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Lecture on Art, Ideology, and Politics

विषय को की जटिलता को देखते हुए इसकी शुरुआत सबसे पहले हम इस चीज से करेंगे की हम इसमें से यह जो टर्म्स ऑफ डिस्कशन है तीन टर्म्स की हम बात कर रहे हैं आर्ट आईडियोलॉजी और पॉलिटिक्स इसमें से किसी अर्थ को हम अभी उम्र करके नहीं चलते हैं और सबसे पहले इनके वर्किंग डेफिनेशन क्योंकि इनकी डेफिनेशन का सवाल ही एक बहुत लंबी चर्चा का सवाल है और इस पर ही बहुत बेहतर मौजूद है की विचारधारा को कैसे परिभाषित किया जाए राजनीति को कैसे परिभाषित किया जाए हालांकि यह वे शब्द है जिनका हम लगातार इस्तेमाल करते हैं स्टूडेंट के तौर पर एक्टिव अंडरस्टैंडिंग बनाने के लिए मीनिंग तो रिवील होते हैं आपके इन्वेस्टिगेशन के प्रक्रिया में लेकिन आप एक वर्किंग डेफिनेशन के साथ शुरुआत करते तो सबसे पहले शुरुआत करते हैं वैसे हम लोग विचारधारा के तौर पर जब बात करते हैं तो आंसर हमारा विचारधारा की भी बात करते हैं लेकिन सरधारा विचारधारा अपने आप में उन अर्थों में विचारधारा नहीं है जिन अर्थों में विचारधारा कुछ प्रपोज किया जाता है विज्ञान से मतलब साइंस ऑफ आईडियोलॉजी लेकिन विचारधारा के अर्थ भी हिस्टोरिकल इवॉल्व किया और लेनिन के साथ विचारधारा का एक ऐसा अर्थ भी सामने आया जो की एक साइंटिफिक आईडियोलॉजी हो सकता है लेकिन सबसे सिस्टमैटिक तरीके से मार्क्स नहीं इस्तेमाल किया था और उन्होंने इस्तेमाल किया था एडोलॉजी जोड़ा जाता है उसका मतलब ही होता था किसी भी शब्द में जब जोड़ा जाता था तो उसका अर्थ होता था उसे पार्टिकुलर एंटी के ओरिजिन और इवोल्यूशन को की पड़ताल करने वाली ज्ञान की शाखा तो एडोलॉजी ज्ञान की वह शाखा थी डस्टी और उनके पूरे सर्कल के लिए जिसका मकसद ज्ञान के पैदा होने और उसके विकास विचारों के ज्ञान नहीं विचारों के पैदा होने और उसके विकास की प्रक्रिया का अध्ययन जो ज्ञान की शाखा करती है उसको आईडियोलॉजी बोला था मार्क्स ने इसका दूसरे सेंस में इस्तेमाल किया और वही इस्तेमाल आगे चलकर बाकी और लोगों ने भी अपनाया और वो क्या था वह था की आईडियोलॉजी या विचारधारा हमारे अस्तित्व की वास्तविक स्थितियों से हमारे काल्पनिक संबंधों का एक काल्पनिक रिप्रेजेंटेशन दूसरे हम अपनी जिंदगी की वास्तविक स्थितियों के प्रति [संगीत] आईडियोलॉजी इस द सिस्टम ऑफ़ इतिहास थ्रू विच सी बिकम कॉन्शियस ऑफ डी रियल कंडीशंस थोड़ा विस्तारित करके altusar ने कहा की विचारधारा हमारे जिंदगी की रियल कंडीशन से हमारे इमेजिनरी रिलेशंस का इमेजिनरी रिप्रेजेंटेशन ठीक है इमेजिनरी रिप्रेजेंटेशन ऑफ अवर इमेजिनरी रिलेशन विद डी रियल कंडीशंस ऑफ एक्जिस्टेंस [संगीत] वह है रिलेशनशिप पट्टी पाने वाले अन्य संबंध जो की डायरेक्टली आपको हो सकता है लेकिन वह होते उन्हें से डिटरमिन है मिसाल के तौर पर रिलेशंस ऑफ फ्री प्रोडक्शन आखिरी विश्लेषण में वो रिलेशनशिप करने के आधार पर जो रिश्ते बनते हैं इसीलिए ऑल इंस्टीट्यूशंस रिलेटेड तू रिलेशनशिप नहीं है जो एक एब्सलूट के तौर पर हमेशा से मौजूद रही और हमेशा मौजूद रहेगी इनका स्वरूप अगर हम यह नहीं समझते की आदमी अपने मटेरियल कंडीशंस ऑफ एक्जिस्टेंस को कैसे पैदा करता है तो हम इस चीज को एक्सप्लेन नहीं कर पाएंगे की रिलेशंस ऑफ प्रोडक्शन के मोडालिटीज में और उसके मॉडेस्ट भिवंडी उसके जीवन रूप में जिस फॉर्म में वो एक्जिस्ट करता है मोड ऑफ एक्जिस्टेंस जो होता है उसका उसमें हिस्टोरिकल परिवर्तन क्यों आए तो पहली चीज आईडियोलॉजी के बारे में जो थी वो ये थी की आईडियोलॉजी एक किस्म का चश्मा है जो आपको अपनी ही जिंदगी के वास्तविक स्थितियों के प्रति सचेत बनाता है लेकिन इस रूप में सचेत नहीं बनाता है की आप उसके बारे में कोई ट्रू नॉलेज अटेंड करते हैं आपको एक फॉल्स टूट जाता है इसलिए आइडिया स्टिक कैरक्टर है इसके लिए बहुत कोई एप्रुपरिएट शब्द है नहीं अंधभक्त चलता है आमतौर पे लेकिन वो बहुत अच्छा शब्द नहीं है कैरक्टर की जब हम बात करते हैं या फेटिश की बात करते हैं तो बेसिकली हम किस चीज को रेफर कर रहे हैं कोई चीज जो हमें सच्चाई देखने से रुकते है एनीथिंग विच प्रीवेंट फ्रॉम सिंग डी रियल्टी और एसेंस ऑफ एनीथिंग किसी भी चीज के तार तत्व या उसकी सच्चाई तक पहुंचने से रोकने वाली कोई भी चीज उसी को फेटिश बोलते हैं कमोडिटी फेडरेशन अमंग डेम सेल्फ नहीं देख पाते हैं बल्कि मालूम वस्तु पावर लगती है [हंसी] टाइम सोना अवॉर्ड्स मुद्रा वही सोना ही मुद्रा था उसे समय लेकिन उसमें कोई ऐसी पावर लगती है की इसको अगर ये हमारे पास हो तो हमारे पास सब कुछ है हम सब कुछ हासिल कर सकते हैं कुछ भी हासिल कर सकते हैं तो ये कमोडिटी fecticism उसके साथ अपने चरम पर पहुंचता है और वास्तव में मुद्रा रूप में जो मुद्रा के रिश्ते होते हैं मणि रिलेशन होते हैं वो एसेंस को और भी ज्यादा परतों के नीचे ढाबा देते हैं और भी ज्यादा पर्दे गिरा देते हैं उसे पर जिससे वो जो जीना सा कुछ दिख रहा था वो भी देखना बंद हो जाता है है की इंसानों के रिश्ते वो पुरी तरीके से दिखाई पड़ते हैं चीजों के बीच में रिश्ते के तौर पे तो आईडियोलॉजी इस बेसिकली एनीथिंग विद हज अन फैट जो आपको चीजों का एक फॉल्स उनके बारे में फॉल्स ट्रुथ देती है ये भी कांट्रडिक्शन इंटर्नशिप ट्रुथ लेकिन फॉल्स ट्रुथ देती है बिकॉज इट अपर सेफ ट्रुथ इट clamus तू बी तू इसलिए उसको फॉल्स हम बोल देते हैं तो पहली चीज ये समझने की है विचारधारा ये बहुत ही जेनेरिक और प्रिलिमनरी डेफिनेशन है इसके ऊपर बहुत बहते हैं की विचारधारा को कैसे समझा जाए कैसे डिफाइन किया जाए विचारधारा क्यों पैदा होती है कैसे एक्जिस्ट करती है बगैर वगैरा वगैरा उसके फंक्शनिंग का तरीका क्या होता है उसे पे हम लोग कभी अलग से बातचीत रख सकते हैं जो दूसरा टाइम आज के डिस्कशन टाइम आर्ट यह भी एक ऐसा टर्म है जिसका हम लोग काफी इस्तेमाल करते हैं केअरलेसली इस्तेमाल करते हैं ऐसा बिल्कुल मुमकिन है की आप केअरलेसली इस्तेमाल इफेक्टिवली इस्तेमाल अगर आप बात करें [संगीत] लेकिन एक जेनेरिक डेफिनेशन की बात करें तो ये कम्युनिकेशन का एक मोड है कम्युनिकेशन को क्या बोलेंगे संवाद या संचार इसके लिए सही शब्द नहीं है मतलब कम्युनिकेशन का एक मोड है जो सौंदर्य की हमारे बोध और हमारी भावनाओं को अपील करता है इंसान की एक बुनियादी जरूरत है सौंदर्य और इसका दोनों koardinate सौंदर्य को समझने का इसका एक सब्जेक्ट कोऑर्डिनेटर हो सकता है आपको जो चीज सुंदर लगती हो किसी और को ना लगे और इसका एक ऑब्जेक्टिव कोऑर्डिनेट्स भी है जैसे हंसता हुआ बच्चा शायद ही किसी को ग्रुप लगता होगा तो इसका एक ऑब्जेक्टिव koardinate भी है यार खूबसूरत पहाड़ी या खूबसूरत समंदर उड़ते हुए पक्षियों का झुंड किसी आदमी को बहुत सुंदर होना पड़ेगा इसलिए इसका एक ऑब्जेक्टिव koardinate भी है और इसका एक सब्जेक्टिव koardinate भी है लेकिन ये बेसिक ह्यूमन नीड हमारा सेंस ऑफ एस्थेटिक्स और इंसान एक खास मायने में जहां पर वो पशुओं से भिन्न होता है की कुछ प्रजा पशुओं की प्रजातियां में भी एक रुढीमेंट्री सेंस ऑफ एस्थेटिक्स होता है शायद तब नहीं किसी एन किसी लेवल का rudymentry सेंस ऑफ एस्थेटिक्स होता हो लेकिन इंसानों में ये सबसे अलग तरीके से और खास तरीके से होता है क्योंकि इंसान एकमात्र प्रजाति है जो की सोचे समझे तौर पर एक प्रिकॉन्सीव्ड प्लान के तौर पर के माता प्रोडक्शन करती है और भी स्पीशीज प्रोडक्शन कर सकती हैं और करती हैं वह भी एक प्रोडक्शन है मधुमक्खी शहर बनाती है वो भी प्रोडक्शन है इन दी स्ट्रिक्ट सेंस ऑफ प्रोडक्शन ब्लूप्रिंट के आधार पर ये कम नहीं करता है जैसे मधुबाला की ये नहीं सोचती की बहुत दिन से इतना बड़ा बना है आज इतना बड़ा बनाऊंगी और इतना शहर पैदा करूंगी ताकि कितनो को कटर कर सकूं वो आपस में रिलेशंस ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन या रिलेशन ऑफ एक्सचेंज के बारे में नहीं सोचती है उनकी लाइफ एक्टिविटी उनका स्पीशीज एक्टिविटी उनकी कॉन्सेप्ट एक्टिविटी नहीं है जहां पर वो उनका मूड ऑफ लिविंग है थॉट्स हो दे आर जेनेटिकली डिज़ाइन बाय नेचर तो वह उनकी कॉन्शियस एक्टिविटी नहीं है या बाया भी घोंसला बनाती है तो उसको नहीं सोचती की बहुत दिन तक ऐसे शंकर जैसा बना रही हूं अब ढग बोर हो गई हो किसी और आकर का बनाते हो नहीं आता है उसकी स्पीशीज है एक्टिविटी है कॉन्सेप्ट एक्टिविटी नहीं है इंसान पहली ऐसी प्रजाति है जो एक कॉन्शियस प्लान के तौर पर नेचर को अपनी जरूरत के मुताबिक बदलता है अपने लेबर के जरिए जो अपने श्रम के जरिए प्रकृति को अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए बनाए गए एक डेफिनेट प्लान के माता उसका रिवॉल्यूशनरी ट्रांसफॉर्मेशन करता है नीड्स ऑफ ह्यूमन बीइंग्स इस प्रेसीजली व्हाट सी कॉल प्रोडक्शन यही प्रोडक्शन होता है प्रोडक्शन ऑफ ह्यूमन लेबर एंड नेचर इसीलिए एडम स्मिथ को करेक्ट करते हुए मार्क्स ने बोला की एडम स्मिथ ने बोला सोर्स ऑफ ऑल वेल्थ इस लेबर मार्क्स ने कहा सोर्स ऑफ ऑल वैल्यू इस लेबर सोर्स ऑफ कॉल वेल्थ इस लेबर एंड नेचर [संगीत] इंपॉर्टेंट अमेंडमेंट था मार्क्स तो अब नेचर को ट्रांसफॉर्म करने की प्रक्रिया में इंसान सिर्फ अपनी मटेरियल नीड्स को नहीं पूरा करता है वो अपने जैसे मैं मार्क्स ने लिखा वह अपनी स्पिरिचुअल नीड्स को भी पूरा करता है स्पिरिचुअल को यहां बिल्कुल भी रिलिजियस के कोनोटेशंस में मत samjhiega स्पिरिचुअल इन डी सेंस इन जनरल इंटेलेक्चुअल इंटेलेक्चुअल नीड्स दो तरह की हो सकती है एक प्रकृति को वैज्ञानिक तौर पर समझना जहां तक हम प्रकृति को वैज्ञानिक तौर पर समझने या इंटेलेक्चुअल एप्रुपरिएशन ऑफ नेचर एक तो मटेरियल एप्रुपरिएशन के ऊपर लेबर लगाकर उनको अपनी जरूरत के अनुसार या कंक्रीट सर्विसेज अलसो यूजफुल इफेक्ट दूसरी तरफ इंसान उसका इंटेलेक्चुअल एप्रुपरिएशन भी करता है और वह इंटेलेक्चुअल एप्रुपरिएशन के दोहे जहां पर वो नेचर से अपने इंटरेक्शन को संचित अनुभवों के समाहार के आधार पर नेचर के लॉस ऑफ मोशन को डिस्कवर करता है [संगीत] प्रकृति के गति के नियमों को अनुसंधान करता है यह संधान करता है जब हम इस इंटेलेक्चुअल एक्टिविटी की बात कर रहे हैं तो सी आर बेसिकली टॉकिंग अबाउट साइंस साइंटिफिक नॉलेज जो रेफर करता है किस चीज को इंटेरोगेटिव लॉस ऑफ मोशन करना किसी चीज की गति क्यों हो रही है और किस तरीके से हो रही है और उसके अंडरलाइन कॉसेस क्या है उनके अंडरलाइन लॉ क्या है यह साइंस को पैदा करता है और विकसित करता है यह इंटेलेक्चुअल एक्टिविटी और एक और इंटेलेक्चुअल एक्टिविटी भी होती है जो की एस्थेटिक epropriation ऑफ नेचर सोसाइटी एंड थॉट जहां पर इंसान नेचर को एप्रुपरिएट अपनी उसे जरूरत को पूरा करने के लिए करता है जो की soundaryaatmak और यह इंसान के प्रोडक्टिव एक्टिविटीज में और उसके अस्तित्व के संघर्ष में शुरू से देखा जा सकता है फॉर एग्जांपल आदमी को लगता था की अगर वो एक गेम शिकार की प्रक्रिया को सही तरीके से डिपिक्ट करेगा तो वह गेम को सफलतापूर्वक कैरी आउट करने में भी कामयाब होगा लेकिन विसर्जन की किताब नेसेसिटी ऑफ आर्ट है उसे किताब की सबसे बड़ी वीकनेस फर्स्ट चैप्टर में ही यही है की इस फंक्शनल वैल्यू को ही वो देखती है की वो भी एक मटेरियल लीड को सेटिस्फाई करने के लिए ही इंसान करता था अब ये लिखा था क्योंकि मैजिकल वर्ल्ड व्यू का दौर था और उसे दौर में इंसान को ये लगता था की अगर वो किसी चीज को अपने इमेजिनेशन में पहले क्रिएट करेगा तो वो उसको वास्तविकता में भी रीप्रोड्यूस कर सकता है उसे सक्सेसफुल रिप्रेजेंटेशन इमेजिनरी रिप्रेजेंटेशन को लेकिन इसके साथ ये उसकी एक इन्हेरेंट जरूरत भी थी इन्हेरेंट एस्थेटिक जरूरत भी थी जो उसके एक स्पिरिचुअल नीड को पूरा करती है जिसके बारे में मार्क्स में बात करते हैं हेगेल कब क्या क्रिटिक करते हैं अभी इसमें नहीं जाते हैं क्योंकि hegdetic नीड को पूरा करने का सोर्स भी किसी एब्सलूट आइडिया को मानता है इसलिए वह मिस्ट्रीज ऑफ पेरिस