Hello everyone I hope all of you are doing good और आज मैं लेकर आई हूँ States of Matter Class 11th Chemistry का One Short Video पूरे lesson को ख़दम करेंगे हम सुरुफ एक वीडियो में और इस वीडियो के अंदर कबर करेंगे सारे concepts, concept के उपर based questions और खुब सारे demo and real life examples तो कुल लिला कर States of Matter के concepts होंगे Crystal Clear तो मैं हूँ रोश्नी from LearnoHub The Free Learning Platform फॉर्म जहां पर आप फिजिक्स केमिस्ट्री मैच बायोलॉजिस्ट सब कुछ पढ़ सकते हो आप लूटी फॉर फ्री आफ लानो हाव डॉट कॉम स्टेट्स ऑफ मैटर क्या पढ़ेंगे हम इस लेसन के अंदर बच्पन से ही हम थ्री स्टेट्स ऑफ मैटर के बारे में पढ़ते ही आ रहे हैं सॉलिड लिक्विड गैस हमें पता है कि सॉलिड जैसे कि ये बॉटल जिसका एक फ shape होता है, एक fixed volume भी होता है, liquid यानि कि ये पानी जो इस bottle के अंदर है, जिसका एक fixed volume तो होता है, यानि कि जितना ml पानी मेरे पास है, उतना ही है लेकिन इसका कोई shape नहीं होता, ये जिस container में रहता है, उसका shape ले लेता है जैसे फिलाल इसने इस bottle का shape ले रखा है, अगर मैं बात करूँ gases की, तो gases का क्या है, इनका ना तो कोई fixed shape है, और ना ही कोई fixed volume है तो ये सारी तो हो गई हमारी पुरानी बातें, जो हमने already junior classes में पढ़ रखी है, तो यहाँ पर हम क्या नया पढ़ेंगे? तो यहाँ पर इस वीडियो के अंदर हम basically थोड़ा जादा detail में बात करेंगे about gaseous state और हम थोड़ा different point of view से states of matters को समझने की कोशिश करेंगे. तो जैसे अगर आप देखो तो पिछले कुछ वीडियो में, पिछले कुछ लेसन्स में हमने क्या पढ़ा?
सबसे पहले हमने पढ़ा structure of atom, यानि कि आटम के अंदर का structure कैसा होता है? फिर हमने पढ़ा bonding, यानि कि आटम साथ में मिल करके किस तरीके से molecules बनाते हैं? अब हम देखेंगे कि जब धेर सारे ऐसे molecules साथ में मिलते हैं, तो वो अलग-अलग चीजे बनाते हैं और उनमें अलग-अलग properties देखने को मिलती हैं.
जैसे कि let's suppose मैं अपने हाथ पर अगर एक, सिर्फ एक water का molecule रखूं, बताओ water का molecule समझ रहे हो इतना चोटा जो naked ऐसे हमें दिखता भी नहीं है, अगर एक चोटा सा water molecule मैं अपने हाथ पर रखूं, तो क्या वो मेरे हाथ को wet कर देगा, क्या वो मेरे हाथ को गीला कर देगा, नह मेरा हाथ तो गिला हो गया, लेकिन इसके अंदर water का एक molecule नहीं है, धेर सारे molecules हैं. तो इसका ये मतलब है, जब हम एक molecule of water की बात कर रहे थे, तो उसमें wetting properties नहीं थी. लेकिन वही जब हम water molecules की धेर सारे water molecules की बात करते हैं, तो उनमें wetting properties होती हैं. ठीक उसे तरीके से, अगर हम water के एक molecule को boil करना चाहें, तो क्या वो boil होगा? नहीं, लेकिन वही अगर मैं पतीले में पानी डाल कर उसे बॉयल करूँ, तो वो बॉयल होगा, तो बॉयलिंग की जो प्रापर्टी है, ये भी हमें तब देखने को मिलती है, when we have a collection of water molecules, तो basically हमें ये समझ में आया, कि जो molecules हैं, individual molecule में कई सारे properties अलग होते हैं, लेकिन वही ज अब अगर हम बात करें अलग-अलग states की, जैसे कि हम बात करते हैं, let's say, ice, water, और steam की, तीनों क्या है?
तीनों chemically तो H2O है, chemical composition तीनों का H2O, तीनों का same है, right? लेकिन जो इनकी properties हैं, क्या वो सारे बिलकुल same हैं? नहीं, ice, water, और steam की अलग properties हैं. correct, तो exactly इन ही चीज़ों के बारे में अब हम आगे बात करेंगे कि किस तरह से धेर सारे molecules साथ में मिल करके, कौन सी ऐसे चीज़ हैं जो खुब सारे molecules को साथ में रखती हैं और इससे अलग-अलग चीज़ें बनती हैं जिनकी अलग-अलग properties होती हैं, और उसके बार जैसा कि मैं तो चलो कहानी की शुरुवात करते हैं तो हमारी आज के कहानी की शुरुवात होगी Intermolecular Forces से अब आप पूछोगे कि ये कौन सी चीज होती है अभी तो मैंने बताया कि आज का discussion इस बात पे है कि खूब सारे molecules को साथ में कौन रखता है कोई force ही रखता होगा, right? क्योंकि पहले भी हमने देखा है कि किसी भी, मतलब कोई भी जो रिष्टा होता है ना, उसके बीच में कोई ना कोई force तो होता है.
तो molecules के बीच में जो force होता है, उसे हम कहते है intermolecular force. अब यहाँ पर कुछ बच्चों के दिमाग में यह question आ रहा होगा या यह doubt आ रहा होगा कि पिछली पार, पिछली वीडियो में जब ma'am bonding पढ़ा रहे थे, तब भी ma'am ने कहा था कि जो फोर्स है, बॉंड क्या है? That is actually a force. तो वो वाला फोर्स और ये वाला फोर्स, क्या ये सेम है? तो यहाँ पर हम दो फोर्स की बात करते हैं, ठीक है?
तो ये doubt को clear करने के लिए basically. तो एक फोर्स की हम बात करेंगे, जो की है intermolecular force, जो की molecules के बीच में exist करता है. और दूसरा है intramolecular force, जो एक molecule के अंदर exist करता है. समझ आया? कुछ खास नहीं.
स्टोरी, स्टोरी से समझेंगे. अब जैसे मान लो एक family है. एक family के अंदर काफी सारे लोग होते हैं.
For example, आपकी family में आप हो, मम्मी, पापा, दादा, दादी, जो भी आपके family members हैं. तो अब एक family के अंदर, जो family members हैं, उनके आपस में bonding हैं? तो ये जो bonding है, that is within a family. Right?
अब, इस family की अपने पडोसियों से भी तो bonding है, पडोसियों के साथ भी तो आपकी अच्छी दोस्ती है, जो भी है, रिष्टा है, right? तो, जो families के बीच में, जो bonding है, that is also a bonding. तो बास, वही है ये. जब family के अंदर की bonding की बात हम कर रहे हैं, that is basically, molecule के अंदर, जो atoms हैं उनके बीच की जब हम bonding की बात करते हैं that is intramolecular force वो molecule के अंदर है जब हम उस family के पडोसी families के साथ bonding की बात करते हैं तो हम बात करते हैं intermolecular force की इसे याद रखने का एक बहुत आसान तरीका है आपने देखा होगा आपके school में होता है ना इंटर स्कूल कॉम्पेटिशन, इंटर स्कूल कॉम्पेटिशन मतलब जो कॉम्पेटिशन है वो उसी स्कूल के अंदर जो अलग-अलग टीम्स हैं उनके बीच में हैं, इंटर स्कूल कॉम्पेटिशन मतलब डिफरेंट-डिफरेंट स्कूल के बीच में कॉम्पेटिशन, त तो अगर हम बात करते हैं H2O की, water molecule की, तो H2O के अंदर, H2O एक molecule के अंदर intramolecular forces होंगे, hydrogen oxygen के बीच में, जिसकी वज़े से उनकी bonding बन रही है, लेकिन ये एक H2O जो है, ये बाके H2O से कैसे linked है, कैसे bonded है, with intermolecular force, clear?
