एक बहुत ही फेमस सेइंग है दस्त इस लाइक एन कंपास डेट लीड्स एन स्टोर्स डी फ्यूचर हमारा जो पेस्ट होता है वह हमें रास्ता दिखता है ताकि हम एक बेहतर फ्यूचर बना सके लेकिन इस पेस्ट को बेहतर तरीके से जानना भी जरूरी है आज की अपनी सेशन में हम इसी पास पे एक्सप्लोर करेंगे और पुरी मॉडर्न हिस्ट्री को बहुत ही कम समय में एनीमेशन के थ्रू समझना का प्रयास करेंगे इस पुरी जर्नी में हम आगे बढ़ेंगे लेकिन उसके पहले मैं आपको कुछ बेसिक फंडामेंटल बातें बताता हूं जैसे की यूपीएससी फाउंडेशन कोर्स 202425 लॉन्च हो चुका है इसमें जीएस की क्लासेस अवेलेबल होगी अलोंग विथ ऑप्शनल क्लासेस और 24 * 7 लाइब्रेरी एक्सेस सीटीआई मॉडल के तहत इसमें डेली बेसिस पर टेस्ट होगा और रिवीजन भी होगा सीसैट की क्लासेस आपकी इसका हिस्सा होगी और मल्टी लेवल पर मेंटरशिप अवेलेबल रहेगी रिकॉर्डिंग लेक्चरर्स अवेलेबल होंगे अगर आपने किसी भी कैसे में अपनी क्लासेस को मिस किया है तो आप इस बड़े में अगर कोई भी और जानकारी चाहते हैं या क्लासेस को जॉइन करना चाहते हैं तो डिस्क्रिप्शन बॉक्स में आपको एक फॉर्म मिल जाएगा जैसे आप फाइल कर सकते हैं तो आई बिना दे दीजिए अपनी इस जर्नी को स्टार्ट करते हैं उसको आज के वीडियो में हम इंडिया की मॉडर्न हिस्ट्री की जॉइनिंग देखेंगे एग्जाम पोस्पेक्टिव से मॉडर्न हिस्ट्री बहुत ही इंपॉर्टेंट है और हर साल यूपीएससी हो या स्टेट पीसीएस एग्जाम्स मॉडर्न हिस्ट्री प्रीलिम्स और मेंस दोनों में ही सिग्निफिकेंट शेर हॉल करता है मॉडर्न हिस्ट्री को हम पांच पार्ट में डिवाइड कर सकते हैं पहले एड्वेंट ऑफ यूरोपीय दूसरा है रिवॉल्ट ऑफ 1857 तीसरा है बिगनिंग ऑफ मॉडर्न नेशनलिज्म इन इंडिया और राइस ऑफ इंडियन नेशनल कांग्रेस चौथ है गांधी नेहरा और पांचवा है टुवर्ड्स फ्रीडम और पार्टीशन तो आई शुरू करते हैं आज के वीडियो को सेवंथ सेंचुरी में रोमन अंपायर की डिक्लिन के बाद इजिप्ट और पुरुषों पर अब का डोमिनेंस था जिससे यूरोप और इंडिया के बीच डायरेक्ट कांटेक्ट भी डिक्लिन हो गया जिसे इंडिया से यूरोप एक्सपोर्ट होने वाली कमोडिटीज जिसे स्पाइसेज सिल्क और प्रेषित डिमांड यूरोप में इफेक्ट हुई 1453 में कल सेंटर में आया और इंडिया से मर्चेंडाइज यूरोप तक अब इंटरमीडिएट की थ्रू जाता था और रेड सी रूट पर इन स्टेटस की मोनोपोली थी इन सभी सरकमस्टेंसस के करण यूरोपियन इंडिया के लिए एक डायरेक्ट सी रूठ की तलाश करने पर निकाल पड़े पुर्तगाल के प्रिंस हेनरी इंडिया तक डायरेक्ट सी रूठ खोजना के लिए इतने ऑबसेस्ड हो गए थे की उनका निक नाम नेविगेट ही पद गया इसके बाद एक गुजराती पायलट अब्दुल माजिद के साथ वास्को डा गम इंडिया के सिरूट की तलाश में निकले और मे 1498 में कालीकट पहुंचे जहां उनका स्वागत किया कालीकट की किंग जेब्रा ने जिन्हें समूह हरि के नाम से भी जाना जाता था सेंचुरी से इंडियन ओसियन में अरबस अफ्रीकन और चाइनीस ईटीसी प्रॉफिटेबिलिटी ट्रेड किया करते थे पर किसी ने भी इंडियन ओसियन पर डोमिनेंस एस्टेब्लिश करने की कोशिश नहीं की थी लेकिन पुर्तगीज पूर्वी ट्रेन में अपनी मोनोपोली एस्टेब्लिश करना चाहते थे पेट्रोल वारिस काबिल ने स्पाइसजेट के लिए कालीकट में फैक्ट्री स्टाइलिश की और उन्होंने कोचीन और कन्नौज के लोकल रुलर्स के साथ एडवांटेज टीटीडी समय के साथ वास्को डा गम के किंग जमोरान के साथ रिलेशंस खराब हो गए और इसके बाद वास्को डा गम ने कन्नौज में एक फैक्ट्री सेटअप की और ग्रैजुअली कालीकट और करण और कोचीन पुर्तगीज के लिए इंपॉर्टेंट ट्रेड सेंटर्स बन गए और इन फैक्ट्री को प्रोटेस्ट करने के नाम पर पुर्तगीज इन फैक्ट्री को 45 करने लगे 15:05 में किंग ऑफ पुर्तगाल ने फ्रांसिस्को दे अलमादा को इंडिया में गवर्नर अप्वॉइंट किया और इन्हें ईडन और मलाका को सिसकर इंडिया के मुस्लिम ट्रेड को डिस्ट्रॉय कर पुर्तगीज इंटरेस्ट को कंसोलिडेटेड करने के रिस्पांसिबिलिटी हो गई और इजिप्ट के सुल्तान ने अलमारी के बढ़ते पावर को चैलेंज किया बैटल ऑफ दिउ में इजिप्शियन और गुजरात की कमाई निवेश किया तो पुर्तगीज कॉटन की डिफीट हुई और इसमें मीडिया के बेटे की भी मौत हो जाति है इसका रिवेंज अलमारी ने नेक्स्ट एयर दोनों ने भी इसको कृष करके लिया ब्लू वाटर पॉलिसी इंडियन ओसियन का मास्टर बनाना चाहते थे अलमारी के बाद अल्फांसो दे अल्बूकर क्विक हो इंडिया में गवर्नर अप्वॉइंट किया गया थे ईस्ट में पुर्तगाल का रियल फाउंडर माना जाता है बिल्डिंग सेंटर्स में कंट्रोल एस्टेब्लिश करने के लिए परमिट सिस्टम इंट्रोड्यूस किया इसके अलावा सुल्तान ऑफ बीजापुर से 1510 में इन्होंने गोवा को भी एक्वायर कर लिया अल्मोकरीन सती के लिए भी स्टेप्स लिए और पुर्तगीज लोगों को इंडिया की लोकल वूमेन के साथ मैरिज करने के लिए भी इनकरेज किया पुर्तगीज ने खुद को ऐसा विलेज लैंडलॉर्ड भी एस्टेब्लिश किया और तबक को पोटैटो और कैसियो जैसे क्रॉप्स को भी इंट्रोड्यूस किया अल्फांसो के बाद 15-29 में नो दे कान्हा ऐसे गवर्नर कर लेते हैं और करीब 1 साल बाद यह पुर्तगीज हैडक्वाटर को कोचीन से गोवा शिफ्ट कर देते हैं 1534 में गुजरात के बहादुर शाह मुगल एंपरर हुमायूं के अगेंस्ट पुर्तगीज हेल्प लेते हैं और हुमायूं की गुजरात से विड्रोल के बाद बहादुर शाह के रिलेशंस पुर्तगीज खराब होने लगता हैं और इसी करण खन्ना ने बहादुर शाह की भी हत्या की कान्हा ने बंगाल में भी पहुंच चुकी इंक्रीज करने की कोशिश की और इंपीरियल फर्मिन के बाद 1579 में हुगली को अपना हेड क्वार्टर बनाया और सोल्ड मैन्युफैक्चरिंग में भी अपनी मोनोपोली एस्टेब्लिश की भारत में पुर्तगु स्टेट की बात करें तो वेस्ट में मुंबई दमन और दिउ गुजरात के कुछ पार्ट्स गोवा और साउथ में पुर्तगाल के मंगलवार कानन्नोर कोचीन कालीकट में सी पोर्ट्रेसिस और ट्रेडिंग पोस्ट थे इसके अलावा चेन्नई में पुर्तगीज ने सेंड तों और आंध्र प्रदेश में नागपट्टनम में फरदर मिलिट्री एस्टेब्लिशमेंट बिल्ड किया आपको बता दें की निकली पुर्तगीज हिंदुइज्म की तरफ टोलरेंट थे पर गोवा इनक्विजिशन के बाद हिंदू उसका परसूज भी किया गया केवल इतना ही नहीं पुर्तगीज हिंदू और मुस्लिम बच्चों को सिख कर क्रुएल शिफ्टेड भी किया करते थे इसके करण शाहजहां के ऑर्डर पर बंगाल की गवर्नर कासिम ने हुगली को सी किया जिसके बाद पुर्तगीज को बंगाल से बाहर जाना पड़ा 18 सेंचुरी तक मराठस के राइस और कन्वर्जन जैसी रिलिजियस एक्टिविटीज और की ब्राज़ील की तरफ डायवर्सन के करण पुर्तगीज की इंडिया में मोनोपोली खत्म हो गई पुर्तगीज के बाद अब हम देखते हैं डेथ लोगों के बड़े में जिन्होंने 1605 में मसूलिपटनम में अपनी पहले फैक्टरीस्टैब्लिश की इसके अलावा तस्नी पहुंच चुकी से नाक पत्तम को कैप्चर कर साउथ में अपना स्ट्रांग हॉल बनाया और फिर कोरोमंडल कास्ट सूरत उत्तर प्रदेश पुलीकट कराईकाल चिनसुरा कासिम बाजार बालापुर पटना और कोचीन एट सेक्टर में भी अपनी फैक्टरीज एस्टेब्लिश की डक इंडिया से सिल्क कॉटन इंडिगो राइस और ओपीएम का ट्रेड करते थे इंडिया में मिली ट्रेड के परपज से आए थे और उनका इंडिया में अंपायर बिल्ड करने का इरादा नहीं था इंडोनेशिया की और दज का झुकाव और एंग्लो डच वार में डक की डिफीट के बाद इंडिया में टच का हॉल वीक पद गया इसके बाद अब हम देखते हैं सबसे इंपॉर्टेंट कॉलोनाइजर इंग्लैंड की तरफ क्वीन एलिजाबेथ फर्स्ट ने ईस्ट इंडिया कंपनी को एक चार्ट द्वारा उन्हें 15 साल एक्सक्लूसिव ट्रेडिंग राइट किया था 3609 में कैप्टन हॉकिंस ने जहांगीर से सूरत में फैक्ट्री एस्टेब्लिश करने के लिए परमिशन मांगी जो पुर्तगीज के अपोजिशन के करण सकसीड नहीं हो पे 1611 में इंग्लिश में मसूलिपटनम में ट्रेडिंग कैट कर दी और 1616 में वहां एक फैक्ट्री वेस्ट एस्टेब्लिश की 1612 में कैप्टन बेस्ट ने पुर्तगीज को डिफीट कर जहांगीर को इंप्रेस किया और 1613 में जहांगीर ने इंग्लिश लोगों को सूरत में सर थॉमस एडवर्ड के अंदर फैक्ट्री एस्टेब्लिश करने की परमिशन दे दी 1615 में सर थॉमस रो जेम्स डी फर्स्ट के एम्बेसडर के रूप में जहांगीर के कोर्ट में आते हैं और आगरा अहमदाबाद और भरूच में फैक्ट्री सेट करने की परमिशन जेन करने में सक्सेसफुल होते हैं इसके बाद 1662 में किंग चार्ल्स डी सेकंड को किंग ऑफ पुर्तगाल पुर्तगीज प्रिंसेस कैथरीन से शादी करने के बदले बॉमब आज डोरी गिफ्ट कर देते हैं और मुंबई को 10 पाउंड के एनुअल रेंट के एक्सचेंज में ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया जाता है जिसके बाद 1687 में वेस्टर्न प्रेसिडेंट की सीट सूरत से मुंबई शिफ्ट कर दी जाति है उसके बाद 1632 में सुल्तान और गोलकुंडा ने ब्रिटिश को 500 के एक्सचेंज में गोल्डन फरमान छूकर ब्रिटिश को गोलकुंडा पोर्ट्स में फ्री ट्रेड करने की राइट दे दी फ्रांसिस दे नाम की एक ब्रिटिश मोचन को चंद्रगृह के रोलर ने मद्रास में एक 45 फैक्ट्री बिल्ड करने की परमिशन दी जो आगे जाकर फूड्स और जॉर्ज के नाम से जाना गया और इसी फोर्ट ने साउथ इंडिया में मसूलिपटनम को आज एन ब्रिटिश हैडक्वाटर रिप्लेस किया और इसके बाद ब्रिटिश ने अपनी ट्रेडिंग एक्टिविटी को ईस्ट में एक्सटेंड करते हुए हरिहरपुर और बालेश्वर में भी फैक्ट्री एस्टेब्लिश की आई अब देखते हैं ब्रिटिश को बंगाल तब इंडिया का एक बड़े और रिच प्रोविंस हुआ करता था और बंगाल के ऊपर कंट्रोल ब्रिटिश के प्रॉफिट सीकिंग मोटिव के लिए एक कृष्ण एलिमेंट था 1651 में बंगाल के गवर्नर शाह सजा ने रुपीज 3000 के एक्सचेंज में ब्रिटिश को बंगाल में ट्रेड करने की परमिशन दी ब्रिटिशर्स ने बंगाल में अपनी सबसे पहले फैक्ट्री 1651 में हुगली में स्टार्ट की और उसके बाद कासिम बाजार पटना और राजमहल में भी फैक्ट्री एस्टेब्लिश की गई फरमान की बावजूद भी ब्रिटिश को लोकल कस्टम ऑफिसर इसको टोल पे करना पड़ता था सम्मान में ब्रिटिश और मुगल के बीच ऑस्ट्रेलिया हुगली को मुगल ने कैप्चर कर लिया जिसके जवाब में ब्रिटिशर्स ने थाना हिजली और बालेश्वर को कैप्चर किया 90 में जो अब चरणों ने मुगल के साथ एक पी साइन की और इंपीरियल फरमान गेम किया और 691 में सुधनुति में एक इंग्लिश फैक्टरीस्टैब्लिश की बर्धमान जिला के जमींदार शोभा सिंह ने ब्रिटिशर्स किया गेस्ट रिबेल किया और उसके बाद ब्रिटिशर्स नेत्री के अपने एस्टेब्लिशमेंट को फॉर्टेफाई किया इसके बाद 698 में ब्रिटिशर्स ने 1200 में गोविंदपुर और कलिकता की जमींदारी खरीद ली और एक फोर्टीफाइड एस्टेब्लिशमेंट बिल्ड किया गया 1700 में जिसका नाम पड़ा फोर्ट विलियम जिसे पूर्वी प्रेसीडेंसी की सीट बनाई गई और सर इसकी फर्स्ट प्रेसिडेंट थे 17-15 में जॉनसन मां की लीडरशिप में इंग्लिश मिशन मुगल एंपरर फारूक सियार से तीन और फरमान से कर करते हैं जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल गुजरात और हैदराबाद में स्पेशल प्रिविलेज मिल जाति है और इस फरमान को मैग्नाकार्टा ऑफ डी कंपनी कहा जाता है इस फरमान के अकॉर्डिंग 3000 के एनुअल पेमेंट की एक्सचेंज में कंपनी के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट को एडिशनल कस्टम ड्यूटी से एग्जाम कर दिया गया और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन के लिए कंपनी को दस्तक इशू करने की भी परमिशन दे दी गई हैदराबाद में कंपनी केवल मालिश के लिए रहने देती थी और इनके एक्जिस्टिंग फ्री ट्रेडिंग राइट्स रिटेंड ही रहे सूरत में एनुअल 10000 के पेमेंट के बदले कंपनी को ड्यूटी फ्री ट्रेड की परमिशन दी गई और मुंबई में कंपनी को अपने खुद के कोइंस रिमेंट करने की परमिशन दी गई जिसकी वैलिडिटी पूरे मुगल अंपायर में थी तो यह तो बात साफ हो गई की फ्लैट रे और डिप्लोमेसी का उसे कर ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल से कई सारे ट्रेडिंग कंसर्न किया ब्रिटिश की कहानी को हम आगे जारी रखेंगे लेकिन उससे पहले आई देखते हैं इंडिया में आए दूसरे फ्रेंच जो सबसे आखिर में इंडिया आए थे लो इसे डी 14 में उनके मिनिस्टर कोलबर्ट ने 664 में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की फाउंडेशन राखी जिसे इंडिया और पेसिफिक ओसियन में 50 इयर्स की ट्रेड मोनोपोली दी गई इसके बाद 1667 में फ्रांस इस कैरेट एक पर्शियन मेरेसेहरा के साथ इंडिया आए और सूरत में एक फैक्ट्री एस्टेब्लिश की और 669 में मर्सल आने सुल्तान ऑफ गोरखपुर से पेटेंट लेकर वसूली पटना में एक फैक्ट्री एस्टेब्लिश की इसके बाद 1673 में फ्रेंच ने गवर्नर ऑफ बंगाल शाइस्ता खान से परमिशन लेकर बंगाल के चंद्र घर में एक टाउनशिप इस्टैबलिश्ड 1673 में वाली कोंडापुरम की गवर्नर शेर लेडी खान ने मसूलिपटनम फैक्ट्री के डायरेक्टर फ्रांस इस मार्टिन को सेटलमेंट के लिए एक साइड ब्रांड की और यही पर 1674 में पांडिचेरी स्टाइलिश की गई जो इंडिया में फ्रेंच के पावर हाउस का नर्स सेंटर बना और इस साल करें को रिप्लेस कर मार्टिन को गवर्नर बनाया इसके अलावा और कासिम बाजार में भी अपनी फैक्टरीज एस्टेब्लिश की 693 में पांडिचेरी को कैप किया और 697 में ट्रीटी का रिस्पेक्ट के बाद पांडिचेरी को फ्रेंच के पास रिस्टोर किया गया इसके बाद वारिस पेनिस सक्सेसहीन और मार्टिन के डिमाइज के करण फ्रेंच को इंडिया में एक बड़ा सेट बैक फेस करना पड़ा 1720 में पर्पेटुअल कंपनी ऑफ डी इंडीज के नाम से फ्रेंच कंपनी को फिर से रिवाइव किया गया जिसके दो एक्टिव गवर्नर रिनॉय और डुमास ने 1720 और 1742 के बीच इसे और एन हंस किया फ्रांस और ब्रिटेन के बीच सुप्रीमेसी के लिए स्ट्रगलर और वार काफी ज्यादा लंबे समय तक चली आई इन शब्द और इनमें हुए कुछ इंपॉर्टेंट इंसीडेंट पर नजर डालते हैं इंडिया में एग्रो फ्रेंड्स आई बिल रे इन दोनों के हिस्टोरिक रिवरी का एक कंटीन्यूअस था जो ऑस्ट्रेलिया वार ऑफ सक्सेशन से स्टार्ट हुआ था और 7 एयर वर्स के साथ कनक्लूड हुआ इंडिया में एंग्लो फ्रेंड्स आई बिल बी कार्नेटिक क के रूप में रिफ्लेक्टर हुई और इन वार ब्रिटिश इंडिया में सुप्रीम यूरोपीय पावर्स बनकर रूप है आई आपका नाटक वर्स को डिटेल में समझते हैं तो 1748 के अंदर इंग्लिश नेवी ने कुछ फ्रेंडशिप को चीज किया इसके रीटेलियेशन में फ्रेंच में मद्रास किया इस वार में फ्रेंड्स फोर्सेस और नवाब ऑफ कर्नाटक अनवारुद्दीन की फोर्सेस के बीच अदर के किनारे हुई बैटल ऑफ फ्रेंड्स सिग्निफिकेंट हैi फ्रेंच किया गेस्ट ब्रिटिश ने अनवारुद्दीन सहल मांगी और अनवर दिन इस बैटल में कूद पड़े इस बैटल में कैप्टन पैराडाइज और गवर्नेंस डुप्लेक्स के अंदर फ्रांस की जीत हुई फर्स्ट कर्नाटक और 1748 में ट्रीटी का एक्स्ट्रा सेपल से हुआ और ऑस्ट्रेलिया वार ऑफ सक्सेशन को भी कनक्लूड किया गया एसटीडी के तहत मद्रास ब्रिटिश को वापस दिया गया और फ्रेंच को नॉर्थ अमेरिका में टेरिटरीज मिली इस वार में नवल फोर्सेस और स्मॉल डिसिप्लिन आर्मी की इंर्पोटेंस को जाकर के बड़े में जिसकी बैक स्टोरी इंडिया में ही लिखी गई फ्रेंच गवर्नर डुप्लेक्स साउदर्न इंडिया में फ्रेंच पावर और पॉलीटिकल इन्फ्लुएंस को इंक्रीज करने और ब्रिटिश को रिपीट करने के लिए लोकल डायनेस्टी के डिस्प्यूट में इंटरफेयर करने 748 में हैदराबाद किंगडम की फाउंडर निजामुल मुल्क की डेथ के बाद उनके बेटे नासिर जंग के एक सेशन को नवाब की ग्रैंडसन मुजफ्फर जंग किया और कर्नाटक में अनवारुद्दीन की नवाबी को चंदा शाही ने चैलेंज किया आपको बता दें की चंदा साहब प्रणालिके के नवाब दोस्त तरीके में मुजफ्फर जंग और करनेटिंग में चंदन साहब की क्लेम को सपोर्ट किया और ब्रिटिश ने नासिर जंग और अनवारुद्दीन को सपोर्ट किया 1749 में मुजफ्फर जंग चंदन साहब और फ्रेंच की कमांड आदमी ने अनवारुद्दीन को बैटल ऑफ अंबर में मार गिराए और जिसके बाद मुजफ्फर जंग डाइकिन के सुपरडर बन गए और दुबली कृष्णरभर के साउथ की पुरी मुगल टेरिटरी के गवर्नर पॉइंट किया गए इसके बाद रोबोट क्लाइव की लीडरशिप के अंदर ब्रिटिश फोर्स ने कार्नेटिक के कैपिटल आर को को कैप्चर किया अपनी पुरी कोशिश करने के बाद भी जिंदा साहिब अरकुट को बच्चा नहीं पे और 1752 में उन्होंने सुरेंद्र कर दिया जिसके बाद मोहम्मद अली ने उन्हें एग्जीक्यूट भी कर दिया 1754 में फ्रेंच में दुबलीज को फ्रांस रिटर्न करने के लिए बुला लिया और कडू को इंडिया का गवर्नर अप्वॉइंट किया गया गोड्यून ब्रिटिश के साथ पॉलिसी ऑफ नेगोशिएशन अडॉप्ट की और उसने उनके साथ एक 3d भी साइन की जिसमें दोनों ने नेटिव प्रिंस के कॉलेज में इंटरफेयर नहीं करने का डिसीजन लिया इन सब घटनाओं के बाद इंडियन अथॉरिटी यूरोपियन सपोर्ट के ऊपर डिपेंडेंट हो गई थी और कर्नाटक के मोहम्मद अली और हैदराबाद के सलावत जंग यूरोपियंस के पैट्रिन के स्थान पर महज एक क्लाइंट ही बनकर र गए थॉट कर्नाटक वोट 1758 तो 1763 758 में काउंटिंग अली के अंदर फ्रेंच आर्मी में सीन डेविड और विजयनगरम को कैप्चर कर लिया और ब्रिटिश ने मसूलिपटनम में फ्रेंच फ्लीट पर अटैक कर दिया बैटल ऑफ थर्ड कर्नाटक वार में एक डिसाइसिव बैटरी थी जिसमें सर कू की लीडरशिप में ब्रिटिश की जीत हुई इसके बाद फ्रेंडशिप पावर नाक के बराबर ही र गई और 16 जनवरी 1761 में लाली ने फाइनली सुरेंद्र कर दिया थर्ड का नाटक इंडिया में फ्रेंच पोजीशन टूरिस्ट हो गई पर इंडिया में इनका पॉलीटिकल इन्फ्लुएंस ना के बराबर ही र गया और पुर्तगीज और डक की तरह फ्रेंच भी अपनी स्मॉल और केव्स में ही कांफ्रेंस हो गए उनके एक्टिविटीज ट्रेड तक ही लिमिट र गई तो सॉरी 1757 की बैटरी ऑफ प्लासी को ब्रिटिश रूल के लिए एक डिसाइड इवेंट कंसीडर करते हैं पर बैटल ऑफ हांडी वॉश के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी इंडिया में एक सोल पावर मां का रिवर्स हुई थी आगे बढ़ाने से पहले आई इंडिया में दानिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बड़े में जानते हैं जिसे 16 में एस्टेब्लिश किया गया था और 16 20 में उन्होंने तंजौर के करीब टैंक के बाहर में एक फैक्ट्री एस्टेब्लिश की इसके अलावा सिर्फ और में इनकी प्रिंसिपल सेटलमेंट भी थी इंडिया में ट्रेड और कॉमर्स से ज्यादा मशीनरी एक्टिविटीज के लिए आए थे औरंगज़ेब की रेंज से ही मुगल अंपायर की फाउंडेशन कमजोर पढ़ने लगी थी जिसमें इकोनामिक और मिलिट्री रीक्लिन एक्सटर्नल इनवेजंस एड्वेंट ऑफ यूरोपियंस और एक जीप की रिलिजियस और डेक्कन पॉलिसी और मैसूर राजपूत केरला अवध बंगाल हैदराबाद उत्पाद सिख और मराठस का इंडिपेंडेंस स्टेट बनकर उभारना भी मुगल अंपायर की डिक्लिन का एक मीन रीजन रहा इंडिया में ब्रिटिश के स्ट्रांग हॉल को इंक्रीज करने में बंगाल रहा है बंगाल की दीवान मुर्शीद कुली खान के बेटे सरफराज खान की हत्या कर अली वर्दी खाने बंगाल को टेक ओवर किया था इंडिया की बाकी रीजंस जो मराठा इनवेजंस जेट रिवॉल्ट एक्सटर्नल इनवेजन इंस्टाग्राम कहे रहे थे बंगाल इन सब्सिडियन टच रहा अली खान को सुचित्र किया उनकी ग्रैंडसन सिराजुद्दौला ने पर उनके सामने उनके कजिन शौकत जंग उनकी और घसीटी बेगम मीर जफर जगत सेठ राय दुर्लभ राय वल्लभ ओम चंद और अलार्म हिंदू पापुलेशन उनकी अपोजिशन में खड़ी थी शौकत जंग को एक बैटल में मार गिराए घसीटी बेगम को डिसमिस कर दिया और मीर जफर को मोहनलाल द्वारा रिप्लेस कर दिया इन्होंने कोलकाता को भी 45 कर लिया और राय वल्लभ की बेटी कृष्णा दास को एसाइलम भी दे दिया इसके रीटेलियेशन में सिराजुद्दौला ने कोलकाता फोर्ट को साइज कर लिया इसके बाद ब्रिटिशर्स ने ब्लैक होल ट्रेजेडी को प्रोपागेट किया जिसके अकॉर्डिंग सिराजुद्दौला ने 146 ब्रिटिशर्स को एक बहुत ही टाइनी रूम में इंप्रेशन किया था जिसके करण 123 ने सफोकेशन से अपना दम तोड़ दिया प्ले स्टोर से गिरी नहीं करते रॉबर्ट क्लाइव नहीं नवाब के ट्रेडर्स दुर्लभ जगत सेठ और ओमिशन के साथ एक सीक्रेट एलाइंस साइन की इसके अकॉर्डिंग मी जफर को नेक्स्ट नवाब बनाया जाना था इसी ग्रेटर लाइंस के करण 23rd जून 1757 की बैटल ऑफ प्लासी में सिराजुद्दौला की हर हुई और मीर जफर के बेटे ईरान की ऑर्डर पर सिराजुद्दौला को एग्जीक्यूट कर दिया गया है मिर्जापुर को बंगाल का नेक्स्ट नवाब बनाया गया और इसकी एक चेन में