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क्रिटिकल थिंकिंग और बॉयस के प्रभाव

इंडियन आर्मी ऑफिसर का एक बेटा था जो कि चंडीगढ़ में पैदा हुआ यह पढ़ाई में बहुत अच्छा था जब यह स्कूल में जाता टास्क करता तो इसके जो टीचर्स थे वो इसकी तारीफ करते थे 12 स्टैंडर्ड के बाद इसकी एडमिशन बिट्स प्लानिंग में होगी वहां पर भी कॉलेज में जो टीचर्स थे वो उसकी बहुत तारीफ करते थे इसके बाद ये बिच प्लानिंग छोड़कर कैलटेक में मूव हो गया यानी कैलिफोर्निया इंस्टट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी वहां पर एक सब्जेक्ट था जिसकी तीन किताबें थी और इन सबको असाइनमेंट में एक टास्क मिला कि इन तीन बुक्स के बाद अपने थॉट्स बताओ इसने बहुत मेहनत करी तीनों की तीनों बुक्स पढ़ी और उनको बहुत ही अच्छे पॉइंट्स में समराइज कर दिया यह एक्सपेक्ट कर रहा था कि इंडियन कॉलेजेस की तरह यहां पर भी इसकी वाहवाही होगी लेकिन इसको डीग्रेड मिला क्यों क्योंकि टीचर ने बोला कि जो तीन किताबें तूने पढ़ी है वो मैंने भी पढ़ी है और जो तेरे सारे पॉइंट्स हैं वो तो किताबों में से हैं तेरे खुद के क्या पॉइंट्स हैं वो बता वहां पे जाके इस इंसान का दिमाग खुल गया और फिर इसने क्रिटिकल थिंकिंग के बारे में समझा इस इंसान का नाम था सबीर भाटिया जो आगे चलकर हॉट मेल के फाउंडर बने और अपनी कंपनी को 400 मिलियन डॉलर्स में बिल गेट्स को बेचा ईलॉन मस्क का एक बार टेड टॉक में इंटरव्यू हुआ और उसे पूछा गया कि तेरे लिए सबसे ज्यादाेंट क्या है उस पर उसने कहा मेरे लिए सबसे ज्यादाेंट यह है कि एक्चुअल में सच्चाई क्या है मुझे मैटर नहीं करता कि वो जो सच्चाई है वो कहां से आ रही है बट द ट्रुथ मैटर्स टू मी लॉट रियली लाइक पैथोलिकली मैटर्स टू मी हम में से मैक्सिमम लोग जो किसी भी इंफॉर्मेशन को सच मान लेते हैं उसके लिए जो सच्चाई है सिर्फ वो मैटर करती है यानी व्हाट इज द ट्रुथ फॉर एग्जांपल जो इंडिया के प्रणय हैं वो 2018 में बहुत फेमस हुए क्योंकि उन्होंने ईलॉन मस्क को ट्वीट किया कि टेस्ला के जो विंडशील्ड के वाइपर्स हैं उनमें कुछ प्रॉब्लम्स है और ईलॉन मस्क ने इसके ट्वीट का आंसर दिया कि यू आर राइट इसमें प्रॉब्लम थी लेकिन अगले बिल्ड में इसे फिक्स कर दिया गया है प्रणय जब यूएस में गए तो ईलॉन मस्क ने इनके साथ एक फोटोग्राफ भी खिंचवाई इन शॉर्ट जो भी इंटेलेक्चुअल लोग हैं वह बहुत ही अच्छे क्रिटिकल थिंकर्स हैं उनको सच्चाई तक पहुंचना है उनके लिए मैटर नहीं करता कि इनफेशन कहां से आ रही है तो अब सवाल यह आता है कि क्रिटिकल थिंकिंग है क्या जो यूनिवर्सिटी ऑफ इलनॉय के प्रोफेसर हैं रॉबर्ट एनएस वो कहते हैं कि क्रिटिकल थिंकिंग इज डिफाइंड एज