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Introduction to D and F Blocks

डी ब्लॉक एलिमेंट्स जो होते हैं वो एलिमेंट जिसमें लास्ट इलेक्ट्रॉन एंटर करता है डी सब शेल में इसलिए इनका नाम डी ब्लॉक होता है ये अलोय फॉर्मेशन भी करते हैं ड्यू टू वेरी सिमिलर साइज इंटरस्टेलर क्या होता है जैसे यह मेटलिक लेटिस होता है तो यह जो बीच की जगह है ना बीच की जगह यह वॉइड इसको बोलते हैं यह यह वॉइड है वॉइड वॉइड बोल दो या इंटरसियल स्पेस बोल दो एक ही बात है डी ब्लॉक वाले बहुत ज्यादा कॉम्प्लेक्शन कंपाउंड में देखा द रीज़न इज स्मॉल साइज एंड हाई फाई नेचर है डी ब्लॉक एलिमेंट्स का हेलो बच्चों नमस्कार क्या हाल चाल तो कैसे हैं आप सब लोग स्वागत है आपका माइंड मैप सीरीज में एक नए चैप्टर की शुरुआत करेंगे आज हम कंप्लीट करने वाले हैं डी एंड एफ ब्लॉक एलिमेंट है ना शॉर्टेस्ट तरीके से सारी चीजों को खत्म करने की कोशिश करेंगे सबसे शॉर्टेस्ट वे में है ना लगभग कोशिश रहेगी कि यह वाला चैप्टर आपको विदन वन आर भी आपको कंप्लीट हो जाए चलिए आता है इसमें व शॉर्ट मोस्ट इंपोर्टेंट टॉपिक्स ऑफ द चैप्टर सबसे पहले बात करते हैं डी एंड एफ ब्लॉक एलिमेंट्स की देखो चीजें आपके सामने पार्ट वाइज करके लाया हूं कुछ-कुछ जगह पर जहां पॉसिबल हुआ है है ना मेहनत तो लगी है हालांकि लिखने की लेकिन फिर भी कोशिश रहेगी डी ब्लॉक एलिमेंट्स जो होते हैं वो एलिमेंट जिसमें लास्ट इलेक्ट्रॉन एंटर करता है डी सब शेल में इसलिए इनका नाम डी ब्लॉग होता है इनको ट्रांजीशन एलिमेंट भी कहते हैं ट्रांजीशन एलिमेंट वो होते हैं जो पार्शियली फील्ड डी ऑर्बिटल रखते हैं d1 से 9 चाहे वो जीरो स्टेट में हो चाहे वह किसी नॉन ऑक्सीडेशन स्टेट में हो डी और 10 जो है वह हमारे पास ट्रांजीशन एलिमेंट की कैटेगरी में नहीं आते हैं तो यह जिंक कैडमियम मरकरी जो है यह सब क्या है यह टे है यह क्या है बेटा यह टे है सारे के सारे और यहां पर यहां पर लिख देता इधर इन न्यूट्रल और इन एनी नॉन ऑक्सीडेशन स्टेट पार्शियली फीड किसम होना चाहिए न्यूट्रल में भी चलेगा और अगर किसी नॉन ऑक्सीडेशन स्टेट में भी पार्शियली है तब भी उसे हम क्या कहेंगे ट्रांजीशन एलिमेंट कुछ एटॉमिक प्रॉपर्टीज की बात कर लेते हैं सबसे पहले जनरल इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिन n - 1ns 0 से दो होता है एए का टू होना इज नॉर्मल मैं आपको लिख देता हूं ns2 होना ns2 होना इज नॉर्मल कॉन्फिन है जितने कॉन्फिन दे देखोगे आप उनमें अगर ns1 दिख जाए ये सारे ns1 वाले हैं सब एक्सेप्शनल है देखो क्रोमियम कॉपर 3d सीरीज के अंदर है ना फिर है यह नायो बियम मोलिन रूथ नियम रेनियम सॉरी रोडियम पैलेडियम और सिल्वर ये क्या है ये सब दूसरी 4d सीरीज के एक्सेप्शनल कॉन्फिन है और प्लैटिनम और ओरम यानी कि गोल्ड ये हैं 5d सीरीज के एक्सेप्शनल कॉन्फिन इन सब के अंदर ns1 होगा इन इन सब में 4s व होगा इन सब में 5 ए1 होगा और इन सब में आपका सॉरी s1 में यह पैलेडियम नहीं आएगा इसको ठीक कर लेना है ना क्योंकि हमने s0 में उसको अलग से डाल दिया है पैलेडियम जो है वो ns0 होता है तो मैंने यहां से पैलेडियम हटा दिया अब ठीक है कोई दिक्कत वाली बात नहीं है चलिए डिटेल में कॉन्फिन पीरियोडिक टेबल में करवाए हुए हैं मेन बैचेज में करवाए हुए हैं आप वहां से देख सकते हैं और एनसीआरटी में गिवन है डिटेल के अंदर कॉन्फिन है ना तो आप वहां देख सकते हैं टेक्नीशियन का कॉन्फिन जो है वो डील डी एंड एफ ब्लॉक चैप्टर में सही दिया हुआ है पीरियोडिक में गलत है वो चेक कर लेना ठीक है तो यहां नहीं है वो एक्सेप्शनल कॉन्फ़िगरेशन मतलब नहीं होता है साइज की बात करें जनरली लेफ्ट से राइट साइज जो है वो इंक्रीज नहीं डिक्रीज होती है और आयस की भी अगर हम साइज की बात करें नॉर्मली साइज की बात करें वो भी डिक्रीज होगी आयस की बात करें तो चार्ज अगर सेम है और आप एलिमेंट चेंज करते हो सबको + 2 में करते हो तो डिक्रीज होगी सबको + 3 में कंपेयर करते हो तो भी डिक्रीज होगी 3d सीरीज की एक फाइनल ऑर्डर जो बनता है वो z इफेक्टिव की वैल्यू वेस्ट देख के बनता है कि यह पहले बढ़ता है फिर मैंगनीज बड़ा होता है उसके बाद यह तीनों बराबर होते हैं और यह वापस से इंक्रीज होता है आयनाइजेशन एनर्जी की बात पे आ जाते हैं जनरली आयनाइजेशन एनर्जी लेफ्ट टू राइट इन लोगों में इनके अंदर इनमें डिक्रीज होती है कारण है वही बार-बार लगातार d में इलेक्ट्रॉन जा रहा है इलेक्ट्रॉन भर तो यहां आ रहा होता है n -1 d में है ना तो d में इलेक्ट्रॉन भरता है तो शिल्डिंग पुअर रहती है पुअर रहती है तो जेड इफेक्टिव बढ़ता है जेड इफेक्टिव बढ़ने की वजह से साइज भी जनरली डिक्रीज होती है और और आयनाइजेशन भी जनरली जो है वो इंक्रीज होती है यह मैंने थोड़ा सा उल्टा लग दिया है इसे इंक्रीज लिख देना बेटा जनरली इंक्रीज है ना इंक्रीज होगा उल्टा लिखा हुआ था वो इंक्रीज होगी और फाइनल ऑर्डर अगर आप देखोगे तो देखो लेफ्ट में सबसे कम है और राइट में सबसे ज्यादा इसलिए लिखा जाता है जनरली इनकस लेकिन बीच में छोटे-मोटे दिक्कत रहती है जैसे क्रोमियम हो गया टाइटेनियम हो गया यहां चेंज आ गया फिर कॉपर और ये निकल के बीच में यहां चेंज आ गया तो एक फाइनल ऑर्डर जो ये है कि इसको लिखने का तरीका है सुन विनीता कमाल थी मानी नहीं क्यों कौन फिर जाने वापस बोल रहा हूं आप इसको दो बार सुनकर अपने ट्रिक लिख देना सुनो विनीता कमाल थी मानी नहीं क्यों कौन फिर जाने लिख लोगे बेटा है ना वीडियो को रोक के वीडियो को दो बार चला के देख लेना बेटा ठीक है लिख देना बेटा चलो डटा बेस्ड होता है हालांकि ये उसके बाद आता है कुछ इंपॉर्टेंट आयो इजेशन ऑर्डर देखो अभी सुनो विनीता कमाल थी से आईव का ऑर्डर तो पता ही है यह जो टू का ऑर्डर है यह ऐसा क्यों हो गया क्योंकि यह अब 3d 54s 0 हो गया और ये अब 3d 54s 1 हो गया