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ग्रामीण शासन पर विस्तृत अध्ययन

Hello बच्चों, आप सभी का स्वागत है हमारे चैनल NCERT Tutorial के उपर और यहाँ पर इस वीडियो हम लोग पढ़ रहे हैं Class 8 History के Chapter No. 3 को जिसका नाम है Ruling the Countryside और यहाँ पर इस वीडियो में इस Chapter को हम Completely पढ़ेंगे यानि कि आपका Full Chapter जो है वो इस वीडियो में कवर हो जाएगा कुछ भी छूटेगा नहीं और साथ में इस वीडियो को हम लोग क्या करेंगे डिजिजिटल बोर्ड के जरिए नोट्स के साथ पढ़ेंगे तो वो उस वीडियो को देखने के लिए आप यहाँ पर आई बटन में क्लिक कर सकते हैं और न और वीडियो को जल्दी खत्म करना चाहते हैं तो 1.25X पर देखिए और भी जल्दी करना चाहते हैं तो 1.5X पर देखिए कोई परिशाने नहीं है जल्दी से आपका पूरा वीडियो खत्म हो जाएगा आपको पूरा समझ में भी आ जाएगा अब यहाँ पर जरा सा अ� तक हम लोगों ने पहला चैप्टर कर लिया है पहला चैप्टर में हमने क्या देखा था पहला चैप्टर हावे ने वे हाउ बिन एंड वेर एक तरीके से हमारा क्या था इंटरडक्शन था दूसरा चैप्टर भी हम कर चुके हैं फ्रॉम ट्रेड टू टेरिटरी इसका इन स क्या करने वाले हैं थर्ड चैप्टर कर रहे हैं सिकेंड चैप्टर में हमने क्या देखा था सिकेंड चैप्टर में हमने बात किया था कि भाई किस तरीके से जो यूरोपियंस थे यानि कि जो ब्रिटिसर्स थे वो पूरे इंडिया पर उन्होंने किस तरीक कंट्रोल था या फिर जो भी उनको चाहिए था वो कैसे हुआ मतलब कि देखिए एक तरीके से सेकंड चैप्टर में हमने देखा कि भाई राजा महराजाओं को कैसे हराया ब्रिटिसर्स ने अब हम देखेंगे कि लोकल लेवल पर गाउं की लेवल पर जो पूरी लोग थे सभ यह दिया गया था मुगल इंपरर के द्वारा, अब यहाँ पर देखिए, यहाँ पर यह जो image आप देख रहे हैं, इस image में यही चीज दिखाया गया है, कि जो मुगल इंपरर हैं, वो क्या कर रहे हैं, रॉबर्ट क्लाइव, जो की एक तरीके से, आर्मी को लीड वगरा कर रहे थे, कहां का, बेंगाल, बिहार, ओडिसा का, जब बात होता है न, तो उस समय, जो बंगाल था, उसमें ये सारे आपको स्टेट आ जाते हैं, मतलब आज का बंगाल, आज का बिहार, और ज्झारखंड उडिसा, और बंगाल का मतलब ये हमारा बंगाल केवल नहीं, जो बंगला देश देश है वो भी इंक्लूडेड, ये सारे राज मिला कर पहले बंगाल हो, कहलाता था, समझ गया, तो क्या हुआ भाई, 12 अगस्ट 1765 को क्या हुआ, दिवानी राइट मिल गया तो उस चीज की वज़े से क्या हुआ था ये right sign करके देना पड़ा था क्योंकि वो लोग हार चुके थे कौन हार चुका था मुगल emperor हार चुके थे अब यहाँ पर ठीक है अब यहाँ पर आगे बढ़ें तो आगे यहाँ पर एक चीज आपको छोटी सी कहानी मतलब छोटी जी समझाने की कोशिश की जा रही है कि देखे ये जो reality में जो ये treaty sign हुई थी जहाँ पर की दिवानी right दिया गया था वो treaty एक तरीकी से sign हुई थी छो रॉबर्ड क्लाइफ की टेंट में जहाँ पर दो चार लोग मातर खड़े थे, कुछ अंग्रेज थे, कुछ इंडियन्स थे और उनके सामने ये साइन हुआ था, लेकिन यहाँ जैसा कि आप पेंटिंग देख पा रहे हैं, पेंटिंग में ऐसा लग रहा है कि भाई मुगल द ये document sign हुए थे, लेकिन reality ऐसा नहीं था, क्यों? तो भाई ये बात है न, कि ये जो event था, मतलब दिवानी right अंग्रेजो को मिलना, अंग्रेजो के लिए बहुत बड़ा event था, इसलिए Robert Clive ने एक painter को साफ साफ बुलाया था, और दिखाया था event, और एक तरीके से उनको कहा था कि भाई ऐसा painting बनाओ, शांदार painting जो कि इस event को दिखाये, तो painter ने एक ऐसा painting बनाया, जिसमें कि इस event को grand event के रूप में दिखाया गया, कि भाई बहुत बड़ा event था, जहाँ पर कि दिवानी राइट अंग्रेजो को दिया गया था ठीक है अब यहाँ पर बात होता है कि दिवानी राइट मिलने का मतलब क्या है दिवान बनने का क्या मतलब है बंगाल का दिवान बनने का क्या मतलब है इसका मतलब यह है कि जो इस्ट इंडिया कंपनी है वो अब बंगाल की चीफ फाइनेंसियल मतलब कि भाई जो बंगाल है आज का बंगलादेश, पस्चीमंगाल, बिहार, ज्जारखन, उरीसा ये सारे राजकी की बात हो रही है मतलब कि एक्ट्रेट लिए नहीं उन सभी राज्यों के पार्ट्स जो है वह इंक्ल� अब यहाँ पर क्या हो गया, यहाँ पर दिवान बनने का मतलब क्या हो गया, दिवान बनने का मतलब हो गया, कि जो East India Company है, वो जो बंगाल है, उसका क्या करेगी, वहाँ का revenue resources को organize करेगी, वहाँ के land को administer करेगी, मतलब क्या, मतलब जो tax collection का काम है, वो कौन करेगा, East India Company करेगी, वो इसी tax के पैसे से East India Company करेगी तो यहाँ पर क्या हो गया यहाँ पर अंग्रेजों के पास एक बहुत important event हुआ एक बहुत important चीज आ गई और वो क्या आ गया Revenue रिवेन्यू यानि कि पैसे आ गए अब है पूरे बंगाल से जो कि एक तरीके से हम कह सकते हैं कि बहुत उपजाव जमीन हुआ करती थी क्या अभी भी है तो भाई यहां पर खेती भी बहुत ज्यादा होता है बहुत तरीके कारीगर रहते थे तो अगर जो थे उनको भाई कहो कि लॉटरी लग गई इतने पैसे इतने रिवेन्यू वह आसानी से कलेक्ट कर सकते थे अब इससे क्या हो गया इससे अंग्रेजों को ये फायदा था कि वो पैसे को इस तरीके से collect कर सकते थे और जितना चाहे उतना collect कर सकते थे ताकि वो अपने company के खर्चे को पूरा कर सके अ भाईया company जो है उसका खर्चा क्या है company का खर्चा पहला तो है कि भाई उसको जो यहां से समान खरीदना है इंडिया से उसके लिए पैसे चाहिए इंडिया में East India Company क्या कर रही थी वार भी लड़ रही थी बहुत सारे हमने पिछले चैप्टर में देखा था कि बहुत जगों पर वार वगरा लड़ रही थी तो वार लड़ने के लिए सैनिकों का वितन हो गया जो भी हो बहुत सारी खर्चे होते हैं तो उन सब खर्चों को यही से ट कर सकती थी अब यहां पर बात यह है कि यहां पर आगे चलकर अंग्रेजों ने गाउं के मामले में यानि कि लोकल लेवल पर एक चीज समझा कि भाई देखो देखो बात है कि हमने भले ही बड़े बड़े राजाओं को हरा दिया बड़े बड़े राजाओं को उनकी सेना को हर होते हैं उनको हम इग्नोर करके नहीं चल सकते हैं रीजन क्या है रीजन यह है कि हम जो है एलियन पावर है