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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सारांश

कि ब्रेटिजर्स ने जान पूछके कॉंग्रेस पार्टी बनाई थी ताकि सिचुएशन उनके हिसाब से चले। पांडे नाम का एक सिपाई था उसने भांग ज्यादा खाली थी अब अगर कोई भी अंग्रेज मुझे दिख गया तो उसको मैं तुरंद गोली मार दू� एक्स्ट्रीमिस्ट लीडर थे वो गुस्सा हो जाते हैं और बात इतनी बढ़ जाती है कि उसी सेशन के बीच में एक दूसरे को जूता फेक के मारते हैं 120 लाशे तो सिब वहाँ पे जो कूआ था वहीं से निकली थी और नेता जी जुगार लगा के हिटलर से भी मिलते ह और वहाँ जो vote डालेंगे वो भी केवल Muslim सी डालेंगे तो जिनना क्या करते हैं कि Congress से तो वो resign नहीं करते हैं इसके साथ साथ Muslim League भी जॉइन कर लेंगे गांधी जी एक नमक का धेला उठा के अंग्रेजों को बनाय हुए law को तोड़ देते हैं पर प्रश्न पर और ये जो हमारे देश की आजादी की कहानी है ये बहुत ही यूनीक है और ये एक ऐसा डिस्क्रिशन है कि आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं लेकिन अगर आप एक इंडियन है तो ये डिस्क्रिशन आपके सामने आता ही है तो इस एक वीडियो में आपको सब कु� तो देखिए year 1600 से year 1837 तक हमने already सब discuss किया था कि कैसे company जिसका नाम East India Company था वो आई और उसने क्या क्या tricks खेल के हमारे उपर rule किया और year 1837 आने तक पूरे इंडिया के उपर directly और indirect इस्ट इंडिया कंपनी का कबजा हो चुका था डायरेक्टली मतलब कि वो स्टेट यहां इस्ट इंडिया कंपनी हर एक चीज अपने इसाब से चलाती थी और इंडारेक्टली मतलब कि वो स्टेट यहां इस्ट इंडिया कंपनी राजा या फिर निजाम के साथ मिल के रूल यह जो आप पिंक एरिया देख रहे हो यह डिरेक्ट इस्ट इंडिया कंपनी के कंट्रोल में था और यह जो येलो और ग्रीन एरिया आप देख रहे हो यह प्रिंसली स्टेट थे जो इंडिरेक्टली इस्ट इं��िया कंपनी के साथ मिलके चल रहे थे येलो मतलब की हिंदू कंपनी अलग-अलग ट्रिक्स खेलना स्टार्ट करती है ताकि उसके अंदर में बाकी एरिया का कंट्रोल भी आ जाए ब्रिटिश इसको पता था कि इन सब चीजों पर कंट्रोल करने के लिए बहुत ही स्ट्रांग होना पड़ेगा तो यह लोग यानी कि इस दूसरी चीज यह भी थी जो इन्यन्स थे वहाँ की लोकेशन से भी बहुत आधा फैमिलियर थे अब ब्रिटिशर्ट्स इन्यन्स को हायर तो कर रहे थे अपनी जरूरत के लिए लेकिन इनके ऊपर विश्वास नहीं था उनको इकॉल नहीं समझते थे उनको या अपने से छो जो position होती थी उसको बहुत ही secure job माना जाता था क्योंकि भुखमरी वगरा बहुत जादा फैल रही थी लोगों का खाने की दिक्कत थी सिपाई बनने पर खाने की जो दिक्कत होती थी वो चली जाती थी महीने में 7-8 रुपए अलग से मिलते थे 6 by 1 का रेशियो हो गया था और करीब 45,000 बृतिश सोल्जर्स थे और 2,38,000 नेटिव इंडियन सोल्जर्स थे ये जब डेटा सामने आया था तब बृतिश मिलिटरी ओफिसर ने Governor General Dalhousie को warn भी किया था कि एक तरह तुम इतने ज़ादा किसानों को फोज में भर्ती कर रहे हो और दूसरी तरफ Land Reforms वगरा लाके उनी की जो जमीन है उसको हडप रहे हो तो ये लोग कभी भी भड़क गए तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी इस्ट इंडिया कंपनी पूरा कंट्रोल अपने अंडर में चाती थी उसको कुछ स्टेट्स में जो इंडिरेक्ली रूल करना पढ़ रहा था वो भी उसको कुछ पसंद नहीं आ रहा था तो इस चीज को सॉल करने का जिम्मा था वो 12th जैनवरी 1848 को लौड डलहाउजी को दिया गया था तो इनको पता चलता है कि इस टाइम पे कई ऐसे स्टेट्स हैं होता था तो वह गोध ले लेता था उसके बाद वह राजा बन जाता तो लॉट डल ह इसको एक opportunity की ताना देखते हैं और same year 1848 को ये एक rule लाते हैं doctrine of lapse इसका मतलब ये था कि अगर किसी राजा का खुद का बेटा नहीं है तो उसकी death के बाद जो उसका पूरा state है जो पूरा राजपाट है वो East India Company के पास चला जाएगा अगर वह किसी को गोध लेता है तो उससे फर्क नहीं पड़ता है अगर उसने गोध लिया है तो जो उसकी पर्सनल प्रॉपर्टी है वह दे सकता अपने गोध लिया है वह बेटे को लेकिन जो पूरा सामराज है उसका अगर उसका खुद का बेटा नहीं है तो वह पूरा क यानि के 1848 में implement कर दिया जाता है और implement करते ही ये सतारों को अपने under में ले लेते हैं एक साल बाद जैतपूर फिर सम्हालपूर को अपने under किया और next year छतीजगड जिसको छोटा हुदैपूर भी कहते थे उसको लिया नाकपूर फिर जहांसी का number लगता है अब जहांसी के अंदर क्या था कि मनी करने का जिनका नाम शादी के बाद महरानी लक्ष्मी भाई हो गया था में महराजा की death हो जाती है तो Lord Dalhousie अपना doctrine of lapse लगाके जहांसी को अपने control में ले लेते हैं और जहांसी को अपने control में लेने के बाद राणी लेक्षमी भाई को 60,000 रुपए की जो pension थी को हर साल देते रहते थे तो इसके बाद क्या होता है कि 1856 अवध यानि के आज का यूपी यहां के नवाब वाजीर अली शा जो थे उन्होंने Britishers के साथ Subsidiary Alliance Treaty साइन कर रखी थी जिसके चलते नवाब को Britishers को बिटिशर्स कर रखी थी चर्च के यहां काफी पैसा देना होता था और जब नवाब पैसे नहीं दे पाए तो इस इंडिया कंपनी ने अवज जो था उसको भी अपने कबजे में ले लिया था और यह सारी चीजों बैक टू बैक ही अपने अंडर में ले रहे थे तो लोग ज़्यादा रेजिस्ट नह अपना influence बढ़ाने के लिए जो missionaries जो होते थे पहले इंडिया में भेजती थी लेकिन उसको और तेज कर देती है ताकि पूरे पूरे इंडिया में इनका influence रहे तो ये लोग क्या करते हैं कि उसी year में Baptist Missionary Society सेट अप करते हैं जिसमें William Carey जो थे वो इंडिया के अंदर और बह� अंग्रेजों को पता चलती है तो 17th of April 1850 को Religious Disabilities Act लेके आते हैं इसमें यह था कि अगर कोई convert होगा तो वो अपने ancestor की property का पूरा हगदार होगा अब इसके खिलाब भी लोगों ने आवाज उठाई लेकिन कुछ होता नहीं है और यहाँ भी Britishers जो थे वो रुकते न उसको अंग्रेज कहते हैं कि अब शादी कराई जा सकती है और उनका जो प्रोपर्टी पर हक है वो भी उनको दिया जाएगा जनरल सर्विस एनलिस्टमेंट एक्ट में यह था कि सिपाईयों को दूसरे देश भी भेजा जा सकता है दूसरी चीज इनकी ट्रेडिशन में था कि जो भी समुदर पार कर लेता है उसको यह लोग कहते थे कि वो अचूत हो जाता था तो इस एक्ट से वो लोग भी गुस्सा हो गए थे और सिपाई भी गुस्सा हो गए थे क्योंकि जब यह दूसरी कंट्री में जाते थे और थी