तो हाफ फील्ड की वजह से आ2 सेकंड आयनाइजेशन एनर्जी इसकी ज्यादा हो जाएगी सिमिलरली यहां पर भी ये 3d 10 4s जीरो हो जाएगा और ये 3d 10 4s व रहेगा तो अब ये इसकी वजह से ज्यादा हो गया यह हाफ फील्ड की वजह से ज्यादा हो गया मैंगनीज और आयरन में है ना ie1 और ie2 तो z इफेक्टिव के हिसाब से ही चलते हैं लेकिन ie3 की बात करोगे तो दो इलेक्ट्रॉन रिमूव हो जाएंगे तो यह बने यह बचेगा क्या यह बचेगा 3d 5 4s 0 बचेगा और यह बचेगा 3d 4 4s सॉरी 3d 6 4s 0 तो यह हाफ फील्ड स्टेबिलिटी की वजह से ज़्यादा आयनाइजेशन एनर्जी थ्री हो जाती है इसकी ठीक है भाई यह कुछ बातें हैं अलोय फॉर्मेशन वह मेटल्स करते हैं जिनकी साइज़ बहुत ज्यादा गैप नहीं होता अच्छी बात है कि इन डी ब्लॉक वालों के साइज के अंदर बहुत ज्यादा वेरिएशन नहीं होता ये एक दूसरे से 15 पर ही छोटे-बड़े होते हैं और यही हमारी डिमांड होती है अलोय की कि भाई हमारी कंडीशन यही है तो ये अलोय फॉर्मेशन भी करते हैं ड्यू टू वेरी सिमिलर साइज ठीक है बहुत ज्यादा डिफरेंसेस नहीं होते इनकी साइज के अंदर ब्रास करके एक होता है कॉपर जिंक का होता है जर्मन सिल्वर में सिल्वर नहीं होता ध्यान रखना कॉपर जिंक और निकल होता है ब्रोंज जिसे हम ब्रोंज मेडल कहते हैं वो बना होता है कॉपर और टिन से बना होता है बेटा ठीक है टिन हालांकि डी ब्लॉक का है मगर उसकी साइज जो है वो डी ब्लॉक से मैच करती है तो यह बना लेते हैं उसके बाद है इंटरस्टिशल कंपाउंड प्रिपेयर्ड बाय ट्रैपिंग स्मॉल साइज एटम कार्बन नाइट्रोजन बोन हाइड्रोजन जैसे छोटे एलिमेंट्स को है ना इनके इंटरस्टिशल स्पेस में ट्रैप किया जाता है इंटरस्टेलर क्या होता है जैसे यह मेटलिक लेटिस होता है तो यह जो बीच की जगह है ना बीच की जगह यह वॉइड इसको बोलते हैं ये यह वॉइड है वॉइड वॉइड बोल दो या इंटरसियल स्पेस बोल दो एक ही बात है इनकी कुछ प्रॉपर्टीज हैं यह जो है यह नॉन स्टोइकियोमेट्रिक तरीके से अंदर ट्रैप होते हैं हार्ड देन प्योर मेटल होते हैं मेल्टिंग पॉइंट प्योर मेटल से ज्यादा होता है कंडक्टेंस वही रिमन मेटल कंडक्टर होते हैं इलेक्ट्रिसिटी के थर्मल के तो थर्मल और इलेक्ट्रिकल कंडक्शन सेम रहता है इनके अंदर भी केमिकल ये इनर्ट रह जाते हैं केमिकल इनर्ट हो जाते हैं बिकॉज़ यह ट्रैप होने की वजह से किसी ना किसी फॉर्म में यह मेटल के साथ जो है वो रिएक्शन करते हैं हालांकि ये कंफर्म नहीं है कि वो आयनिक होती है या कोवलेंको होती है ना कोवलेंको इलेक्ट्रॉन उतना पॉइंट समथिंग सीधा जुगाड़ है अनपेड इलेक्ट्रॉन होगा तो पैराम मैग्नेटिक होगा अब्सेंट होगा तो डायमैग्नेटिक होगा और एक और होता है फेरोमैग्नेटिक वो होता है सुपरलेटिव फॉर्म ऑफ पैरा मैग्नेटिक यानी कि बहुत ज्यादा अगर कोई पैरा मैग्नेटिज्म है तो उसे हम बोलते हैं फेरोमैग्नेटिक य सिंपल है जितना अनपेड इलेक्ट्रॉन उतना पॉइंट समथिंग एक फार्मूला भी होता है है ना रूट रट n n प् 2 करके एक फार्मूला भी होता है आप वहां से भी निकाल सकते हो है ना एक फार्मूला भी होता है मैग्नेटिक मोमेंट का यह भी आप कर सकते हो ठीक जैसे पाच है पाच रखोगे तो सात सात यहां पाच रखोगे 35 हो जाएगा 35 का वैल्यू आएगी वो 5 पॉइंट समथिंग ही आएगी तो पांच अनपेड जब रखोगे तो वो ऐसा ही होगा उसके अलावा मेल्टिंग पॉइंट जो है देखो मेल्टिंग पॉइंट में क्या होता है कि नंबर ऑफ अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन जो हैं जितने ज्यादा होंगे बॉन्डिंग में जितने ज्यादा पार्टिसिपेट करेंगे मेटल मेटल का बॉन्ड उतना ही स्ट्रांग होगा जिसे बोलते हैं हम इंटर एटॉमिक इंटरेक्शन जो है वो ज्यादा होगा तो मेल्टिंग पॉइंट भी बढ़ेगा इसी वजह से एटमाइजेशन एंथैल्पी भी इंक्रीज होती है आप देखोगे मेल्टिंग पॉइंट का ग्राफ जो एनसीआरटी में दिया हुआ है और जो एटमाइजेशन एंथैल्पी का ग्राफ दिया हुआ है वो लगभग लगभग सेम पैटर्न पे चलता है मेल्टिंग पॉइंट के कुछ इंपॉर्टेंट ऑर्डर्स दिए हुए हैं ग्रुप थर्ड यानी कि सबसे पहला और सबसे आखिरी जो टॉप टू बॉटम है वो डिक्रीज होता है यानी कि स्कैंडियम है ना ट्रियन लैंथम डिक्रीज होगा जिंक कैडमियम मरकरी भी डिक्रीज होगा ग्रुप 11थ एक अलग ही चलता है इसमें कॉपर गोल्ड और सिल्वर ऐसे चलेगा फोर से लेकर 10थ तक कोई दिक्कत वाली बात नहीं है चार से लेके 10 10 नंबर ग्रुप तक इंक्रीज होता है मैक्सिमम डी ब्लॉक में जिसका मेल्टिंग पॉइंट होता है वो होता है टंगस्टन और हर सीरीज़ में जिसका मैक्सिमम होता है वह छठा ग्रुप होता है करोड़ करोड़ मोल वाला तो जिसका मोल ही ज़्यादा है याद रखिएगा करोड़ मोल वाला वह मेल्टिंग पॉइंट भी ज्यादा रखता है सिक्स्थ ग्रुप जो है हर सीरीज़ में मैक्सिमम है अगर आप 3d सीरीज़ में मैक्स देखोगे तो क्रोमियम है 4d सीरीज़ में मैक्स देखोगे तो मोलिन में है 5d सीरीज़ में मैक्स देखोगे तो टंगस्टन है और पूरे डी ब्लॉक में मैक्स देखोगे तो टंगस्टन ही है ठीक है भा जनरली आप देखो ना अगर आप चा से लेक 10 ग्रुप तक देखोगे तो इंक्रीज ही हो रहा है लेफ्ट अ टॉप टू बॉटम ये तो दो अलग-अलग वेरिएशन है जो एक ग्रुप दो ग्रुप और तीन ग्रुप सिर्फ 12 में से तीन ग्रुप जो है वो फॉलो नहीं कर रहे हैं इस कांसेप्ट को बाकी यह जो है नौ ग्रुप चार से लेक 10 नौ जो ग्रुप है टोटल नाइन ग्रुप फॉलो कर रहे हैं टॉप टू बॉटम मेल्टिंग पॉइंट इंक्रीज होता है वेरिएबल ऑक्सीडेशन स्टेट ड्यू टू मोर अवेलेबिलिटी ऑफ इलेक्ट्रॉन ns-3 भी है यानी कि n - 1d इलेक्ट्रोंस इन एडिशन टू nss6 सीरीज में जो है वो मैंगनीज चलता है + 2 से + 7 तक हालांकि मैंने एक पॉइंट और लिखा है वो भी आप नोट कर लेना बेटा + 5 और स्कैंडियम + 2 एजिस्ट नहीं करते आयरन का + पा है ना कोबाल्ट का + पा और स्कैंडियम का + दो एजिस्ट नहीं करता वैसे मैं बता दूं कि एक सीरीज अगर 3d सीरीज की बात करें तो पहले d5 तक ऑक्सीडेशन स्टेट की रेंज बढ़ती है