मेरे ख्याल से नाम था उसका जो क्रिटिक यंग है तो वह उसका क्रिटिक करते हैं क्योंकि बेसिकली यंगेस्ट आइडिया को लेकर बात करता है की यह एक बॉलरूम डांस का सीन है उसे नवल में तो कहते की ये देखिए बॉलरूम डांस में वो जो डिवाइन ब्यूटी है इंडिपेंडेंट ऑफ मटेरियल रियलिटी वो आइडिया ऑफ डिवाइन ब्यूटी एकदम जैसे बाल रूप में मूर्ति रूप ग्रहण कर रही है तो मार्क्स का क्रिटिक करते हैं की नहीं जो आदमी के नेशंस ऑफ ब्यूटी होते हैं उसका सोर्स भी ये मटेरियल वर्ल्ड ही है वो कोई डिवाइन एब्सलूट आइडिया नहीं है एक्जिस्टिंग सैम वेयर आउट देयर इंडिपेंडेंट एंड एंटोनीम ऑफ रियलिटी तो मार्क्स का वो क्रिटिक नहीं हम अभी उसमें नहीं जाते लेकिन ही जेल से एक चीज शेयर करते द की एथलेटिक नीड एक होती है आप आर्ट को केवल फंग्शनलिस्ट इंटरप्रिटेशन के दे रही है उसकी व्याख्या नहीं कर सकती की आदमी के किसी मटेरियल नीड को सेटिस्फाई करने वाली चीज बड़ा वल्गर किस्म के नतीजे के ऊपर पहुंचेगी कौन सी मटेरियल जरूरत को पूरा करना है है ना तो वह उसे सेंस में आर्ट को अगर कहें तो ये क्या ये एक मोड ऑफ कम्युनिकेशन है जिसका अपना और एक मोड ऑफ प्रोडक्शन भी है बिकॉज अन वर्क ऑफ आर्ट इस नॉट आइडियलिस्ट क्रिएशन ऑफ आर्टिस्ट वो किसी कलाकार का आइडियलिस्ट क्रिएशन नहीं होता इसलिए altusar में क्रिएशन शब्द आपत्ति की थी आर्टिकल के लिए उन्होंने क्रिएशन शब्द में एक मिस्टिकल एलिमेंट है जैसे की ऑथर के कोई डिवाइन मोटिवेशन या इंस्पिरेशन है और वहां से उसने और दूसरा पहले डिवाइन मोटिवेशन और इंस्पिरेशन और दूसरा वो गिफ्टेड आर्टिस्ट आर्टिस्टिक गिफ्ट है उसके पास तो इस वजह से वह क्रिएट करता है क्रिएट शब्द हालांकि इतने मैकेनिकल उसमें नहीं जाना चाहिए जितने उसमें चले गए हैं आर्टिस्टिक क्रिएशन की बात की जा सकती है विद अन कॉन्टैक्ट की है क्रिएशन आइडियलिस्टिक तरीके से नहीं होता bhavvadi तरीके से नहीं होता है इट हैपेंड इन अन डेफिनेट सोशियो हिस्टोरिकल कॉन्टेक्स्ट रेनेसा आर्ट वैसी हो सकती थी जैसी उससे पहले कार्टून है यह किसी आर्टिस्ट का आइडियलिस्टिक क्रिएशन नहीं था की वो आर्टिस्ट 700 साल पहले पैदा हो गया तो तो भी उसने वैसी ही आर्ट पैदा की होती नहीं वो एक सोशल कॉन्टैक्ट में पैदा हुआ था आईडियोलॉजिकल कॉन्टेक्स्ट में पैदा हुआ था और एक आर्टिस्ट के तौर पे भी उसको इतिहास द्वारा पूर्व प्रदत्त सामग्री परी कम करना था जो हिस्ट्री द्वारा गिवन मटेरियल था अन मटेरियल इन डी मोस्ट जेनेरिक सेंस इकोनॉमिक मटेरियल सोशल मटेरियल कल्चरल मटेरियल आईडियोलॉजिकल मटेरियल एवरीथिंग उसे मटेरियल पर ही उसको कम करना था और उसी पर वो कर सकता था तो इस टेंस में हम आर्टिस्टिक क्रिएशन की बातें कॉन्टैक्ट के साथ का सकते हैं और उतनी मैकेनिकल तरीके से इस शब्द को रिजेक्ट करने का फिलहाल मैं पर्सनली हम ही नहीं हूं की उसको केवल आर्टिस्टिक प्रोडक्शन के सेंस में ही बात होनी चाहिए डेफिनेटली प्रोडक्शन का एलिमेंट होता है और हर वर्क ऑफ आर्ट इंटेलेक्चुअल और मैन्युअल लेबर को लगाकर प्रोड्यूस करता है क्योंकि वह एक पार्टिकुलर नीड को सेटिस्फाई करता है जो एसिटिक नीड ह्यूमन बीइंग्स की उसको वो उसे जरूरत की पूर्ति करता है इस सेंस में वह उसे जहां पे मार्क्स कहते हैं 1842 में अपने ऐसे में की एक राइटर लिखता है तो इसलिए नहीं लिखता है क्योंकि उसको ब्रेड एंड बटर कम आना है वह लिखने से ब्रेड बटर कमल लेता है यह अलग बात है लेकिन वो ब्रेड एंड बटर कमाने के लिए नहीं लिख पाया इन दोनों में फर्क है जैसे आप जीने के लिए सांस लेते हैं लेकिन कोई सांस लेने के लिए थोड़ी जीता है राइटर तू सरवाइव लेकिन केपीटलाइज्म पहली बार वर्क ऑफ आर्ट का भी कमोडिफिकेशन कर देता है वह हमारे साथ ही अच्छी तरीके से जानते हैं जो ब्रेड एंड बटर अपना तो उसकी अपनी ट्रेजेडी होती है और मार्क्स ट्रेजेडी की बात करते हैं की जब वर्क ऑफ आर्ट भी एक कमोडिटी बन जाती है तो एक ऐसे कॉन्टैक्ट में आर्टिस्टिक फ्रीडम का क्या मतलब रहेगा सरकार के कहने पे एक इंस्टॉलेशन बनाते हैं कहीं पे उसने आपकी आर्टिस्टिक फ्रीडम और क्रिएटिव स्किल्स और कंक्रीट फंक्शंस में आप अपने क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं नॉट ए प्लेन ऑफ आइडिया जैसे आप विंटर पैलेस का चित्रा नहीं बना सकते ना अपनी मर्जी से आपको कितना भी मैन कर रहा जब आप किसी पूंजीपति द्वारा हायर किए जाते हैं कोई वर्क बनाने के लिए तो दूसरी चीज आर्ट टर्म को समझना था इसलिए हम थोड़ा वक्त लगा रहे हैं और इसे एंटीसिपेशन थोड़ा बिल्ड हो सकता है की रिलेशन वाले पे कब बताएगी की आर्ट और आईडियोलॉजी का लेकिन इस इन उसको बिल्ड होने देते हैं एंटीसिपेशन को थोड़ी देर क्योंकि बेसिक टर्म्स को एस्टेब्लिश के बिना सीधे उसे अब इसमें कूद पादना से कुछ निकलेगा नहीं तो पहले वो बेसिक ट्रेन जिसको कहते हैं ट्रेन ऑफ दिस कोर्स उसको एस्टेब्लिश किया जाना चाहिए तीसरा जो टर्म है वह पॉलिटिक्स यह मोस्ट केअरलेसली एंड कंपेरटिवली लेस इफेक्टिवली लोग इस्तेमाल किया मोटिव कहीं पर कुछ दिखता है तो हम लोग कहते हैं बहुत पॉलिटिक्स हो रहे हो लेकिन यह पॉलिटिक्स का सही मीनिंग नहीं है उसके सही मीनिंग को एस्टेब्लिश करना बहुत जरूरी है पॉलिटिक्स क्या है पॉलिटिक्स कलेक्टिवली वह पॉलिसी वह प्लांस और वह जनरल लाइन ऑफ एक्शन है जो की क्लास स्ट्रगल्स के दौरान अलग-अलग क्लासेस के पॉलिटिकल लीडरशिप अपना इन्वेस्टमेंट के ऑपच्यरुनिटीज थॉट्स व्हाट उनकी जो लीडरशिप है उनके द्वारा फार्मूले की जाने वाली डेफिनेट पॉलिसीज एंड कंक्रीट पॉलिसीज हैं प्लान ऑफ एक्शन है जनरल लाइन और प्रैक्टिस है और उसी को कलेक्टिवली डेफिनेशन ऑफ़ पॉलिटिक्स इससे जब मार्क्स ने यह कहा की ऑल क्लास स्ट्रगल इस पॉलिटिकल बिना वर्गों के पॉलिटिक्स की अवधारणा पहले जरूरी था ताकि हम अपने डिस्कशन में आगे बढ़ सके बिकॉज विल कीप कमिंग बैक तू दिस बेसिक कॉन्सेप्ट्स अब पहले सवाल पर आते हैं और ये पहले सवाल को हाल करने की प्रक्रिया में जो दूसरा सवाल है पॉलिटिक्स का रिश्ता क्या होता है आईडियोलॉजी फेर पॉलिटिक्स का क्या रिश्ता है आर्ट से वो खुद क्लियर हो जाएगा शायद हम बहुत डिटेल में उसमें ना जाता है आज क्योंकि आज अगर हम ये प्रेजेंटेशन या वर्क ऑफ आर्ट जो है वह खुद बस आईडियोलॉजी का प्रोजेक्ट आईडियोलॉजिकल यानी ट्रुथ देती है दुनिया में वो किसी प्रकार का ट्रुथ रिप्रेजेंट नहीं करती किसी भी प्रकार की सच्चाई को रिप्रेजेंट नहीं करती इट इस सिंपली अन प्रोडक्ट ऑफ आईडियोलॉजी या सिर्फ विचारधारा का एक उत्पाद है लेकिन मार्क्स इस बात को नकारते हैं अलग-अलग जो मार्क्सिस्ट इंटेलेक्चुअल रहे हैं दो जू मैटर मैं वल्गर उसकी बात नहीं करते हो हर किस्म के लगी मतलब उसमें जुड़ जाते हैं आमतौर पर बात करते करते लेकिन जो vakaimaksis lannist आईडियोलॉजी और पॉलिटिक्स के साथ कमिटमेंट रखने वाले इंटेलेक्चुअल द क्योंकि वही ट्रॉली इंटेलेक्चुअल हो सकते हैं विदाउट कमिटमेंट देयर कैन बी नो इंटेलेक्चुअल एक्टिविटी वो बाजरो किस्म की एक्टिविटी है जो कोई भी कर सकता था की इन समस्याओं का हाल किए बिना क्रांतिक भी कई गंभीर समस्याओं का हाल नहीं किया जा सकता है तुम सभी ने इस बात को नकारा की आर्ट इस नॉट सिंपली एडोलॉजी या सिर्फ ये विचारधारा का कोई सिंपल उत्पाद नहीं है हालांकि कला का विचारधारा से बहुत विशिष्ट किस्म का रिश्ता होता है तो यह पहली इंपॉर्टेंट चीज है जिसको हमको समझना चाहिए की आर्ट आईडियोलॉजी नहीं है हालांकि आईडियोलॉजी से इसका एक बहुत ही डेफिनेट किस्म का और बहुत ही picculiar बहुत ही विशिष्ट किस्म का रिश्ता है इस बात को और गहराई से समझने के लिए हमको सबसे पहले यह समझने की जरूरत है की आर्ट और साइंटिफिक नॉलेज या साइंस में क्या फर्क है क्योंकि उसे डिफरेंस को एस्टेब्लिश करके ही हम आर्ट और विचारधारा का रिश्ता समझ सकते हैं कला और विचारधारा तो पहली चीज जो है वो ये है की कला हमको वैज्ञानिक ज्ञान नहीं देती है साइंटिफिक नॉलेज नहीं देती है ना उसका ये बर्डन है उसको देना देना चाहिए कला का यह कम नहीं की वह आपको चीजों के बारे में दुनिया नेचुरल और सोशल कर रही है या जो उसका ऑब्जेक्ट है उसके बारे में आपको वैज्ञानिक ज्ञान दे इसलिए उससे यह उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए उसे उम्मीद करना वही बातों की आप किसी को एकता में किसी का वो कोटेशन मेरे को याद नहीं बाद अच्छा कोटेशन था वो आमतौर पर मतलब जो लोगों को समाज में अगर बच्चों को रिजेक्ट कर दिया जाता नहीं ये काबिल नहीं है क्योंकि वो ये नहीं कर सकते वो नहीं कर सकते तो उसके बारे में किसी पड़ेग का था या किसका था की आप किसी चीते की काबिलियत का पैमाना उड़ना बनाएंगे तो obbviously आप उसको ना काबिल ही बताएंगे और अगर आइंस्टीन तो वही चीज कला से के साथ भी वैसा दुराचार नहीं किया जाना चाहिए उम्मीद नहीं की जानी चाहिए की वो अपने ऑब्जेक्ट यानी की साइंटिफिक और सोशल थॉट फिनोफेना को उसके अंडरलाइन लॉस ऑफ मोशन यानी की उसकी गति के नियमों और उसके वैज्ञानिक ज्ञान को तो पहली चीज जो सबसे इंपॉर्टेंट है वो ये समझना है लेकिन कलाकार विज्ञान से रिश्ता भी है यह रिश्ता आइडेंटिटी का नहीं है यह रिश्ता डिफरेंस का है जैसा की आल्ट की कला और विज्ञान का एक रिश्ता है कला विज्ञान नहीं है और कला वैज्ञानिक ज्ञान नहीं दे सकती लेकिन कला का विज्ञान से रिश्ता है और वो उसके अंतर पर निर्भर करता है लेकिन यह अंतर अंतर विरोध नहीं है ये अंतर है वो आगे हम देखेंगे इसका क्या मतलब है लेकिन दूसरी इंपॉर्टेंट चीज है समझना है की कला और विज्ञान का एक निश्चित रिश्ता होता है वो निश्चित रिश्ता डिफरेंस का है लेकिन कांट्रडिक्शन का नहीं है तीसरी जो इंपॉर्टेंट चीज है वह यह करती क्या है अपने ऑब्जेक्ट के साथ जो प्राकृतिक परिघटना है सामाजिक परिवर्तन है उसके साथ कला क्या करती है कला हमको एक ऐसी चीज दिखाती है या उसके अनुभूति देती है या उसका एक बोध परसेप्शन देती है जो चीज रियलिटी की तरफ इशारा करती है मैं फिर से इसको दोहरा देता हूं की 8 मैक्स दिखाती है या उसके अनुभूति देती है या उसका एक परसेप्शन देती है जो की यथार्थ की तरफ इशारा करता है लेकिन वह कोई ऐसी चीज दिखाती जरूर है या उसका परसेप्शन जरूर देती है जो की यथार्थ की तरफ इशारा करता है इस मामले में मैं पार्टिकुलरली बिल्ड करूंगा उसे पर हम आएंगे कैसे वो क्लासिकल मास्टर्स लेने हैं जो चौथी चीज इंपॉर्टेंट है यहां समझने की वो अगला सवाल है की वो समथिंग क्या है जो कला हमें दिखाती व्हाट इसे डी समथिंग विचारधारा कला हमें जिस चीज को रिवील करती है एक्सपोज करती है वह आईडियोलॉजी है और यह ठीक वही आईडियोलॉजी है जिससे कला पैदा होती है और जिसमें कलर नही हुई होती है फ्रॉम विच इट इसे बोर्न एंड इन विच इट [संगीत] इंपॉर्टेंट चीज है या एक्सपोज करती है वो ठीक वही विचारधारा होती है जिस विचारधारा से कला स्प्रिंग करती है उसी में नही होती है लिप्त होती है लेकिन उसी की तरफ इशारा भी करती है और दिखा देती है की एडोलॉजी क्योंकि आईडियोलॉजी खुद कभी नहीं कहती की मैं ऑडियो आईडियोलॉजी का एक फंक्शन यह है की वह अपने सब्जेक्ट को बताती है की जो तुम मानते हो वह आईडियोलॉजी नहीं मतलब कोई क्योंकि वो सही सवाल कभी पूछती नहीं है तो आईडियोलॉजी को इसलिए आईडियोलॉजी के लिमिट्स को एक्सपोज करता है इसलिए आर्ट का यहां सब वर्सिव कैरक्टर उसका एक क्रांतिकारी उसका एक प्रगतिशील चरित्र भी दिखता है जहां पर आर्ट ठीक आईडियोलॉजी से पैदा होती है और नही होती है उसी आईडियोलॉजिकल तरफ पॉइंट भी कर देती है उसी की तरफ इशारा भी कर दे अभी हम बहुत एब्स्ट्रेक्ट टर्म्स में बात करेंगे और बाद में हम कंक्रीट एग्जांपल से कंक्रीट करेंगे की ऐसा कैसे होता है लेकिन अभी थ्योरी को थ्योरी के टर्म्स पे समझते हैं ये भी नीड तू लर्न तू थिंक थियोरेटिकल अगर हमेशा हमको कंक्रीट एग्जांपल्स की जरूरत होती है तो ये हमारे थियोरेटिकल थिंकिंग के वीकनेस हालांकि कंक्रीट एग्जांपल्स