उसमें लोग इनको एक्सेप्ट नहीं करते थे इसी के साथ साथ बहुत ही कम सालों के अंदर बारा बार भुखमरी तक फैल गई थी पूरे इंडिया के अंदर तो लोग बहुत ज्यादा गुस्से में थे अंग्रेजों के खिलाब लेकिन इसके बाद एक ऐसा थे वह पुरानी ब्राउन बेस राइफल जो कि 0.75 कैलिबर की होती थी मतलब कि 0.75 इंच का डायमीटर होता था उसका इसमें बहुत खराब होता था इसमें क्या था कि बुलेट को लोड करने से पहले गन पाउडर लोड किया जाता था फिर बुलेट डाली जाती थी फिर एक रॉड से इसको सेट कर रहा जाता था इसमें एक तो बहुत जाता टाइम लगता था और दूसरा सिपाही को दो बैक कैरी करने पड़ते थे तो इयर 1855 से ही अंग्रेज जो थे इसका सोलूशन ढूंढ रहे थे और फिर इन्होंने UK में British Government की Royal Small Arms Factory RSAF इससे बात करके नई पैटर्न की एक राइफल दे गया था राइफल बनवाते हैं जिसका नाम था एनफिल्ड राइफल जिसको पी 53 एनफिल्ड भी बोला जाता था और जैनवरी 1857 आते आते इंडिया के अंदर भी इसकी डिलिवरी हो गई थी अब ये जो नई राइफल थी इसमें बुलिट के जो सिस्टम था वो थोड़ा डिफरें� ताकि ये फटे ना और मॉ बारिश वगरा हो तो उसमें खराब ना हो अब होता क्या है कि सेम मन्त में यानि के जैनवरी 1857 में एक एरिया है दंदम नौर्थ कैलकटा से करीब 8 किलोमेटर की दूरी पे है वहाँ पे एक ब्रहमिन सिपाई जो था वो लोटे में पानी लेके जा रहा था बहुत जादा था सोसाइटी के अंदर तो रास्ते में जब ये ब्रामिन सिपाई जा रहा था तो इनको रास्ते में खलासी मिलता है और वो रास्ते में इनसे पानी मांग लेता है और उस टाइम पर ये मानते दे कि ये छोटी कास्ट का है अगर पानी दे दिया तो वापिस दूंगा तो फिर मुझे दोना पड़ेगा लोटा और दोने के लिए मुझे बहुत दूर जाना पड़ेगा तो इसलिए वह मना कर देता तो इस चीज पर खलासी थोड़ा सा गुस्सा होता और कहता है कि जितने नकरे हैं आपके वह हमारे सामने निकलते हैं उदर विशेष नियुक्ति और खलासी भी इसी एरिया से था तो उसका शक जो था वह और यह बदल गया कि शायद खलासी जो वह सही कह रहा है अब यह साली चीजें सुनकर जो ब्राह्मिन सिपाई था वह अपनी बटालियन के पास पहुंचता है और अपने इसलिए लोग डिसाइड करते हैं कि यह चीज हम करने सकते हैं और इसके लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा तो इनकी जो रेजिमेंट थी वह थर्टी फोर्ट बेंगाल नेटिव इनफेंट्री यह कैलकटा से करीब 24 किलोमीटर की दूरी पर बरागपुर के इसमें एक चीज की जा सकती है कि इनको का जो है वह इनको डिलेट दे देते हैं यह खुद ग्रीस लगाएंगे तो इनको शक नहीं होगा और चीजें आराम से हैंडल हो जाएंगी और फिर 27th जैनवरी 1857 को इस चीज को पूरी रेजिमेंट के अंदर लागू कर दिया जाता है लेकिन सिपाहियों इसमें भी डाउट था कि जरूर कुछ ना कुछ इसमें साजिश है गोरों की इसके बाद इन लोगों ट्रेनिंग भी दी जाती है कि कैसे ग्रीस लगानी है और किस तरीके से यूज करना है लेकिन उसके बाद भी यह जो सिपाही थे यह मानते नहीं है वो कहते हैं कि यह जो का इसमें जो कागच है इसमें भी चर्वी मिलाकर दे रहे हैं और यह सारी चीजें होने लगी तो ब्रिटिशर्स ने कहा कि एक काम आप यह कर सकते हैं कि इसको आप हाथ से तो लीजिए मूझे मत तो रहिए तो उसके बाद भी लोग कहते हैं बाद डेट आप यह टू नी नाइन ऑफ मार्च 1857 और लेटिनेंट बॉक जो थे वह थर्टी फूर बैंगॉल नेटिव इनफेंट्री जो थी उसकी तरफ काम से जा रहे थे लेकिन वहां पर क्या होता है कि सेम जो इनफेंट्री थी उसमें एक अकेला सिपाही जिसका नाम मंगल पांडे था वह लेफ्ट राइट मार्च कर रहा था और अपने सातियों से कह रहा था कि आगे गोली चला देते हैं गोली जाकर उनके घोड़े को लग जाती है और लेटरेंट वॉक जो थे वो नीचे गिर जाते हैं गिरने के बाद लेटरेंट वॉक भी मंगल पांडे को पर गोली चला देते हैं और फिर मंगल पांडे तलवार निकालते हैं और गले और हाथ दोनों पर जो गोली थी वो मिस हो जाती है और फिर सिपाई जो थे वो मंगल पांडे वो पकड़ लेते हैं पहले उनको हॉस्पिटल ले जाय जाता है और उसके बाद उनको जेल ले जाय जाता है और फिर आगे चलके 8th of April 1857 को मंगल पांडे को फांसी की सजा सुना दी जाती है मंगल प पूरी की पूरी 34th Bengal Native Infantry जो थी उसको हिटा दिया जाता है। सरकार ने खुद की आर्मी और गवर्मेंट बनाई थी आउडियो बुक्स को आप कभी भी कुछ लेजरली एक्टिविटीज जैसे कुकिंग, ट्रावलिंग, गार्डनिंग ये सब करते वे सुन सकते हैं और ये आउडियो बुक्स सुनने की हॉबी आपका स्क्रीन टाइम कम करने में भी हेल्प कर प्रेशियल प्रेशियल प्रेशियल लिंक इन दे डिस्क्रिप्शन अभी जाकर डाउनलोड करें तो टॉपिक पर वापिस आते हैं अब जब ऐसा होता है और जो आर्मी के लोग थे अपने अपने स्टेट्स में पहुंचते हैं और ये सारी कहानी बताते हैं तो पूरे इंडिया में इसका इंपैक्ट पढ़ता ह पूरी की पूरी फोर्स बुला ली थी और कुछ लोग भाग गये थे और कुछ लोगों ने हतियार डाल दिये थे। तो जैसे तैसे लखनों की जो सिचुएशन थी वो कंट्रोल में आई थी लेकिन सिचुएशन डे बाई डे खराब होने लगी थी। अब इसके कुछ दिन वाद 24th of April 1857 को मेरट में British Officer George Carmichael अपनी 90 सिपाईयों की Bengal Light Regiment पर प्रशान दे रहा है। जो थी उनको यह नए कार्टरेज आये थे उनको ड्रिल करवा रहे थे लेकिन 90 में से 85 स्विपाई जो थे उन्होंने इसको यूज करने से मना कर दिया क्योंकि उन तक भी ख़बर पहुंच चुकी थी अभी जो सिचुएशन थी इसको देखकर ब्रिडिजेज बहुत ज़्या ये सारी चीजे इनके जो साथी थे वहीं पे खड़े होके देख रहे थे और उनको भी बहुत जादा गुस्सा आ रहा था अंग्रेज ये जो पूरा इवेंट इनो ने कराया था इसको ऐसे दिखा रहे थे एक मिसाल की तरह इसको दिखा रहे थे ताकि दुबारा ऐसा ना हो लेकिन यही से इनसे एक गलती हो गई थी क्योंकि यहाँ पे सारी लिमिट क्रॉस हो गई थी अगले दिन 10th of May 1857 को संडे थ गरह थे चोर उचके थे वह भी छूट जाते हैं पूरे के पूरे जेल में आग लगा देते हैं जो भी अंग्रेज ऑफिसर वहां पर था उनके गले काट देते हैं बहुत ज्यादा मार्क काट होती है और जितना भी गोला बारूत था उस सारा को उठाते लोग निकल जाते हैं और अगले दिन यानि 11th में 1857 को मौर्निंग में लोग देली पहुंच जाते हैं अब डेली दूटी लगी हुई थी ये लोग उनको वहाँ पे सारी चीजे बताते हैं और बताते ही कैसे इन्होंने मार काट मचाई तो जो डेली के सिपाई थे वो भी इनको जॉइन कर लेते हैं और फिर वहाँ से ये लोग प्लैनिंग मनाके डेली के जो ब्रिटिश ओफिसर्स थे उनक सारी चीज करने के बाद ये लोग तुरंत लाल किला पहुँचते हैं वहाँ पे जाके ये बहादूर शाद जफर से मिलते हैं उनकी एज बहुत जादा हो गए थी 82 एर्स के थे वो उनसे