रीज़नेबल रिफ्लेक्टिव थिंकिंग फोकस्ड ऑन डिसाइडिंग व्हाट टू बिलीव और डू यानी कि एक ऐसी सोच जिसमें हम रीजन करते हैं रिफ्लेक्टिव थिंकिंग करते हैं यानी कैमरा अपने ऊपर लेके आते हैं और देखते हैं कि जो भी मैं सोच रहा हूं क्या वह एक्चुअल में सही है भी या नहीं और फिर उसके बाद हम डिसाइड करते हैं कि जो पीस ऑफ इंफॉर्मेशन हमें दी गई है वो सच है या नहीं जबकि मैक्सिमम लोग जैसे ही उनको पीस ऑफ इंफॉर्मेशन दी जाती है उस पे झट बिलीव कर लेते हैं उनके बीच की जो प्रोसेसिंग होती है वो वो करते ही नहीं सोचो तुम रिलैक्स करके आराम से फ्लाइट में बैठे हो अपने आईपैड में एक मूवी देख रहे हो बाहर जो मौसम है वो बहुत ठंडा है तुम सोच रहे हो कि इस ठंडे मौसम में फ्लाइट से उतरते ही मैं अपनी फैमिली के पास जाऊंगा उनके साथ मिलकर डिनर करूंगा लेकिन तभी अचानक बीप बी बीप की साउंड आने लगती है और जो आपका प्लेन है वो धीरे-धीरे नीचे गिरने लगता है सारे के सारे लोग पैनिक कर रहे हैं रो रहे हैं और फिर वो प्लेन क्रैश हो जाता है अगले दिन अखबार में यह न्यूज़ छपती है बहुत से लोग परेशान हैं क्योंकि इस फ्लाइट को कैप्टन मार्वेन रेंस चला रहे थे जिन्हें 3400 फ्लाइंग आवर्स का एक्सपीरियंस था इस इंसिडेंट पर बहुत सी इन्वेस्टिगेशंस होती है और फिर यह स्टोरी सामने आती है कि 12 फरवरी 2009 को फ्लाइट नंबर 3407 एक बमबार्डियर Q400 प्लेन से न्यू जर्सी से न्यूयॉर्क जा रही थी वेदर रिपोर्ट्स ऑलरेडी क्लियर वार्निंग दे रहे थे आइसिंग कंडीशंस का रिस्क था यानी बहुत ज्यादा ठंडी होने के कारण प्लेन पूरा का पूरा रुक सकता है प्लेन के विंग्स पर बर्फ ऑलरेडी थोड़ी जम चुकी थी प्लेन के अंदर कैप्टन रेंस के साथ फर्स्ट ऑफिसर रिबका श थी 24 साल की यंग एिएटर वो थोड़ी थकी भी थी जब प्लेन मेड एयर में था तो इस एिएटर ने देखा कि कॉकपिट पर कुछ वार्निंग साइन आ रहे हैं पर इसके साथ एक ओवर कॉन्फिडेंट कैप्टन था जिसने कहा अरे डरने की जरूरत नहीं है इसे भी खराब टफ वेदर्स में मैंने प्लेन उड़ाए हैं पर रिबेका ने जो ट्रेनिंग करी थी उसके अकॉर्डिंग हमें इस कंडीशन पे प्लेन नहीं चलाना चाहिए था पर वो कैप्टन रेस्लो के कॉन्फिडेंस से इतनी कन्विंस हो गई थी कि वो कुछ बोल ही नहीं पाई यह कैप्टन अपने को बहुत कॉम्पिटेंट मानते थे पर यह उतने भी कॉम्पिटेंट नहीं थे जब यह यंग पायलट थे तो सिमुलेटर टेस्ट में इनकी परफॉर्मेंस सिर्फ एवरेज थी और करियर के शुरुआत में तो वह तीन बार फ्लाइंग एग्जाम में फेल हो चुके थे लेकिन कभी भी इन्होंने यह ओपनली एक्सेप्ट नहीं किया था और ना ही प्लेन की कंपनी को बताया था थोड़ी देर के बाद जब और वार्निंग साइन आने लगे तो रेबेका ने कैप्टन को हिंट दिया कि सर यह वार्निंग साइन आ रहे हैं लेकिन कैप्टन ने कहा वी आर गुड डोंट वरी जब स्टॉल वार्निंग बजर बजा स्टिक शेकर चालू हुआ मतलब प्लेन स्टॉल होने वाला था तो प्रोटोकॉल के हिसाब से योक को पुश करना था ताकि प्लेन की नोज नीचे आए और प्लेन स्पीड गेन करे लेकिन कैप्टन रेंस ने एकदम उल्टा किया प्लेन स्टॉल हो गया स्पिन हुआ और सिर्फ 6 कि.