की जरूरत आगे पड़ती है और अच्छे से अच्छा थियोरेटिकल थिंकर भी कंक्रीट एग्जांपल्स पेश करता है लेकिन हमेशा कंक्रीट एग्जांपल्स की जो डिमांड है इससे थोड़ा बचने की कोशिश करना चाहिए वर्ण हमारे दिमाग कुछ साइंटिफिक ली और थियोरेटिकल सोचने की आदत खत्म हो जाती है है ना हमेशा बच्चों की तरह हमें कोई चीज दिखाएंगे देखो बेटा ये एक चीज है जैसे की ये एक चीज है यह फोन है क्योंकि चीज की कोई जेनेरिक थियोरेटिकल डेफिनेशन नहीं है हमारे पास है ना तो इसलिए अभी इसको हम थियोरेटिकल टर्म्स पे ही लेकर चलेंगे थोड़ा तकलीफ होगी लेकिन मजेदार तकलीफ होगी अंत में मजा आएगा आईडियोलॉजी हमें कला हमें क्या दिखाती है ठीक वही विचारधारा वह पॉइंट आउट कर देती है जिस विचारधारा से वह पैदा होती है और जिसमें वह नही हुई होती है और इसीलिए मार्क्स ने मालदा के बारे में अपने विश्लेषण में यह दिखाया यह आईडियोलॉजी क्या रिवील कर रही है और क्या कंसील कर रही है और दोनों चीज समझना इक्वली जरूरी है क्योंकि अगर ट्रू वर्क ऑफ आर्ट हर कलात्मक रचना एक vikhanddit फ्रेगमेंट्री इमेज एक यथार्थ के एक हिस्से का एक टुकड़े का एक vikhanddit उसकी इच्छा भी एक फ्रेगमेंटेड इमेज पेश करती है है ना और क्योंकि वह फ्रेगमेंटेड इमेज पेश करती है इसलिए कुछ चीज वह रिवील करती है और कुछ चीज वो कंसील करती है जो रिवील करती है वह भी उतना rivility होता है और जो कंसील करती है वो भी उतना रे होता है रिव्यूइंग आप इस्तेमाल कर सकते हैं तो दोनों इक्वली रिवीलिंग होता है दोनों जगह वो मिरर का कम करती है एक जगह एक ब्रोकन मिरर का कम करती है जहां वो एक फ्रेगमेंटेड रियलिटी को का फ्रेगमेंटेड इमेज पेश करती है और एक जगह वो एक ब्लाइंड मिरर का कम करती है जैसे किसी मिरर पे कला कालिक पोती गई हो कुछ दिखा नहीं रहा लेकिन यह दिखाता है कुछ की वो कुछ नहीं दिखा रहा है क्योंकि दर इस अन मिरर बट इट इस ब्लाइंड तू समथिंग तो कोई भी वर्क ऑफ आर्ट जो वह कहता है उससे उसके बारे में आप जो जानते हैं उससे ज्यादा आप उसके बारे में उन चीजों से जानते हैं जो नहीं कहता है उसके साइलेंस उसकी ब्लाइंड स्पोर्ट्स और उसके अब्सेंस उसके anupsthitiya उसकी चुटिया और उसके ब्लाइंड स्पोर्ट्स भी उतना ही चीख-चीख के बता रहे होते हैं की उसे कलात्मक रचना के अंतर्विरोध क्या है और जिस ऐतिहासिक यथार्थ को रिफ्लेक्ट करने का कम वो कलात्मक रचना कर रही है क्योंकि कलात्मक रचना वास्तविक antarvirodhon को कला में जो करती हो रीप्रोड्यूस नहीं करती है जैसे वास्तविकता ही रीप्रोड्यूस नहीं हो जाती है कलम एक इमेज पेश होती है उसे इमेज को समझना ही बेसिकली क्रिटिसिज्म का टास्क साइंटिफिक लिटरेरी क्रिटिसिज्म का कम ही है [संगीत] पांचवी चीज अब यह सवाल उठाता है की कल जिस आईडियोलॉजी से वह पैदा जिससे नारीश की जा रही होती है और जिसमें वो नही होती है उसी इडली को पॉइंट आउट कैसे करती है या उसको एक्सपोज कैसे करती है उसको रिवील कैसे करती है यहां पर सबसे इंपॉर्टेंट किस चीज को समझने की जरूरत है वह है इंटरनल डिस्टेंस है किस्म का रिट्रीट एक किस्म का विद्रोह तो कला जिस विचारधारा से पैदा होती है और जिस विचारधारा में नही होती है उसी की तरफ वो इशारा करती है क्योंकि वो एक इंटरनल distensiation परफॉर्म करती है यह इंटरनल डिस्टेंस विचारधारा से होता है वो विचारधारा से बाहर नहीं चली इसीलिए वो इंटरनल डिस्टेंस है एक्सटर्नल डिस्टेंस ये डिस्टेंस मतलब दूरी लेना किसी चीज से डिस्टेंस बनाना तो कला का ये फंक्शन है इनफेक्ट दिस इसे डी मोस्ट इंपॉर्टेंट फंक्शन ऑफ आर्ट की वो जिस विचारधारा से पैदा होती है उसी से वो एक आंतरिक दूरी लेती है इंटरनल डिस्टेंस करती है एक रिट्रीट करती है विड्रोल करती है उससे और उसे गैप के जरिए वो पॉइंट आउट करती है की ये वो विचारधारा है जिससे मैं पैदा हुई हूं इसको भी हम अभी आगे और विस्तार अभी सिर्फ हम थियोरेटिकल जो प्रपोजिशंस हैं उनको समझते हैं यह फिफ्थ पॉइंट तो फिफ्थ पॉइंट स्टेशन से डेरिव हो रही है एक्जेक्टली उसका मीनिंग और लिमिट यही उसके इंपॉर्टेंट को डिफेक्ट करता है जितना मीनिंग करता है उतना ही लिमिट करता है क्योंकि लिमिट को समझे बिना आप मीनिंग को समझी नहीं सकते हैं लेकिन उसे पर तेरी आएंगे आगे तो इसलिए हमको साइंटिफिक कॉन्सेप्ट्स के तौर पर वास्तविकता कुछ समझने या वास्तविकता के बारे में कोई साइंटिफिक नॉलेज नहीं देते यह उनका पर्पस नहीं है और ये bojhun पर डाला भी नहीं जाना चाहिए अगर वो ऐसा करते अगर बर्फ को फाड़ ऐसा करते की वो किसी भी सोशल फेनोमेनल के लॉस ऑफ मोशन आपको बता देते हो हिस्टोरिकल टोटलिटी को समझ लेते हैं जिस हिस्टोरिकल टोटलिटी क्योंकि हिस्टोरिकल जो रियलिटी उसके बहुत सारे लेवल्स ऑफ डिटरमिनेशन उसके निर्धारण के बहुत से स्टार होते हैं पॉलिटिकल होता है आईडियोलॉजिकल होता है कल्चरल होता है और यह सारे जो निर्धारण के अलग-अलग स्टार हैं वो आपस में बहुत जटिल संबंध से बंधे होते हैं आर्टिस्ट कई कम नहीं उसे पुरी हिस्टोरिकल टोटलिटी को वह देखें और उसके लॉ ऑफ मोशन की पड़ताल करें आर्टिस्ट एक या कुछ लेवल्स के साथ इमीडिएट कॉन्टैक्ट में होता है और उसे इमीडिएट कॉन्टैक्ट के आधार पे वो एक फ्रेगमेंट्री इमेज पेश करता है इसलिए आर्ट का ये कम नहीं है ये उसका फंक्शन नहीं है की वो हिस्टोरिकल टोटलिटी के बारे में को देखें हिस्टोरिकल टोटलिटी को अगर वो देखेगा तो आठ नहीं रह जाएगा वो सोशल साइंस में तब्दील हो जाएगा इट विल स्टैंड इन न्यू रिलेशन तो हिस्ट्री एंड नॉलेज आर्ट स्टैंड्स इन अन वेरी पार्टिकुलर डेफिनेट रिलेशन तू हिस्ट्री इतिहास और ज्ञान से कला का एक बहुत ही निश्चित रिश्ता होता है जिसमें वो खड़ी होती है रिलेशनलिटी है जो डिफाइन करती है की क्या क्या है ना जैसे ये कहना की मेरा घर कहां है मेरा घर प्लाजा सिनेमा के सामने है प्लाजा सिनेमा कहां है मेरे घर के साथ तो यह आठ का कम नहीं है और अगर आर्ट ऐसा करेगी तो आर्ट नहीं रह जाएगी वह सोशल साइंस हो जाएगी वो साइंस का फंक्शन अदा कर रही होगी 8 8 इसलिए है क्योंकि वह इतिहास और ज्ञान से निश्चित रिश्ता रखती है और वो हिस्टोरिकल रियलिटी या हिस्टोरिकल टोटलिटी को ऐसा होल देख के उसके लॉस ऑफ मोशन को स्टडी करना ही उसका कम नहीं है आर्ट का कम है किसी भी पार्टिकुलर लेवल के साथ इमीडिएट रिलेशन रखना और उसके जरिए हिस्टोरिकल रियलिटी के बारे में ऐतिहासिक यथार्थ के बारे में एक vikhanddit छवि पेश करना यथार्थ के एक टुकड़े एक फ्रेगमेंट ऑफ रियलिटी का एक फ्रेगमेंटेड इमेज जो अगला पॉइंट करती है perculate करती है वो किस वजह से है एक चीज पे वो मार्क्स को नकटा है और वहां altusar गलत है जहां मार्क्स ने कहा है की आईडियोलॉजी रिप्रेजेंटेशन रियलिटी का इसलिए नहीं करती है की जो क्लिक थ्योरी थी की गिरोह होता है शासक वर्ग का शासक वर्ग बैठ के सोचता है की अगर हमारे शासन हमारे डोमिनेशन और हमारे वर्चस्व के यथार्थ को छिपाना है तो हमें एक विचारधारा गोधनी होगी जिसको लोग इंटरनलाइज कर लेंगे और फिर वो अपने ही एक्सप्लोइटेशन और अपने ही ऑपरेशन के प्रति अनकॉन्शियस हो जाएंगे तो बात करते हैं की ऐसा नहीं कैरक्टर आईडियोलॉजी का है वह इसलिए है क्योंकि वास्तविकता है जो वास्तविकता है वर्ग समाज की पूंजीवादी समाज की वहां पर जो वास्तविकता है वो खुद उसका एक अपेरेंट रियलिटी का स्टार है और उसका एक एसेंशियल है और अपेरेंट रियलिटी भी उतनी रियल है जितनी की एसेंशियल रियलिटी रियल और चूंकि आपको विज्ञान की जरूरत होती है की आप अपेरेंट रियलिटी की सत्ता को भेद के एसेंशियल रियलिटी तक पहुंचे ज्यादातर लोग अप्रैल रियलिटी कोई एसेंशियल रियलिटी के तौर पे लेते हैं कुछ लोग ये कहते हैं की अन रियल नहीं है जैसे अंडे का छिलका भी रियल है और अंडा के अंदर जो है वो भी रियल है उन रियल नहीं है लेकिन वो एसेंस नहीं है अकेले का छिलका भी रियल है ना उसके भीतर का केला कोई कहे की ये सब माया है जो मैं khichunga ऐसा तो है नहीं वो भी रियल है वो अपेरेंट रियलिटी है सुपरफिशियल लेवल हर रियलिटी का और एक उसका एसेंस लेकिन एसेंस तक पहुंचने के लिए आपको साइंस के इंस्ट्रूमेंट की जरूरत होती है अब चुकी रियलिटी जो है एक क्लास सोसाइटी में वह खुद ही फैट्स कैरेक्टर रखती है इसलिए उसे रियलिटी के बारे में लोग जो अवधारणाएं अपने दिमाग में बनाते हैं जो विचार अपने दिमाग में विकसित करते हैं वह भी फेटिश टिक होते हैं वह आईडियोलॉजिकल होते हैं यहां पे मार्क्स बिल्कुल सही है arthusar बिल्कुल गलत है और दूसरा इस बात को रिजेक्ट करता है एक तरीके से वो बोलता है की मैं इन दोनों थ्योरी के क्लिक थ्योरी को भी रिजेक्ट करता हूं और मार्क्स की स्टीरियो को भी मैं रिजेक्ट करता हूं की जो रियलिटी है उसी का expectationstic कैरक्टर है और उसे वजह से उसे रियलिटी के बारे में उसका जो रिफ्लेक्शन ह्यूमन कॉन्शसनेस में होता है विचारों के रूप में वो भी फेटिश ठीक होता है वो भी vichardharaatmak होता है और यही विचारधारा के पैदा होने का मूल्य लेकिन यहां मार्क्स इस अब्सोल्युटली करेक्ट एंड altusar इस रॉ लेकिन ये बोलता है की आईडियोलॉजी कोई आइडियल एक्जिस्टेंस नहीं होता है जैसे की हवा में कहीं एडोलॉजी एक्सिस्ट करती है उसका एक बहुत ही कंक्रीट मटेरियल एक्जिस्टेंस होता है जो रूलिंग क्लास की आईडी होनी चाहिए अब सोसाइटी में obbviously बहुत सारे क्लासेस होते हैं उन सब का अपना एक वर्ड आउटलुक होता है जो अपने क्लास इंटरेस्ट की ज़मीन पे खड़े होकर दुनिया को देखते हैं presentari एक खास तरीके से देखती है वर्कर से खास तरीके से वो भी आइडिया है वर्कर्स स्पॉन्टेनियसली कोई साइंस ऑफ रिवॉल्यूशन नहीं पैदा करते हैं इनफेक्टिव स्पॉन्टेनियस आईडियोलॉजी ऑफ वर्कर जो होगी वो या तो बुर्ज हुआ होगी या पुरोहित आर्यन होगी सर्वर विचारधारा जो की वैज्ञानिक विचारधारा है वो कोई प्रिया मतलब गिवन चीज नहीं है वो स्ट्रगल्स के थ्रू कॉन्स्टिट्यूशन होती है वो संघर्षों के जरिए पैदल होती है तो जो स्पॉन्टेनियस आईडियोलॉजी ऑफ वर्कर है वो भी उतना प्रोन है एक फेटिश के कैरक्टर रखने के जितना ठीक तो अब सबसे पहली चीज जो समझने की आइडिया दूसरी बात कहता है की उसका एक कंक्रीट मटेरियल एक्जिस्टेंस होता है जो यानी वो कहते हैं की आईडियोलॉजी किस चीज के थ्रू एक्सिस्ट और फंक्शन करती है वो बोलता है आईडियोलॉजिकल स्टेट अपेरटस वो स्टेट को aperates को दो हिस्से में बात बनता है एक बोलता है represis स्टेट अपेरटस है जिसमें सीधे पुलिस ट्रेड्स और ये सारे आते हैं और दूसरा आईडियोलॉजिकल स्टेट अपेरटस है जिसमें एक लिस्ट बनाता है लेकिन बोलता है ये एग्जास्टिव नहीं है जिसमें फैमिलियर आईडियोलॉजिकल स्टेट परिवार स्कूल लॉ रिलिजन मोरालिटी इन सबको आईडियोलॉजिकल स्टेट अपेरटस के तौर पे पेश करता है और बोलता है की आईडियोलॉजिकल स्टेट अपेरटस किस तरीके से कम करते हैं इंटरप्रिटेशन के जरिए इंटरपोलेशन आई इंटरप्लेट यू तो बोलता है एग्जांपल जो फेमस एग्जांपल से नहीं एक्सप्लेन किया जा सकता की आप चोरी करके जा रहे द चुपचाप और किसी ने ही यू कहा तो आपको समझ में ए गया की आप भी को बुलाया है इसको गिल्ड कोजनेस से नहीं एक्सप्लेन किया जाता है जा सकता है ये आईडियोलॉजिकल स्टेट अपेरटस का फंक्शनिंग की वो हेल करता है इंटरप्लेट करता है डी मोमेंट यू रेस्पॉन्ड आप रिकॉग्नाइज करते हैं उसको और डी मोमेंट यू आर interplated अस अन सब्जेक्ट आप एक इंडिविजुअल से सब्जेक्ट में तब्दील हो जाते हैं फिर बोलता है इसको बंद कर दो की अभी हमने इसको एक टेंपोरल सीक्वेंस के तौर पे पेश किया की पहले तो इंडिविजुअल्स इंडिविजुअल्स द फिर आईडियोलॉजिकल स्टेट अपेरटस ने उनको हेल किया और उनको इंटरप्लेट कर लिया लेकिन एक्चुअली ये सीक्वेंस नहीं है बोलता है की क्लास सोसाइटी में इंडिविजुअल्स ऑलवेज सब्जेक्ट होते हैं फिर वह बर्थ ऑफ चाइल्ड का एक एग्जांपल देता है बच्चे के पैदा होने का जिसमें बोलता है की बच्चे का पैदा होना अपने आप में एक ऐसे कॉन्टैक्ट में होता है