जाके मिलते हैं और कहते हैं कि आप हमारे लीडर बनी हैं तो पहले तो बहादूर शा� जो रूलर थे उनको लेटर लिखते हैं उस लेटर में बेसिकली यही लिखते है कि ब्रिटिशर्स के खिलाफ लड़ने का टाइम आ गया है और सबको एक जुट्ट होना पड़ेगा और यही कुछ रीजन से जिसकी वैसे सिपाही जो थे वो बहादूर शाह को बहुत बहुत बड़े हुए थे वरना बादू शाह जो ऑर्डर वगैरह देते थे वो लेते नहीं थे उनको बस नाम का लीडर बना दिया था एक्शुल जो कमान समाली थी वो सूबेदार बक्त खान ने समाली थी ये बृतिश आर्वी में 40 साल से थे और डेली के अंदर ये जो लड़ाई की इस्सों में भी पहुँ� ब्रिटिशर्ज इतने भी स्ट्रॉंग नहीं है, इनको हराया जा सकता है। और जगा जगा पर रिवॉल्ट के जो किस्से थे, वो सुनाई आने लगते हैं। अब ये जो मैं कह रहा हूँ कि जगा जगा पर रिवॉल्ट हो रहे थे, इनका मतलब क्या था। देखि जानता जो थी वह अंग्रेजों के जो ऑफिसेस थे कुछ उनकी बिल्डिंग थी उनमें आग लगा देते थे अंग्रेज अगर कहीं जा रहा है उसको पर अटैक कर देते तो इस तरीके से किस से जगह जगह पर सुनाई आने लगे तो सिपाई और जनता जो थी वह अल� राजा थे जो डॉक्टरिन ऑफ लाइफ के चक्कर में पेंशन पर जी रहे थे वह इसको जॉइंट करते हैं थर्टींथ ऑफ में 1857 को फिरोजपूर में छोटी सी मार पिठ होती है फिर अगर दिन फोर्टींथ ऑफ में 1857 को मुदफरपूर में इंसिडेंट होता के अंदर जगह जगह पर इटावा में पूरी अलग-अलग जगह पर लड़ाई होने लगती है यह इतनी जगह पर जो मेन फोकस था नहीं हो रहा था उसका बहुत कम असर था अब इसके बाद ब्रिटिशर्स को समझ में आ रहा था कि यह आउट ऑफ कंट्रोल हो रहा है तो तुरंद हरकत में आते हैं और यू के के अंदर से री एंफोर्समेंट मगाते हैं 2000 सिपाईयों की अंग्रेज जो थे वो ब्रिगेडि में नजवगर्प पड़ता है यहां क्रांतिकारियों की अंग्रेजों से काफी देर तक लड़ाई होती है और अंग्रेज इसमें जीत भी जाते हैं इसके बाद यह लोग कश्मीरी गेट पर पहुंचते हैं यहां पर जो ब्रिगेडियर जनरल थे जॉन निकोलसन उनको गोली मार दी जाती है फिर उनके जो जूनियर थे विलियम हॉटसन वो मोर्चा समालते हैं परंगून की जेल में भेज दिया जाता है जब इधर यह सारी चीजें हो रही थी तो सेम टाइम पर जहांसी जो था वहां पर अंग्रेजों और करीब 40 से 60 अंग्रेज जो थे उनको और उनकी फैमिली को मार डालते हैं। अब इसके बाद जून 1857 को ये जो क्रांतिकारी थे जिन्होंने किले और खजाने पे कभजा किया था ये सब लेके वहाँ से भाग जाते हैं। तो बेसिकली उस परिकलो टाइम पे जहांसी को कोई भी रूल नहीं कर रहा था। और जब 23rd of March 1858 को ब्रिडिजर्स पहुँचते हैं तो राणी लक्ष्मी भाई उन पे अटाक कर देती हैं उल्टा तात्या तोपे जिनको बच्चपन से राणी लक्ष्मी भाई जानती थी उनोंने भी राणी लक्ष्मी भाई के सपोर्ट में आर्मी भेजी लेकिन क्योंकि ब्रिडिजर्स के पास काफी अडवांस हतियार थे तो उनका मुकाबला करना मुश्किल था और आधी रात में ही ब्रिडिजर्स किले के अंदर गुज जाते हैं और आधी रात को जहांसी की राणी को वहाँ से अपने बेटे दामोदर और घोड़े बादल को लगाई थी अब यहां से निकल के में 1858 को लक्ष्मी भाई कालपी पहुंचती है लेकिन यहां भी ब्रिडिजर्स 22nd of May 1858 को अटाक कर देते हैं लक्ष्मी भाई को हरा देते हैं तो यहां से भी राणी लक्ष्मी भाई तात्या दोपे दनवाव और बांदा और राउ साप के अब यहां से धीरे धीरे करके ब्रेडिजर्स फैजाबाद, बरेली, बाकबाद, हर जगह जितने भी क्रांतिकारी थे, उनको या तो ये मार देते थे, या लालस देते थे, या फिर कबजा करके उस इलाके को अपनी कंट्रोल में ले लेते थे। यह वो स्टेट्स के राजा थे जो लड़ाई से दूर रहे अब जब यह सारी चीजें खतम हो जाती है तो बृतिश गवर्मेंट हरकत में आती है यह जो इस इंडिया कंपनी इसको यूके में बैट के कई सारे शेयर होल्डर जो थे जिनको कोट आफ डिरेक्टर बोला जाता इस्ट इंडिया कंपनी इ चली जाती है अब ब्रिटिश गवर्मेंट इंडिया को कंट्रोल करती है इसको ब्रिटिश राज भी बोला जाता है अब ये जो अंग्रेज थे इन्होंने ये रिवॉल्ट जो था वो रोक तो दिया था लेकिन इस रिवॉल्ट ने ब्रिटिश राज को हिला के रख दिया था तो दुबारा से ऐसा ना हो और इंडियन्स का जो गुस्सा है उनको खुश करने के लिए कई सारे लीगल, एडमिस् ब्रिटिश गवर्मेंट से तो गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट ऑफ 1858 के तहट यह रूल्स वगैरह लाइट ब्रिटिश अर्थ इंडियन्स को इसके ऊपर यकीन हो जाए और वो इस सीच पर बिलीव करें कि वो उनके हक के लिए बात करेंगे इक्वालिटी रखेंगे इस हर एक चीज़ Constitution हो या कोई Law हो, fair तरीके से follow होगा. अब on paper पे तो ये सारी चीज़े कर दी गई थी, लेकिन ground पे ऐसा नहीं था, अंग्रेज जो थे, जो इंडिया के अंदर आते थे, वो Indians को छोटा समस्ते थे, कि इंडिया के अंदर आए वो, और उनके resources ले, और UK में transfer कर दें. जाता था मतलब यह प्लांटर्स है यह बताएंगे किस चीज की फसल तैयार होगी यह प्लांटर्स लिटरली एक लाठी रखते थे अगर उनकी कोई बात नहीं मानता था तो लाठी से पिटाई होती थी उसकी अब इंडिया के बाहर के मार्केट में 25 परसेंट एरिया पर इंडिको की खेदी करना कंपल्सरी करते हैं कर दिया था लेकिन किसान जो थे वो इसकी खेती करना बिलकुल नहीं चाहते थे एक तो अंग्रेज जो थे वो सारा पैसा अपने पास रख लेते थे तो जो किसान था उसके पास इतना कोई खास पैसे का बेनेफिट नहीं होता था दूसरी चीज इंडिको की खेती करने से जो खेती करवाई जा रही थी इसके लिए मना कर रहे थे और यह जो पूरा ग्रूप बना के रिवॉल्ड कर रहे थे इसको लीड कर रहे थे दिगंबर बिश्वास और बिसनु बिश्वास तो यह जो ग्रूप बना के एक छोटा था रिवॉल्ड करते हैं इसका इंपैक्ट पड गई एडूकेशन वगैरह करवाई कॉम्यूनिकेशन ट्रांसपोर्ट जैसे रेलवे हो गया टेलीग्राम हो गया यह सब इंप्लीमेंट किया ताकि उनका काम ना रुके वह और तेजी से आगे बढ़े न्यूसपेपर का जो सर्कुलेशन का जो प्रोसेस ग्रास के जो लोग थे वह पढ़ने लिखने लगे थे पढ़ाई की वजह से यूके वगरा जाने लगे थे तो उन्होंने अब्जर्व किया कि यूके के अंदर जो डेमोक्रेसी है जो इक्वेलिटी है वह इंडिया से काफी अलग है इंडिया के अंदर जो ब्रिटिजर्स थे वह छोटा समस्ते थे इंडियनस को तो यह वह टाइम था जहां पर कई सारे इंडियन पढ़ेली के लोगों ने इक्वेलिटी डिस्क्रिमेश इस टाइम पर इंडिया के अंदर जितने भी इन्यू लॉयर्स थे वह भी काफी स्किल्ड हो गए थे वेल एजुकेटेड थे और उनको कानून भी पता था जो ब्रिटिशर्स वगैरह करते थे इसलिए नोटिस करो जितने भी फ्रीडम फाइटर के लीडर थे नेहरू लुट पेपर सेमिनार के थूं इनिक्वैलिटी होती थी उसके लिए आवाज उठाई और कई सारी पॉलिटिकल