जिस तरह एक dance performance में dancers के बीच में अगर अच्छा coordination हो तो एक बहुत अच्छा form बन सकता है ठीक उसी तरीके से अगर atoms और ions के बीच में अच्छा coordination हो तो कुछ बहुत ही useful coordination compounds बन सकते हैं Hello everyone मुझे उम्मीद है कि आप सभी अच्छे हैं और आज मैं लेकर आए हूँ class 12th chemistry coordination compounds का one shot video हमेशा की तरह ख़तम करेंगे इस पूरे lesson का सिर्फ एक video में और इस एक video को देखने के बाद आपके concepts होंगे crystal clear तो मैं हूँ रोश्णी from LearnOhHub the free learning platform जहाँ पर आप physics, chemistry, maths, biology सब कुछ पढ़ सकते हो absolutely for free at learnohub.com सो तयार हैं सबी लोग let's get started तो बच्चो पहला सवाल जो दिमाग में आता है कि coordination compounds होते क्या हैं? तो well coordination compounds जैंगे ये complex molecules होते हैं, yes ये complex ही होते हैं, simple बिल्कुल नहीं होते हैं. तो ये complex compounds होते हैं जिसके अंदर हम देखेंगे कि एक एक मेटल आटम होगा जो या तो नेटरल मॉलिक्यूल या फिर एनाइन यानि कि नेगेटिव चार्ज आईएन के साथ बाउंड बाउंड बनाया हुआ रहेगा बाई शेयरिंग ऑफ इलेक्ट्रोंस तो इस तरह के कंपाउंट को हम को ऑडिनेशन कंपाउंट कहते हैं एग्जांपल के तौर पर इस को ऑडिनेशन कंपाउंड को ही देख लो अब इसके स्ट्रक्चर को देखो किसी भी आंगल से सिंपल लग रहा है नहीं लग रहा है कॉम्प्लेक्सी लग रहा है इन फैक्ट इस लेसन के अंदर जितने भी स्ट्रक्चर्स आपको दिखेंगे न रखें एक दो तीन चार पांच बॉंड बना रखें किसने एनेच त्रीन है अमोनिया ने अमोनिया क्या है एक नेटरल मॉलिक्यूल है डाइट तो कोबाल्ड के साथ एक नेटरल मॉलिक्यूल ने बॉंड बना रखा है और यह कैसा बॉंड है शेयर करती है दोनों पार्टी डाइट यहां पर किसी और तरह की शेयरिंग होती है चले यह सब तो सीखेंगे धीरे-धीरे लेकिन मैं सबसे पहले तो आप यह बताओ कि हम पड़े हैं क्यों अ जब दिखी रहे हैं इतने complex हैं तो हम coordination compounds क्यों पढ़ें?
क्योंकि बहुत सारे areas में इनकी applications हैं, अगर हम plants की बात करें, तो plants में chlorophyll क्या होता है? I am sure सबको पता है right? chlorophyll कितना important होता है, chlorophyll की वज़े से ही तो plants अपना खाना खुद बना पाते हैं and do you know chlorophyll जो है ये coordination compound है magnesium का, हीमोग्लोबीन की कमी हो जाती है तो डॉक्टर समय धेर सारी दमाईयां खिलाते हैं हीमोग्लोबीन एक एक कोडिनेशन कंपाउंड है आइरन का अगर बात करें विटामिन बी 12 की जिसकी डेफिशियंसी भी बहुत तरह की प्रॉब्लम्स क्रियेट करती है तो विटामिन बी 12 कई सारे reagents में भी coordination compounds का use पाया जाता है अब तो convinced हो coordination compounds पढ़ने के लिए अब coordination compounds के concept को समझाने के लिए market में कई सारी theories आएं जैसे कि verner's theory, valence bond theory, crystal field theory, molecular orbital theory, ligand field theory, electronic theory भाई इतनी सारी theories, yes लेकिन फिलाल इस level पे हम सुरफ 3 theories पढ़ेंगे verner's theory, valence bond theory and crystal field theory पहले बात करेंगे वर्नर थियोरी के बारे में वर्नर थियोरी अफ कॉर्स आलफ्रेड वर्नर के नाम पर यह नाम रखा गया है जिन्होंने पहली बार कॉंप्लेक्स को फॉर्मूलेट किया था मतलब कॉंप्लेक्स को फॉर्मूला के तौर पर उन्होंने पहली बार लिखा चलो देखते हैं तो चलो कहानी सुनते हैं शुरुवात से कि भाई आलफ्रेड वर्नर ने क्या किया कैसे किया तो वर्नर ने सबसे पहले तो कुछ कंपलेक्स लिए एक सीरीज ऑफ कंपाउंड्स लिए जैसे कि कौन से कंपाउंड्स लिए कोबाल्ड क्लोराइड और अमोनिय उन्हें solution में white precipitate मिला किसका silver chloride का यानि कि इन सब के साथ reaction होने पे silver chloride मिल रहा था लेकिन कितना सिल्वर क्लोराइड मिल रहा था, that was little different, सब जोग सेम सिल्वर क्लोराइड नहीं मिल रहा था, कैसे पता चला वर्नर को, वर्नर ने क्या किया, इन solutions की conductivity को measure किया, ठीक है, उन्होंने notice किया कि पहले केस में कंडक्टिविटी सबसे ज्यादा थी उससे कम सेकंड केस में उससे भी कम थर्ड केस में कंडक्टिविटी ज्यादा कब होती है जब नंबर आयों ज्यादा होते हैं सॉल्यूशन में क्योंकि भाई आयों सी तो कंडक्ट करते हैं तो इसका तो यह मत तब हुआ कि पहले केस में सबसे ज्यादा number of ions है, उससे कम second case में है और उससे भी कम third case में है, तो इस experiment से Werner को थोड़ा सा idea लगा, और उस idea से Werner ने क्या किया, इन सारे compounds को formulate किया, इन सारे compounds को formula के तरह लिखा, कैसे लिखा, देखो, Werner को ये समझ में आया, कि भाई देखो, मेर अब हम notice कर रहे हैं कि जो product आ रहा है वो क्या है AGCL मतलब silver के साथ इस compound का कौन सा वाला part निकल के जा रहा है chloride वाला part जा रहा है है ना मतलब chloride जो है वो cobalt को छोड़ के चला जा रहा है silver के साथ मिलने के लिए लेकिन NH3 जो है ये cobalt को छोड़ के कभी नहीं जा रहा है है ना त तो सारे के सारे एनेच त्री है जैसे पहले के इसके लिए अगर मैं बात करूं तो यह जो चेयर एनेच त्री के मॉलिक्यूल्स है यह हमेशा हर डिफिकल्ट टाइम्स पर भी कोबाल्ड के साथ जुड़े हुए हैं तो वर्नर ने इनको कैसे फॉर्मुलेट किया सीओ एनेच थी वोल्ड सिक्स इस पूरे को एक स्क्वेयर बैकेट के अंदर में रखा ठीक है छोड़ के कौन जा रहा था छोड़ के जा रहा था क्लोराइड तो देखो क्लोराइड को उसने स्क्वेयर बैकेट के बाहर रखा बाप इसलिए नहीं रखा क्योंकि उसने क्या देखा कि जो number of ions हैं वो भी vary कर रहे थे correct जैसे जैसे हम इस series के पहले case से दूसरे case दूसरे case से तीसरे case में जा रहे थे तो हम क्या देख रहे थे कि भी जो number of ions हैं वो क्या हो रहे हैं वो कम हो रहे हैं यानि कि जो number of Cl-है जो इस cobalt को वन से टू और टू से थी जाते-जाते कम हो रहे हैं बात समझ में आई बात समझ में आई चुकी कम हो रहे हैं तो अब समझ में आ रहा है कैसे एक्सपेरिमेंट से उन्होंने रिलेट किया तो इस एक्सपेरिमेंटल रिजल्ट से रिलेट करते हुए वर्नर पहली बार एक ऐसे साइंटिस्ट से जिन्होंने इस तरह के कॉंप्लेक्स को फॉर्मुलेट कर डाला ठीक है तो हैं इसके अंदर कुछ ऐसे मॉलिक्यूट अ फूल्स होते हैं जो इनसे बिल्कुल ऐसे जुड़े होते हैं कि वह छोड़कर जाते नहीं है वह आयोनाइज नहीं होते हैं कुछ ऐसे होते हैं जो जरूरत पड़ने पर इन्हें छोड़कर चले जाते हैं ठीक है तो छोड़कर नहीं जाते हैं हैं और यहीं से शुरू हो जाती है वर्नर थ्यूरी ऑफ कोडिनेशन कंपाउंट वर्नर ने सबसे पहली बात साफ-साफ यह बताओ दी थी कि भाई कोडिनेशन कंपाउंट के अंदर जो सेंट्रल मेटल आटम होता है यह दो तरह के वैलेंसी शो दो करता है प्राइमरी वैलेंसी एंड सेकेंडरी वैलेंसी प्राइमरी वैलेंसी इसका होती है प्राइमरी वैलेंसी बेसिकली होता है ऑक्सीडेशन नंबर ऑफ द टेल आटम ठीक है ऑक्सीडेशन नंबर बोले तो चार्ज समझ लो मतलब उस टेल आटम पर कितना चार्ज है या फिर कितना चार्ज होता अगर हम अज्योम करें कि वह आयोनाइज कर जाए ठीक है तो बोलने का मतलब हुआ कि जो प्राइमरी वैलेंसी है यह कैसी होती है यह आयोनाइज बल होती है अभी अभी हमने बात करी थी ना कि coordination compounds में कुछ चीजे square brackets के अंदर होती हैं जो आसानी से ionize नहीं करती हैं कुछ चीजे square bracket के ब्राहर होती हैं जो ionize कर जाती हैं जरूरत पढ़ने पे तो primary valency जो है ये ionizable होती हैं मतलब जरूरत पढ़ने पे ये ionize कर जाती हैं ये ions के form में त� bracket के अंदर क्या है FEC and hole 6 मतलब FEC and hole 6 कभी भी एक दूसरे को छोड़के नहीं जाएगा यह ionize नहीं करेगा लेकिन ionize क्या कर सकता है K plus और बाकी की पूरी चीज minus यह ionize कर सकता है तो यह क्या हो गया तो जो ionizable होती है that is the primary valency metal atom का primary valency निकालो इसका मतलब है आपको क्या निकालना है उस metal का oxidation number निकालना है oxidation number निकालना तो हम already प्रदिस्ट चुके है हाला कि यहां भी जब हम प्राक्टिस करेंगे तो एक बार फिर से रीकाप हो जाएगा, अब बात करेंगे secondary valency की, secondary valency क्या होती है, अब तक तो सबने गेस कर लिया होगा कि जो non ionizable है, यानि कि जो square bracket के अंदर है, जैसे कि Fe, Cn, Hole 6 इस example में ये दोनों को हम Fe+, Cn-में तोड़ नहीं सकते हैं, आयोनाइज नहीं कर सकते हैं, तो secondary valency is non-ionizable होती है, secondary valency जब हम बोलते हैं metal atom का, तो हम किसकी बात करते हैं, करते हैं हम बात करते हैं उसके को ऑडिनेशन नंबर की को ऑडिनेशन नंबर क्या होता है वह मेटल आटम कितने को ऑडिनेशन बॉंड बना रहा है ठीक है जैसे कि अगर मैं इसी एग्जांपल की बात करूं तो आइरन मेरा सेंट्रल मेटल आटम आटम है यह कितने को ऑडिनेशन बॉंड बना रहा है देखो स्क्वेयर ब्रैकेट के अंदर यह 6 सीएन माइनस के साथ बॉंड बना रहा है जानी कि इसका को ऑडिनेशन नंबर कितना हो गया 6 हो गया यानी कि इसकी सेकेंडरी वैलेंस कितनी हो गई 6 हो गई उसी तरह अगर हम ये दूसरा example देखें यहाँ पर central metal atom क्या है cobalt है ये कितने लोगों से जुड़ा हुआ है लोगों से मतलब यहाँ पर कितने ammonia से जुड़ा हुआ है 6 ammonia से जुड़ा हुआ है यानि कि cobalt कितने coordinate bonds बना रहा है 6 तो यानि कि cobalt का coordination number कितना हो गया 6 यानि कि cobalt तो कह दी थी कि यार कोडिनेशन कंपाउंट में मेटल्स जो होते हैं यह दो तरह के लिंकेज शो करते हैं प्राइमरी लिंकेज एंड सेकंडरी लिंकेज बोले तो दो तरह की वैलेंसी शो करते हैं प्राइमरी वैलेंसी एंड सेकंडरी वैलेंसी अगर बात करें प्राइमरी वैलेंसी की तो प्राइमरी वैलेंसी क्या होता है मतलब यह होता है मेटल का ऑक्सिडेशन नंबर बोले तो मेटल का चार्ज चार्ज बोले तो मतलब अगर यह जून कर लें कि मेटल पायोनाइज कर जाए तो उसके ऊपर कितना चार्ज होगा देट इस बेसिकली दॉक्स अप्सेडेशन नंबर ठीक है ओके तो जैसा कि हमने पहले भी थोड़ा बहुत डिस्कस किया था कि जो प्राइमरी वैलेंसी होती है ना यह नॉर्मली आयोनाइजेबल होती है मतलब जरूरत पड़ने पर यह क्या हो जाते हैं आयोंस में टूट जाती है फॉर एग्जांपल अगर हम एक कोडिनेशन कंपाउंड की बात करें लेट से के फॉर एफीसी एन होल सिक्स टीक है तो इस कंपाउंड में अगर आप देखो तो स्क्वेयर बैकेट्स के बाहर क्या है पोटाशियम तो जरूरत पड़ने पर यह कैसे आयोनाइजेबल निकल आता है और एपिसीन होल्ड सिक्स माइनस अलग से निकल आता है तो इस इन आईएज एबल तो जो आईएज एबल होता है देश बेसिकली द प्राइमरी वैलेंसी या फिर प्राइमरी लिंकेज ठीक है दूसरी तरफ जो स्क्वेयर ब्रैकेट्स के अंदर होता है वह आईएज के फॉर्म में डिसोशिएट कभी नहीं होता है एंड वेट वीडियो के बाउट सेकेंडरी वैलेंसी तो मेटल के जो सेकेंडरी वैलेंसी होती है देश बेसिकली द कोडिनेशन नंबर मतलब वह जो मेटल है वह दूसरे आयों या दूसरे मॉलिक्यूल के साथ कितने को ऑडिनेट बॉंड बना रहा है बाट टेल्स यू द को ऑडिनेशन नंबर जो सेकेंडरी वैलेंसी होती है सेकेंडरी वैलेंसी हमेशा नॉन आयोनाइज बल होती है मतलब चाहे कुछ भी हो जाए बांधी आ जाए तूफान आ जाए बट यह अपने आयों आयों से डिसोशिएट नहीं करते तो अगर एग्जांपल के तौर पर हम फिर से उसी को ऑडिनेशन कमपाउंड की बात करें एफीसी एन होल सिक्स वाले कमपाउंड की तो यहां पर मेरा सेकेंडरी वैलेंसी कितना है iron का secondary valency कितना है देखो ध्यान से iron के साथ square brackets के अंदर कितने लोग जुड़े हुए हैं 6 CN जुड़े हुए हैं यानि कि इसका coordination number या फिर secondary valency हो जाएगी 6 अगर हम एक और example ले ले इस coordination compound में हमारा central metal atom क्या है cobalt cobalt के साथ square bracket के अंदर कितने NH3 जुड़े हुए हैं 6 तो यहाँ पर cobalt का भी जो secondary valency हो जाएगी हो जाएगा विल बी सिक्स अब अगर आप बात करो प्राइमरी वैलेंसी की प्राइमरी वैलेंसी हम कैसे निकालते हैं मेटल के ऑक्सडेशन नंबर को निकालते ऑक्सडेशन नंबर कैसे निकालते हैं यह तो हमने ऑलरेडी क्लास 11 में यहीं पर वर्नर्ड दे दिया अगला कॉन्सेप्ट ऑफ क्वाइड इनेशन पॉली हेड्रन क्वाइड इनेशन पॉली हेड्रन किसी कहते हैं हम लिंकेज बनाते हैं और देख सब्सक्राइब बॉर्ड टिक तो यह मेटल आटम अलाव विद यह सेकेंडरी लिंकेज जो भी चीज बनाते हैं उसका एक स्पेसिफिक स्पेशियल अरेंजमेंट होता है बोलने का मतलब है लेकिन सपोस यहां पर एक सेंट्रल मेटल आटम चीज