इंडियन टैक्स सिस्टम पर एक ऑल इन वान वीडियो जहांपर आपको हर एक चीज के बेसिक समझ जाएंगे निउ टैक्स रेजीम क्या होती है, ओल टैक्स रेजीम क्या होती है, ये भी आपको इक्टम सिंपल लैंगुज में समझाओंगा क्योंकि ये वीडियो updated है और इसको extremely simple language में समझा है और आपको टैक्स के हर एक basic समझ जाएगा लेकिन एक मिनिट, तू तो CA नहीं है तु ये सारी चीजे किस basis पे बता रहा है? That's exactly the point of this video आपको एक CA होने की ज़रूरत नहीं ये चीजे इतनी basic है कि हर एक इंसान को ये पता होनी चाहिए और जब मैं आपको समझाऊंगा तब आपको realize होगा कि भाई मुझे क्यों नहीं पता था and that is because आपको ये किसी ने ढंग से समझाई नहीं इसलिए I am making this video for your benefit तो चलो सबसे पहले शुरू करते हैं ये जान कर कि सरकार हमसे जो tax लेती है वो किस प्रकार से लेती है और किस type के income पे लेते हैं देखिए टैक्स के दो broad types होते हैं, सबसे पहला होता है direct tax और दूसरा होता है indirect tax. अब भारत के case में इनके एक अच्छे example होते हैं, income tax और GST.
अब देखिए, इनमें जो फरक होता है, यह समझना बहुत ही आसान है. Indirect tax जो होता है, वो और ज़्यादा unfair होता है. What this means is, indirect tax हर एक इंसान के लिए same होता है और वो most cases में revenue पे लगाया जाता है.
इसका क्या मतलब होता है, देखिए, मान लीजिए आपने Zomato से 500 रुपए का खाना मंगाया, इस 500 रुपए के खाने पर आपको 5% GST लगता है जो food पे लगेगा. अब आपके लिए भी ये same amount 5% है और एक billionaire जैसे मुकेश अमबानी के लिए भी ये amount same 5% है उन 500 रुपए पर अगर मैं 20 रुपए की एक chocolate लेता हूँ तो उस पे मैं जो GST दूँगा और मोदी जी जो GST देंगे वो exactly same है हमारे दोनों के income में बहुत जादा फरक हो सकता है लेकिन इसके बावजूद भी हम इस पर same tax देते हैं और यही होता है indirect tax अब Zomato के लिए या फिर उस चॉकलेट बनाने वाली कमपणी के लिए यह जो tax होता है वो revenue पर लगता है जैसे मान लो अगर उस चॉकलेट की price actually है 18 रुपए और GST लगाने के बाद बनती है 20 रुपए तो company इसकी MRP 20 रुपए रखेगी आप company को 20 रुपए देके चॉकलेट लोगे company 18 रुपए अपने पास रखेगी तो समझ गए आप indirect tax जो होता है वो खर्चे पर लगता है consumption पर लगता है जब आप अपने ही पैसे खर्च करते हो कहीं जाके तब indirect tax आपकर लगाया जाता है अब एक और चीज यहाँ पर होती है वो है कि इंडिरेट टैक्स को सरकार थोड़ा और फैर बनाने की कोशिश करती है जैसे मान लो जो सारी एसेंशियल चीज़े होती है जैसे खाना हो गया, आईस क्रीम, रेस्टॉरंट में जाकर डिनर इन सारी चीज़ों पर सरकार 5% का GST लगाती है अब कुछ चीज़े होती है जिसपे 12% लगता है कुछ पर 18% और कुछ होती है जिसपे 28% लगता है इसके बीचे का लॉजिक समझी है जो सारी चीज़े आप कन्जूम करते हो अगर वो essential है तो उसपर कम GST लगेगा आप ओयो में जाकर रहते हो जहां पर rent है 7500 रुपए या उसके नीचे तो 12% GST लगता है लेकिन यही पर अगर आप ताज होटेल में जाते हो जहां पर rent 20,000 रुपए है तो उस पर 28% लगेगा इसके ऊपर एक्स्ट्रा टैक्स किसी पर्टिकुलर कॉज के लिए या फिर अजब पेनाल्टी पॉर्ट्यूनर की case देखिये हमने बात किया कि ये एक luxury good है तो इस पर जो GST लगता है इस पर सरकार एक compensation cess लेती है ये compensation cess जो होता है वो extra tax amount ये भी सारी sin items या luxury items पर लगता है जैसे मान लीज़े बहुत बड़ी गाड़ी या फिर private use के लिए खरीदा हुआ airplane या फिर कोई बड़ी motorcycle जिसकी engine capacity बहुत ज्यादा है या फिर cigar, cigarette, दारू ऐसी सारी चीज़े सरकार जो है वो सेस दो रीजन के लिए से लेती है सबसे पहला है किसी particular initiative को fund करने जैसे स्वच भारत सेस और