तो intermolecular forces जो होते हैं, ये attractive और repulsive दोनों interaction को consider करते हैं, मतलब जितने भी constituent particles हैं, जितने भी constituent molecules हैं, उनके बीच का attractive plus repulsive interaction, all inclusive is called intermolecular force, ठीक है? जो attractive intermolecular forces होते हैं, उन्हें हम कहते हैं van der Waals forces, और van der Waals forces जो हैं, वो three types के होते हैं, ठीक है? लंडन फोर्स, डाइपोल डाइपोल फोर्स, डाइपोल इंडूस डाइपोल फोर्स, ठीक है, तो हम अब ये तीनों के बारे में डिसकस करेंगे, बहुत से बच्चों ने शायद टेक्स्ट बुक से इनके बारे में पढ़ा हो, और ऐसा लगा हो कि काफी कंफ्यूजिंग है, तो इससे पहले कि मैं types of van der Waals forces discuss करूँ, बहुत जरूरी है कि आप सबको पता हो कि polar और non-polar molecule क्या होता है, क्योंकि ये concept पता होना चाहिए, तो इसलिए सबसे पहले फटा-फट से देख लेते हैं, what is a polar molecule, what is a non-polar molecule, तो polar molecule तब बनता है जब एक covalent bond के अंदर जो electrons हैं, वो दोनो atoms equally share नहीं करते हैं, ठीक है, वही मम्मी की पिज़ा वाली स्टोरी मुझे रिपीट करनी होगी इस कॉंसेप्ट को समझाने के लिए जो बच्चे मेरे से पढ़ते रहते हैं उन्होंने यह स्टोरी पहले भी सुन रखी है ठीक है और जो पहली बार मुझसे पढ़ रहे हैं उनके लिए यह नई स्टोरी है पीजा मेरा क्या है बेसिकली इलेक्ट्रॉन यानि कि आपने अपने भाई के साथ कोवलेंट बॉंड बनाया जिसके अंदर इलेक्ट्रॉन्स इक्वली शे ठीक है, चोकि equally share हुए, तो क्या हुआ, भाई भी खुश है, आप भी खुश हो, किसी को कुछ गुस्सा नहीं आया, कुछ नहीं हुआ, so everything is fine, तो ऐसे situation में बनता है non-polar molecule, तो non-polar molecule के अंदर, जो covalent bond बनता है, उसके जो electrons होते हैं, वो equally shared होते हैं, दोनो atoms के बीच में, as a result, बहुत बढ़िया अब बात करते हैं polar molecule की अब मम्मी ने pizza दिया लेकिन आपने सोचा कि भाई तो छोटा है भाई को थोड़ा कम दे देते हैं और हम जादा ले लेते हैं और आपने जादा ले लिया इससे क्या हुआ आपने जादा ले लिया तो भाई को तो गुसा आया भाई क आप दोनों के ऊपर charge induce हो रहा है, तो अगर हम chemistry के terms में बात करें, तो इक covalent bond बन रही है, जिसमें दोनों atoms जो है, electron equally share नहीं कर रहे है, उसमें से कोई एक atom electron को थोड़ा सा अपनी तरफ खीच ले रहा है, as a result, वो वाला atom के ऊपर, एक हलका सा negative charge डिवलप हो जा रहा है, जिसे हम कहते है partial charge, तो slightly negatively charge हो जा रहा है, और दूसरा वाला slightly positively charge हो जा रहा है, तो as a result मेरा क्या बन जा रहा है ये पूरा system मेरा एक dipole बन जा रहा है equal and opposite charges separated by a distance एक पूरा dipole बन जा रहा है तो ये मेरा क्या है ये मेरा एक polar molecule है तो polar molecule के अंदर उस molecule के किसी part में negative charge जादा होता है किसी part में जो है वो positive charge acquire कर लेता है क्योंकि वहाँ पर negative charge कम होता है so that is a पोलर मॉलेक्यूल, तो अब सबको polar और non-polar मॉलेक्यूल समझ में आ गया, right? तो आप सोच रहे होगे कि इनके examples खुद सोचो, तो अगर मैं non-polar मॉलेक्यूल की बात करूँ जिनके अंदर electrons equally distributed होते हैं, hydrogen molecule, oxygen molecule CH4, methane ये सारे examples हैं आपके non-polar molecule के, और वहीं अगर मैं polar molecule की बात करूँ तो आ जाएगा अपना पानी H2O is an example HF, hydrogen fluoride is another example. NH3, यानि कि ammonia is yet another example.
तो ये हो गया polar, non-polar molecule. चलो, अब हम तैयार हैं समझने के लिए the three types of van der Waals forces. तो शुरू करेंगे पहले force से, जो की है London force. लंडन force, लंडन से चलके आया था ये force.
तो basically इस force का नाम London force इसलिए है. क्योंकि जो scientist, जिन scientist ने सबसे पहले इसके बारे में बताया था, he was a German physicist and his name was Fritz London. तो उनहीं के नाम पे इसका नाम रखा गया है London forces. इसका एक दूसरा नाम भी है जो की है dispersion forces.
तो London forces are exhibited by non-polar molecules. ठीक है? मतलब वैसे वाले molecules जिनका खुद का कोई permanent dipole moment नहीं होता है. मतलब overall उस molecule के अंदर electron equally distributed है throughout ऐसे molecules ये force exhibit करते हैं कैसे करते हैं? say electrons हैं वो कैसे move करते हैं?
electrons का एक cloud सा बना होता है and electrons are free to move like randomly कैसे भी move कर सकते हैं तो let us suppose ये मेरा एक molecule है और इसके अंदर जो electrons हैं वो भी ऐसे यू रांडमली move कर रहे हैं कहीं पर भी अब अतानक किसी एक point in time पे क्या हुआ, जो कि electrons के पास तो पूरी आजादी है, वो कहीं भी जा सकते, तो कोई एक time पर ऐसा हुआ, कि जो अधिकतर electrons जो है, वो इस side पर है, एक ऐसा time आया by chance, तो इसका मतलब है, इस वाले end में, इस molecule के, एक negative charge develop हो जाएगा, temporarily ही develop होगा, but at least, temporarily उस समय के लिए यहाँ पर एक negative charge develop हो जाएगा, ठीक है, उससे क्या होगा? अब ये molecule दूसरे जिस molecule के साथ interact कर रहा है, right? Let's say ये मेरा molecule है, ये दूसरा molecule है.
अब चुके इस molecule के इस end पे negative charge develop हो गया, तो इस molecule के साथ क्या होगा? इसके अंदर जो electrons हैं, वो इधर से भाग जाएंगे, क्योंकि negative negative repel, right? तो मतलब इसका अगर इस end में negative charge develop हो गया है, तो इसका इस end में positive charge develop हो जाएगा?
एज एडिजल्ट क्या होगा दोनों के बीच में एक एट्रैक्टिव फोर्स होगा और इसी एट्रैक्टिव फोर्स को हम कहते हैं लंडन फोर्स और बार बार ध्यान देना है देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख ज्यादा हो जाते हैं तो वहाँ पर temporarily एक negative charge हो जाता है जिसकी वज़े से वो पड़ोसी वाले molecule में भी एक charge induce कर देता है and as a result इनके बीच में एक attractive force होता है जिसे हम कहते हैं London force इसे हम एक story से समझते हैं ताकि ज्यादा दिनों तक याद रहे माल लो आप हो आपका एक दोस्त है मैं हूँ मेरा एक दोस्त है हम दोनों ही ऐसे हैं कि हमारा ना कोई self determination नहीं है मतलब ऐसी कोई बड़ी dedication या determination नहीं है कि यार कुछ पढ़ना है या कुछ करना है, सीखना है, नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है, तो हम बिलकुल बिंदास हैं, cool हैं, हमें नहीं पढ़ना है, लेकिन साल नहीं अच्छाना के एक ऐसा दिन आता है, जब हमें पता चलता है कि यार कल तो chemistry का exam है और दोस्त भी convinced हो गया, तो दोस्त भी पढ़ने लग गया, ठीक है, अब उस दिन तो हमने पढ़ लिया, अब क्या अगले दिन exam होने के बाद हम पढ़ेंगे, नहीं पढ़ेंगे, तो अगले दिन से हम फिर से नहीं पढ़ेंगे, तो ये जो effect था, this was a temporary effect, वो temporary effect exam के डर से मेरे अ तो यहां भी कुछ ऐसे ही होता है, जब कभी by chance ऐसा होता है कि ज़्यादा electrons एक तरफ आ जाते हैं, तो इसमें एक negative charge develop हो जाता है, जब इसमें negative charge develop हो जाता है, तो यह पड़ोसी वाले में एक positive charge develop कर देता है, as a result इनके बीच में एक attractive force होता है, जिसे हम कहते हैं London force, and again this is a temporary force, London forces London forces जो है, they are short range forces, यानि कि वो छोटे distance पर ही operate करते हैं, अगर distance बहुत बढ़ जाएगा, दोनों interacting molecules के बीच का distance बढ़ जाएगा, तो London force गायब, इन फाक्ट, mathematically अगर आप देखोगे, तो जो London forces होते हैं, they are proportional to 1 by r to the power 6, तो आप सोच के देखो, कि r, where r is the distance between the two particles, तो अगर r की value जरा से भी बढ़ जाती है, तो जो force है वो बहुत जादा घट जाएगी क्यों? क्योंकि जो force है that is proportional to 1 by r to the power 6 अब London force कितना strong होगा? यह इस पे भी depend करता है कि यह वाला जो particle है इसकी polarizability कितनी है मतलब यह जो अच्छा मेरे story से समझते हैं जैसे मैंने बताया कि कल exam है उसकी बाद मैंने अपने दोस्त को बोला अब डिपेंड ये भी करता है कि मेरे दोस्त को पढ़ने का कितना मन है, अगर उसने बिलकुल कसम खा रखी है कि कुछ भी हो जाए, पास हो जाओ, फेल हो जाओ, कुछ भी हो जाए, मैं नहीं पढ़ूंगा, अगर वैसा केस है, तब तो वो मेरे बोलने से भी नहीं पढ़ेगा, तो basically उस molecule जो मेरा दोस्त है ये वही वाला molecule है जो polarize हो रहा है तो उस molecule के polarizability कितनी है उस पे भी depend करेगा कि इन दोनों molecule के बीच का force कैसा होगा कितना strong होगा जैसे इसने इसके तो एक तरफ negative charge आ गया let us say कि electron इधर आ गया बट ये वाला molecule कितना ज्यादा polarize होना चाहा रहा है उस पे डिपेंट करेगा, अब वो कौन बताता है कि इसकी polarizability कितनी है, यादे जिन बच्चों ने मेरे साथ पढ़ा है Fajans Rules, उन्होंने देखा है इसके सारे criteria, जिन्होंने नहीं पढ़ा है वो अब पढ़ लेना, वो वीडियो देख लेना, तो हमने उसमें पढ़ा था कि इ इसके electron cloud को अपनी तरफ खीच सकता है, इसे distort कर सकता है, इसे attract कर सकता है और इसका size जितना छोटा होगा, red वाले का size जितना छोटा होगा, इसकी polarizability उतनी कम होगी तो कुल मिला के कि London force कितना strong होगा, ये बताता है polarizability तो चलो, अब हम मात करते हैं second type of van der Waals forces की, जो की है dipole-dipole forces तो ये forces exist करते हैं दो dipoles के बीच में, मतलब दो ऐसे molecules के बीच में, जिनका एक permanent dipole moment है, basically दो polar molecules के बीच में, मतलब यहाँ पर जो दो बन्दे हैं, जिसे मैं और मेरा दोस्त, दोनों का ही खुद का self determination है, कि नहीं यार exam हो चाय ना हो, मुझे तो पढ़ना है, मुझे तो सीखना तो उसी तरह से यहाँ पर जो दोनों molecules हैं उनके खुद के permanent dipole moment already हैं जैसे example लेते हैं hydrogen fluoride का यहाँ पर क्या होता है चुकी electro negativity difference बहुत ज्यादा है hydrogen और fluorine में hydrogen electro positive, fluorine बहुत ज्यादा electro negative तो इसकी वज़े से क्या होता है कि दोनों के बीच का जो shared electron है उसे fluorine अपनी तरफ थोड़ा ज्यादा खींच लेता है as a result fluorine के उपर हलका सा negative charge आ जाता है जिसे हम कहते है partial charge उसी तरह hydrogen के उपर हलका सा positive charge आ जाता है उसे हम कहते है partial positive charge अब बहुत से बच्चे सोच चुएंगे कि ये partial का मतलब क्या है तो partial charge मतलब जब बहुत थोड़ा सा charge होता है उसे हम partial charge कहते है जेनरली अगर जो charge है, that is less than the charge on an electron, charge on an electron कितना होता है? 1.6 into 10 to the power minus 19 coulomb, तो अगर कोई charge उससे भी कम है, तो हम उससे partial charge बोलते हैं, और इसे denote करते हैं delta से, जैसे delta plus, delta minus, मतलब छोटा सा positive charge, या छोटा सा negative charge, ठीक है? तो hydrogen fluoride में हम क्या देखते हैं?
