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Life and Legacy of Maharaja Ranjit Singh

आज आशा करता हूं आप सब बहुत अच्छे होंगे मेरे नाम सिद्धान तक निहोतरी स्टेडी आईक्यू पर आपका बहुत-बहुत स्वागत है सब कवर किया है मुगल और सिक्कों के रिष्टे कैसे थे आज हम एक बहुत ही महान वॉडियर की बायोग्राफी डिविव करने हैं महाराजा रजित सिंह महाराजा चत्रपति महाराज चत्रपति शिवाजी हो गए महाराजा रजित सिंह हो गए हर्षवर्दन हो गए ये कुछ ऐसे rulers है बहुत हलाकि list बहुत लंबी है महराजा शोक हो गए ठीक है ये सब ऐसे rulers है जो ने भारत को expand किया और इनके रहते हुए कोई भी बहारी शक्ती भारत में नहीं आ पाई और हालत खराब कर दी महराजा रञ्जीत सिंग के जो कहानी है वो यकीनन पेरणादायक है बहुत ही ज़्यादा मोटिमेटिंग है क्योंकि लीडर्शिप कैसी ��ोनी चाहिए ये महराजा रझीत सिंग लीडर ऑफ दा लीडर्स है महाराजा रजीत सिंह जबरदस्त कहानी सिक्ष एंपायर को बना दिया इनकी एक आंख यह ऐसा बोला जाता है इनको चिकनपॉक्स हो गया तो तो इनकी एक आंख चली गई थी एक एकी आंख से देखते तो बोलते नियोतरी के नाम से मेरी फिस्बुक प्रोफाइल है दोनों ही जगा आप लेच्चा की पीडियाफ ले सकते हैं सवाल भी पूछ सकते हैं स्टेडी आईक्यो के टैब्रेट और पेंडराइफ कोस्सेस हर एक्जाम्स के लिए आता है पिन नमबर्स में कॉल करें वेबसाइट विजिट करें कि अंडर आता था अब इसको नहीं गए ठीक है इसको नहीं गए इनको घर पर ही पढ़ाया जाता था लेकिन काफी ब्रिलियंड थे यह ठीक है जो भी पढ़ते थे सब कुछ सीख लिया गुर्मुखी इनको पढ़ाई जाती थी और उसके बाद लीडरशिप स्किल्स इनको सिखाए जाते थे और बहुत ही कम उमर में हम यह देखते हैं महाराजा रजिक सिन्ने सब कुछ सीख लिया काबलियत बहुत ही कम उमर में आ गई थी 12 साल के थे जब इनके पिताजी का ध्यान हुआ और उसके बाद इनकी जो है यह बड़ी समरिद्ध थी और काफी बड़ी थी ठीक है तो महराजा रजीत सिंह का जनम इस मिसाल में हुआ था यह बहुत बड़ा एडवांटेज था इनके लिए क्योंकि उन्होंने बहुत इनको मारने की भी बहुत ज़्यादा कोशिश की गई जब इनके पिताजी का ध्यानत हुआ गद्धी के लिए हमेशा स्ट्रगल होती है तो सोचा कि चल उसको मार देंगे हम है ना लेकिन 13 साल में हबाश खान को भेजा गया मारने के लिए रञ्जीत सिंग ने इनी का ही काम तमाम कर दिया जितनी बाहर हिंखेओ पर हमले हुए वो सारे हमले नाकाम हुए इतने बहादूर थे अब हम बात करते हैं दोस्तो किस तरीके से महराजा रञ्जीत सिंग का जनम होता है और कैसे थे वो ठीक है अगर हम बात करें सिखों की तो आपको पता ही है कि औरंगजेब की जो पॉलिसी थी सिखों के लिए बहुत अच्छी नहीं थी सिखों और मुगल्स के बीच में काफी युद्ध हुए जिसमें अल्टिमेटली सिख विजए ही रहें मुगलों का डिसिंटेग्रेशन मुगल एमपायर जो है वो सिखोड़े नहीं लगता है अब इधर कौन है मराठा मराठाओं ने कमर तोड़ दीती यहां पर मुगलों