दूसरा है होता है कि सेस की जो funds आती हैं इस पर सरकार और ज़्यादा control रख सकती है क्योंकि इन funds को states के साथ share करने पर कोई rule नहीं होता अब GST की बात हो ही रही है तो दो और important concepts highlight कर देते हैं सबसे पहला कि GST की registration किसने करनी चाहिए और दूसरा ये जो सारे लोग GST input credit की बात करते हैं देखिए depending on your industry अगर आप एक certain amount से ज्यादा पैसे कमाते हो एक साल में और आपके पास एक business है या फिर आप एक freelancer हो तो आपने GST collect करना compulsory होता है अमाउंट मैंने आपके screen पर डाल दिया अगर आप इन अमाउंट के नीचे कमा रहे हो तो भी आप जाएगे voluntarily GST registration कर सकते हो लेकिन honestly वो क्यों करना है क्योंकि इससे आपके compliance cost बढ़ जाते हैं, आपको accounting पे ज्यादा spend करना होता है, तो जब तक आप इस limit पे नहीं आ जाते, GST बनाने में कोई sense नहीं. जैसे मान लीजिए आप एक small business owner हो या एक freelancer हो, अब साल में 20 लाख रुपय से ज्यादा कमाते हो, तो आपके लिए GST पे करना यह mandatory हो जाता है. अब GST क अपने जेब से नहीं पे करनी, GST के amount आपका customer पे करता है, जैसे मान लो आपने customer को एक लाख रुपए का bill दिया, तो आप इस एक लाख पर 18% GST लगा कर उस customer को दोगे, तो customer ने आपको देने हैं एक लाख 18,000 रुपए, और ये 18,000 रुपए आप सरकार के पास जमा कराते हो, तुमने अगर हमसे कहा है कि 20 तारिक को तुम पैसे जमा कराओगे तो तुमने जमा कराने है तुम्हें पैसे आय नहीं आय वो बात की बात that is one more reason कि आपने voluntarily GST कराने में कोई sense नहीं बनता क्योंकि आपके cash flow पर और ज़ादा strain आता है anyway now coming to input tax credit ये क्या चीज होती है देखिए सरकार ये कहते है कि हमने GST ना goods and services से लेना है और ये चीज हमने लेनी है final goods and services से मतलब जो सारी चीजे consume की जाती है इसके basis पर हम GST collect करेंगे McDonald's है या आपको burger बेचता है इस बर्गर पर मेकड़ोनल्स लेता है 5% GST मेकड़ोनल्स जो है वो यह आप से GST लेता है और इसकी पेमेंट सरकार के पास जमा कराता है लेकिन जब आप मेकड़ोनल्स में जाते हो और इस burger पर McDonald's GST भी ले रहा है तो इस burger को बनाने जो सारी चीज़े McDonald's को खरीदनी पड़ी थी इन चीज़ों पर वो GST क्यों दे इन सारे raw material पर इन सारे inputs पर जो GST McDonald's देता है वो सरकार माफ कर देती है यही exactly होता है input tax credit creator हूँ मैं brands के साथ काम करता हूँ मैं brands को invoice raise करता हूँ और उस पर already GST दे दिया है तो इस case में जो प्रोडक्ट था ब्रांड्स को वीडियोस बना के देना इन वीडियोस पर जो जीस्टी बनता है जैसे मान लो एक पूरे महीने का पचास हजार रुपए और मैंने जो कैमेरा खरीदा इन ही वीडियोस को बनाने जिस पर मैं जीस्टी लेता हूं उस कैमेरा पर मुझे जीस्ट तो तुम हमें पेमेंट करना 40,000 रुपई की पॉइंट यह है कि जो input tax credit होता है जो आपको सारे influencers बताते हैं online आप देखते हो यह कोई भी discount नहीं होता यह actually आपके business के लिए होता है और अगर आप इसका misuse करते हो तो सरकार को वो चीज़ भी समझ आती है अब देखे हमने indirect tax तो discuss कर लिया अब आते हैं direct tax की तरफ यह होता है वो tax जो और ज़्यादा fair होता है और ज़्यादा progressive होता है what that means is अगर आप साल के 2.5 लाख रुपई कमाते हो salary में तो आपको tax देना पड़ता है 0% लेकिन जो HDFC bank के CEO है Mr. Shashidhar Jagdishan, वो जो साल के 10.555555 crores कमाते हैं, इनको इस पर देना पड़ता है almost 40%. Direct tax ज़्यादा तर cases में progressive होता है, जो इंसान ज़्यादा कमाता है, वो ज़्यादा tax pay करेगा.
