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कुमार विश्वास की चर्चा और विचार

मनीष सिसौदिया अरविंद केजरीवाल में ज्यादा ईमानदार कौन मैंने बता दिया कि दोनों चोटा बना मत करो तो उन्होंने कहा कि तू निकल ले यहां से मैं निकल लिया उसके बाद अब कोर्ट जाने जज जाने अच्छा ही हुआ ना सर वरना आप भी शायद तिहाड़ से लौट रहे होते देखिए पहली बात तो तिहाड़ जाना या जेल जाना कोई खराब बात नहीं लेकिन लोकमंगल के लिए अगर जेल हो रही है जनता के कष्ट निवारण के लिए हो रही है सत्य की रक्षा के लिए अगर हो रही है तो तो ठीक है पर ये चोरी चकारी ये दारू के घोटाले यह सब इसके लिए आप जेल में पड़े हुए हैं और आप जस्टिफाई कर रहे हैं ये तो नीचता है हैं बिहार में प्रशांत काम कर रहे हैं मुझे उनसे बड़ी आशा है लेकिन उन पर भी लोग शंका कर रहे होंगे क्योंकि एक व्यक्ति ने उसी तरह का मॉडल अपना के लोगों के विश्वास को तोड़ दिया है शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति टूटते हुए देख रहा था तो वो जो हिंसक भीड़ थी जो तोड़ रही थी उस हिंसक भीड़ के पूर्वजों ने अत्याचार सहे हैं उनके जो उनसे तुड़वा रही है और अगर यह विरोध है अगर यह विद्रोह तुम्हारा आरक्षण के खिलाफ है तो हिंदू मंदिर क्यों चल रहे हैं हिंदुओं की बेटियों के साथ बदतमीजी क्यों हो रही है और मैं तो भारत से भी बड़ा चिंतित हूं कि भारत ने जिस तरह से विरोध करना चाहिए था उस तरह का विरोध नहीं करा यह कोई सन 64 का भारत नहीं है 150 करोड़ लोग हैं जिसका एप्ल फोन फेंक देंगे कल दुकान बंद हो जाएगी जिसकी यह किस दिन के लिए पाल के रख रखे हैं य राफेल इन में क्या है इन बच्चों से खिलाओगे इन्ह उड़ा के क्या चड्डी घुमा के लाता हूं आसमान में क्या किया था मैडम गांधी ने बदतमीजी कर रहे थे उसने कहा बदतमीज नहीं करने दूंगी और उस समय तो निक्सन था बिना मेले चली आई थी शेरनी दलित का और स्त्री का जो कष्ट है वह शुभंकर मिश्रा होकर नहीं समझा जा सकता विश्वास कुमार शर्मा होकर नहीं समझा जा सकता हमें पता ही नहीं है स्त्री का कष्ट आपको पता ही नहीं है जैसे बंगाल की एक बिटिया के साथ बलात्कार हुआ है तो बंगाल की जो मुखर कम आवाजें हैं ने वाली वो खामोश है अपने नाम में पति का नाम ना आ जाए कहने वाली जो विजय आवाज है वो खामोश हो जाती है तो इसका मतलब वो कौन स्त्रियां है वो पार्टी की स्त्रियां हैं जिस दिन इजराइल में संगीत के समारोह में आई हुई परदेसी बच्चियों को उठा के जीब पर नंगा लिटा के गाजा पट्टी में जुलूस निकाला था और चारों तरफ महिलाएं ताली बजा रही थी हजारों औरतें तालियां बजा के गाली बक रही थी कि बहुत अच्छा हुआ बहुत अच्छा मारा इजराइल को अगर उस दिन लोगों ने रुदन किया होता ना बुर्के पहन के तो आज गाजा पर भी पूरा विश्व कह रहा होता गलत हो रहा एक बच्ची आईएस बनने के लिए आई और आपने ऐसी बिजली व्यवस्था की है कि वो लटकी रह गई वो छवि आती है तो मेरी बेटियां है तो पॉलिटिक्स का पूर्ण विराम हो गया सर अभी नहीं मैं झूठ नहीं बोल सकता कि बच्चों की कसम खाऊं फिर कभी नहीं जाऊंगा झूठ क्या बोलना अगर आदि गुरु शंकराचार्य जी नहीं होते या उस दौर में जो उन्होंने किया वो नहीं किया होता तो आज हिंदू धर्म का रूप क्या होता मर्यादा पुरुषोत्तम गर्भवती पत्नी को जंगल में छोड़ दे वो मान सकते हो मैं नहीं मानता साहब मेरे राम तो इस्लाम मानने वालों के भी हैं आज ही तो नाम उनके हैं अल्लाह बक्श मौला बक्श लेकिन अगर 10 पीढ़ी पीछे जाओ तो राम बक्श निकलेंगे व रामायण और महाभारत दोनों पढ़नी चाहिए आपको मर्यादा पुरुषोत्तम कैसे बनना है इसके लिए तो आप राम कथा पढ़े और अगर आपको नीच उत्तम मिल जाए उनसे कैसे निपटना है इसके लिए आप महाभारत पढ़े हमने पढ़ी थी इसलिए तो हमें पता था कि दुर्योधन के रथ पर मत बैठो चाहे करण हो जैसे मेरे को पाकिस्तान के मेरे दोस्त मिलते हैं कि वो मिसाइल बना रहे हैं अच्छी बात है चलो नाम क्या रख रहे हैं गजनी तुम्हारा पैदा हुआ था गजनी अबे तुम्हारी सीमाओं के पल्ली पार से आया था और जब आया था तो मेरे परदादा के परदादा के परदादा के परदादा को भी मारा था और तेरे को भी मारा था तेरे गांव की भी औरतें उठाई थी और मेरे गांव की भी औरत उठाई थी एकलव्य प्रसंग में अंगूठा काट लेना जो है वो सिंबॉलिक है अंगूठा नहीं काटा गया जैसे कहते साहब आपने तो मेरी कलम ही तोड़ दी क्या होता है इश्क प्रेम मनुष्य को उसका बेटर वर्जन बनाता है क्या सफलता जिंदगी से बड़ी होती है क्योंकि किस्सा मैंने आपके भी सुना था सुशांत सिंह राजपूत का आपके होने से अगर दुनिया खूबसूरत है तो आप सक्सेसफुल हैं सालों पहले अपने कॉलेज के पहले दिन हमने सुना था कि कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है वक्त के साथ हम बड़े हो गए लेकिन जब हम बड़े हुए तो जिस शख्स ने कहा था उनकी शख्सियत में भी कई सारे बड़े-बड़े पड़ाव आए पहले वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे उसके बाद हिंदी के प्रोफेसर हुए कविराज कहलाए आंदोलनकारी कहलाए फिर सियासत दन बने कथावाचक बने अब गीतकार भी है मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं वेलकम डॉक्टर कुमार विश्वास बहुत धन्यवाद पहले तो आपको बहुत शुभकामनाएं और आशीर्वाद कि आपने अलग पथ चुना हमारे गांव में कहावत है लीक लीक तीनों चले कायर कूत कपूत और बिना लीक तीनों चले शायर सिंह सपूत तो आपने भी अपना जो पद चुना इंजीनियरिंग से आप आए न्यूज में और न्यूज की मोनोटोन जो भी रहा होगा आपके मन में आपने कहा कि नहीं पॉडकास्ट करते हैं तो मुझे ऐसे लोग बहुत प्रिय हैं जो अपने अंदर से रात को आवाज सुनते हैं कि नहीं यह नहीं यह करना है जो नियती बोलती है और उसे फॉलो करते हैं और नियती उने नवाज है आपको नवाजा नहीं लेकिन आपने अपने बारे में बिल्कुल सही कहा था कि कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है यह जो राम भक्ति में आपकी दीवानगी है और सियासत का पागलपन तो हम सबने देखा दरअसल जो मनुष्य ना उसको अपने की बजाय ईश्वर की सुननी चाहिए यूनिवर्स की सुननी चाहिए हम अक्सर अपने आप को सुनते तो असंगत हो जाती है ताल जैसे 10 लोग तबला बजा रहे हो और नौ लोग एक जैसा बजा रहे हो और एक बीच में कुछ भी बजा रहा हो वो नौ सुनाई नहीं देते व जो एक सुनाई देता है जैसे यह धमनिया है इनमें रक्त की ताल है यह असंगत हो जाए तो डॉक्टर तुरंत चिंतित हो जाता है कि यार कहीं बीट छूट रही है हृदय पर आला रखते ही अगर एक जरा सा भी एक टेढ़ा मेड़ा हो जाए तो वो कहता है भाई कहीं प्रॉब्लम है तुरंत जरा एंजियोग्राफी करो तो जब आप अपने अस्तित्व की ताल से असंगत होने पर मर सकते हैं अप्रासंगिक हो सकते हैं तो जो ईश्वर जिसने आपको बनाया जिसका आप अंश है उसकी ताल से असंगत होने पर आप कितने अप्रासंगिक हो सकते हैं तो मैंने सदा स्वयं को नियति की ताल से संपृक्त रखता है नियति ताल जैसे चलाती है वैसे मैं चलता हूं इसीलिए ना मुझे पता होता है कि आगे क्या करूंगा ना मेरे सुनने चाहने वालों को पता होता है ना मेरे विरोधियों को पता होता होता यह कोई सोचा समझा नहीं है यह बहाव है कि यूनिवर्स घूम रहा है गोल गोल घूम रहा है अंदर से आवाज आ रही है कि नहीं ये छोड़ दो ये नहीं करना यह करना है करो करने लगे उसी में आनंद आ है मैंने हरिवंशराय बच्चन साहब की कहीं एक लाइन पढ़ी थी आप भी उन्हें काफी पसंद करते हैं कि मन का हो तो अच्छा ना हो तो और अच्छा मन का होता है तो हम चुनते हैं नहीं होता है तो वोह चुनता है हमको आपका जीवन देख के वही लगता है कि आप सब कुछ आपने नहीं चुना कई सारा ऊपर वाला चुनता चला जा रहा है और इसीलिए आज एक सवाल मन में आ रहा है कि कुमार विश्वास अपने आप को किस रूप में देखते हैं या बस गंगा के धारक तरह बहते जा रहे हैं हमारे एक कवि की पंक्ति है कि पाप पुण्य जो भी किया किया पूरे मन से जैसे रावण को तो पहले दिन पता था कि आ गया वो जिसके हाथों जाना है जब खरदूषण मारे गए तब तो राम शिष्य स्व भाव में थे तब तो महा पराक्रमी राम पर पूरे विश्व ने मोहर भी नहीं लगाई थी तब तो एक योग्य गुरु ने अपनी गुरुता के हस्तांतरण के लिए पात्र चुना था बस और उसे लगा था क्योंकि उस जमाने में दो लैब डिफेंस की सबसे बड़ी थी एक उत्तरा पथ की लैब थी जिसे विश्वामित्र जी हैड करते थे महर्षि विश्वामित्र राजर्षि विश्वामित्र और एक दक्षिण की लैब थी डिफेंस की जिसको महर्षि अगस्त जिन्होंने विद्युत के बारे में और बहुत सारी रासायनिक क्रियाओं के बारे में अद्भुत लिखा पढ़ा है दोनों ही अपनी अपनी आयु से उब चुके थे और दोनों को लगता था कि अब उनमें वो आयु का तेज नहीं है जिसे वो कर सके या अपनी गुरुता के भार से दबे थे कि व स्वयं नहीं कर सकते तो व योग्य पात्र ढूंढ रहे थे और उस ढूंढ में सबसे पहले सफल रहे विश्वामित्र जो लेकर आए उनको अपने घर से निकाल के लाए 15 वर्ष के तेजस्वी राजकुमार को और उन्होंने खर दूषण को मारा तो जब मंदोदरी ने चिंतित देखा राम को रावण को तो रावण ने कहा कि आ गया है वो मानस में बाबा कहते हैं कि रावण ने कहा खर दूषण मोस बलवंता मेरे ही समान बलवान कम ज्यादा नहीं कहा बिल्कुल मेरे जैसे तिने को मार बिन भगवंता उन्हें भगवान के बिना कौन मार सता लेकिन रावण जो है वो राम कहता हुआ मरा ऐसे ही दुर्योधन भी जिसे पता था कि सामने ईश्वर है उने कहा पांच गांव दे दे बोला सुचमन वस्या बिना युद्धे न केशवा हे केशव सुई की अगली नौक के बराबर नहीं दूंगा और कहा कि भगवान है बाध लोगों ने कहा ईश्वर है विदु ने क ईश्वर क नहीं जो भी हो बांधो भगवान ने भी उसको विराट रूप दिखाया वो सीधा स्वर्ग गया क्यों क्योंकि वो स्वधर्म है उसने अपने अंदर जो अनुभव किया है उसको बाहर प्रकट कर रहा है बहुत सारे लोग स्वधर्म में नहीं जीते नहीं तो यहीं पर सर मेरा अगला क्वेश्चन आ गया सोशल मीडिया का आज का दौर जो है इसमें दो तरह के लोग है एक जो हाईली ओपीनेड है वो दुर्योधन की तरह उन्हें क्लेरिटी है सही कर रहे हैं गलत कर रहे एक आदमी कह रहा अच्छा कर रहे हो एक आदमी कह रहा गलत कर रहे हो और एक वो है जो दोनों तरफ दाए बाए खेलते रहते हैं तो आज के दौर में दुर्योधन होना सही है कि पांडव होना सही क्योंकि लोग जैसा आपने कहा कि दुर्योधन मरे तो सीधे गए पांडव भटक भटक के गए नहीं किसी भी दौर में पांडव होना सहिए किसी भी दौर में राम होना चाहिए मैं यह नहीं कह रहा कि मैं रावण को जस्टिफाई कर रहा हूं दुर्योधन को जस्टिफाई कर रहा हूं दुर्योधन से संवाद ही ठीक नहीं हुआ दुर्योधन की परवरिश ही ठीक नहीं हुई दुर्योधन का दोष नहीं है दुर्योधन को दुर्योधन बनाने वाले शकुनि हों का दोष है मेरे साथ जो लोग दुर्योधन हुए उनका दोष नहीं था वो दुर्योधन नहीं थे उनके साथ जो शकुनी थे जिनमें से कुछ आपके पेशे से थे उनका दोष है जिन्होंने समझाया कि बॉस होता है ऑफिस में नीचे वालों को दाब के रखो ऊपर वालों को बहका के रखो और ऐसी लाते रहो कॉर्पोरेट ऑफिस की तरह चलती है पार्टी तो संगठन तो ऐसे ही चलता है एक की दबदबा होना चाहिए यहां से तो स्वरा से तानाशाही प्रकट हुई वरना पहले तो स्वराष्ट्र की किताब तो दुर्योधन बुरा नहीं है जो आप कह रहे हैं आप अपनी प्रज्ञा को स्थित रखते हुए सत्य और असत्य के विषय में जानकारी करते रहे गुरुजनों से ग्रंथों से अनुभवों से सीखते रहे और फिर निर्णय ले मैं ये कह रहा हूं केवल हां पर आप अवसरवादी बनकर इधर-उधर बोलते रहे जैसे बंगाल की एक बिटिया के साथ बलात्कार हुआ है तो बंगाल की जो मुखर कम आवाजें हैं बोलने वाली वो खामोश है जब भारतीय जनता पार्टी या उसके परिवार से जुड़े हुए किसी व्यक्ति के साथ यह होता है तो उस समय संसद में हंगामा मचाने वालों की स्मृति चली जाती है जब समाजवादी पार्टी के किसी व्यक्ति का होता है तो अपने नाम में पति का नाम ना आ जाए कहने वाली जो विजय आवाज है व खामोश हो जाती है तो इसका मतलब व कौन स्त्रियां है व पार्टी की स्त्रियां है वो स्त्रियों की स्त्रियां नहीं है वो स्त्री का दर्द नहीं समझती वो नेता का दर्द समझती है पार्टी का दर्द समझती है वोट समझती है तो मैं यह कह रहा हूं कि ये जो कुटिलता है हमें लेक भी बहुत कंफ्यूज लोग रहते हैं क्या प्रधानमंत्री की तारीफ कर देते हो कि दिवाली पर वहां गए वो सीमा पर गए और हाथ रस पर आप चिल्लाने पड़ते हो पूरा वो निकाल देते वीडियो निकाल देते हो चूड़ी वालों को पीट देते हैं कुछ लोग वहां तो आप मुख्यमंत्री को टैक कर देते हो इधर के किधर के हैं किधर के भाई क्यों किधर के सत्य जिधर का उधर के हैं सो इसलिए मेरा मैं ये नहीं कह रहा दुर्योधन जस्टिफाई दुर्योधन के अपराधी तो शकुनी है दुर्योधन का अपराधी तो धृतराष्ट्र है दुर्योधन के अपराधी तो अपनी प्रतिज्ञा से बंधे हुए भीष्म पितामह है जो इतने महान होने के बाद की कृष्ण उन्हें आदर देते हैं उन्हें अपने जीवित रहते ही वंश का नाश देखना पड़ा और सरसैया पर लेटना पड़ा अगर किसी कुल वधु के चीर हरण पर आप तथाकथित राज सिंहासन की बाध्यता से बंधे रहकर चुप हो जाएंगे तो आप कितने भी बड़े भीष्म पिता में हो कितने भी बड़े गंगा पुत्र हो और कितने भी बड़े तपस हो आपको शर शैया पर लेटना पड़ेगा हालांकि जिन्होंने आपके साथ शकुनी काम किया था वो भी आजकल सत्य की तलाश में ही है चलिए वो तो खैर उनका लेकिन एक सवाल फिर मेरे मन में आता है कि जैसे मैंने शुरुआत में कहा मनका हो तो अच्छा ना हो तो और अच्छा अब अच्छा ही हुआ ना सर वरना अ भी शायद तिहाड़ से लौट रहे होते आजकल आपके कई मित्र बाहर निकले हैं देखिए पहली बात तो तिहाड़ जाना या जेल जाना कोई खराब बात नहीं है नेलसन मंडेला भी जेल गए बापू भी जेल गए नेहरू जी तो 9 साल से ज्यादा समय जेल में रहे सुबह सुबह आजकल गलियर लोग मिलते हैं ना नेहरू को गाली देते हैं सुबह सुबह उनको पता नहीं है 9 साल कुछ महीने नेहरू जी जेल में रहे अगर आप वीर सावरकर जी की काल कोठरी देख के आए मैं देख के आया हूं दो बार मैं उसके अंदर बैठ के आया हूं वहां प्रार्थना करके आया हूं मैंने स्पंदन अनुभव किया है तो कैसे उस पूरे नरना ने उसके पूरे परिवार ने चापेकर बंधुओं ने तो जेल तो कोई खराब बात नहीं है लेकिन लोकमंगल के लिए अगर जेल हो रही है जनता के कष्ट निवारण के लिए हो रही है सत्य की रक्षा के लिए अगर हो रही है अगर पृथ्वी पर किसी कृष्ण के आगमन की योजना बनाने के लिए माता-पिता जेल में है तो तो ठीक है पर चोरी चकारी यह दारू के घोटाले यह सब इसके लिए आप जेल में पड़े हुए हैं और आप जस्टिफाई कर रहे हैं यह तो नीचता है आपकी मुलाकात हुई आपके 40 साल पुराने मित्र है कक्षा एक से आपकी मित्रता रही है वो किस्सा भी हम सबने जब पहली बार सुना था आपके घर का कि खाना खाते हुए और व जो संवाद था कि ताकत आज तो है समय बदलता है समय बदलता है पता नहीं मैं इससे संपृक्त हो गया हूं देखिए क्या है जब आप आईना देखते हैं तो पुरानी चोटों के निशान आपको दिखते दुनिया को नहीं दिखते आपके चेहरे पर भी जो आपके निशान बचपन में लगे होंगे ना बॉल लगते हुए प्रकार लगते हु आपको पता होंगे कि यहां लगा था मुझे नहीं पता है वो तो मुझे तो मेरे निशान पता है ना मैं जब वक्त के आईने में खुद का चेहरा देखता हूं तो मुझे लोगों के छल लोगों के धोखे उनकी नीचता एं उनकी अहंकारी नजरें सब याद आती हैं लेकिन मैं बाहर से प्रकृति से रता हूं मैं समझता हूं यही था यही जीवन था इसने मुझे पकाया इसने मुझे सिखाया जैसे गुरु सिखाता है शिष्य को जैसे कुमार हमारा प्रजापति वह जब हाथ अंदर लगाकर अपने मटके को ठीक करता है ऐसे ही हाथ लगा राम जी का और ताप लगा इस धोखे का और उससे जगत के मंगल का जल रखने वाली एक सुराही का निर्माण हुआ एक घड़े का निर्माण हुआ जिससे भाषा निकलती है सरस्वती निकलती है लोगों के स्वस्तिवाचन में लोगों के मंगल में लोग प्रसन्न होते हैं नहीं तो इस घटना ने आपको क्या सिखाया जैसे जब मैं दूर नजरिए से देखता हूं तो मुझे वक्त की ताकत दिखाई पड़ती है वह संवाद क्योंकि बड़ा भावुक संवाद था एक इंटरव्यू में जब आप चर्चा कर रहे थे और तब भी हमने सुना और मुझे वो एहसास वो दर्द वो आपकी आवाज में महसूस हो रहा था कि आप अपनी पत्नी के साथ बैठे हैं बचपन का मित्र बैठा है और आपकी पत्नी कहती है ताकत सदा तो नहीं रहती सदा तो नहीं रहती अभी तो अभी तो है और फिर मैं वो दौर देखता हूं कि आपके मित्र जेल जाते हैं उनकी वाइफ की तबीयत खराब होती है बड़ी खबरें आती है बड़ी मुश्किल से बाहर निकले हैं एक और मित्र अभी भी आपकी जेल में है बाकी जो सब खामोश होकर बैठे हैं वो क्रांति की मशाल जो जलाई गई थी वो भ्रष्टाचार के रूप में जेल में आ रही तो ये क्या आपको सिखाता है क्योंकि वक्त की ताकत भी बड़ी इसमें बड़ी मुझे लगता है बहुत सारी सीख इस घटनाओं में है देखिए क्या है ना महाभारत के युद्ध में दुर्योधन का अहंकार प्रासंगिक नहीं है पांडवों में भीम का क्रोध प्रासंगिक नहीं है युधिष्ठिर का धैर्य प्रासंगिक नहीं है प्रासंगिक है सत्य और असत्य की लड़ाई तो इस पूरे जो आपने अभी समुद्र मंथन बताया इसमें किसी एक व्यक्ति को कोई प्रासंगिक नहीं है कि वो जेल चला गया कि वो जेल में है कि मैं बाहर लोगों का आदर स्नेह पा रहा हूं यह प्रासंगिक नहीं है प्रासंगिक यह है कि विश्वास की हत्या प्रासंगिक ये है कि आशा की हत्या जैसे अभी हम च चर्चा कर रहे थे बिहार में प्रशांत काम कर रहे हैं मुझे उनसे बड़ी आशा है मुझे में बड़ा तेजस्वी युवक दिखाई देता है जो बिहार का दर्द जी रहा है विदेश गया था पढ़ा चुनाव प्रबंधन किया जाना उसने उसे लगा कि मुझे अपने प्रदेश में भी काम करना चाहिए और एक टिपिकल मॉडल है कि वो पदयात्रा कर रहे हैं लोगों से मिल रहे हैं ढूंढ रहे हैं लेकिन उन पर भी लोग शंका कर रहे होंगे क्योंकि एक व्यक्ति ने उसी तरह का मॉडल अपनाकर लोगों के विश्वास को तोड़ दिया है लोगों की उम्मीदों को तोड़ दिया है आपने सुदर्शन जी की कहानी पढ़ी होगी जीत की हार बाबा भारती के पास एक घोड़ा था और वहां के सबसे बड़े डाकू को पसंद आ गया खड़क सिंह को उसने कहा मुझे दे दीजिए बाबा जी बादल नाम का घोड़ा था उन्होंने कहा तो नहीं दूंगा तो वो एक दिन दिन में जा रहे थे दोपहर में और एक कोड़ी भिकारी बैठा हुआ था कंबल ड़ के उसने कहा अरे कोई ले चलो ले चलो बाबा भारती ने उसे जगह दे दी आगे बिठा लिया उसने कंबल फेंका बाबा को धक्का दिया ड़ लगाई और लेकर भागने लगा वो डाकू खड़क सिंह था तो बाबा ने भागते हुए कहा इस बात की किसी से चर्चा मत करना खड़क सिंह वरना लोग असहाय पर विश्वास करना बंद कर देंगे तो इसका नुकसान यह है मेरे को क्या नुकसान हुआ आंदोलन से पहले मैं लाख दो लाख रुपए लेता था कविता पढ़ने के पा लाख लेता था अब अब तो चार गुना पाच गुना लेता हूं आंदोलन से पहले वह बारवी पास करके एक डिप्लोमा करके अपनी क्या कहते अलग-अलग चैनल्स में नौकरी बदलते थे कि आज इसमें कर लूं आज जी में कर लूं आज यह कर लूं आज की डेट में हजारों करोड़ का एंपायर हो गया है बड़ा नाम हो गया है आंदोलन से पहले वो घूमते थे सामान्य एल्टो में हमसे लेने आते थे पैसे देते यार पर्चा छपवा ना है अपना अपना पन्ना आज तो बहुत बड़े हो गए हैं उनका कोई नुकसान थोड़ी हुआ मेरा कोई नुकसान थोड़ी हुआ ज्यादा निजी के अलावा नुकसान हुआ उस बच्चे का जो सिवान से आया था यह सोच के पढ़ रहा था एलएलबी कर रहा था कि यार ये लोग देश बदलने आओ मैं कूदता हूं नुकसान हुआ उस आदमी का इसने नौकरी छोड़ी वह बच्चे अभी भी मिलते हैं वो लड़की अभी भी मिलती है वो महिलाएं अभी भी मिलती है वो अपना जीवन संभाल र है वो नुकसान हुआ उस उम्मीद का कि इस देश में कुछ हो सकता है कुछ किया जा सकता है इसका नुकसान हुआ तो उम्मीद का नुकसान बहुत बड़ी बात होती है व्यक्ति का नुकसान काल के चक्र में कौन याद रखेगा कि कुमार विश्वास के सर्वाधिक निजी मित्र ने जो भाइयों से ज्यादा था उसने पीठ में चुरा घपा कौन याद रखेगा काल के दौर में ये याद रखेंगे यार कुछ लड़के आए थे वो देश को करप्शन पॉलिटिक्स दे रहे थे उनके साथ पूरा देश खड़ा हो गया था लोगों ने नौकरियां छोड़ दी थी ले सब निकम में निकले एक कवि बन गया दोबारा राम माम प बोलने लगा एक जो है मुख्यमंत्री बन गया एक ये बन गया बस ये याद रखेंगे यह नुकसान बड़ा है मुझे इसका दुख होता है अपना कोई दुख नहीं इस पॉडकास्ट को मैंने तीन हिस्सों में बांटा है एक सियासत खत्म करो इसको एक नहीं आ रहा हूं मैं एक राम कथा और एक आगे हम जाएंगे मोटिवेशंस पे लेकिन यह चर्चा खत्म करते करते भी मुझसे कई लोगों ने कहा जो बात अभी आपने कही कि हमने कुमार विश्वास को देखा था कुमार विश्वास की बातें सुनकर हम छोड़कर आ गए थे कुमार जी ने जब सियासत छोड़ा तो एक बार तो उन्हें भी चर्चा कर लेनी चाहिए थी कि कई सारे आपके पीछे भी सिर्फ आपके नाम पर थे नहीं देखिए क्या है ना जनता को भी सोचना पड़ेगा कि वो सियासत किस तरह की चाहती है हम जनता से सियासत का प्रमाणीकरण करने के लिए तो मैं गया था कमेटी मुझे भेजा गया था मैं तो जाना भी नहीं चाहता था मुझे झोंका गया था उसमें यह प्लान था कि अगर मर गया तो कंटक निपटा और जीत गया तो हम लोग जाइंट किलर्स हैं हम शीला को राए थे हैं राहुल को राए थे दोनों में उनकी सफलता थी मैं समझा नहीं में चला गया कि चलो यार भेज रहे चलो तो मुझे तो लोगों ने वोट नहीं दी लोग मुझसे कहते हैं अमेठी क्यों नहीं आए भाई साहब आपने मुझे नहीं दी वोट आपने तो मुझे चौथे नंबर पर रखा बसपा का डमी कैंडिडेट था वो भी थर्ड नंबर पर रहा आपने जिनको वोट दी उनसे राजनीति कराई है ना और मेरे समझाने में और समझने में कोई कमी नहीं थी मैं तो छ महीने वहीं था गांव गांव में था एक एक व्यक्ति से मिल रहा था जब सियासत आप इन बातों पर करोगे कि जाति किसकी है पार्टी किसकी है धर्म किसका है और आशा मुझसे करोगे आशा आपसे करोगे हमारा फ का मैसेज बॉक्स भरा रहता है इस पर बोलिए साहब इस पर बोलिए साहब इस पर बोलिए भाई साहब किस पर बोलिए इसके लिए आपने लोग चुने हैं भाई साहब उनको लूटस में आपने मकान दिए हैं भाई साहब आपने उन्हें वोट दिए है आस्क देम टू बोलिए उनसे बोलिए महुआ से कि बोले बोलिए स्मृति से कि बोले तो ब्लॉक कर दिया उन्होने क सारे लोग कोई बात नहीं प डाल रहे दोनों लोगों को कि खामोशी है हां ठीक है आज उन्होंने फिर भी कुछ लिखा वो मतलब नाम निकल गया लेकिन व्यक्ति मेरा कोई मुद्दा नहीं है मैं कहता हूं उनसे उनसे करवान पकड़ के क्यों नहीं बोलते आप आपको मिलते हो होंगे फ्लाइट में आपको मिलते होंगे चौराहे पर तो आप बोलना शुरू करिए कहना शुरू करिए मैं इस बात के लिए आभार व्यक्त करता हूं कि जनता को अ भी मुझसे आशा दिखती है कि कुमार विश्वास बोलेंगे रेलवे भर्ती पर बोलेंगे इस पर बोलेंगे इस पर बोलो भाई साहब इस पे बोलो भाई साहब बांग्लादेश में हिंदुओं के ऊपर अत्याचार हो रहा है इसके ऊपर बोलो भाई साहब ठीक है भाई साहब अब मैं बोल रहा हूं बोलना भी चाहिए मेरा काम भी है कवि हूं मैं खामोश हो जाऊंगा तो कौन बोलेगा आप पत्रकार है आप चुप हो जाएंगे तो कौन बोलेगा लेकिन इसके लिए आपने लोग रखे हैं ना उनसे आशा लगाइए जब आप टीआरपी देते हैं घटिया पत्रकार को जो वैमनस्य फैलाता है जो झूठी खबरें करता है जो समाज को बांटने के लिए खबरें करता है जो रिश्वत लेता देता देखा जाता है जब आप ऐसे लोगों को टीआरपी देते हैं जब आपको भाषा बदलने वाले पत्रकारों को टीआरपी देते हैं जो अभी इसकी सरकार होती है तो इस इसकी गारे होते हैं इसकी सरकार होती है इसकी गारे होते हैं नेता के हड़का देने पर लाइव शो में घिग आने वाले पत्रकारों को टीआरपी देते हैं तो मैं अच्छा शो क्यों बनाऊंगा आपके लिए मैं क्यों करूंगा मैं तो कुछ और कर लूंगा मैं खेती कर लूंगा केवी कुटीर प मैं हल चला लूंगा प्रसन्न रहूंगा राम जी का नाम लूंगा मैं आपको क्यों करूंगा तो ये एक बात मन में आती है लोगों के इसलिए नुकसान किसी व्यक्ति का नहीं हुआ नुकसान 150 करोड़ लोगों की परिवर्तन की उम्मीद का हुआ है मैं उसी उम्मीद के मरने का मातम करता हूं जब भी मेरे मुंह से कुछ निकलता अब तो कम निकलता है पहले बहुत निकलता था लोग कहते थे क्यों कहते हो तो मैं उनको यही सुनाता था कि बड़ी मुश्किल से जागी थी जमाने की निगाहों में उसी उम्मीद के मरने का मातम कर रहा हूं मैं तो मुझे यह लगता है कि कैसी एनर्जी आई थी कैसी स्फूर्त मैं छोटा सा किस्सा सुनाता हूं अभी मैं आपके आया तो बच्चे बड़े प्रसन्न हुए सब की मैं आया हूं आपके हीरो रस भी आते हैं क्रक्स भी आते हैं बड़े लोग भी आते हैं मैं तो एक सामान्य कवि हूं जब आंदोलन का दूसरा चरण था रामलीला मैदान वाला तो 28 तारीख को समाप्त हो गया तो 30 तारीख को मैं पूरा टन हो गया था जोक धूप में खड़े रते उमस थी ह्यूमिड था आप लोग त कवर करते होंगे शायद तब या नहीं हो करते होंगे तो मैं एक चैनल में गया एक इंटरव्यू के लिए तो बहुत काला चेहरा हो रहा था तो जो गैस कोऑर्डिनेटर थी वो बोली कि भैया आप थोड़ा टच अप करा लो मैंने कहा बेटा ऐसे ही चलते है बोले नहीं भैया थोड़ा ब्लर करेगा आप टचअप करा लो मैंने कहा चलो तो मैं उस मेकअप रूम में गया वहां कुछ एंकर मेकअप करा रही थी तो जो टचअप करने वाली लड़की थी वो देख के रोने लगी मुझे बहुत जोर से मैंने उसको कहा अरे क्या हुआ तो उस लड़की ने मुझसे कहा कि मैं आपको छू लू क्या तो मैंने कहा हां मैंने उसे गले लगाया तो मुझसे बोली कि हमने भगत सिंह सुखदेव राजगुरु को नहीं देखा था आपको देख लिया आप यहां से चले थे और आप एक आप दो कौड़ी के दारू चोर के रूप में आप जेल में पड़े हुए लोग आपको गालियां बक रहे हैं आप बाहर निकल रहे हैं आप एक चोटे पने में गए और बाहर निकल के कप लेक ऐसे दिखा रहे नेलसन मंडला द्वितीय निकल के आए हो कभी आईना देखते होंगे चेहरे में कभी देखते होंगे आपको शर्म लिहाज आती है कि नहीं आती क्या हो जाता कहां मर जाते दो रोटी तो मिल रही थी मिलती नाम तो इज्जत से होता क्या कमा लोगे किसके लिए कमा लोगे यह गुस्सा तब भी था ये गुस्सा अब भी है उनके प्रति ज्यादा है क्योंकि इसमें इवॉल्व थे दूसरों के प्रति भी है उनके प्रति थोड़ा कम रहता है कि चलो बोल देते हैं लेकिन इनके प्रति ज्यादा रहता है कि र ये बहुत गलत किया तो बहुत ही हत्यारा काम है पहला पहला थप्पड़ अपने लड़के प पड़ता है पहला थप्पड़ अपने लड़के में उम्मीद नहीं मारनी चाहिए उम्मीद नहीं मारनी चाहिए इससे क्या हो गया है कि अब लोग हिम्मत नहीं करते हैं बाहर निकलने की कितनी दरिंदगी से उस बच्ची के साथ बंगाल में किया गया उस डॉक्टर के साथ सड़कें जाम नहीं हुई कुछ नहीं हुआ बैठी रही वो लड़की या वो रेसलर न्याय हो रहा था उनका न्यायालय में होता रहता बट उनका जिस तरह से चीर हरण किया गया जिस तरह से उनकी मान हानि की गई जो गंदी बातें लिखी गई अभी जो लिखी जा रही है यह जो समाज में एक थॉट प्रोसेस आया कुछ नहीं हो सकता इसके खिलाफ एक आंदोलन था कि कुछ हो सकता है कर सकते हैं डरा सकते हैं कपिल सिब्बल को डरा सकते हैं अभिषेक मनु सिंघवी को डरा सकते हैं सलमान खुर्शीद को सलमान खुर्शीद ने कहा आके दिखाए फर्रूखाबाद हमने कहा आ रहे हैं फर्रूखाबाद मैं गया और बोलता रहा रात शाम को 600 बजे माइक से अभी भी हूं यहीं क्या करना है बताओ और केंद्रीय नेत ने उनसे कहा कुछ मत करना पत्थर भी ना जाए ना और बवाल हो जाएगा यह जो था कि परसों करेंगे हम एक बड़े नेता के खिलाफ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हवा खराब हो जाती थी 10 कैबिनेट मिनिस्टर्स के पत्रकारों के सहारे ट्रोलिंग आनी शुरू अरे भाई साहब मेरा मेरा तो नहीं है भाई साहब मेरा तो नहीं है ये जो भय था एक सिविल सोसाइटी का ये तो भय था एक तेजस्वी युवा चेतना का उस भय को आपने मूल कर दिया और कहा कि सब चोर है यार सब चोट हैं आगे चलो मैंने दिल्ली मेट्रो के नीचे हम पढ़ते थे कई सारे बुजुर्गों को हाथों में पंपलेट लेकर आप लोग के लिए वॉलेट करते हुए देखा और मुझे बड़ी हैरानी होती थी कि ये ये पैसे वाली भीड़ नहीं ये जो बुजुर्ग बुजुर्ग व्यक्ति हाथ पंपलेट लेके वोट फॉर आम आदमी पार्टी देखिए मैं राजनीति पर चर्चा करना नहीं चाहता था कर भी नहीं रहा हूं आपका पहला पॉडकास्ट मैं चर्चा कर रहा हूं मैं दोनों चुनावों में कैंपेन कमेटी को चलाता था दोनों चुनाव में साधन देखता था इस देश की जनता का विश्वास और भरोसा पाने के लिए पैसे की जरूरत नहीं है एक सरकार प पार्टी एक पार्टी सरकार में थी एक पार्टी केंद्र की सरकार में थी दोनों ने पानी की तरह पैसा बहाया और दोनों ही चुनावों में उनको मात दिया सिर्फ सत्य की आभा के नाम पर रोड शो नाम का शब्द पहली बार इस देश में ढंग से चला रोड शो राय कुमार विश्वास का जनता देख रही है हाथ हिला रही है अपना अंदर झाड़ू पड़ी हुई है बाहर निकाल के औरत झाड़ू लहरा रही है बुढ़िया आदमी औरत झाड़ू इस विश्वास की हत्या अगर आप करेंगे तो कितनी बददुआ आपको लगेंगी आपको पता ही नहीं आप मजे में इसी लुटियंस में लोग बाग प्रासंगिक होकर पड़े हुए हैं आदमी मिलने नहीं जा रहा है कि पता ना चल जाए कि मैं गया था उनके यहां और आप तो कहीं नहीं है खलीफा आप तो अभी यही है हम भी यही है ये दुख है चलिए आगे बढ़ने से पहले एक आखरी चीज कहते हैं कवि का जो हृदय होता है बड़ा मोहब्बत वाला होता है राहुल जी भी कहते हैं मोहब्बत की दुकान और कभी तो वैसे भी आप प्रेम के कवि है कभी आता नहीं दिल में कि चलो माफ कर देते हैं क्योंकि आपकी बात सुनकर मुझे अभी भी हृदय में पीड़ा आती है और मैं हर बार आपको सुनता हूं आपके हर इंटरव्यूज को सुनता हूं मैं और मुझे लगता है क्या कुमार विश्वास के दिल से वो जो एक गुस्सा नाराजगी कठोर पन आया वो चला गया फिर मुझे अभी भी एहसास हो रहा है कि नहीं अभी भी शिकायत है तो ये आपको लगता है नहीं कि इतना कुछ हो गया काफी कुछ उन्होंने जेला जो उम्मीद से आए थे अब वो सब चली गई क्या होता है रिमाइंडर आते रहते हैं एक बच्ची आईएस बनने के लिए आई और आपने ऐसी बिजली व्यवस्था की है कि वो लटकी रह गई वो छवि आती है तो मेरी बेटियां है दो ना मेरे भाइयों की बेटियां है जो मुझे बहुत मैंका फेवरेट चाचा हूं मैं फेवरेट मामा हूं क्योंकि थोड़ा यूथ फुल मामला है तो मैं उनकी छवियां देखने लगता हूं फिर मैं कैसे माफ करूं नीचे पानी भर गया वो जो बच्चे गए होंगे उन्होंने क्या बददुआ एं दी होंगी तो रिमाइंडर आते रहते हैं ऐसा नहीं देश भर में और जगह नहीं पानी भर रहा है ऐसा नहीं देश भर में और जगह नहीं हो रहा है आप ये कह साहब आप राजस्थान प क्यों नहीं बोलते आप इस पर क्यों नहीं बोलते जनरली लोग बोलते हैं उन पर भी बोलने का मन करता है लेकिन वही वाली बात कि ये तो अपने हाथ से किया तो हो सकता था ये तो दिख था भाई वर्ल्ड कप फाइनल में हारने के बाद हम कितने दुखी थे अभी भी जीत गए फिर भी वो वाला है ओई वाला रह गया ओई वाला जीतना चाहि क्योंकि क्या था ना वो जीत सकते थे हम यहां तक आए थे 10 मैच लगातार जीते हुए हमने हर ऑस्ट्रेलिया के अहंकार को तोड़ा था हमने हर साउथ अफ्रीका को आईना दिखाया था हमने हर पाकिस्तान को धूल चटाई थी हम निकले थे घर से गाड़ी में बैठक तो पूरा देश कांपता था कि अब यह बोलेंगे किसी के बारे में अब ये बोल देंगे इसका इसका पेपर खोल देंगे ये किससे नहीं डरते भाई ये तो सीधे बोलते हैं माइक से मोन मोन ये तो ऐसी भाषा बोलते हैं अब वो हो गई कि साहब अब बहुत बड़े वकील हैं वो सब लोग जिनकी जिनके सामने लोकपाल की ड्राफ्टिंग कमेटी में हम उनकी बदतमीज देखते थे केंद्रीय मंत्री अहंकार में हमसे कहता था अरे छोड़ो यार कुछ शायरी वारी सुनाओ बन जाएगा लोकपाल ऐसे बोलता था वो आपका वकील है और आप उनके भगवान है मेरे हां जाएंगे आप भाई ईश्वर कभी रात को तुम्हें आता है दिखाई देता है नहीं दिखाई देता है यार तो यह एक गुस्सा आप इसे मानिए यह मलाल है गुस्सा नहीं है गुस्सा तो निबट गया गुस्सा किस बात का है और मैं कौन न्याय करने वाला हूं भगवान न्याय करेगा हो सकता मैं ही गलत हूं वो सही हो बेचारे वो तो यही कहता था ना कि भाई राजनीति शुरू हो गई है आंदोलन खत्म हो गया यह आदमी आंदोलन से नहीं निकल रहा उनका कहना ये था यार ये आदमी आंदोलन से नहीं निकलता ये राजनीति में आना नहीं चाहता हम हम खींच के इसको राजनीति में ला रहे हैं सो हो सकता है वो सही तो पॉलिटिक्स का पूर्ण विराम हो गया सर अभी नहीं मैं झूठ नहीं बोल सकता कि बच्चों की कसम खाऊ फिर कभी नहीं जाऊंगा झूठ क्या बोलना मतलब समय कब क्या आपके सामने मौका दिखाया भगवान ना करे देश ऐसी स्थिति में आ जाए कि मुझे झंडा लेकर बाहर निकलना पड़े भगवान ना करे कुछ हो जाए मैं कोई बहुत उम्मीद में नहीं हूं मैं किसी से मिलता नहीं हूं मेरा कोई ऑफर नहीं है मैंने किसी से कहा नहीं है मैंने किसी से मांगा नहीं है तो ये कैसे अखबार वाले छाप देते कि मेरट साब चुनाव लड़ने वाले थे चर्चाएं चलती है वि रूप से दलों में चलती है समाजवादी में भी चलती है कांग्रेस में भी चलती है भाजपा में इसलिए चलती है क्योंकि सेंटर टू राइट आदमी हूं राष्ट्रवादी हूं सनातन धर्म पर बोलता हूं हिंदुत्व पर बोलता हूं तो इसलिए उनको लगता है ज्यादा है और परिवार में भी क्योंकि उसका संस्कार है पिताजी का तो इसलिए ज्यादा चलती है और यह अच्छी बात है अगर कोई भी दलय सोचता है कि यह व्यक्ति हमारे काम आ सकता है हमारी बात को ज्यादा ठीक से प्रतिध्वनि कर सकता है तो ये उस दल का अधिकार है और अगर वो दल आपसे संपर्क करता है उसके कुछ लोग आपसे ऑफर करते हैं तो उन बातों को कभी भी किसी पॉडकास्ट में तो मैं बोलूंगा नहीं ये तो सार्वजनिक जीवन की मर्यादा के विपरीत है उनके प्रति बहुत आभार कि वो ऐसी बातें सोचते हैं और व बातें चाहते हैं लेकिन अभी कोई कंक्रीट बात है नहीं मैं धर्म का अगला सवाल मेरा है लेकिन सराइज करने से पहले एक कवीर अंदाज में किसी ने मुझसे कहा था कुमार जी से पूछेगा कि उनको मन नहीं करता कि संसद के कैंटीन में वो भी रायता पिए नहीं संसद की कैंटीन में रायता पिना नहीं संसद में बोलने का मन तो करता है इसमें क्या खराब बात है किसी ने मुझे कहा कि वो उन्होंने मुझसे ऐसा कहा था कि यार पार्लियामेंट तो जगह निश्चित रूप से पार्लियामेंट एक बड़ा तेजस्वी जगह स्पंदित जगह है 150 करोड़ लोगों की लोक चेतना का प्राण तत्व वहां से बोलना और अगर मैं पार्लियामेंट नहीं गया नहीं जा पाया तो इसमें मेरा कोई अपराध नहीं है इसमें इस व्यवस्था का अपराध है भाई साहब क्योंकि जैसे वहां बैठे हैं और जैसे वहां हूहू कर रहे हैं और हां हां कर रहे हैं उनमें अगर एक में जाता तो कुछ तो ठीक करता कुछ तो बोलता नहीं बोल पा रहा हूं या जब भी बोलूंगा अच्छा ही बोलूंगा मुझे पता है कि मैं जिस दिन जाऊंगा कभी भी जाना हुआ या नहीं भी जाना हुआ या इस जनता के पार्लियामेंट में भी जो बोल रहा हूं वह भी मैं प्राण से बोल रहा हूं मन से बोल रहा हूं यह तो बिल्कुल सही सवाल है जिनका भी सवाल है जैसे मेरा मन करता है कि मैं किसी दिन जो इंग्लैंड की रानी है उसके महल में अपने अपने राम सुनाओ क्या बात है मैंने ओपरा में जब अपने अपने राम किया बंबई में तो मैं बड़ा खुश हुआ मैंने माइक से चार बार ये बात कही कि यह अंग्रेजों ने अभिजात्य बनाया था कि यहां कोई देसी नहीं घुसेगा यह छोटा सा बहल बनाया था अपने ओपरा करने के लिए और मैं आराम का नाम ले रहा हूं और इतने सारे आप लोग बैठे हैं तो मैं बड़ा प्रसन्न हुआ मेरा बड़ा मन है कि मैं राम मंदिर परिसर में बैठ के एक दिन भगवान को सुनाऊ मेरा बड़ा मन था कि मैं हरकी पैड़ी पर सुनाऊं मैं गया हरकी पैड़ी तीन दिन सुनाया क्या अद्भुत माता गंगा ने सुना उसी के अगले दिन मैं स्नान करके आया था आपका टेंट लगा हुआ था क्या अद्भुत आनंद आया अंदर से क्या उतरा मेरा बड़ा मन था कि मैं त्रिवेणी घाट प जाऊं मैं त्रिवेणी घाट गया बोल के आया ऐसे मेरा बड़ा मन है कि मैं माता सीता के द्वार पर सुना के आऊं वहां जाके जनकपुर जाके मां की कहानी मां के एंगल से सुनाऊं मेरा बड़ा मन है इसमें क्या खराब बात है तो मेरा बड़ा मन था और बड़ा मन है या मुझे ठीक लगेगा इसमें क्या खराब बात है इसमें मुझे इसमें भी क्रांति नजर आती है मैंने आपको जब पढ़ना शुरू किया मैंने आद आदिगुरु शंकराचार्य जी को पढ मुझे बड़ा लगाव उनसे और मुझे लगता है कि अगर आज हमारा धर्म बचा हुआ है तो उसमें उनकी बहुत बड़ी भूमिका है नहीं बहुत बड़ी नहीं महती भूमिका है हां उनकी भूमिका है क्योंकि जिस तरह से उन्होंने शुरुआत की और जिस तरह से उस वक्त हिंदू धर्म से लोग भटक रहे थे लॉजिक दिया उन्होंने और वही बातें अब आपने शुरू की तो मुझे वो जो क्रांति की मशाल थी वो सियासत में नहीं है लेकिन धर्म में दिखाई पड़ती है मुझे दिखाई पड़ता है कुमार विश्वास ने अब कहना शुरू किया कि धर्म को अ मत मानो यह रहा लॉजिक लॉजिक लेकर चलोगे तो आगे बढ़ेगा तो यह अपने अपने राम या अपने अपने श्याम या माता सीता के हिसाब से ये क्रांति यहां की शुरुआत आपके मन में कहां से आ गया देखिए पहली बात लिए पहली बात तो आद्य शंकराचार्य जी से किसी की भी तुलना अधर्म है अद्य शंकराचार्य जी ने इतनी कम आयु में इस धर्म को जिस गहरे तरीके से गाड़ दिया है उसे बड़ी बड़ी विधर्मी की आंधियां तोड़ नहीं पाई यह उन्हीं का तपोबल था कि शक होण कुषण यवन चंगेज पठान तुर्क तातार मंगोल डच फ्रांसीसी पुर्तगाली जो आया आके भाई तू चला जा लेकिन हम यहीं खड़े जहां हम थे हम यहीं पर अपना स्वस्ती वाचन करते हुए तुझे मिलेंगे ये अद्य शंकराचार्य की विजय पताका की ध्वनि है उनके उर्जित पुरुषार्थी हाथों का प्रताप है जो उन्होंने इस भारत में वो दिया है और दूसरे जहां तक मैंने इसकी व्याख्या की इसके वैज्ञानिक व्याख्या तो ऐसा नहीं है कि मैंने कोई नई व्याख्या की यह धर्म ही वैज्ञानिक है इसकी परिपालना ही वैज्ञानिक है इसका जो प्रतिफल है जैसे रिच कहते हैं रिचुअल तक वैज्ञानिक है कि भाई सफाई जो है वह दिवाली पर ही क्यों होगी राम के आने पर ही क्यों पूरे घर में पुताई होगी क्यों लीपा जाएगा क्योंकि उससे पहले गर्मी और बरसात जा चुकी होती है और गर्मी बरसात ह्यूमिडिटी के कारण जितना बैक्टीरिया है जितना कीड़ा है जितना गंदगी है वह सब घर के कोनों में जमा हो चुका होता है उस सबको भगाने के लिए चूने की लिपाई जरूरी है उस वातावरण को शुद्ध करने के लिए यह दीपक जलाने घी के जरूरी है तो बड़ा ही वैज्ञानिक बसोड़ा क्या है अभी फ्रस तो था नहीं इसके बाद गर्मी प्रारंभ हो जाएगी और खाना सड़ना शुरू हो जाएगा तो ये आखिरी दिन है जो रात का बनाया हुआ खाना सुबह खा लीजिए शीतला माता की पूजा हो गई अब आगे नहीं खाना है तो मैं एक ऐसे धर्म में पैदा हुआ मैं दूसरे धर्मों का भी आदर करता हूं उनका भी मैंने अध्ययन किया है उनकी धर्म पुस्तकों को अध्ययन किया है विधान पूर्वक जैसे करना चाहिए उनके गुरुओं से चाहे मौलवी हो चाहे वो कोई पादरी उनसे उनका अर्थ जाना है उनसे हां उसके बहुत सारे वैज्ञानिक पक्षों तक ना तो हम अभी पहुंचे ना हमारी पहुंचने की इच्छा है तो मेरे बाद की जो जनरेशन है मेरी बेटियों की जो जनरेशन है और उसके बाद की जो जनरेशन आएगी उसकी हम में अरुचि ना हो जाए वह हमें एक अंधे कर्म कांडों वाला धर्म ना समझ ले इसके लिए मैंने झाड़ पूछ के अपनी ही पुस्तकों के कुछ अंश उने सुना दिए हैं दुर्य से बाकी लोग वो नहीं सुना रहे थे तो इसलिए उसकी लोकप्रियता और जन स्वीकार्यता बढ़ गई है और अभी भी उतनी ब तनी मैं चाहता हूं मैं चाहता हूं प्रत्येक नए बच्चे को प्रत्येक बालक को यह पता हो सनातनी को भी और गैर सनातनी को भी कि इस धर्म की वैज्ञानिक व्याख्या क्या है और इसलिए आज बहुत सारे सवाल इससे जुड़े हमारे पास है लेकिन शुरुआत में फिर शंकराचार्य जी से ही करूंगा शंकराचार्य जी ने मंडन मिश्रा को हराया था शास्त्रार्थ में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार बड़ा तेज हो रहा था हिंदू धर्म से लोगों का लगाव छूट रहा था मैं एक बार पुंडरीक जी से मिला उन्होंने हिंदू धर्म की पूरी व्याख्या की थी वो भी अद्भुत है हा बड़ी अदभुत हालांकि वो ऑफ कैमरा रही मुझे बड़ा अफसोस रहा दोबारा जब मिलूंगा तो ऑन कैमरा उनसे व्याख्या फिर से करवाऊंगी मैं वे भी उसी वैज्ञानिक निकष के विद्यार्थी हैं उनकी परंपरा तो बड़ी है ही लेकिन उनके अंदर जो पाश्चात्य ज्ञान है वो भी है निकष भी है और समर्पण भी है इसलिए उनके पास भाषा भी है और सुदर्शन तो है ही वे मेरे तो अत्यंत प्रिय मित्र हैं अनुज वत है मुझे बहुत मान देते हैं और मैं उन्हें बड़ा दुलार और बड़ा मान देता हूं मेरा उनसे बहुत अच्छा संबंध है और हम भी उनसे काफी कुछ सीख रहे हैं तो मैं शुरुआत वहीं से करता हूं अगर आदि गुरु शंकराचार्य जी नहीं होते या उस दौर में जो उन्होंने किया वो नहीं किया होता तो आज हिंदू धर्म का रूप क्या होता और जरा उनके बारे में समझाइए क्योंकि अब शंकराचार्य जी हम टाइप करते हैं ग प तो आता है मोदी जी के ऊपर बयान दे दिया अयोध्या में गए नहीं गए बड़ी पॉलिटिकल खबरें आती हैं धार्मिक खबरें या धर्म से जुड़ी जो आपको जानकारियां मिलनी चाहिए जो हम उम्मीद करते हैं वो नहीं सुनाई पड़ती है इसलिए मेरे मन में कई बार तकलीफ भी होती है उस नाम को लेकर क्योंकि उस नाम ने बहुत कुछ हमें दिया जिसका हमें आज थैंक यू करना चाहिए तो जरा बताइए आज हमारे दर्श इस मामले में आप और मैं एक ही नाव में है कि मैं उस ना के प्रति कुछ नहीं सहता जैसे अभी राम मंदिर का जब विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा हुई तो हमको भी बुलाया गया ऐसे समय में एक शंकराचार्य जी ने कोई बयान दिया तो मेरे से किसी ने कहा कि परम पूज्य शंकराचार्य जी ने यह कहा है किसी एक मठ के शंकराचार्य जी ने कहा आप इस पर टिप्पणी करिए मैंने कहा भाई मैं जिस परंपरा से आता हूं उसमें तो अपने पिता के सामने भी नहीं बोला जाता यह तो पितामह है हमारी सनातन धर्म की पीठ का के मैं तो उनके किसी बात पर अच्छी हो बुरी हो उन्होंने सही कहा तो मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा देखिए आद्य शंकराचार्य दक्षिण से चले और उन्हें पता था कि यह विशाल भारतीय समूह य हिंदू समाज सनातनी समाज यह भौगोलिक बाधाओं के कारण भी एक दूसरे से प्रथक होगा अपनी अपनी मान्यताओं के कारण भी प्रथक होगा तो जो मैं वैज्ञानिक बात कह रहा हूं उन्होंने इतनी वैज्ञानिक रीति नीति अपनाई कि आप देखिए कि केदारनाथ और बद्रीनाथ के जो पुजारी हैं वह दक्षिण के हैं और जो वहां पूजन होता है दक्षिण में वह गंगोत्री के जल से होता है उन्होंने इनको चारों को ऐसे बांधा किय चारों एक दूसरे के बिना जी ना पाए अन्यथा भगवान बुद्ध के जाने के बाद हीनयान महायान हो गए यहां भी हो जाते सनातन धर्म के टुकड़े टुकड़े एक सनातन इनका एक सनातन इनका एक सनातन इनका लेकिन आज जो सनातन धर्म एक है राम कृष्ण शिव सरस्वती लक्ष्मी जिनके जिनके देवत्व की परंपरा में है उसके पीछे हिंदुओं का कोई रिचुअल सनातन का कोई रिचुअल अद्य शंकरा के कथन के बिरा पूरा नहीं होता आप विष्णु जी की आरती करनी हो तो विष्णु सतनाम पढ़िए दुर्गा शती पढ़िए है गंगा जी के जाइए तो फिर गंगा कोई अब दक्षिण का व्यक्ति माता को ऐसे देखेगा मैं यहीं पैदा हुआ गंगा जमुना के दवाब में गंग नहर में तैरा मेरे गांव में जो गंग नहर पास में जाती है हमारे खेत लगे हुए हैं वहां हमने घंटों बैठकर गंगा की धारा को निहारा और हरिद्वार जो है वह सबसे नियरेस्ट एक सोलेस की जगह हमारे लिए रही कि गाड़ी उठाई मारुती अटेंडेड हरिद्वार चले गए पत्नी को लेकर अकेले जब थे मैंने भी इस तरह नहीं भगवान शंकराचार्य कहते हैं कि खंडित गिरवर मंडित भे दुनिया में कभी भी खंडित प्रतिमा की पूजा नहीं होती भगवान भी अपनी खंडित प्रतिमा किसी को देते तो बड़े से बड़ा पुजारी गंगा में त करता है मेरे को नहीं चाहिए माता तू अकेली है कि गिरिवर से पर्वत से गिरे हुए खंडित टुकड़े को अपने जल के दुलार से आंचल से धो पच के जब तू गोल बनाकर किसी को दे देती है तो भगवान बन जाता है कैसी अद्भुत व्याख्या देखिए आप खंडित गिरिवर मंडित भंग उसको भी तो मंडित कर देती है उसको मंडाना दे देती है यह गंगा के प्रति तभी आएगा जब किसी के अंदर हृदय में गंगा चलती हो गंगा को आदर देता हो तो आद्य शंकराचार्य कृतज्ञ देश है जी जो देश सुभाष को भूल गया जो देश गांधी को गाली दे सकता हो जो देश सावरकर को गाली दे सकता हो तो कृतज्ञ है तो उसमें उस कृतज्ञता की चपेट में भगवान शंकराचार्य भी हैं क् उनका तो बहुत आभार शिवराज सिंह चौहान जी का कि जब वो मुख्यमंत्री थे उन्होंने ओंकारेश्वर में विशेष रूप से वहां एक व्यवस्था बनाई विद्यालय बनाया भगवान शंकराचार्य की व्याख्या हों के लिए और एक बहुत बड़ी मूर्ति वहां स्थापित की मैं तो अभी जा नहीं पाया तब से ओंकारेश्वर निश्चित रूप से जाऊंगा अन्यथा तो आम किसी भारतीय बालक से पूछिए सनातनी से क्या आद्य शंकराचार्य तो वो शंकराचार्य वही समझेगा जो इन दिनों शंकराचार्य हैं वे भी उन्हीं की परंपरा में है लेकिन उनका जो था और इतनी कम आयु में जाके केदार साल की उम 32 वर्ष की आयु में पृथ्वी पर कोई ज्ञान ही नहीं बचा था और ऐसी पताका फेराई जो सामने आया उसको अपने शास्त्रार्थ से पराजित किया उसे सम्मोहित किया उसको साथ लिया और एक व्यक्ति इतना चमत्कार कर सकता है मुझे तो लगता है देवीय प्रतिभा बिना ईश्वरी कृपा के बिना ईश्वरीय अंश के संभव नहीं है हमें आपको आज केदारनाथ जानव हालत खराब आती है अगर चार्टर ना यूज करें तो चार्टर ना यूज करो तो हवा खराब हो जाती है और आप देखिए वहां थोड़ी देर बाद लगता है चलो अब कैसे होगा वहां वहां तक जाके स्थापना करा देना और वहां विश्राम करना वहां जाकर अंतिम विश्राम वही हुआ उनका तो अद्भुत ही है अब आप श्रीनगर चले जाइए वहां ऊपर शिव मंदिर शंकराचार्य जिस चोटी को कहते हैं वो तो उनका तो काम अद्भुत है इतनी कम आयु में उन्होंने और उनका ये जो जीवन की उन्होंने कहा सन्यास लेना है मां ने मना कर दिया और जब उनका पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया तो वो हंसने लगे ये तो वैसे भी जीवन बेकार है मगरमच्छ खा रहा है इसके काम तो आएगा अन्यथा मुझे संन्यास की अनुमति दे मां ने कहा अच्छा छुड़ा तो ले जबड़ा फड़ा छुड़ाया और फिर मां ने फिर बाद में मना कर दिया तो ने तो मुझे कहा था तो मां ने कहा अच्छा चला जा लेकिन जब मैं जाने लगूं तो तू आ जाना तो मध्य भारत में थे जब उन्हें आभास हुआ कि मां जाने वाली है वापस लौटे और सन्यासी अंदर नहीं जा सकता अपने घर के सन्यासी का घर नहीं होता सन्यासी तो अपना पिंड दान करके निकलता है कहता है अब कोई है नहीं पृथ्वी पर पूर्व जन्म कहते हैं उसे सन्यासी बात करते हैं ना आपके पूर्व जन्म का क्या नाम है पूर्व जन्म कहां था आपका तो द्वार पर ही बैठे रहे हो और वहीं माता आ गई उनकी और वहीं उन्होंने प्राण छोड़े और उन्होंने द्वार के जो खिड़कियां पल्ले थे उनको रख के माता का संस्कार किया इसलिए आज भी उनके गांव में जो संस्कार है वो दरवाज से उतार के किया जाता है अगर किसी के द्वार पर नया दरवाजा लगा हुआ हो तो आप समझ लीजिए इनके यहां कोई अमंगल हुआ है तो आद्य शंकराचार्य तो वो विभूति है जिस पर और काम होना चाहिए मेरा बड़ा मन है कि उन पर एक मतलब बड़ा सीरियल बनाया जाए ओटीटी प्लेटफार्म के लिए लिखा जाए दिखाया जाए कि किस-किस समस्या से वह जूझ और कैसे-कैसे उन्होंने अपने शिष्य पैदा किए उनका एक शिष्य है सनातन जो शंकराचार्य पहले शंकराचार्य चार्य बने उनमें से एक पद्मनाभ आचार्य पद्मनाभ जिनका नाम था वो इतने सिद्ध पुरुष थे कि वो नदी के पार गए हुए थे और उन्हें वहां से ऐसा लगा चढ़ती हुई भागीरथी में कि गुरुदेव ने मुझे पुकारा है आद शंकराचार्य जी इधर थे और मैं गया हूं हर्शल क्या वेग के साथ चलती है भागीरथ और उने लगा कि गुरुदेव ने मुझे पुकारा है और गुरुदेव ने पुकारा है तो मैं भागू तो वो भागे पुल तक पहुंच देर लगेगी तो वो गंगा के लहरों पर भागे और गंगा की लहरों पर जहां-जहां उनका पैर पड़ा वहां एक कमल का फूल बन गया और उस पर चलते हुए वापस आ गए तो इसलिए उनका नाम पद्मनाभ पड़ा पैर जिसके कमल समा सनातन उनका नाम था मैं ऐसा समझता हूं कि जैसे पत्थर को जब हम फेंकते हैं तो पत्थर में तो बाहर होता है अगर हम सीधा फेंकते तो बैठ जाएगा लेकिन जब उसे यूं तेजी के साथ लते तो वो लहरों के टकराता टकराता आगे जाता है मुझे लगता है क्षिप्र इतनी रही होगी आवेग इतना ज्यादा रहा होगा कि गुरु को समस्या है गुरु पुकार रहे हैं कि इसीलिए गंगा के ऊपर से कूद के चले गए होंगे तो छोटे-छोटे भी जो उनके किस्से हैं जीवन के इनको एक साथ इकट्ठा करके कुछ बनाया जाना चाहिए बहुत कम जानकारी मुझे लगता है काफी लोग सुनना चाहेंगे शंकराचार्य जी के बारे में उतनी अच्छी जानकारिया अभी भी सोशल मीडिया पर नहीं है ईश्वर सुयोग बना है मैं कभी बनाऊंगा एक सवाल मेरे मन में सर और आता है कि जब मैं इस्लाम धर्म को देखता हूं क्रिश्चन को देखता हूं एक आवाज आती है सही गलत कैसे है क्या है एक आवाज आती है और उसका पालन सारे अनुयाई करते हैं कितना सही कितना गलत वो धर्म के अनुयाई जाने धर्म सबकी अपनी आस हिंदू धर्म में समस्या जो मुझे लगती है वो यह है कि जितने मुह उतनी बातें हर आदमी का अपना लॉजिक मैं अयोध्या जा रहा था मैं भद्राचार्य जी से मिला उन्होंने कहा प्राण प्रतिष्ठा सही है किसी ने कहा गलत है आधिक कंफ्यूजन यही आती है आपको लगता है कि यह भी एक समस्या है कि धर्म से लोगों का छटका जुड़ाव जो है वो होता रहता है खास तौर पर नई पीढ़ी बड़ी कंफ्यूज है कि किसको सुने एक बाबा यह कहते हैं दूसरे वाले बिल्कुल अलग कह देते हैं यह समस्या नहीं है यह तो अमृत तत्व है इस धर्म का मुंडे मुंडे जायते मतर भिन्ना प्रत्येक मुंडी में अलग अलग कूपे कूपे नवम जलम हर कुए में नया जल है यह जो वैविध्य को समेट लेने की कला है सनातन धर्म की इसी के कारण ये धर्म जीत गया इसी के कारण ये धर्म बच गया आप किसी सब धर्मों का आदर है सब सब में बड़ी सुंदर सुंदर बातें है सब में बहुत अच्छा अच्छा क्रिश्चियनिटी में कुछ बहुत खूबसूरत है इस्लाम में भी कुछ बेहद प्यारी बातें है बौद्ध धर्म तो है ही क्या अद्भुत और हम जिस धर्म में है भा हम चकि उसकी वैज्ञानिक व्याख्या जुड़े हुए तो हम तो उस पर सम्मोहित है हम तो चाहते हैं हजार जन पैदा हो तो भी सनातनी ही पैदा हो य मैं मान के चलता हूं लेकिन इसमें जो वैविध्य है जैसे पूरा धर्म कहता है त्याग करो व्यक्ति से समष्टि की तरफ जाओ अयम निज परवे गणन रघु चेत साम य मेरा है य य सबसे पहले इस देश ने कहा कब कहा इस देश ने अभी भी मैं जब कभी यज्ञ पर बैठता हूं रुद्राभिषेक पर बैठता हूं सामण के पहले सोमवार बाबा विश्वनाथ के चरणों में था मैं बैठता हूं तो पुष्पम समर्पयामि दीपम समर्पयामि समर्पयामि नैवेद्यम निवेद याम देखो आप संस्कार विधि आद्य शंकराचार्य पुष्प तुम्हारा है प्रभु मैं इसे क्या कर सकता हूं तुम्हें दे रहा हूं त् वस्तु गोविंदम तुव समप मैंने थोड़ी बनाया फूल आपने बनाया चुन के लाया आपको दे रहा हं धूप आपकी है प्रभु यह गंध आपकी है प्रभु नैवेद्य मैंने कोशिश की है आपकी चीनी आपका दूध आपकी चीजें लेकर मिलाकर मैंने कुछ बनाया तो दिस इ सर आईम जस्ट गिवि नैवेद्यम निवेद्या निवेदन कर रहा हूं मैं आपसे पूरा धर्म त्याग पर है एक ऋषि ने कहा कि त्याग वग में कुछ नहीं रखा मौज लो उधार लो और घी पियो और अगर उधार का घी पचा लिया तो फिर किसकी मां ने दूध पिलाया जो वापस ले जाए उसको भी लोगों ने कहा गर्दन मत उतारो मारो मत इसको वो भी महर्षि है महर्षि चारवा जिसके वंशज पंजाब नेशनल बैंक लूट के चले गए लंदन उन्हीं के तो अन्याय होंगे वो यावत जीवेत सुखम जीवेत रणम कवा गतम पवे जब तक जियो आनंद से जियो उदाल लो और गी पियो यही शरीर सत्य है बाकी कुछ सत्य नहीं है उसका भी सर तन से जुदा नहीं किया गया कहा गया कि ठीक है यह जो स्वीकार है कि असहमति को आपने जिनका नाम लिया आद्य शंकराचार्य जी का और आपने जिक्र भी किया कि माहेश्वर में नदी के तट पर माता नर्मदा के तट पर जब उन्होंने शास्त्रार्थ किया मंडन मिन मिश्र जी से और जब उस गांव में पहुंचे आचार्य तो उन्होंने पानी भरती हुई महिलाओं से पूछा कि मंडन मिश्र का घर कहां है तो महिलाओं ने संस्कृत में उत्तर दिया कि जिसके दरवाजे पर तोता और मैना जगत और ब्रह्म के सत्य और मिथ्या होने पर शास्त्रार्थ करते मिले वो मंडन मिश्र का घर है इतने बड़े विद्वान थे मंडन मिश्र उनकी पत्नी देवी भारती भारत की अद्वितीय विदुष में थी जो उनकी जूरी की हेड बनी इन दोनों के बीच शास्त्रार्थ जब हुआ उन्होंने ही जूरी का काम किया ये जो हमें सिखाने आए हैं ज्ञान गंभीर के भारत में स्त्री की स्थिति फला ती ढिमरा द इन मूर्खों को बताओ कि 18वीं शताब्दी में इटली में लिंडा पोट नाम की एक लड़की ने वकालत शुरू कर दी थी जिन्ने जलाकर मार दिया था इन्होने वकील बनने पर हमारी माता तो 1800 साल पहले जज बन गई थी भाई भारती य जो हमें सिखाते हैं ज्ञान भार वाले तो जब वहां उन्होंने शास्त्रार्थ मंडन मिश्र से प्रारंभ किया मंडन मिश्र पराजित हुए और विनत हुए उनके शिष्य बन गए सुधाकर उनका नाम रखा गया तो जब वह जाने लगे तो शिष्य ने पूछा नए शिष्य ने गुरु से पूछा आयु प्राप्त शिष्य ने युवा गुरु से पूछा पहली बात तो देखिए यह कोई समझ सम नहीं है कि गुरु युवा है 24 साल का है और मैं इतने साल का हूं पूछा कि गुरु जी आप तो जा रहे हो मेरे लिए क्या आज्ञा है तो उन्होंने कहा कि प्रिय शिष्य तुम मेरे मेरे ऊपर वार्तिक लिखो अब आपके लिए नया शब्द होगा वार्तिक महर्ष पानी अष्टाध्यायी नहीं मेरी गति नहीं है ज्यादा संस्कृत में इसका दुख है मुझे क्योंकि मैं केमिस्ट्री फिजिक्स मैथमेटिक्स पढ़ने में रह गया शुरुआती दौर में वार्तिक का अर्थ है उक्त जो मैंने कहा है इसकी व्याख्या करो यह तो कोई खराब बात नहीं है हर कवि चाहता है कि उसका चेला उसके ऊपर पीएचडी कर ले उतम अनुक्त जो मुझसे छूट गया जो मैंने नहीं कहा इसकी व्याख्या करोगे गुरु जी ने यह तो कहा ही नहीं यहीं तक बात कही इससे आगे तो कही नहीं इसके लिए कलेजा चाहिए और तीसरी बात तो केवल भारत का ऋषि कर सकता है केवल मेरा शंकर कर सकता है उत्तम अनुत्तम दुक्त जो मैंने गलत कह दिया इसकी व्याख्या कर बेटा गुरुजी आपने गलत कह दिया कौन करा लेगा है किसी में इतनी इंटेलेक्चुअल एक्सेप्टेबिलिटी यह जो इंटेलेक्चुअल एक्सेप्टेबिलिटी है क्रॉस की कि तुम भी कहो तुम भी कहो तुम भी सही कह रहे हो हां तुमसे बात हो सकती है यही इस धर्म की उत्तरजीविता है तो मेरे जो छोटे भाई बहन जो बच्चे इस कार्यक्रम को देख रहे हैं और वो सोच रहे हो कि परम पूज्य शंकराचार्य आदरणीय श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी ने एक बात कही परम पूज्य जगतगुरु तुलसी पीठाधीश्वर राम बचार जी ने एक बात की दोनों महाराज जी के प्रति सादर चरण स्पर्श करते हुए मैं तो दोनों का परम प्रिय हूं दोनों के श्री चरणों में माथा रखने का सौभाग्य मैं पाता हूं और य मैं जब भी मिलता है इस अवसर का लाभ उठाता हूं अगर अलग-अलग बात कह रहे हैं ना तो तुम अपनी बुद्धि के साथ तटस्थ बुद्धि के साथ आदर भाव के साथ इसकी व्याख्या करो समकालीन परिस्थिति में इसका जांच परक करो अध्ययन करो यह कैसे कि हम इन गुरु जी के चन तो इन गुरु जी के खिलाफ बोलेंगे ये संभव नहीं है तो यह जो इंटेलेक्चुअल एक्सेप्टेंस है अलग-अलग बातों का यही इस धर्म की संजीवनी शक्ति है बशीर बद्र साहब का एक शेर है मगरूर आंधी दरख्तों को पटक जाएगी ये जो पूरी दुनिया में जो पटका जा रहा है दरख्त जहां जा रहा है वहीं भस फैला रहा है व मगरूर आंधी का दरख्त है मगरूर आंधी दरख्तों को पटक जाएगी वही शाख बचेगी जो लचक जाएगी तो जिस विचार में फ्लेक्सिबल ना हो धर्म कोई झील नहीं है धर्म कोई जोहड़ नहीं है सड़े हुए पानी का धर्म कोई समंदर भी नहीं है कि कभी-कभी लहर आती है चांद के हिसाब से आती है धर्म तो आध्यात्म के शिखर से निकलती हुई गंगोत्री की धारा है धर्म तो झरना है जो अलग-अलग गांव जंगल होता हुआ अंत में चेतना के महासागर में जाता है तो जो इसे झील बनाने पर तुले हैं वह बेसिकली आध्यात्म के विरोधी है अब फिर मेरे मन में एक सवाल आता है कुमार जी ने कहा कि सबको सुनो फिर तय करो लेकिन कुमार जी ने एक बड़ा बोल्ड स्टेटमेंट भी दिया कि सीता जी के निर्वासन को लेकर वाल्मीकि जी पर वाल्मीकि जी की बातें जो कही जाती है व गलत है वो उन्होंने नहीं लिखी थी उत्तरकांड में जो कहा गया वह बाद में जोड़ा गया उसे पढ़ो तुम्हें डिफरेंस समझ में आएगा कई लोग कहते हैं क्योंकि मैंने मुझे कंठस्थ नहीं है मैंने कईयों से पूछा इस विषय में उन्होंने कहा कि नहीं बालकांड में भी जिक्र कर दिया गया तो उत्तरकांड का कहां से कुमार विश्वास जी कह दे रहे हैं ये तो एक नई थ्योरी दे दी गई जो रामायण हमने देखी बचपन में हमने लवकुश वाला कांड देखकर खूब आंसू बहाए जब आया कि हम कथा सुनाते रामचंद्र भगवान की यह रामायण है पुण्य कथा श्री राम की उसमें बताया गया सीता माता जी के दुख कैसे थे कई लोग लोग के मन में उस चीज को लेकर राम जी को लेकर एक पीड़ा भी है मेरी कई महिला मित्र है जो रह रह कर धार्मिक भी है ब शिकायत करती रहती हैं तो यह जो एक नया कांसेप्ट आपने दिया इस पर अभी भी चर्चा चल मैं कहीं जाता हूं कुमार विश्वास का नाम लेता हूं तो खासतौर पर महिलाओं में इस विषय पर चर्चा बड़ी ज्यादा होती है देखिए मुझे यह विषय मैंने छ सात आ साल पहले बोला प्रामाणिक तौर पर बोला मैंने उदाहरणों के साथ बोला और मैं इस पर लंबा बोलने के लिए तत्पर भी हूं कभी भी अवसर मिलेगा तो दो तीन दिन में इस पर उद्धरण के साथ बोलूंगा यह मेरे हिसाब से सत्य है कि उत्तरकांड क्षेपक है बहुत सारे आचार्य बहुत सारे महापुरुष इस बात पर मुझसे नाराज भी है वह दबे स्वर में जागृत स्वर में मुझे धर्म विरोधी ऐसा कहते हैं क्योंकि हो सकता है कि उनकी प्रज्ञा उनकी चेतना ऐसा स्वीकार करने के लिए तत्पर हो कि मेरा मर्यादा पुरुषोत्तम गर्भवती पत्नी को जंगल में छोड़ दे व मान सकते हो मैं नहीं मानता साब मेरे मेरे से