मीर जफर ने कंपनी को बड़े सम ऑफ मनी और 24 परगनास की जिम्मेदारी सोप दी ब्रिटिश के कोर्ट में एक रेजिडेंट अप्वॉइंट किया और मीर जफर अपनी पोजीशन मेंटेन करने के लिए पुरी तरह से ब्रिटिशर्स के ऊपर डिपेंडेंट थे बैटल ऑफ प्लासी ने इंडिया में ब्रिटिश अंपायर का फाउंडेशन स्टोन रखा और साथ-साथ पिंकी में ब्रिटिश की मिलिट्री सुप्रीम की इसके बाद क्लाइव के रिपीट और इंटरफ्रेंस इरिटेट होकर मीर जफर ने टच के साथ एक कंस्पायरेसी की पर बेदरा में इंग्लिश फोर्सेस के हाथों डच की डिफीट हुई इसके बाद कंपनी ने मिजापुर के सन्नो मीर कासिम के साथ 1760 में टीडी साइन की और उसे नेक्स्ट नवाब बनाया गया जिसकी एक्सचेंज में मीर कहां से ने मुर्दाबाद मिदनापुर और चिटगांव के राइट कंपनी को दे दिए इसके बाद कंपनी को मुर्शिदाबाद से मुंगेर शिफ्ट कर दिया एडमिनिस्ट्रेशन बनाने के लिए रिक्वेस्ट स्टेप्स लिए कंपनी द्वारा दस्तक के मिसयूज के करण और कंट्री के बीच तसल्ली इंक्रीज होते चले गए और 763 में डेवलप हो गया और मिल कासिम को कहावत भगाना पड़ा और वहां के नवाब नवाब सजा दौला और मुगल एंपरर शाह आलम तू के साथ एक कंफीग्रेसी साइन करनी पड़ी पर इसमें ब्रिटिश की जीत होती है इसके बाद ब्रिटिश नॉर्थ इंडिया में एक ग्रेट पावर के रूप में उभरते हैं मीर जफर को फिर से नवाब रिस्टोर किया जाता है और इसकी एक्सचेंज में इजाफा ने मिलनपुर बर्दवान और चिटगांव के साथ पूरे बंगाल में ब्रिटिश को ड्यूटी फ्री ट्रेड के राइट्स देते हैं और केवल साल्ट के ऊपर ही दो परसेंट की ड्यूटी लेते हैं रॉबर्ट क्लाइव ने शाह सजा और शाह आलम सेकंड के साथ दो इंपॉर्टेंट ट्रीटी साइन की जिसके अकॉर्डिंग अवध से कर और इलाहाबाद शाह आलम तू को दिया गया इसके अलावा रुपीस 50 लाख वार इन इम्यूनिटी कंपनी दी गई अपनी आगे की जिंदगी शहालम सेकंड ने इलाहाबाद में कंपनी के प्रोटेक्शन में विदाई और एक फरमान द्वारा रुपीस 26 लाख के एनुअल पेमेंट की एक्सचेंज में बंगाल बिहार और उड़ीसा की दीवानी कंपनी को सोप गई और डिफेंस और एडमिनिस्ट्रेटिव परपज के लिए कंपनी के लिए 56 लाख का प्रोविजन क्रिएट किया गया ब्रिटिश रावत को एक बार स्टेट में टर्न कर दिया और शाह आलम सेकंड को एक यूजफुल रबर स्टांप बना दिया गया रॉबर्ट क्लाइव ने बंगाल में ड्यूल गवर्नमेंट सिस्टम इंट्रोड्यूस किया जिसका मतलब था बंगाल में दीवानी यानी कलेक्शन ऑफ रिवेन्यू और निजामत यानी पुलिस और ज्यूडिशरी का कंट्रोल कंपनी के हाथ में था इस सिस्टम में कंपनी के हाथ में सावरेन पावर दे दी और पीस और ऑर्डर मेंटेन करने के लिए नवाब रिस्पांसिबल थे पर इसके साथ ही वो फैन और फोर्सेस के लिए कंपनी के ऊपर डिपेंडेंट थे दिवाली के लिए कंपनी बंगाल में मोहम्मद राजा खान और बिहार में राजा श्वेता राय को ऐसे डिप्टी दीवान अप्वॉइंट किया ड्यूल गवर्नमेंट सिस्टम के करण एडमिनिस्ट्रेटिव ब्रेकडाउन हुआ और इसमें सबसे ज्यादा सफर आम जनता ने किया फाइनली 1772 में वारेन हेस्टिंग्स द्वारा ड्यूल गवर्नमेंट सिस्टम को बालिस लिया गया बंगाल में कंपनी के एक्सटेंशन के बाद आई अब देखते हैं साउथ इंडिया में कंपनी के एक्सपेंशन को साउथ में हैदर अली के अंदर मैसूर पावर मां करें सुल्तान की फ्रेंच के साथ प्रॉक्सिमिटी और मालाबार ट्रेट पर इनका कंट्रोल ब्रिटिश के लिए एक थ्रेड था ब्रिटिश ने हैदराबाद के निजाम के साथ 1766 में ट साइन की जिसके अंदर ब्रिटिश हैदर अली से निजाम की प्रोटेक्शन के लिए रिस्पांसिबल थे और इसके एक्सचेंज में ब्रिटिश ने निजाम से नॉर्दर्न सरकार सृजन के राइट ले ली है हैदर अली जो रेडी आर्केड के नवाब और मराठाज के साथ टेरिटोरियल डिस्प्यूट एवं डीईसी से 769 तक चले फर्स्ट एंग्लो मैसूर वार में हैदराबाद के निजाम और ब्रिटिश हैदर अली के या अगेंस्ट एलियंस फॉर्म की पर अपनी स्किल से हैदर अली के साथ ब्रिटिश को ट्वीट योर मद्रास साइन करनी पड़ी अब आई अब देखते हैं सेकंड हैंड ग्लोमाइज को जो 1780 से 1784 तक लड़ी गई आते डी रिलीफ और मराठस के बीच हुए बैटल में ब्रिटिशर्स ने हैदर अली की हेल्प नहीं की जिसके बाद हैदर अली ने ब्रिटिशर्स के ऊपर ट्रीटी का मद्रास के नॉन ऑब्जर्वेंस का एलिगेशन लगाया इसके बाद फ्रेंड्स को रोकने के लिए ब्रिटिश ने माही कैप्चर करने की कोशिश की जो हैदर अली के लिए उनकी सोविनिटी पर अटैक था हैदर अली ने मराठस और निजाम के साथ मिलकर अर्किट पर अटैक कर इंग्लिश को डिफीट किया जिससे इंग्लिश वीक पर गए और 1782 में उन्हें ट्रीटी का मंगलौर साइन करनी पड़ी 1782 में हैदर अली की डेथ के बाद उनकी वीडियो टीपू सुल्तान ने इस वार को थर्ड एंग्लो मे शुरू और के रूप में कंटिन्यू रखा टीपू सुल्तान ने कोचिंग की सॉवरेन्टी के लिए स्टेट ऑफ त्रवंकोर के ऊपर वार डिक्लेअर कर दिया और ब्रिटिश ट्रैवल कोर्ट के सपोर्ट में ए गए मगर टीपू सुल्तान के हाथों ब्रिटिशर्स की डिफीट होती है इसके बाद कौन वाली इसके अंदर मराठा और निजाम की सपोर्ट से ब्रिटिश शेयरिंग बटन पर अटैक साइन करनी पड़ती है 798 में गवर्नर जनरल नॉलेज स्टार्ट होती है शेयरिंग बटन के फल के साथ अल्टीमेटली टीपू की हर होती है और ब्रिटिश को मैसूर को वो डेयर फैमिली को सौंपना पड़ता है एंग्लो मैसूर वर्ष के बाद अब देखते हैं एंग्लो मराठा वर्स के बड़े में फर्स्ट एंगुलर था और 1775 तू 1782 माधवराव की डेथ के बाद मराठस में वार ऑफ सक्सेशन स्टार्ट हो जाति है नाना फडणवीस और 23 मराठा चिप्स यानी 12 भाई माधवराव को नेक्स्ट पेज शो बनाने के लिए सपोर्ट करते हैं पर रघुनाथ राव इसकी अगेंस्ट होते हैं और 1779 में वो ब्रिटिशर्स के साथ ट्रीटी का सूरत साइन करते हैं और सेल सेट और बसीम को ब्रिटिश को सीट कर देते हैं पर ब्रिटिश कोलकाता काउंसिल की ऑब्जेक्शन पर साइन करते हैं जिसके अंदर रघुनाथ राव को पेंशन प्रॉमिस की जाति है इसके रीटेलियेशन में मजी सिंधिया की लीडरशिप के अंदर मराठस ने ब्रिटिश को सुरेंद्र करने पर मजबूर कर दिया और दोनों ने 1779 में टू वडगांव साइन की स्तुति को रिजेक्ट करते हुए वारेन हेस्टिंग्स ने अहमदाबाद बेसिन और ग्वालियर को कैप्चर करवाया और सिपरी में सिंधिया को कैप्चर किया इसके बाद पेशवा और इंग्लिश के बीच 1782 में रेडियो सलवाई साइन की गई पेशवा माधवराव नारायण की डेथ के बाद रघुनाथ राव के बेटे बाजीराव सेकंड पेशवा बने और नाना फडणवीस को के मिनिस्टर अप्वॉइंट किया गया सेकंड एंग्लो मराठा वार 18003 तू 1805 बाजीराव सेकंड ने ब्रिटिश के साथ 1802 में टू बेस इन साइन कर सब्सिडियरी एलाइंस एक्सेप्ट की थी जिसके बदले की लीडरशिप में ब्रिटिश ने सिंधिया के साथ पीएफ देवगांव और भोसले के साथ ट और सुरजी इंजन गांव साइन कर उनके ऊपर सब्सिडियरी एलाइंस के फैसला बनकर ही र गए मराठा और 18 से 1819 की तरफ बाढ़ रही थी मराठा के वीक होने के बाद उनकी आर्मी में ऐसा मशीनरी कम करने वाले लोग पिंडारी लोग अनइंप्लॉयमेंट के करण प्लंडरिंग जैसी एक्टिविटीज में इंवॉल्व हो गए ब्रिटिश ने मराठस के ऊपर पिंडारी को शेल्टर देने के चार्ज लगे और पिंडारी लीडर्स को कैप्चर भी किया मराठाज ने इसे अपनी सॉवरेन्टी पर अटैक मानकर पूना और नागपुर ब्रिटिश रेजिडेंसी पर अटैक कर दिया परी के बाद एक सबकी डिफीट हुई इसके बाद पेशवा के साथ टीटीएफ पूना इंडिया के साथ ट्रीटी का ग्वालियर और होलकर के साथ ट्रीटी का मंदसौर साइन की गई इसके साथ ही मराठा कॉन्फिडेंस ही डिसोल्व कर पेशवा बाजीराव सेकंड को ब्रिटिश रिटेनर बनाकर बिठूर भेज दिया गया एंग्लो मराठा वर्स के बाद आई अब देखते हैं फर्स्ट एंगल के बड़े में जो 1845 से 1846 तक चली 1845 में लाल सिंह की लीडरशिप में क्रॉस करने की एक्ट को ब्रिटिश ने 1846 में ब्रिटिश के बीच ट्रेडिशनल सिख एक बार फिर रिबेल करते हैं इसके बाद दिसंबर 1846 में ट्रीटी का भैरव्वल साइन की जाति है और आनी जनजन को ऐसे रीजेंट रिमूव किया जाता है और पंजाब के लिए एक काउंसिल ऑफ एजेंसी सेट किया जाति है सेकंड एंग्लो से वार 1848 तू 1849 मुल्तान की गवर्नर मूलराज ने रिवॉल्ट कर दो ब्रिटिश ऑफिसर की हत्या कर दी और इस रिवॉल्ट को सरप्राइज करने की रिस्पांसिबिलिटी लॉर्ड डलहौजी के ऊपर आई है जी दौरान पंजाब को अनेक कर उसे एक के कमिश्नर के अंदर प्लीज किया जाता है और जॉन लॉरेंस यहां के फोर्स के कमिश्नर पॉइंट की जाते हैं व के अलावा ईस्ट इंडिया कंपनी ने वारेन हेस्टिंग्स की रिंग फैंस पॉलिसी की डॉक्टरी ऑफ लैप्स पॉलिसी का उसे कर इंडिया के स्टेटस जैसे हैदराबाद मैसूर अवध सतारा झांसी लैंड रिवेन्यू सेटलमेंट हैवी टैक्स बर्डन प्रेजेंट अकाउंट के लैंड्स ही वैक्युएशन ट्राईबल लैंड का एंक्रोचमेंट और सोसाइटी के एक्सप्लोइटेशन ब्रिटिश गुड्स का प्रमोशन इंडियन इंडस्ट्रीज और एक्सपोर्ट्स पर लगी हैवी ड्यूटी डिस्ट्रक्शन ऑफ इंडिजिनियस इंडस्ट्रीज आते सेक्टर करण लोगों में ब्रिटिशर्स के अगेंस्ट डिसेंट इंक्रीस होने लगती है और अलग-अलग स्थान और समय पर लोग रिवॉल्ट करते हैं आई ऐसी कुछ मेजर एप्प्राइजिंग के बड़े में जानते हैं सन्यासी रिवॉल्ट और फकीर रिबेलीयन 1763 तू 1800 17 की डिजास्टर फैमिन और ब्रिटिशर्स के हर इकोनामिक ऑर्डर्स ने पूर्वी इंडिया में सन्यासियों को रिवॉल्ट करने के लिए कंपल कर दिया कुछ डिस्पोज डी मीनार डिस्पैंडेड सोल्जर और पुर और फैमिलीज ने इस रिवॉल्वड में बात लिया ये सरप्राइजिंग में हिंदू धर्म सरप्राइज कर दिया गया की बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित आनंदमठ और देवी चौधरानी इसी सन्यासी रिवॉर्ड के ऊपर पेस्ट है नेक्स्ट इंपॉर्टेंट रिबेलीयन है पी का रेवलिन 1870 बाइक्स उड़ीसा के ट्रेडिशनल थे और मिलिट्री सर्विसेज के अगेंस्ट रेंट फ्री लैंड एंजॉय करते थे ब्रिटिश द्वारा राजा कुंवर थ्रू करने के बाद बाइक्स की पावर को रिड्यूस कर दिया गया कंपनी की एक्सटॉर्शनिस्ट लैंड रिवेन्यू पॉलिसी साल टैक्स ऑब्लिशन ऑफ कोरिया ई और प्रेसिडेंट में रेजेंटमेंट इन पीस होती है बक्शीशबंधु विद्याधर के स्टेट किला रघुरंग को ब्रिटिश ने टेकओवर किया जिसके बाद जगबंधु ने