एलियन पावर मतलब एलियन पावर मतलब ऐसा नहीं कि चांद सिया है एलियन पावर मतलब कि भारत की सभ्यता संस्कृति से काफी अलग है भारत से वो है नहीं बाहर से आए हुए हैं इसलिए इस तरीके के जो रूलर हैं जो की आपको कंट्री साइड में रूल करते हैं गाउं के तहसिलदार हो गए उसको क्या करना होगा उसको खुश करके रखना होगा क्योंकि ये सालो साल से authority और prestige के साथ बैठे हुए हैं अगर इन गाउं के लोगों के साथ अगर हम जगड़ा करेंगे तो company को नुकसान हो जाएगा लोग revolt कर देंगे और अपनी बात नहीं मानेंगे ठीक है तो इसलिए क् आप अपना गाउं के जमिनदार हैं ठीक है जमिनदार रहिए लेकिन आप हमको सलाम ठोकिएगा हम पैसा मांगेंगे तो पैसा दीजेगा हम जैसा बोलेंगे वैसा कीजिएगा आप अपनी मरजी से कुछ भी नहीं कीजिएगा तब आप रहिए नहीं मानिएगा तो फिर हटा है उसने गाउं के इलाके पर को कोलोनाइज कैसे किया गाउं के इलाके में अपना कंट्रोल कैसे थापित किया गांव के लेवहल पर हमने पिछले चैप्टर में देखा कि वह बड़े-बड़े राजाओं को हराकर सेना वगैरह हटा हराटा कर अपने बैठ गए राजा बनकर लेकिन भाई गांव लेवहल पर कैसे चीजें कंट्रोल किया गया कंपनी के द्वारा यह हमें समझना है इसके साथ ही जो रिवेन्यू रिसूर्स थे यानि कि टैक्स कलेक्शन वगैरह का काम कैसे मैनेज किया कंपनी ने और साथ में लोगों के जो जो अधिकार वगेरा थे उसमें क्या changes लाए गए, और इसके साथ ही जो अंग्रेज़ेओं को crops जरूरत थे, यूरोप में बेचने के लिए, वो crops कैसे उगाया company ने ये चीज समझना है, अब यहाँ पर topic हमारा सबसे पहले आ जाता है, revenue for the company, revenue for the company मतलब, मतलब की भाई company को tax के मामले में बाचीत करने वाले हैं हम, अब देखिये हमने देखा कि जो कंपनी है इस्टिंडा कंपनी वो दिवान बन चुकी है बंगाल के दिवान बन चुकी है लेकिन अभी भी जो कंपनी थी वो खुद को एक ट्रेडर के रूप में देख रही थी कि भाई हम लोग क्या यहां करने आया है भारत में ट्रेड करने इंकम मिले रेवेन्यू से, लेकिन वो एक रेगुलर सिस्टम सेट अप नहीं करना चाहती थी मतलब क्या रेगुलर सिस्टम सेट अप नहीं करना चाहती इसका क्या मतलब इसका मतलब देखिए हमारे देश में भारत सरकार है भारत सरकार टैक्स कलेट करने के लिए क्या करती है जीस्टी उसने पूरा एक डिपार्टमेंट बना कर रखा है करना चाहते थे अंग्रेज नहीं चाहते थे कि हम ये सब लफडे में पड़े हमको बस पैसा कैसे भी मिल जाए हम अपना ट्रेड करें पैसा कमा कर घर जाए हमको ज़्यादा माथा दरद नहीं चाहिए ऐसा अंग्रेजों का सोचना था अब यहाँ पर देखिए यहाँ पर जो कमपनी है उसका में टारगेट क्या था कि भाई हमको पैसा मिले हमलोग रिवेन्यू इतना बढ़ा लें कि हमलोग यहाँ से कॉटन और सिल्क को सस्ते दामों पर खरीद के और ले जाकर ब्रिटेन में यूरोप में बेज सकें अब यहाँ पर देखिए यहाँ यहाँ पर जब दिवानी राइट मिल गया अंग्रेजों को इस्टिंडा कंपनी को तो पाँच साल में जो समान इस्टिंडा कंपनी बंगाल से खरीदती थी वो दुगनी हो गई जितना पहले खरीदती थी पाँच साल पहले अब दुगनी हो गई सत्रा सो पैसट से पहले क्या होता था कंपनी को जो समान इंडिया में खरीदना होता था जैसे कि कॉटन हो गया सिल्क हो गया मसाले वगरा हो गया इनको खरीदने के लिए वो ब्रिटेयन से गोल्ड और सिल्वर लाती थी लेकिन, अब क्योंकि बंगाल का दिवानी रेट मिल गया अंग्रेजों को, तो अब इनको गोल्ड, सिल्वर कुछ भी लाने की जरूरत नहीं थी, वो बंगाल स collect करते थे और उसी पैसे से यहां से समान खरीद लेते थे और उस समान को ले जाकर बेच देते थे यूरोप में और खुब पैसा उनको मिलता था तो इस तरीके से क्या हो गया अंग्रेजों का जो problem था कि भाई ब्रिटेन से सोना चांदी लाना है वो खतम हो गया यही से पैसा थे ना ही उनको किसी और चीज से मतलब था मतलब सिर्फ एक चीज से था क्या कि भाई हमको क्या मिले पैसा मिल जाए और हम क्या करें पैसा कमा कर चल दे अब यहाँ पर क्या हो गया यहाँ पर जो अंग्रेज थे वो उनकी पॉलिसी जैसी थी उन्होंने ऐसे ऐसे कदम उठाए थे जिसकी वज़से जो पूरा बंगाल था ना वो उसकी इस्थिती बहुत के आने से पहले अंग्रेजों के आने के पर कि 5 से 10 साल बाद वहाँ पर लोगों की भूख से मृत्यू होने लगी, भूख से लोग मरने लगे, और लोग गाउं छोड़कर भागने लगे अंग्रेजों के चलते, अब क्यों भाई, कुछ का रीजन यह है कि भाई देखो, जो बंगाल की इकनॉमी थी, वो धीरे धीरे खर जो कारीगर वगेरा थे, जो की कपड़े बुनने वगेरा का काम करते थे, उनको अंग्रेज लोग फोर्स करते थे, कि अगर सौ रुपया का समान है, तुम हमको पचास रुपया में दे दो, नहीं तो छोड़ो दस रुपया में दे दो, और हम लेके जाएंगे, तो कोई भी कारीगर, जो की उतना मेहनत करके काम कर रहा है, समान बना रहा है, वो इतने सस्ते में क्या समान दे सकता है, नहीं दे सकता है, तो यहाँ पर जो कारीगर थे, वो डर से, मजबूरी से गाउं छोड़कर ही भागने लगे, किसान जो थे, वो अपने टैक्स वगेरा थे जो भी उनका बनता था वो नहीं दे पा रहे थे क्यों भाई क्योंकि इतना ज़्यादा उनसे टैक्स मांगा जा रहा था इतना ज़्यादा पैसा उनसे मांगा जा रहा था और इसकी वजह से पूरे बंगाल में जो कारीगर वगैरा थे आर्टिशनल प्रोडक्शन था मतल आया सूखा आया अब इस सूखे में करीब 10 मिलियन लोग मारे गए 10 मिलियन मतलब समझ रहे हैं एक करोड लोग मारे गए एक करोड लोग मारे गए और ये संख्या कितनी है आपको समझना है तो भाई उस समय बंगाल की कुल अबादी कितनी थी 3 करोड थी सोचो 3 करोड में से 1 की वजह से क्योंकि अंग्रेजों ने ऐसी स्थिति बना दी थे कि किसान जो थे वो खेती नहीं करना चाहते थे उनको किसी भी तरीके से सपोर्ट नहीं मिल रहा था सिर्फ पैसे कलेट करके वो ले जा रहे थे कहा यूरोप ले जा रहे थे समझ गया अब यहाँ पर आगे बढ़ें तो आगे यहाँ पर ह जाता है the need to improve agriculture यानि कि खेती को improve करने की क्या ज़रूरत पड़ी या फिर क्या condition होगा ये सारी चीज़े यहाँ पर हमें समझना है अब यहाँ पर एक सिंपल सा बात है कि देखिए जो अंग्रेज है यानि जो इस्ट इंडा कंपनी है वो अपना टैक्स कहां से कलेक्ट करती है बेंगाल से अब बेंगाल की इकनॉमी अगर बरबाद हो जाए तो क्या वहाँ पर बंगाल से अंग्रेज टैक्स क किसान खेती नहीं कर