कि hydrogen के उपर delta plus है, fluorine के उपर delta minus है, ठीक है? तो ये क्या बन जाता है? ये एक डाइपोल बन जाता है अपने आप में, अब ये hydrogen fluoride जब एक दूसरे hydrogen fluoride के साथ interact करता है, तो क्या होगा? इनके बीच में interaction होगा, right?
क्यों? क्योंकि इसका hydrogen के ऊपर positive है, बगल वाले के fluorine के ऊपर negative है, right? तो उनके बीच में भी एक force exist करेगा तो जो dipole-dipole forces होते हैं, they are stronger than London forces, जो हमने अभी discuss किया था, London force, London force तो चुके temporary था, right, तो वो forces काफी weak थे, उनके comparison में dipole-dipole forces are stronger, dipole-dipole forces भी जो हैं, they are short range forces, in fact, mathematically अगर हम देखें, तो they are proportional to 1 by r to the power 6, अगर हम बात करते हैं rotating polar molecules की, and they are proportional to 1 by r to the power 3, अगर हम बात करते हैं stationary polar molecules की, मतलब in any case, it is inversely proportional to the distance between the two particles, इन फैक्ट, hydrogen bonding, जिसके बारे में हमने पिछले lesson में काफी detail में पढ़ा था, chemical bonding के अंदर, तो hydrogen bonding is an example of dipole-dipole interaction, dipole-dipole force का ही एक example है क्योंकि hydrogen bonding में भी वही होता है जब hydrogen किसी भी highly electronegative small size atom के साथ जूडता है तो क्या होता है?
Due to the electronegativity difference इन दोनों में equally share नहीं हो पाते है electrons and as a result hydrogen में हलका सा positive और दूसरे वाले में हलका सा negative charge develop हो जाता है और उसे से आता है hydrogen bond तो इसको अभी हम यहाँ पर डिटेल में डिसकस नहीं करेंगे क्योंकि यह हम अलड़ी कवर कर चुके हैं तो लिंक जो है वो मैं उपर फ्लाश कर रही हूँ चाहिए तो आप जाओ उस वीडियो पर और हाइड्रोजन बॉंडिंग के बारे में डिटेल में पढ़ लो ठीक है अब जिन बच्चों ने मेरे साथ ऑलरेडी हाइड्रोजन बॉंडिंग पढ़ रखा है उनके लिए एक क्वेश्चन तीव का भी लॉजिकल सा एक्शन है कि हम देखते हैं कि हाइड्रोजन बॉंड जो है यह हाइड्रोजन के साथ कुछ सिलेक्टेड एलिमेंट से बनाते हैं जैसे कि oxygen, nitrogen, fluorine तो मेरा सवाल है कि why not chlorine? chlorine भी तो electro-negative है तो फिर chlorine जो है वो hydrogen के साथ hydrogen bond क्यों नहीं बनाता है? जल्दी जल्दी सोचो सोचो सोचो हाइड्रोजन बॉंड बनाने के लिए कौन-कौन से क्रिटेरिया थे एक तो क्रिटेरिया यह था कि इलेक्ट्रो नेगेटिविटी डिफरेंस होना चाहिए जो कि इस केस में है दूसरा क्रिटेरिया था कि वो जो आटम है ना उसका साइज chlorine doesn't form hydrogen bond with hydrogen.
तो जबादस्त, अब हम बात करेंगे तीसरे type of van der Waals forces की, जो की है dipole, induced dipole forces. तो इस तरह के forces जो हैं, ये दो ऐसे molecules के बीच में होते हैं, जिसमें से एक तो जो है, वो dipole होता है, यानि कि उसका एक permanent dipole moment होता है, तो वो एक polar molecule होता है, और जो दूसरा molecule होता है, वो एक non-polar molecule होता है, यानि कि उसका permanent dipole, मोमेंट नहीं होता है तो यह कुछ बात ऐसी हो गई कि जैसे मैं हूं मेरे में तो बहुत सेल्फ डिटरमिनेशन है यार पढ़ाई करने का मुझे तो खुद से ही है कि मुझे तो पढ़ना है तो मेरा एक परमनेंट डाइपोल मोमेंट है लेकिन जो मेरा दोस्त है उसे ऐसा क� तब तो मैं उसे convince करते रहती हूँ कि नहीं यार पढ़ ले पढ़ने से कुछ अच्छा होगा ये होगा वो होगा और वो पढ़ाई करता है लेकिन जैसे ही मैं अपने घर वापिस आ जाती हूँ तो वो वापिस बिंदास मोड में वो वापिस नहीं पढ़ता है ठीक है तो कु अब जब ये एक non-polar molecule के पास आता है, तो वो इस non-polar molecule को भी polarize कर देता है, जैसे इसका अगर इधर delta plus था, तो ये इसके इधर induce कर देता है delta minus, और इधर delta plus, तो as a result इनके बीच में एक attractive force operate करने लगता है, और उसी force को हम कहते है dipole induced dipole, तो अब कितना dipole induced करेगा, वो depend करता है कि इसका, डाइपोल मुमेंट कितना है मतलब इसका पोलराइजिंग पावर कितना है और इस पर डिपेंड करेगा कि इसका पोलराइजिंग बिलिटी कितना है इसको पोलराइज होने का कितना मन है मतलब मैं अगर अपने दोस्त को कन्विंस कर पा रही हूं पढ़ने के लिए तो ये दो और वो कितना पढ़ना चाह रहा है, उसक�� polarizability कितनी है, तो ये दो चीज़े decide करेंगे, कि dipole induced, dipole forces का strength है, वो कितना होगा, अगर बात कीज़ाए range की, तो ये भी short range forces होते हैं, mathematically they are proportional to 1 by r to the power 6, तो r क्या है, दोनो particle के बीच का distance, distance जरा सा बढ़ा, तो जो force है, वो बहुत ज़ा So this was all about van der Waals forces and intermolecular forces. अब हम बात करने वाले हैं thermal energy के बारे में.
Thermal energy क्या होता है? Thermal, बोले तो heat. तो किसी भी object को जब हम heat करते हैं, तो उसके अंदर के जो particles हैं, वो move करने लगते हैं.
उनमें energy आ जाती है. तो ये जो energy आती है उनमें, due to heat. यानि कि जितना हम temperature को बढ़ाएंगे उतनी ज्यादा thermal energy भी बढ़ेगी और इसके वज़े से जो particles की movement होती है जब भी किसी चीज को गरम करते हैं तो particles जो move करने लगती है उस motion को हम कहते है thermal motion अब सोचोगे कि ma'am अचानक से thermal energy के बारे में बात क्यों करने लगी वो इसलिए क्योंकि हम बात कर रहे हैं states of matter की तो हम देखेंगे कि ये जो दो चीज़े हैं, एक तो intermolecular force और दूसरा thermal energy, ये दोनों चीज़ों का जो concept है, ये हमें बताएगा कि किस तरह से हम one state of matter से another state of matter की तरफ बढ़ रहे हैं, मतलब, मतलब कुछ यूँ देखो, let us suppose हम intermolecular forces की बात करते हैं, ठीक है, तो जैसे जैसे inter वैसे वैसे हम गैस से लिक्विड, लिक्विड से सॉलिड की तरफ जाते हैं क्योंकि इंटर मॉलिकुलर फोर्स जो है वो सॉलिड में सबसे ज्यादा होता है अब बात करते हैं थर्मल एनर्जी की जैसे जैसे हम थर्मल एनर्जी को इंक्रीज करते हैं तो क्या होता है? थर्मल एनर्जी को जैसे जैसे हम बढ़ाते हैं तो हम जाते हैं सॉलिड से लिक्विड, लिक्विड से गैस की तरफ गैस में क्योंकि गैस के अंदर जो पार्टिकल्स होते हैं उन्हें move करने की सबसे ज़्यादा freedom होती है वो बिल्कुल बिनदास घूमते फिरते रहते हैं तो यानि कि thermal motion, thermal energy सबसे ज़्यादा कहाँ पर है गासेस में हैं इसमें यही समझने का था कि intermolecular force का जो pre-dominance है इनका जो dominance है वो बढ़ता जाता है जैसे जैसे हम gas से liquid और liquid से solid की thermal energy का dominance ये बढ़ता जाता है, जैसे-जैसे हम solid से liquid और liquid से gas की तरफ जाते हैं.
तो जो three states of matter इनके basics तो हमें पता ही है, तो अब हम उसके एक detail में नहीं जाएंगे, और हम सीधा बात करेंगे gaseous state of matter के बारे में. तो अगर हम periodic table को देखें, तो periodic table के 118 elements में से, सिर्फ मात्र 11, only 11 elements are gases. लेकिन फिर भी वो इतने ज्यादा important है कि हमने देखो पूरा एक अलग section बना रखा है to discuss in detail about the gaseous state.
