अभिमन्यु 11थ स्टैंडर्ड में पढ़ने वाला एक 16 साल का बच्चा अपनी जान ले लेता है क्यों एग्जाम प्रेशर एंड रोड लर्निंग एजुकेशन सिस्टम के वजह से छात्र ने आग कर ली और बच्चे ने एक एड नोट भी छोड़ा है ये मासूम परीक्षा के नंबरों के आगे जिंदगी हार गया स्टूडेंट बाय वाल प्रिपेयरिंग फॉर एग्जाम्स यानी रट्टा मारने वाला सिस्टम अभिमन्यु अपने केमिस्ट्री के पेपर में लिखता है एजुकेशन शुड बी अबाउट अंडरस्टैंडिंग एंड अप्लाइज माय बी अ लेसन एंड रीजन फॉर द सिस्टम टू चेंज कौन सा सिस्टम रट्टा मारने वाला सिस्टम और तब तक मारना जब तक वो चीज याद ना हो जाए इंग्लिश में बोलते हैं रोट लर्निंग ये हमारे इंडियन एजुकेशन सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा है यहां बच्चे को कांसेप्ट कितने क्लियर हैं दैट डजन मैटर उसे यही सिखाया जाता है कि बेटा रट्टा मारो कभी सोचा है यह सिस्टम कभी जिंदगी में चेंज होगा जैसे आज से 100 साल पहले मोबाइल फस कुछ ऐसे थे आज मोबाइल फोस ऐसे हैं 00 साल पहले टीवी ऐसी थी आज ऐसी है यह कार आज से 100 साल पहले वाली है आज की कार हम सब जानते हैं बट यह क्लासरूम आज से कुछ साल पहले का है और यह क्लासरूम आज भी वैसा ही है तो आज इस वीडियो में समझेंगे आखिर इंडियन एजुकेशन सिस्टम में कितने बड़े-बड़े फ्लॉस हैं एंड इस सबका सलूशन क्या [संगीत] है बाहर के एजुकेशन और इंडियन एजुकेशन सिस्टम में कुछ बहुत बड़े-बड़े डिफरेंसेस हैं सबसे पहले एक-एक करके वो समझते हैं मोस्टली डेवलप्ड कंट्रीज की गवर्नमेंट और पब्लिक एजुकेशन के लिए बहुत ही डिफरेंट अप्रोच रखती है वहां के पॉलिसी मेकर्स एजुकेशन को एक बहुत बड़ी इन्वेस्टमेंट की तरह देखते हैं जो बाद में उनके देश के लिए फायदेमंद होती है क्योंकि एक चीज उन्हें हमेशा पता है कि ब्राइट माइंड्स लीड्स टू ब्राइट नेशन हर साल कुछ नया बदलाव लाते हैं ताकि ये जो सीखने और सिखाने का सिस्टम है ये और ज्यादा इफेक्टिव हो जाए लेकिन हम उन लोगों से बहुत पीछे हैं जिनमें ये पांच सबसे क्रुशल सेटबैक्स हैं जिनको तुरंत रिफॉर्म करने की जरूरत है द स्ट्रक्चर ऑफ सिलेबस ग्रेडिंग एडमिशन प्रोसेस टीचिंग मेथड एंड एवोल्यूशन मेथड्स बेसिकली डेवलप्ड कंट्रीज का एजुकेशन होलिस्टिक डेवलपमेंट पे फोकस करता है वेयर एज हम लोग खाली ग्रेड्स पे फोकस करते हैं मार्क्स लाया तो बहुत अच्छा स्टूडेंट मार्क्स नहीं आए तो सबसे खराब स्टूडेंट क्या लगता है सारे बच्चे एक जैसे होंगे अभी तक लोग इस बात को नहीं समझ पाते हैं कि बच्चों को आप ग्रेड के बेसिस पे जज नहीं कर सकते हो डू वी इवन रियलाइफ कि उस बच्चे पर क्या बीती है जब उसे बहुत ही बुरी तरीके से ट्रीट किया जाता है जस्ट बिकॉज़ वो फेल हो गया है और हंसने वाली बात तो यह है कि उस बच्चे को फेल करने में इसी एजुकेशन सिस्टम के करिकुलम का हाथ होता है जो कभी कांसेप्ट समझने पे फोकस ही नहीं करता है बस क्लास में बुद्धू बोल कर के लोग साइडलाइन कर देते हैं ऐसे बहुत सारे बच्चे हैं जो ऐसे ट्रॉमा से निकलते हैं और बचपन से ही उन्हें सेल्फ डाउट घेर लेता है अब देखो जब प्राइमरी एजुकेशन ही टोमेट हो जाएगा तो हायर एजुकेशन तो डार्क हो ही गई अब उसी जगह अगर आप किसी डेवलप नेशन के एजुकेशन को देखो तो उनका सिलेबस का डिजाइन ही कांसेप्चुअल इजेशन पे बेस्ड होता है रोट लर्निंग को वो प्रमोट ही नहीं करते वेर एज हमारे यहां घर-घर में यही सिखाया जाता है कि