की हालत खराब कर दीती बाजी राउने समझ रहे हैं तो 1739 तक मराठा एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में उबरते हैं समझ रहे हैं सिखों की प्रॉबलम यह होती है दोस्तों कि फरुक सियार जब आता है तिके मुगल एमपरर बनता है तो फरुक सियार सिखों को बहुत कि सिखों की यहां पर हालत खराब हो जाती है क्योंकि यह ऑर्डर होता है मुगलों का कि जहां पर भी सिख मिले उनको खत्म करो बहुत बुरी हालत होती है और सिख मुगल की जो राइवलरी है यह बढ़ती जाती है और इस अत्राश चाले तो तीसर चाले तक काफी समय तक सिखों को जंगलों में चुपना पड़ता है इतनी बुरी हालत होती है लेकिन उसके बाद हम यह देखते हैं सिखों का उदय होता है क्योंकि मुगलों का यहां पर विगठाई शुरू हो गया है मुगलों की पावर अब बहुत ही कम हो गई है तो यहां पर सिख के बड़े-बड़े लैंडलॉट्स अ लैड ओनर्स वॉरियर्स जिनके पास स्किल्स है वह आते हैं और उसके बाद सिख एंपायर को मतलब सिखों को वापस रिओर्गनाइज करते हैं समझ रहे हैं फिर हम देखते हैं कि 1761 में जो थर्ड बैटल और पानीपत होती है ये एक और ट्रेइनिंग पॉइंट कैसे एक औ थर्ड बैटल और पानीपत दोस्तों जो 1761 में लड़ी गई इसमें मराठाओं की शक्ती जो है वो कम हो गई है मैं है ना दस साल लगे मराठाओं को रियॉर्ग्राइज करने में अब यहां पे सिक्ख एमपायर जो है ठीक है वो भी डिओर्गनाइज हो रहा था और सिक्ख एमपायर अबदाली के बाद यह वाला जो एरिया था ठीक है बहुत सारे एरिया में यहां पे दुर्रानी डाइनिस्टी के शासक थे अबदाली तो चला गया था देखिए जो थर्ड बैटल और पानिपत लड़ी गई थी उसमें एहमच शा अबदाली को भी बहुत ज़ादा नुकसान छेलना प� तो अब दाली चला गया वापस अफगानिस्तान, मॉडर्न अफगानिस्तान को उसको फाउंडर बोला जाता है न, अब दाली चला गया वापस अफगानिस्तान, मॉडर्न अफगानिस्तान को उसको फाउंडर बोला जाता है न, ये बारा राज्यों में डिवाइडेट था और ये बारा के बारा राज्य कौन कंट्रोल करता था सिख कंट्रोल करते थे सिख लीडर्स कंट्रोल करते थे तो इनी को ही बारा मिसाल्स बोला जाता था और इनी में से एक मिसाल सुर्चक्या मिसाल में महराजा रंजीत सिंग का जनम हुआ ये चीज आप समझे बहुत ही बढ़िया टोटल 14 मिसाल थी ठीक है अच्छा ब्रिटिश का क्या चल रहा था समझ रहे हैं यह सब मैं आपको बता चुका हूं ब्रिटिश का क्या चल रहा था ब्रिटिश का देखिए ब्रिटिश ने अपना आधिपत्य भारत में पूरी तरीके से स्टैबलेश कर लिया था ठीक है कुछ ही पायर बचे थे जो उनको उनको मतलब हराना था बृतिश ने सबसे पहले यहाँ पर बैटल ओफ प्लेसी में 1757 में बंगाल को लिया बैटल ओफ प्लेसी में बंगाल को हराया 1764 में अवध बंगाल और मुगल्स इन तीनों को हराया तो नौर्थ रीजन में पूरा कंट्रोल बृतिश का हो गया इधर फ्रांस का काम तमाम किया कार्नेटिक वार्स लड़े फ्रांस का काम तमाम भारत की बात कर रहा हूं भारत पर तीन कार्नेटिक वार्स हुए थे ना 