माइंड मैप सीरीज में एक और लेक्चर रिवाइज करते हैं सॉल्यूशंस एक चैप्टर 12थ का चैप्टर है खूबसूरत आसान चैप्टर है बढ़िया चैप्टर है अ इस पर सवाल जेई अक्सर पूछता है सॉल्यूशंस को डिफाइन करने के लिए यही एक बात बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है कि सॉल्यूशंस आर होमोजीनस इन नेचर और वहां पर भी हम लोगों ने इसको बहुत अपनी लैंग्वेज में डिफाइन करने की कोशिश की है वो एक लाइन अंग्रेजी की अगर याद कर ली जाए तो इसके ऊपर आने वाले सवालों को किया जा सकता है किसी भी कंपोनेंट का अगर आप मोल फ्रैक्शन लेना चाहते हैं तो उसके वेट को उसके मोल्स को टोटल मोल डिवाइड करें दिस इज केब इनटू मोलालिटी एंड दिस इज c बाड ये आंसर आ गया वो कह रहा है यार तुम गलत सल बातें कर रहे हो ये आंसर नहीं आ रहा है आंसर कुछ और आ रहा है मैंने कहा क्या बात तोज है हेलो बच्चों कैसे हो सब लोग अ माइंड मैप सीरीज में एक और लेक्चर रिवाइज करते हैं अ बड़ी खूबसूरत सीरीज है अ बहुत जल्दी आप अपने चैप्टर्स को रिवाइज कर सकते हैं तो थोड़ा सा इससे आईडिया लिया जा सकता है कि इस चैप्टर में किस-किस तरह के टॉपिक्स हैं उनको किस-किस तरह से समझना है और उसके बाद क्वेश्चंस की प्रैक्टिस करके आप अ अपना काम चला सकते हैं तो मुझे लगता है कि सॉल्यूशंस एक चैप्टर 12थ का चैप्टर है खूबसूरत आसान चैप्टर है बढ़िया चैप्टर है इस पर सवाल जेई अक्सर पूछता है हालांकि सॉल्यूशंस का एक हिस्सा तो कंसंट्रेशन टर्म से ही रिलेटेड है जिसके सवाल आप मोल कांसेप्ट में भी देख सकते हैं और साथ ही साथ लिक्विड सॉल्यूशंस प भी देख सकते हैं तो जेई इन कंसंट्रेशन टर्म्स को लेकर सवाल जरूर बनाता है चाहे वो मेंस का पेपर हो चाहे वो एडवांस का पेपर हो साथ ही साथ सॉल्यूशंस के जो कोर टॉपिक्स हैं जैसे वेपर प्रेशर से रिलेटेड कोलिगेटिव प्रॉपर्टी से रिलेटेड अ वंट ऑफ फैक्टर से रिलेटेड इन पर भी वो न्यूमेरिकल्स जरूर पूछता है तो इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि ये एक ऐसा चैप्टर है जो अ सिंपल चैप्टर है सीधा चैप्टर है जिसमें बहुत ज्यादा अ घुमाओ फिराव बातें नहीं है तो एक बच्चा समझदार बच्चा अगर वो एक अपने कुछ मार्क्स कंफर्म करना चाहता है मेंस के पेपर और एडवांस के पेपर में तो मेरा सजेशन यही है कि इस चैप्टर को बहुत तसल्ली से एक बार पूरी अच्छी तरह से पढ़कर जाए और साथ ही साथ इन पर टॉपिक्स जो भी हैं उनके उनके ऊपर लगने वाले क्वेश्चंस की भी प्रैक्टिस करके जाए तो ठीक है हम लोग शुरू करते हैं सॉल्यूशंस एक सिंपल चैप्टर है जिसमें हम लोग सबसे पहले शुरू करेंगे अब कुछ कंसंट्रेशन टर्म्स यानी अगर मैं आपको बताऊं तो इस माइंड मैप सीरीज में हम लोग कुछ अ सॉल्यूशंस के बारे में उनके कंसंट्रेशन टर्म्स के बारे में बात करेंगे गैसेस की सॉल्युबिलिटी के बारे में बात करेंगे कोलिगेटिव प्रॉपर्टी ऑस्मोसिस प्र प्रेशर के बारे में और वंट फैक्टर के बारे में कुछ-कुछ चीजें डिस्कस करी जाएंगी तो मुझे लगता है एक सिंपल बात है शुरुआत करते हैं सबसे पहले कक आप कंसंट्रेशंस के बारे में बात कर रहे हैं तो एक चीज तो क्लियर है कि अगर मैं सॉल्यूशंस को ही सबसे पहले डिफाइन करूं तो मुझे ऐसा लगता है कि सॉल्यूशंस को डिफाइन करने के लिए यही एक बात बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है कि सॉल्यूशंस आर होमोजीनस इन नेचर तो मुझे लगता है कि मैं इससे ज्यादा कोई भी बात सॉल्यूशंस के लिए कि ना बोली जाए कि दो या दो से ज्यादा कंपोनेंट का अगर कोई होमोजीनस मिक्सचर है तो उसे सॉल्यूशन कहा जाएगा और होमोजीनस तुम सब समझते हो होमोजीनस का मतलब है थ्रू आउट सेम एक जैसा यानी अगर मान लीजिए मैं पानी के अंदर अंदर किसी सैंड को डिजॉल्ड्रिंग है लेकिन अगर आप दो मिनट के लिए उस पानी को छोड़ दें तो आप देखेंगे कि वो धीरे-धीरे धीरे करके सैंड सेटल हो रही है या वो मिट्टी सेटल होती चली जा रही है इसका मतलब ऊपर कुछ और है नीचे कुछ और है सर ऐसा सिस्टम होमोजीनस सिस्टम नहीं माना जाता लेकिन अगर आपने कभी ऐसा देखा हो कि सर मैंने पानी के अंदर चीनी घोल रखी है अब ऐसा नहीं होता सर कि थोड़ी देर बाद चीनी सेटल हो जाएगी सर पानी के अंदर अंदर जब चीनी घुल जाती है तो घुल जाती है बात खत्म सर नाउ दिस इज अ होमोजीनस सिस्टम थ्रू आउट चीनी वाटर के अंदर डिस्ट्रीब्यूटर है सर आप किसी भी हिस्से को ऑब्जर्व करिए उस हिस्से का जो कंसंट्रेशन होगा वो हर सूरत में सेम होगा चाहे आप इस हिस्से को ऑब्जर्व करें चाहे आप किसी और हिस्से को ऑब्जर्व करें उस पूरे सॉल्यूशन में आप कहीं से भी सॉल्यूशन को बाहर निकालिए वो एक जैसा दिखाई देगा एंड दिस इज क्वाइट ओबवियस सर अगर आप एक ग्लास पानी में चीनी को तो जितना मीठा आपको वो पानी लगेगा उतना ही मीठा वो तब भी लगेगा जब आप उसमें से एक स्पून निकाल के सिप ले मेरा कहने का मतलब ये हुआ चाहे आप एक स्पून पिए चाहे उसमें से आधा गिलास पिए चाहे उसमें से एक ढक्कन निकाल के पिए सर पानी की मिठास एक जैसी लगेगी यानी उसका रीजन क्या है सर जब आप एक ढक्कन पानी पीते हैं तो उसमें पानी कम आता है सर और चीनी भी कम आती है लेकिन जब आप ज्यादा पानी लेते हैं तो उसमें पानी भी ज्यादा होता है और चीनी ज्यादा होती है बट इन टर्म्स ऑफ कंसंट्रेशन एवरीथिंग इज सेम सो दिस इज नोन एज होमोजीनस सर इसमें दो बातें लग रही एक वर्ड सॉल्यूट यूज किया जाता है एक वर्ड सॉल्वेंट यूज किया जाता है सर सॉल्यूट और सॉल्वेंट को कैसे डिस्टिंग्विश किया जाता है देखिए जनरली कहा यही जाता है जो मेजर डेफिनेशन है सॉल्वेंट या सॉल्यूट की जो भी सॉल्यूशन का फेज होगा सॉल्यूशन जिस फेज में होगा जैसे सॉल्यूशन मान लीजिए आपका गैस है या सॉल्यूशन आपका मान लीजिए लिक्विड तो वो सॉल्यूशन का जो फेज है वो जो भी कंपोनेंट डिसाइड करेगा वो सॉल्वेंट होता है यानी सॉल्वेंट का जो फेज है वही सॉल्यूशन का फेज पहली बात सर ऐसा भी हो सकता है कि ट और सॉल्वेंट दोनों का फेज सेम हो तो अगर सॉल्यूट और सॉल्वेंट दोनों का फेज सेम है तो सॉल्यूशन का फेज जो भी बनेगा सर वो वही फेज होगा जो सॉल्यूट का है और सॉल्वेंट का है तो अब आप कैसे डिसाइड करेंगे सर कि उनमें सॉल्यूट कौन सा है सॉल्वेंट कौन सा है तो अगर सॉल्यूट और सॉल्वेंट सेम फेज में है तो जिसका अमाउंट ज्यादा है वो सॉल्वेंट है और जिसका अमाउंट कम है वो सॉल्यूट जैसे एग्जांपल लेते हैं मान लीजिए मैं पानी के अंदर चीनी घलता हूं तो पानी इज लिक्विड चीनी सॉलिड घुलने के बाद जो सिस्टम तैयार हुआ दैट इज लिक्विड यानी लिक्विड फेज फाइनली तैयार हुआ तो जो पानी और चीनी में लीक लिक्विड फेज है वही हमारा सॉल्वेंट क्लियर है यानी पानी विल बी सॉल्वेंट एंड चीनी विल बी सॉल्यूट लेकिन अगर मान लीजिए मैं आपसे कहूं कि मैं एक पानी एक लिक्विड के साथ दूसरा लिक्विड मिक्स कर रहा हूं तो अगर आप दो लिक्विड्स को मिक्स कर रहे हैं जैसे अल्कोहल और वाटर को मिक्स किया जा रहा है तो अगर आप दो लिक्विड को मिक्स कर रहे हैं तो सर इसमें इतनी अकल लगाने की जरूरत नहीं है कि अगर आप दो लोगों को मिक्स कर रहे हैं तो ओबवियसली अगर दोनों लिक्विड्स है तो जो हमारा सॉल्यूशन बनेगा वो लिक्विड ही बनेगा और अगर सॉल्यूशन लिक्विड है तो ऐसे में सर सॉल्वेंट वो माना जाएगा जो लिक्विड फेज है अब सर दोनों लिक्विड फेज है आप कैसे डिसाइड करेंगे तो जिसका अमाउंट कम है वो सॉल्यूट है और जिसका अमाउंट ज्यादा है वो सॉल्वेंट यानी कहने का मतलब ये हुआ कि अगर मैं जनरल डेफिनेशन की बात करूं तो जनरली यही कहते हैं द कॉम्पोनेंट जो लार्जर क्वांटिटी में प्रेजेंट है वो हमारा सॉल्वेंट है और जो कॉम्पोनेंट कम है वो हमारा सॉल्यूट है लेकिन इससे पहले कौन सी डेफिनेशन आ गई कि जो फेज होगा सॉल्यूशन का वो कौन डिसाइड करेगा सर फेज सॉल्यूशन का फेज सॉल्वेंट डिसाइड करता है सो द फेज ऑफ द सॉल्वेंट विल बी द फेज ऑफ द सॉल्यूशन इसमें कोई डाउट नहीं है और इस चीज को आप एनसीआरटी के एक छोटे से चार्ट से या टेबल से देख सकते हैं मैं इसमें बहुत ज्यादा समझाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं बिकॉज मैं ये सजेस्ट कर रहा हूं कि आप इसको लर्न करेंगे यह लर्न करने लायक टेबल है क्योंकि इस पर छोटे-छोटे ऑब्जेक्टिव्स किताबों में दिखाई देते हैं और जेई भी हमसे पूछ सकता है अब मैं सिर्फ अपनी बात को एक बार जस्टिफाई करके देखता हूं कि भाई ऐसा है सर आपने मान लीजिए आपसे कहा जाए कि भाई मेरा जो एग्जांपल जो लिए गए हैं मान लीजिए आप गैसियस सलूशन की बात कर र है यानी यह तो क्लियर हो गया सर आपका सॉल्यूशन जो है वो गैस यानी द फेज ऑफ द सलूशन इज गैस तो सर मैं एक चीज क्लियर हूं इन दोनों में सर जो भी गैस होगा सर वही हमारा सॉल्वेंट होगा अब ठीक है सर अगर सॉल्यूट भी गैस है और सॉल्वेंट भी गैस है तो बहुत बढ़िया बात है फिर तो बात ही खत्म हो गई सर हमारा सॉल्वेंट गैस तो होना ही है इसी तरह से सर ये लिक्विड है और ये गैस है तो ओबवियसली सर सॉल्वेंट कौन सा होगा सर एक लिक्विड है एक गैस है सॉल्वेंट हमारा गैस होगा क्यों क्योंकि सर गैसियस सॉल्यूशन बना है तो सॉल्वेंट का फेज ही सॉल्यूशन का फेज होगा इसी तरह से अगर गैसियस सॉल्यूशन है तो सॉलिड और गैस में कौन सॉल्वेंट होगा सर सॉलिड और गैस में सॉल्वेंट हमारा गैस होगा इसी तरह से अगर सॉल्यूशन लिक्विड है तो फर सोचने की जरूरत नहीं है सर हमारा सॉल्वेंट लिक्विड होगा और अगर सॉलिड सॉल्यूशन है तो इन केस में हमारा जो सॉल्वेंट होगा वो सॉलिड होगा सॉल्यूट कुछ भी हो सकता है इससे फर्क नहीं पड़ता हां अगर दोनों लोग एक जैसे हैं जैसे ऊपर दोनों गैस है अब अगर दोनों गैस है तो सर अब आप कैसे डिसाइड करेंगे कि सॉल्यूट कौन सा है और सॉल्वेंट कौन सा है तो जो लेस क्वांटिटी में है वो सॉल्यूट है और जो लार्जर क्वांटिटी में है वो सॉल्वेंट है क्लियर है चलिए फटाफट आगे बढ़ते हैं सर जिस तरह से आप कंसंट्रेशन टर्म्स की आप बात कर रहे थे कि सॉल्यूशंस के कंस टर्म्स बहुत इंपॉर्टेंट है और सॉल्यूशंस वो लोग होते हैं जिनका अमाउंट कम या ज्यादा कुछ भी कर लो लेकिन उनकी कंसंट्रेशंस हमेशा कांस्टेंट होती है तो सर वो कौन-कौन से कंसंट्रेशन टर्म्स हैं जो हमें ध्यान रखने हैं तो इस चैप्टर में कुछ सेट चार पांच छह तरह के कंसंट्रेशन टर्म्स हैं जो हमें ध्यान रखने हैं जिस पर मोल कांसेप्ट पर भी सवाल बनता है और साथ ही साथ हमारे इस सॉल्यूशन से रिलेटेड भी सवाल बनते हैं ठीक तो सबसे पहले कंसंट्रेशन टर्म है हमने पहले भी पढ़ रखे हैं दैट इज मास परसेंटेज सो दैट इज वेट बाय वेट वेट ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय वेट ऑफ सॉल्वेंट * 100 यानी सॉल्यूट के मास को सॉल्व सॉल्यूशन के के मास से डिवाइड कर दीजिए यानी अगर आप इसको डिफाइन करना चाहते हैं तो डेफिनेशन बहुत सीधी है कि अगर परसेंटेज वेट बाय वेट की बात कर रहे हैं तो इसका मतलब ये हुआ 100 ग्राम सॉल्यूशन में कितना सॉल्यूट डिजॉल्वेशन डिवाइडेड बाय वेट ऑफ सॉल्यूशन * 100 क्लियर है यानी बहुत आसान हो गया मास ऑफ द कंपोनेंट इन द सॉल्यूशन डिवाइडेड बाय टोटल मास ऑफ द सॉल्यूशन यानी आप जिस चीज की भी मास परसेंटेज की बात कर रहे हैं जनरली मास परसेंटेज की बात सॉल्यूट के लिए की जाती है लेकिन अगर मान लीजिए आप दो कंपोनेंट लेके आए एक सॉल्यूट और एक सॉल्वेंट तो आप जिस कंपोनेंट का भी वेट बाय वेट परसेंटेज बता रहे हैं उस कंपोनेंट को वेट को टोटल वेट से डिवाइड करके 100 से मल्टीप्लाई कर दीजिए सर ये तो बचपन में पढ़ा था सर किसी भी चीज की परसेंटेज निकालने के लिए उसका अपॉन टोटल * 100 किया जाता है तो आप सर जिस कंपोनेंट का भी परसेंटेज वेट बाय वेट डिफाइन कर र है उसके वेट को टोटल वेट से डिवाइड करके इनटू 100 करके आप उसका परसेंटेज वेट बाय वेट कैलकुलेट कर सकते हैं क्लियर है सर दूसरा जो कंसंट्रेशन टर्म आता है वो वॉल्यूम बाय वॉल्यूम आता है फिर वही है सर जिस कंपोनेंट की बात कर रहे हैं सर उस कंपोनेंट के वॉल्यूम को टोटल वॉल्यूम से डिवाइड करके 100 से मल्टीप्लाई कर दीजिए दैट इज परसेंटेज वॉल्यूम बाय वॉल्यूम और तीसरा जो आता है दैट इज मास बाय w / v वेट डिवाइडेड बाय वॉल्यूम यानी जिस कंपोनेंट की आप बात कर रहे हैं ये इंपॉर्टेंट है सर क्योंकि जनरली मैंने देखा है कि परसेंटेज वेट बाय वेट या परसेंटेज वेट बाय वॉल्यूम पर ही ज्यादातर चीजें देखने को मिलती हैं तो अगर मैं परसेंटेज वेट बाय वॉल्यूम की बात करता हूं तो इट इज द मास ऑफ सॉल्यूट डिजॉल्वेशन डिवाइडेड बाय वॉल्यूम ऑफ सॉल्यूशन * 100 दैट इज द परसेंटेज वेट बाय वॉल्यूम यानी यहां पर भी अगर आप लिखना चाहते हैं तो परसेंटेज वेट बाय वॉल्यूम इज इक्वल टू वेट ऑफ सॉल्यूट इन ग्राम्स वेट ऑफ सॉल्यूट इन ग्राम्स डिवाइडेड बाय वॉल्यूम ऑफ सॉल्यूशन वॉल्यूम ऑफ सॉल्यूशन इन एएल इनटू 100 आप आसानी से परसेंटेज वेट बाय वॉल्यूम भी कैलकुलेट कर सकते हैं और इसको तो हम लोगों ने मैंने अ माइंड मैप के अंदर भी इनफैक्ट और आगे भी कई जगहों पर भी जहां पर भी मोल