लर्निंग मार्केट विथ मनीश में अपने एनएम फाउंडेशन सीरीज का आज फिफ्थ चैप्टर डिस्कस करेंगे जो कि है म्यूचुअल फंड तो चलिए वीडियो को स्टार्ट करते हैं देखिए फर्स्ट ऑफ ल म्यूचुअल फंड क्या होता है सिंपल वे में यह समझिए कि अगर मेरे पास एक्सपर्टाइज्ड बाजार में पैसे लगाता है और मेरे बदले वह शेयर्स खरीदता है और उसको एक यूनिट का फॉर्म बनाता है और यूनिट का फॉर्म बनाक मुझे यूनिट एलोकेट कर देता है और वो यूनिट्स का वैल्यू जैसे शेयर की प्राइस अप्रिशिएट होगी तो व अप्रिशिएट होगा और अगर शेयर की वैल्यू डिक्रीज होगी तो व डिप्रेशिएट होगा तो इस तरीके से म्यूचुअल फंड काम करता है अच्छा नॉर्मल इन्वेस्टर्स के लिए जिनके पास ज्यादा एक्सपर्ज नहीं है जिनके ज्यादा टाइम नहीं है म्यूचुअल फंडस आर द बेस्ट थिंग जिसके थ्रू उनको इन्वेस्ट करना चाहिए तो चलिए फॉर्मल स्टडी स्टार्ट करते हैं देखिए अंडरलाइन म्यूचुअल फंड आया क्यों पहला बात देखि इन्वेस्टर या तो इक्विटी शेयर खरीद सकते हैं डिबेंचर खरीद सकते हैं ज्वेलरी खरीद सकते हैं गोल्ड खरीद सकते हैं रेसिडेंशियल या कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं अपने सेविंग्स के साथ और उसमें अपने आपको एसेट का ओनर बता सकते हैं व और यह सारी चीजें व डायरेक्टली अपने नाम पर रखते हैं हाउ एवर यह सारा डिसीजन लेने के लिए कुछ पैरामीटर्स होते हैं आपको सिलेक्शन खुद से करना होगा प्राइस आपको खुद से देखना होगा टाइमिंग सही होनी चाहिए अब मान लीजिए आपने कोरोना के जस्ट पहले एक प्रॉपर्टी खरीदा कोरोना में उस प्रॉपर्टी का दाम ही गिर गया आपने कुछ दिन कुछ दिन पहले कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदी जिसको आपने सोचा था कि ऑफिस में रेंट प लगाएंगे पता चला अब तो वर्क फ्रॉम होम प सब लोग शिफ्ट हो गए आधे ऑफिस ऐसे ही खाली हो गए तो कोई फायदा नहीं अब आप वेटेज कितना लगाए आपके पास 10 लाख है तो पता चला 10 लाख का आप एक प्रॉपर्टी खरीद ली और जिसकी लिक्विडिटी नहीं है तो आप उसका करेंगे क्या अगर मान लीजिए कल बेचना बेच भी नहीं पाएंगे तो एसेट किस हिसाब से लोकेट करें कि आपको कितने फंड्स की कब पड़ सके प्लस करेक्ट प्राइस का इवेलुएशन करना है उसमें से एग्जिट का मौका सबसे इंपोर्टेंट चीज यही होता है अब मान लीजिए आपको कल पैसे चाहिए आप एफडी तोड़वा सकते हैं एक दिन में म्यूचुअल फंड बेज सकते हैं दो तीन दिन में पैसे आ जाएंगे बट मान लीजिए आपके पास एक प्रॉपर्टी है तो क्या वो एक दिन में बिक जाएगा नहीं बिकेगा राइट तो एग्जिट अपॉर्चुनिटी का भी एक एडवांटेज देखना पड़ता है और ऑपरेशंस उसमें आपको करना क्या पड़ता है देखिए अब मान लीजिए आपको अगनी प्रॉपर्टी रेंट प लगानी है तो उसमें आपको नोटरी करानी होगी आपको रेंट वाले जो आएंगे उनको पूरा समझना पड़ेगा उनको जो फैसिलिटी चाहिए वो देना पड़ेगा कहीं-कहीं तो कंस्ट्रक्शन एग्रीमेंट्स भी होते हैं कि आप ये करा के फुल्ली फर्निश्ड ऑफिस दीजिए उसके बाद हम आपको रेंट देंगे वो सब भी कांसेप्ट है तो ये चीजें हैं अब देखिए इतनी सारे डिसीजन लेने पड़ते हैं अगर आप कोई एसेट क्लास में इन्वेस्ट करते हैं तो ज्वेलरी लेना है तो आप ज्वेलरी आप फिजिकल फॉर्म में लेंगे या फिर आप ये पर्सनल कंजमेट कॉइंस में लेंगे या फिर गवर्नमेंट का जो गोल्ड बंड्स आता है वो आप लेंगे सारा डिसीजन आपको लेना है राइट तो वो ये सारा डिसीजन क्या होता है ट्रिकी डिसीजन होता है गोल्ड पॉइंट आपने ले तो लिया कल बेचने जाएंगे हो सकता है कल बाजार गिरा हुआ हो गोल्ड का तो बहुत सारे डिसीजंस होते हैं लेने के लिए अब क्या होता है सारे इन्वेस्टर्स के पास में इतना टाइम नहीं होता है कि वो ये सब चीजें डिसाइड करें तो वो क्या करते हैं वो सोचते हैं कि कोई ऐसा सिंपलीफाइड चीज हो जिसमें मेरे को कुछ मेहनत ना करना हो पड़े मैं सिर्फ पैसे दूं और मेरे इवेस्टमेंट का काम कोई और कर दे तो अब क्या होता है कि इस्ट इन सिक्योरिटीज मार्केट हु लाइक टू इन्वेस्ट सिक्योरिटी एंड अदर एसेट्स विदाउट हैविंग बींग एंगेज इन सो मेनी डिफरेंट एक्टिविटीज एंड सिलेक्शन ऑफ स्टॉक एंड अदर एक्टिविटीज दे प्रेफर टू गिव ट मनी टू ए पर्टिकुलर म्यूचुअल फंड जो कि उनके फंड को मैनेज करे इन सिंपलर वर्ड मेरे पास पैसे हैं मैंने म्यूचुअल फंड को दिया उसने मेरे पैसे को मेरे पैसे के बदले मुझे यूनिट दे दिए यूनिट यूनिट्स मुझे मिल गए उन पैसे से उसने जो शेयर्स खरीदे हैं वो शेयर्स के वैल्यू बढ़ेंगे तो मेरा म्यूचुअल फंड का प्राइस बढ़ेगा वो शेयर्स का वैल्यू अगर कम होगा तो मेरा म्यूचुअल फंड का प्राइस गिरेगा ठीक है अब चलते हैं बेसिक फीचर पर देखिए सिंपल वर्ड्स में मैं एक इन्वेस्टर हूं ऐसे मेरे जैसे लाखों इन्वेस्टर्स है इंडिया में हम लोग सब अपने पैसे देते हैं एक पर्टिकुलर एसेट मैनेजमेंट कंपनी मान लीजिए रिलायस म्यूचुअल फंड हो गया या एडीएफसी म्यूचुअल फंड हो गया या आईसीआईसी म्यूचुअल फंड हो गया आदित्य बिडला म्यूचुअल फंड हो गया पराग पारिक हो गया यह सब म्यूचुअल फंड्स है अब इनको पैसे देने वाले काफी लोग हैं यह सब पैसे यह लोग लेते हैं और यह पैसे य जो इनको मिलते हैं यह पैसे से ये शेयर्स बन डिबेंचर या दूसरी फंड स्कीम्स वह सब खरीदते हैं अब जो यह प्रोडक्ट ऑफर करते हैं उसको बोलते हैं फंड्स स्कीम्स प्लांस आगे हम इसको डिटेल में डिस्कस करेंगे अच्छा देखिए दो तरीके से इन्वेस्टमेंट हो सकता है या तो आप जो फंड हाउस है मतलब आप जाइए एचडीएफसी