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कक्षा 12 - माइटोसिस पर व्याख्यान
Jul 7, 2024
कक्षा 12 - माइटोसिस पर व्याख्यान
परिचय
वक्ता:
अनुभव
विषय:
माइटोसिस की प्रक्रिया
लक्ष्य:
एनसीईआरटी की माइटोसिस प्रक्रिया की समझ और डायग्रामों को स्पष्ट करना
माइटोसिस क्या है?
माइटोसिस:
एक प्रकार का विभाजन जिसमें पेरेंट सेल और डॉटर सेल्स के क्रोमोसोम्स की संख्या समान रहती है
इक्वेशनल डिविजन:
इसे इसी कारण कहा जाता है
माइटोसिस की प्रक्रियाएँ
कैरियोकिनेसिस:
न्यूक्लियस का विभाजन
कैरियोकाइनेसिस की स्टेजेस:
प्रोफेसर, मेटाफेस, एनाफेस, टेलोफेस
साइटोकिनेसिस:
साइटोप्लाज्म का विभाजन
कैरियोकिनेसिस की स्टेजेस
प्रोफेसर
प्रारंभिक चरण:
क्रोमैटिन मैटेरियल कंडेंस होता है और क्रोमोसोम्स बनते हैं
महत्वपूर्ण भाग:
हर क्रोमोसोम में दो क्रोमेटिड्स होते हैं
माइटोटिक अपपराटस:
सेंट्रोसोम, माइक्रोट्युब्यूल्स, स्पिंडील फाइबर्स का गठन
न्यूक्लीयर मेंब्रेन:
टूटने लगती है
एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम और गोल्गी बॉडी:
डिसएपियर होते हैं
मेटाफेस
क्रोमोसोम्स:
सबसे स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं
क्रोमोजोम के सिरों पर:
काइनेटोचोर अटैच होते हैं और स्पिंडल फाइबर्स से जुड़ते हैं
क्रोमोसोम्स का इंटरनेट:
मेटाफेस प्लेट पर अलाइन होते हैं
एनाफेस
सेंट्रोमीयर्स:
विभाजित होकर क्रोमेटिड्स को अलग कर देते हैं और इन्हें डॉटर क्रोमोसोम्स कहते हैं
डॉटर क्रोमोसोम्स:
पोल्स की तरफ खिंचते हैं
टेलोफेस
प्रोफेसर का विपरीत:
क्रोमोसोम्स फिर से डिकॉन्डेंस होते हैं
न्यूक्लीयर मेंब्रेन:
पुनः निर्माण होता है
एन.आर. और गोल्गी बॉडी:
पुनः आते हैं
साइटोकिनेसिस
एनिमल सेल:
सेल मेंब्रेन अंदर की ओर कॉनस्ट्रिक्ट होती है
प्लांट सेल:
बीच में प्लेट का निर्माण होता है जो बाहर की ओर बढ़ती है
विशेष टिप्पणी
साइटोकिनेसिस के बिना भी कैरियोकिनेसिस हो सकता है, जिससे मल्टी न्यूक्लियेटेड सेल्स बन सकती हैं
समापन
अगली कक्षा में मियोसिस पर चर्चा होगी
पीपीटी और पीडीएफ टेलीग्राम चैनल पर अपलोड की जाएंगी
धन्यवाद!
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