क्रिमिनोलॉजी का उद्गम और विकास
परिचय
- विषय: क्रिमिनोलॉजी का उत्पत्ति और विकास
- पिछले व्याख्यानों में:
- अपराध की समझ
- क्रिमिनलिस्ट की भूमिका
- कुछ परिभाषाओं का अध्ययन
- वर्तमान में विषय का विस्तार और विकास पर चर्चा
क्रिमिनोलॉजी की उत्पत्ति
- 18वीं शताब्दी में विकास:
- अनेक मानवीय आंदोलनों ने क्रूरता और अन्यायपूर्ण दंड प्रणाली पर सवाल उठाए।
- मानव अधिकारों के खिलाफ सजा प्रणाली की कठोरता पर विचार
- रफाल गरोफालो:
- 1885 में 'क्रिमिनोलॉजी' शब्द का प् रवर्तन किया।
- विभिन्न विद्वानों ने अपराध के विभिन्न पहलुओं की पढ़ाई की।
प्रारंभिक क्रिमिनल जस्ट
- विभिन्न विषयों से संबंधित:
- मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, चिकित्सा से ज्ञान उठाया।
- प्रारंभिक क्रिमिनल जस्ट को अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ माना जाता था, न कि क्रिमिनल विशेषज्ञ।
क्लासिकल क्रिमिनोलॉजी
- दंड पर बहस:
- 18वीं शताब्दी के मध्य में दंड की कठोरता पर विचार।
- सामाजिक दार्शनिकों ने दंड की उचितता पर सवाल उठाया।
सिसरो बेक्वेरिया
- यूटिलिटेरियनिज्म का विचार:
- खुशी को प्राप्त करना और दुख से बचना मुख्य लक्ष्य।
- दंड और अपराध के बीच संतुलन आवश्यक।
दंड का प्रभाव
- दंड की प्रभावशीलता:
- सार्वजनिक, निश्चित और शीघ्र दंड अपराध की रोकथाम में मददगार।
निष्कर्ष
- प्रारंभिक क्रिमिनोलॉजी का विकास:
- थ्योरिटिकल सब्जेक्ट के रूप में शुरुआत।
- विभिन्न क्षेत्रों से ज्ञान अर्जित कर अपराध को समझने की कोशिश।
- आगे के अध्ययन:
- बायोलॉजिकल डिटरमिनिज्म, समाजशास्त्रीय क्रिमिनोलॉजी आदि।
अध्ययन निर्देश
- व्याख्यान को समझें और उसका पुनरावलोकन करें।
- कहानी के रूप में क्रिमिनोलॉजी के विकास को दिमाग में बिठाएं।
- आगामी भागों में विस्तृत अध्ययन जारी रहेगा।
ध्यान दें: अगले व्याख्यान में क्रिमिनोलॉजी के विकास के आगे के पहलुओं पर चर्चा होगी।