मी दूर रनवे पे एक घर पर क्रैश हो गया प्लेन में 49 लोग थे सबकी डेथ हो गई और जिस घर में यह क्रैश किया उस घर में भी एक इंसान की डेथ हो गई बहुत सी इन्वेस्टिगेशंस हुई इन्वेस्टिगेशन के बाद एक सिंपल स्टेटमेंट पब्लिश करी पायलट एरर ड्यू टू इंप्रोपर स्टॉल रिस्पांस कंपाउंडेड बाय पुअर क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट मतलब रेंस ने प्रोटोकॉल वायलेट किया और को पायलट ने उन्हें रोका नहीं क्योंकि वह उनके कॉन्फिडेंस से इंटिमीडेटेड थी और इसे कहा जाता है ड्यूनिंग क्रूगर इफेक्ट जो कि डेविड ड्यूनिंग ने 2019 में दिया था जिन्होंने कहा था कि रियल डेंजर सिर्फ ओवर कॉन्फिडेंस का नहीं है उससे भी बड़ा खतरा यह है कि जब ओवर कॉन्फिडेंट लोग पावर में होते हैं और उनको कोई कंट्राडिक्ट नहीं कर पाता तब सबसे बड़ा डिजास्टर होता है क्योंकि उस टाइम हमारी क्रिटिकल थिंकिंग बंद हो जाती है और जो भी यह ओवर कॉन्फिडेंट इंसान बोलता है हम उसे सच मान लेते हैं इसके अलावा चार और ऐसे बायसेस हैं जो हमारी क्रिटिकल थिंकिंग को रोकते हैं जिसमें मेरा सबसे फेवरेट है नॉर मिल्स बायस ये बायस कहता है कि अगर कोई चीज हमारे साथ नहीं हो रही तो हमें लगता है कि वो कभी होगी ही नहीं फॉर एग्जांपल अगर आप न्यूज़पेपर में हर बार न्यूज़ देख रहे हो कि बहुत सारे एक्सीडेंट हो रहे हैं लेकिन वो आपसे थोड़े दूर हैं तो आपको लगेगा कि यार ये एक्सीडेंट जो है वो मेरे साथ नहीं होंगे वो किसी और के साथ होंगे लेकिन जो क्रिटिकल थिंकर्स हैं वो इस नॉर्मल सी बायस को अवॉइड कर पाते हैं और वो होता है विद दिस यानी डाटा जिसका परफेक्ट एग्जांपल है बिल गेट्स ऑलमोस्ट 10 साल पहले बिल गेट्स ने ये 8 मिनट की वीडियो पब्लिश करी थी डेड टॉक्स पर जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरी लाइफ टाइम में जो मुझे सबसे बड़ा खतरा लगता है वो न्यूक्लियर वॉर से नहीं है वो है किसी पेंडेमिक से और इसके 5 साल के बाद एग्जैक्टली यही हुआ बहुत से लोग वंडर कर रहे थे कि बिल गेट्स ने इस चीज को कैसे प्रेडिक्ट कर लिया और वो था यूजिंग डाटा एक्चुअली हुआ यह था कि बिल गेट्स और उनकी टीम सारे डेथ्स को प्लॉट करी थी ओवर सेंचुरीज और वहां पे उन्हें एक बहुत ही इंटरेस्टिंग पैटर्न मिला पैटर्न यह था कि 1914 से 1918 तक 1.5 से 2 