हेलो हाय एव्रीवन सुझाव या गोइंग टो नो अबाउट सोशल साइकोलॉजी इन सोशल साइकोलॉजी में हम क्या-क्या टॉपिक्स कवर करेंगे आज तो हम यह देखिए किस की डेफिनेशन क्या होती है इसके नीचे क्या होता है इसकी इंपॉर्टेंस क्या होती है उसको क्या होता है या सब्जेक्ट मैटर क्या होता है यह सब चीजें आज के टॉपिक में हम कवर करेंगे ठीक है तो सोशल साइकोलॉजी मुझे बहुत ही इंट्रेस्टिंग लगती है बिकॉज़ सोशल साइकोलॉजी हमारी day-to-day लाइफ से कनेक्टेड है इस वजह से सोशल साइकोलॉजी को समझना बहुत ज्यादा आसान हो जाता है ठीक है तो चलिए हम शुरू करते हैं हम सेट करेंगे इंट्रोडक्शन से तो अगर हम सोशल साइकोलॉजी की बात करें तो यह एक स्न्यूज साइंस डेवलप हुई थी दो साइंस को मिलाकर अब वह दो साइंस कौन से हैं एक है सोशलॉजी है और दूसरा है साइकोलॉजी इन दोनों को मिला के यह न्यू ब्रांच यह कह सकते हैं न्यू साइंस डेवलप हुई थी सोशल साइकोलॉजी ठीक है अब हम देखते हैं सोशल साइकोलॉजी आखिर होता क्या है सोशल साइकोलॉजी में हम इंडिविजुअल सब्सक्राइब सपोच एक इंडिविजुअल और इसके चारो तरफ सोसायटी है यह कह सकते हैं कि लोग हैं है तो यह इंडिविजुअल इस सोसायटी में कैसे बिहेव करता है या फिर इस सोसाइटी का इस इंडिविजुअल पर क्या इफेक्ट आता है क्या फर्क पड़ता है यह सब चीजें हम सोशल साइट पर ठीक है कि अब अगर हम डेफिनेशन की बात करें तो है तो बहुत सारी डेफिनेशंस है लेकिन मैं आपको एक डेफिनेशन बता देती हूं पहली डेफिनेशन जो है वह ऐड पॉइंट ने लिखी है कि इन हिसाब से सोशल साइकोलॉजी है कि कोई भी हु इस द स्टडी टर्न ऑफ बजे व्यर्थ टर्न ऑफ द इंडिविजुअल्स मैं इंदौर कि रिलेशंस हाउ टू द इंडिविजुअल्स कि इन सोशल सिचुएशन है अच्छा ठीक है तो इस टिप्पणी का मीनिंग क्या है तो सोशल साइकोलॉजी जो है वह स्टडी आफ बिहेवियर है इसका मतलब यह बिहेवियर को स्टडी करती है और किसके बिहेवियर को स्टडी करती है एक इंडिविजुअल पर्सन के बिहेवियर को स्टडी करती है इन रिलेशंस टू अदर इंडिविजुअल्स इन सोशल सिचुएशंस सोशल सिचुएशंस में सोशल ग्रुप में इस इंडिविजुअल पर्सन का जो बिहेवियर है उसको यह साइकोलॉजी सुसाइड रजिस्टर्ड करती है ठीक है तो यह डेफिनेशन का मीनिंग था दूसरी जो डेफिनेशन है वह ऐड सोशल ऑडिट कि इस और साइंस कि अपडेटेड ओं हेलो हाउ टो इंडिविजुअल कि इन सोसायटी अ थे तो बेसिकली यह दोनों ही डेफिनेशन एक ही बात बोल रहे हैं कि सोशल साइकोलॉजी जो है वह साइंस है और बिहेवियर आफ इंडिविजुअल एंड सोसायटी लि थे इंडिविजुअल का सोसाइटी में जो बिहेवियर है उसकी साइंस है सोशल साइकोलॉजी अब यहां पर हमें सोशल साइकोलॉजी नीचे पता चल गया कि सोशल साइकोलॉजी का