तो gases का behavior होता है, they are basically governed by certain laws और इन laws को हम कहते हैं gas laws. ये gas laws जो है they have been derived by some experimental observations, experimentally चीजों को देख करके ही ये laws दिये गए हैं, and what do we have in these laws, इस laws के अंदर we see relationships between measurable properties of gas, मतलब measurable property मतलब जैसे की mass, volume, pressure, temperature ये सारी ऐसे properties है जिनने हम measure कर सकते हैं और हम देखेंगे कि जितनी भी laws के बारे में हम बात करेंगे उसमें हम इन ही quantities के बीच में relationships establish करते रहेंगे ठीक है तो चलो आगे देखते हैं इससे पहले कि हम gas laws के बारे में बात करें इट इज इंपोर्टन्ट की जो gas की जो basic properties होती ह गैस के अंदर जो molecules होते हैं, उनमें intermolecular forces बिलकुल minimum होता है, ठीक है, गैस molecules जो होते हैं, they move freely, वो एक दूसरे से दूर दूर रहते हैं, बिलकुल बिनदास, मज़े में घूमते रहते हैं, ठीक है, गैस आपको बिलकुल compressable होते हैं, अब ये बैलून के अंदर क्या है, हवा है, गैस है, तो इसे अगर हम ऐसे compress कर दे, तो क्या होगा, कुछ नहीं होगा, कम जगह में, gases उतनी जगह में adjust कर लेंगे, जब ज़्यादा जगह मिलेगी, तो ज़्यादा जगह में फैल जाएंगे, so gases are compressible, volume and shape of gases are not fixed, fix नहीं होता है, जब इस balloon के अंदर है, तो balloon का shape ले लेंगे, इसका volume occupy कर लेंगे, जब इस room के अंदर है, तो इसका shape ले लेंगे, और इतना volume occupy कर लेंगे, तो इनका खुद का कोई shape या volume नहीं होता है, gases exert pressure in all directions, कैसे? कैसे exert करते हैं gases pressure? तो gas के जो particles हैं, जैसे माल लेते हैं कि gas जो है एक container में है, तो इनके जो particles हैं, when they strike the walls of the container, जब ये धक्का मारते हैं इस दिवार पे, तो क्या होता है? Force exert करते हैं, और force per unit area क्या होता है?
Pressure, तो इसी तरीके से ये pressure exert करते हैं, अब चुकी gas के जो particles हैं, वो randomly हर direction में move करते हैं, टकराते भी हैं, randomly bounce back भी करते हैं, और उसे वज़े से ये pressure भी equally exert करते हैं in all directions. Gases have much lower density than solids and liquids. Density कम होती है, क्यों? क्योंकि gas के अंदर जो particles होते हैं, वो बहुत दूर-दूर रहते हैं, right?
वो बिल्कुल freely move कर रहे होते हैं. चुकि दूर-दूर रहते हैं, इसका मतलब? density कम है, density ज्यादा कब होती है, जब छोटे से जगह में बहुत सारे लोग रहें, तो हम कहेंगे कि density ज्यादा है, जब उतने ही जगह में सरफ 2-3 लोग हैं, तो density कम हो गई, तो gases के case में भी density बहुत कम होती है, and the last one, gases mix evenly and completely without any mechanical aid, यानि कि अगर एक डब्बे के अंदर हम let's say 2 different gases रख दे, provided वो दोनों gases के बीच में कुछ harmful reaction ना होता हो, तो क्या होगा, ये जो दोनों gases हैं, ये एक दूसरे के साथ आराम से mix हो जाएंगी, और बिल्कुल अच्छी तरीके से mix हो जाएंगी, और इन्हें mix करने के लिए हमें कुछ extra करना नहीं पड़ेगा, तो ये तो थी किसी भी gas की कुछ basic properties, ओके तो बच्चा पार्टी अब हम लोग स्टार्ट करने वाले हैं गास लॉज और ये एक सूपर डूपर इंपोर्टन्ट टॉपिक है यहाँ पे आपको एग्जाम में इससे क्वेश्चन पूछे जाते हैं और इस कॉंसेप्ट इस वर्ड ऑल सो वेरी इंपोर्टन्ट वेर तो volume कम होगा, अगर volume जादा है तो pressure कम होगा, तो इसे हम mathematically लिख सकते हैं कि P is proportional to 1 by V, या फिर हम कह सकते हैं P is equal to a constant into 1 by V, या फिर इसे हम लिख सकते हैं कि PV is equal to constant, एक और alternative तरीका है boils law को समझने का, मान लो आपके पास एक gas है with volume V1, pressure P1 at temperature T, ठीक है, मान लेते हैं कि temperature constant है, but कुछ time के बाद उसका जो volume है वो बढ़ गया, तो अब expand होने के बाद इसका volume हो गया V2, और इसका pressure हो गया P2, तो P1 V1 P2 V2 में क्या relationship होगा?
होगा P1 V1 is equal to P2 V2 क्योंकि अभी अभी हमने देखा कि Boyle's Law के according PV is equal to constant exactly तो यहाँ पर आपको इस graph में भी दिख रहा होगा कि जैसे जैसे हम pressure को बढ़ा रहे हैं मेरा volume क्या हो रहा है? यह घट रहा है और the vice versa is also true तो चलो Boyle's Law को हम देखते हैं graphically तो अगर graphically देखें, तो हम क्या देखते हैं, यहां देखो दो graph बना हुआ है, this is the first graph, this is the second graph, और क्या फर्क है दोनों graph में, थोड़ा ध्यान से देखो, पहला graph जो है, वो हमने plot किया है, pressure और volume के बीच में, तो Boyle's law क्या कहता है, कि pressure और volume जो है, they are inversely proportional, ठीक है, तो इसलिए तो हमने ये तीन जो अलग lines दिख रहे हैं, ये तीन अलग-अलग temperatures में plot किया है, ठीक है, अब जो दूसरा graph है, इसमें हमने pressure और 1 by V को plot किया है, तो pressure is directly proportional to 1 by V, इसलिए हमें यहाँ पर मिला है क्या, straight lines, ठीक है, तो ये हमारे दो graphs थे, अब यहाँ पर एक interesting चीज है, कि यहाँ इस ग्राफ की बात कर रहे हैं, यहाँ पर जो यह जो कर्व हमें मिल रहे हैं, इन कर्व का हमने एक नाम दिया हुआ है, and that is isotherm, iso मतलब same, constant, therm मतलब temperature, यानि कि constant temperature पे जो हम plot करते हैं, pressure और volume के बीच पे, तब हमें जो कर्व मिलता है, उसे हम कहते हैं isotherm, तो कुल मिला के boils law स जब हम प्रेशर इंक्रीज कर रहे हैं, तो हम क्या कर रहे हैं? हम बेसिकली गास को कॉंप्रेसी तो कर रहे हैं, और उस समय वॉल्यूम जो है वो कम हो जा रहा है, इसका मतलब जो गास के मॉलिक्यूल्स हैं, वो थोड़े से जगह में एक दूसरे के बहुत पास पास आ जा रहे हैं, यानि कि उनकी डेंसिटी बढ़ जा रही है, तो इससे हमें पता लग रहा है कि कहीं न कहीं प्रेशर और डेंसिटी में भी रिलेशन है, कैसा रिलेशन? डेंसिटी क्या होता है? मास पर यूनिट वॉल्यूम, यानि कि density is inversely proportional to volume अगर volume बढ़ेगा तो density घटेगा but Boyle's law से हमें क्या पता है कि अगर volume बढ़ेगा तो pressure घटेगा तो इसका मतलब जब प्रेशर घट रहा है तो डेंसिटी भी घट रहा है जब प्रेशर बढ़ रहा है तो डेंसिटी भी बढ़ रहा है एक question try करना बनता है on Boyle's law तो ध्यान देना है यहाँ पर temperature जो है वो मेरा constant है यानि कि कौन सा law लगेगा वो इलस law तो यहाँ पर दिया हुआ क्या क्या है volume initially कितना था 120 ml pressure initially कितना था 1.2 bar volume बाद में कितना हो गया 180 ml और प्रेशर बाद में कितना हो गया, वही तो निकालना है, तो बॉयल्स लॉग के हिसाब से P1 V1 is equal to P2 V2, तो बस और क्या, निकाल लो P2, V2 तो दिया हो है, P2 निकालना है, तो P2 will be equal to P1 V1 divided by V2, इसमें हम values डाल देंगे, तो यह हो जाएगा 1.2 into 120 divided by 180, तो यह आ जाएगा 0 अब हम पढ़ेंगे हमारा दूसरा gas law जो की है Charles law तो ये law कहता है कि अब अगर हम temperature को change करते रहें pressure को constant करते हैं तो अगर pressure को constant रखें तो हम देखते हैं कि temperature जैसे जैसे increase करते हैं volume वैसे वैसे increase होता है temperature जैसे जैसे decrease करते हैं volume वैसे वैसे decrease होता है तो इस law को समझने के लिए चलो करते हैं एक छोटा सा experiment with two balloons let's take two balloons वान और टू तो balloon number one को डाल देंगे हम fridge के अंदर और छोड़ देंगे यही पर for two hours तो आप सभी ने देखा था कि balloon number one को मैंने fridge में डाल दिया था कुछ देर के लिए तो इसका अगर आप ध्यान से देखो तो balloon one का जो volume है यह थोड़ा सा छोटा हो गया है when compared to balloon two why?