क्योंकि नंबर ऑफ अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन बढ़ते हैं फिर वापस से घटती है क्योंकि नंबर ऑफ अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन घटते हैं तो पांच तक अगर आप देखोगे पांच तक जो है वो पेयरिंग बढ़ना पांच तक तो पेयरिंग होती है 1 2 3 4 पांच तक तो अनपेयर्ड बढ़ते हैं छठे से जैसे ही जाओगे अब पेयरिंग होना शुरू हो जाएगी तो अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन घटना शुरू हो जाते हैं तो नंबर ऑफ इलेक्ट्रॉन कम होना शुरू हो जाते हैं तो फिर से यह घटना शुरू हो जाती है तो ठीक है यह इंक्रीज होती है फिर यह वापस से ऐसा डिक्रीज वाला दिखा रखा है ऐसा एक ग्राफ एनसीआरटी ने बना रखा होगा देखना ग्राफ नहीं एक सीरीज दी हुई है एनसीआरटी में आप चेक करना एनसीआरटी पढ़ना जरूरी है बेटा इसके साथ है ना ये माइंड मैप के साथ तो बहुत ही जरूरी है फिर ऑक्सीडेशन स्टेट्स के बारे में और कुछ पॉइंट्स लिखे हुए हैं दो पॉइंट है दो नोट लिखे हुए हैं पहला नोट है स्टेबिलिटी ऑफ़ हायर ऑक्सीडेशन स्टेट डाउन द ग्रुप डी ब्लॉक में इंक्रीज होती है जो कि इवर्स ऑफ इनर्ट पेयर इफेक्ट है पी ब्लॉक में हायर ऑक्सीडेशन स्टेट की स्टेबिलिटी डिक्रीज होती है है ना पी ब्लॉक में हायर ऑक्सीडेशन स्टेट की स्टेबिलिटी डिक्रीज होती है जबकि यहां पे हायर ऑक्सीडेशन स्टेट की स्टेबिलिटी इंक्रीज होती है एक बहुत ही इंपॉर्टेंट एग्जांपल उन्होंने इस बात से समझाया हुआ है कि क्रोमियम प्लस 6 मोलिन प्लस 6 और टंगस्टन + 6 में + 6 की स्टेबिलिटी इंक्रीज हो रही है तो इन दोनों के + 6 ज्यादा स्टेबल और उसका प्लस 6 स्टेबल नहीं है इसीलिए इसका जो प्लस 6 है इसका जो प्लस 6 है क्रोमियम का प्लस 6 जो है वो ऑक्सीडेंट की तरह काम कर सकता है जबकि मोलिन और टंगस्टन + 6 में जो है ऑक्सीडेंट की तरह काम नहीं कर सकते हैं क्योंकि वो स्टेबल ज्यादा है फिर है हायर ऑक्सीडेशन स्टेट ऑफ डी ब्लॉक एलिमेंट्स स्टेबल विद हाई इलेक्ट्रोनेगेटिव एलिमेंट लाइक ऑक्सीजन एंड फ्लोरीन जनरल स्टेटमेंट अगर आपको ऊपर वाला आए तो भी ट्रू बोलना है कि ऑक्सीजन और फ्लोरीन के साथ ज्यादा स्टेबल होते हैं फिर अगर वो ऑक्सीजन और फ्लोरीन में भी कंपेयर करवा दे तो ऑक्सीजन को ज्यादा बोलना है बिकॉज ऑक्सीजन जो है वह मल्टीपल बॉन्ड बना सकता है यानी कि एक ऑक्सीजन जुड़ेगा और सामने वाले पर माइनस दो मतलब माइनस दो लेक आएगा और सामने वाले पर प्लस दो चार्ज चढ़ाए तो दो बॉन्ड बना सकता है फ्लोरीन जैसे अब फ्लोरीन को आप खुद सोचो मैंगनीज को प्लस सात में जाने के लिए फ्लोरीन सात लगाने पड़ेंगे क्योंकि सिंगल सिंगल बॉन्ड लगाता है और माइनस व चार्ज रखता है तो इसीलिए केवल सिंपल हेलाइड्स की अगर मैं बात करूं तो सिंपल हेलाइड्स में मैंग जो है वो प्लस च तक ही फ्लोरीन के साथ जो है वो स्टेबल होता है उसके बाद यह अनस्टेबल होता है रीजन है स्टेरिक हिंड्रिंग नंबर में कम जुड़ेगा और ऑक्सीडेशन स्टेट ज्यादा रखेगा क्योंकि एक ऑक्सीजन माइनस दो चार्ज लेता है तो कहीं ना कहीं ऑक्सीजन जो है वो डबल बॉन्ड से जुड़ जाता है इसीलिए एक तो आप सोचो कि अगर फ्लोरीन को दो बॉन्ड बनाने है तो दो फ्लोरीन की जरूरत पड़ेगी लेकिन ऑक्सीजन अकेला दो बॉन्ड बना सकता है यही कारण है कि वो फ्लोरिन से भी आगे आ जाता है इनकी स्टेबिलिटी के हिसाब से फिर आता है नाइंथ है कॉम्प्लेक्शन टेंडेंसी डी ब्लॉक वाले बहुत ज्यादा कॉम्प्लेक्शन कंपाउंड में देखा द रीजन इज स्मॉल साइज एंड हाई फाई नेचर है डी ब्लॉक एलिमेंट्स का ऑफ डी ब्लॉक मेटल्स आयस मेटल आयस ठीक है कलर ऑफ एक्वसस आयस में जो एक्वसस होता है वो पानी जो है वो लिगेंड की तरह काम करता है वाटर लीगें की तरह काम करता है और ये ध्यान रखना है इंपॉर्टेंट यही है d0 और d10 जो है वो कलरलेस होते हैं दैट्ची कलर्स आपको याद रखने की जरूरत नहीं है आप तो बस इतना याद रखो d0 d10 कलरलेस होते हैं क्योंकि उनमें डीडी ट्रांजीशन नहीं हो सकता उसके बाद कुछ बातें एसआरपी से रिलेटेड जो मोस्ट इंपॉर्टेंट बातें हैं वो मैंने छाट के लिख दी है यहां पे एसआरपी में दो पॉइंट्स दिए हुए हैं एक तो + 2 से 0 वाला दिया हुआ है और एक + 3 से + 2 वाली वैल्यूज दी हुई है स्टैंडर्ड रिडक्शन पोटेंशियल बोल होते हैं 3d सीरीज में ये + दो से 0 वाली वैल्यू सबके लिए नेगेटिव होती है कॉपर को छोड़ के यानी कॉपर की ये वैल्यू पॉजिटिव है कॉपर की ये वैल्यू पॉजिटिव होने के कारण कॉपर + दो से 0 में जाना पसंद करता है यानी कि 0 से + दो में आना पसंद नहीं करता जब वो 0 से + दो में आना पसंद नहीं करेगा तो इलेक्ट्रॉन नहीं छोड़ेगा और इलेक्ट्रॉन अगर नहीं छोड़ना चाहेगा तो एसिड द्वारा दिए गए h+ को h2 गैस बनने का मौका नहीं मिलेगा इसीलिए लिखा हुआ है दैट्ची गैस फ्रॉम एसिड्स h2 गैस फ्रॉम एसिड्स याद हो जाएगा क्यों क्योंकि कॉपर प्लस दो में जाना नहीं चाहता अरे भाई वो तो दो से जीरो में आना चाहता है जीरो से दो में जाने की इच्छा कम है जीरो से दो में जाने की इच्छा कम है मतलब इलेक्ट्रॉन छोड़ने की इच्छा कम है अब जब इलेक्ट्रॉन छोड़ने की इच्छा कम है तो एसिड जो h+ देगा उसको इलेक्ट्रॉन मिलेगा नहीं जब h+ को इलेक्ट्रॉन मिलेगा नहीं तो वो h2 गैस बनेगा नहीं क्लियर भाई चलो फिर + 3 + दो + 3 + दो की कुछ वैल्यूज दी हुई है स्कैंडियम + 3 से + दो लो वैल्यू रखता है नेगेटिव उसका रीजन है नहीं आना चाहता नहीं इसलिए आना चाहता है कि + 3 में वो नोबल गैस कॉन्फिन रखता है स्कैंडियम + 3 में स्कैंडियम + 3 का मतलब क्या है 21 - 3 21 - 3 का मतलब कितना हो गया बेटा 18 18 बोले तो वो तो आर्गन जैसा नोबल गैस जैसा कॉन्फिन हो गया उसके बाद जिंक + 3 से + दो आधी रात को आना चाहता है हाई वैल्यू है पॉजिटिव है ना तो जिंक इसलिए आना चाहता है क्योंकि + दो में वो d10 कॉन्फिन अचीव करेगा तो इधर आने के लिए तैयार