कांसेप्ट के लेक्चरर्स हुए हैं मेरे वहां पर भी हम लोगों ने इसको बहुत अपनी लैंग्वेज में डिफाइन करने की कोशिश की है वो एक लाइन अंग्रेजी की अगर याद कर ली जाए तो इसके ऊपर आने वाले सवालों को किया जा सकता है लेकिन हम अभी क्वेश्चंस डिस्कस नहीं कर रहे बट फिर भी यही बताना चाह रहे हैं कि अगर आप इन टर्म्स को याद रखेंगे तो इन टर्म्स को याद रखने के बाद आप न्यूमेरिकल्स ट्राई करेंगे आपको न्यूमेरिकल समझ में आएंगे दूसरे कंसंट्रेशन टर्म की बात करें तो सर एक कंसंट्रेशन टर्म और है जो हाईली डाइल्यूटेड सॉल्यूशंस के लिए ही डिफाइन किया जाता होगा जिसमें सॉल्यूट का कंपोनेंट नेगलिजिबल होता है सर बहुत कम सॉल्यूट है तो सर अगर मान लीजिए मैंने 1 लीटर पानी लिया तो उसमें सॉल्यूट इतना कम होगा कि आप उसको नेगलेक्ट कर सकते हैं लेकिन अगर मान लीजिए मैंने 10 की पावर 6 लीटर या 10 की पावर 6 ग्राम पानी लिया तो ऐसे में सर वो सॉल्यूट जो है वो ऑब्जर्वेशंस या ऐसे अ जगह पर जहां पर सॉल्यूट का अमाउंट नेगलिजिबल या बहुत कम होता है वहां पर उन तरह के सॉल्यूशंस की कंसंट्रेशंस को हम पार्ट्स पर मिलियन या पार्ट्स पर बिलियन से रिप्रेजेंट करते हैं तो साफ समझ में आता है सर अगर आप पार्ट्स पर मिलियन की बात करते हैं तो नंबर ऑफ पार्ट्स ऑफ द कंपोनेंट यानी जिस कंपोनेंट की आप बात कर रहे हैं अगर मान लीजिए आप सॉल्यूट की बात करते हैं तो तो नंबर ऑफ़ पार्ट्स ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय टोटल नंबर ऑफ पार्ट्स ऑफ कॉम टोटल कॉम्पोनेंट इंट 10 रे पावर 6 यानी आप ऐसे भी बोल सकते हैं वेट ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय टोटल वेट ऑफ़ द सॉल्यूशन * 100 * 10 रे पा 6 समझ रहे हैं यानी वेट डिवाइडेड बाय टोटल वेट * 10 ^ पावर 6 ये 10 रे पावर 6 इसलिए कर दिया गया है ताकि अमाउंट थोड़ा बड़ा हो जाए अदर वाइज तो सर नेगलिजिबल है वेट ऑफ सॉल्यूट सर इतना सा है सर उसको आप डिवाइड करेंगे टोटल वेट से सर ऑलमोस्ट नेगलिजिबल निकल के आएगा तो ऐसे में हम 10 की पावर सि से मल्टीप्लाई करके उसको कुछ देखने लायक बना देते हैं और एंड दिस इज अ पार्ट्स पर मिलियन इसी में अगर आप पार्ट्स पर बिलियन की बात करते हैं तो वेट ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय टोटल वेट इनटू 10 रे पावर 9 कर देंगे तो आपको पार्ट्स पर बिलियन देखने को मिल जाएगा क्लियर है तो ये बहुत आसान सा है जब व सॉल्यूट हमारा बहुत ट्रेसेस में होता है बहुत कम होता है तो ऐसी जगहों पर हम ये देखते हैं कि ऐसे सॉल्यूशंस की कंसंट्रेशंस को एक्सप्रेस करने के लिए हम पीपीएम या पीपीबी का इस्तेमाल करते हैं दैट इज पार्ट्स पर मिलियन या पार्ट्स पर बिलियन तो जो बहुत इजी है है ना किया जा सकता है और फिर एक मोल फ्रैक्शन भी कंसंट्रेशंस को रिप्रेजेंट करता है और ये बहुत ज्यादा यूज़ होता है इस चैप्टर में भी इसका बहुत ज्यादा यूज़ होता है और इनफैक्ट मैं देखता हूं कि हर जगह इसका बहुत ज्यादा यूज़ है तो बहुत नाम क्लियर है फ्रैक्शन मोल्स का फ्रैक्शन तो ये बहुत क्लियर है कि अ मोल फ्रैक्शन अगर आप कैलकुलेट करना चाहते हैं तो द नंबर अ द रेशो ऑफ द नंबर ऑफ मोल्स मेरे ख्याल से सारे बच्चे समझते हैं कि किसी भी कंपोनेंट का अगर आप मोल फ्रैक्शन लेना चाहते हैं तो उसके वेट को उसके मोल्स को टोटल मोल से डिवाइड कर दीजिए तो यानी अगर मान लीजिए सॉल्यूट का मोल फ्रैक्शन चाहते हैं तो सॉल्यूट के मोल्स अपॉन टोटल मोल्स कर दीजिए सॉल्वेंट का मोल फ्रैक्शन चाहते हैं तो सॉल्वेंट के मोल्स अपॉन टोटल मोल्स कर दीजिए अब बहुत आसानी से आप मोल फ्रैक्शन कैलकुलेट कर सकते हैं क्लियर है सबको ये बात समझ में आ रही है तो बहुत सिंपल है यानी अगर मैं किसी भी एक कंपोनेंट की बात करूं तो एक कंपोनेंट को लेकर मोल फ्रैक्शन ऑफ अ कॉम्पोनेंट इज नंबर ऑफ मोल्स ऑफ द कॉम्पोनेंट जिस कॉम्पोनेंट की आप बात कर रहे हैं उसके मोल्स लिए गए हैं बहुत बढ़िया और टोटल नंबर ऑफ मोल्स ऑफ ऑल दी कंपोनेंट्स टोटल नंबर मोल्स ऑफ ऑल द कंपोनेंट करकर आप उस पर्टिकुलर कंपोनेंट का मोल फ्रैक्शन निकाल सकते हैं तो जनरली अगर मैं बाइनरी सिस्टम की बात करता हूं जिसमें सॉल्यूट है और एक सॉल्वेंट है तो सॉल्यूट का मोल फ्रैक्शन या सॉल्वेंट का मोल फ्रैक्शन उसके मोल्स को दोनों के मोल से डिवाइड करके निकाला जाता है बहुत सिंपल है एकदम क्लियर है और हां ये भी ठीक है सर कि अगर आप दोनों के मोल फ्रैक्शन की बात कर रहे हैं तो बाइनरी सिस्टम में मोल फ्रैक्शन ऑफ सॉल्यूट प्लस मोल फ्रैक्शन ऑफ सॉल्वेंट सर इन दोनों के मोल फ्रैक्शन का जो सम है वो वन के बराबर होता है तो ये लॉजिकल है सर फ्रैक्शन का सम तो हमेशा वन ही आता है क्लियर है तो ये बहुत सिंपल है इसको भी समझा जा सकता है और ये देखिए निकाला भी जा रहा है हमने देखा भी अगर आप इंडिविजुअल कॉम्पोनेंट्स की बात करें तो जैसे मोल फ्रैक्शन ऑफ आई कॉम्पोनेंट तो आईए कॉम्पोनेंट का मोल फ्रैक्शन उस आईए कॉम्पोनेंट के मोल्स अपॉन टोटल मोल से निकाला जाएगा तो इसी तरह से अगर मैं सारे कॉम्पोनेंट्स x1 x2 x3 सबके मोल फ्रैक्शन को जोड़ूं तो सबके मोल फ्रैक्शन का जो सम है वो हमारा वन निकल के आएगा लेकिन अगर मैं यहीं पर बाइनरी सिस्टम ले लूं तो बाइनरी सिस्टम में सिर्फ दो कंपोनेंट होंगे एक वन और एक टू दैट इज सॉल्यूट एंड सॉल्वेंट इन दैट केस x1 + x2 विल बी वन इन केस ऑफ मोर देन वन मोर दन टू कॉम्पोनेंट्स इन अ सॉल्यूशन द आंसर इज x1 + x2 + x3 + x4 सो ऑन सो ऑन सो ऑन एंड दैट इज इक्वल टू वन लेकिन ओबवियस है तुम तुम भी समझते हो सर हमारे पास सारे सवाल ऑलमोस्ट ज्यादातर सवाल बाइनरी सिस्टम से ही रिलेटेड है और हमारे सिलेबस में भी बाइनरी सिस्टम ही है तो ऐसे में मोल फ्रैक्शन कैलकुलेट करते वक्त हम इतना ही ध्यान रखते हैं कि सॉल्यूट के मोल्स प्लस सॉल्यूट का मोल फ्रैक्शन प्लस सॉल्वेंट का मोल फ्रैक्शन इज इ 1 क्लियर अ नेक्स्ट कंसंट्रेशन टर्म बहुत बेसिक कंसंट्रेशन टर्म बहुत इंपॉर्टेंट कंसंट्रेशन टर्म जिसका इस्तेमाल पूरी केमिस्ट्री में चाहे वो ऑर्गेनिक हो चाहे इनऑफ हो चाहे फिजिकल हो हर जगह कहीं ना कहीं आपको ये कंसंट्रेशन टर्म मोलेरिटी के फॉर्म में कहीं ना कहीं कैसे ना कैसे दिखाई देता ही है तोय अगर हम मोलालिटी की बात करते हैं तो मोलालिटी वो कंसंट्रेशन टर्म है जो कि रिप्रेजेंट करने के लिए सॉल्यूशंस की कंसंट्रेशन को रिप्रेजेंट करता है और आपसे यह कहा जाए कि इसको डिफाइन करिए तो आप साफ-साफ कहते हैं 1 लीटर सॉल्यूशन के अंदर जितने भी मोल्स सॉल्यूट के घुले हैं दैट इज़ नोन एज़ मोलेरिटी यानी अगर आप मोलेरिटी को डिजइन डि डिफाइन करना चाहते हैं तो आप डिफाइन कर सकते हैं कि अ मोलेरिटी इज़ डिफाइंड एज़ द नंबर ऑफ़ मोल्स ऑफ़ सॉल्यूट डिजॉल्ड्रिंग दिस इज 1000 सेंटीमीटर क्य इसी तरह से आप 1 लीटर को चाहे तो डिफाइन कर सकते हैं 10 रे पावर -3 मीटर क्यूब भी डिफाइन कर सकते हैं आप 1 लीटर को 1 डेसी मीटर क्यूब भी डिफाइन कर सकते हैं तो ये यह सब कुछ जो है हमारा यह सब 1 लीटर के ही अलग-अलग रूप है तो जिस फॉर्म में भी वो आपको सवाल में देगा आप उस तरह से इसको यूज करेंगे लेकिन ये कंफर्म है मोल्स ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय मोल्स ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय वॉल्यूम ऑफ सलूशन इन लीट्स यानी वॉल्यूम लीटर में रखा जाएगा ऊपर मोल्स होंगे और तब आपको उस सॉल्यूशन की मोलेरिटी मिल जाएगी और ये बड़ा कॉमन सा है कुछ खास मुश्किल नहीं है सिमिलरली मोलेरिटी अच्छा मोलेरिटी में एक अच्छी बात क्या दिखाई देती है मोलेरिटी में एक अच्छी बात ये दिखाई देती है कि मोलेरिटी में क्योंकि वॉल्यूम का टर्म है इसलिए एक चीज क्लियर है कि इट इज अ टेंपरेचर डिपेंडेंट ये टेंपरेचर डिपेंडेंट होती है क्योंकि अ वैसे तो अगर मैं अकल लगाऊं तो मुझे ये तो समझ में आता है कि मोलालिटी को चेंज करना है तो मोलालिटी को चेंज करने के लिए आप सॉल्यूट को चेंज कर सकते हैं सॉल्यूट के मोल्स को चेंज कर सकते हैं वाटर या लिक्विड के अमाउंट को चेंज कर सकते हैं सॉल्वेंट और बढ़ा दिया या सॉल्वेंट आपने नि कम तो नहीं कर सकते बट सॉल्वेंट मान लीजिए आपने और बढ़ा दिया तो ऐसे में मोलेरिटी अपने आप चेंज हो जाएगी बट अगर आप कुछ भी नहीं करना चाहते तो भी मोलेरिटी चेंज करना चाहते हैं तो ना मैं चीनी डालना चाहता हूं ना मैं पानी डालना चाहता हूं तो ऐसे में मोलेरिटी को चेंज करने के लिए आपको टेंपरेचर में अच्छा वेरिएशन करना पड़ेगा अ नॉर्मल वेरिएशन से तो फर्क नहीं पड़ेगा बट एक अच्छा वेरिएशन करना पड़ेगा तो आपकी मोलेरिटी अपने आप थोड़ी बहुत चेंज कर जाएगी क्योंकि वॉल्यूम टेंपरेचर पे डिपेंड होता है और अगर व वॉल्यूम टेंपरेचर पर डिपेंड करता है तो मोलेरिटी भी टेंपरेचर डिपेंडेंट तो इससे पहले जितने भी कंसंट्रेशन टर्म्स तुमने करे थे जैसे वॉल्यूम बाय वॉल्यूम या फिर वेट बाय वॉल्यूम ये सारे कंसंट्रेशन टर्म्स जहां पर भी वॉल्यूम का इवॉल्वमेंट है वो सारे कंसंट्रेशन टर्म्स हमारे टेंपरेचर डिपेंडेंट है क्लियर इसी तरह से अगर आप मोलालिटी की बात करें मोलालिटी भी सिंपल कंसंट्रेशन टर्म है लेकिन ये टेंपरेचर से इंडिपेंडेंट है दिस इज इंडिपेंडेंट फ्रॉम टेंपरेचर क्यों इसलिए क्योंकि सर इसमें वॉल्यूम का टर्म ही नहीं दिस इज इंडिपेंडेंट और इसलिए क्योंकि इसमें वॉल्यूम का टर्म ही नहीं है और इसको डिफाइन कैसे किया जाता है सर इट इज अगेन मोल्स ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय वेट ऑफ सॉल्वेंट इन केजी दोनों में अंतर क्या है वहां सॉल्यूशन का वॉल्यूम था लीटर में यहां सॉल्वेंट का वेट है केजी न्यूमरेशन सेम है हां दोनों के न्यूमरेशन सेम है बट सिर्फ फर्क इतना है कि यहां मोल्स ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय सॉल्वेंट का वेट इन केजी रखना है और वहां पर मोल्स ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय सॉल्यूशन का वॉल्यूम रखना है लीटर में बस इतना फर्क है आप मोलालिटी कैलकुलेट कर सकते हैं तो मुझे लगता है कि ये कुछ कंसंट्रेशन टर्म्स थे जो नॉर्मली हम अ मोल कांसेप्ट के अंदर भी देखते हैं ये जो कंसंट्रेशन टर्म है ये कंसंट्रेशन टर्म भी हम मोल कांसेप्ट टू के अंदर नॉर्मली ज्यादा देखते हैं दैट इज नॉर्मेलिटी जिसके अंदर एक छोटा सा फर्क है कि जिस तरह से आप मोलेरिटी में मोल्स ऑफ सॉल्यूट को डिफाइन करते हैं अ इसी तरह से नॉर्मेलिटी में आप सॉल्यूट के इक्विवेलेंट्स को डिफाइन करते हैं यानी कहने का मतलब ये हुआ कि नॉर्मेलिटी इज इक्वल टू इक्विवेलेंट ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय वॉल्यूम ऑफ सॉल्यूशन और अगर अगर आप सॉल्यूट के इक्विवेलेंट्स की बात करते हैं तो इक्विवेलेंट्स निकालने के लिए उस सॉल्यूट के अगर आप इक्विवेलेंट्स निकालना चाहते हैं तो उस सॉल्यूट के मोल्स को आप उस रिएक्शन में उस सॉल्यूट के n फैक्टर से मल्टीप्लाई करना पड़ता है निकाल सकते हैं यानी अगर मोल्स को ए फैक्टर से मल्टीप्लाई किया जाए तो आपको सॉल्यूट के इक्विवेलेंट्स मिल जाएंगे और इक्विवेलेंट्स आने के बाद वॉल्यूम लीटर में लेकर सॉल्यूशन के डिवाइड करके आप एक नई कंसंट्रेशन डिफाइन कर सकते हैं दैट इज नॉर्मेलिटी बस इसमें ध्यान यही रखना है कि सॉल्यूट क्योंकि डिपेंड कर रहा है रिएक्शन टू रिएक्शन सॉल्यूट का बिहेवियर बदल सकता है तो ऐसे में अ उसका n फैक्टर बदल सकता है और उसकी वजह से उसके इक्विवेलेंट्स चेंज कर सकते हैं और नॉर्मेलिटी भी चेंज कर सकती है यानी नॉर्मेलिटी इज लिंक विद द n फैक्टर ऑफ सॉल्यूट एंड द n फैक्टर ऑफ अ सॉल्यूट पर्टिकुलर सॉल्यूट इट डिपेंड्स ऑन द अ रिएक्शन इट डिपेंड्स ऑन द नेचर वो अ वो उसका बिहेवियर एक पर्टिकुलर रिएक्शन में क्या है hc1 होगा लेकिन जिस टाइम पर वो रिड्यूस एजेंट की तरह बिहेव कर रहा है वो kmno4 से रिएक्ट कर रहा है वो k2c 27 से रिएक्ट कर रहा है तो उसका n फैक्टर वन से छोटा भी आ सकता है तो अगर वो वन से छोटा आ गया तो ऐसे में उसका जो n फैक्टर अगर वन से कम है तो उसके जो इक्विवेलेंट्स होंगे वो पहले जितने इक्विवेलेंट्स आए थे जब वो एसिड की तरह बिहेव कर रहा था उतने नहीं होंगे यानी मैं ये बताना चाह रहा हूं कि क कंपोनेंट के मोल्स हो सकता है फिक्स हो जाए hcl.com हैं लेकिन यहां पर h स का एन फैक्टर वन है और यहां पर h स का एन फैक्टर 3/7 तो अगर यहां पर hc1 है तो इसके इक्विवेलेंट्स मोल्स * n फैक्टर से निकलेंगे यहां पर उसके इक्विवेलेंट्स मोल्स * n फैक्टर से निकलेंगे लेकिन क्योंकि दोनों जगहों पर मोल्स भले ही सेम हो लेकिन n फैक्टर बदल रहा है इसलिए दोनों जगहों पर मोलालिटी तो सेम आ सकती है टली ए फैक्टर इज रिएक्शन डिपेंडेंट टर्म एंड रिएक्शन टू रिएक्शन ए फैक्टर किसी एक गिवन पर्टिकुलर कंपोनेंट का अ चेंज होता है जिसकी वजह से मोल्स भले ही चेंज ना करें लेकिन इक्विवेलेंट्स बदल जाते हैं और नॉर्मेलिटी चेंज हो सकती है क्लियर चलिए