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फ्रांस की क्रांति का इतिहास और प्रभाव

लुट लो झाला लुट लो झाल का कि अ लुट हेलो हाय गुड मॉर्निंग कैसे हैं आप लोग वेलकम तो हमने काट मी लेट्स प्राय यूपीएससी हिंदी और आप सभी का स्वागत है हमारे विश्व इतिहास वर्ल्ड हिस्ट्री के सीरीज में जिसमें आज हम एक बहुत ही बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक के ऊपर चर्चा करने वाले हैं और यह टॉपिक है फ्रांस की क्रांति फ्रांस की क्रांति अपने आप में विश्व इतिहास में मील का पत्थर मानी जाती हैं यह क्रांति एक ऐसी क्रांति थी जिसने पूरे पश्चिमी सभ्यता को हिलाकर रख दिया था और कई प्रकार से इसका प्रभाव यूरोप और विश्व के कई सारे भागों में पड़ा था अपने आप में अद्भुत है क्रांति और यह फ्रांस की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था में साथ-साथ जितनी भी निरंकुश राजतंत्र की व्यवस्था थी उसमें प्रकार से आमूलचूल परिवर्तन को लेकर आई और फ्रांस की क्रांति ने काफी हद तक बाद में यूरोप के कई सारे देशों को प्रभावित किया मैं इसी के साथ निरंकुश राजतंत्र की जगह उदारवादी प्रजातंत्र की जाए जो हुए व्यवस्थाएं सुधरने लगी ठीक है इस प्रकार से फ्रांस की क्रांति का अपना बहुत ज्यादा महत्व है विश्व के इतिहास में तो आज के सेशन में हम लोग फ्रांसीसी क्रांति के ऊपर बात करेंगे और आप सभी लोगों को यह बता दूं कि फ्रांस की क्रांति में जितने भी महत्वपूर्ण घटनाएं विश्व के उसमें फ्रांस की क्रांति का स्थान जो हुए अपने आप में अद्वितीय है तो इसे हम लोग बहुत ध्यान से और डिटेल से पड़ेंगे क्योंकि इस क्रांति में पूरे फैंस की व्यवस्था में परिवर्तन हुआ गणतंत्र का उदय हुआ फिर थोड़े समय के लिए अराजकता फैली और उसके बाद नेपोलियन की तानाशाही हमें दिखाई देती है साम्राज्य विस्तार दिखाई देता है फिर नेपोलियन का योग आता है तो इस पूरी कि क्रांति को हम लोग शुरू से लास्ट तक ठीक है कवर करने वाले हैं आप लोग यदि लास्ट तक रिएक्शन देखेंगे तो फ्रांसीसी क्रांति आपकी एकदम कंपलीट हो जाएगी और फिर आने वाले सेक्शन में मैं आपको बताऊंगा नेपोलियन के बारे में नेपोलियन के राज्य विस्तार के बारे में ठीक है तो स्टार्ट करते हैं सभी को एक बार फिर से गुड मॉर्निंग नमस्कार जय हिंद और अनअकैडमी प्रॉमिस के बारे में बता दूं दूसरा 1 मंथ अगर आप लोग अभी यह 14th जुलाई तक कॉर्परट बढ़िया चल रहा है मैडम ई प्रॉमिस का यदि आप लोग सब्सक्रिप्शन लेते हैं इस समय 2 साल का कोई सा भी तो आपको एक साल का सब्सक्रिप्शन 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कहा कि इतिहास में विश्व के इतिहास में मील का पत्थर जितनी भी घटनाएं दुनिया में इन्होंने बहुत गहरा प्रभाव डाला है विश्व के इतिहास में और वह सारी घटनाओं में से एक घटना है फ्रांसीसी क्रांति फ्रांस की क्रांति ने दुनिया में बहुत ज्यादा परिवर्तन लेकर आया जिस प्रकार से निरंकुश राज्य तंत्रों का दौर चल रहा था उसकी जगह पर प्रजातंत्र लोकतंत्र ठीक है स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व जैसी विचारधारा का प्रचार प्रसार पूरे विश्व में हुआ और उन देशों के ऊपर भी दबाव पड़ा कि जहां पर राजतंत्र था लेकिन वह छोड़ना नहीं चाहते थे तो उन्होंने क्या किया थोड़ा सा ढुल और थोड़ा सा कमजोर के आपने नियंत्रण को राजतंत्र में भी सुधार हुआ या उसकी जगह लोकतंत्र आया कई प्रकार से अपने आप में एक क्रांति महत्वपूर्ण है फ्रांस की क्रांति कब हुई थी तो आप सभी को पता है 1789 1799 में आपको पूरा एक-एक कर में बताऊंगा फ्रांस की क्रांति के बारे में की क्रांति के कारण क्या थे बैकग्राउंड क्या था क्रांति क्यों युद्ध ठीक है क्या मांगती क्रांतिकारियों की समस्याएं ज्योतिष ट्रांस में दरअसल में आपको पिछले सेशन में अमेरिका की क्रांति पड़ा था है नाम लिए अमेरिका की क्रांति की बात की थी तब मैंने