[संगीत] स्टडी आईक्यू आईएस अब तैयारी हुई अफोर्डेबल नमस्कार दोस्तों दोस्तों कल से लगातार एक खबर चल रही है कि भारत का जो सरकारी बंड्स है उसको जेपी मॉर्गन इंडेक्स में शामिल किया जाएगा देखिए यहां पर आप सबको पता है जब आप इन्वेस्टमेंट करते हैं भारत के अंदर या तो आप इक्विटी में करते हैं ज्यादातर या फिर आप डेट में करते हैं इक्विटी का मतलब हो गया जब आप शेयर मार्केट में डायरेक्ट पैसा लगाते हैं म्यूचुअल फंड्स में लगाते हैं डेट क्या होता है जब आप किसी ऐसे इंस्ट्रूमेंट में पैसा लगाते हैं जहां पर आपको फिक्स्ड इ इंटरेस्ट जो है रिटर्न है मिलता रहता है जैसे आपको पता है सरकार जो है हर साल बॉन्ड जारी करती है क्यों क्योंकि सरकार का डेफिसिट होता है सरकार का जितना रेवेन्यू होता है सरकार उससे ज्यादा खर्चा करती है तो जो एक्स्ट्रा पैसा खर्चा करती है उसके लिए सरकार बॉन्ड्स जारी करती है और वो पैसा आपसे कलेक्ट करती है तो आप इन्वेस्ट करते हैं बॉन्ड्स के अंदर और वो जो पैसा है वो एक तरह से इंटरेस्ट के तौर पर आपको मिलता रहता है मान लीजिए सरकार ने कहा कि % का इंटरेस्ट होगा तो आपको हर ₹1 पे ₹ मिलते रहते हैं तो यहां पर बड़ी खबर आई है देखिए यहां पर एक बहुत मायने रखता है कि भारत का सरकारी बॉन्ड्स किसी ग्लोबल इंडेक्स के अंदर शामिल किया गया हो ये खबर आप देख सकते हो इंडिया सेट फॉर बिलियंस ऑफ डॉलर्स ऑफ इनफ्लोज एज बॉन्ड्स जॉइन जेपी मॉर्गन इंडेक्स मतलब कि भारत के अंदर बहुत सारा पैसा आने वाला है बिलियंस ऑफ डॉलर्स आएंगे ये वाले कदम की वजह से तो इसको थोड़ा हम डिटेल से समझेंगे कि एगजैक्टली यह है क्या इसका मतलब क्या है इसका असर क्या होगा इंफ्लेशन होगा भारत के अंदर तो वो कैसे कंट्रोल करेगी काफी कुछ आपको जानने को मिलेगा चलिए आगे बढ़ते हैं लेकिन उससे पहले मैं आप सबको बता दूं कि 30th ऑफ जून तक आपके पास मौका है हमारा जो सेल है उसका ज्यादा ज्यादा फायदा उठाने का अगर आप 2025 की यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं तो हमारे जितने भी जीएस फाउंडेशन के बैचेज हैं अलग-अलग लैंग्वेजेस में आप आप ले सकते हैं बस आप हमारे वेबसाइट ऐप पर जाइए या फिर कमेंट सेक्शन में लिंक है और आपको यूज़ करना है यह कोड अंकित लाइव ताकि आप मैक्सिमम जो डिस्काउंट है वो ले सकें और इसके अलावा अगर आप एमसीक्यू अटेंप्ट करना चाहते हैं तो मेरे टा पेज पर जाइए वहां पर स्टोरीज में जितने भी एमसीक्यू हैं उसको आप अटेंप्ट कर पाएंगे तो चलिए शुरुआत करते हैं और सबसे पहले यह समझने की कोशिश करते हैं कि एगजैक्टली हुआ क्या है देखिए बताया यह जा रहा है कि इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स जो सरकार बॉन्ड्स जारी करती है उसको जेपी मॉर्गन के इमर्जिंग मार्केट्स बॉन्ड इंसेस के अंदर इंक्लूड किया जाएगा आज से मतलब आज 288 ऑफ जून से इसको लिया जाएगा अब इसका मतलब क्या है