ऑर्गेनाइजेशन भी बनाई जो ब्रिटिशर्स के सामने अपनी आवाज रख सके जैसे पूना सार्वजनिक सभा इंडियन एसोसिएशन द मदरास थे कि इंडिया के अंदर न बने और यह सारी बातें हैं नेशनल पार्टी की हो गई ब्रिटिजर्स को जो क्रिटिसाइज करना हो गया यह सारी चीजे न्यूज़ वगरा के थूँ करते थे और जब इन सारी चीजों की फ्रिक्वेंसी बहुत जादा हो गई तो ब्रिटिजर्स ने क्या किया उन्होंने ये लेके आए इस एक्ट के थूँ अंग्रेजों ने प्रेस की फ्रीडम पे कंट्रोल किया इस एक्ट के आने के बाद न्यूसपेपर के अंदर खुले आम अंग्रेजों की जो बुराई होती थी उसके लिए बिलकुल मनाई थी और फिर धीरे धीरे ब्रेटिशर्स ने और ज्यादा गुस्सा हो गया क्योंकि जितने भी लॉस थे एक्ट थे यह लेकर आ रहे थे इसके थ्रू बिटीजर जो थे वह आम जन्दा के जो राइट से उनको कम कर रहे थे तो इधर यह सारी चीजें चल रही थी और इसी टाइम पर क्या होता है कि बृति गवर्नमेंट वापिस चले जाते थे एवर हूं जो था वह वापिस यूके नहीं गया बल्कि उसने इंडिया में रहकर इंडिया की सिचुएशन सुधारने का जम्मा लिया इसने क्या किया कि यह 1883 में कैलकटा यूनिवर्सिटी के ग्राजुएट को एक ओपन लेटर पसंद आती है और दिसंबर 1884 को एवं जो थे वह इंडिया के अलग-अलग एरिया से टोटल 17 पॉलिटिकल लीड लीडर जो थे उनके साथ एक मीटिंग सेट अप करवाते हैं और ये लोग डिसाइड करते हैं कि 28th of December 1885 को पूने के अंदर और लोगों को जोड़के एक कॉन्फरेंस करेंगे और वहाँ पे तभी के तभी नैचनल पार्टी बना देंगे दो और बेटिचर्स आते हैं तो कहने का मतलब यह है कि इस दिन 28th of December 1885 को Indian National Congress Party बन के अनाउस कर दी जाती है इसमें ये लोग कहते हैं कि ये जो Congress Party है ये PPP मॉडल यानि के Prayer, Protest और Petition इसका यूज़ करके Constitution के दाइरे में रहके अपनी बात रखेगी और हर साल एर के last month में यानि के December में अपना एक session रखेगी जिसमें ये fix करेंगे कि आगे के मुद्दों पे बात करनी है और ये session all over India में होगा ऐसा नहीं कि सिर्फ एकी जगा पे होगा कभी इस्ट इंडिया में होगा कभी नौर्थ इंडिया में होगा अलग-अलग जगा पे होगा और जिस जगा पे जगा के सेशन होगा उसी जगा के नाम से उस सेशन का नाम पड़ जाएगा मालो सूरत में हो रहा है तो सूरत सेशन उसका नाम पड़ जाएगा तो ऐसे करके इंडिया के अंदर हर साल सेशन होने लगे इन फैक्ट आज की डेट में भी कॉंग्रेस पार्टी जो एन्युल से� फिर अगले साल नया प्रेसिडेंट बनेगा जाती है जो मैंने आपको चीज बताई इसमें एक और थिसमें यह कहा जाता है कि एवं जो थे इनको गलत ही रोबनाया जा रहा है और यह सारी चीज जो करी गई अंग्रेजों की साजिश्च थी लॉर्ड डफरिन ने एवं के साथ मिलकर कांग्रेस पार्टी बनवाई आपसे कोई पॉलिटिकल बनाकर हमारे लिए दिक्कत क्रिएट करें हम खुद ही अपने लोगों के साथ मिलवा के एक पाठ पार्टी बनवा देते हैं और इसका फायदा यह होगा अंग्रेजों को कि अंग्रेजों को हर एक चीज पता चलती रहेगी इंडिया के मन में क्या चल रहा है यह सारे आइडिया लगते रहेंगे कोई भी पॉलिटिकल मूवमेंट स्टार्ट करने वाले होंगे तो वो पता च वॉल्ड थी अच्छीली कूकर में जब प्रेशर ज्यादा हो जाता है तो सीटी बजती है तो उसके साइड में सिर्फ टीवाल होती है कि अगर सिर्फ ब्लॉक हो जाए तो सिर्फ टीवाल से प्रेशर रिलीज हो जाए तो इसीलिए एवर ने ब्रिटिजर्स के साथ मिलकर कांग्रेस पार्टी करेगी विलियम वैडन बन जो एवर हूं के साथ कांग्रेस के फाउंडिंग में थे और दो बार 1889 और 1910 में कांग्रेस के प्रेजिडेंट भी बनते तो इन्होंने यह 1913 में एक एक बुक लिगी थी, जिस कि ब्रेटिजर्स ने जान पूछके कांग्रेस पार्टी बनाई थी ताकि सिच्वेशन उनके हिसाब से चले अभी जो टाइम चल रहा था 1888 के आसपास का इस टाइम पे गांधी जी जो थे वो 19 साल के थे और 4th of September 1888 को गांधी जी इन सारी चीजों से दूर लड़ा था अपने चले जाते हैं लॉकी पढ़ाई करने और इसके बाद ट्वेल्थ जैनवरी 1891 को वापिस आते हैं एज लॉयर बनकर वह मुंबई में जाते हैं वहां पर लॉप रेक्टिस करते हैं और पेटीशन वगैरह फाइल वगैरह करते हैं लेकिन उस टाइम पर ज्या� था जो कि साउथ अफरीका में बिजनेस करता था तो वो गांधी जी को बुला लेता है कि आप आके हमारी जो लीगल टीम है उसको जॉइन कर लो तो एप्रेल 1893 को गांधी जी समुंदर के रास्ते से साउथ अफरीका चले जाते हैं वहाँ पे भी गोरे काले को लेके बहुत डिस्क्रिमिनेशन हो रहा था तो गांधी जी वहाँ पे भी जाके अपनी आवाज उठाते हैं जिसका एक्स्पीरियंस इंडिया में आगे चलके के अंदर कांग्रेस पार्टी के जो मॉडरेट लीडर थे ये टाइम टू टाइम अपनी बात रखना चालू करते हैं लेकिन कुछ भी होता नहीं है अंग्रेज पे इस पे जादा कुछ भी फरक नहीं पड़ता है कांग्रेस के जो मॉडरेट लीडर थे ये जो राइट्स व� के लीडर कर रहे हैं इससे अंग्रेजों के कान पे जू तक नहीं रेंग रही है तो जो तरीका यूज किया जा रहा है ये एक फ्लॉप तरीका है तो कॉंग्रेस के अंदर एक ऐसा ग्रूप भी बन गया था जो ये मॉडरेट लीडर जो तरीके अपना रहे थे उनसे खुश कांग्रेस के अंदर इसके कुछ ही दिन बाद ब्रिटिचर्स कुछ ऐसा स्टेप लेते हैं जिसकी वजह से पूरी कांग्रेस में उठल पुथल हो जाती है होता क्या है कि यह 1903 में वाइसरॉयल लॉर्ड कर्जन ने देखा कि इंडियन काफी एक जुट होकर आ रहे हैं लेकिन एक्शुल में इन्होंने हिंदु मुस्लिम में फूट डलवानी थी इस वजह से डिसीजन लिया गया था तो इधर ये प्रपोजल दिया जाता और इसके दो साल बाद यानि के 19th of July 1905 को ये पार्टीशन का प्रपोजल एक्सेप्ट हो जाता है कि अब बंगाल जो है इ बंगाल के अंदर माइनोरिटी बन गए तो लोगों में बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया था तो 19th जुलाई को बंगाल का ये जो डिवाइड है इसको अनॉंस किया जाता है बंगाल के अंदर भीड और मीटिंग होना है सब कुछ स्टार्ट हो जाता है 7th ओगेस्ट 1905 को कैल जो खुद इंडियन बनाते हैं सिर्फ वहीं यूज करेंगे और यह पूरा मूवमेंट स्टार्ट किया गया इसको नाम दिया गया स्वदेशी मूवमेंट में इसमें मैंचेस्टर से जो कपड़े आते थे उसको टारगेट किया गया था और इसके अगेंस में जाकर खादी वगरा पहनते हैं यह इसी स्वदेशी मूवमेंट का यह असर था जो आज की डेट तक चला आ रहा है अब इस सारी की सारी जो भीड़ थी वो अपना विरोज जता रही थी स्वदेशी मूवमेंट कर रही थी लेकिन 16th of October 1905 में बंगाल के दो टुकड़े हो जाते हैं जब ये session start होता है तो पहले तो कड़े शब्दों में निन्ना की जाती है कि जो Bengal को जो divide किया गया ये सारी चीज़े गलत की गई है और फिर ये decide होता है कि