नहीं मानी जाती तो मैं इसमें क्या करूं मुझे धर्म से निकाल देंगे मुझे सूरी टांग देंगे और इसके लिए सूली टांग देंगे तो भी टंग जाएंगे जब मैंने बोली थी तो मैंने तो इस सारे खतरों के साथ बोली थी मुझे पता था कि क्या होगा मुझे पता था कि मेरे बारे में क्या लिखा जाएगा एक बड़ा वैसा समाज है जो उसी रूढ़ी में आबद्ध रहना चाहता है इसीलिए कहता हूं इस धर्म को जड़ मत करो क्योंकि जिन्होंने अपना धर्म जड़ कर लिया था और कर लिया है उनकी हालत देखो पूरी दुनिया में क्या हालत हुई पड़ी है उनकी मैं नहीं मानता कि और अगर पुराने लोग सुन रहे हो इसको और आपके परिवार में भी गोंडा में और पुराने लोगों से आपका परिचय हो जो 80 पहुंच गए हैं 85 न उनसे पूछना सन 50 से पहले जब तक पूज्य भाई श्री ने आदरणीय पोद्दार जी ने गीता प्रेस जैसा पराक्रम नहीं किया था जो अद्भुत काम किया उन्होंने उन्होंने भी अद्भुत ही काम किया गीता प्रेस ने मतलब बड़ा बड़ा उपकार उन्हो कोलकाता से आकर गोरखपुर में बस अरे अद्भुत ही काम किया है वे भी अपने आप में संत पुरुष थे जब तक वह सब नहीं हुआ था उससे पहले तक रामचरित मानस जो तुलसीदास जी की थी उसमें लव कुश कांड हुआ करता था बाद में कैसे निकल गया कैसे ऐसे रह गया मैं तो आपको व्याख्या के साथ बता सकता हूं कि 1700 इतने में जो फ्रांस के एक प्रेस ने सबसे पहले हमारी य एनालिस ऑफ रामायण छापी है उसमें नहीं है सब मैं आपको बाकायदा उत्तरकांड की भाषा के हिसाब से बता सकता हूं मेरा ऐसा मानना है दूसरों का अच्छा मैं उनसे कहने नहीं जा रहा कि आप गलत कह रहे हैं वह मुझे महाराज जी मिले परम पूज्य शंकराचार्य जी के दर्शन हुए जिन्होंने मेरे बारे में बिना नाम लिए कहा कि ऐसे 650 आते हैं कल परसों के सीता निर्वासन नहीं हुआ ऐसे कैसे नहीं हुआ डू के कहा उन्होने लोगों ने मुझ महाराज जय हो प्रभु आपकी भी आप भी सही क र हो मैं ऐसा मानता हूं एक शनि मंदिर है आपने पढ़ होगा देखा होगा हम एक बार वहां गए उसके जो प्रमुख ट्रस्टी थे अध्यक्ष थे उन्हीं का कार्यक्रम था मेरे साथ हमारी एक कवित्री थी कविता तिवारी बड़ी प्यारी बिटिया है हमारी व वो भी ग जब हम मंदिर तक पहुंचे तो उन्होने कहा आप मैडम यही रहिए सर आप चलिए तो मैंने कहा यह क्यों नहीं जाएंगे तो बोले साहब स्त्रियों का प्रवेश स्त्री तो नहीं जा पाएगी तो मैंने अपने मैंने जसे कहा कि इनसे बोलो कि अभी जरा दूसरा फोन आ गया व्यस्तता है निकलना है बाद में आएंगे यह नहीं कहा कि मैंने जा रहे तो मुझसे किसी ने पूछा कि क्यों नहीं जा रहे मैंने कहा जो भगवान मेरी बेटी से नहीं मिल सकता मेरी मां से नहीं मिल सकता मेरी बहन से नहीं मिल सकता मेरी पत्नी से नहीं मिल सकता उस भगवान से मैं भी नहीं मिल सकता गलत है अब इसमें मैं कोई अनादर थोड़ी कर रहा हूं भाई शनि भगवान काया मेरा कोई ऐसा मेरा ऐसी कोई काम मेरा ऐसी सोच है उसके बाद वो दर्शन होने लगे फिर अगली बार मैं गया तो गया मेरे साथ जितने भी लोग महिलाएं थी जितनी बच्चियां थी मैं सबको लेकर गया अब यह तो मैं मान सकता हूं ना मेरे धर्म ने मुझे अधिकार दिया मैं ऐसे किसी धर्म में तो पैदा हुआ नहीं जहां मुझे आप ईष्ट निंदा में जिंदा जला देंगे हम मैं तो ऐसे धर्म में पैदा हुआ हूं कि जहां हर तरह का आदमी जिंदा रहता है तो मैं भी जिंदा हूं और मैं आपसे ये भी नहीं कह रहा मेरे मठ में आओ के मत आओ कि मेरे आश्रम में पहुंचो मत पहुंचो या मेरा वाला प्रसाद लो मत लो मैं ये मानता हूं कि शंबूक वध और सीता निर्वासन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की लोक छवि को कलंकित करने के लिए किया गया गया एक नियोजित षड्यंत्र था जो सदियों से चल रहा था उसका परिहार जरूरी है और मैं बड़ा प्रसन्न हूं कि मेरे फ पर मेरे र पर मेरे instagram2 बच्चियों के महिलाओं के भाभियों के बेटियों के मैसेज आते हैं जो कहती है कि हमने यह सुना और बड़े रिलैक्स हो गए भगवान के बारे में मन में बड़ी खराब धारणा बन गई थी हाथ जोड़ते समय भी शंका होती थी आज आपने मुझे इस पाप से निकाल लिया सही कहते हैं भगवान ऐसे नहीं हो सकते तो प्रसन्न हो यह बात तो आपके सही क्योंकि मेरी भी कई महिला मित्र हैं जिन्होंने कहा कि कैरेक्टर वाइज वो रावण को ज्यादा पसंद करने लगी थी क्योंकि रावण ने सीता माता को छुआ नहीं था हरण कर ले गया तो उन्होंने कहा कि अगर चरित्र चाहिए तो एक नया कांसेप्ट शुरू होने लगा प्रभु श्री राम जो मर्यादा पुरुषोत्तम उन पर संदेह बढ़ता था इसके बाद मैंने आपके भी वो वीडियोस जब देखे तो नीचे कमेंट सेक्शन में हजारों महिलाओं ने लिखा था कि अब हमें एक बड़ी संतुष्टि मिल गई है दुनिया में बताइए मुझे कोई ऐसा प्रेमी आपने देखा है जो अपनी हमारे एक कवि हैं लखनऊ के सूर्य कुमार पांडे मजहिया कवि है मतलब हास्य व्यंग के कवि उनकी गजल का एक शेर है कि अजीब शख्स है बीवी से प्यार करता है अजीब शख्स है पत्नी से प्यार करता है और हद तो ये है कि अपनी करता है तो मजाक में अपना उन्होंने कहा होगा आपने दुनिया में ऐसा कोई पति देखा जो त्रैलोक्य से लड़ जाए जो पंच तत्वों से लड़ जाए जो अपनी बनाई हुई सृष्टि से लड़ जाए जब उन्होंने तीर खींचा लक्ष्मण बान सरासन लान सोख बारित विसक कसान बन न मान जल जड़ गए तीन दिन बीत बोले राम सकोप तब भय बिन होए ना प्रीत लाना जरा तीर खींचा व आया निकल के समुद्र उसने कहा प्रभु आप ही नहीं तो बनाए थे क्ति जल पावक गगन समय पांचों आपने बनाया और आप ही हमसे कह र सख जाओ मैं भी सूख जाता हूं पर कुछ तो सोचो जो आदमी समुद्र की छाती पर पुल बना दे वो उस पत्नी को बाहर छोड़ सकता है जंगल में जो आदमी 12 मास में चातुर्मास में हम लोग ये रिकॉर्डिंग कर रहे हैं बरसते पानी में हम लोग रिकॉर्डिंग कर रहे हैं जो बरसते पानी में आधी रात उठकर अपने छोटे भाई से कहे कि मुझे सीता याद आ रही है इस बरसते पानी में घन घमंड नव गरजत घोरा प्रिया वन मन डर पत मोरा किसके लिए डर रहा है मर्यादा पुरुषोत्तम जिसकी भृकुटी के हिल जाने से प्रकृति समाप्त हो जाती है भृकुटि विलास सृष्टि लय होई सपने में संकट परे कि सोई ये कहा था ना लक्ष्मण जी ने वो आदमी डर रहा है किसलिए सीता के लिए डर रहा है ऐसा प्रेमी ऐसा निछावर हो जाने वाला प्राण निछावर कर जाने वाला पति किसी भी हालत में अपनी गर्भ भार से खिन्न पत्नी को बाहर छोड़ देगा असंभव असंभव असंभव मैं ऐसा मानता हूं इसको जिसे मानना हो वो कुमार विश्वास के साथ आ जाए जिसे ना मानना हो वोन बाबा जी के साथ चले जाए जो कहते नहीं नहीं भगवान ने तो ऐसे सिर काट दिया था शंभू का कर ही नहीं सकता जो आदमी निषद को गले लगाता हो जिस जिसका गुरु वशिष्ठ वो खींच के निषद को गले लगाता हो बरबस उसम लिखा है बरबस ऋषि भेटा जबरदस्ती भेटा वो तो दूर से प्रणाम करा उसने निद ने जब पता चला राम का दोस्त है तो वशिष्ठ ने खींच के गले लगाया अरे बेटा तू तो मेरे राम का दोस्त है ने तो ना सोचा कि निषद है ये इनका रिजर्वेशन है कि नहीं इनके कितने परसेंट वोट है उत्तर प्रदेश की सरकार में कितना करेंगे संजय निषद कितना नहीं करेंगे ऐसा तो नहीं सोचा उन्होंने वो भी तो मार्गदर्शन मंडल के बड़े आदमी थे वो भी तो संघ से आए हुए संगठन मंत्री थे उन्होने तो नहीं सोचा उन्होने गले से लगाया कि भाई है मेरा सो यह जो ऐसा व्यक्ति जो केवट को अपना भाई बताता हो जो हनुमान को कहते हो कि तुम मही प्रिय ही भरत सं भाई तुम मुझे भरत के जैसे प्रिय हो ऐसा व्यक्ति समाज का इतना समावेश व्यक्ति जो शबरी को मां बोलता हो झूठे बेर खाता हो एक महिला के बूढ़ी महिला के वह एक व्यक्ति के तप करने पर गला काट देगा हैं अरे क्या बेवकूफी तुम लेकर आए हो तुमने राम को दलित विरोधी स्त्री विरोधी बनाया तुमने षड्यंत्र पूर्वक कृष्ण को योगेश्वर कृष्ण को जगतगुरु कृष्ण को गीता जैसे ज्ञान देने वाले कृष्ण को दुनिया के सबसे बड़े स्ट्र क को तुमने लंपट बनाया रा रचा दिया कपड़े लेकर भाग गया ये तुमने चलाया तुमने जगत के कल्याण के लिए विश्व को अपने कंठ में धारण करने वाले देवाधि देव को तुमने नशेड़ी बनाया मनाली ट्रांस दम मरो दम भोले भोले भोले तुमने योजना पूर्वक अपनी फिल्मों का इस्तेमाल करा तुमने योजना पूर्वक अपने सब चीजों का इस्तेमाल करा कि किसी भी प्रकार से हिंदुओं के सनातन धर्म के भगवानों की छवि लोक में खराब हो सके हमसे जितना होगा हम अपने धर्मो रक्षति रक्षता धर्म उसकी रक्षा करता है जो उसकी रक्षा करता मुझे लगता है मुझे उस सवाल का जवाब मिल गया कि अपने अपने राम की उत्पन्न कहां से हुई कहां से शुरुआत हुई क्योंकि मेरे मन में कई ख्याल थे कि एक राम तो गांधी जी के थे गोडसे जी के थे एक अभी मनोज मुंतशिर के भी राम आए थे जिनको लेकर बड़ा बवाल हुआ था बाद में माफी उन्होंने मांगी पहले वो भी एक कल्पना कर रहे थे और अब एक कुमार विश्वास जी के राम है राम देखिए क्या है अपने अपने राम का मतलब य है कि सबके अपने अपने हैं मेरे राम कैसे हैं मैंने वो बोले वो बोल रहा हूं वो सौभाग्य का विषय है कि वो करोड़ों करोड़ों लोगों को अच्छे लग रहे हैं और मैं कोई ऐसी जैसे कहते हैं ना सुहाती बात नहीं बोल रहा हूं मैं कोई ऐसी अपीज मेंट की बात नहीं बोल रहा हूं मेरे राम तो इस्लाम मानने वालों के भी है मैं तो शम्स मीनाई की नजम पढ़ रहा हूं उसमें क्योंकि जिन लोगों के राम के बारे में बोल रहा हूं वह भी 10 पीढ़ी पहले राम वाले ही थे वह भी राम ही को मानते थे आज ही तो नाम उनके हैं अल्ला बक्श मौला बक्श लेकिन अगर 10 पीढ़ी पीछे जाओ तो राम बक्श निकलेंगे वो कहीं ना कहीं से जगह बदलने से पुरखे नहीं बदला करते लकीर खींचने से रिश्ते नहीं बदला करते राम इस विश्व की नैतिक आभा के परम पुरुष है जैसे अयोध्या हम सबकी मूल जगह है हम सब मानव हैं मनु ने पहली बार सृष्टि का निर्माण वही बैठ के किया था उन्हीं की राजधानी है उन्हीं से हम निकले तो मुझसे कोई पूछता है मूलत कहां के हो तो मूलत अयोध्या के भैया हमारा अयोध्या से मतलब नहीं है अभी पिछले कई जन्मों से लेकिन कभी तो हम निकले होंगे ना हजारों जन्म पहले तो हम अयोध्या सेही निकले होंगे ते इंदन नोएडा में है हमारी पीढ़ी तो वहीं से निकली है हम भी वहीं से आए तो हम तो सौभाग्यशाली है फिर मेरे मन में एक सवाल आता है कि आपने रामायण में सबसे अच्छा किरदार आपको कौन सा लगा मुझे किरदार है भरत जी का जो कई बार बहुत ही मुझे ऐसा लगता है कि अंडर रेटेड किरदार है एक ऐसा किरदार जिसमें त्याग की पराकाष्ठा है एक ऐसा किरदार जो राजा का धर्म भी निभा रहा है लेकिन बिना बैठे हुए एक ऐसा किरदार जो भाई का इंतजार भी कर रहा है अपनी मां से भी लड़ाई लड़ रहा है की भी सेवा कर रहा है और बड़ी चर्चाएं भी नहीं हो रही क्योंकि जब भाई की उदाहरण आती है तो ना बनो वो भीषण और बनो कैसे वो लक्ष्मण भरत रह जाते हैं नहीं पहली बात तो यह बहुत कठिन चुनाव है कि एक प्रिय पात्र आपका कौन सा है ऐसे ऐसे सामान्य छोटे-छोटे पात्र हैं जिन पर भी आप बलिहारी हो सकते हैं जैसे बांडवी का पात्र है सीता तो जंगल चली गई है उर्मिला छोटी है शत कीर्ति छोटी है बड़ी बहु मांडवी रह गई है और मांडवी क्या मांडवी तीन ऐसी माए संभाल जिनके अपने अपने दुख है ककई का अपना गलानी का दुख है जो लो में उसके प्रति प्रवाद फैला हुआ है कौशल का दुख तो कौन बागा राम जैसा लड़का पास से चला गया यह दुख है सुमित्रा का अपना दुख है वह लड़किया भी दो घर में खुद का तो दुख है ही कि पति होते हुए भी नहीं है नंदी ग्राम में रहता है महल की छत से चढ के अठारी से देखना पड़ता है कब तक दीपक जल रहा है जब तक दीपक जलता है तब तक सोती नहीं है वो जब वहां दीपक मंगल हो जाता है भरत जी की झोपड़ी में जहां प्रधानमंत्री भरत जी बैठे हैं तब वोह नीचे आकर सासों के पास में सोती है सेवा करने के बाद ऊपर वो देखती रहती है तो मांडवी पर ना बोला जाए क्या उन पर भी एक दिन बोला जाए तो मैं कोशिश करता हूं पहले मैं अभी छत्तीसगढ़ एक बार गया था तो शबरी पर बोला दो दिन के लिए जैसे मैंने कहा कि मेरा मन है कि मैं छ सात दिन सीताज पर बोलू उर्मिला पर बोलू तो वहां तो सभी इसीलिए मैं कहता हूं कि यह एक पुनी पुनी कितने सुने सुनाए हिय की प्यास बुझत ना बुझाए जो तुलसीदास जी कहते हैं कि इस कथा में अमृत तत्व है इस कथा में नवनीत तत्व है और ये शापों की संकट मोचनी कथा है इसमें सबके शाप उन्म चित हुए हैं दशरथ को शाप है जो श्रमण कुमार के मां-बाप ने दिया है भगवान को खुद को शाप है जो उन्हे नारद ने दिया है रावण को खुद को शाप है जो पिछले जन्म में भगवती देवी ने कहा किया है कि तू किसी पर स्त्री को उसकी इच्छा के बिन छुए का तो तेरे सर 100 टुकड़ों में कट जाएंगे तो रावण का महिमा मंत कोई कर रही हो तो समझ लेना कि वो लंपट ऐसा नहीं है छूना नहीं चाह रहा वो शाप है पिछला जो उसको दिया गया है कि अगर तू किसी को छुए तो तेरा सिर 100 टुकड़ों में विभक्त हो जाएगा इसलिए नहीं छू रहा है व अपने आप से तो सभी शापों से आबद्ध है व और उन शापों की मुक्ति होती है एक कथा में जिसका नाम इतने सारे बड़े लोग अगर शापों से मुक्त हो गए तो हम जैसे सामान्य लोग भी उसको पढ़ सुनकर थोड़े मुक्त हो सकते हैं इसलिए मैं उस कथानक पर उसकी वैज्ञानिकता पर बड़ा सम्मोहित हो रामायण और महाभारत दोनों में किसम ज्यादा दोनों में अपनी अपनी कहानिया अपनी अपने सबक है अपनी अपनी सीख है दोनों पढ़नी चाहिए आपको मर्यादा पुरुषोत्तम कैसे बनना है इसके लिए तो आप राम कथा पढ़े और अगर आपको नीच उत्तम मिल जाए उनसे कैसे निपटना है इसके लिए आप महाभारत पढ़े हमने पढ़ी थी आपने तो पढ़ी थी इसलिए तो हमें पता था कि दुर्योधन के रथ पर मत बैठो चाहे करण हो क्योंकि खुद तो मरेगा ही अनीति के रास्ते पर है आपको भी मरवाएगी कैसे मारा गया मेरे मन में सवाल आता है नहीं गलत तो नहीं मारा गया कोई गलत निहत कण को मार दिया गया निता नहीं था वो अधर्म के साथ था अधर्म तो यत्ता हो तो भी मारा जाता है वह इतना अधर्म के साथ था कि वो थप्पड़ से मार दिया जाता यह तो महिमा मंडन हो गया रश्मी रथ पॉपुलर हो गई कभी हमसे बैठ के इस पर लंबी चर्चा करिए हम बताएंगे भगवान ने लास्ट में जब उसे बोला है कि जिस दिन ये हुआ था उस दिन कहां तेरा धर्म सो रहा था जब धर्म बताया तब भगवान ने उसको बड़ी सुनाई वहां खड़े हो के कि अभिमन्यु के जब तू तलवार उतार रहा था पीछे से तेरा धर्म कहां गया जिस दिन एक र 16 महिला के कपड़े उतारे जा रहे थे और तेरा निर्लज्ज दोस्त बड़ा बगल में बैठकर जंगा ठोक रहा था कि यहां बैठ उस दिन तेरा धर्म कहां मर गया था जिस दिन भीम भीम को खीर में विष खिला पिलाया गया था उस दिन तेरा धर्म कहां मर गया था तो ये धर्म धर्म पुकारने वाले सब क्या है ना हम मतलब आप करें तो मतलब वो रासलीला लेकिन कण के अनुयाई जो कर्ण को मानते हैं वोय कहते हैं कि जब कर्ण को भी भरी सभा में बेइज्जत किया गया था तब भी तो भगवान नहीं आए थे दुर्योधन नहीं आया था तो वो एक उसके ऊपर एक रह गया कि गरण रह गया एक गरीब आदमी को आपने इतना दि करण को जब अपमानित किया था वो कांस्टीट्यूशनल पोजिशनिंग थी भाई गलत थी सही थी उनके कांस्टिट्यूशन में विधान था कि केवल राजवंश हों में प्रतियोगिता होनी है अब ओलंपिक चल रहा है और एक पहलवान बाहर खड़ा क कर र जो जो अभी जीता है ना गोल्ड मेडल इससे पटक के अभी मार सकता हूं मैं हो सकता है मार भी दे वो ओलंपिक थड़ी कहेगा आओ अभी बुला लो े करवा लो अभी भाई ओलंपिक है व्यवस्था है तू पहले स्टेट खेल फिर नेशनल खेल फिर प्री ओलंपिक क्वालीफाई कर फिर आ फिर लीग खेल फिर क्वार्टरफाइनल खेल फिर सेमीफाइनल खेल फिर फाइनल में आ जा अब ओलंपिक में एक आदमी ने भाला फेंका 90 फीट 90 मीटर तक और हमारे गांव में बैठा कह रहा है क्या फेंका इसने मैं सोना फेंक दूं बाऊज नाम बदल देना मेरा और फेंक भी सकता है वो पर भैया तू ओलंपिक में गया नहीं है अब वो बैठ के साब पूरे ओलंपिक ने मेरे खिलाफ षड्यंत्र करा था मैं 100 फेंक रहा था मुझसे ना फेंकने दिया भाई व्यवस्था ऐसी थी उस व्यवस्था को इक्लाइम्स में जो मुझसे श्रेष्ठ प्रतिभा है अर्जुन की वो किस तरह से अपमानित हो तो इसके माध्यम से हो जाएगी होता नहीं था गली में हमको किसी ने कुछ कह दिया हम तो कुछ कर नहीं पाए तीन लड़के थे तो भाई साहब को बला कर लाते थे भाई साहब वहां और जितना ज्यादा अपमान हुआ नहीं था उससे ज्यादा अपमान बताते थे कि आपको भी गाली दी थी ताकि भाई साहब को भी गुस्सा आ जाए फिर भाई साहब चढ़ा के कहां थे कौन थे दो लड़के मिले थप्पड़ मारा यह काम किया दुर्योधन ने तो और यह बात कण को समझनी चाहिए थी तो महाभारत यही सिखाती है महाभारत ने मुझे तो यही सिखाया कि भाई दुर्योधन है ये नहीं मान रहा ये तो महाभारत रच वाएगा खद मरेगा ही तो बाहर निकलो अच्छा एक सवाल हमारे मन में और आता है क्योंकि राम और कृष्ण को लेकर हमने आपको बहुत सुना अपने अपने राम अपने अपने श्याम और एक बड़ी अच्छी बात मुझे लगी थी कृष्ण राम का बचपन नहीं था कृष्ण कृष्ण का जीवन जो है बड़ा खूबसूरत था और उसकी व्याख्या भी बड़ी अच्छी थी कभी समय मिला पूछूंगा लेकिन कृष्ण जी को लेकर एक सवाल मेरे मन में हमेशा आता है क्योंकि आप प्रेम के कवि भी हैं कृष्ण जी को रुक्मिणी जी ने भी प्यार किया राधा जी ने भी किया मीरा जी ने भी किया कई सारी फिल्में भी आती हैं जिसमें अभी हमने एक प्रियंका चोपड़ा की पिक्चर देखी थी उसमें उन्होंने कहा कि लोग तो प्रियसी को याद रखते हैं पत्नी कितनी भी अच्छी हो बड़ी हिट फिल्म ग उसका डायलॉग बड़ा अच्छा था कृष्ण संवाद को लेकर आपकी नजर में रुक्मिणी जी राधा जी मीरा जी किसका प्यार सबसे बड़ा था तीनों को कृष्ण अलग-अलग मिले हैं देखिए एक गीत गाने वाला कृष्ण है जो राधा को मिला है एक गीता गाने वाला कृष्ण है जो माता रुक्मिणी को मिला है और एक प्रीत जगाने वाला कृष्ण है वो माता मीरा को मिला है देख हमारे ना क्या है कॉलोनी में जैसे आप जिस अपार्टमेंट में रहते होंगे वहां बालकनी एक के ऊपर एक है है ना 19वी मंजिल वाले की बालकनी भी यही खुल रही है और उसके ऊपर वाला जो 21 वाला है उसकी भी वही खुल है 20 वाले की ख सामने बादल है सामने आकाश है इंद्र का चमत्कार है मौसम खूबसूरत है बताइए कौन सी फ्लोर पर मौसम अच्छा है प्रत्येक फ्लोर पर मौसम अच्छा है तो वो किस बात का व योगेश्वर ही किस बात का वह 64 कला का स्वामी ही किस बात का जो एक में बंद जाए जिसको एक प्रेम करे तो कृष्ण इसीलिए पूर्ण पुरुष है कृष्ण इसलिए पूर्ण अवतार है कृष्ण इसलिए परब्रह्म है कि उनसे आप हर तरह से प्रेम कर सकते हो आपको आश्चर्य होगा चोरों के आराध्य है व आधे चोरों पर य व्याख्या है कि कृष्ण तो खुद ऐसे करते थे आनंद लेते लोग किसी ने नाचने पर कुछ कह दिया था तो मैंने उससे कहा कि मेरे बाबा सुनाते थे लोग नाचना बुरा रे बतावे नाचे कृष्ण मुरारी नाचे थे बैराट देश में अर्जुन बाना धारी नित्य में पारंगत है वाद्य में पारंगत है पशुपालन में पारंगत है 64 कलाओं में पारंगत है इसलिए तीनों को अपना अपना कृष्ण मिला है और तीनों एक दूसरे से ईर्ष्या नहीं करती इसीलिए महारानी और दीवानी दोनों एक दूसरे से ईर्ष्या नहीं करती और रानी भी ईर्ष्या नहीं करती मेवाड़ वाली तीनों हमारी मां है मैं तो तीनों को मां कहता हूं मीरा को मैंने कभी मीरा नहीं कहा मां मीरा का सदा और राधा तो हमारी मां है ही बीच में एक विवाद हो गया था हुई थी नहीं हुई