इसी लिए जो अगबार पहले छप के बिकते थे वो आजकल बिकने के बाद छप रहे हैं टीवी चैनल्स हैं इनकी क्या मजबूरी रहती है कि आपको चाहके भी सच नहीं दिखा पाती है कई सारी इर्रेगुलारिटी रूपी थी उसको लेकर बीजेपी के गेंस्ट म जो न्यूज मीडिया उसके दोनों हाथ गी और मुख कड़ाई में होते हैं पार्टीज वगरा होती हैं इनके जंडे टोपी ये सब दिखाने के लिए अलग से पैसे मिलते हैं पंजाब में तो ये केस और भी इंटरस्टिंग हो गया है क्योंकि जिस चैनल को सीम के इतने भी deformation की case ये लोग करते हैं, सब गुजरात के अंदर से करते हैं, क्योंकि पूरे इंडिया में गुजरात एक ऐसी जगा है, जैसे 2019 का election जब पास आने वाला था, तब print media को जो government ads से पैसे मिलते थे, उसको direct 25% बढ़ा दिया था, और इस पूरे खेल में जो Delhi की आम आग्मी पार्टी है, वो सबसे एक देखिए आज की डेट में हम कहते हैं कि न्यूज मीडिया जो है वो बिक चुका है और ऐसा तो है नहीं कि सिर्फ एक ही पॉलिटिकल पार्टी के पास पैसा है पैसा तो हर गवर्मेंट और हर पॉलिटिकल पार्टी के पास है तो सिर्फ पैसे की बात होती तो हर पॉलिटि करते हैं कि news anchor जो होते हैं उनको गाली देकर बात खतम कर देते हैं लेकिन ये लोग तो बस employees हैं जिनके हाथ में कुछ नहीं है असली game तो कुछ और है जिनके बारे में कभी बात नहीं होती लेकिन आज इस वीडियो में हम इसी चीज के बारे में डिस्कस करें तो इन सारी चीज़ों को समझने के लिए इसका पूरा structure समझना बहुत ज़रूरी है मेंली जो information हमारे पास float होती है वो newspapers, TV channels और news agencies जो होती है उनके थूँ होती है और भी कई तरीके हैं जैसे radio, magazine, social media लेकिन देश का जो opinion है मेंली वो इनी तीन चीज़ों से मिलके बनता है और political parties भी इन तीनों चीज़ों को control करना चाती हैं अब आप इसे कुछ लोग कह सकते हो कि newspaper और TV news channels के बारे में तो हमने सुना है लेकिन ये news agencies क्या होती हैं तो देखे news agencies जो होती हैं वो काफी बड़े level पर operate करती हैं और news निकालती हैं और उस news को इन newspaper और news channels को बेचती हैं। यहाँ तक कि सरकारी news channels जो हैं, जैसे DD News वग़ारा, वो भी इसी news agency से news लेते हैं। News agency का जो structure होता होता है, काफी बड़ा होता है, इनका operation बहुत ही बड़ा होता है, पूरे world में इनके offices और reporters होते हैं। इंडिया की news agency की बात करें, तो Press Trust of India, PTI, UNI, United News of India, आपने ANI का नाम सुना होगा, Asia News International, यह इंडिया की news agencies हैं। अगर मैं PTI के example हूँ, तो PTI की खुद की satellite हैं। गवर्मेंट से लेके दा हिंदू, एंडी टीवी, टाइम्स आफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस ये सब पीटी आई के सब्सक्राइबर हैं तो ये जो न्यूज एजन्सीज हैं ये न्यूज निकालती हैं और अपने सब्सक्राइबर को बेचती हैं तो वो खबर इसी news agency की होती है। जैसे ये page the print का है, लेकिन side में लिखा है PTI, मतलब कि ये news यहां से ली गई है। आप देखते होंगे, ANI के जो mic है, वो हर news footage में दिखता होगा, तो ANI footage लेके TV news channels को बेच देता है। और अभी last एक साल से PTI जो है, तो अगर किसी