समझिए मैं आपको एक एग्जांपल की तरह समझाना चाहता हूं देखिए भारत के अंदर आपने सेंसेक्स के बारे में सुना होगा सेंसेक्स क्या है यह भी एक प्रकार का इंडेक्स है इंडेक्स का मतलब हो गया कि हमारे देश के अंदर जो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में आपको पता ही होगा 5000 से ज्यादा कंपनीज लिस्टेड हैं लेकिन सेंसेक्स के अंदर कितनी कंपनीज इंक्लूड की जाती हैं सिर्फ 30 कंपनीज जो टॉप की 30 कंपनीज होती हैं अलग-अलग क्राइटेरिया होता है हर 6 महीने में ये भी चेंज होता रहता है और अलग-अलग वेटेज होता है इसका भी जैसे कि यहां पर अगर हम hdfcfund.com hdfcfund.com ब्राजील हो गया साउथ अमेरिका अमेरिका के अंदर साउथ अफ्रीका हो गया इस तरह के कई सारे जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं इमर्जिंग मार्केट्स हैं उनमें से कौन से देश का जो बॉन्ड है वो इस इंसेस के अंदर इंक्लूड किया जाएगा तो जाहिर सी बात है कि अगर मान लो भारत के सरकारी बॉन्ड्स को अगर इंक्लूड किया जा रहा है इसके अंदर इसका मतलब हमारी प्रतिष्ठा बढेगी मतलब हमारा जो बॉन्ड का वैल्यू है वो एक तरह से बेहतर होगा ना दुनिया भर के अंदर क्योंकि हमारा जो बॉन्ड है वो ग्लोबल लेवल पर ग्लोबल इंडेक्सेस के अंदर इसको इंक्लूड किया गया है सेम उसी प्रकार से जैसे सेंसेक्स के अंदर जब भी कोई कंपनी आती है तो उसमें तेजी देखने को मिलती है क्यों क्योंकि लोग उसमें इन्वेस्ट करते हैं लोग यहां पर पैसा डालते हैं उनको लगता है कि ये बेटर कंपनीज है लार्ज क कैप कंपनीज हैं तो ये एक तरह से प्रतिष्ठा का सवाल हो जाता है ठीक है तो उसी प्रकार से यहां पर अब बोला गया है कि भारत का जो सरकारी बॉन्ड्स है वो इस इंसेस के अंदर इंक्लूड किया जाएगा और ये कब से कब तक रहेगा ये आज 28 ऑफ जून से लेकर अगले 10 महीने तक 31 ऑफ मार्च 2000 25 तक इसको इंक्लूड किया जाएगा तो इन 10 महीने के अंदर बताया जा रहा है कि भारत में बिलियंस ऑफ डॉलर्स आएंगे अब देखिए जाहिर सी बात है जब इतना सारा पैसा भारत में आएगा तो ये हमारे लिए अच्छा है हम कई सारी चीजों को मैनेज कर पाएंगे हमारा फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व जो है जो अभी $50 बिलियन डॉलर के आसपास चल रहा है ये और ज्यादा बढ़ेगा लेकिन इसके साथ-साथ इंफ्लेशन का भी खतरा है तो वो आरबीआई को कहीं ना कहीं मैनेज करना पड़ेगा खैर इसके बारे में अनाउंसमेंट कब हुआ था वैसे मैं आपको बता दूं ये जो अनाउंसमेंट था कि भारत का सरकारी बॉन्ड्स इंक्लूड किया जाएगा यह पिछले साल ही आ गया था पिछले साल सितंबर के महीने में जेपी मॉर्गन ने एक्चुअली एक इंडेक्स गवर्नेंस रिव्यू किया था और उसके अंदर डिसीजन लिया था कि जून 2024 से भारत का सरकारी बॉन्ड्स इस इंडेक्सेस के अंदर इंक्लूड किया जाएगा और फाइनली यह हो चुका है लेकिन अब क्वेश्चन यह है कि भारत का जो सरकारी बॉन्ड होगा इस