क्योंकि जैसे जैसे temperature decrease हुआ वैसे वैसे इसका volume भी दिक्री सु� तो alternative तरीके से हम Charles Law को ऐसे देख सकते हैं कि अगर हमारे पास एक gas है जिसका volume है V1 at temperature T1, assuming कि pressure is constant, कुछ देर के बाद उसका volume हो जाता है V2, temperature हो जाता है T2, तो हम कह सकते हैं कि V1 by T1 is equal to V2 by T2. अब Charles Law को graphically देखते हैं, तो यहाँ पर हम देखते हैं कि क्या constant रहता है Charles Law के case में, यहाँ पर constant रहता है pressure. तो यहाँ पर चुकी pressure constant रहता है तो इनके जो graph के lines हमें मिलते हैं उसे हम कहते हैं iso bar, bar यानि की pressure, iso यानि की constant, तो constant pressure plots को कहते हैं iso bar और देखो यहाँ पर हमें क्या मिलता है हमें straight lines मिलती है क्यों क्यों कि volume जो है that is directly proportional to temperature तो अलग-अलग pressure पे हमने ये plots बनाएं, अब यहाँ पर हमें ना एक interesting चीज देखने को मिलती है, अगर आप ध्यान दोगे तो इन lines का ये वाला part देखो solid line है, पीछे वाला part जो है ना this part is dotted line, इसका क्या significance है, इसका ये मतलब है कि जब हमने plot बनाया, कि अलग-अलग temperature पे अल� है तो हाइपोथेटिकली मैजिनरी क्योंकि वॉल्यूम जीरो होगा इसका मतलब क्या वह गैस रहेगा ही नहीं गैस काकर वॉल्यूम ही जीरो हो गया तो गैस रहेगा ही नहीं तो नॉट इक्सपेरिमेंटली बट हाइपोथेटिकली जैसे ग्राफ हमारा बैक ट्रैक किया तो हमने देखा यह सारे जो है ना इस पॉइंट पर जाकर मीट कर रहे हैं विच कोरेस्पॉंट्स टू जीरो वॉल्यू यह जो पॉइंट है इस कोरेसपॉंट्स टू वीजिकल टू जीरो इस टेंपरेचर पर वॉल्यूम जीरो है तो इस टेंपरेचर को कहा जाता है एप्सॉल्यूट जीरो इसलिए देखो इट इज आ लोग इस्ट हाइपोथेटिकल और इमेजिनरी टेंपरेचर वेर गैसेस आर पोस्ट टू ऑक्यूपाइस जीरो वॉल्यूम यानि कि गैसेस डू नॉट एक्सिस्ट आप दिस टेंपरेचर ठीक है तो अब सवाल यह उठता है कि यह एप्सॉल्यूट जीरो कौन सा टेंपरेचर है मतलब कितना टेंपरेचर है बेसिकली अ तो देखा ये गया कि जो ये जो absolute zero वाला जो temperature है, that is actually minus 273.15 degree Celsius, ये था absolute zero temperature, ये, ये वाली value, ठीक है, इसका मतलब इस temperature पर gas का volume zero है, यानि कि gas exist नहीं करता है, यानि कि सारे gases जो हैं, they get liquefied before this temperature is reached, तो यह तो था चार्ल्ड्स लॉ का ग्राफ, अब यहाँ पर एक interesting चीज हम और discuss करेंगे, कि यह चार्ल्ड्स लॉ जब हम discuss कर रहे हैं, तो यहाँ पर एक new scale of temperature भी introduce हुआ, जैसे यहाँ तो हमने temperature को Celsius में लिया हुआ है, बट calculation के convenience के लिए क्या किया गया, एक नई scale को introduce किया गया, जिसे कहा जाता है absolute scale of temperature या फिर absolute temperature scale या फिर कहा जाता है thermodynamic scale, या फिर कहा जाता है Kelvin scale, ठीक है, तो Kelvin scale होता क्या है, Kelvin scale के according 0 degree Celsius, जो Celsius scale का 0 degree है, that is equal to 273.15 Kelvin, तो देखो इसको denote करने के लिए हम degree नहीं लिखते हैं, हम सीधा capital K लिखते हैं, which means Kelvin, तो यह relationship है Celsius और Kelvin में, तो यहाँ पर बात यह ध्यान रखनी है कि अब आगे से जबी भी कोई भी numerical handle करोगे, Charles Law पे या Ideal Gas Equation पे कुछ भी numerical handle करोगे, अगर आपको temperature Celsius में दिया हुआ है, तो आप क्या करोगे calculations के लिए, उसे Kelvin में convert कर लोगे, Kelvin में convert करने के लिए क्या करोगे?
यह relation आपको पता है, right, तो कोई भी degree Celsius वाले temperature को Kelvin में convert करने के लिए आप उसमें 273.15 add कर दोगे, for ease of calculation हम कई बार सिर्फ 273 add कर देते हैं, और वो Celsius से Kelvin में convert हो जाता है, now this was a very important point here, ठीक है, तो चलो एक example भी try कर लेते हैं on Charles Law On a ship sailing in Pacific Ocean where temperature is 23.4 degree Celsius, a balloon is filled with 2 liters air. What will be the volume of the balloon when the ship reaches Indian Ocean where temperature is 26.1 degree Celsius? ठीक है, क्या क्या दिया हुआ है, T1 दिया हुआ है, T2 दिया हुआ है, V1 दिया हुआ है, और V2 हमें निकालना है, तो Charles Law के according V1 by T1 is equal to V2 by T2, ठीक है, तो यानि कि V2 will be equal to V1 T2 divided by T1, V1 की value है 2 liters, T2 की value क्या है, T2 की value है 26.1 degree Celsius, बट हमें इसे Kelvin में convert करना है, तो T2 को पहले 26.1 प्लस 273 कर लो, तो this will be equal to 299.1 केल्विन, उसी तरीके से ये T1 को भी कर लो, 23.4 प्लस 273, तो ये हो जाएगा 296.4 केल्विन, अब हम directly डाल सकते हैं, T2 की value हो जाएगी 299.1 divided by 296.4, तो ये आजाएगा 2.018 liters, And that is my answer.
तो तीसरा gas law है Gay-Lussac's law. अच्छा, अभी तक हमने volume-temperature का relation देखा, Charles'law में. Pressure-volume का relation देखा, Boyle's law में. तो यार, pressure और temperature का भी तो correlation होना चाहिए.
और वही है Gay-Lussac's law. तो Gay-Lussac's law कहता है कि अगर हम volume को constant रखते हैं, temperature बढ़ता है, वैसे वैसे प्रेशर भी बढ़ता है, यानि कि P is directly proportional to T, तो यानि कि अगर हमारे पास एक गास है, जिसका प्रेशर और टेंपरेचर है P1, T1, कुछ टाइम के बाद अगर उसका प्रेशर और टेंपरेचर हो जाता है P2, T2, तो इनके बीच का relation क्या हो जाएगा, P1 by T1 is equal to P2 by तो यहाँ मैंने लिया है एक बॉटल और इसका धक्कन खोल दिया है और यहाँ मेरे पास है इस पतीले में गरम पानी जो कि आप देख रहे हो उबल रहा है पानी और दूसरे इस वाइट वाले बाउल में है थंडा पानी तो मैं अभी क्या करूँगी इस बॉटल को मैं डाल जब हमें लगे कि ये sufficiently hot हो चुका है, तब हम क्या करेंगे? इसके धक्कन को बंद कर देंगे, right? तो चलो, करते हैं ऐसा, धक्कन को हमने बंद कर दिया, और अब सीधा इसे हम डाल देंगे, इस थंडे पानी वाले बाउल में, आपको आवाज आ रही होगी, और ये आवाज क्यों आ रही है? Because this bottle is shrinking, so now if you look at it, क्या हो गया?
इसका जो volume है वो कम हो गया, तो temperature मेरा ज्यादा से कम हो गया, volume भी मेरा ज्यादा से कम हो गया, तो अभी इस experiment से हमने क्या देखा? जैसे ही हमने bottle को गरम पानी से थंडे पानी में shift किया, यानि कि उसका temperature decrease किया, तो क्या हुआ? जो अंदर, bottle के अंदर जो gas था, उ और इसकी वज़े से जो बाहर का जो atmospheric pressure था, वो उसे दबा के उसने पिचका दिया, correct, so that's what happened just now, तो ये था हमारा Gay-Lussac's law, जिस तरह पिछले वाले laws के लिए देखा, उसी तरह Gay-Lussac's law को भी graphically देख लेते हैं, यहाँ पर क्या होता है, क्या constant रहता है, यहाँ पर constant रहता है, volume, तो इसलिए इस तरह के lines को हम कहते हैं, isochore, core word जो है, यह volume के लिए use हो रहा है, तो isochore, और यहाँ पे भी हमें straight line मिल रहा है क्यों? क्योंकि pressure जो है that is directly proportional to temperatures, ठीक है?
Clear हो गया? Okay, तो अब हम बात करेंगे Avogadro's law के बारे में, Avogadro's law कहता है कि equal volume of gases at same conditions of temperature and pressure will contain equal number of molecules, ठीक है? मतलब अगर temperature and pressure के conditions बराबर हैं, तो equal volume चाहे gas कोई सा भी हो, उनका अगर volume equal है, तो उनके अंदर same number of molecules होंगे, तो mathematically हम इसे लिख सकते हैं कि volume V is proportional to N, where N is the number of molecules, तो यहाँ पर हम अगर कुछ demo देखना चाहें, कोई example सोचना चाहें, तो what will be that? So I would say कि हर बाद जब आप एक balloon फुलाते हो, you are actually proving Avogadro's law.