को पूरे देश के opinion पे control करना है, तो news agencies, newspaper और TV channels, तो लोगों को सरकार के support या फिर oppose में, खड़ा करने का दम रखती हैं क्योंकि आम जनता जो होती है वो खुद थोड़ी location पे जाके information confirm करती है वो तो इन सब के थुरू जो बताया जाता है वही मानती है अगर ये तीनों मिलके back to back news देने लगें कि अगले quarter में इंडिया super power हो जाएगा तो आप अलग अलग department में RTI डा तो सोल्जर से पहले न्यूज मीडिया को रेडी करती है ताकि लोगों को समझाया जा सके कि ये वार करना कितना जादा इंपोर्टेंट है देश के लिए अगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूं कि टाइम के साथ साथ आज की डेट में AI और ChatGPT के थूँ वो न्यूज़ चुटकियों में लिख लेते हैं और अगर आपको भी जानना है की AI और ChatGPT से ये सब कैसे किया जा सकता है ग्रोथ स्कूल की एक थ्री आवर पेड वर्कशॉप है जो ग्रोथ स्कूल के फाउंडर वैभव सिसिंती कंडक्ट कर रहे हैं। मैंने खुद वीडियो बनाते समय इस वर्कशॉप को अटेंड किया और मैंने प्रॉम्टिंग और एई की कुछ ऐसी टेकनीक ग्रोथ स्कूल से सीखी जो सिर्फ 1% लोगों क 5 out of 5 rating दूँगा, so चाहे आप कोई भी working professional, founder, freelancer या creator हो, इस workshop की learning के थूँ आप अपनी job, career या business में आगे बढ़ सकते हो, तो जल्दी से register करें, registration लिंक इस इन डिस्क्रिप्षन तो टॉपिक पे वापिस आते हैं जब हमारा देश अजाद हुआ तो महात्मा गान्दी जी ने इंडियन ओपिनियन नाम से एक अकबार चलाया था नेहरू जी ने नेशनल हेराल नाम से एक निउस्पेपर चलाया था समझा पाती है जो खुले आम नहीं बोल सकती है आप जो वोट देते हो किसी कैंडिडेट को वो आप देते हो बेस्ड आउन इंफॉर्मेशन अवेलबल उस कैंडिडेट के बारे में अगर वो इंफॉर्मेशन ही गलत हो तो आपको लग रहा है कि आप अपनी मरजी से वोट द इनकी क्या मजबूरी रहती है कि आपको चाहके भी सच नहीं दिखा पाती हैं तो पहले न्यूस्पेपर की बात करें तो टाइम्स आफ इंडिया जो है वो इंडिया का सबसे बड़ा न्यूस्पेपर है और पूरी दुनिया में सबसे अधार बिकने वाला इंग्लिश न्यूस्पेपर है टाइम्स आफ इंडिया का एक न्यूस्पेपर करीब 48 पेजेस का होता है जो 5 रुपए में बिकता है इस 5 रुपए में से 40% यानि के 2 रुपए डिस्ट्रिब्यूटर औ पच्चिस पैसे के करीब लगती है तो 48 पेज़ेस के इसाब से 12 रुपए तो प्रिंटिंग के लग जाते हैं तो अभी जो मैंने न्यूज एजन्सी के बारे में बताया था तो उनसे न्यूज लेते हैं उसकी कॉस्ट और स्टाफ की कॉस्ट जो होती है वो करीब तो तीन रुपए के करीब पड़ती है तो टाइम्स ऑफ इंडिया जो न्यूज पेपर पांच रुपए का बेचता है अगर आप उसको कैलकुले� तो ये उसको 17 रुपए का पड़ता है तो आप question ये है कि ये जो बाकी का पैसा है ये क्या अपनी जेब से भरते हैं तो देखिए ऐसा नहीं है बाकी का जो पैसा बचता है वो एक न्यूस पेपर को advertisement से पूरा करना होता है न्यूस पेपर जो है अगर उसको survive करना है तो advertisement उसके लिए सब कुछ बन जाता है 20 रुपए में बेज दो और अपना profit बना लो Times of India ने January 2022 से June 2022 तक देली 16 लाख न्यूसपेपर घर घर में जाके बेजे हैं तो अगर वो न्यूसपेपर का दाम बढ़ा के इसको पूरा करने की कोशिश करेंगे तो उसका सरकुलेशन कम हो जाएगा और उनको बुरी तरीके से नुकसान