हलो स्टूडेंट्स, वेलकम मैगनेट ब्रेंज, आपको हम इससे पहले कबीर दास की साखियों की व्याख्या और प्रशनभ्यास पुन्ण करा चुके हैं अब हम क्या करेंगे, मीरा के पद, हमारा पार्ट दो है, मीरा के जो पद हैं, उनकी व्याख्या करनी है मीरा जो हैं, वो एक राजदर्बार में प्याही और क्या कहते हैं उन्होंने शादी करने के बाद भी राजधर्वार में रहकर नहीं जबकि मंदिर में रहकर श्री कृष्ण के प्रती अपनी भक्ती को व्यक्त किया वो श्री कृष्ण को ही अपना सब कुछ मानते थे उन्हीं को अपनी अपना पती मानती थी तो उनके ही विंग में वह हमेशा रहती थी तो उन्हें के उसमें बहुत सारे उन्होंने पद लिखे अब हम जानते हैं उनके पद दो पदों की यहां पर हम व्याख्या करेंगे तो सबसे पहला पद हमको क्या कहता है हरी आप हरोजन भी भीर यहां पर आप पर क्या दिया है प्रभु यानि श्री कृष्ण आप यहां पर जो है लोग सब की पीर हरते आए पीर मतलब पीढ़ा को पीढ़ा जो तकलीफ होती है आप उसको हरते आए मतलब सब की पीढ़ा को आपने दूर किया है द्रापदी ली राजराखी आप बाढ़ेव चीर जिस प्रकार दौपदी का चीर हरण हो रहा था जब दौपदी का चीर हरण हो रहा था तो आप दें उसकी लाज बचाने के लिए के लिए उसके चीर यानि वस्त्र को इतना लंबा कर दिया कि उसका अपमान भरी राजसभा में नहीं होने पाए दूसरा एक्जाम्बल कहते थी भगत कारण रूप न रहे धरव आप सरीर और भरत आप प्रहलाद यहां पर प्रहलाद की जो जैना जान को बचाने के लिए आपने नरसिंग का रूप धारण किया था निर्णकश्रप से बचाने के लिए उन्होंने नरसिंग का रूप धारण किया था और आपने प्रहलाद को बचाया था जिस प्रकार सभी की जैसे द्रौपदी की तकलीफ हरी और फिर प्रहलात की तकलीफ हरी उसके परे बुढ़ेव गजराज राखेव काठी कुंजर पीर और आपने किस प्रकार डूब रहे हाती को बचाने के लिए आपने क्या जो है मगर मच्च की भी को भी मृत्यू प्राप्त करा दी थी एक बुढ़ा जो है हाती था वो पानी में डूब रहा था और उसको काने के लिए मगर मच्च आ रहे थे तो शिरी कृष्ण ने उन दोन मगरमच्चों को भी मृत्यु प्रदान कर दी थी यानी जब उनको मृत्यु प्रदान करी तो उनको मोक्ष की प्राप्ति हुई थी तो उन्होंने बताए कि आपने किस जिस प्रकार जो है गन गनराज बूड़े बूड़े दूपते हुए हाथी को बचाने के लिए मगरमच्चों को भी मृत्यु प्रदान कर दी थी दासी मीरा लाल की हरोमारी बीर और मैं क्या मैं भी आपकी ही दासी हूं मैं कौन हूं मैं आपकी दासी हूं हमेशा आपके चर्णों में पड़ी रहती हूं जिस प्रकार आपने सभी की पीड़ा को हरा है आप मेरी भी पीड़ा हर लो अर्थात आप भी मुझे अपने साथ कर लो और मुझे इस दुख्यारे संसार से अपने पास बुला लो अब इस जो हमने पद पड़ा इसका भावपक समझते हैं मीरा की कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति की भावना प्रकट हो रही है इश्वर की भक्तों पर दया करने की आदत पर प्रकाश जला के है किस प्रकार मनुष्य जब तकलीफ में होता है और और प्रकाश डाला है अब कलापक्ष यानि कि भाषा में क्या-क्या अच्छी बातें हैं भाषा सरल एवं