डबल एंट्री सिस्टम
डबल एंट्री सिस्टम अकाउंटिंग का मूल आधार है। इसमें दो मुख्य टर्म्स होते हैं:
- डेबिट (Debit)
- क्रेडिट (Credit)
डेबिट और क्रेडिट का अर्थ
- डेबिट का मतलब प्लस और क्रेडिट का माइनस नहीं होता।
- T-Account:
- लेफ्ट साइड: डेबिट
- राइट साइड: क्रेडिट
एसेट्स, लायबिलिटीज़, और कैपिटल
- एसेट्स:
- नेचर: डेबिट
- जब एसेट बढ़ता है, तो डेबिट करते हैं।
- लायबिलिटीज़ और कैपिटल:
- नेचर: क्रेडिट
- जब बढ़ती हैं, तो क्रेडिट करते हैं।
खर्चे और आय
- खर्चे (Expenses):
- नेचर: डेबिट
- जब खर्च बढ़ता है, तो डेबिट करते हैं।
- आय (Income)/प्रॉफिट:
- नेचर: क्रेडिट
- प्रॉफिट से कैपिटल बढ़ता है।
ड्रॉइंग्स
- बिज़नेस से निजी उपयोग के लिए कुछ निकालना ड्रॉइंग कहलाता है।
- नेचर: डेबिट
निमोनिक्स
- AED (Asset, Expense, Drawing):
- जब बढ़ता है, तो डेबिट होता है।
- LIC (Liability, Income, Capital):
- जब बढ़ता है, तो क्रेडिट होता है।
इन्वेंटरी
- इन्वेंटरी का मूवमेंट:
- इन्क्रीज़:
- पर्चेस (Purchase) अकाउंट में डेबिट
- डिक्रीज़:
- सेल्स (Sales) अकाउंट में क्रेडिट
रिटर्न इन्वर्ड और आउटवर्ड
- रिटर्न इन्वर्ड:
- डेबिट (कस्टमर से वस्तुओं की वापसी)
- रिटर्न आउटवर्ड:
- क्रेडिट (सप्लायर को वस्तुओं की वापसी)
विशेष नियम
- इन्वेंटरी के लिए केवल सेल, पर्चेस, रिटर्न इन्वर्ड और रिटर्न आउटवर्ड अकाउंट का उपयोग होता है।
- अन्य वस्तुओं के लिए विशेष अकाउंट्स (जैसे मोटर वाहन, फर्नीचर) का उपयोग होता है।