बेटा रट्टा मारो याद करो और बच्चा झूम झूम करके याद करने लगता है तो ये तो ग्रेड प्रोसेस का सिस्टम है अब थोड़ा एडमिशन प्रोसेस की बात करते हैं बट एडमिशन प्रोसेस की क्या बात करें हमारा एडमिशन प्रोसेस ही करप्ट है मेरा यहां बोलना गलत नहीं होगा कि हमारे एजुकेशन सिस्टम में एडमिशन के लिए मोटा-मोटा पैसा देना पड़ता है चाहे वो केजी वाले बच्चों का हो या फिर इंजीनियरिंग वाले बच्चों का और मैं मेडिकल एडमिशन के लिए तो सूटकेस भर भर के पैसा चाहिए यहां जो बच्चा डिजर्विंग है उसको तो जल्दी एडमिशन नहीं मिलता है मगर अगर पैसा और पावर है तो एडमिशन कोई बहुत बड़ी बात नहीं है अब ये एडमिशंस किस चीज में हो रहा है लोगों को एक रेस में दौड़ने के लिए और वो रेस का नाम है रट रेस यह जो रट रेस है यह तभी से शुरू हो जाती है जब बच्चा पाच से 6 साल का होता है उस बच्चे को पता नहीं चलता है बट वो सबकॉन्शियसली एक कंपट ए इमेंट जिसका नाम स्कूल है उसमें घुल मिल जाता है जैसे ही कुछ टाइम बीटता है इंडियन पेरेंट्स अपनी इच्छाएं अपनी उम्मीदें बच्चे पर थोपने लगते हैं अब वो बच्चा रेस के ट्रैक पर आ चुका है और उस रेस का नाम है एकेडमिक एक्सीलेंस रेस है क्लास में टॉप करना रेस है मैक्सिमम ऑब्टेनेबल मार्क्स लाना लेकिन उस बच्चे पे जो प्रेशर बिल्ड होता है वो किसी को नहीं दिखाई देता है एकेडमिक एक्सीलेंस के प्रेशर के चलते बच्चे रोट मेमोराइजेशन को प्रेफर करते हैं रोट मेमोराइजेशन के चलते बच्चा कांसेप्ट कभी समझते ही नहीं है वो थ्री इडिएट्स में साइलेंसर का कैरेक्टर देखा है ना मतलब रट्टा मार लो हिंदी में चाहे जो कुछ भी लिखा हुआ है अब बच्चा रट्टा मार मार के पास तो हो जाता है बस उसके कांसेप्ट छूटते रह जाते हैं एंड दिस इज वयर रोट मेमोराइजेशन फेल्ड क्योंकि कोई भी कॉम्पिटेटिव एग्जामिनेशन आप रटक क्लियर नहीं कर सकते हो वन नीड्स टू हैव अ डीप अंडरस्टैंडिंग ऑफ द सब्जेक्ट इन ऑर्डर टू क्लियर एनी कॉम्पिटेटिव एग्जाम अब रोट मेमोराइजेशन एक इंडिविजुअल की क्रिटिकल थिंकिंग को ही अफेक्ट कर देता है अब हमारे देश में छोटे-छोटे गांव से लेकर बड़े-बड़े शहरों तक स्कूल्स एंड कॉलेजेस में रोट मेमोराइजेशन ही प्रमोट हो रहा है क्यों क्योंकि हमारे देश में आज के टाइम में सच्चाई यह है कि एजुकेशन को एक बिजनेस की तरह ट्रीट किया जा रहा है रदर देन अ टेंपल ऑफ नॉलेज अब ये हार्श लगेगा बट यह सच्चाई है स्टूडेंट को एक कस्टमर की तरह देखा जाता है हमारे देश की बात करें तो यहां हमेशा मेमोराइजेशन डॉट लर्निंग एंड स्ट्रिंग एंड कंपटिंग एग्जाम जिसमें बहुत सारा कंपटीशन होता है यही एजुकेशन सिस्टम फॉलो होता है और इसमें जो पढ़ाया जाता है वह शायद ही बच्चे की लाइफ में काम आए शायद सुनाने में ये प्रॉब्लम उतनी ज्यादा बड़ी ना लगे बट अगर हम स्टैट्स की तरफ गौर करें तब हमें शॉक लगेगा इंडिया में एक तरफ हमारा एम है 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाना 20147 तक लेकिन एक कंट्री को इस लेवल पर पहुंचाने वाले होते हैं उस कंट्री का वर्कफोर्स अब प्रॉब्लम ये है कि हमने सपना तो देख लिया इतनी इकोनॉमी बनाने का बट जो इतनी इकोनॉमी बनाएंगे यानी हमारा वर्कफोर्स वो अगर उतना स्किल्ड ही नहीं होगा तो ये चीज रियलिटी में कैसे बदलेगी और यहां पर स्किल का ये भी मतलब नहीं कि कोई जॉब कर रहा हो किसी स्किल को सीख करके यहां पर स्किल का मतलब है कि आप