाए घुटने में सर रख के वो रो रही है तो कैसे लेखक को क्या हो गया था लेखक की स्थिति कैसी थी खुशी से भारी हुई स्थिति थी वो व्यक्तित्व था यानी की दुखी हो गया था आशावादी था की आगे सब कुछ सही होगा या उपयुक्त सभी तो सही क्या था वो देखकर व्यथित हो गए द मतलब बहुत लेखक जो है वो देख कर बहुत ही ज्यादा दुखी हो गए द बुधिया को रोता हुआ देखकर अबे क्वेश्चन नंबर 52 बुधिया और संभ्रांत महिला का दुख समान होते हुए भी दिन कैसे द यानी की दोनों के जो क्या मतलब बताएं दोनों की परिस्थितियों एक थी लेकिन दुख जो है दुख समान द लेकिन तब भी उनकी परिस्थितियों कैसी थी क्या कारण था उसमें आरती का समानता के कारण राजनीतिक असमानता के कारण खुशी के कारण या आशावादी दृष्टिकोण के कारण तो मतलब यहां पर क्या था बुद्धि और सम्राट महिला का दुख समान होते हुए भी उनके दिन कैसे द दिन उनके कैसे असमानता आर्थिक असमानता के दिन द अर्थात एक जो है गरीब थी और एक अमित थी दुख से हम था लेकिन उनके दिन कैसे बीट रहे द आर्थिक असमानता के कारण उनकी परिस्थितियों अलग-अलग थी अब आते हैं क्वेश्चन नंबर 53 53 में हमारे पास में क्या दिया है लोग वृद्धा को अपमानित नहीं करते यदि बुधिया का पुत्र जीवित होता बुधिया संभ्रांत परिवार की होती बुधिया शिक्षित और आत्मा निर्भर होती उसकी बहु उसके साथ होती तो ये एक वक्तव्य था इस वक्तव्य को आपको पूर्ण करना है तो लेकर के क्या बोला लोग वृद्धा को अपमानित नहीं करते यदि बुधिया संभ्रांत परिवार की होती मगर अगर वो बुधिया बहुत धनी होती तो लोग उसका कभी भी अपमान नहीं करते क्वेश्चन नंबर 54 54 में क्या है दुख का अधिकार इस्पात के लेखक कौन है यह पाठ किसने लिखा है प्रेमचंद यशपाल शरद जोशी या विजय पंडित यह पाठ किसने लिखा है यशपाल जी ने लिखा है क्वेश्चन नंबर 55 में क्या दिया है बुधिया के घर में जो आता और अनाज था वह कैसे समाप्त हो गया उसके घर में जितना भी राशन पानी रखा था वह समाप्त कैसे हो गया की खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा ओझा के लिए डैन दक्षिण देने के कारण घर के सदस्यों ने खा लेने के कारण अधिकारियों में बांट देने के कारण पानी में बा जाने के कारण तो क्या कारण था की जो ओझा को बुलाकर लेकर आई थी उसे jhadapu किया उसको डैन दक्षिण के रूप में घर में जितना राशन पानी था आता डाल चावल सब कुछ उसने ओझा को डैन दक्षिण में दे दिया इसलिए उसके घर का ये सारा अनाज खाने पीने का सभी समान समाप्त हो गया था अबे क्वेश्चन नंबर 56 56 में क्या दिया है दुखी होने का अधिकार किसको होता है जो दुखी हो तो उसका अधिकार किन लोगों को होता है सिर्फ बुधिया को है दुखी होने का अधिकार सिर्फ संभ्रांत महिला को है अमीरों को है अमीर गरीब सबको है तो यहां पर लेखक के अनुसार दुखी होने का अधिकार सभी को होता है चाहे वो अमीर हो चाहे गरीब हो क्योंकि दुख और तकलीफ तो सभी को होती है चाहे वो कितना भी अमीर हो चाहे जितना भी गरीब हो दुख किसी के ऊपर भी बाईट तो तकलीफ सभी को होती है तो इसका दुखी होने का अधिकार भी सभी को मिलना चाहिए अबे क्वेश्चन नंबर 57 अमीर कबीर सबको है अब एक क्वेश्चन नंबर 57 57 में क्या है खरबूजे बेचने वाली का लड़का परसों सुबह क्या चुन रहा था वो क्या चुन रहा चुने के लिए खेत पर गया था पके बेर पके खरबूजे पके आम या पके अमरूद तो वो क्या चुन रहा था वो पैकेट खरबूजे चुन रहा था क्वेश्चन नंबर 58 58 में क्या दिया है घृणा का अर्थ क्या होता है घृणा शब्द जो ghrnit या घृणा उसे किया गया है उसका अर्थ या मतलब क्या होता है डांटना उपेक्षा नफरत उपरोक्त में से कोई भी नहीं तो यहां घृणा का तात्पर्य होता है नफरत से किसी से नफरत करना होता है अबे क्वेश्चन नंबर 59 में क्या दिया है व्यथा का क्या अर्थ है व्यथा शब्द इस्तेमाल किया गए लेखक व्यक्तित्व हो गए द तो उसे व्यथा का क्या मतलब होता है सुख दुख उपेक्षा या नफरत तो उसका क्या मतलब होता है व्यथा का दुख व्यथा का मतलब दुख