इंडेक्सेस के अंदर इस इंडेक्स के अंदर उसमें भारत का वेटेज कितना होगा जैसे मैंने आपको बताया ना कि जैसे सेंसेक्स है इसके अंदर 30 कंपनीज हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि हर एक कंपनी का सेम वेटेज है अलग-अलग कंपनीज का अलग-अलग वेटेज है कि भारत का सरकारी बॉन्ड्स अ ग्लोबल इंडेक्स के अंदर इंक्लूड हो रहा है इसकी वजह से जो निवेशक हैं फॉरेन के निवेशक हैं वह सरकारी बॉन्ड्स के अंदर ज्यादा पैसा डालना चाहेंगे ठी उनको भरोसा होगा इसके ऊपर खैर अब क्वेश्चन यहां पर यह है कि भारत के कितने सरकारी बॉन्ड्स वो इंक्लूड होंगे देखो यहां पर आपको एक चीज बता दूं कि मैंने आपको क्या बोला कि भारत सरकार बॉन्ड्स जारी करती है आरबीआई के माध्यम से आपको पता है ओपन मार्केट ऑपरेशंस वगैरह आप जानते होंगे अगर इकोनॉमी के बारे में पढ़े हैं तो यहां पर क्या होता है कि जो बॉन्ड जारी किया ओबवियस सी बात है सरकार ने तो 50 साल पहले भी बॉन्ड जारी किया होगा सरकार ने 10 साल पहले भी बॉन्ड जारी किया होगा क्योंकि हर साल करना ही पड़ता है यहां पर कोई रास्ता नहीं है क्योंकि सरकार मान लो अगर सरकार का रेवेन्यू आ रहा है 30 लाख करोड़ का लेकिन सरकार खर्चा कर रही है 4 लाख करोड़ बजट के अंदर आप देखना तो बड़ा बहुत बड़ा डिफरेंस होता है 10 लाख करोड़ का 15 लाख करोड़ का तो उसमें से थोड़ा बहुत सरकार मैनेज कर देती है सरकारी कंपनीज वगैरह का हिस्सा बेच देती है तो सरकार को पैसे आ जाते हैं लेकिन स्टिल 101 लाख करोड़ रुपए सरकार कहां से लाएगी तो उन सब के लिए सरकार बॉन्ड जारी करती है अब हर एक बॉन्ड का अगर आप मैच्योरिटी दे दे देखोगे तो अलग-अलग होता है कोई बॉन्ड होता है 30 साल की मैच्योरिटी का होता है कोई बॉन्ड होता है 10 साल की मैच्योरिटी का अलग-अलग होता है जैसे कि आप एग्जांपल देखिए यहां पर ये मैच्योर हो रहा है ये वाला जो बॉन्ड है आपका ये नवंबर 2073 में मैच्योर होगा आप समझिए ये 2064 में मैच्योर होगा कोई 2050 में मैच्योर होगा यह 2032 में मैच्योर होगा मतलब इतने लॉन्ग टर्म के बॉन्ड्स जारी किए जाते हैं और जाहिर सी बात बात है कि यहां पर जो बॉन्ड्स जारी किए जाते हैं उसके लिए सरकार को इंटरेस्ट भी पे करना पड़ता है ना और इसीलिए आप देखिए कि सरकार का ज्यादातर हिस्सा सरकार जो भी यहां पर खर्च करती है ना उसका लगभग 20 पर हिस्सा मान लो सरकार ₹1000000 खर्च कर रही है इस साल के बजट में तो उसमें से ₹ तो सिर्फ और सिर्फ इंटरेस्ट पेमेंट में ही चले जाते हैं क्योंकि इतने सालों से सरकार ने पैसा बरो किया है और उसके ऊपर इंटरेस्ट पे करना है फिर यहां पर जब समय आता है मैचरिंग का तो सरकार को वो प्रिंसिपल अमाउंट भी पे करना होता है ठीक है तो यहां पर जो इंडेक्स इस के अंदर भारत के सरकारी बॉन्ड्स इंक्लूड किए जा रहे हैं उसमें से 23 इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स