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विजय नगर साम्राज्य का संक्षिप्त इतिहास

Aug 18, 2024

विजय नगर साम्राज्य का इतिहास

प्रारंभिक पृष्ठभूमि

  • दिल्ली सल्तनत: मोहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली सल्तनत को मदुरई तक फैलाया।
  • दौलकाबाद: राजधानी को दौलताबाद शिफ्ट करना और टोकन करेंसी का प्रयोग।
  • हरिहर और बुक्का: 1362 में तुंगभद्रा के किनारे विजय नगर साम्राज्य की स्थापना।

साम्राज्य की वृद्धि

  • चार डायनेस्टीज़: संगम, सलवा, जूदू, और विड्रॉल।
  • कृष्णा नदी तक का विस्तार: विजय नगर ने उत्तर में कृष्णा तक के क्षेत्रों पर नियंत्रण पाया।
  • 300 वर्षों का साम्राज्य: मुस्लिम नेताओं के प्रभाव के बावजूद विजय नगर ने 300 वर्षों तक एकजुटता बनाए रखी।

सांस्कृतिक और धार्मिक सहिष्णुता

  • सेक्युलर अप्रोच: विजय नगर के शासक हिंदू होने के बावजूद सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाते थे।
  • धार्मिक स्वतंत्रता: विभिन्न धार्मिक संप्रदायों को स्वतंत्रता।
  • हम्पी: आज यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, आर्किटेक्चरल महत्व।

विजय नगर के प्रमुख शासक

कृष्णदेव राय

  • राजनीतिक शक्ति: बाबर द्वारा सबसे शक्तिशाली राजा का वर्णन।
  • मुगल साम्राज्य के साथ संबंध: बाबर के समकालीन।
  • सैन्य नेतृत्व: व्यक्तिगत रूप से सेना का नेतृत्व करते थे।

देव राय

  • बाह्मनी सल्तनत के साथ संघर्ष: 1412 में संघर्ष शुरू।
  • नागरी युद्ध: उत्तरी संघर्ष के दौरान बाह्मनी सल्तनत द्वारा शक्तिशाली बनना।

वास्तुकला और साहित्य

  • विरुपाक्ष मंदिर: महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल।
  • कृष्णदेव राय का योगदान: तेलुगु और संस्कृत साहित्य को बढ़ावा दिया।
  • आर्किटेक्चर में नवाचार: गोपुरम और मंदिरों के निर्माण।

साम्राज्य का पतन

  • कृष्ण देव राय की मृत्यु (1528): सत्ता संघर्ष शुरू।
  • तालिकोटा की लड़ाई (1565): बीजापुर, गोलकुंडा और अहमदनगर द्वारा विजय नगर का विनाश।
  • किंग्डम का अंत: 1565 में साम्राज्य का समाप्ति।

निष्कर्ष

  • विजय नगर साम्राज्य का इतिहास एक महत्वपूर्ण अध्याय है जो कि भारत के सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है।
  • विजय नगर के शासकों का योगदान और उनकी नीतियाँ आज भी अध्ययन का विषय हैं।
  • आधुनिक संदर्भ: विजय नगर की विरासत आज भी भारत की संस्कृति और इतिहास में जीवित है।