Transcript for:
Lecture Notes on Atomic Models and Preparation Strategies

हेलो एवरीवन वेलकम टू द क्लास गाइस कैसे हैं आप सभी उम्मीद करता हूं आप सभी बच्चे बहुत अच्छे होंगे अच्छे से एग्जाम की तैयारी कर रहे होंगे और सभी बच्चों को बताना चाहता हूं कि अभी भी हमारे पास प्रॉपर टाइम है डरना नहीं है घबराना नहीं है बस आपको दो काम करने हैं कि मेरे साथ पी वाई क्यू सीरीज को फॉलो करना है क्योंकि जो बच्चा प्रीवियस ईयर क्वेश्चन को फॉलो कर लेगा मेरे साथ सीरीज को फॉलो कर लेगा वो बच्चा एग्जाम में धमाल मचाने वाला है क्योंकि उससे हमें प्रीवियस ईयर क्वेश्च सारे सॉल्व हो जाएंगे सीबीएससी का जो पुराना रिकॉर्ड है वो हमने बढ़िया से खत्म कर दिया होगा दूसरा काम आपको जो करना है सिर्फ पी वाई क्य यानी कि पुराने क्वेश्चन ही नहीं आएंगे एग्जाम में दूसरा काम आपको जो करना है वो है कि आपको हमारा जो सिंपल पेपर है एडुकार्ट फिजिक्स सिंपल पेपर इसको प्रैक्टिस करना है इसके अंदर हमने आपको बढ़िया क्वेश्चन दिए हुए हैं ना बहुत ज्यादा टफ ना बहुत ज्यादा सिंपल ऐसे क्वेश्चन जिनको प्रैक्टिस करके आप पाएंगे कि आपके एग्जाम में बिल्कुल एज इट इज देखे हुए क्वेश्चंस आपको मिल रहे हैं तो आपको इस सिंपल पेपर को प्रैक्टिस करना है केस स्टडी असर्शन रीजन और जो कुछ भी पूछा जाता है पेपर में वो सब आपको इसके अंदर मिलेगा बढ़िया क्वेश्चन कलेक्शन है प्रैक्टिस करो तो पवा क प्लस सैंपल पेपर इज इक्वल टू धमाल क्लियर है सिंपल पेपर को ऑर्डर करने के लिए जो वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिंक दी जा रही है और कमेंट सेक्शन में आप वहां से इसको ऑर्डर कर सकते हैं और अपने एग्जाम में 100% मार्क्स को अशोर कर सकते हैं प्रैक्टिस करना पड़ेगी ठीक है चलिए सबसे पहले हम बात करेंगे चैप्टर का नाम एटम है तो एटम क्या होता है एटम किसी भी मैटर की बेसिक यूनिट है मतलब सबसे छोटी यूनिट सबसे छोटी टीम है ना एटम के अंदर जो तीन मेन पार्टिकल होते हैं प्रोटॉन न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन है ना अगर हम बात करें एटम के सेंटर में तो प्रोटॉन और न्यूट्रॉन रहते हैं और इस सेंटर को हम न्यूक्लियस कहते हैं प्रोटॉन के कारण इस न्यूक्लियस पे पॉजिटिव चार्ज होता है और इस पॉजिटिव चार्ज को बैलेंस करने के लिए इसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन जो कि नेगेटिव चार्ज कैरी करते हैं घूम रहे होते हैं तो कुल मिलाकर के एक एटम पूरी तरीके से न्यूट्रल होता है इस एटम का जो मॉडल आज हम पढ़ते हैं वो हमें बहुत पहले नहीं पता था इसको पढ़ने के लिए बहुत सारे अलग-अलग साइंटिस्ट ने क्या किया अलग-अलग अपने-अपने हिसाब से एक इमेजिनरी मॉडल दिया है ना और उस मॉडल को हम सबसे पहले पढ़ने वाले हैं तो सबसे पहला जो मॉडल जो इंपॉर्टेंट मॉडल है उसको हम बोलते हैं थॉमसन प्लम पोटिंग मॉडल थॉमसन के हिसाब से जो एटम है वो एक प्रकार के वाटरमेलन की तरह है प्लम पुडिंग का मतलब भी समझा दूंगा एक तरह के वाटरमेलन की तरह है जैसे वाटरमेलन में पूरे में जो मेन पार्ट होता है ये पूरा जो रेड पार्ट होता है है ना उसी प्रकार से ये जो रेड पार्ट है कहा थॉमसन ने कि भाई जो रेड पार्ट है ये पॉजिटिव चार्ज को रिप्रेजेंट कर रहा है जबकि इस रेड पार्ट में जगह-जगह पर जो उसके सीड्स बिखरे होते हैं ये नेगेटिव चार्ज यानी कि इलेक्ट्रॉन को रिप्रेजेंट कर रहे हैं तो नेगेटिव चार्ज और पॉजिटिव चार्ज एक एटम के अंदर उसको न्यूट्रलाइज कर रहे हैं यानी कि नेट चार्ज एक एटम पर कुल मिलाकर के जीरो ही होने वाला है ऐसा थॉमसन ने कहा प्लम पुडिंग का जो अर्थ है वो कुछ इस प्रकार से है पुडिंग का मतलब अ जो है मिठाई से होता है कोई भी डेजर्ट से से होता है जैसे कि आप खीर समझ लें तो खीर पॉजिटिव चार्ज को रिप्रेजेंट कर रही है क्योंकि वो पूरे बर्तन में भरी हुई है और उसके अंदर जो प्लम यानी कि जो ड्राई फ्रूट्स हैं वो जो डली हुई हैं वो नेगेटिव चार्ज को रिप्रेजेंट कर रही हैं तो ऐसा कहा कि थॉमसन ने कि भाई साहब ऐसा होता है एटम क्लियर है वो उसके इमेजिनेशन थी लेकिन जब आगे चलकर के रदरफोर्ड ने अपने साइंटिस्ट एसोसिएट्स के साथ मिलकर के एक्सपेरिमेंट करा तो उसमें जो रिजल्ट सामने आ रहे थे उन रिजल्ट्स को उन ऑब्जर्वेशंस को अ थॉमसन का एटॉमिक मॉडल एक्सप्लेन नहीं कर पा रहा था है ना तो ये उसका फेलियर पॉइंट हो गया और यहां से पता पड़ गया कि थॉमसन का एटॉमिक मॉडल गलत था कुछ समय के बाद एक साइंटिस्ट हुए जिनका नाम था रदरफोर्ड रदरफोर्ड ने अपने दो एसोसिएट जो दो साथी साइंटिस्ट गगर और मार्सडेन के साथ मिलकर के एटम की अ मैं कहूंगा