सहस है भाषा प्रभाव प्रभाव प्रभाव उत्पन्न कर रही है जब उसको पढ़ते हैं तो हमें बहुत सारी कहानियां याद आती है और उन कहानियों से हमारे अंदर प्रभाव पढ़ता है फिर ब्रजभाषा के शब्दों के साथ से राजस्थानी भाषा के शब्दों का प्रयोग किया है देखो श्रीकृष्ण ब्रज के थे इसलिए ब्रजभाषा का भी समावश्य रहेगा मीरा के पदों में और मीरा खुद राजस्थान पूरी तरीके से पूरी तरीके से पूरी तरीके से पूरी तरीके से पूरी तरीके से पूरी तरीके से पूरी तरीके से पूरी तरीके से समयोग मिलेगा फिर फिर काटी कुंजर में अनुप्रास अलंकार है पूरे प्रद में दृष्टांत अलंकार का प्रयोग किया दृष्टांत यानि आपको डिफरेंट डिफरेंट दृष्यों को बताया गया है किसी एक दृष्य को नहीं अगर एक दृष्य होता तो वह दृष्टांत अलंकार हो जाता है फिर प्रतेज पंक्ति के अंतिम पद शब्द में तुकांत है हमने बताया तुकांत मतलब जो राइमिंग वर्ड जाते हैं तुकांत मिले हैं और गया आत्मक शैली है मतलब वह गांव कर इन सारी पदों को बोल रही है तो यह चीज आपको बहुत अच्छे से ध्यान दर्दनी है है फिर अब हमारा दूसरा पद शुरू होता है क्या है श्याम मारे चाकरो राखो जी गिर्धरलाल मारे चाके और आखो जी अब यहां पर क्या मीरा जी कहती है कि श्याम क्या बोलती है श्याम जी मुझे अपना नौकर रख लीजिए फिर दूसरी लाइन में बोलती है गिरधर मुझे अपना नौकर रख लीजिए चाकर रहस्यूं बाग लगाईऊं नित उठ दर्शन पाऊं वो क्या बोलती है जब मैं आपकी नौकर बन जाओं लगाऊंगी तो मैं एक सुन्दर सा बाग लगाऊंगी मैं एक सुन्दर सा बाग लगाऊंगी और रोज नित यानी रोज सुबह उठकर आपके दर्शन को प्राप्त करूंगी यानी आपके दर्शन विंद्रावन्ड सी फुंज गली में गोविंद लीला गाऊंगी और बोलते हैं क्या विंद्रावन्ड की गलियों में जो कुछ गलियां मतलब पतली पतली जो गलियां है विंद्रावन्ड की उसमें मैं गोविंद की लीला गाऊंगी मतलब श्री कृष्ण मैं आपकी लीला क आपकी नौकर रहूंगी जब मैं आपकी नौकर रहूंगी तो मैं आपके दर्शन हमेशा पाती रहूंगी सुमर्ण पाऊं खार्ची और हमेशा आपका ही स्मर्ण करती रहूंगी भाव वगीती जागरी पाऊं तीनु बाता बाता कि सरसी यहां पर तिया क्या है हमेशा हमेशा भाव भागती जागरी पाऊं यानि मैं हमेशा हर वक्त जागती रहूंगी हर वक्त जागकर आपके तीनों पहर गीत गाती रहूंगी आपके भावों को अपने अंदर हमेशा स्थापित रखूंगी मोर पितांबर सोहे अब यहां पर इन्होंने यहां तक तो इनकी भक्ति बताई उनके बारे में आप नौकर रख लेंगे तो मैं यह करूंगी अब उसके बाद क्या अब शिरी कृष्ण के रूप का वर्णन शुरू करती हैं यहाँ पर क्या बोलती है मोर मुकुट पीतांबर सोहे क्या बोलते हैं मोर का मुकुट जिसने धारन किया हुआ है और शरीर पर पीले वस्तर पहन रखे हैं गल वैजन्ती माला और गले में वैजन्ती फूलों की माला को धारन कर रखा है विरंदा वन में धेनु चरावे मोहन मुरली वाला और विरंदा वन में गाय चराते फिरता है मुरली धारन करने वाला चीके मुरली धारन करने वाला कौन है अरतात श्री कृष्ण है पूरे विरंदा