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Geography Class 8: Resources

[संगीत] हेलो एवरीवन आज हम पढ़ेंगे ज्योग्राफी क्लास एथ का चैप्टर नंबर वन जिसका नाम है रिसोर्सेस तो आज के इस वीडियो में हम रिसोर्सेस और रिसोर्सेस के अलग-अलग टाइप्स को समझेंगे तो चलिए स्टार्ट करते हैं हमारा फर्स्ट टॉपिक है व्हाट इज अ रिसोर्स यानी कि रिसोर्स क्या होता है तो अगर आप अपने आसपास देखोगे तो आपको काफी सारी चीजें देखने को मिलेंगी जैसे कि लैंड वाटर टेबल चेयर रॉक्स एटस अब इनमें से कुछ चीजें हमारे लिए यूजफुल है यानी कि हमारी नीड्स को सेटिस्फाई करती हैं और कुछ यूजलेस हैं तो ये जो यूजफुल चीजें हैं यानी कि वो चीजें जो हमारी नीड्स को सेटिस्फाई करती हैं उन्हें ही हम रिसोर्स बोलते हैं तो हम लिख सकते हैं एनीथिंग दैट इज यूजफुल टू अस एंड हैव सम यूटिलिटी एंड हेल्प अस टू सेटिस्फाई अवर नीड्स इज कॉल्ड अ रिसोर्स फॉर एग्जांपल वाटर कार ट्रेन फॉरेस्ट एटस तो यह जो चीजें हैं वह हमारे लिए रिसोर्स हैं अब दोस्तों टाइम और टेक्नोलॉजी का यूज करके किसी भी सब्सटेंस को रिसोर्स में कन्वर्ट किया जा सकता है हमारा नेक्स्ट टॉपिक है टाइप्स ऑफ रिसोर्सेस तो रिसोर्सेस को जनरली थ्री टाइप्स में क्लासिफाई किया जाता है नेचुरल रिसोर्सेस ह्यूमन मेड रिसोर्सेस और ह्यूमन रिसोर्सेस तो पहले हम समझते हैं कि नेचुरल रिसोर्सेस क्या होते हैं तो वो रिसोर्सेस जो कि हमें नेचर से मिलते हैं और बिना ज्यादा मोडिफिकेशंस किए जिन्हें हम यूज़ में ले सकते हैं उन्हें ही हम नेचुरल रिसोर्सेस बोलते हैं फॉर एग्जांपल कोल वाटर सॉइल पेट्रोलियम एटस अब दोस्तों नेचुरल रिसोर्सेस को चार तरह से क्लासिफाई किया जाता है ऑन द बेसिस ऑफ ओरिजिन ऑन द बेसिस ऑफ स्टॉक यानी कि अवेलेबिलिटी ऑन द बेसिस ऑफ़ डेवलपमेंट और ऑन द बेसिस ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन लेकिन हम केवल ऑन द बेसिस ऑफ़ अवेलेबिलिटी नेचुरल रिसोर्सेस को कितने टाइप्स में क्लासिफाई किया जाता है वही समझेंगे तो अवेलेबिलिटी के के बेसिस पे रिसोर्सेस को दो टाइप्स में क्लासिफाई किया जाता है रिन्यूएबल रिसोर्सेस और नॉन रिन्यूएबल रिसोर्सेस तो दोस्तों वो रिसोर्सेस जो कि समय के साथ अपने आप रिन्यू हो सकते हैं यानी कि फिर से पहले जैसे हो सकते हैं उन्हें हम रिन्यूएबल रिसोर्सेस बोलते हैं तो हम लिख सकते हैं द रिसोर्सेस दैट कैन बी रिन्यूड नेचुरली एंड क्विकली ओवर टाइम आर कॉल्ड रिन्यूएबल रिसोर्सेस वाटर सॉइल फॉरेस्ट सोलर एनर्जी विंड एनर्जी एक्सेट्रा ये सब रिन्यूएबल रिसोर्सेस हैं वहीं दोस्तों वो रिसोर्सेस जो कि लिमिटेड अमाउंट में प्रेजेंट है और जिन्हें रिन्यू