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खाली दिन और बातें

जब दिन हो खाली दीवारों सा जब दिन हो खाली दीवारों सा और टूटी छत सी रातें हो मैं घर बनाऊं शब्दों का और ईंट हमारी बातें [संगीत] हो कुछ कर दिखाने की दौड़ में एक दिन सब कुछ बदल जाता है कोई अपना ही पीछे तो कोई आगे निकल जाता है हम कितनी दूर से चलकर आए हैं आराम की तलाश में कितना कुछ गवाया है हमने कुछ पाने की आस में आजकल वक्त नहीं मिलता फिजूल मुलाकातों के लिए बेवजह बेफिक्र बातों के लिए जब चलना शुरू किया था तो नहीं सोचा कि साथ कौन चलेगा अब अकेले तो हम सभी है पर यह कहने की शुरुआत कौन करेगा तुम या तुम तुमने देखा है खुद को तुमने देखा है खुद को रातों में जगते हुए क्लास की खिड़की से बाहर की दुनिया को तकते हुए क्या लगा था तुम्हें कि उस दुनिया की बनाई सड़कों पर चलकर तुम सब कुछ पा लोगे अमा एक ही डिग्री से तुम प्यार पैसा इज्जत सब कमा लोगे क्या तुमने जो चाहा सब कुछ वैसा ही होगा अगर तुमने जो चाहा वह नहीं हुआ तो क्या होगा घबराओ मत पास आओ कुछ किस्से सुनाने हैं नए नहीं यह पुराने हैं याद है जब क्लास एथ में मार्क्स कमाए थे मम्मी ने फिजिक्स सिविक्स हिस्ट्री सबके ट्यूशन लगाए थे एंट्रेंस एग्जाम में मुश्किल से पास हुए थे रिश्तेदार फिर एक बार नाराज हुए थे जॉब मिली जॉब मिली मगर पैकेज कम था दोस्तों से बिछड़ने का गम था कितना कुछ कहना था उस शाम तुम्हें पर सैलाब को अपने अंदर उतार लिया अपने भी देखे थे ख्वाब तुमने मौन उनका भी स्वीकार लिया क्योंकि बचपन से सिखाया तुम्हें कि जिंदगी ऐसे ही जीते हैं इतिहास में नाम सिर्फ उनका है जो अपने हालातों से जीते हैं और जीत भी ऐसी जो दांव खुलते ही बाजी पलट देती है कामयाबी जितना देती है उससे ज्यादा छीन लेती है फिर फिर क्या हुआ था फिर लेडीज एंड जेंटलमैन हमारे सभी प्रोडक्ट की तरह दिस एंजाइटी इ आल्सो मेड इन इंडिया फॉर बेस्ट रिजल्ट्स ट्राई इट विद अ डोज ऑफ सोशल मीडिया रुके नहीं यहां पर भी रुके नहीं यहां पर भी चलना जारी रखा कंधों पर बेचैनी का बोझ भारी रखा पर अब अब देखो चलते चलते ही मुकाम आया है दिन ढलने को है वह साथ थोड़ा आराम लाया है कब से तुमने अपने का चेहरा नहीं देखा साथ उनके चांद को बनते सुनहरा नहीं देखा तो क्यों ना आज तुम आवाज लगाओ तारों को पास बिठा यारों को और उनसे बातें करो बताओ उन्हें कि तुम पर क्या बीती है पता करो आखिर किसके जीवन की रेखा सीधी है जाहिर करो कितनी बार तुमने अपना ही दिल दुखाया है तुम क्या जीतने निकले थे जि ने इतनी दफा रुलाया है दो आंखों से दो आंखों की किताबें पढ़ो इससे पहले की तन्हाई सुन ले आहट तुम्हारी तुम बातें करो यह बातें जादुई होती हैं मन के भेद खोल देती है वो सारी परेशानियां जो अंधेरों में बढ़ती है उनकी जड़े टटोल देती है तुम कितना भी छुपाओ अपने हालात यह बातें सब बोल देती है तो कभी अगर जो मौका मिले कभी अगर जो मौका मिले तो खुद से भी तुम बातें करो दिमाग का एक कोना पकड़कर अंदर की आवाजें सुनो यह आवाज तुम्हारे बारे में क्या कहती है क्यों अक्सर बाहर आने को बेताब रहती है कुछ पल के लिए ही सही उन्हें बाहर आने [संगीत] दो सुनो आराम की घड़ियां खत्म हो रही हैं फिर एक बार बातों के घर से निकलना होगा दुनिया की बनाई सड़कों पर चलना होगा कुछ अपने पीछे तो कुछ आगे रहेंगे कहना उनसे कि फिर कहीं जो रुकना होगा तो साथ मिलकर सोचेंगे कि यह जो सब कुछ हुआ है क्या हमने पहले से सोचा था क्या पहले भी सबके साथ ऐसा ही होता था क्या जिसकी हमें जरूरत थी उसने भी हमको खो जा था अगर यह सच है तो फिर हम इतने अकेले नहीं जितना कि हमने सोचा [संगीत] था थैंक यू सो मच कैन वी हैव अ ह्यूज राउंड ऑफ अप्लाजिक [प्रशंसा]