एमसी के वेबसाइट प जाइए डायरेक्ट फंड खरीद लीजिए या आप किसी इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के थ्रू खरीद सकते हैं पूरा मैकेनिज्म हम आगे डिस्कस करेंगे अच्छा जो इन्वेस्टर्स होते हैं म्यूचुअल फंड के वो बेसिकली यूनिट होल्डर्स होते हैं वो डायरेक्टली कोई सिक्योरिटी होल्ड नहीं करते हैं हाउ एवर वो फंड का यूनिट होल्ड करते तो जो जो वो यूनिट्स है उसमें जो शेयर्स एंबेडेड है उसमें जो शेयर्स उस म्यूचुअल फंड ने खरीद के रखे हैं वह सबके प्राइस का इंक्रीज डिक्रीज उसके म्यूचुअल फंड के जो वैल्यू है उस परे रिफ्लेक्ट करेगा तो यह चीज हो गई अब म्यूचुअल फंड के फीचर्स क्या है एसेट एलोकेशन देखिए म्यूचुअल फंड्स एसेट अपना अलग-अलग चीजों में एलोकेट करते हैं अब इससे एडवांटेज क्या मिलता है कि एक डायवर्सिफिकेशन का बेनिफिट मिल जाता है प्लस आपका जैसा इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव है मतलब आपको है कि मेरे को पा अपना खाली कैपिटल ग्रो करना है तो ठीक है आपने 00 लगाया ऑन एन एवरेज अगर 10 पर भी रिटर्न आता है तो अगले साल वही 11 रहेगा आपका धीरे-धीरे कैपिटल ग्रो हो गया कितने लोग का रहता है कि नहीं मुझे 25 साल बाद ये फंड चाहिए तो उसने 25 साल के हिसाब से अपने फंड्स लगाना स्टार्ट कर दिया वो 25 साल की एसआईपी में चला जाता है या अपना 25 साल का इन्वेस्टमेंट राइजन रख के अपना करता है कि 25 साल बा मुझे बेटे बेटी की शादी करनी है या स्टडीज में लगेगा या मुझे 5 साल बाद घर खरीदना है तो उस तरीके से 2 साल बाद मुझे कार लेनी है तो उस तरीके से इसमें कॉस्ट और फीस थोड़ा बहुत मिनिमम कॉस्ट एक लगता है जो कि ऑलमोस्ट 1 पर या उससे भी कम रहता है अगर बहुत वर्स केस 2 2 ए 1 हाफ पर रहता है उससे ज्यादा कॉस्टिंग इसकी होती नहीं है तो उतना आपका फंड मैनेज करने का वो लोग कॉस्टिंग लेते हैं और उसके बाद आपको 10 12 पर जो रिटर्न आता है वो देते हैं तो वो भी कोई बहुत बड़ा मैटर नहीं करता है प्लस इसमें जो ऑपरेशनल डिटेल्स होते हैं ना किस फंड में किस शेयर में उसने पैसा लगाया टाइम टू टाइम वो अपडेट देते हैं कि अगर उन्होने एक शेयर से पैसे हटा के दूसरे शेयर में लगा दिए हैं तो वो अपडेट इन्वेस्टर्स को देते हैं कि भाई हमने ये शेयर के बदले अब ये शेयर लेना चालू कर दिया तो उसका भी एक बेनिफिट मिलता है अब कुछ इंपोर्टेंट टर्म्स कांसेप्ट समझ लेते म्यूचुअल फंड तो क्या है अभी तक क्लियर हो गया होगा म्यूचुअल फंड स्कीम्स क्याक होते हैं ठीक है इक्विटी स्कीम्स होते हैं डेट स्कीम्स होते हैं हाइब्रिड स्कीम्स होते हैं सलूशन ओरिएंटेड और अदर्स इक्विटी स्कीम कैसे हो गए जिसमें पैसे सिर्फ इक्विटी में लग रहे है मतलब कि कंपनी के शेयर्स वगैरह में लग रहे है ये हो गया इक्विटी स्कीम डेट स्कीम क्या होगा सिर्फ डेट इंस्ट्रूमेंट्स में लग रहे हैं मतलब कि गवर्नमेंट के बॉन्ड है ट्रेजरी बिल्स है ये सब में लग रहे हैं या किसी कंपनी का डेट डेट इंस्ट्रूमेंट आया है उसमें पैसे लग रहे हैं हाइब्रिड क्या हो गया हाइब्रिड इक्विटी डेट दोनों में लगाता है या किसी और कैटेगरी में भी लगा सकते हैं सॉल्यूशन ओरिएंटेड सॉल्यूशन ओरिएंटेड में बहुत सारी चीजें होती है अब जैसे किसी को रिटायरमेंट प्लानिंग करनी है तो वो 25 साल के होराइजन में लगा रहा है उस तरीके से हो सकता है टैक्स प्लानिंग है कितने लोगों को टैक्स सेविंग्स चाहिए तो वो ईएलएसएस बोलके जो स्कीम है इक्विटी लिंक सेविंग सेविंग्स स्कीम उसमें लोग करते हैं मैक्सिमम आज के डेट में सैलरी क्लास ईएलएसएस ही करता है फिर उसके बाद अगर मान लीजिए किसी को गोल्ड में इन्वेस्टमेंट करना है तो वो गोल्ड फंड्स खरीदता है ये हो गया सब सॉल्यूशन एरिटेड अदर्स में क्या आया अदर्स में देखिए जैसे इंडेक्स फंड फंड ऑफ फंड्स सेक्टरल एंड थीमे देखिए इंडेक्स फंड क्या हो गया मान लीजिए मुझे यह देखना है कि मुझे कहां पैसे लगाने है मेरे को समझ में नहीं आ रहा है और मुझे कोई बेंचमार्क नहीं मिल रहा है तो आप एक काम करिए आप निफ्टी का तो बेंचमार्क आपको मिलेगा 95 से जब से वो लच हुआ तब से आज तक का पूरा डिटेल है उसका बाजार में अवेलेबल आप उसका उस दिन से लेकर आज तक का रिटर्न देख लीजिए आपको इंडेक्स का बेंचमार्क मिल गया आप इंडेक्स फंड में पैसे लगा लीजिए तो निफ्टी इंडेक्स फंड में भी काफी लोग पैसे लगाते हैं अब फंड ऑफ फंड्स फंड ऑफ फंड्स क्या हो गए मान लीजिए मैं मुझे इन्वेस्ट करना है गोल्ड में तो मैं मैंने क्या किया मैंने गोल्ड फंड ले लिया गोल्ड फंड क्या करता है गोल्ड के जो ईटीएफ वगैरह चल रहे हैं गोल्ड के जो कलेक्टिव स्कीम्स चल रहे हैं उसमें वो पैसे लगा देते हैं फिर सेक्टरल या थेमेटिक अब सेक्टरल कैसे हो गया जैसे मान लीजिए मुझे पता है इंडिया में बैंक्स ग्रो करने वाले हैं या फिर अभी गवर्नमेंट कंस्ट्रक्शन कंपनीज पे फोकस देने वाला है तो कंस्ट्रक्शन कंपनीज बूम पे जाएंगे तो वो क्या करते हैं कि ठीक है चलो मैं कंस्ट्रक्शन सेक्टर की कोई फंड प आईडीएफसी इंफ्रास्ट्रक्चर मान लीजिए लगा देता हूं मैं पैसे तो क्या हो गया इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी में इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्ट करेगा तो वो इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी मेरे सेक्टर कवर हो गया मान लीजिए मैंने ले लिया कि टाटा का मैंने बैंकिंग फंड ले लिया तो टाटा बैंकिंग फंड में क्या है