होता है साइंटिफिक ठीक है अब हम इसको फिर सब्जेक्ट को सब्जेक्ट का मतलब होता है कि इस सब्जेक्ट में सोशल साइकोलॉजी में क्या-क्या चीजें पढेंगे ई-कंटेंट रहता है इस चीज हम देखेंगे तो इसको में रहता है सोशलाइजेशन है है कि हम अपने आसपास के लोगों से कैसे सोशलाइज करते हैं कैसे उनसे सीखते हैं कैसे हमारी लर्निंग होती है यह सब चीज हम पढेंगे फिर पढेंगे इस ग्रुप में मैं इसमें ग्रुप के बारे में बताया जाता है कि ग्रुप है वह कैसे वर्क करते हैं कैसे फॉर्म वह उस अ और हम उन ग्रुप में कैसे ऐड जस्ट करते हैं यह कैसे परफॉर्म करते हैं ठीक है एटीट्यूटस ए पी हमारे एटीट्यूटस कैसे फॉर्म होते हैं और हमारे एटीट्यूड से हमारे बिहेवियर पर क्या फर्क आता है ठीक है next9news कि आप रेजिडेंस स्टीरियोटाइप कि यह सब चीजें कवर होते हैं ठीक है इसमें पार्क चीज इंटरपर्सनल कि अट्रैक्शन कि इंटरपर्सनल अट्रैक्शन यानि कि फिर हम एक दूसरे इंडिविजुअल से कैसे अट्रैक्ट होते हैं कैसे हमें उनकी जो चीज है वह अच्छी लगती है यह में बुरी लगती हैं तो यह सब चीजें हम इंटरपर्सनल ट्रैक्टर में पढ़ते हैं और हम पढ़ते हैं कि परसेप्शन हैं कि कैसे हम अपने आसपास के लोगों को प्रदर्शित करते हैं और वह लोग हमें कैसे प्रेसर्व करते हैं ठीक है लेंगवेज एंड कम्युनिकेशन कि एंड कम्यूनिकेशन ठीक है तो बेसिकली जो भी हमारे चैप्टर होते हैं ना सोशल साइकोलॉजी में वही सब स्कॉर्पियो सब्जेक्ट मैटर में आ जाते हैं आज हम इन सब चीजों के बारे में पढ़ते हैं कि कैसे होते हैं ठीक है हम सोशलाइज कैसे करते हैं प्रेसिडेंट होते हैं हमारे इंटरपर्सनल अट्रैक्शन कैसे होता है कि सब्सक्राइब में आ जाती है ठीक है तो अब हम पढेंगे इसके नीचे होता है मैं तुझे इसका नीचे होता है वह साइंटिफिक होता है है अब हमें कैसे पता कि सोशल साइकोलॉजी जो है वह साइंटिफिक है तो उसके लिए किसी सब्जेक्ट को साइंटिफिक होने के लिए कुछ उसमें कैरेक्टर स्टिक होने चाहिए कि अब वह कैरेक्टर सिक्स क्या है कि अब वह कैफे है पहला है ए साइंटिफिक कि मैं तो कुछ का यूस अटूट शरीर यानी कि जो हम चीज स्टडी कर रहे हैं उसको स्टडी करने के लिए साइंटिफिक मेथड यूज होने चाहिए सोशल साइकोलॉजी में हम बहुत सारे टेस्ट कंडक्ट करते हैं एक्सपेरिमेंट्स कंडक्ट करते हैं और वह experiment होते हैं वह साइंटिफिक टूल्स हम उन एक्सपेरिमेंट को मैनुएल्स की बेसिस पर कंडक्ट करते हैं और वह चुप मैनुअल होते हैं वह साइकोलॉजिस्ट डिवेलप करते हैं और वह भी बहुत सारे वेरिफिकेशन के बाद बहुत पर वेरीफाई होकर वह डिवेलप किए जाते हैं मैनुअल्स उसके बाद हम टेस्ट कंडक्ट करते हैं ठीक है तो सोशल साइकोलॉजी