करोड़ डेथ्स हुई उसके बाद 1939 से 1945 तक 5 से 6 करोड़ लोगों की डेथ हुई और यह जो दो मासिव डेथ्स की पीक थी यह नोन थी बट इसके बीच में एक और पीक थी जो वर्ल्ड वॉर वन से बड़ी थी और यह थी स्वाइन फ्लू जिसमें 5 करोड़ लोग मारे गए थे जबकि किताबों में पूरे चैप्टर्स वर्ल्ड वॉर वन और वर्ल्ड वॉर टू के बारे में इन पेंडेमिक्स के बारे में कुछ नहीं बताया जाता फिर बिल गेट्स ने देखा कि ऑलमोस्ट हर 100 साल में कोई ना कोई पेंडेमिक आ रहा था बेशक उस टाइम उतनी ज्यादा डेथ्स नहीं हुई क्योंकि जो टेक्नोलॉजी है वो उतनी ज्यादा एडवांस नहीं थी कि ट्रांसपोर्टेशन की वजह से लोग एक से दूसरी जगह जाए जिसकी वजह से ये जो पेंडेमिक है और ज्यादा फैले एंड डाटा इज द रीज़न जिसकी वजह से उन्हें पता था कि इन 100 सालों में भी एक पेंडेमिक मोस्ट प्रोबेबबली आ सकता है नेक्स्ट बायस कहता है हीलो इफेक्ट इसका मतलब यह है कि अगर किसी इंसान ने बहुत ज्यादा बुरा भी किया हो लेकिन अगर वह एक पॉजिटिव चीज कर देता है तो उसके अराउंड एक ही आता है इन शॉर्ट एक बायस क्रिएट हो जाता है हमारे माइंड में जिसकी वजह से हम उसे अच्छा मानने लग जाते हैं इसका परफेक्ट एग्जांपल है संजय दत्त जिनकी पहले बहुत ही नेगेटिव इमेज थी लेकिन जैसे ही मुन्ना भाई एमबीबीएस मूवी रिलीज हुई उससे उनकी इमेज बहुत ही पॉजिटिव हो गई कई लोगों को तो यह लगने लगा कि वो एक्चुअल के डॉक्टर हैं इन शॉर्ट ना जाने कितनी इंडियन पॉपुलेशन की जो क्रिटिकल थिंकिंग है वो ऑलमोस्ट बंद हो गई और इसी हेलो इफेक्ट बायस को यूज़ करके बहुत सी जो पॉलिटिकल पार्टीज हैं वह किसी ना किसी एक्टर को इलेक्शंस में खड़ा कर देती और मजे की बात यह है कि वह एक्टर जीत भी जाते हैं हमारी जनता इस बेस पर इन एक्टर्स को सेलेक्ट नहीं करती कि वो एक्चुअल में हमारी हेल्प करेंगे बल्कि इस बेस पर करती है कि वो एक बहुत ही अच्छे एक्टर थे जिसकी वजह से शायद वो बहुत अच्छे पॉलिटिशियन भी बन जाए नेक्स्ट बायस कहता है फ्रेमिंग इफेक्ट यानी अगर सेम इंफॉर्मेशन हमें दो डिफरेंट तरीके से बताई जाए तो जो हमारी क्रिटिकल थिंकिंग है वो कहीं घास चढ़ने चल जाती है फॉर एग्जांपल इन दो दही के डब्बों को देखिए एक में लिखा है 90% फैट फ्री दूसरे में लिखा है कंटेंस 10% फैट जब इन दोनों डब्बों को मार्केट में उतारा गया तो यह देखा कि जिस डब्बे में 90% फैट फ्री लिखा है उसको लोग ज्यादा हेल्थियर कंसीडर कर रहे हैं जिसकी वजह से उसकी ज्यादा बिक्री हो रही है जबकि जो क्रिटिकल थिंकर्स है दे कैन एक्जेक्टली टेल यू कि इन दोनों इंफॉर्मेशन का एक्जेक्टली सेम मतलब है बट क्योंकि इसमें थोड़ा ज्यादा दिमाग लगता है इसीलिए 90% फैट फ्री लेबल वाले जो प्रोडक्ट्स