अब यह सेंट्रल मेटल आटम लेकिन से चार कोडिनेट बॉंड बना रहा है मतलब एक बॉंड ऐसे एक ऐसे एक ऐसे ठीक है अब यह चार कोडिनेट बॉंड से यह एक स्पेसिफिक स्पेशियल अरेंजमेंट एक चेंजमेंट बनाता है हेड्रल अरेंजमेंट बनाया इसने तो वो जो स्क्वेर ब्रैकेट के अंदर वाला जो पार्ट है जो सेकेंडरी लिंकेज से बनता है वो वाले पार्ट का हमेशा एक स्पेसिफिक स्पेशियल अरेंजमेंट होता है जिसे हम कह सकते हैं कि एक स्पेसिफिक जियोमेट्री हो चीज को हम कहते हैं को ऑडिनेशन पॉली हेड्रेड ठीक है अब जैसे-जैसे को ऑडिनेशन नंबर चेंज होगा जैसे मान लो अगर सेंट्रल आटम जो है यह चार और चीजों से जुड़ा हुआ है लेकिन चार को ऑडिनेशन बॉंड बना रहा है तो यानि कि को ऑडि नंबर इसका चार है तो उस केस में इसका जो स्पेशियल एरेंजमेंट है देट इज टेक्ट्रा हेड्रन टेक्ट्रा मतलब चार फेसेस वाला स्ट्रक्चर तो कुछ इस तरीके का स्ट्रक्चर राइट जहां पर यहां पर बीचों बीच कहीं पर है सेंट्रल आटम और तो यह चार फेसेस वाला स्ट्रक्चर टेक्ट्राहेड्रन एक फेस यह एक फेस यह एक फेस यह और एक फेस यह तो टोटल फोर फेस वाइट टेक्ट्राहेड्रन उसे तरीके इस तरीके से चार कोडिनेट बॉंड एक बॉंड तो यहां पे मुझे किस तरीके का कोडिनेशन पॉली हेडरन मिल रहा है स्क्वेर प्लेनर पॉली हेडरन देखो स्क्वेर की तरह दिख रहा है एक प्लेन में लाइक करने वाला एक स्क्वेर देट इस स्क्वेर प्लेनर अब वहीं अगर एरेंजमेंट कुछ इस तरीके का हो चेक वॉडिनेट बॉंड बना रहा है एक दो तीन चार पांच और छह अगर ऐसे चेक वॉडिनेट बॉंड बना रहा है तो देखो किस तरीके का पॉलीजर बन रहा है ऐसा एक पॉलीजर बन रहा है जिसके टोटल एट फेसेस है एंड देट इस वाइट इस वॉडिनेट बना रहा है एक दो तीन चार और ठीक उसे तरीके से नीचे की तरफ एक दो तीन चार तो टोटल एट वाला पॉलीड्रन जिसे हम कहते हैं ऑक्टाहेड्र पॉलीड्रन तो कुल मिला के कहानी कुछ यू हुई यार कॉर्डिनेशन कमपाउंड्स में जो स्क्वेर ब्रैकेट्स के अंदर वाला पार्ट होता है यानि की जो पार्ट मेटल और बाकी आयन्स या मॉलिक्यूल के बीच हैं वहां पर हम किसकी बात कर रहे हैं डिरेक्शनल बात कर रहे हैं नाइट मतलब यहां पर जो एंजमेंट हो रहा है वह एक पर्टिकुलर डिरेक्शन में हो रहा है पर्टिकुलर ओरियंटेशन में हो रहा है और इसी वजह से हम रहते हैं कि जो कोडिनेट बॉंड्स होते हैं यह डिरेक्शनल होते हैं तो वर्नर थिवरी के हिसाब से कुल मिला के हमें यह पता चला कि यार यह जो हमारा कोडिनेशन कंपाउंड होता है इसका जो सेकेंडरी लिंकेज वाला पार्ट होता है देट बेसिकली फॉर्म सफ कोडिनेशन पॉलीएड तो बच्चों कुछ कोडिनेशन पॉलीएड रंग के examples की बात करेंगे by taking specific examples ठीक है पहला example है CO NH3 hole 6 3 plus तो यहाँ पर देखो हमारा central metal atom है CO, CO जुड़ा हुआ है 6 ammonia molecules से तो assume कर लो कि इस पूरे structure के बीचो बीच cobalt है और यह 1, 2, 3, 4, 5 और 6 ammonia से जुड़ा हुआ है तो हमें कैसा polyhedron मिलेगा octahedron राइट अब इसे इसी तरह अगर हम दूसरा example लेते हैं CO, CL, NH3, hole 5, 2+, यहाँ पर आप बोलोगे कि CO जो है ये 5 NH3 से जुड़ा हुआ है, बट 1 CL से भी तो जुड़ा हुआ है, क्योंकि वो 1 CL जो है वो भी square bracket के अंदर है, तो कुल मिला के 5 NH3 और 1 CL तो यहाँ पर भी total 6 bonds बना रहा है, तो यहाँ पर भी जो structure होगा, जो polyhedron होगा, वो कैसा होगा, octahedron, अगर बात करें CO, CL2, NH3, hole 4+, की, तो यहाँ पर यहां पर कोबाल्ट दो क्लोरीन और चार एनेच थ्री से जुड़ा हुआ है तो कुल मिला के कितने लोगों से जुड़ा हुआ है छह लोगों भी कैसा है ऑक्टा हेड्रन तो यह जो तीनों एग्जांपल्स थे यह तीनों ही कैसे एंटिटीज है ऑक्टा हेड्रल एंटिटीज पर बात करें हम एनाई सीओ होल फोर की तो निकल जुड़ा हुआ है चार सीओ ग्रुप के साथ राइट तो निकल अगर बीचों बीचे तो यह एक दो तीन चार सीओ के साथ का जुड़ा हुआ है जिससे से मिल रहा है इस तरह का टेट्रा हेड्रन शेप राइट तो यह हो गया टेट्रा हेड्रल एंटिटी अगर हम बात करें पीटीसी एलफो टू माइनस की तो यहां पर प्लाटिनम सेंट्रल आटम है जो चार क्लोरीन आटम से इस तरीके से जुड़ा हुआ है राइट सो इससे मुझे किस तरह का एंटिटी मिल रहा है स्क्वेयर प्लेनर क्योंकि देखो यह प्लेन में है और यह एक स्क्वेयर के फॉर्म में है तो यह किस तरह का यहां पर किस तरह का पॉली हेडरन मिल रहा है स्क्वेयर प्लेनर पता कैसे चल रहा है कि जो शेप है ये टेटराहेड्रन होगा या स्क्वेर प्लेनर होगा या ओक्टाहेड्रन होगा रेट फिलाल तो मैं फॉर्मुले को दिखा के बता रही हूँ कि मैं इतने लोगों से जुड़ा हुआ है तो ये वाला जुमेटरी आएगा पर एकजाटली पता कैसे चल करेंगे अब कोडिनेशन कंपाउंट जैसे ही हम इन कंप्लेक्स के बारे में पढ़ना शुरू करते हैं तो एक डाउट ऑटोमेटिकली दिमाग में आने लगता है कि क्या यह कंप्लेक्स आयंस डबल सॉट्स की तरह है वेल नॉट रिली कंप्लेक्स और और डबल सॉल्ट्स दे दो अलग चीजें हैं बट एक अनुशान आता क्यों है क्योंकि दोनों में कुछ सिमिलारिटीज होती है डबल सॉल्ट्स और कॉम्प्लेक्स दोनों ही जो है यह बनते हैं बाई कॉम्बिनेशन ऑफ स्टेबल कंपाउंड्स इन अस्ट्रोगी तो यह है कि जो डबल सॉल्ट्स होते हैं वह जेनरली सॉलिड स्टेट में एक्सिस्ट करते हैं और दूसरा और मोस्ट में dissolve करते हैं, तो ये simple ions में dissociate कर जाते हैं, for example, let's talk about potash alum, जो की एक double salt है, इसे अगर हम पानी में dissolve करते हैं, तो हमें potassium ion, aluminium ion, sulfate ion, ये सारी चीज़े मिल जाती है, क्यों, क्योंकि ये अपने ions में ionize हो जाते हैं, dissociate कर जाते हैं, दूसरी तरफ अगर हम complexes की बात करें, तो जैसा क यानि कि जो secondary linkage से जुड़ा हुआ part होता है, उसको तो भाईया आंदी आजाए, तुफान आजाए, वो कभी भी dissociate नहीं करते हैं, जैसे माल लो कि Fe, Cn, hole 6, 4-इसे अगर हम पानी में dissolve कर दे, चाहे कितना भी पानी में dissolve कर दे, कभी भी ऐसा नहीं होगा कि ये iron और Cn-, Fe+, Cn-म कि हमारे human body में कौन-कौन body parts होते हैं, right? अगर देखा जाये तो जब हम बहुत छोटे होते हैं, तो यह भी 2-3 साल की उम्र से हमें सिखाया जाता है, कि हमारे body में कौन-कौन parts होते हैं, यह ears हैं, यह eyes हैं, यह nose हैं, mouth हैं, वगरा-वगरा, right? उसके बाद धीरे-धीरे as we grow, हमें धीरे-धीरे सिखाया जाता है, कि इन parts का function क्या होता है, and then gradually we learn कि हमारा overall पूरा body function करता कैसे है.
ठीक उसी तरीके से coordination chemistry की भाई शुरुबात हो रही है. पहली बार शुरुवात कर रहे हो आप पढ़ना coordination chemistry जिसके अंदर अभी हम सिरफ coordination compounds को देख रहे हैं तो सबसे पहले हमें क्या देखना होगा एक coordination compound के body parts exactly तो यहाँ पर हम coordination compounds के different parts के बारे में बात करेंगे जैसे कि central metal atom क्या होता है जैसे कि ligand क्या होता है coordination number क्या होता है coordination entity क्या होता है denticity क्या होता है oxidation number of central atom क्या होता है homo leptic and hetero इंटरोलिप्टिक कंप्लेक्स क्या होते हैं जब यह सारी बातें हम ठीक से समझ जाएंगे तब एट लीस्ट हम एक बेसिक चीज समझ जाएंगे अब आउट द पॉइंट कंपाउंट जो हमें फर्थर स्टडी करने में मदद करेगा तो सबसे पहले हम इस कशन की शुरुआत करेंगे विश्व को ऑडिनेशन एंटिटी को ऑडिनेशन एंटिटी क्या होता है जो हमारा सेंट्रल मेटल आटम होता है वह और उसे सर्वाउंड करने वाले जो भी आयंस या मॉलिक्यूल्स होते हैं इनको एक साथ में कहा जाता है को ऑडिनेशन एंटिटी एक्सेंपल देखते हैं करते हैं लेटर सपोस हमारे पास एक कोडिनेशन कंपाउंड एसी ओसिल 3 एनेच 3 फोल्ड थी तो यहां पर मेरा सेंट्रल आटम क्या है सीओ यानि कि कोबाल्ट कोबाल्ट के साथ क्या-क्या जुड़ा हुआ है तीन सीएल जुड़ा हुआ है और तीन एनेच थी जुड़ा हुआ है राइट तो यह पूरा एक कोडिनेशन एंटिटी है अगर बात करें एनाई सीओ होल फोर की तो निकल सेंट्रल आटम है जो सराउंडेड है चार सीओ से और इस एंटायर थिंग जो कोडिनेशन एंटिटी आपके लिए एक सवाल ले Let us suppose हमारे पास एक coordination compound है K4, Fe, Cn, Hole 6. तो यहाँ पर coordination entity कौन सा है? सोच के बताओ.
Central atom क्या है? Fe, यानि कि iron. और iron किस से surrounded है?
Cn, Hole 6. मतलब 6 Cn से surrounded है, जो कि square brackets के अंदर हमें दिख रहे हैं. And this whole thing is a coordination entity. अगला number है central metal atom या फिर central metal iron. यह क्या होता है?
जैसा कि हमने सीखा अभी coordination entity के के अंदर जिस आटम या आयन से ये सारे च���जें जुड़ी होती हैं, ये सारे आयन्स या मॉलिक्यूल्स जिस परिक्यूरियर आटम या आयन को सराउंड करती हैं, उसे हम कहते हैं Central Atom या Central Ion, चीक है, एग्जाम्पल देखते हैं, COClNH3-5-2+, यहाँ पर मेरा Central Atom क्या होगा, अगर बात करें FECN whole 6 3 minus की तो यहाँ पर मेरा central atom है FE जिसको किसने surround किया हुआ है इतने सारे CN ने तो ये क्या हो गया ये हो गया हमारा FE हो गया हमारा central atom अब जब हम central atom की बात कर रहे हैं तो यहाँ पर मैं बताने वाली हूँ एक super duper important concept तो सभी लोग अपना पूरा का पूरा focus समझ लो इस बात पर कुछ time पहले मैंने ये बोला था कि यार coordination compounds के अंदर ये जो bonds बने हो होते हैं ना central metal atom और उसके surrounding ions या molecules के बीच में वो exactly covalent bond नहीं होता है, वो जो bond होता है उसे हम कहते है coordinate bond और उसकी एक खास बात होती है, ठीक है, तो अभी मैं वही खास बात बताने वाली हूँ, ठीक है, तो सबसे पहले तो याद कर लेते हैं कि normal covalent bond में क्या हुआ करता था कि जैसे दो atom होते हैं मैंने बोला मैं एक atom हूँ सामने एक और atom है मैंने बोला कि यार एक electron मैं देता हूँ एक electron तुम दो और उसके बाद ये जो दो electrons है ना ये दोनो electrons हम दोनो share करेंगे ठीक है तो ऐसे ब एक एलेक्ट्रॉन एक्स्ट्रा है तो वह सोच रहा है कि यार कैसे मैं इस एलेक्ट्रॉन को किसी को दे दूं वैसे सिचुएशन में क्या होता था सामने वाला मुझे एक एलेक्ट्रॉन दे देता था तो यहां पर ट्रांसफर ऑफ एलेक्ट्रॉन बनता था आयोनिक बॉंड या फिर एलेक्ट्रोवालेंट बॉंड ठीक है यहां पर क्वाइडिनेट बॉंड में क्या होता है अलग देखो क्वाइडिनेट बॉंड में कुछ ऐसा होता है कि बनता तो एक कोवेलेंट बॉंड है मतलब दोनों के बीच में एक्ट्रोन शेयर होता है लेकिन दोनों इक्वली कॉंट्रीब्यूट नहीं करते जैसे जैसे covalent bond के case में क्या होता है कि मैंने एक दिया, तूने एक दिया, और हमारा bond बना, यहाँ वैसा नहीं होता है, यहाँ पर ऐसा होता है कि मैं कुछ नहीं दूँगी, दोनों electron तुम ही दोगे, और उसके बाद वो जो दो electron से bond बनेगा, वो हम दोनो share करेंगे, ठीक है, तो इ वो सिर्फ क्या करता है? वो सिर्फ जो electron सामने वाला देता है, उन electron से, मतलब सामने वाला दोनों electron देता है, जिससे इनके बीच में covalent bond बनता है, ठीक है? तो यानि कि जो central metal atom है, coordination compounds में, ये किस की तरह behave करते हैं?
ये Lewis acids की तरह behave करते हैं, क्यों? क्योंकि ये electrons लेते हैं, देते नहीं हैं, और बच्चों इस concept को अच्छे से समझ लो, तब ही आपको समझ में आएगा कि how is coordinate bond different from covalent bond? अगला नंबर है ligands.
का लिगांड्स क्या होते हैं अब कोडिनेशन एंटिटी के अंदर सेंट्रल आटम से जुड़े हुए जो आयंस या मॉलिक्यूल्स होते हैं उनको हम कहते हैं लिगांड्स ठीक है अब लिगांड्स जो है यह सिंपल आयंस हो सकते हैं ज���से कि यह माइनस ठीक है तो यह माइनस हो सकता है लिगांड्स लिगांड्स जो है यह नेटरल मॉलिक्यूल्स भी हो सकते हैं जैसे कि एनेज थ्री जैसे कि एच टू यह सारे नेटरल मॉलिक्यूल्स हैं ओके लिगांड्स जो है यह थोड़े से बड़े मॉलिक्यूल्स भी हो सकते हैं, जैसे कि इथेन 1,2 डायमीन NH2, CH2, CH2, NH2 देखो थोड़ा बड़ा मॉलिकूल है, बट still this can be a ligand, ligand जो है ये macro molecules भी हो सकते हैं जैसे कि proteins, इतने बड़े भी हो सकते हैं ligands example के तौर पर let's say we talk about this coordination compound CO, NH3, whole 6, 3 plus यहाँ पे गया हो रहा है central atom क्या है, CO यानि की cobalt, cobalt से क्या NH3, तो यानि कि ammonia यहाँ पर क्या है? Ligand, तो बच्चों अब यह जो Ligand है, इन्हें क्या करना है? इन्हें metal के साथ bond बनाना है, ठीक है?