इसके खिलाफ हम petition डालेंगे और ये जो Bengal की divide का मुद्धा है इसको Bengal के अंदर हम कोने कोने में ले जाएंगे लेकिन इ खाना पड़ेगा लेकिन थे वह मॉडरेट डीडर थे तो इस चीज को मना कर दिया ज अब यहां से पहली बार था जिफ कॉंग्रेस के अंदर फूट पढ़ना स्टार्ट हो जाती है। हो सकें मीटिंग के अंदर जो वाइसरोय थे वो मुस्लिम्स को कहते हैं कि ये सारी चीज़े होगी लेकिन उससे पहले मैं आपको ये सजज़ेस्ट करूँगा कि आप एक अलग से पार्टी बना लीजिए ताकि मुस्लिम्स के हक के लिए अलग से बात उठाई जा सके और अं� Congress का फिर से session होता है और इस बार जो session होता है Congress का उसमें Muhammad Ali Zinna जो थे वो भी Congress को join कर लेते हैं और moderate leaders जो थे उनके साथ मिलके काम करते हैं अब अगले साल यानि के year 1907 में Congress का session होना था इस बार Congress के जो extremist leader थे वो सोच रहे थे कि उनके group का कोई बंदा president बनेगा वो जान पूछ के year 1907 का जो session था वो सूरत में रख देते हैं रूल के इसाब से ये था कि जिस city के अंदर session होगा उस city का जो leader होगा उस particular साल पे president नहीं बन सकता है। और क्योंकि अगर सूरत में session होता तो moderates जो थे उनके president बनने के chances जादा होते इसलिए सूरत में रख दिया जाता है। और फिर इसके बाद voting होती है और moderates का जो group था उनका ही leader बनता है। अब यहां से congress के जो extremist leader थे वो गुस्सा हो जाते हैं। और बाद इतनी बढ़ जाती है कि उसी session के बीच में दोनों group एक दूसरे के उपर table chair फेकते हैं और एक दूसरे को जूता फेक के मारते हैं। उसी particular time पे police को भी बुलाना पड़ जाता है और ये बात इतनी जादा बढ़ जाती कि यहां से ये दो group थे split हो जाते हैं अब इधर ये सारी चीजे होने के बाद year आता है 1909 इसमें Hindu Muslim difference को और बढ़ाने के लिए Viceroy Lord Minto Secretary John Morley के साथ मिलके Indian Council Act 1909 लेके आते हैं जिसे Morley Minto Reform भी कह होंगे और वहाँ जो vote डालेंगे वो भी केवल Muslim सी डालेंगे अब इससे Muslims तो बहुत जादा खुश हो गये थे लेकिन इसके आने वाले दो साल में foreign boycott जो था Swadeshi movement, Swaraj इन सब की जो मांगे चल रही थी उससे Britishers के उपर बहुत जादा pressure बढ़ गया था और year 1911 में Bengal का जो partition किया गया था उसको वापिस कर लेते हैं Britishers क्योंकि Britishers को डर लग गया था 1857 जैसे revolt जो है वैसी situation हो सकती है इस decision से Muslim League जो था बहुत जादा ब्रिटिजर से उठ गया था अब इसके बाद year 1913 में Muslim League के जो लोग थे वो जिन्ना के ऊपर प्रेशर बनाते हैं कि वो जाके Muslim League को जॉइन कर लें तो जिन्ना क्या करते हैं कि Congress से तो वो रिजाइन नहीं करते हैं इसके साथ साथ Muslim League भी जॉइन कर लेते हैं तो एक तरह से वो और कुछ शटों के साथ एक agreement कराते हैं जिसे लखनऊ पैक्ट भी बोला जाता है ये sign होता है जिसमें ये था कि ये सारे लोग मिलके Britishers के खिलाव self-government यानि सोराज की लड़ाई लड़ेंगे देखिए अभी तक भी आजादी की बात नहीं हो रही है सोराज जिसमें ये था कि ये लोग self-governance करेंगे उनको भगाया नहीं जाएगा अब इसके बाद date आती है 9th of January 1915 और इस date को इंडिया के अंदर गांधी जी की entry होती है जो चल रही है उसमें उन्हें भी जुड़ना है साफरी का में उन्होंने एक स्ट्रेकल क्वालिटी करी थी तो वह अपना एक्सपीरियंस जो था वह इंडिया में यूज करना चाहते थे लेकिन गोपाल केशन गोगले जो थे वह इनको रोक देते हैं कहते हैं कि पहले तुम पूरा इंडिया घूम लोगों से मिलो उनकी प्रॉब्लम समझो और गांधी जैसा उनके मेंट और गोपाल शुरू करते हैं और ट्रैवल करते टाइम यह जैसे एक आम आदमी कपड़े पहनता है जिस ट्रेन में थर्ड क्लास का तिकेट लेकर वो चलता है सेम वैसे ही ट्रैवल करते हैं और फिर गांधी जी बॉम्बेर फिर कॉलकता एहमदाबाड डेली से चेन नहीं पूरे देश में ट्रैवल करते हैं और दो साल तक पूरे इंडिया में खूमते हैं अब इसके बाद डेट आती है दिसंबर 1916 तो जैस बिहार में वहाँ पर दो किसान राजकुमार शुकला और संत राउथ यह मिलते हैं और बताते हैं कि चंपारन जो कि बिहार में वहाँ पर अंग्रेज उनसे जबरदस्ती इंडिगो की खेती करवा रहे हैं और वो ऐसा नहीं चाहते हैं यह जो इंडिगो की खेती करवाई खटिया सिस्टम भी बोला जाता था सेम वही इंडिको वाली चीज जो हमने भी थोड़ी दर पहले डिसकस करी थी तो ये सब सुनने के बाद 15th of April 1917 को गांधी जी अपने लॉयर की टीम लेके चमपरेंड पहुँचते हैं और वहाँ पहुँचके गाउं में डोर टू डोर जुल्म वगरा हो रहे थे वह सारी चीजें रिटर्न में ले लेते हैं और अंगुठा लगवा लेते हैं इसके बाद गांधी जी जगह जगह उनकी मोती हारी कोड में पेशी होती है और जब ये ख़वर फैल जाती है तो चारो तरफ से लोग कोड को घेर लेते हैं नारे बाजी होती है कोड दो दिन तक जैसे तैसे ये सब जहेलती है इतनी भीड़ी खट्टी हो जाती है कि दो दिन बाद लेकिन यहां पर सत्याग्रह का मतलब थोड़ा अलग था इसका मतलब था कि सिविल डिसोबीडियन पैसिव रेजिस्टेंस यह सारी बातें हो रही हैं एक एग्जांपल समझाता हूं जैसे मालों आप किसी कंपनी में काम कर रहे हो लेकिन जो रूल बोले जा रहे हैं वो आप होनी है अंशन करना है और यह सारी चीजें करनी है और फिर लेस्ट होना होगा इससे पहले जो मॉडरेट लीडर्स है वह रूल्स वगैरह फॉलो कर रहे थे एक्स्ट्रीमिस्ट लीडर जो थे उनके तरीके बिल्कुल अलग थे आम जनता को डिरेक्ट इनवॉल्व लेकिन गांधी जी ने ऐसा नहीं सोचा उन्होंने आम जनता के पास गए उनको समझाया और कोई खटा किया जिसकी वजह से बहुत ज्यादा इंपैक्ट पड़ा तो कहने का मतलब यह है कि चमपारन के अंदर गांधी जी ने लोगों को इखटा किया, सत्या ग्रह चालू रखा, और जब अंग्रेज देखते हैं कि लोगों के उपर मार, डंडे, किसी भी चीज का असर नहीं हो रहा है, तो वो ठक हार के लास्ट में अंग्रेजों की बात मा ने क्या किया था एक प्लेक बोनस था वो रख दिया था ताकि इसके लालच में लोग काम करने आ जाएं अब इसके कुछ टाइम बाद जब प्लेक खत्म हो जाता है तो ओनर्स ने ये जो प्लेक बोनस था वो देना बंद कर दिया तो वर्कर्स यहां पर थोड़ा सा नाखुश हो जाते हैं वो कहते कि इतने सालों से तो पैसे बढ़ाई नहीं गए हैं और वर्ड वार की वज़ासे जो महंगाई है वो भी आसमान चू रही है तो आप भले ही प्लेक बोनस उसका नाम मत रखो किसी और