रहा है, कोई आदमी, कोई कारिगर कुछ काम नहीं कर रहा है, तो सरकार को टैक्स मिलेगा कहां से, ये अंग्रेजों के सामने बहुत बड़ा समस्या आ गया, तो यहाँ पर इस चीज को देखते हुए जो कमपनी का ओफिशल थे, वो उनको ये समझ में आ 20 साल लग गए 20 साल तक बाजचीत करते डिवेट करते डिसकसन करने के बाद जो अंग्रेज थे इस्ट इंडिया कंपनी थी उसने परमानेंट सिटलमेंट इंट्रोडूस किया 1793 में जाकर परमानेंट सिटलमेंट क्या था एक प्रकार का सिस्टम लाया गया जिसके थूँ क्य अब यहाँ पर ये settlement जो था इसमें क्या किया गया इसमें जितने भी राजा थे तालुकदार थे इनको जमिनदार की उपाधी दे दी गई इनको बोला गया कि आप जमिनदार हैं आप अपने इलाके के जमिनदार हैं अब आप क्या कीजेगा ये तालुकदार ये जरा राजा क मतलब ये जो राजा हैं ये अब क्या बन गए ये अब बन गए क्या जमिनदार जमिनदार बन गए तो ये राजा कमपनी को देंगे टैक्स और यहाँ पर जो जमिनदार है वो क्या करेगा किसान से टैक्स लेगा तो जमिनदार बीच में आ गया जो कि पहले राजा या फिर तालुकदार अलग लग इलाकों में अलग लग लोगों को मिला था अब यहाँ पर सिस्टम क्या था यहाँ पर सिस्टम था सुरू में तो इन कि जो कंपनी थी उसने फिक्स कर दिया कि भाई एक राजा एक जमीनदार को कितना पैसा देना है मान लीजिए कि कोई भी जमीनदार है जैसे कि मान लीजिए कि पटना है पटना एक डिस्ट्रिक्ट है वहां का जमीनदार है अब उसके जमीनदार को कहा गया पटना क है किसानों से पैसा वसूलना है अब किसानों से तुम पैसा वसूल जितना तुमको लगता है तो यहां पर क्या किया गया यहां पर परमानेंट सेटलमेंट किया गया राजा के साथ या फिर जो जमिनदार ने जमिनदार बने उनके साथ परमानेंट सेटलमेंट किया गया और ठीक है, अब यहाँ पर ऐसा क्यों किया गया, तो अंग्रेजों का इस चीज को करने के पीछे लॉजिक था, यह लॉजिक था, कि इससे क्या होगा, कि जो इस्ट इंडा कमपनी है, उसके पास रेगुलर फ्लो आते रहेगा पैसा का, मतलब जो जमिनदार हैं, वो हर साल, हर पैसा देते रहेंगे इस टिंडा कंपनी को और इसके साथ ही जो जमीनदार हैं वो खुश होकर क्या करेंगे लैंड में बहुत ज़्यादा पैसा लगाएंगे लैंड को इंप्रूव करने में लैंड को इंप्रूव करने में कैसे पैसा लगता है भाई उसमें क्या हो सकता ह कर सकते हैं, आप कूए बनवा सकते हैं, हर जमीन के आसपास, इसके अलावा नहर खुदवा सकते हैं, और जमीन को बराबर करवा सकते हैं, बहुत सारे चीज़े होती हैं जमीन को बेहतर बनाने में, तो यहाँ पर अंग्रेजों का क्या लॉजिक था इस इंडिया कंपनी का, क जितना पैसा बचेगा वह जमीनदार का हो जाएगा तो यहां पर जो जमीनदार है वह एक तरीके से पैसा लगाएगा जमीन में खेती को बढ़ाने के लिए कि उसको ज्यादा पैसा मिले और जमीनदार के लिए टैक्स जो है वह फिक्स है यह लॉजिक आकर अंग्रेजों ने क्या किया जिपर मानेंट सिटलमेंट इंट्रोड्यूस किया तो यहां पर यह चीज अंग्रेजों का मानना था कि जमीनदार fix कर लेते हैं amount, तो जमिनदार क्या करेगा, खेती बढ़ाने पर ज़ोर देगा, लेकिन ये system fail कर गया, क्यों system fail कर गया, तो भाई इसमें देखते हैं कि ये जो permanent settlement था, इसमें क्या problems थे, ये हम जरा सा समस्ते हैं, अब यहाँ पर ये जो permanent settlement है, इसकी वज़े से कई problems आए, तो company खेती बढ़ाने से कोई मतलब नहीं है भाई क्यों मतलब नहीं है खेती बढ़ाएंगे तो उनको ही फायदा होगा तो ऐसा क्यों हुआ ऐसा फेल क्यों कर गया तो उसका रीजन यह था कि जो अंग्रेज थे उन्होंने जो टैक्स तै किया था जमिनदारों के लिए वो इतना लिजिए कि एक इलाका है जहां पर असी हजार रुपए मातर टैक्स में मिलेंगे किसानों से और जो अंग्रेज सरकार है उसने बोला कि हमको डेढ़ लाख रुपया चाहिए हर साल टैक्स के रूप में तो भाई जमिनदार वो कहां से दे पाएगा वो पैसा तो वो नहीं दे उनके पास बचता थोड़ा मोड़ा था तो इसलिए जमिनदारों को लगता था कि यार क्या पैसा इंवेस्ट करके खेती बढ़ा कर क्या फाइदा हमको तो कुछ फाइदा होगा ने इतना टैक्से इन लोग रख दिया है तो जमिनदार जमीन पर कोई भी ध्यान नहीं कि अगर कोई जमिनदार अपना जो टैक्स देना है कंपनी को टैक्स नहीं दे पाता था, तो उसका जो जमिनदारी है, जमिनदारी छीन लिया जाता था, मालों कि पटना का जो जमिनदार है, उसको देना था एक लाख रुपया, एक लाख रुपया देना था, और एक लाख र थे उनके जमीन छीन लिए गए थे जमीनदारी छीन ली गई थी इसलिए जो जमीनदार थे वो खेती में पैसा वैसा लगाने के लिए इंटरेस्टेड नहीं थे उसका रीजन यह था उनको अगर प्रॉफिट हो भी रहा थ जमीनदारों को तो उनको लगता था कि यार क्या हो कैसे हूँ पैसा कमाओ और चलो निकलो यहां से लेकिन क्या हुआ कि जब 19th century आया 19th century मतलब कि 1800 आपका 1800 के बाद का जब pre-ed आया तो क्या हो गया situation थोड़ा सा बदल गया कैसे बदल गया यहां पर जो market में कीमत था अनाज के हुआ इसका मतलब हुआ कि भाई पहले जो किसान एक हजार रुपे साल का कमाता था अब वो क्या करेगा अब वो पंदरा सो रुपे कमाएगा तो हर किसान को फायदा है किसान को ज़्यादा इंकम हो रहा है तो किसान टैक्स भी ज़्यादा देगा जमिंदार को भी ज़्याद मतलब पहले 100 एकड में खेती होती थी अब क्या हो गया अब 200 एकड में खेती होती है तो खेती का इलाका भी बढ़ गया समान का दाम भी बढ़ गया तो यहाँ पर इसकी वज़े से क्या हो गया जमिनदारों को इंकम ज़्यादा होने लगा मतलब जमिनदारों को खूब प्रॉफिट होने लगा जमिनदारों को खूब प्रॉफिट होने लगा लेकिन इसका फायदा कंपनी को नहीं हुआ क्यों नहीं हुआ भाई कंपनी को फायदा क्योंकि जमिनदारों के लिए तो टैक्स फिक्स है पतना के तो जमिनदार को फाइदा, किसान को फाइदा, कंपनी को फाइदा है ही नहीं, तो यहाँ पर, कि कंपनी को थोड़ा सा लॉस होने लगा इसके साथ प्रॉब्लम एक और था कि खेती बढ़ गई टैक्स भी ज्यादा आने लगा लेकिन इस सिचुएशन में भी जो जमीनदार थे ना वह खेती को बढ़ाने पर जरा सा भी ध्यान नहीं दे रहे थे कि कोई इंटरेस्ट नहीं था खेती बढ़ाने पर क्यों उसका रिजन यह था कि इनको लग रहा था कि भाई देखो अभी जितना पैसा मिल रहा है ना वह लपेट लो रख लो कमा लो बाद में नहीं मिलने पाएगा क्योंकि जमीनदारी छीन ली जाएगी कई बार यह सारे जो जमीनदार थे इनमें से कई सारे