1764 में वो भी खतम हुआ तो इधर फ्रांस का काम तमाम 1759 में बैटल आफ एंडिशा लड़ी गई फ्रांस गए इधर यह चीज़ आप समझे अब हम ये देखते हैं दोस्तों कि ब्रिटिशर ने अभी तो फ्रांस को हरा रहे हैं, पुर्तगालियों को हरा रहे हैं, भारत में भी उन्होंने बैटल ओप प्लेसी, बैटल ओप अक्से लड़ी, इधर भारत के रूलर्स का काम तमाम किया, इधर मराठा बहुत बड़ी ता हम देखते हैं मराठाओं को पूरी तरीके से हरा दिया गया मराठा को ही खतम कर दिया पेशवा को पेशवा का जो टाइटल था वो मिटा दिया और यहाँ पे हम देखते हैं कि पेशवा को बोला कि अब आप कानपूर में बिठूर में रही है समझ रहे हैं तो ये मराठाओं शिर्फ एक इंसान था और एक ऐसी डाइनेसिटी थी जिससे ब्रिटीचर खौफ खाते थे वो थे टीपू सुल्तान और हाइदर अली हाइदर अली के बेटे थे टीपू सुल्तान तो टीपू सुल्टान से बहुत ज्यादा डरते थे चार एंग्लो माईसूर वार हुई इधर नौर्थ को तो पूरी तरीके से जीत ही लिया है ब्रिटिशर ने इधर साऊथ में टीपू सुल्टान खड़े थे चार एंग्लो माईसूर वार 1799 आते आते यह वहीं लेट है जब सिक्ट एंपायर को पूरा कंसोलिडेट कर लिया गया 1799 आते आते जब चौथा एंग्लो माईसूर वार 1799 में होता है साऊथ को भी आणि कि टीपू सुल्टान को भी जीत लिया समझ रहे हैं अब यह पूरी अलग कहानी है हलांकि एंग्लो माईसूर वार और हारने के सबसे बड़ा टीपू सुल्टान हारते ही नहीं वो तो बड़े टैलेंटेड इनसान तो नोट दो मिसाइल का थर्ड अंगलो मैसूर वार में जब ब्रिटिशर ने देखा अरे मिसाइल से हमला हो रहा है मिसाइल से हमला कर रहे थे टीपू सुल्टान इतने टैले तो भारत में सबको हरा चुके हैं ब्रिटिशर कौन बचा है सिर्फ और सिर्फ सिक एमपायर यही एक ऐसा अकेला एमपायर था जिसको ब्रिटिशर नहीं हरा पाए थे और 1799 में यह आप देख लीजे दोस्तों ठीक है यह पूरा का पूरा एरिया सिक्ख जो है वो कंट्रोल करते थे अच्छा ब्रिटिशर ने एक ट्रीटी साइन की थी महाराजा रंजीत सिंह के साथ कि आप सतलज से आगे नहीं बढ़ सकते हैं सतलज के साथ में आप बिलकुल भी नहीं आ सकते हैं भी या लैंड औफ आइव रिवर्स है ना पंजाब तो सतलज से आगे नहीं सतलज से पीछे ही रहेंगे मतलब आपको एक तरीके से जो में इंडिया है सेंटरल इंडिया नौर्धर वहाँ पे entry नहीं मिलेगी अभी सिखों और Britisher के हम रिष्टों की बात करते हैं समझ रहे हैं तो महराजा रञ्जीज सिंग ने क्या किया ये तो Britisher की कहानी की British अभी इस समय क्या है उसकी condition कैसी है महराजा रञ्जीज सिंग ने क्या किया consolidation जैसे Maratha Confederacy थी सेम वैसे ही महराजा रञ्जीज सिंग ने इन 12 की 12 मिसाल यानि की province को मिला दिया consolidate कर दिया और 1799 में Sikh Empire बना दिया यह माइटे सिक्ख एमपायर था जो की बहुत ताकतवर था सिक्ख फोर्सेज एशिया की दूसरी सबसे बड़ी फोर्सेज थी जब सिक्क एंग्लो सिक्ख वार हुआ ना सिक्खों की जो फोर्सेस थी असी