होगा और वो इसलिए बिखता है क्योंकि उसकी एक loyal audience है और UPSC वगर की जो preparation करते हैं तो बाकी न्यूसपेपर के लिए मजबूरी हो जाती ह अगर ऐसा नहीं करेगा वो तो कोई और लेगा ही नहीं उसको अब देखे जो एडवर्टाइजर है जो पैसा देके अपना एड करवा रहा है न्यूसपेपर के अंदर वो उसी न्यूसपेपर को प्रेफरेंस देता है जिस न्यूसपेपर के ओर्डियन्स की पर्चेजिंग पढ़ सकती है उसी audience के इसाप से news सर्व करता है और वैसे भी यह जो 5 रुपए का जो न्यूसपेपर है भले ही कम लगे लेकिन एक गरीब मजदूद किसान और पिछड़े इलाकों के लोगों के लिए यह 5 रुपए भी वो पूरी तरीके से कड़ जाता है न्यूसपेपर की खबरों से। मुंबई, डेली, बैंगलवर में एक घंटे भी अगर बारिश हो जाए, उस पे घंटो कवरेच चलती है। टाइम्स ओफ इंडिया देश का सबसे बड़ा न्यूसपेपर होने के बाद भी, उसका 2018 का जो रेवेन्यू है, वो 10,000 करोड था, और उसका जो प्रॉफिट था, वो 681 करोड था। बल्ब बनाने वाली कमपणी कमा लेती है और ये एक बहुत ही डेंजरस सिचोशन है क्योंकि जो नीज़पेपर कमपणी देश के एक बड़े तपके का उपिनियन बना रही है और उसके बाद भी प्रॉफिट नहीं बना पा रही है तो ऐसे केस में उसको कंट्रोल करना छोट अब देखें न्यूस पेपर तो फिर भी काफी हद तक कमा लेता है लेकिन टीवी न्यूस चैनल जो है उनका तो इनसे भी बुरा हाल है आपका जो टीवी सर्विस प्रोवाइडर है उसकी वेबसाइट पर जाएगा और न्यूस चैनल के जो मंथली सब्सक्रिप्षन है उसके एंटरेटेइनमेंट और स्पोर्ट चैनल जो है वह व्यूअरशिप में बहुत आगे हैं इसलिए यहां पर भी सारा जो एडविटीजमेंट है वो स्पोर्ट चैनल और एंटरेटेइनमेंट चैनल के पास सला जाता है अब देखिए पूरी नहीं हो सकती है और जो टीवी अड्विटीजमेंट होते हैं वो भी विवियर्शिप की वजह से एंटरेटेइनमेंट और स्पोर्ट चैनल्स हैं उनके पास चले जाते हैं और इसके बाद भी अगर एक न्यूज चैनल उनकी डिपेंडेंसी एडविटीजमेंट पे उतनी नहीं है जितने इंडिया के अंदर है। बाहर के न्यूज चैनल, डॉक्यूमेंट्री वगरा भी काफी हाई कॉलिटी बनाते हैं, तो यूके के जो BBC वगरा हैं, इनके पास इंडियन न्यूज चैनल के कंपरेटिवली ज़्यादा फंड्स होते हैं इसलिए उनके कॉंटेंट की कॉलिटी भी ज़्यादा होती है तो देखिए अभी तक के डिसकशन में आपको ये समझ में आ गया होगा रेलवेज, सरकारी इंडॉस्ट्रियल्स, माइनिंग कमपनीज, बहुत सारे अडविटीजमेंट होते हैं, जो की सरकारी होते हैं, और ये इनको करवाने होते हैं। हमने बले ही लास्ट लोकसाबा इलेक्शन में 60,000 कोड से ज़ादा खर्च की हों, बले ही हम पूरे वर्ड में इलेक्शन में सबसे ज़ादा पैसा खर्च करते हों, लेकिन इन सबसे कहीं ज़ादा पैसा हमारी गवर्मेंट को अप तो इसलिए जब कोई political party जीत के power में आती है तो उसके हाथ में ये power होती है कि advertisement किसको देना है तो मोटा मोटी आप इस तरीके से इसको समझ लिए कि government जो है वो इन newspaper, news agencies, tv channels की सबसे बड़ी customer है यानि कि ग्राहक है और ये हमेशा से चलता आया कि central government हो, पहले की government हो, state government हो उनके against में जब भी news media लिखता है तो उनके advertisement बंद हो जाते हैं जैसे 2019 के election के time पे जो the Hindu newspaper था उसने Rafale deal में कई सारी irregularities हुई थी उसको लेके बीजीपी के अगेंस में एक सीरीज चला दी थी। ऐसे ही टाइम्स ओफ इंडिया ने एक सीरीज चला दी जिसमें उन्होंने लोगसबा एलेक्शन के टाइम पे पिया मोधी के मॉडल कोड ओफ कंडक्ट को वॉयलेट करने पे खबरे चलाना स्टार्ट कर दी थी कि बीजेपी गौर्मेंट ये जान पूछके कर रही है और ये भी बोला कि बीजेपी ने डिये वीपी जो डिपार्टमेंट है उसको बोल के एडविटीजमेंट बंद करा दिया क्योंकि इनोंने बीजेपी के खिलाफ नेगिटिव रिपोर्टिंग करी थी MD विनी जैन को मल्टिपल चक्कर लगाने पड़े पियों में कॉंग्रेस ने 2014 की एलेक्शन से तीन साल पहले 2048 करोड़ खर्च किये थे इसमें से 1318 करोड प्रिंट मीडिया पे और 729 करोड टीवी पे खर्च किये थे और जो कॉंग्रेस का भारत निर्मान कैम्पेन था उस पर भी कॉंग्रेस ने 2010 से 2014 के बीच में 421 करोड खर्च किये थे अजीज समचार के एग्जिक्यूटिव एडिटर सतनाम सिंग् मानक ने अपने न्यूसपेपर में छापनी शुरू कर दी। जब उन्होंने ये सब स्टार्ट किया तो अभी यही 2023 के स्टार्टिंग में आम आदमी पाटी ने ये जो न्यूसपेपर है अजीज समचार इसके पहले डिस्प्ले एड बंद करवा दिये फिर जो टेंडर वो भी बंद करवा दिये अब अजीज समाचार जो न्यूसपिपर है उसको फिनैंस मैनेज करने में बहुत दिक्कत आ रही है और आज की डेट तक इनके एड दुबारा से नहीं चालू किये गए हैं आम आदमी पार्टी ने सेम यही चीज पंजाबी ट्रिब्यून के साथ भ उसको indirectly करने के लिए मना किया गया और अगर हम ये करते रहेंगे तो हमें ad कभी नहीं मिलेंगे ऐसे उत्तर प्रदेश का example लें तो April 2020 और March 2021 में एक साल के अंदर 160.31 करोड सिर्फ TV ad पे खर्च किये गये इसमें सबसे ज़्यादा जो पैसा था वो Network 18 को मिला और March 2022 के आसपास ये fund मिला था और उसके बाद से आप अगर reporting देखोगे Network 18 की जिसमें Amish Devan के आप अगर interview वगरा देखोगे reporting देखोगे तो इस सब आपको news करते हुए reporting करते हुए इंटरव्यू लेते हुए अपने जो एडविटाइजर हैं उनके खिलाफ सॉफ्ट दिखेंगे और इस पूरे खेल प्रदमागे है डेली में आम आर्मी पार्टी ने बायो डिकमपोजर लाउंच किया इसको इंप्लिमेंट करने में 2020 से 2022 तक जो टोटल खर्चा आया था वो 68 लाक रुपीज आया था और इन्होंने इस प्रोजेट के अडविटीज़में में 23 करोड रुपे लगा दिये इसके थूबी गवर्मेंट चाहे तो पैसा दे सकती है जैसे 2018 में इंडिया में public advertising के नाम पे 7.8 billion euro government ने खर्च किये, तो यही सारे reason है कि एक news media हो या news agency हो, newspaper हो, ये पूरी तरीके से इन ads पे dependent हो गये हैं, और इसी लिए जो अगबार पहले छप के बिखते थे, वो आजकल बिखने के बाद छप रहे हैं, और यही नहीं जब election पास में आने वा जैसे company के अंदर yearly appraisal होता है based on performance तो election to election इनके भी appraisal होते हैं depend on कि किस तरीके का वो favor कर रहे हैं जैसे 2019 का election जब pass आन�� वाला था तब print media को जो government ads से पैसे मिलते थे उसको direct 25% बढ़ा दिया था और उसके कुछ दिन बाद private TV channel जो थे उनके advertising right जो थे उसको 11% बढ़ा दिया था और experts ये भी कह रहे हैं कि 2024 का जो election आने वाला है इससे पहले जो news agencies हैं, news channels हैं इनके जो rates हैं वो फिर से बढ़ाये जाएंगे और ये जो मैं अभी आपको बता रहा हूँ ये तो गवर्मेंट आड्स की बात कर रहा हूँ मैं