नेक्स्ट पोर्शन पर आते हैं तो ये हमारा पहला पोर्शन था इस सॉल्यूशन की अ को डिफाइन करने का जिसमें आप उसके कंसंट्रेशन टर्म्स को डिफाइन करने की कोशिश कर रहे थे सेकंड कंपोनेंट की बात करते हैं दैट इज अ सॉल्युबिलिटी ये भी बड़ा सिंपल सा कांसेप्ट है हम बहुत ज्यादा अ डिटेल में इसके बारे में कुछ भी डिस्कशन कर नहीं करेंगे उसका रीजन है हमें जितना अपने सिलेबस से रिलेटेड डिस्कशन करना है वो डिस्कस करते हैं साथ ही साथ सॉल्युबिलिटीज ऑफ सॉलिड्स और सल्ट्स ये चीजें इन ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में भी काफी डिटेल में आपको उनके पी ब्लॉक एलिमेंट्स के अंदर एस ब्लॉक एलिमेंट्स के अंदर सारी चीजें डिस्कस की जाती हैं कि सॉले बिलिटी के बढ़ने का रीजन क्या है सॉले बिलिटी घट क्यों रही है मेरी सॉल्युबिलिटी अपने नीचे वाले सॉल्ट की सॉल्युबिलिटी से ज्यादा क्यों है कम क्यों है वगैरह वगैरह हम यहां पर एक सिंपल एक जनरल डिस्कशन कर सकते हैं और वो जनरल डिस्कशन यह है कि जितना भी कोई चीज एक पर्टिकुलर टेंपरेचर पर डिजॉल्वेशन अटेंड अटन करने तक दैट इज नोन एज इट्स सॉल्युबिलिटी यानी अगर मैं सॉल्युबिलिटी को डिफाइन करता हूं तो मुझे लगता है सॉल्युबिलिटी ऑफ अ सब्सटेंस इट्स अ मैक्सिमम अमाउंट जितना वो डिजॉल्ड्रिंग डिजॉल्वेशन नहीं होगा एंड दैट इज द सिस्टम इज नाउ सैचुरेटेड तो उस सैचुरेटेड सिस्टम तक पहुंचने के लिए एक पर्टिकुलर टेंपरेचर पर जितना भी उसका अमाउंट डिजॉल्ड्रिंग अगर आप उस सॉल्युबिलिटी को मोल्स के टर्म्स में डिफाइन करेंगे तो मोलर सॉल्युबिलिटी अगर आप उस सब्सटेंस के उस अमाउंट को अ वेट के टर्म्स में डिफाइन करेंगे तो ग्राम सॉल्युबिलिटी सर आप जैसे भी डिफाइन करें बट द अमाउंट इज फिक्स सर दैट फिक्स अमाउंट एट अ पर्टिकुलर टेंपरेचर जितना भी डिजॉल्वेशन नहीं होगा दैट डिजॉल्ड्रिंग अब वो जो कंपोनेंट है सर वो कंपोनेंट सॉलिड भी हो सकता है सर वो कंपोनेंट गैस भी हो सकता है सर मान लीजिए आप जो है पानी के अंदर जो है अब चीनी घोल रहे सर आप पानी के अंदर किसी गैस को घोल रहे हैं सर पॉसिबिलिटी है सर दैट इज द डिसोल्यूशन ऑफ अ सॉलिड इन अ लिक्विड सिस्टम और डिसोल्यूशन ऑफ अ गैस इन अ लिक्विड सिस्टम तो अगर आप सॉलिड की सॉल्युबिलिटी की बात करें तो ये बहुत क्लियर है या गैसेस की सॉल्बिन करें तो ये बहुत क्लियर है कि ये बेसिकली डिपेंड करती है अ इसमें कोई शक नहीं है कि ये टेंपरेचर पर तो डिपेंड करती है ये प्रेशर पर भी डिपेंड करते ही होंगे जनरल बात कर रहे हैं कि किसी भी चीज की सॉल्युबिलिटी सर ऊपर से दबाव पर भी डिपेंड करती होगी सर नीचे पानी के टेंपरेचर पर भी डिपेंड करती होगी और शायद उस आदमी के नेचर पर भी डिपेंड करती होगी कि वो कितना घुलना चाहता है वो वो उस उस सॉल्वेंट से कितना बात करना चाहता है हो सकता है सॉल्वेंट ऐसा हो जिसको देखकर वो कहे कि भाई मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी है ऐसी तैसी मैं तुम्हारे अंदर घलूं ही नहीं और ऐसा भी हो सकता है कि वो सॉल्वेंट को देखकर वो सॉलिड वो सॉल्यूट वो ये कहे कि अरे यार तुम अच्छे लगते हो जरूरी नहीं है कि वो सॉलिड हो वो कोई भी एक ऐसा कंपोनेंट वो कंपोनेंट हो सकता है ऐसा हो जिसको देखकर जो सॉल्यूशन सॉल्वेंट को देख कर ये कहे कि भाई मैं तुमसे बात करने के लिए तैयार हूं तो ऐसे में सॉ उस उस कंपोनेंट का जिसकी आप सॉल्युबिलिटी की बात कर रहे हैं उस कंपोनेंट का नेचर भी सॉल्युबिलिटी को गवर्न करेगा तो इसका मतलब ये हुआ प्रेशर तो है ही टेंपरेचर तो है ही साथ में उस उस उस कंपोनेंट का नेचर भी सॉली बिलिटी को गवर्न करेगा तो अगर मैं अपने लेवल पर इस चैप्टर से रिलेट करके बात करूं तो मैं सॉली बिलिटी ऑफ सॉलिड्स के लिए अगर लिक्विड की बात करता हूं तो मुझे बहुत साफ समझ में आता है कि सॉलिड्स का और ये थोड़ा सा मेरा दिमाग भी यही कता कि सॉलिड्स का जो डिसोल्यूशन है वो टेंपरेचर को चेंज करने से बढ़ना चाहिए लॉजिकली और मैं बहुत डिटेल में इस बारे में बात नहीं कर रहा हूं क्योंकि जनरली सॉलिड्स का जो डिसोल्यूशन है वो टेंपरेचर को चेंज करने से या बढ़ाने से बढ़ता होगा हालांकि क्लेरिटी बहुत है साफ हमें कि अगर अगर डेल्टा एच अगर मैं डेल्टा एच की बात करूं तो जो डेल्टा एच प्रोसेस का जो डेल्टा एच डिसोल्यूशन वो जो डेल्टा एच डिसोल्यूशन अगर वो डेल्टा एच डिसोल्यूशन ग्रेटर देन 0 है तो इसमें कोई शक नहीं है कि टेंपरेचर के बढ़ाने से सॉल्युबिलिटी इंक्रीज करनी चाहिए सॉल्युबिलिटी इंक्रीज करनी चाहिए मानते हो कि नहीं बात को सर ये ली चाटली प्रिंसिपल है एंडो र्म रिएक्शंस का टेंपरेचर बढ़ाने से रिएक्शन फॉरवर्ड भागती है इसमें कोई शक नहीं है और अगर इसी में अगर मेरा यही डेल्ट एच डिसोल्यूशन अगर ये डेल्टा एच डिसोल्यूशन लेस दन जीरो तो ऐसे में सर टेंपरेचर के बढ़ाने से सॉल्युबिलिटी गिरनी चाहिए ये तो एक जनरल सी आपने बात बोल दी है सर बिल्कुल आपकी ये जनरल जनरल सी बात दिखाई देती है कि अगर ऐसा कुछ होता है तो ठीक लेकिन जनरली बोला यही जाता है सर हमने ज्यादातर सॉलिड्स के लिए देखा है कि टेंपरेचर के बढ़ाने से सॉल्युबिलिटी बढ़ती है सर जनरली ऐसा देखने को मिलता है लेकिन अ प्रेशर की बात करें तो सर प्रेशर में सर मुझे बहुत ज्यादा फर्क नहीं दिखाई देता सर अब सॉलिड्स को आप डिजॉल्वेशन लगा रहे हैं तो सॉलिड और लिक्विड सर दोनों लोगों की ऊपर ही प्रेशर का एज सच कोई अ खास फर्क नहीं पड़ता तो मतलब एक तरह से देखा जाए तो सॉलिड्स की सॉल्युबिलिटी लिक्विड्स के अंदर अ ऑलमोस्ट नो इफेक्ट ऑलमोस्ट नो इफेक्ट तो लॉजिक है है ना इसको लॉजिकली समझा भी जा सकता है तो ये लॉजिकल लगता यानी कहने का मतलब ये हुआ कि अगर मैं अ टेंपरेचर की बात करता हूं तो टेंपरेचर के बढ़ाने से जनरली सॉल्युबिलिटी बढ़ती है बट अगर वो डिसोल्यूशन एक्सोर्स है तो टेंपरेचर के बढ़ाने से रिएक्शन बैकवर्ड जाएगी यानी सॉल्युबिलिटी घटेगी क्लियर तो अ और ये चीज अगर मैं गैस के लिए बोलता हूं तो क्या होगा सर गैस के लिए ये चीज सिंपल दिखाई देती है सर जब आप गैस के ऊपर का प्रेशर बढ़ाते हैं तो सर ओबवियसली सर गैस के ऊपर दबाव और गैस का सर गैस के ऊपर प्रेशर का असर पड़ता है सर तो गैस के ऊपर अगर प्रेशर का असर पड़ता है तो सर गैस ज्यादा घुलने लगती है पानी के अंदर या सॉल्वेंट के अंदर तो ये एक चीज तो बिल्कुल साफ समझ में आती है कि अगर मैं गैस के इस पिस्टन के ऊपर छोटा वेट रखता हूं तो गैस जितनी घुलनीय उतनी घुल जाएगी सर लेकिन अगर मैं यही वेट बढ़ा देता हूं यानी ऊपर से प्रेशर बढ़ा देता हूं तो गैस का जो डिसोल्यूशन है सर वो पानी के अंदर इंक्रीज कर जाता है तो इसका मतलब या ये सॉल्वेंट के अंदर इंक्रीज कर जाता है इसका मतलब ये हुआ इसमें कोई शक नहीं है कि सॉल्युबिलिटी प्रेशर के ऊपर डिपेंड करेगी अगर गैस का प्रेशर इंक्रीज होगा तो सॉल्युबिलिटी भी उस गैस की सॉल्वेंट के अंदर इंक्रीज करेगी तो इसमें कोई शक नहीं है कि प्रेशर को बढ़ाने से गैस की सॉल्युबिलिटी इंक्रीज करेगी एंड दिस इज हेनरीज लॉ हेनरी साहब का भी कहना यही है कि और वो बहुत साफ लॉ है कि द लॉ स्टेट्स दैट द कांस्टेंट टेंपरेचर द सॉल्युबिलिटी ऑफ अ गैस इन अ लिक्विड इज डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू द पार्शियल प्रेशर ऑफ़ द गैस प्रेजेंट अबोव द सरफेस ऑफ द लिक्विड यानी उस लिक्विड सरफेस के ऊपर जो गैस है उसका प्रेशर जितना ज्यादा होगा वो उतना दबाव में उस लिक्विड के अंदर डिजॉल्ड्रिंग जैसे ही आप प्रेशर कम करेंगे वो फिर से बाहर निकल आएगी यानी वो मजबूरी में घुली हुई है वो उस सिस्टम पर मजबूरी में फंसी हुई है क्योंकि आपने ऊपर से प्रेशर बढ़ा रखा है जैसे ही आप प्रेशर रिलीज करेंगे गैस बाहर निकलने लगेगी और ये एक सिंपल एग्जांपल है जिसमें आप कोल्ड ड्रिंक की बोटल जब खोलते हैं तो उसमें से बुबु बुबु करके co2 बाहर निकलती है क्योंकि उस co2 को उस कोल्ड ड्रिंक के अंदर उस पानी के अंदर उस लिक्विड के अंदर हाई प्रेशर पर बंद किया गया था जैसे ही ढक्कन खुलता है प्रेशर रिलीज होता है जिसकी वजह से co2 बाहर निकलने लगती है बुड़बक करके समझे बात को क्लियर है समझ में आ गया यानी अ गैस की सॉल्युबिलिटी पर प्रेशर का क्या असर है दैट इज गिवन बाय हेनरीज लॉ और हेनरी साहब का बहुत साफ स्टेटमेंट था कि अगर आप प्रेशर को बढ़ाते हैं तो गैस का मोल फ्रैक्शन दिस x इज द मोल फ्रैक्शन और दिस काई इज द मोल फ्रैक्शन इन द अ सॉल्वेंट तो मोर द प्रेशर ऑन द गैस मोर विल बी द मोल फ्रैक्शन ऑफ़ द गैस इन द लिक्विड एंड द दिस इज प्रोपोर्शनल एंड दिस प्रोपोर्शनल कांस्टेंट इज के व्हिच इज हेनरीज कांस्टेंट यानी गैस का अपना एक कांस्टेंट है जिसको हेनरीज कांस्टेंट कहेंगे जो गैस के नेचर के ऊपर डिपेंड करेगा यानी ये ये कहना चाह रहे हैं कि अगर गैस का प्रेशर बढ़ेगा तो गैस की सॉल्युबिलिटी भी इंक्रीज करेगी और मुझे लगता है इसमें कोई केमिस्ट्री नहीं है अगर आप थोड़ा सा दिमाग लगाएंगे तो आपको अपने आप समझ में आएगा नेक्स्ट पार्ट की बात करें ये मैंने एक कुछ ग्राफ बना रखे हैं थोड़ा सा तुम समझना और एक जनरल सा इस ज्यादा हम घुस नहीं बहुत जनरल सी बात कर रहे हैं कि अगर आप टेंपरेचर बढ़ाएंगे तो सॉल्युबिलिटी जनरली सॉलिड्स की इंक्रीज कर रही है आप देख रहे हैं टेंपरेचर के बढ़ाने से जनरली सॉल्युबिलिटी इंक्रीज कर रही है लेकिन गैसेस के लिए उल्टा हो रहा है सर अगर आप टेंपरेचर इंक्रीज करेंगे तो गैसेस की सॉल्युबिलिटी डिक्रीज कर रही है यानी कहने का मतलब ये हुआ कि अगर मैं गैस की सॉल्युबिलिटी के लिए टेंपरेचर का एक फैक्टर जोड़ूं तो मुझे ऐसा लगता है कि गैस की सॉलिट टेंपरेचर के बढ़ाने से यानी अगर आपने टेंपरेचर बढ़ाया गैस की जो सॉल्युबिलिटी है अगर आपने टेंपरेचर इंक्रीज किया तो गैस की जो सॉल्युबिलिटी सॉल्युबिलिटी वो डिक्रीज करेगी इसमें कोई दोराय नहीं और ये लॉजिकल लगता है लॉजिकल इसलिए क्योंकि गैस का डि डिसोल्यूशन जो है वो एक तरह सा एक ऐसा लगता है जैसे दिस इज अ सम सॉर्ट ऑफ कंडेंसेशन आप समझिए यानी गैस जो है वो अंदर जाके पानी में ऐसे जम गई पानी में चली गई यानी गैस का वेपर फेज जो है वो लिक्विड फेज में कन्वर्ट हो रहा है एक तरह से देखा जाए तो दिस इज कंडेंसेशन एंड जनरली कंडेंसेशन इज एसो फर्म प्रोसेस एंड एजोम प्रोसेस का तुम्हें पता है टेंपरेचर बढ़ाने से रिएक्शन बैकवर्ड चलती है दैट मींस सॉल्युबिलिटी डिक्रीज करती है यानी लॉजिकली अगर मैं समझूं तो बहुत ज्यादा अकल नहीं लगानी है आप चाहे तो इस बात को सिर्फ याद भी कर सकते हैं मैंने एक हल्का सा लॉजिक देने की कोशिश की है कि गैस का जब डिसोल्यूशन होता है सॉल्वेंट के अंदर तो वो गैस एक तरह से पानी बन जाती है है ना समझ रहे बात को तो ये दिस इज सम सॉर्ट ऑफ कंडेंसेशन प्रोसेस एंड एंड इफ इट सम सॉर्ट ऑफ कंडेंसेशन प्रोसेस कंडेंसेशन इज एसोर्ट सिस्टम तो अगर एजोम प्रोसेस की बात करेंगे तो टेंपरेचर बढ़ाने से रिएक्शन बैकवर्ड चलती है तो अगर रिएक्शन बैकवर्ड चलती है तो इसका मतलब गैस का घुलना कम हो जाएगा अगर टेंपरेचर बढ़ाया और शायद इसी वजह से तुमसे कहा भी जाता है कि टेंपरेचर अगर ज्यादा है तो वो जो मछली छछ पानी के अंदर रहती हैं उनको बुरा लगता है उनको उनको ऐसा लगता है क्या बदतमीजी है यार गरम गरम पानी है अब पानी गर्म होने से सर अब o2 का जो ऑक्सीजन का जो डिसोल्यूशन है वाटर के अंदर वो कम हो जाता है सर यानी उस गर्म पानी के अंदर o2 थोड़ा कम होती है अब मछलियों को सर और जो एक्वेटिक लाइफ है सर उसको तो पानी से ही ऑक्सीजन लेनी होती है तो ऐसे में सर क्योंकि ऑक्सीजन का अमाउंट कम हो रहा है तो उनको जो है बुरा लगता है आप समझ रहे हैं तो यानी मछली हमारी सैड है जब वो गर्म पानी में है और मछली खुश है जब वो ठंडे पानी में आप समझ रहे हैं बात को चलिए नेक्स्ट पॉइंट पर बात करते हैं इसके एप्लीकेशन की भी बात वही जो अभी मैं बोल रहा था उसी के एप्लीकेशन की बात जब आप चढ़ाई करते हैं तो ऊपर चढ़ते चढ़ते क्योंकि ऊपर जाते हैं तो प्रेशर धीरे-धीरे कम होता है ऑक्सीजन का और ऑक्सीजन का प्रेशर कम होने से ब्लड में जो ऑक्सीजन का डिसोल्यूशन है वो कम होने लगता है आप समझ रहे हो ऊपर से प्रेशर कम होगा तो ऑक्सीजन का डिसोल्यूशन या ऑक्सीजन का जो अमाउंट है हमारे बॉडी के अंदर वो कम होने लगता है और जब वो कम होने लगता है तो हमारा दिमाग भी कम काम करने लगता है हम जो है समझो बात को तमाम दिक्कतें देखने को मिलती हैं और इस बीमारी को भी या इस तरह की प्र प्रॉब्लम को हाई एल्टीट्यूड पर एनोक्स या के नाम से जाना जाता है चीजें भूलने लगते हैं चीजें सही से याद नहीं कर पाते दिमाग थोड़ा कम काम करता है वगैरह वगैरह ये तब है जब आप ऊपर के एल्टीट्यूड पर चढ़ते हैं यानी जब आप ऊपर की तरफ चढ़ते हैं तो सांस लेने में इसलिए तकलीफ होती है क्योंकि हमारे ब्लड में ऑक्सीजन डिक्रीज होने लगती है क्योंकि प्रेशर के बढ़ने ऊपर जाने पर प्रेशर क्योंकि ऑक्सीजन का कम हो रहा है