जैसा कि मैंने बताया कि जो central metal atom है, यह क्या है? यह Lewis acids हैं, यानि कि इन्हें electron accept करना है, तो इसका मतलब अगर Ligand को इस metal atom के साथ bond बनाना है, तो Ligand को electron देना पड़ेगा, तो इसका मतलब Ligand के अंदर कोई न कोई ऐसा atom होना चाहिए, जो donor हो, है न? तो Ligand के अंदर donor होना चाहिए, डोनर आटम्स का होना जरूरी है ठीक है अब लिगेंड्स में डोनर आटम्स एक हो सकता है एक से अधिक भी हो सकता है बेस्ट ऑन देट हम लिगेंड्स को कई कैटेगरीज में कैटेगराइज कर सकते हैं जैसे कि पहला होता है यूनी डेंटेड लिगेंड या फिर मोनो डेंटेड लिगेंड यूनी या फिर मोनो का मतलब होता है वन यह वैसे लिगेंड्स है जिसके अंदर एक ही डोनर आटम्स होता है फोर एक्जांपल अगर हम बात करें सील माइनस की तो सील माइनस में जो क्लोरियन है ना उसी के पास एक्स्ट्राइन एक्स्ट्रा पेयर ऑफ एलेक्ट्रोन है जो वह दान में देता है ठीक है अगर हम बात करें एच टू ओ की वाटर की तो एच टू ओ में ऑक्सीजन के पास एक्स्ट्रा एलेक्ट्रोन होते हैं जो वह दान में देता है अगर हम बात करें लेट्स ए एनेच थ्री की तो एनेच थ्री में नाइट्रोजन के पास एक्स्ट्रा एलेक्� दे सकता है, तो इन सारे examples में हम देखते हैं, कि जो मेरा ligand है, अब जैसे ammonia है, उसमें है तो nitrogen atoms भी और hydrogen atoms भी, but donor atoms कौन है, सिर्फ nitrogen, तो इन सारे examples में सिर्फ तो एक ही डोनर आटम है इसलिए यह सारे यूनी डेंटेट या फिर मोनो डेंटेट लिगांड से दूसरा टाइप ऑफ लिगांड होता है बाई डेंटेट या फिर डाई डेंटेट बाई या डाई दोनों का ही मतलब होता है टू ऐसे लिगांड में दो डोनर आटम है आटम्स होते हैं ठीक है फॉर एक्सांपल अगर हम बात करें आप ऑग्जालिट आयन की सी टू ओ फॉर टू माइनस इसके स्ट्रक्चर को अगर आप ध्यान से देखो तो इसके पास दो ऑक्सीजन आटम्स है जो डोनर आटम्स की तरह बिहेव कर सकते हैं राइट तो इसलिए यह है बाई डेंटेट अब देखो यह जो डेंटेट वर्ड है ना डेंटेट को आप ऐसे याद रखो डेंटेट डेंटेट याद रहेगा डेंटेट से दांत याद रहेंगे राइट मदर इन लिगेंट्स के पास दो दांत है दो दांत से यह किसी किसी को पकड़ सकते हैं किसी मेटल के साथ बॉंड बना सकते हैं ऐसे याद रखो ज्यादा अच्छे से याद रहेगा ठीक है तो बाइडेंटेड लेगेंट्स के अगर हम बात करें यहां पर हम एक और एग्जांपल ले सकते हैं इथेन 12 डायमीन इथेन अब तीसरा कैटेगरी होता है पॉली डेंटेड लेगेंट्स नाम से ही पता चल रहा है पॉली मतलब मैंनी तो यह वैसे लेगेंट्स हैं जिनमें दो से भी अधिक जो है डोनर आटम्स होते हैं एक एग्जांपल है इडीटीए जिसका फुल फॉर्म होता है इथिलिन डायमीन टेट्रा एसिटेट आयन ठीक है इसके स्ट्रक्चर को अगर आप देखो इसमें दो नाइट्रोजन और चार ऑक्सीजन आटम्स होते हैं जो डोनर की तरह बेहेव बनाना होगा ना तो इसके पास 6 दांत के options हैं right तो 6 इसके पास 6 dented that's why hexa dented ligand बात करेंगे अब एक special type of ligand के बारे में जिसे कहा जाता है ambident ligand ambident क्या हो सकता है ambidextrous सुना है कभी ambidextrous यह एक word होता है यह उनके लिए use किया जाता है जो अपने right hand और left hand दोनों हाथों से लिख सकते हैं यह word किसले बताया ताकि एक आपकी memory tip रहेगी to remember what is ambident लिए तो देखो अभी तक जब हम बाई डेंटेड लिगेंड की बात कर रहे थे तो हम कह रहे थे कि भी ऐसा लिए जिसमें दो डोनर आटम्स व बट क्या आपने ध्यान दिया था चाहे हम ऑक्जालिट आयन की बात करते तो वहां पर क्या था दोनों डोनर आटम्स ऑक्सीजन थे अगर हम इथिन वन टू डायमीन की बात करें तो वहां पर दोनों डाट डोनर आटम्स क्या थे नाइट्रोजन थे पर एंबीडेंटेड लिगेंड में हम ऐसे लिगेंड की बात करेंगे जिसके अंदर दो डिफरेंट डोनर आटम्स लिए बोला था राइट है लिख सकते हो और लेफ्ट हैंड से भी लिख सकते हो दोनों डिफरेंट हाथों से आप लिख सकते हो वैसा ही कुछ यहां पर होता है एमबीडेंटेड लिगेंड में दो डिफरेंट डोनर आटम्स होते हैं और दोनों केपबल होते हैं कि वह केंट्रल मेटल आटम के साथ बॉंड बना सके चीज एग्जांपल के तौर पर देखते हैं एक एग्जांपल है एसीएन माइनस इसके पास भी एक्स्ट्रा इलेक्ट्रोन होते हैं जिससे वो मेटल आटम के साथ बॉंड बना सकता है ठीक है अगर सीएन माइनस मेटल आटम के साथ सलफर के थ्रू बॉंड बनाता है तो बनता है थायोसायनेट अगर सीएन माइनस नाइट्रोजन के थ्रू मेटल के साथ बॉंड बनाता है तो हमें मिलता है आईसो थायोसायनेट राइट तो देखो चुकी दो डिफरेंट आटम्स के थ्रू बॉंड बन रहा है तो हमें जो प्रोडक्ट मिल रहा है वह कंप्लीटली डिफरेंट है इसी तरीके से अगर हम बात करें एनो टू माइनस की तो यहां यहां पर नाइट्रोजन भी डोनर आटम की तरह बिहेव कर सकता है और ऑक्सीजन भी डोनर आटम की तरह बिहेव कर सकता है और देखो जब नाइट्रोजन के थ्रू बॉंड बनेगा तो कैसा होगा और जब ऑक्सीजन के थ्रू बॉंड बनेगा तो कैसा होगा तो यह होते है जो डोनर आटम्स होते हैं यह आट दो सेम टाइम साइमल्टेनियसली सेंट्रल मेटल आटम के साथ बॉंड बनाते हैं तो इस तरह के लिगेंट्स को हम कहते हैं कि लेट लिगेंट्स और इससे जो कॉम्प्लेक्स बनते हैं उन्हें हम कहते हैं कि लेट कॉम्प्लेक्स चीज समझ में आया कैसे बनते हैं यह नहीं समझ में एक एग्जांपल लेते हैं ठीक है हम एग्जांपल लेंगे इथिलिन डाई एमीन कैडमियम कॉम्प्लेक्स का चीज तो कैडमियम यहां पर मेरा सेंट्रल मेटल आटम है और इथिलिन डाई लाई अमीन जो है ये क्या ह इथेलिन डायमीन को अगर हम याद कर ले तो उसका structure कुछ ऐसा होता है जिसमें दो nitrogen donor atoms की तरह behave करते हैं अब इस complex को बनाने के समय क्या होता है कि ये दोनो nitrogen जो है उसी same central metal atom यानि कि cadmium के साथ at the same time bond बनाते हैं राइट मतलब कैडमियम को दोनों नाइट्रोजन ने पकड़ लिया है है ना तो इससे कहते हैं हम किलेट कॉंप्लेक्स जब दोनों डोनर आटम्स एक ही साथ उसी मेटल आटम में आट द सेम टाइम बॉंड बनाएं तो उसे कहते हैं हम किलेट लिगेंड और ऐसे complex को हम कहते हैं किलेट complex, किलेट complex की खास बात यह होती है कि यह complex की stability काफी ज्यादा होती है क्यों ज्यादा होती है, logically सोच के देखो, इस तरह के complexes में दो या दो से अधिक दातों से metal atom को पकड़ लिया गया है, तो obvious भी बात है कि metal atom के साथ यह जो ligands हैं, यह काफी firmly attached है, अब चुकी इतने firmly attached हैं, तो obviously इसकी stability बहुत ज्यादा है, शायद आपको curiosity होगी कि यार इसे keelet compound क्यों कहते हैं, या फिर keelet word आया कहां से, well तो यह keelet word आया है, एक Greek word keelet से, जिसका मतलब ह करके multiple clause से वो एक चीज को यू पकड़ता है right grab करता है basically तो kelet complexes में भी कुछ ऐसा ही होता है कि एक ligand होता है जिसके दो या दो से अधिक दांथ होते हैं और उन सारे दांथों से वो एक metal atom के साथ जूड़ता है that's why the name kelet complexes तो बच्चो अभी अभी हमने monodented, bidented, polydented ligands के बारे म डेंटिसिटी क्या है डेंटिसिटी बेसिकली बताता है कि कितने नंबर आफ डोनर आटम्स के हेल्प से जो लिगांड है वो मेटल के साथ बॉंड बना रहा है जैसे कि अगर हमें मोनो डेंटिट लिगांड की बात कर रहे हैं तो वहाँ पर डेंटिसिटी है वन अगर हम बा� के number के बारे में हलका फूल का discuss मैंने पहले भी किया था, लेकिन चलो अब इसे detail में देखते हैं, coordination number का मतलब होता है, कि हमारा metal atom जो है, जो हमारा central atom है, वो ligand के कितने donor atoms के साथ directly connected है, मतलब वो ligand के donor atoms के साथ कितने sigma bonds बना रहा है basically, that is the coordination number, चीके, examples से समझते हैं, let us say PTCL6-2, यहाँ पे, central atom क्या है? PT यानि की platinum, platinum से directly कितने ligands attached है?
6 ligands, 6 Cl-attached है, तो coordination number हो गया 6, Ni NH3 hole 4 2+, यहाँ पे central metal atom है nickel, nickel से कितने ligands attached है? 4 NH3 attached है, तो coordination number हो गया 4, अगर बात करें Fe C2O4 hole 3, 3-की, तो यहाँ पे central metal atom क्या है? Fe यानि की iron, अब अगर मैं आपसे पूछूं कि यहाँ coordination number कितना होगा, बहुत से बच्चे फटाक से इस formula को देखते हुए कहेंगे कि अच्छा, यह 3 C2O4 से attached हैं तो coordination number 3, और जैसे ही आप ऐसा बोलोगे आपका answer गलत हो जाएगा, गलत क्यों होगा, थोड़ा ध्यान से सोचो, iron के साथ जुड़ा हुआ तो है 3 oxalate iron, but एक एक oxalate iron में 2-2 donor atoms हैं तो एक एक oxalate iron में 2-2 donor atoms के साथ जो metal atom है वो 2-2 sigma bonds बना रहा है, right?
तो कुल मिला के जो iron है उससे कितने sigma bonds बने है कितने donor atoms के साथ bond बने है, 6, right? तो इसलिए the coordination number is 6, तो इसलिए coordination number find out करने के लिए आपको ये देखना पड़ेगा कि central metal atom कितने sigma bonds बना रहा है with how many donor atoms, so the focus is not on the number of ligands, the focus is on the number of donor atoms of the ligands, ठीक है, एक example और लेंगे, let's say COEN hole 3, 3 plus, यहाँ पर ये EN क्या है, EN short form है, ethane 1, 2, diamine का, ठीक है, तो यहाँ पर cobalt obviously मेरा central metal atom है, EN मेरा ligand है, लेकिन, इन एगेन कैसा लिगेंट है, बाई डेंटेड लिगेंट है, राइट, इथेन वन टू डाई अमीन में दो नाइट्रोजन आटम्स, डोनर आटम्स की तरह बिहेव कर सकते हैं, तो यहाँ पर भी जो मेरा क इससे 3 एन कनेक्टेड है, 3 लिगांड कनेक्टेड है, बट हर एक लिगांड के 2 डोनर आटम्स इसके सेंट्रल मेटल आटम के साथ सिग्मा बॉंड्स बना रहे हैं, तो यानि कि टोटल कितने बॉंड्स बन रहे हैं डोनर आटम्स के साथ 6, so the coordination number is 6. अब बात करेंगे हम coordination sphere की, coordination sphere क्या होता है, जो हमारा central metal atom या आयन होता है और जो लिगांड्स उसके साथ attached होते हैं, इनको collectively हम coordination sphere कहते हैं, in fact, शॉर्ट तरीके से समझने के लिए जो coordination compounds के square bracket के अंदर रहने वाला पूरा समान होता है उसे collectively कहा जाता है coordination sphere उसके बाहर जो ionizable part रहता है उसे हम कहते है counter ions ठीक है example K4 FeCn6 इसमें देखो square bracket के अंदर क्या है FeCn6 यानि कि Fe और Cn ionize कभी नहीं होते है तो ये FeCn6 जो है this is the coordination sphere sphere, इसमें central metal atom क्या है, Fe, और ligand क्या है, Cn-ठीक है, ओके, जो ionizable part है, वो क्या है, potassium ion मतलब अगर इसको ionize करने को बोला जाए, तो ये K+, और Fe, Cn, whole 6-ऐसे ionize करेंगे, तो ये K+, यहाँ पर जो है, जो potassium यहाँ पर है, that is called the counter ion next in Q is oxidation number of the central atom, ठीक है oxidation number of the central atom basically क्या होता है, central atom की prime तो यह होता क्या है यह होता है कि सेंट्रल आटम में कितना चार्ज होगा अगर हम अजूम करें कि हम सारे लिगांड्स को रिमूव कर दें मतब सेंट्रल आटम से अटैस्ट होते हैं लिगांड्स राइट अजूम करो लिगांड्स उन्हें छोड़के कहीं नहीं जाने वाले oxidation number of the central atom ठीक है, example लेते हैं let us suppose हमारे पास एक complex है cu, cn, hole 4 3 minus, ठीक है तो हम क्या notice करते हैं यहाँ पर जो cn होता है, right cn minus, cn में हमेशा minus 1 charge होता है, right तो यहाँ पर cn कितने है hole 4, यानि कि total 4 cn है, तो यानि कि यह total cn वाले unit में total charge कितना होगा minus 4, ठीक है अच्छा, copper हमारा आरा सेंट्रल आटम है और इसका ऑक्सिडेशन नंबर हम निकाल रहे हैं तो हम मान लेते हैं कि कॉपर का ऑक्सिडेशन नंबर है एक्स ठीक है तो टोटल कॉपर और सीएन का टोटल चार्ज कितना होगा एक्स प्लस माइनस फॉर एंड इस चुड़ इक्वल टो हाउ मज जितना इस नेट कॉम्प्लेक्स का चार्ज है जो कि यहां पर दिया हुआ है आज माइनस थ्री ठीक है तो जाएगा एक्स प्लस माइनस फॉर इस इक्वल टो माइनस थ्री तो यहां से अगर हम एक्स की वैल्यू निकाले तो एक्स इस इक्वल टो प्लस वन तो प्लस प्लस वन क्या है प्लस वन इस द ऑक्सिडेशन नंबर ऑफ कॉपर तो यहां पर ऑफ सेंट्रल आटम का ऑक्सिडेशन नंबर प्लस वन है तो इसे हम डिनोट कैसे करते हैं हम लिखेंगे कॉपर यानि कि सीएव फर्स्ट ब्रैकेट के अंदर हम रोमन न्यूमेरल में लिखेंगे वन लिखेंगे तो इस तरीके से हम डिनोट करते हैं तो ऑक्सिडेशन नंबर ऑफ सेंट्रल आटम लेट में टेल यू बच्चों इस इस सूपर इंपोर्टेंट आपको ऑक्सिडेशन नंबर निकालना बिल्कुल आना चाहिए क्योंकि आगे जाकर जैसे-जैसे हम इस लेशन के और आगे के कॉन्सेप्ट पढ़ेंगे हर जगह चैनल आटम को ऑक्सडेशन नंबर निकालना विल बी लाइक द फर्स्ट स्टेप तो अगर आपको वही नहीं आता है तो आगे के कंपाउंट के जो बॉडी पार्ट संपर्ट है थे ना तो करीब-करीब हमने सारे बॉडी पार्ट कर प्रस्कॉल कर लिए है तो राइट ना हुई विडिस्कसिंग द लास्ट स्वाल टॉपिक विजिस होमोलेप्टिक एंड हेटरोलेप्टिक कॉंप्लेक्स होमो मतलब होता है सेम हेटरो मतलब होता है डिफरेंट होमोलेप्टिक कॉंप्लेक्स वैसे कॉंप्लेक्स यहां पर हमारा जो सेंट्रल मेटल आटम होता है वह सेम तरह के डोनर ग्रूप से एटैज्ड होते हैं मतलब जैसे सीओ एनेज थ्री होल सिक्स थ्री प्लस यहां पर सेंट्रल मेटल आटम है कोबाल्ट यानि किसी ओ यह जितने भी डोनर एटम से से अटैच्ट है देर ऑल एमोनिया देर ऑल सेम तो यह कैसा कंप्लेक्स है होमोलेप्टिक कंप्लेक्स दूसरी तरफ हेटरोलेप्टिक कंप्लेक्स में क्या होगा जो सेंट्रल मेटल आटम होगा यह सारे जो डोनर ग्रुप से अटैच्ट होगी सारे सेम नहीं होंगे कुछ अलग भी होंगे बैट इस हेटरोलेप्टिक फॉर एग्जांपल सीओ एनेज थ्री होल फॉर सीएल टू प्लस यहां देखो कोबाल्ट हमारा सेंट्रल आटम है कोबाल्ट चार एनेज थ्री से अटैच्ट है और दो सीएल से अटैच्ट है तो यानि कि डिफरेंट डिफरेंट डोनर पूर्ण ग्रुप से अटै हेटरोलेप्टिक कॉम्प्लेक्स बच्चों कभी सोचा है कि अगर आपके और आपके दोस्तों का कोई नाम ही नहीं होता तो कैसा होता? कितना इनकन्विनियन्ट हो जाता राइट?