हजार सिपाही थे सिक्खों की फोर्सेस में और बहुती एफिशेंट फोर्स थी फोर्स थी और दा क्रेडिट गोस्ट तू महराजा रंजीत सिंग्ग सिर्फ और सिर्फ उननिस साल के थे महराजा अब आपको पता ही है कि पंजाब रीजन गिफ्टेड है ग्रीन रेवोलूशन भी तो पंजाब और हरियाणा से शुरू हुआ था गिफ्टेड है क्यों क्यों क्यों क्यों आपने नदिया बहती हैं जेलम, चेनाब, रावी, बीस और सतलज पांच नदिया बहती हैं तो बहुत ही प्रड़क्टिव है अगर हम बात करते हैं ठीक है तो यह सब कुछ ऊपर से जितने लीडर्स थे महाराजा रंजीत सिंह बहुत ही दूरदर्शी थे वह जिसको भी रिक्रूट करते थे अपने आप में ही वह काबिल होता था और अगर आपकी सरकार में काबिल लोग है तो अल्टिमेटली आपका इंपायर बढ़ेगा ही बढ़ेगा समझ रहे हैं आप अब हम यह देखते हैं कि एहमद शाह अबदाली डायनिस्ट्री अबदाली डायनिस्ट्री जो दुर्रानी डायनिस्ट्री थी यहां पर जब थर्ड बैटल पानीपत्त वह जीत के गया था तो उसके बाद तो सिखों के ने क्या किया कि इन सबको खदेड़ दिया महाराजा रजी सिंह ने सबको खदेड़ दिया उसके बाद एक्सपांशन शुरू किया समझ रहे हैं सबसे अच्छी बात यह थी महाराजा रजी सिंह की ही हर तपका इनका साथ देता है मुस्लिम भी इनका साथ देते थे ब्रामण भी इनका साथ देते थे और सिक्कतों साथ देते ही देते थे इन फैक्ट ब्रिटिशर भी इनका साथ देते थे अजय को तो यहाँ पे 1797 से ही जब 17 साल के तिसर फर्स्ट महाराजा रंजीत सेंग अफगानी डाइनिस्टी को इनोंने तरवितर करना चुरू कर दिया था उस समय जो मुस्लिम रूलर शाजमान था ठीक है एमचाब दाली डाइनिस्टी का उसने पंजाब को एनेक्स करने की कोशिश की लेकिन शाजमान को पीछे खदेर दिया गया और हम देखते हैं कि अफगानिस्तान और महराजा रंजीज सिंग इन दोनों की राइवलरी चलती रही लेकिन एक बार भी अफगानिस्तान यानि की जो अबडाली डानिस्टी थी एक बार भी वो सक्सेस्पुल नहीं हो पाए कि आके यहाँ पर रंजीज सिंग को कोई नुकसान पहुचा सके बलकि अबडाली डानिस्टी के बहुत सारे एरिया रंजीज सिंग ने ले लिये थे समझ रहे हैं उल्टा हो तो हम ये देखते हैं कि अब इन्होंने पहले consolidate किया इन्होंने सारी missiles को अपने साथ लिया इन्होंने और उसके बाद expansion शुरू किया और ये 1797 से हो गया था ठीक है 1799 में सबसे बड़ा event हुआ जब इन्होंने लाहौर पे कभजा कर लिया एक और missiles bhangi 6 जो है वो control करते थे लाहौर पे कबजा ले लिया और लाहौर पे कबजा कर लिया और ये सबसे बड़ी जीत थी महराजा रंजीत सिंग् और 1800 में इनोंने अपने आपको महराजा और पंजाब गोचित कर दिया इनकी बकायदा कोरोनेशन सर्मनी हुई और इनकी कोरोनेशन सर्मनी से सब इतना जा� मंदिरों में प्रेयर्स हो रही है ऐसे थे इतना जबरदस्त दबदबा था महाराजा रञ्जीद सिंग्ग हाला कि बहुत सारे हिस्टोरियंस अगर आप मुस्लिम एकाउंट्स देखें तो महाराजा रञ्जीद सिंग्ग को ऐसा विलन दिखाते हैं ठीक है बहुत सारे हिस्टोरियंस