कि भाई डिस्कवरी करी एटमिक मॉडल को जो है उन्होंने सजेस्ट करा क्लियर एक्सपेरिमेंट करा और वहां से एटॉमिक मॉडल उन्होंने सजेस्ट करा क्लियर आप समझिए आप समझिए कि भाई भाई उनके एक्सपेरिमेंट का जो अपेट है जो सेटअप है वो क्या था रदरफोर्ड और उनके साइंटिस्ट ने गगर मार्सडेन ने क्या करा कि एक रेडियोएक्टिव सोर्स लिया जो कि बिस्म थ आप कंसीडर कर सकते हैं इस रेडियोएक्टिव सोर्स में से अल्फा पार्टिकल निकल रहे थे अल्फा पार्टिकल बोले तो दो पॉजिटिव और दो नेगेटिव मतलब दो प्रोटॉन और दो सॉरी नेगेटिव नहीं लेना है दो प्रोटॉन और दो न्यूट्रॉन का जो ग्रुप होता है उसी को हम अल्फा पार्टिकल बोलते हैं तो इस अल्फा पार्टिकल को इंसीडेंट कराया गोल्ड फाइल के ऊपर गोल्ड की बहुत ज्यादा पतली सी फाइल ले ली है ना गोल्ड एक मोस्ट मेलेबल मेटल है इसीलिए गोल्ड फाइल ली और इसके बाद गोल्ड का जो एटॉमिक नंबर होता है 79 है मतलब गोल्ड की जो न्यूक्लियस है ये अच्छी खासी बड़ी है तो बड़े एटम को स्टडी करना काफी हद तक आसान होता है छोटे की कंपेरिजन में तो गोल्ड को सिलेक्ट करने का ये भी एक कारण है अच्छा गोल्ड फाइल पर अल्फा पार्टिकल को स्कैटर कर मतलब अल्फा पार्टिकल को इंसीडेंट कराया गया और उसके बाद इसके पीछे इसके पीछे लगा दी एक स्क्रीन और स्क्रीन पर जिंक सल्फाइट वाइड की कोटिंग करी गई इसके बाद यहां पर एक रोटेटेबल माइक्रोस्कोप का यूज करा गया जो कि ये देखेगा कि अल्फा पार्टिकल कहां-कहां पर जो है स्ट्राइक कर रहे हैं जिंक सल्फाइड की कोटिंग इसलिए करी गई ताकि अल्फा पार्टिकल जब इस स्क्रीन से टकराए तो यहां पर जो स्पार्किंग इफेक्ट आप देख रहे हैं वो देखने को मिले तो हमें पता पड़ेगा कि कितने अल्फा पार्टिकल कितने-कितने एंगल पर जो है पहुंचे हैं या डिफ्लेक्ड हुए हैं या स्कैटर हुए हैं बिखरे हैं क्लियर है अब इस एक्सपेरिमेंट से जो उन्होंने ऑब्जर्व करा जो चीजें पाई वो हम आपको अभी यहां पर एक्सप्लेन करते हैं क्लियर है ये मेरे हाथ का डायग्राम है मतलब मैंने अपने हाथ से बनाया और उसके बाद आप यहां पर देखें तो इस एक्सपेरिमेंट में इस गोल्ड फाइल एक्सपेरिमेंट में ये रेडियोएक्टिव सोर्स है ये कॉली मेटर्स हैं जो कि उस डायग्राम में नहीं बताए जो कि अल्फा पार्टिकल की स्ट्रेट बीम बनाने के काम में आते हैं क्लियर है ये गोल्ड फाइल है और यहां पर गोल्ड अल्फा पार्टिकल स्ट्राइक कर रहे हैं क्लियर है नाउ अभी समझो तो इस एक्सपेरिमेंट में ये पाया गया कि ज्यादातर अल्फा पार्टिकल तो सीधे ही चले गए यानी कि बस 1 डिग्री 1 डिग्री के अंदर-अंदर ही सिमट गए सीधे चले गए क्लियर उसके बाद यह पाया गया कि करीब 8000 में से एकाद पार्टिकल ऐसा था जो कि 1 डिग्री से ज्यादा बैंड हुआ ये उन्होंने ऑब्जर्व करा इस एक्सपेरिमेंट पे अगली ऑब्जर्वेशन जो उनकी थी वो ये थी कि केवल 0.14 पर अल्फा पार्टिकल ही ऐसे थे जो 90° से ज्यादा स्कैटर हुए मतलब कोई अल्फा पार्टिकल जाए और इतना जो है इतना इतना जो है ये स्कैटर हो जाए मतलब 90° से ज्यादा स्कैटर होने वाले पार्टिकल सिर्फ कितने थे 0.14 पर और हार्डली मुश्किल से ही एकाद पार्टिकल ऐसा था जो 180° डिफलेक्ट हो गया मतलब सीधे गया और सीधे ही लौट के आ गया लेकिन जरूरी बात ये है कि उन्होंने ऐसा नोटिस करा कि भले ही मुश्किल से एकाद ी पार्टिकल हो लेकिन था तो एकाद पार्टिकल ऐसा भी पाया गया जो सीधे गया और 180° से लौट कर के आ गया तो उन्होंने ये बातें इस एक्सपेरिमेंट में ऑब्जर्व की और इन्हीं ऑब्जर्वेशन के बेसिस पर उन्होंने कुछ इंपोर्टेंट कंक्लूजन और एटॉमिक मॉडल को सजेस्ट करा क्लियर है तो क्या है एटॉमिक मॉडल क्या उन्होंने कंक्लूजन निकाला इस एक्सपेरिमेंट से वो देख लेते हैं तो यहीं से हमें मिलेगा रदरफोर्ड का एटॉमिक मॉडल तो पाया गया क्योंकि ज्यादातर जो पार्टिकल्स थे ये 1 डिग्री के अंदर ही सिमट गए तो इसका मतलब यह है कि ये पार्टिकल किसी से टकराए नहीं और जो एटम का जो मोस्ट ऑफ द स्पेस है ये एमटी है यानी कि खाली है इसके अलावा दूसरी बात उन्होंने ये नोटिस की कि अगर कोई पार्टिकल सीधा गया और 180 डिग्री से लौट कर के आया इसका मतलब ये है कि अल्फा पार्टिकल को रिपेल करने वाला कोई तगड़ी चीज ही बीच में रखी होगी जो कि खुद भी पॉजिटिव होगी तभी तो अल्फा पार्टिकल रिपेल करेगा और बहुत मजबूत चीज होना चाहिए तभी ये इतना स्ट्रांग अल्फा पार्टिकल को रिपेल करा जा सकता है तो उन्होंने ये बात बताई कि होल पॉजिटिव चार्ज कि सारा का सारा जो पॉजिटिव चार्ज है वो उसके सेंटर पे ही रखा है सारा का सारा मास भी उसके सेंटर पे ही रखा है लगभग सारा का सारा मास तभी इतना पॉजिटिव चार्ज जो अल्फा पार्टिकल