थी बड़ा नाटक हमसे किसी ने पूछ लिया कि भाई राधा हुई थी कि नहीं हुई थी मैंने उनसे कहा भाई हमारे दादा जी ये कहते थे कि मेरी दादी जो है वो लट बहुत जबरदस्त चला ई हम और इतना तेज लट चलाती थी कि नीचे से कबूतर ना निकल पावे खाट से दोनों तरफ और बड़ी लड़ाका थी और बड़ी अद्भुत खिलाड़ी थी भाई मैंने तो अपनी दादा की दादी नहीं देखी मेरे पिताजी ने भी नहीं देखी थी मेरी एक बुआ बड़ी वैसी थी कि पीट आ है चार को और लड़िया है तो मेरे पिताजी कहते थे कि हमारे बाप के दादी प गई है फिर मेरी बहन बैडमिंटन बहुत अच्छा खेलती थी और बिल्कुल रैली लगा देती थी गिरगिर जाती थी तो मेरे भाई ये कहते थे कि ये दादाजी की दादी प गई है अब मेरी छोटी बेटी है उसका बड़ा क्रूड ह्यूमर है हा स्लैपस्टिक ऐसा वन लाइनर मारती है कि भाई साहब चार खाने चित्त आदमी बैठ लंडन वाली हां वहां पड़ती है किंग्स में वो डाइनिंग टेबल प एक लाइन बोलेगी सब यूं देखेंगे अ क्या बोल दिया इसने तो मैं कहता हूं कि मैंने कहा हमारा दादा जैसे बताता था अब क्या है मैंने अपने दादा की दादी नहीं देखी पर उस अदृश्य महिला के बारे में एक व्यक्ति द्वारा बनाया गया किस्सा हमारे परिवार में मान्य है कि वो ऐसी थी मतलब हमारे दादा की दादी तो मान्य हो गई और करोड़ों करोड़ों लोग सैकड़ों वर्षों से हमारी जिस मां के अनुराग में बंधे हुए गीत गा रहे हैं रो रहे हैं आराध्य मान रहे हैं वो हुई नहीं तो मैं पागल हूं मैं ढूंढने जाऊंगा हुई नहीं हुई जब मेरे को इतना आनंद दे रही है राधा जब मेरे को इस स्नेह से प्रेम से भर रही है जब मुझे मुक्ति से भर रही है मेरी मां भाई पद्मावती पर क्या हुआ था जब पद्मावत के समर्थन में हमने बोला कि भ ये फिल्म ऐसे नहीं बननी चाहिए हम समर्थन में लोगों ने हमसे कहा कि आप तो बड़े अजीब आदमी है आप करण सेना के साथ हो गए आप इनके साथ हो गए तो हमारे एक मित्र उस समय राजनीति में प्रासंगिक थे आप ही के कबीले के व एक दिन घर आए तो मुझसे बोले यार कुमार भाई आपसे आशा नहीं थी आप तो कवि हैं आप भी ये बिल्कुल फेनेटिक बातें कर रहे हैं अब कोई आपसे पूछ के कविता लिखेगा कोई कविता लिखना चा रहा व फिल्म बना रहा मैंने कहा बिल्कुल नहीं लिखेगा मुझसे पूछ के पर मेरी मां पर लिखेगा तो पूछ के लिखेगा और उल्टी सीधी लिखी तो व हाल करूंगा कि अपनी मां को याद रखेगा भाई पद्मावती हमारी लोक मां है उनके बलिदान के लिए हम लोग रोते हैं हमारा पूरा अंचल हमारा पूरा समाज आप ऐसे ही कैसे फिल्म बना देंगे मेरे अच्छे मित्र है संजय भाई संजय लीला बनली मेरे अच्छे मित्र है मैं उनकी कला का आदर करता हूं वो भी मेरी कला का आदर करते हैं और आप मेरी मां पर तो बना रहे हैं भाई साहब वो जो दूसरे वाले हैं जो सहते ही नहीं है उन परे क्यों नहीं बनाते आप एक बार उन परे बना लीजिए शायद जवाब वही होगा जो आप कहते हैं अक्सर कि अपने वाले बोल देते हैं कम से कम जुदा नहीं होता हां तो भाई तो फिर इतना याद रखिएगा आप कुछ भी बनाइए मैंने तो सिर्फ इतना कहा था कि चलिए अगर आप बना भी रहे हैं अगर आपकी स्क्रिप्ट भी है तो जो उसके जो उसके मानक लोग हैं जिनके वंश में वो लोग हैं उनको तो मिलाइए ट्रू हां ये तो महेद्र सिंह जी मेवाड़ से तो मिलाइए श्री जी से तो मिले आइए लक्षराज जी से तो मिलाइए जाके बात कराइए उनसे बताइए दिखाइए उनके वीर सत्स परंपरा है वो अपने 15 आदमी बिठाए क्यों नहीं चाहेंगे वो कि उनकी अपनी मां के ऊपर एक अच्छी फिल्म बने सही बात है क्य नहीं मैंने अभी कहा ना कि आद्य शंकराचार्य पर मेरा बड़ा मन है तो कोई हिंदू तो विरोध करेगा नहीं सनातन तो नहीं कगा यार कुमार तू बना मत देना मार दूंगा तुझे उसे पता है कि मैं बनाऊंगा और मैं जिस दिन जो काम करूंगा मैं सोच समझ के करूंगा तो इतना सा कहना था इतनी सी बात है अच्छा एक सवाल मेरे मन में क्योंकि धर्म की बड़ी बातें हो रही है हिंदुइज्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अक्सर एक लाइन कोट की जाती है कि हिंदुइज्म इज अ वे ऑफ लाइफ कोई रिलीजन नहीं है फिर इतिहास के छात्र के नाते व कहानी सुनाई पड़ती कि अंग्रेज आए थे तो यह हिंदू वर्ड वहां से लेके आए थे हिंदू तो कुछ था ही नहीं सिंधु नदी के किनारे जो रहते थे उनको सिंधू करते करते हिंदू हिंदू सारी कहानी आती है सनातन धर्म और हिंदू धर्म एक है या हिंदू कोई धर्म भी है या नहीं है या सुप्रीम कोर्ट वाली लाइन है कि इट्स अ वे ऑफ लाइफ यह बड़ा कॉम्प्लिकेटेड कन्फ्यूजिंग स्थिति है पहली बात तो माननीय उच्चतम न्यायालय के प्रति पूरा आदर और उसकी लोकतांत्रिक अस्तित्व जो है उसके प्रति संपूर्ण सहमति के बाद भी मैं यह कहना चाहूंगा कि मैं अपनी संस्कृति के बारे में उनकी व्याख्या हों को अंतिम मानू यह बाध्यकारी नहीं वहां तो मारकंडे जी जैसे लोग भी बैठे थे जिनके ट्वीट आप पढ़ नहीं सकते सही बात है मतलब मैं उनका निराधर नहीं कर रहा वो भी तो मनुष्य है जो वहां बैठे हैं और वहां क्याक हुआ है हमने देखा है वहां के लोग कैसे कैसे मैनेज हो के कहां-कहां पहुंचे हमें पता है अभी भी पहुंचे हुए हैं अब आगे भी पहुंच तो उन्होने मेरे धर्म संस्कृति जो जो हजारों हजार वर्ष पुरानी है उस पर एक व्याख्या कर दी कह दी य वे ऑफ लाइफ है उसे लेके एक पॉलिटिकल पार्टी की लीडरशिप घूमने लगी तो ना तो मैं उस पॉलिटिकल पार्टी की लीडरशिप की इस व्याख्या को मानता और ना मैं उस सुप्रीम कोर्ट की दी हुई टिप्पणी को मानता जीवन पद्धति नहीं है भाई साहब जीवन है सनातन धर्म जीवन पद्धति नहीं उसके लिए हमने रिचुअल अलग बनाए हैं उसके लिए किस दिन हवन में बैठो तो पता चल जाएगा कि पहले यह क्यों होगा बाद में ये क्यों होगा उसमें अंबा अंबे के अंबाल के कैसे बोला जाएगा यह भी पता चल जाएगा इसमें तीनों अलग-अलग क्यों बोले जा रहे हैं पहले पहला क्यों है दूसरा क्यों ये भी पता चल जाएगा वो रिचुअल है भाई साहब रिचुअल को धर्म मत बताओ धर्म बड़ी चीज है आध्यात्म उससे भी ऊपर की चेतना का स्तर है धर्म जब अपने उदात्तीकरण पर पहुंच जाता है तो आध्यात्म हो जाता है स्पिरिचुअलिटी हो जाती है तो जीवन के तीन स्तर है एक बहुत सामान्य व्यक्ति है जो रिचुअल को धर्म समझता है एक उस रिचुअल की व्याख्या को धर्म समझता है वो सामान्य है और एक उपलब्ध लोग हैं जो इससे ऊपर उठ गए वो स्पिरिचुअल लोग है और वो जरूरी नहीं है कि वो पढ़ लिख के ही हो वो बिना पढ़े भी हो गए कबीर से बड़ी स्पिरिचुअलिटी कौन सी है वो तो बिना पढ़े तू कहता कागद की लेकी मैं कहता आंख इनकी देख उसने अनुभव किया है पलपल स्पंदन आध्यात्म को और कई बार तो किताब आध्यात्म को जैसे गेट लगा हुआ है ना बुद्धि का उसके पीछे किताबें लोग लगाए ते ताकि अध्यात्म घुस ना पाए धर्म रह जाए तो पहली बात तो मैं उनकी व्याख्या नहीं मानता किसी भी प्रकार से दस कई बार सर होता है जैसे जब ये कहा जाता है कि क्योंकि आप पॉलिटिकली काफी एक्टिव रहते हैं और हम लोग टीवी पर डिबेट करते थे तो कि सारे मुसलमान भी तो हिंदू है फिर उसम जब कवर करना हो तो कह दिया जाए कि इट्स अ वे ऑफ लाइफ सुप्रीम कोर्ट ने कहा था तो फिर वो आता था कि यार मीठा मीठा कब कब तीखा तीखा थूक थूक ये वाला फार्मूला था कि अपने हिसाब से उसका इस्तेमाल कर लिया गया कहां धर्म बनाया गया कहां पर वे ऑफ ला धर्म की व्याख्या राजनीता जो कर रहे हैं उसमें मेरा कोई मेरा और आपकी कोई रुचि नहीं होनी चाहिए तो पहली बात तो जो धर्मों की व्याख्या राजनीतिक रूप से इस्तेमाल हो जाती है उसमें अपनी कोई रुचि नहीं होनी चाहिए धर्म के सामान्य विद्यार्थी के नाते सनातन धर्म एक धारा है इस देश की विश्व की उसका आधुनिक प्रकटीकरण हिंदुत्व है हिंदू है अब उसमें उग्र हिंदुत्व राजनीतिक हिंदुत्व यह समाज समीचीन व्याख्या हैं समकालीन व्याख्या हैं और इनके बीच बड़े लंबे उसके लिए आपको फिर दो तीन घंटे का पॉडकास्ट करना पड़ेगा एक सवाल आपने दे दिया मुझे और जैसे सिखों को लेकर यह मान्यता है कि वह हमारे बीच में से निकले और हिंदुओं को भी गुरुद्वारा जाते हम रोज देखते हैं हम लोग भी जाते हैं मथा टेकते हैं अरदास सुनते हैं और बड़े मज और सिख भाई भी जो है जब भी वैष्णो देवी गया था वहां भरभर के माता रानी के दर्शन करने जा रहे थे बड़ा कॉमन सा वो ट्रेंड है जिस जगह से मैं आता हूं वहां स्वामीनारायण भगवान है उनकी भी एक अलग चर्चा है कि भगवान बीच में चारों तरफ बाकी भगवान हमारे हैं ब बुद्ध जी को लेकर भी चलता है तो यह सारे हिंदू धर्म से निकले हुए भगवान हैं या अलग-अलग थे या कोई व्यक्ति महान बना तो उसके लोगों ने उन्हें भगवान बना दिया या इनका मूल जड़ जो है वह सनातन हिंदुत्व ही है यह कई बार इसको लेकर चर्चाएं चलती है आपसे थोड़ा हम इसे समझना चाहते हैं देखिए इसमें मेरा कोई भी स्टेटमेंट इसलिए नहीं होगा अगर कोई व्यक्ति अपने आप को अलग तरीके से मानता है या वो अपनी अलग अस्तित्व को स्वीकारना चाहता है तो उसकी उसे आजादी है आपने देखा है अक्सर हाईवे पर जैन शिकंजी लिखा हुआ है और वह नीचे लिखता है कि हम ओरिजिनल दुकान है और यह भी पांच जगह लिखा होता है तो जैन शिकंजी पीने वाले ने सोचा कि कौन सी वाली ओरिजनल है नहीं उन कुछ कते भाई साहब आप गलत कह रहे हो कादरा बाद नाले वाला जो है ना वो असली है दूसरा कहता है नहीं नहीं आपको नहीं पता वो मोदीनगर में जो राजा शिकंजी के बगल वाला है वो असली है भाई साहब तीन आदमी बहस कर रहे होते हैं शिकंजी पे जिसको जहां का स्वाद मुह लगता है वहां उसके गाड़ी के ब्रेक लगते हैं अपने आप कि मैं तो यहां पीता हूं तो मेरा कहना है कि अगर कोई भी धर्म बौद्ध धर्म हो सिख धर्म हो कोई भी हमारा जो धर्म दूसरा प्रामाणिक धर्म है अगर उसको अपनी स्वतंत्र अस्तित्व का इतना ज्यादा बोध है कि वो अपनी जड़ें किसी और में नहीं तलाशना चाहता तो ये उसकी नागरिक स्वतंत्रता का प्रश्न है ये उसकी धार्मिक स्वतंत्रता का प्रश्न है और प्रत्येक व्यक्ति को उसका आदर करना चाहिए मेरे लिए कोई विषय नहीं है कि कौन किसम से निकला है मेरे लिए कोई विषय नहीं है साब और मैं इससे चक्कर में नहीं पड़ता जहां तक मैंने कहा कि राम उनके भी पूर्वज है इलाम मानने वालो को इसलिए नहीं कह रहा कि मुझे इस्लाम के खिलाफ कुछ कहना या इस्लाम प मेरी आस्था नहीं है या वो जो कर रहे हैं वो अपना काम करें मेरा कहना यह है कि दसवीं शताब्दी से पहले इस देश में कोई इस्लाम परस्त आदमी नहीं था इस्लाम पर ईमान किसी का नहीं था वो वहां से आए उन्होंने यहां लोगों को कन्वर्ट किया यहां कोई एक परिवार मुझे बता दीजिए इसकी जड़ें जो है वो वहां हो एक बुखारी इस के परिवार को छोड़ के जिनके बारे में कहा जाता है कि ये बुखारा के हैं उनके अब उनके यहां भी मैंने सुना है कि विवाह दूसरे उनमें होने लगे हैं अलग-अलग जगह पर होने लगे जो भी मैंने सुना है हो सकता है मैं गलत हूं या मैंने सही सुना हो तो जब आप यहीं थे भाई साहब तो आज से 600 साल पहले 700 साल पहले आपका पूर्वज कौन था इस देश का रहने वाला अब 600 साल में आपने एक नई धार्मिक व्यवस्था में अपनी रुचि और अपनी आस्था दिखाई जो कि आपका अधिकार है और हो सकता है व्यवस्था अच्छी हो बुरी हो उसमें कमिया हो वो आपका काम है उसके लिए आपके मदरसे हैं हदीस है मौलाना हैं वो सब अलग हैं उनके प्रति भी बहुत आदर है वो अच्छा काम कर रहे हैं और अच्छा काम करें ठीक जाय बात आपकी लेकिन अब यह कहना कि सब सब नहीं हम तो अब जैसे मेरे को पाकिस्तान के मेरे दोस्त मिलते हैं तो मेरे दो दोस्त बच्चे जैसे मैंने उनसे कहा बेटा अपने लोगों को समझाओ कि वो मिसाइल बना रहे हैं अच्छी बात है चलो भारत से बचने के लिए भारत उनसे बचने के लिए मिसाइल बना रहा है नाम क्या रख रहे हैं गजनी तुम्हारे पैदा हुआ था अबे तुम्हारी सीमाओं के पल्ली पार से आया था और जब आया था तो मेरे परदादा के परदादा के परदादा के परदादा को भी मारा था और तेरे को भी मारा था तेरे गांव की भी औरतें उठाई थी और मेरे गांव की भी औरत उठाई थी तेरे खेत में भी आग लगाई थी और मेरे अबुल शर में भी आग लगाई थी तो वो तो तेरा मेरा साझा दुश्मन था तू इतना दुश्मनी में अंधा हो गया है मुझसे निकल के 75 साल पहले कि तू हम दोनों के सम्मिलित कातिल का नाम रख रहा है हथियार का गजनी गजनवी यह कौन है गौरी उनकी मिसाइल है गौरी कौन था गौरी भाई साहब आया कहां से गौरी जहां तुम्हारी सीमा खत्म होती है ना अफगानिस्तान तम उधर से आया था दौड़ के और तुमको पीटता हुआ चला गया था अब तुमने इतने अंधे हो गए हो इस इस विरोध में कि अब तुम यह करोगे तो मेरा ज्यादा इसमें कुछ रुचि है नहीं इस खेल में आप आप क्योंकि दुनिया भर में ट्रेवल करते हैं आप अलग-अलग देशों में जाते हैं वहां पर कथा करते हैं कविताएं करते हैं लोगों से मुलाकात करते हैं एक सवाल मेरे मन में हमेशा आता है कि दुनिया के जो बड़े धर्म है क्रिश्चियनिटी इस्लाम हिंदुइज्म और फिर बौद्ध के बारे में चर्चा होती है अब बौद्ध मूल रूप से भारत और नेपाल की साझा विरासत है यहां से शुरुआत होती है लेकिन भारत में हम सिर्फ राजनीतिक बौद्ध देखते हैं जो दिन रात मेरे सरनेम को लेकर मुझे गालियां देते रहते हैं कि तुम शुभंकर मिश्रा हो तो तुम ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे हो ग भारत में बौद्ध धर्म क्यों खत्म हो गक एक जमाने में सुनते हैं कि बड़ा विस्तार हो गया था और मूल विरासत भारत और नेपाल की है हिंदुस्तान में नहीं है चाइना में फैला हुआ है जापान में है दुनिया के कई और देशों में है यहां क्यों गायब हो गया आप तो आपने दुनिया देखी है शायद आप बेहतर समझा सकते हैं आप साइंस के विद्या रहे आपने 11थ में एक शब्द पढ़ा होगा रेफरेंस फ्रेम रसनी लेडे की किताब में आता था तो हमने समझा रेफरेंस फ्रेम क्या गुरु जी ने हम समझाया रेफरेंस फ मतलब आप जहां हो उस काल उस स्थान है ना और उस वातावरण के हिसाब से उस चीज की व्याख्या करें जैसे भारत का इस्लाम सऊदी अरब के इस्लाम से अलग है लोगों को लगे एक जैसा नहीं है बिल्कुल अलग है हमारा एक दोस्त है वो मुसलमान है उसकी बा इस्लामिक टीचिंग्स की प्रीचर है जो भी उर्दू उसे कहते हैं वो एक दिन उसके घर प आई थी वो अलग फ्लैट में रहता था रात को पार्टी हुई होगी शनिवार को बियर यर की बोतल पड़ी थी गंदा बंदा उसका बदबू मार रहा था फ्लैट तो उसकी मां उपदेश देके आई थी मस्जिद से जहां से जाते हैं उन्होंने कहा कि नालायक है तू ऐसे रहता है गंदे तरीके से रहता है तू पिछले जन्म में कुत्ता रहा होगा तो उसने मजाक में कहा हल्की उम्र में कि अम्मी पिछले जन्म में कहां कुत्ता पिछला जन्म तो होता ही नहीं है अब तो सुब तो उपदेश देके आई हो मुझे पिछला जन्म बता रही हो बोली मुझे पता नहीं पर तू रहा होगा इसका मतलब क्या है अम्मी बेसिकली हिंदुस्तानी है इस्लाम मानने वाली हिंदुस्तानी है तो हिंदुस्तान का बौद्ध धर्म अलग है और विश्व का बौद्ध धर्म अलग है हिंदुस्तान का बौद्ध धर्म हमारे संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर की व्याख्या हों के बाद बहुत परिवर्तित हुआ और जो आप कह रहे हैं मुझे गाली दी जा रही है इसे ध्यान से देखिए शुभंकर दलित का जो कष्ट है दलित का और स्त्री का जो कष्ट है वह शुभंकर मिश्रा होकर नहीं समझा जा सकता सहमत हूं मैं विश्वास कुमार शर्मा हो नहीं समझा जा स हमें पता ही नहीं है स्त्री का कष्ट आपको पता ही नहीं है आपके साथ काम करने वाली बच्चियां हैसे कभी खुले मन से पूछिए इन्होने बचपन से जो निगाहे सही है बचपन से चीज सही हैने स्पर्श स इ लिजे प्रस्ताव इन्होने देखे हैं उसने इनकी प्रतिक्रियाओं को गढ़ है यह अगर इस इस नाराजगी से भरी हुई है पुरुषों के खिलाफ तो इसकी पूरी व्याख्या समझिए दलित की व्याख्या समझिए कितने हजारों वर्षों तक इस पूरी व्यवस्था ने उनको किस हाश पर रखा है उनके साथ क्या-क्या किया है कि उन्होने हर बार अपने जन्म और इस जाति में जन्म होने के कारण उन्हें बार-बार इस पर विचार हुआ है तो अब अगर चीजें जब बराबरी पर आ रही है थोड़ी-थोड़ी उसमें कुछ प्रतिक्रियाओं के शेड बचे रह गए हैं तो उस परे सवर्णों को इतना नहीं कुल बुलाना चाहिए बॉस अगर मां-बाप की छोड़ी हुई जायदाद का आप मजा लेना चाहते तो उनके छोड़े हुए कर्जे का भुगतान भी आपकी औलाद को करना पड़ेगा ऐसा तो हो नहीं ल कि बैंक का पैसा ले लिया पिताजी मर गए मैं कहां से दूं मकान किराए पे है यही चला जाएगा अभी इसकी लग जाएगी अभी बोली तो इसलिए उस कष्ट को हां उसमें प्रतिक्रिया भी होती है बहुत ज्यादा जैसे मेरे साथ भी दो चार बार होती है तो मैंने दो चार लोगों से कहा कि भाई मैं ब्राह्मण पैदा हुआ इसमें मेरा कोई अधिकार ही नहीं था इस व्यवस्था में मेरी कुछ चली ही नहीं मेरे पिताजी ब्राह्मण थे माता ब्राह्मण थी ब्राह्मण पैदा हो गए इसमें मैं क्या करूं आप दलित पैदा हुए इसमें आपका भी कोई दोष नहीं था तो इसके लिए क्या करना चाहिए शासन को व्यवस्था करनी चाहिए शासन ने व्यवस्था करी है कि उनको हो ना उनके प्रति कोई खराब बात ना बोले उनके विषय में य जाति का टिप्पणी ना करी जाए उन्हें पीछा ना समझा जाए और अगर वह पीछे हैं तो उनको बाकी समाज की अन्य परंपराओं के साथ खड़े होने के लिए जो भी परिवार में हल्के से पीछे पड़ गए बच्चे को दिया जाता है जिसको हरारत हो बुखार हो उसको दूध अलग पिलाया जाता है उसके लिए अलग जो है वो मुनक्के डाले जाते हैं ताकि इसका पेट साफ हो उसके लिए सेब लाए जाते हैं नाशपाती लाई जाती है वो किया जाना चाहिए और वो किया जा रहा है तो इसलिए दलितों के और स्त्रियों के विषय पर मैं यह मानता हूं और अभी भी लोगों को लगता है ना कि हो गया है अब तो हो गया है आपके यहां हो गया है सर नोएडा में हो गया होगा फरीदाबाद हो गया हो गांव चले जाइए नहीं हुआ है अभी भी है नहीं अभी अभी बहुत है और वोह कैसे होगा वो सरकारों से नहीं होगा वह समाजों को उनके विषय में सचेत होना पड़ेगा अब प्रश्न कैसे उठता है मेरी बेटी छोटी बेटी वो दिल्ली में पढ़ती थी तो यह बच्चे एक दूसरे के घर रुकते हैं ना नाइट स्टे करते हैं सारे बच्चे इसके रुक गए सारे बच्चे उसके रुक गए तो एक दिन किसी बच्चे क्या रुकी होगी वो वो सेथ एथ में पढ़ती थी शायद या ए में पढ़ती थी दिन मुझसे आके पूछा उसने कहा पापा यह एसटी क्या कास्ट होती है मैंने कहा बेटा कास्ट नहीं होती है कास्ट होती है बोले कैसे मैंने समझाया कि भाई हमारा जब संविधान बना तो हमने व्यवस्था की तो एक शेड्यूल्ड लिस्ट बनाई हमने उस लिस्ट में जो कास्ट गई जो ट्राइब्स गई उनका नाम लिखा जोक वो समाज में आजादी से पहले जो ट्रीटमेंट था वह खराब था ताकि वह मुख्य धारा में आके पूरे देश को एक साथ बलवान बना सके हमारे चारों वर्ण इसकी व्यवस्था हमारे संविधान निर्माताओं ने की हमारे पूज्य पुरुषों ने की हमारे अकारने जिन्होने इस देश को गड़ा उन्होने की तो वो पीछे थे तो बोली पर पापा मैं इशानी के घर गई थी पर वो तो हमसे भी बड़े घर में रहते हैं उनके पास तो हमारे से बड़ी कार है अंकल आंटी तो बहुत बड़े बड़े सॉलिटर पहनते हैं तो मैंने कहा बेटा वह अभी पहनते उनसे तीन जनरेशन पहले नहीं पहनते थे दो जनरेशन नहीं पहनते थे फिर ईशानी को क्यों इसका वो मिलना चाहिए लाभ मिलना चाहिए यह क्वेश्चन है उसके मन में आया है लेकिन ईशानी का परिवार एसटी नहीं है एसटी तो बहुत है ईशानी का परिवार ही एससी नहीं है एससी तो बहुत है तो उसमें थोड़ी सी कमियां होंगी