लाइक आपको किसी दोस्त को बुलाना है तो ए सुनो ओ सुनो ऐसे करके आ दोस्तों को बुला लेते हैं अगर आट टाइम आपके पांच दोस्त आपके आसपास है तो एड्रेसिंग बेम वुड आफ बिन सो डिफिकल्ट राइट एक टीचर के लिए क्लास में जहां पचास बच्चे हो उन्हें बुलाना कितना मुश्किल हो जाएगा अगर उनके न तो भाई जिस तरह से बच्चों का naming जरूरी है वैसे ही coordination compounds का नामकरण भी बहुत जरूरी है और जहां बात आती है नामकरण की वहां आ जाता है IUPAC International Union of Pure and Applied Chemistry तो बच्चों इस section में हम सीखेंगे कि कैसे हम coordination compounds का naming करते हैं और इस दोरान हम दो चीज़ें सीखेंगे अगर हमारे पास एक formula या structure दिया हुआ है तो उसका नाम कैसे लिखेंगे अगर हमारे पास एक नाम दिया हुआ है तो उसका structure कैसे लिखेंगे जैसे बनाएंगे तो बच्चों चलो आप सीखते हैं नॉमिंक्लेचर के कुछ रूल्स मतलब नेम मतलब नामकरण करने के कुछ तौर तरीके हैं जिन्हें फॉलो करके ही हम किसी भी स्ट्रक्चर का नामकरण कर सकेंगे ठीक है तो हमारा पहला रूल हमेशा का नाम हम पहले लिखेंगे फॉलोड बाई एनायन इतना तो पता ही है एनायन क्या होता है एनायन ए नेगिटिव आयन तो जो नेगिटिवली चार्ज़ आयन है जो पॉजिटिवली चार्ज़ आयन है जो पॉजिटिवली चार्ज़ आयन है जो पॉजिटिवली चार्ज़ आ इस coordination compound को अगर हम देखें तो जाहिर सी बात है कि CL-यहाँ पे anion है, तो बाकी जो यह पूरा positive ion है, that is the cation. अगर हम इस example की बात करें, तो यहाँ पर again जाहिर सी बात है कि जो sulfate ion है, that is negatively charged, so that is anion, तो बाकी जो यह बड़ा सा positive ion है, that is the cation. तो cation का नाम हम हमेशा पहले लिखते हैं और anion का बाद में, वैसे भी positive is always good, तो इसलिए positive ion पहले, उसके बाद negative ion. रूल नमबर टू, complex को name करते दोरान, ligand का नाम हम पहले लिखते हैं, उसके बाद हम central metal atom लिखते हैं, चीके, for example, ये इस formula को अगर हम देखे, तो यहाँ पर CR, यानि की chromium हमारा central metal atom है, चीके, और ligands क्या है, NH3 हमारा एक ligand है, H2O हमारा एक और ligand है, चीके, तो जब हम इसका न तो ध्यान से देखो ट्राई एमीन एमीन पहले लिखा ट्राई एकवा एकवा भी पहले लिखा एमीन इस फॉर एनेच थ्री एकवा इस फॉर एच टू ओ उसके बाद लिखा क्रोमियम रहित इसका मतलब लिगांड को पहले लिखा उसके बाद हमने सेंट्रल मेटल आटम को ल हैं जैसे देखो अभी-अभी मैंने यह नेम बताया था राइट ट्राई एमिन ट्राई एक्वा क्रोमियम थ्री क्लोराइट देखो ट्राई एमिन के बाद स्पेस देखे नहीं लिखा है ट्राई एक्वा ट्राई एक्वा के बाद स्पेस देखे क्रोमियम नहीं लिखा है तो बीच में मेटल सेंट्रल मेटल आटम और लीजेंट्स के बीच में कोई स्पेसिंग नहीं होती है अब यह तो हमने बता दिया कि भाई लीजेंट का नेमिंग जो है वह सेंट्रल मेटल आटम से पहले होगा बट अलग-अलग लिगेंट्स होते हैं तो इसलिए अब हम सीखेंगे रूल्स टू नेम द लिगेंट्स ठीक है पहला रूल अगर हमारे पास एनायोनिक लिगेंट्स है मतलब नीग लिगेंट्स जो एनायन है लिगेंट्स जिसमें नेगेटिव चार्ज है अगर ऐसे लिगेंट्स है तो उनका नाम हमेशा ओवर से एंड होगा जैसे फॉर एग्जांपल सीएल माइनस को हम लिखेंगे क्लोरी डो बीएर माइनस को लिखेंगे ब्रोमी डो ओएच माइनस को हम लिखेंगे हाइड्रॉक्सी डो तो देखो सारे जो नाम है वो ओ से एंड हो रहे हैं ना वेट इस वेरी स्पेसिफिक टू एन आयोनिक लीगेंड्स ठीक है यह था रूल नंबर वन रूल नंबर टू यह कहता है कि जबकभी भी हमारे पास मोर दन वन लीगेंड हो तो हम उसे किस ओर्डर में लिखेंगे यह हम डिसाइड करत आपको है राइट दोनों लेगेंड्स है अब बई इन दोनों लेगेंड्स में हम किसे पहले लिखे अमिन को पहले लिखे कि आपको पहले लिखे राइट तो एलफाबेटिकली देखो एम जो है वह एक क्यों से पहले आता है करेक्ट है ना एम तो क्यों से पहले आता है तो इसीलिए जब हम इसका नाम लिखते हैं तो हम एमिन को पहले लिखते हैं ट्राइएमिन ट्राइएक्वा क्रोमियम ट्री क्लोराइड टो एलफाबेटिकल ऑर्डर हम फॉलो करते हैं रूल नंबर थ्री अगर हमारे पास सेम तरह का लीग एंड एक से अधिक है तब हम प्रिशा फिक्सेस यूज करते हैं जैसे कि डाई, ट्राई, टेट्रा एकसेट्रा ठीक है एगेन इसी एग्जाम्पल को देख लो यहाँ पर देखो जो अमीन ग्रूप है जो NH3 लीगैंड है ये कितने है तीन है इसलिए हमने इसके नेमिंग में क्या लिखा है है ट्राई एमीन यानी कि तीन है उसी तरह जो एच टू वो लिगेंड है यह कितने है तीन है इसलिए हमने क्या लिखा है ट्राई एक्वा यही अगर कोई ऐसा सिचुएशन हो जहां पर एनेज थ्री जो है यह चार हो तो हम लिखेंगे ट्री अमिन अगर कोई ऐसा सिचुएशन हो जहां पर एनेज थ्री दो हो तो हम लिखेंगे डाई एमी रूल नमबर 4 अगर हम ऐसे लिगांड की बात कर रहे हैं जो पॉली डेंटेट लिगांड है पॉली डेंटेट लिगांड मतलब उस लिगांड के दो से अधिक दांत हैं और वो उतने सारे दांतों से सेंटरल मेटल आटम के साथ बॉंड बना रहा है तो वहाँ पर हम एक एड यह बिस्ट्रिस टेट्राकिस क्यों निकाला हम डाइटराई टेट्रा से ही तो काम चला सकते थे अक्शली नहीं चला सकते थे क्यों बताती हूं मान लो कि हमारे पास एक बाई डेंटेट लीगैंड है जैसे कि इथेन वन टू डाइ अमीन अब इथेन वन टू डाइ अमीन में हम वो नहीं कहना चाहें, हम कहना चाहें लिगैंड एक ही है, बट उस लिगैंड के multiple दांथ है, right, समझ रहे हो फरक को, तो इसलिए we can't use the same prefix, जब हम di-tri-tetra यूज़ करते हैं, उसका मतलब होता है कि वो वाला लिगैंड दो बार है, या वो वाला लिगैंड चार बार है, right, जैसे example के तौर पर अगर हम इस structure को देखे, Tris, Ethane, 1, 2, Di, Amine, Chromium, 3, Chloride, तो यहाँ पर हम कहना चाहरे हैं किस ligand की बात कर रहे हैं, हम बात कर रहे हैं, Ethane, 1, 2, Di, Amine की, जो अपने आप में एक bidented ligand है, तो उसमें हमने Di का use किया है, the moment we are saying Tris, what are we trying to say, कि यह वाला जो, यह जो bidented ligand है, यह कितने है, यह 3 है, correct, अगर आप चाहो तो इसको आप ऐसे लिखें, लिख सकते थे ट्राई इथेन वन टू डायमीन तो अब यहां पर भी डायमीन में भी डाई है इधर भी ट्राई है तो इससे कंफ्यूजन क्रिएट हो सकती है तो इसलिए ऐसे केसेस में इस तरह के पॉली डेंटेड लीगेंड्स के केस में हम ट्राई के बदले में हम ट्रिस यूज करते हैं चीज फाइनली रूल नंबर फाइव जहां पर भी पॉली एटॉमिक लीगेंड्स होते हैं मतलब ऐसे लीगेंड्स जिसमें एक से अधिक आटम सोते हैं जैसे मालो एनेज तीन उसमें नाइट्रोजन आटम भी है और हाइड्रोजन आटम भी है जैसे कि एच टू ओ इसमें hydrogen atom भी है और oxygen atom भी है तो जहाँ पर भी polyatomic ligands होते हैं तो ऐसे ligands को हम brackets के अंदर डालते हैं अगर आप इनके formulae लिखने के style को देखोगे तो हम क्या करते हैं NH3 को हम bracket के अंदर डालते हैं H2O को हम first bracket के अंदर डालते हैं तो जैसे NH3 whole 3 का मतलब NH3 के total 3 ऐसे NH3 है तो it is important कि polyatomic ligands को हम first bracket के अंदर डालते हैं अंदर डाले तो भी लीगेंट के नेमिंग के रूल्स तो हमने देख लिए अब बचा क्या सेंट्रल आटम तो चलो सेंट्रल आटम के नेमिंग के रूल्स भी देख लेते हैं तो सेंट्रल आटम का सबसे पहला रूल है ऑक्सडेशन नंबर ऑफ तरह सेंट्रल आटम सेंट्रल आटम का जो भी सेंट्रल आटम है उसका सिंबल हम लिखेंगे फॉर एग्जांपल लेट्स से किसी सिचुएशन में कॉपर लेट्स से फॉर एग्जांपल इस कोडिनेशन कंपाउंड में हमारा सेंट्रल मेटल आटम है क्रोमियम ठीक है क्रोमियम का प्रोमियम का ऑक्सिडेशन नंबर है प्लस थ्री कैसे फाउंड आउट करोगे देट इज यॉर होमवर्क क्योंकि ऑक्सिडेशन नंबर फाइंड आउट करना मैंने सिखाया है तो चलो फटा-फट से निकाल के देखो प्लस थ्री आ रहा है कि नहीं ठीक है तो इसे लिखते कैसे हैं जब हम इसका नामकरण करते हैं तो हम लिखेंगे प्रोमियम ब्रैकेट में रोमन न्यूमेरल में लिखेंगे थ्री ठीक है देखिए जाओ विद रिप्रेजेंट द ऑक्सिडेशन नंबर आफ थे सेंट्रल आटम तो यार मैंने बताया था पहले अगर आपको किसी कंपाउंड का नाम करना भी करना है तब भी आपको Central Atom को Oxidation Number निकालना पड़ता है, because that is something that you have to mention here, तो इसलिए इस कंपाउंड का naming देखो कैसे हुआ, Triamine TriAqua Chromium 3 Chloride, ठीक है, Triamine TriAqua क्या है, लीगांड वाला पार्ट है, मैंने बता ही दिया, चुकी Alphabetical Order में लिखा है, इसलिए Amine पहले Aqua बाद में, चुकी NH3 3 है, H2O 3 है, इसलिए Tri-Tri- prefix लग गया है अगर बात करें central atom की तो chromium chromium के बाद first bracket के अंदर उसका oxidation number in roman numeral और इस तरीके से नामकरण हो रहा है, अब समझ में आ रहा है, step by step कैसे हमने पूरा नामकरण करना सीख लिया, है ना, ओके, तो ये तो था पहला rule for the naming of central atom, central atom के naming का दूसरा rule, अगर तो हमारा overall जो complex है, that is a neutral complex, तब तो उसका normal chemical name होगा, but अगर complex जो है, that is an anionic complex, मतलब जो complex है, complex part तो समझ गए हो ना, complex किसको कहते है, third bracket के अंदर जो भी part है, that is the complex, तो square brackets के अंदर वाला जो part है, if that overall has a negative charge, तो उसे हम कहते है anionic, जैसे की, K2 ZnOH4, तो यहाँ पर अगर इसको ionize करवाओगे, तो कैसा बनेगा ionize, K plus आएगा, right, which will be the cation वाला part, और ZnOH4 वाला minus होगा, यानि कि यह anion वाला part होगा, तो यानि कि यहाँ पर मेरा complex वाला part जो है, that is anionic complex, तो जब कभी भी anionic complex होते हैं, तो anionic complex का जो नाम है, उसके पीछे एक suffix लग जाता है, 8, एटी टीए ठीक है जैसे कि अगर हम इस कंपाउंड का नेमिंग करेंगे तो जैसे मैंने नेमिंग का रूल बताया था कैटायन पहले फिर अनायन तो कैटायन यहां पर क्या है पोटाशियम तो इसलिए इसके नेम में पोटाशियम पहले आएगा उसके बाद ओएच होल फोर यानि कि टेट्रा हाइड्रॉक्सो टिक्टिक ओएच माइनस एनायोनिक लिगांड है इसलिए ओशे एंड होगा तो टेट्रा हाइड्रॉक्स उसके बाद जिन के इंस्टेड ऑफ जिंक इट विल बीजिंग केट क्योंकि यह जो पूरा कॉम्प्लेक्स है देट एन आयोनिक कॉम्प्लेक्स समझ में आया देखो थोड़ा सो कॉम्प्लेक्स लग रहा होगा अभी बिकॉज द रूल्स आफ नॉट आट योर आपने डिस्कस किए हैं ठीक है तो अगर एक बार यह रूल्स के साथ आप यू नो used to हो जाओगे, तो naming will become very easy, तो समझ में आ गया किस तरीके से हमने इसको name किया, चीक है, अब zincate पर खतम नहीं हुआ, zincate के बाद हमने bracket के अंदर 2 डाल दिया, क्यों, क्योंकि यहाँ पर जो central metal atom है, which is zinc in this case, it is not potassium, potassium is the counter ion, right, तो zinc is the central atom in this case, तो zinc का जो oxidation number है, that is plus 2, तो चलो बच्� दोनों को साथ साथ question solve करने हैं ठीक है यहां पे दिया हुआ है एक coordination compound जिसका हमें नामकरन करना है नामकरन का पहला step क्या होता है कि हमें cation और anion को पहले find out करना है ठीक है क्योंकि cation का naming हम पहले करते हैं तो यहां पे देखो थोड़ा ध्यान से अगर हम देखे तो यहां पे हम और उससे जाहिर सी बात है कि भी ये जो दिख रहा है बड़ा सा ये हमारा कैटायन है। नॉर्मिंटेचर के रूल्स क्या कहते हैं कि कैटायन की नेमिंग हम पहले करते हैं। तो चलो करते हैं पहले। तो अब हमारा पूरा फोकस इस कैटायन पे रहेगा। कैटायन में भी हमने क्या सीखा है। कि कटाइन के अंदर भी जो लीगांड है उसकी नेमिंग हम पहले करेंगे, तो उसके लिए पहले आइडेंटिफाई करो कि लीगांड किदर है, अब देखो, यहाँ पे साफ साफ दिख रहा है कि यह जो कोबाल्ट है, यह हमारा क्या है, यह हमारा सेंट्रल आटम है, ओके, त अब रूल्स याद कर लो, सबसे बहले नेम करेंगे कैटायन को और कैटायन में भी लीगैंड की नेमिंग पहले होई, तो अब सारा फोकस किस पे, लीगैंड पे, तो देखो यहाँ पे अगर हम लीगैंड पे फोकस करते हैं, यह हमारा लीगैंड है, तो कौन सा ligand है ये, CH2, CH2, दो carbon वाला, जिसमें दो क्या लगा हुआ है, amine, NH2, NH2 लगा हुआ है, right, so this is ethane 1,2-diamine, तो हमारा ligand का नाम क्या है, ligand है ethane 1,2-diamine, ठीक है, लेकिन क्या हमारा लिगैंड सर्फ इतना ही है, इतना नहीं है, देखो, hole 3 है, यानि कि ये कितने है, ये 3 है, अब देखो, इस लिगैंड के नाम के अंदर ही die यूज़ किया हुआ है, है ना, तो इसलिए इसको हम क्या लिखेंगे, क्या इसको हम try लिखेंगे 3 के लि� Central Atom को, Central Atom यहाँ पर क्या है? Cobalt, CO is Cobalt, तो लिख डालो Cobalt, Cobalt के बाद, Bracket में हम लिखते हैं, Cobalt का Oxidation Number, ठीक है?