जमीनदार के जमीन पहले छीनी जा चुकी थी तो इस वजह से क्या था ये लोग interested नहीं थे और कई बार इनको लगता था कि यार फ्री का पैसा आ रहा है तो फिर हम लोग कहे के लिए पैसा लगाने जाएं खेती बढ़ाने पर खेती को improve करने पर समझ गए अब यहाँ प करें तो किसानों के लिए ये पूरा सिस्टम जो था वो बहुत दुखदाई था औपरेसिव हम कह सकते हैं था क्यों क्योंकि जो रेंट देना था जो टैक्स देना था किसानों को वो बहुत ज़दा हाई था और उसका जो राइट था लैंड पर वो भी इंसेक्योर था मतलब म रखता है जो किसान है वह वह जिस अब उसको पता है कि भाई यह जमीन मुझसे कभी भी छीनी जा सकती है तो वह इस जमीन को बेहतर बनाने पर ज्यादा खेती करने पर ध्यान नहीं देगा और दूसरा दूसरा की जो किसान है उसकी स्थिति नहीं खराब होती थी कि वह टैक्स देने के लिए सरकार को टैक्स देने के लिए जमीनदार को टैक्स देने के लिए कई बार लोन लेता था मनी लेंडर से सहुकार से लोन लेता था और जब वह पैसे नहीं दे पाता था तो उसको जमीन से हटा दिया जाता था जो की जमीन वो पीड़ियों से वहाँ खेती कर रहा है तो इस तरीके से यह जो परमानेंट सिटलमेंट था यह काफी फेल हो गया क्यों फेल हो गया एक तो जमीनदार वाला एंगल हमने देखा कि जमीनदारों के लिए टेक्स ज़्यादा था वो कलेक्ट नहीं कर पाते थे उ और हमने किसानों के लिए भी बात कर ली, तो भाई फाइदा किसी को नहीं हुआ permanent settlement से, अब यहाँ पर आगे चल कर आता है एक नया system, नया system, एक नया पूरा system आता है, अब ये system क्या कहलवाया, ये system कहलाया महलवारी settlement, अब इसमें क्या होता है ये जरा सा हम लोग देखते हैं तो यहाँ पर क्या हो गया अरली 19th century में ही मतलब कि 1800, 10, 15 तक आते आते जो अंग्रेज थे यानि कि जो इस्टेंडा कंपनी के अफिसर्स थे उनको समझ में आ गया कि भाई ये जो system है ना ये काम नहीं कर रहा है, हमें नए system की जरूबत है, हमें नए system introduce करना चाहिए, ताकि हम जो हैं वो बेहतर situation में जा सकें, अब यहाँ पर उनका main motto क्या था, अंग्रेजों का, East India Company का, क्या main motto था कि खेती बेहतर करना है, जी नहीं, उनको चाहिए था जा� था कि भाई company जो थी East India Company वो company बहुत ज़्यादा उसको पैसी की जरूरत थी क्योंकि वो अपना administration जो है वो बढ़ा रही थी नए इलाके में जाकर युद्ध लड़ रही थी नए इलाके को कभजा कर रही थी वह एक तरीके से ज्यादा अब बड़ा organization बन रही थी तो उसको ज्यादा चाहिए था पैसा और साथ में company जो है वह ट्रेड भी काफी बढ़ा रही थी तो बहुत सारे काम के लिए उसको बहुत ज़्यादा पैसा चाहिए था, तो इसलिए company का official ने क्या सोचा कि भाई कुछ न कुछ करना पड़ेगा, नया ताकि हम क्या कर सकें अपना टैक्स का इंकम बढ़ा सके ठीक है तो इसी चीज को सोचते हुए ध्यान में रखते हुए एक इंग्लिस मैन थे यानि कि एक इंग्लिस ऑफिसर थे हॉट मेकेंजी ये जो थे इन्होंने एक नया सिस्टम बनाया जिसको की 1822 में लागू किया गया इसको इंट्रोड्यूस किया गया था अब यहां पर क्या है इनका मानना था कि देखो जो आपका गाउ है गाउ इंडिया में बहुत इंपोर्टेंट है नौर्थ इंडिया में तो बहुत जादा ही इंपोर्टेंट है और यहां के सुसाइटी में भी गाउ बहुत इंपोर्ट अब यहाँ पर इस सिस्टम में क्या किया गया इस सिस्टम में जो कलेक्टर्स थे वो गाउं गाउं घूमे हर गाउं में घूमे हर गाउं की जमीन देखी वहाँ के फिल्ड को मेजर किया वहाँ के कस्टम और राइट और डिफरेंट ग्रूप देखे कि भाई किसके पास कितन कि भाई कितना tax इस गाउं से मिल सकता है, इस जमीन से कितना tax मिल सकता है, तो इस तरीके से क्या हुआ, हर एक गाउं का एक क्या किया गया, estimate बनाया गया कि भाई इस गाउं से हमें कितना पैसा मिलेगा, इस गाउं के लिए हमारा tax कितना होना चाहिए, और यहाँ पर यहाँ पर इसमें इस सिस्टम में एक गाउ को महल कहा गया अब महल क्या होता है महल थोड़ा सा समझ लीजिए महल एक तरीके से revenue state है revenue state मतलब कि एक unit है जैसे हमारे अभी सिस्टम सिस्टम में क्या होता पंचायत होता है तो भी पंचायत क्या है एक पॉलिटिकल यूनिट है अब पंचायत में एक गाउं भी हो सकता है एक से ज़्यादा गाउं भी हो सकते हैं उसी तरीके से अंग्रेजों के लिए महल एक प्रकार का रिवेन्यू इस्टेट था रिवेन्य� का system बनाया गया इसमें जो tax था वो परमानेंटली फिक्ष नहीं था, मतलब वो हर साल रिवाइज होगा, हमेशा चेंज होगा, ये फिक्स सिस्टम नहीं था, समझ गया, और इसके साथ ही जो रेवेन्यू कलेट करने का काम था, और कमपनी को देने का काम था, ये जमिनदार को नहीं दिया गया, जमिनदार से हटा दिया गया और गाउं के मुख्या को गाउं का जो सरपंच वगरा होता था उसको दे दिया गया और यहाँ पर इस सिस्टम को क्या कहा गया महलवारी सिस्टम कहा गया और महलवारी मतलब कि भाई महल सिस्टम यहाँ पर एंट्रोड्यूस किया गया मतलब कि एक गांव या फिर गांव का ग्रूप ठीक है तो महलवारी सिस्टम आप समझ गया अब इसके बाद है मुन्रो सिस्टम है अब यह मुन्रो सिस्टम क्या है जरह सा यह देखते हैं अब यहां पर जो साउथ इंडिया वहां पर क्या हुआ साउथ में जो ब्रिटिस टेलिट्रीज थी वहां पर भी परमानेंट सिटलमेंट को खत्म करने की बात बात होने लगी कि भाई नहीं नहीं परमानेंट नहीं और दूसरा सिस्टम खो जो परमानेंट नहीं चलेगा तो यहां पर क्या हुआ एक नया सिस्टम बनाया गया नया सिस्टम जिसको की कहा गया रयत्वार सिस्टम या फिर रयत्वारी सिस्टम अब यहां पर इस सिस्टम में क्या था यहां पर इस सिस्टम को इंट्रोड्यूस किया गया था कैप्टन एलेक्जेंडर रिड के द्वारा कुछ इलाकों में जो की मैसूर का पार्ट था पहले मैसूर से अंग्रेजों ने कबजा अब इसको आगे चलकर थॉमस मुन्रो ने क्या किया था इस सिस्टम को और भी बेहतर बना कर बढ़ाया था और इसको आगे चलकर पूरे साउथ इंडिया में फैला दिया गया था लागो कर दिया गया था अब यहाँ पर जो आपको एलेक्सेंडर रेड थे इसके अलावा जो वो directly होना चाहिए cultivators के साथ यानि जो खेती करने वाले लोग हैं ने directly सरकार जो है इस इंडर कंपनी जो है उनके साथ deal करेगी और उनके लिए directly tax जो है वो fix कर दिया जाएगा अब यहाँ पर क्या हो