जिसकी वजह से अ ब्लड के अंदर ऑक्सीजन का डिसोल्यूशन कम होता है और सांस लेने में दिक्कत आती है हमारी बॉडी के ऑर्गन्स को जितना चाहिए उतना लेने के लिए हमें बार-बार जल्दी जल्दी जल्दी जल्दी सांस लेना पड़ता है दैट इज अ प्रॉब्लम ठीक और बाकी वही है कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से दिमाग का काम करना थोड़ा कम होता है जिसको एनोसिस इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर हम स्कूबा ड्राइवर्स जो होते हैं हमारे जब वो पानी के अंदर जाते हैं तो बड़ी तेजी से नीचे कूदते हैं और कूदने के बाद जब वो ऊपर आते हैं तो बड़ी तकलीफ में ऊपर आते हैं उसका रीजन क्या है जैसे-जैसे वो नीचे जाते हैं प्रेशर बढ़ता जाता है प्रेशर बढ़ता जाता है तो उनके ब्लड में एयर का डिसोल्यूशन यानी o2 और n2 जो वो सिलेंडर लेके गए थे उस सिलेंडर के अंदर जो o2 n2 है उसका डिसोल्यूशन ब्लड के अंदर बढ़ता चला जाता है क्योंकि प्रेशर बढ़ रहा है लेकिन जब वो ऊपर आने लगते हैं तो प्रेशर फिर से रिलीज होता है और जब प्रेशर फिर से रिलीज होता है तो वही नाइट्रोजन जो गैस है वो बाहर निकलने की कोशिश करती है तो अगर आप तेजी से ऊपर आते हैं तो नाइट्रोजन तेजी से बाहर निकलती है जो कि हमें बहुत तकलीफ देती है आप समझ रहे हमारे वेंस ब्लड में से जब नाइट्रोजन बाहर आती है अलग-अलग जगहों पर तो इस प्रॉब्लम को दर्दनाक इस प्रॉब्लम को बेंड्स के नाम से जाना जाता है इसके लिए उस कबा ड्राइवर्स को ये सजेस्ट दिया जाता है कि भैया आराम से आओ धीरे-धीरे ऊपर आओ जब तुम धीरे-धीरे ऊपर आओगे तो नाइट्रोजन धीरे-धीरे धीरे बाहर निकलेगी तुम्हें वो तकलीफ महसूस नहीं होगी क्लियर है और तीसरी बात तो ओबवियस है सर मछली सैड है मछली खुश है अगर ठंडा पानी है तो मछली खुश है और अगर गर्म पानी है तो मछली नु परेशान है क्यों क्योंकि गैस की जो सॉल्युबिलिटी है वो टेंपरेचर ज्यादा होने पर कम हो जाती है यानी यहां पर पर क्योंकि गर्म पानी है तो यहां पर ऑक्सीजन बुलबुल करके बाहर निकल जाएगी और अगर ऑक्सीजन धीरे-धीरे करके बाहर निकल रही है तो यहां पर ऑक्सीजन का जो अमाउंट है वो कम होगा ऑक्सीजन के अमाउंट कम होने से अ मछली को बुरा लगेगा क्लियर है नेक्स्ट पॉइंट पर आते हैं नेक्स्ट पॉइंट की बात करते हैं तो एक ट्रेडिशनल टॉपिक स्टार्ट होता है इस अ सॉल्यूशंस के चैप्टर का और वो ट्रेडिशनल टॉपिक बहुत अ साफ है जिसमें कहा जाता है कि आप वेपर प्रेशर्स को डिफाइन करिए लिक्विड्स के तो लिक्विड्स के वेपर प्रेशर के बारे में यही कहते हैं कि जब कभी भी किसी लिक्विड को एक पर्टिकुलर टेंपरेचर पर रखा जाए तो उस लिक्विड के सरफेस पर जो वेपर होती है देखो बर्तन बंद रखना आप समझो बात को अदर वाइज वेपर बाहर उड़ेगी और वो लिक्विड अ वेपर बाहर निकल जाएगी समझ रहे हैं लेकिन अगर ढक्कन बंद है तो जो लिक्विड के सरफेस से वेपर्स बाहर आती हैं उन वेपर्स का जो प्रेशर होता है एक टाइम ऐसा आता है कि वेपर्स के कंडेंसेशन का जो रेट है और वेपर्स के जो इवेपरेशन का रेट है वो सेम हो जाता है यानी हम मैं ये कहना चाह रहा हूं कि कुछ ऐसी सिचुएशन की बात कर र मैं प्योर लिक्विड की अभी फिलहाल बात कर रहा हूं कि अगर मेरे पास कोई प्योर लिक्विड है तो इस प्योर लिक्विड के केस में जैसे मान लीजिए ये आपका प्योर लिक्विड तो अगर मान लीजिए एक प्योर लिक्विड की आप बात करें तो उस प्योर लिक्विड पर ये मान लीजिए आपने प्योर लिक्विड ले लिया तो इस प्योर लिक्विड में ऊपर की तरफ वेपर्स हैं है ना बात समझ रहे है कुछ वेपर्स ऊपर इकट्ठी होने लगती हैं तो एक टाइम ऐसा आता है कि ये जो वेपर्स ऊपर है ये वेपर्स जो लिक्विड नीचे है उसके साथ इक्विलियम बना लेती है आप मेरी बात समझ रहे हैं यानी एक टाइम ऐसा आता है कि ये एक इक्विलियम बन जाता है और जिस टाइम पर ये इक्विलियम सेट होता है उस टाइम पर ये वेपर्स जितना भी प्रेशर लगा रही है यानी ऊपर आपका वेपर हो गया नीचे आपका लिक्विड हो गया तो ऐसे में ये वेपर चारों तरफ जो भी प्रेशर एजर्टन की बात करें चाहे सरफेस की बात करें ये वेपर्स जो भी प्रेशर एजर्टन उसे वेपर प्रेशर कहते हैं एंड वेपर प्रेशर इज ओनली टेंपरेचर डिपेंडेंट यानी एक पर्टिकुलर लिक्विड की बात कर रहा हूं दो लिक्विड्स को कंपेयर नहीं कर रहा हूं एक पर्टिकुलर लिक्विड का जो वेपर प्रेशर है वो सिर्फ टेंपरेचर पे डिपेंड करता है आप टेंपरेचर चेंज करेंगे वेपर प्रेशर चेंज करेगा एंड दिस इज लॉजिकल लॉजिकल क्यों है क्योंकि सर दिस इज एन इक्विलियम और इस इक्विलियम का जो इक्विलियम कांस्टेंट है वो सिर्फ टेंपरेचर पे डिपेंड करता है और इक्विलियम कांस्टेंट की वैल्यू वेपर प्रेशर के बराबर है यानी कहने का मतलब ये हुआ कि अगर मैं इस लिक्विड के एक इक्विलियम कांस्टेंट की बात करूं तो इट विल बी प्रेशर ऑफ वेपर्स एंड इक्विलियम कांस्टेंट दैट इज k इक्विलियम कांस्टेंट जिसको आप यहां पर कैपिटल k कह रहे हैं इज ओनली टेंपरेचर डिपेंडेंट इज ओनली टेंपरेचर डिपेंडेंट तो अगर इक्विलियम कांस्टेंट सिर्फ टेंपरेचर डिपेंडेंट है तो इसका मतलब है वेपर प्रेशर भी सिर्फ टेंपरेचर डिपेंडेंट होगा यानी किसी भी प्योर लिक्विड का वेपर प्रेशर हम देखो एक ही लिक्विड की बात कर रहे हैं बच्चे बारे में बहुत परेशान करते हैं वो कहते हैं सर ऐसा नहीं है हमने किताब में पढ़ा है कि लिक्विड का वेपर प्रेशर उसके नेचर पर भी डिपेंड करता है अबे उसका नेचर तो फिक्स हो गया ना जब लिक्विड फिक्स हो गया तो नेचर फिक्स हो गया वो तो तब बात करी जाती है जब दो लिक्विड्स को कंपेयर किया जाए सर इन दोनों लिक्विड्स का वेपर प्रेशर किन चीजों पे डिपेंड करेगा एक सर टेंपरेचर पर बिल्कुल सही है दूसरा सर उनके नेचर पर हो सकता है ये लिक्विड ऐसा हो जिसका नेचर ज्यादा अच्छा हो जिसका उड़ना ज्यादा आसान हो जिसका बाहर उड़ पाना ज्यादा आसान हो जिसकी वजह से उसका वेपर प्रेशर ज्यादा हो सकता है पर्टिकुलर टेंपरेचर पर और ऐसा भी हो सकता है सर दोनों लिक्विड्स एक जैसे नेचर के हैं लेकिन टेंपरेचर अलग-अलग है तो भी वेपर प्रेशर बदल जाएगा यानी कहने का मतलब यह हुआ किसी पर्टिकुलर लिक्विड की अगर आप बात कर रहे हैं तो उसका वेपर प्रेशर सिर्फ टेंपरेचर पर डिपेंड करता है क्योंकि वेपर प्रेशर वो प्रेशर है कि जिस टाइम पर वो लिक्विड वेपर के साथ इक्विलियम बनाए उस टाइम पर वो वेपर चारों तरफ जो भी प्रेशर एग्जॉट करेगा दैट इज नोन एज वेपर प्रेशर एट दैट पर्टिकुलर टेंपरेचर क्लियर समझ में आ रहा है और वैसे भी अगर मैं सॉल्यूशंस की बात करता हूं अ तो उन सॉल्यूशंस में भी अ राउल साहब का एक बड़ा खूबसूरत लॉ है कि अगर आप किसी भी सॉल्यूट को सॉल्वेंट में डिजॉल्वेशन निकल के आता है अ सॉल्यूशन का जो भी वेपर प्रेशर ये तो हमने प्योर सॉल्वेंट की बात की थी जब आप सॉल्यूशन की बात करते हैं तो जब आप किसी भी सॉल्यूट को सॉल्वेंट में डिजॉल्वेशन निकल के आता है वो वेपर प्रेशर इंडिविजुअल कंपोनेंट्स के मोल फ्रैक्शन पर डिपेंड करता है मान लीजिए जैसे मैंने मान लीजिए एक बर्तन ये लिया एक बर्तन ये लिया और दोनों लिक्विड्स को मिक्स कर दिया तो अगर आप दोनों लिक्विड्स को मिक्स करेंगे तो दोनों लिक्विड इवेपरेट करेंगे तो दोनों लिक्विड के इवेपरेशन से जो वेपर प्रेशर बनेगा वो उन दोनों लिक्विड्स के इंडिविजुअल मोल फ्रैक्शन के साथ रिलेट किया जाएगा यानी इस लिक्विड की वजह से जो इसका वेपर प्रेशर बनेगा वो इसके मोल फ्रैक्शन इसके साथ लिंक किया जाएगा और इस लिक्विड के इवेपरेशन से जो यहां पर वेपर्स बनेंगी उसका जो वेपर प्रेशर होगा वो इस लिक्विड के मोल फ्रैक्शन के ऊपर डिपेंड करेगा यानी अगर दो कॉम्पोनेंट्स दोनों वोलेटाइल हुए मान लीजिए दो कॉम्पोनेंट्स हैं और दोनों वोलेटाइल हुए तो पहले कंपोनेंट का वेपर प्रेशर उसके प्योर स्टेट के वेपर प्रेशर को उसके मोल फ्रैक्शन से मल्टीप्लाई करके निकाला जाएगा और दूसरे कंपोनेंट का वेपर प्रेशर उस मिक्सचर का वेपर प्रेशर वो उस उस सेकंड कंपोनेंट के प्योर स्टेट के मोल वेपर प्रेशर को उसके मोल फ्रैक्शन से मल्टीप्लाई करके निकाला जाएगा यानी कहने का मतलब यह हुआ कि अगर मैं इसको थोड़ा सा और क्लीयरली समझाऊं तो इसका मतलब यह हुआ कि मान लीजिए मेरे पास एक लिक्विड ये था एक लिक्विड ये था और दोनों को मिलाकर मैंने इसको इस बर्तन के अंदर भर दिया मान लीजिए कुछ ये सिचुएशन सर एक लिक्विड ये है एक लिक्विड ये है इसके जो प्योर स्टेट का वेपर प्रेशर इसके प्योर स्टेट का वेपर प्रेशर मान लीजिए p10 इसके प्योर स्टेट का वेपर प्रेशर मान लीजिए p20 जब वो उन दोनों को मिलाया तो यहां पर इन दोनों का जो मोल फ्रैक्शन है वो i1 और का2 है अब वो हमसे पूछ रहा है कि यहां पर टोटल वेपर प्रेशर क्या होगा तो जो टोटल वेपर प्रेशर होगा वो दोनों वेपर प्रेशर्स के सम के बराबर होगा दैट इज p1 + p2 और p1 के लिए राउट ने ये बोला है कि अगर आप यहां पर p1 का हिस्सा चाहते हैं यानी यहां पर इस a कॉम्पोनेंट यानी फर्स्ट कंपोनेंट का आप चाहते हैं कि वेपर प्रेशर कितना है तो वो राउट ने बोला है कि उसके प्योर स्टेट के वेपर प्रेशर को उसके यहां के मोल फ्रैक्शन से मल्टी मप्लाई कर दो सिमिलरली अगर आप सेकंड कंपोनेंट का वेपर प्रेशर चाहते हैं तो उसके प्योर स्टेट के वेपर प्रेशर को उसके यहां के मोल फ्रैक्शन से मल्टीप्लाई कर दो यानी अगर आप टोटल वेपर प्रेशर निकालना चाहते हैं तो आइडियल जो टोटल वेपर प्रेशर निकल के आ रहा है वो टोटल वेपर प्रेशर इस इक्वेशन से कैलकुलेट किया जाना चाहिए समझे बात को यानी कहने का मतलब ये हुआ टोटल वेपर प्रेशर इज p10 x1 + p20 x2 या प 0xa + pbx1 एंड x2 आर दी मोल फ्रैक्शन ऑफ दीज टू कॉम्पोनेंट्स जो बाइनरी सॉल्यूशंस में आपने यूज किए क्लियर है तो ये बड़ा खूबसूरत लॉ राहुल साहब ने बनाया है और इस लॉ के अकॉर्डिंग अगर मैं सिंपल एक बात और जोड़ूं कि सर ये तो आपकी बात समझ में आती है कि जो लिक्विड है वो दो लोगों से मिलके आपने बनाया था सर उसमें एक सॉल्यूट था एक सॉल्वेंट था सर जो वेपर्स बन रही हैं उन वेपर्स में भी तो दोनों कॉम्पोनेंट्स हैं हां उन वेपर्स में भी दोनों कॉम्पोनेंट्स हैं तो अगर उन वेपर्स के अंदर भी दोनों कॉम्पोनेंट्स हैं तो उन दोनों कंपोनेंट्स का वेपर के अंदर मोल फ्रैक्शन क्या है यानी लिक्विड के अंदर के मोल फ्रैक्शन को तो आपने x1 x2 ले लिया और टोटल प्रेशर को p1 x1 + p2 नॉ x2 से डिफाइन कर दिया चलिए मैं मान लेता हूं अब आपको आपको लेकिन अब ये बताइए जो वेपर बनी थी उस वेपर में x1 और x2 दोनों है ना सर मतलब अब वन और टू दोनों कॉम्पोनेंट है ना तो अगर दोनों कॉम्पोनेंट हैं तो उन दोनों कॉम्पोनेंट का वेपर फेज में मोल फ्रैक्शन क्या है तो सर वेपर फेज का टोटल प्रेशर आपको पता है और वेपर फेज का इंडिविजुअल कंपोनेंट का भी वेपर प्रेशर आपको पता है दैट इज p1 नॉ * x1 दैट इज राल्स लॉ समझ रहे हो बात को यानी मैं अगर अपनी बात से समझाना चाहूं तो मैं ये बताना रहा हूं कि जो टोटल प्रेशर है दैट इज पटी वो आप पहले ही बोल चुके हैं p1 न * काव प्लस p2 न * का2 ये तो हमारी पहली बात हो चुकी है व्हाट इज p1 न * काव यहां पर एक्सप्लेन करते हैं p1 न इन काव इज द वेपर प्रेशर ऑफ कंपोनेंट कॉम्पोनेंट या फिर ऐसे लिखते हैं पाश पार्शल प्रेशर ऐसे लिखते हैं इसका जो हिस्सा है पार्शल प्रेशर ऑफ कंपोनेंट वन कॉम्पोनेंट वन दिस p1 x1 न p10 * x1 ये इस फर्स्ट कंपोनेंट का ऊपर पार्शल प्रेशर और इसी तरह से p2 * x2 न क्या है सॉरी p20 * x2 क्या है दिस इज द पार्शल प्रेशर ऑफ कॉम्पोनेंट 2 इसका मतलब ये हुआ कि अगर मैं वे टोटल प्रेशर जानता हूं पटी और दो गैसेस के पार्शल प्रेशर भी जानता हूं तो डाल्टन लॉ को अगर अप्लाई करूं अप्लाइड लॉ अप्लाइड लॉ तो वेपर फेस का जो कंपोजीशन निकल के आएगा वेपर फेस का जो मोल फ्रैक्शन निकल के आएगा वो आएगा y1 इ इक्वल टू पार्शल प्रेशर ऑफ फर्स्ट कॉम्पोनेंट दैट इज p1 न * i1 अपॉन टोटल प्रेशर एंड दिस इज p10 * की1 अपॉन p10 * k1 प् p20 * का2 सिमिलरली अगर आप सेकंड कंपोनेंट का वेपर फेस का मोल फ्रैक्शन चाहते हैं तो इट इज p20 * का2 अप टोटल प्रेशर एंड दिस इज p20 * का2 / p10 * k1 ् p2 न * का2 यानी आपको दोनों चीजें पता होनी चाहिए लिक्विड फेस के मोल फ्रैक्शन को यूज करके आप टोटल प्रेशर निकाल पाते हैं राउट्स लॉ लगाकर यानी x1 x2 की मदद से आपको pt's लॉ लगाकर और y1 y2 अगर आप निकालना चाहते हैं तो आपको डाल्टन लॉ लगाना पड़ता है एंड डाल्टन लॉ क्या कहता है मेरा वेपर फेस के अंदर जो मेरा कंपोजीशन है या मेरा मोल फ्रैक्शन है वो मेरा पार्शल प्रेशर डिवाइडेड बाय टोटल प्रेशर य डाल्टन लॉ है और मेरा मोल फ्रैक्शन पार्शियल प्रेशर कितना है अकॉर्डिंग टू राउट्स लॉ मेरा पार्शियल प्रेशर कितना है p10 * k1 सो दैट मींस मेरा हिस्सा p10 * i1 है और टोटल प्रेशर पटी है तो मेरे हिस्से को टोटल प्रेशर से डिवाइड करके आप मेरा वेपर फेस का कंपोजिशन निकाल सकते हैं तो आप y1 y2 निकाल सकते हैं यानी मैं सजेस्ट ये कर रहा हूं जो मैं लिखने