के अलग-अलग मत हैं अब हम ब्रिटिश और सिख्खों की बात करते हैं ठीक है यह देख लीजिए ठीक है 1802 में फिर इनकी जो पूरी की पूरी कैंपेइन है पंजाब को पूरा का जीतना जो अलग-अलग मिशाल कंट्रोल करती है अमरिश सर्व को लेकिन यहां पे हमको देखना है कि अभी ब्रेटिश भी है ना भारत में तो ब्रेटिश और महराजा रंजीत सिंग्ग के कैसे रिष्टे हैं दे� महराजा रंजी सिंग् यकीनन बहुत ही जबरतस लीडर थी लेकिन उनकी एक गलती थी वो गलती क्या थी कि वो ब्रिटिशर के कामों में हस्तक शेप नहीं करते थे सबसे बड़ी प्रॉबलम ये थी अगर महराजा रंजी सिंग् ने डारेक्टिली ब्रिटिशर से लोहा लिया होता और उनसे युद्ध किया होता तो शायद ब्रिटिशर एक्सपैंड नहीं कर पाते और वो भाग जाते लेकिन प्रॉब्लम ये थी कि महराजा रंजी सिंग्ग ने ब्रिटिशर की कामों में हस्तक शेपी नहीं किया क्यों क्योंकि ब्रिटिशर की सेना बड़ी थी मेरे लोग मारे जाएंगे इससे अच्छा है मैं अपना expand करता हूँ ब्रिटिश ने पूरी treaty 1864 में sign की थी न कि आप south of the Satlej river ये हमारा area रहेगा आप expand नहीं कर सकते तो महराजा रंजीज सिंग् सतलेज के उस पारी रहते थे जहां ब्रिटिश दिखता था उनको जब Anglo-Nepal war हुए जहां जहां ब्रिटिश होते थे वहां वहां महाराजा रंजी सिंह नहीं अब इसके मत दो कि वह सब्सक्राइब कर लिया और सिक्ट अंपायर अखिला पड़ गया उसके अंपायर को हरा दिया उसने ठारा सुचियालिस्ट अठार सुबहतालिस्ट आते-आते कुछ लोग कहते महराजा रंजी सिंह बिल्कुल सही किया भाई वह क्या करते ठीक है बेकार में अगर वह ब्रिटिशर से बिल्कुल पूरे भारत में फैली हुई थी यूरोप में ब्रिटिशर थे अलग-अलग पॉलिस ने अपने एमपायर को बचाने के लिए जो करना था वो किया लेकिन कुल मिला के जहां ब्रिटिशन इनवाल्ड होते थे वहां रझीज सिंग बिलकुल भी लड़ने नहीं जाते थे चाहे कोई भी मदद मांगता था समझ तो ये चीज थी ये relation थे British respect करते थे महराजा रञीत सिंग् की महराजा रञीत सिंग् respect करते थे British अरकी और 1818 में आज का जो पाकिस्तान है वहाँ पे मुलतान ले लिया ठीक है उसके बाद पूरा पेशावर बारी दौआब का region पूरा का पूरा अफगान्स को हरा दिया पूरा का पूरा इसे compare था तो कश्मीर, पेशावर, लाहौर, मुलतान महराजा रजीत सिंग्गे पास है ठीक है तो हम यहां पर देख रहे हैं कि अफगानों से कई बार कॉन्फिक्ट 1813 में 1823 1834 और फाइनली 1837 में 1837 में लेकिन हर बार महाराजा रंजीत सिंह जीते जब भी अफगान रेड करते थे वह कभी भी सक्सेसफुल नहीं हो पाते थे यहां तक कि दोस्त मुहम्मद ने महाराजा रंजीत सिंह की दोस्त मुहम्मद जो कि अफगानिस्तान का पुलर था उसने महाराजा रंजीत सिंह की सौवरेनिटी तक एक्सपेक्ट कर ली ठीक है और हर साल एक लाग रुपए देता था as a revenue payment कि 1837 में फाइनल बैटल जमरूद हुई थी ठीक है हालांकि इसमें दोस्तों आपको बताना