तरीके से चाहिए कुछ तो परसें� से यहां पहुंचते हैं और सारी बात समझते हैं गांधी जी फिर लोगों को जोड़ते हैं और हंगर स्ट्राइक करते हैं जिसकी वजह मील का जो काम वगैरह प्रोडक्शन वगैरह सब रुक जाता है और जो मील का ओनर होता है वह थर्टी परसेंट इंक्रिमेंट पूछी लाकों में तो गुजरात में एक खेड़ा नाम की जगह थी वहां पर सूखा पड़ने की वजह से फसल खराब हो गई थी अब किसान की कमाई का एक ही जरिया था वह बंद हो गई थी और अंग्रेज जो थे वह टेक्स लेते थे इनसे तो ऐसे केस में गुजरात भेजते हैं, सरदार वल्लव भाई पटेल भी बहुत बड़े लॉयर थे, इंडिया की फ्रीडम स्ट्रेगल में आपको सारे के सारे लॉयरी मिलेंगे, तो सरदार पटेल वहाँ पे जाते हैं और लोगों की पेटिशन वगरा डालते हैं, लेकिन सब रिजेक्ट कर जिनमेंदे सबसे आगे बा जटिन थे वो ब्रिडिजर्स के दुश्मन जर्मनी के लोगों के साथ मिलके प्लान बना रहे थे जिसमें ये डिसाइड हुआ था कि जर्मनी इंडिया में हतियार वगरा भेजेगा और मिलके ब्रिडिजर्स को इंडिया से बाहर फेकेंगे लेकिन किसी एक खबरी ने और अंग्रेज जो थे वो बागा जतीन को देज रोही करार दे देते हैं और 10th of September 1915 को उनको शहीद कर देते हैं कमिटी जो थी वो 18th of March 1919 को एक एक्ट लेके आती है जिसे रॉलेट एक्ट भी कहा जाता है इस एक्ट में मेंली दो पॉइंट थे पहला ये था कि अगर कोई भी एक्टिविस्ट ऐसे वॉयलेंस वगरा करने की हरकत में पाया गया तो बिना कोट वगरा ले जाए डिरेक्ट द नियुक्त रेजाइन कर देते हैं गांधी भी बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाते हैं तो पूरी तरीके से मनमानी गुंडा राज इसमें यह था कि अगर पुलिस आपको उठाकर ले जा रही है तो आप वकील के थ्रू या कोर्ट में जाकर अपील तक नहीं कर सकते जब यह फिर से बहुत बड़ी चीज थी तो इसके अगेंस में भी गांधी जी ने सिक्स्ट ऑफ एप्रेल नाइनटी नाइनटी ने को सत्याक रह स्टार्ट किया लोगों ने हरताल की भूके रहे इस आंदोलन में आम लोग भी शामिल हुए जैसे किसान कारी परिगर यह सारे लोग जो थे पहली बार नैशनल इशू को यह सा था जिसमें शामिल हो रहे थे पंजाब के अंदर भी बहुत बड़े लेविल पर इसका विरोध हुआ तो अंग्रेजों ने क्या किया कि पंजाब में मिलिटरी बुलाना चालू कर दी उनको एक नहीं है पंजाब में दो कांग्रेस लीडर थे डॉक्टर सैफ़ुद्दीन और डॉक्टर सत्पाल इस सत्यकरह को पंजाब के अंदर लीड कर बात करनी है इन सब चीजों के बारे में लेकिन मिलने के बाद उनको धोकर से जेल में डाल दिया अब इससे एक-एक आम होंगे वहाँ पर अपना प्रोटेस्ट करेंगे तो यह जो जलिया वाले बाग में प्रोटेस्ट करने की जो बातें हो रही थी तो यह सारी चीजें बारा तारीक को जनरल डायर के पास पहुंच जाती है तो वो क्या करते हैं कि पब्लिक गैधरिंग को बिल्कुल बैन कर देत जाते हैं अब देखिए जलियावाला बाग का जो स्ट्रक्चर था वहां से एक ही एंट्री थी और एक ही एक्सिड था और उसी पर्टिकुलर गेट पर जनरल डायर जो थे उसको ब्लॉक करके वहीं पर अपनी टीम के साथ खड़े हो जाते हैं और फाइरिंग उनके इसाप से 120 लाशी तो सिर्फ वहां पर जो कूआ था वहीं से निकली थी पूरे देश में इन फैक्ट देश के बाहर भी इसके बारे में बहुत हल्ला हुआ गांधी जी इस चीज को सुनकर बहुत ज्यादा हताश हो गए थे उन्होंने 18th of April 1990 को इस इस सत्यागरह को रोक दिया, लेकिन इस सत्यागरह रोक तो दिया था, लेकिन यहाँ से Britishers का जो बुरा टाइम था, वो स्टार्ट होता है, इस incident को लेके हर तरफ से अंग्रेजों के ऊपर बहुत ज़ाधा प्रेशर था, तो इस चीज के लिए ये लोग inquiry भी बिठाते हैं, ए दिया गया था और उसमें भी कहा जाता है कि उसकी security की वजह से भेजा गया था और वहाँ की जो आम public थी जो UK की public थी उन्होंने जनरल डायर के लिए 26,000 पाउंड का fund raise करके जनरल डायर को दिया था तो इन सारी चीजों को सुनके एक तो इंसाफ नहीं मिलना था ये सारी चीजे सुनके पूरे इंडिया के अंदर लोग बहुत जादा गुस्से में आ जाते हैं और इसी टाइम पे गांधी जी Muslim group जो थे उन ना उनके जो लॉग वगैरह है अब यह नॉन कॉपरेटिव मुवमेंट यह शुरू करते हैं इसमें कुछ दिन के बाद कांग्रेस भी जुड़ जाती है और जो कांग्रेस जुड़ती है इसके मॉडरेट लीडर हो चाय एक्स्ट्रीमिस्ट लीडर हो दोनों आके जुड़ते हैं अब यह वो टाइम था जब इंडिया के अंदर प्रिटिशर्स के अगेंस में सब एक जुड़ होना शुरू हो गए थे और इस प� और दूसरा ही जो non-cooperative movement थ इसका एक ये भी हेम था कि जो जलिया बाग का incident हुआ था उसमें जो दोशी थे उनको सजा दी जाए तो ये जो movement इन्होंने शुरू किया था इसमें ये था कि June 1920 को ये लोग decide करते हैं कि जितने भी अंग्रेजों के schools हैं, colleges हैं, law firms हैं, election वगरा ये जो करवा रहे हैं इन सब को हम बॉयकॉर्ट करेंगे और जो अवार्ड वगैरा दिये हैं ये सब भी लोटा देंगे अब स्कूल्स वगैरा अगर बॉयकॉर्ट करेंगे तो इसके लिए इनोंने स्कूल्स वगैरा बनाएं भी जैसे जामिया इसलामिया, काशी विद्यापीट, गुजरात व फॉरेंग गुड जो थे उनको बॉयकॉट कर दिया गया और गांधी जी ने कहा कि आप चर्खा चलाओ और खुद अपने कपड़े बनाओ। मीटिंग पे बैन लगा दिया तो ऐसे ही 4th of February 1922 को यूपी के गोरकपूर में चौरी चौरो नाम की एक जगह थी वहाँ पे भी non-cooperation movement जो था उसको लेके प्रोटेस्ट हो रहे थे नारे लग रहे थे अंग्रेजों के खिलाफ तो फिर पुलिस वाले क्या करते हैं कि वो पुलिस स्टेशन में घुस जाते हैं और भीर क्या करती है वो गुस्से में पूरे के पूरे पुलिस स्टेशन में आग लगा देती है और 22 पुलिस वालों की जान चली जाती है अब ये सारी चीजे देखके गांधी जी बहुत कर रहे थे कि वॉयलेंस नहीं होना चाहिए था वो इतने ज्यादा डिसपॉइंट हो जाते हैं कि 12th of February 1922 को उन्होंने ये जो non-cooperative movement था इसको बंद कर दिया और अंग्रेजों ने क्या किया कि ये सारी चीजों की वज़े से गांधी जी को 6 साल के लिए जेल में डाल दिया अ बात होगी और यह जो यंग ग्रुप था इसके में लीडर थे राम परसाद बिसमिल सचेंद्रनात बक्षी और जोगेश चंदर चेटर जी इसके बाद यह क्या करता है कि ओक्टूबर के मन्त में कानपूर में मिलते हैं और हिंदुस्तान रिपबलिक एसोसियेशन है एचारे भारी नुकसान हो रहा था लेकिन इनको धीरे धीरे ये रिलाइज हो गया था कि अगर असी लड़ाई लड़नी है तो हतियार और पैसा चाहिए होगा और पैसा कहां से आगा क्योंकि ये लोग जॉब तो करते नहीं थे तो इनको एक खबर मिलती है 9th of August 1925 को एक ट्रेन शाज ये लोग यंग 20-25 क्रांतिकारियों की टीम बनाते हैं, और में प्लानिंग इसमें करते हैं राजेंदरनात