अब Ma'am, Oxidation Number कैसे निकाले? कैसे क्या? इसकी Oxidation Value तुम Calculate करो, Oxidation Number की Value, तो चलो, Oxidation Number कैसे Calculate हो पाएगा?
ओके, मान लेते हैं कि कोबाल्ट का ओक्सिडेशन नंबर है एक्स, ठीक है, अब ये जो इथेन 1,2 डाई अमीन है, इसके उपर कितना चार्ज रहता है, इसके उपर रहता है जीरो चार्ज, और नेट नेट इस पूरे आयन पे कितना चार्ज है, चार्ज है फटाक से देखिए तो आप जीरो बोल दोगे बट जीरो एक्चुली है नहीं टाइट क्यों क्योंकि देखो यह किसके साथ जुड़ा हुआ है सल्फेट जिसमें यहां पर थ्री है तो बेसिकेली अगर यह आयोनाइज होगा तो एसोफो टू माइनस रहेगा थ्री प्लस न तो यानि कि इसके थ्री होगा क्योंकि चार्ज का मतलब ही क्या होता है कि अगर वह आयोनाइज कर जाएगा तो उसके ऊपर कितना चार्ज होगा यही मतलब होता है होता है तो अगर यह आयोनाइज होगा तो एसोफूर अलग निकल जाएगा एनायन और यह पूरा कैटाइन रहेगा तो कैटाइन के ऊपर नेट नेट प्लस थ्री चार्ज होगा जो हमने लिख दिया तो इसका मतलब एक्स की वैल्यू हो जाएगी प्लस थ्री ठीक है यानी की यहां पर नेमिंग चलो देखें बच्चों दूसरा एग्जाम पर एजी एनेज थ्री होल टू एजी सीएन होल टू ठीक है नामकरण करना है पहला स्टेप कैटाइन और एनाइन को आइडेंटिफाइड करना है अब यहां पर इस क्वेश्चन को देखकर आपको ऐसा चलो ना कैलकुलेट करके देख लेते हैं कितना चार्ज है अभी देखो अगर हम इस पर फोकस करें ना तो AG के ऊपर plus 1, CN के ऊपर minus 1, लेकिन CN कितने हैं? 2 हैं, मतलब net net CN के ऊपर minus 2, तो net net इस पे कितना charge हो गया? minus 1, negative charge हो गया, which means साफ साफ पता चली गया कि ये हमारा क्या है? ये हमारा anion है, अब अगर ये anion है, तो ये क्या हो जाएगा?
ये obviously cation होगा, और वैसे भी अगर देख तो पहला स्टेप तो हो गया अब सबसे पहले किसका नाम करन करेंगे कैटायन का तो चलो सारा फोकस कैटायन पर रखते हैं कैटायन के अंदर हमारा central atom क्या है central atom है silver और ligand क्या है ammonia है ना NH3 है तो ammonia कितने है दो हैं तो ये क्या हो जाएगा डाई अमीन तो लिगांड का नाम हो गया क्योंकि अमोनिया जो एनेच थ्री है यह जब लिगांड की तरह रहता है तो हम क्या लिखते हैं अमीन है ना तो यह हो गया अमीन डाई अमीन हो गया अब उसके बाद क्या लिखेंगे जो हमारा सेंटरल आटम है जो कि यहाँ पर है स ठीक है, तो हमने क्या लिख लिया, कैटायन का नाम हम अलड़ी लिख चुके हैं, अब बारी है एनायन की, तो अब एनायन पे फोकस करते हैं, एनायन का सेंट्रिल आटम क्या है, सिल्वर फिर से, और ये क्या है? CN whole 2 तो ये हमारा लिगांड है तो पहले लिगांड लिखेंगे CN को हम क्या लिखेंगे? CN minus मैंने बताया था ना anionic ligand negatively charged ligand का नाम हमेशा O से end होता है तो इसको हम लिखेंगे sinido ठीक है, O लगा दिया लास्ट में, ठीक है, लगा दिया, अब कितने है CN, 2 है, तो यह हो जाएगा Dicyanido, ठीक है, Dicyanido लिख दिया, इसके बाद क्या लिखेंगे, Central Atom, तो इसका Central Atom क्या है, फिर से Silver है, लेकिन, यहाँ पर एक catch है अब देखो ये जो पूरा जो anion है जब भी भी हम anion का नाम लिखते हैं तो anion का जो central atom का नाम लिखते हैं वो किस से खतम होता है वो 8 से खतम होता है उसमें हम suffix लगाते हैं 8 ये सारे rules हमने अब अभी अभी पढ़े थे राइट अभी तोड़ा सा मुश्किल लग रहा होगा बट एक बार प्रैक्टिस करने लग जाओगो तो चीजें आसान हो जाएगी तो यहाँ पर यह जो सिल्वर है इसको हम सिल्वर नहीं लिखेंगे अब इसको हम सिल्वर एट भी नहीं लिख सकते ह ठीक है अब इसका भी ब्राकेट में ओक्सिडेशन नंबर लिखना तो भाई मस्ट है तो इसका ओक्सिडेशन नंबर यहाँ पे कितना है वन एगेन तो ये वन तो कुल मिला के ये हो जाएगा हमारा IUPAC नेम डायामीन सिल्वर वन डाय सायनीडो अर्जेंटिट वन तो चलो ब अब देखो यहाँ पे कौन सा वाला क्या है पहले तो वो समझना होगा देखो square bracket के अंदर जो भी चीज़ें हैं वो क्या है हमारा coordination identity है अब उसके बाहर जो भी है वो counter ion है तो CL यहाँ पे counter ion है C L है तो C L minus यानि कि ये क्या हो जाएगा ये हमारा anion है negatively charged ion तो ये जो बचा हुआ part रहा ये क्या बन गया ये हमारा positively charged ion यानि कि cation ठीक है naming पहले cation की होगी हमेशा की तरह अब इस cation के अंदर भी ये cobalt जो है ये हमारा central atom है ठीक है और ligands कौन से है एक ligand है NH3 यानि कि amine जिसको हम amine की तरह name करेंगे दूसरा है CO3 यानि की carbonate ठीक है तो ये जो है ये हमारे दो ligands हैं ओके चलो तो अब naming शुरू करते हैं सबसे पहले cation को name करेंगे cation में भी ligand को तो यहाँ पे ligand क्या क्या है एक तो है amine कितने amine है NH3 hole 5 है तो यानि की यहाँ पे लग जाएगा pentamine दूसरा लिगेंड क्या है CO3, CO3 में कैसा चार्ज होता है, carbonate ion में minus चार्ज होता है, यानि कि ये anionic लिगेंड है, negatively charged लिगेंड है, negatively charged लिगेंड का नाम हमेशा O से end होता है, तो इसका नाम हो जाएगा, कार्बोनेटो ठीक है अब कार्बोनेटो को पहले लिखेंगे या अमीन को पहले लिखेंगे अमीन को क्योंकि हम एलफाबेटिकल ऑर्डर से लिखते हैं तो यहां पर हो जाएगा कार्बोनेटो देखो हम स्पेस कहीं पर भी नहीं डाल रहे हैं क्योंकि वह एक रूल है कि बीच में स्पेस नहीं डालना है ठीक है तो कार्बोनेटो भी लिख दिया तो इसका मतलब लीगांट की नेमिंग खत्म हो गई है इसके बाद क्या है इसके बाद सेंट्रल आटम विच इस कोबाल्ट अ कोबाल्ट के बाद लिखना पड़ेगा इसका ओक्सिडेशन नंबर, तो कोबाल्ट का ओक्सिडेशन नंबर लिखने के लिए निकालना पड़ेगा, चलो निकालते हैं, कोबाल्ट के बाद अब लिखना पड़ेगा इसका ओक्सिडेशन नंबर, ओक्सिडेशन नंबर निक नंबर मान लो कोबाल्ट का ऑक्सिडेशन नंबर है एक्स एनेच तरीका ऑक्सिडेशन नंबर होता है जीरो उसके बाद कार्बोनेट आयन क्या होता है CO3 2 माइनस तो कार्बोनेट आयन का चार्ज होता है माइनस 2 और ओवर आल इसमें कितना चार्ज होना चाहिए अगर अगर यह आयोनाइज किया तो CL-और इधर प्लस, तो यानि कि इधर कितना होना चाहिए था, इधर होना चाहिए था प्लस 1, तो यहां से हम देख सकते हैं कि X की वैलू निकल जाएगी 3, तो इसका मतलब कोबाल्ट का ओक्सिडिशन स्टेट हो जाएगा 3, जिसे हम रोमन नू कर दो एंड वी आइट डन विद नेमिंग तो बच्चों अब आई होप यह वाला पार्ट तो क्लियर हो गया कि भाई अगर एक फॉर्मुला दिया हुआ है तो उसका नेम कैसे लिखेंगे अब सीखते हैं वैसा-वर्सा कि मालों अगर एक नेम दिया हुआ है तो उसका आपको तीन सिंपल स्टेप्स फॉलो करने है पहला स्टेप होगा आइडेंटिफाई द सेंट्रल आटम पहले तो उस स्ट्रक्चर को देखकर या उस फॉर्मुले को देखकर आपको आइडेंटिफाई करना है कि सेंट्रल आटम कौन सा है जो कि आप करी लोगे दूसरा आइडेंटिफाई द लीगेंट से इन अल्फाबेटिकल ऑर्डर लीगेंट कौन-कौन से जो सेंट्रल आटम से डिरेक्टरली ताकि आपको पता हो कि उसे किस order में लिखना है, तीसरा, identify counter ions, इसमें counter ions कौन से हैं, उनको identify कर लो, तीन चीजों को अगर आपने identify कर लिया, तो इनका नाम, is super duper easy, चलो कुछ try करके देखते हैं, चलो बच्चो देखते हैं, एक example, potassium tetra hydroxo zincate 2, पहले identify करेंगे कि इसमें कौन सी चीज क्या है, अब zincate के बगल में 2 दिया हुआ है, which means कि, ये जो zincate है ना, ये जो zinc है basically, ये हमारा central atom है, क्योंकि central atom के बगल में ही उसका oxidation number निखा रहता है, लेकिन at the same time यहाँ पे 8 लगा हुआ है, इसका मतलब क्या है, कि यह जो central atom है, यह किसका part है, यह central atom जो है, यह anion का part है, कि चेंट्रल आटम कैटाइन का पार्ट नहीं है ओके यह भी बात समझ में आ गई तो इससे हमें यह पता चल गया कि इधर यह जो पार्ट है ना पोटाशियम यह क्या हो जाएगा यह हो जाएगा काउंटर आयन क्योंकि जिधर सेंट्रल आटम है तो दिस इस सी आई काउंटर ठीक है और ये टेट्रा हाइड्रोक्सो ये क्या हो जाएगा ये हो जाएगा लिगांड ठीक है तो इसका मतलब लिगांड और ये सेंटरल आटम ये हमारा स्क्वेर ब्रेसेस के अंदर रहेगा और पोटाशियम जो है ये बाहर रहेगा ठीक है चलो तो अब इसका लिखते हैं तो इसका मतलब potassium को भाई बाहर निकाल दिया अब square bracket के अंदर हम क्या लिखेंगे हम लिखेंगे सबसे पहले central atom जो की यहाँ पर zinc है और क्या है यहाँ पर लिगैंड है टेट्रा हाइड्रोक्सो हाइड्रोक्सो बोले तो ओएच और कितने ओएच है टेट्रा मतलब फोर तो जेड एन ओएच होल फोर है ठीक है अब देखना क्या बाकी रह गया ओक्सिडेशन नंबर एगेन तो जिंकेट का ओक्सिडेशन नंबर क्या है तू है ठीक ह हो जाएगा minus 4, तो मतलब net net, square bracket के अंदर जो anion है, इस net net anion का charge हो जाएगा minus 2, potassium का charge कितना होता है, हमें पता है plus 1, तो ये minus 2 इधर आएगा, eventually ये plus 1 इधर जाएगा, तो यहाँ पर ये हो जाएगा K2, तो इसका formula हो जाएगा K2 ZnOH whole 4, तो बच्चों, Werner theory ने हमें काफी information दे लेकिन इस थिओरी में कुछ खामियां अभी भी रह गई थी जैसे कि ऐसा क्यों होता है कि कुछ ही elements होते हैं जो coordination compounds बनाते हैं सारे क्यों नहीं बनाते हैं ऐसा क्यों होता है कि coordination compounds के अंदर जो ये coordination bond होता है उसमें directional properties होती है और उस directional property की वज़े से ही तो इनकी specific orientation और geometry होती है बट ऐसा होता क्यों है ऐसा क्यों होता है कि जो coordination compounds होते हैं इनके specific optical और magnetic properties भी होती हैं, है न, तो ये कुछ ऐसे सवाल रह गए थे जिसका जवाब Werner थियोरी नहीं दे पाई थी, हाला कि दूसरी थियोरी भी पीछे नहीं हटी थी, तो इसका जवाब वरनर थियोरी नहीं दे पाई थी, तो इसका इसके बाद एक के बाद एक और थ्यूरी आती गई टू एक्सप्लेइन ऑल दीज थिंक्स इन मोड डिटेल जैसे कि वैलेंस बॉंड थ्यूरी आई क्रिस्टल फील्ड थ्यूरी आई लीग एंड फील्ड थ्यूरी आई एंड मैंने इतने सारे थ्यूरी पर हम फोकस नह ही करेंगे हमारा फोकस रहेगा सिर्फ दो थिवरी में वैलेंस बॉंड थिवरी एंड क्रिस्टल फील्ड थिवरी तो शुरुआत करेंगे वैलेंस बॉंड थिवरी से अब वैलेंस बॉंड थिवरी को ऑडिनेशन कंपाउंट के लिए ही तो पढ़ना है वही हमारा एजेंडा है वह उससे बहले मैं जरा यह चेक कर लूं कि सबको कोवेलेंट कंपाउंट का जो वैलेंस बॉंड थिवरी में क्विक रिकाप बिकोस उस रिकाप के बीना आगे समझना मुश्किल हो सकता है तो हमने कोवेलेंट का कंपाउंड के केस में क्या पढ़ाता है, valence bond theory में क्या पढ़ाता है, हमारी कहानी कुछ यू थी, कि भाई जब भी बॉंड formation करना होता है, तो कोई भी क्या करता है, वो अपने valence orbitals को भेज देता है, बॉंड बनाने के लिए, मतलब orbitals को, मतलब valence orbitals में जो electrons हैं, उनको भेज दे तो यूद लड़ने जाता कौन है जो boundary पे बैठे हैं जो soldiers बैठे हैं वो जाते हैं right so in a similar way यहाँ पर bond बनाने के लिए कौन जाता है valence orbitals ठीक है okay in fact अगर मैं सिर्फ valence orbitals बोलू तो गलत होगा कौन जाता है hybridized orbitals hybridization पढ़ा था हमने right basically होता कुछ यूँ है कि जो बाहर के orbitals है right उन सब की energy levels अलग अलग होती है नहीं रहे बॉर्डर में जो चोल्डर से जो ट्रेंड है लड़ने के लिए वहीं तो लड़ने जाएंगे क्योंकि वह जितने भी सैनिक होंगे वह सारी इक्वली ट्रेंड है उनकी एनर्जी लेवल इक्वल है तो वह सारे युद्ध में लड़ने के लायक है बात समझ रहे हो तो कुछ वैसी कहानी यहां पर हो रही है कि बई जो वैलेंस और बाइटल्स है अब एक टू एस है यह सारे साथ में मिल करके एकदम अच्छा बच्चा अच्छे बच्चों की तरह पूरे एनर्जी को एक्विवली डिस्ट्रिब्यूट कर लेते हैं आपस में, और यह जो हाइब्रिडाइज्ड और्बाइटल्स हैं, एक्विवलिंट एनर्जी की यह जाते हैं दूसरों के साथ बॉंड बनाने के लिए, यह हमारा कोविलिंट कमपाउंड्स के केस में वी बी टी था, यानि की वैलेंस बॉंड थियोरी थी, कि टिक एग्जांपल देखते हैं कोवलेंट कंपाउंट का एग्जांपल लेंगे पहले बात करते हैं मीथेन की अगर मीथेन के स्ट्रक्चर को आप देखो तो किसके बीच में बॉंड बनता है कार्बन और हाइड्रोजन के बीच में बॉंड बनता है तो बेसिकली कार्बन और हाइड्रोजन के बीच में बॉंड बनता है अब मैंने क्या बोला है कि भी कार्बन के हाइब्रिडाइज्ड तो तरीके से ये जो 2S, 2P वाले औरबाइटल्स हैं, इनको जाना चाहिए बॉंड बनाने के लिए, लेकिन, वैसा कि मैंने बताया 2S, 2P अलग-अलग एनर्जीज हैं, तो इन्होंने बोला कि भाई मिल बांट के चलते हैं, एक काम करते हैं, S और P के तीनों औरबाइटल्स, तो कुछ वैसा ही होता है यहाँ पे 1S और 3P और बाइटल्स जो हैं ये साथ में कमबाइन हो जाते हैं और ये बन जाते हैं हाइब्रिडाइज्ड SP3 और बाइटल्स और एक्विवेलेंट एनर्जी.