जिसमें बहुत सारे आईडियोलॉजिकल उसके एलिमेंट्स होते हैं है ना बच्चे का लास्ट नाम पापा का होगा बच्चा पैदा होगा तो एक डेफिनेट रिलेशन शेयर करेगा मदर से और फादर से उसके कुछ डेफिनेट राइट्स और ड्यूटीज होंगे तो वह ऑलरेडी एंटीसिपेशन के बीच पैदा होता है बच्चा तो जब पैदा होता है तब मोमेंट इस बोर्न और उसे racketgination के साथ ही वो अपना एग्जांपल देता है और दूसरा बोलता है की लुइस लुइस ली पैदा हुआ तो ली जब पैदा हुआ तो वह ऑलरेडी एक खास फैमिलियल कॉन्टैक्ट में पैदा हुआ जहां पे सबके फिक्स्ड रोल द फिक्स रिलेशंस द और उसमें वह पैदा हुआ इसलिए वो ऑलरेडी इंटरप्रिटेड था फिर ली पहली बार उसका सांप का धर्म से पड़ा तो फिर धर्म ने उसका रिलिजियस इंटरपोलेशन किया उसको रिलिजियस सब्जेक्ट में तब्दील किया उसके बाद ली का सांप का लो से पड़ा तो उसने लोन उसका लीगल इंटरपोलेशन किया और वह डिटेल में भी जाता है वह जैसे धर्म के बारे में मोसेस के बारे में बताता है की मोसेस माउंटेन पर गया तो उसको एक खास जगह पहुंच के आवाज़ आई मोह से मोसेस तो वो सुना यस लिए बोला की देखो इंटरप्रेट हो गया और फिर वो बोल रहा है तू सर की लेकिन फिर गोद को भी अपने आप को इंट्रोड्यूस करना पड़ता है आई एम डी गोद ऑफ योर अन सिस्टर हूं तो वो तुरंत वो फिर और बोलता है की अपनी चप्पल उतार दो जिस जमीन पे तुम खड़े हो वो पवित्र ज़मीन है ये चप्पल उतार दो तो चप्पल उतार देता है सीन देखा होगा आपने 10 कमांडमेंट्स फिल्म अगर देखी है उसमें यकीन आता है और 10 कमांडमेंट्स फिल्म में जहां पे मोड्स का एनकाउंटर होता है गोद से तो पहले गोद तो गोद को रिप्रेजेंट अपने आप को इंट्रोड्यूस करता है तो बोलता है की इसलिए सबको वो सब्जेक्ट कर सकें सब्जेक्शन कर सके इसके लिए पहले उसको रिलिजन को एक डी सब्जेक्ट पैदा करना पड़ता है सब्जेक्ट रिलिजन के लिए गोद है तो 10 सब्जेक्ट पैदा होता है और 10 सब्जेक्ट के रिलेशन में बाकी लोगों का सब्जेक्ट होता है तो इसलिए लॉ में वो 10 सब्जेक्ट क्या है जस्टिस रिलिजन में वह गोद अलग-अलग उसमें अलग-अलग होगा तो एथिक्स में ड्यूटी है और उसे 10 सब्जेक्ट के रिलेशन में बाकी सब्जेक्शन अंजाम दिया जाता है बाकी लोगों का इंटरप्रिटेशन होता है और वो हमेशा से सब्जेक्ट होते हैं क्लास सोसाइटी में ये क्लास obbviously क्लास सोसाइटी की बात कर रहे हैं अब इस सारी चीजे बेसिक चीज क्या निकलती की विचारधारा हमारे जीवन में शिव की हुई होती है [प्रशंसा] और इसलिए वर्क ऑफ आर्ट होता है वह हमको विचारधारा को दिखलाता है जो हम कला की बात करें विचारधारा की तरफ इशारा कर देती है की देखो यह विचारधारा है ठीक वही विचारधारा की तरफ इशारा करती है जिससे वो खुद पैदा हुई होती है और जिसमें वो लिप्त हुई है लेकिन वो इशारा कैसे करती है कला इसलिए करती है क्योंकि कला विचारधारा कोई बहुत ही पार्टिकुलर मोड में प्रदर्शित करती है वो पार्टिकुलर मोड क्या है लिफ्ट एक्सपीरियंस इन रिलेशन तू डी रियल कंडीशन यानी एक वह जैसे इन जनरल बात नहीं कर सकती अच्छाई के बारे में बुराई के बारे में समाजवाद के बारे में पूंजीवाद के बारे में शोषण के बारे में विज्ञान कर सकता है लिटरेचर उन रियल कंडीशंस जिस लेवल पे वो डील कर रहा होता है रियल कंडीशन पे वहां पे सब्जेक्ट्स के यानी की विचारधारा द्वारा अधीनस्थ किए गए व्यक्तियों के दिए गए अनुभव लिफ्ट एक्सपीरियंस के जरिए ही वो आईडियोलॉजी को रिवील करता है बात को समझ रहे हैं जैसे पॉलिटिकल इकोनॉमी बात कर सकती है इन जनरल की एक्सप्लोइटेशन क्या होता है इट्स epropriation ऑफ सरप्लस लेबर इन वैल्यू ऑफ वैल्यू लाना पड़ेगा ना समझ का कैरक्टर है तो 11 का कैरक्टर एक सीन अगर आप लोगों में से कितने लोगों ने पढ़ाया ना करें उसमें एक सीन आता है जहां वो एक ऋत्विक पे गया है अपने दूसरे लैंडलॉर्ड फ्रेंड्स से मिलने तो उनमें बात हो रही है आपस में जिसमें कुछ लैंडलॉर्ड है वो modellorising है उनमें आधुनिक की कारण की प्रवृत्ति है तो मशीन ला रहे हैं थोड़ा और सारी चीज कर रहे हैं टॉल टॉय उसका चित्रण इसलिए नहीं करते हैं की उनको दिखा उन्होंने तय किया था की अन्ना का इन्ना लिखते हो की मैं दिखाऊंगा की पूंजीवाद का विकास हो रहा है रूस में और पूंजीवाद की थॉट्स नॉट डी टास्क को एन आर्टिस्ट वह रियलिटी के एक्शन के प्रति उनके फेडिलिटी यथार्थ के एक वफादार चित्रण के प्रति उनका एक कमिटमेंट और इस वजह से वह किसी परिघटना सामाजिक परिघटना और प्राकृतिक परिघटना को उसके एब्स्ट्रेक्शन या amurtan में दिखाना यह कला का कम है वो हमेशा इसलिए क्या कराएगा वो dermatize करेगा वो dermatization विजुअल आर्ट भी करता है लिटरेचर भी करता है म्यूजिक भी करता है सब करते हैं उनके नॉरेटिव का मॉडल है या उनके चित्रण का मूड अलग होता है लेकिन वो इमेज म्यूजिकल इमेज हो सकती है वो एक विजुअल इमेज हो सकती है वो एक लिटरेरी इमेज हो सकती है वो कोई भी इमेज हो सकती है लेकिन वो उसे रियलिटी को और इसलिए जवाब करेंगे तो आप बेसिकली क्या दिखाते हैं आप आईडियोलॉजी के लिफ्ट एक्सपीरियंस को और आईडियोलॉजी के लिव एक्सपीरियंस का रियलिटी सिंपल शब्दों में कहें की विचारधारा द्वारा अधीनस्थ किए गए विचारधारा के चश्मे से दुनिया को जो एक्टर है इस नॉरेटिव में वो कैसे दिख रहा है और चूंकि ये फैठफुल डिपिक्शन ऑफ रियलिटी और रोल्स-रॉय का यह भी नहीं है की इसमें मैं अपनी विचारधारा को कैसे छुपाऊं भी नॉट कॉन्शियस अबाउट रिजल्ट केवल ओनली कॉन्शियस अबाउट वैन थिंग क्रिटिकल रियलिटी की उनको यथार्थ का एक वफादार चित्रण करना और यथार्थ का वफादार चित्रण करते हुए अगर आप रियल कंडीशन ऑफ एक्जिस्टेंस करेंगे उसको नर्राते वाइस करेंगे उसको एक कत्थक में डालेंगे तो वो उसे प्रक्रिया में क्या करेगा आईडियोलॉजी को किस फॉर्म में रिवील करेगा कैरक्टर कैरेक्टर्स के लिफ्ट एक्सपीरियंस के तौर पर और वो कैसे आईडियोलॉजी के थ्रू रियलिटी को देखते हैं इस तौर पे करेगा जैसे की ब्लैक पूल मार्ता है हार्ड टाइम्स में तो बोलता है मॉडल आखिरी मरने से पहले उसका यातायात जो अर्ली इंडस्ट्रियल ब्रिटेन इंग्लैंड का जो मतलब उसे औद्योगीकरण के जरिए मजदूर वर्ग का विमान भी कारण था जो बर्बर शोषण था एक तरफ समृद्धि का इकट्ठा होना और दूसरी तरफ दरिद्र दरिद्रता का इकट्ठा होना इस पूरे ची का ही वाज नॉट एबल तू मेक सेंस ऑफ इट या वो जब लिख रहे द तो उनका मकसद बेंथम हाइट utanitarianism का क्रिटिक करना नहीं था हो गया कृति डेट इसे डी डिफरेंट डेट इसे डी फंक्शन ऑफ आर्ट की बोर रियलिटी के फैठफुल डिपिक्शन की प्रक्रिया में जिस विचारधारा से पैदा होती है उसी से इंटरनल डिस्टेंस करती है और उसकी तरफ इशारा कर देती है की देखो ये है वो विचारधारा जिस समय पैदा हुई है ठीक है तो ये सेवंथ इंपॉर्टेंट पॉइंट है इसका ये मतलब नहीं की आर्ट का कुछ अपना अलग ऑब्जेक्ट होता है जैसे altusar ने आंद्रे डी स्प्रे को एक पत्र लिखा था उसका नाम ये लेटर ऑन आर्ट उसमें kalauji का और दूसरा क्रिकेट करते हैं दास पे बोला था की आर्ट का अपना एक पेक्युलायर ऑब्जेक्ट होता है जिसकी वजह से आर्ट जो है वो कलाकार को मजबूर कर देती है की वो अपनी विचारधारा छोड़ दे और यथार्थ का चित्रण करें प्राकृतिक परिघटना और सामाजिक परिघटना नेचुरल एंड सोशल फेनोमेना यही दोनों का ऑब्जेक्ट है लेकिन डिफरेंस ऑब्जेक्ट में लाइन करता है डिफरेंस इस बात में अंतर नहीं होता है की विज्ञान हमको जो प्राकृतिक और सामाजिक परिघटना है जो उसका ऑब्जेक्ट है वो कैसे हमारे सामने पेश करता है और कैसे उसको रिवील करता है और क्या रिवील करता है और आर्ट हमारे सामने उसे ऑब्जेक्ट को कैसे प्रेजेंट करता है उसे सामाजिक और प्राकृतिक परिघटना के बारे में क्या रिवील करता है और कैसे रिवील करता है यहां पर आर्ट और साइंस अलग जाता है आर्ट का अपना कुछ पेक्युलायर मोड है वह साइंटिस्ट लोग नहीं समझेंगे या इस तरह का जो एक एक्सेपशनलस लॉजिक जाता है बेसिकली और दूसरा उसको काउंटर करता हूं ठीक ही काउंटर करता है यहां पर हमको चीजों को परसेप्शन के लेवल पे देता है चीजों को सीन फीलिंग और साइंस हमको नॉलेज के तौर पे देता है ऑब्जेक्ट दोनों का से विषय वस्तु दोनों की समान है प्राकृतिक और सामाजिक परिघटना लेकिन विज्ञान प्राकृतिक और सामाजिक परिघटना की टोटलिटी को तो teality के तौर पर देखता है और उसके आंतरिक गति के नियमों को उजागर करता है टोटलिटी के किसी एक पार्टिकुलर लेवल या कुछ पार्टिकुलर लेवल्स यानी ऐतिहासिक संपूर्णता के किसी पार्टिकुलर स्टार या कुछ स्तरों के बारे में एक फ्रेगमेंट ऑफ रियलिटी पेश करता है फ्रेगमेंट्री इमेजेस डायरेक्ट विखंडन छवि देता है एक हिस्से की क्रियलिटी की जिससे आर्टिस्ट का इमीडिएट कॉन्टैक्ट होता है ये बात अलग है की आर्टिस्ट का इमीडिएट कॉन्टैक्ट किस तरीके से होगा यह खुद हिस्टोरिकल टोटलिटी तय करती है लेकिन हिस्टॉरिकल टोटलिटी से आर्टिस्ट का इमीडिएट कॉन्टैक्ट नहीं होता है उसके किसी एक पार्टिकुलर स्टार से होता है तो इसलिए जो डिफरेंस है वह यह है अब इसको हार्ड टाइम से दोबारा समझता है हार्ड टाइम सबको कैपिटल आप लोग फर्स्ट ईयर के हार्ड टाइम्स है ना शायद फर्स्ट ईयर में इंग्लिश में अच्छा अच्छा आरंभिक औद्योगिक इंग्लैंड में पूंजीवाद के विकास पूंजीवादी शोषण की बर्बरता मजदूर वर्ग के दरिद्र कारण और विमान भी कारण लेकिन वह हमको थ्योरी ऑफ सर प्लस वैल्यू नहीं देता है की एक्सप्लोइटेशन कैसे होता है पूंजीपति मजदूर से क्या खरीदना है और पूंजीपति क्यों अमीर होता जाता है और मजदूर वर्ग क्यों गरीब होता जाता है यह बताना हार्ड टाइम्स का कम नहीं है ये भी समझ लेना की और हार्ड टाइम के बता भी नहीं सकता वो कैपिटल आपको बताता है मार्क्स का कैपिटल किशोर कैसे होता है मुनाफा कहां से पैदा होता है मजदूर वर्ग क्या बेचता है पूंजीपति को मेहनत नहीं भेजता है मेहनत करने की अपनी ताकत भेजता है श्रम शक्ति लेबर पावर और यह कम उसे कैपिटल को हिस्टोरिकल टोटलिटी को स्टडी करना और उसके गति के नियमों को उजागर करना ये पॉलिटिकल इकोनॉमी आज अन साइंस ऑफ सोशल प्रोडक्शन का कम यहां टाइम्स का कम नहीं है अगर स्पिनोसा के शब्दों का इस्तेमाल किया जाए तो आज हमको बिना प्रेमिसेस के कंक्लुजन देता है वह को प्रेमिसेस नहीं बताता है की क्यों हो रहा है कैसे हो रहा है और प्रेमिसेस किस मेकैनिज्म के जरिए अपना वो इफेक्ट पैदा कर रहे हैं जो की वो पैदा कर रहे हैं वह हमको बिना बिना प्रेमिसेस बताए हुए कन्फ्यूजन बताता है डिटेल्स में बताता है बहुत रिच डिस्क्रिप्शन में बताता है और यही उसे प्रकार साइंस हमको वह परिसर मेकैनिज्म बताता है जो की वो करते हैं ठीक है इंपैक्ट जो सोशल फेनोमेना के तौर पर सामने आता है लेकिन उसे सोशल फेनोमेना के पीछे क्या इस स्ट्रक्चरल फैक्टर्स कौन से ढांचागत कारक है जो उसे सामाजिक परिघटना को जन्म दे रहे हैं और किस तरीके से जानते हैं यह बताना कला का कम किया देख सकते हैं की कैपिटल एक्सप्लोइटेशन के बारे में तो बेस्ट नवल होगा वह भी आपको कैपिटल एक्सप्लोइटेशन के पीछे जो लॉस ऑफ मोशन कम कर रहे हैं वो रिवील नहीं करेगा वर्ण रिवील करना चाहिए उसको और ना करना उसका कम तो यह सबसे पहला अलग बात है की वो एक्सप्लोइटेशन के सवाल को एजेंडा पे रख सकता है एक नए रिलाइजेशन के साथ एहसास के एक नए धरातल के साथ उसको एजेंडा पे रह सकता है अर्जेंसी के एक नए एहसास के साथ वो पूंजीवादी शोषण के सवाल को एजेंडा पे रख सकता है लेकिन पूंजीवादी शोषण के लॉ ऑफ मोशन को रिवील करना ये आठ का कम नहीं है इंपॉर्टेंट पॉइंट है वह यह है जिस टाइम ने थोड़ा सा बीच में रेफर किया था की बल्दा के टॉलस्टॉय वह अपने ऐतिहासिक युग के बारे में उसकी सच्चाई के बारे में कुछ बता पाए तो इसकी वजह की एक आर्टिस्ट के तौर पे उनको अपने राजनीतिक विचार और अपनी विचारधारा को पर त्याग करना पड़ा उनका आबंदों करना पड़ा इन फैक्ट लेने की जगह कहते हैं की टॉलस्टॉय के नोवेल्स के कंटेंट का एक दीप लाइन रीजन उनकी आईडियोलॉजी तो वर्क ऑफ आर्ट रियलिटी को