इस balloon का volume कितना होगा ये depend करता है कि इसमें कितना gas आपने भरा है इसमें कितना gas है तो amount of gas decides the volume of the balloon तो ये जो balloon आप जब भी फुलाते हो तो you are actually proving that V is proportional to N ठीक है और हमने ये भी पढ़ा था कि one mole of any gas contains अवो गैडरोज नंबर ऑफ मॉलिक्यूल्स यानि कि किसी भी गैस के वन मोल में कितने मॉलिक्यूल्स होते हैं 6.022 इंटू 10 टू द पावर 23 मॉलिक्यूल्स ठीक उसी तरीके से वन मोल ऑफ एनी गैस एट स्टीपी है इक्वल वॉल्यूम वन मॉलिक्यूल्स ठीक उसे प्रेशर तो स्टैंडर्ड टेंपरेचर और प्रेशर में किसी भी गैस का वन मोल जो है उसका वॉल्यूम बराबर होगा, what is STP, standard temperature मतलब 273.15 Kelvin, standard pressure मतलब 1 bar, which is equal to 10 to the power 5 Pascal, ठीक है, and what is this equal volume, ये equal volume कितना होता है, and this equal volume is 22.71098 liter per mole, कोई भी ऐसा gas, जो इन सारे laws को satisfy करें, जो boils law, child's law, avocados law, इन सब को satisfy करें, वैसे gas को हम कहते हैं ideal gas, ideal, जो word ideal का मतलब क्या होता है, मतलब जो बल्कुल perfect हो, इकदम perfect, right, अब कोई ने इंसान इतना perfect होता है क्या, नहीं होता है, हर किसी में कुछ ना कुछ खामियां तो होती है, और ठीक उसे तर यह ideal gas का concept है, this is hypothetical, यह सिर्फ theoretical है, reality में कोई भी gas ideal नहीं होता है, क्यों नहीं होता है, क्योंकि किसी भी gas को ideal होने के लिए, उसे Boyle's law, Charles's law, Avogadro's law हमेशा follow करने के लिए, ऐसा होना जरूरी है, कि उनके बीच के जो intermolecular forces हो, वो zero हो, मतलब उनके बीच में intermolecular forces हो ही ना, and that is not क्योंकि gases में intermolecular forces minimum तो होता है, but zero नहीं होता है, थोड़ा बहुत intermolecular forces तो होता ही है, तो इसलिए जो gases reality में exist करते हैं, they are not ideal gases, उन्हें हम क्या कहते हैं, real gases, because they exist in real, ठीक है, तो यह जो real gases होते हैं, यह कुछ-कुछ conditions में, Boyle's law, Charles's law, इन्हें follow करते हैं, but not always, जैसे अगर हम ब तो जैसे low pressures में boils law follow होता है, but real gases deviate from boils law at high pressures. उसी तरीके से real gases deviate from child's law at high pressures and low temperatures. तो अब जो भी gases, ideal gases होंगे, हलाकि हमने बताया कि ideal gas reality में exist नहीं करते हैं, but theoretically जो भी gas ideal behavior show करेगा, that gas has to satisfy this ideal gas equation. ठीक है, so what is ideal gas equation, PV is equal to NRT, where P is pressure, V is volume, N is number of moles, R is constant, which is universal, gas constant, and T is temperature, अब सबसे बड़ा सवार कि ये equation आया कहां से, तो ये equation basically आया, Boyle's law, Charles's law, और Avogadro's law से, ठीक है, हमने ideal gas को define कैसे किया, कि जो भी gas इन तीनो laws को satisfy करेगा उसे हम ideal gas कहेंगे, right?
तो boils law के हिसाब से हम कह सकते हैं कि volume is inversely proportional to pressure, charts law के हिसाब से हम कह सकते हैं कि volume is directly proportional to temperature, और avogadro law के हिसाब से volume is directly proportional to the number of moles, correct? अब अगर हम इन तीनों को combine कर दें, तो volume is directly proportional to nT divided by P, correct? अब इस proportionality को अगर मुझे equality में बदलना हो, तो एक constant डालना पड़ेगा, तो हमने constant डाल दिया capital R, which is universal gas constant.
तो इसे हम क्या लिख सकते हैं? PV is equal to nRT, और ये बन गया मेरा ideal gas equation. Clear?
अब यह जो ideal gas equation है, अगर आप ध्यान से देखो, तो यह जो है four variables के बीच में relation बताता है, ठीक है, four variables कौन-कौन से हैं, pressure, volume, number of moles and temperature, इसलिए इसे कई बार कहा जाता है equation of state, क्योंकि यह जो equation है, यह equation बताता है state of any gas, मतलब किसी भी gas का pressure, volume, temperature यह चीज़ें पता होती हैं तो हम उसका state बता सकते हैं, तो इसलिए इस equation को equation of state भी कहा जाता है. अब ये जो universal gas constant R है इसकी values थोड़ी change हो जाती है based on the units तो इसकी value होती है 0.0821 जब pressure का unit होता है atmosphere में और volume का unit होता है liters में उसी तरह जब pressure का atmosphere में होता है और volume का centimeter cube में होता है तब यहाँ पर slight change आ जाता है क्यों क्योंकि 1 liter is equal to 10 to the power 3 centimeter cube, तो उसकी वज़े से यहाँ पर slight change आ जाता है, इसको हम 10 to the power 3 से multiply कर देते हैं, और तीसरा जो है, अगर pressure मेरा Pascal unit में हो, और volume meter cube में हो, तो उस case में value of R हो जाती है 8.314 joule per Kelvin per mole, तो ये दो values आपको पता होनी चाहिए because जब आप numerical solve करोगे तो calculation में आपको R की value डालनी पड़ेगी based on the units तो चलो एक question try करते हैं at 25 degree Celsius and 760 mm of Hg pressure a gas occupies 600 milliliter volume तो V1 दिया हुआ है P1 दिया हुआ है और T1 भी दिया हुआ है, what will be its pressure at a height, यानि कि P2 हमें निकालना है, where temperature is 10 degree Celsius, T2 दिया हुआ है, and volume of the gas is 640 millilitre, यानि कि V2 भी दिया हुआ है, चिके, तो हमें क्या पता है, हमें पता है कि PV is equal to NRT, यानि कि PV divided by NT is equal to constant, ठीक है, तो assuming कि यहाँ पर जो number of moles है, उसका कोई काम नहीं है, तो उस case में हम कह सकते हैं कि PV by T जो है, that is constant, तो इस question में हम कह सकते हैं कि P1V1 by T1 is equal to P2V2 by T2, ठीक है, so therefore P2 क्या हो जाएगा, यह हो जाएगा P1V1T2 divided by V2T1, अब सब की values डाल देते हैं, तो P1 की value है 760 mm, यह हो जाएगा V1 हो जाएगा 600, T2 हो जाएगा 283, क्योंकि 10 degree Celsius है, तो 10 के साथ हम 273 Kelvin आड़ कर देंगे, तो यह हो जाएगा 283 Kelvin, तो यह 283 divided by V2, यानि की 640 into T1. T1 क्या है? 25 degree Celsius, यानि कि 25 plus 273, which is 298, तो इसे calculate करेंगे, तो आजाएगा 676.6 mm of mercury, तो ये हो जाएगा मेरा pressure, अब यहाँ पर हम देखेंगे कि density और molar mass के बीच में भी एक relation होता है, जब हम gaseous substance की बात करते हैं, ठीक है, अभी अभी हमने क्या बात किया, ideal gas equation का, जो कहता है कि PV is equal to nRT, अब इसी को हम लिख सकते हैं, P is equal to n by V into RT, हमें क्या चाहिए, हम यहाँ पर density को involve करना चाहते हैं, तो हमें क्या पता है, how do we define density, density is equal to mass per unit volume, यही होता है, ठीक है न, यही होता है, अब देखो number of moles को हम क्या लिख सकते हैं, number of moles मतलब given mass divided by molar mass, ऐसे ही define करते हैं number of moles को, तो चलो n की जगह हम लिख देते हैं, small m divided by capital M into RT, ठीक है, अब m by v क्या हो जाएगा, mass per unit volume is density, तो इसकी जगह हम लिख देंगे density, तो drt divided by m, this is equal to p, अब ये capital M क्या है, ये है molar mass, तो इसे अगर थोड़ा arrange करके लिखें, तो ये ऐसा कुछ हो जाएगा, so basically ये capital M is molar mass, और ये D जो है, that is density, तो हम देखते हैं कि ideal gas equation से जो है, हम molar mass और density के बीच में भी relation derive कर लेते हैं, now why is this important? यह जो है super duper important होगा when you will solve numericals, numericals में कई बार आपको molar mass, number of moles इन चीजों को handle करना पड़ेगा and वहाँ पर यह concept काम आएगा.
Okay, so अब हम बात करने वाले हैं Dalton's law of partial pressures, नाम से ही पता चल रहा है कि this law was formulated by Dalton, यह law कहता है कि अगर हमारे पास, तीन चार non-reactive gases का mixture है, मतलब जो gases आपस में react नहीं करते हैं, इस तरह के तीन चार gases का हमारे पास mixture है, so the total pressure exerted by the gases, मतलब इस पूरे mixture से जितना total pressure exert होगा, that is equal to the sum of the partial pressure exerted by individual gases, अगर मेरे पास तीन gas है, let's say 1, 2, 3, तो 1 ने जितना partial pressure exert किया, plus 2 ने जितना exert किया, plus 3 ने जितना exert किया, that is equal to total pressure exerted by the mixture of gases. ठीक है? तो P total is equal to P1 plus P2 plus P3 plus so on. ठीक है, अब होता क्या है कि ये जो gas होता है, ये generally किसी liquid के उपर ही पाया जाता है, right, बताब experimentally when you look at it, तो gases हमेशा liquid के साथ ही हमें मिलते हैं, तो इसकी वज़े से ये जो p total हम निकाल रहे हैं, जो total pressure exerted हम निकाल रहे हैं, इसमें कुछ pressure जो है, that is because of that water component, correct, तो अगर हमें dry gases क P total में से हम subtract कर देंगे the pressure exerted by water vapor, जिसे हम कहते हैं aqueous tension, aqueous मतलब पानी, पानी से related something, so P dry यानि कि pressure exerted by the dry gases is equal to P total, जो हबी P total हमने निकाला था, minus aqueous tension, अब हम partial pressure के concept को देखेंगे in terms of mole fraction, ठीक है, कैसे देखेंगे, चलो देखते हैं, ठीक है, let us suppose कि हमारे पास, to keep things simple, let us suppose हमारे पास है एक mixture of three gases, ठीक है, और इनका जो partial pressures है, they are P1, P2 and P3, ठीक है, now as per the ideal gas equation, P1 will be equal to N1 RT by V, क्योंकि PV is equal to NRT, उसी तरह से P2 will be equal to N2 RT, डिवाइडेड बाई वी और ठीक उसी तरीके से पी थ्री विल बी इक्वल टू एन थ्री आर टी डिवाइडेड बाई वी नाओ हमने यह भी देखा कि टोटल जो है तो पी वन प्लस पी टू प्लस पी थ्री यानि कि इस विल बी इक्वल टू एन वन प्लस एन टू प्लस एन थ्री इन्टो आर टी बाई वी एंड इस वो टू सी हियर कि अगर हमारे पास 3 से ज्यादा gases होंगे, तो यहाँ पर यह n1 plus n2 plus up to nk हो जाएगा, into RT by V, ठीक है, अब जो है, अगर हमें partial pressure को देखना हो, in terms of mole fraction, what we can do is, let us suppose for the first gas, ठीक है, first gas के लिए p1 divided by p total, this will be equal to n1, RT by V, divided by N1 plus N2 plus N3, RT by V, तो ये पूरा cancel हो जाएगा, तो यहाँ पर क्या बचेगा, N1 divided by N1 plus N2 plus N3, which is actually N, right, because हमारे पास तीन ही gases है total, and what is this, number of moles of first gas, divided by total number of moles, this is nothing but, mole fraction of the first gas, correct, so this x1 denotes mole fraction x1 या फिर chi1 whatever you want to represent it as, this is mole fraction of first gas, तो यानि कि first gas के लिए हम इसका partial pressure can be written as mole fraction into the total pressure, ठीक उसी तरीके से if I have to write for the second and the third gas, तो क्या हो जाएगा, p2 will be equal to x2 into p total, P3 will be equal to X3 into P total So this is how we write partial pressures in terms of mole fraction एक example लेते हैं Calculate the total pressure in a mixture of 8 gm of di-oxygen and 4 gm of di-hydrogen confined in a vessel of 1 dm3 at 27 degrees Celsius तो total pressure क्या होगा यहाँ पर कितने gases हैं?
