कैपिटल और करंट अकाउंट ट्रांजेक्शंस
इंट्रोडक्शन
- प्रस्तावक: अंकित मिश्रा
- मुद्दा: कैपिटल और करंट अकाउंट ट्रांजेक्शंस
- फ्रेमवर्क: फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट 1994
प्रमुख विषय
1. कैपिटल अकाउंट ट्रांजेक्शंस
- परिभाषा और उद्देश्य:
- कैपिटल ट्रांजेक्शंस के अंतर्गत निवेश, प्रोजेक्ट फाइनेंस आदि आते हैं।
- रेगुलेशन:
- रेगुलेटेड ट्रांजेक्शंस जैसे सिक्योरिटी ट्रांसफर, बोरिंग और लेंडिंग शामिल हैं।
- उदाहरण:
- भारतीय सिक्योरिटी का ट्रांसफर या किसी विदेशी को इसका इश्यू
2. करंट अकाउंट ट्रांजेक्शंस
- परिभाषा और उद्देश्य:
- सामान्य बैंक ट्रांजेक्शंस, लिविंग एक्सपेंस, एजुकेशन और मेडिकल केयर के लिए खर्च शामिल।
- रेगुलेशन:
- स्पेसिफिक ट्रांजेक्शंस जो रेगुलेटेड नहीं हैं।
- उदाहरण:
- बैंक में जमा, लोन लेना, बच्चे की पढ़ाई या मेडिकल खर्च
3. क्लासिफिकेशन
- कैसे करें पहचान:
- ट्रांजेक्शन की प्रकृति को देखकर कैपिटल या करंट अकाउंट में वर्गीकृत करें।
- प्रमुख बिंदु:
- एक कैपिटल अकाउंट ट्रांजेक्शन की पहचान उसके निवेश या अन्य वित्तीय समृद्धि द्वारा होती है।
- करंट अकाउंट ट्रांजेक्शन ज्यादातर लेनदेन के लिए होते हैं जो दैनिक जीवन से जुड़े होते हैं।
महत्वपूर्ण चरण
- पहचान: समझें कि कौन सा ट्रांजेक्शन किस अकाउंट में आता है।
- रेगुलेटेड और अनरेगुलेटेड ट्रांजेक्शंस: जानें कि कौन कौन से ट्रांजेक्शंस नियमों के अंतर्गत आते हैं।
निष्कर्ष
- कैपिटल और करंट अकाउंट ट्रांजेक्शंस को समझना और उन्हें सही तरीके से वर्गीकृत करना महत्वपूर्ण है। इससे वित्तीय निर्णय सही तरीके से लिए जा सकते हैं।
- फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट 1994 के अंतर्गत इन ट्रांजेक्शंस के नियम और रेगुलेशन जानना अनिवार्य है।
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