थोड़े कॉम्प्लिकेशंस आएंगे बॉस लेकिन जैसे कहते हैं ना कि इतने पत्थर मारने के बाद आप पर जरा सी धूल उड़ी और आपके आपके कालीन गंदे हो गए यह थोड़ी सी रिएक्शन चल रही है यह खत्म होगी यह खत्म धीमे-धीमे होगी जिस दिन भरोसा बैठ जाएगा मनुष्यता के एक पूरे वर्ग को व्यवस्था ने जो कि सनातन धर्म की नहीं थी बस फिर कह रहा जो 1000 साल इस देश में संस्कृति आई उन्होंने जाति बनाई हमारे नीति जाति सनातन धर्म में कोई जाति इस तरह की नहीं थी कर्म के कारण थी चातुर्मास गुण कर्म विभाग स गुण और कर्म के कारण थी आप इसलिए नहीं कि मिश्रा जी के लड़के मिश्रा हो ग नहीं जी पढ़ोगे लिखोगे दान देना दान लेना विद्या देना विद्या लेना यज्ञ करना य करना चार काम होते तो ब्राह्मण होत नहीं हो दूसरा काम करो ऐसे व्यवस्था थी रू हो गई जैसे भी हुई अब उसे सुधारना मेरे आपके जिम्मे है पीढ़ियों के जिम्मे और मैं आशा करता हूं कि अगले कुछ वर्षों में इस देश में ऐसी चेतना का संचार होगा कि हम इस प्रसंग से बाहर निकल पाएंगे समरस भाव से हम जी रहे होंगे सामाजिक विषय पर आपने बिटिया के एग्जांपल देखे बहुत गहरी बात समझाई है य चर्चा काफी सोशल मीडिया पर चलती है अब धर्म का आखरी सवाल है इसके बाद मैं फिर आऊंगा थोड़ा लाइफ पर एक बड़ा इंटरेस्टिंग कैरेक्टर है अश्वत थामा अभी एक फिल्म भी आई है अमिताभ बच्चन साहब ने किरदार निभाया और मुझे महाभारत काल का सबसे डरावना इतिहास लगता है वह जब मैं अश्वत थामा जी के बारे में पढ़ता हूं कि कैसे उनके पिताजी की द्रोणाचार्य जी का जब हत्या या वध हुआ और उसके बाद वह गए और पांडवों के कुल का नाश करने की कोशिश की और सारे बच्चों को मार दिया और एक क्लेरिटी थी और फिर एक खबर चलती है कि वह अभी भी जिंदा है कई बार अखबारों में छप जाता है कि यहां किसी को देखा गया अश्वत थामा के बारे में थोड़ा बताइए हमें कि उनके किरदार को आप किस नजरिए से देखते हैं सही गलत कैसे अश्वत थामा परिस्थितियों के हाथों गढ़ा गया एक किरदार है एक कैरेक्टर है वो एक ऐसे घर में पैदा हुआ जहां दूध नहीं था और जब उसने दूध मांगा तो उसकी मां ने आटे को पानी में घोल के से दूध कहके पिला दिया यहां पहली बार प्रतिभा संपन्न आचार्य का जो आत्मबल था वो डगमगा उनकी तटस्थ चेतना डगमगा और पहली बार वो किसी के द्वार पर गए और द्वार पर भी वो भीख मांगने नहीं गए थे वो प्रतिदान लेने गए थे जो उन्होंने किया था वो करने गए थे उन्होंने जब द्रुपद की प्राण रक्षा की थी द्रुपद ने कहा था कभी मैं जब राजा बनूंगा तो आधा राज्य तुझे दूंगा तो आधा राज्य मांगने भी नहीं गया था उस आचार्य का स्वाभिमान कम मत करिए द्रोणाचार्य को बहुत लोग गाली बगते हैं मैं खुद आचार्य कुल से हूं मेरे पिता अध्यापक रहे मैं अध्यापक रहा हूं मेरी पत्नी अध्यापक है मेरे परिवार में अध्यापक है मेरी माता जी आपकी माता जी द्रोणाचार्य को गाली मत दीजिए उसका आत्मबल देखिए वो पढ़ा रहा था पैसे घर में रोटी नहीं थी जैसे कि होता है अच्छे आचार्य के पास होती नहीं अच्छे अध्यापक के पास होती नहीं है उसका कोई कोचिंग सेंटर तो था नहीं वहां पर दिल्ली में बेचारा पढ़ा रहा था बच्चों को पैसे जब उसने देखा कि घर में इतना भी पैसा नहीं है कि आटा घोल के पिलाया जा रहा है तो उसे दोस्त की याद आई ऐसे समय में आती है वो गया उसने कहा एक गाय दे दे बस ताकि मैं अपने बच्चे को गाय दो केर दूध पिला सकू क्या गलत मांगा था जी उसने उस आर उस राजा से राजा इतना हंकारी था कि मजाक उड़ाने लगा तो उसने कहा तुझे याद है कि तूने मुझसे कहा था आधा राज्य दूंगा तो उसने कहा देखो ये आए आधा राज्य मांगने ये ब्राह्मण एक ती टांक है आधा राज्य और उसने क्या सबक सिखाया खुद नहीं जीता उसका पूरा राज्य चेलों से जितवा या फिर वो निकला और फिर जाकर उसने हिंदुस्तान के सबसे बड़े राजवंश को कहा कि मैं अपनी सेवा देना चाहता हूं वो तो जानते ही थे पिता में भीष्म की कौन है तो अद्भुत किस्म का धनुर्धर है तो उन्होंने कहा ठीक है यहां अश्वत थामा की अपब्रिंगिंग प्रारंभ हुई सोचिए फिल्म है ये पूरी कहानी है एक ऐसा बच्चा जो इतनी गरीबी में है कि आटे का दूध पिलाया जा रहा है और एक ऐसा बच्चा जो अचानक एकदम राष्ट्रपति भवन प्रधानमंत्री आवास पहुंच गया और ये चल रहा है एनएसजी कमांडो चल रहे है सब कुछ क्योंकि प्रतिभाशाली था आचार्य का लड़का था तो गुरुजी का लड़का इसलिए आदर पा रहा था एक उसके आश्रम में सब बड़े-बड़े लोग आ रहे थे इसलिए आदर पा रहा था दूसरा रिलेशनशिप भी बहुत अच्छा सब कुछ बैठ गया था इसलिए आदर पा रहा था अश्वथामा यहां उसने खुद को करते हुए देखा जीवन एकदम सही पटरी पर चल रहा था कि अचानक एक कैसा शिष्य प्रकट हुआ जिससे पिताजी बेटे से भी ज्यादा प्यार करने लगे अर्जुन अर्जुन सोचिए आप लाइफ ठीक चली थी अच्छा खासा हुआ था फिर अर्जुन अब दुश्मन का दुश्मन दोस्त दुर्योधन को ल यह मामला ठीक है गुरु इस लड़के के मन में घृणा भरो उसने उस लड़के के मन में घणा भरी अर्जुन के खिलाफ भी भरी और पिता के खिलाफ भी भरी पर पिता इस राजयोग में अपने बच्चों को पालने में अपने बेटे से दूर होते चले गए उन्होंने बेटे का मन नहीं पड़ा कभी कि मेरा बेटा क्या चाहता है इसीलिए बच्चों को डील करते समय बड़ा ध्यान से बोलना चाहिए कभी भी तुलना नहीं करनी चाहिए पड़ोस के बच्चे से फलाने का पप्पू देखो अबे वो तुमसे गणा करने लगेगा फलाने पप्पू के चक्कर में तो यह दुर्योधन ने षड्यंत्र रचा और उस षडयंत्र को अनायास पानी दिया द्रोणाचार्य जी की व्यस्तता ने और उनके अर्जुन के प्रति प्रेम यह आप देखते हैं ओलंपिक में मुक्का प जीतने के बाद कुर्सी जीतने के बाद जिस तरह बच्चियां अपने कोच से लिपट जाती हैं जिस तरह लड़के अपने कोच के चरणों में लेट जाते हैं पागलों की तरह रोते कौन है जितना पसीना उसने बहाया उससे ज्यादा कोच ने बहाया है कोच का तो सब कुछ दाव पर है यह तो फिर भी स्टार बन जाएगा कोच को तो यही मिला जोक कोच कौन है जो कर नहीं पाया वो अपने आप को देख रहा है इसमें कि मैं तो नहीं फेंक पाया था इससे करवा दूंगा गुरु आचरेकर नहीं बन पाए थे सचिन तेंदुलकर पर गुरु आचरेकर ने कहा यार मैं इससे करवा दू तुने विनोद कांबली तैयार करा सचिन तैयार करा विनोद कांबली थोड़ नॉन सीरियस हो गए सचिन सीरियस रहे नाम हुआ अब आप क्यों जान रहे हैं गुरु आचार्य करर का नाम मैंने क्यों लिया क्योंकि सचिन तेंदुलकर है तो उन्होंने गढ़ा उसे तैयार करा तो आचार्य ने एक ऐसा शिष्य गढ़ा उस शिष्य के मार्ग में जो जो बाधाएं आनी थी उन्होंने अपने हिसाब से उ का परिमार्जन किया एकलव्य प्रसंग में अंगूठा काट लेना जो है वो सिंबॉलिक है अंगूठा नहीं काटा गया जैसे कहते हैं साहब आपने तो मेरी कलम ही तोड़ दी आपने तो मेरी उंगली काट दी कहते हैं नासा मैं क्या लिखूं आपने तो मेरी उंगली काट दी लोग कहते हैं साहब आपने तो मेरी जबान ही खींच ली अब मैं क्या बोलू अब तो आपने मेरी जबान गिरवी रख दी तो जबान थोड़ी गिरवी रखी आता है आदमी आदमी क्या कहता है मैं अपनी जबान गिरवी रख रहा हूं भाई साहब आपके यहां तो जबान काट के थोड़ी गिरवी रखता है तो ये भी सिंबॉलिक है सर कपोल कल्पना थी सर कपोल का कोई अंगूठा नहीं कटा है अंगूठा कटा है मतलब ये एक एक शिष्य दिखा और एकलव्य कोई जंगली ऐसा बच्चा नहीं था सामान्य वो भीलों के राजाओं का पुत्र है भाई उसके पास पूरी संपत्ति है इसलिए उसको उसके आवरण में हमले करने बंद करो एकलव्य महारथी है अद्भुत व्यक्ति है उनके प्रति बड़ी आस्था है बड़ी श्रद्धा है वनवासी हैं लेकिन वह एक राजा के बेटे हैं वनों के जंगलों के बड़े महिपति के पुत्र हैं वह चाहते थे द्रोणाचार्य से सीखे द्रोणाचार्य चाहते थे कि मेरा शिष्य नंबर वन रहे द्रोणाचार्य ने कहा कि ठीक है अगर मेरे को गुरु मानते तो गुरु दक्ष दो तो बोले क्या गुरु दक्ष बोले आज के बाद धनुष नहीं चलाओगे अंगूठा कट गया मतलब यह गलत है द्रोणाचार्य की ओर से गलती है अध्यापक की ओर से गलती लेकिन ये आप पीछे जाइए एक ऐसा वंचित अध्यापक जिसने अहंकार साहा है उसे सिर्फ यह था मेरे शिष्य तैयार हो जा जिस दिन शिष्य तैयार हुए 105 शिष्य और जब कन्वोकेशन हुआ और कन्वोकेशन के बाद चरणों में गए गुरुदेव आपको गुरु दक्षिणा क्या चाहिए उने कहा कुछ नहीं चाहिए द्रुपद को हरा सकते हो क्या उने कहा हरा लाएंगे गए रात भर में द्रुपद हरा दिया बंदी बांध के चरणों में लाया ये रहा याद है कि तूने मुझे आधा राज्य दिया था तो बोले हा वही वाला तुझे लौटा रहा हूं मेरे पास पूरा राज्य है तेरा पर मैं मित्र हूं आधा राज्य तुझे दे रहा हूं आधा उसे दिया आधा अश्वत्थामा को दिया यहां से अश्वथामा गड़ता है फिर अश्वत्थामा प्रतिहिंसा में पागल हो गया उसके पिता का वध भी अनैतिक था अश्वथामा मृत नरोवा कुंज रोवा देखिए नीति की व्याख्या कैसी है अनैतिकता शुरू किसने की हमको आज लोग बता रहे हैं कि साहब वो यूक्रेन में बच्चे मर गए हाय ओ हो हो हमारे घर में बहस चल रही गाजा में बच्चे मर गए मुझे बहुत दुख है गाजा के बच्चों का बच्चा तो किसी का नहीं मरना चाहिए पशु का भी नहीं मरना चाहिए मनुष्य तो बिल्कुल ही मरना चाहिए मनुष्यता किस बात की बची लेकिन जिस दिन इजराइल में संगीत के समारोह में आई हुई परदेसी बच्चियों को उठा के जीब पर नंगा लिटा के गाजा पट्टी में जुलूस निकाला था और चारों तरफ महिलाएं ता बजा रही थी जिस दिन उसी घटना के समर्थन में रफल गार्ड स्क्वायर पर लंदन में हजारों औरतें तालियां बजाकर गाली बक रही थी कि बहुत अच्छा हुआ बहुत अच्छा मारा इजराइल को अगर उस दिन लोगों ने रुदन किया होता ना बुर्के पहन के तो आज गाजा पर भी पूरा विश्व कह रहा होता गलत हो रहा है अब भी कह रहे हैं लोग गलत हो रहा है गलत नहीं होना चाहिए प्रतिक्रिया भी गलत है बच्चे तो किसी में पर आप बच्चों का इस्तेमाल करेंगे अस्पतालों का इस्तेमाल करेंगे आपको पानी पहुंचाने के लिए मेरे टैक्स के पैसे से जो पाइप दिया गए थे उसमें बारूद भरके आप मिसाइल बनाएंगे फिर कहेंगे नहीं नहीं बच्चे हैं सब इन्ह मत मारो औरत इन्ह मत मारो गुजरात के एक बदतमीज शासक ने मेवाड़ के एक राजा के गौ प्रेम को देखते हुए अपनी तोपों के आगे गाय लगा दी 1000 तीर चले ही नहीं भाले चले ही नहीं और जब गाय उनके यहां घुस गई तब भाले चला दिए तीर चला दिए अब बताओ क्या बचाना था सब गाय बचाते कि राष्ट्र बचाते यह रणनीति बहुत पहले से चलती आई है छद्म बहुत पहले से चलता आया है कि अपने कुकर्म के आगे णा लिटा लो अपने कुकर्म मनुष्यता लिटा लो चाहे कर्ण करे चाहे वह आतंकवादी करें यह सब नहीं चलेगा हत्या तो दोनों तरफ ही अपराध है इधर उधर निरपराध की हत्या इस्लाम में म साहब ने क्या कहा सला वसल्लम हुजूर कहते हैं एक निरपराध मासूम की हत्या व्यक्ति की हत्या नहीं इंसानियत का कत्ल है सो इसीलिए वह गलत हुआ पर वह अनीति चल रही थी और उसी से व हो सकता था और उन्होंने खुद नहीं बताया था कि मैं कैसे मर सकता हूं जब अर्जुन उसे पास पहुंचा था कि आप जब तक लड़ होगे मैं कैसे जीतूंगा आप कैसे युद्ध छोड़ सकते हो उने कहा मैं तो नहीं छोड़ सकता मेरे बेटा जब मर गया आगर मुझे उसकी सूचना गी तो मैं छोड़ दूंगा उसके काट निकाल ली गई जब बोला युधिष्ठिर नरोवा कुंज रोवा तब तक शंख बजा दिया गया तो अश्वथामा एक कॉम्प्लेक्शन है समय का मारा हुआ है परिस्थितियों का मारा हुआ है जीवित है मैं तो क इन बातों प ज्यादा सोचता नहीं हूं जीवित है मुझे मिला नहीं तो मैं कैसे कहूं ठीक है अब हम अपने आखिरी सेगमेंट प आते हैं कुछ छोटी-छोटी बातें हैं जो आपसे लोग जानना चाहते हैं क्योंकि बहुत लंबा इंटरव्यू लेते हैं आप आप रोज मिलेंगे नहीं ना सर मुझे लगता है कि ये सालों का एक इंटरव्यू जिसे हिफाजत से मैं संभाल के रखूंगा बहुत सारे नए बच्चे हैं आजकल बड़ी चर्चाएं चलती है इश्क की बहुत सारी कविताएं हमने इश्क की आप पर सुनी है तब से कोई कल कह रहा था इलाहाबाद रहते हो वहां से लेकर अब तक इश्क चल रहा है क्या होता है इश्क प्रेम मनुष्य को उसका बेटर वर्जन बनाता है कोई क्रीम नहीं बना सकती कोई ब्रांड नहीं बना सकता आप जैसे हैं आप प्रेम कर लीजिए आप बेटर वर्जन हो जाएंगे मनुष्य को हर जीव को जैसे मेरे घर में कुत्ता है हमारे पास है 3 साल का हो गया है वो वो अत्यधिक प्रेम से भरा हुआ है तो वो कुत का बेटर वर्जन है एक कुत्ते में जो एंजाइटी होती है कुत्ते में जो जलन होती है कुत्ते में जो एक पागल बन ता है काट उसके जीवन में है ही नहीं उसके जीवन में परम शांति उतरी हुई है बॉस वो मेरा और मेरी श्रीमती जी के बीच में दोनों टांगे ऊपर करके आसमान में सोता है सामने बांग्लादेश में हिंसा हो रही होती है जोर-जोर से खबर चल रही होती है उधर गाजा पर बम गिर रहे होते धड़ाम धड़ाम मैं कोई जिस दिन यह पागलपन हो जाता है कि हम रेगिस्तान में दूध की नहर खोद लेंगे लेकिन यह ठीक रहनी चाहिए पहाड़ तोड़ देंगे पहाड़ तोड़ देंगे इसके बीच से रास्ता बना देंगे एक हथौड़ा लेके लेकिन कष्ट नहीं होना चाहिए यह प्रेम सिखाता है आपको तो जिन्होंने प्रेम नहीं किया वो मनुष्यता का एक वर्जन नीचे रह गया ये आपका मोबाइल है ना जिससे आप कर रहे हो व जो मैंने रख रखा है ये क्या कहता है आपको रात को 9:00 बजे कहता है आपसे कि इसका वो आ गया है 17.4 फलाना ढम काना या तो लोड कर लो रात को मैं कर दूंगा हम तो इसमें तो यह है रात को मैं कर दूंगा लेकिन प्रेम में ऐसा नहीं है प्रेम में सॉफ्टवेयर खुद लोड करना पड़ता है लेकिन आपको आपका अच्छा वर्धन बनाता है मनुष्यता का अच्छा वर्धन बनाता है इसीलिए प्रेम चा मेरे गांव के मेरे गांव के पड़ोस के एक भाई हैं सूबेदार योगेंद्र यादव कारगिल में थे 22 गोली खा ली उन्होंने उनके घर में भी बच्चे थे उनकी भी मां थी उनका भी गांव था उन्हें भी दिवाली प घर आना था उन्हें भी होली खेलनी थी लेकिन प्रेम था जिंदगी में इश्क कर रखा था तिरंगे से इश्क कर रखा था मिट्टी से यह कर रखा था नहीं जमीन है मेरी मां है प्रेम था पागलों जैसा प्रेम था तो गोली लग गई उसके बाद भी क्रॉल करता हुआ नीचे आया बताने के लिए वो ना आता तो पता नहीं चलती बढ़ जाता मामला तो ये जो प्रेम है ये आपको यह पागलपन सिखाता है आपको तो जिन्होंने प्रेम नहीं किया जीवन में वो तो मतलब अब मैं क्या कहूं उनके प्रति शुभकामनाएं व्यक्त कर सकता हूं कि जीवन में कभी घटित हो किसी से भी करें चेहरे से करें देश से करें किसी चीज से करें तो आपको बताता है ये जो आप आपको जो चाय से इश्क है जो मुझे चाय से इश्क है क्या होता होगा नशा कौन सी दारू पीते होंगे लो पीते ही है मैं दुनिया के ऐसे सेन स्टार होटल में रहा हूं जिनम पूरे पूरे बार कमरे में थे और हम निर्लिप्त यं ही निकल आए वो बोतल ऐसी बंद रह गई लेकिन वह घर पहुंचने प अदरक के कुटने की आवाज कान में आना और वो पहला घूंट अंदर जाना वो जो उतरता है नीचे तक उसमें कोई निकोटिन काम नहीं करता उसमें कोई उसका कोई का वो आपको इश्क हो गया उसके स्वाद से स दुनिया में कहीं आलू टमाटर की सब्जी खाए जो आपकी मां बनाती थी जो कड़ी वो बनाती थी जबान के शुरुआती स्वाद ग्रंथियों को उसका उसका उसका लालच लग गया है पत्नी इतना मेहनत करके बनाती है और जब आप कहते हो कि वो बड़े बहुत अच्छी बनाई है हमारी अम्मा जैसी हमारी अम्मा कहती है उस वो बोलती नहीं उसके अंदर सब आग लग जाती है बोले इनकी अम्मा ही नहीं गई अभी तक भी हमारी मम्मी ज तो ये प्रेम है बाकी कुछ नहीं प्रेम तो आप पत्नी से भी करते हो पर उस स्वाद से आपको प्रेम हो गया तो प्रेम आपको मेरा अंतिम स्टेटमेंट प्रेम यही है प्रेम आपको आपका बेटर वर्जन बनाता है एक चाय प हमको शेर याद आ गया कि इस चाय से रिखा तुमसे इश्क है मेरा सुबह शाम ना मिलो तो सर में दर्द रहने लगता है क्या बात है चाय से इश्क आपको भी तगड़ा बहुत ज्यादा ओके ठीक है कुछ आखरी के सवाल है सक्सेस के पीछे दुनिया पागल है आपके बच्चे भी दो बच्चियां हैं दिन रात काम कर रहे हैं आपने बाहर पढ़ाई करवाई अभी भी हम आपसे मिलने गए तो देखा कि वो तैयार होके जॉब प जा रही है मेहनत कर रही है अब एक सवाल मेरे मन में आता है कि क्या सफलता जिंदगी से बड़ी होती है क्योंकि एक किस्सा मैंने आपका भी सुना था सुशांत सिंह राजपूत का और हम लोग भी पागल है मैंने भी अभी शादी ब्याह नहीं किया कि करियर आगे बढ़ाना है आपने भी जीवन में खूब तपस्या की होगी दिन रात शोज किए होंगे दिन रात मेहनत की होगी फिर जब एक उम्र के बाद ठहर जाते हैं लोग तब वो कहते हैं कि नहीं नहीं और भी चीजों के मायने ज्यादा है आप क्योंकि अब सब कुछ देख चुके इसलिए आपसे बेहतर समझाते हैं क्या सफलता जिंदगी से बड़ी होती है देखिए सफलता की करेंसी क्या है पहले तो यह देखिए एक बुद्ध कथाओं में एक राजा आता है शोण वो इतना व्यसनी था कि वो जब सीढ़ी पर चढ़ता था तो उसके रेलिंग नहीं थी निर्व स्त्रिया युवतियां लड़किया खड़ी की जाती ी जिनके कंधे पर शरीर पर हाथ रखते ऊपर चढ़ता था बाद में वह बुद्ध का भक्त हो गया तपस्या करने लगा तो किसी ने बुद्ध से कहा कि सोण ने भोजन छोड़ दिया तो बुद्ध ने कहा ठीक है बताते रहना फिर किसी ने कहा कि अब उसने जल छोड़ दिया बुद्ध ने कहा बताते रहना फिर आनंद ने आके कहा कि बुध की भगवान अब वो शायद एक रात का है शरीर एकदम क्षीण हो गया है तो बुद्ध उठके उसकी कुटिया में गए उसने उठने की कोशिश की वोट नहीं पाया तो बुद्ध ने कहा बैठे रहो बैठे रहो सुण तुम तो वीणा भी बजाते थे उसने कहा हां तथागत बजाता था तो वीणा के तार अगर पूरे कसे हुए हो तो बजेगी वो उसने कहा नहीं वो तो हाथ रखते हैं उसका तार टूट जाएगा स्वर्ण नहीं निकलेगा अच्छा और वीणा की तार बिल्कुल छोड़ दिए नाए तो बजेगी तो बोले तब तो बिल्कुल नहीं निकलेगी तो उन्होंने कहा कि शरीर वीणा है बु शोण इसके तार इतने मत कसो के टूट जाए तब वो स्वस्थ हुआ और फिर ठीक काम करने लगा तो सक्सेस का मायना आपके लिए क्या है मुझसे ये सवाल किसी ने अभी पूछा था एक बच्चे ने पूछा हवाई जहाज में 36 साल का लड़का था और 3000 करोड़ की कंपनी का मालिक था इंजीनियरिंग से चार दोस्तों ने कंपनी शुरू करी यहां पहुंचा और वो मुझसे कहता है कि सर हम यह बनाते हैं इजराइल भी हमारा सामान खरीदता है हैवी मशीनस बनाते हैं आईईटी से पढ़े सुदर्शन था आपकी तरह बीवी बहुत सुंदर गुड़गांव में बड़ा अच्छा पेंट हाउस है और मुझसे कह रहा सर एक सवाल पूछू मैंने क बताइए सर कई लोगों से पूछूंगा इसका जवाब नहीं मिला सक्सेस का मतलब क्या है सफल होना किसे कहते हैं अब यह कौन कह रहा है 3000 करोड़ का टर्नओवर है उसमें सा स करोड़ उसके भी है आईआईटी से पड़े हैं जम्मू के हैं खूबसूरत सुदर्शन है सब कुछ परिवार ठीक है तो मैंने उसे एक पंक्ति का उत्तर दिया और रोने लगा उसने कहा ऐसा तो मैंने सोचा ही नहीं था आपके होने से अगर दुनिया खूबसूरत है तो आप सक्सेसफुल है अब उसने मुझसे पूछा दुनिया तो मैंने कहा बाह भर दुनिया फ्लैट भर दुनिया अपार्टमेंट भर दुनिया कार्य के स्थान में भर दुनिया दुनिया भर दुनिया आपके होने से दुनिया बदसूरत है तो आप अनसक्सेसफुल है आप हुआ करें कितने ही बड़े आदमी आप कमाल करोड़ों रुपए आप कमाल शक्ति पर आपके होने से दुनिया बदबूदार हुई पड़ी है तो आप बेधन सक्सेसफुल आदमी है और आप कुछ भी नहीं करते हैं आप गुब्बारा बेचते हैं हम और शाम को आप 00 कमा के एक झोपड़ी में अपने बच्चों के साथ रहते हैं हम लेकिन आपके गुब्बारा