आ रहा था उसको वापस लौटाया जा सकता है है ना तो सेकंड पॉइंट मिला कि सारा का सारा पॉजिटिव चार्ज और लगभग सारा मास एक बहुत छोटी सी जगह पे रखा हुआ है एटम में और उस छोटी सी जगह को कोर या फिर न्यूक्लियस कहा गया दूसरा इंपॉर्टेंट पॉइंट आगे कहा गया कि जो न्यूक्लियस है द कोर और न्यूक्लियस जो न्यूक्लियस है ये सराउंडेड है इलेक्ट्रो के क्लाउड से मतलब कई सारे इलेक्ट्रॉन से ठीक है जो कि कैसे हैं नेगेटिव चार्ज हैं और इन नेगेटिव चार्ज को जो घूमने के लिए क्योंकि ये नेगेटिव चार्ज घूम रहे हैं तो घूमने के लिए सेंट्रिपेटल फोर्स कौन प्रोवाइड करा रहा है इस न्यूक्लियस और इलेक्ट्रॉन के बीच में जो अट्रैक्टिव फोर्स लग रहा है इलेक्ट्रोस्टेटिक फोर्स ऑफ अट्रैक्शन ही यहां पर सेंट्रिपेटल फोर्स प्रोवाइड करा रहा है इन इलेक्ट्रोंस को क्लियर है तो ये जो मॉडल है ये किसने दे दिया ये रदरफोर्ड ने दे दिया इन्हीं कंक्लूजन से बना रदरफोर्ड का एटॉमिक मॉडल उम्मीद करता हूं रदरफोर्ड की आपको कहानी समझ में आई होगी इसके बाद रदरफोर्ड ने एटॉमिक मॉडल दे दिया सबने मान भी लिया लेकिन रदरफोर्ड की इस एटॉमिक मॉडल में कुछ कमियां नजर आई पहली कमी ये कि रदरफोर्ड ने कहा कि इलेक्ट्रॉन इसके चारों ओर घूम रहे हैं तो सवाल उठाए गए कि इलेक्ट्रॉन घूम रहे हैं तो इलेक्ट्रॉन की एनर्जी भी कम होना चाहिए और एनर्जी कम हो गई तो रेडियस का साइज जो है ये छोटा होना चाहिए क्योंकि थक गए ना अभी इलेक्ट्रॉन और छोटा होते होते होते होते ये एक टाइम पे न्यूक्लियस के अंदर जाकर कोलैक्स हो जाना चाहिए और इस प्रकार से एक एटम भी पूरी तरह से ध्वस्त हो जाना चाहिए था मतलब इस इस कांसेप्ट ने ये जो रेडियस वाला जो कांसेप्ट था इसने एटम की स्टेबिलिटी पे सवाल उठाया है ना इस एटम की स्टेबिलिटी पे सवाल उठाया तो इसका जवाब रदरफोर्ड ने नहीं दे पाया हालांकि इस मॉडल को खारिज यानी कि कैंसिल नहीं करा गया आगे चलकर के बोर दादा हुए उन्होंने समझाया कि भाई इसका कारण क्या हो सकता है क्लियर है उन्होंने अपने कुछ अ अशस दिए थे मतलब यही मॉडल चला बस बोर ने इस बात को एक्सप्लेन करा आगे देखिए दूसरा जो सवाल उठा वो ये कि रदरफोर्ड कुड नॉट एक्सप्लेन द रीजन बिहाइंड लाइन स्पेक्ट्रम जब हम किसी गैस को या मैटर को हीट कर रहे थे तो हमें दो टाइप के स्पेक्ट्रम ये मिल रहे थे एक था कंटिन्यू स्पेक्ट्रम और एक था इस तरह से एक ब्लैक स्क्रीन पे लाइन टाइप की यानी कि लाइन स्पेक्ट्रम क्लियर है तो इसका क्या कारण था रदरफोर्ड का जो एटॉमिक मॉडल है या क रदरफोर्ड ने इसका भी जवाब नहीं दे पाया तो दो बातें जो हैं रदरफोर्ड के एटॉमिक मॉडल की लिमिटेशन है हालांकि इसको बाद में बोर ने सॉर्ट आउट कर दिया क्लियर है आप इतने का स्क्रीनशॉट लेते चलें और हम आगे बढ़ते चलेंगे के आ गया एक्चुअल में ये अल्फा पार्टिकल यहां पर गया होगा तो ये अल्फा पार्टिकल यहां पे टच नहीं करा होगा क्यों क्योंकि अल्फा पार्टिकल जा रहा है और सामने गोल्ड की बहुत पॉजिटिव न्यूक्लियस रखी है तो यह गया लेकिन उसके रिपल्सिव फोर्स को तोड़ नहीं पाया तो ये और पास में नहीं जा पाया और यहीं से बस लौट के आ गया तो इसका मतलब ये है यहां पे पढ़ो जरा अल्फा पार्टिकल गोल्ड न्यूक्लियस के कितने पास जा सकता है कितने पास जा सका इसी को हम बोल सकते हैं डिस्टेंस ऑफ क्लोजेस्ट अप्रोच भाई कितने क्लोज वो अप्रोच कर पाया है ना इसी को हम बोलते हैं डिस्टेंस ऑफ क्लोजेस्ट अप्रोच सर वो यहीं पे क्यों रुक गया क्योंकि अल्फा पार्टिकल आ रहा था अल्फा पार्टिकल भी पॉजिटिव और ये भी पॉजिटिव क्लियर है अब ये अल्फा पार्टिकल आ रहा था इसके पास खूब सारी काइनेटिक एनर्जी थी धीरे-धीरे धीरे-धीरे रिपल्शन के कारण इसकी काइनेटिक एनर्जी घटने लगी और वो पोटेंशियल एनर्जी में कन्वर्ट हो गई और वो पूरी काइनेटिक एनर्जी पोटेंशियल कन्वर्ट हो गई और वो ऐसे ही 180° से लौट आया डिस्टेंस ऑफ क्लोजेस्ट अप्रोच बताओ क्या हुई फिर इट इज द क्लोजेस्ट डिस्टेंस फ्रॉम गोल्ड न्यूक्लियस अप टू व्हिच अल्फा पार्टिकल कैन रीच क्लियर है इसके बाद आप ये देखिए कि क्लोजेस्ट अप्रोच की डिस्टेंस को हम रिप्रेजेंट करते हैं r0 से r0 से क्लियर है तो आप ये देखिए r0 जो होता है ये डिस्टेंस ऑफ क्लोज अप्रोच है और यहां पर क्या पाया गया कि सारी की सारी काइनेटिक एनर्जी पोटेंशियल एनर्जी में कन्वर्ट हुई तभी ये रुका और फिर लौटा तो डिस्टेंस ऑफ क्लोजेस्ट अप्रोच पे काइनेटिक एनर्जी पूरी कन्वर्ट हो गई पोटेंशियल एनर्जी प दैट मींस काइनेटिक एनर्ज जितनी भी थी दैट इज इक्वल टू पोटेंशियल एनर्जी फार्मूला बना 1/2 mv2 और यहां पर पोटेंशियल एनर्जी का फार्मूला बना