जब भी हम CPC यानि Civil Procedure Code 1908 पढ़ते हैं, तो ये हमें काफी ज़ादा Tricky लगता है, और सच बताओं, तो एक बहुत बड़ा सरदर्ध भी, क्योंकि इसमें सिर्फ Sections पे ध्यान नहीं देना होता, बलकि Orders और Rules पे भी ध्यान देना पढ़ता है, जो कि हमारी मुश्किलों को औ Hello everyone, मैं हूँ विश्ववर्धन, आप देख रहे हैं Phenology Legal और आज के इस वीडियो में हम बात करने वाले हैं ऐसे ही कुछ words के बारे में जो की आपको confusing लग सकते हैं और आज हम जो words की बात करने वाले हैं वो है Order, Decree और Judgment की हम जानेंगे कि इन तीनो words के differences क्या है बट before we start मैं एक announcement करना चाहता हूँ कि हमने CPC पे एक बहुत ही comprehensive course प्रेपेर किया है आपके लिए जहाँ पे हमने इसके सारे ही sections, orders और rules को simple language में explain किया है जो कि आपकी understanding civil laws की को और ज्यादा बढ़ा देंगे तो मैं आपसे request करूँगा कि आप learn.phenology.in पर जाकर इस course को जरूर check out करें सबसे पहले हम ये समझते हैं कि judgment decree और order होता क्या है उसके बाद हम जानेंगे कि इसका difference क्या है तो इसके लिए हम एक लेते हैं बहुत ही simple से example तो इसके लिए आप अपने mind को ले जाएए flashback में और याद करें कि आप एक classroom में हैं जहाँ पे exams चल रहे हैं और सामने एक teacher है तो exam शुरू होने के पहले teacher कहती है कि कोई भी बच्चा cheating नहीं करेगा अब हम इस instruction को मानते थे या नहीं मानते थे ये अलग बात है पर यहाँ पे जो teacher ने कहा वो एक order था क्योंकि वो exam के process को अच्छी तरीके से regulate करने के लिए था इसके बाद जो अगला bomb हम पे drop होता था वो था हमारी answer sheets का आना जहाँ पे हमने सारे ही issues यानि कि जो भी questions थे उसको answer किया था उसके reasons के साथ तो ये हो गया एक judgment अब इस judgment यानि आपकी answer sheet के basis पे आती थी हमारी mark sheet जिसमें ये फैसला होता था कि हम अगली class में promote होगे या फिर एक साल और उसी class में बैट कर juniors का mark दर्शन करेंगे तो इसे हम कहेंगे हमारी decree जिसमें फैसला होता था हमारी rights के बारे में I hope कि अब आपको एक general understanding आ गई होगी कि order, decree और judgment होता क्या है तो order वो है जो एक court पास करता है किसी भी proceeding को regulate करने के लिए, वहीं पर जो judgment होता है वहाँ पर court जितने भी issues हैं उसको answer करता है reasons के साथ, और एक जो decree है वहाँ पर parties के अधिकार का description होता है, तो देखिए ये तो हो गई एक simplistic approach इनके differences के बारे में, पर अब हम ध्यान देंगे थोड़े essentials के बारे में, देखिए essentials वो है जो एक एक order को order, एक decree को decree, और एक judgment को judgment बनाते हैं, और ये दिये हुए हैं CPC के under में, तो ये थोड़ा सा technical होने वाला है, इसलिए मैं चाहूँगा आपसे कि इस पे आप ध्यान दे कर सुनें, तो essentials समझने के लिए जो सबसे पहला word हम यहाँ पर ले रहे हैं, वो है judgment, तो देखिए judgment क तो जो पहला essential है वो कहता है कि एक judgment में होनी चाहिए statement of fact यानि कि जो पूरी कहानी हुई है उसे brief में एक judgment में mention किया जाना चाहिए दूसरा essential है point of determination यानि ऐसे सवाल जो कि court को decide करने है उस particular case में वो उस judgment में होने चाहिए तीसरा point है कि जो decision court ने दिया है जो भी सवाल खड़े हुए है उस पे court का क्या decision है वो mention होना चाहिए चौथा essential कहता है कि reason होना चाहिए, यानि कि जो भी फैसला court ने दिया है, वो क्यों दिया है, किस basis पर दिया है, वो reason उस judgment में होना चाहिए. अब इसके बाद जो second word आ जाता है, वो है decree. तो देखे, decree की जो definition है, वो CPC के section 2, sub section 2 में दी हुई है, साथ ही order 20 में ही decree के बारे में भी provisions दिये हुए हैं.