फ्रेगमेंटेड इमेज में ही सही और रियलिटी के फ्रेगमेंट को ही सही रिवील करता है नॉट देस्पीते इट्स आईडियोलॉजी बट बिकॉज ऑफ इट साइड करके विचारधारा को छोड़ के अपने कोई कलाकार कलात्मक रचना में यथार्थ के किसी पहलू को एक vighandit छवि के जरिए उजागर नहीं करता है बल्कि प्रेसीजली ठीक अपनी विचारधारा की वजह से ही वो ऐसा करता है dispight नहीं बल्कि बिकॉज रिएक्शन नहीं है चेतन भगत उच्च आयात हर जगह इसलिए मार्क्स और बात करते हैं की एंड सी आर टॉकिंग अबाउट जेनुइन आर्ट एंड सी आर टॉकिंग अबाउट ट्रू हार्ट कर देते हैं ताकि आदमी कला के तौर पे किसी भी चीज को ना ले और पूछने लगे की भाई साहब ये बताइए जो मारा गया सिंगर क्या नाम था इसका [प्रशंसा] उसे एक वफादार चित्रण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता है इस कमिटेड तू अन हिज फेडिलिटी इसे टुवर्ड्स ए फैठफुल डिपिक्शन ऑफ रियलिटी इन वाटेवर फोर्ट विजुअल आर्ट में करेगा म्यूजिक में करेगा लिटरेचर में करेगा अभी उसमें नहीं जा रहे हैं इसलिए आर्ट और साइंस को किसी अंतर्विरोध antarvirodhi चीज के तौर पे काउंटर पीओएस नहीं किया जाना चाहिए उन दोनों का ऑब्जेक्ट सोशल और नेचुरल फिनोफेना है वो दोनों जो के बीच में जो अंतर है वो इस चीज में है की वो क्या रिवील करते हैं उसे रियलिटी के बारे में कैसे अब इस यह जो कुछ बेसिक है इनकी रोशनी में अब कंक्रीट एक एग्जांपल को लेते हैं लेनिन ने जो टॉलस्टॉय के बारे में लिखा है वो सबसे रिवीलिंग होगा और वो इन प्रैक्टिस हम देखेंगे की ये थीसिस किस तरीके से लागू आ होती हैं और लेनिन ने किस तरीके से लागू की सबसे पहली चीज जो समझने की लेमन की राइटिंग्स को कुछ मायने में लिटरेरी क्रिटिसिज्म भी और इन जनरल आर्ट क्रिटिकल regulationary द्वारा माना जा सकता है कुछ हाथों में फ्रेगमेंट्री रिमार्क्स मार्क्स में भी है एंगल्स में भी हैं और लाफार्ज ने बटन सोशल लाइफ के बारे में लिखा था लेकिन पार्टिकुलरली 8 क्रिटिसिज्म पर किसी एक स्पेसिफिक रचना को लेकर या किसी या किसी स्पेसिफिक आर्टिस्ट को लेकर यह दिखाना की आर्ट और आईडियोलॉजी का रिश्ता क्या है और आर्ट क्रिटिसिज्म का फंक्शन क्या है टास्क केयर है ना कलात्मक आलोचना का मकसद क्या है उसका प्रकार क्या है और उसका टास्क क्या है ये दिखाना इस महीने में बहुत ज्यादा कुछ नहीं 1908 से 1911 तक 6 आर्टिकल के बारे में कैसे होना चाहिए क्रिटिसिज्म का टास्क क्या है क्रिटिसिज्म का फंक्शन क्या है उसको पेश किया और इस वजह यह मतलब लेने के लिए कोई अलग से लिटरेरी एक्सरसाइज नहीं था ना तो उनका जो उसे समय दौर था वो बहुत मुश्किल दौर था 1908 से 11 का रिएक्शन का दौर था जब 1905 की क्रांति असफल हो चुकी थी उसके बाद इस ताली रिफॉर्म्स हुए द और एक भारतीय रिएक्शनरी पीरियड था दमन था रिवॉल्यूशनरीज के दमन का उसे दौर में लेनिन पूरे एक हिस्टोरिकल शिफ्ट को थ्योरम कर रहे द 1905 का रिवॉल्यूशन पहला ऐसा रिवॉल्यूशन था जिसमें कुछ चीज बदल गए रूसी इतिहास में और हमेशा के लिए बदल गई और उन परिवर्तनों के मध्य नजर लेनिन पुरी के पूरे रिवॉल्यूशनरी पार्टी को रिवॉल्यूशनरी थ्योरी को एक मोड दे रहे द और उसे मोड देने के एक अंग के तौर पर टोल स्ट्राइक के बारे में 6 आर्टिकल लिखते हैं तीन साल में इसलिए नहीं की उनके पास खाली टाइम था उन्होंने चलो अभी कोई एकदम बर्निंग पॉलिटिकल प्रॉब्लम सामने पॉलिटिकल लेखन का इन्हेरेंट पार्ट था इसको हम देखते कैसे पहली चीज टॉय पर लेखन पूरे रूसी समाज में बहुत ही विशाल परिवर्तन को आईडेंटिफाई करना और उसे विशाल परिवर्तन के कॉन्टेक्स्ट में एक ग्रेट आर्टिस्ट को हिस्ट्री में उसकी सही जगह ए लॉट करना यह लेनिन के उसे क्रिटिसिज्म का बुनियादी मकसद है ये कोई diggation नहीं था की थियोरेटिकल पॉलिटिकल थिंकिंग थोड़ा डिग्रेस करके लिटरेरी क्रिटिसिज्म करके फिर वापस पॉलिटिकल थिंकिंग करने लगे थियोरेटिकल राइटिंग है और उनको एक साथ पढ़ा जाना चाहिए वर्ण आपको लगेगा की बस आप लेनिन के पॉलिटिकल थॉट मैं आपको शिफ्ट नजर आएगा आप ये नहीं समझ में आएंगे की टॉलस्टॉय के वर्क ऑफ आर्ट के बारे में लेने दिया गया है इसलिए उसको टोटलिटी में देखा जाना चाहिए जब आप टोटलिटी में देखते हैं तो दो बात साफ तौर पे निकल के आती दो आप का सकते हैं बुनियादी उसूल वह क्या है बहुत सिंपल बात है और इसी का फ्लिप साइड यह है की हर वर्क ऑफ आर्ट जिस ऐतिहासिक युग का उत्पाद होता है उसी को इल्यूमिनेट भी करता है प्रकाशित करता है कुछ दिखलाता है ये दो प्रिंसिपल लग रही है लेकिन आगे इसके दीप जो अर्थ है वह समझ में आएंगे तो पहली चीज है लेकिन दूसरी चीज कलाकार के दौर को आप यांत्रिक तौर पे नहीं परिभाषित कर सकते हैं जिस वक्त वो कोई नवल लिख रहा था या उसके पब्लिकेशन की डेट इन बोलते हैं वो सर्वनाम का अबोलिशन जो रूस में हुआ 1861 में वहां से लेकर 1905 की असफल क्रांति तक का दौड़ता का उन्मूलन 1861 से लेकर 1905 की असफल क्रांति अब उसे पीरियड में लिखने लगे द 1867 का पूरा जो वर्ल्ड आउटलुक था वह उसे तरीके से उभर के अभी उनके लेखन में आना है शुरू ही हो रहा था अब टॉलस्टॉय एरा जिसको बोलते हैं उसको आप अन्ना करीना जब लिखा गया हालांकि उसको दिशों कर दिया वॉरेन पीस को और उसको बाद में उन्होंने लेकिन जब लिखा गया उसको की उसकी डेट या उसके राइटिंग का एग्जैक्ट टाइम ब्रैकेट उससे अपने डिफाइन कर सकते उसकी दो वजह है पहले पहली वजह लेकिन बताते हैं की आर्टिस्ट जो है वो हमेशा इस इवेंट के बाद बोल रहा है है ना पोस्ट सिस्टम इवेंट के होते वक्त पॉलीटिशियन बोलता है आर्टिस्टिक बोलता है आर्टिस्ट इवेंट के बाद बोलता है इवेंट हो जाने के बाद बोलता है घटना बहुत उसको एक्सप्रेस करने वाला शब्द नहीं उसके बाद बोलता है दूसरी चीज बोलते हैं की आर्टिस्ट अपने युग की किसी anokonistic टेंडेंसी में बिलीव करने वाला आर्टिस्ट हो सकता है आज बिछाया कविता छायावादी कविता लिखने वाले लोग हो सकते हैं तो उन उसे आर्टिस्ट का हिस्टोरिकल पीरियड छायावादी होगा हालांकि वो 2023 में लिख रहे होंगे रोमांटिक जो रोमांटिक धारा को आप दोबारा आज कोई बिकने लगे उसे तरीके से आर्टिस्ट का पीरियड का जो डिटरमिनेशन है वो आर्टिस्ट कब पैदा हुआ कब मारा और उसने कब कौन सा नोबेल लिखा इससे नहीं था दो चीजों से होगा एक वो इवेंट के बाद बोलता है दूसरे इवेंट के बाद बोलने के बाद झूठ वो अपने युग के किसी प्रोग्रामर प्रवृत्ति के साथ जुड़ा हो सकता है जिसका युग बीट चुका है है जैसे की वो आईडियोलॉजिकल फंक्शन आर्टिस्ट की एक ऐसी दुनिया में एक्जिस्टेंस की जिस दुनिया में वो खुद एक anomalli है तो वो तो है ही वो बिना मटेरियल बैकग्राउंड के तो कोई चीज होती ही नहीं है वो तो है या अभी हम सिर्फ इतने फैक्ट्स की बात कर रहे हैं की आर्टिस्ट अन acresentronistic टेंडेंसी से भी रिलेटेड हो सकता है दूसरा आर्टिस्ट इवेंट के बाद बोलता है इसकी आर्टिस्ट के पीरियड का जो डिटरमिनेशन है वो सिर्फ आर्टिस्ट कब लिख रहा था और कब पैदा हुआ और कब मारा इससे नहीं होगा इसलिए अब टॉलस्टॉय एरा के चार डिफाइनिंग फीचर्स के लिए दिन बात करते हैं वो चार डिफाइनिंग फीचर्स ये द की एक fuddik लाइन हो रहा था ऐसा मूड ऑफ प्रोडक्शन इकोनॉमिकली एक डोमिनेट मोदक प्रोडक्शन में तब्दील इसी पीरियड में होता है प्रेशर हिस्ट्री के टॉलस्टॉय एरा किया बात कर रहे हैं दूसरा डिफाइनिंग फीचर ये था तीसरा डिफाइनिंग फीचर ये था की जो प्रेजेंट थी इस दौर में सोशल प्रोटेस्ट की में फोर्स थी क्योंकि ये प्रेजेंट रिबेलियंस का दौर था प्रेजेंट इस दौर में आ लैंड रिफॉर्म्स के लिए लड़ रहे द उनका अपना एक यूटोपिया था समाधान का की सारे प्रेजेंट्स अपना एक फ्री कम्यून टाइप बनाएंगे सबके पास अपना एक प्लॉट ऑफ लैंड होगा और आफ्टर टाइप उनका यूटोपिया था और अपने स्ट्रगल में जो उसके vichardharaatmak और राजनीतिक उपकरण द वो पेटी ऑनर्स के तौर पे छोटे मालिकों के तौर पे प्रेजेंट्स gurudwaaji से ही उधर ले रहे द है ना अपने प्रोटेस्ट के फॉर्म अपने प्रोटेस्ट की पॉलिटिक्स और अपने प्रोटेस्ट की आईडियोलॉजी वह भी prolittarian नहीं थी वो दूर्वा क्लास से ही burjvadi से ही एक तरीके से बोरों कर रहे द उधर ले रहे द चौथा डिफाइनिंग फीचर ये था की 1918 के दशक और उसे थोड़ा पहले से ही 1890 के दशक में क्योंकि पहली बार स्ट्राइक मूवमेंट आता है वर्किंग क्लास पॉलिटिकल conceptness में इंटर करता है जिसके बारे में लेने क्या करेंगे लिखा है लेकिन वो दौर था और 1905 तक का दौर जिसमें एक बात साबित हो जाती है की जो उभरता हुआ क्लास है जो आने वाले राशन रिवॉल्यूशन को उसके डेमोक्रेटिक स्टेज में भी लीडरशिप दे सकता है क्योंकि बुधवा जी कॉम्प्रोमाइजिंग है capitulationist है समझौता barsth है और वो एक तरफ केपीटलाइज्म भी चाहती है वो एक तरफ capitolist फ्रीडसम भी कुछ चाहती है बेचने खरीदने की उन hindard स्वतंत्रता और वो जो फुटल रिमाइंडर से उनको भी खत्म करना चाहती है लेकिन साथ में वो वर्कर्स और प्रेजेंट्स के उभर से भी दारी होती है तो जब वो वर्कर्स और प्रेजेंट के उभर से डरती है तो अरिष्टोक्रेटिक रिएक्शन की बाहों में जागृति है और जब ऐसा कोई उभर नहीं होता है तो वह थोड़ा नेगोशिएट करती है फैऊदल क्लास से स्टेट में और ज्यादा पॉलिटिकल क्लाउड और पावर के लिए इसलिए burjbaji वो क्षमता इंपिरियलिज्म के दौर में खो चुकी है और अब डेमोक्रेटिक रिवॉल्यूशन को भी लीड करने का कम prolittariat ही करेगा ये 1905 के क्रांति के असफलता तक यह बात साफ हो चुकी थी और ये एक मेजर शिफ्ट को दिखा रहा था इसमें जो लास्ट फीचर था लेकिन बोलते हैं वो बोलते हैं की उसने घोषणा की ओवर 1905 की असफल क्रांति के साथ टॉलस्टॉय युग खत्म हो गया जिस समय पूर्णतया वर्किंग क्लास डी लीडिंग पॉलिटिकल क्लास के तौर पर सामने आता है और वो प्रॉमिस वो दिखला देता है की आईएमडी क्लास जो की एक समझौता विहीन स्ट्रगल कर सकता है ना सिर्फ केपीटलाइज्म के खिलाफ बल्कि zarist ऑटोक्रेसी के खिलाफ भी और फैऊदल लैंडलॉर्डिज्म के खिलाफ ये चार जो फीचर्स द स्पीड के वो चार क्लासेस को के साथ भी उनका एक koardinative रिलेशन और स्टेट पावर का अभी refudal क्लास के हाथ में रहना तो उसका रिप्रेजेंट करने वाला जो क्लास था वो फैऊदल क्लास था जो पॉलिटिकल पावर उसके हाथ में थी लेकिन इकोनॉमिक पावर उसकी गिर रही थी दूसरी तरफ कैपिटिस मोड ऑफ प्रोडक्शन के तौर पर स्थापित होना यह इसका क्लास कोऑर्डिनेट्स किया था इसका क्लास koardinate यह था की बुजुर्ग से ताकतवर आर्थिक वर्ग के तौर पर उभर चुकी थी और अब राजनीतिक सत्ता में भी अपनी हिस्सेदारी को कदम दर कदम बढ़ा रही थी लेकिन अभी भी राजनीतिक सत्ता उन क्वेश्चन तीसरी चीज जो क्लास सेल्स में दिखता है वह यह है की प्रेजेंट जो की लड़ रही थी वो लैंड रिफॉर्म्स चाहती थी रेडिकल वो zarist जो आ ऑटोक्रेसी थी उससे मुक्ति चाहती थी लेकिन presentary का वर्ल्ड आउट लुक ही ऐसा था जो स्पॉन्टेनियस सोशल आइडल थी प्रेजेंट की वो दो छोड़ में पेंडुलम की तरह दोलन कर दी थी वो दो चोर क्या द प्रोटेस्ट और विरार प्रोटेस्ट कर करने पर विद्रोह करने पे वो जीत नहीं पाती थी क्योंकि जितने के लिए उसको पूर्णतया लीडरशिप चाहिए एंड लीडरशिप के पैसंत रिवोल्ट कामयाब नहीं हो सकता ये 1905 में दिखा दिया था और जब वह कामयाब नहीं ड्रा कर जाती थी की जाहि विधि रखे राम ताहि विधि रहना यह तो किस्मत काले का है जो स्पॉन्टेनियस सोशल आईडियोलॉजी ऑफ़ presentary निकल के आती थी इस वजह से प्रेजेंटली सोशल प्रोटेस्ट का में फोर्स थी लेकिन वह जीत नहीं सकती थी मजदूर वर्ग भी वो लीडिंग क्लास था जो की अब जनवादी जिसने दिखा दिया था की जनवादी क्रांति के मंदिर में भी वही नेतृत्व दे सकता है पहले समूचे किसान आबादी को अपने साथ लेकर जार की सत्ता का को पलटना और उसके बाद गरीब और मझौली किसान आबादी को साथ लेकर रिच presentari को भी किनारे लगाना और समाजवादी क्रांति तक पहुंचना लेकिन ठीक है जनता इतिहास बनाती है लेकिन जनता नहीं