आपको बताया था कि अमेरिका में ब्रिटेन शासन कर रहा था कि उपनिवेश था अमेरिका और अमेरिका में ब्रिटेन अपनी मनमानी कर रहा था और इस सबसे ब्रिटेन के इस व्यवहार से अमेरिकी का एक आम अमेरिकी का मन दुखी का और वह अमेरिका को आजाद कराने की इच्छा रखता था तो अमेरिका का केस अलग था फ्रांस के मामले में कोई विदेशी ताकत वहां पर राज नहीं कर रही थी जिसे अमेरिका का तो एक स्वतंत्रता-संग्राम आपने आपने इसमें वह आजादी चाहता था और आजाद हो गया लेकिन फ्रांस में किसी भी तरह का विदेशी शासन नहीं था फ्रांस की क्रांति दरअसल अपने ही व्यवस्था के खिलाफ व परिवर्तन को लेकर हुई थी अ में एक बार ही समझ में अब क्या व्यवस्था थी और क्या-क्या कारण से मैं आपको बता देता हूं तो सबसे पहले आपको बैकग्राउंड समझना होगा बैकग्राउंड किया था दरअसल फ्रांस में एक शासक आया था लुटी सन 1645 के आसपास हुई चांस का शासक बना और उसने क्या किया सत्ता का केंद्रीकरण कर दिया सारी की सारी शक्ति फ़्रांस के शासक लुई फॉन टीम ने अपने कब्जे में कर ली पुरे तरीके से उसने अपने आपको घोषित कर दिया कि मैं ही राज्य हूं मैं ही स्टेट हुई और सारी पावर उसके पास चली गई जैसा कि आपको पता है मॉन्टेस्क्यू ने कहा है कि यदि शक्ति का एक जगह केंद्रीकरण होगा तो निरंकुशता आती है तो शक्ति का पृथक्करण होना जरूरी है लेकिन उनकी पार्टी ने सारी की सारी शक्ति अपने पास कर लिया विकेंद्रीकरण विकेंद्रीकृत राजतंत्र की स्थापना की एक निरंकुश राज्य तंत्र की स्थापना के लिए प्रोटीन लेकिन उनकी पार्टी ने एक योग्य शासक था तो जब फिफ्टीन का शासन चला तब तक ट्रांस को किसी तरह की कोई समस्या नहीं आए लेकिन जैसा शासन हुई चांद स्थापित किया था उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज यह थी कि कोई ऐसा उत्तराधिकारी मिले जो योग्य मतलब यह अयोग्य शासकों के बस की बात नहीं थी कि वह इतने केंद्रीकृत शासन को अच्छे से चला सके तो सुई प्रोटीन के मरने के बाद नोटिफिकेशन आया और उसके बाद हुई सिक्सटीन है तो फ्रांस के अगले दो शासक लुई f9 कोई सिक्सटीन यह बिल्कुल अयोग्य थे इनमें शासन चलाने का जो एक मादा होता है जो एक हम कहते की क्षमता होती वह नहीं थी इस प्रकार से लो 5416 के काल में फ्रांस में इतनी व्यवस्था इतनी अराजकता फैली के धीरे-धीरे लोगों के मन में व्यवस्था के परिवर्तन के लिए टिके रहना आने लगी है है तो आप तो मैं तो जैसे भारत में मुगल साम्राज्य के बारे में पढ़ते हैं बहुत अच्छे से समझ जाओगे ओके कस्टम करके देखते हैं मुगल साम्राज्य केंद्रीय प्रेक्षक पूरा के पूरा राज्यतंत्र था एक मुगल बादशाह होता था और सारी शक्तियां मुगल बादशाह के पास में थी और वह पूरा के पूरा शासन चला आता था जब हम ऑरेंज या मृत्यु पूर्ववर्ती मुगल सम्राट जैसे आप देखेंगे अकबर हो गया और उसके बाद में आप देखेंगे जहांगीर शाहजहां औरंगजेब के जो मुगल सम्राट थे वह योग्य थे और औरंगजेब के समय में तो मुगल साम्राज्य का विस्तार सबसे ज्यादा था तो उस समय क्योंकि औरंगजेबी शासन चलाने की योग्यता तो उसमें चला लिया लेकिन जब औरंगजेब भरा तो उसके बाद को योग्य शासक नहीं आया और उस बड़े साम्राज्य को चलाने के लिए मुगल साम्राज्य का कोई योग्य शासक का ना होना उसके पतन का कारण बन गया समझ में आ रहा है बाद में हम देखते हैं कि मुगल साम्राज्य का पतन हो गया वैसे ही हुआ फ्रांस में कि पहले पुरातन व्यवस्था थी तो उसमें कि कुछ राज्यतंत्र निरंकुश राजतंत्र का मतलब यह किस्सा आदि शक्ति सारी शक्ति राजा के पास थी राजा के पास से ही सारे आदेश जारी होते थे कानून भी वही बनाता था कानून को लागू भी वही करता था एक प्रकार से पूरा के पूरा आपका विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों राजा था तो राजा निरंकुश था उसके साथ कुछ सामंत और कुलीन वर्ग मे है जो कि संपन्नता थे टीके विशेष अधिकार प्राप्त थे और यह शोषण करते थे लोगों का जैसे