को इंक्लूड किया जाएगा 23 प्रकार के बॉन्ड्स को और इसकी टोटल वैल्यू अगर आप देखोगे ना इन बॉन्ड्स की वैल्यू कितनी है वो है ₹ लाख करोड़ रपए आप सोच के देखिए मतलब यहां पर 330 बिलियन डॉलर आप कह सकते हैं अब देखिए क्या होता है ना कि यहां पर आप में से कई लोग क्वेश्चन पूछ सकते हैं कि सर यहां पर 23 इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स को ही क्यों इंक्लूड किया जा रहा है देखो यहां पर जो जेपी मॉर्गन है उसका कहना है कि हम कुछ सिलेक्टेड बॉन्ड्स को ही इंक्लूड करेंगे जो बेटर क्वालिटी के हैं जो हमारे क्राइटेरिया से मैच करते हैं जैसे कि वो बॉन्ड्स जो कि फुल्ली एक्सेसिबल रूट है जिसमें अलाव किया हुआ है फुल्ली एक्सेसिबल रूट मैं आपको बताता हूं बेसिकली आरबीआई ने क्या किया था 2020 में यहां पर जो एनआरआई हैं ठीक है फॉर जो नॉन रेसिडेंट इंडियन इन्वेस्टमेंट इन्वेस्टर्स हैं उनको यह बोल दिया कि आप भारत के सरकारी बॉन्ड्स में इन्वेस्ट कर लीजिए जितना चाहे मतलब क्या होता है ना कि सरकार कुछ सीलिंग लगा देती है कि इससे ज्यादा आप इन्वेस्ट नहीं कर सकते लेकिन जो फुल्ली एक्सेसिबल रूट्स वाले बॉन्ड होते हैं उसमें कोई सीलिंग नहीं होती है जितना चाहे आप पैसा इसके अंदर इन्वेस्ट कर दो तो वो एक क्राइटेरिया है तो स जेपी मॉर्गन का कहना है कि हमने उन्हीं बॉन्ड्स को सेलेक्ट किया है जो कि फुल्ली एक्सेसिबल रूट के अंदर आते हैं फिर इसके अलावा यहां पर और भी कई क्राइटेरिया जैसे उसकी मिनिमम जो आउटस्टैंडिंग वैल्यू है उस बॉन्ड्स की $ बिलियन डॉलर होनी चाहिए उसका जो मैच्योरिटी है वो कम से कम ढाई साल का बचा होना चाहिए मान लो कोई सरकार ने 50 साल पहले बॉन्ड जारी किया होगा और अब उसका मैच्योरिटी डेट अगले साल होगा तो तो उसको इंक्लूड नहीं किया जाएगा मिनिमम कम से कम ढाई साल का मैच्योरिटी डेट उसमें बचा होना चाहिए ठीक है आई होप आप समझ गए होंग अब क्वेश्चन ये है कि इस कदम की वजह से भारत को क्या फायदा होगा भारत के अंदर जाहिर सी बात है मैंने आपको बताया कि जब भी ऐसा होता है तो पॉजिटिविटी आती है इन्वेस्टर्स के अंदर वो इसके अंदर निवेश करते हैं और बताया जा रहा है कि इसकी वजह से हर महीने लगभग 2 बिलियन डॉलर से लेकर ढाई बिलियन डॉलर तक भारत में आएगा मतलब ओवरऑल आप कहिए अगले 10 महीने के अंदर 20 से 25 बिलियन डॉलर भारत में आ सकता है इनफैक्ट यहां पर मैं आपको बता दूं एचएसबीसी की रिपोर्ट आई थी उन्होंने कहा था कि पिछले साल जब इसके बारे में अनाउंसमेंट किया गया था ना सितंबर में तब से लेकर अभी तक ऑलरेडी 10 बिलियन डॉलर आ चुका है यहां पर अभी भी बहुत सारा पैसा आना बाकी है जिसकी वजह से भारत में एक पॉजिटिविटी आएगी खैर आई होप आप समझ गए होंगे यह हो क्या रहा है खैर अब क्वेश्चन यहां पर यह है कि इस बॉन्ड इंक्लूजन का इंपैक्ट क्या होगा इसका असर क्या होगा देखिए यहां पर एक जो सबसे