दो gases हैं तो sum of their partial pressures यही होगा, so this can be written as N1 plus N2, N2 RT by V, अभी-अभी हमने यही पढ़ा, ठीक है, तो number of moles of first gas, बात करते हैं, di-oxygen की, तो number of moles कैसे निकालते हैं, given mass which is 8, divided by molar mass, अब O2 का molar mass कितना हो जाएगा, 32, यह तो आप सबको पता ही है, N2 मतलब number of moles of di-hydrogen, given mass is 4, and जब हम ह2 की बात करेंगे तो इसका मोलर मास क्या हो जाएगा 2 this into r, r की value दी हुई है 0.083 into T, temperature is 27 degree Celsius which will be equal to 27 plus 273 यानि की 298 Kelvin, so this will be 298 divided by volume is 1 decimeter cube उसे हम decimeter में ही रखेंगे क्योंकि जो r की value है, वो भी decimeter cube में दी हुई है, so we are not changing the units, now when you calculate this, it comes out to be 55.65 approximately, this is the value that you get, इतना बार, so this is the total pressure, So this is how we calculate, this is how we actually use it in a question. अभी तक हमने जो भी gas laws पढ़ी हैं, हमने देखा कि ये सब कुछ experimental observations पे based था. अब सवाल ये उठता है कि gases जो हैं, वो इस तरीके से behave क्यों कर रहे हैं?
As in, जब हम कह रहे हैं कि यार अगर हम volume को constant रखते हैं, तो temperature बढ़ाएंगे, तो pressure बढ़ेगा. अगर हम temperature को constant रखते हैं, प्रेशर बढ़ाएंगे, तो वॉल्यूम घटेगा, तो इस तरह से गासेस बिहेव क्यों करते हैं, उनके molecular level पे क्या changes हो रही हैं, तो इसी चीजों को explain किया गया इस theory से, जिसे हम कहते है kinetic molecular theory of gases, तो इससे पहले कि हम kinetic theory को पढ़ें, it is important कि हमें kinetic energy of gas molecules के बारे में अच्छा खासा idea हो, ठीक है, तो ऐसे तो हमें पता ही है कि गैस के अंदर खुब सारे particles होते हैं, जो randomly move करते रहते हैं, ठीक है, अब वो randomly straight lines में ही move करते हैं, एक दूसरे से collide भी करते हैं, टकराते भी हैं, तो इन सारे molecules के different speeds होती हैं, different kinetic energies होती हैं, इसलिए जब कभी भी हम गैस के molecular speed की बात करेंगे, हम कभी भी individual speed की बात नहीं करेंगे, because हर molecule का तो अलग speed है, तो वो इसे बात करेंगे इस प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्रश्न या फिर प्र बट अधिकतर molecules का जो speed है that is the most probable speed ठीक है तीसरा है root mean square speed यह कहता है कि जो 10 molecules है उनके जो भी speed है उनका square कर दो फिर उसका mean निकालो और उसका root over निकाल लो इसलिए नाम है root mean square speed ठीक है तो यह जो है इन तीनो speed के बारे में Maxwell Boltzmann ने बताया था और उन्होंने एक distribution curve भी बनाया था अब यहाँ पर हम दो important चीज़ें देखते हैं, कि यह जो molecular speed है न, यह दो factor पे depend करती है, एक तो है temperature, temperature बढ़ता है तो speed बढ़ती है, और दूसरा है mass, अगर temperature constant रखा जाए, तो हम देखते हैं कि जो lighter mass particle होता है, उसकी speed ज्यादा होती है, जैसे कि अगर आपके पास दो ball है, एक तो जो ball हलका है, वो ज़्यादा तेजी से जाएगा, right? उसकी speed ज्यादा होगी, तो ठीक उसी तरीके से यहाँ पर भी जो particle lighter है, उसकी speed ज्यादा है, okay, so we are now ready to learn the postulates of kinetic molecular theory of gases, तो पहला postulate कहता है कि gases are made up of many small particles, which are called point masses, यानि कि gas के अंदर के जो particles हैं, वो बहुत ही छोटे-छोटे particles होते हैं, छोटे in the sense कि particle का size है वो काफ़ी छोटा होता है compared to the space that is there between two particles. मतलब दो particle के बीच में जो empty space है उसके मुकाबले particle का size बहुत छोटा होता है जिसकी वज़े से उसे point mass कहा जाता है. दूसरा, there are no intermolecular forces between the particles.
ये भी assume किया गया है कि इनके बीच में intermolecular forces नहीं होता है. Which also means that gases expand and occupy all the space they get. Why?
Because there is no intermolecular force between them. So, they occupy all the space they get. Third, particles of a gas are always in constant random motion.
That means they are constantly moving and they are moving randomly. But in straight lines. They are moving like this.
और जब ये इस तरीके से move कर रहे हैं तो वो एक दूसरे से collide भी कर रहे हैं, container के walls से भी collide कर रहे हैं and thus they are exerting pressure. चौथा कि कोलीजन गैस मॉलेक्यूल्स आर इलास्टिक इन नेचर इलास्टिक कोलीजन क्या होता है जिसमें टोटल काइनेटिक एनर्जी बिफोर कोलीजन एंड आफ्टर कोलीजन जो है सेम होता है ठीक है तो अब इलास्टिक कोलीजन अगर ना हो गैस ऐसा टाइम आएगा जब यह जो पार्टिकल्स है यह मूव नहीं करेंगे बट गैस के केस में ऐसा नहीं होता है अ particles of a gas they constantly move in random directions तो उनका जो है वो चलते ही रहता है which shows कि ये जो collisions हैं they are elastic in nature अगला point ये कहता है कि gas के अंदर जो particles हैं इन particles के different speeds and kinetic energies होती हैं at different times इसलिए जब कभी भी हम speed की बात करते हैं तो हम individual speed की बात ना करके speed distribution की बात करते हैं And the final one, kinetic theory of gases ये assume करता है कि जो gas के molecules हैं, उनका जो kinetic energy है, that is directly proportional to temperature. तो अगर temperature बढ़ेगा, तो molecules के kinetic energy भी बढ़ेगी, temperature घटेगा, तो molecules के kinetic energy घटेगी. अब आप सोच रहे होगे कि kinetic molecular theory का significance क्या है?
तो अभी तक हमने जो ये gas laws बढ़े थे, Kinetic theory के help से हम इने mathematically भी prove कर सकते हैं. अभी हम करेंगे नहीं इस level पर, but it is very much possible to derive them mathematically. अच्छा, तो अब हम discuss ये करने वाले हैं कि थोड़ी ही तेर पहले हमने बात करी थी ideal gas की, right? Ideal gas equation की.
अब हम ये देखते हैं कि जो reality में जो हमारे पास gases होते हैं, जो real gases होते हैं, वो ideal behavior से deviate कर जाते हैं. कुछ-कुछ conditions पे वो ideal behavior से deviate कर जाते हैं तो चलो देखते हैं कि कौन से situation में real gases जो हैं वो ideal behavior से deviate करते हैं और ऐसा क्यों करते हैं तो अगर हम real gas के behavior को देखें in fact looking at these graphs हम actually देख सकते हैं कि कैसे real gases are deviating from the expected ideal behavior तो जो हमारा पहला graph है ये पहला graph is PV versus P तो ideal case में, ideal behavior क्या होगा, ideal behavior is PV is equal to constant, correct, so you see, जब PV का graph यूं straight line होगा, that means it is the ideal behavior and this is an ideal gas, चिके, but reality में क्या हो रहा है, कुछ gas reality में हमें दो type के curves मिल रहे हैं, एक तो हमें straight lines मिल रहे हैं, जैसे कि hydrogen और helium के case में, यहाँ पर हमें straight line मिल रहे हैं, मतलब, PV की value जो है वो धीरे धीरे pressure की increase होने के साथ साथ बढ़ती जा रही है, so this is a positive deviation from ideal behavior, दूसरा जो type मिल रहा है, that is in case of carbon, monoxide and methane, जहां पर हम देख रहे हैं कि हमें एक negative deviation मिल रहा है, मतलब starting में क्या हो रहा है, जैसे जैसे pressure increase हो रहा है, PV की value घट रही है, so this is a negative deviation and then finally जाके ये बढ तो ये दो तरह के हमें deviations मिल रहे हैं अब अगर हम second वाला graph देखें जहाँ पर हमने pressure और volume को plot कर रखा है तो इनका plot कैसा होना चाहिए boils law के according pressure is inversely proportional to volume अब देखो यहाँ पर हमने clearly शो कर रखा है ideal gas जो है इसका plot है ये red वाला plot और real gas का जो plot है that is the blue वाला plot So very clearly looking at this plot हम क्या देखते हैं कि at low pressures मतलब ये वाला जो region है ना इस region में this is the low pressure region, low pressure region में जो real behavior है और जो ideal behavior है they are approaching towards each other, तो real behavior क्या है? Real behavior is the measured value basically.