है मैंगनीज भी + दो में हाई वैल्यू रखता है क्योंकि वो d5 स्टेबल कॉन्फिन अचीव करेगा वैल्यूज ऑफ + 3 टू + 2 इनोट वाली वैल्यूज कुछ ये वैल्यूज हमें दिखाती है और भी वैल्यूज होती है मैंने सिर्फ इंपोर्टेंट पॉइंट लिखे हैं उन वैल्यूज को देख के पता लगता है कि मैंगनीज प्लस थन एंड कोबाल्ट + 3 आर स्ट्रांग ऑक्सीडेंट क्या है वो स्ट्रांग ऑक्सीडेंट है दूसरा टाइटेनियम + 2 वेनेरियम + 2 एंड जो क्रोमियम + 2 है ये स्ट्रांग रिड्यूस एजेंट हैं रिड्यूस एजेंट वो होते हैं यानी कि य सब जो है यह सब क्या कर रहे होंगे m2 प्स से m3 प्स जा रहे होंगे यह फेवरेबल होगा इनका ये ई नोट वैल्यू पॉजिटिव होगी इनकी ई नोट वैल्यू तीन से दो की पॉजिटिव होगी क्योंकि ये ऑक्सीडेंट होते हैं ठीक है तो ये दोनों क्या कर रहे होंगे यह तीन से कहां जा रहे होंगे दो में जा रहे होंगे ठीक है और हमने तो देखा ही है ये तीन से दो में हाई वैल्यू रखता है मैंगनीज तो यही नजर आ रहा है आपको चलिए भाई आगे ऑक्साइडस की बात करते हैं ऑक्साइडस ऑफ डी ब्लॉक की बात करते हैं ऑक्साइडस ऑफ डी ब्लॉक इंपॉर्टेंट पॉइंट्स ऑल मेट ऑल एओ टाइप ऑक्साइड यानी बोले तो प्लस दो यह क्या है प्लस दो यह सारे के सारे आयनिक नेचर में होते हैं बिकॉज लो ऑक्सीडेशन स्टेट रीजन है लो ऑक्सीडेशन स्टेट आयनिक नेचर क्योंकि हाई होगा तो कोवलेंको एओ एजिस्ट नहीं करता ठीक है ऑक्सीडेशन स्टेट और सुनो ऑक्साइडस में हमने पीरियोडिक टेबल में पढ़ा ऑक्सीडेशन स्टेट बढ़ती है तो न बढ़ती है तो एसिडिक नेचर बढ़ता है हमने डी ब्लॉक के अंदर यह कुछ कांसेप्ट देखे डी ब्लॉक में क्या होता है कि वेरिएबल ऑक्सीडेशन स्टेट होती है तो जो लो ऑक्सीडेशन स्टेट वाले होते हैं वो बेसिक होते हैं बीच वाला एंफोटेरिक होता है और जो हायर ऑक्सीडेशन स्टेट वाले होते हैं वो एसिडिक होते हैं हालांकि क्रोमियम जो ् 3 में है और जिंक जो प्लस दो में है और यह जो प्लस पा में है ये दोनों तो एंफोटेरिक दिखाते हैं v2o 5 मेनली एसिडिक है बट यह भी एंफोटेरिक दिखाता है ये इसकी इस रिएक्शन से पता चलता है कि v25 जो है वो एसिड के साथ vo2 प्स देता है जबकि बेस के साथ जो है ये vo3 माइन देता है यानी कि एंफोटेरिक है तभी तो एसिड बेस दोनों के साथ रिएक्शन करता है v2o 5 ये एनसीआरटी में कुछ इंपोर्टेंट पॉइंट लिखे हुए थे छाट के आते हैं पोटेशियम पर मैग्नेट पे ऑक्साइडस की बात कर रहे हैं तो अब इंपोर्टेंट ऑक्साइड दो कंपाउंड्स अच्छे खासे दिए हुए हैं तो k2 mno4 पोटेशियम परमैग्नेट होता है और kmno4 सॉरी पोटेशियम मैग्नेट होता है और पोटेशियम पर मैग्नेट होता है kmno4 इसके पास mno4 2 - आयन यह mno4 - यह + 7 में है और यह + 6 में है इसके पास अनपेड इलेक्ट्रॉन है इस वजह से कलर हैं लेकिन इसके पास अनपेड इलेक्ट्रॉन ना होते हुए भी कलरफुल क्यों है तो रीज़न है लिगेंड टू मेटल चार्ज ट्रांसफर की वजह से कलर हैं है ना तो इसका कलर ड्यू टू डिडी ट्रांजीशन और इसका कलर ड्यू टू चार्ज ट्रांसफर होता है बेटा अच्छी बात यह है कि जो यह आपका मैगनेट आयन है यह एसिडिक मीडियम में डिस्प्रोशियम देख रहे हैं एक और होता है जिसका नाम होता है पायरो साइट र उसे गर्म किया जाता है है ना ऑक्सीडेशन किया जाता है उसे गर्म किया जाता है हीट किया जाता है उसका ऑक्सीडेशन किया जाता है ऑक्सीडेंट जो है वो हवा हो सकती है और kno3 हो सकता है no3 में जो नाइट्रेट आयन है वो ऑक्सीडेंट की काम करेगा दूसरा इसको बेसिक मीडियम के साथ फ्यूज किया जाता है k के साथ फ्यूज किया जाता है तो पहले बनता है पोटेशियम मैगनेट अब तीन तरीके से जो है वह चीजें बदल सकती है पहला तरीका हमने पिछली स्लाइड पर देखा कि पर मैग्नेट को एसिडिक मीडियम में डिस्प्रोशियम जितना मैंगनीज है वो सारा का सारा प्लस 6 से प्लस सा में नहीं आया कुछ प्लस च में भी चला आ गया इलेक्ट्रोलाइन से भी आप इस + 6 को ऑक्सीडो यह कमर्शियल प्रिपरेशन है कमर्शियल इसलिए क्योंकि बिजनेस में गाटा नहीं चाहिए वो लेबोरेटरी इसलिए क्योंकि वहां गाटा होगा क्योंकि वो सारा मैंगनीज प्लस साथ में नहीं आ रहा उसके बाद o3 स्ट्रांग ऑक्सीडेंट ये जो है ओजोन भी इसको ऑक्सीडर्म प्रिपरेशन नहीं होती है ये भी लैबोरेट मेथड ही है और एक लेबोरेटरी मेथड दिया हुआ है जो एनसीआरटी ने स्पेसिफिकली लेबोरेटरी मेथड लिखा हुआ है वो है कभी लेबोरेटरी स्पेसिफिक पूछ लिया जाए तो यही देखना मैंगनीज + 2 को पोक्स डाई सल्फेट ऑक्सीडेंट से ऑक्सीडो ये पोक्सो डाई सल्फेट जो है इसके अंदर जो ऑक्सीजन है वो पोक्स इड है और पोक्स इड जो होते हैं वो ऑक्सीडो एजेंट होते हैं इसके अंदर क्या है पोक्स इड्स है o22 - है ये ऑक्सीडेंट की तरह काम करेगा पोक्स इड आयन तो पोक्स इड जब ऑक्सीडेंट की तरह काम करेगा तो अपनी ऑक्सीडेशन स्टेट को और कम कर लेगा क्योंकि खुद रिड्यूस होगा खुद रिड्यूस होगा तो ऑक्साइड में आ जाएगा यह देखो इसमें ये सल्फेट है तो इसमें ऑक्सीजन माइनस दो होती है इसमें कुछ ऑक्सीजन माइनस वन में भी होती है वो पर ऑक्साइड बोलते हैं इसको क्या बोलते हैं बेटा पर ऑक्साइड ठीक है तो ये mno4 माइ में बदल जाएगा वायलेट कलर में लेबोरेटरी के अंदर कलरलेस mn2 का कोई सॉल्ट ले लिया जाता है जनरली mncl2 होता है mncl2 में परोसा इड पोक्स डाई सल्फेट मिला दिया जाता है है ना और उससे हम बना सकते हैं लेबोरेटरी के अंदर फिर आते हैं दोनों को कंपैरिजन देख लेते हैं यह जो मैग्नेट आयन है इसमें d1 है n1 है अ तो अनपेड इलेक्ट्रॉन है तो पैराम मैग्नेटिक होगा डार्क ग्रीन कलर का होता है स्ट्रक्चर टेट्रा हैड्रन अगली स्लाइड प मिलेगी इसकी स्ट्रक्चर भी टेट्रा हैड्रन अगली स्लाइड प मिलेगी mno4 माइ जो कि पर मैग्नेट आयन है + से है d0 है n0 है डाय मैग्नेटिक है बट एनसीआरटी ने एक चीज लिखी हुई कि अगर टेंपरेचर बढ़ाओ ग घटाओ ग तो यह वीक पैराम मैग्नेटिज्म दिखा सकता है हालांकि इसमें अनपेड