राजा मुकुंद देव और दूसरी जमींदार के सपोर्ट से ब्रिटिश के ऊपर अटैक कर उनको कुछ टाइम के लिए रिट्वीट करने पर मजबूर 17 तक ब्रिटिश ने खुद को फिर से अपने कंट्रोल में ले लिया और 1818 में ब्रूटली सरप्राइज किया गया इसके बाद आई देखते हैं संवाद ब्रिटिश असम से विद्रोह करने वाले थे पर वार के बाद ब्रिटिश ने आहों की टेरिटरी को एक्वायर करना चाहा जी करण 1828 में हम प्रिंस गोंधदवार कोनवार ने रिवॉल्ट कर दिया इसके बाद कंपनी ने कंसीलर पॉलिसी अडॉप्ट करते हुए अपार असम को महाराजा पूर्ण धार सिंह नरेंद्र को सोप और कुछ पार्ट असमीज स्क्रीन को रिस्टोर कर दिया गया नेक्स्ट आई देखते हैं कुक मूवमेंट के बड़े में जिसे भगत जवाहर माल ने 1840 में वेस्टर्न पंजाब में स्टार्ट किया था ब्रिटिश के पंजाब और क्षेत्र के बाद ये रिलिजियस मूवमेंट पॉलीटिकल मूवमेंट में कन्वर्ट हो गए इसके बाद हम देखते हैं की 1782 से 1831 तक चले नारियल बेरिया प्राइसिंग के बड़े में जिसे बंगाल में टीटू मीर ने लीड किया था और इसे ब्रिटिशर्स के अगेंस्ट पोस्ट आम प्रेजेंट उप्राइजिंग कंसीडर किया जाता है नेक्स्ट है कर्म शाह द्वारा स्टार्ट किया गया पुंगल पंथी इस मूवमेंट जिसे मेली में सिंह जिला किया था इसके आगे हम देखते हैं 1836 से 185 के बीच हुए पोस्टमा डॉ ऑफ राइजिंग के बड़े में जो फिशेज के ऑपरेशंस क्या-क्या मालाबार में हुआ इसके बाद 1921 में खिलाफत मूवमेंट के दौरान सेकंड मोपला प्राइसिंग होती है प्रेजेंट्स की तरह ही ट्रबल्स ने भी ब्रिटिश ऑपरेशंस किया अगेंस्ट रिवॉल्ट किया था आई देखते हैं ऐसे ही कुछ इंपॉर्टेंट रिवॉल्ट्स के बड़े में सबसे पहले हम देखेंगे झारखंड के सिंघम में हुए हो और मुंडा प्राइसिंग के बड़े में बिरसा मुंडा इस मूवमेंट के सबसे इंपॉर्टेंट लीडर थे और 1860 से 1920 के बीच हुए उलगुलाम को वन ऑफ डी मोस्ट इंपॉर्टेंट ट्राईबल एप्प्राइजिंग कंसीडर किया जाता है नेक्स्ट हम देखेंगे 1855 में राजमहल हिल्स के संथाल रिबेलीयन के बड़े में जिसमें सिद्धू और कानून ने जमींदार और ब्रिटिशर्स के अगेंस्ट त्रिविलयन को लीड किया था इस तरह अलग-अलग समय पर ट्रबल्स और प्रेजेंट्स ने ब्रिटिश ऑपरेशन के अगेंस्ट कई रिवॉल्ट किया जैसे साउथ में हुआ पॉलिगर मूवमेंट पूर्वी बंगाल 1857 में जहां मंगल पांडे ने बैरकपुर में सिपाही मुटनी का बिगुल बचाया जिसे वीर सावरकर और सब चौधरी ने फर्स्ट वार ऑफ इंडिपेंडेंस का नाम दिया ब्रिटिश राज के अंदर हैवी टैक्सेशन डिस्क्रिमिनेटरी टैरिफ पॉलिसी डिस्ट्रक्शन ऑफ ट्रेडिशनल हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री ब्रिटिश सोशल रिलिजियस अफेयर्स में इंटरफ्रेंस से पोज के साथ हुए रिलिजियस इकोनामी इंडस्ट्री सेटर इस रिवॉल्ट के पीछे की कुछ मैं रीजंस थे इनमें से में ट्रिगर पॉइंट बना सी वॉइस के खाने के हातिम में बोन दुष्ट मिक्स करना और न्यू और फील्ड राइफल का इंट्रोडक्शन जिसकी कार्टेज में पिग और को का फैट उसे होता था जो हाइंड्स और मुस्लिम दोनों के लिए एक्सेप्टेबल था और इसका नतीजा हुआ सी पॉइंट मुटनी इसके बाद रिबेल ने बहादुर शाह जफर को इंडिया के अंपायर के रूप में एक्सेप्ट किया अलग-अलग स्थान पर लीडर्स अवार्ड को लीड किया जैसे दिल्ली में जनरल वक्त खान कानपुर में नाना साहब लखनऊ में बेगम हजरत महल बरेली में खान बहादुर बिहार में कुंवर सिंह फैजाबाद में मौलवी अहमदुल्लाह और झांसी में रानी लक्ष्मी जिन्हें ट्रिब्यूट देते हुए ब्रिटिश ऑफिसर सर युग रोज ने कहा है ले डी वूमेन हूं इसे डी ओनली मां अमंग डी रेप्स इनके अलावा तात्या टॉप भी रानी लक्ष्मीबाई के सपोर्ट में आए थे पर अंत में सर यू व्हीलर सरकोनी कंबल और हेनरी लॉरेंस एट सेक्टर जैसे ब्रिटिश ने इस रिवॉल्वड को ब्रूटली से प्रेस करती है 1857 का रिवॉल्ट इंडिया की हिस्ट्री में टर्निंग पॉइंट था इसके बाद क्वीन विक्टोरिया को ब्रिटिश इंडिया का सावरेन रोलर डिक्लेअर किया गया गवर्नर जनरल को वाइस-राय से रिप्लेस किया गया और लॉर्ड कैनिंग ब्रिटिश इंडिया की पोस्ट बीस राय पॉइंट किया गए इसके अलावा इंडिया के एडमिनिस्ट्रेशन के लिए एक सेक्रेटरी ऑफ स्टेट भी अप्वॉइंट किया गया और इंडिया में ब्रिटिश एनसीसी और एक्सपेंशन पर फूल स्टॉप लगा दिया गया ये रिवॉल्ट अपने आप में बहुत ही सिग्निफिकेंट था पर कुछ लिमिटेशंस थे लिमिटेड डोरल और सोशल बेस करण ये एक पान इंडिया लेवल पर पहुंच नहीं सका इसके अलावा बड़े जमींदार कुछ प्रिंस जिससे ग्वालियर की सिंधिया इंदौर के होलकर महाराज पटियाला मैनेज ऑफ कश्मीर 6 के और सेक्टर ने ब्रिटिश का सपोर्ट किया एजुकेटेड इंडियन भी इस रिवॉल्ट से पीछे ही रहे ब्रिटिश की कंपैरिजन में रिवॉल्यूशनरीज के आर्म्स और इक्विपमेंट पुर क्वालिटी के थे और कोई यूनिफाइड आईडियोलॉजी और प्रॉपरली ऑर्गेनाइज आर्मी भी नहीं थी जिसके करण ये सक्सेसफुल नहीं हो पे पर इसके अलावा फर्स्ट वार ऑफ इंडिपेंडेंस पे हिंदू-मुस्लिम यूनिटी काफी सिग्निफिकेंट रही और ये आने वाले फ्रीडम फाइटर के लिए एक सोर्स ऑफ इंस्पिरेशन भी बनी ब्रिटिश कॉलोनियल पॉलिसी और उनके प्रति रिएक्शन वर्ल्डवाइड नेशनलिज्म का राइस फ्रेंच रिवॉल्यूशन और इंडियन रिसेट सेक्टर से इंडिया में नेशनलिज्म का राइस होने लगा और कुछ पॉलीटिकल एसुस क्रिएशन भी फॉर्म हुए जैसे राजा राम मोहन राय द्वारा फाउंडेड डी बांग भाषा प्रकाशिक सभा दादाभाई नौरोजी द्वारा लंदन में फाउंडेड डी ईस्ट इंडिया संगठन सुशील कुमार घोष की डी इंडियन लीग और सुरेंद्रनाथ बनर्जी की डी इंडियन संगठन ऑफ कोलकाता प्रॉमिनेंट है इसी तरह मुंबई में महादेव गोविंद रानाडे ने पुनः सार्वजनिक स्टार्ट की और बदरुद्दीन शाह मेहता और कीड़ी तलंग ने डी बॉम्बे प्रेसीडेंसी संगठन की नीव राखी 1880 तक जो इंडिया ऑर्गेनाइजेशन के लिए एक सॉलिड ग्राउंड सेट हो चुका था जिसे फाइनली शॉप दिया रिटायर्ड ब्रिटिश सिविल सर्वेंट ए हो हम ने और दिसंबर 1885 में बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में इंडियन नेशनल कांग्रेस का पोस्ट क्षेत्र ऑर्गेनाइजर किया गया वर्क बनर्जी की प्रेसीडेटशिप में 72 डेलीगेट ने इसी सेशंस में पार्टिसिपेट किया आईएमसी के फॉर्मेशन के वक्त लॉर्ड डफरिन इंडिया के वाइस रो थे आईएमसी एक अपार मिडिल क्लास और वेस्टर्न एलोरेटेड इंडियन संगठन था जिसे इंडियन की प्रॉब्लम्स को डिस्कस करने की इंटेंशन से फॉर्म किया गया था आईएमसी के बड़े में लाल लाजपत राय 60 मिनट्स कामना था की ये ब्रिटिश के लिए एक सेफ्टी वाल्व की तरह है पर विपिन चंद्र जैसी हिस्टोरियन का ये ओपिनियन है की कांग्रेस लीडर्स लाइटनिंग कंडक्टर उसे किया इंसीस मॉडरेट फेस 1885 1905 टाटा फाइन नौरोजी सन बनर्जी जी सुब्रमण्यम अय्यर गोपाल कृष्णा गोखले जैसे लीडर्स लिबरलिज्म और मॉडरेट पॉलिटिक्स के बिलीवर थे इनका एम था टैक्स रिफॉर्म्स जिसके लिए इन्होंने नो टैक्सेशन विदाउट रिप्रेजेंटेशन का स्लोगन उसे किया था इसके अलावा इनका एम था एजुकेशन एग्जीक्यूटिव काउंसिल और इंडियन काउंसिल इन लंदन में इंडियन प्रेजेंट युटुब और ज्यूडिशरी का सिपरेशन इसके लिए मॉडरेट्स ने थ्री पीस यानी प्रेयर्स पिटीशन और प्रोटेस्ट का उसे किया इंडियन काउंसिल लैपटॉप 1892 मॉडरेट्स का इफेक्ट ने इट्स लेटेस्ट काउंसिल की साइज क्वांटिटी किया था और साथ ही काउंसलिंग में नॉन ऑफिशल्स का प्रोपोर्शन भी इंक्रीस किया इसके अलावा मॉडरेट्स ने लोगों के अंदर नेशनलिज्म के बीच होने का भी कम किया और डेमोक्रेसी लिबर्टी और इक्वलिटी जैसे आइडियल को पापुलराइज भी किया और ब्रिटिश की इकोनामी रेंज जैसी पॉलिसी इसको एक्सपोज करने के साथ-साथ सोशल रिफॉर्म्स के लिए भी कम किया पर मॉडरेट फेस केवल एजुकेटेड सीमित रहा और वह फॉरेन रूल से कंप्लीट नहीं चाहते थे एरा ऑफ मिलिटेंट नेशनलिज्म 1905 तू 1920 से जूरी के बिगनिंग में एक न्यू क्लास और लीडर्स इमर्ज हुए जो ब्रिटिश अंपायर के अगेंस्ट एग्रेसिव तारा रखते थे और मॉडरेट की सॉफ्ट और प्रूफ से एग्री नहीं करते थे मॉडरेट्स के मेथड से कुछ सिग्निफिकेंट रिजल्ट नहीं ए रहे थे इस करण एक्सट्रीमिस्म का राइस हुआ इसके अलावा नेशनल प्राइड का रिवाइवल स्पिरिचुअल नेशनलिज्म जापान का राइस और रसिया के ऊपर जापान की विक्ट्री इटालियन आर्मी यूथ तुर्की पर्शिया इजिप्ट में राइस ऑफ नेशनलिज्म जैसी घटनाओं ने इंडियन लीडर्स को और भी मोटिवेट किया 1905 में लौटकर्जन द्वारा किया गए बंगाल पार्टीशन ने मैसेज के अंदर ब्रिटिश अंपायर के अगेंस्ट नाराजगी को और भी इंक्रीज किया इसके जवाब में कोलकाता टाउन हाल में बॉयकॉट रेजोल्यूशन को पास कर स्वदेशी मूवमेंट को लॉन्च किया गया है इस एक मॉर्निंग दे की तरह ऑब्जर्व किया रवींद्रनाथ टैगोर की एडवाइस पर लोगों ने एक दूसरे को यूनिटी राखी बंदी ओवरनाइट वंदे मातरम इस मूवमेंट का थीम सॉन्ग बन गया और क्राउड अमर सोनार बांग्ला गेटवे मार्च करती हुई नजर आने लगी जल्द ही मूवमेंट पुणे और मुंबई पहुंच गया जहां बाल गंगाधर तिलक ने इसीलिए किया और वहीं पंजाब में जब ये मूवमेंट पहुंच तो वहां लाल लाजपत राय और अजीत सिंह ने इसीलिए बॉयकॉट के लिए गणपति और शिवाय फेस्टिवल्स ऑर्गेनाइजर किया मेसेज ने ब्रिटिश गुड्स और एजुकेशन को बॉयकॉट किया और जगह-जगह नेशनल यूनिवर्सिटी एस्टेब्लिश की गई स्वदेशी मूवमेंट में स्टूडेंट वूमेन और लेबर्स का पार्टिसिपेशन देखने को मिला और साथ ही लियाकत हुसैन सैयद हैदर राजा मौलाना आजाद जैसे मुस्लिम लीडर्स ने भी इसमें पार्टिसिपेट किया पर ज्यादातर और मिडिल क्लास मुस्लिम इस मूवमेंट से दूर ही रहे इनफैक्ट धक्का के नवाब सलीमुल्लाह की लीडरशिप के अंदर उन्होंने पार्टी का सपोर्ट किया इतना ही नहीं 30 दिसंबर 1905 को एंटी कांग्रेस फ्रंट जो इंडिया मुस्लिम लीग कभी फॉर्मेशन किया गया इंडियन वर्सेस कोलकाता सेशन में लाल राजपूत रहेगी प्रेसीडेंसी में आईएनसी ने सेल्फ को या स्वराज को आईएनसी का गोल्ड ग्लेयर किया लेकिन मॉडरेट्स और एक्सट्रीमिस्ट के बीच मूवमेंट की मेथड और टेक्निक को लेकर डिस्प्यूट हो रहे थे इसका