In fact, direct tax देने वाले भी कम होते हैं, और जो सारे लोग direct tax देते हैं, वो भी बहुत disproportionately ये pay करते हैं. जैसे FY23 की data देखे, जो finance minister ने लोक सभा में reveal की, भारत में 7.5% ज़्यादा तर cases में पड़ता है, वो ज़्यादा tax pay करेगा. 4 crore लोग थे जिन्होंने tax file किया अब इसमें 5.16 crore लोगों ने nil return file किया यानि उन्होंने बताया कि मेरी कोई taxable income नहीं थी तो ये जो 2 crore लोग है जो actually tax pay करते हैं इनमें भी 40% लोग है जो maximum tax bracket पर अपना tax pay करते हैं यानि इन 2 crore लोगों से भी जो tax की amount आती है वो ज्यादा लगाया जाता है वह सारी चीजें और उनके छोटे-छोटे मेकानिक डिस्कस करेंगे तक सबसे ज्यादा चुपता है जो इंसान सैलरी है उसके लिए क्योंकि इसका जो डिरेक्ट टैक्स होता है वह कंपनी बाइडिफल्ट काटने के बाद ही उसे सैलरी देती है अगर आप एक सैलरी कमाते हो दस करोड़ रुपए की सैलरी भ टैक्स काटने के बाद इन हैंड इतना मिलेगा यह हम आपको देंगे एक सैलरीड इंसान पहले टैक्स पे करेगा उसके बाद खर्च करेगा लेकिन बिजनेस के मेकानिक्स अलग होते हैं अगर आप बिजनेस ओन करते हो दस करोड कमाते हो आट करोड के खर्चे दि लेकिन इसके पीछे काफी serious logic है अगर आपके revenue पर ही 30% tax लग रहा है और आप profitable हो ही नहीं पा रहे हो तो आप business क्यों करोगे और दूसरी चीज जब आप business करते हो तो आप business अपने आप के लिए नहीं बलकि पूरी society के लिए करते हो तो इनको जब jobs मिलती है उनके job की salary से भी सरकार tax लेती है business expenses लेने की opportunity along with depreciation business expense माने कोई भी expense जो आप आपको अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने में हेल्प करती है यह कोई भी वाहियाद एक्सपेंस नहीं हो सकती इट हैस टू बियर रियल एक्सपेंस डाइट जो बिजनेस पर एक्सपेंस नहीं होती है इसलिए चीज अनोटिस्ट होगी लेकिन जब सरकार को पता चलेगा वह कि जिन्हें आप एक salary pay करते हो, तो आप इसको as a business expense claim कर सकते हो, आप जो raw material लेते हो, इसको आप as a business expense claim कर सकते हो, basically वो revenue कमाने, जो भी खर्चे आपको करने पड़े, इसपर आप एक business expense ले सकते हो, मान लीज़े आपने आपके business के लिए एक vehicle खरीदा हुआ है, तो इस vehicle पर आप आपका नुकसान है ना, वो आपके लिए एक loss है, तो सरकार आपको ये भी as a business expense claim करने देती है, जैसे मान लीजे, आपके पहले साल के बाद आपको एक लाख रुपए का depreciation bear करना पड़ा, तो सरकार आपको कहीगी कि आपका जो revenue है, इसमें से आप एक लाख र� तो यही होता है basically direct tax, आपके income पे, आपकी salary पे जो tax लगता है, आपके business के profit पे जो tax लगता है, अगर आप एक corporation चलाते हैं तो corporate profits पर जो tax लगता है, यह एक direct tax होता है, जितना ज्यादा income उतना ज्यादा tax, and this brings us to the last two and most important topic of this video, सबसे पहला है advanced tax और दूसरा है new and old tax regime, अगर आपक चार बार दोगे installment में.