जब एलेक्शन्स पास में आने वाले होते हैं तो जो न्यूज मीडिया है उसके दोनों हाथ गी और मुँख कड़ाई में होते हैं ये जो अल� 2018 से 16th of November 2018 तग 22,099 times टीवी पे एड चला है जो पूरे इंडिया का जो second largest advertiser है उससे भी double था ये ये चार्ट भी देख लीजे language wise टीवी चैनल को कैसे पैसे बाटे जाते हैं शुरू में मैंने news agencies के बारे में बात किया था जो इतनी powerful होती है कि इनके खुद के satellites वगरा होते हैं इसने 2020 में गलवान वाला जो इशू चल रहा था इसने Chinese Ambassador का इंटरव्यू लिया इंडिया के अंदर ही आप देखें जो वो चाइना का ही महिमा मंडन करेगा और इंडिया की कमियां गिनवाएगा तो उसने वैसे ही किया लेकिन PTI जो interview ले रहा था उसने hard hitting questions नहीं पूछे अगर आप वो interview देखोगे तो इधर से PTI वाले कुछ counter ही नहीं कर पा रहे थे खाली तीन basic question पूछे उन्होंने और साफ ल� बड़ी न्यूज़ एजन्सी है उसके सामने इन्डियन गवर्मेंट की बुराई कर रहा है गवर्मेंट को यह बात अच्छी नहीं लगी उनका कहना था कि चाइना जो है वो तो इंडियन एमेजडर को कभी अलाउ नहीं करता इंटरव्यू के लिए और PTI क परासर भारती जो है उससे इतना पैसा लेती है आर्टी आई एक डाली गई थी तो उसमें पता चला था कि इतना पैसा लेती है उस आर्टी आई की कॉपी है तो इसके बाद परासर भारती ने लेटर लिखा पीटी आई से और कहा कि जो आप कर रहे हो इसके बा वो एनाई पे मिलने लगे तो इस तरह से गवर्मेंट इनको हैंडल करती है देखिए न्यूस चैनल को सर्वाइब करने के लिए काफी कुछ करना होता है और माली जाए पढ़ाई करके एक न्यूस चैनल को जॉइन करते हैं और कहते हैं कि हम सच्चाई का आइना दिखाएंग और जो news channel ruling government के against में जादा रहते हैं तो private companies जो हैं वो भी बचती हैं उनको ad देने के लिए ताकि जो ruling government हैं उससे उनकी बातना खराब हो जाएँ अच्छा ये जो advertisement का पूरा game है इसमें कभी कभी ऐसा भी होता है कि government को उल्टा चूना भी लग जाता है ये जो अलग अलग पार्टियों के कारेकरता वगरा होते हैं जो अपनी प्रोफाइलों में समाज सेवक वगरा लिखे गूमते हैं तो ऐसा भी case हुआ है कि कुछ situation में का कि जो government पैसा देके ad करवा रही है ये किसको किसको जा रहा है उसको check करने की कोशिश की उन्होंने line से advertising list जो थी उस पे number मिलाना चालू किया तो कोई number तो laundry shop का निकला कोई call center का निकला actual में newspaper जो थे वो exist ही नहीं करते थे लेकिन government से ad के पैसे लेके ये जो समाज सेवक थे ये समाज भक्षक का काम कर रहे थे कुछ news agencies या newspaper control में नहीं होते हैं तो फिर government use करती है SLAP Slap Strategy यानि कि strategic lawsuits अगेंस पब्लिक पार्टिसिपेशन इस स्ट्रेटेजी के थूब जो जर्नलिस्ट या फिर न्यूज एजन्सीज इन बड़े बड़े लोगों के खिलाफ या पॉलिटीशन के खिलाफ लिखते हैं या फिर उनकी बात नहीं सुनते हैं उनके खिलाफ बैक टू बैक केस फाइ कि इतना हरास कर दो कि वो लिखना ही छोड़ दें अब मालों कि डेली के अंदर कोई जनरलिस्ट है और वो गवर्मेंट के अगेंस में या फिर बड़े बड़े बिजनस मैन है उनके अगेंस में लिख रहा है तो उसको एक जगा से नहीं बलकि मल्टिपल जगा से अलग अलग जगा से उसको ओपर