नतीजा था 1907 का सूरज प्लेट एक्सट्रीमिस्ट तिलक को प्रेसिडेंट बनाना चाहते थे और मॉडरेट्स रासबिहारी घोष के सपोर्ट में थे तिलक प्रेसिडेंट ना बने इसके लिए मॉडरेट्स ने सेशन की वैल्यू को नागपुर से चेंज कर सूरत कर दिया बॉम्बे तिलक का होम प्रोविंस था और सूरज भी बॉम्बे प्रवेश के अंदर था आईएमसी की पॉलिसी के अकॉर्डिंग सेशन का प्रेसिडेंट होम प्रोविंस नहीं हो सकता था और इस तरह तिलक प्रेसीडेंसी एक्सक्लूड करती है इसके अलावा मॉडरेट सब स्वदेशी बॉयकॉट और नेशनल एजुकेशन को बॉयकॉट करना चाहते थे जो हिस्ट्री में इसको मंजूर नहीं था और इसके बाद और हिस्ट्री में दोनों का रास्ता अलग हो गया गवर्नमेंट 1907 इंडियन न्यूज़ पेपर इंसाइमेंट तू ऑफेंस एक्ट 1908 क्रिमिनल डॉ अमेंडमेंट एक्ट 1908 और इंडियन प्रेस एक्ट 1910 जैसे लॉस को पास किया गया इतना ही नहीं बंगाल रिवॉल्यूशनरीज द्वारा मुजफ्फरपुर बम इंसिडेंट की फीवर में अपनी न्यूज़ पेपर केसरी में लिखने के लिए तिलक के ऊपर सेडिशन के चार्ज लगाएं गए और उन्हें सिक्स इयर्स के लिए बर्मा जय भेज दिया गया 1908 तक और बिंदो घोष और विभिन्न चंद्रपाल ने एक्टिव पॉलिटिक्स से रिटायरमेंट ले लिया और इसके साथ ये मूवमेंट्स स्लो हो गया 1911 में पार्टीशन को कैंसिल कर दिया गया और बंगाल प्रोविंस से बिहार उड़ीसा और शाम को अलग स्टेटस बना दिए गए और मुस्लिम को पीस करने के लिए ब्रिटिश इंडिया के कैपिटल को कोलकाता से दिल्ली शिफ्ट किया गया पर मुस्लिम इससे बहुत ज्यादा इंप्रेस नहीं हुए स्वदेशी मूवमेंट के फल आउट के बाद 1907 से 1917 का दर्शन रिवॉल्यूशनरी एक्टिविटीज का फर्स्ट फैज रहा और इवोल्यूशनरी ने प्रश्न और आइरिश नेशनलिस्ट के फुट से पर चलते हुए अपनी एक्टिविटी को अंजाम दिया बंगाल महाराष्ट्र और पंजाब इन एक्टिविटी के में सेंटर्स रहे और बंगाल में जितेंद्र नाथ बनर्जी बरेंद्र कुमार घोष और प्रमोटर ने अनुशीलन समिति एस्टेब्लिश किया और एक वीकली युगांतर भी स्टार्ट किया राज बिहार बस और सचिंद्र सानिया ने पंजाब यूनाइटेड प्रोविंस और दिल्ली को कर करने के लिए एक सीक्रेट सोसाइटी बनाए 1908 में प्रफुल्ल चक्की और खुदीराम बस ने जज किंगफिसफोर्ड की कैरिज के ऊपर बम से अटैक किया पर अनफॉर्चूनेटली किंगस्पोर्ट के स्थान पर दो ब्रिटिश लेडीज की डेथ हो गई इसके बाद प्रफुल्ल चक्की ने खुद को शूट कर लिया और खुदीराम बस को फैंसी की सजा दी गई अलीपुर कंस्पायरेसी कैसे में अनुशीलन समिति के मैक्सिमम लीडर्स को सजा हो गई इसके बाद जितेंद्र नाथ मुखर्जी जिन्हें बाघ जतिन के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने वेस्टर्न अनुशासन देखिए बैग डोर संभाली जतिन ने रासबिहारी बस के साथ मिलकर जर्मन प्लांट या जिम्मेरमन प्लेन बनाया जिसका टारगेट था फूड विलियम को सीस करना और गोरिल्ला फोर्स का उसे कर पूरे इंडिया में एप्प्राइजिंग स्टार्ट करना इनकी इनफॉरमेशन लिक हो जान के करण ये प्लांट फेल हो गया और बालेश्वर में बाघाजतिन की हत्या कर दी गई महाराष्ट्र में सावरकर ने मित्र मेला ऑर्गेनाइजर किया जो बाद में अभिनव भारत के साथ मैच हुआ जल्दी नासिक पुणे और मुंबई बम मैन्युफैक्चरिंग सेंटर्स की तरह ही मौज हुए पंजाब से लाल लाजपत राय अजीत सिंह और सैयद हैदर राजा ने रिवॉल्यूशनरी एक्टिविटीज को लीड किया इसके अलावा श्याम जी कृष्णा वर्मा ने लंदन में इंडियन होम रूल सोसाइटी यानी इंडिया हाउस एस्टेब्लिश किया इसी की मेंबर 1909 में किया और मैडम इसके साथ मिलकर 24 फरवरी 1915 को गधे रेस फिरोजपुर लाहौर और रावलपिंडी में आम रेवली रिवॉल्ट स्टार्ट करने के प्लेन में थे जो ट्रीचरी के करण सक्सेसफुल नहीं होती होम रूल लीग मूवमेंट तिलक अन्य बेसेंट सर एस सुब्रमण्यम अय्यर मोहम्मद अली जिन्ना जैसे प्रॉमिनेंट लीडर्स ने इरिस होम रूल के बेसिस पर जो इंडिया होम रूल एस्टेब्लिश किया अन्य बीएन ने अपनी न्यूज़ पेपर आम व्हील और न्यू इंडिया के थ्रू कैंपेनिंग की और तिलक ने अप्रैल 1916 में अपना इंडिया होम रूल लीग एस्टेब्लिश किया और उनकी एक्टिविटीज कर्नाटक सेंट्रल प्रोविंस विरार और महाराष्ट्र में बॉम्बे के अलावा प्रेरित थे इसके बाद मोदी लाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू कर दास मदन मोहन मालवीय लाल लाजपत राय से जुड़ गए पर एंग्लो इंडियन ज्यादातर मुस्लिम और साउथ के नॉन ब्राह्मण इस मूवमेंट से दूर ही रहे इस मूवमेंट को रिप्रेस करने की कोशिश की और तिलक की पंजाब और दिल्ली में एंट्री बन कर दी और उनके एसोसिएट और जॉर्ज अरुण दिल को अरेस्ट कर लिया और साथ ही सर एस सुब्रमण्यम अय्यर के नाइटहुड गुरु अनाउंस कर दिया गया 1919 एनी तक ऑर्गेनाइजेशन कम्युनल राइट मुंताकू के अगस्त स्टेटमेंट जिसमें उन्होंने सेल्फ गवर्नमेंट को इंडिया के लिए ब्रिटिश रूल का लॉन्ग टर्म गोल्ड डिक्लेअर किया और मून टाइगर होम रूल मूवमेंट फीड आउट हो गया 1920 में गांधी जी ने होम रूल लीग की प्रेसीडेटशिप एस्टेब्लिश की और इसे एक नया नाम स्वराज सभा दिया गया 1996 में एक मजूमदार की लीडरशिप में हुए लखनऊ सेशन में एक्सट्रीमिस्ट आईएनसी से फिर से मिर्च हो गए और साथ ही इन्होंने मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ पेस्ट भी संगी साउथ अफ्रीका में इंडियन के अधिकारों के लिए सत्याग्रह करने के बाद गांधी जी जनवरी 1915 को इंडिया आते हैं उन्होंने बिहार के चंपारण में फर्स्ट सिविल डिसऑबेडिएंस किया पालनपुर की किसने के ऊपर यूरोपियन प्लांटर्स ने दिन कटिया सिस्टम फोर्स किया था और किसने से इलीगल न्यूज़ और रेड वसूल करते थे राजकुमार शुक्ला राजेंद्र प्रसाद और जैविक कृपलानी जैसी लीडर्स के साथ गांधीजी चंपारण आते हैं और इस इन ह्यूमन सिस्टम के अगेंस्ट सक्सेसफुली सिविल डिसऑबेडिएंस करते हैं इसके बाद 1918 में अहमदाबाद मिल में वॉकर्स के लिए गांधी जी ने हंगरी किया जो उनका इंडिया में पहले हूं स्ट्राइक था फिर 1918 में ही खेड़ा में गांधी जी ने वहां के किसने के लिए नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट किया आम मैसेज के ऊपर अपनी पावर ग्रिप और इंक्रीज करने के लिए 1990 में ब्रिटिश गवर्नमेंट रौलट एक्ट या एनआरकेएल और रिवॉल्यूशनरी क्राइम एक्ट पास करती है इस एक्ट के अकॉर्डिंग किसी को भी बिना टायर अरेस्ट किया जा सकता था एक्ट को ब्लैक एक्ट का नाम देते हुए इसके अगेंस्ट गांधी जी ने बाकी लीडर्स के साथ अप्रैल 19 को जो इंडिया हड़ताल करने का डिसीजन लिया जिसे रोलेट सत्याग्रह का नाम दिया गया पर इसके पहले ही कोलकाता बॉम्बे और दिल्ली में एंटी ब्रिटिश सेंटीमेंट ने लास्ट की वायलेंस का रूप ले लिया था पंजाब में सिचुएशन इतनी खराब हुई थी की वहां मार्शल डॉ इन पोस्ट करना पड़ा इसके बाद 13th अप्रैल 1990 को जलियांवाला बैग में पैसा की सेलिब्रेट करने और सैफुद्दीन किछु और डॉक्टर सत्यपाल के प्रति सॉलिडिटी एक्सप्रेस करने के लिए हजारों नॉनवॉयलेट प्रोटेस्टेंट गदर होते हैं जनरल डायर अपने ट्रूप्स के साथ गार्डन के सिंगल और इंटरेस्ट को ब्लॉक कर अनक्राउट के ऊपर फायरिंग स्टार्ट कर देता है और इस 10 मिनट की अंदर धुन फायरिंग में हजार से ज्यादा लोगों की डेथ होती है और 1500 से ज्यादा लोग इंजर्ड होते हैं इस दिल दर्द देने वाली घटना ने इंडियन के मां से ब्रिटिश के प्रति फेथ को टोटली डिस्ट्रॉय कर दिया नेशनल लीडर्स ने दी के इस एक्ट को यूनिक भी स्वर कंटेंप्ट किया और रवींद्रनाथ टैगोर ने इसके प्रोटेस्ट में अपना नाइटवुड रिटर्न कर दिया और गांधी जी ने अपना केसरी हिंद का टाइटल भी रिटर्न कर दिया इसके बाद 18 अप्रैल 1990 को गवर्नमेंट ने जलियांवाला बैग मासी करके इंक्वारी के लिए हंटर कमीशन सेट किया और इस कमीशन ने बट उसके अगेंस्ट कोई भी रिएक्शन नहीं लिया गया उसे वक्त पंजाब की लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल और थे 1940 में लंदन में उधम सिंह ने जलियांवाला बैग मैसाच्यर में माइकल और वायरसिनेट कर दिया नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट और खिलाफत मूवमेंट फिफ्थ सितंबर 1920 को गांधीजी की लीडरशिप में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट लॉन्च किया 1921 में गांधी जी ने पूरे देश में ट्रैवल करते हुए नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट को टेनिस को एक्सप्लेन किया उन्होंने कॉरपोरेशन मूवमेंट एक पीसफुल नॉन वायलेट मूवमेंट था जिसमें इंडियन ने अपने टाइटल सीलिंग कोशिश किया लोकल बॉडीज और गवर्नमेंट सर्विसेज से रिजाइन किया इसके साथ ही गवर्नमेंट स्कूल और यूनिवर्सिटी और आर्मी को भी बॉयकॉट किया लोगों ने टैक्स देने से माना कर दिया और आईएमसी ने स्वराज की भी डिमांड की स्वदेशी और खड़ी को भरपूर प्रमोट किया गया ब्रिटिश के इस एक्ट के अगेंस्ट मौलाना मोहम्मद अली शौकत अली मौलाना आजाद हकीम अजमल खान और हजामत मोहने के लीडरशिप में खिलाफत मूवमेंट भी लॉन्च किया गया एवरग्रीन 1922 में चोरी चौरा में लोकल्स और पुलिस के बीच हुए वायलेट इंसिडेंट के बाद गांधी जी ने नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट को वापस ले लिया गांधीजी के कोडिंग अभी मैसेज अहिंसा के मार्ग पे चलने के लिए रेडी नहीं थे मोदी लाल नेहरू कर दास जैसी लीडर्स गांधी जी के डिसीजन के अगेंस्ट थे गांधीजी के कहे के मुताबिक नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट से 1 साल में आजादी तो नहीं मिली पर यह मास मूवमेंट बैंड करो पूरा जिसमें लाखों लोगों ने अपना पीसफुल पार्टिसिपेशन दिया और इस मूवमेंट के एक्सेंट ने ब्रिटिश गवर्नमेंट को भी हिल कर रख दिया कम्युनल हार्मनी के साथ मुस्लिम का इक्वल पार्टिसिपेशन इस मूवमेंट की खास बात रही और यहां से आम जनता के बीच आईएमसी पापुलैरिटी एस्टेब्लिश हुई लोगों के बीच अपने पॉलीटिकल राइट्स को लेकर जागरूकता बधाई और उनके मां से गवर्नमेंट के प्रति डर भी खत्म हो गया और गांधी जी यहां से एक मांस लीडर के रूप में मोतीलाल नेहरू हकीम अहमद खान काउंसिल बॉयकॉट को और करना चाहते