वो टाटा बैंकिंग फंड टाटा बैंकिंग में पैसे मतलब बैंक्स और फाइनेंसियल सर्विसेस कंपनी में पैसे लगाता है तो उससे जो रिटर्न आएगा बैंक्स और एनबीएफसी का शेयर एप्रिसिएशन का वो मुझे उस फंड से मिल जाएगा इस तरीके से आपके सेक्टरल फंडस होते हैं अब एसेट मैनेजमेंट का देखिए ये जो म्यूचुअल फंड हाउसेस हैं ये बेसिकली एसेट मैनेजमेंट कंपनी एचडीएसी एएमसी आईआईसी बैंक एएमसी आदित्य बिल्ड एएमसी पराग पारिक एएमसी लाय निपन एएमसी फिर उसके बाद आपका टाटा टाटा का भी है श्रीराम का भी है काफी सारे सारे लोगों का म्यूचुअल फंड में इंडिया में काफी फंड्स रजिस्टर्ड है और पब्लिक के लिए तो फंड 27 28 म्यूचुअल फंड्स देते हैं मोतीलाल का भी है एडल वाइस का भी है तो सबके फंड्स है तो य ये सारे एएमसी है अच्छा ये फ्रैंकलिन टेंपल का एग्जांपल दिया बय बंद हो च मतलब बंद तो नहीं हुआ इसने काफी सारे स्कीम अपने बंद कर दिए हैं अच्छा पलिंग एंड प्रपोज रिप्रेजेंटेशन देखिए पहला तो क्या है जैसे मैं बताया कि काफी लोग है जिनको इन्वेस्ट करना है राइट तो वो लोग एक पर्टिकुलर स्कीम में या एक पर्टिकुलर फंड में पैसे लगाते हैं वो सबका पैसा लेके इन्वेस्ट किया जाता है और वो इन्वेस्टमेंट की वैल्यू को यूनिट्स में डिवाइड करके उनको यूनिट्स डिस्ट्रीब्यूटर किया जाता है ठीक है अब डे टू डे बेसिस पे शेयर्स के दाम या तो बढ़ेंगे या कम होंगे राइट तो मान लीजिए आज वो सब शेयर्स के दनाम कलेक्टिवली 1 पर के आसपास बढ़ गए हैं तो क्या होगा मान लीजिए 10000 की टोटल इन्वेस्टमेंट थी तो आज 1 पर इंक्रीज हुआ मतलब 10100 हो गया है तो आपका मार्क टू मार्क एडजस्टमेंट वहां पे ₹1 का देना पड़ेगा तो 1 पर जो एप्रिसिएशन हुआ है तो वो 100% 00 आपके मार्क टू मार्क एडजस्टमेंट में वो ऐड होगा आपके म्यूचुअल फंड के टोटल एनएवी वैल्यूएशन में एनएवी वैल्युएशन में आपका वो ₹ ऐड हो गया तो आज 10000 जो था वो 10100 हो गया है और नंबर ऑफ यूनिट्स रह गए सेम तो नंबर ऑफ यूनिट सेम रहे गए आपके तो उसमें आपको रिटर्न भी 1 पर आपके फंड में दिखेगा इसमें से थोड़ा चार्जेस लेस करते हैं म्यूचुअल फंड कंपनीज बेसिकली एक्सपेंस रेशियो लेस करते हैं अपना और कोई अगर रिडेंपशन करता है तो एग्जिट लोड अपना रिड्यूस करते हैं जनरली एक्सपेंस रेशियो ही लेस करते हैं वो लोग तो तो 10 100 100 आपका हो गया मान लीजिए 1 पर एक्सपेंस रेशियो है तो वो 100 मान लीजिए 10100 का 1 पर एक्सपेंस रेशियो है तो वो पूरे साल भर का रहेगा तो पूरे साल के एंड में जो टोटल रहेगा उसमें जो एप्रिसिएशन अमाउंट रहेगा उसमें से 1 पर वो अपना निकाल लेगा एक्सपेंस रेशो में अब नेट एसेट वैल्यू नेट एसेट वैल्यू क्या हो गया जैसे मैंने ये बताया 10100 जो ये अमाउंट हमने डिस्कस किया ये 10100 डिवाइडेड बाय टोटल नंबर ऑफ यूनिट्स हो गया पर यूनिट का वैल्यू वो हो गया एवी नेट एसेट वैल्यू ऑफ दैट पर्टिकुलर म्यूचुअल फले य कैलकुलेशंस है आप देख लीजिएगा बट मैंने जो सिंपल वे में समझाया कि मान लीजिए 100 यूनिट है और 00 था पहले अब 10100 हो गया डिवाइडेड बा 100 कर दीजिए वो आपका पर यूनिट वैल्यू आ गया अब प्राइसिंग ऑफ ट्रांजैक्शन देखिए सिंपल वे में ये समझिए कि ये जो एग्जांपल दिए हैं ना ये प्रैक्टिकल सेंस में एग्जिट एजिस्ट नहीं करते हैं प्रैक्टिकल सेंस में ये एजिस्ट करता है न्यू इन्वेस्टर्स बाय 1000 यूनिट्स एंड पेज एन एवी ऑफ 12.4 पर यूनिट बेसिकली क्या होता है मान लीजिए आपने आज ऑर्डर लगाया कि मुझे ये खरीदना है मुझे आज आपके म्यूचुअल फंड खरीदना है तो आज जो एनवी की वैल्यू रहेगी ना उसी वैल्यू पे जनरली आपके जितने म्यूचुअल फंड कंपनीज है आपके पैसे पे उतने ही यूनिट्स आज के वैल्युएशन के हिसाब से आपको लोकेट करते हैं यह सब जो लिख रहा है ना यह सब एक्चुअल में नहीं होता है एक्चुअल में सिर्फ यही होता है कि आज जो एनवी है वही एनवी प आपको यूनिट्स मिलेंगे अब फंड रनिंग एक्सपेंसेस मैंने जैसे बताया कि उनके एक्सपेंस रेश होते हैं तो वो जैसे टोटल एक्सपेंस रेयो या नाम भी लिखा है तो एक्सपेंस रेशो ना वो हर फंड में पहले ही बताया रहता है कि मेरा एक्सपेंस रेश मान लीजिए 1 पर है या किसी ने बताया मेरा 2 पर है तो पूरे साल में मान लीजिए उस इन्वेस्टमेंट का जो एसेट वैल्यू है एसेट अंडर मैनेजमेंट है टोटल मान लीजिए आपका है आपका एयूएम जिसको बोलते हैं एसेट अंडर मैनेजमेंट वो मान लीजिए 1000 करोड़ का है और एक्सपेंस रेशियो 1 पर है तो वो क्या करते हैं नेट एसेट वैल्यू में से 1 पर वो रिड्यूस कर लेते हैं और बाकी जो बचा हुआ प्रॉफिट होता है वही आपको एलोकेट करते हैं तो मान लीजिए 1000 का है 1000 करोड़ का है तो 10 करोड़ हो गए उसके 10 करोड़ हो गए उसके एक्सपेंस रेशियो तो वो 10 10 करोड़ अपना उस वैल्यू से टोटल में से निकाल लेगा अपने एक्सपेंस रेशो के हिसाब से और बाकी जो बच गया आपका 990 करोड़ उस वैल्यू पे आपके यूनिट्स का साइज डिटरमाइंड करेगा यूनिट का एनएवी डिटरमाइंड करेगा ये रोलिंग बेसिस में कैलकुलेशन चलती रहती है डेली बेसिस पे अब ये लोट्स देखिए दो तरह के लोड होते हैं एक तो एंट्री लोड एक तो एग्जिट लोड एंट्री लोड जनरली आज के डेट में नहीं देखा जाता मैक्सिमम जगह एग्जिट लोड ही देखा जाता है एग्जिट लोड में क्या लॉजिक चलता है मान लीजिए लिक्विड फंड है वो उसने बोला इफ रिडीम विद इन से डेज तो इतना परसेंट वो एग्जिट लोड काट लेगा जो ईएलएसएस वगैरह होते हैं वो तो 3 साल तक लॉक्ड रहते हैं बट बाकी जो