की अडॉप्टेबल टाइम के साथ में टेक्नोलॉजीज के साथ में कितनी फास्ट है और 247 की बात छोड़ दो अगर अभी की बात करें तो अभी इंडिया में स्किल्ड वर्कफोर्स नहीं है लो सुन लो डटा सुन लो इंडिया के पास सेकंड लार्जेस्ट एमबीए ग्रेजुएट्स हैं पूरे दुनिया में 150 लाख लोग जिनके पास एमबीए की डिग्री है उसमें से 23400 लोग इंडिया के हैं मगर उसके बाद भी यह एमबीए ग्रेजुएट्स अनइंप्लॉयड है द एसोसिएटेड चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया एसओ चम सेज दैट ओनली सेवन पर ऑफ एमबीएस दैट ग्रेजुएट एवरी ईयर आर एंप्लॉय बल सोच सकते हो कितनी बुरी हालत है हमारे एजुकेशन सिस्टम की केवल 7 पर और 7 पर भी वोह है जो इंडिया के प्रेस्टीजियस इंस्टिट्यूट से एमबीए कर रहे हैं बाकी के लाखों लोगों का क्या कैलकुलेशन बता दूं 23400 लोग हैं पूरे दुनिया में इंडिया के जो एमबीए करते हैं उसके 7 पर लोग ही एंप्लॉय बल हैं तो नॉन एंप्लॉय बल कितने लोग हुए 2176 20000 लोग अन जो एमबीए कर रहे हैं अब यहां पर एसओ चम खुद कहता है कि इंडिया का आउटडेटेड एजुकेशन सिस्टम ही इसका सबसे बड़ा कारण है उनका मानना है कि हमारा एजुकेशन सिस्टम न्यू बिजनेस प्रैक्टिसेस से रिलेवेंट ही नहीं है अभी भी हमारे इंस्टिट्यूट वही 50 साल पुराना घिसा पिटा थ्योरी एक्सप्लेन कर रहे हैं दुख होता है जब पैसा खर्चा करके आप कॉलेज एजुकेशन कंप्लीट करते हो और बाद में जॉब में सैलरी के नाम पे चंदा मिलता है और यह सब होने का वही कारण है आउटडेटेड करिकुलम अरे भैया ऐसे कोर्सेस करके क्या फायदा है जो आपको आउटडेटेड चीजें सिखा रहे कोर्सेस तो ऐसे होने चाहिए जो आपको इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के अकॉर्डिंग स्किल्ड और जॉब रेडी बनाए ऐसे ही एक बिजनेस स्कूल है जिनका 18 मंथ का फुल टाइम पोस्ट ग्रेजुएट बिजनेस मैनेजमेंट प्रोग्राम ना सिर्फ आपको इंडस्ट्री रेडी बनाता है बल्कि इनका करिकुलम इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने ही डिजाइन किया है जो कि u mrathi.com सोर्स प्रोजेक्ट्स पर काम करना होगा और 3 महीने की मैंडेटरी इंटर्नशिप करनी होगी सबसे इंटरेस्टिंग पार्ट इनके करिकुलम का है कि स्टूडेंट्स को अपना खुद का बिजनेस बिल्ड करना होगा जिसके लिए वो फंडिंग भी उठा सकते हैं इनके पास 1200 प्लस प्लेसमेंट पार्टनर्स हैं जो आपको प्लेसमेंट में हेल्प करेंगे ये प्रोग्राम अर्ली सितंबर में स्टार्ट होने वाला है जिसमें सिर्फ 75 स्टूडेंट्स को एडमिशन मिलेगा साथ ही साथ आपके पास अपॉर्चुनिटी है अप टू 100% स्कॉलरशिप की अप्लाई करने के लिए आप डिस्क्रिप्शन या पिन कमेंट चेक कर सकते हो तो यह बदलाव की एक पहल है हिंदुस्तान में मगर बाहर के एजुकेशन को देखें और इंडियन एजुकेशन सिस्टम को देखें तो टीचिंग मेथड में भी बहुत [संगीत] डिफरेंस बाहर के एजुकेशन सिस्टम डावर्स टीचिंग मेथड का यूज करते हैं सिर्फ टेक्स्ट बुक और क्लासरूम पर स्टक नहीं हो जाते हैं देयर आर मल्टीपल टीचिंग मेथड्स एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग जिसमें कोई ना कोई एक्टिविटी करवाई जाती है एक्सपेरिमेंटल बेस्ड लर्निंग एक्सपेरिमेंटल लर्निंग में उनसे एक्सपेरिमेंट्स करवा कर के उनको सिखाया जाता है अगर उन्हें किसी जगह पर लेकर के जाना है तो वहां लेक करके जाया जाएगा उन्हें रियल लाइफ एक्सपीरियंस कराया जाएगा चीजों के बारे में गेम बेस्ड