जा रहा हूं जिस पर मेंस लेवल पर इनफाइनों सकते हैं क्लियर है सबको ये बात समझ में आ रही है इसी तरह से अगर y1 y1 और y2 तुम समझते हो ना y1 एंड y2 दे आर एक जैसे मतलब y1 अगर पता है तो y2 भी पता है इसी तरह से k1 पता है तो k2 भी पता है क्योंकि का2 इज 1 - i1 तो मैं ये सिर्फ बताना चाह रहा हूं i1 i2 में से कुछ भी गिवन हो और साथ में p न वैल्यूज गिवन हो तो आप y1 y2 निकाल लेंगे सिमिलरली अगर मैं यहां पर लिखूं y1 या y2 में से कुछ भी गिवन हो और साथ में p नॉ वैल्यूज गिवन p1 नॉ p2 नॉ तो फिर आप आंख बंद करके ये याद कर लीजिए कि आप काव और काटू भी निकाल सकते हैं यानी दिस इ वाइस वर्सा जिस पर दुनिया भर के सवाल जो है जेई ने पूछे और आपको दो फॉर्मूले बताए गए हैं आप उन फॉर्मू को याद करके उनके आने वाले सवालों की प्रैक्टिस करिए आप देखेंगे कि आपके मेस लेवल पर फिर वही सवाल देखने को मिलेंगे काव का2 p1 प2 न की मदद से y12 और y12 की मदद सेव का2 ये सिंपल एक रिलेशन क्लियर है यानी अगर मैं और जनरल लिखना चाहूं तो यह है काव काटू की मदद से y1 y2 और y1 y2 की मदद से k1 का2 विद दी हेल्प ऑफ p1 न एंड p2 न ये कन्वर्जेंस हमें आने चाहिए क्लियर है समझ में आ गया चलिए नेक्स्ट पॉइंट पर आते हैं नेक्स्ट पॉइंट क्या है नेक्स्ट पॉइंट यही है सर अ आपने एक आइडियल सिस्टम की बात की थी सर आइडियल सिस्टम एक ऐसा सिस्टम था जिसके बारे में हम यहां बात भी कर रहे थे आइडियल सिस्टम एक ऐसा सिस्टम बनाया था जो कि हर कंपोजीशन पर राउट्स लॉ को फॉलो करता है सर आप किसी भी कंपोजीशन की बात कर लीजिए सर किसी भी कंपोजीशन की आप बात कर लीजिए चाहे आप इस कंपोजीशन की बात कर लीजिए यानी x i1 की वैल्यू दे रखी है का2 की वैल्यू दे रखी है तो ये एक आइडियल सिस्टम है जिसमें एक कंपोनेंट का जो वेपर प्रेशर है अ इस कंपोजीशन वाले कंपोनेंट का वो ये दूसरे कॉम्पोनेंट का ये है और दोनों को जोड़कर ये है यानी अगर आप इस फॉर्मूले के अकॉर्डिंग ली टोटल प्रेशर निकालते हैं p1 नॉ p1 न i1 + p2 नॉ का2 से तो जो टोटल प्रेशर निकल के आएगा वो ये आएगा सो दैट मींस हर कंपोजीशन पर ये राउट्स लॉ फॉलो कर रहा है यानी टोटल प्रेशर हमेशा p1 + p2 से यानी p1 नॉ i1 + p2 नॉ का2 से निकाला जाता है एंड दैट इज आइडियल सॉल्यूशन और आइडियल सॉल्यूशन के लिए बोला कब जाता है जब इंटरेक्शन सिमिलर यानी दो लिक्विड्स को आप मिक्स कर रहे हैं और दोनों लिक्विड्स के मिक्स करने के बाद मैंने उससे पूछा कि तुम्हें अब कैसा लगता है तो दोनों लिक्विड्स यही कहते हैं कि यार हमें कोई फर्क नहीं पड़ रहा जैसे हम पहले थे वैसे अब भी हमें पहले भी ऐसे ही लगता था बाद में भी ऐसे ही लग रहा है तो मैंने कहा मतलब कह रहा है पहले हम जब अकेले थे तो हमारे बीच में जो इंटरेक्शंस होते थे आज जब हम मिक्स हो गए हैं तो भी हमारे बीच के जो इंटरेक्शंस आपस में वो सिमिलर यानी आइडियल सिस्टम की अगर आप बात कर रहे हैं तो इसमें ज्यादा कुछ सोचना नहीं है a ए एंड बब इंटरेक्शंस जो थे हमारे दे आर सिमिलर एज ए इंटरेक्शंस यानी कहने का मतलब ये हुआ अगर इस तरह की कोई सिचुएशन हमें दिखाई देती है तो ए ए बीबी जो इंटरेक्शंस हैं अगर वो एी इंटरेक्शंस के बराबर है तो दैट इज सिस्टम इज आइडियल जैसा पहला था वैसे ही अब भी र लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो ऐसे में हमारा सिस्टम जो है वो नॉन आइडियल सिचुएशन बनता है और नॉन आइडियल सिचुएशन में जो हमारा आइडियल सिचुएशन की बात करें तो आपको देखने को मिल रहा है कि जो हमारा p1 है वो p1 नॉ * k1 और जो हमारा p2 है वो p2 नॉ * का2 से निकाला जा रहा है बिल्कुल सही है सर ठीक है ये लेकिन जब आप नॉन आइडियल सिस्टम की बात करेंगे तो p1 इज नॉट इक्वल टू p0 का एंड p p2 इज नॉट इक्वल टू p2 नॉ * का2 क्यों क्योंकि सर अब ये सिस्टम आइडियल है आ नॉन आइडियल है ये आइडियल सिचुएशन से डेविएशन जो हैं वो बढ़ जाएंगे या घट जाएंगे यानी वो उन दोनों कंपोनेंट में से किसी भी कंपोनेंट को ऐसा लग सकता है कि यार जब मैं अकेले था तब ज्यादा खुश था जब अकेले था तो अपने दोस्त के साथ जब इंटरेक्ट करता था कम इंटरेक्ट करता था आज तुम्हारे साथ मिक्स होके एक सॉल्यूशन में कन्वर्ट हो गया लेकिन अब तुम्हारे साथ का इंटरेक्शन वो अलग है तो ऐसे में सिस्टम आपका नॉन आइडियल सिस्टम बने समझ रहे बात को पहले हमारा डेल्टा एच मिक्सिंग जीरो हुआ करता था पहले हमारा डेल्टा एच मिक्सिंग पॉजिटिव हुआ करता था यानी सारी सिचुएशंस की अगर आप बात करें तो सारी सिचुएशन ये कहती है कि ये पूरा सिस्टम एक आइडियल सिस्टम है जिसमें डेल्टा ए मिक्सिंग जीरो है अ चेंज इन एंथैल्पी टेक्स ड्यूरिंग फॉर्मेशन ऑफ देयर इज अ चेंज इन एंथैल्पी देयर इज नो चेंज इन एंथैल्पी देयर इज नो चेंज इन एंथैल्पी सो चेंज डेल्टा एच की वैल्यू में कोई चेंज नहीं आएगा दिस इज आइडियल सिस्टम मिक्सिंग की एंट्रॉपिज होती है सर जब भी मिक्सिंग होगी सर अ अन सिमिट्रीज आएगी तो एंट्रोपिक मिक्सिंग हो रही है तो एंड डेल्टा जीी नेगेटिव होगा क्योंकि डेल्टा जीी इज द स्पॉन्टेनििटी मिक्सिंग हुई तो इसका मतलब डेल्टा g नेगेटिव इसका मतलब ये हुआ सर बड़ा क्लियर है कि आइडियल सिचुएशन के लिए ये सिस्टम दिखाया जाता है लेकिन अगर आप नॉन आइडियल सिस्टम की बात करते हैं तो सर डेल्टा एच मिक्सिंग जरो नहीं होगा क्यों क्योंकि इंटरेक्शन सिमिलर नहीं है दूसरी बात सर मिक्सिंग हो रही है तो एंट्रॉपिज डेल्टा इज पॉजिटिव सर क्योंकि मिक्सिंग हुई तो डेल्टा जीी भी नेगेटिव होगा ये भी सही है लेकिन डेल्टा u मिक्सिंग इज नॉट इक्वल टू ज जीरो डेल्टा प मिक्सिंग इज नॉट इक्वल टू 0 मेरी बात समझ रहे हैं यानी आइडियल सिचुएशन की बात करें और नॉन आइडियल सिचुएशन की बात करें तो आइडियल सिचुएशन एक ऐसी सिचुएशन है जिसमें सब कुछ अच्छा है जिसमें अ दो लिक्विड्स को आप मिक्स कर रहे हैं दोनों को कुछ पता ही नहीं चल रहा है तो यानी जैसा पहले थे अलग अलग वैसे ही मिलने के बाद है कोई फर्क नहीं पड़ता तो उनके लिए ये सारी चीजें वैलिड लेकिन अगर फर्क पड़ता है तो उसके लिए कुछ भी वैलिड नहीं होगा हां ये कॉम्पोनेंट्स हमेशा इसलिए इस तरह से लिखे गए हैं क्योंकि ये हमारी थर्मोडायनेमिक्स से रिलेटेड है ये कंपोनेंट्स हमारी थर्मोडायनेमिक्स से रिलेटेड हैं इसमें कोई शक नहीं है सर यानी अ अगर थर्मोडायनेमिक्स ये कहती है कि मिक्सिंग से एंट्रोपय तो चाहे वो नॉन आइडियल सॉल्यूशन बने चाहे वो आइडियल सॉल्यूशन बने एंट्रोपय थर्मोडायनेमिक्स ये कहती है कि अगर दो लोग मिक्स हो रहे हैं तो दैट मींस प्रोसेस इज स्पॉन्टेनियस तो डेल्टा जीी चाहे वो आइडियल सॉल्यूशन बने चाहे वो नॉन आइडियल सॉल्यूशन बने डेल्टा g लेस दन 0 होगा तो डेल्टा g यहां भी लेस दन 0 होगा डेल्टा g वहां भी लेस दन 0 होगा तो इससे फर्क नहीं पड़ता क्लियर है नेक्स्ट पॉइंट पर आते हैं सर जैसे आइडियल सिस्टम की बात कर रहे हैं बेंजीन है टलन है हेगन है हेप्टेनॉल वंडर वॉल इंटरेक्शन तो मैंने कहा अच्छा ठीक है अब जो इंटरेक्शंस हैं उसमें हाइड्रोजन बॉन्डिंग जो होगी वो सबसे ज्यादा डोमिनेटिंग मानी जाएगी यानी इंटरेक्शंस की बात करें तो हाइड्रोजन बॉन्डिंग हाइड्रोजन बॉन्डिंग वो ज्यादा डोमिनेटिंग है वंडरवॉल इंटरेक्शन वंडर वॉल्स इंटरेक्शन और यह ज्यादा डोमिनेट यह ज्यादा डोमिनेटिंग है यह ज्यादा डोमिनेटिंग है अब जो हाइड्रोजन बॉन्डिंग है ये ज्यादा है हमारी डापोर डापोर इंटरेक्शन से डापोर डापोर इंटरेक्शन से और ये हमारी वंडर वॉल्स है यानी कहने का मतलब ये हुआ कि अगर आपको लगता है कि हेगन के अंदर जो इंटरेक्शंस है और जो हेप्टेनॉल मॉलिक्यूल है तो इसका मतलब इसके अंदर ज्यादा से ज्यादा अगर कुछ हो सकता है तो सर मास की वजह से इनकी शक्ल की वजह से इनके शेप की वजह से इनके बीच में आपस में थोड़े बहुत इंटरेक्शन हो सकते हैं एंड दोज इंटरेक्शंस आर वंडरवॉल यानी हेगन के अंदर वंडरवॉल इंटरेक्शन ठीक है वंडर वॉल और हेप्टेनॉल जब वो दोनों मिलेंगे तो क्या होगा सर दोनों मिलेंगे तो भी वंडरवॉल सर क्योंकि इनमें तो कुछ है ही नहीं सर तो इसका मलब ये हुआ वंडरवॉल इंटरेक्शन इज रिप्लेसिंग वंडर वॉल वंडर वॉल इंटरेक्शन सो अल्टीमेटली दिस आ दिस दिस शुड बी एन आइडियल सिस्टम समझ रहे बात को क्लोरो बेंजीन जैसे पहले थे ब्रोमो बेंजीन सर जब एक जैसे लोग जब आपस में जुड़ते हैं तो ऐसे में सर सिमिलर इंटरेक्शन ही रिप्लेस होते हैं और सिमिलर टाइप के इंटरेक्शन को सिमिलर टाइप का इंटरेक्शन ही रिप्लेस करता है और हमारा सिस्टम आइडियल सिस्टम बनता है लेकिन अगर आप नॉन आइडियल सिस्टम की बात करते हैं जैसे कि आप पॉजिटिव डेविड सिस्टम या नेगेटिव डेटेड सिस्टम की बात करते हैं तो अगर आप पॉजिटिव डेविएशन की बात करते हैं या नेगेटिव डेविएशन की बात करते हैं जिसमें आप लिख सकते हैं ए ए एंड बी बी इंटरेक्शन जो होते हैं वो हमारे अगर आप पॉजिटिव डेविएशन की बात कर रहे हैं तो दे आर ग्रेटर देन ए इंटरेक्शंस इसी तरह से यहां पर a ए और बीब इंटरेक्शंस जो है आपके दे आर लेस देन ए इंटरेक्शंस समझ रहे बात को तो यानी कहना मैं ये चाह रहा हूं कि ए ए बीबी इंटरेक्शंस की अगर आप बात करते हैं तो ऐसे में अगर a को बी के साथ मिलने के बाद ऐसा लगा कि यार हमारे इंटरेक्शन जो है वो कम हो गए तो ऐसे में a को क्या लगेगा चलो और उड़ेंगे बी कहेगा चलो और उड़ेंगे क्योंकि दोनों मिलने के बाद इंटरेक्शन अगर घट रहे हैं तो ए का उड़ना आसान हो जाएगा बी का उड़ना आसान आ जाएगा तो जो वेपर प्रेशर पहले आना चाहिए चाहिए तो आईडियली उससे ज्यादा वेपर प्रेशर आएगा एंड दैट इज पॉजिटिव डेविड इसी तरह से नेगेटिव डेविएशन देखने को मिलेगा लेकिन ऐसा कब होगा जब इंटरेक्शंस बढ़े या इंटरेक्शंस घटे जैसे पहले थे उससे जैसे कि अगर एग्जांपल के तौर पर समझाऊं मैं तुम्हें तो एक कोई भी एक एग्जांपल ले लेते मान लीजिए अब कोई एक अच्छा एग्जांपल ले लेते हैं जैसे ये ले लेते हैं एसीटोन और कार्बन डाईसल्फाइड तो अगर आप एसीटोन को ध्यान से देखो तो एसीटोन इज ch3 सडल ब ch3 और एसीटोन को देखें तो एसीटोन इज अ पोलर मॉलिक्यूल तो इसका मतलब एसीटोन के मॉलिक्यूल आपस में डापोर डापोर इंटरेक्शन शो करते होंगे सर दिस इज डीपीडीपी इंटरेक्शन बिल्कुल सही है सर जो दूसरा आदमी है वो आपका कार्बन डा सल्फाइड है हम जानते हैं सर कार्बन डाईसल्फाइड एक लीनियर स्ट्रक्चर होता है जो कि कहीं से भी अ डापोर इसके अंदर एजिस्ट नहीं करता तो ऐसे में cs2 के अंदर जो भी इंटरेक्शंस होंगे वो वंडरवॉल इंटरेक्शन होंगे क्लियर है ch2 के अंदर जो भी इंटरेक्शन होंगे वो वंडर वॉल होंगे अब आप इन दोनों को अगर आपस में मिलाते हैं तो क्या होगा सर जब आप इन दोनों को आपस में मिलाएंगे तो ये जो हमारा ch2 है सर वो इस एसीटोन के व डापोर डापोर इंटरेक्शंस के बीच में घुसेगा यानी अगर एसीटोन के दो मॉलिक्यूल आपने ये ले लिए ch3 c डबल ब o ch3 दिस इज डेल प्स एंड दिस इज डेल माइनस तो ऐसे में इनके बीच में जो भी इंटरेक्शन हो रहे थे वो कौन से इंटरेक्शन थे सर दे वाज दे वर डापोर डाइप इंटरेक्शन लेकिन जैसे ही आप इसको ch2 के साथ मिलाएंगे तो ch2 बीच में घुसने लगेगा और बीच में घुसने की वजह से वो डापोर डापोर इंटरेक्शन को कमजोर करने की कोशिश कोशिश करेगा यानी एक स्ट्रांग इंटरेक्शन को एक कमजोर इंटरेक्शन रिप्लेस करने जा रहा है सर दिस इज पक्का अ पॉजिटिव डेविएशन समझ रहे बात को यानी कमजोर इंटरेक्शन मिलेगा सर जब दो लोग जुड़ेंगे तो इंटरेक्शंस कमजोर हो जाएंगे सर दोनों लोग ज्यादा उड़ने लगेंगे सर वेपर प्रेशर इंक्रीज कर जाएगा जितना आना चाहिए उससे भी ज्यादा निकल के आएगा एंड दैट इज पॉजिटिव डेटेड सिस्टम क्लियर है तो ये सिंपल एग्जांपल्स हैं जिनको ध्यान रखेंगे और इसी का जस्ट उल्टा हो जाए जैसे एक सिंपल एग्जांपल ले लेते हैं क्लोरोफॉर्म और एसीटोन अगर आप एसीटोन लेके आते हैं तो क्या होगा सर एसीटोन के अंदर जैसा कि अभी बताया गया एसीटोन हमारा वो है ch3 co3 जिसके अंदर डापोर डापोर इंटरेक्शन क्लियर है सर डापोर डापोर और जो क्लोरोफॉर्म आपने लिया सर दिस इज chcl3 सर साफ समझ में आता है सर क्लोरोफॉर्म भी एक पोलर मॉलिक्यूल है इसके अंदर भी डापोर डापोर इंटरेक्शन होने चाहिए लेकिन जब आप इन दोनों को मिलाते हैं तो क्या होता है सर जब आप इन दोनों को मिलाते हैं तो ये एसीटोन जब क्लोरोफॉर्म के साथ मिलाया जाता है तो ऐसे में सर एक हाइड्रोजन बॉन्डिंग जैसा अह देखने को मिलता है सर इनके बीच में आपस में अह हाइड्रोजन बॉन्डिंग देखने को मिलती यानी इस बार जो इंटरेक्शन है सर वह हाइड्रोजन बॉन्डिंग का इंटरेक्शन दिस इज़ hb2 के साथ हैं और क्लोरोफॉर्म हमें उड़ने से रोकता है बिकॉज़ ऑफ़ हाइड्रोजन बॉन्ड तो इस बार क्लोरोफॉर्म भी कम उड़ेगा और यह भी कम उड़ेगा जिसकी वजह से जो टोटल वेपर प्रेशर आना चाहिए था आइडियल उससे कम आएगा एंड दैट इज नेगेटिव डेटेड सिस्टम बात समझ रहे हैं इसी तरह से सर hclo3 के अंदर ये हमारा नेगेटिव डिविडो माने जाएंगे क्लियर है अच्छा अब इसी के