फंड्स होते हैं मान लीजिए मैक्सिमम इक्विटी फंड्स वगैरह में क्या है इफ रिडीम विद इन वन ईयर तो 1 पर काट लेंगे इफ मोर देन वन ईयर देन वो कुछ नहीं काटेंगे तो उस तरीके से यह काम करता है तो एग्जिट लोड कब लगेगा जब आपने उस टाइम फ्रेम के पहले विड्रॉ कर लिया अगर टाइम का कुछ लॉक इन था उसके पहले अगर आपने विड्रॉ कर लिया है तो आपको चार्ज लगता है और जो जो लस वगर होते टैक्स लिंक वगैरह होते हैं उसमें तो कंप्लीट लॉकइन होता है व आप निकाल भी नहीं पाते हैं तो इसमें यह क्लियर रखिएगा एसिट लोड कब लगता है जब स्कीम में क्लियर लिखा है एक साल के पहले आपने निकाला एक पर लग जाएगा तो मतलब आपने 00 का रिडेंपशन मारा तो एक पर आपका कट जाएगा 00 आपको मिल जाएगा पास थ्रू एंटिटी देखिए सबसे बड़ा चीज तो ये है कि मान लीजिए जो भी कैपिटल एट होता है 10000 आपने इन्वेस्ट किया था उसकी वैल्यू 12000 हो गई एक साल में तो पहला बात तो कि जो 12000 वैल्यू हो गया है वो तो इसमें भी दिखेगा म्यूचुअल फंड में भी और आपके बुक्स में भी दिखेगा आप अगर उसको रिडीम करते हैं 000 प टैक्स आपको भी लगता है और अगर आप देखना चाहे तो हो सकता है कि कोई टैक्स उस पर भी कैलकुलेट कर ले तो डबल टैक्सेशन हो जाएगा इसलिए म्यूचुअल फंड्स को पास थ्रू एंटिटी का स्टेटस मिला हु है मतलब क्या होता है उन परे ये जो 000 है ना जो 10000 से 12000 हो गया उसका टैक्स उनको नहीं देना है वो आप ही को देना होगा मतलब आप ए इन्वेस्टर आप ही को 000 परर टैक्सेबल लायबिलिटी आती है आपकी तो आपको देना होगा म्यूचुअल फंड को नहीं करना होगा वो पास थ्रू करते हैं तो जो भी प्रॉफिट है वो पास थ्रू करते हैं उनको क्या चीज पर टैक्स देना पड़ता है जो उन्होने एक्सपेंस रेशो आपसे कलेक्ट किया वो उनके प्रॉफिट एंड लॉस में जाता है उस बेसिस पर कैलकुलेशन होता है उसमें अगर कुछ टैक्स रा होता है तो वो पे करते हैं अब ओपन एड फंड ओपन एड फंड क्या है है जो फंडस आप डेली खरीद और बेच सकते हैं आपको मन कि आपने खरीदा कल आपको बेचना है तो आप बेच सकते हैं क्लोज एंडेड फंड क्या है उनका एक पर्टिकुलर डिटरमाइंड पीरियड रहता है कि इतने दिन तक ये आप इसको बेज नहीं सकते हैं तो वो हो गए क्लोज एंडेड फंड्स इंटरनल फंड्स क्या हो गए कि उसमें कैसा है कि आपने आज लांच किया फिर कुछ दिन बाद फिर आप लंच करेंगे और उसी के बाद उसी तरह उसके रिडेंपशन प्रोसेस होते है कुछ दिन इतना दिन के बाद रि होगा कुछ फिर कुछ यूनिट इतना दिन के बाद रिडीम होगा ये हो गया इंटरनल फंडस अब रिलेटिव परफॉर्मेंस देखिए रिलेटिव परफॉर्मेंस क्या हो गया पहला चीज तो ये है कि म्यूचुअल फंड्स में आप इन्वेस्ट तो कहां कर रहे हैं या तो डेट इंस्ट्रूमेंट में कर रहे हैं या आप शेयर्स में कर रहे हैं जब आप ये इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं तो वो उस चीज की वैल्यू कम भी हो सकती है बढ़ भी सकती है अगर वो वैल्यू बढ़ती है तो आपका भी वैल्यू बढ़ेगा आपके एनएवी का वही हो गया रिलेटिव परफॉर्मेंस वो रिलेटेड है टू द अंडरलाइन जिसमें इन्वेस्टमेंट हुई है अगर इक्विटी में हुआ है तो इक्विटी अगर डेट में हुआ है तो डेट उसके ऊपर रिलेटेड है डायवर्सिफिकेशन अब देखिए अगर आपने एक शेयर लिया मान लीजिए आपने reliance1 का आपने खरीदा था आज 1800 हो गया तो क्या होता है कि आपका वैल्यू डेप्रिसिएशन 00 हो गया पर शेयर बट इसमें क्या होता है चूंकि यह तो मल्टीपल शेयर्स में लगाते हैं इसका भी हम आगे पढ़ेंगे क् मल्टीपल में इनको क्यों लगाना पड़ता है वो भी हम लोग आगे पढ़ेंगे बट यह मल्टीपल में लगाते हैं तो क्या हुआ मान लीजिए रिलायस का वैल्यू अगर गिर भी गया है 10 पर उसके जगह प आईटीसी है जिसका वैल्यू 20 पर बढ़ा हुआ होगा तो ये नेट ऑफ होके एट द एंड ओवरऑल प्लस माइनस सब लेके कुछ ना कुछ पॉजिटिव रिटर्न ही आ जाता है मैक्सिमम टाइम हमने यही देखा है कि पॉजिटिव रिटर्न ही आया है क्यों क्योंकि एक मान लीजिए खराब कर रहा है दूसरा तो अच्छा करेगा प्लस ये लोग क्या होते हैं ना प्रोफेशनल इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स होते हैं इनको पता है ना ये खराब करने वाला तो जल्दी इससे निकल भी जाते हैं ये ये क्या करते हैं फिर कहीं ऐसे जगह पैसे लगाते हैं जहां पे उनको मालूम है रिटर्न आ सकता है अच्छा ग्रोथ एंड डिविडेंड ऑप्शन देखिए दो तरह हर म्यूचुअल फंड में दो स्कीम होती है एक ग्रोथ एक डिविडेंड डिविडेंड का क्या हुआ कि जब उसको डिविडेंड पे आउट जो उसकी प्रॉफिट होती है वो आपको पे आउट कर देंगे तो आपके बैंक में वो पैसे चले आएंगे और डिविडेंड क्या हो गया सॉरी डिविडेंड मैंने ये बताया ग्रोथ क्या हुआ वो जो वैल्यू एप्रिसिएशन हुआ उसको वो रि इन्वेस्ट कर देते हैं तो जो भी एप्रिसिएशन हो रही है आपके म्यूचुअल फंड स्कीम की उसको वो दोबारा रिइन्वेस्ट मार देंगे तो आपके पास वो दोबारा पैसे चले आएंगे तो उतने की यूनिट्स आपको एक्स्ट्रा मिल जाएगी वो हो गया ग्रोथ ऑप्शन और डिविडेंड में आपको डायरेक्ट बैंक में मिल जाते हैं इसमें नंबर ऑफ यूनिट्स बढ़ जाते हैं आपके तो ये चीज हो गया यूनिट बढ़ जाते हैं या बेसिकली एनएवी बढ़ जाता है दोनों में एट द एंड इट्स द सेम थिंग वर्किंग ऑफ म्यूचुअल फंड देखिए कोई भी चीज ना मार्केट में बिकता तभी है जब वो दिखता है राइट तो दिखता कैसे है एक तो आपको एमफी का ड आता होगा टीवी चैनल में म्यूचुअल फंड सही है म्यूचुअल फंड सही म्यूचल फंड सही है दूसरे होते हैं इन्वेस्टमेंट