कि यूरोप में सामंतवाद देखते ना उस तरह का इसके साथ में एक और फैक्टर फक्चर उस काल में धर्म अपने आप में बहुत बड़ी शक्ति थी और चर्च का स्थान बहुत महत्वपूर्ण था और शक्तिशाली भी था यहां तक कि मैंने आपको बताया था कि राजा भी चर्चा की बात नहीं टाल सकता था तो चर्च में पादरी हुआ करते थे इस सबका फायदा उठाकर वह विलासी हो गए भोगी हो गए और वह भ्रष्ट हो गए पूरी तरीके से मनमानी करने लगे 12 चर्च के खिलाफ बोलता उसको दंड दिया जाता तरक्की और प्रमाण की बात नहीं सुनी जाती तो चर्च का भी एक व्यवस्था थी चर्च का भी स्थान था और एक ऑप्शन वित्तीय संरचना थी एक प्रकार से पूरी दुषित संरचना थी और जिस तरह का सिस्टम होना चाहिए वैसा नहीं था इसीलिए फ्रांस जो है आर्थिक रूप से दिवालियापन के कगार पर चला गया रूई 16k काल में तो मैं आपको बताऊंगा कि का क्रांति के कारण क्या रहा है उससे पहले आप देखो पृष्ठभूमि इन पृष्ठभूमि को हम लोग अभी डिटेल में समझाना यह बैकग्राउंड है इस क्रांति का एक ऊर्जा क्रांति के कारण की बात करते हैं कोई भी क्रांति या इस तरह की घटना तब होती है जब जब विश्व में अन्याय होता है अगर आप कहीं पर अन्याय करोगे और समानता रखोगे और विशेषाधिकार दिए किसी को किसी को नहीं दोगे तो फिर वहां पर आप हमेशा देखेंगे कि लोग क्रांति करते हैं फ्रांस में भी यही हुआ कि फ्रांस में बहुत ज्यादा अन्याय बढ़ गया था मतलब एक ट्रक कि सामाजिक राजनीतिक आर्थिक तीनों तरह का न्याय इसे हम लोग हमारी प्रस्ताव में देखते ना सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय इसका उल्टा था सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय दिया जा रहा था फ्रांस के लोगों को तो फ्रांस की क्रांति के कारणों में जाएंगे तो कारण राजनीतिक भी है जो मैं आपको बताऊंगा कारण सामाजिक भी है आर्थिक भी है और कुछ तो है विचारकों की भूमिका के लिए कुछ लोग ऐसे थे जो बुद्धिजीवी थे जिन्होंने विचारकों ने लोगों को प्रेरित किया स्वतंत्रता और समानता की भावनाओं का प्रचार किया जैसे इन महापुरुषों का नाम सुनते हो रूपों की पुस्तक सोशल कांटेक्ट के बारे में आपने सुना होगा या मॉन्टेस्क्यू के बारे में हम देखते हैं स्प्रिट ऑफ लॉस के नाम से पुस्तक किसने लिखी वॉल्टेयर था कई विचारकों ने क्या किया धीरे-धीरे फ्रांस की क्रांति में ठीक है अपनी तरफ से प्रचार-प्रसार करना चाहिए इसका भी परिणाम हुआ फिर हम बात करेंगे क्रांति के चरण यह फ्रांस की क्रांति के अलग-अलग चरण माने जाते हैं फिर हम बात करेंगे इसके प्रभाव और परिणाम के बारे में अंत में इसके स्वरूप के बारे में बात करेंगे क्योंकि इसके स्वरूप को लेकर भी अलग-अलग मत भेजना है और फिर हम आएंगे नेपोलियन के ऊपर क्योंकि मैंने आपसे कहा कि क्रांति के बाद गणतंत्र की स्थापना हुई थी है और गणतंत्र के बाद में अराजकता है और कुछ समय के बाद में नेपोलियन आ गया नेपोलियन ने फिर से तानाशाही राज्य तंत्र की स्थापना कर दी तो इस प्रकार से फ्रांस की क्रांति के कई चरण है सबसे पहले आप देखिए पृष्ठभूमि क्या है शासन की बात करते हैं शासन किसका था और किसके शासन में क्रांति हुई तो मैंने आपको बताया सबसे पहले आपको देखना है लुईस प्रोटीन लुई चौदहवें फ्रांस का शासक बना था 6360 1643 में यह शासक बना था फ्रांस का 1715 तक रहा था लुटेरों ने क्या किया जितनी भी शक्तियां थी वह सारी शक्तियां अपने में समेट ली उसने आप बहुत ज्यादा सेंट्रलाइजेशन कर दिया केंद्रीकरण कर दिया था रात सोचिए कि अगर सारे के सारे डिसीजन एक ही जगह से आए मतलब सब कुछ एक ही व्यक्तित्व करें तो यह कितना ज्यादा भयानक हो सकता है क्योंकि उसको रोकने कि कौन होगा फिर आज हमारे देश में आप देखते हैं कि अगर सरकार मनमानी करती है तो आप सरकार को रोकने के लिए विधायिका है कार्यपालिका भी है न्याय व विधायिका न्यायपालिका है अगर विधायिका मनमानी करें तो उसके लिए भी आप देखिए कि न्यायपालिका समय-समय पर संसद के कानूनों को न्यायपालिका नृत्य कर देती है हमारे यहां पर तो विधायिका की मनमानी को न्यायपालिका रोकती है कार्यपालिका की मनमानी को न्यायपालिका रोक सकती है विधायिका रोक सकती है और न्यायपालिका गड़बड़ करती है तो उसके लिए विधायिका है जजों को हटाने की एक जो है हमारे यहां पर आपने देखा होगा की प्रक्रिया है जिसके द्वारा जजों को हटाया जा सकता है तो इस पूरी शासन व्यवस्था में हमारे यहां पर आप देखेंगे कि सबसे खास बात क्या है हमारे सरकार का कोई भी अंग मनमानी नहीं कर सकता सरकार का कोई भी अंग तानाशाह नहीं हो सकता एक प्रकार से भारत में आपको क्या देखा जिसे अमेरिका में सेपरेशन और पावर देता है टट्टी का पृथक्करण भारत कि आपको दिखेगा बैलेंस ऑफ पावर क्या है यह सच है कि भारत ने अमेरिका की तरफ अपने शक्तियों को ऐसे नहीं बांटा कि यह काम यह तो यही करेगा दूसरा नहीं कर सकता सबके काम अलग अलग कर दे वैसा हमारा नहीं है इस ट्रिक हमारा कठोर पालन नहीं है हमारे यह बैलेंस ऑफ पावर है अगर समझ में हमारे यहां पर आपको दिखेगा कि विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका तीनों मिलकर काम करती है और तीनों में बैलेंस बना हुआ शक्तियों का समय-समय पर विधायिका भी दोनों दूसरे रास्ते पर जाती है कार्यपालिका भी दूसरे रास्ते पर चली जाती है लेकिन हुई फोर्टीन में क्या किया पूरी तरीके से शक्ति का विकेंद्रीकरण करने से है और क्योंकि लुईस ने अयोग्य शासक था तो किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है अपने लंबे समय के शासनकाल में हुई पार्टी ने केंद्रीकरण के साथ-साथ फ्रांस में स्थिरता और स्थायित्व भी दिया लेकिन उनकी प्रोटीन के बाद में आया sui50 1715 से 1774 में इसके काल में सप्तवर्षीय युद्ध लड़ा गया था ब्रिटेन और फ्रांस के बीच में उसके बाद आया हुई 6 जिसने अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में ठीक है आपको पता है मैंने बताया था अमेरिका की क्रांति के बारे में अमेरिकी क्रांति में फ्रांस ने भी साथ दिया था अमेरिका का तो इसके काल में हुई 16k काल में अमेरिका की क्रांति में फैंस ने साथ दिया तो f-18 के बाद 5416 यह दो राजा जो आए यह राजा अयोग्य थे अब यहां से देश को बर्बादी की शुरुआत यहीं से होती है जब तक योग्य शासक था तब तक तो पता नहीं चला जब तक योग्य शासक ठीक है आया फ्रांस में तब तो समस्या नहीं है लेकिन जैसे ही अयोग्य शासक है वैसे ही फ्रांस की व्यवस्था पूरे हिल गई तो लाइफ इन और 16k काल में इस क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार हुई और फाइनली 16k काल में क्रांति हुई और इसको मौत के घाट उतार दिया 1793 के आसपास 2015 को हुई सोल्वे को मृत्यु दंड भी दिया इसकी पत्नी को भी मृत्यु दंड है उसकी पत्नी ज्योति तब मेरी वह बहुत ज्यादा हस्तक्षेप करती थी शासन में एक प्रकार से इससे ज्यादा शक्तिशाली इसकी पत्नी हुआ करती थी ऐसा कहा जाता है तो फ्रांस की क्रांति की पृष्ठभूमि में यह शासक जिनके खिलाफ क्रांति हुई तो क्रांति किस के खिलाफ युध्द इसके खिलाफ हुई सोल्वे के खिलाफ हक किसने की ओर क्योंकि अगला क्वेश्चन है कि क्रांति की जिसमें इसके लिए आपको समझना पड़ेगा उस काल के फ्रांसीसी ईएस जो पूरी व्यवस्था है न उसको समझना पड़ेगा ऐसे भारत में हम बात करते वर्ण-व्यवस्था की प्राचीन काल में है अरे यहां पर चार वर्णों में समाज बंटा हुआ था एक ब्राह्मण उसके बाद क्षत्रिय वैश्य शूद्र अब भारत में भी आप देखते सामाजिक न्याय मिलेगा ऊपर के तीन वर्णों को थोड़े से निषेधाधिकार ब्राह्मण और क्षत्रिय कुख्यात थोड़े कम है और सुंदर को सबसे कम अधिकार दिए गए भारत में जैसे चार वर्गों में बंटा था समाज वैसे ही फ्रांस में भी समाज तीन वर्गों में बंटा था यहां से शुरुआत करें क्या समझेंगे सबसे पहले तो फ्रेंड्स का समाज तीन वर्गों में बंटा था और इन हर एक वर्ग को बोलते थे स्टेट क्या कहते थे हर वर्ग एक स्टेट था कल स्टेट या इसको टेस्ट भी कहते हैं प्रयोग है तो यह तीन वर्गों में या स्टेट में पूरा समाज बंटा हुआ था यह तीन वर्ग कौन से थे जरा ध्यान से समझना क्योंकि यहीं से आपको पूरी क्रांति समझ में आएगी यदि आप यह वाला मामला समझ जाओगे कि पूरा कैसे फटा हुआ था समाज तो क्रांति समझना तो बहुत आपके लिए छोटी बात हो जाएगी अब हो यह राय के तीन वर्गों में जो समाज बंटा था उसका पहला मर गया पहला स्टेट जो था वह थक पादरी यह पादरी वर्ग जो था यह सबसे पहले वर्ग में आता था इसको कर लगाने का अधिकार था किंतु कर चुकाने का नहीं यह कर चुका तो नहीं टैक्स नहीं देता था पादरी वर्ग जो था यह सबसे ज्यादा संपन्न न था मैंने कहा कि चर्च व्यवस्था थी चर्च का बहुत ज्यादा नियंत्रण था चर्च बहुत शक्तिशाली था तो यह पादरी क्या करते थे यह बहुत ज्यादा धन वगैरह इधर-उधर से वसूलते थे इनके पास खूब सारा पैसा था तो यह भ्रष्ट हो गए थे यह लाल चीज है लोग भी थे यह विलासितापूर्ण जीवन जीते थे है लेकिन यह टेस्ट नहीं देते थे इनको टैक्स से मुक्त तिथि स्किन को टैक्स लगाने का कोई दर्द दिक्कत नहीं है कोई दायित्व नहीं लेकिन टैक्स लगाने का अधिकार था इनको तो पादरी वर्ग पहला वर्ग लेकिन पादरियों ने भी दो थे इस पादरी वर्ग के भी हम दो भाग कर सकते हैं एक भाग था उच्च पादरियों का और दूसरा था निम्न पादरियों का इनके दो भाग करेंगे ठीक पहले वर्ग के भी दो उच्च वर्ग के जो पादरी थे यह पादरी बहुत शक्तिशाली थे जैसा कि मैंने आपको बताया यह लाल चीज है यह बहुत ज्यादा टैक्स वसूल करते थे इनके पास विलासिता के सारे साधन थे ठीक है तो यह प्रकार से मशहूर जनता में लोकप्रिय थे जनता इनको बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं हमारे जैसे को साधु-संत होते ना कि जो बहुत विलासिता का जीवन जीते हैं ठीक है महंगी महंगी लाखों-करोड़ों की गाड़ियों में घूमते हैं ऐसे साधु भारत में पसंद नहीं किया जाता है वैसे ही यह भी पादरी और लोकप्रियता जनता में दूसरे पादरियों का वर्ग तथा निम्न वर्ग यह जनसाधारण बेहतर है यह लोगों में धार्मिक संदेशों का प्रचार करते ठीक है जनसाधारण की तरह थे और इनके पास बहुत ज्यादा पैसा वगैरह नहीं था यह संबंध नहीं थे इसलिए जनता इनको पसंद करती थी और यह पादरी भी थे तो उच्च वर्ग के खिलाफ थे यह भी उच्च वर्ग के खिलाफ कृपात्री भी और इन्होंने जनता का साथ दिया इस क्रांति में तो हमने क्या देखा सबसे पहले मैंने आपको बताया कि पूरा के पूरा जो समाज था फ्रांस का वह तीन वर्गों में बंटा था पहला वर्ग जैसा कि मैंने आपसे कहा पादरी वर्ग था जो दो भागों में बंटा है उच्च पादरियों का कौन निम्न अगर यह आपको समझ में आ गया होगा ठीक है इस वर्ग की विशेषता के हाथी के इस वर्ग को टैक्स लगाने का अधिकार था लेकिन यह टैक्स चुकाता नहीं था यह विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग 28 को विशेष अधिकार थे समाज में कुछ दूसरा वर्ग जो था यह कुलीन वर्ग के ऑफिस जाना जाता है जो सेकंड स्टेट जो सेकंड स्टेज था ठीक है दूसरा वर्ग स्टेटमेंट कि आपसे वर्ग भी बोल सकते हैं आप इसको कि यह प्रथम वर्ग है है और उसके बाद आता है द्वितीय व समाज का दूसरा वर्ग जो था वह थक कुलीन या सामंतों का इन्हें भी कर लगाने का अधिकार था और कर्ज से मुक्ति इन्हें भी दी गई थी मतलब इनको भी टैक्स लगाने का अधिकार था लेकिन यह टैक्स चुकाते नहीं थे यह वह वर्ग है जो विशेषाधिकार वर्ग मे है इस वर्ग के जो लोग थे यह उच्च प्रशासनिक पदों पर तेजी से भारत में टॉप टेन आईएएस आईपीएस जैसे बड़े बड़े पद तो कुलीन वर्ग के लोग बड़े-बड़े प्रशासनिक पदों पर नियुक्त किए जाते थे आगे समझ में तो कुल इन वर्गों के पास में भी विशेष अधिकार थे इनको भी टैक्स नहीं देना पड़ता था मतलब यह उल्टा है भारत में जिसे आज क्या होता है आज हमारे देश में आप देखोगे कौन देता है जो टैक्स देने के लायक होता है जिसकी आय होती है टैक्स के जैसी जो ज्यादा कमाता है वह टैक्स देता है और गरीब को टैक्स से मुक्ति है ना इसका उल्टा था फ्रांस में गरीबों को टैक्स देना पड़ता था जिनकी आइए अब प्रॉब्लम है वह टैक्स देते थे और जिनकी आय ज्यादा है जो संपन्न है जो ध्वनि है जो टेक्सचर देख सकते हैं जिनके पास खूब सारा पैसा है एक्स्ट्रा पैसा है वह नहीं देते थे अब इतनी सी बात से समझ में आ जाएगा कि क्रांति नहीं होगी तो क्या होगा तुम उन लोगों से टैक्स ले रहे हो जो टैक्स चुकाने की ताकत नहीं रखते और तुम उन लोगों को टैक्स से छूट दे रहे हो जिनसे टैक्स लेना चाहिए टैक्स देने के लिए तो यही है जिनके पास दुनिया भर का पैसा है इन पादरियों के पास में स्कूल इन वर्गों के पास में बहुत सारा पैसा है लेकिन इनसे टैक्स नहीं लिया जा रहा है इनको दुनिया भर के विशेषाधिकार दे रखे हैं आगे समझ में कि नहीं है और इसके बाद यह तो दो स्ट्रेट हो गए पहला वर्ग तथा पहला एस्टेट था पादरी जो दो भागों में बंटा था उच्च और निम्न दूसरा वर्ग एक कुलीन या सामंत का यह भी दो भागों में बंटा हुआ है उच्च और निम्न इसमें कौन लोग हैं इसमें भी वह लोग यह बड़े-बड़े पदों पर तो बड़े-बड़े पदों पर नियुक्त होते नौकरशाह ब्यूरोक्रेट्स तो सारे बड़े-बड़े पदों पर नियुक्त होते थे कुलीन वर्ग के लोग सामंत वर्ग के लोग और यह दोनों मिलकर उस बेचारे तीसरे वर्ग का शोषण करते थे जो आम लोगों का था इसमें तीसरा वर्ग जो था हमारा बीच तीसरा टेस्ट आएगा इसका तीसरा टेस्ट यह तीसरा जो वर्ग तथा समाज का वह तथा जनसाधारण का इसमें आप देखेंगे किसान मजदूर ठीक है और यह सारे लोग आ जाएंगे तो जनसाधारण का आम जनता का सबसे ज्यादा मरण किसानों तथा विचारों का किसानों से बहुत ज्यादा कर लिया जाता था मतलब उपज का दो तिहाई तक राजस्व आप देखो टू थर्ड मतलब लगभग छह सात परसेंट तक पर राजस्व देना पड़ता था किसानों को तो बचेगा क्या दो तिहाई तक किसान कर दे देगा तो एक तिहाई में परिवार कैसे पहले का भारत में भी तो अंग्रेजों के आने के बाद किसानों की दुर्दशा इसलिए हुई क्योंकि अंग्रेज बहुत ज्यादा भू-राजस्व वसूलते थे और इससे किसानों की हालत दयनीय होती चली गई इस वर्ग में जो सबसे कमजोर और गरीब लोग हुआ करते थे वह आते थे समाज के सबसे निचले वर्ग के लोग थे और इसमें 1 मध्यम वर्ग भी छान लें इसे बुर्जुआ वर्ग कहते हैं शिक्षक हो गए लेखक हो गए पत्रकार कभी डॉक्टर व्यापारी यह सारे लोग इस वर्ग में आते थे अब इसमें यह जो मध्यमवर्ग है ना यह थोड़ा संपन्नता मतलब इसके पास पैसे की कमी नहीं है क्योंकि व्यापार वगैरह इसको अच्छी आय होती थी लेकिन यह भी दुखी था इनसे जब जगह-जगह हर बार जगह-जगह पैसा लिया जाता टैक्स लिया जाता ठीक है इनसे हर एक चीज का टैक्स वसूला जाता था तो इनको भी टैक्स देना पड़ता था फिर व्यापार यह मुक्त व्यापार जैसा चाहते हैं खुला वातावरण वह नहीं था तो व्यापारी वर्ग भी जो था वह व्यापारी वर्ग के पास पैसा था कि और मजदूरों की तुलना में यह वर्ग थोड़ा सा आजा अच्छा था संपन्न न था लेकिन यह भी दुखता और यह विश्रांति चाहता था और इसी वर्ग में नेतृत्व दिया सबसे बड़ी बात क्या है इस क्रांति को नेतृत्व देने का काम इसी वर्ग ने किया तो अगर आप फ्रांस की क्रांति समझना चाहते हो कि आखिर फ्रांस में क्रांति क्यों हुई तो फ्रांस में क्रांति अपने ही राज्य के खिलाफ उचित तो क्यों हुई थी क्योंकि समाज में सबसे ही जो क्रांति है ना यह कुछ भी नहीं है यह सिर्फ उस अन्याय का विरोध था जो उनके साथ हो रहा था अध्याय कब तक सहेगा इंसान एक समय के बाद तो विरोध होगा ना तो यह जो अन्याय लगाता इन लोगों के साथ हो रहा था इसको लेकर इन्होंने क्रांति की थी आर्थिक रूप से व्यापारी वर्ग संपन्न तथा मध्यम वर्ग संपन्न था लेकिन सामाजिक दृष्टि से तो यह भी असंतुष्ट था अब ऐसे देखो ऐसा होता है कि मान लीजिए कि हम यह मानते हैं हमारे यहां कि जिस व्यक्ति के पास पैसा होता है समाज में जिस व्यक्ति के अच्छी आय होती है ठीक है जिसके पास गाड़ी बंगला वगैरह सब होता है तो वह उम्मीद करता है कि समाज में उसकी प्रतिष्ठा होगी उसको आदर सम्मान दिया जाएगा इस वर्ग के साथ क्या दिक्कत ठीक है इसके पास पैसा तथा व्यापारी वर्ग वगैरह संपन्न था लेकिन सामाजिक रूप से इनकी स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी जैसे हम देख लेना बाकी के जो दो वर्ग मैंने आपको बता कॉल एक पादरी ई ए चर्च वाला और दूसरा कुलीन वर्ग उनको समाज में एक विशेष अधिकार दिया गया था उनको समाज में अच्छी प्रतिष्ठा थी सम्मान था तो सामाजिक स्थिति जो उनकी बहुत अच्छी थी इस वर्ग के साथ समस्या यह थी कि पैसा होते हुए भी इस वर्ग को अच्छी सामाजिक स्थिति नहीं दी गई तो यह आर्थिक रूप से अब यह जो जनसाधारण है यह तो आर्थिक रूप से भी दिक्कत में यह आर्थिक रूप से भी परेशान है लेकिन मध्यम वर्ग ऐसा था जिसे डॉक्टर के पास तो पैसा होता है व्यापारी के पास तो पैसा होता है ले एक पत्रकार भी नॉर्मली पैसे वाले होते हैं तो आर्थिक रूप से तो इनके पास में पैसा था लेकिन जैसा कि मैंने आपको बताया कि तीसरे वर्ग में आते थे यह तृतीय स्टेट में आते थे तो इनके सामाजिक स्थिति अच्छी नहीं थी आ गया समझ में आ इन सबको समझ में आया है ए क्लियर हुआ फ्रांस की क्रांति को समझने से आपको जवाब समझना चाहते हैं तो शुरुआत यहीं से हुई थी कि फ्रांस में क्या उस समय की व्यवस्था किया था तो मैं आपको फिर शॉर्ट में बता रहा हूं कि तीन वर्गों में पूरा समाधान तीन वर्गों में बंटा था इसको आप क्लास बोल पास क्लास सेकंड क्लास थर्ड क्लास तो जो फर्स्ट क्लास के लोग से यह पद रिक्त थे चर्च वाले धार्मिक लोग थे जो खूब विलासी थे खूब संपन्न हुए थे खूब पैसा खान के पास ठीक है इनको टैक्स लगाने का अधिकार है लेकिन टैक्स नहीं चूकते थे तो उनके पास विशेष अधिकार था दूसरा वर्ग मैंने आपको बताया कुलीन वर्ग यह सेकंड क्लास था इसके पास भी संपन्नता थी इसके पास भी टैक्स लगाने का अधिकार था पर यह भी टैक्स नहीं चुका था ठीक है इसमें मैंने बताया ब्यूरोक्रेट्स नौकरशाह उच्च पदों पर व्यक्ति थे वह मेह इन दोनों क्लास के बाद थर्ड क्लास जो तीसरा वर्ग यह थर्ड स्ट्रेट जो था वह तथा जनसाधारण का जिसमें किसान मजदूर जैसे जाण भी आते थे और जिसमें व्यापारी शिक्षक लेखक पत्रकार कवि डॉ जैसे कुछ चीजें बुर्जुआ वर्ग के मध्यम वर्ग के लोग भी आते थे तो इसमें सबसे बड़ी समस्या क्या थी समस्या यह थी कि इन तीनों वर्गो में बहुत ज्यादा भेज भाव पहले जो दो वर्ग मैंने आपको बताया 22 स्टेट बताए वह टैक्स भी नहीं देता था यह मैंने आपको पहले ही बोल दिया आप दूसरा उनकी सामाजिक स्थिति काफी अच्छी हुआ करती थी ठीक है इन लोगों के साथ क्या दिक्कत थी इनके पास कोई विशेष अधिकार नहीं था इनको टैक्स देना पड़ता था समाज में टैक्स देने के बाद भी इनकी इज्जत नहीं थी मीणा ठीक है को विशेष अधिकार जो दिया गया था बाकी के दो वर्गों को उसका उसने विरोध किया यह उस विरोध में था कि आप ऐसा भेदभाव कैसे कर सकते हैं समाज में क्योंकि हम भी फ्रांस के नागरिक है और बल्कि नागरिक हम तो टैक्स देते हैं इनके टैक्स से ही तो सब को पैसा मिलता था देश चलता था इनके टैक्स से इनके पैसों से राजा के पास जो भोग विलास राजा करता था वहीं के पैसों से करता था ऊपर के दो वर्ग जो मजे मार रहे थे वह इसके पैसे से मार रहे थे और यही वर्ग भी सारा परेशान ठीक है तो इस वर्ग ने इसका विरोध किया और दूसरा यह समानता चाहता है यह लोग चाहते थे कि आप सबको समानता दी जाए सबको बराबरी जाए तो फ्रांस में धीरे-धीरे क्योंकि मैंने आपसे कहा कि व्यवस्था और बिगड़ी अब हम धीरे-धीरे जाएंगे कि क्रांति का तात्कालिक कारण यह क्रांति क्यों हुई थी तो मैंने आपको पहले बता दिया के लिए सिक्सी उस समय फ्रांस का शासक था हुई 16वीं और उससे पहले 