वन में गाय को चराता रहता है रखा है और मुर्ली को धारण कर रखा है उच्छा उच्छा महल मावणा विच विच राखूं बारी ऊंचे-ऊंचे महलों में रहते हैं ऊंचे-ऊंचे महलों में रहते हैं और बाग हो उसमें छोटे छोटे से मैं मतलब आपने उचे उचे महलों को महलों को बना रखा है और मैं उसमें छोटे छोटे बागों को बनाओंगी उनके बीच में छोटे छोटे बागों को लगाओंगी सावरियारा दर्शन पाहू पहर कुसुंबी साडी और कहते हैं मीरा जी मैं कुस तो जनमा जीते तीरे यानि कि आधी रात में आकर आप मुझे दर्शन दीजिए कहां पर यमुना नदी के किनारे कहां प्राप्त करना चाहती है कि आप मुझे आधी रात में आकर यमुना जी के किनारे दर्शन को दीजिए मीरा रे प्रभु गृदर्णनागर हीवणो घाड़ो अधिरा और यहां पर क्या बोलती है कि मीरा के तो प्रभु सिर्फ गृदर्णागर है मुहिरा जी के प्रभु क्या है सिर्फ गृदर्णागर नागर है और उनके ही वड़े मतलब उनके हिरदे में सिर्फ उन ही का वासे किन का श्री कृष्ण का ही वासे है कि अब इनका कला पक्ष इनको क्या बोलता है कावे सौंदर भाव पक्ष में यहां मीरा बाई के दास्य भक्ति परिलक्षित होती है मतलब वह यहां पर दास्ता प्राप्त करना चाहती है दास्ता प्राप्त करने के लिए जो भाव उत्पन होते हैं वह उन्होंने यहां पर व्यक्त किए मीरा शेयर कृष्ण मिलने के लिए व्याकुल हो रही है निक्रिशन से मिलने के लिए व्याकुल हो रही है और उस व्याकुलता में वह क्या बोल रही है कि या तो आप मुझे नौकर बना लो ठीक है और फिर उसके उसके बाद क्या बोलती कुछ उन्हें साड़ी पहनकर मैं आप मुझे यमना जी के किनारे अपने दर्शन दीजिए श्री कृष्ण के रूप माधुरे का सजीव वर्णन है और यहां पर इन्होंने श्री कृष्ण के रूप का भी वर्णन किया हुआ है आगे कला पक्ष राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है जो भाव व्यक्ति से सक्षम है मतलब हर जगह आपको राजस्थानी भाषा मिलेगी पुनुरुक्ति अलंकार है। पुनुरुक्ति अलंकार वहाँ पे होते हैं जहां सेम शब्द होते हैं और सेम अर्थ होत वहाँ पर पुनुरुक्ति अलंकार होता है, वो दोनों शब्द एक साथ ही इस्तेमाल किये जाएंगे, वहाँ पर पुनर मतलब बार बार, पुनर मतलब दुबारा इस्तेमाल, तो वहाँ पर पुनुरुक्ति अलंकार होता है, तेरे संपूर्ण पद में माधुरे गुण प्रयोग है मतलब जब पूरा पढ़ते तो पढ़ने में बड़ा मजा आता है आप एक बार को उसके अर्थ में नहीं जाओ अगर सिर्फ उसको पढ़ते रहोगे तो वह अपने आप में आपको बहुत मजा देगा और गयात्मक सहली मतलब यह पदों को गा कर बिला ग हमने मीरा जी के पदों की व्याख्या को पून्ड किया है अब एक चीज़ ध्यान रखेगा मीरा जी ने जितने भी पद लिखे हैं वो सब श्री कृष्ण से रिलेटेड है तो इनकी जो भाषा रहेगी वो हमेशा एक चीज़ में कॉमन रहती है ब्रज भाषा मिली होगी और फिर उनकी स्थानीय भाषा अलंकारों को आप बहुत ध्यान से फाइंड कर सकते हैं बहुत जगा अलंकार दिये रहते हैं तो इन सब चीज़ों में आप काविस अंदर आपको बहुत अच्छे से समझ में आया होगा हम अपने प्रेवियस वीडियो में मेरा के पदों की व्याख्या कर चुके हैं अब उसके प्रश्नुत्तर को समझेंगे जो हमारे पाठी पुस्तक में रहते हैं कि वह पुस्तक में आपके क्या प्रश्न आपसे क्या पूछ रहे हैं तो सबसे पहला प्रश्न हमसे क्या पूछ रहा है पहले पद में मीरा ने हरी से अपनी पीड़ा हरने की विंति किस प्रकार की है तो उस पूरे प्रद पद में उन्होंने जिस एग्जांपल दिए आपको सारे वह एग्जांपल एक एक्सांपल उन्होंने द्रौपदी के चीरण कर दिया फिर दूसरा एक्सांपल उन्होंने प्रहलात का दिया फिर तीसरा उन्होंने डूपते हुए एक हाथी का दिया तो वह सभी आप यहां पर स्टेप बाइस स्टेप उनको आप बताएंगे और उसके बाद एंड में यह बताएंगे जिस प्रकार आपने सभी की पीड़ा को हरा है उसी तरह आप भी हमारी पीड़ा को हर लीजिए अर्थात अब मुझे इस संसार से अपने पास में बुला लीजिए वह सिर्फ श्री कृष्ण से मिलना चाहती है उनके पास जाना चाहती हूं का तकलीफ यह है कि वह सिर्फ उनसे उनसे प्यार करती है और उनके पास में जाना चाहती है तो इसको आप इस प्रश्न में लिखेंगे फिर नेक्स्ट क्वेश्चन हमारा क्या कह रहा है दूसरे पड़ में मीरा भाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती है स्पष्ट कीजिए सिंपल सी बात है वह चाकरी उनकी इसलिए उनके नौकर बनकर इसलिए रहना चाहती है ताकि वह हमेशा उनके सानिंद्य में रहें यानि उनके साथ में रहें वह अगर उनके साथ पर रहेंगी तो सुबह सबसे पहले उठकर उनके इनके सिवा कोई और नहीं आएगा तो इस तरीके से वह सिर्फ उनका सानिध्य पाने के लिए उनकी चाकरी करने के लिए तैयार है कि फिर नेक्स्ट मीरा ने श्री कृष्ण के रूप सौंदर का वर्णन कैसे किया है रूप सौंदर का वर्णन कैसे किया था उन्होंने कि श्री कृष्ण ने मोर मुकुट लगा रखा है पीले वस्त्र धारण कल रखे हैं और उन्होंने गले में वैजन पूरे गांव में क्या करते रहते हैं गायों को चराते रहते हैं और भूर्ली धारण कर रखी है बस आपको उसी वक्त तभी को यहां पर पूरी तरीके से व्याक्षा करके लिखनी है कि इस तरीके से उनके रूप सौंदर का वर्णन किया हुआ है फिर नेक्स्ट मीरा की भाषा शैली पर प्रकाश जा लिए हमने आपको बताया कि उनकी भाषा शैली कैसी थी तो सबसे पहले उनकी भाषा सरल और सहज है ठीक है उनकी भाषा में ब्रजभाषा और राजस्थानी भाषा का मेल मिलता है क्यों राप इसमें यह बता सकते हैं श्रीकृष्ण ब्रजभाषा निवासी थे इसलिए उनकी भाषा में ब्रजभाषा का समावेष्ट मिलता है और मीरा भाई खुद राजस्थान से थी इसलिए उनकी भाषा में राजस्थानी प्रभावी बहुत देखते हैं देखने को प्राप्त होता है फिर उनकी भाषा में बहुत सारे अलंकार भी थे तो क्या है अलंकारों में कौन से थे अनुप्राश है उत्मा है उत्प्रेक्षा है पुनरुक्ति है रूपक है इन सभी अलंकारों के आप नाम लिख देंगे फिर उनकी जितने भी पद है वह सभी गयात्मक शैली में है भक्ति रस्य परिपून है भावा व्यक्ति है मतलब भावों को व्यक्त कर रहे हैं तो यह सारी चीजें उनके आप भाषा शैली में मेंचन करेंगे अ फिर नेक्स्ट कोशिश क्या