तारक महता का उल्टा चश्मा हाँ टपू के पपा बोलिया अरे क्या बोलिया या पानी क्यों चला गया हे पानी चला गया आह क्यों अरे बाई तू मुझे क्या पूछ रही है मैं तूझे पूछ रहा हूँ क्यों चला गया तू मुझे बपस पूछ रहे है क्यों अम्या पानी चला गया है तो मैं कहां से पानी लेकर आओ अब भाई घर में किचन में कहीं तो आपका थोड़ा सा पानी दे ठीक है मैं देखती हूं तब पापा जल्दी लेकर आए पानी लावा आ नहीं नहीं मैं पानी लेकर नहीं आई हूँ मुझे याद आया कि भीड़े बाई ने कहा था कि कल से 50% पानी कम आएगा तो आज क्यों पानी चला गया अरे बाई वो सब चर्चा हम लोग हाँ हाँ टपू की पापा, आप आखे बहुत रखना, कहीं आखों में साबू चल गया, तो आखों में जलन होगी मैं टपू का पापा हूँ, टपू नहीं हूँ, मुझे पता है तो जल्दे पानी लेकर आ हाँ हाँ पानी ख़दम कैसे हो गया नहीं नहीं, इन्हें पानी दे दूँगी तो फिर हम लोग पीएँगे क्या? नहीं नहीं नहीं, हाँ यह ऐसे तरह पानी है, यह दे दूँगी. तो बहुत कम पानी है, थोड़ा और पानी मिल जाया, तो टपू के पापा को नाने में मज़ा जाएगा.
अब ये सर्वध इसमें नाल देती तो टेपू के पापा नालने के बाद लाल चेकक हो जाता क्या हुआ अबी अभी भी थोड़ा ही पानी है थोड़ा और पानी डाल दू तो और मुझ्या जाएगा अर्यो हाँ फ्रीजर में से वाह हो गया कुगे पापा, ये लिजे पानी आप अपने पुरिया रहे हैं और यह पुरिया रहे हैं और यह पुरिया रहे हैं और यह पुरिया रहे हैं और यह पुरिया रहे हैं आप पुरिया रहे हैं और यह पुरिया रहे हैं आप पुरिया रहे हैं और यह पुरिया रहे हैं आप जद्दी से नाहा लीजिये और देखिये गर्मी में तो ठंड़े ठंड़े पानी से नाहाने की बजाई कुछ और है कि अ कि अ