लहरी, इन 20-25 लोगों की टीम बनी थी, इसमें थे राम परसाद बिस्मिल, अश्वाखुला खान, रोशन सिंग, चंद शेकर अजाद, सचेंदरनात सान्याल, बोला जाता था इस incident के बाद अंग्रेजों को बीच में अफरत अफरी मच गई थी ये पूरा का पूरा मामला उन्होंने CID ओफिसर हाटन को दे दिया था और inquiry complete होने के बाद September 1925 तक ये लोग 40 young क्रांती कारियों को arrest करते हैं बाकी अश्वाक उल्ला खान और सचेंदरनाद ब special session court में इनके trial होते हैं और फिर 6th of April 1927 को फैसला सुनाया जाता है जिसमें राम परसाद बिस्मिल, रोशन सिंग, राजेंदर नात लहरी और अश्वाख हुल्ला खान को फांसी सुना दी जाती है और 16 लोगों को 3 से 14 साल की जेल की सजा सुना दी जाती है और दो क्रांतिकारी जो Government of India Act 1990 है इसमें थोड़े reform लाने की ज़रूरत है Actually जो unrest था उसको अपने control में करने के लिए ये सारी चीज़े की जा रही थी अब क्योंकि John Simon जो थे वो इस पूरे commission के chairman मन के head कर रहे थे इसलिए जो पूरा commission था इसको Simon Commission बोला जाता है और जानपूछ के एक भी Indian इस commission में नहीं रखा जाता है अब ये सारी चीज़े देखके Indian लीडर जो थे वो बहुती जादा भड़क जाते हैं कि Indian का future आप decide कर रहे हो बिना एंडियन से consult करें तो Congress का जो session था वो भी होना था तो इस सेशन में ये डिसाइड होता है कि साइमन कमीशन का पूरी तरीके से भहिशकार किया जाएगा और मॉडरेट लीडर हों, एक्स्ट्रीमिस्ट हों, सारे के सारे एकी पीच पे थे इस चीज को लेके अब थर्ड और फैवरी 1928 को साइमन कमीशन के इंडिया के अंदर आते ही भारी भीड इसका काले जहंडे लेके विरोध करती है अब ये इतना जादा होता है कि अंग्रेज परिशान होते हैं, तो इस पे लॉर्ड बिर्केन हेड जो थे, सेकरेटरी आफ स्टेट आफ इंडिया वो कहते हैं कि चलिए ठीक है आप लोग इतना ज़्यादा हल्ला कर रहे हो कि हमने जो किया है वो आपके भले के लिए किया है लेकिन अगर आपको लगता है कि हमने गलत किया है तो मैं आपको चैलेंज करता हूँ कि अगर आप लोग खुशेक ऐसा constitutional reform लेके आओ जो इंडिया म निसंबर की बजाय फैवरी 1928 में अपनी ऑल पार्टी कॉन्फरेंस बुला लेती है और अलग से कमेटी बना देती है जिसका काम यह दिया गया होता है कि जल्दी से जल्दी नया कंस्टिटूशन मनाओ और जो कमेटी थी जिसको एक काम दिया गया था उसको जवाल नेहरू जी के फादर मोतीलाल नेहरू हेड कर रहे थे अब इसके करीब 6 महीने बाद यानि के आउगस्ट 1928 में यह रिपोर्ट रेडी हो जाती है जिसमें डॉमिनियन स्टेटस फेडरल फॉर्म अब गवर्मेंट कई सारी चीजें इसमें मेंचन करी गई थी यह रिपोर्ट लेकिन इस रिपोर्ट ऐसी बनी थी कि एक नहीं बलकि सारे रिलीजन के जो लोग थे इस रिपोर्ट से नराज हो गए थे इन फैक्ट कॉंग्रेस के अंदर भी असैमेती बन गई थी कॉंग्रेस के जो यंग लीडर थे जैसे जवाल लाल नेरू, सुबास चन्द बोस जो थे वो ब्रिटिशर्स का इंटरफेरेंस रहता उसमें वहीं टोटल इंडिपेंडनस जानी पूर्ण सोराज मतलब कि ब्रिटिशर्स पूरी तरीके से इंडिया से बाहर चले जाएंगे और इंडिया के लोग ही देश चलाएंगे अब जिन्ना जो थे उन्होंने भी नैरू जी की जो रिपोर्ट थी उसमें अमेंडमेंट के लिए चौदा पॉइंट भेजे थे लेकिन वो भी कांग्रेस ने मना कर दिये इसलि� लहौर में बहुत सारे स्टुडन्स को लेके अपना शांती पूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे और उसी टाइम पे लहौर पुलिस के स्पी जेम्स स्कॉट फ्रस्टेट होकर लाठी चार्ज का ओर्डर कर देते हैं और 17th of November को वो शहीर हो जाते हैं भगत सिंह जो थे वो इनको बहुत ज्यादा मानते थे तो भगत सिंह यह सजेस्ट करते हैं कि लाला लाजपद जी के साथ जो हुआ है यह बहुत गलत हुआ है इसलिए स्पी जेम्स स्कॉट जो है जिसने हरकत करी आप उसको मारना होगा तब ही इसका बदला पूरा होगा और पहुँचके SP James Scott जो था उसको मार देंगे तो as per plan 17th of December को ये लोग वहाँ पहुँचते हैं और SP James Scott जो था उसका wait करते हैं तरीके से ढूंढ रहे थे और इधर ये लोग भी बहुत टाइम तक छुपे रहते हैं और इसकी वजह से इनकी जो आवाज थी वो दब गई थी लेकिन इनको जो अपनी आवाज थी वो लोगों तक पहुचानी थी तो ये लोग डिसाइड करते हैं कि अगर ये लोग गिरफ् बॉम फेकते हैं और इनकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हैं और फिर वहाँ पर इनको गिरफ्तार कर लिया जाता है अब इसके काफी टाइम तक एंक्वाइरी चलती है फिर 24th of March 1931 को इन लोगों को फांसी की सजा सुना दी जाती है अब इधर एक फांसी की सजा सुना दी जाती है और दूसरी तरफ क्या होता है कि Congress पार्टी के अंदर एक टेंशन चल रही थी कि यंग लीडर चाहते थे कि पूर्ण सुराज की मांग हो और बाकी जो लीडर थे उनका ये मानना था कि ब्रिटिशर्स जो थे वो भड़क जाए जाते हैं और सारे ग्रुप करते हैं और सब लोग सेम पेज पर रहते हैं कि अब आगे से पूर्ण सौराज की ही मांग होंगी और दिसमबर 1929 को कॉंग्रेस अनॉंस कर देता है कि अब से कॉंग्रेस केवल पूर्ण सौराज की ही मांग करेगा और इसके साथ कॉंग्रेस एक चीज और कहती है कि आने वाल और तिरंगा फैराय जाएगा गांधी जी सोच रहे थे कि कोई ऐसा मुद्धा होना चाहिए जिससे पूरे देश युनाइट हो जाएगा और फिर कुछ दिन बाद उन्होंने एक ऐसा तरीका ढूंढा जिससे वो सिर्फ इंडिया में ही नहीं बलकि पूरे वर्ड में फेमस ह 12th of March 1930 को date fix होती है और गांधी जी अपने 78 स्वयम सेवकों के साथ सावरमती से डांडी की तरफ पैदल निकल जाते हैं। बहुत ज़्यादा लोगों को कहते हैं कि यही टाइम है सब लोग एक जुट होकर इस नमक सत्या ग्रह से जुड़ो और इस सत्या ग्रह से भी जुड़ने के वही पुराने रूल्स थे कि वॉयलेंस नहीं करना है गवर्मेंट के जो टैक्स वगरा है वो नहीं देने है और जितने भी ब्रिटिश गवर्मेंट की ओर्गनाइजेशन है उनको बॉयकॉट करना है अभी जो नमक सत्या ग्रह था यह इतना जादा बड़ा हो जाता है कि पूरे वर्ड का मीडिया इसके बारे में बात करने लगता है और बच्चे से लेके औरत तक हर को इससे जुड हैं 60,000 से ज्यादा लोगों को जेल में उठा के डाल देते हैं जिसमें 17th of April 1930 को जवाहरलाल नेहरू जो थे उनको भी जेल में डाल देते हैं और उसके एक महीने बाद गांधी जी को भी जेल में डाल देते हैं ब्रिटिशर्च अबाद तेब जी और सरोजनी नाइडू यह कमाल समाल लेते हैं और इस मूवमेंट को चालू रखते हैं और इसके बाद ब्रिटिशर्च अगार के वाइसरॉयल लॉर्ड इर्विन जो थे उनको रिस्पॉंसबिल्टी देते हैं कि किसी भी तरीके से जो मूवमेंट है इसको रोक लोड इर्विन जो थे