अब ये जो हाइब्रिडाइज्ड और बाइटल्स होते हैं ये ज्यादा स्टेबल बॉंड बनाते हैं उसी लिए तो हाइब्रिडाइज्ड होता है तो जब मीथेन का बॉंड फॉर्मेशन होता है तो कार्बन के पास 4 SP3 हाइब्रिड और बाइटल्स होते हैं. और ये sp3 hybrid orbital hydrogen के s orbital के साथ bond बनाता है, and that's how methane is formed, ये तो कहानी थी covalent compounds की, अब देखना बाकि ये है कि coordination compounds के case में क्या होता है, तो देखो coordination compounds में, जो main funda है वो ये है कि जो central metal atom है, वो electron accept करता है, किस से accept करता है, ligand से, तो यहाँ पे क्या होगा, कि जो central atom है, उसके जो hybrid orbitals हैं, मतलब उसके भी जो outer orbitals हैं, जो valence orbitals हैं, वो क्या हो जाएंगे, hybridized हो जाएंगे, जैसा कि अभी-अभी मैं बता रही थी, तो hybridization के बाद इनके जो hybrid orbitals होंगे, ये किसके साथ overlap करके bond बनाएंगे, ligand के orbitals के साथ, absolutely correct, और ऐसे होती हैं यहाँ पर bond formation, तो concept VBT का वही जस्ट देट यहाँ पे सिर्फ इतना फरक है कि यहाँ पे एक central metal atom है और एक ligand है तो ligand के orbitals है, central atom के orbitals है, और यहाँ पे जो central atom है वो ligand से electron accept करता है, वो लेता है, that is the major difference here, उससे क्या फरक पड़ता है, let's see that, और इसे हम समझेंगे एक example के साथ, let us suppose हम एक coordination compound का example लेते हैं, जैसे कोबाल्ट यानि की CO यहाँ पे लीगांड क्या है NH3 यानि की अमोनिया अब कोबाल्ट हमें इस फॉर्मूले से साफ साफ दिख रहा है कि कोबाल्ट बीच में बैठा है और यह 6 coordination bond बना रहा है 6 NH3 के साथ ठीक है विच मीन्स कि यह जो NH3 है जो की यहाँ पे लीगांड है उसका यहाँ पे क्या काम है इलेक्ट्रॉन देना कोबाल्ट का यहाँ पे क्या काम है इलेक्ट्रॉन एक्सेप्ट करना बेसिकली शेयरिंग होगी बट कोबाल्ट विल नॉट गिव एनी इलेक्ट्रॉन्स ठी तो इसका मतलब अगर खुद सोच के देखो अगर कोबाल्ट को हर एक NH3 से दो एलेक्ट्रोन लेने है, that is the whole purpose of cobalt here, क्योंकि cobalt is the central atom, कोबाल्ट देने वाला पार्टी में से नहीं है, कोबाल्ट दो एलेक्ट्रोन लेगा हर एक NH3 से, तो इसका मतलब तो यह हुआ कि अगर हम कोबाल्ट का configuration बनाएंगे, तो कोबाल्ट के पास 6 खाली बॉक्सेस होने चाहिए, खाली बॉक्सेस बोले तो, चलो देखो, देखते हैं कोबाल्ट का एलेक्ट्रोनिक कंफिगुरेशन लिखकर तो लेट एस टॉक अबाउट देस्ट पर परिकुलर कॉम्प्लेक्स एंड मोड डिटेल सी ओ एनेज थ्री होल सिक्स इल तो यहां पर अभी फिलहाल हम कैटाइन पर फोकस करते हैं विच इस प्रियो एनेज थ्री होल सिक्स ट्री प्लस ठीक है तो यहां पर कोबाल्ट का एलेक्ट्रोनिक कंफिगुरेशन क्या होगा डी सेवन फोर से टू ठीक है अ इसको अगर हम इन डबों में बनाएं इसके इलेक्ट्रोन को तो दिखो ऐसा कुछ दिखेगा जो D है उसमें 7 है मतलब 5 ओं में एक एक और शुरू के दों में paired up 3D 7 हो गया और 4S 2, 4S में 2 paired up इलेक्ट्रोन ठीक है कुछ ऐसा दिखेगा configuration absolutely fine अब देखना यह है कि इस particular complex में cobalt का oxidation number कितना है ठीक है कैसे निकालेंगे मान लो कि cobalt एक ऑक्सिडेशन नंबर है एक्स ठीक है एनेच तुम्हें कितना चार्ज होता है जीरो होता है ठीक है और यहां पर एनेच तुम्हें कितने है 6 तो जीरो इंटो 6 जीरो तो एक्स प्लस जीरो इज इक्वल टू कितना हो जाएगा इसमें नेट चार्ज 4S के 2 इलेक्ट्रोन हटा दो, जो 3D7 था, वो अब 3D6 हो जाएगा, ठीक है, तो कुछ इस तरीके का बन जाएगा, तो अब अगर हम ध्यान से देखें, तो भी कोबाल्ट को क्या करना है, 6 NH3 के साथ कोडिनेट बॉंड बनाना है, मतलब कोबाल्ट को हर एक NH3 से 2 इलेक्ट्रो बट अभी फिलाल कितने बॉक्सेस है, चार बॉक्सेस है, तो कोबाल्ट क्या करेगा, थोड़ी अजजस्टमेंट करेगा, जैसे जब हमारे घर पे गेस्ट आ जाते हैं, तो हम क्या करते हैं, थोड़े अजजस्टमेंट करते हैं, क्योंकि घर में उतने ही कमरे होते हैं हमारे 6 डब्बे हो गए ठीक है, लेकिन अब ये जो 6 खाली डब्बे हैं, जो पहले 2 डब्बे हैं, वो D और्बाइटल के हैं, अगला वाला डब्बा S का है, उसके अगले वाले डब्बे किसके हैं, उसके अगले वाले डब्बे P के हैं, अब इन सब की energy level क्या है, अलग-अलग है, और P के 3 ये सारे लोग आपस में hybridize कर जाएंगे और ये बन जाएंगे D2 SP3 hybrid orbitals of equivalent energy ठीक है बन गया समझ में आ गया अब bond formation जब होगी तो क्या होगा देखो ये जो hybrid orbitals है अब इन में electron pair आएगा कहां से आएगा NH3 देगा NH3 का काम ही है electron pair देना तो NH3 electron pair देगा and that's how यहाँ पर electron pairs आ जाएंगे तो यहाँ पर हमने क्या देखा कि इस पर्टिकुलर कॉंप्लेक्स के केस में कोबाल्ट का कोडिनेशन नंबर था छह क्योंकि यह छह लिगांड के साथ कोडिनेशन बॉंड बना रहा था ऐसे केस में इसकी हाइब्रिडिजेशन क्या थी डी टू एसपी थ्री और ऐसे केस में फॉर कोडिनेशन नंबर सिक्स जिसकी हाइब्रिडिजेशन डी टू एसपी थी हो उसका जो जियो में ट्रियो ता है वह क्या होता है उसका जो स्पेशियल एरेंजमेंट होता है देट इज ऑक्टा हेड्रल तो देखो यह वैलेंस बॉंड थिओरी के आते ही जो है ना एक particular coordination compound के साथ हमने एक specific geometry को link up कर दिया, right, चलो बच्चों अब हम लेंगे एक और example, ठीक है, तो यहाँ पर हम यह देखेंगे कि कैसे जैसे जैसे coordination number change होता है, वैसे वैसे hybridization change होती है, और वैसे ही इनका जो spatial arrangement है, वो भी change होते रहता है, ठीक है, तो अभी हम लेंगे हमारा अगला तो यहाँ पर मेरा central atom क्या है? cobalt which is CO और इसके ligands कौन से है?
chlorine और कितने CL attached है इससे? 4 तो यानि कि यहाँ पर coordination number कितना है? cobalt का 4 simple था? अब चलो इसके bond formation और hybridization को समझते हैं cobalt का outer electronic configuration 3D7 4S2 यहाँ पर इस particular complex में cobalt का oxidation state क्या है?
CL का charge कितना होता है minus 1, यहाँ पे 4 CL है तो total कितना हो जागा minus 4, cobalt का हमने मान लिया X, तो X plus minus 4 is equal to, overall इस complex में कितना charge है minus 2, तो X की value plus 2, यानि कि cobalt यहाँ पे plus 2 state में है, तो cobalt 2 plus, CO2 plus का electronic configuration क्या हो जाएगा, 4S2 के जो 2 electron हैं उनको हटा दो, ठीक है, D वाले orbital के जो डब्बे हैं, उसमें सब में एक एक electron है, और शुरू के दो में दो दो electron है, ठीक है, ओके, clear हो गया यहां तक, ओके, अब क्या होगा, अब देखो इसे कितने खाली boxes चाहिए, सोच के देखो, इसे 4 chlorine के साथ bond बनाना है, मतलब इसे 4 खाली डब्बे चाहिए, क्य ये तो available है, तो इसे और adjustment के ज़रूरत नहीं है, ये S का एक orbital और P के तीनो orbital आपस में hybridize कर जाएंगे, और बन जाएंगे hybrid SP3 orbitals of equivalent energy, और ये SP3 hybrid orbital यह बॉंड फॉरमेशन में पार्टिसिपेट करेंगे, ठीक है, ओके, समझ में आ गया, तो इसका मतलब यहाँ पर कोडिनेशन नंबर था 4, हाइब्रिडिज़ेशन था SP3, और जब हाइब्रिज़ेशन SP3 होता है, तो किस तरह का स्पेशियल अरेंज्मेंट होता है, टेट्र तो चलो बच्चों लेते हैं एक और अगला example ठीक है थोड़ा interesting रहेगा तो अगला compound हम लेते हैं ni cn hole 4 2 minus तो यहाँ पर central atom क्या है nickel ni और यहाँ पर ligand क्या है cn तो cn minus के साथ यह बना रहा है 4 coordinate bond यानि कि यहाँ पर coordination number है 4 ठीक है अब आप सोच रहेगा कि अगर coordination number 4 है तो यह ठीक है तो शुरुआत करेंगे वहीं से निकल का एलेक्ट्रोनिक कॉन्फिगरेशन क्या हो जाएगा 3D 8 4S 2 आउटर कॉन्फिगरेशन ठीक है ओके अब नेक्स्ट स्टेप हमारा क्या है कि इस परिकुलर कमपाउंड में निकल का ओक्सिडेशन स्टेट क्या है अब अब NI2 plus का electronic configuration क्या हो जाएगा, 4S के 2 electron को भागा दो, right, तो अब मेरा जो इसका configuration हुआ क्या हुआ, 3D8, मतलब D के जो 5 डब्बे थे, उसमें से 3 डब्बे paired electron से भरे हुए हैं, और 2 डब्बों में एक एक electron है, ठीक है, okay, अब सुचने वाली बात यह है, कि निकल सुचता है कि कि सीएन के साथ बॉंड बनाने के लिए रेट क्योंकि मेरे पास चार सीएन जुड़ेंगे तो हर एक दो इलेक्ट्रोन देगा ठीक है अब देखने वाली बात तो यह कि यहां पर चार डब्बे तो है इसका एक डब्बा है पी के तीन डब्बे है लेकिन निकेल क्या सोचता है कि नहीं यार अभी देखो डी में जो है ना फालतू में एक एक इलेक्ट्रोन एक एक बॉक्स घेरा हुआ है तो मैं दोनों को एक में शिफ्ट कर देता हूं दोनों को एक में पेर अप कर देता हूं ठीक है वह इट जो guests आए हैं वो accommodate तो हो जाएंगे बाकी कमरों में, बट कई बार हम सुचते कि यार एक इतना बड़ा कमरा है उसमें एक ही बच्चा है, दोनों को एक में shift कर देते, तो somewhat like that, तो यहाँ पर क्या हुआ, ये दोनों एक में shift हो गए, तो क्या हो गया, D का एक डबबा खाली हो गया, और दो मैंने P के ले लिये, अब इन सब की energy level अलग-अलग है, तो D, S और P2, PK2 यह सारे hybridize होके बना देते हैं DSP2 hybrid orbitals of equivalent energy तो देखो यहां पर हाला कि coordination number 4 ही है बट यहां पर hybridization क्या है DSP2 चुकी hybridization DSP2 है तो यहां का जो spatial arrangement है that is square planar तो इसलिए अगर आप NIC and hole for 2 minus का structure देखोगे तो यह square planar है मतलब NI बीच में है एक plane में lie करने वाला एक square की तरह है, जहां बीच में NI है, और square के चारो corners पर CN है, ठीक है, इसे तरीके से, हम और अलग-अलग coordination compounds के examples देख सकते हैं, जहां पर coordination number 5 है, तो उनका hybridization हो जाता है SP3D, और वहाँ पर उनका spatial orientation हो जाता है, वो हो जाता है trigonal bipyramidal, जैसे की FeCO whole 5, यहाँ पर देखो, जो central atom है iron, इसके साथ 5, CO जुड़े हुए हैं, यानि कि coordination number यहाँ पे 5 है, FEF6 3-का, तो यहाँ पर iron central atom है, जिससे total 6 ligands जुड़े हुए हैं, which means coordination number is 6, यहाँ पर हम अगर देखें, अगर hybridization निकाले, तो देखेंगे कि hybridization comes out to be SP3D2, और यहाँ पर जो special orientation होगा, that will be octahedron, ठीक उसी तरह अगर हम example ले ल coordination number तो 6 है क्योंकि iron के साथ total 6 CN जुड़े हुए हैं, लेकिन यहाँ का hybridization है, that is D2SP3, और यहाँ का भी spatial arrangement है, that is again octahedral. तो बच्चों, अब हम discuss करेंगे magnetic behavior के बारे में, valence bond theory को जैसे-जैसे हम discuss कर रहे हैं, तो हम यह देख रहे हैं कि इस structure को बनाते दोरान, हमें यह देख जाता है कि hybridization के बाद, Central atom के orbitals में unpaired electron है या नहीं? अगर unpaired electron present है, इसका मतलब वो paramagnetic है. अगर unpaired electron present नहीं है, इसका मतलब वो diamagnetic है.