होता है क्वेश्चन नंबर 60 में क्या दिया है संभ्रांत का क्या अर्थ होता है संभ्रांत महिला इस्तेमाल किया गया तो सम्राट से का तात्पर्य क्या होता है अमीर वर्ग निम्न वर्ग परिश्रमी वर्ग या सभ्य वर्ग तो संभ्रांत से तात्पर्य होता है अमीर वर्ग से यानी की जो लोग अमीर होते हैं उसे वर्ग से तात्पर्य होता है अबे हमारे पास क्वेश्चन नंबर 61 यशपाल जी ने अपनी उच्च शिक्षा कहां प्राप्त कारी थी उन्होंने पढ़ाई-लिखाई करें तो उच्च शिक्षा कहते हैं ना मतलब हम ग्रेजुएशन पोस्ट ग्रेजुएशन को जो बोलते हैं वो कहां से उन्होंने कारी थी फिरोजपुर बनारस विजयवाड़ा या लाहौर तो यशपाल जी ने अपनी उच्च शिक्षा लाहौर में प्राप्त कारी थी क्योंकि उनका जन्म 193 में हुआ था तो हमारा देश आजाद नहीं हुआ था तो उसे समय क्या ना पार्टीशन नहीं हुआ था इंडिया पाकिस्तान एक था तो इस वजह से वहां पर जहां ये रहते द वहीं पर लाहौर में ही इन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त कारी थी अब आते हैं क्वेश्चन नंबर 62 पर 62 पर क्या है यशपाल जी ने कब भारतीय स्वतंत्र आंदोलन में भाग लिया वह कब कैसे द जब उन्होंने भारतीय संविधान में विद्यार्थी कल में विवाह के उपरांत वृद्धावस्था में या लिया ही नहीं तो क्या था जब वो विद्यार्थी कल में द अर्थात जब वो स्टूडेंट द तभी उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था क्वेश्चन नंबर 603 में क्या है यशपाल जी को कौन सी रचना पर सहित अकादमी पुरस्कार मिला था उनकी कौन सी ऐसी रचना थी जिसमें उनको सहित अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था देशद्रोही पार्टी कांग्रेस मेरी तेरी उसकी बात पिंजरे की उड़ान उड़ान तो उनको जो उनकी कृति थी जिस पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला वह था मेरी तेरी उसकी बात पर यह देखिए अब आते हैं क्वेश्चन नंबर 64 में क्या दिया है यशपाल जी ने अपनी रचनाओं में हिंदी के अलावा और कौन सी भाषा के शब्दों का बेहिचक प्रयोग किया है उन्होंने हिंदी तो देखो उसके अलावा और कौन सी भाषाओं को शब्दों का विलय भी अपनी sahayatachnaon की जब भी वो लेख लिखते रहे तो उसमें उन भाषा के शब्दों का भी इस्तेमाल किया है हिंदी उर्दू उपरोक्त दोनों या फारसी उन्होंने हिंदी और उर्दू दोनों का ही इस्तेमाल किया है तो यहां पर सही हमारा क्या रहेगा उपरोक्त दोनों जब यहां पर उपरोक्त दोनों या उपयुक्त सभी जैसे हम आंसर्स लेकर आते हैं तो उसे क्वेश्चन में ये सभी आंसर सही फीड बैठते हैं इसलिए हम लेकर आते हैं अब मैन लीजिए आपके पास अगर क्वेश्चन आता है उसमें से एक स्टेटमेंट आपसे लिया जाता है और बाकी स्टेटमेंट को चेंज कर दिया जाता है तो ये ध्यान रखिए जो सही स्टेटमेंट है आपको उसे पर टिक लगाना है ये नहीं की हमने उपरोक्त सर हमने उपरोक्त सभी लगाए द जैसे अब यहां पर हम आपको दे रहे हैं हमने यहां पर उपरोक्त दोनों अब उन्होंने अगर बोल दिया यशपाल जी ने अपनी रचनाओं में हिंदी के अलावा और कौन सी भाषा शब्दों का बचका प्रयोग किया था अब सपोस हमने यहां पर आपको उपरोक्त दोनों की जगह अरबी दे दिया ठीक है तब उसे कंडीशन में आप किस पे लगाएंगे यहां पर हमने क्वेश्चन वही रखा लेकिन हमने आंसर में से ऑप्शन चेंज कर दिए तो उसे कंडीशन में आप यहां पर सिर्फ उर्दू में निशान लगाएंगे क्योंकि हिंदी के अलावा पूछा गया है तो हिंदी तो ऑप्शंस भी वहां पर क्वेश्चन में दिया ही हुआ है तब आप क्या करेंगे उर्दू पर लगाएंगे क्यों क्योंकि यहां पे उपरोक्त दोनों जैसे शब्दों को हमने हटा दिया है तो ये फरक आपको ध्यान रखना है की आप जब भी कोई आंसर जहां पे उपरोक्त सभी या उपरोक्त दोनों जैसे आंसर्स पे हम टिक लगाते हैं तो उसके जो दोनों ऑप्शंस हैं वो सेट है सही है इसलिए हमने रखा आपके सामने एग्जाम में अगर इस तरह के ऑप्शंस बदलते हैं तो आप देखिए की आंसर कौन सा सही है आपको उसे पर टिक लगाना है अब आते हैं क्वेश्चन नंबर 65 65 क्या है बुधिया का पुत्र भगवान