deformation case किया जाएगा। एक example समझाता हूँ कि मैं कहना क्या चाह रहा हूँ। अगर आपको याद हो तो एक IAPM करके एक institute था जो हर जगा उसके ad चलते दे जिसको अरिंदम चौदरी चलाते दे। तो इस institute में एक दिक्कत थी कि ये institute ना तो UGC University Grants Commission ना तो इससे affiliated था और ना ही AICTE All India Council for Technical Education ना ही इससे affiliated था। तो 2005 में Outlook ने कहा कि IAPM unethical advertising practice कर रहा है Students का जो future है वो दिक्कत में आ सकता है और फिर इसके बाद IAPM ने इसी slap strategy का use किया IAPM ने Outlook के खिलाब deformation case किया फिर Caravan Magazine है उसके उपर deformation case किया उसके बाद Career 360 उसके उपर उसके जो publisher थे Maheshwar Perry उसके उपर case किया और जब ये case करते थे ये multiple case करते थे खुद as a company भी case करते थे और इनकी company के अंदर जो employees थे उनको भी पैसे देके उनसे भी case करवाते थे और जहां का journalist होता था वहाँ से दूर केस किये जाते थे, मालो डेली का है, तो उसके उपर जो केस हो गए, वो चेंडिगर्ट, आसाम, अलग-अलग जगां से होगी, ताकि जो जर्नलिस्ट है, उसको पहले तो लॉयर ढूंढने में दिक्कत आए, फिर फिनाइशल बड़न उसका बढ़ जाए, जह कि वो आपके बारे में लिखना ही बंद कर दे और यही सेम चीज आयापियम के साथ भी हुई इसने इतने केस बैक टू बैक करे और इतने सारे लोगों पे करे कि एक टाइम ऐसा आ गया था कि कोई भी न्यूज रिजन्सी इतना कुछ देखने के बाद भी लि� पायदा नहीं हुआ क्योंकि उतने टाइम तक यह लोग हरास हो चुके थे और जो खबरे थी वह बाहर आना बंद हो गई थी और यही द फिनेंशल एक्सप्रेस द वीडियो एंडी टीवी इन सबके ऊपर बैक टो बैक केस कि जब तक लिखना बंद नहीं किया इन्होंने इसमें अडानी जी भी पीछे नहीं है उन्होंने भी 2017 में एकनॉमिक और पॉलिटिकल वीकली के ऊपर डिफरमेशन केस किया अडानी पावर राजिस्थान लिम्टेड ने न्यूस क्लिक वेबसाइट उसके ऊपर केस किया थर्ड आउगस्ट 2021 को अडानी पोर्ट एंड स्पे उनने सगत 2021 को उनके ऊपर भी deformation case कर दिये और फिर ये trend ऐसा चलता है कि जब तक case होते हैं जब तक लिखना बंद ना हो जाएं और ये case भी तभी बंद हुए जब लिखना बंद हो गया और जब ये लोग case करते हैं चाहे बड़ा politician या बड़ा businessman तो ये 10,000 करोड का मानहानी का दावा, अब रूल ये कहता है कि जितने का आप केस करोगे, उसका 1% आपको कोट के अंदर जमा कराना पड़ेगा, मालो आप 10,000 करोड का defamation केस कर रहे हो, तो आपको 100 करोड जो है वो कोट के अंदर जमा करना पड़ेगा, in case वो आप केस हारते हो तो आ परिशान करने की इतना परिशान करूँ कि लिखना बंध हो जाए तो इसका भी नोट निकाल रखा है कि जितने भी डिफर्मेशन के केस ये लोग करते हैं सब गुजरात के अंदर से करते हैं तो कि पूरे इंडिया में गुजरात एक ऐसी जगा है जहां पे मैक्सिमम फीस जो वर्स के सिनेरियों में केस हार भी जाये तो 75,000 रुपए चले जाते हैं लेकिन इन सब चीजों की वेज़े से इतना हरास्मेंट होता है इतने वकील लगते हैं इतना travel इतना पैसा लगता है कि जो मीडिया इंडस्टी है और जो जर्नलिस्ट वगाना है वो लिखना बंद कर द तो next option आता है उसको खरीदने का media consolidation के बारे में आप एक search मारियेगा तो आपको पता चलेगा इसमें