चाहता हूं कि हुआ क्या था देखिए 1836 अगर बैटल आठार से तेज और अठार से अपने वापिस में हुआ क्या था कि अफगानिस्तान में एक तक्ता पलट की कोशिश की कोशिश की गई थी ठीक है तक्ता पलट की कोशिश की गई थी तो शाह शुजा था वह भागा और यह तकता पलट हुआ ता उसको हराज लेकिन इससे महराजा रञ्जीत सिंगो कु� ऐसा नहीं है कि जब यहाँ पर तक्ता पलट को रोका और शाशुजा को वापस गद्धी पर बिठाया, तो महराजा रंजीश सिंग्ग को बहुत कुछ बड़ा एरिया मिल गया हो, या कुछ ऐसी ट्रीटी कर ली हो बृतिशर ने, बृतिशर का क्या था, आपको पता बृति� दो, तीन, चार ऐसे किये हैं एक में कभी उन्होंने नहीं निप्टाया और ये सोची समझी स्ट्रै ब्रिटिशर की युद्ध करो संधी करो युद्ध करो संधी करो फिर पूरे एमपायर को अपने पास ले लो जब बहुत वीख हो जाएं और यही सिक्कों के साथ किया जब तक महाराजा रंजी सिंह जिंदा थे तब तक तो ब्रिटिशर की कोई हिम्मत नहीं हुई लेकिन जै बड़ी दिक्कत तो यह सब कुछ हो रहा था समझ रहे हैं तो अफगानों से यहां पर लड़ाई लड़ी लेकिन अफगानों पर हमेशा भारी पड़े और पूरे पाकिस्तान और आज का जो पंजाब है वो महराजा रंजीत सिंग के पास था समझ रहे हैं तो यह सब कुछ ह� हर रिलिजन के लोग पंजाब में रह सकते थे इनके यहां काम कर सकते थे इन फाट इनका जो मंत्री मंडल था सारे धर्मों के लोग थे उसमें समझ रहे हैं यहां पे दोस्तों सिख, हिंदू, मुस्लिम हर कोई अलाउट था और हर कोई अपने धर्म का पालन कर सकता था तभी मुस्लिम, सिख और हिंदू तीनों ही गुट जो है वो सपोर्ट करते थे किसको महराजा रझीत सिंग हर मंदिर साहे में हमेशा ये बहुती बढ़िया भव सेलिबरेशन करते थे जब भी ये कोई प्रांत को जीत के आते थे समझ रहे हैं इनकी आर्मी भी कमाल थी अगर हम इनकी आर्मी की बात करें दोस्तों और यहाँ पे ब्रिटिशर को भी शामिल किया जाता था तो अच्छे रिस्ते थे एक तरीके से ब्रिटिज और सिक्क लेकिन ब्रिटिज बड़े चालू थे बड़े धूरत थे जैसे महराजा रंजीस सिंग्ग दियान तो वो उन्होंने अपनी चाले चलने चुरू कर दी महराजा के बाद प्राइम मिनिस्टर देखे डोग्रा थे ये इनका कोट कॉम्पोजिशन था तो आप खुद ही समझ रहे होंगे कि महाराज और अंजीत सिंग्ग सिक्ख एमपायर जो है हाला कि बहुत वक्त तक नहीं चला लेकिन इतना बेहतनीन कैसे बना गोल्डन एमपायर एक तरीके से कह सकते है तो यह सब चीजे आर्मी भी की कमाल थी एसिया की सबसे बड़ी दूसरी सबसे बड़ी आर्मी थी जागिर सिस्टम था ठीक है रेविन्यू कलेक्शन होता था टाक्स लेते थे ये करनसी चलाते थे ये अपनी लान्ड टाक्स होता था तो इससे क्या होता था देखिए जाहिर सी बात है कि एक एमपायर की जो ताकत है वो सेना में और पैसे में होती है अगर दोनों ही चीजे महति बढ़िया है तो आप कभी भी देश हो चा एमपायर हो हराई ठीक है, manufacturing में बहुत ही कमाल का काम किया है यहाँ पे, ठीक है, हम यह देखते हैं कि weapons हो गए, equipments, munitions