अंदर अब जैसे ग्राफ भी बना सकते हैं आप ग्राफ अगर ध्यान से देखें तो सर वेपर प्रेशर है अ आइडियल नॉन आइडियल सिस्टम का अगर पॉजिटिव डेविएशन है तो सर वेपर प्रेशर जो है वो आपको बढ़ा हुआ दिखाई देगा बिल्कुल सही है दिस इज पॉजिटिव डेविएशन और अगर आपका नेगेटिव डेविएशन है तो वेपर प्रेशर आइडियल सिचुएशन से घटा हुआ दिखाई देगा तो ये ठीक है सर कब पॉजिटिव कब नेगेटिव डेविएशन सिस्टम बनेगा उसकी कंडीशंस और उसके तरीका भी मैंने तुम्हें सिखाया मैं चाहता क्या हूं कि आप उन एग्जांपल्स को भी ध्यान रखें और एक बार अपने आप प्रिडिक्ट करके देखें कि ऐसा क्यों कहा कि ये आइडियल सिस्टम नहीं होके अ पॉजिटिव डेविएशन डेविएशन को कोई वीक इंटरेक्शन रिप्लेस करने जाएगा मिक्सिंग के बाद तो ऐसे में पक्का पॉजिटिव डिबेटेड सिस्टम बनेगा और कभी भी वीक इंटरेक्शंस को कोई स्ट्रांग इंटरेक्शन रिप्लेस करने जाएगा मिक्सिंग के बाद तो वो पक्का नेगेटिव डिबेटेड सिस्टम बनेगा क्लियर है ठीक है चलिए सर नेक्स्ट पॉइंट पर आते हैं नेक्स्ट पॉइंट बहुत सिंपल है अ अब जब आप अ एजियो ट्रॉप्स की बात करते हैं तो सर एजियो कॉपिक मिक्सचर एक यूनिक मिक्सचर है जिसमें ये कहा जाता है कि आप किसी भी मिक्सचर को बाइनरी सिस्टम की अगर मैं बात करूं तो किसी भी बाइनरी सिस्टम में जो दो कंपोनेंट्स हैं उन दो कंपोनेंट को किसी एक पर्टिकुलर कंपोजीशन से ज्यादा सेपरेट नहीं कर सकते अगर आप फ्रेक्शनल डिस्टलेशन कर रहे है तो मैंने का मतलब क देखिए ऐसा है अगर मैं जनरल सिचुएशन की बात करूं तो जनरल आइडियल सिचुएशन की बात करूं तो आइडियल सिचुएशन क्या कहती है आइडियल सिचुएशन यह कहती है आइडियल सिचुएशन यह कहती है कि अगर आइडियल सिचुएशन ये कहती है कि अगर मान लीजिए अ आपने अ दो कंपोनेंट्स ले रखे हैं अब ऐसे ही समझा समझने की कोशिश करते हैं यह अभी आपने जो कर्व बनाया था उसी को एक बार समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह आइडियल सिचुएशन थी जिसमें आपने वेपर प्रेशर को डिफाइन किया था कि जो टोटल वेपर प्रेशर है वो प न का काए प्लस पब नॉट का बी से देखने को मिले ठीक है सर अ आइडियल सिचुएशन ठीक है थोड़ी सी आसान सी सिचुएशन है अब लेकिन सर अगर इसी में इसी और इसमें आपने किया क्या है सर ये हमारा मान लीजिए प्योर स्टेट का वेपर प्रेशर है p1 न ये हमारे सेकंड कंपोनेंट के प्योर स्टेट का वेपर प्रेशर है और ये जो टोटल वेपर प्रेशर है pt1 नॉ * i1 ् pb02 नॉ * का2 से निकाला जाता है बिल्कुल सही ठीक है ये आइडियल सिचुएशन अब अगर मैं थोड़ा सा समझता हूं बात को अगर इसी आइडियल सिचुएशन के बारे में मैं कुछ ऐसा सोचूं कि भाई देखिए ऐसा है कि मैं एक फ्रैक्शन डिस्टलेशन प्रोसेस फॉलो करता हूं दो कंपोनेंट्स को एक दूसरे से सेपरेट करने के लिए तो देखो थोड़ा सा समझना बड़ा आसान है कोशिश कर रहे हैं एक बार समझाने की हालांकि अब बहुत ज्यादा डिटेल में नहीं समझाया जा सकता यहां पर लेकिन फिर भी एक बार एक छोटी सी कोशिश कर रहे है इसको समझाने की कि मान लीजिए यह मेरा एक आइडियल सिचुएशन है इस आइडियल सिचुएशन में सर ये हमारा p1 नॉ है ये मान लेते हैं हमारा p2 नॉ है और ये हमारा अ मान लीजिए हमारा ये वेपर फेज है लिक्विड फेज है और ये हमारा वेपर फेज क्लियर है यानी कहने का मतलब ये हुआ कि बीच में हमारा लिक्विड प्लस वेपर फेज है दिस इज लिक्विड प्लस वेपर है ना तो अब ये कह क्या रहा है ये वेपर का कंपोजीशन चल रहा है और ये लिक्विड का कंपोजीशन चल रहा है ठीक तो किसी एक कंपोजीशन की बात करते हैं मान लीजिए मैं किसी भी एक कंपोजीशन की बात करता हूं इस कंपोजीशन की बात करते हैं है ना कोई सिंपल सा ले ये कंपोजीशन तो इस कंपोजीशन पर टोटल वेपर प्रेशर क्या होगा सर आइडियल सिचुएशन में टोटल वेपर प्रेशर ये है सर इस कंपोजीशन का टोटल वेपर प्रेशर तो इस दिस इज व्हाट सर दिस इज x1 x2 यानी ये लिक्विड फेस का कंपोजीशन x1 x2 ठीक अब अगर मैं ये कहूं कि इसी वेपर प्रेशर की जिसकी आप बात कर रहे हैं इस वेपर प्रेशर के टाइम पर वेपर का कंपोजीशन क्या होगा तो सर अगर आप वेपर का कंपोजीशन निकालना चाहते हैं तो इसी लाइन को वेपर की तरफ ले जाइए और ले जाने के बाद सर इसको जो है नीचे ले आइए सर ये ये आपका वेपर का कंपोजीशन हो गया ये देखिए दिस इज द कंपोजीशन यानी कहने का मतलब क्या हुआ और ये बच्चों को बिल्कुल समझ में बहुत बहुत मुश्किल से आता है तो उनको यही नहीं समझ में आता ये ग्राफ वन क्या रहा है तो इसको थोड़ा समझने की कोशिश करना ये x1 x2 है लिक्विड फेस का कंपोजीशन इस लिक्विड फेस के कंपोजीशन पर वेपर का कंपोजीशन क्या होगा तो सर लिक्विड फेस के कंपोजीशन को आप ऊपर लेके जाइए ऊपर ले वेपर प्रेशर निकालिए उसी वेपर प्रेशर की वे कंपोजीशन उसी वेपर प्रेशर पर वेपर्स का कंपोजीशन क्या है तो आप उसी लाइन को आप पैरेलली आगे बढ़ाइए और नीचे गिर जाइए तो यानी ये y1 y2 है यानी जिस टाइम पर x1 x2 रहा होगा उस टाइम पर y1 y2 ये रहा होगा आप समझ रहे हैं ठीक है अच्छा अब मैं जो समझाना चाह रहा हूं वो ये है कि अब अगर मैं मान लीजिए मैं उसी y1 y2 को फिर से कंडेंस कर दूं यानी अब मैं फ्रैक्शन डिस्टलेशन करना चाहता हूं वो क्या है स्टीम डिस्टलेशन जिसको आप बोल सकते हैं कि बार-बार लिक्विड का कंपोजीशन लिया उसको उड़ाया उड़ाने के बाद उसको जो वेपर्स बनी उनको फिर से कंडेंस कर लिया फिर कंडेंस करने के बाद फिर वो वेपर में कन्वर्ट होगा उन वेपर्स को फिर से कंडेंस कर लिया यानी ये काम आप बार-बार कर रहा है तो जब ये काम आप बार-बार करेंगे तो क्या होगा जरा समझना ये y1 y2 है जिस टाइम पर x1 x2 था उस टाइम पर वेपर का कंपोजीशन y1 y2 था अब आपने इस वेपर के कंपोजीशन को कंडेंस कर लिया तो अब ये फिर से क्या बन गया लिक्विड तो अब यह फिर से नया क्या बन गया उस नए लिक्विड का x1 x2 बन गया और x1 x2 पता होते ही आपको टोटल प्रेशर पता चल जाता है तो सर टोटल प्रेशर क्या निकल के आएगा सर x1 x2 पता चलते ही ये टोटल प्रेशर होगा सर ये देखिए ये इस टाइम पर यानी ये अब y1 y2 नहीं रहा ये दूसरे लिक्विड का जो ये आपने कंडेंस किया उस लिक्विड का x1 x2 है और x1 x2 के बाद आपको प्रेशर कैसे पता चलता है वेपर प्रेशर आप इसी लाइन को ऊपर उठा देते हैं अब बताइए ये वेप प्रेशर आपका आ गया इस टाइम पर वेपर का कंपोजीशन क्या होगा सर जैसा कि आपने बताया सर इसी लाइन को आगे बढ़ा दीजिएगा सर ये आपका वेपर का कंपोजीशन आ जाएगा और आप इसको नीचे गिरा दीजिएगा सर ये आपका अ वेपर का कंपोजीशन आ गया सर दिस इज द कंपोजीशन ऑफ द वेपर क्लियर फिर क्या होगा सर आप इसको इस इस वेपर के कंपोजीशन को फिर से जमा लीजिएगा जब आप इसको फिर से जमाए तो एक तीसरा लिक्विड बनेगा उस तीसरे लिक्विड का ये x1 x2 बनेगा उस x1 x2 का टोटल प्रेशर कितना होगा सर इसी लाइन को ऊपर उठा लीजिएगा आपको टोटल प्रेशर पता चल जाएगा ये लीजिए ये पता चल गया और सर यहां पर फिर से लिक्विड का वेपर का कंपोजीशन क्या होगा सर इस लाइन को आगे बढ़ाइए और इसको नीचे ले जाइए सर ये आपका वेपर पर कंपोजीशन आ जाएगा मैं ये बताना चाह रहा हूं कि जब आप किसी आइडियल सिस्टम की बात करते हैं तो उस आइडियल सॉल्यूशन के लिए आप उसको बार-बार फ्रेक्शनल डिस्टलेट करके या स्टीम डिस्टलेशन करके आप जिसे आप डिस्टलेशन प्रोसेस कहते हैं उस टाइम पर आप एक प्योर कंपोनेंट हासिल कर सकते हैं यानी जैसे-जैसे आप ये काम करते रहेंगे लिक्विड का मिक्सचर लिया दो लिक्विड्स को मिलाया आइडियल सॉल्यूशन बना जो वेपर बनी उनको कंडेंस कर लिया फिर इससे जो वेपर बनी उनको कंडेंस कर लिया फिर इससे जो वेपर बनी उनको कंडेंस कर लिया तो एक टाइम ऐसा आता है कि आप धीरे-धीरे धीरे-धीरे उस लिक्विड की तरफ पहुंच जाते हैं जिसका वेपर प्रेशर ऑलरेडी ज्यादा था और वो प्योर मिलने लगता है आप समझ रहे हैं आप देख रहे हैं ये सिस्टम लगातार ये सिस्टम जो आपका था ये लगातार एनरिच होता चला जा रहा है किसी एक कॉम्पोनेंट के रेस्पेक्ट में और वो कंपोनेंट वो कॉम्पोनेंट है जिसका ऑलरेडी वेपर प्रेशर बहुत ज्यादा है आप समझ रहे हैं जिसका वेपर प्रेशर इन दोनों में ज्यादा था यानी आइडियल सिस्टम के लिए कहा जाता है कि आप इस फ्रेक्शनल डिस्टलेशन को अगर आप बार-बार अंजाम देते हैं तो आपको लास्ट वाले बर्तन में एक प्योर कॉम्पोनेंट वन और टू में से एक प्योर कंपोनेंट मिल जाएगा और वो कंपोनेंट वो होगा जिसका वेपर प्रेशर पहले से ज्यादा था यानी जो मोर वोलेटाइल होगा वो आपको लास्ट में मिल जाएगा क्लियर है ये वाली बात लेकिन सर अगर आप नॉन आइडियल सिस्टम लेते हैं तो नॉन आइडियल सिस्टम में ऐसा देखने को आपको नहीं मिलता अगर आप नॉन आइडियल सिस्टम लेते हैं मान लीजिए जैसे मैं आप पॉजिटिव डेविएशन सम लेता हूं तो अगर आप पॉजिटिव डेविएशन सेम काम दोबारा काम करते हैं किसी नॉन आइडियल सिस्टम के अंदर तो हम फिर से वही हरकत कर रहे हैं किसी नॉन आइडियल सिस्टम के अंदर मान लीजिए कुछ ऐसे ले लेते हैं है ना तो हम जानते ही है कि नॉन आइडल सिस्टम कैसा होगा सर नॉन आइल सिस्टम ये ठीक फिर व सर यह ऊपर लिक्विड की लाइन है सॉरी ये वेपर की लाइन है ये लिक्विड की लाइन अरे यह लिक्विड ये वेपर ठीक और ये हमारा फिर वही है ये कंपोजीशन वेपर का है और ये ऊपर लिक्विड का है ठीक अब क्या होगा सर फिर वही है सर आप एक पर्टिकुलर कंपोजीशन लेके आइए मान लीजिए ये कंपोजीशन ले लेते हैं अब इसको देखो थोड़ा सा ऐसे रफ रफ बनाते हैं इस कंपोजीशन पर वेपर प्रेशर कितना होगा सर टोटल ये लिक्विड वेपर का कंपोजीशन क्या होगा सर ये फिर आपने इसी कंपोजीशन को कंडेंस किया तो नया वेपर प्रेशर आया ये फिर आगे गए फिर आगे गए फिर आगे गए फिर आगे फिर आगे गए फिर आगे गए फिर आगे गए फिर आगे गए और अब आप यहां पर जाकर रुक गए यानी मैं यह बताना चाह रहा हूं कि इस कंपोजीशन से ज्यादा आप इन दोनों लिक्विड्स को सेपरेट कर ही नहीं पाएंगे मैं ये बता आइडियल सिस्टम में क्या था आगे गए जैसे अभी आ इसी के पैल अगर आइडियल सिस्टम बनाता हूं तो क्या होगा बिल्कुल इसी के पैरेलली एक बार आइडियल सिस्टम बना के देखता हूं बिल्कुल पैरेलली आइडियल सिस्टम बनाते हैं तो कैसा दिखेगा बिल्कुल पैरेलली अगर आप इसके आइडियल सिस्टम बनाते हैं तो यह ऐसा दिखाई देगा जरा समझना अने ये आइडियल सिस्टम अब इसमें क्या था देखो ऐसे इसमें भी वैसे ही रफ करते हैं अ किसी एक पर्टिकुलर कंपोजीशन आपने स्टार्ट किया आगे गए ऊपर गए और आगे गए और ऊपर गए और आगे गए और ऊपर गए आपको एक फिक्स कंपोनेंट एक पर्टिकुलर कंपोनेंट मिल जाएगा वो कंपोनेंट वन और टू में से जो ज्यादा वोलेटाइल है वो आपको मिल जाएगा ये आइडियल सिचुएशन थी सर लेकिन नॉन आइडियल सिचुएशन क्या कहती है सर नॉन आइडियल सिचुएशन ये कहती है कि जो लार्जली डेविएशन सम होते हैं पॉजिटिव डेविएशन डेविएशन में मिक्स कर दीजिए सर और फिर आप उसका फ्रेक्शनल डिस्टलेशन करिए तो सर धीरे-धीरे करके एक टाइम ऐसा आता है कि आप एक ऐसा सिस्टम पाते हैं जिसको आप उस सिस्टम को उससे ज्यादा सेपरेशन दे ही नहीं सकते यानी एक ऐसा कंपोजीशन आपको मिल जाता है जिस कंपोजीशन से ज्यादा आप उसको प्यूरिफाई उनको सेपरेट कर ही नहीं सकते यहां पर क्या है सर दो लोग आपने लिए एक मान लीजिए ये वाला कंपोजीशन लिया और इस कंपोजीशन से आपने फ्रेक्शनल डिस्टलेशन स्टार्ट किया खट खट खट खट धीरे-धीरे करके 1012 बार आपको सेपरेशन मिल जाएगा एक लिक्विड अलग हो जाएगा दूसरा लिक्विड अलग हो जाएगा लेकिन यहां ऐसा नहीं हो पाएगा क्यों नहीं हो पाएगा क्योंकि सर आप जब ये काम करना शुरू करेंगे तो एक ऐसा पॉइंट आ जाएगा जिस पॉइंट पर आप एजोट्रॉपिक मिक्सचर पा जाएंगे और उस एजोट्रॉपिक मिक्सचर का एक फिक्स कंपोजीशन होगा इस कंपोजीशन से ज्यादा आप उन दो लिक्विड्स को सेपरेट कर ही नहीं पाएंगे सर अगर मैं पहले से ही कंपोजीशन ये वाला ले लूं बात तो सही है अगर आप पहले से ही ये वाला कंपोजीशन ले लें तो क्या होगा तब तो इससे ज्यादा सेपरेशन हो गया अगर आप ये वाला कंपोजीशन लेके आएंगे तो क्या होगा जरा देखते हैं अगर आप ये वाला कंपोजीशन लेके आएंगे तो फिर वही बकवास चालू होगी जरा समझना ली वेपर का कंपोजीशन ये लिक्विड का ये इसका इसका फिर से वहीं पहुंच गए सर आपको जैसे करना है आप वैसे कर लीजिए लेकिन आप कहीं से भी चलिए पहुंचना आपको यही होगा सर यानी इस कंपोजीशन से ज्यादा कंपोजीशन आप इन दो लोगों को सेपरेट कर ही नहीं सकते एंड दैट मिक्सचर इज नोन एज एजोट्रॉपिक मिक्सचर यानी अब ये मिक्सचर एक ऐसा मिक्सचर है जो इस तरह से बिहेव करेगा जैसे लिक्विड फेज का जो कंपोजीशन है वही वेपर फेज का भी कंपोजीशन है देख ना इस कॉमन पॉइंट पर लिक्विड और वेपर का कंपोजीशन सेम है सर इस कॉमन पॉइंट पर लिक्विड और वेपर का कंपोजीशन सेम बन जाता है सर ये सिस्टम एक आइडियल एक एक एक प्योर लिक्विड की तरह बॉयल करने लगता है अब आप अगर ये सोचे कि इससे ज्यादा इसको सेपरेट कर पाएंगे इसका बॉयलिक बदल पाएंगे अब कुछ नहीं हो पाएगा मेरी बात सब लोग समझ रहे हैं तो मैं ये बताना चाह रहा हूं कि सर ये एक यूनिक सा कांसेप्ट