होने में थाउजेंड्स ऑफ इयर्स का समय लगता है उन्हें हम नॉन रिन्यूएबल रिसोर्सेस कहते हैं अब आप सोच रहे होंगे कि जब यह रिसोर्स फिर से रिन्यू हो सकते हैं तो हम इन्हें नॉन रिन्यूएबल रिसोर्सेस क्यों कहते हैं तो ऐसा इसीलिए है क्योंकि इन रिसोर्सेस को रिन्यू होने में बहुत ज्यादा लंबा समय लगता है जो कि एक ह्यूमन बींग के लाइफ स्पैन से बहुत ज्यादा है इसीलिए हम इन रिसोर्सेस को नॉन रिन्यूएबल रिसोर्स सोर्सेस कहते हैं तो हम लिख सकते हैं कि द रिसोर्सेस व्हिच हैव अ लिमिटेड स्टॉक एंड वंस एग्जॉस्ट दे मे टेक थाउजेंड्स ऑफ इयर्स टू बी रिन्यूड आर कॉल्ड नॉन रिन्यूएबल रिसोर्सेस फॉर एग्जांपल कोल पेट्रोलियम एटस तो अब हम चलते हैं हमारे नेक्स्ट टॉपिक पे जो कि है ह्यूमन मेड रिसोर्सेस तो व्हेन नेचुरल रिसोर्सेस आर यूज्ड टू क्रिएट समथिंग न्यू एंड यूज बल इट इज कॉल्ड अ ह्यूमन मेड रिसोर्स यानी कि जब हम ह्यूमंस किसी भी नेचुरल रिसोर्स का यूज करके कोई नई और यूजफुल चीज बनाते हैं तो उसे ही हम ह्यूमन मेड रिसोर्स बोलते हैं चलो इसको एक एग्जांपल की मदद से समझते हैं तो मान लो कि आपके पास 5 केजी आयरन ओर है अब यार आप खुद ही बताओ कि क्या वो आयरन ओर आपके किसी काम का है नहीं ना लेकिन अगर आप टेक्नोलॉजी का यूज करके इसी आयरन ओर में से आयरन को एक्सट्रैक्ट कर लो तो अब आप इस आयरन को यूज में ले सकते हो ह्यूमन मेड रिसोर्सेस के एग्जांपल्स है ब्रिजे रोड्स मशीनरी और तो और टेक्नोलॉजी भी एक ह्यूमन मेड रिसोर्स है अब हम समझते हैं कि ह्यूमन रिसोर्सेस क्या होते हैं तो दोस्तों ह्यूमन बीइंग्स अपनी नॉलेज स्किल्स और टेक्नोलॉजी की मदद से नेचर का अच्छे से यूज करके रिसोर्सेस को क्रिएट कर सकते हैं इसीलिए ह्यूमन बीइंग्स अपने आप में ही एक स्पेशल और वैल्युएबल रिसोर्स है और लोगों को एजुकेशन और प्रॉपर हेल्थ फैसिलिटी की मदद से एक वैल्युएबल रिसोर्स बनाया जा सकता है तो अब हम समझते हैं हमारा लास्ट टॉपिक जो कि है कंजर्विंग रिसोर्सेस तो दोस्तों कंजर्विंग रिसोर्सेस का मतलब है रिसोर्सेस को क करना यानी कि रिसोर्सेस का संरक्षण करना तो दोस्तों अगर हम रिसोर्सेस को केयरफुली यूज करें और उन्हें रिन्यू होने का टाइम दे तो हम रिसोर्सेस को कंजर्व कर सकते हैं और तो और रिसोर्सेस को कंजर्व करने के और भी काफी सारे तरीके हैं जैसे कि कंजमेट और यूज करना एट्स अब दोस्तों रिसोर्सेस को लिमिट में यूज करना और उन्हें फ्यूचर के लिए कंजर्व करने को ही हम सस्टेनेबल डेवलपमेंट कहते हैं तो हमारा यह चैप्टर यहीं पर एंड होता है और ऐसे ही क्लास एथ के एसएसटी के एनिमेटेड वीडियोस के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना मत भूलिए