इंपॉर्टेंट चीज आपको समझनी है कि अब अभी तक क्या होता था कि जो फॉरेन निवेशक हैं विदेशी निवेशक हैं वो भारत के सरकारी बॉन्ड्स में इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स में ज्यादा पैसा इन्वेस्ट नहीं करते थे लेकिन इस कदम की वजह से अब यहां पर वो और ज्यादा पैसा निवेश करेंगे तो जो पहले एक्सटर्नल फाइनेंसिंग नहीं होती थी वो अब यहां पर हो पाएगी फिर इसके अलावा सरकार का जो फिस्कल डेफिसिट होता था करंट अकाउंट डेफिसिट आपको पता होगा करंट अकाउंट डेफिसिट बेसिकली अगर आप बैलेंस ऑफ पेमेंट में देखोगे तो हमारा जो कैपिटल अकाउंट है उसके अंदर ये सारी चीजें आती हैं जो भी इन्वेस्टमेंट वगैरह आता है तो ये तो हमारा पॉजिटिव रहता है हमेशा अगर आप देखिए लेकिन करंट अकाउंट ज्यादातर हमारा नेगेटिव रहता है लद पिछला वाला जो क्वार्टर गया है वो पॉजिटिव रहा है सरप्राइजिंगली लेकिन ज्यादातर हमारा करंट अकाउंट डेफिसिट में रहता है इसका मतलब क्यों है क्योंकि देखिए हम एक्सपोर्ट कम करते हैं और इंपोर्ट ज्यादा कराते हैं गुड्स का तो इसकी वजह से ये हमारा नेगेटिव में रहता है तो उसको फाइनेंस करने में ये काफी मदद करेगा करंट अकाउंट डेफिसिट होने का मतलब ये हुआ कि भारत से हम डॉलर बाहर भेज रहे हैं ज्यादा लेकिन यहां पर इस बॉन्ड के इंक्लूजन से तो डॉलर भारत में आ रहा है तो उसको फाइनेंस करने में मदद करेगा और इनफैक्ट यहां पर आप देख सकते हैं जो ग्लोबल रेटिंग एजेंसी है जैसे फिच रेटिंग हो गया उन्होंने कहा कि इसकी वजह से जो इन्वेस्टर्स का बेस है वो डायवर्सिफाई होगा क्या होता है कि मान लो अगर मैं कहता हूं आपने कोई बिजनेस स्टार्ट किया उसमें आपको सिर्फ पांच ही इन्वेस्टर मिल रहे हैं ठीक है आप ही के मोहल्ले के लेकिन मैं कहता हूं कि आपने एक ऐसा बिजनेस स्टार्ट किया जिसमें आसपास के मोहल्ले के दूसरे शहरों के करीब 20 इन्वेस्टर्स आ गए तो यहां पर क्या ये डायवर्सिफाई हो गया ना आपका व जो जो इन्वेस्टमेंट उन्होंने किया है तो इसकी वजह से इंडियन गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में डायवर्सिफिकेशन आएगा इन्वेस्टर्स का और इसकी वजह से क्या होगा कि अब देखिए एक बहुत बड़ा इंपैक्ट ये होना है कि सरकार जो इंटरेस्ट पे करती है वो भी थोड़ा सा कम करना होगा जब किसी भी चीज की वैल्यू बढ़ती है ना जैसे कि अगर आप आप सोचिए अगर कोई यूएस गवर्नमेंट बॉन्ड जारी करती है यूएस की सरकार तो उसको बहुत कम इंटरेस्ट पे करना होता है उसको हार्डली मान लो सिर्फ 2 पर इंटरेस्ट पे करना है लेकिन वही भारत सरकार जब बॉन्ड जारी करती है तो हमें करीब 6 पर कम से क कम इंटरेस्ट पे करना होता है 6 पर 7 पर तो ऐसा क्यों क्योंकि यूएस के ऊपर ज्यादा भरोसा है कि कोई भी अगर निवेश कर रहा है यूएस के बॉन्ड में तो उसको रिटर्न मिलना ही मिलना है लेकिन भारत पर उतना भरोसा अभी नहीं है लेकिन हां अगर आप