इलेक्ट्रॉन नहीं है आपसे अगर इस बारे में बात ना करें तो आपको इसको डाया मैग्नेटिक ही बोलना है मोस्टली क्यों परेशान नहीं होना है डार्क पर्पल और वॉयलेट कलर जो है वो डीडी ट्रांजीशन तो इसमें पॉसिबल नहीं है उसमें तो है फिर भी क्योंकि वोह d6 है इसमें तो पॉसिबल नहीं है सॉरी d1 है वो d6 नहीं d1 है इसमें पॉसिबल नहीं है 0 है तो इसमें होता है लिगेंड टू मेटल चार्ज ट्रांसफर आपको इतना डिटेल में जाने की जरूरत नहीं आप यूं समझ लो कि इसके अंदर जो कलर होता है वह चार्ज ट्रांसफर की वजह से होता है नेक्स्ट हम बात करें इनकी स्ट्रक्चर की बात करें दोनों टेट्रा हैडल हैं -2 मैंने सिखाया हुआ है -2 का मतलब है दो सिंगल बाकी दो डबल -1 का मतलब है एक सिंगल बाकी तीन डबल तो आप देखोगे तो इसका एवरेज बॉन्ड ऑर्डर जो है वो 6/4 आएगा सारी m ए बॉन्ड लेंथ बराबर होगी ड्यू टू द रेजोनेंस इधर भी सारी m एओ बॉन्ड लेंथ बराबर होगी ड्यू टू द रेजोनेंस हालांकि यहां जो बॉन्ड ऑर्डर आएगा वह 7/4 आएगा यानी कि यहां पर बॉन्ड ऑर्डर ज्यादा आएगा क्योंकि यहां डबल बॉन्ड ज्यादा दिख रहे हैं आपको 7/4 है अब डबल बॉन्ड ज्यादा है तो लेंथ कम हो जाएगी तो इसकी लेंथ कम हो जाएगी mno4 की लेंथ कम हो जाएगी क्यों क्योंकि ऑर्डर ज्यादा है ऑर्डर क्यों जता है क्योंकि 7/4 की वैल्यू ज्यादा आएगी 6/4 से इसमें डी पाई प पाई बॉन्ड कितने दिख रहे हैं डी कौन देगा ओबवियसली ऑक्सीजन के पास डी नहीं होता डी तो मैंगनीज ही देगा प देगा ऑक्सीजन कितने हैं बेटा दो यहां पे d पाई प पाई बॉन्ड कितने हैं तो तीन हो जाएंगे ठीक है भाई इसमें डी पाई प पाई बॉन्ड कितने हैं तीन है रेजोनेंस होता है तो इन सब में पार्शल डबल बॉन्ड कैरेक्टर होता है इसी वजह से इक्वल है इसमें भी रेजोनेंस है इस वजह से सब जगह पार्शल डबल बॉन्ड कैरेक्टर होता है यानी यह 6/4 बॉन्ड हर जगह है ये 7/4 बॉन्ड हर जगह है ठीक है बेटा उसके बाद करते हैं रिएक्शंस ऑफ kmno4 रिएक्शंस की बात करें तो थर्मल डीकंपोजिशन अगर सॉलिड के mno4 को आप ब्रेक करते हो तो k2 mno4 mno2 और o2 में टूटता है ओबवियसली सात से छ में जाओगे ऑक्सीडेशन स्टेट कम करोगे तो ऑक्सीजन के ही लात पड़ेगी पड़ गई ठीक है ऑक्सीडो कैन वर्क एज स्ट्रांग ऑक्सीडेंट इन एसिडिक एज वेल एज वीक बेसिक एंड न्यूट्रल मीडियम है ना वीक को फेंटली भी लिखते हैं इन mno4 - mn1 तो ये जो हायर ऑक्सीडेशन स्टेट में प्रेजेंट होता है वोह तो ऑक्सीडेंट की तरह काम कर ही सकता है और यह बहुत अच्छे से करता है बिकॉज़ सात से दो में जाने में इसको बड़ा मजा आता है क्योंकि इसको d5 स्टेबल कॉन्फ़िगरेशन अचीव करना होता है इसीलिए यह अच्छा ऑक्सीडेंट है क्योंकि यह जल्दी रिड्यूस हो जाता है अपनी इस लालच की वजह से कुछ ऑक्सीडेंट में कर ऑक्सीडेंट में कर देगा br2 में ऑक्सीडो 2+ को fe3 प में कर देगा no2 माइ को नाइट्रेट में कर देगा h2s को सल्फर में कर देगा है ना इसको co2 में कर देगा ऑक्सलेट को sn2 को sn4 में कर देगा सल्फा प्लस सल्फर + च में है तो उसको सल्फेट प्लस यानी कि सल्फेट + 6 होता है तो उसमें कर देगा और खुद जो पर्पल कलर से या वॉयलेट कलर से जो है वो कलरलेस बन जाएगा उसी तरह से बेसिक फेंटली अल्कलाइन या थोड़ा कम बेसिक बिल्कुल लाइट बेसिक मीडियम और न्यूट्रल मीडियम में फर्क यही होता है कि यह io3 माइ में इसको ऑक्सीडेंट है और यही सबसे इंपॉर्टेंट है यहीं से सवाल पूछा जाता है कि एसिडिक मीडियम में तो i2 तक ले जा रहा है लेकिन बेसिक मीडियम में ये i 3 माइनस बोले तो प्लस पा तक ऑक्सीडो में ले जाएगा ये co2 में ले जाएगा और खुद जो है वो इसमें फर्क रहता है यह mno2 में आ जाता है ये प् च में ही आता है ठीक है तो याद रखना एसिडिक मीडियम में वो प् दो में जाता है और खुद बेसिक मीडियम में जो है वो + सा से + च तक ही जाता है ये इनकी ऑक्सीडक्सी किस पे पोटेशियम डाई क्रोमेट पे पोटेशियम डाई क्रोमेट मतलब कि k2 cr2 o7 उससे पहले समझते हैं कि एक होता है क्रोमेट आयन और एक होता है डाई क्रोमेट आयन क्रोमेट आयन और डाई क्रोमेट आयन इंटर कन्वर्टिबल होते हैं और यह पीएच बेस्ड चलते हैं अगर आप क्रोमेट आयन की में क्रोमेट आयन है और आप पीएच कम करो एसिडिक मीडियम बढ़ाओ तो वो डाई क्रोमेट में कन्वर्ट हो जाता है फिर अगर व डाई क्रोमेट में है और आप वापस से बेसिक मीडियम बढ़ाओ तो फिर वो क्रोमेट में बदल जाता है हालांकि इसमें भी क्रोमियम प्लस 6 और इसमें भी क्रोमियम प् 6 में है यानी कि यह कोई रेडॉक्स चेंज तो नहीं है ठीक है हां बेसिक मीडियम में यह स्टेबल होगा क्योंकि बेसिक बढ़ा रहे हो तभी इधर आ रहा है और एसिडिक मीडियम में यह स्टेबल होगा पीएच डिपेंडेंट इंटर कन्वर्टिबल रिएक्शन होती है ऑक्सीडेशन स्टेट सेम रहती है रेडॉक्स रिएक्शन नहीं होती फिर बात करते हैं स्ट्रक्चर की स्ट्रक्चर में अगर बात करें तो क्रोमेट है ना पहले प्रिपरेशन देख लेते हैं आ जाओ पहले प्रिपरेशन की बात कर लेते हैं प्रिपरेशन जो है यह बनता है क्रोमाइट ओर से क्रोमाइट ओर होता है बेटा f2o 4 व्हिच इज अ मिक्स्ड ऑक्साइड ऑफ feo2 o3 तो feo2 में है और क्रोमियम + 3 में है अगर हम क्रोमाइट ओर का ऑक्सीडेशन करें हवा में जला के है ना हवा में इसको गर्म करेंगे तो यह ऑक्सी ऑक्सीडो ये देखो आयरन जो अपना + दो में था यहां + 3 में आ गया और क्रोमियम जो अपना + 3 में था वो + 6 में आ चुका है आयरन + 3 में बेसिक होता है और क्रोमियम + 6 में एसिडिक होता है बस इसी बात का फायदा हमने उठाया और हमारे हमारे को रिएक्शन में आगे ले जाना था क्रोमियम को और इसको यहीं पटकना था तो हमने बेसिक ले लिया सोडियम कार्बोनेट सोडियम कार्बोनेट बेसिक होता है बेसिक बेसिक को नहीं खाएगा बेसिक उठा के लाएगा किसको बेटा एसिडिक को और बन जाएगा एक येलो कलर का सॉल्यूशन जिसका नाम है सोडियम क्रोमेट येलो क्यों है क्योंकि क्रोमेट आयन है पीछे अभी बताया वो