थे और काउंसिल को जॉइन कर उसे अपने पॉलीटिकल स्ट्रगल के लिए एक प्लेटफॉर्म की तरह उसे करना चाहते थे और वहीं नो चेंज लीडर्स जैसे सिराजगोपालाचारी वल्लभ भाई पटेल राजेंद्र प्रसाद बॉयकॉट को कंटिन्यू करना चाहते थे और नॉन कोऑपरेशन और बॉयकॉट को मेंटेन करते हुए कंस्ट्रक्टिव क के ऊपर अपना फॉक्स करना चाहते थे मार्च 1922 में गांधी जी के अरेस्ट के बाद नेशनल लीडर्स हो गए और ये मूवमेंट एक पैसे फैज में चला गया कांग्रेस की गहराई में सो राजेश की प्रपोज की डिफीट होने के बाद सियार दास और मोतीलाल नेहरू ने प्रेसिडेंट और सेक्रेटरी के पोस्ट से डिजाइन कर दिया और कांग्रेस खिलाफ प्रेसिडेंट चुने गए और मोतीलाल नेहरू इसके सेक्रेटरी चुने गए रिफॉर्म के लिए यूनाइटेड फ्रेंड की इंर्पोटेंस को समझते हुए गांधीजी ने स्वराजित किया कांग्रेस के विभिन्न रहते हुए ही इलेक्शन लड़ने की डिसीजन को सपोर्ट किया और 1923 के इलेक्शन में स्वराज पार्टी ने 104 में से 42 सिम जीत थी स्वराज पार्टी का एम था गवर्नमेंट फंक्शनिंग करना और उन्होंने सारे ऑफिशल फंक्शन और रिसेप्शन का बॉयकॉट किया और अपने ग्रीवेंस और एस्पिरेशन को लेजिसलेटिव असेंबली में रखा स्वराज पार्टी के अचीवमेंट की बात करें तो विट्ठल भाई पटेल 1925 में सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली के स्पीकर बनते हैं और स्वराज्यस ने बहुत से इंपॉर्टेंट मैटर्स यहां तक की मिलिट्री गॉड्स में भी गवर्नमेंट को आउटपुट किया और इस तरह वो पब्लिक सेफ्टी बिल को डिफीट करने में भी सक्सेसफुल हुए अपनी स्ट्रैटेजिस से राजेश ने वांटेड गुड चेस फूड रिफॉर्म के बीच में से इसको भी उजागर किया और इसके साथ ही स्वराज से असेंबली के स्ट्रगल को मांस फ्रीडम स्ट्रगल के साथ कोऑर्डिनेटर नहीं कर पाया और कुछ लीडर्स पावर के साथ आने वाले बॉक्स को रेसिस्ट नहीं कर पे पार्टी रिस्पांसिबल और नॉन रिस्पांसिबल के बीच डिवाइड हो गई वेस्ट जैसे मदन मोहन मालवीय लाल लाजपत राय गवर्नमेंट के साथ कॉर्पोरेट करना चाहते थे और नॉन रेस्पॉन्सिव जैसे मोतीलाल नेहरू ने लेजिसलेच्योर से विद्रोह कर लिया 1925 में सियार दास की डेथ के बाद पार्टी और भी वीक गए और 1926 के इलेक्शन में पार्टी कुछ खास नहीं परफॉर्म कर पी और 1935 में स्वराज पार्टी फिर से कांग्रेस में मौज हो गई साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट साइमन कमीशन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1990 के प्रोविजंस के अकॉर्डिंग 10 इयर्स के बाद इंडिया में कांस्टीट्यूशनल रिफॉर्म्स भी स्टडी के लिए सिक्योरिटी और स्टेट पर इंडिया नोट क इन हेड ने सर जॉइन साइमन की चेयरमैनशिप में 7 मेंबर्स की एक स्टेट्यूटरी कमीशन सेट की गई जिसे पॉपुलर साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है इसका मिशन में एक भी इंडियन को शामिल नहीं किया गया था जो इंडियन के लिए एक इंसल्ट की बात थी और इसके प्रति इंडियन होना जहीर सी बात थी कांग्रेस ने 1927 मद्रास सेशन में इस कमीशन को बॉयकॉट करने का डिसीजन लिया और मोहम्मद अली जिन्ना की लीडरशिप में मुस्लिम पानी पी से बॉयकॉट किया पर मोहम्मद शफी के कुछ मेंबर्स कमेंट के सपोर्ट में भी थे फरवरी 1928 को जब कमीशन इंडिया आई तब उसका स्वागत मांस प्रोटेस्ट हरताल ब्लैक फ्लैग और साइमन को बैक इन आरो से किया गया इसके जवाब में पुलिस ने लाठी चार्ज किया और लाहौर में डेमोंसट्रेशन लीड कर रहे लाल लाजपत राय इस ब्रूटल लाठी चार्ज का शिकार हुए और इंजरी से उनकी मृत्यु हो गई कमीशन ने 1930 में रिपोर्ट पब्लिश की और दी की अबॉलिश कर प्रोविंस में रिप्रेजेंटेटिव गवर्नमेंट और सेपरेट कम्युनल एक्ट्रेस सेटअप करने का सजेशन दिया साइमन कमीशन के बेसिस पर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 लाया गया जो आगे चलकर इंडिपेंडेंस इंडिया के कॉन्स्टिट्यूशन का एक बेसिस पर इंडियन के साइमन कमीशन के पोस्ट करने के करण सेक्रेटरी ऑफ स्टेट पर इंडिया लोटपोकन हिंदी इंडियन लीडर्स को इंडिया के लिए कॉन्स्टिट्यूशन ड्राफ्ट करने का चैलेंज दिया इस चैलेंज को एक्सेप्ट करते हुए जो पार्टी कॉन्फ्रेंस में कॉन्स्टिट्यूशन की ड्राफ्टिंग के लिए एक कमेटी पॉइंट की गई मोतीलाल नेहरू को इस कमेटी का हेड चुनाव गया और जवाहरलाल नेहरू इसका सेक्रेटरी अप्वॉइंट किया गया इसके अलावा तेज बहादुर सप्रू मंगल सिंह सुभाष चंद्र बस और शोएब कुरैशी जैसे लीडर्स भी इसके मेंबर्स थे इस कमेटी द्वारा प्रिपेयर किया गए इस डार्क कॉन्स्टिट्यूशन को पॉपुलर नेहरू कमेटी रिपोर्ट या नेहरू रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है जिसे जो पार्टी कॉन्फ्रेंस के लखनऊ सेशन में 28th अगस्त 1928 को सबमिट किया गया इंडियन द्वारा खुद के लिए कॉन्स्टिट्यूशन ड्राफ्ट करने के रास्ते पर ये पहले मेजर अटेंप्ट था नेहरू रिपोर्ट का प्राइम मोटिव था ब्रिटिश कॉमनवेल्थ के अंदर इंडिया को डोमिनियन स्टेटस असाइन करवाना इसके अलावा नेहरू बिल ऑफ राइट्स मां और वूमेन के लिए सिटिजन इक्वल राइट्स फेडरल गवर्नमेंट का फॉर्मेशन नो स्टेट रिलिजन और सुप्रीम कोर्ट की क्रिएशन एट सेक्टर को भी इस रिपोर्ट में इंटरूट किया गया कोलकाता में हुए जो पार्टी कॉन्फ्रेंस में जिन्होंने तीन अमेंडमेंट दिए जैसे सेंट्रल लेजिसलेटिव में मुस्लिम का 1/3 रिप्रेजेंटेशन की पापुलेशन के अकॉर्डिंग रिजर्वेशन और ऐसी गूगल पावर प्रोविंस को डिमांड एक्सेप्ट नहीं की गई जिसके बाद 1929 में जिन्होंने 14 प्वाइंट्स दिए आईएमसी के द्वारा दिसंबर 1928 को कोलकाता सेशन में नेहरू रिपोर्ट को प्रूफ किया जाता है पर कांग्रेस की उन लीडर्स जैसे जवाहरलाल नेहरू सुभाष चंद्र बस डोमिनियन स्टेटस के गोल से सेटिस्फाइड नहीं होते हैं और पूर्ण स्वराज यानी कंप्लीट इंडिपेंडेंस की डिमांड रेस करते हैं आईएमसी के सीनरी लीडर्स गवर्नमेंट को अपनी डिमांड एक्सेप्ट करने के लिए एक साल का टाइम देते हैं और कहती है की अगर गवर्नमेंट इसे एक्सेप्ट नहीं करती है तो एनसी पूर्ण स्वराज के लिए सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट लॉन्च कर देगी आयुर्वेद ने इंडियन गैजेट में एक डिक्लेरेशन पब्लिश किया जिसमें डोमिनियन स्टेटस के लिए कोई फिक्स टाइम फ्रेम डिसाइड नहीं किया गया था और आयुर्वेद ने साइमन कमीशन की रिपोर्ट सबमिशन के बाद राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस करने के लिए नेशनल लीडर्स ने दिल्ली में फेस्टो में कुछ कंडीशंस के और वायसराय ने यह श्वेता की राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस का परपज होगा डोमिनियन स्टेटस के लिए एक कॉन्स्टिट्यूशन ड्राफ्ट करना लेकिन अरविंद ने दिल्ली मेनिफेस्टो को रिजेक्ट कर दिया दिसंबर 1929 लाहौर कांग्रेस सेशन में जवाहरलाल नेहरू प्रेसिडेंट नॉमिनेट किया जाते हैं और कुछ मेजर डिसीजन भी इसी सेशन में ले जाते हैं जैसे राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस को शब्द करना टोटल इंडिपेंडेंस को आईएनसी का ऑफिशल गोल्ड डिक्लेअर करना और इसके अलावा कांग्रेस वर्किंग कमेटी को सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट लॉन्च करने की अथॉरिटी देना और साथ ही 26 जनवरी 1930 को स्वराज दे के रूप में सेलिब्रेट करने का डिसीजन लेना इसके बाद गांधी जी ने गवर्नमेंट के सामने 11 डिमांड्स राखी और इन्हें एक्सेप्ट या रिजेक्ट करने के लिए 34 जनवरी 1930 का डिले दिया गवर्नमेंट से कोई रिस्पांस ना मिलने के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने गांधी जी को सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट लॉन्च करने की फूल अथॉरिटी दे दी और गांधी जी ने स्वार्थ के मूवमेंट का सेंट्रल फॉर्मूला बनाया गांधी जी के दांडी मार्च के साथ सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट स्टार्ट सकता है और ट्वेल्थ मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से 78 आश्रम मेंबर्स के साथ विद दांडी के लिए निकलते हैं और सिक्स्थ अप्रैल 1930 को गांधी जी सबके साथ दांडी आते हैं और सोल्ड लैब ब्रेक करते हैं गांधीजी ने लोगों को अपने घरों में सोल्ड बनाने के लिए इनकरेज किया और इसके साथ ही पूरे देश में लोगों ने साल्ट की प्रोडक्शन स्टार्ट कर दी इस घटना और इसके इंपैक्ट को न्यूज़पेपर में एक्सपेंसिव लिखा हुआ किया गया तमिलनाडु में सिराज गोपालाचारी ने तिरुचिरापल्ली से विदरणीयायाम तक मार्च ऑर्गेनाइजर किया और टेंशन और कास्ट में अप्रैल 1930 को सॉल्व ब्रेक किया मालाबार के किला पान ने भी सोल्ड माचिस ऑर्गेनाइजर किया की केलप्पन को बाइक कौन सत्याग्रह के लिए बेस्ट जाना जाता है गोपाल मंजू चौधरी ने बालेश्वर कटक और पुरी के अंदर को सक्सेसफुली लीड की असम में बंगाली हिंदू के बीच के टेंशन के करण सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट बहुत ज्यादा राइस नहीं कर पाया में 1930 में कनिंघम सर्कुलर के साथ स्टूडेंट ने सक्सेसफुल स्टूडेंट स्ट्राइक ऑर्गेनाइजर किया पेशावर में खान अब्दुल गफ्फार खान ने पश्तो पॉलीटिकल मंथली पख्तून और एक वॉलंटरी ब्रिगेड रेड शर्ट मोमेंट्स स्टार्ट किया आपको बता दें की खान अब्दुल गफ्फार खान को बादशाह खान या फ्रंटियर गांधी के नाम से भी जाना जाता है धरना में सरोजिनी नायडू और गांधीजी के बेटे मणिलाल ने धर्चना सोल्ड वर्क पर रेल लीड की इसके अलावा बॉम्बे कर्नाटक आंध्र प्रदेश मिदनापुर और बालेश्वर में भी सोल सत्याग्रह को ऐंठूसियास्टिकली एंब्रेस किया गया गुजरात में एंडी टैक्स मूवमेंट ऑर्गेनाइज किया गए और लोगों ने लैंड रेवेन्यू भी देने से माना कर दिया महाराष्ट्र कर्नाटक और सेंट्रल प्रोविंस में फॉरेस्ट डॉ जैसे ग्रेजिंग और टिंबर रिस्ट्रिक्शंस को ब्रेक किया गया और यूनाइटेड प्रोविंस में नो रिवेन्यू कैंपेन लॉन्च किया गया मणिपुर और नागालैंड सभी ट्रेडर्स ट्राईबल्स वर्कर्स सबका एक्टिव पार्टिसिपेशन देखा गया सिविल डिसऑबेडिएंस क्या प्राइसिंग को रोकने के लिए ब्रिटिश गवर्नमेंट