k q1 मतलब पहला चार्ज जो कि अल्फा पार्टिकल पे है 2e के बराबर q2 मतलब दूसरा चार्ज जो कि गोल्ड न्यूक्लियस पे है z के बराबर अपॉन में है डिस्टेंस ऑफ क्लो अप्रोच मतलब डिस्टेंस क्लियर है तो इस फॉर्मूले से ये वाला फार्मूला बना डिस्टेंस ऑफ क्लोज अप्रोच का फार्मूला फाइनली ये बन गया क्लियर है हमेशा याद रखें डिस्टेंस ऑफ क्लोजेस्ट अप्रोच का जो काम होता है यह न्यूक्लियस का साइज एस्टीमेट करने के लिए होता है न्यूक्लियस साइज एस्टीमेट करते हैं इससे इससे हमें ये पता पड़ता है जैसे अगर कोई पार्टिकल यहीं से लौट गया इसका मतलब यह है कि न्यूक्लियस जो है इसके अंदर-अंदर ही है इसके बाहर नहीं है क्लियर है अगर बाहर होती तो पार्टिकल यहां तक भी नहीं पहुंच पाता तो इससे हम एक रफ आईडिया मिलता है कि कोई भी न्यूक्लियस इससे बड़ी है या इस साइज से छोटी है उम्मीद करता हूं इतनी बात आपको समझ समझ में आई होगी आगे हम बढ़ेंगे और नेक्स्ट हमें पढ़ना है इंपैक्ट पैरामीटर इंपैक्ट पैरामीटर क्या होता है इंपैक्ट पैरामीटर बताता है कि भाई साहब कोई भी अल्फा पार्टिकल पे कितना इंपैक्ट पड़ा मतलब कि ये हुआ कि जैसे ये गोल्ड न्यूक्लियस है अब ये गोल्ड न्यूक्लियस है कोई अल्फा पार्टिकल एगजैक्टली सीधा चला गया तो एगजैक्टली सीधा चला गया ये न्यूक्लियस है ये न्यूक्लियस की सेंट्रल लाइन है जो कि न्यूक्लियस के सेंटर से पास हो रही है अब अगर कोई अल्फा पार्टिकल इस सेंट्रल लाइन से ही बिल्कुल एज इट इज चला गया तो ये अल्फा पार्टिकल सीधे ही लौट के आ जाएगा क्लियर अब कोई अल्फा पार्टिकल यदि इस सेंट्रल लाइन से ऊपर की ओर जा रहा है तो इस अल्फा पार्टिकल पे रिपल्शन के कारण ये अल्फा पार्टिकल बेंड तो होगा तो है ना ज्यादा रिपल्शन होगा तो ये कुछ इस तरीके से बेंड हो गया क्लियर अब कोई अल्फा पार्टिकल इस सेंट्रल लाइन से थोड़े दूर से पास हो रहा है इतनी ऊंचाई से तो ये अल्फा पार्टिकल सीधे जाएगा अब इस पे क्योंकि कम रिपल्शन लगेगी तो ये कम बैंड होगा क्लियर कोई अल्फा पार्टिकल अगर बहुत दूर से जा रहा है तो वो बिल्कुल ही बैंड नहीं होगा तो आप ये समझिए कि जो सेंट्रल लाइन से आप ऊपर ये डिस्टेंस देख रहे हो सेंट्रल लाइन से जो परपेंडिकुलर डिस्टेंस है इसी को इसी दूरी को हम बोलते हैं इंपैक्ट पैरामीटर ये दूरी हमें ये बताती है अगर देखो ये दूरी कम हुई इसका मतलब है कि न्यूक्लियस के पास से गुजरेगा अल्फा पार्टिकल तो इसका मतलब है ये और ज्यादा बैंड हो जाएगा क्लियर है तो जो इंपैक्ट पैरामीटर क्या है इट इज परपेंडिकुलर डिस्टेंस फ्रॉम वेलोसिटी वेक्ट परपेंडिकुलर डिस्टेंस ऑफ वेलोसिटी वेक्टर इस डायरेक्शन में वेलोसिटी है तो उसकी परपेंडिकुलर डिस्टेंस है ये सेंट्रल लाइन से न्यूक्लियस की क्लियर है नाउ इसके बाद इंपैक्ट पैरामीटर क्या बताता है ये इंपैक्ट पैरामीटर हमें बताता है कि भाई कितने एंगल पे अ जो है इसकी स्कैटरिंग हो रही है कितने एंगल पे लौट के जा रहा है जैसे मान के चलो 30° पे लौट गया मान के चलो ये 110 डिग्री पे लौट गया तो इंपैक्ट पैरामीटर हमें स्कैटरिंग एंगल के बारे में भी जानकारी देता है और जो पार्टिकल लौट के जा रहे है उनकी ट्रेजे क्ट्री यानी कि उनके पाथ को भी डिस्क्राइब करता है लेसर इंपैक्ट पैरामीटर लार्जर स्कैटरिंग एंगल जितना छोटा इंपैक्ट पैरामीटर होगा उतना ही जितना छोटा इंपैक्ट पैरामीटर होगा उतना ही ज्यादा एंगल से स्कैटरिंग हो पाएगी उम्मीद करता हूं यह बात आपको समझ में आई होगी क्लियर है अभी हम पढ़ेंगे एटॉमिक स्पेक्ट्रा के बारे में देखो आप सभी बच्चे जानते हैं कि जब हम किसी गैस को गर्म करते हैं तो उस गैस को मिलती है हीट एनर्जी और उस हीट एनर्जी से जो इलेक्ट्रॉन होते हैं ये लोअर ऑर्बिट से हायर ऑर्बिट में ट्रांजिशन करते हैं अभी समझना जो अंदर वाली ऑर्बिट होती है वो लोअर एनर्जी स्टेट है और बाहर वाली ऑर्बिट की एनर्जी ज्यादा होती है तो जब इलेक्ट्रॉन जैसे मान मान के चलो अंदर वाली ऑर्बिट की एनर्जी हमने मान ली 1 इलेक्ट्रॉन वोल्ट और बाहर वाले की मान ली हमने 3 इलेक्ट्रॉन वोल्ट एनर्जी तो अभी मान के चलो ज्यादा एनर्जी मिलने से ये इलेक्ट्रॉन चला गया थी इलेक्ट्रॉन वोल्ट वाली ऑर्बिट में लेकिन इसको अपने घर में लौट के वापस आना है तो इसको जो एक्स्ट्रा एनर्जी इसके पास थी ये उसको रिलीज करनी पड़ेगी और ये एनर्जी इसने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव के फॉर्म में रिलीज कर दी अब ये जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव है इसकी कुछ वेवलेंथ होगी अगर ये वेवलेंथ विजिबल रीजन में लाई करती है तो हमें लाइट के फॉर्म में ये दिखाई देगी अलग अलग कलर के