हैं वो ज्यादा बिकते हैं क्योंकि हर कोई क्रिटिकल थिंकर नहीं है नेक्स्ट बहुत इंपॉर्टेंट बायस आता है रिसेंसी बायस इमेजिन कीजिए कि आप एक रेस्टोरेंट में बैठे हैं और वहां पर बहुत ही अच्छा वेटर आपको मिलता है वो थ्रूआउट अस टाइम में आपके लिए टाइमली खाना लाता है स्माइल करता है लेकिन एंड में वो बिल लाने में लेट हो जाता है इस केस में मोस्ट प्रोबेब्ली आप उसको सबसे कम टिप देंगे और एक्जेक्टली इसी के ऑपोजिट अगर कोई वेटर थ्रूउ आपके लिए लेट खाना लाता है थोड़ा अच्छा नहीं बिहेव कर रहा लेकिन एंड में वो बहुत ही बिग स्माइल के साथ आपको ग्रीट करता है तो मोस्ट प्रोबेबबली आप उसको ज्यादा टिप देंगे एंड दिस इज बिकॉज़ ऑफ रिसेंसी बायस यानी हमारा ब्रेन जो रीसेंट एक्टिविटी है उसको ज्यादा वेटेज देता है उसको मानता है कि वो थ्रू आउट एक्सपीरियंस है व्हिच इज नॉट ट्रू फॉर एग्जांपल हम किसी भी मूवी को जज करते हैं कि उसकी एंडिंग ऐसी हुई अगर आप किसी के साथ डेट पे जा रहे हैं और आपकी एंडिंग अच्छी नहीं हुई तो दूसरा इंसान आपको अच्छा नहीं मानेगा वैसे ही क्रिकेट मैचेस में सबसे ज्यादा मूवमेंट जो हमें याद रहती है वो है लास्ट का जबकि जो क्रिटिकल थिंकर्स हैं वो राइट क्वेश्चंस और डाटा को यूज करके सिचुएशन को एज इट इज पर्सीव करते हैं 2014 में मिशगन में बहुत गर्मियां पड़ रही थी और तभी वहां की सरकार एक नया वाटर सोर्स पब्लिक के लिए लेके आई जो कि हल्का ब्राउन कलर का था सरकार ने कहा कि यह पानी सस्ता भी है और हेल्थ के लिए बहुत अच्छा भी है लेकिन एक चार बच्चों की मां ली एनी वाल्टर्स जिसके पास कोई साइंटिफिक डिग्री नहीं थी उसे शक हो रहा था कि एक साफ पानी का कलर हल्का सा भी ब्राउन क्यों हो सकता है उसके बच्चे कंप्लेन कर रहे थे कि उन्हें रैशेस हो रही हैं लेकिन तभी सरकार अनाउंस करती है कि यह पानी बिल्कुल सेफ है वहां के गवर्नर रिक सिंडर्स की टीम वहां पर आती है और वह भी कहती है कि इस पर सारे टेस्ट हो गए हैं और जो सप्लाई है वह परफेक्ट है लेकिन ली एनी का दिल नहीं मानता उसके बाद जो वहां के मेयर हैं डेन वॉलिंग्स वो टीवी पर इस पानी को पीते हैं और कहते हैं यह पानी परफेक्ट है लेकिन ली एनी को खुद का डाटा चाहिए था वो कोई एक्सपर्ट नहीं थी लेकिन बिना खुद के एविडेंस के वो डाटा को मानने के लिए भी तैयार नहीं थी वह नेबर से बात कर रही थी ऑनलाइन सर्च कर रही थी लेकिन उसके पास कोई ठोस सबूत नहीं आ रहा था 2015 में ली एनी ने ऑनलाइन एक ₹500 की किट खरीदी जो कि लेड को पानी में टेस्ट कर सकती थी उसने पानी का सैंपल लिया और इस किट को यूज करके डाटा देखा डाटा कह रहा था 104 पार्ट्स पर बिलियन यानी जितनी नॉर्मल वैल्यू होनी चाहिए उससे