कहता है वे कृष्ण को पाने के लिए क्या क्या कार करने को तैयार है उन्होंने क्या बताया था वो सेविका बनने को तैयार है वो बाग बगीचे लगाने को तैयार है दिया था ना बाग बगीचे लगाना चाहती है वरंधावन की गलियों में चाहती हैं मुझे अच्छे महलों की खिड़कियां बनना चाहती है मतलब खिड़कियां थी न बना पड़े और उसमें छोटी-छोटी खिड़कियां और बगीचे बन जाना चाहती है और ताकि वह श्री कृष्ण के दर्शन पा सकें वह यमना पर के किनारे कुछ उन उनका सानिद्ध पाना चाहती है तो वह सारी चीजें आप इसमें लिखेंगे फिर नेक्स्ट हमारा अब यहां पर आगे आपको भाव व्यक्त करने भाव व्यक्त करना मतलब जो आपसे पक्तियां पूछी जाएंगी उन पक्तियों के अर्थ को यहां सपश्टिक करना है तो पहला क्या दिया है इन्होंने हरी आप हरो जनरी मीडियो प्र� द्रौपदी लिए राजराखि आप बाड़े और चीर भगत कारण कुछ पद्रिनरेशंग धरेव आप शरीर तो जितनी आपकी यहां तक पूछिए सिर्फ आपको यहीं तक का भाविष्पष्ट करना है क्या बोलते हरी हरी आपने सभी लोगों की पीड़ा को करा है आपने द्रौपदी की पीड़ा को हरने के लिए उसे अपमानित होने से बचाने के लिए भरी सभा में जब दुशाषण उनका चीर हर रहा था तो आपने उनके कपड़े को साडी को बहुत अधिक बढ़ा दिया दूसरा एक्सांपल आपने प्रहलाद को हिर्णा कश्चब द्वारा मारे जाने से बचाने के लिए नरसिंग का रूप धारण किया और प्रहलाद को बचा लिया तो इसकी आप द्याक्या करेंगे फिर नेक्स हमारा क्या पूछते हैं बूर्टो गजराज राखो काटी कुंजन पीर दासी मीरा लाल की गिर्दर हरो तो इसमें क्या बोलते हैं जिस तरह आपने डूपते हुए हाथी को मगर मुझ से बचा कर उस हाथी की पीड़ा को दूर किया था कि वह आति डूब डूब रहा था मगरमच उनको उसको डूब रहा था तो उसने आश्री कृष्ण क्या किया था मगरमच को मार दिया था तो वह आप बताएंगे जिस तरह आपने डूबते हुए गजराज यानि हाति को बचाने के लिए आपने मगरमच को मार दिया था उसी प्रकार आप इस दासी मीरा को भी अपने पास ले लीजिए उसकी भी पीड़ा को हर लीजिए कि नेक्स्ट वैख्या हमसे क्या पूछ रही है चाकरी में दर्शन पाऊं सुमड़न पाऊं खारची भाव भागती जागरी पाऊं तीसू बरती बरती यहां पर उन्होंने क्या बोला था प्रस्तुत पंक्तियों में मिरा कहती है वह दर्शन पाना चाहती बार-बार श श्री कृष्ण के दर्शन पाना चाहती है और उन्हीं को ही याद रखना चाहती है दिया है ना चाकरी दर्शन पाऊं सुमणन पाऊं खारची यानी कि बार-बार वह सिर्फ श्री कृष्ण के दर्शन पाना चाहती है और वह से सिर्फ उन्हीं का इस्मरण करना चाहती हैं भाव भागती जागरी पाऊं मतलब मैं आपकी दासी बन कर रहूं और वहीं पर बाग बगीचे लगाऊं तीनों पहर में आपके ही दर्शनों को पाऊं तो ये आपकी भाव की पंक्तिया हैं आप यहाँ पर लिखेंगे इस तरीके से हमने अपना पूरा पाट यहाँ पर समाप्त किया, हमने पदों की व्याख्या करी, उनकी भावशैली, कावविशैली को दर्शाया, उनके प्रशुत्रों को सॉल्फ किया, आई होब आपको अब ये पाट बहुत अच्छे से समझ में आ गया होगा, इसके आगे क