रहे हैं मतलब जो रियल गैसेस होते हैं वह सच में होते हैं तो मेजर करके हमें वह वाली वैल्यूज मिलती है और आईडियल मतलब जो हमारी कैल्कुलेटेड वैल्यूज है जो थ्यूरिटिकल है दून आट एक्सिस्ट इन रियालिटी करें इसलिए आपके टेस्ट बुक में कई बार लिखा होगा कि लो प्रेशर एरिया में जो मेजर और कैल्कुलेटेड वाल्यूम से ना तो इसका ज़्यादा है कि लोग प्रेशर वाले एरिया में रियल गैस और आइडियल गैस इनका जो बिहेवियर है यह सिमिलर है और वह ज़्यादा है कि थोड़ी देर बाद जाकर हम देखेंगे कि हाई प्रेशर में रियल गैस जो है वह आइडियल बिहेवियर से डिविए� क्योंकि जो kinetic theory of gases है उसके अंदर हमने जो assumptions किये थे, जो हमने postulates बनाये थे, उन विशे कुछ assumptions ही सही नहीं थे, जैसे कि एक assumption था, कि जो gas के अंदर, जो particles होते हैं, उनके बीच का intermolecular force जो है, that is zero, यह गलत assumption था, क्योंकि gas particles के बीच में intermolecular forces कम भले ही होता है, बट zero नहीं होता है. एक और assumption था कि gas के जो particles होते हैं उनका volume negligibly small होता है when compared to the space between the particles ये भी एक गलत assumption था और इन गलत assumptions की वज़े से ही जो real gases होते हैं वो ideal behavior से deviate कर जाते हैं तो अब हमने ये notice किया है कि कोई भी gas जो है वो ideal behavior show करता है at low pressure and high temperature ठीक है तो तो वो ideal behavior से deviate कब करता है? At high pressures. क्यों करता है?
अब खुद सोच के देखो, high pressure में क्या होता है? Let us suppose कि मेरे पास gas है किसी container में. अगर मैं इसमें pressure बहुत ज़ादा बढ़ा दू, तो क्या होगा?
Volume जो है वो कम हो जाता है. और जब volume कम हो जाता है, तो gas के जो particles हैं, वो एक दूसरे के नज़दी का जाते हैं. जब वो नज़दी का जाते हैं, तो उनका intermolecular forces जो है वो और बढ़ जाता है, और ideal behavior की जब हम बात करते हैं, ideal gas, ideal behavior का मतलब, intermolecular forces उनमें zero हो, और यहाँ पे क्या हो रहा है, high pressure में जाते जाते, intermolecular forces और बढ़ जा रहा है, तो इसलिए वो ideal behavior से deviate कर जा रहा है, अब, यह pressure, क्योंकि मैंने बोला at high pressure, deviation होता है, अब यह high pressure कितना pressure होगा, मतलब कौन सा gas, कितने pressure तक, आईडियल बिहेवियर शो करेगा इट डिपेंड्स ऑन नेचर ऑफ द गैस एंड ऑल्सों अंदर टेंपरेचर ठीक है तो जिस टेंपरेचर तक कोई भी गैस आईडियल बिहेवियर शो करता है उसे हम कहते हैं बॉयल्स टेंपरेचर ओवर आवाइड रेंज ऑफ प्रेशर अब जिस तरह से आईडियल गैस के लिए आईडियल गैस एक्वेशन होता है उसी तरह से रियल गैस के लिए भी तो कोई एक्वेशन होना चाहिए तो उसे हम कहते हैं रियल गैस एक्वेशन या फिर फैंडर वॉल्स एक्वेशन अ तो इस equation में सिरफ दो changes हम लेकर आते हैं और वो changes हैं pressure वाले term पे और volume वाले term पे देखो क्या changes है तो हम ये देखते हैं कि high pressure में जो gases हैं वो ideal behavior से deviate हो जाते हैं तो ऐसा क्या different होता है high pressure में तो high pressure में क्या है जब हमने pressure ज़ादा डाला तो जो gas के molecules हैं वो एक दूसरे के पास आ गए तो उनके बीच का intermolecular force बढ़ गया अब, पहले क्या होता था, ideal case में, ideal case में, जो मेरा particle होता था, gas का जो particle या molecule था, वो container के wall पे ना अपना पूरा maximum effort डाल के pressure exert करता था, ठीक है, अब क्या हो रहा है, अब क्या हो रहा है, कि इसके आसपास, जैसे मालो, मैं एक gas molecule हूँ, ठीक है, तो पहले क्या था, कि मैं अपना स कि जो लोग हैं ना, मेरे आजपास बहुत सारे और molecules हैं, जो मुझे पीछे से खीच रहे हैं, क्यों? क्योंकि intermolecular force जो है, वो ज्यादा है, अब क्या होगा, क्या मैं यहाँ पे उतना ही pressure exert कर पाऊंगी?
तो इसलिए इस case में, जो pressure exerted है, that is less than the pressure exerted in ideal gas case, ठीक है? तो पहले, ideal gas के लिए मेरा equation होता था, PV is equal to NRT, तो वो जो P होता था that was P ideal अब जो P होगा वो क्या होगा P ideal में से कुछ subtract कर दो तो जो subtract कर देंगे उसे हम कहते है correction term and that correction term mathematically is AN square by V square तो इसलिए हम कहते हैं कि अब जब हम real gas equation लिखेंगे तो हम P ideal के बदले में क्या लिखेंगे हम लिखेंगे P real plus AN square by V square समझ आ गया इसे हम कहते हैं pressure का correction term यानि corrected pressure for real gas ठीक है? दूसरा correction हुआ volume पे, क्यों?
जब हमने high pressure डाला, क्योंकि high pressure में ही तो deviation हो रहा है ना, तो जब हम high pressure डालते हैं, तो gas को जो volume मिलता है, वो volume भी कम मिलता है, पहले अगर उसे V volume मिल रहा था, तो अब उसे कितना मिल रहा है? V minus something, correct? And that is the corrected volume term, तो अगर आप corrected volume term देखोगे, तो अब V के जगह हम क्या लिख रहे हैं? V minus NB. तो अब यही दोनों corrections को अगर हम incorporate कर देंगे, तो हमें मिल जाएगा van der Waals equation, तो इस तरह से मिल गया हमें हमारा real gas का equation, जिसे हम कहते हैं van der Waals equation, तो इसे कहते हैं van der Waals equation, ए और बी को हम कहते हैं van der Waals constant, अगर ए की बात करें, तो ये हमें बताता है, क्योंकि ideal वाले case में, A0 होता है क्योंकि वहाँ पर तो हम assume करते हैं कि intermolecular forces है ही नहीं, बट यहाँ पर चुकि real gases में है, तो A हमें उसका एक idea देता है.
अब एक छोटा सा last topic हम discuss करेंगे, compressibility factor. तो यह एक ऐसा factor है, जो यह measure करता है कि कोई भी gas ideal behavior से कितना deviate कर रहा है. तो इसे हम Z से denote करते हैं.
और एक gas जो ideal behave कर रहा है, मतलब एक ideal gas के लिए Z की value is always equal to 1, और अगर Z की value 1 नहीं है, इसका मतलब जो gas है, वो ideal behavior से deviate कर रहा है, तो अब हम ये देखेंगे कि हम Z की value निकालते कैसे हैं, तो ideal behavior हमें कौन बताता है, ideal behavior बताता है ideal gas equation, that is PV is equal to NRT, तो Z को हम define करते हैं कुछ ऐसे, कि Z is equal to PV by NRT, चिके, तो अगर कोई भी gas, ideal gas है, तो उसका PV will be equal to NRT, यानि कि Z की value क्या होगी, 1 होगी, तो इसलिए for ideal gases, value of Z is equal to 1, तो ये plot भी देखो, Y axis पर हमने Z को plot किया हुआ है, तो Z की value जब 1 है, तो that means it is an ideal gas, अगर यह 1 नहीं है इसका मतलब it is deviating from ideal behavior अब deviation भी देखो कैसा अगर इस plot को हम ध्यान से देखें तो हम क्या देखेंगे कि at very low pressures यह वाला जो very low pressure वाला जो region है न this particular region at very low pressure हम देखेंगे कि जो सारे ही gases है न वो सारे ही gases का behavior ideal है क्योंकि देखो सभी जो है यह 1 वाली value से ही start हो रहे है तो at very low pressure all gases behave like ideal और उसी तरह से जैसे हम very high pressure की तरफ जाते हैं वैसे वैसे हम क्या देखते हैं कि सबका जो deviation है ना वो ideal behavior से वो काफी दूर जाता जा रहा है तो मतलब at very high pressure z की जो value है that is greater than 1 for all gases ठीक है तो at low pressure z is equal to 1 at very high pressure क्या हो रहा है z की जो value है तो अब इसमें भी कुछ मीनिंग्स आ सकते हैं जैसे कि अगर जैड की वाल्यू लेस्ट दन वन है इसका क्या मतलब है इसका मतलब है कि जो डिविएशन है विच नेगेटिव डिविएशन विच मीन्स डेट गैस इस मोर कॉंप्रेसिबल देन एक्सपेक्टेड गैस तो कॉंप्रेसिबल होते हैं हमें पता है बट अगर नेगेटिव डिविएशन जा रहा है जैड की वाल्यू लेस्ट दन अगर Z की value 1 से ज्यादा है, इसका मतलब gas is less compressible than expected, जो कि हमारे real gases के case में हो रहा है at high pressures. अब अगर हम पूछे कि क्या decide करेगा, कि what will be the value of Z? So looking at this expression, we can see that pressure and temperature together will decide, कि what will be the value of Z. तो बच्चा पाटी, I hope you found this video useful.
तो इस वीडियो के अंदर हमने... पूरा का पूरा states of matter ख़दम कर डाला है, तो इसके बाद आपको क्या करना है, इस पूरे वीडियो को देखने के बाद आपको अपने text books के कुछ questions खुद से solve करने है, and I am pretty sure कि आप questions खुद से attempt कर पाओगे, और मैं जल्दी मिलूंगी अगले वीडियो के साथ, जिसके अंदर ह पढ़ते रहो, मज़े करते रहो stay home, stay safe, take care, bye bye