कितने वर्ष का था भगवानों को जब सांप ने काटा और उसकी मृत्यु हो गई तो उसे समय उसकी आयु कितनी थी 20 वर्ष 22 वर्ष 23 वर्ष या 40 वर्ष तो पाठ में जैसे दिया गया है भगवान की उम्र 23 वर्ष की थी इतनी कम उम्र में उसको सांप ने काट लिया और वह मृत्यु को प्राप्त हो गया क्वेश्चन नंबर 66 में क्या दिया है भगवान की पास कितना बीघा जमीन थी वो कितने बीघे जमीन पर कचहरी का कम करता था यह दिया हुआ है पार्ट में एक बीघा दो बीघा डेढ़ भीगा या चार भी का तो उसके पास 1.5 बीघा जमीन पर वो कचहरी का कार्य करता था उसके पुरी जमीन थी और उसी पर वो सब्जी तरकारी बोता था जिनको वो बेचता था क्वेश्चन नंबर 67 67 क्या है जिस सांप ने भगवानों को काटा वी कहां पर विश्राम कर रहा था आराम वह सांप जिसने काट लिया था वो कहां पर आराम कर रहा था खरबूजे के ऊपर बैठा हुआ था खरबूजे की बेल पर बैठा हुआ था गीली मेड की तरावत पर बैठा था या जमीन पर बैठा हुआ था तो वो जिस सांप ने उसे काटा वो गीली मेड की तरावत पे बैठा आराम कर रहा था और जब भगवान वहां से निकाला तो उसको सांप ने काट लिया अब एक क्वेश्चन नंबर 68 68 में क्या है सम्राट महिला के इलाज के लिए कितने डॉक्टर उसके सिरहाने बैठे रहते द जब वो 2 mahinen तक वो बार-बार बार-बार बेहोश हो जा रही थी तो उसकी देखभाल के लिए कितने डॉक्टर उसके पास में द चार-चार डॉक्टर उसके सिरहाने बैठे द पास-पास डॉक्टर छह-छह डॉक्टर या दो-दो डॉक्टर तो सही क्या था उसके सिरहाने दो-दो डॉक्टर बैठे हुए द उसके इलाज के लिए की वो सही रहे उसको कोई तकलीफ ना हो है क्वेश्चन नंबर 69 69 में क्या दिया है कछियारी का क्या तात्पर्य है कचहरी शब्द जो इस्तेमाल किया गया पार्ट में उसका मतलब क्या है खेतों में तरकारी बोना खेतों में पानी देना खेतों की बुवाई करना खेतों को काटना तो यहां पर क्या है खेतों में तरकारी बना तरकारी का मतलब क्या होता है सब्जी भाजी मोना होता है सब्जी तरकारी बोलते हैं ना तो सब्जी वगैरा बोना ये इसका मतलब होता है kutchhari करना अब सब्जी भाजी बोयेगा उसको कटेगा और उसी से जो है वो अपने घर का पालन पोषण करता था कौन करता था भगवान करता था अबे क्वेश्चन नंबर 70 में क्या दिया है नियत से क्या तात्पर्य है नियत शब्द जो इस्तेमाल किया गया है उसका मतलब क्या है इरादा आश्चर्य उपरोक्त दोनों या एहसास अब यहां पर देखिए क्या है नीर नियत मतलब आपकी नियत कैसी है आपका मैन कैसा है तो यहां पर इरादा और आश्चर्य दोनों ही मतलब है आपकी आपकी नियत का क्या मतलब है हम बोलते हैं ना आश्रय तो यहां पर नियत का मतलब इरादा आश्चर्य दोनों है इसलिए यहां पर उपरोक्त दोनों आएगा तो अब इस तरह के आंसर में जैसे हमने यहां पर नियत के जो दोनों अर्थ द वो हमने आपके सामने दे दिए अगर आपके सामने यहां पर ए जाए की इरादा और आश्चर्य की जगह हम बोल दें हम बोल दें पूरा करना ठीक है पूरा करना हमने अगर ऐसे लिख दिया ऐसे ऑप्शन अगर आपके पास एग्जाम में आएंगे तब आपकी इस ऑप्शन को टिक करोगे तब आपके लिए ये ऑप्शन सही होगा ठीक है ना क्यों क्योंकि आपसे दूसरा अर्थ तो हटा दिया तो अब नियत का मतलब एक ही सही होगा वो क्या है हमारा इरादा तो इस तरीके के आंसर जब भी आपके पास में आएंगे ध्यान रखिएगा आपको उसी तरीके के आंसर्स को ठीक करना है तो यहां पर हमने दोनों ऑप्शन दही सही है इसलिए हम उपरोक्त दोनों पर ही आपको टिक लगाएंगे तो यहां पर पाठ शुरू होता है पोशाक से जुड़ी लेखक की समस्या किस समस्या है पोशाक से जुड़ी लेखक का मानना है की पोशाके यानी की वस्त्र समाज को अलग-अलग वर्गों में बनती अच्छी एवं स्तरीय पोशाक समाज में सम्मान एवं हैसियत दिलाती है पोशाके मनुष्य के मैन मस्तिष्क में इस कदर छाई रहती है की चाहते हुए भी एक स्मृति व्यक्ति किसी गरीब असहाय व्यक्ति के निकट जाकर उससे आत्मीय संबंध नहीं बना पता उसके दुख को नहीं जान पता लेखक के सामने भी यही समस्या आई अब क्या समझा रहे हैं हमारी पोशाक है यानी की जो हम पोशाक ग्रहण