एडवाइजर वो क्या करते हैं वो जाते हैं वो लोगों को बताते हैं कि सर देखिए मेरे यह फंड हम लोग लेकर आए हैं इस फंड का हिस्टोरिक यह रिटर्न आया है आगे भी अगर आप लगाएंगे तो इस तरह के रिटर्न हम एक्सपेक्ट कर सकते हैं इससे थोड़ा कम भी हुआ तो एटलीस्ट इतना तो होगा च इ फार बेटर देन योर एफडी और एनी अदर रिटर्न और यह जो यह प्रोडक्ट सेल करने की कोशिश करते हैं इन्वेस्ट एडवाइजर्स इनको एक कमीशन मिलता है फ्रॉम द एसेट मैनेजमेंट कंपनी एएमसी जिसको ट्रेल कमीशन भी बोलते हैं तो दो मैंने बताया था ना दो तरीके से आप खरीद सकते हैं एक तो या तो वेबसाइट से आप डायरेक्टली खरीद लीजिए या फिर एक आप ये मॉड्यूल में खरीद लीजिए इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के थ्रू तो दो तरीके से होते हैं डायरेक्ट क्या होता है कि इतनी सारी स्कीम्स है आप में वो टेक्निकल कैपेबिलिटी होनी चाहिए कि आप डिसाइड कर सक कि आपको कौन सा फंड खरीदना चाहिए और फाइनेंशियल एडवाइजर्स क्या है वो एटलीस्ट आपको स्कीम समझाते हैं जब स्कीम्स आपको अगर समझ में आए आपको जम रहा है वो तो आप ले लीजिए नहीं समझ में आया तो ठीक है नहीं लेंगे और वेबसाइट पे जाएंगे ना तो हजार स्कीम है आप देख के कंफ्यूज हो जाएंगे अब आप एचडीएफसी के पास जाएंगे एडीएफसी का 400 स्कीम है वो आपको बोले आप चूज कर लीजिए आप कैसे चूज करेंगे बट कोई इन्वेस्टमेंट एडवाइजर है वो आपके पास आया है सर एचडीएफसी का बैलेंस एड बिट्रा फंड ले लीजिए आपने पूछा क्या बेनिफिट है उसने आपको बेनिफिट्स बताया आपको सही लग रहा है तो आप ले लीजिए उसके बदले क्या होता है उसकी एक्सपेंस रेशो थोड़ी सी ज्यादा होती है उन फंड्स की दो तरह के फंड्स होते हैं डायरेक्ट और रेगुलर डायरेक्ट मतलब जो आप डायरेक्ट खरीद रहे हैं खुद से रेगुलर मतलब जो आप एडवाइजर्स के थ्रू खरीद रहे हैं तो एडवाइजर्स का एक्सपेंस रेशो थोड़ा सा ज्यादा होता है हाउ एवर एडवाइजर्स जब एडवाइस करते हैं तो वो कुछ सोच समझ के ही करते हैं और उनका रिलेशन भी पर्सनल टच भी होता है लोगों के साथ जिसमें क्या होता है आपको एक बेनिफिट ये मिलता है कि एटलीस्ट वो अगर आप उनसे दोबारा अगर कोई चीज के र पूछेंगे ना कि यार यह फंड का परफॉर्मेंस तो ठीक नहीं हो रहा है तो हो सकता है वो आपको सही सजेस्ट कर दे कि हा सर यह गलती हो गई है हम लोग दूसरे फंड में लगा लेते हैं यहां से निकाल लेते हैं पैसे बट अगर आपने खुद से लिया है डायरेक्ट लिया है तो वही वाला डिसीजन हो गया कि रिस्क रिवर्ड सब आपका है तो आप किसी प किसी से पूछ भी नहीं सकते आप फिर खुद से कैलकुलेट करिए कि आपकी डिसीजन सही थी या नहीं थी तो यह हो गया वर्किंग ऑफ म्यूचुअल फंड अच्छा इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के थ्रू आज अभी 80 पर फंड इंडिया में इन्वेस्टर एंड एडवाइजर्स के थ्रू बिकते हैं क्यों बिकते हैं क्योंकि पर्सनल टच मैटर करता है पैसे को लेके लोग किसी को भी ट्रस्ट नहीं करते हैं अच्छा ये हो गई इसकी कंसीट एंट की वर्किंग में क्या-क्या लगता है कस्टोडियन जैसे चकि ये इंस्टीट्यूशन होते हैं एएमसी ये कस्टोडियन के थ्रू शेयर्स बाय और सेल करते हैं आरटी एजेंट्स क्या होते हैं यूनिट जो आपने किया वो आपके नाम प रजिस्टर करते हैं या तो फोलियो में करेंगे या डीमेट में करेंगे दो मॉड्यूल नहीं कर सकते हैं वो बैंक्स जो पैसे लेने और देने का काम करते हैं वो बैंक्स हो ग आप आपको अगर खरीदना है तो आप पैसे दोगे रिडीम करोगे तो आपको पैसे मिलेंगे वो चैनल बैंक के थ्रू हो गया ऑडिटर्स ऑडिट देखिए हर चीज में होता है हर कंपनी की ऑडिट होती है स्कीम्स का वो ऑडिट करेंगे अपना रिव्यू देंगे भाई इसके पैसे सही तरीके से यूज हुए हैं कि नहीं एक्सपेंस रेशो इसने जो लिया है कि सही लिया है कि नहीं कमीशन जो दी गई है सही तरीके से दी गई है कि नहीं यह सब वो कैलकुलेट करते हैं डिस्ट्रीब्यूटर्स जो लोग एंड स्कीम बेस वो डिस्ट्रीब्यूटर होते और ब्रोकर तो देखिए ऐसा है कि ब्रोकर्स तो हर चीज में इव रते व डिस्ट्रीब्यूशन चैनल में भी है व कस्टोडियन मोड में भी है और व बाइंग और सेलिंग ऑफ सिक्योरिटीज में भी इवॉल्व रहते हैं तो ब्रोकर्स तो हर जगह है अब रेगुलेशन देखि म्यूचुअल फंड को इंडिया में रेगुलेट करता है एमफी बोल के एक ट्रस्ट है देखि पहले तो सिक्योरिटी से भी करता है उसके बाद एमफी बोलके है वो इसको रेगुलेट कर करता है और सब कुछ सभी के अंडर आता है म्यूचुअल फंड को एक ट्रस्ट के फॉर्म में बनाया जाता है और इनके रेगुलेशन में ये चीज क्लियर होता है कि अगर इक्विटी फंड है तो किसी एक में किसी एक शेयर में किसी वन सिक्योरिटी में व 10 पर ज्यादा पैसे नहीं लगा सकते हैं और किसी भी आपके डेट इंस्ट्रूमेंट में वो 30 पर से ज्यादा किसी एक कैटेगरी ऑफ फंड में नहीं लगा सकते हैं ये हो गया क्लियर डिवीजन तो हमने जो ऊपर बोला था कि वो सारे पैसे reliance1 पर्टिकुलर शेयर में या सिक्योरिटी में लगाना अलाउड ही नहीं है इन्वेस्टमेंट सर्विसेस स्टैंडर्ड देखिए पहला चीज तो ये है एनएवी के डिटेल्स आपको डेली डिस्क्लोज करने होंगे आप किसी भी वेबसाइट प अपना जो आपका म्यूचुअल फंड होगा उसका नाम ग कर दीजिए आपको उसका एनएवी आप एंड में एनवी लिख दीजिए आपको एनएवी का वैल्यू मिल जाएगा क्यों क्योंकि उनको डिस्क्लोज करना पड़ता है डेली बेसिस से तो मनी कंट्रोल प एवी मिल जाती है आपका जो फंड आपने जहां से खरीदा हु वहां मिल जाएगी वेबसाइट प मिल जाएगी हर