जीएसटी और कैश बुक पर लेक्चर नोट्स
मुख्य बिंदु
- कैश बुक का निर्माण:
- सिमरन के दैनिक लेनदेन से कैश बुक बनाना है।
- कैश बुक का फॉर्मेट:
- डेट
- पर्टिकुलर्स
- एल.एफ.
- अमाउंट
- 20 लाइन का कैश बुक बनाना है।
लेनदे न की प्रक्रिया
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मार्च 1:
- "कैश" से व्यवसाय शुरू करना:
- जर्नल एंट्री:
- डेबिट: कैपिटल अकाउंट
- क्रेडिट: कैश अकाउंट
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मार्च 3:
- गुड्स की खरीदारी:
- जर्नल एंट्री:
- पर्चेस अकाउंट: डेबिट
- इंपुट सीजीएसटी: डेबिट
- कैश अकाउंट: क्रेडिट
- गुड्स की लागत: ₹6850
- सीजीएसटी (6%): ₹411
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मार्च 4:
- मोहन को कैश का भुगतान:
- जर्नल एंट्री:
- कैश अकाउंट: डेबिट
- मोहन अकाउंट: क्रेडिट
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मार्च 6:
- बैंक में जमा:
- जर्नल एंट्री:
- बैंक अकाउंट: डेबिट
- कैश: क्रेडिट
- राशि: ₹40,000
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मार्च 9:
- कैश में गुड्स बेचना:
- जर्नल एंट्री:
- सेल्स अकाउंट: डेबिट ₹30,000
- आउटपुट सीजीएसटी: ₹1,800
- आउटपुट एसजीएसटी: ₹1,800
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मार्च 12:
- वेज ेस का भुगतान:
- जर्नल एंट्री:
- वेजेस अकाउंट: डेबिट ₹1,200
- कैश: क्रेडिट
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मार्च 13:
- स्टेशनरी की खरीदारी:
- जर्नल एंट्री:
- स्टेशनरी अकाउंट: डेबिट ₹400
- इंपुट सीजीएसटी: डेबिट ₹24
- इंपुट एसजीएसटी: डेबिट ₹24
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मार्च 23:
- बाकी ट्रांजेक्शंस का रिकॉर्डिंग:
- वेजेस, स्टेशनरी, सेल्स आदि की पूरी लिस्ट बनाना।
जीएसटी नियम
- डेबिट में रिकॉर्ड करें जब कैश आए
- क्रेडिट में रिकॉर्ड करें जब कैश जाए
- इनपुट जीएसटी को हमेशा खरीद पर चिपकाना है।
- आउटपुट जीएसटी को सेल पर चिपकाना है।
जर्नल एंट्री का फॉर्मेट
निष्कर्ष
- कैश बुक और जर्नल एंट्री बनाते समय जीएसटी और अन्य लेनदेन को सही ढंग से दर्ज करना महत्वपूर्ण है।
- सभी लेनदेन के साथ जीएसटी का भी ध्यान रखना चाहिए।
- लेक्चर में दी गई जानकारी को समझकर अगली कक्षा में इसका अभ्यास करें।
ये नोट्स जीएसटी और कैश बुक के निर्माण पर आधारित हैं, जो लेक्चर में चर्चा किए गए महत्वपूर्ण बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं।