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सूरदास की भक्ति और रचनाएँ

श्री कृष्ण भक्ति शाखा के यहां पर प्रसिद्ध चूरमा जरूर रिकवरी जो या फिर और माने जाते हैं फिर उसके साथ यहां पर यह क्या है गोपी कानून की जो समर्पणभाव है उसे भी आप रहा बताया गया है जिन आंखों से तो अब तक जो है आज तक जो है श्री कृष्ण को देख पा रहे हैं ना अजवाला हम सांगून आंखों को देख रहे हैं अब यहां पर जो है माखन चोरी प्रसंग इसके लिए श्रीकृष्ण ने अपरद बहुत ही प्रसिद्ध है तन मतलब क्या है पर यह शरीर है वह जो विरह-व्यथा जो है ना मुझसे बहुत ही दूर चली गई उससे हम मुक्त हो गए हम [संगीत] नमस्कार मैं हूं हर्षिता हिंदी लेक्चरर विद्याश्रम अपितु कॉलेज मैसूर आज हम सेकंड पीछे की हिंदी पाठ्यक्रम से सूरदास के पदों कविता है उसको देखेंगे सूरदास जी के पद है उन्हें देखने से पहले हम उनका परिचय यहां पर देखिए मतलब जो कवि है सूरदास जी उनका परिचय देखेंगे रूप प्रस्तुत कविता के कवि सूरदास जी है वह हिंदी के भक्ति काल के उसमें भी कृष्ण भक्ति शाखा के प्रसिद्ध कवि माने जाते हैं जैसे इससे पहले भी आपको बताया है कि संपूर्ण हिंदी साहित्य को जो है चार या अधिक दूसरा भक्तिकाल रीतिकाल आधुनिक करके तो यह काव्य निर्गुण और सगुण भक्तिधारा करके निर्गुण व्यक्ति के प्रसिद्ध कवि कबीर दास जी ने तो आप सब जानते हैं और कबीर दास जी के दोहे उनके संदर्भ में आपको बताया कि निर्गुण भक्ति धारा मतलब निर्गुण भक्त जो है वह कहते हैं भगवान को निरगुण रूप में देखते हैं तो यह जितने भी लोग निरगुण रूप में मानते हुए उन पर भक्ति निर्गुण भक्ति धारा में बताते हैं और भगवान कृष्ण के रूप में अवतार या देवता को मानते हुए जो यहां पर यह ने अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं उनमें सगुण भक्ति धारा के अंतर्गत जहर रखा गया है सगुण भक्तिधारा के अंतर्गत फिर से बजाएं यहां पर की गई थी रामभक्ति-शाखा और कृष्ण भक्ति प्रस्तुत सूरदास जी जो है न वह व्यक्ति के यहां पर प्रसिद्ध कवि सूरदास का जन्म है वह 1483 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था उनका 1483 में एक ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म होता है वह वल्लभाचार्य ने पुष्टि-मार्ग कि उन्हें लिया सूर्य और बुध उनका मूल धारा भागवत पुराण यही मूल आधार है कि रचना उनका तो फिर उसके बाद यह किन की प्रसिद्ध रचनाएं कुछ इस तरह है सूरसारावली साहित्य-लहरी और सूरसागर सूरसागर सूरसारावली और साहित्य लहरी बहन के प्रमुख रचनाएं है और सूरदास जी डोह अष्टछाप के कवियों में से एक जो है वहां माने जाते हैं देखिए आपके पति पुस्तक में जो है पर सूरदास के पद जो कविता है उसमें जो है प्रसिद्ध है सूरदास जी के पद पर श्री कृष्ण के रूप का वर्णन किया गया है और मां का जो वर्णन किया गया है फिर उसके साथ यह है कि समर्पणभाव उसे भी बताया गया तो जैसे मैंने आपको पहले ही बता कृष्ण भक्ति शाखा के कवि करके तो यहां पर आप जान सकते हैं कि सूरदास पर प्रमुख रूप से थे तो उनके वात्सल्य हो सके व्यक्ति जो है वहां प्रमुख है तो चलिए अभी जो उनकी प्रस्तुत है उसे देखेंगे पहला पद कुछ इस तरह है डुडूम आरज़ू भई बड़भागी चिह्न किंतु श्याम बिलों के अखियां हम लोग कहते कि उद्योगों का अर्थ क्या मतलब यहां पर उद्धव ने धोखे यहां पर उद्धव उद्धव श्री कृष्ण के दोस्त थे अगर इसके पूर्व कथा के बारे में अगर बोलना है तो प्रस्तुत प्रसंग जो है इस प्रसंग के पूर्व तथा अगर बताना है तो श्री कृष्ण चुघ ने अपराध की मदद करने के लिए चले जाते हैं तब यहां पर जो है यशोदा नंद बाबा और उसके पिता जी को बहुत मिस करता है यहां पर आप श्री कृष्ण जो है वहां यह अपने दोस्त सखा जो है वह दोनों को जो है वहां बेचते हैं तो कुछ संदेश उद्धव के हाथों अपनी ऐश्वर्या और बाबा को देने के लिए यहां पर जैसे ही वह कहलाता है तो यहां पर आप घर तक पहुंचने से पहले ही वहां पर रोक लेती है और जो है यह बात जो है वह कहती तो यहां पर जो भी बात होती है वह और उद्धव के बीच में मतलब कह कह कर मैंने पहले ही बता दें हम बहुत ही बड़े भाग्यशाली बड़ी बड़े बड़े भाग्यशाली रास्ता रोकने को कह कि वह सच में हम बड़े भाग्यशाली बनने पर अपने अध्ययन तुम श्याम बिलोकि तेहिं किया हमला आगे मतलब जिन अखियां अखियां मतलब है जिन लोगों ने श्रीकृष्ण को काम करते है श्रीकृष्ण लोक नृत्य पर क्या है मतलब है तो आज तक श्री कृष्ण को देख रहे हैं आज हम उन आंखों को देख रहे हैं हैं तो इसलिए वह अपने आप को भाग्यशाली ने कह रही है क्यों देखिए जैसे पवन कहीं दूर से मतलब क्या है मतलब करते है पवन मतलब दूर से ही अगर आप क्या है हवा बह जाती है और वहां पर कोई सुगंधित पुष्प तो हवा पुष्प से बहते हुए दुश्मनों को अपने साथ लेकर आती दूर रहे जो ब्राह्मण रहते हैं वह क्या करते हैं जो है बहुत ही उत्साहित हो जाते को पुष्प के उस फूल को हवा में ही किस तरह ब्राह्मण है वह सब कि उत्साहित हो जाते हैं तो वैसे ही अभी तुम दूर से आए हुए हो किससे आइए हो श्री कृष्ण श्री कृष्ण के संदेश लेकर तुम आए हो तो आप तक उसी के साथ तो इसीलिए क्या है सिर्फ तुम्हें तो इतने भी आनंदित और भी अति आनंदित होते रहते थे अंग घी भी जो है बहुत ही अति आनंदित हो गए और अंग में शुक्र का मतलब में सुख का वितरण हो रहा है जो दर्पण में दृष्टि पर अमरुद खिला मिले हमको बिरहा गीता त्यागी गहरे अगर आप क्या है अर्पण-दर्पण करते हुए दो पर एक सुंदर रूप को देखकर यह कह खुशी मिलती है ना वैसे ही तुम्हारी आंखों में हे उद्धव तुम्हारी आंखों में श्री कृष्ण की छवि को देखते हुए हमें इतनी खुशी मिल रही मतलब गोपी क्यों अपने आप को भाग्यशाली समझ क्योंकि यह दोनों को देख रहे हैं जो अभी तक कृष्ण के साथ रहते हुए थे और उसके साथ-साथ कृष्ण की छवि है वह की आंखों में दिखाई दे रहा है इसीलिए उनके पिता बहुत ही घृणित बहुत ही आनंदित हो गई तो इसीलिए पर फूल और क्या है ब्राह्मण का रूप धारण वह कहीं दूर सिर्फ उसकी सुगंध हवा में किस तरह भ्रमर उत्साहित हो जाते हैं आनंदित हो जाते हैं वैसे भी है झाल जॉब तक कृष्ण के पास रहकर आए हुए थे सुविधाओं को देखते हुए उद्धव की आंखों में श्री कृष्ण की छवि को देखते जो है वहां इतनी आनंदित जो है यहां पर रॉ हो गई है इसीलिए तो यहां पर पूरे इसमें जो है अपराध क्या है गोपिकाएं कह रहे हैं कि अभी आज जो है तुमसे मिलकर तुम्हारी आंखों में श्री कृष्ण की छवि को देखकर आप सच में हम बहुत ही बड़े भाग्यशाली हो गया और बिरहा वतन त्यागी बिरहा गीता का अर्थ प्रकट विरह-व्यथा आप बस विरह-व्यथा विरह-व्यथा कार्य पर क्या है विरह-व्यथा जो है वह हमें छोड़कर चली गई तन तन मतलब है वह बहुत ही दूर तक जब स्किन को छोड़कर चले गए तब से श्री कृष्ण को देखने के लिए उनसे मिलने के लिए बहुत ही तड़प रही थी आप लॉर्ड श्री कृष्ण के प्रसंग के बारे में आप सभी लोगों को पता है तो वह तड़प रहते न तड़प जो है अभी थोड़ा सा कम हुआ है वह विरह-व्यथा जतन अधिकतर शरीर को छोड़ दिया मतलब है पर अभी थोड़े से तसल्ली जो है हमें मिली है और अभी हमारा खुश भी है क्योंकि तुम्हारी आंखों में श्री कृष्ण की छवि को देखा करके तो इस तरह गोपिकाओं के मन में जो है श्रीकृष्ण के प्रति कितना प्रेम था वह यहां पर हम आप देख सकते हैं और वह पितरों का जो समर्पण वे श्रीकृष्ण के प्रति वह भी यहां पर हम आप देख सकते हैं चलिए अभी हम आगे बढ़ेंगे देखिए दूसरे पर में जमुना तट देखें नंदनंदन मोर मुकुट मकराकृत कुंडल पीठ बसंत अनुसंधान लोचन रुधिर वर्ग की भुजा ने प्रेम मगन तब ही सुंदर मृदु बानी समुद्र तट देखिए नन यह देखिए अब समय वो स्पीकर जो है जमुना के तट पर जमुना मतलब यह क्या है यह मुनार नदीम जमुना करते हैं पर क्या है यमुना नदी यमुना नदी के तट पर मतलब किनारों पर क्या है श्रीकृष्ण खड़े रहते हो दिखाई देते यहां पर क्या है नंद बाबा यशोदा के पति श्री कृष्ण के पिता पुत्र के पुत्र श्रीकृष्ण की सुंदरता सूरदास की रचना नंदन मतलब श्रीकृष्ण पर यमुना नदी के किनारे पर खड़े हुए मोर मुकुट मकराकृत कुंडल मोर मुकुट मकराकृत कुंडल जो है कि तरह गुस्सा करके उन्हें पहना है फिर उसके बाद अब पीड़ित वसंतम चंदन पित्त व से मतलब पीले रंग के वस्त्र पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं इसके बाद तरह तन तन तन तन मतलब शरीर व कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन करते हैं कितने सुंदर श्री कृष्ण चुघ ने बताया गया मोर मुकुट पहने हुए पित्त वस्त्र के कपड़े पहने हुए और तनु पर शरीर पर चंदन का लेप लगाए हुए मकराकृत कुंडल पहने हुए श्री कृष्ण जी बहुत ही सुंदर थे इलेक्ट्रिफिकेशन की पूजा करते है आंखें लोचन मतलब के प्रति मिली दर्शन दर्शन श्री कृष्ण के दर्शन हुए सुंदर श्री कृष्ण जो यमुना नदी के तट पर खड़े हुए थे ना उसके दर्शन से दर्शन दर्शन मिथिला दर्शन से सुरक्षित अपनी पूजा नियुक्तियों पर कैरियर ये दिल तुम मतलब पर जरूर करके दिया गया है वह सरकार पर क्या है हृदय में मतलब क्वेश्चन को देखने के लिए हमेशा तड़पती रहती है उसे दूर रहने पर एक विरह-व्यथा जहां उन्हें सताती रहती है तो ऐसे में एक पिता श्री कृष्ण को देखने के लिए बहुत ही तरसती रहती है ऐसे में यहां पर क्या होता है एक दिन श्री कृष्णा नदी के किनारे तक यहां पर क्या है अब उसकी सुंदरता के वर्णन के इतने सुंदर दिख रहे हैं तो ऐसे जैसे ही जो है श्रीकृष्ण को देखती है कि मानव की आंखों को एक तृप्ति जो है वह मिलती है न जाने कितने दिन से वह जो है उसकी आंखें तरस रहे तड़प रहे थे उसकी आंखें तरस रहे थे श्रीकृष्ण को देखने के लिए और उसका जोरदार है वह तड़प रहा था एक ताप जो है उसमें था जब वह श्री कृष्ण को देखती है वहां पूजा है वहां बुझाती है फिर देखिए प्रेम मगन तब ही सुंदर एक वृद्ध मुदानी तभी क्या होता है प्रेम में मग्न हो जाते हैं वह सुंदर गोपी कृष्ण को देखते हैं ना वह और प्रेम की दीवानी थी और वह प्रेम में मग्न हो जाती है और विरुद्ध मतलब जो उसका हृदय रोग ठीक हो जाता है और कुर्बानी वाणी वाणी वाणी वाणी मतलब है कि श्रीकृष्ण को देखने पर जो भी बातें वह गोपी का कहना चाहती थी ना भी वह सिर्फ दूर से ही देख रही है तो अभी जो है उसकी हालत ऐसी है कि वह कुछ बोलना चाहती है मगर फिर भी बुधवार तक मतलब मुक्त कराकर जो है वह बातें वहां पर रॉ बंद हो जाती है मतलब वह बोल नहीं पाती है कि आप लोगों को पता है जब बहुत ही खुशी में हम रहना तब कुछ बोल नहीं पाते जब हम बहुत ही दुखी में रहता है और जब हम बहुत ही सूख में रहता है जबकि बहुत खुशी जो यह में होते तब भी हम टिप से कुछ बोल नहीं पाते हैं कि जब खुशी अपनी सीमा को जो है पार कर देते तब ऐसी हालत होती तो इसीलिए तो गुरुदत्त मतलब उसका हृदय गदगद हो जाता है ठीक उसे वह जाती है कि वह उसके जो बात है वह मू तक ही रहकर बुधवार तक कि रहकर वाह क्या है रह जाते हैं वह कुछ बोल नहीं पाती है इतनी खुशी जो है उसको भी मिल रही है कमल नयन तट पर है ताड़े सकुचाई मिली बृजनारी सुमी दास प्रभु अंतर्यामी व्रत पूर्ण पगड़ीधारी लिखे समय अब सिर्फ विनर पर दूर से ही श्रीकृष्ण को देखकर इसके अलावा तहसील है फिर भी यह कमल नयन तट पर हे कमल नयन किनारे प्रकट करते पर एक किनारे पर क्या है चाहे वो कुछ बोल नहीं पर यह कहते हुए सकुचाते हुए मतलब शर्मा ब्रिज की नारी जो है वह उससे मिलने के लिए जा रहे हैं कि सूरदास प्रभु अंतर्यामी सूरदास के प्रभु श्रीकृष्ण तो जो है वह तो अंतर्यामी अंतर्यामी है मतलब सबके दिल की बात जो है वह सब कुछ उनको पता है सब कुछ जान लेते हैं तो इसके पिता की एक मन की बात है वह पूरे पूरा मतलब पूरा करने से यह क्या है श्री कृष्ण हरे की इच्छा से वह पूरा करते हैं कि उन्होंने पूरा कर दिया मतलब बहुत दिनों से बातें करने की इच्छा मन में उन्होंने वहां पर पूरा कर दिया तो यहां पर श्रीकृष्ण की सुंदरता का वर्णन है वह कितने सुंदर से करके फिर है पिता के मन में उनके प्रति प्रेमभाव है उसे भी आप देख सकते हैं कि चोरी कर तक का नागरिक पाए निसि बासर रूमों ही बहुत सतायो अब हरिहाय देखिए अब पहले के दो पद में जो है हम सिर्फ यहां पर रॉ श्री कृष्ण के रूप सौंदर्य का और उसके साथ तथा गोपियों की विरह व्यथा या फिर गोपी अकाउंट एक समर्पण भाव जहां से हमने देखा अब यहां पर जो है माखन चोर कृष्ण पर बहुत ही प्रसिद्ध है माखन चोरी प्रसंग का बहुत ही फेमस है तो उसी का वर्णन यहां पर दिया गया सुंदरता पर चोरी करते हैं कि क्या है प्रभु चोरी करते हुए एक दिन खाना जो है श्री कृष्ण उसे प्यारे से धो श्री कृष्ण है वहां पकड़े जाते हैं तभी निसि बासर मोहित बहुत सस्ता योग जिस वह लिंक हाथ में पकड़े जाते तो यहां पर कथित भाषण रात दिन तुमने मुझे बहुत सताया करता मतलब रात-दिन रात-दिन तुमने मुझे बहुत बहुत ही जाकर अ तुम मेरे हाथ में अब तक ढूंढ रही थी अब तुम मेरे यहां आए हो अब तुम नहीं इस तरह से तो यहां पर चोरी करते हुए पकड़े गए और उनकी मां का जो प्रश्न वह बहुत ही प्रसिद्ध आप सभी को पता है बचपन में वह मां छोरी जो है पर करते थे करके तो ऐसे में क्या है वह बहुत ही परेशान रहते हैं कि कौन माखन चोरी जो यहां पर कर रहा है गोकुल में तो इसलिए जब खाना जाए श्री कृष्ण जावा पकड़े जाते हैं तो ग्वालिनी जो है उसे कहते कि अभी तुमने हमें बहुत सताया है रात दिन हम इसे की प्रतीक्षा में तय है कि वह चोर कौन है उसे पकड़ना है करके अभी तुम हमारे हाथ आ गया अब तो हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे मार्किंग धीर मेरो समुदायों बहुत अच्छे गिरी कि नहीं तुमने तो क्या कर दिया हमारा माकन और यदि करते पर क्या है दही यदि मतलब पर क्या है हमारे माकन और दही सबको तुम्हे लिया और बहुत अच्छी-अच्छी आश्चर्य तुमने हम तो यहां पर बहुत ही आश्चर्य हो गए तुमने तुमने तो पूरा माखन और पूरे जो दही उसे खत्म कर दिया तुमने लिया है फिर आगे वह कहते हैं अब तो घातक परे हो लालन तुम भले में चीनी देखिए अभी वह अब तो तुम पकड़े गए हो अभी क्या है अभी तो तुम जानते हो कि अभी मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगी अभी बताओ तुमने कहां कहां से माखन चोरी जो है कि या दो बार करें यह कहा जय हो मां कर लूंगा अब दोनों को पकड़कर उद्योग वाली नहीं है वह भगवान श्री कृष्ण के दोनों भुजाओं को पकड़कर वह कहती है अभी तुम सच बताना अभी तुम सच बताना कि और कहां-कहां से तुमने माखन चोरी जो है किया है हैं तो इस तरह यहां पर वह कहती है तेरी सांसो मे ने खून अखाड़ों सखा गए सब्सक्राइब देखिए अभी तक सिर्फ वाले सभी बातें जो हमने हमारा मक्खन दही सब कुछ खत्म कर दिया है सब कुछ छोरे की कितने दिनों से उस चोर को ढूंढ रहे थे आज तुम हाथ में आई हो और तुमने हमें यहां पर आश्चर्य जो है वह कर दिया है कैसे पर इतने सारे और दही को जो है सकते हो और तुमने क्या किया उनको बता करके यहां पर वहां यह प्रश्न पूछती है बहुत ही नटखटपन और प्रेम से मासूम से जो है वह कहते हैं कि मतलब कुछ भी नहीं है मतलब मैंने कुछ भी नहीं आया है आ गए सब खाए के सखा करते पर कह दोस्त मेरे दोस्त जो है ना उन्होंने सब कुछ खा लिया मैंने कुछ नहीं खाया मैंने चोरी नहीं किया इस तरह से धन श्री कृष्ण झाइयां पर कहते हैं आगे देखिए उधर स्थिति दिनों तक गई है मैं अभी बहुत ही क्या है मानो वह बहुत ही चिंता में है और बहुत ही मासूम है वहां इनोसेंट है इस तरह से चेहरा बनाकर श्रीकृष्ण जब कहते हैं उससे ग्वालिनी से मिलने नहीं आया है मेरे दोस्तों ने सब कुछ खा लिया है तेरी सौगंध इस तरह कहने पर बहुत ही मासूमियत से उस तरह कहते हैं तो तभी अपराध क्या है रिश्तों अब गरीब जाहिर इसका हत्या पर क्या है गुस्सा या फिर क्रोध तब जाकर पुलिस वाले ने की जो क्रोध रहता है ना वह सब बूंद-बूंद जाता है फिर देखिए लिए श्याम उर लाये भगवान जी सूरदास उबल जाए तब हम क्या करते हैं अब तक कृष्ण को रही थी जो है जो आप तक रही थी वह बहुत ही प्रेम से घृणा पहले वह आती है सिर्फ श्रीकृष्ण को प्रेम से गले लगाती श्रीकृष्ण की सुंदरता के कि है यहां पर उसके बारे में तो कुछ बोल ही नहीं सकते थोड़ा सा सोचिए तो चलिए अगर वह नन्हे श्री कृष्ण है वैसे नटखट करते हुए यह सभी शराब से जॉब करते हैं तब भी जो है ध्वनियों को जो है उस पर रॉ प्रेम ही आता था तो यहीं पर हम आप देख सकते हैं यह देखिए सूरदास कहते हैं कि श्रीकृष्ण के जो रूप न धरई के जो प्रसंग है ऐसे जो उनका बचपन के रूप पर तो भले ही मतलब हो सकता है सब कुछ कुर्बान कर सकते हैं इतने सुंदर श्री कृष्ण और उनकी लीला तो इस तरह प्रस्तुत प्रसंग का वर्णन किया गया और बहुत ही सुंदरता से श्रीकृष्ण का वर्णन किया गया है