गया यहाँ पर क्या किया गया हर एक प्रकार के खेत को उन्होंने क्या किया एक तरीके से ये पूरा सिस्टम नया सिस्टम इंटरड्यूस किया गया जिसको कि क्या कहा गया रयत्वारी सिस्टम कहा गया लेकिन इस सिस्टम में भी सब चीज ठीक नहीं था प्रॉब्लेम था उसका रिजन ये था कि जो ये नए सिस्टम लाए गया च तो वो लालच में आकर कि भाई हमको कंपनी को टैक्स चाहिए तो ज़्यादा टैक्स मिल जाए तो इन लोगों ने क्या किया यहाँ पर इन्होंने टैक्स को बहुत ज़्यादा हाई फिक्स कर दिया इतना ज़्यादा फिर से हाई तै कर दिया कि जो किसान थे वो इस टैक्स को क्यों भाई सरकार टैक्स कलेक्ट करने आएगी हम पैसा नहीं दे पाएंगे हमको जेल में डाल दिया जाएगा तो इस वजह से क्या हुआ इस वजह से ये सिस्टम भी फेल कर गए तो यहाँ पर वही चीज है कि भाई टैक्स बहुत जदा तै हो गया इस वजह से ये पूरा सि तो यहाँ पर क्या है कि जो ब्रिटिसर्स थे उन्होंने देखा कि भाई देखो इंडिया से हमको टैक्स तो मिल रहा है टैक्स से हमको क्या मिल रहा है हमलों का जो ट्रेड है वो ट्रेड काफी ज़दा बढ़ रहा है ट्रेड के लिए पैसा मिल जाता है हमलोंक समान खरीदते करते हैं जो कि यूरोप में रिक्वाइड है मतलब यूरोप में बहुत सारे क्रॉप्स रिक्वाइड है तो हम डायरेक्टली क्या करेंगे यहां पर खेती करेंगे क्रॉप उगाएंगे और इसी क्रॉप को सीधे जाकर यूरोप में बेच देंगे तो इससे भी हमको था लेट 18 सेंचुरी आते-ाते मतलब कि 1780-90 आते-ाते तक क्या हुआ था कंपनी जो थी वह ट्राइड कर रही थी कि इंडिया में जो है अग्रिकल्चर को बढ़ाया जाए किस चीज के अग्रिकल्चर को ऐसी चीजों को जो कि अंग्रेजों को रिक्वायड है तो इसमें मेनली जो अंग्रेज चाहते थे वो चाहती थे कि ओपियम के खेती को बढ़ाया जाए और साथ में इंडिगो की खेती को बढ़ाया जाए इन दोनों के खेती क ओपियम आ बोली कि सर ओपियम कहां जरूरत था ओपियम यूरोप में नहीं जरूरत था ओपियम यूरोप नहीं जाता था क्यों भाई इंडिगो जाता था यूरोप इंडिगो यूरोप जाता था ओपियम नहीं जाता था ओपियम मतलब जो आप गांजा वगरा जानते हैं ओपियम है कि ओपियम जाता कहा था तो यह अंग्रेज भेजते थे चाइना चाइना क्यों भेजते थे क्योंकि चाइना से इनको टी और भी प्रकार के बहुत सारे समान खरीदने होते थे चाय वगरा खरीदने होती थी तो वहाँ पर ओपियम ये बेच देते थे चाइना में और इसके बदले में समान खरीद कर जो चाय वगेरा है उसको खरीद कर यूरोप ले जाते थे तो इस तरीके से जो अंग्रेज थे वो एक तरीके से क्या गरते थे ओपियम को यहाँ पर इंडिया में खेती करके उगाते थे चाइना में ले जा इंडिया के अलग अलग पाट में जो किसान थे उनको या तो मजबूरी में जबरजस्ती उनसे खेती करवाई या फिर उनको कैसे समझा बुज़ा कर खेती करवाई कि वो क्या करें अलग अलग चीजों की खेती करें जो भी अंग्रेजों की जरूरत है उसकी खेती करें जैसे पंजाब में वीट की खेती और कॉटन महराष्ट और पंजाब में कॉटन की खेती और मद्रास में राइस की खेती को प्रोमोट किया गया क्यों क्यों किया गया क्योंकि अंग्रेजों को इन चीजों की जरूरत थी कहां पर यूरोप में जरूरत थी यूरोप ले जाने के लि क्या process अपनाया गया? तो यहाँ पर जो Britishers थे उन्होंने कई सारे तरीके अपनाई, कई सारे process थे, कई सारे scheme वगरा तरीके अपनाई जाते थे, उसमें से एक चीज का example लेके हम लोग पूरे process को समझने वाले हैं, तो यहाँ पर हम लोग example लेंगे Indigo का, Indigo का example लेकर समझेंग अब यहाँ पर देखें यह जो आप दोनों कपड़ा देख रहे हैं यह दोनों में जो ब्लू कलर आप देख रहे हैं डार्क ब्लू एकदम सुन्दर सुन्दर ब्लू आपको देखने को मिल रहा है यह ब्लू कलर आपको आता है इंडिगो से तो इंडिया में जो वेवर्स थे की का होता तो मतलब अच्छी चीज मानी जाती थी क्यों भाई क्योंकि इंडिगो जो था इससे जो ब्लू कलर आता था वह बहुत शानदार आता था समझ गए अब यहां पर जो ब्लू कलर आपको इंडिगो इंडिगो से आता था उसको सभी लोग पसंद करते कलर के लिए इंडिगो यूज होता था जो ब्रिटेन में कपड़े के मिल थे बड़ी-बड़ी फैक्टरियां थी वहां पर कपड़े बहुत अमाउंट में बनता था तो तो वहाँ पर इंडिगो बहुत अमाउंट में चाहिए होता था ठीक है तो यहां पर अब हम समझेंगे कि इंडिगो का प्लांटेशन इंडिया में कैसे आया अंग्रेजों ने कैसे इंडिगो के प्लांटेशन को बढ़ाया और क्यों इंडिया में इंडिगो को उगाय जाने यह आपका कहलाता है ट्रॉपिक रीजन और यहाँ पर जो भी फसल इस रीजन में उकती है एक्वेटर के आसपास की रीजन में यह हमारा क्या होता है ट्रॉपिकल प्लांट होता है ठीक है समझ गए तो इंडिगो क्या है एक प्रकार का ट्रॉपिकल प्लांट है ब्रिटेन में इंडियो का खेती नहीं हो सकता है ब्रिटेन छोड़िए यूरोप में नहीं हो सकता है सीमिश समझ गए है अब यहां पर क्या है कि जो आपका इंडिया में इंडियो उगता था वह आपको इटली फ्रांस ब्रिटेन हमें हर जगह जाता था कपड़ों को डाइ करने के लिए और आज से नहीं थर्टींथ सेंचुरी से जाता था लेकिन प्रॉब्लम क्या था प्रॉब्लम क्या था कि इंडिया से यूरोप यह समान जाते कैसे थे यह बाई लैंड रूट जाते थे सीरू थर्टींथ सेंचुरी में आया नहीं था अंग्रेज जब आये तब सी रूट आया और फिर जाने लगा तो 13th century से ही इंडिया से इंडिगो जा रहा था यूरोप में लेकिन बहुत ही कम amount में भाई घोड़े पर लादकर गधे पर लादकर बहुत time लगता था बहुत मेहनत लगता था लिजाने में तो बह वहाँ पर जाता था तो इससे क्या होता था इससे यह होता था कि जो इंडियन इंडिगो पहुंचता था आपका यूरोपियन मार्केट में उसका प्राइस काफी हाई होता था क्योंकि बहुत कम अमाउंट में पहुंचता था इस वजह से जो यूरोपियन क्लॉथ मैनुफेक अब ये जो वोड है ये एक तरीके से वाइलिट और ब्लू डाई बनाने के लिए यूज होता है लेकिन यहाँ पर जो वोड है उसके साथ परिशानी थी परिशानी से पहले ये बात जान लेजे कि जो वोड है वो एक प्रकार का टिंपरेट जोन का पौधा है और यह आपको आसानी से यूरोप में उख सकता है अब यहाँ पर देखिए सब ट्रॉपिकल जोन इस ट्रॉपिकल जोन एक्वेटर के अगल बहल का इलाका उसके उपर सब ट्रॉपिकल रीजन हो गया और उसके उपर जो रीजन है वो टेंपरेट जोन आता है जिसमें कि यूरोप वगेरा आ जाता है ठीक है तो यहाँ पर ये temperate zone का पाउधा है वोड तो इस वज़े से ये