तो जो पहला essential है, एक decree का, वो है adjudication. तो adjudication का मतलब होता है कि, वो case जो की judges द्वारा decide किया जा रहा हो या जो court द्वारा decide किया जा रहा हो वो हो गया adjudication दूसरा point है suit यानि की वो एक civil case होना चाहिए और एक civil case को ही हम suit बोलते हैं तो एक decree जो है वो suit में ही pass होती है यानि civil case में pass होती है तीसरा point है जो की बहुत important point है वो है Rights of the parties यानि कि एक decree जो है वो हमेशा rights of the party यानि parties के हक को describe करती है तो ये हो गया third point चौथा point जो है वो कहता है conclusive determination यानि कि जो भी rights decide हुए है वो conclusive determined है यानि कि एकदम दूद का दूद और पानी का पानी हो चुका है और उसमें doubt की कोई गुणजाईश नहीं है कोट ने इस तरी पाचवा point है, वो है formal expression, यानि कि वो writing में होना चाहिए, तो एक decree जो है, वो हमेशा writing में होनी चाहिए, जैसा judgment होता है, तो I hope कि judgment और decree का difference तो आपको समझ आ गया होगा, तो आप आते हैं orders के essential पे, तो देखिए, order की जो definition है, वो तो आपको मिल जाएगी, section 2, sub section 14 के अंडर CPC के, और जो पहला इसका essential है, वो कहता है, कि pronouncement of civil code, यानि कि जो order है, वो civil code द्वारा pronounce किया गया हो, civil code द्वारा दिया गया हो, इसका एक मतलब और यह भी होता है, कि अब जब civil code pronounce कर रहा है, तो civil case में करेगा, और civil case को हम कहते है suit, यानि कि suit जो है, वो decree का भी essential है, साथ में order का भी essential है, तो यहाँ पे जो second point आता है order का, वो कहता है कि should not be a decree, तो अब दिफरेंस से बहुत important point है, जो हमने decree में देखा था, वो ये था, कि decree जो है, वो rights of the party को determine करती है, यानि party के हक के बारे में बात करती है, वहीं पर जब हम order की बात करते है, तो ये किसी भी party के rights को determine नहीं करती है, तो ये एक बहुत बड़ा difference है between order और decree, और जो last essential है, order का वो कहता क्लियर हो गया होगा डिक्री और ओर्डर में भी और ओर्डर और जज्मेंड में भी तो चलिए ओर्डर को थोड़ा सा और क्लारिटी देने के लिए एक सिंपल सा एग्जाम्पल लेते हैं माल लीजिए आज मुझे किसी केस में कोर्ट के सामने प्रेजेंट होना था लेकिन मै तो यहाँ पर देखिए किसी भी पार्टी की rights determine नहीं हो रही है ना मेरी ना plaintiff की जिसने मेरे against case file किया है पर यह एक warning है मेरे लिए कि देखो विश्ववर्धन तुम्हारी वज़े से court की proceeding ठीक से नहीं चल रही है इसलिए अगली जो hearing date है उसमें पेश हो जाना 1000 रुपए fine के स डिक्री और जज्जमेंट होता क्या है और ये एक्जांपल है आयोध्या वर्डिक्ट का तो देखिए आयोध्या वाले केस में जब ट्रायल कोट ने आर्किलोजिकल सर्वे अफ इंडिया को ये कहा था कि आप साइट पे जाएए वहाँ पे एक्सकवेट करेए यानि खुदाई करेए और इंविस्टिगेट करेए तो ये था एक ओडर अब जो trial court है उसने बहुत सारे evidences को study किया, उन्हें analyze किया और उसकी basis पे उन्होंने अपना फैसला सुनाया और इसी फैसले को हम कहते हैं judgment तो अब क्या आपको पता है कि आयोध्या verdict का judgment था वो कितने pages का था तो ये था 1045 page का, जी हाँ 1045 pages का judgment था अब आप खुद सोच के देखिए एक party है जिसे जानना है कि उसे कौन से अधिकार मिले हैं या उसकी rights क्या है क्या उसे वो पूरा 1045 पेज का जज्जमेंट पढ़ना होगा? तो नहीं, बिल्कुल नहीं. इसी के बाद आता है अगला डॉक्यूमेंट जो ठीक हमारी मार्क शीट की तरह ही होता है, जिसमें हम कहते हैं डिक्री, जिसमें सिर्फ इतना दिया हुआ होता है कि किस पार्टी को उस केस में कौन सी राइट्स डिसाइड हुई हैं. और ऐसे ही सिंपलिस्टिक वे में हमने हमारे CPC के कोर्स में भी सारे कंसेप्ट को बहुत इजी लाइंग्वेज में समझा है.
तो मैं आपसे एक बार फिर रिक्वेस्ट करूँगा कि आप learn.phenology.in पर जाके हमारे इस course को जरूर चेक आउट करें। और ऐसे ही लेटिस वीडियो के लिए हमारे इस YouTube चैनल को शेर करें, सब्सक्राइब करें और इस वीडियो को भी लाइक करें। और साथ यह आप हमें फॉलो कर सकते हैं इंस्टाग्राम पे आट फेनलॉजी