फॉर्म में दिखाई देगी क्लियर है तो अभी आप ये सोचिए कि एक गैस सैंपल के अंदर बहुत सारे जो है अ एटम्स होते हैं तो बहुत सारी एटम में अलग-अलग ट्रांजीशन हो रहा होगा तो अलग-अलग वेवलेंथ ये जो एटम है या जो वो गैस है वो एमिट करेगी और अगर हम ये देखें तो इस एमिशन में हमें अलग-अलग जो सीरीज है वेवलेंथ की वो मिल सकती है और इस सीरीज को ही हम बोलते हैं स्पेक्ट्रा तो अगर लाइन से सभी वेवलेंथ अगर हमें ऑब्टेन हो रही है तो हम बोलेंगे कंटिन्यू स्पेक्ट्रम हमें मिला लेकिन अगर हमें कुछ सर्टेन वेवलेंथ ही मिल रही है हमें कुछ सर्टेन वेवलेंथ ही मिल रही है जैसे ये वेवलेंथ मिल गई तो उसके कारण ब्लू कलर दिखा ये वेवलेंथ मिली तो उसके कारण लाइट ब्लू कलर ये वेवलेंथ उसके कारण रेड कलर दिखा कुछ सर्टेन वेवलेंथ ही मिल रही है तो वो लाइन स्पेक्ट्रम में आएंगी अब लाइन स्पेक्ट्रम दो टाइप के होते हैं कौन-कौन से एक होता है आपका एमिशन स्पेक्ट्रम और दूसरा होता है अब्जॉर्प्शन स्पेक्ट्रम ये कैसे अचीव होता है इसको हम समझ लेते हैं देखो एमिशन स्पेक्ट्रम में क्या होता है एमिशन स्पेक्ट्रम में जब किसी भी जब किसी भी हॉट गैस को हम एक प्रिज्म से पास कराते हैं क्लियर है तो जो गैस जो गैस जो निकल रही है ओबवियस सी बात है इसमें से कुछ अ वेवलेंथ निकल रही होंगी तो ये जो प्रिज्म से पास होने पे ये वेवलेंथ अलग-अलग हो जाती है और हमने जो स्क्रीन पर कुछ अलग-अलग वेवलेंथ है ना जो बिल्कुल सेपरेट हो चुकी हैं वो देखने को मिलती हैं मतलब इस हॉट गैस ने ये वेवलेंथ को एमिट करा और उन वेवलेंथ के करेस्पॉन्डिंग्ली स्पेक्ट्रम जबकि एब्जॉर्ब स्पेक्ट्रम में क्या होता है जैसे मान के चलो आपके पास एक ये हॉट मैटर है यानी कि कोई हॉट बल्ब है मान लेते हैं अब इस बल्ब में से जो भी गैसेस जो भी लाइट रेडिएशन या कहू जो भी रेडिएशन निकल रही है उसको हमने कोल्ड गैस से पास कराया अब कोल्ड है तो उसका काम ही अब्जॉर्ब करना तो इस रेडिएशन से ये कोल्ड गैस कुछ वेवलेंथ को कुछ वेवलेंथ को अब्जॉर्ब कर लेगा क्लियर है और उसके बाद जब हम इसको प्रिज्म से पास कराएंगे तो हम देखते हैं कि इसमें तो सारी वेवलेंथ ही इसमें सारी वेवलेंथ थी इसमें से कुछ एब्जॉर्ब हो गई कुछ एब्जॉर्ब हो गई तो सामने आपको जो जो वेवलेंथ अब्जॉर्ब हो गई उसकी जगह आपको ब्लैक कलर देखने को मिलेगा क्लियर है तो जो स्पेक्ट्रम हमें देखने को मिला इसको हमने बोला एब्जॉर्ब स्पेक्ट्रम क्या बोला एब्जॉर्ब स्पेक्ट्रम अभी देखिए आगे बढ़ेंगे और बोर एटॉमिक मॉडल को समझेंगे देखो रदरफोर्ड के एटॉमिक मॉडल में जो कमियां थी उन्हीं कमियों को अच्छे से एक्सप्लेन करा बोर ने है ना और बोर ने बताया कि देखो भाई साहब अगर आपको एटम का मॉडल समझना है तो आपको कुछ बात बातें पहले से दिमाग में अज्यू करनी पड़ेंगी और बोर के इन्हीं अंपन को हम बोर पोस्टलेटरल ने बहुत बढ़िया तरीके से एटम के मॉडल को एक्सप्लेन करा बोर ने कहा देखो पहली चीज तो मैं आपको बताता हूं कि इलेक्ट्रॉन जो घूम रहा है वो कैसे घूम रहा है तो बोर ने कहा देखो ऐसा है कि इलेक्ट्रॉन किसी भी ऑर्बिट में ऐसे घूमता है जैसे कि प्लेनेट उस सन के अराउंड घूमते हैं और उन इलेक्ट्रॉन को जो रिक्वायर नेसेसरी सेंट्रिपेटल फोर्स जरूरी होता है ना वो इलेक्ट्रोस्टेटिक फोर्स ऑफ अट्रैक्शन के द्वारा प्रोवाइड कराया जाता है दूसरी बात जो बहुत जरूरी बात थी वो बोर ने कुछ तरीके से एक्सप्लेन करी जब बोर्ड से सवाल हुआ कि यानी कि जब रदरफोर्ड के एटमिक मॉडल पे सवाल उठा कि इलेक्ट्रॉन भाई साहब थक नहीं रहा है क्या है ना इलेक्ट्रॉन थक नहीं रहा क्या मतलब इलेक्ट्रॉन की एनर्जी खत्म नहीं हो रही है क्या और खत्म होगी तो एटम कोलप्पन देखो क्या शानदार तरीके से समझाया बोर ने कहा देखो इलेक्ट्रॉन किसी एरी गरी नथु गरी ऑर्बिट में नहीं घूम रहा है वो इलेक्ट्रॉन ऐसी ऑर्बिट में घूमता है जो कि स्टेशनरी ऑर्बिट है इन ऑर्बिट में घूमने वाला इलेक्ट्रॉन कभी भी एनर्जी रेडिएट नहीं करेगा उसने कहा ये अंपन है क्लियर है और ऐसी ऑर्बिट की पहचान क्या बताई ऐसी ऑर्बिट की पहचान उसने बताई कि इलेक्ट्रॉन बस ऐसी ऑर्बिट में घूम सकता है जिनमें घूमने वाले इलेक्ट्रॉन का एंगुलर मोमेंटम nh2 पा के बराबर होगा एंगुलर मोमेंटम को हम mv2 पा के बराबर होना चाहिए क्लियर है जहां पर n को बोला प्रिंसिपल क्वांटम नंबर n की वैल्यू 1 2 3 4 और अप टू इंफिनिटी होती है h जो है प्लांक कांस्टेंट है जिसकी वैल्यू 6.63 * 10 टू पावर -34 जू सेकंड होती है स्टेशनरी ऑर्बिट का कांसेप्ट भी उन्होंने बता दिया कि बस ये ऐसी ऑर्बिट में घूमते हैं जिनमें घूमने वाले इलेक्ट्रॉन कभी एनर्जी रेडिएट