यूरोप में उगदा था वोड को काफी ज़दा उगाय जाता था इटली में, स्प्रांस में, जर्मनी के कुछ पार्ट्स में और ब्रिटेन में भी उगाय तो जो वोड उगाने वाले किसान थे, वो जानते थे कि भाईया जो सभी कपड़े बनाने वाले फैक्टरी वाले मालिक है न, वो इंडिगो को पसंद करते हैं, और वो चाहते हैं कि इंडिगो बाहर से हम लोग इंडिया से या फिर कहीं और से मंगा कर इंडिगो यूज़ कर तो ब्रिटेन में जो वोड उगाने वाले किसान थे, इन्होंने क्या किया, अपने अपने गवर्मेंट को, मतलब यूरोप के सभी देशों में, जहां पर भी वोड उगता था, सभी देशों में जो किसान थे, उन्होंने अपने सरकारों को फोर्स किया, कि आप जो हैं इंडि इससे वोड का इस्तेमाल होने लगा तो यहां पर जो क्लोथ बनाने वाले लोग थे कपड़ों को रंग करने वाले जो लोग थे वो इंडिगो को पसंद तो करते थे इंडिगो चाहते थे कि हम लोग अपने कपड़े में इंडिगो डालें लेकिन यहां पर परमीशन नहीं थ डिफर्ड किया जाता था आपके क्लोथ डायर्स द्वारा मतलब कपड़े जो रंग करने का काम करते थे उनके द्वारा लेकिन सवाल है इंडिगो क्यों पसंद किया जाता था इंडिगो में ऐसी क्या खास बात थी अब देखिए इंडिगो जो था इंडिगो से जब काफी शानदार एकदम शुन्दर ब्लू कलर आता था लेकिन वही जो वोड के दौरा डाई होता था ना उससे काफी फीका कलर आता था मतलब कि देखने पर सुन्दर नहीं लगता था उतना अच्छा कलर नहीं आता था तो इस वज़े से क्या हुआ जितने भी पर से बैन हटा लें इंडिगो के ऊपर से बैन हटा कर क्या करें इंडिगो मंगाना शुरू कर दें तो इसके बाद क्या हुआ कि यूरोप के देश थे वह अपने अपने अलग-अलग जो उनके कोलोनीज थे यानि कि जिन देशों को उन्होंने गुलाम बना कर रखा था वहां पर इंडिगो की खेती शुरू कर दी जैसे जो फ्रेंच थे उन्होंने सेंथ डोमिनिक जो था कैरीबियन कैरिबियन आइलेंड में वो एक तरीके से वहाँ पर उगाने लगे, क्या इंडिगो उगाने लगे, पुर्तगीज जो थे वो ब्राजील में इंडिगो उगाने लगे, इंग्लिश जो थे अंग्रेज जो थे ब्रिटीज वो जमाइका में उगाने लगे, और इसके साथ ही उगाने लगे इंडिगो प्लांटेशन जो थे वो नौर्थ हमेरिका के भी बहुत सारे पार्ट्स में आ चुके थे तो मतलब इंडिगो दुनिया में भर-भर के यहां पर क्या हुआ यहां पर आगे चलकर एटीन सिंचुरी का जब अंत का समय आया उस समय तक इंडिगो का जो एक डिमांड था वो काफी ज़दा बढ़ चुका था बृतेन में इंडस्ट्रीज लग गए थे बड़े बड़े फैक्टरियां लग गई थी और यहाँ पर बृतेन में कॉटन प्रोडक्शन काफी बढ़ चुका था और इसकी व� बहुत ज्यादा डिमांड था इंडिगो का वह भी बढ़ चुका था क्योंकि क्लॉथ बहुत ज्यादा डाइस होने लगे थे तो यहां देखिए इंडिगो का बहुत ज्यादा डिमांड बढ़ गया डिमांड के लिए इंग्लैंड जो आपको जो अरेबियन आईलेंड है या धीरे क्या हो गया कि भाई इंडियो का डिमांड तो काफी ज्यादा बढ़ गया क्योंकि बहुत ज्यादा फैक्टरीयां लग गई बहुत ज्यादा इंडियो का प्रोडक्शन होने लगा लेकिन पता नहीं क्या हुआ कुछ रीजन की वजह से आपको वेस्ट इंड और जो अमेरिका है, साउथ अमेरिका, नौर्थ अमेरिका में, यहाँ पर इंडिगो का प्रोडक्षन बिल्कुल गायब हो गया, अचानक स क्यों? उसके reason डिटेल में नहीं जानने है, बस गायब हो गया, बंद हो गया. For example, अगर 1783 से 1789 को compare करें, तो Indigo का जो production था पूरी दुनिया में, आधा हो गया अचानक से. पहले अगर 100 केजी पूरी दुनिया में उगता था, तो अब मातर 50 केजी उगता है, इतना कम हो गया. अब इतना कम हो गया, तो जो ब्रिटेन में कपड़े रंग करने वाले लोग थे, जो industries थी, उनको बहुत ज़्यादा अब जरूरत होने लगी. किस चीज की? नए इंडिगो की भाई कहीं दूसरी जगह से लाओ ना वहां नहीं उगरा है तो दूसरी जगह से लाओ तो अब बात है कि अब जो सरकार थी उसके सामने टिंशन था कि भाई अब इंडिगो कहां से लाया जाएगा तो इस चीज के वज़े से जो ब्रिटेन है वो अब इंड अब समझ गए कि भाई इंडिगो सबसे पहले इंडिया में उगना सुरू नहीं हुआ था, दूसरे जगों पर उगता था, वहाँ पर उगना बंद हो गया, इसलिए अब इंडिया पर ध्यान आ गया, क्योंकि ब्रिटेन में बहुत सारी फैक्टरियां थी, वहाँ पर इंडि इंडिगो की यूरोप में बहुत ज़दा डिमांड थी, बृतेन में तो थी ही, साथ में पूरे यूरोप में थी, जो कमपनी थी, वो कई सारे तरीके खोजने लगी, कि इंडिया में इंडिगो कल्टिवेशन को हम कैसे बढ़ा सकते हैं, बहुत सारे उसने दिमाग लगाए, 30% इंडिया से जाता था लेकिन 1810 में 1810 में क्या हो गया जितना इंडिगो इंपोर्ट करता था ब्रिटेन उसका 95% इंडिया से जाने लगा इतना ज़्यादा cultivation हो गया 10-15 सालों में 20 सालों में समझ गए अब यहाँ पर क्या हो गया जैसे ऐसे इंडिया में इंडिगो ट्रेड बढ़ा वैसे वैसे बहुत सारे कॉमर्सियल एजेंट थे या फिर जो आपको कंपनी के ओफिशियल्स थे उन्होंने क्या किया अपनी नौकरियां छोड़नी शुरू कर दी इसके साथ ही जो इंडिगो production को ठीक है अब यहाँ पर क्या हो गया जो business था ये indigo का business इंडिया में वो बहुत ज़्यादा profitable था तो इस profit की वज़ा से बहुत सारे scotman बहुत सारे englishman अब ये scotman और englishman क्या है अब देखे जब आप britain को देखेगा न तो britain britain को छोड़िये uk यूके की हम बात कर रहे हैं यूके कुल मिलाकर चार देशों से मिलकर बना हुआ है पहला तो है इंग्लेंड जहां की महरानी है जो मतलब महरानी हम सुनते हैं दूसरा इसके बाद इसके अलावा यह चार इलाके मिलकर यूके बनता है और यह तीन इलाके मिलकर क्या बनते हैं ब्रिटेन बनते हैं ठीक है तो यहां पर जो ब्रिटेन हम पर साशन कर रहा था उसमें स्कॉटिस लोग भी सामिल थे फिल्स भी थे विल्स भी थे सभी थे ठीक है यहां पर आगे बढ़ते हैं अब यहां पर क्या हो गया बहुत सारे स्कॉटलेंड मतलब ब्रिटेन के जो नागरिक थे, वो भारत आकर क्या करने लगे? प्लांटिंग का काम करने लगे, इस बिजनेस में आ गए, अब यहाँ पर क्या हो गया? यहाँ पर इंडिगो कल्टिवेशन की सुरुवात हुई, तो बात है कि इंडिया में इंडिगो कल्टिवेशन होता कैसे था? और दूसरा है रहती कल्टिवेशन, था ना इसमें जो प्लांटर होते थे वो खुद से इंडिगो उगाते थे जमीन पर जो कि वो डायरेक्टली मैनेज करते थे डायरेक्टली ओन करते थे मतलब डायरेक्टली वो मालिक थे वो या तो जमीन को