जगह डिटेल मिल जाते हैं जिस दिन आपने यूनिट खरीदा उसके पाच दिन के अंदर आपका यूनिट एलोकेट हो जाना चाहिए आपको पीरियोडिक स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट मिलना चाहिए आपने जब रिडेंपशन मारा तो जैसे लिक्विड फंड्स वगैरह तो क्या है वो कुछ स्कीम्स ऐसे हैं कि आधे घंटे में पैसे आपके बैंक में चले जाते हैं कुछ स्कीम्स ऐसे हैं जिसमें एक दिन के अंदर पैसे आपके पास चले आते हैं और कुछ स्कीम्स ऐसे हैं जिसमें तीन चार दिन लगता है बट वो काफी लिक्विड है 10 दिन तो ये मैक्सिमम दिया हुआ है उसके पहले ही आ जाते हैं अच्छा और एमसी का कोड ऑफ कंडक्ट यही एमफी मैंने एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड ऑफ इंडिया ये कोड ऑफ कंडक्ट गवर्न करता है इसका और एंड रेगुलेटर कौन है सेबी है टाइप ऑफ म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट इक्विटी डेट हाइब्रिड सोल्यूशन टेड अदर य हमने सब डिस्कस कर लिया है वहां पर ऊपर अच्छा इक्विटी में कैसे है मल्टी कैप फंड मल्टी कैप फंड मतलब क्या हो ग ये लार्ज कैप स्टॉक्स मिड कैप स्टॉक्स स्मल कैप हर तरह के स्टॉक्स में पैसे लगा सकते हैं लार्ज कैप कौन से हो गए टॉप 100 मार्केट कैपिला इजेशन वाली कंपनीज को बोलते हैं लार्ज कैप 100 टू 500 वाले को बोलते हैं मिड कैप 500 के नीचे वाले को बोलते हैं स्मॉल कैप तो ये मल्टी कैप वाले किसी में भी लगा सकते हैं लार्ज कैप वाले सिर्फ लार्ज कैप में लगाएंगे मतलब टॉप 100 मार्केट कैप वाली कंपनी में अभी s बैक का शेयर्स भागना क्यों चालू हो गया था क्योंकि वो लार्ज कैप के कैटेगरी में आने वाला था इसलिए वो भागना चालू हो गया था मिड कैप देख है मिड कैप का सीधा हिसाब है वो 100 टू 500 रेंज वाली कंपनी में लगाएगा स्मॉल कैप जो लेस दन 500 रैंक की कंपनीज है ना उसमें वो पैसे लगाएगा डिविडेंड डील्ड देखिए जो कंपनीज कुछ गवर्नमेंट पीएसयू है जो हाई डिविडेंड देती है आईटीसी हो गया अपार्ट फ्रॉम गवर्नमेंट प जो हाई डिविडेंड देता है तो कितने लोग क्या डिविडेंड यील्ड वाली स्कीम्स में पैसे लगाते हैं तो वो डिविडेंड आपको हर साल ज्यादा आते रहेगा कुछ वैल्यू ओरिएंटेड मतलब उसमें बेसिकली एक इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी है जिसमें आपको लगता है कि इस तरह के पर्टिकुलर शेयर्स में ग्रोथ होगा तो फोकस 30 इक्विटी फोकस 10 इक्विटी वो सब जो होते हैं वो बेसिकली वैल्यू टेड वाले हो गए फोकस फंड भी यही सब हो गए फोकस फंड में एक रूल है मैक्सिमम 30 स्टॉक्स आपको रखने हैं और आप किसी भी कैटेगरी का रख सकते हैं सेक्टरल टिक सेक्टरल हमने जसे डिस्कस किया था कि आप आपको मनना कि बैंकिंग सेक्टर ग्रो करेगा आपने बैंकिंग फंड ले लिया आपको लगता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर वो सेक्टर ग्रो करेगा आपने इंफ्रास्ट्रक्चर फंड ले लिया तो वैसे वैसे काफी सारे सेक्टर्स के फंड है मार्केट में देखिए आज के डेट में जितने सर्विस ओरिएंटेड जॉब वाले लोग हैं 90 पर लोग की टैक्स सेविंग होती है लस में 90 पर लोग ल टैक्स सेविंग करते हैं क्योंकि इसमें सबसे कम जितने टक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट सबसे कम लॉक इन होता है आपके लस में न साल की बस लकन बस तीन साल की तो उसका एक एडवांटेज मिलता है और न साल बाद आप चाहे तो रिडीम कर सकते फिर को वापस टैक्स सेविंग में डालना डाल दीजिए तो आपके पैसे नए पैसे भी नहीं लगे और आपका उस साल का भी टैक्स इन्वेस्टमेंट हो गया तो मैक्सिमम जॉब वाले लोग यही काम कर रहे हैं आज के डेट में डेट स्कीम्स देखिए डेट स्कीम्स में कैसा है एक ओवरनाइट फंड जिसम वैसे ही बंड में पैसे लगाते हैं जो एक दिन में आपको ओवरनाइट में आपको पैसे मिलने वाले हैं लिक्विड फंड जिसमें वो 91 डेज वाले स्कीम में पैसे लगाते हैं आप जितना दिन रखना चाहे रख सकते हैं वो लोग 91 डेज वाले बंड्स में पैसे लगाते हैं अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन थ्री मंथ्स टू सिक्स मंथ्स लो ड्यूरेशन 6स टू 12 मनी मार्केट फंड्स मतलब अप टू वन ईयर वाले शॉर्ट ड्यूरेशन 1 टूथ यर्स मीडियम ड्यूरेशन 3 टू फोर इसी तरह से ड्यूरेशन वाइज है डायनेमिक वाले कहीं भी लगा सकते हैं किसी में भी मतलब वो क्या करते हैं मिक्स मैच कर लेते हैं कुछ पैसे हम इसमें लगाते हैं कुछ पैसे उसमें लगाते हैं और वो उस हिसाब से करते हैं आपको सबसे ज्यादा लिक्विडिटी चाहिए तो लोग लिक्विड फंड में पैसे रखते हैं क्यों क्योंकि हमको 10 दिन बाद रिडीम करना है तो हम 10 दिन बाद रिम कर सकते हैं और काफी लोग मनी मार्केट में पैसे रखते हैं मान लीजिए आपको छ महीने एक साल जैसे एफडी वगैरह का जो लॉजिक होता है तो वो मनी मार्केट बेटर होता है क्यों क्योंकि आपको एक साल तक आप एटलीस्ट आप रखेंगे तो आपको पाच एफडी से तो एटलीस्ट एक 2 पर ज्यादा ही इंटरेस्ट मिलता है और ये सब भी है बैंकिंग पीएसयू फंड मतलब बैंक्स ने जो बॉन्ड्स वगैरह इशू किए तो उनको ये खरीद लेते हैं तो उसमें जो आपको आता है इन रिटर्न वो यहां पे कैलकुलेट होता है तो इस तरीके से हाइब्रिड स्कीम क्या हो गई ये कॉमिनेशन ऑफ इक्विटी एंड डेट स्कीम्स है मतलब क्या हुआ कुछ वो पैसे कुछ तो लगाएंगे इक्विटी फंड में कुछ लगाएंगे डेड फंड में अब सबसे ज्यादा इसमें पॉपुलर क्या है बैलेंस हाइब्रिड फंड जिसमें 60 पर से 40 पर का फ्लेक्सिबल रहता है तो मतलब वो क्या कर सकते हैं कि एटलीस्ट 40 पर एक कैटेगरी