करते हैं ये हमें कहीं ना कहीं तक बाउंड कर देती है कैसे मैन लीजिए हमने एक अच्छी पोशाक पहनी है और हमारे सामने एक जो है बहुत ही निम्न स्तरीय पोशाक पहना कोई व्यक्ति है तो क्या होगा हमारी ये पोशाक हमारे अंदर एक ऐसा भाव पैदा करती हैं की हम अच्छे स्टार के तो हम क्यों निम्न स्टार के व्यक्ति से जाकर बात करें अपने छोटे से स्टार से व्यक्ति से जाकर बात करें हम भले देखें की वो व्यक्ति कितनी तकलीफ में है कुछ भी है लेकिन हमारी ये पोशाक हमें नहीं करनी देती है हमें इस चीज को करने से रुकते है और यही समस्या हमारे लेखक के पास ए रही थी क्या समस्या थी इनकी पोशाक उन्हें क्या करने से रोक रही थी खरबूजे वाली स्त्री का ऋण बाजार में लेखक ने देखा एक अधेड़ यानी आधी आधी उम्र की स्त्री खरबूजे लिए बैठी है कपड़े से मुंह छिपाए रो रही है आसपास में खड़े लोग उसे बुद्धि स्त्री को है यानी की बुरी दृष्टि से देख रहे हैं लेखक उसे स्त्री के रोने का कारण जानना चाहता है परंतु वह संकोच उसे स्त्री के पास जाने से कटरा रहा है अब क्या हुआ की अब इन्होंने पोशाक अच्छी ग्रहण करिए वह तो अब इसको इन्होंने इनको इन्होंने देखा की खरबूजे वाली बैठी हुई है अब वो रो रही है अब यह खरबूजे बेचने वाली है मुंह छुपाए कपड़े में रो चली जा रही है अब इनकी ये पोशाक इनको जो है वहां तक जाने नहीं दे रही ये इनकी समस्या थी क्या समस्या थी इनकी यह पोशाक उसे खरबूजे बेचने वाली स्त्री के पास इनको जाने नहीं दे रही की ये पूछने के लिए की तुम क्यों रो रही हो और क्या है आसपास की जितने भी एक तो वो स्त्री रो रही है ऊपर से आसपास की जितने भी लोग हैं वो सब उसे स्त्री को मतलब रोने को नहीं देख रहे उसको और बुरी निगाह से देख रहे हैं मतलब एक होता है ना हम ठीक है नहीं हमको नहीं सपोर्ट करना है ये बहुत ही बेकार एक तो वो रो रही है और ऊपर से ये सारी चीज उसके साथ हो रही है अब लेखक इस्त्री के रोने का कारण जानना चाहता है परंतु वो सनकोष उसे कारण को जान नहीं का रहा है कोशिश कर रहा है की मैं किसी से कोशिश करूं पानी नहीं दे रही आसपास के लोगों से बुरी दृष्टि से देख रहे हैं तो कहने का मतलब यहां है की वो कोशिश तो बहुत कर रहे हैं की आखिर वो स्त्री क्यों रो रही है लेकिन वो जान नहीं का रहे हैं बुधिया की दुख का कारण और लोगों की प्रतिक्रिया अब वो किसी तरीके से budhiye के दुख का कारण जानते हैं अब आसपास के दुकान दर उन सब लोगों से पूछते हैं तो जब कारण जान जाते हैं और उसे पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया हो रही है क्या है चीज लोगों को पता चला की इस बुधिया आका लोगों से पता चला मतलब उनको लोगों से आसपास के लोगों से जो उसे बुरी दृष्टि से देख रहे द उन्हें ये चीज उन लोगों से हमारे लेखक को पता चला की इस बुधिया का 23 वर्ष का एक जवान लड़का था बहु और पोता पोती घर पूरा भरा था लड़का डेढ़ भीगे जमीन पर कछियारी यानी की फल और सब्जियां उगाया करता था डेढ़ भी का जमीन थी उसे पे फल सब्जी उगता था बाजार मिला के बेचा जाता था तो इससे उनका जो है भरण पोषण हो रहा था उगा कर अपने परिवार की रोजी-रोटी चलाता था एक दिन लड़का सुबह-सुबह खेत में पके खरबूजे तोड़ रहा था की अचानक उसका पैर एक जहरीले सांप पर पद गया और साथ में उसे दस लिया उसे बुद्धि स्त्री ने डैन दक्षिण कराई पर कोई लाभ नहीं हुआ अब वो लड़की स्त्री क्यों रो रही थी कारण ये था की उसका एक 23 साल का जवान लड़का था और जो है वो कहते हैं सुबह-सुबह खरबूजे तोड़ने के लिए खेत में गया अब सांप बिच्छू भी भाई वहीं रहते हैं ठंड गर्मी के समय में खरबूजे मतलब कब होते गर्मियों में होते हैं तो वो भी ठंडक पाने के लिए खरबूजे की बेल में आकर बैठ गया सुबह-सुबह वो गया तोड़ने के लिए उसका पैर सांप पे पड़ा सांप ने उसे काट लिया जहरीला सांप था अब उसको बचाने के लिए उसे झाड़ फूंक बहुत कुछ करना चाहा लेकिन बच्चा नहीं बच पाया उसकी मृत्यु हो जाती है अब इस झाड़ फूंक दावा