बनाती है एक तरफ प्रेजेंट मैसेज और फैऊदलिज्म के बीच का quantityshan और दूसरी तरफ prolittariat और burjvadi का कांट्रडिक्शन और इन दोनों कांट्रडिक्शन के बीच एक कांट्रडिक्शन है वो कांट्रडिक्शन ये था की बिना सर्वर नेतृत्व के किसान जनवादी क्रांति पुरी नहीं कर सकते द और बिना किसान आबादी को साथ लिए मजदूर वर्ग पहले वरिष्ठ ऑटोक्रेसी को पलटना और उसके बाद गरीब और निम्न माझ झूले किसने को साथ लेकर पूंजीवाद को ही पलट डालना ये कम प्रणाली तैयारी भी नहीं कर सकता था तो यह कांट्रडिक्शन स्टेट दो और इन दो कांट्रडिक्शंस के बीच एक कांट्रडिक्शन था अब ये जो presentary की पोजीशन थी कांट्रडिक्ट्री पोजीशन यही presentary के उसे सोशल आईडियोलॉजी को भी जन्म देती है जो की रिट्रीट और प्रोटेस्ट के बीच में है ना क्या बोलेंगे [संगीत] तो लेकिन कहते हैं की तो फिर हम टॉलस्टॉय के वर्क ऑफ आर्ट को नहीं समझ सकते एरा के इन चार कांट्रडिक्शन को और इसको इसके क्लास koardinate को समझना उसे क्लास स्ट्रगल को समझना इसके बिना आप टॉलस्टॉय के वर्क को नहीं समझ सकते हैं ओबवियसली अपने दौर के पूरे हिस्टोरिकल आगे के टोटलिटी की कोई वैज्ञानिक समझदारी नहीं देते हैं क्योंकि वो आर्टिस्ट द और अपने ऐतिहासिक युग से उनका जो संबंध था वो एक मायने में obbvious भी है लेकिन इस स्पॉन्टेनियस भी नहीं है की टॉलस्टॉय ने अपने युग को मिसअंडरस्टैंड किया हो ऐसा नहीं था लेकिन साफ कहते हैं की टॉलस्टॉय एक पार्टिकुलर व्यू ऑफ हिस्ट्री देते हैं एक ब्रोकन इमेज देते हैं अपने समय की यथार्थ की टुकड़ा दिखाते हैं यथार्थ का लेकिन वो ए प्रायोरिटी फॉल्स नहीं है आईडियोलॉजी है ऐसा नहीं है वो एक खास फ्रेगमेंटेड इमेज देते हैं पार्टिकुलर व्यू ऑफ हिस्ट्री देते हैं अपने समय अपने दौर का और इसकी वजह ये है की एक आर्टिस्ट के तौर पे इतिहास से उनका एक निश्चित संबंध था जिसके दो कोऑर्डिनेट्स द पहली जो इंपॉर्टेंट चीज है वह यह थी की वह अरिष्टोक्रेटिक लैंडलॉर्ड क्लास में पैदा हुए द तो उनके क्लास की जो स्पॉन्टेनियस सोशल एडोलॉजी थी वो अरिष्टोक्रेटिक landlordist आईडियोलॉजी बनती है लेकिन उनकी जो पोजीशन थी एक राइटर के तौर पे वो उनको एक सोशल मोबिलिटी देती है डी मोमेंट डेट पार्टिकुलर इंडिविजुअल बिकम थीं आर्टिकल आर्टिस्ट और चास तू बिकम एन आर्टिस्ट उसका हिस्ट्री के साथ रिलेशन का एक दूसरा कोऑर्डिनेट्स भी ए जाता है एक केवल लैंडलॉर्ड क्लास में पैदा हुआ और दूसरा ये आर्टिस्ट बन्ना और एक जेनुइन आर्टिस्ट के तौर पे हिस्ट्री से दूसरा रिलेशन भी डिवेलप करना इसके साथ वो उनको एक सोशल मोबिलिटी देता है एक तरह से उन्हें ट्रैवलर बनाते देता है अपने स्पॉन्टेनियस सोशल आईडियोलॉजी को नहीं एक्सप्रेस करते हैं वो जो है वो क्या है वो उसे दौर की मुझे इसके लेने ने कहा की राशन लिटरेचर का ऑथेंटिक मुझे कौन मुझे प्रेजेंट के लिए शब्द है राशन में ऑथेंटिक मुझे कम टॉलेस्ट और काउंट हमारे काउंट जो है वो राशन लिटरेचर के ऑथेंटिक म्यूजिक ऑथेंटिक के साथ क्योंकि टॉलेस्ट प्रेजेंट आईडियोलॉजी जो थी प्रेजेंट वर्ल्ड आउटलुक जो था उसको उसके कांट्रडिक्शन समेत होल सेल अपनाया जाता है और टॉलस्टॉय की जो आईडी जिस जो जिस आईडियोलॉजी के साइलेंट बैकग्राउंड में उनका वर्क ऑफ आर्ट पैदा होता है वह अरिष्टोक्रेटिक landlordest आईडियोलॉजी नहीं है हालांकि अक्सर उनके नवल में जो प्रोतागोनिस्ट होता है वो एक अरिष्टोक्रेटिक क्लास से ही आता है जो में अथॉरियल बॉयज है वो अक्सर किसी लैंडलॉर्ड के जैसा है वो लेवल हो सकता है या उसमें क्या नाम था रिसरेक्शन में नेकलेस दो हो सकता है उनका क्लास ओरिजिन वो हो सकता है नॉरेटर वो हो सकता है लेकिन वो नॉरेटर खुद एक क्रिश्चियन होता है प्रेजेंट के दुख दर्द से बड़ा empitise करता है बगैर क्या हुआ पर्सनली सोशल क्लास से आते द और एक आर्टिस्ट के तौर पर जिस आईडियोलॉजी को उन्होंने होलसेल अडॉप्ट किया और इसी कांट्रडिक्शन था इस कांट्रडिक्शन में ही उनका वर्क ऑफ आर्ट पैदा होता है प्रोड्यूस होता है तो पहली चीज यह समझने की बात है अब आर्टिस्ट कोई हमें अपने दौर का साइंटिफिक नॉलेज देने के लिए बाहर नहीं आया ना वो ये दवा करता है वह हमें एक इमेज देता है वो इनकंप्लीट इमेज होती है वह फॉल्स इमेज नहीं होती है इनकंप्लीट इमेज होती है लेकिन वह यूनिक और प्रिविलेज होती है उन्होंने जो आईडियोलॉजिकल पोजीशन अपना आईडियोलॉजिकल वर्ल्ड आउट लुक जो किसान विश्व दृष्टिकोण अपनाया और जिस सोशल क्लास में पैदा हुए उसकी टाइटेनियम सोशल आईडियोलॉजी उसके कांट्रडिक्शन में ही उनकी कलात्मक रचना जो है वो पैदा होती है बेशक इस इमेज में एक इनकरेक्ट आईडियोलॉजिकल व्यू है लेकिन लेनिन ने आप 1921 में एक आर्टिकल लिखा था उसका नाम था अन capabali रिटेन लिटिल बुक उसमें उन्होंने कहा की बहुत बिल्कुल मुमकिन है की आपके पास प्रतिक्रियावादी अच्छे लेखक हो जिनकी विचारधारा प्रतिक्रियावादी हो रिएक्शन हो लेकिन वो अच्छे आर्टिस्ट और इसलिए लेनिन बताते जो लेनिन के दौर के ठीक पहले और उनके साथ के दौर के जो पॉपलिस्ट और रोमांटिक नोवलिस्ट द जिन्होंने किसान जीवन का बड़ा अच्छा चित्रण पैदा किया था और नवोदय अक्सर विचारधारा से संबंध रखते द उसमें जो किसान जीवन का चित्रण था उसको लेकिन आर्टिस्ट के वर्क ऑफ आर्ट की अपील यानी की वह कोई रेजोनेंस उसको मिलता है या नहीं anukunj को वापस पाठको से मिलती है या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है की वो अपने वक्त की एक ट्रू इमेज पेश करता है या नहीं चाहे वो इमेज कितनी अधूरी क्यों एन हो और कितनी ब्रोकन क्यों ना और कितनी इनकंप्लीट क्यों ना हो लेकिन अगर कोई वर्क ऑफ आर्ट अपने टाइम का कोई ट्रू रिप्रेजेंटेटिव इमेज पेशी नहीं करता है तो वो वर्क ऑफ आर्ट ऑफ तो नहीं हुआ और वो उसकी कोई अपील भी नहीं हो सकती है इसलिए वर्क ऑफ ट्रू हार्ट जेनुइन हार्ट या इस आर्टिकल में भी लेनिन बार-बार याद दिलाते हैं की सी आर टॉकिंग अबाउट ट्रू और वह उसके अपील इसी चीज पर डिपेंड करती है तो इसलिए मुमकिन है रिवॉल्यूशनरी ना हो लेकिन वह आर्टिस्ट अच्छा इसका ओबवियसली यह नतीजा नहीं निकलना चाहिए की इसलिए हम होंगे क्योंकि हमारे अच्छे आर्टिस्ट होने के लिए मास्टर नजर नहीं है अब ये नतीजा है इसे नहीं निकाला जा सकता है तो ये जो कांट्रडिक्शन है ये जो यूनीकनेस और प्रिविलेज है लिटरेरी इमेज की आर्टिस्टिक इमेज की ये किस चीज से निकल के ए रही है यह जो उसकी advitiyata है या यह जो उसका विशेष अधिकार है उसे इमेज का जिसको एक जगह आप बोल सकते हैं की vichardharatmak और राजनीतिक गलती करना कलाकार का प्रिविलेज ही कैन और आईडियोलॉजिकल इन पॉलिटिकल रिलेशन में एक सच्ची इमेज पेश करता है जो अधूरी होती है एक सच्ची इमेज पेश करता है और जब भी आपको फ्रेगमेंट्री इमेज पेश करेंगे रियलिटी के किसी फ्रेगमेंट की तो आईडियोलॉजिकली तो होगी केवल टोटलिटी में चीजों को देखना ही आपको साइंटिफिक अंडरस्टैंडिंग दे सकती है तो आईडियोलॉजिकल तो होगी ही इमेज अभी इस सवाल पे हमने ये आते हैं की आईडियोलॉजी क्या है वो आईडियोलॉजी रिवॉल्यूशनरी आईडियोलॉजी भी हो सकती है जैसे कोई यह नहीं का सकता की मार्क्सिस्ट आर्टिस्ट लिखेगा तो पुरी हिस्टोरिकल टोटलिटी के बारे में लॉ ऑफ मोशन दे देगा अपने नवल में नहीं चलेगा प्रयास करना चाहिए बहुत भयानक नतीजे पे पहुंचेगी लेकिन अभी हम इस क्वेश्चन में नहीं जाएंगे अभी हम जेनेरिक सेंस में आर्ट और आईडियोलॉजी के रिलेशन को समझते हैं तो इसलिए अब वो एक फ्रेगमेंटेड वे इमेज पेश करते हैं और उसे फ्रेगमेंटेड इमेज को जो चीज इन्फॉर्म कर रही होती है वो टॉय की अपनी एडोलॉजी tolstoise अपना कंस्ट्रक्शन नहीं उन्होंने नहीं बताया वो आईडियोलॉजी जो उन्होंने रियल लाइफ में किसने से इंटरेक्शन के जरिए जिस आइडिया जी को एनकाउंटर किया मैन से ऑफ मिलियन से मिलियन ऑफ प्रेजेंट जिनसे लगातार वो बात करते द उनके दुख दर्द साझा करते द उनसे मिलते द उनके वर्ल्ड व्यू को उन्होंने अपनाया अपेरेंटली उसे विचारधारा के ऑथर लेकिन वो उसके ओरिजनेटर नहीं है इसके लेनिन जब कहते हैं की टॉलस्टॉय के कलात्मक कार्य की मौलिकता उन टॉलस्टॉय के विचारधारा डॉक्टर में नहीं वो उनके वर्क पर तो यहां पर क्लियर डिस्टिंक्शन करते हैं की लिटरेरी वैल्यू किसी वर्क को पार्ट की और उसकी एडोलॉजी इन दोनों के बीच में अंतर करते हैं जाहिरात और किसी भी लिटरेरी वर्क कोई आर्टिस्टिक वर्क को उसकी विचारधारा पर रिड्यूस नहीं किया जा सकता और ना ही उसके विचारधारा से आर्टिफिशियल अलग किया जा सकता है उसके डायलेक्टिक नहीं उसको देखा जा सकता है वर्क ऑफ आर्ट में यह कैपेबिलिटी होती है की वह विचारधारा द्वारा उपस्थित जो सीमाएं हैं स्ट्रिक्ट लिमिट्स हैं उनका अतिक्रमण कर सकती है वायलेट कर सकती है और वह क्यों कर सकती है जिसको लेनिन बहुत सारे शब्द उसके लिए इस्तेमाल करते हैं बोलते हैं ग्रेट आर्टिस्टिक गिफ्ट फिर बोलते हैं pidalis एक्स्पोज़र ऑफ रियलिटी मतलब रियलिटी का एक वफादार चित्रण वफादार मतलब सच्चा नहीं वफादार मतलब देयर कमिटेड इसका मतलब वो कर ही देंगे रीप्रोड्यूस कर देंगे रियलिटी को वर्क ऑफ आर्ट में यह नहीं का रहे हैं लेकिन लेकिन का रहा है की यथार्थ के वफादार चित्रण के प्रति प्रतिबद्धता और जिस विचारधारा से वो प्रभावित है या जो उनकी विचारधारा है उसके बीच में कनफ्लिक्ट लगातार चालू रहता है जो कलाकार की विचारधारा है और जो एक सच्चे कलाकार फेडिलिटी है ट्रुथ के प्रति उसके बीच में एक कनफ्लिक्ट रहता है और इस टेंशन की वजह टी के कुछ तत्व जो है वो आईडियोलॉजिकल सेंसर को से छानकर कलात्मक रचना में ए जाते हैं होनी चाहिए और उससे देखते हुए और दूसरी तरफ उसकी दूसरी एक कॉन्शियस कॉन्शेंशियस कमिटमेंट क्या है यथार्थ के वफादार चित्रण की और इस कनफ्लिक्ट में होता क्या है की यथार्थ के कई तत्व आईडियोलॉजिकल सेंसर को से छानकर कलात्मक रचना में ए जाते हैं निश्चित तौर पर जब इस रूप में वो आते हैं तो वह इमेज स्वयं भी प्रेग्नेंट होती है ना सिर्फ वो रियलिटी के फ्रेगमेंट की इमेज है बल्कि वो इमेज खुद भी frakmentary है क्योंकि वो विचारधारा के सेंसरशिप के फिल्टर से छा गया है और इस रूप में किसी रिएक्शनरी आर्टिस्ट का भी कोई वर्क ऑफ आर्ट जो है वो हमको एक मोरल करेक्ट इमेज दे सकता है वो अधूरी हो सकती है बेसन वो इनकंप्लीट हो सकती है लेकिन वो हमको एक इमेज दे सकता है क्योंकि जो आप का सकते हैं की यथार्थ की कुछ यादें छानकर उसे आईडियोलॉजिकल छानने से ए जा रही हैं ठीक उसी यथार्थ की जिस यथार्थ को स्प्रेस करना उसे आईडियोलॉजिकल फिल्टर का कम था लेकिन सब मेमोरीज ऑफ रियलिटी सेंसर एंड डी से रियलिटी विच डी आइडिया करता है कलाकार की खुद की विचारधारा से जिसके प्रति कलाकार खुद सचेत नहीं है और उसे डिस्टेंस के प्रक्रिया में रियलिटी के तमाम एलिमेंट छान के ए जा सकते हैं जैसा की पैर मछरी ने बहुत बढ़िया एक सेंटेंस में उसको आईडियोलॉजी यह जो vichardharaatmak सपना उसे पर घुसपैठ हो जाती है जिसको स्प्रेस करना ही आईडियोलॉजी एक्स्पोज़र रियलिटी का करने के प्रति जो कमिटमेंट है वो कमिटमेंट उसके आईडियोलॉजिकल कंटेंट और लिटरेरी कंटेंट में टेंशन पैदा कर देता है और यह टेंशन ही वह इंटरनल डिस्टेंस पैदा करता है जिसकी वजह से जो लिटरेरी कंटेंट कंटेंट है जो एक वर्क ऑफ आर्ट का वह आईडियोलॉजिकल कंटेंट को वायलेट कर देता है की देखो यह है आइडिया तो यह वह मेकैनिज्म है जिससे हमें इसको समझना जरूरी है लेकिन ओबवियसली रियलिटी को करता नहीं आर्ट विच इमेज रीप्रोड्यूस करता है अब जो रियल कंडीशंस ऑफ हिस्ट्री है वो सच में रीप्रोड्यूस नहीं हो रही है जैसे की एकदम सच में ए गया ऐसा रिफ्लेक्शन एवं फिजिकल मिरर्स भी नहीं कर सकते एंड सी आर नॉट एवं टॉकिंग अबाउट प्लेन मिरर भी रियलिटी को रीप्रोड्यूस थोड़ी कर देता है मिरर वह एक उसकी इमेज पेश करता है इसलिए आप ठीक उन्हें टूल्स से जिनसे आप हिस्ट्री के रियल कांट्रडिक्शन को समझते हैं ठीक उन्हें टूल से आप