भरने फुलाने बेचने के गाने से वो क्या बेचता था वो वो कच्चा बादाम बेचने वाला था ना हा हा हा हा हां बाकी भी लोग बेच ही रहे थे मूंगफली हम लेकिन उसने अपने कच्चा बादाम बेचने को अपनी जिंदगी बना रखा था उसने उस रिदम को गढ़ा उन शब्दों को याद किया घंटी पर अपनी वो बजाया चम्मच बजाई और कच्चा बादाम वो जीरा था उस पल को भगवान ने उसे नवाजा उसके होने से वो गली खूबसूरत थी उसके होने से जिन बच्चों के हाथों में मुंगफली गई उन उनके हाथ मक रहे थे ब तो वो भी मुंगफली रहा था आपके होने से अगर दुनिया खूबसूरत है मैं अगर का एक कार्यक्रम करने गया हूं और उतनी देर वो 5000 आदमी जो बैठे हैं बापू सभागार पटना में या एक लाख आदमी जो कोटा के मेले में बैठा है उतनी देर तक अगर वो खुश है कि यार कुमार विश्वास आया मजा आ गया आहा तो फ सक्सेसफुल हो और मेरे होने से मेरी पत्नी कह रही है ये फिर मु सड़ा बच्चा कह रहा है नौकर कह रहा है साला कितने बजे छोड़ेगा इंटरव्यू बोले जा रहा है बोले ही जा रहा है तो मैं अनसक्सेसफुल हूं छोटा सा सिद्धांत है तो आप सक्सेसफुल है फिर नहीं मैं तो अपनी व्याख्या करता हूं मैं सफल हूं मैं तो आनंद हूं क्योंकि मैं आनंद उठा रहा हूं क्योंकि लोग कहते हैं मैं असफल हूं बहुत सारे लोग कहते हैं बहुत सारे नेताओं को मैं जानता हूं जो पीछे कहते हैं पागल है साला क्या जरूरत थी लड़ने की क्या जरूरत है हंगामा करने की अच्छा खासा यह होता बहुत सारे लोग बोलते हैं जब इंजीनियरिंग का फसा फसाद हुआ था तब भी ऐसे ही लोग बोलते थे जब नौकरी छोड़ी थी 2011 में चलती हुई इतनी अच्छी प्रोफेसरशिप तब भी लोग बोलते थे पागल है अनसक्सेसफुल आदमी है अब भी बोलते हैं हो सकता है उनके फ्रेंस फेम में मैं अनसक्सेसफुल ट्रू लेकिन मैं अपने रेफरेंस फेम में मानता हूं कि मैं आनंद में हूं और सक्सेसफुल भाई जीवन में सक्सेस का मतलब क्या होता है आनंद बहना मैं संगीत सुनता हूं तो मैं रोने लगता हूं मैं बहुत देर तक भगवान का विग्रह देखता हूं तो मैं आनंद में रोने लगता हूं मैं अपनी छत पर कड़ हो के बादल देखता हूं तो मेरी आंखें भीग जाती है मैं बच्चियों को प्रसन्न होते हुए खुश होते हुए देखता हूं तो मैं उनसे नजरें बचा के अपने आंसू पछता हूं इसी का मतलब किसके य है आनंद के आस इसी का नाम तो सक्सेस है प्रसन्न हो जिनका जिक्र सबसे शुरू में हुआ जिन बातों का जिक्र हुआ उन बातों के बाद भी मैं खुद को सक्सेसफुल मानता हूं कि हां मैंने वह अनुभव लिया वरना मेरे मन में आज भी रह जाती कि नहीं नहीं बदल सकता है बदल सकता है हो सकता है हो सकता है अब मुझे लगता है कि नहीं नहीं मनुष्य होना महत्त्वपूर्ण है मानवता का पानी सड़ाया वही नालियों से निकल रहा वही टोट से निकल रहा है उसमें बेईमान नेता भी बन रहा है बेईमान डॉक्टर भी बन रहा है बेईमान इंजीनियर भी बन रहा है और सांप्रदायिक कवि पैदा हो रहा अगर यह पूरा साफ हो गया तो फिर नेता भी अच्छा निकलेगा डॉक्टर भी अच्छा निकलेगा पत्रकार भी अच्छा निकलेगा कभ भी अच्छा निकलेगा समापन पर हमने 60 60 सेकंड के दो गेम रखे छोटे छोटे जिसमें हम आपको एक नाम लेंगे और आपके मन में जो भी भाव आता है आप मुस्कुराकर उनके बारे में कह सकते हैं तो एक शब्द लूंगा सबसे पहला बाबा बागेश्वर बालक मन बहुत ही प्यारा बहुत ही सरल और सिद्धि विद तो देखि मुझे पता नहीं मेरा ऐसा कोई संपर्क नहीं ना मैंने जानने की कोशिश करी ना कुछ बट भगवती अगर करोड़ों करोड़ों लोग में बुंदेलखंड के छोटे से गांव में एक सामान्य से परिवार के एक लड़के को इतनी लोक मान्यता लोक प्रियता और लोगों के जीवन में सचमुच आनंद भाव पैदा करने की क्षमता दे रही है तो ईश्वर को स्वीकार करिए ओके महात्मा गांधी जी वो भारत की आत्मा की आवाज भारतीय आत्मा ऐसी होनी चाहिए जैसे बापू थे अब दुर्भाग्य यह है अभी मैं शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति टूटते हुए देख रहा था तो व जो हिंसक भीड़ थी जो तोड़ रही थी उस हिंसक भीड़ के पूर्वजों ने अत्याचार सहे हैं उनके जो उनसे तुड़वा रही है मैंने वीके सिंह सर का इंटरव्यू किया था और उन्होंने बताया कि तकरीब जब वो गए थे बांग्लादेश के अंदर तो हर आर्मी के कैंप में महिलाओं को रखा गया था नस्ल बदलने के लिए केवल बच्चा पैदा करने के लिए ठीक है तो आप देखिए कि जिन्होंने जिनके मां बापों ने जिनके पूर्वजों ने उस शेख मुजीबुर रहमान की ताकत के सहारे जिंदगी का उजाला देखा था गुलामी से बाहर आए थे आज उनका ब्रेन वाश ऐसा कर दिया गया है कि वह तोड़ मेरी आपकी जिम्मेदारी है कि हम भारत में अगर ऐसी कोई सोच रख रहा हो हम कि एक दिन गांधी के पुतले ऐसे तोड़ेंगे हम तो उसके खिलाफ हम अपना अस्तित्व लड़ा के खड़े हो जाए जब तक हम जिंदा है जब तक हमारा शरीर है तुम ऐसा नहीं कर सकते नोबेल पुरस्कार मिलाया यूनिस साहब को सफेद बाल है उनके मुंह में दही जम गई उनके एक बार नहीं निकला उनके मुंह से कि क्या बदतमीजी कर रहे हो अरे उनकी लड़की तानाशाह है उनकी लड़की ने खराब शासन चलाया उनकी से लड़की लड़की ने सुप्रीम कोर्ट खरीद लिया जो भी तुम्हारा आरोप है हो सकता है हो चलाओ उसके खिलाफ मुकदमा हरा दो उसे चुनाव भाग गई वो तो देश छोड़ के आ गई क्योंकि तुमने कह दिया चले जाओ अब जिसके सारे देना है दे लो उसको देश पर यह क्या बदतमीजी कर रहे हो भाई आप आप एशिया का रोरिग टाइगर थे टका रुपए से ज्यादा मजबूत हो गया हम यह शर्ट खरीदते हैं पहन रख मैंने बांग्लादेश की खरीदी बांग्लादेश से नहीं ली मैंने लंदन से लि लंदन में जरा के हॉल में गया था बिकरी थी ले ली पहन ली अच्छी लग गई अंदर लिखा हुआ है मेड इन बांग्लादेश खुश हुआ मेरे भाई की है कोई बात नहीं मुझसे लगे पर मेरे चाचा के लड़के की है ऐसे ही तो लगेगा ना आपको हम खुश हुआ अचानक आपको याद आया कि हम इस्लाम में यकीन करते हैं भाई और अगर ये विरोध है अगर ये विद्रोह तुम्हारा आरक्षण के खिलाफ है तो हिंदू मंदिर क्यों चल रहे हैं हिंदुओं की बेटियों के साथ बदतमीजी क्यों हो रही है 300 साल पुराना एक संगीतकार का घर क्यों जला दिया हमको ज्ञान मत दो हमको मत सिखाओ तुम इसका मतलब अंदर तुम्हारे वही सोच है क्या बकवास है और कैसे चलोगे चलो अच्छा तुम्हारी जहालत मुबारक इधर एक जाहिल है तो उधर भी जाहिल सेही कोई दिक्कत नहीं हम तो सत्य की दीप सिखाए हैं हम तो हजारों तूफानों में जिंदा रही हैं तुम तो जरा से हो अब तो यूनाइटेड नेशंस भी है अब तो नाभिक ऊर्जा भी है तब तो खड़क लेकर आता था वोह और हमारे सामने करता था लूटता था सोमनाथ लूट के ले गया राम मंदिर लूट के ले गया और वो जाहिल आया था रेगिस्तान से राम मंदिर लूटने के लिए सोमनाथ लूटने के लिए कि यहां का हीरा ले जाऊंगा मेरी प्रगति हो जाएगी उस राम के माथे पर आज भी 400 करोड़ का हीरा लगा हुआ है और तू आज भी रेगिस्तान में कटोरा लेकर घूम रहा है गधे की पीठ पर घूम रहा है किसी को लूटने से कोई अमीर नहीं बनता क्या राम से सीखा होता क्या सोमनाथ से सीखा होता य आक थोड़ा वेदांग जानता य आक थोड़ा ज्योतिष जानता फलित जानता यहां आकर थोड़ा वैशेषिक दर्शन पढ़ता तो तू भी प्रगति के पथ प होता तेरी भी श्री हरिकोटा से सुबह दोपहर शाम मिसाइल उड़ रही होती तेरा भी सत्यम बैठा होता गगल में तेरा भी शिवम बैठ होता किसी बड़ी कंपनी में लेकिन तूने ऐसा किया ही नहीं तो यह अपने पतन के रास्ते पर है मुझे दुख होता है यूनुस खान साब जैसे लोगों का शद इसीलिए वो बनाए गए उन्होने शायद अपनी कुर्सी से मुह हो गया होगा कुर्सी में भी ताकत होती है ना सर क्या ताकत होती है मैं तो आज कॉल करने वाला हूं कैलाश जी को बड़े भाई साहब हमारे कैलाश सत्यार्थी जी नोबल वाले एक दूसरे से परिचित होते हैं कि वो उनको कॉल करें बल्कि मैं तो उनसे कहूंगा वो जाए वहां कोई तो खड़ा नहा खाली में वो खड़ा हो गया 40 किलो का बूढ़ा जो भी हो रहा था दोनों पक्षों ने अपने हथियार फेंक दिए देश में एक आवाज नहीं है बांग्लादेश में और मैं तो भारत से भी बड़ा चिंतित हूं कि भारत ने जिस तरह से विरोध करना चाहिए था उस तरह का विरोध नहीं करा यह कोई सन 64 का भारत नहीं है ये कोई सन 60 का भारत नहीं है ये 2025 का भारत है विश्व की औकात नहीं है हमें आग दिखाने की मार्केट हमारे ऊपर है 150 करोड़ लोग हैं जिसका एल फोन फेंक देंगे कल दुकान बंद हो जाएगी जिसकी तो हमें अपनी बात कहनी चाहिए वहां अगर एक समाज इतना बड़ा वहां पर है जिसकी जड़े भारत में भी हैं अगर उसके साथ कुछ गलत हो रहा है तो आंख दिखानी चाहिए ये किस दिन के लिए पाल के रख रखे हैं ये राफेल इनम क्या है इन बच्चों से खिलाओगे इन्हें उड़ा के क्या हो चड्डी घुमा के लाता हूं आसमान में ये इसी दिन दिन के लिए कि बताओ तमीज में रहो पड़ोस में रहना है तमीज में रहो पहले भी तो ऐसे ही किया था क्या किया था मैडम गांधी ने कितनी गाली दे लीजिए मैडम गांधी को क्या किया था उसने यही तो किया था बदतमीजी कर रहे थे उसने कहा बदतमीज नहीं करने दूंगी और उस समय तो निक्सन था बिना मेले चली आई थी शेरनी गई थी यूनाइटेड नेशंस में नटवर सिंह जी की किताब पढ़िए वन लाइफ इज नॉट एनफ या पढ़ी आपने उसमें लिखते हैं नटवर सिंह कि वहां से आ रहा था कॉल और मैंने पूछा मैडम वहां जाना तो उन्होने मुझ से पूछा कि तुम किसके किसके लिए काम करते हो मेरे लिए कि निक्सन के लिए बोलो मैंने बहस बंद कर दी कक प्रेसिडेंट से जगह से आ रहा था कम मिल के जाएगी मिलके जाएगी नहीं जाएगी गई और बिना मिले चली आई आग दिखा दी भूख नंगा हिंदुस्तान था कुद बनाते नहीं थे कोई सॉफ्टवेयर नहीं बनता था हमारे जूझ रहे थे हम तब हमने आख दिखा दी थी अब क्यों नहीं दिखाते भाई साहब आप दिखाइए आप अपने हिसाब से दिखाइए जो भी आपका तरीका होता हो सो इसलिए कोई तो बोलेगा बॉस हम तो बर्बाद इसी सिलसिले में बोलते रहते खूब बोला हमने एक वर्ड के लिए कहा था आपने हम अच्छे से बोला अच्छी बात इसीलिए हमारा इंटरव्यू लंबा चला ओके नेहरू जी एक एक नया बच्चा जब पैदा होता है उसे जैसी न चाहिए नेहरू जी वैसे ही मेल नर्स थे आजाद हिंदुस्तान को जिस तरह के हाथ चाहिए उन्होंने बहुत ब्लंडर्स की उनकी बड़ी गलतियां है हर आदमी से होती है टरर ह्यूमन वो कोई महापुरुष नहीं थे कोई ऐसा कोई देवता नहीं थे कि उनसे गलती ना होती घर के बुजुर्ग थे गलती हो गई हमारे पिताजी ने भी करी है गांव में जमीन थी दे दी रिश्तेदारी में किसी को मेरी मां कहती रगी क्यों बेच दी 18 बी की जमीन थी मैं छोटा सा था मेरी मार रोने लगी मैंने कहा क्या हो गया बोले तेरे पिताजी ने मैंने क चिंता मत कर मुझे इतना ही मैथमेटिक मैंने 36 बीके खरीदूंगा खरीदी मैंने केवी कुटीर में मैंने कहा य रे जब बड़ा हो गया तब खरीदी मैंने गाली देनी थोड़ी शुरू कर दी अपने पिताजी को कि तुमने 18 बी भेज दी मेरी मारला दी मेरी मारला दी मेरे पिताजी वहां जाते मैं लो पिताजी माताजी के पुण्य कर्मों के कारण यह पृथ्वी का हिस्सा सेवा करने के लिए मिला है तो इस आजाद भारत के नवजात शिशु को जिस समरसता जिस सहकार जिस वैज्ञानिक दृष्टि जिस प्रगतिशील सोच वाले दो हाथों की आवश्यकता थी जो ठीक से गर्भ नाल काटे अंग्रेजों वाली जो ठीक से ड्रेसिंग करें ठीक से दुग्ध पान की व्यवस्था करें नेहरू जी ऐसी मेल नर्स थे दो चार गलतियां नर्स से भी हो जाती हैं थोड़ा बच्चा रोता रह गया इस वाले कान में से साफ नहीं करा हो जाती है अब उसके लिए नर्स को कोई फांसी थोड़ी चढ़ाओ ग अभी गाली देते हैं लोग चलो भारत है लोकतांत्रिक है पर मेरे मन में तो उनके प्रति बहुत आदर है सावरकर सावरकर की अपनी दृष्टि थी आजादी की लड़ाई के लिए और सावरकर ने जितना संघर्ष किया अब देखिए इस इंटरव्यू के बाद क्या होगा यह आदमी बड़ा खतरनाक है य गांधी की तारीफ करता है सावरकर की तारीफ करता है अबे तुम मूर्ख हो मैं खतरनाक नहीं हूं तुम्हें या तो सावरकर चाहिए या गांधी चाहिए और मुझको इस देश की आजादी के लिए दोनों चाहिए थे मुझको सुभाष भी चाहिए मुझे चापेकर बंधु भी चाहिए मुझे खुदीराम बोस भी चाहिए मुझे सचिना सनल भी चाहिए मुझे मनमत नाथ गुप्त भी चाहिए मुझे दुर्गा भाभी मुझे सब चाहिए सबके सामूहिक से इस देश की प्राण चेतना आजाद हो पाई जो 15 अगस्त मना रहे हैं हम लोग सावरकर ने उस समय जो निर्णय लिया उसकी तात्कालिक परिस्थितियां कैसी थी उन्हें कैसे दो दो बार काला पानी की सजा हुई एक बार अंडमान जाइए उस सेल का स्पंदन अनुभव कीजिए जहां एक भाई बंद है और न साल बाद अचानक पीछे एक लड़के को देखता है और देखता तो पहचाना हुआ है फिर कहता छोटे तू यहां कैसे बोले भैया मैं भी न साल से यही ऐसा परिवार देखा है आपने हो सकता था और अब ज्ञान लेकर वह कागज लेकर कि साब यह कह दिया था वोह कह दिया था यह मूर्खतापूर्ण बात है च नरेंद्र मोदी जी नरेंद्र मोदी भारत में इतने सारे लोगों के प्रिय हैं और भारत के प्रधानमंत्री हैं भारत के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और वह बहुत सारी चीजों में बहुत अद्भुत है बहुत सारी चीज उनमें भी कमी है निश्चित रूप से जिनके ऊपर चर्चा होती है इतिहास उनका आकलन करेगा अभी तो कर नहीं सकता क्यक अभी तो प्रधानमंत्री है पद पर रहते हुए किसी का आकलन नहीं होता पद पर जाने के बाद बाद आकलन होता है नेहरू जी का भी पद पर रहते हुए नहीं हुआ था नेहरू जी का जाने के बाद हुआ अटल जी का पद पर जाने के बाद हुआ लेकिन फिलहाल जो उन्होने लोकप्रियता हासिल की 2014 में वो अद्वितीय थी जो प्रोएक्टिव उनमें है वो अद्वितीय है और यह विपक्ष के नेताओं को उनसे सीखना पड़ेगा कि आयु के सातवें दशक में होने के बाद भी वह जितना श्रम करते हैं जितने सचेत रहते हैं आयु के 50 में और 40 में दशक में होने के बाद भी अगर नेता उतना श्रम नहीं करेगा और फिर सोचेगा मोदी को हरा ले य तो मुश्किल हो जाएगा भाई साहब मेहनत तो करनी पड़ेगी एस्ट्रोटर्फ की हॉकी हैकी तो पकड़ लिया था थोड़ा सा अयोध्या भी हरा दिया यह तो चलता रहता है अयोध्या हार गए मैं कहता हूं हारना जीतना मेरा आपने मुझसे ये नहीं पूछा कि विजेता या प्रधानमंत्री आपने पूछा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री जी को मैं 2002 से जानता हूं निजी रूप से वो भी मुझे 2002 से जानते हैं तो मैंने उनका संघर्ष देखा है मैंने उनकी एक दृष्टि देखी है कि मुझे यहां पहुंचना है वो बड़े बड़े शमशी व्यक्ति हैं बड़े प्रोएक्टिव है उनकी बड़ी नजर है चीजों पर और बड़े क्विक लर्नर है बहुत सारे लोग यह कहते हैं कि वह अहंकार है उनमें लर्नर तो मैं मानता हूं क्योंकि एक गुजराती व्यक्ति अगर मुझसे बेहतर हिंदी बोल रहा है या उनके हाथों के उठने बैठने के जो तरीके हैं व सीखे हुए हैं तो मुझे लगता है कि यह चीज मैं उनसे सीखना चाहूंगा देखिए वो यह जानते थे कि 10 साल देश में जो सत्ता रही है उसमें प्रोएक्टिव की कमी है यह बताइए आपने यह आखरी बार कब देखा था कि किसी प्राइवेट कंपनी के 17 मजदूर एक टनल में फस जाए और एक केंद्रीय मंत्री पोर्ट कर दिया जाए एक लोहे के केबिन में यही रहे एक मुख्यमंत्री की ड्यूटी लगा दी जाए सुबह शाम देख के आ कि निकले कि नहीं निकले उसी शाम सात घंटे बाद ही पानी पहुंचा दिया जाए लाइट पहुंचा दी जाए और खाना पहुंचा द कब देखा था आपने आखरी बार आपने आखिरी बार कब देखा था कि दो देशों के बीच युद्ध चल रहा हो और बिना यूनाइटेड नेशन से च च च च च च रियारा किए बिना बिना उस देश से बात किए बिना युद्धक विमान उतारा जाए अपने भी उठाए जाए पड़ोसियों के बिठाए जाए यह आखिरी बार आपने कब देखा था कि एशिया कॉमनवेल्थ और ओलंपिक में जाते हुए खिलाड़ियों को जाते वक्त एक आदमी कंधे पर हाथ रख के चिंता मत करना बेटा अच्छे से खेलना जब हार जाए तो उनके गंदे पर हाथ रखे कोई दिक्कत नहीं और ज जीत जाए तो खाना खिलाओ बिठा यह आखिरी बार कब देखा था कि मिशन पर लगे हुए वैज्ञानिक अगर मिशन में फेल हो जाए तो उनको रोते हुए वैज्ञानिक को गले लगा के कहा जाए कोई बात नहीं मैं खड़ा हूं अगली बार करते हैं वी विल डू इट यह प्रोएक्टिव नेस है इसपे दूसरा वाला पॉइंट ऑफ व्यू सर ये आता है कि मोदी जी को कैमरा पसंद है और अच्छा लगता है कि हर चीज वो भी लाइमलाइट में आते हैं इसी बहाने भाई तो तुम भी कर लो कैमरे तो बहुत सस्ते हैं आजकल तो मोबाइल में ही है उसी में कर लो और करते नहीं हो क्या भाई यह सब यह सब ज्ञान मत दो देखो खेल है खेल चल रहा है राजनीति है खेल है मतदान का खेल है जनता कैसे प्रेम करेगी जनता कैसे सम्मोहित होगी अगर मोदी जी को यही आता है और यही चलेगा तो यही सीखो वो ऐसा हो गया था मैं तो इसलिए आउट हो गया था वो मेरे में ऐसा था मेरा पेन ऐसा हो गया था इसलिए पेपर नहीं लिख पाया था वो मैं लेट उठ गया था मेरी कमीज का रंग ऐसा ये बहाने मत करो एकात्म पराक्रम है राजनीति जैसे क्रिकेट में होता है हवा चल गई थी बॉल स्विंग कर गई थी मेरा पैर पीछे रह गया था वह भागा नहीं था यह सब नहीं लिखा जाता रिकॉर्ड में रिकॉर्ड में लिखी जाती सेंचुरी इतनी जीरो प आउट इतने तो भाई साहब अगर एक 70 साल से ऊपर के व्यक्ति के संघर्ष उसकी मेहनत उसकी सोच को आप मात नहीं दे पा रहे हो सारे मिलके जैसे अंतिम बात कहता हूं पॉलिटिकल बात करने का मन नहीं करता पर आप इतने प्यार से उसने सोहक तरीके से कहते हैं साहब डेमोक्रेटिक नहीं है प्राइम मिनिस्टर लोकतांत्रिक नहीं है चलो मान लिया साहब लोकतांत्रिक नहीं है लोकतांत्रिक मूल्य में आस्था नहीं है उनकी साब मान लिया साहब बिल्कुल मान लिया वो दो लोग जो चाहते हैं वही करते हैं साब बिल्कुल आप जो कह रहे हो सत प्र अच्छा आप कितने लोकतांत्रिक हो भाई साहब आप बंगाल में राज्य करती हैं आप किसी को पसंद नहीं करती भतीजे के अलावा आप दिल्ली में राज करते हैं आप किसी को पसंद नहीं करते खुद के अलावा आप जेल में बंद है फिर भी मुख्यमंत्री रहेंगे आप उत्तर प्रदेश में आपको चाचा ही पसंद नहीं था आप जहां है वहां तो आपको अपने बेटे पसंद है पत्नी पसंद है या आप खुद को पसंद है आप खुद लोकतांत्रिक है नहीं आपके य कब चुनाव हुए अध्यक्ष के बताओ आपने कब लोकतांत्रिक बने अगर वो लोकतांत्रिक नहीं है तो उसकी चढ़ती पतंग है भाई वो प्रधानमंत्री है तुम जब हो जाते हो तब और जो कह रहे हैं भगवान ना करे कभी दिना इनमें दो चार को तो मैं निजी रूप से जानता हूं ईश्वर ना करे किसी बड़े पद पर पहुंच गए तो लोग बाग र नरेंद्र मोदी को मसीहा मानेंगे बड़ा भला आदमी था भाई माफी मांग लेता था किसान आंदोलन वापस ले लेता था लोग कहेंगे मोदी बहुत अदभुत आदमी था क्या अदभुत आदमी था यह कहां से आ गए इतने बड़े वाले हैं ये तो भाई साहब अंग्रेज से गांधी बन के लड़ा जाता है अंग्रेज बनक नहीं लड़ा जाता ब अगर आपको लगता है नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक है लोकतांत्रिक हो जाओ करवाओ चुनाव तुम ही रहोगे बस तुम्हें पूरी पार्लियामेंट में कोई नहीं मिलता नेता बनाने ख लिए मैं किसी की भाषा का अनादर नहीं कर रहा लेकिन बड़ा पक्ष हिंदी सुनता है या अंग्रेजी सुनता है तुम्हारे पास शशि थरूर भी है और तुम्हारे पास मनीष तिवारी भी है उसी पार्लियामेंट के अंदर पर नेता बनेंगे वो अधि रंजन जी फिर वो माफी मांगे नहीं मेरा हिंदी खराब था इसलिए फंस गया था अबे भैया तो क्यों दिया था काम खड़गे साहब आयु हो गई वरिष्ठ हैं क्योंकि आपको स्पेस ऐसी किसी आभा को नहीं देना है जिससे कंपटीशन लो एक हमारे इलाहाबाद के शायर उनका एक