जरूर उसके पास जितना पैसा था उसने सब कुछ हटा दिया उसने उसका संस्कार में जितना पैसा था उसके पास सब कुछ भी नहीं था अंततः लड़का मार गया वह लड़का ही उसे गरीब असहाय परिवार का एकमात्र सहारा था कफन के लिए भी के लिए भी पैसे ना द इसलिए बुधिया ने बचे हुए गहने बेचकर बेटे का अंतिम संस्कार करवाया अगले दिन पोता पोती को भूख से बिगड़ने और बहु को बुखार से तपते देख बुधिया रोटी बिलखती हुई खरबूजे की टोकरी उठा बाजार में जा बैठी बेटे की तहरी संपन्न संपन्न बिना बुधिया का इस तरह बाजार में ए बैठना वहां के लोगों को आपत्तिजनक लगने लगा अब क्या था लड़का मार गया उसके कफन के नहीं द पैसे तो उन्होंने क्या किया उसके पास जो भी गहने द उसे ओढ़ के अपना जो अंतिम संस्कार की प्रक्रिया होती है वो सारा संपन्न किया अब दूसरे दिन देखा घर में कुछ खाने को नहीं है बच्चे पूता-पोती भूख से भी लक रहे बहु के ऊपर तो ऐसे ही दुख का पहाड़ टूटा था वो एकदम बुखार से तप रही थी उसकी भी दावा के पैसे नहीं द तो अब यह क्या करती इसलिए जो भी खरबूजे द उसके खेत में उठा लेकर बाजार में ए गए की भाई बेचेंगे तो कुछ पैसे मिलेंगे तो बच्चे खाएंगे बहु की दावा हो जाएगी अब क्योंकि बेटे को मारे अभी 13 दिन नहीं हुए तो 13वीं का एक संस्कार होता है 13 दिन बाद वो नहीं हुआ तो उसे उसे तेरा दिन को सूतक माना जाता है हिंदुओं में उसको सूतक माना जाता है उसे दौरान जिस घर में मृत्यु हुई है उसका एक कोई परिवार का भी सदस्य दूसरे परिवार से नहीं मिल सकता ये अब बाजार में या खुले रूप में नहीं जा सकता उसे अपने घर में ही रहना पड़ता है और अभी वो सूतक के दिन पूरे नहीं हुए 13वीं हुई नहीं और वो बाजार में ए गई थी बेचने के लिए समान तो ये बात लोगों को बहुत बुरी लग रही थी की यह अभी इसने घर में इसके सूतक लगा हुआ है 13 दिन संपन्न नहीं हुए और यह बाजार में आकर फल सब्जी ढूंढ बेच रही है हम सभी को पाप का अभागी बना रही है इसलिए लोग उसे बुरी दृष्टि से देख रहे द उसके ऊपर आपत्ति विपत्ति तो आई थी लेकिन बाकी लोग भी सिर्फ इसीलिए पुरी दृष्टि से देख रहे संभ्रांत महिला से तुलना अब बुधिया का जो दुख था उसे संभ्रांत यानी की बहुत ही अमीर व्यक्ति जो है उसके दुख से यहां पर लेखक तुलना करते हैं कैसे करते हैं बुधिया की आर्थिक स्थिति को जाने बिना लोगों का इस तरह से दूध का दूध करना लेखक को अच्छा ना लगा बुद्धि स्त्री के पुत्र वियोग के तरीके तथा लोगों को लोगों को उसके प्रति ghrunaatmak टिप्पणी करते देख लेखक को अपने पड़ोस वी संविधान यानी की सभ्य महिला याद आई जो पुत्र के निधन पर ढाई महीने तक पलंग से ना उठ सके 15-15 मिनट पर उसे महिला के बार-बार बेहोश हो जाने से पूरा शहर करुणा में भर गया और इधर यह बुद्धि स्त्री है जिसके दुख का समा समाज समझ नहीं का रहा था अब यहां पर क्या हुआ इन्होंने देखा की जो है स्त्री जो थी बुधिया थी उसका दुख भी था की भाई उसका भी जवान बेटा खत्म हुआ तो उन्होंने क्या तुलना कारी की उन्हें की तरह एक और थी जो समझा दिया की बहुत ही अमीर घर से थी उसका भी zanbaan बेटा खत्म हुआ वो क्या थी उसको 15 दिन दुख इतना था की वो बार-बार पलंग से उठी नहीं का रही थी हर 15 मिनट में बेहोश हो जाती है हर 15 मिनट में बेहोश हो जाती थी वो और इधर बुधिया क्या थी उसको भी दुख नहीं था लेकिन वो बाजार में आकर बेच रही थी अब यहां पर फर्क क्या था उनके पास खाने-पीने को सब कुछ था तो भैया ठीक है सब पूरा शहर उनकी बाबई कर रहा था पैसा था यहां पर वो स्त्री के पास कुछ नहीं था खाने तक को नहीं था तो वो बाजार में आकर बैठ गई खरबूजे बेचने के लिए तो सब उसको दूध कर रहे द तो यहां पर उन्होंने बताया की पैसे के हिसाब से ही लोगों को अपना दुख प्रकट करने का अधिकार यहां पर दिया गया है अगर आप अमीर हो तो आपके दुख पर पूरा पूरा शहर आपको जो है बहुत ही ज्यादा साथ देगा लेकिन अगर आप गरीब हो तो आपका साथ देने वाला यहां पर कुछ नहीं जबकि दोनों का दुख बराबर था