वो गांधी जी से जाके मिलते हैं दोनों आपसी सहमती से 5th of March 1931 को एक agreement sign करते हैं इसे गांधी इर्विन पैक्ट भी बोला जाता है इस agreement में ये deal हुई थी कि अब Indians भी नमक का production कर सकते हैं और Britishers ने जितने भी लोगों को जेल में डाला था उनको वो छ हुए उसमें कांग्रेस को रिप्रेजेंटेटिव मानते हुए किया जो कि कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी विन थी अब यहां यह मूवमेंट बंद तो हो जाता है लेकिन दूसरी तरफ भगस सिंह जी की फांसी थी उसकी डेट पास आ जाती है और कई इनियन्स लीडर बैकफूट पे थे और अगर गांधी जी कहते अंग्रेजों को तो उनको उनकी बात माननी पड़ती जैसे बाखी बात माननी थी अब इसके बाद क्या होता है कि एयर 1938 और 1939 दिसमबर में कॉंगरेस के जैसे सेशन होते हैं दिसमबर के मानपे तो वो होते हैं और इन दोनों से� और वॉयलेंस के बिना अजादी नहीं मिलेगी बात इतनी जादा बढ़ जाती है गांधी जी और सुबास्टन बोस जी के बीच में कि गांधी जी साफ मना कर देते हैं सुबास्टन बोस जी के साथ काम करने के लिए और सुबास्टन बोस क्या करते हैं कि वो कॉंग्रिस के अ और इंडिया के लोग हमारे साथ हैं इससे कॉंग्रेस के लीडर थे वो काफी गुस्सा हो जाते हैं कि इंडिया के बिहापे ये जो नो ने बोला है ये गलत बोला है और इस particular चीज को लेके कॉंग्रेस लीडर जो थे वो फिर से रेजाइन करना स्टार्ट कर देते हैं और ज� तो इस proposal को reject कर देते हैं इस offer को August offer भी बोला जाता है जब ये offer reject हो जाता है लेकिन Britishers जो दे उनको India की need बहुत सादा थी यहाँ तक कि Britishers ये तक कह देते हैं कि India को हम Dominion status दे देंगे बस war खाँचे पूर्ण सोराज चाहिए था फूल इंडिपेंडनेस और यहां से ब्रिटिशर्स के लिए हर तरफ से चीजे खराब होना शालू हो जाती है उदर सुबास्टन बोर्ज जो थे वो लगातार इंडिया के कोने कोने में independence की जो activities थी उनको बहुत तेजी से बढ़ा रहे थे इसलिए उनको December 1940 में Britishers उनको जेल में डाल देते हैं लेकिन वहाँ पे भी hunger strike वगरा करने लगते हैं वो तबियत खराब हो जाती है उनकी तो कुछ दिन बाद ही सुबास्टन बोस्ट बोस को उनके ही घर में उनको हाउस अरेस्ट कर दिया जाता है मतलब कि उन्हें घर में उनको बंद करके पुलिस और जासूस वगर लगा दिया जाते हैं ताकि कोई एक्टिविटी ना हो पाए लेकिन सुबाज चन बोस क्या करते हैं वह अपना भेज बदलकर अफगानिस्तान और रशिया के रास्ते होते हुए दिसंबर 1941 को जर्मनी के पास पहुंचते हैं जो ब्रिटिशर्स के एक जुगाण लगाकर हिटलर से भी मिलते हैं और वहां पर उनको प्रोपोजल रखते हैं कि आपने जो ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिकों को बंधी बना रखा है उनको आप मुझे दे दीजिए हम मिलकर ब्रिटेन के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे और हिटलर इस जो मूवमेंट्स किए थे उन्होंने उसी तरीके से यह भी था इसमें भी नॉन वॉयलेंस था लेकिन इसमें गांधी जी ने कुछ रूल्स चेंज कर दिये थे इसमें गांधी जी ने सबको समझाया था कि सरकारी नौकरी इस बार छोड़नी नहीं है बलकि नौकरी में रह के करना है क्योंकि दोबारा ऐसा मौका नहीं आएगा इधर गांधी जी अपना भाषण देते हुए लोगों को समझा रहे होते हैं और दूसरी तरफ कुछ ही विडियो को नजर बंद कर दिया जाता अब यहां पर दिक्कत यह गई थी कि लीडर्स नहीं थे तो जो आम जनता थी वह वायलेंट हो अंग्रेज जो थे वो बहुत जादा गुस्से में आ गये थे अंग्रेजों ने कई जगांबे फाइरिंग स्टार्ट करा रही थी कुछ ही महीनों के अंदर एक लाग से जादा लोगों को जेल के अंदर डाल दिया था हजारों लोगों की जान चली गई थी तो कुल मिला के य उनको वापस मांगते हैं ऐसा करके वह अपनी एक आजाद हिंद फॉर्ज यानि के इंडियन नेशनल आर्मी बना लेते हैं इस आर्मी को बनाने का उनका में मकसद यह था कि आर्मी जाकर इंडिया के अंदर ब्रिटिशर से लड़ेगी इसमें इन्होंने एक ऑल था वो जापान ने कुछ शर्तों के साथ सुबास्टन बोस जी को दे दिया था और सुबास्टन बोस क्या करते हैं वहाँ पर जाकर तिरंगलेहरा देते हैं और यह जो अंडमाना निकोबार था इसमें अंग्रेज पहले क्या करते थे कि काला पानी की सजा देते थे जितने भ जापान के साथ मिलकर इंडिया की तरफ खुशते हैं फिर बैटल आफ कोईमा और बैटल आफ इमफाल यह सारी होती हैं ब्रिटिशर्स के ऑफ एप्रेल 1944 को मौयरंग के अंदर अजाध हिंद फॉर्ज जो थी वहां पर जीत जाती है और अपना झंड़ा फैला देती है और अगले दो-तीन महीने में मनिपुर नागालेंड इनके काफी लाक्य जो थे वह अजाध हिंद फॉर्ज इस पर जापान सरेंडर कर देता है लेकिन आजाध हिंद फौज जो थी वह लगी रहती है लेकिन जापान जैसे पीछे हटता है फौज को हतियार खाने का सप्लाई हर एक चीज में दिक्कत आने लगती है और फिर आगे चलकर मजबूरी में आजाध हिंद फौज काम दन्दा सब रोक दिया कोई कामी नहीं आगे बढ़ने दे रहे थे। तीसरी चीज ये अंग्रेज वर्ड वार में भी काफी फंसे हुए थे। और नुकसान बहुत जादा हुआ था इनका। और आजाद हिंद फोर्स ने जो नुकसान किया था इसको देखके ब्रिटिशर जो थे वो बह� उनसे इनका विश्वास जो था वो पूरी तरीके से उड़ गया था उनके ची रियलाइज हो गयी थी किसी न किसी तरीके से अगर ये किसी रिवॉल्ट को दबा भी देंगे तो उनके जो सिपाई हैं जिसमें सबसे आदा इन्डियन सिपाई हैं वो एक्चुले उन जो गया था जिसमें उनका नुकसान होना तै था और में जो अंग्रेज आये थे वो इंडिया के रिसोर्सेस को पूरी तरीके से लेने आये थे इंडिया के रिसोर्स को पूरी तरीके से यूज करके इंडिया को गरीब तो उन्होंने अलड़ी बनाई चुके थे तो इंडिया को फ्री कर देंगे और फिर इसके बाद यूके के अंदर जर्नल एलक्शन होते हैं लेबर पार्टी के क्लेमेंट एटली यूके के प्राइम मिनिस्टर बनते हैं और सेप्टेंबर 1945 को वो अनॉंस्मेंट करते हैं कि दिसमबर 1945 से जैनवरी 1946 में इंडिया के अं� एक historical speech देते हैं जिसमें वो बोलते हैं कि अगले साल June में यानि के June 1948 में इंडिया को independence दे दी जाएगी और इंडिया का खुद का constitution होगा इंडिया एक independent country होगी जिसको Indians चलाएंगे और Britishers इंडिया से बाहर चले जाएंगे और जैसा वो कहते हैं वैसा ही होता है लेकिन आजादी की date change होती है June 1948 की बजाए August 1947 में हमें आजादी मिलती है वीडियो बनाएंगे इंडिया पाकिस्तान का कैसे बटवारा हुआ उसमें ये चीज आपको पता चलेगी लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं कि कुकु एफेम की ओडियो बुक आजाध हिन सरकार ड्रीम ओफ आ वारियर जरूर सुनियेगा लिंक मै