लर्निंग अब हमारे यहां तो सिखाया ही बचपन से य जाता है कि खेलोगे कूदोगे होगे खराब पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब तो बच्चों को हमेशा सिखाया जाता है कि गेम्स से दूर रहो वैसे बहुत सारे स्कूल्स हैं गेम्स खिला रहे हैं मैं वो चीज को डिनायर रहा हूं लेकिन वो वही सारे स्कूल्स हैं जो आज इन मेथड को अपना रहे हैं तुम गांव देहात में जाओ अलग-अलग जाओ वहां वो सब नहीं हो रहा है मैं वहां की बात कर रहा हूं क्योंकि वही तो हमारा फ्यूचर है काइन एस्थेटिक लर्निंग हैंड ऑन एक्टिविटीज कराया जाता है उसके थ्रू सिखाया जाता है देयर आर मल्टीपल टीचिंग मेथड्स अब यहां के टीचिंग मेथड्स की बात कर लो तो यहां के तो टीचर्स ही नहीं ट्रेंड होते हैं इन टीचर्स के वीडियोस आपने जरूर देखे होंगे लोग इसे फन में लेते हैं बट यह फन नहीं है देश का राष्ट्रपति कौन है सबसे जो प्रथम नागरिक है वो कौन है आपको नहीं मालूम प्रथम राष्ट्रपति ये वो टीचर हैं जो इंडिया के फ्यूचर को पढ़ा रहे हैं और इनको खुद नहीं पता है स्पेलिंग्स नहीं पता है पढ़ के सुनाइए जे यू एन जी यू क्या हुआ जनवरी ऐसे ऐसे लोग हैं संडे मंडे की स्पेलिंग नहीं पता है ऐसे भी वीडियोस वायरल हुए हैं इंटरनेट पे बट यह हंसी मजाक नहीं है यह वो लोग हैं जो छोटी-छोटी जगह पर बच्चों को पढ़ा रहे हैं और इन्हीं लोगों के हाथ में उन मासूम बच्चों का फ्यूचर है तो कहां फ्यूचर जाएगा जब वो कहीं स्टैंड आउट नहीं करते अब जो भी लोग बोलेंगे कि नहीं भाई ऐसा नहीं है यहां पर भी बहुत कुछ हो रहा है तो मेरा समझा जाने का मतलब यह है कि इंडिया में मेंटालिटी डिफरेंट है यहां पर वो वाले मार्क्स पे ही फोकस होता है कि इंग्लिश और मैथ्स में कितना मार्क्स आया एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में उनके बच्चे का कौन से हॉबी में इंटरेस्ट जा रहा है कौन से गेम में इंटरेस्ट जा रहा है और उसमें कितना मार्क्स आ रहा है ये यहां के पेरेंट्स नहीं देखेंगे वैसे तो इस टॉपिक प मैं वीडियो लाने वाला हूं ठीक है इंडियन पेरेंट्स के ऊपर आप मेरे को बता दो कमेंट करके कि आपको इस टॉपिक के ऊपर वीडियो चाहिए वो अलग टॉपिक है और अलग सेट ऑफ डिस्कशन है वो बट अभी के लिए मैं यह बता रहा हूं कि वो चीज उस लेवल पे प्रमोट ही नहीं होती है यहां पर प्रमोट क्या होता है इंग्लिश हमारे यहां एक बेसिक सी चीज है मैंने अपने इंडियंस ट्राइम टू बी अमेरिकन वाली वीडियो में भी ये चीज कोट करी थी कि लोगों को बहुत ज्यादा शौक है ये चीज बताने में हमारा बच्चा इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ता है ये इंग्लिश मीडियम क्या है कभी सोचे हो इंग्लिश एजुकेशन एक्ट 1835 थॉमस बेबिंगटन मिले ये वो शख्स था जिसने इंडिया में इंग्लिश एजुकेशन की नीव रखी और इस शख्स को इंडियन एजुकेशन से सबसे ज्यादा नफरत थी इसके एजुकेशन ने ही डिवाइड इंड रूल पैदा कर दिया जो इंग्लिश एजुकेशन अफोर्ड कर सकते हैं वो अपर क्लास हो गए जो नहीं कर पा रहे हैं वो लोअर क्लास हो गए और ये कोई हवा वाली बात नहीं है ये आज तक है लोगों के दिमाग में घुस गया जाके मेरा वीडियो देख लो इंडियंस ट्राइम टू बी अमेरिकन ठीक है आज के टाइम में उसपे 6 लाख से ज्यादा व्यूज हैं और उस वीडियो में यही चीज है कि मैंने आपको प्रूफ दे कर के बताया है कि जो थोड़ा सा भी इंग्लिश बोले लोग उसको कूल समझते हैं और जो ना बोल पाए उसको लोग