येलो कलर का है तो ये येलो कलर का सॉल्यूशन बन गया अब मीडियम को एसिडिक करूंगा तो क्रोमेट डाई क्रोमेट में बदल जाएगा और ये कौन सा हो जाएगा बेटा ऑरेंज ऑरेंज कलर का सॉल्यूशन बल जाएगा फिर मैं केसी के साथ रिएक्शन करूंगा तो मेरे को ऑरेंज क्रिस्टल्स मिल जाएंगे k2 cr2 o7 के सोडियम आयन हट जाएंगे पोटेशियम आयन लग जाएंगे पोटेशियम आयन जैसे ही लगेंगे इसकी जो केएसपी होती है वो लो होती है यह कम सॉल्युबल होता है इसीलिए सॉलिड के अंदर यह क्रिस्टल्स मिलना शुरू हो जाते हैं उस रिएक्शन में यहां पर यह ऑरेंज सॉल्यूशन है और यह ऑरेंज क्रिस्टल्स है स्ट्रक्चर्स की अगर बात करें तो स्ट्रक्चर में अगर हम बात करें तो क्रोमेट है और डाई क्रोमेट है बना सकते हो दो सिंगल दो डबल ठीक है टेट ड्रल ऑल सीओ बॉन्ड लेंथ आर इक्वल इसमें भी रेजोनेंस होगा दो डी पाई प पाई बॉन्ड है क्रोमियम का डी ऑक्सीजन का सेम वैसा ही जैसा पीछे था और एवरेज क्रॉ सीओ बॉन्ड ऑर्डर है वो 6/4 हो जाएगा बोथ आर डाया मैग्नेटिक बिकॉज अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन इनमें जीरो है क्योंकि क्रोमियम ् 6 में अनपेड इलेक्ट्रॉन जीरो रखता है उसके बाद अगर हम बात करें डाई क्रोमेट में तो यह थोड़ा इंटरेस्टिंग है ये इस तरह से बनेगा टू टेट्रा हेडरलैब्स होगा ये जो आपको पेयर दिख रहा है सीओ पेयर यह रेजोनेंस में पार्टिसिपेट नहीं करता ये तीन पेयर्स में रेजोनेंस चलता है यानी कि ये ये ये यहां की बॉन्ड लेंथ तो बराबर होगी इसे कहा जाता है टर्मिनल सीओ बॉन्ड लेंथ इनकी भी तीनों टर्मिनल बॉन्ड लेंथ बराबर होगी यानी कि यहां लिख सकते हैं पहले चीज तो 4 d पा प पाई बॉन्ड्स हो गए दो इधर दो इधर ऑल सीओ बॉन्ड लेंस आर नॉट इक्वल टर्मिनल वाली जो है वो छोटी होंगी क्योंकि यहां पार्शियल डबल बॉन्ड कैरेक्टर आ जाएगा यहां भी आ जाएगा टर्मिनल छो होगी और ब्रिज वाली छोटी नहीं बड़ी रह जाएगी क्योंकि ब्रिज जो है वोह रेजोनेंस में पार्टिसिपेट नहीं करेगा ना इधर से ना इधर से ठीक है बेटा तो यह साइज में कम ज्यादा होगा फिर एक इंपॉर्टेंट नोट है कि na2 cr2 o7 इज मोर सॉल्युबल देन k2 cr2 o7 यही कारण है है ना कि k2 cr2 o7 जो है वो प्राइमरी स्टैंडर्ड के तौर पर प्रेफर किया जाता है टाइट्रेस वगैरह आप करते हो फिजिकल केमिस्ट्री में तो एक प्राइमरी स्टैंडर्ड लिया जाता है जिसके बेसिस पर बाकी की कैलकुलेशन की जाती है तो इसलिए नहीं किया जाता है कि यह हाइग्रेवे दिक्कत आ जाएगी ठीक है तो इसलिए k2 cr2 o7 को लिया जाता है उसके बाद आता है रिएक्शंस ऑफ k2 cr2 o7 एक तो है ऑक्सीडर्म ऑक्सीडो पार्ट है वो ये है कि ये क्लोराइड आयन को ऑक्सीडो सेम ही है जैसा मैपर में उसका कारण है कि क्लोरीन इज फार मोर बेटर ऑक्सीडेंट देन डाई क्रोमेट आयन तो डाई क्रोमेट से अच्छा क्लोरीन ऑक्सीडेंट होता है इसीलिए वोह क्लोराइड से इलेक्ट्रॉन नहीं छीन सकता तो याद रखना यहां जोश जोश में cl2 नहीं करना है बाकी तुम जाओ जो कर सकते हो कोई दिक्कत नहीं है यह बदलेगा तो ऑरेंज कलर रहता है यह जाएगा प्लस ती में तो क्रोमियम प्लस 3 में ग्रीन कलर का हो जाता है बेटा अरे ठीक है चले आगे थर्मल डी कंपोजीशन की अगर हम बात करें तो k2 cr2 o7 टूटता है k2 cr4 cr2 o3 एंड o2 वही सेम चीज है जैसा kmno4 में था टूटेगा तो ऑक्सीजन को लात पड़ेगी तो अपनी ऑक्सीडेशन स्टेट को कम करेगा ये प्लस तीन वाला क्रोमियम आ गया ऑक्सीजन के लात पड़ गई ठीक है याद कर लेना यह चीज बहुत काम की है दोनों के2 c27 और kmno4 अच्छे ऑक्सी एजेंट है बिकॉज दोनों ही जो है वह अपनी अपनी स्टेबल ऑक्सीडेशन स्टेट अचीव करते हैं यह जो d3 है यह डी3 जो है य t23 स्टेबल होता है हाफ फीड स्टेबल और व जो है वो d5 होता है वो तो स्टेबल है ही इसे बोलते हैं हाफ फील्ड स्टेबल इसे बोलते हैं t2g हाफ फील्ड स्टेबल ठीक है बेटा क्योंकि t2g में तीन इलेक्ट्रॉन नीचे आते हैं इस केस में हालांकि मैंने वो फाइनल ऑर्डर लिखा है वहां mno4 cl2 और cr2 o7 ठीक है भाई एफ ब्लॉक जो है वो शुरू करते हैं लास्ट एफ ब्लॉक है हमारे पास लैंथेनाइड एंड एक्टीनोस लैंथेनाइड एक्टीनोस साफ-साफ पता है लैंथेनाइड होते हैं प्लस वो छठे पीरियड के ये सातवें पीरियड के ये ग्रुप थर्ड दोनों का सेम रहता है यह होते हैं सीरियम से लटेश और ये होते हैं थोरियम से लॉरेंशियम सबसे पहले बात करेंगे हम किसकी लेंथ ो इड्स की इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिन ये लिखा हुआ है आपके सामने इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिन की अगर हम बात करें तो ये लिखा हुआ है एक सेकंड यहां कुछ मिट गया है सही कर देता हूं ठीक है जो आपको हाईलाइट इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिन है जिन पर मैं स्टार लगा रहा हूं एक तो सबसे बीच का लास्ट का और सबसे पहला ये ऐसे हैं जिनमें d1 है और d1 का होना एक्सेप्शनल होता है ये देखो d1 का होना एक्सेप्शनल है बाकी सब में d0 है तो 5d 0 होना इज नॉर्मल 5d 1 होना इज एक्सेप्शनल जुगाड़ है अब तक 56 भरो यानी कि नोन और 6s 2 सब में जाएंगे बचे हुए इलेक्ट्रॉन आप 4f में भर दीजिए लेकिन मगर साथ ध्यान में रखिए कि सिनेमा गदर लुट गई यानी कि सीरियम गेडो नियम और लटेश में वन डालना है बाकी जितने इलेक्ट्रॉन बचे वो सब आप 4f में डाल ना यहां तक सब में कॉमन रखना है 54 + 2 56 ये वाला तो सब में सेम रहेगा बचे हुए इलेक्ट्रॉन 4f में जाएंगे इस बात के साथ कि तीन जगह पर d1 में वन भी जाएगा बाकी डिफरेंसेस जो है वह आप इसमें भर सकते हो डिफरेंस इलेक्ट्रॉन यह आपका हो जाएगा ठीक है भाई और आप देखो ऐसे भी याद करना है तो इसमें आप देखो f0 f2 और f8 नहीं है और f7 और f14 जो है वह रिपीट है इससे भी याद रह जाएगा आपको उसके बाद हम साइज की बात करेंगे लेंथ इड्स की साइज टॉप टू ब लेफ्ट टू राइट डिक्रीज होती है ड्यू टू जड इफेक्टिव इंक्रीज होता है और जड इफेक्टिव इसलिए इंक्रीज होता है क्योंकि इनमें लेफ्ट टू राइट इलेक्ट्रॉन 4f में भरे जा रहे हैं 4f में भरोगे तो सिग्मा डिक्रीज होगा फि सिग्मा कम होगा जेड इफेक्टिव इंक्रीज होगा उस वजह से लैंथेनाइड कंट्रक्शन लगता है इस सीरीज के अंदर हां यूरोपियम जो है वो अपनी पैकिंग एफिशिएंसी की वजह से उसकी मेटलिक रेडियस ज्यादा होती है तो वो सबसे बड़ा होता है जीरो में होता है लेकिन + 3 की अगर बात करो तो यूरोपियम वाली दिक्कत भी नहीं है रीजन सेम ही होगा लेफ्ट टू राइट लैंथेनाइड कंट्रक्शन की वजह से जो छे रीजन है वो इसमें भी है यानी कि m यानी कि न्यूट्रल में और + 3 दोनों में साइज का ऑर्डर जो है वो सेम ही चलेगा डिक्रीज ही होगा उसमें सिर्फ यूरोपियम छोड़ दो बाकी तो सेम ही है ना डिक्रीज ही है बाकी सब तो ठीक है भाई चलिए फिर ये देखो नोट लगा के लिखो कि अगर मैं हाइड्रोक्साइड की बात करूं या ऑक्साइड की बात करूं तो हमने पढ़ा हुआ है कि अभी हमने देखा कि इनकी लेफ्ट टू राइट जो है वो साइज डिक्रीज हो रही है यानी इलेक्ट्रोनेगेटिविटी बढ़ रही होगी इलेक्ट्रोनेगेटिविटी बढ़ने पर ऑक्साइडस का का और हाइड्रोक्साइड का एसिडिक नेचर बढ़ता है ये हमने पीरियोडिक टेबल में पढ़ा है और अगर एसिडिक नेचर बढ़ेगा तो बेसिक जो है वो डिक्रीज होगा सो वो जो है वो बेसिक है इधर से आने पर बेसिसिटी कम हो जाती है ये सबसे कम बेसिक है और यह सबसे ज्यादा एसिडिक होगा फिर कुछ ऑक्सीडेशन स्टेट से रिलेटेड बातें की हुई है इनकी कॉमन ऑक्सीडेशन स्टेट जो है वो + 3 होती है बेटा है ना मोस्ट स्टेबल ऑक्सीडेशन स्टेट भी इनकी जो है वो क्या होती है + 3 होती है कॉमन भी + 3 होती है हर कोई इनको प् 3 में ही आना पसंद है हालांकि कुछ एलिमेंट्स + दो और + च भी शो करते हैं कि उनको वेकेंट हाफ फीड और फुल फीड एफ स्टेबिलिटी मिल जाती है जैसे सीरियम ् 4 इसलिए होता है क्योंकि यह वेकेंट है यानी कि इनर्ट गैस का कॉन्फिन हो गया सीरियम यानी कि 58 58 में से चार निकाल दो तो 54 54 बोले तो नोन यह इनर्ट गैस जैसा कॉन्फिन हो गया है ना ये t ब + 4 इसलिए होता है क्योंकि इसको + 4 में 4f से मिलता है तो यह कभी-कभी प् चा दिखाता है ये y ब + 2 जो है ये इसलिए + 2 दिखाता है क्योंकि ये 4f 14 बनता है और यूरोपियन + दो में भी हाफ फील्ड बन जाता है इसलिए कहीं ना कहीं ये लिखा हुआ है कि कुछ एलिमेंट चार और दो भी दिखाते हैं तीन को छोड़ के उसका रीजन है कि उनकी स्टेबिलिटी उन्हें थोड़ी नजर आती है हालांकि यह लालच इनको इतना ज्यादा पसंद नहीं है जब भी मौका मिलेगा जब भी मौका मिलेगा यह फिर से + 3 में जाएंगे इसीलिए अगली स्लाइड पे लिखा हुआ है साफ-साफ कि सीरियम और टीबी + 4 ऑक्सीडो एजेंट है क्योंकि वो प्लस 3 में जाना चाहता है उनके ई नोट वैल्यू पॉजिटिव होते हैं अब आप सोचो वो दिखाते हैं कॉन्फिन की स्टेबिलिटी की वजह से लेकिन जब बात आती है तीन में जाने की तो बाकी सब भाइयों के साथ है क रे चलेंगे तीन में ही मोस्ट स्टेबल तो हम तीन में ही हैं छोड़ देंगे वो अपनी स्टेबिलिटी का लालच और तीन में आ जाएंगे सिमिलरली अगर ये दो वाले हैं और ये तीन में आ जाए तो ये रिडक्टेंट की तरह एक्ट करेंगे रिड्यूस एजेंट की तरह एक्ट करेंगे है ना तो ये दो वाले भी तीन में आना चाहते हैं वो चार वाले भी तीन में आना चाहते हैं जो चार वाले तीन में आएंगे वो ऑक्सीडेंट कहलाएंगे और यह दो वाले तीन में आएंगे तो इनको हम रिड्यूस एजेंट बोलेंगे कुछ प्रॉपर्टीज की अगर बात करें तो यह जितने हैं यह सब सिल्वरी वाइट मेटल्स होते हैं बेटा सिल्वरी वाइट मेटल होते हैं हवा में छोड़ने पर जल्दी से टनिल पड़ जाते हैं फीके पीले पड़ जाते हैं हार्डनेस इनकी लेफ्ट टू राइट इंक्रीज होती है जो सैमेरियम होता है वो स्टील हार्ड होता है उसका मैक्सिमम मेल्टिंग पॉइंट होता है है ना मैक्सिमम इन सीरीज गुड कंडक्टर ऑफ हीट एंड इलेक्ट्रिसिटी बताने की जरूरत नहीं है मेटल्स है लगभग सारे ट्राई वेलेंट जो है ये कलर्ड होते हैं लेकिन लैंथेनाइड इसलिए यह जो है वह डाया मैग्नेटिक होते हैं उनके एग्जांपल है लैंथेनाइड पेड इलेक्ट्रॉन जीरो होंगे तो यह सब डाया मैग्नेटिक होंगे और बाकी जिनमें अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन होंगे वो पैरा मैग्नेटिक होंगे नेक्स्ट आता है इनकी आयो इजेशन एनर्जी के बारे में बात तो आयनाइजेशन इनकी एनर्जी पहली और दूसरी कैल्शियम के बराबर होती है फिर इनकी तीसरी आयनाइजेशन एनर्जी की वैल्यू एनर्मेक निकालने के बाद तीसरा इलेक्ट्रॉन यह बहुत आसानी से देते हैं क्योंकि तीसरा इलेक्ट्रॉन कुछ एलिमेंट कौन लैंथेनाइड शियम के बारे में बात की हुई है ये तीनों एलिमेंट में से तुम दो इलेक्ट्रॉन निकाल दो तीसरा इलेक्ट्रॉन ये हाथ पकड़ के देंगे बोले भाई ले जा तीसरा इलेक्ट्रॉन निकलते ही ये कहीं ना कहीं स्टेबल हो रहे हैं किसी ना किसी तरीके से जैसे लेंथमैनू का कॉन्फिन अचीव कर रहा है इसलिए ये तीसरा इलेक्ट्रॉन बहुत जल्दी दे देगा दो निकालते ही तीसरा कले ले जा गेडो इनियम में से तुम तीन इलेक्ट्रॉन निकालो ग तो ये f7 हाफ फील्ड स्टेबिलिटी ले लेगा लटेश में से तुम तीन इलेक्ट्रॉन निकालो ग तो ये f14 बन जाएगा तो एनसीआरटी ने लिखा हुआ है कि आफ्टर रिमूवल ऑफ थर्ड इलेक्ट्रॉन दीज थ्री स्पीशीज अचीव एमटी यानी कि ये वाला हाफ फील्ड बोले तो ये वाला एंड फुल फील्ड ऑर्बिटल जो है स्टेबिलिटी जो है वो रिस्पेक्टिवली अचीव कर लेते हैं रिस्पेक्टिवली मतलब लैंथेनाइड शियम के सीक्वेंस में ही यह बात लिखी हुई है लैंथेनाइड नियम हा हाफ फील्ड और लटेश हम जो है वो फुल फील्ड कॉन्फिन अचीव करेगा यही कारण है कि इनकी एनॉनएसिस मेंबर्स जो है वो रिएक्टिविटी में सिमिलर टू कैल्शियम होते हैं जैसे-जैसे इंक्रीज होता है एटॉमिक नंबर वो एलुमिनियम की तरह बिहेव करने लग जाते हैं यानी लैंथेनाइड में जो शुरुआत वाले हैं