ने सिविल मार्शल डॉ इंपोज कर दिया हजारों एक्टिविस्ट क्वेस्ट किया गया और उनकी प्रॉपर्टी को कन्फ्यूज्ड किया गया इस हरसहिटेशन का सबसे ज्यादा इंपैक्ट वूमेन के ऊपर हुआ और प्रेस और लिटरेचर के ऊपर बन इंपोस्ट कर दिया गया इसके बाद 12th नवंबर 1930 को लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में किंग जॉर्ज डी फिफ्थ ने फर्स्ट राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस ऑफीशियली यू नो ग्रेट किया इस राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में पहले बार ब्रिटिश रूल और इंडियन इक्वली आमने सामने बैठे थे कांग्रेस और कुछ प्रॉमिनेंट बिजनेस लीडर्स ने इस राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस को बॉयकॉट किया लेकिन प्रिंसली स्टेटस मुस्लिम लीग जस्टिस पार्टी और हिंदू महासभा द्वारा इसे अटेंड किया गया 1931 को गांधी जी और उनके बीच एक पैक सेंड किया गया जिसे गांधी आयुर्वेद के बाद इंडियन नेशनल कांग्रेस इंडियन के रिप्रेजेंटेटिव के रूप में अब बात करते हैं सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस की सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस लंदन में 7 सितंबर 1931 से दिसंबर 1931 तक कंडक्ट हुआ जिसमें गांधीजी कांग्रेस रिप्रेजेंटेटिव के रूप में पार्टिसिपेट हैं गांधी जी के साथ सरोजिनी नायडू मदन मोहन मालवीय घनश्याम दास बिरला और मोहम्मद इकबाल जैसे डिडिक्ट्स ने भी पार्टिसिपेट किया इसके अलावा अपने असली स्टेटस मुस्लिम हिंदू ग्रुप लिबरल्स सीड्स पारसी और इन ट्यूशन की भी इसमें पार्टिसिपेशन गांधीजी ने प्रेम किया की कांग्रेस इंडिया की सोल पॉलीटिकल रिप्रेजेंटेटिव है और अनटचेबल्स हिंदू ही है और उन्हें ऐसा माइनॉरिटी ट्वीट ना किया जाए और ना ही एक सेपरेट इलेक्टरेट दिया जाए इसके साथ ही मुस्लिम और अदर माइनॉरिटी को भी स्पेशल से करना दिया गांधीजी के क्लेम को बाकी पार्टिसिपेंट्स ने रिजेक्ट कर दिया और सेपरेट इलेक्टरेट के मटर पर गांधीजी और बी आर अंबेडकर किसी एक डिसीजन पर नहीं आप और इसी तरह पार्टिसिपेंट्स के बीच डिफरेंस के करण सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस भी किसी नतीजा पर नहीं पहुंच इंडियन फ्रेंचाइजी कमेटी या लूथरन कमेटी की रिपोर्ट 1932 को ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर रामसे मैकडॉनल्ड ने कम्युनल अवार्ड एनाउंसर जिसे हम मैकडॉनल्ड अवार्ड के नाम से भी जानते इस कम्युनल अवार्ड का विरोध करते हुए यह वादा जय में गांधी जी इंडेफिनिटी फास्ट पर चले गए जिसके बाद 24th सितंबर 1932 को गांधी जी और बी अंबेडकर के बीच पूना पैक साइन किया गया और डिप्रेस्ड टास्क के लिए सेपरेट इलेक्टरेट को कैंसिल कर दिया गया इसके बदले प्रोविंशियल लेजिसलेच्योर में इनकी रिजर्व सीट को 71 से 147 तक इंक्रीज कर दिया गया और सेंटर लेजिसलेच्योर में 18% तक रिजर्वेशन इंक्रीस कर दिया गया इसके बाद सेवंथ नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 तक थर्ड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस डेड की गई जिसका इंडियन नेशनल कांग्रेस और गांधी जी ने बॉयकॉट किया अगर खंड वे और अंबेडकर और मोहम्मद इकबाल ने इसमें पार्टिसिपेट किया पर क्योंकि कांग्रेस इससे आप सेंट रही तो इस बार भी कोई कंक्लुजन नहीं निकाल पाया फिर राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस के रिकमेंडेशन को एक जॉइंट सिलेक्शन कमेटी द्वारा एनालाइज किया गया और इस कमेटी और साइमन कमीशन रिपोर्ट के बेसिस पर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 सब्सक्राइब को फॉर्मेलिटी किया कुछ मीन प्रोविजंस को देखते नंबर वन क्रिएशन ऑफ जो इंडिया फेडरेशन नंबर तू डिवीजन ऑफ पावर बिटवीन सेंटर और प्रोविंस जिसमें फेडरलिस्ट की पावर सेंटर्स को दी गई और प्रोविजनल लिस्ट की पावर प्रोविंस के पास रही और कॉन्करेंट लिस्ट में सेंटर और प्रोविंस दोनों को डॉ बनाने का अधिकार दिया गया और ऐसी दुआरी पावर्स बाय को दी गई नंबर थर्ड प्रोविंस की ऑटोनॉमी को इंक्रीस कर दिया गया और वहां से दिया के वॉलेट कर दी गई नंबर फोर्थ प्रोविंस में स्पेशल पावर्स के साथ गवर्नर एग्जीक्यूटिव को हेड बनाया गया और एडवाइस के लिए काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स भी इस्टैबलिश्ड किया गया नंबर फिफ्थ फेडरलिस्ट की सब्जेक्ट को रिजर्व्ड और ट्रांसफर लिस्ट में डिवाइड किया गया रिजॉल्वड सब्जेक्ट्स जिसमें डिफेंस एक्सटर्नल अफेयर्स प्रेस पुलिस टैक्सेशन जस्टिस पावर रिसोर्सेस और ट्राईबल अफेयर शामिल थे गवर्नर जनरल के कंट्रोल में थे जो अपने असिस्टेंट के लिए तीन काउंसलर अप्वॉइंट कर दिए नंबर सिक्स ट्रांसपोर्ट सब्जेक्ट जैसे लोकल गवर्नमेंट फॉरेस्ट एजुकेशन रखा गया पर गवर्नर जनरल के पास ट्रांसफर सब्जेक्ट के मटर में इंटरफेयर करने की स्पेशल पावर्स थी इसके अलावा नंबर सेवंथ सेंटर में बिकैमरल लेजिसलेच्योर एस्टेब्लिश की गई नंबर एट दिल्ली में एक फेडरल कोर्ट का भी प्रोविजन रखा गया और नंबर नाइंथ फर्स्ट टाइम डायरेक्ट इलेक्शन इंट्रोड्यूस कराए गए और फाइनली नंबर 10th जिसमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और फेडरल प्रोविंशियल और जॉइंट पब्लिक सर्विस कमीशन का भी प्रोविजन रखा गया नेशनल लीडर्स इस एक्ट के लिए अंधियास्टिक नहीं थे और कम्युनल इलेक्टरेट द्वारा ब्रिटिश करना चाहते थे की कांग्रेस सही से एडमिनिस्ट्रेशन जवाहरलाल नेहरू सुभाष चंद्र बस और कांग्रेस के सोशलिस्ट और कम्युनिस्टोलॉजी को फॉलो करने वाले लोग 1935 के एक्ट से अगेंस्ट लेफ्ट टेस्ट ने ऐसा काउंट तू स्ट्रीट्स यह सजेस्ट किया की ऑफिस एक्सेप्ट कर गवर्नमेंट की गवर्नमेंट डेड लाख की सिचुएशन क्रिएट गांधीजी पहले ऑफिस किया गए थे पर बाद में कांग्रेस द्वारा मिनिस्ट्री फॉर्मेशन के लिए रेडी हो गए अब चलिए बात करते हैं रिवॉल्यूशनरीज की इंडियन इंडिपेंडेंस की स्ट्रगल भगत सिंह जी से इवोल्यूशन इस की कंट्रीब्यूशन के बिना अधूरी ही है गांधीजी के नॉन मोमेंट में बहुत साड़ी रिवॉल्यूशनरीज ने एक्टिवली पार्टिसिपेट किया पर नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट के सदन विड्रोल के बाद कांग्रेस और गांधी जी से एन सेटिस्फाइड रिवॉल्यूशन डिज्नी एक अल्टरनेटिव बेचना पंजाब यूनाइटेड प्रोविंस और बिहार रीजन में रिवॉल्यूशनरी एक्टिविटीज हिंदुस्तान रिपब्लिकन संगठन नॉमिनेट करती थी जिसे अक्टूबर 1924 को कानपुर में रामप्रसाद बिस्मिल योगेश चंद्र जी और सचिन सान्याल ने एस्टेब्लिश किया था हर कहीं था आमदनी के थ्रू ब्रिटिश रूल ओवरथ्रोकर फेडरल रिपब्लिक ऑफ डी यूनाइटेड स्टेटस ऑफ इंडिया एस्टेब्लिश कर रहा स्कूल के अचीवमेंट के लिए काकोरी रोबरी को अंजाम दिया गया इसके बाद रामप्रसाद बिस्मिल अशफ़ाकउल्ला रोशन सिंह और राजेंद्र लहरी को एग्जीक्यूट कर दिया गया भगत सिंह की सजेशन के बाद फिर उषा कोटा में हुई मीटिंग में हर को एक नया नाम दिया जो की था हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन संगठन यानी हा एस आर ए आई एम इनफॉरमेशन के वक्त हुए शेर पंजाब लाल लाजपत राय की डेथ का रिवेन्यू के लिए भगत सिंह आजाद और राजगुरु ने किया ऐसे सारे ऑब्जेक्टिव्स और मास रिवॉल्यूशन की इंपॉर्टेंट को समझना के लिए पब्लिक सेफ्टी बेल्ट और ट्रेड डिस्प्यूट बिल के अगेंस्ट प्रोटेस्ट करने के लिए भगत सिंह बुटुकेश्वर डेट ने 9थ अप्रैल 1929 को सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली में बम ब्लास्ट किया जिसके बाद लाहौर जय में भगत सिंह सुखदेव पर राजगुरु के ऊपर लाहौर कंस्पायरेसी का ट्रायल चला इनके साथ बाकी रिवॉल्यूशनरीज भी दूसरे केसेस के लिए अंदर ट्रायल्स थे जय के हॉरिबल कंडीशंस के अगेंस्ट प्रोटेस्ट करते हुए भगत सिंह और बाकी रिवॉल्यूशन डेफिनेट फास्ट पर चले गए अपने फास्ट के 64th दिन में जतिन दास ने अपनी जान किया हुई थी और फरवरी 1931 को इलाहाबाद में एक पुलिस एनकाउंटर में चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु हो तो 23rd मार्च 1931 को भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को भी एग्जीक्यूट कर दिया एक्टिविटीज में नेक्स्ट है सूर्य सीन ने अपने 100 सिट्स अनंत सिंह गणेश घोष और लुकीनाथ बाल के साथ इंडियन रिपब्लिकन आर्मी चित्तागोंग ब्रांच के अंदर बिलियन ऑर्गेनाइजर किया और इसके बाद होस्ट कर सूर्य सीन ने पोटेंशियल इवोल्यूशनरी गवर्नमेंट प्रोक्लेम किया इसके बाद जनवरी 1934 को सूर्य सेन को एग्जीक्यूट कर दिया इन इवोल्यूशन रिएक्टिविटीज में वूमेन का भी सिग्निफिकेंट पार्टिसिपेशन रहा और सूर्य सीन के साथ कल्पना डेट का भी टायर चला और उन्हें लाइव सेंटेंस की सजा थी प्रीत लता वाडेकर रेट के दौरान ही शाहिद हो गए इसके अलावा शांति घोष और सुनीति चंदेरी ने अपने जिला मजिस्ट्रेट कोस्सीनेट कर दिया और बिना दास ने अपने कन्वोकेशन में डिग्री लेते वक्त गवर्नर कर दी यहां कांग्रेस ने 1936 फैजपुर सेशन और 1937 लखनऊ सेशन में इलेक्शन में पार्टिसिपेट करने का डिसीजन लिया मंगल असम पंजाब सिंह और एनब्ल्यूएसपी के अलावा कांग्रेस ने सारे प्रोविंस में मेजॉरिटी हासिल की अपने रूल के दौरान कांग्रेस ने सिविल लिबर्टीज इन पीस की रेस से रिस्ट्रिक्शन रिमूव किया गए पॉलीटिकल प्रिजनर्स और इवोल्यूशनरी पर रिलीज किया गया और बैंड ऑर्गेनाइजेशंस बुक्स और जर्नल से बन अब लेफ्ट किया गया कांग्रेस के 1938 हरिपुरा सेशन में सुभाष चंद्र बस प्रेसिडेंट होते हैं और बस ने है और वह इकोनॉमिक्स डेवलपमेंट के लिए नेशनल प्लानिंग कमेटी के फॉर्मेशन के लिए कृष्ण रोल प्ले करते हैं मार्च 1939 त्रिपुरा सेशन में सुभाषचंद्र बूस्ट फिर से प्रेसिडेंट एलेक्ट होते हैं पर इंटरनल डिस्प्यूट के करण बस रिजाइन कर देते हैं और राजेंद्र प्रसाद नेक्स्ट प्रेसिडेंट किया जाते हैं इसके बाद बस और उनके फॉलोअर्स कांग्रेस की विधि ही पावर्ड ब्लॉग के नाम की पार्टी फॉर्म करते हैं जब वो उसने आईसीसी रिवॉल्यूशन