चीके, एक example लेते हैं. एग्जांपल लेते हैं CO NH3 whole 6 3 plus का चीके इसकी पूरी calculation हमने अभी अभी करी थी चीके तो हमने क्या देखा था इसका hybridization है D2 SP3 चीके तो अगर हम देखे कुछ इस तरीके से इसके 6 D2 SP3 hybrid orbitals थे of equivalent energies जो electron लेते हैं कहां से NH3 से मतलब ligands से electron pair जो ले रहे थे चीके अब देखो इन सारे डबों को ध्यान से देखो, किसी भी डबे में क्या आपको unpaired electron दिख रहा है, नहीं दिख रहा है, इसका मतलब unpaired electron is not present, which means this is diamagnetic in nature, simple था, okay, अब एक और चीज़ हम बता सकते हैं, यह जो complex है, पता है यह किस तरह का complex है, यह inner orbital complex है, inner orbital complex बोले तो, इस complex को D orbital use हो रहा है, वो inner D orbital use हो रहा है, inner D orbital बोले तो, जैसे देखो यहाँ पर, अगर हम देखे cobalt के orbitals को, तो कौन से orbital hybridize हुए, D2 SP3, यह जो D2 है, यह D2 3D वाले D2 है, right, मतलब यह जो 2D के orbitals है, यह 3D वाले D के orbitals है, right, यानि के जो outermost shell है, that is actually 4, देखो न, 4S, 4P की बात कर रहे ह मतलब inner d orbitals यहाँ पर use हो रहे हैं for bond formation, इसलिए इस तरह के complexes को हम कहते है inner orbital complex, मतलब जिन complexes में bond formation के लिए अंदर वाले d orbitals use होते हैं, वो होते है inner orbital complex, तो चलो बचो एक exercise खुद से करके देखते हैं, let us suppose हमारे पास एक complex है COCL 4 2-और हमें predict करना है क्या इसका shape और इसका magnetic behavior, तो हम कहानी की शुरुवात कहां से करते हैं? Central Atom से करते हैं, ठीक है? यहाँ पे Central Atom क्या है?
CO यानि की Cobalt, ठीक है? Cobalt का Electronic Configuration क्या होता है? हम ना Focus करेंगे सिर्फ Outer Electronic Configuration में, तो इसका Outer Electronic Configuration होता है 3D7 4S2, तो इसको अगर मैं ऐसे Blocks में बनाओं, तो इसका अगर मैं ऐसे Blocks में बनाओं, तो 3D7 मतलब 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 3D7 और 4S2 तो ये 3D हो गया ये 4S हो गया, तो कुछ ऐसा होगा इसका electronic configuration ठीक है, पर देखना यह है कि cobalt इस particular complex में किस state में है, मतलब cobalt का oxidation number क्या है यहाँ पर, तो चलो, let us suppose cobalt का oxidation number X है, CL का होता है minus 1 और यहाँ पे कितने CL है 4 CL तो मतलब total कितना हो जाएगा minus 4 this is equal to net net in पे minus 2 charge है तो x की value हो जाएगी plus 2 तो इसका मतलब है कि cobalt यहाँ पे 2 plus state में है ठीक है तो cobalt 2 plus का electronic configuration क्या होगा चलो देखें cobalt 2 plus का electronic configuration होगा वो कुछ ऐसा हो जाएगा 2 निकाल देने हैं, 2 इलेक्ट्रोन, तो 2 इलेक्ट्रोन straight away हम 4S से निकाल देंगे, तो अब जो है, इसका configuration कैसा हो जाएगा, यह हो जाएगा 3D7, ठीक है, क्योंकि 4S के 2 इलेक्ट्रोन को हमने निकाल दिया, तभी तो cobalt 2 plus state में जाएगा, right, so this is the configuration now, अच्छा, तो अब दे� तो कोबाल्ट को 4 खाली डब्बे चाहिए, आप बोलोगे मैं यहाँ पे तो सिरफ एक ही खाली डब्बा हुआ, यह जो 4S वाला डब्बा खाली हुआ, बट 4S के बाद 4P के डब्बे भी तो होंगे, तो इसका मतलब यह जो 4 खाली डब्बे हैं, यह क्या हो जाएंगे, यह hybridize होके, बना देंगे sp3 hybrid orbitals और ये जो sp3 hybrid orbitals हैं ये CL के साथ bond formation में participate करेंगे ठीक है तो ये कहानी सबको समझ में आ गई ठीक है मुझे बताना क्या था मुझे यहाँ पर बताना है इसका magnetic behavior और shape तो अगर sp3 hybridization होगा और इसका coordination number कितना है 4 है क्योंकि cobalt कितने chlorine से जुरा हुआ है 4 तो आ� चार अगर coordination number है और type of hybridization अगर sp3 है तो इसका किस तरेके का shape होगा इसका tetrahedral shape होगा cocl4 2-का shape tetrahedral होगा तो भाई shape तो हमने बता दिया अब बारी है magnetic behavior की, magnetic behavior हम कैसे बताते हैं, क्या इसमें unpaired electron है, भाई साफ साफ यहाँ पर unpaired electron दिख रहे हैं इन डबो में, अगर unpaired electron है तो इसका magnetic nature कैसा होगा, यह हो जाएगा paramagnetic. तो इस तरीके से बताते हैं हम shape और magnetic behavior तो चलो बच्चो देखे हम दूसरा example दूसरा example है CRH2O6 3+.
तो यहाँ पर हमारा central atom क्या है? Chromium तो same process follow करेंगे तो सबसे पहले तो आप मुझे यह बताओ कि chromium का atomic number होता है 24, तो अगर हम इसका electronic configuration लिखते हैं, तो क्या मिलेगा, इसका outer configuration पे, अगर हम focus करें, तो इसका outer configuration होगा, 3D5, 4S1 ठीक है आप खुद से electronic configuration लिखके देख लो outer configuration यही मिलेगा ठीक है 3D5 इसलिए होता है क्योंकि half field ज़ादा stable होता है तो इसलिए 4S1 ले लेता है और 3D5 ले लेता है ठीक है तो यह इसका configuration हो जाएगा अब देखना है कि chromium यहाँ पर इस complex में किस state में है तो CR3+, इसका configuration कैसा होगा, चल इससे पहले यहाँ boxes बना लेते हैं, तो पहले situation कुछ ऐसा था, 3D5 और 4S1 और 4P भी इधर है बट वो सब खाली है, ठीक है, यह situation था, अब CR3+, में क्या हो जाएगा, 4S का 1 चला जाएगा, 3D में से भी 2 चला जाएगा, तो यह बन जाएगा 3D, तो मतलब यहाँ पे डब्बो की situation कैसी रहेगी एक, दो, तीन और बाकी ये सब हो जाएंगे खाली ठीक है? तो ये हो गया 3D, ये हो गया 4S यह हो गया 4P ठीक है तो आप देखो यहाँ पर इसके पास कितने डब्बे खाली हैं 1, 2, 3, 4, 5, 6 इसके पास 6 बॉक्सर्स खाली है ठीक है और देखो यहाँ पर जो कमपाउंड दिया है उसमें क्या है क्रोमियम जो है वो 6 H2O से बॉंड बना रहा है यानि कि इसे 6 डब्बे खाली चाहिए भी थे तो यह क्या करेगा यह 2D, 1S और यह 3P यह सारे हाइब्रिडाइज करके बना देंगे D2SP3 हाइब्रिड औरबाइटल और यह D2 SP3 और बाइटल्स जो है यह H2 के साथ बॉंड फॉरमेशन में पार्टिसिपेट करेंगे तो अब इस बेसिस पर बताओ शेप क्या होगी को ऑडिनेशन नंबर कितना है 6 क्योंकि यह 6 H2O के साथ कनेक्ट हो रहा है तो यानि कि मेरा को ऑडिनेशन नंबर है 6 मेरा hybridization क्या है, D2SP3, that is the hybridization, और इसका corresponding shape क्या हो जाएगा, इसका corresponding shape हो जाएगा octahedral, ठीक है, यह किस तरीके का complex है, मैंने बताया था, यहाँ पे देखो, अंदर के D orbitals participate कर रहे हैं, right, क्योंकि outermost shell तो N is equal to 4 के corresponding है, लेकिन D orbital 3 के corresponding वाले जो डब्बे हैं, वो participate कर रहे हैं, तो यानि कि this is an inner orbital complex.
यह एक information मिली हमें, magnetic behavior की अगर बात करें, तो क्या इसमें unpaired electron है, साफ साफ दिख रहे हैं, ma'am, यहाँ पे unpaired electron है, तो बस चुपचाप लिख दो कि, यह paramagnetic है, एंड यू आट डन अब वर्नर थिओरी के काफी सारे लिमिटेशन्स को तो ओवरकम कर लिया था वैलेंस बॉंड थिओरी ने लेकिन वैलेंस बॉंड थिओरी में अभी भी कई लिमिटेशन्स रहे गए थे पहला लिमिटेशन तो ये था कि इस थिओरी में कई सारे अजाम जा रही था कि यह थ्यौरी जो मैं निटिव डेटा देता था उसका कोई क्वांटिटिटिव इंटरपेटेशन नहीं दिया था इसने जैसे कि इसने बोल दिया कि अनपेड इलेक्ट्रान है तो ऐसा नहीं है तो ऐसा राइट बट देर वस्ट नो क्वांटिटिटिव exhibit करते हैं लेकिन valence bond theory इसके बारे में कुछ नहीं बता पाई coordination compounds के thermodynamic और kinetic stability के बारे में भी ये theory कुछ खास नहीं बता पाई जिन coordination compounds के coordination number 4 होते हैं उसमें tetrahedral spatial arrangement में मिलता है और square planer arrangement में मिलता है बट ये दो different situation क्यू और कैसे होते हैं इसे बहुत deep में ये theory नहीं समझा पाई थी बीच में किसी भी तरह का differentiation नहीं कर पाई थी, फिर क्या था, आया अगला theory, तो फिलाल जिस अगली theory की discussion हम करेंगे, that is crystal field theory, तो बच्चो अब crystal field theory को समझने के लिए, उससे पहले हमें समझना होगा और्बाइटल्स के एनर्जी का एक बेसिक कॉनसेप्ट ठीक है? यह बात तो हमें पता है कि सारे और्बाइटल्स के एनर्जी अलग होती हैं जैसे S और्बाइटल्स की, P और्बाइटल्स की, D और्बाइटल्स की 5 D और्बाइटल्स होते हैं जैसे कि DXY, DYZ, DXZ DX2-Y2, DZ2 इन फैक्ट अगर इन सारे D और्बाइटल्स के कि Dxy, Dyz, Dxz में जो lobes होते हैं वो coordinate axis के बीच में lie करते हैं और वही दूसरी तरफ Dx2-Y2 और Dz2 के case में जो lobes होते हैं वो coordinate axis के along lie करते हैं यह structure को ध्यान रखना है दिमाग में तो crystal field theory जादा अच्छे से समझ में आएगी तो अब यह जो सारे D orbitals की energy same होती है इन्हें हम कहते ह ठीक है अब इन सब की एनर्जी सेम तब तक रहती है जब तक इनके आसपास एक सिमेट्रिक फील्ड हो ठीक है मतलब ऐसे समझ लो मानों मैं ऐसे खड़ी हूँ अब मुझे कोई इधर से खींच रहा है और मुझे उतनी जोड़ से कोई इधर से खींच रहा है तो क्या होगा मै तब तो भाई ये सारे degenerate ही रहते हैं, इन सब की energy जैसी है वैसी रहती है, लेकिन अगर एक asymmetrical field कहीं से आ जाए, तो क्या होता है कि इनकी degeneracy खतम हो जाती है, अब ligand field theory ये कहता है कि ligand के entry होते ही, जैसे ही ligand जो है central atom को attack करता है, तो उससे क्या हो जाता है, जो field जो है central atom के around व उसकी वज़े से क्या हो जाता है कि जो D-Orbitals की D-Generacy है वो खतम हो जाती है, यानि कि जो D के जो ये 5 D-Orbitals हैं इनके एनर्जीज अलग-अलग हो जाते हैं और D-Orbitals स्प्लिट कर जाते हैं, जिसे कहा जाता है Splitting of D-Orbitals, अब ये Splitting का पैटर्न कैसा होता है, ये डिपेंड कर crystal field जो है ये octahedral crystal field हो सकती है ये tetrahedral crystal field हो सकती है और इसे crystal field के nature के उपर depend करेगा कि d orbital की splitting कैसी होगी ठीक है तो सबसे पहले हम बात करेंगे octahedral crystal field की ठीक है octahedral entities के case में क्या कहता है CFT तो CFT को एक कहानी की तरह देखेंगे और बड़ा मज़ा आने वाला है ठीक है तो इसमें क् करता है इस थिवरी में ठीक है अब देखो दो चीजें हो सकती है जैसे वालो कि मैं यहां पर खड़ी हूं ठीक है अब मेरा एक दुश्मन है जिसको देखते हैं मुझे गुस्सा आता है बहुत ज्यादा अब अगर वह बिल्कुल मेरे ऐसे सामने आने लेगा तो क्या होगा मेरे और एनिमी के बीच में रिपल्शन बहुत ज्यादा होगा डाइट लेकिन वालो गर्म यहां खड़ी हूं और तो मेरा एनिमी है वह ऐसे चला गया इधर से इधर तो उसके इसमें जो मेरे साथ उसका रिपल्शन होगा देटिल लेस्ट लॉजिकल मेक सेंस ओके अब यहां भी कुछ ऐसा ही होता है, देखो जब लिगांड जो है वो central atom को approach करता है, तो लिगांड के orbitals में electrons है, central atom के orbital में भी electrons है, तो electron electron के बीच में repulsion होता है, अब यह repulsion अधिक होता है, अगर लिगांड जिस axis में attack कर रहा है, तुम्हारे orbital के lobes भी उसी axis में है, तो उसका मत तो उस case में repulsion और ज्यादा हो जाता है, repulsion जब बहुत ज्यादा हो जाता है तो energy level ज्यादा हो जाती है, ठीक है, ओके, अब देखो क्या होता है octahedral के case में, octahedral के case में जो ligand होता है, वो attack करता है central atom को along the axis, ठीक है, तो D के वो वाले orbitals, जिनके lobes along the axis lie करते हैं, कौन से वाले D orbitals ह दी एक्स स्क्वेर माइनस वाइ स्क्वेर एंड डी जेड स्क्वेर तो यह वाले जो और बाइटल से इनके लिए क्या हो जाता है रिपल्शन बहुत ज्यादा होता है इस केस में इस वजह से इनका जो एनर्जी लेवल है वह बहुत ज्यादा हो जाता है करेक्ट तो पहले सिचुएशन ऐसा था कि भाई डी के जो पांचों और बाइटल से सबके एनर्जी सेम थी अब क्या हुआ इसमें से जो दो डी के ओवर ऑल एनर्जी तो उतनी रहेगी अगर तीन की बढ़ गई तो बाक अगर 2 की बढ़ गई तो बाकी 3 की घटनी ही है तो हुआ क्या end of the day पहले ये 5 थे अब ये 2 और 5 में split हो गए this is called splitting of d orbitals ठीक है तो अब मुझे मिला के overall splitting से मुझे 2 set मिल गए, एक उपर का set मिला which is higher energy set, जिसे कहा जाता है EG set, जो नीचे का lower energy वाला set है, उसे कहा जाता है T2G set, ठीक है, clear है, तो बच्चों यहाँ पे हमने क्या देखा कि यह जो splitting हुई D orbitals की, किसकी वज़े से due to the presence of a ligand in a particular geometry, इसे हम कहते है crystal field splitting, तो यही है main crystal field theory क ठीक है अब यह जो स्प्लिटिंग हुई यह जो दो लेवल्स पर यह स्प्लिट हो गई इनके बीच का जो एनर्जी डिफरेंस है देट इज डिनोटेड बाई डेल्टा ओ जहां पर जो सब्सक्रिप्ट ओ है देट स्टैंड फॉर ऑक्टा हेडरल यह डेल्टा ओ जो है यह हम मतलब पहले जो था उससे EG का कितना बढ़ा, कितना बढ़ा होगा, जितना बाकी तीनों का घटा है, right, तो इसलिए EG का जो बढ़ा है, that is 3 by 5 of delta O, मतलब पूरा जो delta O जो energy difference है, उसमें से कितना, कितना हिस्सा EG का बढ़ा है, 3 by 5 of delta O, और कितना हिस्सा T2G का घटा है, that is 2 by 5 इजी वाला लेवल है ना उसमें तो दो एनर्जी और बाइटल्स है दो और बाइटल्स है तो फिर उसका बढ़ा 3 बाइटल्स क्यों है 2 बाइटल्स क्यों नहीं है क्योंकि देखो वो जो दो और बाइटल्स है उनका एनर्जी बढ़ा किसके वज़े से बाकी तीनों के घटन करते हो ठीक है तो खुल मिला के कहानी क्या हुई कि भाई डी और बाइटल जो पहले डी जनरेट के वह प्लेट कर गए