वर्क ऑफ आर्ट के कांट्रडिक्शन को नहीं समझ सकते हैं इसके वर्क ऑफ आर्ट के कांट्रडिक्शन को समझने के लिए आपको स्पेशल साइंटिफिक टूल्स की जरूरत हो और ये स्पेशल साइंटिफिक ट्रॉली आपको आठ क्रिटिसिज्म देता है जो साइंटिफिक आर्ट क्रिटिसिज्म और उसका ऑब्जेक्ट क्या है वह ऑब्जेक्ट है वह इमेज जो रिफ्लेक्ट हो रही है वह अगर ब्रोकन है तो क्यों ब्रोकन है उसमें इनकंप्लीट है तो क्या कंप्लीट है जो कंप्लीट है वह क्या है और जो इनकंप्लीट वो क्या है तो यहां पर लेनिन कुछ टूल्स देते हैं जिनका फिर वो सिस्टमैटिक तरीके से लेने कोई यूनिवर्सिटी प्रोफेसर तो द नहीं की लिखते हैं की देखिए 3 टूल्स का मैं उसे करूंगा इसका इसका ये लेनिन का कम नहीं था लेकिन उन टूल्स का बहुत ही कुशलता से लेने इस्तेमाल करते हैं वो तीन बेसिक कॉन्सेप्ट्स क्या है जिसको मैं टाइम भी देखते चल रहा हूं अगर अच्छा भी तो चल सकते हैं कन्वैक्स मिरर की बात नहीं कर रहे हैं वो प्लेन मिरर की बात नहीं कर रहे हैं वो इमेज रियलिटी के फ्रेगमेंट की है नंबर वैन और इमेज खुद प्रेग्नेंट इसलिए हम जिस मिरर की बात कर रहे हैं उसको एक तरीके से ये शब्द इस्तेमाल नहीं करते लेकिन हम यह का सकते हैं की वो एक ऐसा मिरर है जो फ्रेगमेंट्री इमेज देता है जिसको हम लोग एक शब्द इस्तेमाल कर सकते हैं ब्रोकन मिरर वो एक ब्रोकन मिरर है जो एक इमेज देता है इट इसे अन ट्रू इमिटेशन ऑफ अन फ्रेगमेंट ऑफ रियलिटी इन अन fragmentator फॉर यथार्थ के एक हिस्से का चित्रण है यह थोड़ा सा लैब के साथ चलना है ना पीछे बहुत इंपॉर्टेंट तो टाइम ब्लैक आर्ट में भाई इवेंट के बाद बोलता है आर्टिस्ट ने तो यह ब्रोकन मिरर कहा जा सकता है आप कुछ बेसिक चीज समझने की जरूरत है चारित्रिक abhilakshaniktayen क्या है करैक्टेरिस्टिक फीचर्स वह करैक्टेरिस्टिक फीचर पहला यह मिरर सब कुछ नहीं रिफ्लेक्ट करता है की क्या रिफ्लेक्ट करना है पहली बात दूसरी बात सहयोग का मसाला नहीं होता है यह सिलेक्शन जो है यह sanyogik नहीं होता है बल्कि यह इस बात से तय होता है की जो आर्टिस्ट है उसके एक्जिस्टेंस की हमने बात की थी वो दो कोऑर्डिनेट्स किया है उसका सोशल क्लास यानी की इसके सोशल क्लास की स्पॉन्टेनियस एडोलॉजी क्या है और दूसरा आर्टिस्ट जो उसको सोशल मोबिलिटी मिलती है जिसमें अपने सोशल क्लास की स्पॉन्टेनियस सोशल आईडियोलॉजी से काफी हद तक मुक्त होकर कोई और एडोलॉजी रिप्रेजेंट कर सकता है या अपना सकता है और इनके बीच का कांट्रडिक्शन यह तय करता है की उसका वर्क ऑफ आर्ट कैसे सिलेक्ट करेगा की क्या रिफ्लेक्ट करना है तो यह पहली इंपॉर्टेंट चीज दूसरी इंपॉर्टेंट चीज है जो यह वर्क ऑफ आर्ट जो किसी कलाकार का है कलात्मक रचना जो है हमको जो दिखाती है यह जरूरी नहीं ऑथर वही देख रहा एग्जांपल डीज आर नॉट नेसेसरीली डी से थिंग यह भी उसे टेंशन की वजह से ही पैदा होता है आर्टिस्ट का जेनुइन कमिटमेंट ट्रुथ के प्रति और उसकी स्पॉन्टेनियस आइडली आइडिया जो वर्ल्ड आउटलुक उसने अपनाया है उसकी वजह से कलाकार इन फैक्ट करते हुए बरामद हुए द की मैं जो करवाना चाहता हूं अपने कैरक्टर से वो कर ही नहीं रहे हैं अपनी मनमानी कर रहा है और जो उसका वर्क दिखाता है या अपने हिस्टोरिकल आगे में जो देखा और उनके वर्क ऑफ आर्ट ने जो दिखाया है ये जो मिरर था जो होल्ड कर रहा था वह जो देख रहा है उसे मिरर को जिसने होल्ड कर रखा था और जो मिरर में रिफ्लेक्ट हो तो दो अलग चीज है मेरे और जो दिखा रहा था और वो जो देख रहा था वो दोनों अलग चीज होती और इस रिलेशन को आप समझ सकते हैं ऐसे की बहुत सारे एवं मजदूर जो क्रांति में हिस्सेदारी करते हैं इस स्पॉन्टेनियसली और इफेक्टिवली करते हैं अक्सर उनको क्रांति का के सारे सामाजिक राजनीतिक ऐतिहासिक और आर्थिक के बारे में कौन सा नहीं होता है एंड नॉट ओनली पार्टिसिपेट इन इट इस स्पॉन्टेनियसली पार्टिसिपेट इन एंड पार्टिसिपेट इन इट एंड इफेक्टिवली पार्टिसिपेट नो इन दी एंटीरे आईडियोलॉजिकल पॉलिटिकल इकोनॉमिक एंड सोशल इंपोर्ट ऑफ डी रिवॉल्यूशन फिर लेकिन बोलते की भाई जो इमेज है वह इसलिए भी इनकंप्लीट डेफिनेशन आर्ट और आर्टिस्ट का अपने समय की हिस्टोरिकल टोटलिटी को समझना कम नहीं था जिसके बहुत सारे लेवल्स ऑफ डिटरमिनेशन होते हैं और ये आर्टिस्ट का प्रिविलेज है उसका प्रिविलेज राइट है की वो एक लेवल से इंटरेक्ट करें और उसके बारे में एक फ्रेगमेंट्री इमेज दे प्रिविलेज को samjhiega स्टेप को मतलब इट इस रेफरेंस तू डी पेक्युलायर फंक्शन ऑफ आर्ट यही फंक्शन ऑफ पार्ट है और इसलिए आर्टिस्ट का प्रिविलेज है की वो एक ऐतिहासिक संपूर्णता हिस्टोरिकल टोटलिटी किन्नर धारण के किसी एक या कुछ स्तरों से इमीडिएट इमीडिएट इमीडिएट ना होता हो इमीडिएट मतलब यहां तत्काल नहीं है विच इसे नॉट मीडियाटेड बाय अन्य मिडिल डायरेक्ट यह रिलेशन खुद उसे हिस्टॉरिकल होता है की वो रिलेशन कैसा होगा लेकिन आर्टिस्ट का यही रिलेशन होता है और यही उसका प्रिविलेज होता है और इस वजह से 8 एक इनकंप्लीट इमेज पेश कर सकती इसलिए लेने ने अपने पहले आर्टिकल में लिखा था की टॉल्स टॉलस्टॉय हेड देखिए 1905 की क्रांति के बारे में बात कर रहे हैं रियलिटी के कुछ डेफिनेट लेवल से संबंध स्थापित होने की वजह से टॉलस्टॉय रियलिटी के कुछ एस्पेक्ट्स को रेप एक्सप्रेस किए बिना रह नहीं सकते द इस रूप में लेनिन कहते हैं की आर्ट अपने लिमिट को भी रजिस्टर करती है अपने इस का सकते हैं की इस इनकंप्लीटनेस को या sparshiality को आर्ट रजिस्टर करती है और यही उसको उसकी प्रिविलेज और यूनिक देता है इसको पूरे हिस्टोरिकल टोटलिटी को आर्टिस्टिक तौर पर अभिव्यक्त करने के लिए उसको एलेबोरेट करना उसका ड्यूटी नहीं है ना उसका बर्थडे इसलिए जो कोई भी कलात्मक रचना है वो कोई मैकेनिकल इमेज नहीं पेश करती है नंबर वैन रीप्रोड्यूस नहीं करती है रियलिटी और कंप्लीट इमेज नहीं पेश करती है और यह इंस्ट्रूमेंट ऑफ साइंटिफिक नॉलेज नहीं हो सकता है इसका अपना एक जो यह देता है वह अलग चीज है वो साइंटिफिक नॉलेज से अलग चीज परसेप्शन के लेवल की चीज है इसलिए जो सीक्रेट ऑफ मिरर है यह जो इस मिरर का रहस्य है उसको जहां ढूंढा जाना चाहिए वो वो इमेज इमेज को एनालाइज किया जाना चाहिए वो सबसे इंपॉर्टेंट चीज है तो उसके बारे में कुछ डेफिनेट चीज कहते हैं की पहला टास्क ऑफ क्रिटिसिज्म है वह यह दिखाना है की इमेज क्या रिवील कर रहा है लेकिन इससे भी ज्यादा यह दिखाना है की इमेज क्या कंसील कर रहा है इमेज क्या दिखा रहा है ये तो समझना जरूरी है बेशक लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है समझना है की इमेज क्या छिपा रहा है या नहीं दिखा रहा है या उसके साइलेंस क्या है या उसके अब्सेंस क्या है उसका लायक क्या है इसलिए लेमन बोलते हैं की एक जगह को है उनका क्यों बोलते हैं की डी ग्रेट कोई मोनोलिथिक रियलिटी पूरे टोटलिटी को या पूरे हिस्टोरिकल टोटलिटी की ट्रू इमेज नहीं पेश कर रहा है वो एक उन अलाउड मेटल में कास्ट इमेज नहीं है वो एक फ्रेगमेंट पेश कर रहा है वो फै्रक्चर्ड है फ्रेगमेंटेड है या उसको आप का सकते हैं हेटेरोजेनियस असेंबली है और यह जो कांट्रडिक्शन क्योंकि हेटेरोजेनेटिक डिफाइंड बाय कांट्रडिक्शन homogenetic डिफाइंड बाय लॉक ऑफ क्वांटिटी यह जो कांट्रडिक्शन है वो क्या है जो वर्क ऑफ आर्ट का आर्टिस्टिक वैल्यू है या लिटरेरी वैल्यू है जो उसकी एडोलॉजी है इसीलिए वो कहते हैं की काउंट टॉलस्टॉय ने जो उनकी जागीर थी रियासत में डबल एस्टेट छोड़ें एक prauditorium स्टेट है और एक बुधवा स्टेट है ना उन्होंने अपनी वसीयत में एक prantarian एस्टेट छोड़ा है और एक बुधवा स्टेट छोड़ा है और यह दो स्टेट क्यों है बोलते की यही जो है आईडियोलॉजी ये जो स्प्लिट है ये स्प्लिट किस चीज का लक्षण है विचारधारा का जो प्रोडक्ट आर्यन स्टेट है वो क्या है वो रिप्रेजेंट करता है जो उसका आर्टिस्टिक कंटेंट है जो की शानदार शब्दों में लिखा है की वर्कर मजदूर को टॉलस्टॉय क्यों पादना चाहिए तो उन्होंने कहा की अपने दुश्मन को अच्छे तरीके से पहचान के लिए समझने के लिए [संगीत] हमारे मजदूर के वर्किंग क्लास और वर्किंग करते हुए उनकी विचारधारा का sarvaran नजरिया से आलोचना करने का कम किनारे रख देना चाहिए यथार्थ के प्रति कमिटमेंट उसके वफादार चित्रण के प्रति कमिटमेंट की वजह से vichardharatmak है जमीनी में एक ब्रिज भी पैदा हो जाती है गैप एक ब्रिज एक रैप्चर भी पैदा हो जाता है और उसे रैप्चर को समझने की जरूरत है और उसकी लिटरेरी वैल्यू समझने के लिए हमको आ उसको इस रूप में समझना चाहिए उसके लिटरेरी कंटेंट को देखते हुए और 1910 में कहते हैं की काउंटडाउन के डॉक्टर का सहारा वर्गीय नजरिया से आलोचना करना एक जरूरी कार्य है बोलते की वह डॉक्टरिंग की लिटरेरी कंटेंट हमें क्या बताता है विरासत है की ये ट्रू जेनुइन आर्टिस्ट ने एक जो ट्रू इमेज पेश की हाउसवाइफ इनकंप्लीट एंड हाउसवाइफ लेकिन एक ट्रू इमेज और दूसरा था जो टॉलस्टॉय की डॉक्टर विचारधारा उनका सिद्धांत है उसकी आलोचना क्यों पेश करनी चाहिए वो बोलते हैं की रूसी जनता के क्रांतिकारी परिवर्तन करने की क्षमता 1905 में जो असफल क्रांति हुई है उसे वायरलिटी और इंपॉर्टेंस को समझने के लिए काउंट टॉलस्टॉय की विचारधारा समझिए प्रेजेंट आइडिया और प्रेजेंट मैसेज बिना सर्वर नेतृत्व के समाजवादी क्रांति तो दूर की बात है जनवादी क्रांति भी नहीं कर सकते द और उसे क्या उसे इंपॉर्टेंट सी को समझने के लिए आप उनके डॉक्टर इनका क्रिटिक कीजिए यानी आईडियोलॉजिकल कंटेंट टीचर गिव सर negativeless हो नॉट तू डू लिटरेरी कंटेंट गिव अन इनसाइड इन डी कैरक्टर ऑफ एनीमी इसलिए लेटिन बोलते हैं की हमको डबल रीडिंग करनी पड़ेगी लिटरेरी कंटेंट और आईडियोलॉजिकल कंटेंट दोनों की हालांकि ये कंसेक्युटिव नहीं होगी बारी-बारी से नहीं एक साथ थी और ये डबल रीडिंग करके ही हम उसे कांट्रडिक्शन को समझ सकते हैं जो की एक वर्क ऑफ आर्ट इन इट सेल्फ और उसकी एडोलॉजी जिस आईडियोलॉजी से होता है उसके बीच में लगातार मौजूद रहता है कनफ्लिक्ट एक टेंशन के रूप में और ये टेंशन आर्टिस्ट के इंटरनल टेंशन के रूप में भी रिफ्लेक्ट होता है उसके दिमाग में तो उसके आगे लेकिन कहते हैं की देखिए कोई बात कर रहे हैं की वह टर्म्स ऑफ कांट्रडिक्शन या थिंग्स को नहीं स्टडी करता है वो रिलेशन को स्टडी करता है बिना किसी कैपिटल एग्जांपल से इसको समझते हैं बिना किसी कैपिटल चरित्र के और वर्कर चरित्र के आपसी संघर्ष को बकायदा एक कैटालिस्ट वर्कर पेश करके दिखाए बगैर टॉय बता देते हैं की एक लेबर और कैपिटल का कांट्रडिक्शन है तो वर्क ऑफ आर्ट जिस चीज को डिपिक्ट करता है वह थिंग्स नहीं है वह रिलेशन वह कांट्रडिक्शन प्रोतागोनिस्ट को नहीं डायरेक्ट दिखाना उसके लिए जरूरी नहीं दिखा सकता है लेकिन दिखाना जरूरी नहीं वह कांट्रडिक्शन की संबंध संबंध नियत को कैप्चर करता है रिलेशनलिटी को क्या कहते हैं और उसके जरिए जो हिस्टोरिकल कांट्रडिक्शन है उसकी एक इमेज फ्रेगमेंटेड ही हमको देता है अब जो रियल कांट्रडिक्शन है हिस्टोरिकल इपोक और जो कलात्मक रचना में जो अंतर विरोध है उनके बीच के रिश्ते को समझना ही आप का सकते हैं की एक तरीके से क्रिटिसिज्म का कम है आलोचना का कम है वर्क यानी की उसकी इमेज को स्टडी करके हम जिस अंतर्विरोध को पकड़ का रहे हैं और जो हिस्टोरिकल कंडीशंस में वाकई जो कांट्रडिक्शन उन दोनों के रिलेशन को समझना तो यहां दो प्रकार दो कांट्रडिक्शंस की बात करते हैं टॉलस्टॉय और उनके कलाकार का अध्ययन करते हुए पहला कांट्रडिक्शन है वह है एक ग्रेट आर्टिस्ट और एक आप का सकते हैं की क्रिश्चियन क्वालिटी की थी विद्रोह करने की पहले प्रोटेस्ट retreatence और पूंजीवादी जो लूट और प्लंडर था उसका जबरदस्त चित्रण पेश करते हैं जहां पे किसान फैऊदल ऑपरेशन से ट्रांजिशन कर रहा है पूंजीवादी बर्बादी और उसे दोनों का एक शानदार चित्रण पेश करते हैं क्रिटिकल रियलिटी जहां पर क्रिटिसिज्म और रियलिज्म आपको देखने को मिलता है तो एक तरफ एक कांट्रडिक्शन क्या