शेर है कि इस धुल के में भला कैसे सुझा देते इस धुल के में भला कैसे सुझा देते हम तेरे साथ ना होते तो दिखाई देते यह सारे पॉलिटिकल नेता अलग-अलग पार्टी के ये इनसिक्योरिटी से भरे हुए हैं और मैं जब सारे कह रहा हूं तो सारे कह रहा हूं समझ रहा हू मैं सारी पॉलिटिकल पार्टीज कह रहा हूं आप इनके ऊपर से नीचे तक की इनकी कैबिनेट जो बना रखी है इन्होने चारों तरफ अपनी उनके लोग चुन के देखिए इन्हें इनकी पार्टियों से हटा के चौराहे पर खड़ा कर दीजिए सामान्य वस्त्रों में लोग समझेंगे मनरेगा के मजदूर खड़े हैं सुबह ठेकेदार लेकर जाएगा इनकी कोई आभा नहीं यह पांच आदमी इकट्ठे नहीं कर सकते पांच आदमी की बात नहीं बदल सकते अपनी बात रख नहीं सकते और जैसे ही कोई ऐसा आदमी दिखाई देता है बोले बस यह खराब है े हटाओ जी यह नहीं होना चाहिए हमारे वाला भी य प्रॉब्लम था उसे अब अगला शिकार कौन है अगला शिकार वो बालक है जो खुद नहीं पैदा करा इसकी कुछ औकात भी नहीं है वो थोड़ा लोकप्रिय हो गया है हीरोइन से ब्याह कर लिया है व्रल दिखने लगी ये नहीं दिखना चाहिए दिखेगा नहीं दिख भी नहीं रहा वो मैंने जब हुआ था मैंने तभी कह दिया मैंने ये गया इसको नहीं छोड़ेगा आप उनकी शादी पे हमको ही बहुत बधाई आई थी नहीं मैंने कहा इसको छोड़ेगा नहीं इसको अब निश्चित रूप से क्योंकि आप इतने ज्यादा डरे हुए हैं भाई कि आपको आभा बर्दाश्त ही नहीं है किसी की भी हमने जब कवि संमेलन में कविता पढ़ी लोकप्रिय हुए तो 32 कवियों ने हमारे खिलाफ फतवा दिया कि ये पढ़ेगा तो हम नहीं आएंगे हमसे लोग पूछते थे आपका ऐसा किस मैंने कहा नहीं किसी को पिलाओ किसी को ले आओ जिसकी मैया ने दूध पिलाया उसको लाओ लाओ एक लाख आदमी कोटा में लाओ निंबाहेड़ा में एक आदमी तू भी खड़ा अ भी ड़ तू जमा हम जमा तू कितनी देर तक पढ़ता है हम कितनी देर तक पढ़ते हैं यही तो संघर्ष है योग्य जन जीता है पश्चिम की उक्ति नहीं गीता है गीता है गीता य तो कहती है सर्वाइव तो फिटस जो बाद में डार्विन हमारी बात गाने लगा इसलिए नरेंद्र मोदी अपने अपने स्टेडियम में अपने डी में अपने प्लेटफार्म पर जो कर रहे हैं उनकी टक्कर का नेता भारत में अभी नहीं है और वह बनने के लिए उनको मोन और मीडियम जो बदलने पड़ेंगे मोड मीडियम वह बदलने को तैयार नहीं है वो चाहते हैं उन्हीं के हथियार लेकर उन्हें हरा दे अरे भाई साहब उन हथियारों पर उनका नियंत्रण है उन्होंने डिस्कवर भी खुद ही किए है पहनाए भी खुद ही है उन्हें पता है किधर से क्या काट चलती है तुम कर हमारा वाला चला नहीं पहले लड़ाई का मैदान बदलो भाई साहब कुमार विश्वास इस इंटरव्यू में मुझे सहवाग और सचिन जैसी आक्रामकता नजर आई पूरे इंटरव्यू में आप अपनी बातों से क्योंकि आपके पास शब्दों का चयन बड़ा अच्छा है आप डोमिनेट भी करते नजर आए मेरी गजल का एक शेर है वैसे तो एक उसम अलग-अलग शेर है लेकिन उस शेर ये है कि वो शख्स काम का है हम वो शख्स काम का है दो ऐप भी है उसमें हम वो शख्स काम का है दो ऐप भी है उसमें एक सर उठाना दूज मुंह में जबान रखना शाबाश तो हमें 98 गुण है 100 में से दो अवगुण है एक तो हम सर उठाते हैं और एक मुंह में जबान रखते हैं ये दो अवगुण जहां जहां चलेंगे वहां वहां हमारी स्वीकार्यता नहीं होगी और जहां जहां इन अवगुणों को गुण माना जाएगा वहां वहां हमारी स्वीकार्यता होगी लोक में सामान्य लोग इसे गुण समझते हैं तो वो कहते बहुत अच्छा है यार ये आदमी अच्छा है सच बोलता है और संगठनों में य कि यार ये तो बहुत अवगुण है पता नहीं क्या बोल देगा पता नहीं क्या कह देगा तो वो दूर रहते हैं नहीं लेकिन इसीलिए हमने बेस्ट फॉर द लास्ट बचा के रखा था एक सेगमेंट छोटा सा 60 सेकंड का बचा हुआ है जिसमें हम आपको थोड़ी बाउंसर और रकर देंगे इतनी आसानी से आपको जाने दे फिर बात कैसे कुछ तो आना चाहिए कि हमको भी लगे कि आप थोड़ा फसे थोड़ा असहज हुए थोड़ा परेशान हुए तो अब कहानी यह है कि हम दो आदमी का नाम लेंगे अब व आपके ऊपर है उस पर कितने करते है और हम आपसे उनमें एक सवाल पूछेंगे आपका नजरिया होगा तो पहला सवाल मनीष सिसौदिया अरविंद केजरीवाल में ज्यादा ईमानदार कौन है वो तो सरकार वो चला रहे उन दोनों को पता होगी या सुप्रीम कोर्ट के जज को पता होगी जमानत देता है साथ तो आप भी रहे नहीं मेरे सामने तो हो रही थी मैंने बता दिया कि दोनों चोटा बना मत करो तो उन्होंने कहा कि तू निकल ले यहां से मैं लिया उसके बाद अब कोर्ट जाने जज जाने वो जज बता देता है वही जानेगा भाई मैं तो क्या जानूं मैंने कागज देखे भी नहीं और मेरी कोई रुचि भी नहीं है उन कागजों को देखने ठीक राहुल गांधी अरविंद केजरीवाल में विपक्ष का बड़ा नेता कौन बन सकता है राहुल गांधी मनुष्य बेहतर है मैं उनसे भी मिला हूं भले आदमी है स्वीट से मैंने तो उनके बारे में काफी खराब बातें भी बोली थी हीट ऑफ द मूमेंट में जब हम चुनाव लड़े लेकिन उसके बाद उनका जो व्यवहार रहा मेरे से बातचीत का सुनने समझने का कभी मिल गए सार्वजनिक समारोह में आज पाज में कभी मिल गए जिस गर्म जोशी से वो मिले और जैसा उनके रिफ्लेक्सेस दिखते हैं उसे लगता है उनके अंदर ह्यूमन क्सेंट ज्यादा है और राजनीति हो परिवार हो वो मनुष्यता से ही चलते हैं दूता से नहीं चलते तो एक नाम कौन से लेंगे विपक्ष जो मोदी जी को टक्कर दे सकता है वो जनता तय करेगी इन दोनों मुझे क्या पता भाई मैं क्यों मैं एक वोट देने वाला हूं मैं अपनी वोट दे आऊंगा जिसको देनी होगी एक फिल्म आने वाली है फ्रीडम एट मिडनाइट एक बड़ा अच्छा सीन दिखाया गया उसमें जो हमने पढ़ा भी था कि 35 45 में सरदार पटेल पहले प्रधानमंत्री बन सकते थे गांधी जी ने नेहरू जी को चुना आज के दौर में अगर आप देखें बड़ी चर्चा चलती है पटेल नेहरू पटेल कश्मीर वाले उसपे शूप और बस श पे पटेल नेहरू में आप ज्यादा किससे क्लोज पाते हैं अपने देखिए पहली बात तो क्या है कि सरदार पटेल बहुत अद्वितीय नेता हैं बहुत अद्वितीय नेता उनकी जो दृढ़ता है उसके कारण ही भारत के शरीर का निर्माण हुआ है यह भारत माता का आंचल और फटा हुआ हो सकता था अगर पटेल ना होते तो उन्होंने जो दृढ़ता दिखाई जो पैरा आ गया चाहे जूनागढ़ रियासत हो चाहे हैदराबाद हो चाहे बाकी विलय हो वो उनकी दूरदर्शिता बुद्धिमत्ता भारत का भारत का जो गृह कानून है जो गृह मंत्रालय इतनी स्मूथस के साथ चलता है उसके पीछे पटेल जी की प्रतिभा लगी हुई है बेहद ईमानदार आदमी जिनकी बेटी जो है वह सस्ती साड़ी पहन के रहती हो इसलिए कि पिता की सैलरी इतनी है गरीब की बेटी है यह कहा उन्होंने आप कभी महावीर प्रसाद त्यागी की किताब पढ़िए आजादी के आंसू सचमुच में आंसू आ जाएंगे उसमें ऐसे ऐसे किस्से हैं वो जो आप जिक्र कर रहे हैं इतिहास में एक पन्ना ऐसा हुआ कि पटेल के समर्थन में ज्यादा लोग थे फिर नेहरू जी आ गए जब गांधी 1920 के दशक में भारत में उतर के एक सक्सेसफुल करियर छोड़ के अंग्रेजों के राजा के सामने तन करर खड़ा था तो बहुत ताली बजा रहे थे जब गांधी के सामने चार्ली चैपलिन झुक जाता था और उसने कहा मैंने ऐसा आदमी नहीं देखा अपनी जिंदगी में मेरी गली में कभी मैंने इतनी भीड़ नहीं देखी जब ये फकीर उतरा है तब तो आप बहुत ताली बजा रहे थे जब आइंस्टाइन जैसा बड़ा वैज्ञानिक कह रहा था आने वाली सदियां इस बात पर भरोसा नहीं करेंगी हाड़ मास से बना हुआ कैसा आदमी पृथ्वी पर चला था तब तो आप बड़ी तालियां बजा रहे थे अब आपको अपने हिसाब से निर्णय सोचने करने तो आप गांधी की भूलों पर और गांधी की चीजों पर तबसरा करने बैठे हैं मेरा काम ही नहीं है यार ठीक कि मैं पटेल को सुभाष को और नेहरू को और सावर को तुलनात्मक करता मेरे घर के बुजुर्ग थे कोई ताई जी का लड़का था कोई चाचा जी का कोई बाबा व वाले थे सब बहुत अच्छे थे इन्होंने मुझे ऐसा घर दिया है इसमें थोड़ा सा कोना आ गया इसमें गीलापन आता है इसमें यह मैं इसके लिए उन्हें गाली नहीं दूंगा मैं अपना कौशल अपनी प्रतिभा लगाकर इस घर को ऐसा बनाऊंगा कि उनकी आत्माएं ज स्वर्ग में सामूहिक रूप से बैठी होंगी वो कहेंगी कि बच्चे बहुत अच्छे निकले हमारे अटल जी और मोदी जी में बीजेपी का सबसे बड़ा नेता कौन अटल जी तो बहुत बड़े नेता है नरेंद्र मोदी बहुत लोकप्रिय नेता मैं भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ा नेता लाल कृष्ण अडवाणी को मानता हूं क्योंकि लाल कृष्ण अडवाणी का ही चमत्कार था कि उन्होने क गौतम गंभीर वाला बयान था लाल कृष्ण अडवाणी का चमत्कार था कि उन्होंने भारत में प्रो कांग्रेस और एंटी कांग्रेस राज नीति को प्रो बीजेपी और एंटी बीजेपी बनाया एक लंबे समय तक इस देश में राजनीति य चलती थी प्रो कांग्रेस पार्टियां होती थी एंटी कांग्रेस पार्टिया होती थी आज क्या है प्रो बीजेपी पार्टी और एंटी बीजेपी पार्टी है और संगठन बनाने वाला व्यक्ति होता है जो नेता ज्यादा पैदा करता हो आडवानी जी ने नेता बहुत पैदा की आडवानी जब राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब आप राष्ट्रीय महासचिव सोचिए कौन-कौन थे सुषमा जी थी उमा जी थी प्रमोद जी थे एक से एक तो अडवाणी जी के समय में जो राज्यों में मुख्यमंत्री बने वो कितने लोकप्रिय नेता आगे चलकर बने तो संगठन जो बनाता है नेता के रूप में पूछा आपने शासक नहीं पूछा मुझसे हम अटल बिहारी वाजपेई अद्भुत प्रधानमंत्री रहे उनके निर्णय ने बीजेपी का सबसे बड़ा नेता कौन हां हां मतलब मुझे लगता है कि तुलनात्मक दृष्टि से आडवाणी जी ने जो निवेश किया इस पार्टी को खड़ा करने में इसके संगठनात्मक ढांचा खड़ा करने में जैसे मध्य प्रदेश को भारतीय जनता पार्टी का मायका कहा जाता है कुछ भी आंधी तूफान आए वहां नहीं हिलता क्योंकि वहां आज भी अगर 10 नल गांव में आए हैं तो यह कहां गड़ें यह विचार विधायक जी नहीं कर सकते पार्टी का कार्डर करता है तो वोह जो निटिंग की गई है व उनकी युति में क्योंकि अटल जी तो निश्चित लोकप्रिय नेता थे भाषण देना जाना संगठन का काम तो सदा उनके हाथ में था तो यह दोनों भी बहुत पावरफुल बड़े लोकप्रिय बड़े लोक घ्या अटल जी की तो क्या ख्याति है मतलब अभी तक भी उनका शरीर नहीं रहा लेकिन उनका यश आज तक है और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता तो असंद है ही लेकिन मैं मानता हूं कि संगठन कर्ता के रूप में एक पार्टी के नेता के रूप में आडवाणी जी ने जो काम किया वो इस पार्टी में का पत्थर है जो शायद अब दोबारा करने की आवश्यकता है जब पार्टी इतना विस्तार पा गई है जैसे गंगा चलती है तो उसमें बीच-बीच में नदिया अलग-अलग जगह से मिलती है लेकिन व अंत में एक गंगा बन जाती है तो इसके एकरूप करने के लिए वह जो पार्टी की रीति नीति और कार्य संस्कृति है उसको सिखाने के लिए और उसमें गलने मिलने के लिए जो बाहर से लोग आ रहे हैं लगातार लोग आ रहे हैं उसके लिए मुझे लगता है कि पुनर एक फिर ऐसे लीडर की आवश्यकता है ऐसे कुछ लोगों की आवश्यकता है जो उसे बनाए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों में किसकी अगवाई में कांग्रे की सरकार आ सकती है वो तो उनका आंतरिक मैटर है कि वो किसको देखते हैं प्रियंका जी के पास अपनी दादी की छवि की लोकप्रियता भी है और वह जानती भी है कि बोला कैसे जाता है राहुल भी जिस तरह से ग्रो कर रहे हैं आपको लगता राहुल जी डिफीट कर पाएंगे आने वाले टाइम में नहीं राजनीति में तो कुछ भी हो सकता है लेकिन हम जब 14 में चुनाव लड़े थे तो हमारा कहना क्या था उनसे हमारा कोई नहीं हमें तो भेजा गया था हमारा कहना ये था कि देश को समझना है तो नीचे उतर के समझिए सिर्फ एक वंश में पैदा होने के कारण नेता मत बनिए और पिछले 10 वर्षों में उन्होंने यह किया कि वह नीचे जा रहे हैं समझ रहे हैं उनकी समझ में कोई कमी हो सकती है कई बार कई बार ज्यादा हो सकती है लेकिन जिस तरह से पार्लियामेंट में बोल रहे हैं जिस तरह से फिर आप लोग क्यों कहते हो कि वो मिसफिट ही इज अ गुड गाय बट ही इज नॉट फिट फॉर पॉलिटिक्स क्योंकि पॉलिटिक्स में अच्छे लोगों की इस समय कीमत है नहीं जो भले लोग हैं उनकी कहां कीमत है और उनकी पार्टी में देखिए भारतीय जनता पार्टी में जेपी नड्डा जी का कार्यकाल समाप्त हो गया हम आप अपने सारे पत्रकारों के घोड़े दौड़ा लो और मुझे एक नाम दे दो कि य ये बनेगा पार्टी अध्यक्ष नहीं पता ये तो वो खुद भी कहते हैं बारबार नहीं पता आपको आप नेक्स्ट नहीं कर सकते नहीं कांग्रेस में ऐसा नहीं हो सकता बाकी सारी पार्टियों में अ नहीं हो सकता तो यही यहां आके ही खेल खत्म होता है वामपंथी और बीजेपी तो अटल जी का भाषण है कि केवल हम और वामपंथी रहेंगे क्योंकि हमारे हमारे संगठन में डेमोक्रेसी है तो यह देखिए जब तक आप यह नहीं करेंगे तब तक आप चमत्कारिक पुरुषों के बलिदानों के भरोसे रहेंगे कि श्री मत इंदरा गांधी जी दिवंगत हो गई आवेग आया राजीव गांधी जी बन गए राजीव गांधी जी के ऊपर एक कायराना हमला हो गया तो पीछे से आवेग आया नरसिंहा राव जी संभालने लगे तब तक आपका यही चलता रहेगा आप अपनी पार्टी में लीडर्स पैदा करिए नेता पैदा करिए जनता में वो इस बात से विपरीत पैदा करिए कि वह आपसे कितना सहमत है और कितने असहमत है पार्टी से सहमत होने चाहिए उसकी लाइन से सहमत होने चाहिए आपका काम हो जाएगा लास्ट क्वेश्चन अभी भी लास्ट र गया लास्ट क्वेश्चन है जिन्ना ने माउंट बेटन से यह कहा कि अगर आपको हिंदुओं की बात करनी है तो सावरकर से बात कीजिए सावरकर रिप्रेजेंट करते हैं डोंट टॉक टू गांधी नेहरू दे डोंट रिप्रेजेंट हिंदूजा खतरा है बाकी नहीं है अपने ही खतरे हैं एक चर्चा चलती है हिंदू खतरे में कई लोग रोज सुबह होता तो सब एक साथ आते हैं इंडिया में भी आपने देखा होगा एक बॉक्सर भी थी मुस्लिम थी महिला पुरुष होने पर विवाद था कम्युनिटी ने सपोर्ट किया हमारे आंख से चलता है कि हिंदुओ का खतरा है हिंदू यूनाइटेड नहीं होता आपको लगता है खतरा वत कुछ है या यही खूबसूरती है आपने कभी किचन में काम किया हां चाय किसम बनती है फ्राई पैन में हा और दूध किसम गर्म होता है बड़े पतीले दूध में बहुत देर लगती है खड़ा रहना पड़ता है हो रहा है गरम हो रहा है गरम और चाय यूं लगाई दो तीन बात सुनी इधर उधर गए तब तक तो फरर फरर होने लगता है तो हिंदू तो बड़ा पतीला है बहुत देर में गर्म होता है बहुत देर में उफान आता है इसमें बड़ा विचार है पुराना है खूब सारे लोग हैं 200 करोड़ लोग पूरी दुनिया में है बात फैलते में देल लगती है बाकियों में तुरंत चेतना आ जाती है तुरंत बात आ जाती है तो उस प्रतिक्रिया को इधर रिफ्लेक्ट करने की ूरत एपल इधर छटपटा लेना बहुत बेकार की बात है कि साहब ऐसा नहीं हुआ और दूसरा आत्म परिशोधन से य होगा मैं ये नहीं कह रहा कि हिंदू वहां मारे जा भाई हमने तो यहां पर भी बोला ना कि अगर आपने चूड़ी पहनाते हुए चार लड़कों को सड़क पर थपड़ी 20 लड़कों ने मिलके तो हमने तो उसके खिलाफ भी बोला आपने एक साइकिल चोर को मारते समय जय श्री राम के नारे लगाए तो सबसे पहले हमने बोला ना उसके खिलाफ खूब गालियां पड़ी हमें हम राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में बुलाए गए हम हीने बोला ना राम मंदिर के बारे में कि तारीख नहीं बताएंगे क्योंकि हमें दुख था तुम तो बोलोगे नहीं ना तुम तो पार्टी का कैडर हो मंडल अध्यक्ष हो तुम कैसे बोलोगे तुम्हारी हिम्मत का कल निकाल दिया जाओगे हम खड़े हैं हमें नहीं चाहिए तुमसे कुछ भी तो हमने बोला हम बोलेंगे जब आपने सरकार बनाई म मुफ्ती के साथ तो हमने बोला कि बुआ के भतीजे अफजल गुरु पर चुप है तब बहुत गाली पड़ी अरे यार हमारे बारे में ऐसे जो प्रभारी थे वहां के हमारे मित्र उन्होंने मुझसे एक दिन कहा अरे भाई साहब आप क्यों पीछे पड़े रहते हैं हमारे भाई मैं ही पीछे पड़ूंगा आप तो राष्ट्रीय महासचिव है आपकी तो हिम्मत नहीं बोलने की यार व औरत अफजल गुरु को शहीद कह रही है और अफजल गुरु को देश हत्यारा मान रहा है और आप चुप हो की सरकार बनानी है फिर टूट के फिर कले आप भाई साहब आप बो बोल पाए ठीक बोल पाए तो हम ही बोलेंगे इसलिए हमें मत दबाइए हमें गाली मत दीजिए तो मैं ये कह रहा हूं हिंदुत्व के लिए नहीं कह रहा अगर अल्पसंख्यक वहा मारा जा रहा है तो लानत है यूनुस खान के नोबेल पुरस्कार पर जो आज गए व मंदिर जाकर उन्होंने कहा है यह बात पहले दिन करनी चाहिए थी इसी जामिया में भारत विभाजन के समय भीड़ लग गई गेट पर आपको पता है यह बात एमओ मथाई की किताब पढ़ी माय डेज विद नेहरू नेहरू को फोन आया कि जामिया पर भीड़ लग गई है दंगाई आ गए नेहरू जी ने पहली बार का उनके पिताजी की रिवॉल्वर उनके पास थी मोतीलाल नेहरू की प्राइम मिनिस्टर ने चल्ला केर कहा कि मेरी रिवॉल्वर निकालो रिवॉल्वर निकालो फिर वो नहीं मिली जैसा भी भागते हुए गए और गाड़ी लेकर भागे पटेल को पता चला पटेल ने पुलिस को कहा भागो प्राइम मिनिस्टर अकेला भाग गया और गेट पर जीप लगाकर जीप के पर खड़े होकर कहा मुझे मारो पहले अंदर से वाइस चांसलर का फोन आया जिसको मारना है मुझे मारो और भाषण दिया और बीड़ संभल गई और चली गई य आस्था थी नेहरू मारे भी जा सकते थे गणेश शंकर विद्यार्थी मारे गए थे लेकिन नोएडा में बैठकर दोनों पक्षों के मीडिया कोऑर्डिनेटर से दलाली की बात करके खबर प्लेस करने वाले पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की छाया भी नहीं गणेश शंकर विद्यार्थी थे हैं और रहेंगे ऐसे ही मैं इसलिए कह रहा हूं कि जितने लोग यूनाइटेड नेशंस के दरवाजे पर जाए एक लाख हिंदू इकट्ठा हो गए मुसलमान भी जाए सिख भी जाए और कहे बांग्लादेश में क्या हो रहा है तो गाजियाबाद ट मार रहे हैं किसको मार रहे हैं और फिर खुद whatsapp-web हमको दोनों तरफ के देते हैं सुबह उठ के रोज देते हैं हम गाली हम बड़े खुश रहते वो जाहिल है वो दोनों तरफ एकदम पागलों की तरह अटे पड़े हुए लोग हैं तो हिंदू धर्म बड़ा है विराट है शष्ण है पर सचेत है और मैं नहीं मानता कि वह खतरे बतर में है उसे सतर्क और सचेत रहने की आवश्यकता है और मुझे अपने धर्म का किसी दूसरे धर्म का रूपांतरण नहीं चाहिए भाई साहब मेरा धर्म जैसा था वैसा है जैसे किसी ने कहा था हमको कि काशी को कोटो बनाना है हम गए थे काशी तो मैंने कहा भाई काशी को काशी रहने दीज अभी मैं ऋषिकेश में क के आया कि ऋषिकेश को हरिद्वार को पर्यटन केंद्र बना भाई साहब पर्यटन के लिए मसूरी भेजो लेंस डोन भेजो इसे आध्यात्मिक रगरी रहने दो यहां आने पर आदमी के अंदर चुलबुल नाउट है कि बियर किधर है यहां तो बियर की बोतल सहारनपुर से लाया हो तो ऋषिकेश में घुसते ही छूट जाए हाथ से हरिद्वार में घुसते ही छूट जाए और अब नहीं पि जीवन में यार ओ हो आध्यात्मिक स्पंदन पैदा होना चाहिए इसके अंदर तो हिंदुत्व को किसी दूसरे धर्म का प्रोटोटाइप नहीं बनना और ना बनने देना जिनका प्रोटोटाइप बनने के लिए कह रहे हो वो तो वैसे ही फीते में जहां जाओ वही फजीता कर रखा है हम तो कम से कम ऐसे नहीं है आपने कभी नाम सुना हमारा बाहर विदेश में दुनिया के देशों में आप भी गए होंगे मैं भी 40 देशों में गया हूं मुझे तारीफ मिली है वेरी हंबल वेरी गुड पीपल वेरी गुड नेबर मुझे ऐसा ही देश चाहिए ऐसे ही लोग चाहिए थैंक यू बहुत धन्यवाद आप सबका मैं कुछ ऐसा बोला हूं जो आपको रुचिक ना लगा हो तो सबकी जिम्मेदारी इस सुदर्शन व्यक्ति को है और जो कुछ अच्छा लगा हो उस सब का आश्रय मुझे दे दीजिएगा बहुत धन्यवाद थैंक यू सो मच सर लवली टॉकिंग बहुत धन्यवाद