क्यों स्प्लेट कर गए इन द प्रेजेंस ऑफ एली गैंड इसे कहते है क्रिस्टल फील्ड स्प्लेटिंग कितनी स्प्लेटिंग भी यह कौन बताता है एनर्जी डिफरेंस बिट्टी इन द टू लेवेल्स डेट इस डेल्टा ओ ठीक है जो ऊपर वाले लेवेल है देखो crystal field splitting के concept के साथ साथ ही आ जाता है strong और weak ligand का concept ऐसा देखा गया experimentally कि कुछ ligands ऐसे होते हैं जो बहुत तगड़ी splitting कराते हैं मतलब उन ligands के presence में जो splitting है वो बहुत ज्यादा होती है यानि कि वो जो delta की जो value है वो बहुत ज्यादा होती है दूसरी तरफ कुछ वैसे ligands होते हैं जो बड़े weak होते हैं कमजोर से होते हैं तो वो बहुत ज्यादा splitting नहीं करा पाते हैं थोड़ा सा splitting कराते हैं तो delta की value कम होती है तो जो जादा splitting कराते हैं, उन्हें हम strong ligands कहते हैं, जो कम splitting कराते हैं, उन्हें हम weak ligands कराते हैं, ठीक है, अब experimentally एक series determine कराई गई, कि भाई कौन सा ligand का कितना strength है, ठीक है, तो वो series कुछ इस तरह से दिखती है, और इसे हम कहते हैं spectrochemical series, ठीक है, तो अगर देखो इस series में, जो जैसे कि CL-, F-, जैसे कि I-, BR-, SCN-, ये सारे weak ligands हैं, दूसरी तरफ अगर हम देखें CN-, CO, ये सारे strong ligands हैं, तो भाई अब हमने ये तो देख लिया कि D-orbital जो हैं, ये अब दो level में split हो चुके हैं, जो lower energy level है, that is T2G, जो higher energy level है, that is EG, अब देखना ये है कि D-orbital के electrons को हम किस order में assign करते मालो D orbital का पहला electron आया, यह पहला electron कहां जाएगा, obviously lower energy level पे जाएगा, क्योंकि lower energy मतलब जाधा stability और सब लोग stable होना चाते हैं, तो पहला electron चुपचाप एक अच्छे बच्चे की तरह T2G में चला जाएगा, चला गया, अब दूसरा electron आया, यह कहां जाएगा, यह भी T2G में ज क्योंकि हुंट्स रूल ये कहता है, हुंट्स रूल हमने पहली पढ़ रखा है, 11th क्लास में भी पढ़ाता है, राइट, हुंट्स रूल ये कहता है कि वह इलेक्ट्रोन की जो फिलिंग है ना वो इस तरीके से होती है कि पहले सारे डबों में एक एक इलेक्ट्रोन आता है, उ चोथा इलेक्ट्रॉन कहा जाए, इसके पास एक ओप्शन है कि ये T2G लेवल के पहले वाले डब्बे में पहले इलेक्ट्रॉन के साथ पेर अप हो जाए, बट अगर वो पेर अप होगा तो उसे क्या देना पड़ेगा, पेरिंग एनर्जी देनी पड़ेगी, अब अगर वो इन दिने का मन नहीं है मेरे को पैसे खर्च करने का मन नहीं है तो इसके पास दूसरा ऑप्शन है कि यह इजी लेवल पर ना कि सीधा टीटू जी पर चला जाए लेकिन टीटू जी जो है वह अपने आप में हायर एनर्जी लेवल है तो उस हायर एनर्जी तक आने के लिए उसे फिर से कुछ एनर्जी खर्च करनी पड़ेगी राइट तो मतलब पैसे का खर्च दोनों तरफ है ठीक है अब देखना यह है कि कहां पर उसका खर्चा कम है जहां पर खर्चा कम है वह चुपचाब वहीं चला जाएगा ठीक है तो यहां वर आता है एक interesting सा concept अब देखो अगर वो pairing up होना चाहेगा तो उसमें उसे क्या खर्च करना पड़ेगा pairing energy अगर वो easy वाले energy level पे जाना चाहेगा तब उसे क्या खर्च करना पड़ेगा delta O crystal field energy right crystal field splitting की जो energy है वो खर्च करना पड़ेगा तो basically electron ये चोथा electron कहा डेल्टा ओ की वाल्यू कम है या फिर पेरिंग एनर्जी की वाल्यू कम है जहां पे खर्चा कम यह वहीं चला जाएगा तो अगर मान लो पेरिंग एनर्जी की वाल्यू कम है तो उस केस में यह क्या करेगा यह चुपचाप T2G लेवल में जाके पेर अप हो जाएगा अगर ड मतलब T2G वाले level पे 3 electron है और EG पे 1 electron है अगर ये कूद के नहीं जाता है कब नहीं जाएगा जब इसकी pairing energy delta O से कम होगी तो वैसे case में ये सोचेगा pairing energy सस्ता परड़ा है तो चलो pair up हो जाते है तो वैसे case में इसका configuration हो जाएगा T2G 4 EG 0 तो ये दो situation समझ में आ गया अब इन दोनो situation को दुबारा देखो जिस situation में delta O की value ज्यादा है right मतलब delta O ज्यादा है दोनों का energy gap जादा है और pairing energy उसके मुकाबले कम है, वहाँ पे हमें क्या configuration मिला था, वहाँ हमें मिला T2G4, EG0, तो ऐसा situation किस तरह का ligands create करेगा, strong field ligands, strong ligands, क्यों ऐसे cases में देखो delta O की value जादा है, यानि कि splitting बहुत जादा हो रही है, जादा splitting कौन कराता है, strong field ligands कराता है, और कि लोग पिंपल क्लिक्स क्यों क्योंकि यहां पर पेरिंग अप शुरू हो जा रही है लाइट एंड पर अनपेयर्ड इलेक्ट्रोंस यहां पर कम मिलते हैं इसीलिए यहां पर लोग पिंपल क्लिक्स बनेंगे दूसरी तरफ जिस केस में पेयरिंग एनर्जी की वाल्यू ज्यादा है कंपेयर टू डेल्टा ओ इसका मतलब डेल्टा ओ कम है मतलब स्प्लिटिंग कम हो रही है यानि कि तो ये कूद के चले जाते हैं EG पे, तो वहाँ पर electronic configuration हो जाती है EG1, T2, G3, ठीक है, तो ऐसे case में जो complexes बनते हैं, वो high spin complexes बनते हैं, क्योंकि हर जगह हमें unpaired electron मिलता है, तो अब हम देखेंगे crystal field theory in case of tetrahedral entities, मतलब माल लोग की जो हमारा crystal field है, वो tetrahedral है, तो वैसे case में splitting कैस तो यहाँ पर situation थोड़ा सा twist हो जाएगा, यहाँ पर क्या होगा, जो हमारा ligand है न, यह attack करेगा in between the axis, ठीक है, अब चुकी यह attack कर रहा है in between the axis, तो सबसे ज़ादा repulsion कौन experience करेगा, वो वाले d orbitals, जिनकी lobes in between the axis होते हैं, कौन से वाले होते हैं वो d orbitals, dxy, dyz, dxz, ठीक है, तो घट किस की जाएगी, Dx2-Y2 and Dz2 की, तो यहाँ पे क्या हो गया, जो D orbital splitting था, वो invert हो गया, पहले जो नीचे था, वो अब उपर आ गया, पहले जो उपर था, वो अब नीचे आ गया, दूसरी important बात, यहाँ पर हम ये notice करते हैं, यहाँ पर जो splitting होती है न, overall, जो energy separation होता है, व यहाँ पे जो energy separation है उसे हम denote करते हैं delta T से जहाँ पे T stands for tetrahedral और यह पाया गया है कि delta T is equal to 4 by 9 of delta O which means delta T की जो value है वो delta O से काफी कम है एक और interesting चीज जो यहाँ पर हम note करते हैं जैसे octahedral के case में हमने क्या देखा था जो नीचे वाला set था that was T2G उपर वाला set था EG अभी क्या हुआ यह invert हो गया तो obviously नीचे वाला क्या हो गया E उपर वाला हो गया T2, क्या आपने notice किया कि दोनों जगह से G गायब है, G गायब क्यों है, because G actually stands for Gerard, G एक German word से आया है जिसका मतलब होता है even, यानि कि same symmetry about the inversion center, तो वो symmetry tetrahedral entities के case में नहीं होती है, जिसकी वज़े से हमने वो G subscript का use नहीं किया है, अब बात करने वाले हैं हम about the color in coordination compounds, coordination compounds color exhibit करते हैं, बट इसके बारे में valence bond theory कुछ नहीं बता पाई थी, लेकिन crystal field theory काफी कुछ बता पाई थी, क्या बता पाई थी, दिखते हैं चलो, तो ये जो कोडिनेशन कंपाउंड्स कलर एग्जिबिट करता है इसका रीजन होता है इलेक्ट्रॉन ट्रांजीशन फ्रॉम डी और बाइटल टू डी और बाइटल मतलब डी डी इलेक्ट्रॉन ट्रांजीशन इसका कारण होता है अब आप पूछोगे कि डी डी इलेक्ट्रॉन ट्रां� लेकिन जैसे ही लिगांड आ जाता है पिक्चर में जा जाता है सीन में तो डी और्बाइटल के स्प्लिटिंग हो जाती है मतलब डी और्बाइटल जो है वो दो सेट में डिवाइड हो जाते हैं एक कम एनर्जी वाले एक जादा एनर्जी वाले ठीक है उसे अगर कहीं से थोड़ी सी एनर्जी मिल जाती है तो यह कूद के एकसाइटेड स्टेट में पहुँच जाता है कैसे पहुँचता है क्योंकि जो energy से मिलती है उसमें से ये एक lambda absorb करता है, एक wavelength absorb करता है और उसको absorb करते हुए ये excited state में कूद तो जाता है कूद कूद के, लेकिन excited state कभी भी stable नहीं होता है, तो क्या होता है थोड़ी की देर में ये वापिस fall back करता है ground state में, जब ये fall back करता है तो ये कुछ wavelength emit करता ह तो जिन colors की बात हम करते हैं coordination compounds में वो color कहां से आता है ये electron के कूदने से आता है जब electron एक d orbital से दूसरे d orbital में कूदता है उस दोरान ये color का सारा सिल्सिला होता है ठीक है और ये d d transition कब हो पाएगा जब d orbital की splitting होगी वरना तो सारे d orbital same energy के होते हैं right और इनकी splitting कब हो पाएगी ज फिल्ड थ्यूरी एक्सप्लेंस फॉर द कलर ऑफ कोडिनेशन कंपाउंड अब एक एग्जांपल लेकर समझेंगे एग्जांपल के तौर पर लेते हैं यह कोडिनेशन कंपाउंड टीआई एच टू ओ वोल सिक्स थ्री प्लस ठीक है यहां पर सेंट्रल आटम क्या है टीआई टाइटेनियम तो टीआई का जो कंफिगरेशन होता है देट इस थ्रीडी टू फोरेस टू नेक्स्ट हम यह देखना है कि यहां तो हम notice करते हैं कि यहाँ पर Ti का oxidation state है plus 3, so Ti3 plus का configuration क्या हो जाएगा, 4S के दोनों electron को भगा दो, 3D के एक electron को भगा दो, तो Ti3 plus का outer configuration हो जाएगा 3D1, ठीक है, मतलब कि 3D orbital में एक ही electron है, अब देखो crystal field theory के according, यहाँ पर H2O क्या है, H2O ligand है, तो H2O के presence में क्या हो जाएगा, D orbital की splitting हो जाएगी, ठीक है, हो गई, D orbital की जब splitting हो जाएगी तो क्या हो जाएगा, नीचे आ जाएगा T2G, उपर चला जाएगा EG, ठीक है, अब ये 3D1, मतलब D में एक ही electron है, तो ये एक ही electron कहा जाएगा, obviously T2G में जाएगा, क्योंकि T2G lower energy orbital है, चला गया, अब इस electron के साथ सोचो क्या होगा, अगर इस electron को कहीं स EG0 और अगर energy मिलके excited state में चली गई तो excited state में इसकी configuration क्या हो जाएगी T2G0 EG1 ठीक है जैसे ही यह वहाँ चली गई तो क्या हुआ इसने कुछ lambda absorb करके वहाँ पहुचा बट वो stable नहीं है थोड़ी देर में वापिस fall back किया कुछ lambda emit किया और वही lambda जो इसने emit किया उसका जो corresponding color था that was violet and that is why यह जो compound है यह जो T I H 2 O whole 6 3 plus है इस वायलेट इन कलर ठीक है अब मान लो कि मैंने बोला कि इस कंप्लेक्स में से अगर मैं वाटर हटा दूं यह पूरा जो है इसको मैं हटा दूं तो इसका कलर क्या होगा तो यह कलर लेस हो जाएगा क्योंकि वाटर ही तो है यहां पर लिगांड और लिगांड के प्रेजेंस तो इसे लिए T I H 2 O hole 6 3 plus में से अगर हम water remove कर देंगे, तो this will make it colorless. अब यहाँ पर आता है एक छोटा सा concept, कि यह जो coordination compounds color दिखाते हैं, यह कौन सा color दिखाते हैं?
Basically यह जो wavelength absorb करते हैं, उसका कि कंप्लीमेंटरी कलर है वह कलर यह शो करते हैं ठीक है मतलब जो वेवलेंथ एब्जॉर्व किया लेट एस ए डाट वेवलेंथ इज फॉर रेड फॉर एग्जांपल ठीक है तो जो रेड का कंप्लीमेंटरी कल है रेड का कंप्लीमेंटरी कलर कुट बीडी तो यह जो कंपाउंड होगा यह हमें ग्रीन दिखेगा ठीक है अब आप पूछोगे कि मैं कंप्लीमेंटरी कलर मतलब क्या होता है कंप्लीमेंटरी कलर साइड लाइक कॉन्ट्रास्ट कलर दोनों एक दूसरे के बिल्कुल कॉन्ट्रास्ट है contrast का मतलब क्या होता है, मतलब इन दोनों colors को अगर आप mix करोगे, तो ये एक दूसरे के effect को cancel out कर देंगे, दोनों को mix करने पर आपको या तो white मिलेगा, नहीं तो black मिलेगा, ठीक है, for example, red और green, ये दोनों complementary colors है, for example, violet and yellow, ये complementary colors है, for example, blue, orange, ये complementary colors है, ठीक है, तो इस तरीके से आ कॉंप्लीमेंटरी कलर्स एक दूसरे के ओपोजिट में दिख रहे हैं तो कॉंप्लीमेंटरी कलर्स एक दूसरे के मतलब स्ट्रॉंगिस्ट कॉंट्रास्ट होते हैं ठीक है ओके तो बात समझ में आ गई कि कलर क्यों होता है वो भी समझ में आ गया और कौन सा वाला कलर होता है तो crystal field theory की भी अपनी कुछ limitations रही, जैसे एक पहला limitation तो ये था कि crystal field theory के जो भी assumptions और इसकी जो भी theory थी, उसके हिसाब से ऐसा लगा कि जो anionic ligands हैं, मतलब जो negatively charged ligands हैं, ये बहुत ही strong ligands की तरह behave करेंगे, but जब हमने experimentally determined spectrochemical series को देखा, तो वहाँ पे हमने देखा कि I-, BR-ये सारे weak ligands थे, right, तो ये एक पहला limitation था दूसरा limitation ये था कि जो central atom और ligand के बीच की जो bonding है उस bonding के covalent character के बारे में ये theory बिलकुल भी जिकर नहीं करता है और नाग ही उसको account में लेता है तो भाई coordination compounds के बारे में इतना कुछ पढ़ा शुरुवात में ही बताया था कि ये काफी useful होते हैं जैसे कि हमारे biological systems में कई ऐसे important चीज़े हैं जैसे कि chlorophyll, हीमोगलोबीन, विटमिन B12 ये सारे coordination compounds हैं इतना ही नहीं इंडॉस्ट्रियल पर्पसेस में ये बहुत ही अच्छे काटलिस्ट की तरह भी यूज़ आते हैं, मेडिसिनल इंडॉस्ट्री में, फोटोग्राफिक इंडॉस्ट्री में, इन सब जगों में भी इसका काफी ज़दा अप्लिकेशन पाया जाता है, कई और प्रोसेस में कोड जो हमारे coordination compounds है ये बड़ी काम की चीज है तब ही तो हमने इतना समय लगाया है नहीं समझने के लिए तो बच्चा बाटी इसी के साथ हम आप पहुंचे हैं इस वीडियो के एंड तक और मुझे पूरे उमिद है कि इस पूरे वीडियो को देखकर coordination compounds के concepts हुए होंगे crystal clear और अगर ऐसा हुआ है तो comments पर जरूर लिखके बताना कि concept हुआ crystal clear मैं जल्दी मिलती हूँ एक नए वीडियो के साथ एक और धमाके दार concept के साथ तब तक के लिए stay home stay safe take care bye bye