में हम साइंटिफिक मेथड यूज करते हैं दूसरी जो कैरेट सोने से उठते कॉज एंड इफेक्ट रिलेशनशिप है हुआ है है तू कॉल्स इन इफेक्ट रिलेशनशिप का मतलब क्या होता है कि एक चीज का दूसरी चीज पर असर पड़ना चाहिए यह कह सकते हैं कि दोनों चीज का एक दूसरे पर असर पड़ना चाहता भगत एक चीज में कुछ बदलाव आ रहा है तो दूसरी चीज में भी कुछ ना कुछ इफेक्ट आना चाहिए तो जब हमने पहले पढ़ा था कि इंडिविजुअल है उसके बिहेवियर का इफेक्ट सोसाइटी में पड़ता है यह हम यह कह सकते हैं सोसायटी के बिहेवियर का इंपैक्ट जो है वह उस इंडिविजुअल पर पड़ता है तो यहां पर हम गौर से इन इफेक्ट रिलेशनशिप पढ़ रहे हैं ठीक है तीसरा डुबो कैफे होनी चाहिए वह एक्यूरेट अ कि एक्यूरेसी का मतलब है जो भी हम इन्फॉर्मेशन कलेक्ट कर रहे हैं वह एक्यूरेट होनी चाहिए ठीक है मतलब रिलायबल होनी चाहिए उसमें कुछ नहीं होने चाहिए और थिस थे ऑब्जेक्टिव कि जो भी हमने इंफार्मेशन कलेक्ट करते हैं उसमें पर्सनल बहस नहीं होनी चाहिए मतलब कि अगर हम कुछ इंफोर्मेशन कलेक्ट कर रहे हैं तो जैसा हमने इंफार्मेशन दिख रहा है हमें वैसे ही उसे स्नोडोन करना है वैसे ही उसे कंसीडर करना है उसमें हमें अपनी कोई राय नहीं देनी है या फिर अपनी कोई जजमेंट के अपनी कोई टेंशन नहीं लगानी है हमें जैसे इन्फॉर्मेशन दिख रहा है वैसे ही हमें कलेक्ट करना है ठीक है तो इसमें हमारी पर्सनल वापिस नहीं होने चाहिए तब वह चीज क्या बनेगी ऑब्जेक्टिविटी ठीक है सब्सक्राइब कि उसके पति सिस्टम का मतलब है कि उसमें हमें कुछ डाउट नहीं रहना चाहिए जो हमने इंफार्मेशन कलेक्ट कर है है कि यह चीज इन्फॉर्मेशन रिलायबल है बी या नहीं ऐसा कोई डाउट नहीं रहना चाहिए इस वजह से हम क्या करते हैं इस इंफोर्मेशन को बार-बार वेरीफाई करते हैं ठीक है हैं हम उसका बार-बार वेरिफिकेशन करते हैं कि यह इंफोर्मेशन जो हमने कलेक्ट कर है या जो हमारा रिजल्ट आया है वह ठीक है या नहीं है ठीक है तो हम जैसे हमने कोई एक experiment कंडक्ट कराया एक टेस्ट कंडक्ट कराया उसके बाद जो रिजल्ट आया उसको वेरीफाई करने के लिए हम दो तीन बार और उस experiment को कंडक्ट करेंगे जब तक हमारे पास वही रिजल्ट सेम ना जाए बार-बार ठीक है तो यह होता है फेस मतलब हमारे पास कोई भी डाउट नहीं रहना चाहिए तो इस वजह से रिजल्ट को या उस इनफॉरमेशन फ्रॉम बार-बार वेरीफाई करें ठीक है तो यह कुछ कंडीशन है कि अगर कोई सब्जेक्ट साइंटिफिक है तो उसमें यह सब चीजें होनी चाहिए ठीक है है तो अब हम पढेंगे कि इसकी क्या इंपॉर्टेंट होती है है यानि कि हमारी day-to-day लाइफ में सोशल साइकोलॉजी कैसे हमें हेल्प करती है तो पहला है कि अंडरस्टैंडिंग ए