में लगाना है और आपको जब मन करे आप फ फ्लकचुएट कर सकते हैं आपको लग रहा है इक्विटी मार्केट नीचे जा रहा है तो आप क्या करिए 60 इन्वेस्टमेंट कर दीजिएगा डेट इंस्ट्रूमेंट में तो क्या होगा एटलीस्ट फिक्स रिटर्न आएगा इक्विटी में खाली 40 पर एक्सपोजर रहेगा आपको लगता है कि इक्विटी मार्केट ऊपर जा रहा है तो आप डेट से रिड्यूस करके आप इक्विटी में पैसे लगा देते हैं तो क्या हुआ कि आपका इक्विटी का ग्रोथ आपको मिलते रहेगा तो सबसे ज्यादा पॉपुलर हाइब्रिड में बैलेंस हाइब्रिड फंड होता है उसके बाद आर्बिट्राज फंड होते हैं आर्बिट्राज फंड्स में लॉजिक 65 35 का होता है 65 पर वो इक्विटी में रखते हैं 35 पर वो डेट में रखते हैं लेकिन 65 पर जो वो रखते हैं उसमें वो किसी भी कैटेगरी ऑफ इक्विटी में रख सकते हैं पैसे यह उसका एडवांटेज है अब सॉल्यूशन ओरिएंटेड देखिए रिटायरमेंट फंड और चिल्ड्रन फंड देख रिटायरमेंट और चिल्ड्रन के लिए ना आज भी इंडिया में लोग एलआईसी वगैरह ही प्रेफर करते हैं हाउ एवर आपके इस ऐसे म्यूचुअल फंड स्कीम्स है जिसमें आप 4 साल पा साल तक आप पैसे रख सकते हैं और वो अच्छा ही रिटर्न करके देते हैं इंडेक्स फंड्स जैसा हमने डिस्कस किया कि वो इंडेक्स का ही एजेक्ट रेप्ट होता है मान लीजिए कि आपके निफ्टी में 50 स्टॉक है तो यह क्या करेगा आपसे जो पैसे लेगा वो सबके पैसे जोड़ के वो निफ्टी के 50 स्टॉक्स मेंही पैसे लगाएगा हां 10 पर का स्लैब मेंटेन करना है अब निफ्टी में प्रॉब्लम क्या है कि निफ्टी में एचडीएफसी और रिलायस 111 पर वेटेज रखते हैं तो उनका य अप टू 10 रखेंगे बाकी पोर्शन वो दूसरो में एलोकेट कर देंगे फंड ऑफ फंड्स इसमें एक एडवांटेज है कि लोग कुछ कुछ ऐसे फंड और फंड्स भी है इंडिया में जैसे प इक्विटी फंड मोतीलाल फॉरेन फोकस फंड ये सबसे ये सब फंड्स ऐसे हैं जिसमें आप फॉरेन इन्वेस्टमेंट भी कर सकते हैं और आपको रिस्क कम रहेगा क्यों डाइवर्सिटी मस उसमें देखिए ये इंडिया में पॉपुलर ज्यादा है नहीं लेकिन हां इंफ्रास्ट्रक्चर डेट स्कीम्स इंफ्रास्ट्रक्चर बंड्स वगैरह आते हैं उसमें क्या होता है वो 10 साल के लिए लॉक इन रहता है आपको हर साल कुछ रिटर्न आएगा और 10 साल के लिए वो लॉक इन रहेगा फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लांस क्या हो गए कि कुछ साल में वो लॉक इन आपका जब तक लॉक इन है तब तक आपका लॉकइन रहेगा उसके बाद वो आप उसको मैच्योर कर पाएंगे रियल स्टेट म्यूचुअल फंड्स यह क्या करते हैं पैसे आपसे लेते हैं रियल रियल स्टेट के जो स्कीम्स होते हैं ना जिसमें मान लीजिए फ्लैट्स आ रहे हैं या कमर्शियल प्रॉपर्टीज आ रही है उसमें वो इन्वेस्ट करते [संगीत] हैं इंफ्रास्ट्रक्चर बेसिकली यह लोग क्या करते हैं जो गवर्नमेंट के इंफ्रास्ट्रक्चर बंड्स वगैरह आते हैं उसमें ये पैसे लगाते हैं और बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर जो प्रोजेक्ट्स होते हैं मेट्रो बन रहा है बन रहा है उसमें जब पैसे की जरूरत होती है वो लोग यह सब फंडिंग करते हैं और उस फंडिंग के बेसिस में उनको शेयर ऑफ रेवेन्यू मिलता है मान लीजिए टोल है टोल कलेक्ट हो रहा है या मेट्रो है तो उसमें आपका डेली रेंट जो आपसे रेवेन्यू कलेक्ट हो रहा है उसका शेयर ये लोग लेते हैं अब इन्वेस्टमेंट करना है तो करना कैसे है देखिए सिंपल है पेन नंबर और उसी के बेसिस पर केवाईसी यह दो चीज जरूरी है इन्वेस्टमेंट के लिए हाउ एवर ले लेसन 50000 में तो आप पैन भी जरूरत नहीं है बस केवाईसी आपकी बेसिक केवाईसी होगी और आप इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं अगर साल में आप लेस देन 50000 का इन्वेस्टमेंट करने का सोच रहे हैं तो आपको पेन की भी जरूरत नहीं है हाउ एवर पन तो आजकल सबके पास ही होता है तो उसमें कोई बहुत बड़ा चीज ये है नहीं और केवाईसी नॉर्म्स हमने आगे पहले वाले चैप्टर में डिस्कस किया है तो वहां पर देख लीजिएगा इन्वेस्टिंग इन एनएफ देखिए कोई भी म्यूचुअल फंड अगर नया लिस्ट होने वाला है ना उसको बोलते हैं एनएफ जैसे हम लोग आईपीओ पढ़े थे शेयर्स के लिए तो एएफओ क्या होता है न्यू फंड ऑफर ठीक है तो अब क्या हो गया कि कोई भी मान लीजिए कंपनी ने डिसाइड किया कि चलो ये नया इंडेक्स आ रहा है मान लीजिए एन एनएससी का फाइनेंशियल सर्विसेस इंडेक्स आ रहा है इस बेसिस पे एक फंड लच कर देते हैं तो वो क्या हो गया एएफओ हो गया तो वो एएफओ में आपको पैसे लगाने हैं तो आप जैसे आईपीओ में बिडिंग वगैरह होती है वैसे आप कर लीजिए इसे 5 दिन में आपको यूनिट्स एलोकेट हो जाते हैं और इसकी एप्लीकेशन 1520 दिन तक चलती रहती है इसमें वैसा तीन दिन का चार दिन का स्ट्रिक्ट टाइम लाइन नहीं है अच्छा यह तो कंटीन्यूअस ऑफर वगैरह ये सब ठीक है वो सब देख लीजिएगा कुछ है नहीं उसमें स्टॉक एक्सचेंज चैनल अब देखिए दो प्लेटफार्म है इंडिया में एनएससी एनएससी का भी एक है और बीएससी का स्टार एमएफ है इंडिया में सबसे पॉपुलर आट में स्टार एमएफ है ये क्या करते हैं जैसे जितने भी ब्रोकर्स हैं जरोदा का कॉइन हो गया या ग्रो एप हो गया ये लोग या कुवेरा हो गया ये लोग क्या करते हैं आप जो आपने अपने एसआईपी का पैसा दिया ये क्या करते हैं उस इनके जो स्टार म्यूचुअल फंड का प्लेटफॉर्म है बीएससी का उसपे बाय ऑर्डर लगा देते हैं कि इतने यूनिट्स मुझे चाहिए इतने यूनिट्स चाहिए मेरे को इस म्यूचुअल फंड के क्यों क्योंकि मेरे को इतनी एसआईपी आ गई है तो वो लोग तो उतने रुपए का वो लगा देते हैं मान लीजिए 