भारत और पाकिस्तान को कंपेयर करो तो पाकिस्तान को तो करीब 10 पर 12 पर पे करना होगा क्योंकि उस परे तो बिल्कुल भी भरोसा नहीं है तो इस तरह से सिस्टम जो है पूरा वर्क करता है तो भारत सरकार जो इंटरेस्ट पे कर रही है वो भी अब थोड़ा सा कम हो जाएगा और साथ ही साथ हो सकता है आगे चलकर जो हमारा रेटिंग है वो भी बेहतर हो जाए इसकी व जैसे खैर अब क्वेश्चन फाइनली यह है कि पैसा तो आ रहा है भारत के अंदर बिलियंस ऑफ डॉलर्स आ रहा हैं मैंने आपको बताया लेकिन क्या यह कंसर्न है भारत के लिए देखो यहां पर क्या होता है कि जब इतना सारा पैसा आया अब इसमें एक सिस्टम को समझिए मतलब मान लीजिए मैं कह रहा हूं कि 20 बिलियन डॉलर यह हमारे देश के अंदर आया हमारे मार्केट में आया अब आपको क्या लगता है आरबीआई क्या करेगी अब डॉलर तो हमारे मार्केट में आ गया इंडियन मार्केट में आरबीआई क्या करती है उन डॉलर को खरीद लेती है वो डॉलर मात लो 20 बिलियन डॉलर है उसमें से 15 बिलियन डॉलर खरीद ली और उतने का ही जो रुपी है वोह सप्लाई कर देती है मार्केट के अंदर आ रहा है समझ में इसका मतलब क्या हुआ कि हमारे इंडियन मार्केट में जो रुपी का सप्लाई है वो बढ़ गया लोगों के पास लिक्विडिटी आ गई तो जब पैसा आया लिक्विडिटी ज्यादा बढ़ गई मार्केट के अंदर तो इसकी वजह से क्या होगा यहां पर इंफ्लेशन बढ़ने का खतरा रहता है तो इंफ्लेशन को कंट्रोल करना होगा कहीं ना कहीं आरबीआई को और इसी को लेकर इनफैक्ट आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा भी था कि हमारे पास कई सारे इंस्ट्रूमेंट है जिसकी वजह से हम इस तरह के चीजों को थोड़ा सा कंट्रोल कर सकते हैं मतलब इंफ्लेशन वगैरह जो आएगा तो हमारे पास इंस्ट्रूमेंट्स हैं हम ऐसे ऐसे चीजें इंप्लीमेंट करेंगे ताकि इंफ्लेशन को रोका जा सके वी विल मैनेज इट पहले भी हमने किया है अभी भी हम यहां पर करेंगे तो आई होप आप समझ गए होंगे और फाइनली यहां पर एक और क्वेश्चन है कि जे ये तो हमने कौन से इंडेक्स की बात की जेपी मॉर्गन के इंडेक्स की क्या कोई और भी इंडेक्स में भारत के सरकारी बॉन्ड्स को इंक्लूड किया जाएगा जी हां बिल्कुल मैं आपको बता दूं 31 जनवरी 2025 से अगले साल से जनवरी से जो अ ब्लूमबर्ग का इमर्जिंग मार्केट लोकल करेंसी गवर्नमेंट इंडेक्स है उसमें भी भारत के सरकारी बॉन्ड्स को इंक्लूड किया जाएगा ठीक है आई होप अब आपको डिटेल में समझ में आ गया होगा कि इसका मतलब क्या होता है जो इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स को इंक्लूड किया गया है जेपी मॉर्गन इ इंडेक्स इंडेक्स के अंदर और जाने से पहले एक इंटरेस्टिंग क्वेश्चन क्या बता सकते हो इनमें से कौन सा एक्शन लिया जाएगा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा जब भी एक्सेस लिक्विडिटी होती है मार्केट के अंदर ठीक है तो यह आपको बताना है इसका राइट आंसर आप सबको पता बताए मेरे [संगीत]