यह सारी के सारे पंजाब में ही बनते थे, और infrastructure में बहुत जादा ध्यान दिया, 1800 के बाद, बहुत सारी factories बनाई, ठीक है, तो army को बड़ा strong किया, ताकि बाहर से invasion ना हो पाए लेकिन 1839 में दोस्तों हम देखते हैं 1830 में उनको एक स्ट्रोक पड़ा ठीक है और 1839 में 27 जुन 1849 में की मृत्यु हो गई और इसके बाद प्रॉब्लम शुरू हो गई प्रॉब्लम क्या शुरू हो गई यहां पे पावर स्ट्रगल शुरू हो गया महराजा रझीत सिंह के जो बेटे थे एक-एक करके तीन बेटे आया तीनों को मार दिया तीन बेटे गद्दी पर बैठ और एल्टीमेटरी राजमाता जीन्द कौर ने जीन्द कौर के कोख में जो की महराजा रंजी सिंह की विडो थी महराजा रंजी सिंह की बहुत बीविया थी ठीक है काफी उन्होंने शादी की थे और आठ बच्चे थे है ना तो जब राजमाता जीन्द कौर गल्दी पे बै� तो यहाँ पे जब तक दुलीप सिंह पैदा नहीं होता जब तक वो सारे राजगोड नहीं सीखता तब तक राजमाता जीन्दकोर रहेंगी लेकिन पावर स्ट्रगल थी ब्रिटिशर ने हमला बोल दिया तो पहला एंग्लो सिख वार हुआ 1845 से लेके 1846 तक इसमें treaty of Lahore sign की गई treaty of Lahore के तायत ये बड़ी humiliating treaty थी सिखों से बहुत सारे area छीने डेड़ करोण रुपए as an indemnity of war Britisher ने बोला कि जो तुमने हमारे उपर इतना जादा हमारा नुकसान किया है डेड़ करोण रुपए दो अब इसमें से Britisher ये सिख जो है 50 लाग रुपए तो दे पाए लेकिन एक करोण तो नहीं दे पाए तो एक करोण कहां से देंगे कश्मीर ले लो तो कश्मीर को यहाँ पे बृतिश ने 75 लाख रुपए में राजा गुलाब सिंग्जो की डोगरा डानेस्टी के राजा थे उनको बेच और यहां पर राजमाता जीन दुकौर को पेंशन पे पेंशन दे दी आट लाख रुपए पेंशन पकड़ो और दुबारा मताओ यहां पर अब इसी के लिए इसी इतनी ट्रीटी थी अठार तालिस फिर दूसरा वार हो गया और इस समय जब पहलो वार था तो लॉड हाइड इन दूसरे तो लोर्ड डलाउजी ने अल्टिमेटली 1849 आते आते सिखो को अरादी और पूरा सिख एमपायर जो है वो बृतिश के पास चला गया और दुलीब सिंग जो रंजीज सिंग के बेटे थे वो तो बहुत चोटे थे न दुलीब सिंग को इंग्लेंड भेज दिया कि अब ये बहुत चोटा है इसको इंग्लेंड भेजो आराम से वही पढ़ाई करें और ऐसा बोला जाता है बाद में दुलीब सिंग ने इसाई धर तो ये कहानी थी सिक्ख एमपायर की महराजा रञ्जीत सिंग की इन शॉट पूरा कंसोलिडेट किया और उसके बाद कमाल का इनका रूल था लेकिन इनकी मौत के बाद इनकी मृत्यू के बाद ये पूरा एमपायर जो है वो बिखर गया पावर स्ट्रगल के चलते हैं यहाँ वही बात आ जाती है अगर महराजा रञ्जीत सिंग शायद पहले युद्ध कर देते या पहले बृतिशा को रोग तो हो सकता है ब्रिटिश भाग जाते हैं यहां से या बनाओ सिखों को तो बिल्कुल एनेक्स नहीं कर पाते क्योंकि सिख ऐसा आखरी इंडिपेंडेंट एमपायर था सिख जिसको एनेक्स किया था यहां पे ब्रिटिशर ने समझ रहे हैं