फ़्यू मैंने जो को एक कि ह्यूमन बींस कैसे रिएक्ट करते हैं कैसे बिहेव करते हैं ठीक है ए किस चीज के विद से उनके बिहेवियर में इफेक्ट आता है ठीक है यह सब चीजें हम ह्यूमन नेचर के को समझने में हमें हेल्प करती है ठीक है दूसरा है कि ग्रुप प्रोब्लम्स है कि जो B ग्रुप है वह कैसे फॉर्म होते हैं उनमें यज्ञों कनफ्लिक्ट होते हैं लड़ाई क्यों होती है ग्रुप में कैसे होते हैं और उस ग्रुप का इंडिविजुअल पर क्या फर्क पड़ता है यह सब चीजें हम सोशल साइकोलॉजी की वजह से जान पाते हैं और हमें समझने में आसानी होती है ठीक है थर्ड इस पर्सनालिटी डेवलपमेंट कि जब हमें समझ जाएगा कि सुसाइटी कैसे वर्क करती है कि कैसे ह्यूमन और रेफर करता है कैसे बिहेव करता है तो इस चीज का कहीं ना कहीं हमारी पर्सनैलिटी बेबी फर्क आता है हम चीजों को और ज्यादा अच्छे से समझने लग जाते हैं तो हमारी जो अंडरस्टैंडिंग है इस पर्सनालिटी है वह अच्छी बढ़ जाती है ठीक है है नेक्स्ट सैफ हेल्प लिन थे इंडस्ट्रियल कि अनरिलेटेड फील्ड अ कि अब इस फिल्म में कैसे हेल्पफुल रहती है सोशल साइकोलॉजी जिसे फक्र होता है और जो उनके होते हैं उन्हें बहुत बार क्या होता है कनफ्लिक्ट होते हैं एक दूसरे की बात समझ नहीं पाते हैं दोनों एक-दूसरे को गलत समझते हैं जो वर्कर है वह Bigg Boss को गलत समझ और जो है वह अपने को तो इन सब चीजों को समझने के लिए एक फील्ड में काम आती है उनके रिलेशन को समझने में उनके रिलेशन को अच्छा करने में इस पेड़ की जरूरत पड़ती है को लीडरशिप क्वालिटीज अच्छा ठीक है अ लीडरशिप क्वालिटी डेवलप करने में यह हेल्प करती हैं तो यह सब कुछ इंपॉर्टेंट थे इसके हमें ह्यूमन नेचर समझने में आसानी होती है ग्रुप प्रॉब्लम्स टू बी कॉन्प्लेक्स वगैरह होते हैं ग्रुप में ग्रुप कैसे परफॉर्म करता है यह सब चीजें ठीक है मैं इंडस्ट्रीज में जो भी प्रॉब्लम होती है जो भी सोसाइटी में प्रॉब्लम होती है सोशल प्रॉब्लम्स जो भी होती है लीडरशिप क्वालिटी में पर्सनल डेवलपमेंट में इन सब में इंपॉर्टेंट रहते हैं और बहुत सारी इंपोर्टेंट है लेकिन यह कुछ मेन इंपोर्टेंट है ठीक है तो यहां पर हमारे टॉपिक खत्म होता है तो हमने कवर करके सोशल साइकोलॉजी क्या होता है नेचर के होते हैं इंपोर्टेंट क्या है उसको क्या होता है यह सब चीजें आज का टॉपिक में हमने कवर करनी है आई हॉप आपको यह सब कुछ समझ आया हो और अगर आपको वीडियो पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक जरूर करना चैनल को सब्सक्राइब जरुर करना और बैल आइकन को भी जरूर प्रवेश करना जिससे अगर मैं नई वीडियो अपलोड करूं तो आप क्वेश्चन मिल जाएं ठीक है सो थैंक्स यू फॉर वाचिंग