अनसिविलाइज्ड समझते हैं 6 जनवरी 2024 को द हिंदू के एक आर्टिकल में पता चला हमारे डिफेंस मिनिस्टर नहीं बताया कि मकाले को भेजा ही इसलिए गया था कि वह इंडिया के ट्रेडिशनल एजुकेशन को खत्म करके जो कि रिच एजुकेशन था वेस्टर्न एजुकेशन को इंट्रोड्यूस करें मकाले आल्सो एमफे साइज ऑन द रिलेंस परस्यूट ऑफ एकेडमिक एक्सेलेंट व्हिच लेड टू रट रेस दैट वी सी टुडे और आज के टाइम में यह रट रेस दोदो जगह की हो गई है एक तो स्कूल में भी रट रेस चल रही है एक कोचिंग इंस्टीट्यूट वाली भी रट रेस चल रही है कोचिंग में अलग रट रेस हो रही है [संगीत] अगर बच्चों के लिए कोचिंग स्कूल से ज्यादा इंपॉर्टेंट है तो फिर स्कूल का क्या काम अब आदमी स्कूल फीस भी भर रहा है ऊपर से कोचिंग की भी फीस तो जब पूछा जाए ऐसा क्यों तो जवाब होता है भैया स्कूल में पढ़ाई नहीं अच्छी है अब जब यहां पर पता है कि स्कूल्स में क्वालिटी ऑफ एजुकेशन नहीं है तो फिर कोई क्वेश्चन क्यों नहीं करते हो एंड आई एम नॉट टॉकिंग अबाउट कोटा एंड राजेंद्र नगर वहां पर कोचिंग थोड़ा जस्टिफाई बल है मैं बात कर रहा हूं रेगुलर स्कूल गोइंग किड्स की लकिली अभी मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन ने कोचिंग सेंटर्स को लेकर के नए सेट ऑफ रूल्स एंड रेगुलेशन बना आए हैं जिसके अकॉर्डिंग 16 साल से छोटे बच्चों का एनरोलमेंट अलाउ नहीं है बट कितनी जगह ये फॉलो हो रहा है कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट फीस को लेकर के पेरेंट्स या स्टूडेंट्स को एक्सप्लोइट नहीं कर सकता है अब यहां पर लोगों को समझ लेना चाहिए कि कोई भी कोचिंग इंस्टिट्यूट समाज सेवा करने के लिए नहीं बैठा है इट इज बिजनेस फॉर देम कोई फेल हो तब भी बिजनेस कोई पास हो तब भी बिजनेस दोनों ही केसेस में कोचिंग इंस्टीट्यूट प्रॉफिट में रहेगा पर आप नहीं नवंबर 2023 में एक डिस्टेस पैरेंट अनिरुद्ध नारायण मालपानी टॉप कोर्ट को अप्रोच करते हैं वजह क्या होती है गाइडलाइंस एंड रेगुलेशन की मा मांग जो कि कोटा में चल रहे डेथ्स को रोकने के लिए होते हैं क्योंकि सिर्फ 2023 में 24 डेथ रिकॉर्डेड हैं कोटा के अंदर अब ये रिकॉर्ड हाईएस्ट है 2015 से अब तक अब कोर्ट ने तो अपना डिसीजन बना लिया और कोर्ट का सीधा-सीधा कहना है द प्रॉब्लम इज विथ पैरेंट नॉट विद कोचिंग इंस्टिट्यूट और यह बात कई हद तक सही है कि कोचिंग इंस्टिट्यूट का तो मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है वो आपको किसी का भी फोटो चिपका करके दे देते हैं कि हमारे यहां से रैंक निकल रही है अब पेरेंट्स बहुत ही हाई एक्सपेक्टेशन रखने लगते हैं अपने बच्चे से कि कोटा में पढ़ रहा है तो यह निकाल और उसके चक्कर में एक मेंटल प्रेशर बिल्ड होता है और उससे क्या होता है स्टूडेंट के साथ वह एक स्टूडेंट ही जान सकता है अब पेरेंट्स यह बात नहीं समझ पाते हैं कि उनका बच्चा जिस कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी कर रहा है कहीं उसका ही पेपर ना लीक हो जाए बताओ अभी नीट में हुआ सब कुछ ठीक है और मैंने वीडियो भी बनाई उसमें एक-एक चीज एक्सप्लेन किया अब सोचो उस नीट एग्जाम में जो मैंने वीडियो के अंदर बताया जिस बच्ची ने अपनी जान ले ली दुनिया को छोड़ के चली गई वह बच्ची के ऊपर प्रेश बिल्ड करने में किसका हाथ है पेरेंट्स का नहीं एजुकेशन सिस्टम का पेपर लीक का जो उसका पूरा नीट का जो सिस्टम गड़बड़ हुआ बच्ची इतना दिन से तैयारी कर रही थी वो अपने पेरेंट्स को क्या मुंह दिखाएगी यह चीज बिल्कुल गलत है जो बच्ची ने स्टेप लिया वो बिल्कुल गलत है लेकिन उसका ऊपर प्रेशर बिल्ड करने में किसका हाथ एजुकेशन सिस्टम आज के टाइम में पेपर लीख के कंटीन्यूअस न्यूज़ मिलते रहते हैं यूपी में पुलिस कांस्टेबल की भर्ती ले लो या फिर राजस्थान में टीचर की भर्ती ले लो अभी हाल ही में नीट पेपर लीक आ गया वो सब लोगों ने सुना बट अभी लेटेस्ट में सबसे शर्म की बात तो यह है कि नीट पेपर कंट्रोवर्सी के चलते-चलते यूजीसी नेट का भी पेपर मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने कंफर्म किया है कि यूजीसी नेट का पेपर ₹ लाख में डार्क वेब पे लीक हुआ अभी यह पेपर लेक की न्यूज़ चल ही रही थी कि एक और फ्रॉड सामने आ गया यूपीएससी फ्रॉड अब तो आम आदमी का यूपीएससी एग्जाम से भी भरोसा उठ रहा है अगर कोई यूपीएससी में झोल कर सकता है तो भाई अमीरों के लिए और एग्जाम तो फिर हाथ का खेल है इंडिया टुडे के एक आर्टिकल के मुताबिक यूपीएस ने अभी एक केस फाइल किया है पूजा खेत करर के ऊपर पूजा खेत करर इज एक्यूज्ड ऑफ फॉगिंग डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट्स फर्द इन्वेस्टिगेशन में तो यह भी पता चला है कि पूजा ने कई मल्टीपल आइडेंटिटी फ्रॉड किए हुए हैं पास्ट में अब सवाल ये है कि यूपीएससी जैसे कॉन्स्टिट्यूशन बॉडी पर फ्रॉड कैसे हो सकता है और क्या इतना आसान है यूपीएससी को धोखा देना मतलब क्या पूरा का पूरा सिस्टम ही करप्ट है ये हालत है आज के टाइम में एजुकेशन सिस्टम की और ये तो हाईयर लेवल ऑफ एग्जाम्स की बात है जाओ हिंदुस्तान के छोटे-छोटे गांव देहात में चले जाओ और छोटे-छोटे जो स्कूल चल रहे हैं वहां जाकर के देख लो क्या हालत है स्कूल की यह एक बहुत बड़ा सिग्निफिकेंट चैलेंज है जो इंडियन एजुकेशन सिस्टम फेस करता है जो है क्वालिटी ऑफ एजुकेशन अब पिछले कुछ सालों में इतना सब कुछ इंप्रूवमेंट होने के बाद भी आज भी स्कूल कॉलेजेस छोटे-छोटे इंफ्रास्ट्रक्चर में लैक कर रहे हैं क्वालिटी टीचर्स में लैक कर रहे हैं प्रोग्राम करिकुलम में लैक कर रहे हैं और रूरल एरियाज का तो मैं क्या बोलूं भाई मैं यूपी के छोटे से जिले गोंडा से बिलोंग करता हूं और वहां पर भी आसपास बहुत सारे गांव हैं और मैं टहला घूमा हूं यार बचपन से ठीक है मैंने देखा मैं शहर में में ही रहता हूं बट मैंने बहुत सारे गांव देखे हैं ठीक है आज भी कितने ऐसे स्कूल हैं जहां इलेक्ट्रिसिटी नहीं है अकॉर्डिंग टू अ रिपोर्ट पब्लिश्ड बाय बन फील्ड इन अप्रैल 2019 ओनली 32.2 6 पर ऑफ रूरल स्कूल्स इन प्राइमरी 47.5 इन अपर प्राइमरी 70.0 इन सेकेंडरी एंड 84.5 इन हायर सेकेंडरी आर इक्विप्ड विद इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन यही रिपोर्ट बताती है कि 1010 10 548 स्कूल्स ऐसे हैं जिसमें वाटर सप्लाई नहीं नो प्रॉपर टॉयलेट एंड क्वालिफाइड टीचर्स की तो भाई बहुत ज्यादा कमी है देखो स्क्रीन पे ये नंबर हाईलाइट हो रहे हैं इतने इतने टीचर्स की कमी है अब यह सबके साथ-साथ हद तब हो जाती है जब हम लोगों को इंटरनेट पर ऐसे वीडियोस देखने के मिलते हैं जहां पर मिडडे मील में भी धांधली होती है बच्चों को पानी वाला दाल पिलाया जाता है ठीक है दाल के नाम पे गवर्नमेंट पूरी सब्जी बनाने का भी पैसा देती है लेकिन बच्चों को वही पानी वाला दाल पिलाया जा पवन जैसवाल की एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग मिडडे मील में रोटी के साथ नमक दिया जा रहा है अब अभी बजट 2024 25 आया मगर उसमें भी सुन लो 6 पर जीडीपी एलोकेशन टू एजुकेशन इज नॉट अ न्यू कांसेप्ट इट वाज फर्स्ट रिकमेंडेशन पॉलिसी ऑन एजुकेशन ऑफ 1968 फिर 86 में रट रेटेड हुआ एंड मोस्ट रिसेंटली एमफे साइज इन द नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 हाउ एवर इंडिया में एजुकेशन पर एक्सपेंडिचर 3 पर ही है जीडीपी का जबकि रेकमेंडेड 6 पर है अब यह जो 3 पर का गैप गैप है यह अलग-अलग चीज को कंट्रीब्यूट करता है जैसे टीचर वैकेंसीज एंड इन एडिक्ट ट्रेनिंग इनएफिशिएंट यूटिलाइजेशन ऑफ फंड्स ओवर क्राउडेड क्लासरूम एंड लिमिटेड इंफ्रास्ट्रक्चर डिजिटल डिवाइड एंड अनइक्वल एक्सेस तो ये सारी तो प्रॉब्लम्स हैं बट अब बात करते हैं सॉल्यूशंस की अगर बजट एंड पॉलिसीज में इंप्रूवमेंट किया जाए और थोड़े बहुत एफर्ट्स मारे जाए उन लोगों के थ्रू जो एजुकेशन सिस्टम में है तो हम होप कर सकते हैं ये शॉर्ट कमिंग्स बहुत जल्दी रिजॉल्व हो जाएंगी एंड इसमें बहुत ज्यादा कंट्रीब्यूशन पेरेंट्स का भी है और फिर जाकर के एजुकेशन हमारे देश में बच्चों के लिए बहुत ज्यादा एक्सेसिबल हो जाएगा देखो लास्ट में यही बोलना चाहूंगा कि अगर तुम्हें कोई भी चेंज चाहिए बदलाव चाहिए तो एक आदमी के बोलने से नहीं होगा सबको बोलना होगा अब अगर बदलाव चाहिए तो पॉलिसीज में बदलाव करना होगा एजुकेशन अलडा करप्शन को तो तुरंत बंद करना होगा एंड सबसे इंपॉर्टेंट टीचर ट्रेनिंग पे इन्वेस्ट करना होगा गवर्नमेंट को जितना ज्यादा टीचर्स की ट्रेनिंग होगी उतना ही अच्छे बच्चे पढ़ाई करके निकलेंगे इंडिया में टीचर्स क्वालिटी को लेकर के बहुत सारे सवाल उठते हैं और गवर्नमेंट अभी एक्शन भी ले रही है जैसे बीएड को मैंडेटरी कर दिया टीचर्स के लिए वो सब ठीक है लेकिन कोर लेवल पे जाकर के भी बहुत सारे स्किल्स एंड ट्रेनिंग को सिखाना होगा टीचर्स को प्राइमरी टीचर्स के लिए डीएलएड को मैंडेटरी कर दिया लेकिन प्रॉब्लम ये नहीं है प्रॉब्लम यह है कि यहां के लोग यह सबको सीरियस लेते ही नहीं है उनका ध्यान होता है सर्टिफिकेट पर वो मिले तो नौकरी लगे और नौकरी लगी तो फिर भाई उनका वही है सरकारी नौकरी और फिर मैंने तो ऑलरेडी सरकारी नौकरी वाले टॉपिक प वीडियो बनाई जाके देख लो उसमें सब चीज बताया कि सरकारी नौकरी को लेकर के क्या माइंड सेट है लोगों का और एजुकेशन सिस्टम को बदलने में हर आदमी को भी अपना माइंड सेट चेंज करना होगा ठीक है आज के टाइम में जब तक तुम मंदिर मस्जिद की मानसिकता अपने दिमाग में बैठा ल करके चलते रहोगे कम्यून हेट अगर अपने दिमाग में रखोगे तो तुम ग्रो नहीं कर पाओगे क्योंकि तुम फिर कभी क्वालिटी एजुकेशन के लिए मांग ही नहीं करोगे तो तुमको जो मिल रहा है वही दिया जाएगा हमेशा क्योंकि तुम्हारे अंदर मंदिर मस्जिद ज्यादा इंपॉर्टेंट है तुम्हारे लिए तुम्हारे लिए एजुकेशन इंपॉर्टेंट नहीं है तुम जो एजुकेशन का मंदिर था उसको अपने दिल में बसा नहीं रहे हो ठीक है तुम्हारे अंदर एक कमल हो हेट बढ़ता जा रहा है एक कम्युनिटी को लेकर के दूसरे कम्युनिटी को लेकर के instagram2 की कम्युनिटी के लिए और यह वही लोग हैं जो एजुकेशन में बिल्कुल ही वीक हैं इन्होंने ना ही अपने धर्म को पढ़ा है ना ही ये अपने प्रोफेशनल करियर में कोई पढ़ाई कर रहे हैं जब तक तुम छपरी गिरी में बिजी रहोगे नारेबाजी में बिजी रहोगे तब तक गवर्नमेंट भी तुमको नहीं परेशान करेगी ठीक है ये सच्चाई है आज के टाइम की तुमको नहीं परेशान करेगी कि भैया ये मत करो कौन रोक देता है कि नहीं भाई एलविश भाई के आगे कोई नहीं बोल सकता है उसको जाकर के कौन रोक देगा कोई नहीं रोकेगा बढ़िया है करते रहो भाई ठीक है तुम्हें डिसीजन लेना पड़ेगा कि तुम एजुकेशन के लिए आवाज उठाओ जब तुम आवाज उठाओगे और तुम्हारे जैसे मिलियंस ऑफ पीपल आवाज उठा देंगे एक-एक बंदे से ही चेंज आएगा और फिर गवर्नमेंट एक्शन लेगी चेंजेज होंगे पॉलिसीज बदलेंगे टीचर्स ट्रेनिंग पे काम होगा यह सब चीजें होंगी लेकिन वो कब होगा जब तुम खुद अपने माइंडसेट में शिफ्ट लेकर के आओगे कि तुम्हें ये सब चीज से फर्क ही नहीं पड़ता है तुम एक डेवलप नेशन की तरफ जा रहे हो तुम्हें इंडिया को डेवलप करना है तो तुम सबसे पहले अपने आप को डेवलप करने ऊपर काम करोगे अपने आप को डेवलप करने के लिए अपने माइंडसेट के ऊपर काम करोगे अपने हेल्थ के ऊपर काम करोगे और अपने एजुकेशन के ऊपर काम करोगे सेल्फ एजुकेशन एंड जो तुम पढ़ाई कर रहे हो कॉलेज में उस वाले एजुकेशन के ऊपर जब तुम उसको प्रायोरिटी इज करना शुरू कर दोगे तो तुम्हारे जैसे मिलियंस ऑफ पीपल प्रायोरिटी करना शुरू करेंगे और जैसे-जैसे प्रायोरिटी बढ़ती चली जाएगी वैसे-वैसे वो चीज अपने आप गवर्नमेंट की नजर में बहुत ज्यादा हाईलाइट होने लगेगी आल्सो वन मोर थिंग दैट आई वांटेड टू ऐड कि एजुकेशन सिर्फ एक इंस्ट्रूमेंट नहीं है कि तुम्हारी खुद की लाइफ बदले एजुकेशन से तुम मिलियंस ऑफ पीपल की लाइफ बदल सकते हो एजुकेशन कितना इंपॉर्टेंट होता है ये समझो बाय यूजिंग राइट सेट ऑफ एजुकेशन यू कैन मोटिवेट अदर्स यू कैन इंस्पायर अदर्स यू कैन लिफ्ट द नेशन अरे हम सब मिल कर के ना एक एरा बना सकते हैं जहां पर हर इंडिविजुअल क्यूरियस है एजुकेशन के लिए और जैसे-जैसे तुम्हारी क्यूरियोसिटी बढ़ेगी वैसे-वैसे हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव आना शुरू होगा जब तुम क्यूरियस ही नहीं होगे जब तुम उस चीज के लिए मांग ही नहीं करोगे आवाज ही नहीं उठाओगे तो उस चीज के लिए क्यों लोग सवाल करेंगे तुमसे थैंक यू सो मच आपने इस वीडियो को यहां तक देखा आई होप बहुत सारे लोग लास्ट तक देख देखते हैं तो एक बार जाकर के कमेंट करना कि लास्ट तक देखा वो कमेंट मुझे बहुत अच्छा लगता है पर्सनली मैं एक चीज बोलना चाहूंगा कि मेरे चैनल पर 70 पर ऐसे लोग हैं जो सिर्फ वीडियो देख कर के चले आते हैं चैनल को सब्सक्राइब नहीं करते हैं 30 पर की की ऑडियंस ऐसी है जो चैनल को सब्सक्राइब करे हुए हैं प्लीज अगर आपने यहां तक इस वीडियो को प्लीज इस चैनल को सब्सक्राइब करिए एक वीडियो बनाने के पीछे बहुत सारे लोगों की मेहनत होती है तो प्लीज एंड सब्सक्राइब बिल्कुल फ्री में होता है तो प्लीज सब्सक्राइब कर लीजिए ठीक है एंड अगर आपके पास कोई बहुत यूनिक टॉपिक है और आप चाहते हो कि मैं उसके ऊपर वीडियो बनाऊं तो आप मेरे instagram2 किंग टॉपिक्स को जरूर शेयर किया करिए ताकि ज्यादा से ज्यादा इंप्रूवमेंट हम लोग लेकर के आ सकें हमारा एक ही एम है हमें स्ट्रांग माइंडेड लोगों की कम्युनिटी बनाना है इस चैनल पे अगर आप इस कम्युनिटी का पार्ट बनना चाहते हैं तो आप सब्सक्राइब करके बेल आइकन को ऑन कर दीजिए थैंक यू सो मच मैं अगली वीडियो में आपसे मिलूंगा वन कर दो