वो कैल्शियम की तरह बिहेव करते हैं और जो बाद वाले हैं वो एलुमिनियम की तरह बिहेव करते हैं और यह सब तीन इलेक्ट्रॉन जो हैं खा के लेंथमैनू साफ लिखा हुआ है देखो मेरी बात सुनो ये क्या है इसने कहा कि अगर आप इनको + 3 से रो में ले जाते हो तो वैल्यू बहुत ज्यादा नेगेटिव है तो इसका मतलब है ये 0 से + 3 में जाने जाते है सिंपल सी बात है अगर तीन से रो की वैल्यू नेगेटिव है तो रो से तीन की वैल्यू पॉजिटिव होगी यानी ये सब इलेक्ट्रॉन छोड़ना चाहते हैं ये सब क्या करना चाहते हैं बेटा छोड़ना चाहते हैं ये l ए जो है ना ये कॉ सिंबल होता है फॉर ऑल लंथनॉइड है ना कॉमन सिंबल होता है ये ल लंथनॉइड ठीक है भा उसके बाद बात करते हैं अच्छा यह तो कुछ एक्स्ट्रा ऐसे ही समझाया उसको हटा दो प्लस तीन में स्टेबिलिटी का कारण है ड्यू टू हाई हाइड्रेशन एंथैल्पी इसके बाद कुछ रिएक्शन है जैसे अगर यह सब तो प्लस तीन में ही जाएंगे अगर ये नाइट्रोजन के साथ रिएक्शन करेंगे तो एल ए ए बनाएंगे एसिड के साथ रिएक्शन कर तो एसिड तो + 3 देगा है ना एसिड तो क्या देगा h2 गैस दे देगा इनके साथ h2 गैस निकाल देंगे एसिड के साथ तो क्योंकि इलेक्ट्रॉन देंगे और एसिड का जो h+ आएगा उसके साथ h2 गैस निकल जाएगी h2o में से ये तो खा जाएंगे यह तो क्या खा जाएंगे ओ और जो इलेक्ट्रॉन छोड़ेंगे उससे h2 गैस निकल जाएगी हैलोजन में भी ये l n x3 टाइप के हैलोजन बनाएंगे क्योंकि + 3 के हिसाब से कुछ कार्बाइड भी बनाते हैं ये है ना कुछ कार्बाइड भी बनाते हैं ये सल्फर के साथ और ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन तो सेम होगी है ना सल्फर और ऑक्सीजन में तो ये सल्फर -2 होता है और ये + 3 होते हैं तो ये हो जाएंगे ln2 h3 और ये हो जाएगा ln2 o3 ऑक्साइडस बन जाएंगे ये सल्फाइड बन जाएंगे इस तरह से ये रिएक्शन कर सकते हैं बस उसे + 3 में ले जाना है और बाकी के चार्जेस ये -2 बनाए ये - दो बनाएगा यह प्लव -1 बनाएगा यह ओ दे देगा एसिड जो है वो ये दे देगा बस इन चीज से आपको चीजों को ध्यान रखना है फिर बात आती है एक्टीनोस की एक्टीनोस जो होते हैं वो रेडियो एक्टिव एलिमेंट्स होते हैं बेटा ठीक है अर्ली मेंबर्स हैव रिएक्टिविटी लॉन्ग लाइफ होती है अर्ली र की तो है ना अर्ली हैव रिलेटिवली लॉन्ग हाफ लाइफ है ना द लेटर वन हैव द ए डे टू थी मिनट्स फॉर लोरेंस लॉरेंशियम जो है वो ती मिनट हाफ लाइफ होती है इसीलिए हम इनकी सारी प्रॉपर्टी पढ़ भी नहीं पाते इनके कुछ इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिन है जिसमें सब कुछ सेम है जैसे वहां परव था यहां पर भी डी ए वाले हैं जो कि यह रहे 91 92 93 96 103 एक इसमें ट का केस भी है जो सबसे पहला वाला थोरियम यह ट का केस है और इसमें जो है वह ए1 f18 नहीं होते और f71 होंगे यह आपके लिए जा रहा य आपको पढ़ना है 88 सब में भरना है यानी कि रेडन और 7 ए2 तो कॉमन चलेगा अब तक 88 तो सब में भरो जो बचे हुए इलेक्ट्रॉन है वो 5f में भरो मगर दो बातों का ध्यान रखो कि इसमें तो d2 करना है और इन सब में d1 करना है बाकी सब में डी जीरो छोड़ देना बाकी सब में डी जीरो छोड़ देना कोई दिक्कत नहीं है यह लो ठीक याद हो जाएगा पक्का ठीक है और इनमें एक्टन इड वो होते है जिनम फ सबल प्रोग्रेसिव भरी जाती है साइज की बात करें तो इनमें भी रो और प्लस ती किसी में भी देख लो एक्टिन कंट्रक्शन के कारण जो पुअर शिल्डिंग होती है 5f इलेक्ट्रॉन की लगातार 5f में इलेक्ट्रॉन भर रहे हैं शिल्डिंग पुअर हो रही है तो इनकी भी क्या होगी साइज डिक्रीज होगी एक्नो इड कंट्रक्शन इज मोर पावरफुल देन लैंथेनाइड कंट्रक्शन द रीजन इज मोर पुअर शिल्डिंग ऑफ फाइ एफ इलेक्ट्रॉन देन फर एफ इलेक्ट्रॉन तो शिल्डिंग जितनी पुअर होगी पावरफुल उतना ही कंट्रक्शन होगा तो वो जड इफेक्टिव के फार्मूले से भी वो चीज समझ जाई हुई है उसके बाद ऑक्सीडेशन स्टेट के बारे में बात करते हैं कॉमन ऑक्सीडेशन स्टेट हालांकि इनकी + 3 है लेकिन ये वेरिएबल ऑक्सीडेशन स्टेट दिखाते हैं द रीजन 7s 5f और 6d में कंपैरेटर्स कम होता है तो यहां से यहां से यहां से तीनों में से इलेक्ट्रॉन निकलना आसान होता है तो इनके पास रेंज है यह + 3 पे इतने अडिग नहीं है कि नहीं दूंगा + 3 के अलावा कुछ भी इनफैक्ट मैक्सिमम ऑक्सीडेशन स्टेट इसमें + 7 तक जाती है जो जो कि नेपच्यूनियम और प्लूटोनियम की होती है बेटा उसके बाद अदर इंपॉर्टेंट पॉइंट्स में इनकी आयो इजेशन एनर्जी लेंथ नॉइड से कम ही होती है क्योंकि ये नीचे आ रहे हैं इनकी शल नंबर ज्यादा है दूसरा साइज ग्रेटर देन थ लैंथेनाइड होते हैं लैंथेनाइड से बड़े होते हैं इसीलिए आयनाइजेशन एनर्जी भी कम होती है हाईली रिएक्टिव इन पाउडर्ड फॉर्म ओबवियसली अच्छे मेटल है बड़े मेटल है ज्यादा रिएक्टिव है इनकी रिएक्टिविटी की बात क्या करो यह रेडियोएक्टिव ही है तो इतने ज्यादा रिएक्टिव तो है ही ये जनरली ऑल एक्टीनोस जो होते हैं अगर आप उनकी कंसंट्रेट hno3 के साथ रिएक्शन करवाओ तो पैसिवेशन करेंगे यानी कि रिएक्शन दिखेगी नहीं हमें मगर होगा क्या जैसे ही कंसंट्रेट hno3 इनके ऊपर गिरेगा वह एक ऑक्साइड की लेयर बना देगा और वही प्रोटेक्शन करना शुरू कर देगा अब ए अब कंसंट्रेट hno3 ऊपर गिरेगा तो उसका कोई असर नहीं है यानी शुरुआत में जाके कंसंट्रेट hno3 एक ऑक्साइड की प्रोटेक्टिव लेयर बना देगा और वो लेयर फिर बाकी आने वाले hno3 के साथ रिएक्शन करने ही नहीं देगी तो यह आपका लास्ट पार्ट था और यह था हमारा डी एंड एफ ब्लॉक आई होप आपको सारी चीजें देखो बहुत फास्ट है कंटेंट बराबर है मैं 100% तो नहीं बोलूंगा बट मोर देन 90 90 टू 95 पर इनफैक्ट 95 पर कंटेंट इसमें है अगर इस कंटेंट के साथ कोई बच्चा एनसीआरटी रीडिंग लगा लेगा मेरा दावा है उसका डी एंड एफ ब्लॉक एकदम परफेक्ट है फॉर द नीट चलिए बहुत-बहुत शुक्रिया आपका थैंक यू थैंक यू सो मच मिलते हैं अगले चैप्टर में नमस्कार