नहीं करते क्लियर है इसके बाद उन्होंने फ्रीक्वेंसी कंडीशन के बारे में बताया उन्होंने कहा जो भी हमें फ्रीक्वेंसी जो मिल रही है जो इलेक्ट्रॉन जो अ जिस फ्रीक्वेंसी की रेडिएशन को एमिट करता है वो फ्रीक्वेंसी के बारे में बनाया उन्होंने कहा जो एनर्जी हमें मिल रही है दैट इज़ डिफरेंस ऑफ़ e2 - e1 मतलब जैसे कोई इलेक्ट्रॉन अगर यहां से यहां पहुंचा e1 से e2 में पहुंचा तो वापस ये अपने घर में आएगा तो जो कितनी एनर्जी रिलीज करेगा तो ये रिलीज करेगा e2 - e1 के बराबर क्लियर है इसके बाद e की वैल्यू h9 होती है तो यहां से हमें न्यू यानी कि जो फ्रीक्वेंसी ऑफ रेडिएशन है वो मिल सकती है तो ये बोर का एटॉमिक मॉडल हुआ इसके बाद बोर ने इलेक्ट्रॉन किस ऑर्बिट में घूम रहा है उसके रेडियस के बारे में बताया अ इसके अलावा उसने एनर्जी ऑफ इलेक्ट्रॉन के बारे में बताया सभी चीजें लाइन बाय लाइन समझ लेते हैं लेकिन उससे पहले आप एक चीज समझ लें कि जैसे जब भी हम कहते हैं ग्राउंड स्टेट या फिर फर्स्ट एनर्जी स्टेट तो n = 1 वैल्यू पुट करी जाती है जब हम बोलते हैं फर्स्ट एक्साइटेड स्टेट मतलब इलेक्ट्रॉन ग्राउंड स्टेट से पहली बार कहां पहुंचेगा सेकंड ऑर्बिट में यानी कि फर्स्ट एक्साइटेड स्टेट को हम सेकंड ऑर्बिट भी कहते हैं और यहां पे n की वैल्यू टू पट करी जाती है सेकंड एक्साइटन स्टेट की जब हम बात करते हैं तोय थर्ड ऑर्बिट से कहा जाता है n की वैल्यू थ्री पुट करी जाती है क्लियर है ये आपको काम आएगी बातें अभी नेक्स्ट हम आ जाते हैं रेडियस ऑफ हाइड्रोजन ऑर्बिट पे बोर ने किस तरीके से हाइड्रोजन ऑर्बिट की रेडियस को निकाला तो पहली बात आप सभी बच्चे जानते हैं मैंने इसको डिटेल में वन शॉर्ट में एक्सप्लेन कराया लेकिन छोटे-छोटे तरीके से मैं आपको यहां पे बता रहा हूं देखो तो यह आप सभी सब समझते हैं कि सेंट्रिपेटल फोर्स से मिलता है इलेक्ट्रोस्टेटिक फोर्स ऑफ़ अट्रैक्शन सेंट्रिपेटल फोर्स की वैल्यू इलेक्ट्रोस्टेटिक फोर्स ऑफ़ अट्रैक्शन की वैल्यू यहां से v स् की वैल्यू हम निकालेंगे और उसके बाद जो एंगुलर मोमेंटम वाली कंडीशन है mv2 पा यहां से भी हम v स् की वैल्यू निकालेंगे और इन दोनों v स् की वैल्यू को जब हम कंपेयर करेंगे तो हमें जो वैल्यू मिलेगी दैट इज रेडियस ऑफ बोर ऑर्बिट रेडियस ऑफ बोर ऑर्बिट यहां पर पाया गया कि जो बोर ऑर्बिट की जो रेडियस या कहीं कि किसी भी एटम की जो रेडियस है ये कई सारे फैक्टर पे डिपेंड कर रही है है ना जैसे कि z पे डिपेंड कर रही है क्लियर है बस यही वेरिएबल है नाउ अगर z की वैल्यू हम वन ले ले z की वैल्यू हम क्या ले ले वन मतलब फॉर हाइड्रोजन एटम तो पाया गया कि जो रेडियस है ये टोटली किस पे डिपेंड कर रही है सिर्फ n स् पे n की वैल्यू 1 2 3 4 तो फर्स्ट ऑर्बिट में जो रेडियस है दैट विल विल बी इफ वन तो सेकंड ऑर्बिट में रेडियस हो जाएगी 2 स् मतलब फोर जो भी यूनिट हम यूज़ करेंगे एस्ट्रोम क्लियर थर्ड ऑर्बिट में हो जाएगी थ्री का स्क्वायर टाइम्स क्लियर है तो ये चीज आपको याद रखनी है अगर हम बात करें रेडियस ऑफ हाइड्रोजन ऑर्बिट तो जब हम वैल्यूज को पुट करते हैं तो हाइड्रोजन ऑर्बिट की जो रेडियस है दैट इज 0.53 एस्ट्रम ये इसकी सच्ची वाली वैल्यू है देखिए अभी अगर आपको वेलोसिटी ऑफ इलेक्ट्रॉन निकालनी होती है तो भी सेम कांसेप्ट है क्या आप सभी बच्चे जानते हैं कि सेंट्रिपेटल फोर्स बराबर होता है इलेक्ट्रोस्टेटिक फोर्स से तो यहां से हमने कपिट r की वैल्यू निकाल ली उसके बाद एंगुलर मोमेंटम वाली कंडीशन आप लगाएंगे ए = n / 2pir n / 2p तो यहां से भी आप r की वैल्यू को निकालेंगे कंपेयर करोगे यहां से आपको मिलेगी v की वैल्यू तो ये बात आप याद रखेंगे क्लियर है पाया गया कि हाइड्रोजन के लिए जो v की वैल्यू है दैट इज स्पीड ऑफ लाइट के 1 बा 137 टाइम्स कम होती है क्लियर है ये चीज आप ध्यान रखेंगे इसके बाद हम बात करेंगे एनर्जी ऑफ इलेक्ट्रॉन की तो भाई साहब इलेक्ट्रॉन की एनर्जी के लिए अलग से हमने डेरिवेशन कराया था बट फिर भी मैं आपको यहां पर ब्रीफ में एक्सप्लेन करूंगा देखो आप सभी बच्चे समझते हैं कि इलेक्ट्रॉन की या जो भी जो इलेक्ट्रॉन है उसकी काइनेटिक एनर्जी का फॉर्मूला 1/2 mv1 हो सकता है फिर बार-बार जो हम v स् की वैल्यू पुट कर रहे थे यहां से काइनेटिक एनर्जी का नया फॉर्मूला बन गया पोटेंशियल एनर्जी का फॉर्मूला होता है k q1 q2 / r q1 है वो इलेक्ट्रॉन जो घूम रहा है q2 है जो न्यूक्लियस जो उसपे अट्रैक्टिव फोर्स लगा रही है तो दोनों की वैल्यू हमने यहां पर पुट कर दी और उसके बाद हमें पोटेंशियल एनर्जी मिल गई तो काइनेटिक एनर्जी और पोटेंशियल एनर्जी को जब हमने