खरीद लेते थे या फिर उसको भाड़ा पर ले लेते थे जमीनद निस कल्टिवेशन में क्या था कि जो प्लांटर्स थे उनको अपना एरिया बढ़ाने में परिशानी होती थी उसका रीजन यह था कि भाई इंडिगो जो है एक ऐसा प्लांट था जिसको एक बहुत ज़्यादा फर्टाइल लेंड की जरूरत होती थी और बहुत ज़्यादा केर की जरूरत होती थी अब यहाँ पर क्या था कि जो भी फर्टाइल लेंड थे यानि कि जो भी खिती लाइक जमीन थी उस पर पहले से ही लोग खिती कर रहे थे उस पर पहले से ही चावल गेहु दाल वगेरा लोग उगाते थे अब यहाँ पर बहुत सारे जो आपको small plots थे वो किसानों के पास थे, मतलब जो किसान थे, वो ऐसा नहीं था कि 100 एकड जमीन लेकर बैठे हुए हैं, पांच सो एकर लेकर जमीन बैठे ऐसा नहीं था किसान छोटी छोटी जमीन पर खेती करते थे अब यहां पर प्रॉब्लम जो प्लांटर्स थे उनके लिए यह था जो नीज कल्टिवेशन करते थे कि उनको एक जगह पर बहुत जादा जमीन चाहिए होता था ताकि वो इंडि देड़ने लगे लेकिन इसकी वज़े से कई बार conflict हो जाता था कई बार जगड़ा हो जाता था जो planters थे वो अपना area नहीं बढ़ा पा रहे थे मालिजिए कोई planter आया उसको 100 एकड जमीन मिला तो वो 100 एकड में खेती कर रहा है वो चाहता है कि अब हम 500 एकड में खेती करें सबसे पहला प्रॉब्लम था निस कल्टिवेशन में, दूसरा प्रॉब्लम यह था कि जो लेबर थे उनको मोबिलाइज करना आसान नहीं था, मतलब कि उनसे काम करवाना आसान नहीं था, उसका रीजन यह था कि अगर माल लिजे कोई प्लांटेशन बहुत बड़ा है, तो मजदूरों की जरूवत होगी बहुत ज्यादा मजदूरों की जरूवत होगी तो भाई ऐसे सीजन में जरूवत होगी जब वो मजदूर कहीं और काम कर रहे हैं मतलब मतलब कि देखिए जिस समय राइस कल्टिवेशन होता था उसी समय में इंडिगो में भी मजदूर मजदूरों की जरूरत होती थी जो मजदूर होते थे वह अपने खेतों में काम कर रहे होते थे तो वह भाई यह प्लांटेशन में आकर काम क्यों करेंगे वह क्यों आकर यहां पर जुटमुटका फसेंगे और अपने खेत को छोड़ देंगे तो इसलिए जो नीज कल्टिवेशन करते थे प्लांटर उनको मजदूर नहीं मिलते थे अब इसके अलावा एक और प्रॉब्लम था कि यहां पर जो नीज कल्टिवेशन करने वाले लोग थे इनको बहुत सारे प्लाव और बुलोक्स रखने की जरूरत पड़ती थी मतलब इंडिगो कल्टिवेशन कर रहा है तो उसको दो प्लाव रखने की जरूरत होती थी मालिए कि कोई प्लांटर के पास एक हजार भी गा है तो उसको दो हजार प्लाव और दो हजार ब्लॉक्स रखने की जरूरत है तो इसकी वजह से उसको बहुत ज्यादा पैसे इनवेस्ट करने होते थे किस चीज के ऊपर इस तरीके की चीजों को मेंटेन करने में तो इस चीज वजह से यह काफी बड़ा प्रॉब्लम था इसके साथ ही जो किसान थे उनसे अ मतलब कि एक तो भाई इतना ज़्यादा संख्या में कोई भी बुलोक या फिर प्लाव कल्टिवेटर खरीदना नहीं चाहता था ऐसा भी नहीं था कि ये सारे लोग उधार पर ये चीज ले सकते थे क्यों नहीं ले सकते थे भाई उधार पर रीजन ये था कि जिस समय इनको ज अब इसका एजाम्पल इसका आपको प्रूफ अगर देखना है तो ये देखिए कि अगर हम देखें तो करीब 25% मातर जमीन जो थी वो आपके नीस कल्टिवेशन के अंदर इंडिगो का प्लांटेशन हो रहा था बाकी 75% में रैती कल्टिवेशन हो रहा था अब यहाँ पर रैती कल्टिवेशन क्या है ये जरासा समझते हैं रैती कल्टिवेशन में रैती सिस्टम में एक सिस्टम था कि यहाँ पर कोई प्लांटर जो है वो अपने से खुद से खेती नहीं करता था यहाँ पर क्या होता था था कि जो planter है वो जाकर रहियत के साथ एक contract बना लेता था और उसके साथ agreement कर लेता था और इसमें क्या होता था इसमें होता था कि जो आपका किसान है वो जितने भी जमीन पर खेती कर रहा है उसका 25% जमीन पर क्या होगा वो क्या उगाएगा indigo उगाएगा और जो सबसे अच यहाँ पर जो भी किसान इस तरीके के agreement को sign करते थे, कई बार जो है गाउं के मुख्या से sign करवाये जाता था, जो भी किसान इस agreement को sign करते थे, उनको advance में cash दिया जाता था, या फिर loan दिया जाता था, low interest rate पर ताकि वो indigo की खेती कर सके, अब यहाँ पर यही चीज है, कि भाई उनको जो मैंने कहा कि 25% जमीन पर खेती करनी होगी, और इसके साथ ही उनको seed भी दिया जाता था, drill भी दिया जाता था, एंटिवेटर होते थे यानि जो किसान होते थे वह क्या करते थे जमीन तैयार करते थे बीज लगाते थे और खेती पर ध्यान रखते थे इंडिगो की खेती पर ध्यान रखते थे अब यहाँ पर आपको यह जो image है ना यह जो आपका page है इसमें आपको indigo cultivation का process दिखाया गया है production का तो इसको आप चाहें तो देख सकते हैं मैं आगे बढ़ रहा हूँ तो आगे यहाँ पर क्या कहता है कि भाई देखो यहाँ पर क्या होता था जब crop तैयार हो जाता था तो य साइकल फि जो किसान थे वो शुरू में तो ये चीज देखकर खुश हुए कि अरे यार तुरंद पैसा मिल रहा है तुरंद काम के लिए पैसा मिल रहा है चलो चलो बाद में पता चला कि यार ये बहुत प्रॉब्लेम वाला है इस लोन के चक्कर में अगर फंस गया ना तो बहुत नुकसान होगा तो इस वज़े से क्या होने लगा किसान जो थे वो एक तरीके से दूर भागने लगे इस तरीके के cultivation से indigo के cultivation से इसके अलावा और भी करी प्र� उसके काफी deep roots होते हैं और वो soil को exhaust कर देता है मतलब कि किसी जमीन पर अगर indigo लगा दिया गया तो उस जमीन से जो indigo plant है वो क्या करेगा nutrition को extract कर लेगा और उस जमीन पर हम rice या फिर कोई दूसरा plant दुबारा नहीं लगा सकते हैं ये सबसे बड़ा problem था किसके साथ indigo के साथ अब यहाँ पर आगे बढ़ते हैं, आगे हमारे सामने है The Blue Rebellion and After. यह Blue Rebellion क्या है भाई? तो भाई Indigo को लेकर जो किसान थे उन्होंने revolt कर दिया था. तो उसके बारे में हम यहाँ पर बात करने वाले हैं. क्या हुआ? 1859 के मार्च में हजारों की संख्या में जो रैयत थे बंगाल में उन्होंने Indigo का खेती करने से मना कर दिया. और जैसे जैसे यह rebellion फैला जो रैयत से उन्होंने planter को rent देने से मना कर दिया Indigo की factories. पर हमला कर दिया तलवार और भालों के साथ इसके अलावा तीर कमान के साथ महिलाएं तक इस अंदुलन में शामिल हुई और वो पॉट और पैन और किचेन के हथियार