basically यह है कि कुछ लोग पूरे media को control करके पूरे देश का opinion decide करते हैं अब देखे होता गया कि बाकी industry जो है उसके मुकाबले media companies जो हैं वो छोटी हैं बली हजारों करोड कमाती हो लेकिन उनके comparatively काफी छोटी हैं 2007 और 2008 का जो economic boom आया था उसमें बाकी companies तो बहुत जादा grow करी लेकिन news media company जो थी उनका जो business model था वो उतना effective नहीं था और यही वो time था जब बड़े बड़े politicians, बड़े बड़े business man ये news media को खरीदना शुरू किया इन्होंने इंडिया के अंदर जितने भी news channel हैं उन में से one third या तो politician own करते हैं या फिर business man own करते हैं जो politicians से बहुत ही closely linked है और पहले के time पे जब local cable distribution system था तो उस time पे तो लगबग 60% local politicians जो थे वो उसको own करते थे ये देखी ये है पूरा चार्ट कि कौन किसको चलाता है लेकिन ये भी इनफ ना हो तो मैं और बता देता हूँ कि कौन सा न्यूज चैनल को कौन सा बिजनसमैन या फिर पॉलिटीशन ओन करता है ये लोग किसी एंजियो का किसी समासेवा वाली कंपनी को ओन करे ना करें लेकिन इनका इं� कि सीएंबीसी आवाद सीएनएन न्यूज 18 न्यूज 18 इंडिया और सीएंबीसी टीवी 18 जैसे न्यूज चैनल से और फर्स्ट पोस्ट डॉट कॉम और मनी कंट्रोल डॉट कॉम जैसी वेबसाइट थी यह भी इनके पास थी न्यूज 18 के पास फॉर्व मैगजीन तो जैनवरी 2022 में रिलायंस ने नेटवर्क 18 में 1700 करोड का इनवेस्टमेंट किया। और दो साल बाद 30th of May 2014 को रिलायंस ने नेटवर्क 18 का पूरा कंट्रोल अपने पास ले लिया। अक्टूबर और नवंबर 2012 में अर्विंद केजरीवाल ने दो प्रेस कॉंफरेंस की उसमें उन्होंने कहा कि अमानी के पास स्विस बैंक अकाउंट है जिसमें ब्लैक मनी है और रिलायंस इंडस्टी ने सरकाल को ब्लैक मेल करने के लिए केजी गैस वैल जो है उसमें प्रोडक्शन कम कर दिया है इसके दो महिने बाद जैनवरी 2013 में ज एक टाउन हॉल मीटिंग करी जिसमें साफ समझाया गया कि अब अर्विंद केजरीवाल को न्यूज मीडिया के अंदर दिखाने की कोई ग्रुप जो है जिसमें आज तक इंडिया टूडे लेलन टॉप और न्यूज चैनल से 23.6 परसेंट हिस्सा कुमार मंगलम बिर्ला और उनकी फैमिली ओन करती है इसी तरीके से एशिया नेट न्यूज जो है उसको राजीव चंदरशेकर ओन करते हैं जो बीजीपी से एसोसियेटेड है और अभी सेंटरल गवर्मन्ड में मिनिस्ट्री आफ स्केल डेवलपमेंट और अंटरपेनोर्शिप एंड एलेक्टॉनिक्स एंड इंफर्मेशन टे केबल टीवी डिस्ट्रिबूशन नेटवर्क को भी ओन करती है पंजाब में तो ये केस और भी इंटरस्टिंग हो गया है क्योंकि जिस चैनल को सीम के बेटे ओन करते थे उसी चैनल को पंजाब की जो गवर्मेंट थ��� वो सरकारी एड भी देती थी 2008 में तीन चैनल थे सरकारी एड मिलना चालू हो गए विनोश शर्मा के बेटे कार्तिके शर्मा ओन करते हैं जी न्यूज जो है उसको सुबाज चेंद्र और उनकी फैमिली ओन करती है 2016 हर्याना में इनको बीजेबी का सपोर्ट था और जो तमिल नाडू का सबसे बड़ा मीडिया ग्रूप है संड टीवी उसको कला निती मरन ओन करते हैं जो तमिल नाडू के सीयम एम के स्टेलिंग के रिलेटिव हैं और डी एम के पार्टी को विलाउं करते हैं ये देखिए य एआई और चैट जीपीटी से सीख के अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए डू चेक आउट दा वर्कशॉप वी है फ़र दा फर्स्ट वन थाउजन पीपल