के अगेंस्ट जो इंडिया प्रोटेस्ट ऑर्गेनाइज्ड करने की कोशिश की तब उनके अगेंस्ट डिसीप्लिनरी एक्शन लेते हुए कांग्रेस वर्किंग कमेटी के द्वारा उन्हें बंगाल प्रोविंशियल कांग्रेस कमेटी के पूर्व से रिमूव कर दिया गया मीन बाय सेकंड वर्ल्ड वार में ब्रिटिश इंडियन गवर्नमेंट ने इंडिया इंडियन कंसर्ट के बिना ही वार में इंडियन का सपोर्ट डिक्लेअर कर दिया कांग्रेस सहमत नहीं थी पर कांग्रेस कुछ कंडीशन पर वह ब्रिटेन का सपोर्ट करने के लिए रेडी हुई जिसे वार के बाद इंडिया की कांस्टीट्यूएंट असेंबली और इमीडिएट रिस्पांसिबल गवर्नमेंट का एस्टेब्लिशमेंट इस कंडीशन को रिजेक्ट कर दिया सोनी के करण गांधी जी लाइट फोर्सेस की सपोर्ट में थे पर सुभाष चंद्र बस किसी के फीवर में नहीं थे और सिचुएशन का एडवांटेज लेते हुए सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट लॉन्च करना चाहते थे नेहरू के ओपिनियन में जब तक फ्रीडम नहीं मिल जाति तब तक ब्रिटेन को इंडिया का सपोर्ट नहीं मिलेगा फाइनली नेहरू के ओपिनियन को कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने भी अडॉप्ट किया और इसे फॉलो करते हुए कांग्रेस मिनिस्टर्स ने अपने ऑफिस से रिजाइन कर दी यहां मार्च 1940 में मुझे लीग ने लाहौर सेशन में मुस्लिम की सेपरेट होम लैंड के लिए पाकिस्तान रेजोल्यूशन पर किया हिटलर की बढ़नी सक्सेस के करण ब्रिटिश कॉनक्लारी मूड में थे पर कांग्रेस के डिमांड को रिजेक्ट करते हुए निर्मित गांव ने अगस्त 1940 में अगस्त ऑफर अनाउंस किया इसमें इंडिया के लिए डोमिनियन स्टेटस मेजॉरिटी इंडियन के साथ विसरो एग्जीक्यूटिव काउंसिल का एक्सपेंशन वार के बाद कांस्टीट्यूएंट असेंबली का फॉर्मेशन और फ्यूचर में कॉन्स्टिट्यूशन के एडॉप्शन के लिए माइनॉरिटी कंसेंट को मैंडेटरी किया गया पर पार्टीशन के डिमांड को रिजेक्ट करते हुए कांग्रेस ने गांधी जी की लीडरशिप में इंडिविजुअल सत्य इसमें सबसे पहले सत्याग्रही बने विनोबा भावे और उनके बाद आए जवाहरलाल नेहरू जापान के राइजिंग अग्रेशन को देखते हुए गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू के ऑब्जेक्शन के बावजूद कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने गवर्मेंट के साथ कॉरपोरेट करने का डिसीजन लिया और बदले में वार के बाद इंडिपेंडेंस और इमीडिएट पावर ट्रांसफर की कंडीशन वार में इंडिया के सपोर्ट के लिए 1942 में स्टेफोर्ड क्रिप्स द्वारा हेडेड क्रिप्स मिशन कॉन्स्टिट्यूशन प्रपोजल्स के साथ इंडिया आई है इंडियन नेशनल मूवमेंट की सपोर्ट थे क्रिप्स मिशन ने इंडिया के सामने डोमिनियन स्टेटस और कांस्टीट्यूएंट असेंबली के फॉर्मेशन जैसे प्रपोज सके पर कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने ही इसे रिजेक्ट कर दिया और गांधी जी ने इसे ऐसा पोस्ट डेटेड चेक डिस्क्राइब किया इंडिया से डिपार्चर के बाद जुलाई 1942 में वार्ता सेशन में जवाहरलाल नेहरू ने क्यूट इंडिया रेजोल्यूशन प्रपोज किया जैसे सरदार पटेल ने सेकंड किया और कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने इसे पास किया और इसे लीड करने का चार्ज गांधीजी को सोप गया इसके बाद मुंबई के ग्वालियर टैंक से गांधी जी ने का स्लोगन दिया इसके नाइंथ अगस्त 1942 को कांग्रेस के सारे टॉप लीडर्स को अरेस्ट किया गया और कांग्रेस और इसके दूसरे ऑर्गन्स को इलीगल डिक्लेअर कर दिया और पब्लिक मीटिंग्स को भी प्राइवेट कर दिया गया तीन ए लीडर्स के अब्सेंस में अरुण आसफ अली जैसे सियांग लीडर्स मोज हुए और जनरल पब्लिक ने क्यूट इंडिया मूवमेंट में एक्टिव पार्टिसिपेशन शो किया अथॉरिटी इसके सिंबल को अटैक करना खुद को अरेस्ट करवाना स्टूडेंट स्ट्राइक वर्कर्स स्ट्राइक प्रोसेशन एक्टिविटीज ने वो शोर से पार्टिसिपेट किया इसके अलावा सोशलिस्ट फॉरवर्ड ब्लॉक रिवॉल्यूशनलिस और गांधी आश्रम इट्स ने अंडरग्राउंड रहकर अपना रोल प्ले किया इसमें में है ब्राह्मण या अरुण आसफ अली जयप्रकाश नारायण उषा मेहता बलिया में चित्तू पांडे ने पैरेलल गवर्नमेंट इस्टैबलिश्ड की इस तरह सतारा में भाई भी 54 नाना पाटिल इट्स सेक्टर ने प्रति सरकार और विद्युत वहिनी ऑर्गेनिक की गई इंडिया मूवमेंट में सोसाइटी के वीर्य क्षेत्र जैसे स्टूडेंट वर्कर्स वूमेन प्रेसिडेंट गवर्नमेंट ऑफिशल्स मुस्लिम और बिजनेसमैन का एक्टिव पार्टिसिपेशन देख वही मुस्लिम कम्युनिस्ट और हिंदू महासभा ने इस मूवमेंट को बॉयकॉट किया मूवमेंट क्या प्राइसिंग को कर्व करने के लिए गवर्नमेंट ने मार्शल डॉ इंपोस्ट कर दिया और ब्रूटल लाठी चार्ज बट तीर गैस फायरिंग आते सेक्टर का उसे कर सीवर तरीके से इस मूवमेंट को सरप्राइज किया और इसमें करीब 10000 लोगों ने अपनी जान का वक्त गवर्नमेंट के इस फाइल और मेजर को कंडोम करने के लिए गांधी जी ने फास्ट रखा जिसकी ओवरफिल्मिंग रिस्पांस में लोगों ने इंडिया और अब ब्रेड में हड़तल्स प्रोटेस्ट और डेमोंसट्रेशन ऑर्गेनाइज किया और यानी के एग्जीक्यूटिव काउंसिल से तीन मेंबर्स ने भी रिजाइन कर दी इस फास्ट ने पब्लिक की मील को बूस्ट करते हुए उनके मां में ब्रिटिश फिल्म को पंप किया और पॉलीटिकल एक्टिविटी के लिए एक अपॉर्चुनिटी सिंगापुर में राज बिहार बस ने 1943 में इंडियन नेशनल आर्मी और इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की कमांड सुभाष चंद्र बस को सोप दी इसके बाद बस ने सिंगापुर में प्रोविंशियल गवर्नमेंट पर फ्री इंडिया फॉर्म 1944 होगा जहां से चलो दिल्ली के साथ आयनिक सोल्जर इंडिया की तरफ मार्च करते हैं 1943 को जापान 1944 को आजाद हिंद फौजी को ही मां और इंफाल तक पहुंची और मणिपुर के मूल्यम में इंडियन फ्लैग होस्ट करती है आज वेदर और जापानी डिस्क्रिमिनेशन फेस करते हुए आईने आगे बाढ़ रही होती है और वर्ल्ड वार 2 में जापान सुरेंद्र कर देता है जिसके बाद इन को भी खेलने पड़ता है रिपोर्टली 18th अगस्त 1945 को ताइवान के ताइपे में हुए एक तीन एक्सीडेंट में सुभाष चंद्र बस की डेथ हो जाए यहां इंडिया में व्हाट टाइम के हॉरर को 1943 के फेमस ने और भी इंक्रीज कर दिया और साउथ वेस्ट बंगाल असेंबली का वो अफेक्टेड रीजन आर्मी के फूड रिक्वायरमेंट को पूरा करने के लिए फूड सप्लाई को डाइवर्ट किया गया बर्मा और साउथ ईस्ट एशिया से राय भारत बैंड हो गई एपिडेमिक ने अराउंड अराउंड थ्री मिलियन लोगों की जान ली इनवाइट कांस्टीट्यूशनल क्राइसिस को सॉल्व करने के लिए सी राजगोपालाचारी ने कांग्रेस लीग को ऑपरेशन के लिए एक फॉर्मूला प्रपोज किया जिसे पाकिस्तान के लिए लिक के कॉरपोरेशन के एक्सचेंज में पाकिस्तान पाकिस्तान के लिए एक साइड प्रपोज किया गया था और गांधी जी ने इसे सपोर्ट किया पर ने इस फॉर्मूला को रिजेक्ट कर दिया और इसके अलावा वीर सावरकर द्वारा भी इस प्लेन को कंटेंट किया गया दे लॉक जॉइन करने बुलावा ही देश आए और लिक की डिप्टी लीडर लियाकत अली खान ने एंट्री गवर्नमेंट के लिए देसाई लियाकत साइन किया और ये किसी सेटलमेंट पर नहीं पहुंच वो के बाद वैसा ही लॉर्ड वे बिल ने शिमला में एक कॉन्फ्रेंस ऑर्गेनाइज किया और वे बिल प्लेन प्रपोज किया इस लैंड के अकॉर्डिंग गवर्नर जनरल और कमांडर इन के के अलावा इस युटुब काउंसिल में सारे इंडियन मेंबर्स होंगे और ये काउंसिल एंट्री गवर्नमेंट की तरफ फंक्शन करेगी और कास्ट हिंदू धर्म मुस्लिम की इक्वल रिप्रेजेंटेशन का भी प्रोविजन रखा गया इस लाइन को कांग्रेस ने रिजेक्ट कर दिया और वीडियो दे दिया जिसे लीग और जिन्ना की पोजीशन बूस्ट हो गई और के बाद कांग्रेस सपोर्ट में आई है और वह बिजनेस के लिए जवाहरलाल नेहरू तेज बहादुर शाहरू आसफ अली बुला भाई देसाई की एन काटजू ने डिफेंस ऑर्गेनाइज किया आई नीड ट्रायल्स के अगेंस्ट इंक्रीज होते अब सोच में रॉयल इंडियन नेवी रिबेलीयन काफी सिग्निफिकेंट है ये फरवरी 1986 को रॉयल इंडियन नेवी के 1100 सोल्जर ने रेसियल डिस्क्रिमिनेशन और इनाइटिस के करण स्ट्राइक पर चले गए और इन्होंने ताई कलर होस्ट कर दिया कोलकाता और बंगाल में मीटिंग्स प्रोसेशन स्ट्राइक सेट सेक्टर आम हो गए और ये सीरीज वर्चुअल पैरालाइज हो गई ए रहे हैं इनके सपोर्ट में दूसरे मिलिट्री एस्टेब्लिशमेंट जिसे कराची मद्रास और कोलकाता भी ए गए और फाइनली पटेल और जिन्ना के परसूएसन के बाद रेटिंग्स से सुरेंद्र किया इलेक्शन की बात कांग्रेस ने सेंट्रल असेंबली में 102 में से 57 सीट कैप्चर की और लीग को थोड़ी सिट्स में इसके बाद मार्च 1946 में ऐसी गवर्नमेंट ने पथिक लॉरेंस कैबिनेट मिशन में पाकिस्तान क्रिकेट किया गया था जिसे लीग और कांग्रेस दोनों ने एक्सेप्ट किया पर कुछ दिन बाद लेकिन अपनी एक्सेप्टेंस विड्रॉ कर ली और पाकिस्तान के लिए 16th अगस्त को डायरेक्ट एक्शन दे का कल दिया जिसके बाद पूरे इंडिया में कम्युनल वायलेंस रॉय हो गई जिसमें पंजाब और बंगाल वो सैपेटेड रीजन सबकंटीन्यू में बढ़ते ट्रबल को देखते हुए पीएम अटलिन ने पार्लियामेंट में 30 जून 1948 से इंडिया का विड्रोल अनाउंस माउंटबेटन को इंडिया का लास्ट वायसराय पॉइंट किया गया और यहां मुस्लिम लीग ने सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट स्टार्ट करते हैं कम्युनल वायलेंस और कांग्रेस लीग के बीच डिसएग्रीमेंट ने पार्टीशन को इनविटेबल बना दी और जून 1947 को प्रपोज नाउन बेड और प्लेन में इंडिया के डिवीजन का प्रोविजन था फिर इसके साथ ही मैक्सिमम यूनिटी को रिटन करने की कोशिश को देखते हुए सिर्फ जुलाई 1947 को ब्रिटिश इंडिया ने माउंटबेटन की प्लेन की बेसिस पर इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पास किया जिसे 15th अगस्त 1947 को इंप्लीमेंट किया जाना था इस एक्ट से दो इंडिपेंडेंस डोमिनियंस इंडिया और पाकिस्तान का फॉर्मेशन हुआ इसी तरह 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15th अगस्त 1947 को इंडिया ने एक लॉन्ग स्ट्रगल के बाद फ्रीडम की तो दोस्तों ये तो थी कहानी इंडिया की मॉडर्न हिस्ट्री मिलते हैं आपसे इंडियन हिस्ट्री सीरीज के और भी इंटरेस्टिंग वीडियो के साथ जय हिंद