उसका भी जवान बेटा खत्म हुआ बुधिया का भी और उसे सम्राट महिला का भी जवान बेटा खत्म हुआ था तो दोनों के दुख समान द लेकिन दुख प्रकट करने का यहां अधिकार दोनों को समान प्राप्त नहीं था समाज के अंदर लेखक की दृष्टि में दुख का अधिकार अब लेखक की दृष्टि में दुख का अधिकार क्या है अब जब उन्होंने इसकी तुलना कारी जैसे जो मैंने अभी आपको समझाया अब उसी चीज को लेखक कैसे तुलनात्मक दृष्टि से देख रहे हैं लेखक टिप्पणी करता है की उसे बुधिया को दुख मनाने का अवकाश नहीं था ना उसको छुट्टी थी की वो 15 दिन बैठकर उसे चीज का दुख प्रकट करती क्योंकि उसके घर में खाना नहीं था और ना ही उसे अधिकार था क्योंकि वो गरीब थी क्योंकि वह निर्धन है यदि वह अमीर होती तो उसे अपने घर परिवार के पेट की चिंता ना होती तो उसे भी दुख मनाने का अधिकार होता और पूरा समाज उसके दुख में सब मिलेट होता कहानी के अंत में लेखक कहता है की शोक करने दुख मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और दुखी होने का भी एक अधिकार होता है जो निश्चित रूप से हमारे समाज में निर्धन एवं निम्न वर्ग के लोगों को नहीं है प्रस्तुत कहानी समाज की इसी विसंगति का अत्यंत मार्मिक चित्रा है तो इस कहानी में लेखक ने हमें क्या बताने की कोशिश कारी है की आपको आपकी जो है समाज में पोजीशन यानी की आपके फाइनेंशियल स्टेटस के अनुसार ही आपको लोग दृष्टि से देखते हैं आपको समाज में उसी हिसाब से आज दुख प्रकट करने का भी अधिकार है और इसी विसंगति यानी की इस ही डिफरेंस के ऊपर जो है लेखक अपना दुख प्रकट कर रहे हैं तो यह हमारा चैप्टर था जिसे हमने आपको फटाफट क्लियर कर दिया अब आते हैं इसी पाठ के कुछ प्रश्न उत्तर दें यह प्रश्न उत्तर हमने पहले नहीं पढ़े हैं अब हम पढ़ रहे हैं एनसीईआरटी सॉल्यूशंस हमने किए हुए लेकिन यह एनसीईआरटी की आपकी बुक से नहीं कुछ अलग से बना लिए गए हैं पर याद रखिएगा ये है इसी चैप्टर से क्या है प्रश्न संख्या एक जब मैन को सूज का रास्ता नहीं मिलता तो बेचैनी से कदम तेज हो जाते हैं लेखक के ऐसा कहने का क्या कारण हो सकता है स्पष्ट कीजिए तो अब यहां पर लेखक का एक वक्तव्य हमारे सामने प्रस्तुत किया गया है अब इसके माध्यम से लेखक कहना क्या चाह रहे हैं तो क्या कहना चाह रहे हैं लेखक ने बुधिया को बाजार में रोते हुए देखा वह उसके रोनी का कारण जानने के बाद दुखी हो गया मतलब जो जाना की कहीं को क्या दुख है तो वो बहुत ही ज्यादा दुखी हो गए उसे बुधिया की दुख के प्रति सहानुभूति थी लेकिन वह अच्छी पोशाक पहने हुए था और समाज के उच्च वर्ग से संबंधित होने के कारण बुधिया के पास जाकर उसे सांत्वना कहा की अपने मनोभाव प्रकट नहीं कर का रहा था अब क्या जब स्त्री के रोने का कारण जाना उन्होंने तो उनको भी तकलीफ हुई लेकिन अब क्योंकि इन्होंने बहुत अच्छी पोशाक पहनी थी एक उच्च वर्ग से संबंधित द अब उनकी ये पोशाक उन्हें उसे बुधिया के पास जाने नहीं ले रही थी उसके दुख पर उसे सांत्वना प्रकट करने कहीं ना कहीं रोक रही थी उन्हें यह समझ नहीं ए रहा था की कैसे वह बुधिया के पास जाकर अपने मैन के मैन में उसके प्रति उपज हमदर्दी को अभिव्यक्ति करें इसी उधेड़बुन में वी परेशान था जिसके कारण उसके कदम तेज हो गए द यानी की वो सोच रहे द की कैसे मैं जाऊं उसे तक और इसीलिए इस सोच में उनके कदम तेज हो गए द और तब उन्होंने बोला जब मैन में सूझ का रास्ता नहीं मिलता तो बेचैनी से कदम तेज हो जाते हैं कहने का मतलब है जब हम कहीं जा रहे हो और हम किसी चीज में उलझे हो तो हमें उसका रास्ता अगर नहीं मिलता तो हमारे कदम अपने आप तेज हो जाते हैं क्वेश्चन नंबर तू है बुधिया को पत्थर दिल किसने कहा और क्यों कहा तो जितने लोग द ना उपस्थित द वो सभी उसको पत्थर दिल का रहे द क्यों क्योंकि भाई बेटे को मारे भी एक दिन नहीं हुआ वो बाजार पैसा कमाने के लिए आकर बैठ गई जबकि लोग उसके पीछे की छिपी बात को समझ ही नहीं का रहे द की वो क्यों ऐसी इतनी taklifenga जो है