लेकर आ गई और इसके साथ ही जो प्लांटर के लिए जो लोग काम करते थे उनको सोचली बॉयकॉट कर दिया गया समाज से निकाल दिया गया और इसके साथ ही जो को जो गोमस्थ थे गोमस्थ मतलब कि जो प्लांटर के एजेंट हुआ करते थे जो की रेंट कलेट करने आये थे उनको बीटक किया गया मार पिट किया गया और इसके साथ ही जो रहियत्स उन्होंने कसम खाया कि वो अब किसी भी तरीके से दोबारा इंडिगो के लिए एडवांस नहीं लेंगे, और प्लांटर के जो लठियाल हैं, यानि प्लांटर जो अपने लोग रखते हैं, मार पिट करने वाले लोग, गुंडे रखते हैं, उनसे हम डरेंगे नहीं, और इसके साथ ही जो प्लांटर हैं, वो एक तरीके से उनकी बात हम फॉलो अब नहीं करेंगे, तो इसके साथ ही क्या हुआ, इसके साथ बात है कि देखिए, सवाल यहाँ पर यह पूछा जा रहा है, Why did the indigo peasant decide that they would no longer remain silent? अचानक ऐसा क्या हो गया कि जो किसान है उन्होंने सुचा कि अब हम लोग सांत नहीं रहेंगे अब किसी का बात नहीं मानेंगे ऐसा क्या हो गया उसका रीजन यह था कि देखिए जो यहाँ पर इंडिगो सिस्टम जो था वो पहली बात तो है कि बहुत ओपरेसिव था किस जाड़ित होना पड़ता था इस पूरे सिस्टम में और इसके साथ ही यहां पर कई जो रीजन था रिवोल्ड का वह रिवोल्ड का रीजन यह था कि 1859 में जो इंडिगो रायत्स थे उनको यह लगा कि जो लोकल जमीनदार है और गांव के जो मुख्या वगैरह रहा है वो प्लांटर्स के खिलाफ इस रिवेलियन में उनके साथ है इसलिए जो आपके किसान थे वो एक तरीके से रिवोल्ड कर गए और यहां तक कि यह कुछ वह तक बात सही भी थी क्यों भाई क्योंकि बहुत सारे गाओं में क्या था कि जो मुख्या थे या फिर जो गाओं के लीडर थे उन्होंने क्या था उनको मजबूर किया जाता था, agreement sign करने के लिए, किसानों से direct agreement sign नहीं होते थे, बलकि गाओं के मुख्या के साथ agreement sign किया जाता था, तो यहाँ पर क्या होने लगा, यहाँ पर यह जो गाओं के मुख्या थे, लीडर थे, यह किसानों, प्लांटर के साथ, बहुत गुस्सा थे कि यार जबरजस्ती करता है जबरजस्ती साइन करवाता है तो यह एक तरीके से क्या थे किसानों को यह बढ़काने लगे कि भाई चलो कांदोलन करते हैं किसानों के खिलाफ आप सौरी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करते हैं प्लांटर्स के खिला तक की लठियाल के साथ पटका पटकी मारपीट तक इन्होंने किया किसानों ने और ये गाउं के मुख्या लोगों ने अब यहाँ पर क्या हुआ कई सारे अलग दूसरे जगहों पर जो जमिनदार थे वो भी पर परेशान थे किन से प्लांटर से इंडिगो कल्टिवेटर से बढ़ती हुई ताकत से परिशान थे और उनको एक तरीके से मजबूर किया जाता था जमीनदार को कि भाई इन प्लांटर्स को क्या किया जाए जमीन दे दिया जाए लंबे लंबे लीज पर लंबे लंबे समय के लिए 10 साल 20 साल के लिए जमीन दे दो ऐसा इनको फोर् अब यहाँ पर बात एक और है, रिवोल्ट का, रिवोल्ट का बात यह है, कि जो इंडिगो पेजेंट थे, इंडिगो किसान थे, उन्होंने ये इमेजिन किया, कि जो बृतिस गवर्मेंट है, वो उनका इस रिवोल्ट में सपोर्ट करेगी, अंग्रेजो, मतलब प्लांटर् तो यहाँ पर जब य निउस फैला कि भाई इंडिगो डिस्ट्रिक्ट में इंडिगो डिस्ट्रिक्ट मतलब कि जिस इलाके में इंडिगो गाय जाता था कि यहां पर रिवोल्ट हो रहा है रिवोल्ट की बात हो रही है तो क्या हुआ कि जो लेफ्टिनेंट गवर्नर थे इन्होंने 1859 के विंटर में पूरे इल साथ हैं ये इस अंदोलन में हमारी मदद कर रहे हैं लेकिन यहाँ पर reality में क्या था वो मामला को सांध करना चाहते थे अब इसी तरीके से जो magistrate थे एसली इडिन इन्होंने notice चारी किया कि भाई रययत जो है इनको indigo contract साइन करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा तो अहाँ भाई ये लोग तो हमारे साथ हैं साथ है तो यहाँ पर क्या होगा यहाँ पर अब हम अंदोलन कर सकते हैं और यहाँ तक की बात यह फैल गई लोगों के बीच में कि जो क्वीन विक्टोरिया है उन्होंने डिक्लेयर किया है कि अब इंडिगो लगाने की जरूरत नहीं है अब यहाँ पर जो थे यह मजिस्ट्रेट यह चाहते थे कि बाइम मामला सांथ हो जाए लेकिन मामला उल्टा बढ़ गया यहाँ प वगरा में लिखते हैं इस तरीके के जो लोग थे वो इंडिगो डिस्टिक्ट में आए यहाँ पर रययत के परिशानियों को न्यूस पेपर में लिखा बताया कहानिया बनाई और इसके साथ ही प्लांटर्स के द्वारा किये जारी जो परिशानिया दी जाती थी किसानों को उसके बारे में बाचित किया और इंडिगो सिस्टम की तकलीफे बताई तो इससे क्या हो गया पूरे इलाके में पूरे देश में ये बात फैल गई जो सरकार थी वो इस तरीके के रिबेलियन से बहुत ज़्यादा परिशान हो गई अंदोलन से बहुत ज़्यादा परिशान हो गई तो जो सरकार थी उसने क्या क्या मिलिटरी को बुलाया ताकि प्लांटर्स को बचाया सच जा सके हमले से और यहाँ पर एक बनाया इंडिगो क द्वारा जो method अपनाय जाते थे, तरीके अपनाय जाते थे, उसके लिए उनको जिम्मिदा ठहराया गया, और इसके साथ ही ये declare किया गया कि Indigo का जो production है, वो Rayyat के लिए profitable नहीं है, Rayyat को loss होता है इसे बहुत ज़्यादा, और इसके साथ ही जो commission है, उसने Rayyat से कहा कि भाई और इसके साथ ही यहाँ पर आगे चल कर यह जो पूरा सिस्टम है यह फेल कर गया मतलब कि इंडिगो प्लांटेशन खतम हो गया बंगाल में अब इंडिगो प्लांटेशन जो है वो पूरी तरीके से बंगाल में कॉलैप्स कर गया लेकिन जो प्लांटर्स थे वो ऐसा थोड� जो इंडिगो का डिमांड था वो काफी ज़्यादा कम हो गया लेकिन आगे चलकर आगे के सालों में भी इंडिगो का अभी भी खेती होता है बहुत अब तो बहुत कम होता है लेकिन आगे के 1920 1930 तक इंडिगो की खेती होती रही है जब महात्मा गांधी वापस आए साथ अफरीका से तो वहाँ पर बिहार के एक किसान ने उनको बुलाये था चमपारन और वहाँ पर चमपारन में 1917 में गांधी जी ने इंडिगो के कल्टिवेटर्स का एक दुख दर्द समझा और उसके साथ वहीं से 1917 में गांधी जी ने चम परिशानी दे रहा था किसानों को और आगे के सालों में भी परिशानी दे रहा था अब यहाँ पर आगे एक छोटी सी कहानी है इंडिगो मेकिंग इन वेस्ट इंडिस तो यह आप चाहें तो पढ़ सकते हैं तो मैं इसको स्किप कर रहा हूं यह इंपोर्टेंट उतना है नह तो मिलते हैं आपसे मगले वीडियो में तब तक क