है एजोट्रॉपिक मिक्सचर का जो जो तुम्हें मैं समझाना चाह रहा था वो ये था कि अगर आप a और b को मिक्स करके आग लगाते हैं तो ऊपर a ज्यादा आएगा मान लो a ज्यादा वोलेटाइल है तो a ज्यादा आएगा b कम आएगा फिर आप इ इन वेपर्स को कंडेंस कर लेंगे तो यहां 2a है ऐसे समझाने के लिए लिखा है 2a और एक b तो यहां पर कितने आ जाएंगे 2a और एक b फिर आप गर्म करेंगे तो ऊपर a ज्यादा आएगा क्योंकि a ज्यादा वोलेटाइल है तो 3a एक b फिर इन इनको कंडेंस करेंगे तो फिर यहां 3a एक b आ जाएगा जो यहां है वही तो नीचे जम गया समझ रहे हैं अब आप ये और उड़ेगा तो यहां चा ए आ जाएंगे इनको जमा देंगे यहां चार ए आ जाएंगे इनको उड़ा दें अब हो क्या रहा है सर यहां भी चा a है और जो उड़ने के बाद यहां भी 4a जब आप इसको जमाए तो सर यहां भी 4a है यहां भी 4a आएगा सर अब ये 4a और एक b सर फिक्स हो गया सर अब 4a और एक ब से ज्यादा इनको सेपरेट नहीं कर पाएंगे दिस मिक्सचर इज नोन एज एज योर ड्रॉपिंग मिक्सचर और अगर यही आइडियल सॉल्यूशन होता तो सर चार पांच छह ए साते ए आठे नौ ए और एक टाइम ऐसा आएगा ए ए ए ए ए बी खत्म समझ रहे बात को एंड दैट इज आइडियल सिचुएशन मेरी बात सब लोग समझ रहे तो दिस इज अ एजोट्रॉपिक मिक्सचर जो जिसके लिए यही एक चीज बोली जाती है जिसमें कि आप एजोट्रॉपिक मिक्सचर एक ऐसा मिक्सचर है जो कि एक फिक्स कंपोजीशन का मिक्सचर है अ जिसमें लिक्विड फेज का कंपोजीशन और वेपर फेस का कंपोजीशन फिक्स होता है और आप किसी भी नॉन आइडियल सिस्टम में लार्जली पॉजिटिव डेविएशन के अंदर ही एजोट्रॉपिक मिक्सचर बना सकते हैं अगर पॉजिटिव डिविडो बॉइज प्रॉप बनेगा क्योंकि वेपर प्रेशर के ज्यादा होने से बॉयलिक कम हो जाता है तो अगर पॉजिटिव डेविएशन सिस्टम है तो वो अ मिनिमम बॉयलिक एजोट्रॉपिक मिक्सचर बनाएगा और अगर नेगेटिव डेविड अ अ सॉल्यूशन है तो वो मैक्सिमम बॉयलिक पिक मिक्सचर बनाएगा सिर्फ इतनी सी बात आपको एजोट्रॉपिक मिक्सचर के लिए याद रखनी है क्लियर है चलिए सर नेक्स्ट पॉइंट पर आते हैं नेक्स्ट पॉइंट है हमारी कोलिगेटिव प्रॉपर्टी कोलिगेटिव प्रॉपर्टी क्या है सर कोलिगेटिव प्रॉपर्टीज वो प्रॉपर्टीज हैं जो सॉल्यूट के अ नंबर्स के ऊपर डिपेंड करती हैं जितने ज्यादा सॉल्यूट पार्टिकल्स लिए जाएंगे उतनी ज्यादा उसकी कोलिगेटिव प्रॉपर्टी होगी और ये कुल मिला के देखे जाए तो हमारे लिए चार तरह के आते हैं एक रिलेटिव लोवर एलिवेशन क्वाइलिंग पॉइंट डिप्रेशन फ्रीजिंग पॉइंट एंड ऑस्मोटिक प्रेशर अब एलिवेशन इन और लो रिलेटिव लोवर ऑफ वेपर प्रेशर क्या है सर बहुत ओबवियस है सर अभी बात हुई थी हमारी कि जब कभी भी सॉल्यूट को सॉल्वेंट के अंदर डिजॉल्वेशन होगा वो डिक्रीज कर जाएगा यानी एक चीज क्लियर है एक कॉम्पोनेंट का जो वेपर प्रेशर है वो k1 * p1 नॉ होगा दूसरा कॉम्पोनेंट हमारा नॉन वोलेटाइल है क्योंकि हम जितनी भी कोलिगेटिव प्रॉपर्टीज डिफाइन करते हैं वो नॉन वोलेटाइल सॉल्यूट्स के लिए ही डिफाइन की जाती है इसका मतलब हुआ सर एक ही कॉम्पोनेंट उड़ेगा समझ रहे हैं और एक कॉम्पोनेंट का जो प्रेशर होगा वो राउट्स लॉ के अकॉर्डिंग्ली k1 * p1 होगा और k1 की वैल्यू हमेशा वन से छोटी होगी तो यानी जो टोटल वेपर प्रेशर है वो p1 न से कम आ जाएगा आप समझ रहे हैं यानी जब अकेले थे तो प्रेशर p1 न था और जब नॉन वोलेटाइल सॉल्यूट के साथ मिल गए तो हमारा प्रेशर p1 हो गया और p1 p1 नॉट से कम हो गया यानी जब कभी भी नॉन वोलेटाइल सॉल्यूट को वोलेटाइल सॉल्वेंट में डिजॉल्वेशन का जो वेपर प्रेशर होगा वो डिक्रीज कर जाएगा एंड दिस इज लोंग इन वेपर प्रेशर रिलेटिव लोंग क्या होगी सर जितना प्रेशर था ओरिजनली जितना अब है उनको माइनस कर दिया जाए और ओरिजिनल प्रेशर से डिवाइड कर दिया जाए दैट इज रिलेटिव लोवर यानी अगर मैं रिलेटिव लोवर रिंग की बात करूं तो रिलेटिव लोंग ऑफ वेपर प्रेशर क्या निकल के आता है जितना पहले था हमारे पास p1 न जितना अब हो गया p1 डिवाइडेड बाय जितना पहले था p1 नॉ एंड दिस इज रिलेटिव लो रिंग ऑफ वेपर प्रेशर दिस इज इक्वल टू ये किसके बराबर होगा दिस इज इक्वल टू काई सॉल्यूट जिसको आप लिख सकते हैं n सॉल्यूट डिवाइडेड बाय n सॉल्यूट प्लस n सॉल्वेंट फॉर डाइल्यूटेड सॉल्यूशंस फॉर हाईली डाइल्यूटेड सॉल्यूशंस की अगर आप बात करें n सॉल्यूट जो होगा वो n सॉल्वेंट से काफी कम होगा तो ऐसे में आप रफल रफ p10 - p1 / p10 को n सॉल्यूट / n सॉल्वेंट भी कह सकते हैं लेकिन ऐसा तब होगा जब आपका अ हाईली डाइल्यूटेड सिस्टम होगा या आपको सवाल में बोला जाएगा कि सॉल्यूट के मोल्स जो है वो सॉल्वेंट से बहुत कम है एंड दिस इज रिलेटिव लोवर रिंग पहले ये था बाद में ये हो गया दिस इज लो रिंग डिवाइडेड बाय ओरिजिनल दैट इज रिलेटिव लोवर रिंग सो दिस इज रिलेटिव लोवर रिंग ऑफ वेपर प्रेशर जो कि सॉल्यूट के मोल्स और सॉल्वेंट के मोल्स की मदद से कैलकुलेट किया जाता है बहुत आसान है बहुत सिंपल तरीके से निकाला जा सकता है और इसी में फिर आप समझ भी रहे होंगे इसी में फिर हम मॉलिक्यूलर वेट्स की भी बात कर सकते हैं जैसे कि यहां पर n सॉल्यूट है तो n सॉल्यूट को लिख सकते हैं वेट ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय मॉलिक्यूलर वेट ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय वेट ऑफ सॉल्वेंट डिवाइडेड बाय मॉलिक्यूलर वेट ऑफ़ सॉल्वेंट तो ये आप देख रहे होंगे मेरे ख्याल से कुल मिला के छह वेरिएबल हैं एक p1 न है एक p1 है एक वेट है एक वेट है एक मोलर मास एक मोलर मास यानी कुल मिला के छह लोग हैं उन छह में से कोई भी पांच दे दिया जाता है छठा हमसे पूछ लिया जाता है स थोड़ी सी गणित गुणित लगा के सॉल्व कर लेते हैं कुछ खास तो है नहीं बड़ा आसान सेकंड कोलिगेटिव प्रॉपर्टी आती है बलिंग बॉलिंग पॉइंट एलिवेशन बहुत सिंपल है बॉयलिक एलिवेशन क्या है जब भी कभी आप नॉन वोलेटाइल सॉल्यूट को वोलेटाइल सॉल्वेंट में डिजॉल्वेशन का बॉयलिक एलीवेट कर जाएगा एंड दिस इज क्वाइट लॉजिकल क्यों क्योंकि सर अभी आपने बताया कि नॉन वोलेटाइल सॉल्यूट को वोलेटाइल सॉल्वेंट में डिजॉल्वेशन डिक्रीज कर जाता है और जब वेपर प्रेशर डिक्रीज कर जाएगा तो बॉयलिक एलीवेट कर जाएगा क्यों क्योंकि बॉयलिक वो पॉइंट है है जब लिक्विड का वेपर प्रेशर एटमॉस्फेरिक प्रेशर के बराबर हो आप समझ रहे हैं यानी जिस टाइम पर लिक्विड का वेपर प्रेशर एटमॉस्फेरिक प्रेशर के बराबर होता है उस टाइम पर बॉयलिक होती है और क्योंकि लिक्विड का वेपर प्रेशर ऑलरेडी कम हो चुका है इसलिए एटमॉस्फेरिक प्रेशर तक जाने में आपको ज्यादा टाइम लगेगा ज्यादा हीट देनी पड़ेगी एंड दैट इज योर बॉलिंग पॉइंट इंक्रीजस क्लियर समझ में आ गया तो ये बहुत सिंपल सा कांसेप्ट है वेपर प्रेशर ऑफ द सॉल्वेंट डिक्रीज बिल्कुल सही है द बॉयलिक ऑफ द सॉल्यूशन इज इंक्रीजड ड्यू टू अ डिक्री इन द वेपर प्रेशर तो आप इस बात को ग्राफिकली भी समझ सकते हैं कि अगर आप ये एटमॉस्फेरिक प्रेशर सपोज दिस इज वन 013 और 1 एए ऑ प्रेशर ठीक तो अब अगर आप किसी भी प्योर सॉल्वेंट को लेते हैं तो जैसे-जैसे टेंपरेचर बढ़ता जाएगा वेपर प्रेशर बढ़ता जाएगा और एक पॉइंट ऐसा आएगा जब वो एटमॉस्फेरिक प्रेशर को टच करेगा वो जो टेंपरेचर है दैट इज द बॉयलिक पॉइंट ऑफ प्योर सॉल्वेंट ठीक अब आप उसमें एक चम्मच चीनी डाल देंगे तो क्या होगा सर जब आप उसमें एक चम्मच चीनी डालेंगे तो सॉल्यूशन बनेगा चीनी का जो वेपर प्रेशर है सर सॉल्यूशन का जो वेपर प्रेशर वो कम होता है अभी आपने बताया था तो इसका मतलब है कि अब अब जो सॉल्वेंट का वेपर प्रेशर की लाइन है उसके नीचे सॉल्यूशन की वेपर प्रेशर की लाइन चलेगी और 1m को वो टच यहां करेगी अब जब 1m को आप यहां टच करेंगे तो वो कौन सा टेंपरेचर होगा वो ये टेंपरेचर होगा और ये टेंपरेचर इस टेंपरेचर से ज्यादा होगा सो दिस इज एलिवेशन सर ये एलिवेशन है सर दिस इज डेल्टा t ब दिस डेल्टा t ब इज एलिवेशन इसे आप एलिवेशन कहेंगे और ये जो डेल्टा t ब है ये मो अ सॉल्यूट के पार्टिकल्स के ऊपर डिपेंड करेगा क्योंकि जितना ज्यादा चीनी बढ़ती जाएगी सर और उतना ज्यादा जो है वो एलिवेशन बढ़ता जाएगा अब क्लियर है समझ में आ रहा है तो जितना ज्यादा सॉल्यूट बढ़ता जाएगा उतना ज्यादा डेल्टा t भी बढ़ता जाएगा सो डेल्टा t ब इज डायरेक्टली प्रोपो डेल्टा टीबी इज अ कोलिगेटिव प्रॉपर्टी अब अगर आप इसको निकालना चाहते हैं तो आपको पता है डेल्टा टीबी जो है वो मोलर मोलालिटी के साथ लिंक होता है आप डेल्टा t ब इज डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू मोलालिटी करके कैलकुलेट कर सकते हैं अगर इक्वलिटी की बात करें तो एक कांस्टेंट आएगा जिसको इबल स्कोपिक कांस्टेंट कहा जाता है या मोलर एलिवेशन ऑफ बॉलिंग पॉइंट कहा जाता है और इसकी वैल्यू जली सवालों में दी जाती है जहां नहीं दी जाती है वहां पर आप इसकी वैल्यू कैलकुलेट भी कर सकते हैं और इसकी वैल्यू इस्कोप कांस्टेंट की वैल्यू अगर आप निकालना चाहते हैं तो वो निकाल भी सकते हैं दैट इज अगर मैं के ब निकालना चाहता हूं इसको भी कांस्टेंट की तो ये m आटी बी स्क्वायर डिवाइडेड बाय डेल्टा एच वेपराइजेशन इनटू 1000 से निकाला जा सकता है एंड दिस इज अ प्रॉपर्टी ऑफ सॉल्यूट सॉल्वेंट ये सिर्फ सॉल्वेंट की प्रॉपर्टी है दिस स्कोपिक कांस्टेंट ये सिर्फ सॉल्वेंट की प्रॉपर्टी है अगर सॉल्वेंट कॉमन है तो चाहे सॉल्यूट कुछ भी डाल दिया जाए केब की वैल्यू फिक्स है प्रॉपर्टी ऑफ सॉल्वेंट दिस इज प्रॉपर्टी ऑफ सॉल्वेंट ओनली समझ रहे बात को यानी m मोलर मास ऑफ सॉल्वेंट t ब जिसको आप t ब नॉट कह रहे थे अभी पीछे ये बॉयलिक पॉइंट ऑफ सॉल्यूट डेल्ट सॉल्वेंट डेल्ट वेपराइजेशन वेपराइजेशन एनर्जी एंथैल्पी ऑफ़ सॉल्वेंट यानी सब कुछ सॉल्वेंट का है तो केब जो निकल के आएगा वो सॉल्वेंट के ऊपर डिपेंड करेगा इसका सॉल्यूट से कोई लेना देना नहीं होगा सि सिमिलरली अगर आप डिप्रेशन की फ्रीजिंग पॉइंट के डिप्रेशन की बात करें तो डिप्रेशन का जो फ्रीजिंग फ्रीजिंग पॉइंट का जो डिप्रेशन है वो फिर से सॉल्यूट पार्टिकल्स के नेचर के ऊपर के नंबर्स के ऊपर डिपेंड करता है क्यों डि फ्रीजिंग पॉइंट का मतलब होता है एक ऐसा पॉइंट जिस पॉइंट पर सॉलिड फेज का और लिक्विड फेस का अ वेपर प्रेशर सेम हो जाता है यानी अ फ्रीजिंग पॉइंट एक ऐसा पॉइंट है जिसमें अ वेपर प्रेशर ऑफ द लिक्विड फेस एंड वेपर प्रेशर ऑफ द सॉलिड फेज इ सेम उसे आप फ्रीजिंग पॉइंट कहते हैं तो सर अगर मैं इसको भी ग्राफिकली समझने की कोशिश करूं तो मुझे समझ में आता है सर जब भी कभी आप सॉल्यूट को डालकर सॉल्वेंट के अंदर जब भी आप उस सिस्टम को जमाते हैं तो सॉल्यूट कभी नहीं जमता सर जमता हमेशा सॉल्वेंट है यानी सॉलिड जो बनेगा जैसे पानी में आपने चीनी डाली तो जो जमेगा वो बर्फ होगी अगर आप चीनी की जगह नमक डालेंगे तो भी जो जमेगा वो बर्फ होगी मेरी मेरी बात समझ रहे हैं यानी जमने का काम हमेशा किसका है वो जमने का काम हमेशा आप ब बफ का है यानी सॉलिड फेज इज ऑलवेज बर्फ तो इसलिए सॉलिड के वेपर प्रेशर की लाइन तो फिक्स हो गई सर दिस इज द लाइन ऑफ वेपर प्रेशर ऑफ अ सॉलिड ये तो फिक्स हो गया सर ये बर्फ की वेपर प्रेशर की लाइन है जो फिक्स हो गई इसको चेंज ही नहीं कर सकते आप हां ये अलग बात है सर चीनी एक चम्मच डाली दो चम्मच डाली तीन चम्मच डाली तो वेपर प्रेशर ऑफ लिक्विड फेज वो चेंज होता रहेगा तो अगर आप प्योर सॉल्वेंट है तो सर ये इस पॉइंट पर जाके लिक्विड का वेपर प्रेशर और सॉलिड का वेपर प्रेशर बराबर होगा एंड दिस इज tf1 ये है प्योर सॉल्वेंट का फ्रीजिंग पॉइंट लेकिन अगर आप एक चम्मच चीनी डालेंगे तो वेपर प्रेशन नीचे आ जाएगा देखा था अब ये जाके आगे बढ़ेगा लेकिन जमेगा तो बर्फ ही तो अब ये सॉलिड फेज यहां जाके मीट कर रहा है यहां पर जो वेपर टेंपरेचर है वो टीए है सर टेंपरेचर तो कम हो गया ना सर ये देखिए और कम हो जाएगा और कम हो जाएगा यानी सर इस बार फिर समझ में आ रहा है कि जैसे-जैसे चीनी बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे फ्रीजिंग पॉइंट कम होता चला जा रहा है लेकिन डिप्रेशन बढ़ता जा रहा है डिप्रेशन मतलब पहले इतना गैप था अब और गैप हो गया अब और गैप हो गया तो फ्रीजिंग पॉइंट कोलिगेटिव प्रॉपर्टी नहीं है सर डेल्टा tf3 क्योंकि मॉलिक्यूल चीनी के बढ़ रहे हैं तो डेल्टा tf2 रहा है इसलिए डेल्टा tf3 सेम कहानी है सर अगर आप कैलकुलेट करना चाहते हैं तो उसी तरह की इक्वेशन से यहां पर भी कैलकुलेट कर सकते हैं डेल्टा tf3 इसमें कांस्टेंट आएगा जिसको आप क्रायोस्कोपिक कांस्टेंट कहेंगे इसकी वैल्यू भी ज्यादातर सवालों में दी जाएगी जिस जगह नहीं दी जाएगी उस जगह पर भी आप कैलकुलेट कर लेंगे और किस मेथड से कैलकुलेट करेंगे फिर वही है t f न स्क्वा डिवाइडेड बाय डेल्टा ए फ्यूजन * 1000 और फिर से यही बोलूंगा प्रॉपर्टी ऑफ सॉल्वेंट दिस इज प्रॉपर्टी ऑफ सॉल्वेंट ये सॉल्वेंट की प्रॉपर्टी क्लियर है अब सारा एक्सप्रेशन आपके सामने है मोलालिटी के बारे में आप जानते हैं मोल्स ऑफ सॉल्यूट डिवाइडेड बाय वेट ऑफ सॉल्वेंट इन केजी आपके पास एक बढ़िया खूबसूरत डेल्टा टीए का एक्सप्रेशन है आप देख सकते हैं कितने वेरिएबल इसके अंदर आएंगे उनमें से वो आपसे क्या जानना चाहता है सर है w2 पूछ सकता है m2 पूछ सकता है w1 पूछ सकता है डेल्टा टीए पूछ सकता है सर सब कुछ कोई भी एक अननोन पूछ लेगा सर दुनिया भर के सवाल बनाए जाते हैं क्लियर है तीसरी कोलिगेटिव प्रॉपर्टी की अगर बात करें तो तीसरी सॉरी चौथी कोलिगेटिव प्रॉपर्टी की बात करें तो दिस इ ऑस्मोटिक प्रेशर सिंपल सी कोलिगेटिव प्रॉपर्टी है जब कभी भी आप किसी भी दो या सॉल्वेंट और सॉल्यूशन ले लेते हैं अगर आप सॉल्वेंट को सॉल्यूशन के साथ एक दूसरे को सेमी परमेबल मेंब्रेन से सेपरेट करें ये सेमी परमेबल मेंब्रेन जो है ये आर्टिफिशियल भी हो सकती हैं और ये नेचुरल भी हो सकते हैं तो एनिमल का ब्लैडर एनिमल ब्लैडर वगैरह या ये जो ये है ये ये ये ये नेचुरल एसपीएम है नेचुरल सेमी परमेबल मेंब्रेन और अगर आप आर्टिफिशियल की बात करें तो कॉपर फेरोसायनाइड वगैरह की भी आर्टिफिशियल मेंब्रेन बनाई जाती है लेकिन ये मेंब्रेन करती क्या है ये मेंब्रेन अलाव करती हैं सॉल्वेंट फ पार्टिकल्स को इधर-उधर निकलने के लिए ये सॉल्वेंट पार्टिकल्स को इधर-उधर निकलने के लिए अलाव करती है ये सॉल्यूट को जो बड़े होते हैं उनको अलाव नहीं करती निकलने के लिए तो जब कभी भी आप सॉल्वेंट और सॉल्यूशन के बीच में एक सेमी परमेबल मेंब्रेन लगाएं तो ऐसा ऑब्जर्व किया जाता है कि सॉल्वेंट जो है उसका फ्लो अ रेट ऑफ फ्लो वो सॉल्वेंट साइड से सॉल्यूशन साइड में ज्यादा हो रहा है यानी अ सॉल्वेंट जो है वो लो कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन साइड से हाई कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन साइड में सॉल्वेंट का फ्लो आपको ज्यादा दिखाई को देता है दिस प्रोसेस इज नोन एज ऑस्मोसिस अब आप ऑस्मोसिस को रोकने के लिए जितना प्रेशर सॉल्यूशन साइड में पहले से लगा के बैठ जाएं दैट इज नोन एज ऑस्मोटिक प्रेशर यानी ऑस्मोसिस स्टार्ट ही ना हो उसे आप ऑस्मोटिक ो ऑस्मोटिक प्रेशर का नाम दे देंगे यानी कहने का मतलब क्या हुआ कहने का मतलब यह है कि मान लीजिए जैसे ये एक सिस्टम है जिसे सॉल्यूशन बोल रहे हैं और ये मान लीजिए सॉल्वेंट है दिस इज सेमी परमेबल मेंब्रेन ठीक तो अगर मैंने मान लीजिए अ कुछ ना किया तो होगा क्या सर अगर आप कुछ नहीं करते हैं तो ये जो सॉल्वेंट है सर इधर की तरफ भागेगा सर तो फिर ओबवियसली सर जब वो इधर की तरफ भागेगा तो इसे ऑस्मोसिस कहेंगे अब वो ये कह रहा है कि देखिए ऐसा है मैं पहले से ही इस सॉल्यूशन साइट के ऊपर एक एक्स्ट्रा प्रेशर लगा दूंगा दिस इज एक्स्ट्रा प्रेशर एक्स एक्स्ट्रा प्रेशर टू अवॉइड व्हाट टू अवॉइड ऑस्मोसिस मैं ऑस्मोसिस को होने ही नहीं दूंगा मैं पहले से ही इसके ऊपर प्रेशर लगा दूंगा ताकि इधर से इधर के सॉल्वेंट का फ्लो और इधर से इधर का सॉल्वेंट का फ्लो का रेट बराबर हो जाए यानी आप ये कह रहे थे पहले ये रेट ज्यादा है मैं होने ही नहीं दूंगा ज्यादा मैं पहले से ही ज्यादा प्रेशर लगाकर इस रेट को कम करने की कोशिश कर दूंगा और इसको बढ़ाने की सर पहले ही इक्विलियम सेट हो जाएगा सर जिस रेट से ये आगे जा रहा है उसी रेट से पीछे आ रहा है यानी अब ऑस्मोसिस होती हुई नजर ही नहीं आएगी तो वो एक्स्ट्रा प्रेशर जो हाई कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन साइट के ऊपर लगाया जाए जिसकी वजह से ऑस्मोसिस स्टार्ट ही ना हो उसको हम ऑस्मोटिक प्रेशर का नाम देते हैं और एक्सपेरिमेंटली ऐसा ऑब्जर्व किया गया है कि दिस ऑस्मोटिक प्रेशर इज डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू द मोलेरिटी ऑफ द सॉल्यूशन तो जितनी ज्यादा मोलेरिटी उतना ज्यादा ऑस्मोटिक प्रेशर दिस इज अगेन अ कोलिगेटिव प्रॉपर्टी क्लियर है दूसरी बात फिर वही है सर अ अब इसमें जो जो चेंजेज है वो आपको दिखाई दे रहे हैं सर मोलालिटी के अंदर मोल्स ऑफ सॉल्यूट और वल वॉल्यूम ऑफ सॉल्यूशन वगैरह आते हैं सर वो वेरिएबल आपसे पूछे जा सकते हैं आप कैसे भी सवाल बना सकते हैं तीसरा जो नेक्स्ट छोटा सा पॉइंट आता है वो है उसके अंदर कि अगर दो सॉल्यूशंस ऐसे हैं जो कि सेम कंसंट्रेशन वाले हैं सेम ऑस्मोटिक प्रेशर वाले हैं तो वो आइसोटोनिक होंगे अगर वो ऑस्मोटिक प्रेशर किसी एक का ज्यादा है तो वो हाइपरटॉनिक किसी एक का कम है तो वो हाइपोटोनिक सॉल्यूशन के नाम से जाना जाएगा जिनके कुछ एग्जांपल्स भी यहां पर लिखे गए हैं जैसे कि आप देख रहे हैं अ द सॉल्ट कंसंट्रेशन इज लेस दन 9 द सॉल्यूशन इज सेड टू बी हाइपोटोनिक इन दिस केस वाटर विल फ्लो इन टू द सेल्स इफ प्लेज इन दिस सॉल्यूशन एंड दे वुड स्वेल यानी जो ब्लड सेल्स होती हैं अगर मैं उन सेल्स को इस तरह के सॉल्यूशंस में रख दूं तो ऐसे में ये ब्लड सेल्स जिनका अ जो जो कि हाइपोटोनिक है ये जो सॉल्यूशन हाइपोटोनिक है वो ब्लड सेल्स के अंदर फ्लो करेगा और ब्लड सेल के अंदर फ्लो करेगा तो से सेल्स जो है वो फ्लो कर जाएगी अ स्वेल कर जाएंगे और इसी का उल्टा कुछ यहां पर लिखा गया है आप क्लियर है समझ रहे बात को यानी हाई कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन साइट की तरफ लो कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन से सॉल्वेंट निकलता है और हाई कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन साइड में मूव करता है आप इसको ऐसे समझ सकते हैं जैसे किशमिश को पानी में डालते हैं तो क्या होता है आपको पता है किशमिश फूल जाती है तो किशमिश हाई कंसंट्रेटेड है पानी हमारा लो कंसंट्रेटेड है तो पानी का फ्लो कहां से हुआ लो सॉल्यूशन से लो कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन से हाई कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन के अंदर क्लियर जिसे आप ऑस्मोसिस का नाम देते हैं समझ में आ गया नेक्स्ट पॉइंट रिवर्स ऑस्मोसिस बहुत सीधा है आप ये कह रहे थे सर हाई कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन साइट पर आप एक एक्स्ट्रा प्रेशर लगा दीजिए जिसकी वजह से ऑस्मोसिस ना हो बिल्कुल सही सर अगर और ज्यादा प्रेशर लगा देंगे तो क्या होगा और ज्यादा प्रेशर लगा देंगे तो उल्टा काम चालू हो जाएगा आपने कहा था कि आप इतना प्रेशर लगाइए ताकि ये मेंटेन हो जाए लेकिन अगर आप और ज्यादा प्रेशर लगा देंगे तो सर उल्टा काम चालू हो जाएगा जिसको आप क्या बोलते हैं रिवर्स ऑस्मोसिस यानी हाई कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन साइड में ऑस्मोटिक प्रेशर से ज्यादा प्रेशर लगाने से आपको सॉल्वेंट का फ्लो हाई कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन से लो कंसंट्रेटेड सॉल्यूशन की तरफ देखने को मिलता है जिसको आप रिवर्स ऑस्मोसिस का नाम देते हैं क्लियर है बिल्कुल आसान हो गया नेक्स्ट पॉइंट की बात करते हैं नेक्स्ट पॉइंट बहुत सिंपल है एट इ वट फैक्टर यह कहते हैं य सारा काम जो आपने किया है यह सारा काम करने के बाद अगर मैं आपसे यह पूछूं कि बताइए डेल्टा टी बी क्या है या डेल्टा टीएफ कैसे निकालो तो आप क्या बोलोगे सर मैं यह फार्मूला लगाऊंगा कि भाई अगर आप डेल्टा टी बी निकालना चाहते हैं तो मैं के बी इनटू मोलालिटी से यह काम चला लूंगा तो उसने कहा कि मोलालिटी निकालने के लिए आप क्या करेंगे तो मैंने कहा मोलालिटी निकालने के लिए आप मुझे मोल्स ऑफ सॉल्यूट दे दीजिएगा मोल्स ऑफ सॉल्यूट दे दीजिएगा और साथ ही साथ वेट ऑफ सॉल्वेंट दे दीजिएगा वेट ऑफ सॉल्वेंट दे दीजिएगा इन केजी तो उसने कहा ठीक है मैं आपको सब कुछ दे देता हूं आप मुझे डेल्टा t भी निकाल के बता दीजिए तो उसने मुझे सवाल में बता दिया कि भाई ऐसा है मैं आपको बता रहा हूं कि अ जो मोल्स ऑफ सॉल्यूट है वो हमारे पास c है और जो वेट ऑफ सॉल्वेंट है वो w केजी है उसने बता दिया तो मैंने कहा फिर क्या बात करनी है डेल्टा t ब की वैल्यू आ जाएगी डेल्टा या कोई भी कोलिगेटिव प्रॉपर्टी डेल्टा t ब डेल्टा t एछ भी सर डेल्टा t ब की वैल्यू आ जाएगी एंड दिस इज लिटी एंड दिस इज c बाड ये आंसर आ गया वो कह रहा है यार तुम गलत सल बातें कर रहे हो ये आंसर नहीं आ रहा है आंसर कुछ और आ रहा है मैंने कहा क्या बदतमीजी है तुमने सी सही दे रखा है हां ड सही दे रखा है हां केब सही दे रखा है हां तो फिर तो आंसर यही निकल के आएगा मोलालिटी ये होगी c बाड * केब सब कुछ सही है आंसर यही आएगा वो कह रहा है नहीं आंसर ये नहीं आ रहा अब जो मेरा आंसर आ रहा है वो उसके आंसर से मैच क्यों नहीं कर रहा है इसलिए नहीं मैच कर रहा है क्योंकि जो मेरा आंसर आ रहा है वो थ्योरिया है वो ऑब्जर्व किया है तो मैंने कहा अई ये क्या बात होती है जो थोरेट्स होगा दोनों में अंतर क्यों आ रहा है अंतर सिर्फ इसलिए आ रहा है कि मैं इस बात से अनजान था कि कुछ सॉल्यूट्स या इनफैक्ट ज्यादातर सॉल्यूट्स ऐसे होते हैं जो सॉल्वेंट में जाने के बाद अपने मोल्स बदल लेते हैं मैंने कहा मतलब कह रहा है आपको क्या लगता है कि सॉल्यूट के सी मोल लिए गए मैंने कहा हमें क्या पता तुम्ही ने बताया सॉल्यूट के सी मोल लिए गए कह रहा है मैंने ही सी मोल लिए थे और मैंने सही बताया था लेकिन मुझे क्या पता था कि पानी में जाने के बाद वही c2c बन जाएंगे वही c3c बन जाएंगे वही c 1.5 स बन जाएंगे मैंने कहा मतलब कह रहा है सर मुझे नहीं पता था कि मेरा सॉल्यूट पानी में जाने के बाद डिसोसिएट करने लगा मैंने कहा मतलब कह रहा सर मैंने एक मोल लिया और पानी में जाके सॉल्यूट के दो मोल बन गए जैसे नमक सर नमक को आप पानी में डालेंगे तो वो na0 और cl-1 के भी मोल वन बनेंगे cl1 बनेंगे टोटल सॉल्यूट के मोल दो हो जाएंगे आपने कितने डाले वही तो आपने जो आंसर निकाला वो एक से निकाला लेकिन अंदर जाने के बाद वो दो हो गए तो जो आंसर मैंने ऑब्जर्व किया वो दो की वजह से ऑब्जर्व किया एंड दैट इज द डिफरेंस समझ रहे हो बात को इसका मतलब जो ऑब्जर्व है उस ऑब्जर्वेशन वैल्यू में उस ऑब्जर्व वैल्यू में वो डिसोसिएशन या उस सॉल्यूट का एसोसिएशन इंक्लूडेड है मेरी बात समझ रहे तो उस डिसोसिएशन और एसोसिएशन के इंक्लूड होने की वजह से जो मेरी कोलिगेटिव प्रॉपर्टी आती है जो मैं देखता हूं वो आती है ऑब्जर्व कॉलगेट प्रॉपर्टी क्लियर है दैट इज ऑब्जर्व और इसी ऑब्जर्व और इस थियोरेटिकल कोलिगेटिव प्रॉपर्टी का रेशो ही यानी डेल्टा टी बी ऑब्जर्व्ड डिवाइडेड बाय डेल्टा टी बी थियोरेटिकल ये हमारा वेंट ऑफ फैक्टर से डिफाइन होता है और ये वेंट ऑफ फैक्टर डिसोसिएशन के केस में और एसोसिएशन के केस में अलग-अलग देखने को मिलता है डिसोसिएशन के केस में ये जो कि ग्रेटर दन वन आता है और असोसिएशन के केस में ये जो कि लेस दन वन आता है दिस इज लेस दन वन वेयर व्हाट इज n यहां पर अगर आप डिसोसिएशन की बात करते हैं तो व्हाट इज n n का मतलब है जितने लोगों में वो डिसोसिएट कर रहा है n का मतलब मतलब है जितने लोगों में वो डिसोसिएट कर रहा है जितने लोगों में डिसोसिएट कर रहा है और यहां पर n का मतलब है क्योंकि एसोसिएशन है तो जितने लोगों में वो एसोसिएट कर रहा है जितने लोग एसोसिएट कर रहे हैं दैट इज n एंड दिस अल्फा इज द डिग्री ऑफ डिसोसिएशन एंड दिस बीटा इज द डिग्री ऑफ एसोसिएशन तो इसका मतलब ये हुआ सर अगर आपको सही आंसर निकालना है तो सही आंसर क्या होना चाहिए ये वाला या ये वाला सर सही आंसर तो वो होना चाहिए जो सही है अब आपने कैसे निकाला मुझे इससे क्या मतलब है सही आंसर कौन सा होगा सही आंसर वही होगा जो सही है और सही कौन सा है सर जो हो रहा है वही सही है यानी वो पानी में जाने के बाद या सॉल्वेंट में जाने के बाद अगर टूट रहा है तो उससे जो आंसर आ रहा है वही सही है सर मैंने तो ये आंसर निकाला था जो कि गलत है ऑब्जर्वेशन इज द करेक्ट आंसर सो इसका मतलब है आंसर इज ऑलवेज डेल्टा t बी ऑब्जर्व और साफ दिखाई देता है डेल्टा t ब ऑब्जर्व निकालने के लिए आपको थोरेट्स करना पड़ता है समझ रहे बात को यानी अगर आप सही आंसर निकालना चाहते हैं तो डेल्टा टी बी अगर आप ऑब्जर्व निकालना चाहते हैं तो आ इन डेल्टा टी ब थरेट कल से निकलेगा एंड दिस डेल्टा टी इ एन एग्जांपल हम तो सिर्फ एक कोलिगेटिव प्रॉपर्टी लेके आगे बढ़ रहे हैं अगर मैं जनरल बात करूं तो क्या जनरल बात है जनरल बात यही है कि जो हमारी थियोरेटिकल कोलिगेटिव प्रॉपर्टी सॉरी जो हमें ऑब्जर्व कोलिगेटिव प्रॉपर्टी निकालनी है कोलिगेटिव प्रॉपर्टी जो हमें जो सही आंसर है हमारा कोलिगेटिव प्रॉपर्टी जो थियोरेटिकल वैल्यू है इट इज आ टाइम्स कोलिगेटिव प्रॉपर्टी थरेट क्लियर है तो इसका मतलब ये हुआ कि जैसा कि यहां पर तुमने देखा भी था ये सारी वैल्यूज जो आपके सामने रखी गई है सर एलिवेशन इन बॉलिंग पॉइंट डेल्टा t बी असलियत वाला किसके बराबर होगा सर केब न m * आ क्या मतलब हुआ सर सर के * ए थरेट कल थी आ लगा दिया असली आंसर आ गया और उसके बाद हर टॉपिक पर पाच पा छछ 10 सवालों की प्रैक्टिस कर लो इस चैप्टर में आने वाला सवाल गलत नहीं होगा चलिए फिर मुलाकात करेंगे थैंक यू थैंक यू सो मच