सात गुना ज्यादा उसने यह फटाफट डाटा गवर्नमेंट को बताया लेकिन फिर भी उसे कोई जवाब नहीं मिला यह तो एक ₹500 की किट थी इसके डाटा पर कितना विश्वास किया जा सकता है इस पर ली एनी ने यह सैंपल वर्जनिया टेक मार्क एडवर्ड्स को भेजा जो कि वाटर एक्सपर्ट थे उनकी लैब ने भी यह डाटा को कंफर्म किया और इसके बाद पब्लिक के बहुत से टेस्ट किए जाने लगे हॉस्पिटल में जब बच्चों के टेस्ट किए गए तो उनके ब्लड में नॉर्मल लेवल से डबल लेवल का लेड निकला इसके बाद मॉम्स मैकेनिक सारा नेबरहुड गवर्नमेंट के खिलाफ हो गया और पूरे एक साल के बाद अक्टूबर 2015 में इस पानी को बंद कर दिया गया और ये सब इसीलिए हुआ क्योंकि चार बच्चों की मां क्वेश्चन करना जानती थी डेटा को गैदर करना जानती थी इन शॉर्ट स्टोरी से हमारी लर्निंग ये है कि हर चीज को हमें फैक्ट चेक करना चाहिए व्हाट इज द एक्चुअल डाटा सेकंड मेथड टू डेवलप क्रिटिकल थिंकिंग इज लुक फॉर एविडेंस नॉट ओपिनियंस थर्ड बी रेडी टू चैलेंज योर ओन बिलीफ्स बचपन से हमारे बहुत सारे बिलीफ्स हैं और जो आगे चलकर हमें पता चलते हैं कि यार अच्छा यह तो झूठ था तो हो सकता है कि अभी हमारे पास कोई एक ऐसा बिलीफ हो जिसे हम सालों से सच मान रहे हैं और माइट बी वह बिलीफ ही गलत हो एक क्रिटिकल थिंगर अपने बिलीफ को चैलेंज करने के लिए हमेशा रेडी रहेगा लेकिन एक ब्रेन वाश्ड इंसान हमेशा सोचेगा कि जो बचपन में उसे प्रिमिटिव इयर्स में जो सिखा दिया गया है वो गलत हो ही नहीं सकता एंड फाइनली द लास्ट मेथड टू डेवलप क्रिटिकल थिंकिंग इज़ दैट आर्ग्यू फ्रॉम बोथ साइड्स अगर आपके पास एक स्ट्रांग बिलीफ है एक ओपिनियन है और आपको लग रहा है दूसरा गलत है तो एक बार आपको शिफ्ट करके दूसरे तरीके से भी सोचना पड़ेगा और उसकी तरफ से आर्गुमेंट्स देने पड़ेंगे कि वो वाला जो पॉइंट है वो सच क्यों हो सकता है बहुत से आपके फ्रेंड्स या फैमिली मेंबर्स होंगे जो WhatsApp यूनिवर्सिटी से आते हैं जो कि क्रिटिकल थिंकर्स नहीं है अगर आपको लगता है कि ये वीडियो उनकी हेल्प कर सकती है तो यह वीडियो उनके साथ जरूर शेयर कीजिए और हां क्रिटिकल थिंकिंग डेवलप करने के लिए आपको ऐसे लोगों के थॉट्स जानने पड़ेंगे जो एक्चुअल में क्रिटिकल थिंकर्स हैं और साथ में बाकी साइकोलॉजिकल बायसेस जिन्हें जानकर हम उन बायसेस को अवॉयड कर सकते हैं अगर आप इन सारे सब्जेक्ट्स की बुक्स समरीज हिंदी में सुनना चाहते हैं तो आप Google एप्लीकेशन डाउनलोड कर सकते हैं इस ऐप को 1.5 लाख से ज्यादा लोगों ने 4.8 स्टार की रेटिंग दी है पिछले 6 सालों में तो इस ऐप को जरूर चेक आउट कीजिए इसका लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन और फर्स्ट कमेंट में दे दिया है