जोड़ दिया तो हमारे पास एनर्जी का यह फॉर्मूला निकल के आ जाता है भाई साहब जो मेन फॉर्मूला है वो हमारे पास ये निकल के आ जाता है आप इसका स्क्रीनशॉट लेंगे सभी वैल्यूज पुट करी हैं और वहां से आपको ये सारी चीजें क्लियर हो जाएंगी तो अगर हम ये देखें कि हाइड्रोजन एटम के लिए जो एनर्जी है ये 1 / n स् टाइम्स होती है है ना दैट इज मैं बोलूंगा e इज डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू 1 / n स् फॉर हाइड्रोजन क्लियर है तो ये एनर्जी का फॉर्मूला हो गया आगे हम बढ़ेंगे तो हमने पाया हमने पाया कि हाइड्रोजन के लिए जो एनर्जी हो रही है इलेक्ट्रॉन की अलग-अलग ऑर्बिट में वो हम इस फॉर्मूले से निकाल सकते हैं -13.6 / n स् * मतलब ये इलेक्ट्रॉन वोल्ट वैल्यूज हैं क्लियर फर्स्ट ऑर्बिट की जो एनर्जी है अगर हम n की जगह वन पुट करेंगे तो हमें मिल जाएगी -13.6 इलेक्ट्रॉन वोल्ट सेकंड ऑर्बिट की एनर्जी हमें मिल जाएगी -3.4 इलेक्ट्रॉन वोल्ट थर्ड ऑर्बिट की हमें एनर्जी इतनी मिल जाएगी क्लियर है ये बात आप याद रखेंगे तो काइनेटिक एनर्जी अगर हमें निकालनी है तो हमेशा याद रखिए जो भी पोटेंशियल जो भी एनर्जी आपने निकाली है उसका अगर आप पॉजिटिव कर देंगे है ना तो वो आपको मिल जा काइनेटिक एनर्जी क्या मिल जाएगी काइनेटिक एनर्जी काइनेटिक एनर्जी और अगर आप उसका टू टाइम्स कर देंगे नेगेटिव में है ना तो वो आपको मिल जाएगी पोटेंशियल एनर्जी क्या मिल जाएगी पोटेंशियल एनर्जी क्लियर है याद रखेंगे याद रखो काइनेटिक एनर्जी इज इक्वल टू टू टाइम्स ऑफ पोटेंशियल एनर्जी सॉरी पोटेंशियल एनर्जी इज इक्वल टू टू टाइम्स ऑफ काइनेटिक एनर्जी बट इसका नेगेटिव में जाएगा ये क्लियर है अभी हम ये रिलेशन याद रखना आपको ठीक है चलिए अभी हम बात करेंगे स्पेक्टल सीरीज ऑफ हाइड्रोजन एटम मोस्ट इंपोर्टेंट टॉपिक बता रहा हूं स्किप मत करना देखो कभी भी क्या होता है कि जब भी किसी इलेक्ट्रॉन को अ एनर्जी मिलती है तो ये इलेक्ट्रॉन जैसे मान के चलो फर्स्ट ऑर्बिट से सेकंड में जाता है थर्ड में जाता है फोर्थ में आता है फिफ्थ में आता है और कभी फ्री भी हो जाता है क्लियर है अभी क्या होता है कि इलेक्ट्रॉन कभी जब वापस अपनी ऑर्बिट में लौट कर के आता है तो आप सभी बच्चे जानते हैं कि वो एक्स्ट्रा एनर्जी को रिलीज करता है और उस एनर्जी की जो भी अ रेडिएशन की जो वेवलेंथ होती है वो वेवलेंथ होती है लैडा और उस वेवलेंथ को कैलकुलेट करने का जो फार्मूला है ये होता है वन बा लड = r 1 / n1 स्क्वा - 1 / n2 स् n1 क्या है n1 है लोअर ऑर्बिट n2 क्या है हायर ऑर्बिट है ना r क्या है रिडबर्ग कांस्टेंट और उसकी वैल्यू होती है 1.09 से 10 टू पा 7 मीटर इवर्स देखो पर बहुत जरूरी बात है तो यहां पर जो सीरीज तैयार करी गई जब भी कोई इलेक्ट्रॉन किसी भी हायर ऑर्बिट से किसी भी चाहे 2 3 4 5 6 या इंफिनिटी किसी भी हायर ऑर्बिट से आता है और फर्स्ट ऑर्बिट में आके गिरता है तो हमें जो सीरीज मिलती है उस सीरीज को हम बोलते हैं लायम सीरीज किसकी सीरीज वेवलेंथ की सीरीज जो मिलती है उसको हम बोलते हैं लाइम सीरीज और ये जो लाइम सीरीज है इसमें आने वाली वेवलेंथ अल्ट्रावायलेट रीजन में पाई जाती हैं इसके बाद अगर कोई इलेक्ट्रॉन किसी भी हायर ऑर्बिट से मतलब ऊपर वाले ऑर्बिट से सेकंड ऑर्बिट में आ गिरता है तो हमें जो सीरीज मिलती है उसको हम बोलते हैं बामर सीरीज और बामर सीरीज विजिबल रीजन में लाई करती है याद रखेंगे सभी सीरीज के नाम हायर ऑर्बिट से अगर थर्ड थर्ड ऑर्बिट में इलेक्ट्रॉन गिरता है तो n की वैल्यू थ्री पुट करी जाती है अ और यहां पर पाश्चन सीरीज हमें मिलती है पाश्चन सीरीज इंफ्रारेड रीजन में लाई करती है किसी भी हायर ऑर्बिट से अगर इलेक्ट्रॉन फोर्थ ऑर्बिट में आए गिरता है तो ब्रैकेट सीरीज मिलती है और ये इंफ्रारेड रीजन में लाई करेगी यदि किसी हायर ऑर्बिट से इलेक्ट्रॉन फिफ्थ ऑर्बिट में आ गिरता है तो फंड सीरीज हमें मिलेगी जो कि फार इंफ्रारेड रीजन में लाई करेगी अच्छा याद रखेंगे ऊपर वाली ऑर्बिट को n2 बोलेंगे नीचे वाली ऑर्बिट को हमेशा n1 बोलेंगे एक क्वेश्चन आपको करवा देंगे देखो इसमें दो सवाल पूछे जाते हैं एक पूछा जाता है मैक्सिमम वेव वेवलेंथ कितनी होगी जब कोई ऑर्बिट किसी ऑर्बिट हायर ऑर्बिट से लोअर ऑर्बिट में गिरता है है ना मैक्सिमम को लांगेस्ट वेवलेंथ भी बोलते हैं और मिनिमम वेवलेंथ कितनी होगी यानी कि शॉर्टेस्ट वेवलेंथ कितनी होगी मोस्ट इंपोर्टेंट क्वेश्चन बनता है तो देखो पांच सीरीज है जब हम बात करते हैं लायमंड सीरीज की तो n1 की वैल्यू वन है और जब भी हम बात करें मैक्सिमम वेवलेंथ की मैक्स मतलब पास वाला है ना मैक्सिमम वेवलेंथ कब मिलती है जब इलेक्ट्रॉन एकदम पास से ही कूद आए तो देखो लाइम में पास वाला इलेक्ट्रॉन कौन है टू ठीक है बामर में पास वाला इलेक्ट्रॉन कौन है थ्री तो बामर सीरीज में कहे कि भाई लांगेस्ट वेवलेंथ निकालो तो n1 की वैल्यू टू लेना n2 की वैल्यू थ्री लेना जब पाश्चन सीरीज में कहे कि लांगेस्ट वेवलेंथ निकालो तो n1 की वैल्यू थ्री लेना पाश्चन के लिए और n2 की वैल्यू फोर ले लेना पास वाला ऑर्बिट से गिरेगा तो हमें मिलती है लांगेस्ट या मैक्सिमम वेवलेंथ जब कहेगा ब्रैकेट सीरीज में निकालो लांगेस्ट वेवलेंथ तो आपको n1 की वैल्यू फोर लेना है ब्रैकेट के लिए और n2 की वैल्यू आपको फाइव लेना है अच्छा सर अगर मिनिमम वेवलेंथ या शॉर्टेस्ट वेवलेंथ कहे तो याद रखो मिनिमम मिनिमम में मिनिमम वेवलेंथ में सभी सीरीज के लिए n2 की वैल्यू इंफिनिटी रहेगी इंफिनिटी रहेगी और n1 की वैल्यू अकॉर्डिंग टू सीरीज जैसे लाइन के लिए वन है बामर के लिए टू है क्लियर है याद रखेंगे उम्मीद करता हूं आप ये चीजें याद रखेंगे एक न्यूमेरिकल करा देंगे लेकिन उससे पहले आपको बता दें h अल्फा h बीटा और h गामा लाइन क्या होती है h अल्फा हम किसको बोलते हैं जब कोई इले ॉन लोअर ऑर्बिट से बस एक ऑर्बिट ऊपर से गिरता है है ना जैसे अगर हम बात करें बामर के लिए n1 की वैल्यू कितनी है टू है तो जब कोई इलेक्ट्रॉन 2 + 1 3 से गिरेगा तो आपको h अल्फा लाइन के नाम से सवाल पूछा जाएगा कि भाई h अल्फा की वेवलेंथ कितनी होगी जब कोई ऑर्बिट n1 + 2 से यानी कि लाइम के लिए 1+ 2 से गिरेगा तो h बीटा लाइन मिलेगी और h गामा n1 + 3 से मिलेगी और अगर कोई इंफिनिटी से गिरेगा कोई भी इलेक्ट्रॉन किसी लोअर ऑर्बिट में तो हमें सीरीज लिमिट हम इसको बोलते हैं इसको मैक्सिमम फ्रीक्वेंसी बोलते हैं क्लियर है मिनिमम वेवलेंथ बोलते हैं है ना तो ये कंडीशंस आप इसको याद रखेंगे नेक्स्ट हम बात करेंगे जैसे आपसे कह दिया जाए शॉर्टेस्ट वेवलेंथ निकालो और लांगेस्ट वेवलेंथ निकालो लाइम की तो शॉर्टेस्ट यानी कि मिनिमम वेवलेंथ के लिए n2 की वैल्यू कितनी लेनी है इंफिनिटी और लांगेस्ट वेवलेंथ के लिए n2 की वैल्यू कितनी लेनी है टू ये कौन सी सीरीज में लाइम में और अलग-अलग सीरीज के हिसाब से अब आप काम कर लेंगे नेक्स्ट हमें समझना है एक्साइटन ए एनर्जी क्या होती है तो भाई साहब एक् एक्साइटन एनर्जी का मतलब है ग्राउंड स्टेट से किसी भी हायर एनर्जी स्टेट में पहुंचने के लिए इलेक्ट्रॉन को जो एनर्जी चाहिए होती है उसी को हम बोलते हैं एक्साइटन एनर्जी क्लियर है इसके बाद हम पोटेंशियल तो देखो क्या होता है जैसे मान के चलो ये आपके पास कोई भी इलेक्ट्रॉन है लोअर एनर्जी से आयर एनर्जी स्टेट है पहुंचाना है तो कुछ एनर्जी तो देनी पड़ेगी ना वो एनर्जी हम पोटेंशियल डिफरेंस अप्लाई करके भी दे सकते हैं तो वो नेसेसरी पोटेंशियल डिफरेंस जो कि जरूरी है किसी इलेक्ट्रॉन को लोअर एनर्जी स्टेट से हायर एनर्जी स्टेट में पहुंचाने के लिए उसी को हम बोलते हैं एक्साइटन पोटेंशियल जैसे कि फर्स्ट एक्साइटन पोटेंशियल की अगर हम बात करें तो e2 - e1 करके निकाल सकते हैं हाइड्रोजन एटम के लिए हम बात करें e2 की वैल्यू कितनी होती है - e1 की वैल्यू कितनी होती है लेट्स से ये जो वैल्यू आ गई ये आ गई -1.2 इलेक्ट्रॉन वोल्ट तो ये जो -1.2 इलेक्ट्रॉन वोल्ट है बस यही अगर आप इसमें प्लस लगा के 10.2 वोल्ट कर दें तो हमें एक्साइटन पोटेंशियल की वैल्यू मिल जाएगी फॉर्मूला अगर आप देखना चाहते हैं तो ये फॉर्मूला है कपिल v = एनर्जी / q क्लियर है अगर हम इसको जूल में कन्वर्ट कर लेंगे तो यहां से हमें वोल्ट की वैल्यू मिल जाएगी क्लियर है चलिए इसके बाद हम बात करेंगे आयनाइजेशन एनर्जी एंड आयनाइजेशन पोटेंशियल देखो आयन क्या होता है जब आप किसी भी अ एटम से इलेक्ट्रॉन को कंप्लीट बाहर निकाल दो तो बन गया वो आयन तो इस प्रोसेस में जितनी एनर्जी चाहिए उसको हम बोलते हैं आयनाइजेशन एनर्जी और अगर इसी एनर्जी को हम पोटेंशियल डिफरेंस अप्लाई करके जो है प्रोवाइड कराते हैं तो उस पोटेंशियल डिफरेंस को हम बोलते हैं आयनाइजेशन पोटेंशियल क्लियर है अलग-अलग वैल्यूज जो है यहां पर बोर्ड पे लिखी हुई है आप इसको देख सकते हैं क्लियर उम्मीद करता हूं ये जो क्विक रिवीजन है आपको समझ में आया होगा और जितना पॉसिबल था डिटेल वो मैंने आपको करा दिया नेक्स्ट वीडियो आपको मिलेगी जरूर से पूरी क्विक रिवीजन सीरीज को फॉलो करें कमेंट सेक्शन में बस आपसे इतना चाहता हूं कि यह वीडियो आपको कैसी लगी जरूर से बता करके मुझे जाइएगा आपका इंतजार रहेगा तब तक के लिए थैंक यू सो मच गाइ थैंक्स अ लॉट सी यू अगेन इन द नेक्स्ट वीडियो थैंक यू गाइ