00 उनका टोटल कलेक्ट हो गया हैं तो वो पर्टिकुलर एसआईपी में वो ₹1000000 का वो ऑर्डर मार देते हैं और जो म्यूचुअल फंड कंपनीज है उतना यूनिट उनको सेल कर देती है वो यूनिट्स उनके डीमेट में चले जाते हैं उनके डीमेट से वो आपके डीमेट में आ जाते हैं ये हो गया स्टॉक एक्सचेंज चैनल पेमेंट फंक्शन आदर अपफ्रंट पेमेंट होता है कैश चेक्स के थ्रू होते हैं एनएफटी आरटीजी जो आपको सही लगे वो कर सकते हैं आप रिडेंपशन देखिए रिडेंपशन का जैसे मैंने बताया लिक्विड फंड्स वगैरह तो कुछ ऐसे हैं जो आधे घंटे में पैसे दे देते हैं रिलायस लिक्विड फंड जो है अगर आपने उसको डायरेक्ट बाय किया है तो वो आपको आधे घंटे पैसे दे देता है आपने किसी एजेंट के थ्रू किया है तो एक दिन लग जाता है बट डायरेक्ट आपने बाय किया तो आपको आधे घंटे में पैसे आ जाते हैं आपके जैसे ईएलएसएस वगैरह हो गए तो वो तीन साल लॉकइन जब खत्म हो गया है उसके बाद आपके तीन दिन लगता है रिडेंपशन में जितने इक्विटी इक्विटी म्यूचुअल फंड सब में तीन दिन लगते हैं डेट इंस्ट्रूमेंट में मैक्सिमम दो दिन लगता है बट मैक्सिमम इक्विटी वालों में ही तीन दिन चार दिन का टाइम लगता है बाकी उससे ज्यादा रिडेंपशन टाइम मैंने तो नहीं देखा है लद 15 दिन का टाइमलाइन अलाउड है बट यस यही रेंज है अच्छा आपने जो भी खरीदा है ना उसका स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट इंटेंटली आपको आ जाता है मेल पे कुछ लोग फिजिकल भी ऑप्ट करते हैं बट मैक्सिमम आज के डेट में सब जगह मेल प ही आता है तो मेल प ही लोग रिसीव कर लेते हैं अच्छा यूनिट एंड डीमेट फॉर्म आज के डेट में देखिए दो तरीका है रखने का म्यूचुअल फंड एक तो फोलियो में रहता है और एक होता है डीमेट में तो डी मैट मतलब जैसे आपके शेयर्स जैसे होते हैं वैसे ही आपके यूनिट्स आपके डीमेट में डाल दिए जाते हैं और फोलियो क्या हो गया फोलियो बेसिकली हो गया अगर आपने डायरेक्ट खरीदा है आपके जो कंसर्न उसके वेबसाइट से तो वो फोलियो में मैनेज करते हैं उसको और जो आपने अपने ब्रोकर के थ्रू या अपने स्टार एमफ वगैरह का जो प्लेटफॉर्म है आपका ब्रोकर अर उसके थ्रू खरीद के आपको देता है तो वो डीमेट में आते हैं डिस्ट्रीब्यूशन कमीशन का हम लोग डिस्कस कर ही लिया था कि वो ट्रेल कमीशन उसको मिलता है ऊपर हमने जो डिस्कस किया था इन्वेस्टमेंट एडवाइजर का वही चीज है वो सिस्टमैटिक ट्रांजैक्शन देखिए एसआईपी एसआईपी वर्ड सबने सुना होगा मुझे कुछ समझाने की उसमें जरूरत नहीं है हाउ एवर मैं चीज समझा देता हूं जैसे कुछ-कुछ प्लेटफॉर्म्स ऐसे हैं इंडिया में जिससे जरोदा कॉइन है वो वीकली एसआईपी भी अलाउ करता है मतलब आपके हर वीक वो पैसे डिडक्ट हो जाएंगे और उस पैसे का वो हर वीक पैसे खरीद लेगा और कुछ लोग का क्या होता है जैसे मंथली सैलरी मुझे आती है मान लीजिए मंथ के लास्ट डेट पे तो मैंने क्या डिसाइड किया मंथ के लास्ट डेट प सैलरी आती है तो एक तारीख को मैं एसआईपी लगा देता हूं ताकि पैसे मेरे वहां से निकल जाए तो मेरी सेविंग भी हो जाए और मैं कुछ खर्चा भी ना करूं नहीं तो पैसे रहेंगे तो मैं वेस्ट कर दूंगा तो वो एक तारीख को एसआईपी का पैसा दे देते हैं ये हो गया तो मैक्स इसीलिए इंडिया में एसआईपी इतना ज्यादा पॉपुलर है जितने लोग सैलरी क्लास है ना मैक्सिमम लोग एसआईपी प्रेफर करते हैं तो ताकि एसआईपी में पैसे जाते रहे और सिस्टमिक विड्रॉल प्लान क्या हो गया देखिए अब मान लीजिए आपको पैसे आपको हर महीने चाहिए थोड़े-थोड़े तो आपका प्लान आपने ले लिया वैसा जिसमें हर महीने आपको पैसे वो यूनिट्स रिडीम कर करके मान लीजिए आपने बोला मेरे को 000 चाहिए हर महीने तो वो उतने यूनिटस बेज देगा उस मंथ जितने में उसको 000 वो आपको दे पाए तो ये हो गया सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान देखिए ट्रांसफर प्लान बेसिकली क्या हुआ कि टाइम टू टाइम वो एक यूनिट से दूसरे यूनिट में मतलब एक स्कीम से दूसरे स्कीम में वो पैसे शिफ्ट कर देगा अगर आपने बोला कि नहीं मेरे को यह पर्टिकुलर डेट तक ये स्कीम में रहना है उसके बाद मेरे को दूसरे स्कीम में चले जाना है एक साल बाद मैं फिर तीसरे स्कीम में जाऊंगा तो वो हो गया सिस्टमैटिक ट्रांसफर और ये स्विचेबल कुछ नहीं है आपने एक यूनिट एक तरह का स्कीम खरीदा था आपने बेचा दूसरा स्कीम आपने खरीद लिया उसी पैसे से ये हो गया स्विचेबल फंड इंफॉर्मेशन देखिए जो डिटेल्स आते हैं वो सब आपको पढ़ लेना चाहिए यही बेसिकली वहां कहा हुआ है अब बेनिफिट एंड कॉस्ट ऑफ इन्वेस्टिंग इन म्यूचुअल फंड्स होल्डिंग डाइवर्सिटी लिक्विडिटी फ्लेक्सिबल ये सब हमने डिस्कस कर लिया टैक्स एफिशिएंसी ये भी हमने डिस्कस की टैक्स बेसिकली क्या हो गया कि म्यूचुअल फंड स्कीम में 10 से 20 पर ही टैक्स रखता है नॉर्मल अर्निंग में उससे ज्यादा टैक्स लगती है प्लस इसमें जो आपने प्रॉफिट कमाया है उस पर टैक्स लगेगा अगर आपने 10000 का स्कीम 12000 ब है तो 000 में आपको हो सकता 10 पर टैक्स लग जाए लिक्विडिटी का तो हमने स्टार्टिंग में डिस्कस कर लिया था फ्लेक्सिबल भी हमने स्टार्टिंग में डिस्कस कर लिया था कॉस्टम कस्टिंग तो उसम जदा सोचने की चीज नहीं और लिमिटेड कंट्रोल इसम कैसे समझाए आपने सिर्फ पैसे दिए हैं डिसीजन तो कोई और ही ले रहा है तो जब डिसीजन कोई और ले र है तो हमेशा उस पर डिपेंडेंसी बन जाती है और इसमें डायरेक्ट ओनरशिप नहीं होती इनडायरेक्ट ओनरशिप होती है तो यह चैप्टर आज यही हम खत्म करते हैं