खरबूजे बेचने के लिए आई थी तो क्या था बुधिया को पत्थर दिल बाजार में उपस्थित लोगों ने कहा क्योंकि वे बुधिया की स्थिति से अंजन द उन्हें केवल इतना ही पता था की एक दिन पहले बुधिया का जवान बेटा मारा है और अगले दिन वह खरबूजे बेचने ए गई लोगों ने उसे ए ममता हैं समझा लेकिन वे इसकी मजबूरी नहीं समझ सके की उसने ऐसा क्यों और किस लिए किया है भाई पुरी बात ही नहीं समझ का रहे द की क्या है उसके पीछे और उसको जो है बुरा भला कहने लगे द तो तकलीफ उसको यदि की भाई उसके घर में खाने पीने को नहीं था बहु बीमार थी तो भाई खाने के लिए पैसे चाहिए तो वो इसीलिए खरबूजे बेचने के लिए बाजार में ए गई थी नेक्स्ट क्वेश्चन है क्वेश्चन नंबर थ्री अरे जैसी नियत होती है अल्लाह भी वैसी ही बरकत देता है बाजार में खड़े व्यक्ति के इस कथन का पुत्र शोक के कारण रोटी बुधिया के दुख से एक कोई संबंध है या नहीं स्पष्ट की कीजिए तो यहां पर एक बाजार में एक व्यक्ति खड़ा था उसने बोला की अरे जैसी नियत होती है अल्लाह वैसी बरकत देता है मतलब उनका कहने का ये तात्पर्य था की वो जो स्त्री बुद्धि स्त्री जो थी वो खरबूजे बेचने आई थी वो तो पैसा कमाने की उसकी नियत थी और उसको जो है उसकी खरबूजे बिक नहीं रहे द तो अल्लाह भी उसके वो बुरी नियत लेकर बाजार में आकर बैठी थी इसीलिए अल्लाह भी उसकी जो है मदद नहीं कर रहे द ऐसा जो है मानना था वहां पे खड़े एक व्यक्ति का इसीलिए उसने ये बात कही थी तो क्या है बाजार में खड़े व्यक्ति का उपयोग कथन vegatmak है और बुधिया के पुत्र शोक एवं उसे उत्पन्न उसके दुख के भाव से इसका कोई मानवीय संबंधित नहीं बनता है अगर आप मानवीयता की तौर पर देखो तो इसका कोई तात्पर्य नहीं था क्योंकि वह उसकी असलियत वो व्यक्ति नहीं समझ का रहा था इस प्रकार रुकना मांगता के शिकार होते रुद्र मतलब जिनका मानसिकता बीमार होती है वो लोग ऐसी बोलते हैं मतलब जिनका दिमाग बीमार होता है वो इस तरीके के कथन एक दुखी व्यक्ति के ऊपर बोल सकते हैं हालांकि समाज में ऐसी स्त्री या प्रयास देखने को मिल जाती हैं की लोग दूसरे की पीड़ा पर टिप्पणी करके और उन जलूल तरीके से अनावश्यक बातें करके उसका आनंद लेते हैं वास्तव में ऐसी प्रवृत्ति के लोग अत्यंत गणित मैन सकता वाले होते मतलब दूसरे के दुख में मजा लेने वाले व्यक्ति कैसे होते हैं ग्रीन वैसा ही व्यक्ति था जो ऐसा कथन का रहा था दरिद्रता का अभाव ही जीवन की ऐसी विकेट परिस्थितियों हैं जब कोई भी व्यक्ति उपहास व्यंग्य एवं अपमान सहने का बाध्य हो जाता है दरिद्रता यानी की जब कोई व्यक्ति गरीब होता है तो अगर कोई व्यक्ति उसके ऊपर उपहास कर रहा है तो वो चुपचाप उसको सहन कर लेता है तो क्यों क्योंकि गरीबी उसको इन सभी का प्रत्युत्तर देने के लिए मजबूत परिस्थितियों प्रदान नहीं करती हैं बुधिया की सामाजिक स्थिति अत्यंत दायिनी थी इसी कारण उसके प्रति लोग इस प्रकार की अपमान जगन एवं vyangpur टिप्पणियां कर रहे द अन्यथा पुत्र का मरना किसी मैन के लिए वास्तव में कितना कष्टप्रद हो सकता है कोई भी संवेदनशील मनुष्य इसका सहजी अनुमान लगा सकता है यानी की लोग उसे पर वहां पर बैठी उसे बुधिया रोटी बुधिया को सब तरह तरह के कमेंट्स पास कर रहे द लेकिन उसको कितनी तकलीफ है ये हर एक व्यक्ति जान सकता है की जिस मैन का बेटा खत्म हो जाए बच्चा खत्म हो जाए उसे मैन को कितनी तकलीफ होगी किसी की मरने और दुखी होने के संदर्भ में ए बरकत की बात करना क्या है ना vakrat की बात करना तो नितांत अमानवीय अनुवांशिकता है तो उन्होंने बरकत की बात कारी थी कहने का तात्पर्य था इसका तो पुत्र मार गया इसलिए इसको बरकत नहीं मिल रही तो बताइए की बरकत का मतलब होता है की आपके घर में उन्नति नहीं हो का रही तो इस तरह की बात करना वाकई बहुत ही टच मानसिकता का प्रतीक प्रस्तुत करता है नेक्स्ट क्वेश्चन है बुधिया के दुख तथा समाधान महिला के दुख में क्या अंतर है आप यहां देख रहे द की संभ्रांत महिला का जब पुत्र खत्म हुआ तो वह 15 दिन तक बिस्तर से नहीं उठ पाई हर 15 मिनट में बेहोश हो जा रही थी और पूरा शहर उसकी तकलीफ में था लेकिन इधर दूसरी तरफ बुधिया के दुख को सभी बड़ी बेकार निगाह से देख रहे द फर्क क्या था दोनों की ही जो आर्थिक स्थिति है उनमें अंतर था इसके कारण समाज भी उनको अलग-अलग दृष्टि से देख रहा था जबकि दोनों का दुख समानता दोनों के ही जवान पुत्र खत्म हुए द बुधिया के बेटे भगवान ने उसे पुरी तरह हिलाकर रख दिया था घर में अनाज का दाना नहीं होने से भूख से ये bilbilate ए बच्चे एवं बुखार से ताप्ती बहु की जान की परवाह उसे ही करनी थी इसीलिए उसके पास अपने इकलौते बेटे की मृत्यु का दुख मनाने का अवसर नहीं था वह अंदर से कल्पता है ये लेकिन उसे स्वयं पर नियंत्रण रखकर घर की जिम्मेदारी निभानी है दूसरी तरफ अपनी बेटे की मृत्यु की बात एक संभ्रांत महिला महीना तक बिस्तर पर पड़ी रहती है पकड़े रहती है बेटे की मृत्यु कर दिया और वह अपने होश को संभल नहीं का रही थी उसकी तीमारदारी यानी की देखभाल में दो-दो डॉक्टर लगे हुए द ध्यान देने की बात यह है की सभी माता का दिल अपने बेटे के प्रति प्रेम एवं ममता के लिए एक जैसा ही होता है भाई किसी का किसी का भी हो आप मैन लीजिए कोई भी मैन हो हम का रहे हैं एक पशु की भी मैन लीजिए की हिरन का बच्चा भी मार्ता है या एक शेर का बच्चा मारे या एक गरीब स्त्री का मारे या एक अमीर स्त्री का मारे मैन का दुख सभी के लिए समान होगा सारा जो charohi मैप अपनी जगह है चाहे हिरन हो चाहे शेरनी हो चाहे एक बुजुर्ग में क्या कहते हैं जो गरीब महिला हो एक अमीर महिला तो सभी के लिए ये दुख समान होगा क्योंकि चारों के ही पुत्र कहीं ना कहीं खत्म हुई है तो समान भाव था वही चीज यहां पर उन्होंने बताई की संभ्रांत महिला और गरीब महिला दोनों का ही दुख समान था अब यहां पर क्या था लेकिन इससे ज्यादा कड़वी सच्चाई यह है की समय एवं परिस्थितियों मनुष्य को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखने के लिए वर्ष अधिक सम्राट महिला के सामने भगवान की मैन की तरह अपने परिवार का पेट पालने की जिम्मेदारी नहीं है इसीलिए उसे अपना दुख मनाने का अवसर प्राप्त होता है जिसका भगवान की मैन के पास था कहने का मतलब क्या था की यहां पर भगवान की मैन के पास जो है अपना दुख प्रकट करने का अवसर नहीं था क्योंकि उसके घर में खाने को नहीं था पैसे नहीं द सम्राट महिला के पास पैसे द दोबारा से बैठकर इस चीज का दुख माना सकती थी अगर उसे महिला के पास भी खाने के लिए पैसा नहीं होता तो शायद वो भी दुख नहीं बनाती और बाहर निकल लेती तो यहां पर अवसर भी नहीं था और लोगों की दृष्टि भी समाज में उनकी अलग-अलग तर्ज निगाह से देख रहे द तो ये हुआ हमारा पूरा चैप्टर फटाफट हमने कंप्लीट चैप्टर रिवीजन आपको कर दिया कुछ क्वेश्चंस भी कर दिए आय होप आपको ये चैप्टर अच्छे से समझ में ए गया होगा अब ये सभी जोस हमने डिटेल एक्सप्लैनेशन कराया है या एनसीईआरटी सॉल्यूशंस हैं वैन शॉट रिवीजन है मैक्स अभी आपको कहां मिलेंगे इसके लिए आपको आना होगा हमारे चैनल मैग्नेट प्रिंसिपल इंग्लिश दी आई से आप क्लिक करोगे क्लिक करते ही आपके सामने यहां पर क्लास ओपन हो जाएगी आप क्या करिए क्लास नाइंथ पे क्लिक करेंगे जैसे ही आपने यहां क्लिक किया आपके सामने नाइंथ में पढ़ाया जाने वाले सभी सब्जेक्ट्स हैं अब हम यहां पर कौन सी बुक पढ़ा रहे द आपको इस वर्ष तो आप यहां पर सर्च करोगे की स्पर्श यही हमारी स्पर्श बुक यहां पर वॉच नौ है इसे क्लिक करेंगे क्लिक करते ही स्पर्श की पुरी प्लेलिस्ट आपके सामने ए जाएगी आप यहां देख सकते हो इसे आप क्लिक करोगे इसके अंदर आपको जो है डिटेल एक्सप्लैनेशन एनसीईआरटी सॉल्यूशन मैक्स और वनशॉट सभी कुछ मिल जाएगा तो जो कुछ आपको देखना है क्लिक करिए क्लिक करके इस तरीके से आपका वीडियो स्टार्ट हो जाएगा वीडियो देखिए आपके सभी राउट्स को क्लियर कीजिए लेकिन साथ ही हमारे चैनल को लाइक सब्सक्राइब शेयर जरूर कीजिएगा