है उनके सोशल क्लास जिस अरिष्टोक्रेटिक लैंडलॉर्ड क्लास है वो आते द और दूसरा उनकी अडॉप्टेड आईडियोलॉजी के बीच तो एक तरफ जो कांट्रडिक्शन है वो है उनके सोशल क्लास और उनके अडॉप्टेड आईडियोलॉजी वर्सेस बीइंग ग्रेट आर्टिस्ट तो एक तरफ वो प्रेजेंट एडोलॉजी को अपनाते हैं प्रेजेंट वर्ल्ड आउटलुक नहीं दुनिया को देखते हैं और इस विचारधारा से एक के चश्मे से ही वो दुनिया को देख सकते हैं लेकिन उनका एक कमिटमेंट है रियलिटी के चित्रण के प्रति एक ग्रेट आर्टिस्टिक जेनुइन ट्रू आर्टिस्ट होने के नाते ललन के शब्दों में टाइल्स एक्स्पोज़र ऑफ रियलिटी करना ये उनका फंक्शन है और पहला कांट्रडिक्शन ये है यानी की उनकी सोशल spontane जो उनका सोशल ओरिजिन है सोशल क्लास और जो उनकी अडॉप्टेड आईडियोलॉजिकल पोजीशन है वो और उसे जो की खुद एक कांट्रडिक्ट्री चीज है और दूसरी तरफ उनका ग्रेट आर्टिस्ट होना और दूसरी चीज को ये कांट्रडिक्शन क्या आता है करता है ये उसे उनकी कलात्मक रचना के उत्पादन की स्थितियों को निर्धारित करता है डिटर्मिननेंट डी वेरी कंडीशंस ऑफ प्रोडक्शन है जो उनकी कलात्मक रचना के पैदा होने की बुनियादी शर्तों को निर्धारित करता है दूसरा कांट्रडिक्शन जो इसी से स्टेम करता है इसी से निकल के आता है की ग्रेट आर्टिस्ट के तौर पे उनके वर्क ऑफ आर्ट में क्या दिखता है क्रिटिसिज्म रियलिज्म प्रोटेस्ट रिपोर्ट सामंती ऑपरेशन और पूंजीवादी रन बर्बादी दोनों के खिलाफ और दूसरी तरफ क्या दिखता है जहां पर वो अपने आईडियोलॉजी से जहां पे आइडियल क्या बोलते हैं उनके वर्क ऑफ आर्ट का आईडियोलॉजिकल कंटेंट उबर के सामने आता है वह क्या है तो अचानक फादर होते हैं आमतौर पर सारे ही नोवेल्स उनके अंत में पार्ट का जहां मोरालिटी में एक लेसन देते हैं तो यह दो कांट्रडिक्शन एक कांट्रडिक्शन इट इस आप का सकते हैं की वह कलात्मक रचना के उत्पादन की स्थितियों को निर्धारित करता है और दूसरा उसे कलात्मक रचना में ही प्रकट होता है यह दो कांट्रडिक्शन यह उसे कलात्मक रचना को फ्रॉम विदिन और फ्रॉम विदाउट अटैक करते हैं आप कर सकते हैं यह दोनों कांट्रडिक्शन और यही कांट्रडिक्शन उसे वर्क ऑफ आर्ट की लिमिट को भी तय करते हैं उसकी सीमाएं क्या है यानी की वह क्या नहीं देख पता है यानी उसके साइलेंस है anupsthitiyan और उसके ब्लाइंड स्पॉट्स और यही उसके मीनिंग करता है क्योंकि वो क्या देख पता है ये तय करने के लिए जानना जरूरी है की क्या नहीं देख पता है इसलिए इसका आत्मक रचना की जो लिमिट्स है जो की आईडियोलॉजिकल कंटेंट से पैदा हो रही है और जो उसकी लिटरेरी वैल्यू से पैदा होने वाले उसकी मीनिंग जो की एक ट्रू इमेज दे रही है बेशक फ्रेगमेंट्री ये दोनों एक दूसरे को म्यूचुअल कॉन्स्टिट्यूशन है एक दूसरे को संगठित करती है आप इसको कंप्लीमेंट्रिटी के तौर पे ही समझ सकते हैं तो ये आइडल जी के फंक्शनिंग और आईडियोलॉजी के साथ वर्क ऑफ आर्ट का कांट्रडिक्शन है जो वर्क ऑफ आर्ट के आर्टिस्टिक वैल्यू को पैदा करता है उसके बिना कोई वर्क ऑफ आर्ट वर्क ऑफ आर्ट बनी नहीं सकता है तो यह समझना जरूरी है की जो क्रिटिसिज्म का टास्क है वह इन दोनों चीजों को deciper करना है कलात्मक रचना और जो रिवील नहीं कर रहा है या कंसील कर रहा है या नहीं देख का रहा है वहां पर भी वह मिरर है लेकिन एक ब्लाइंड मिरर है और एक ब्रोकन मिरर और ब्लाइंड मिरर के कांट्रडिक्शन में ही कोई वर्क ऑफ आर्ट एक जेनुइन आर्टिस्ट पैदा करता है अभी हम मार्क्सिस्ट आर्टिस्ट वाले चर्चा का भी नहीं जाएंगे वो क्वेश्चन आंसर सेशन में क्वेश्चन आएगा तो हम बात कर लेंगे उसके बारे में अभी इतना ही बता दे सकते हैं की एक ही शब्द में जवाब दे दिया था की यह क्या मेरी गलती है की inqumplete इमेज देता है और जो वर्क ऑफ आर्ट का एक इनकंप्लीट का कैरक्टर है उसे पर बात करते हैं लेकिन फिर वो बोलते हैं की इस इनकंप्लीटनेस में वो कंप्लीट मतलब वो एक फ्रेगमेंट्री इमेज पेश करता है जो फ्रेगमेंट्री इमेज आप का सकते हैं की अपने समय के कांट्रडिक्शन और अपने समय के हिस्टोरिकल सिचुएशन को का एक पार्टिकुलर व्यू देती है एक विशिष्ट नजरिया उसका देती है पार्टिकुलर व्यू देती है उसका कंप्लीट इमेज लेकिन अपने समय के हिस्से का अपने समय के ऐतिहासिक युग का एक पार्टिकुलर व्यू देती है अब बालासाहेब का ओल्ड गोरियों पड़ी है या आप डिकेंस का हार्ड टाइम पड़ी है ये आप टॉलस्टॉय का रिसरेक्शन पढ़िए इन सारे में वो चीज आपको देखने को मिलेगी की वो एक फ्रेगमेंटेड इमेज है रियलिटी के फ्रेगमेंट का है लेकिन अपने वो पूरे हिस्टोरिकल एरर के ही क्वांटिटी का एक पार्टिकुलर व्यू पेश करती है वो पार्टिकुलर व्यू में कितना सही है कितना गलत है क्या रिजेक्ट करना है और क्या एक्सेप्ट करना है वो अलग सवाल है लेकिन वो इस इनकंप्लीटनेस में अपने एरर्स में अपनी इनकम फिटनेस में वो कंप्लीट यह पॉइंट क्लियर पार्टिकुलर व्यू ऑफ़ था पार्टिकुलर हिस्टोरिकल आगे तू विच [प्रशंसा] बोलते हैं की इसलिए हम रिफ्लेक्शन के बजाय हमें एक्सप्रेशन उसे करना चाहिए क्योंकि वर्क ऑफ आर्ट केवल रिफ्लेक्शन से डिफाइन नहीं हो रहा है वो रिफ्लेक्शन और इंपासिबिलिटी ऑफ रिफ्लेक्शन के कांट्रडिक्शन में पैदा हो रहा है यानी कंसील करने और रिवील करने कुछ वो दिखा रहा है कुछ वो नहीं दिखा का रहा है या छिपा रहा है लेकिन खुद नहीं पता है की ऊंची का रहा है ये जो दिखाने और छिपाने का अंतर विरोध है इसी में कलात्मक रचना जन्म लेती है इसलिए रिफ्लेक्शन आर्टिकल में शुरू नहीं बोलता है की मैं रिफ्लेक्शन शब्द को भी टेंटेटिवली उसे कर रहा हूं बाद में मैं इसका एक रिप्लेसमेंट बताऊंगा तो बताता है एक्सप्रेस आर्टिस्टिक एक्सप्रेशन और एक्सप्रेस आर्टिस्टिक एक्सप्रेशन क्या है kalakmak अभिव्यक्ति क्या है वह रिफ्लेक्ट कर ने और रिफ्लेक्ट ना कर पाने के बीच का द्वार है रिवील करने और कंसील करने और मेनिफेस्ट एन करने के बीच का द्वंग और इन दोनों को ही समझना बेहद जरूरी है इसलिए एक जगह लेनी बहुत मजेदार बात लिखते हो बोलते हैं की डी साइलेंस ऑफ टॉप मतलब जितना टॉप लिख के मेनिफेस्ट तरीके से जो बता रहे हैं उनके साइलेंस हैं जहां पे वो चुप है जहां उनका वर्क ऑफ आर्ट चुप है या कुछ नहीं दिखा रहा है या छिपा रहा है फिर दो तरह के कांट्रडिक्शन को ट्रीट कर रहे हैं लेकिन अपने जो आइडिया कांट्रडिक्शन जो की प्रेजेंट आईडियोलॉजी का कांट्रडिक्शन था प्रोटेस्टेड प्रोटेस्ट क्योंकि कोई लीडरशिप नहीं कोई विज़न नहीं बनाएंगे क्या इसको हटा के क्या ले आएंगे इसका कोई विज़न नहीं होगा तो वो इस तरह का हर प्रोटेस्ट होने की वजह से घिरा होने की वजह से वो अभिशप्त होता है अबो्र्टिव होने के लिए वो अबो्र्टिव भी हो सकता है तो इस वजह से प्रेजेंट आईडियोलॉजी जो है और प्रेजेंट सिचुएशन जो है किसान की स्थिति जो है वर्क समाज में वो कांट्रडिक्ट्री होती है एक तरफ उसका स्ट्रगल के सारे मेंस और इंस्ट्रूमेंट वो burjva जी से लेता है क्योंकि वो खुद छोटा मलिक है लेकिन उसके स्ट्रगल का कांस्टेंट अनुभव उसको ये भी दिखाता है की बिना prolittariat के साथ कंबाइन हुए वो हासिल नहीं कर सकता जो वो हासिल करना चाहता है और जब तक वो इस रिलाइजेशन पर नहीं पहुंचता है तो इस स्पॉन्टेनियस प्रेजेंट आईडियोलॉजी के दो चोर हैं जिसमें वो पेंडुलम करता है और उनमें कांट्रडिक्शन होता है वेमेंट अपोजिशन और विड्रोल एक्सेप्ट कर लेना करते हैं क्योंकि बोलते हैं की ये इसके कांट्रडिक्शन वही हैं जो की प्रेजेंट आईडियोलॉजी के होते हैं क्योंकि टॉलस्टॉय ने होलसेल वो आईडियोलॉजी वो वर्ल्ड आउटलुक अपना लिया था लेकिन जो दूसरा कांट्रडिक्शन है यानी की वर्क ऑफ आर्ट और उसे आईडियोलॉजी के बीच में जिस आईडियोलॉजी से वो वर्क ऑफ आर्ट स्प्रिंग करता है और उसमें नहाया होता है और वहां पर सबसे इंपॉर्टेंट जो चीज है वो ये समझना है की वर्क ऑफ आर्ट और आईडियोलॉजी के बीच का कांट्रडिक्शन रिवील और कंसील करने के बीच का कांट्रडिक्शन वो ये इंटरनल डिस्टेंस याद समझ सकते हैं की वर्क ऑफ आर्ट आईडियोलॉजी से अपने आप को इंटरनल डिस्टन करता है और उसके जरिए ही वो पॉइंट आउट करता है उसे आईडियोलॉजी को जिस आईडियोलॉजी से वो निकाला होता है इसलिए अगर हम उसे आईडियोलॉजी को इंटेरोगते करना चाहते हैं जो किसी भी कलात्मक रचना में मौजूद हो तो हमको सबसे पहले उन छुट्टियां को anupsthitiyon को और गैप्स को प्रोप करना चाहिए और उन सवालों को प्रूफ करना चाहिए जो सवाल उठाना प्रोहिबिटेड जो सवाल उठाना आईडियोलॉजी अलाउड नहीं करती और वह दिख जाता है की वह सवाल उठाना प्रोहिबिटेड और उनको प्रोप करके ही हम समझ सकते हैं और यह टेक्स्ट ही दिखला देता है क्योंकि टैक्स जब अपने इंटरनल डिस्टेंस करता है या टेक्स्ट बोल लीजिए वर्क ऑफ आर्ट बोल दीजिए वो इंटरनल डिस्टेंस क्रिएशन करता है तो वो एडोलॉजी उसे टेक्स्ट में ही रिव्यू हो जाती है दूसरे शब्दों में आप का सकते हैं की टेक्स्ट के भीतर ही विचारधारा विचारधारा के तौर पर उसका फंडा फोड़ हो जाता है यही आप का सकते हैं की किसी कलात्मक रचना में [संगीत] मौजूदगी के जरिए और उसे इंटरनल डिस्पेंसेशन के जरिए जो की कोई भी वर्क ऑफ आर्ट विचारधारा से करती है आर्ट विचारधारा को एकदम एक डिटरमिनेट फॉर्म में एक निश्चित रूप में दिखती है या आप का सकते हैं की विचारधारा जो अपने आप में इतनी कंप्लीट इतनी सॉलिड और इतनी कॉपियस लगती है बोलना शुरू कर देती है की मैं विचारधारा हूं वह बोलना शुरू कर देती है की उसके साइलेंसर क्या है और उसके अब्सेंस क्या और इस तौर पर आप का सकते हैं की यह जो रियलिटी है इसके जरिए आर्ट जो है दुनिया के एक क्रिडलोस कॉमन senseical व्यू के प्रति बहुत ही स्कॉर्नफुल क्या बोलेंगे उसको ही दृष्टि रखती है दुनिया का वह नजरिया जो की कॉमन senseical है जिसके बारे में हम यूं ही बोल उठाते हैं की ऑफ कोर्स इट इस ट्रू आर्ट का इस प्रकार के स्टेटमेंट के बारे में बहुत ही है दृष्टि होती है दुनिया का उसको 8 क्रेडिबल नहीं मानती है इसलिए कर पाती है जिसके कॉमन सेंस जो आईडियोलॉजी है हमें देती है दुनिया को देखने के लिए उनका भंडाफोड़ जाता है और इसलिए कला विचारधारा से पैदा होती है लेकिन अपने पैदा होने की प्रक्रिया में वह अपने आप को विचारधारा के अगेंस्ट एस्टेब्लिश करती है पॉजिटिव करती है पीओएस करती है अपने आपको और इस तौर पर जो यह कहा जाता है की वर्क किसी भी कलात्मक रचना को teamspify करना पड़ेगा यह एक मायने में यूजलेस टर्म है क्योंकि वर्क ऑफ आर्ट प्रेसीजली को करती है यह डबल हो जाएगा वर्क ऑफ आर्ट बुक करता है टास्क ऑफ क्रिटिसिज्म वर्क ऑफ आर्ट को दे में नहीं है वर्क ऑफ आर्ट ऑलरेडी करता है जो दिखाता है दिखाती है कलात्मक रचना और जो chhipati है उसके द्वंद को पकड़ना है उसके वॉइस और उसके साइलेंस दोनों को पकड़ना उसके रिलेशन जो कला के भीतर दिख रहा है इतिहास के उसे दौर के वास्तविक antarvirodhon से उसका क्या रिश्ता है और क्यों क्योंकि हमने टॉलस्टॉय के स्पेशल केस में समझाया यहां पे इसलिए साइंस से अब वापस पहले पॉइंट पर रखते हैं और वही खत्म करेंगे साइंस से आर्ट का जो रिश्ता है खुशी की लहर से दौड़ गई है साइंस से आर्ट का जो रिश्ता है वह क्या है साइंस आईडियोलॉजी को ऑब्लिट्रेट कर देता है एंड कर देता है क्योंकि वह आईडियोलॉजी की शर्त पर विमर्श नहीं करता है वह आईडियोलॉजी को फ्रॉम विदाउट क्वेश्चन करता है वह रियल क्रिटिकल क्वेश्चन उठाता क्योंकि उसके पास हर सवाल का जवाब होता है उसको ऑब्लिगे ऑब्लिट्रेट करने के लिए बाहर से सवाल ही किया जा सकता धार्मिक विमर्श के जरिए आप धर्म का खानदान नहीं कर सकते तो इसलिए साइंस आईडियोलॉजी को ऑब्लिट्रेट करता है वह जिस आईडियोलॉजी से पैदा और नहाया होता है उसी को पॉइंट आउट करती है और इस तौर पे आज हमको दुनिया की कोई वैज्ञानिक समझदारी नहीं देती नहीं है उसका कम है लेकिन आर्ट विज्ञान के साथ विचारधारा से दूरी रखने के साझे चरित्र की वजह साइंटिफिक नॉलेज ऑफ डी वर्ल्ड यहां पर खत्म करते हैं इसके बाद आप लोग सवाल