यह होता है advanced tax. Now let's come to the final and most important topic के old versus new tax regime क्या है? Simple words में समझाऊंगा क्या होता है? एक free tool भी दूँगा यह समझ नहीं है कि जब भी आप job start करते हो या फिर already कर रहे हो तो आपके लिए optimal क्या होगा?
देखिए किसी भी देश में tax देने यह marginal होते हैं. देखिए example के तोर 5 लाग तक कमा रहे हैं तो 5% tax देना है 5 लाग से 7.5 लाग कमा रहे हैं तो 10% tax देना है अगर आप 7,00,000 रुपया कमाते हो तो does that mean आप 7,00,000 का 10% यानि 70,000 tax दोगे नहीं आप इस 7,00,000 की income पर जो 0 to 2.5 lakhs है उस हिसाब से 0% दोगे फिर 2.5 to 5 lakhs के लिए 5% दोगे और ऐसे ही 5,00,000 से 7,00,000 के लिए 10% दोगे तो इस हिसाब से आप marginally bracket के हिसाब से tax पे करते हो तो Old regime में आपके slab बड़े हैं और new regime में ये छोटे हैं लेकिन old regime में आपको कुछ benefits और deductions दिये जाते हैं इतने सारे benefits और deductions आपको new regime में नहीं दिये जाते हैं तो अब आप कौन सा regime चूज़ करोगे देखिए old and new regime के comparison पे tax planning कैसे करते हैं लेकिन आज आपको short में एक extremely simple technique बता सकता हूँ आप एक set level of income कमाते हो और आप एक साल में इन deductions के लिए eligible हो तो इस हिसाब से आपके लिए कौन सा regime सही होगा जैसे अगर आपकी salary 10,00,000 रुपए और आप 2,00,000 रुपए के deductions claim कर सकते हो तो इस हिसाब से आपका tax regime यह होगा तो उस हिसाब से आपने यह tax regime choose करना चाहिए old tax regime जो है वहाँ पे आपको 80C के benefits मिलते हैं जैसे अगर आप ELSS में invest करते हो, PPF में invest करते हो तो सरकार आप आपको अपना taxable income कम करने allow करती है. Simple version में बोलो तो, आपका कुछ tax माफ करती है. लेकिन यही benefits आपको new regime में नहीं मिलते. तो basically आप कितना income कमाते हैं, और आप किन deductions के लिए eligible हैं?
इसके basis पर decide किया जाता है कि आप old regime choose करोगे या new और अब problem ऐसी है कि new regime जो है वो default होता है जैसे अगर आप अपने company को बताते नहीं कि मैं कौन सा regime choose करूँगा तो company by default new के हिसाब से आपका tax काटेगी लेकिन चिंता करने की ज़रूरत नहीं अगर आप एक salaried employee हो तो आप switch कर सकते हो आप जब tax pay करते हो उस time पे अपने choice के हिसाब से regime select कर सकते हो लेकिन अगर आप एक business होना रहा है और आपने एक बार new regime choose कर दिया तो आप फिर एक बार old पर नहीं जा सकते है ये switch का जो option होता है एक बार offer किया जाता है अब tax planning पर तो मैं एक separate video बनाऊंगा इस video का पूरा point यही था कि आपको बताना tax system जो है वो कैसे काम करती है basic terminology sort करनी थी अगर आपको यह video valuable लगा तो channel को subscribe कीजिए I'll see you in the next one