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प्राचीन भारत के हथियार

अजय को कर दो हुआ है हुआ है कि प्राचीन काल से मनुष्य अपनी सुरक्षा कर हथियारों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं भले ही आधुनिक हथियारों जितने विध्वंसकारी ना हो मगर इतने खतरनाक जरूरत है यहां पर निशान खड़ा होने की सोच भी नहीं सकते ऐसे में आपको प्राचीन भारत के कुछ ऐसी हथियारों के बारे में बताएंगे जिनके इस्तेमाल प्राचीन काल से लोग दुश्मनों को अपने मौत के घाट उतारने और अपनी सुरक्षा के लिए करते हैं इसमें पहले नंबर पर है चक्रम यानि 14 यह बेहद धारदार हथियार है लड़ाई में फोर्स के साथ देखा जाता है अगर से चलाने वाला माहिर है तो हथियार दुश्मन के लिए किसी भी तरह से कम नहीं होता चक्र का इस्तेमाल करने वाले सैनिक हमेशा दो चक्र अपने पास रखे थे लेकिन के साथ इसका इस्तेमाल आमने-सामने की लड़ाई में भी किया जाता है भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रसिद्ध हथियार भी सुदर्शन चक्र द्विधा हल्दी पिन ब्लड वाला हल्दी राजपूतों युद्ध के हथियार से ज्यादा स्टेटस सिंबल के तौर पर इस्तेमाल होता था हालांकि कुशल ना करें इसका इस्तेमाल आज भी घातक हथियार के रूप में कि पशु या फंसा यह तरह की भारतीय खिलाड़ी थे जिसका इस्तेमाल युद्ध में होता था यह लोहे से बनी होती थी और सिंगर डबल गढ़वाली हो सकती थे हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भगवान शिव का हथियार था जिसे उन्होंने भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी को सौंप दिया था गधा गधा का नाम सुनते ही आपके मन में भीम और दुर्योधन और हनुमान जी की तस्वीर आयोगे प्राचीन काल में एक बेहद लोकप्रिय हथियार था यह काफी भारी होता था और उसका इस्तेमाल उन भारी रक्षा कवच फैसला किया जाता था जिन्हें धारदार हथियार से ज्यादा नहीं जा सकता हनुमान जी को इस हथियार के साथ दिख जाता है बता दे जरा को इस्तेमाल करने की अपनी एक मार्शल आर्ट्स पहले भी होते थे जिसके नाम पर ही योद्धा का चुनाव किया जाता था और उनमें से सर्वश्रेष्ठ कौन है यह घोषित किया जाता था बांग्ला वाज ने का मतलब हाथ के नाखून से विषैले घटना का इस्तमाल राजपूत करते थे साथ यह वह हथियार है जिससे शिवाजी महाराज ने अफजल खान को मारा था निहंग मैं भी अपनी पगड़ी के अंदर रखते हैं इस हथियार की खासियत यह थी कि से आसानी से छिपाया जा सकता था और जरूरत पड़ने पर अचानक से हमला कर सकते थे उन्होंने यह बेहद अजीब हथियार और उसके निशान मौर्य साम्राज्य से मिलते हैं इसके ब्रिगेडियर 23 और लचीले होते हैं बेहद माहिर लोग इसका इस्तेमाल करते थे तो इसको चलाने में जरा सी भी गलती हुई तो आप खुद को चोट पहुंचा लेंगे इस अध्याय के श्रीलंकाई बाजार में हर हाथ की ओर 32 ब्लड उबल होते हैं यह बाजीराव पेशवा के चर्चित हथियारों में से एक है फोन नंबर 7 दंड पट्टा पट्टा एक बार में कई सैनिकों के सिर कलम करने की काबिलियत रखता है इसके दो ब्लैड अगर आपस में जोड़ लें तो यह बेहद खतरनाक हथियार बन जाता है मुगल काल में इसका काफी इस्तेमाल हुआ है इसका इस्तेमाल बख्तरबंद पैदल सैनिक उस पुल आपके जो तथा शिव महाराज इस हथियार को चलाने में सबसे अधिक माहिर माने जाते हैं और इसे भी मराठा परिवार के तौर पर भी जाना जाता है आखिरी यह बेहद तेज धार वाला मुनवा प्लेट होता है कुरकुरे बीच में गोरखाओं के हथियार के रूप में जाना जाता है हर गोरखा सैनिक की यूनिफार्म मैं आपको मिल जाएगी शादी जैसे रीति-रिवाजों में भी गोरखा से अपने साथ रखते हैं कटार यह धार दक्षिण भारत बनाओ और बाद में इसका इस्तेमाल मुगल और राजपूत अनिल क्या यह छोटा परंतु बहुत ही तेज हथियार होता है इसमें तीन तेज़ धार ब्लड होते हैं जो आपस में मिलकर बहुत खतरनाक हो जाते हैं इस अध्ययन से बाद जैसे बड़े जानवर का शिकार करना बेहद बहादुरी का काम माना जाता था कृपाण कृपाण के पंजाब पर मुगलों के कब्जे के दौरान हुई और जब भारत पर मुगलों के अत्याचार बढ़ रहे थे उसके बाद अंतिम गुरु गोविंद सिंह ने अपने बचाव में रखना अनिवार्य कर दिया था और यह भी चला रहा है