250 था तो हुई 1520 क्विक काल में फ्रांस में आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा दिवालियापन के कगार पर पहुंच गए कारण मैंने आपको बताया लुई 15वें के काल में सप्तवर्षीय युद्ध हुआ था ब्रिटेन के साथ फ्रांस 7 सालों तक लड़ता है 1756 से 1763 तक इससे ब्रिटेन जीत गया उसको युद्ध में और फ्रांस को बहुत नुकसान हुआ उसके बाद जो है सोल्वे के काल में इन्होंने फटे में टांग अड़ाई उस दिन मैंने आपसे कहा था बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना लड़ाई थी अमेरिका और ब्रिटेन की लेकिन इस बीच में कूदा और फ्रांस ने अमेरिकी क्रांति में अमेरिका का सहयोग किया क्योंकि वह चाहता था कि अमेरिका अलग हो जाए तो इस भलाई करने के चक्कर में समाज सेवा के चक्कर में फ्रांस का दिवालिया निकल गया फ्रांस की सरकार के पास पैसे खत्म हो गए लेकिन यह कितना की रस्सी जल गई पर बल नही गया ऐसी कोई स्थिति दिखाई देती है कि फ्रांस में हालत खराब ट्रांस की सरकार wi-fi को मोहताज है लेकिन उनके शौक में उनके रुतबे में उनके रहन-सहन में उनके खर्चे में कोई कमी नहीं आ रही ऐसे में भी फ़्रांस के शासक और उसकी पत्नी और यह सभी लोग उसी तरीके से विलासिता का जीवन जी रहे हैं उसी तरीके से यह जो है पैसा खूब सदा अपने अय्याशियों पर अपने ऐशो आराम पर उड़ा रहे हैं तो यह लोग अभी भी वैसे ही रहें और पिस कौन रहा है यह आम जनता आगे समझ में आ मेरे प्रिय है तो ऐसे में इस वर्ग ने विरोध किया और इस वर्ग का साथ दिया इस स्वयंवर घने और साथ में जो निम्न पादरी मैंने आपको बताया कि जो बेचारे आम जनता की तरह थे जिनके पास पैसा नहीं था वह एक साधारण व्यक्ति थे उन निम्न पादरियों ने भी इसका विरोध किया और क्रांति में साथ दिया इस तरीके से यह बैकग्राउंड था यह अधिकार विहीन वर्ग था और वह विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग आज हम भारत में देखे अनुच्छेद 14 पड़ते हैं अनुच्छेद 14 में आप देखते हैं समता का अधिकार दिखाई देता है तो समता के अधिकार में हम क्या कहते कि किसी वर्ग के पक्ष में भारत में कोई विशेष अधिकार है क्या भारत में किसी भी वर्ग के पक्ष में कोई विशेषाधिकार नहीं है और यही भारत में न्याय की आधारशिला रखता है सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय क्योंकि सब बराबर हमारे देश में अगर हर एक चीज में वोट डालने की बात करें तो भारत में कोई भी व्यक्ति चाहे वह राष्ट्रपति से लेकर गरीब से गरीब आदमियों एक ही वोट डाल सकता है थे और उनके वोट का मूल्य भी बराबर है ऐसा नहीं कि राष्ट्रपति का बोर्ड में उसका ज्यादा मूल्य होगा आम आदमी के वोट का मूल्य कम होगा तो भारत मैं आपको राजनीतिक न्याय मिलेगा सामाजिक न्याय मिलेगा हमारा संविधान उपाधियों का अंत करता है हमारा संविधान में छूआछूत अनटचेबिलिटी शांत करता है तो हमारे संविधान में हर तरीके से समानता की स्थापना की गई लेकिन फ्रांस की समस्या अलग थी उल्टी की व्यवस्था यह बिल्कुल सामाजिक न्याय नहीं था पूरा अन्याय दिखाई देगा आपको सामाजिक-आर्थिक हम तरीके का न्याय दिखाई देगा हमारी सरकार क्या करती है हमारी सरकार जो है वह अमीरों से टैक्स लेकर गरीबों को देती है गरीबों के कल्याण में गरीबों के लिए योजनाओं के लिए चलाती है गरीबों के लिए ठीक है शिक्षा स्वास्थ्य आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करती है इससे लेती है जो दे सकते हैं समाज में फ्रांस को उल्टी गंगा बह रही है उल्टी गंगा कैसे बह रही है कि जो नीचे वर्ग के तो गरीब लोग हैं तरीकों से टेक्स लेकर गरीबों का खून चूस-चूस के और अमीरों को संपन्न किया जा रहा है और क्या ऐसी व्यवस्था चल सकती कुछ नहीं चल सकती आपको पता है अब यहां यही वह अब देखो पुरातन व्यवस्था भी फ्रांस में पुरातन व्यवस्था मौजूद थी इसको पुरातन कहा जाता है क्योंकि पहले से ही चली आ रही थी इसमें राजनीतिक स्तर पर निरंकुश राज्यतंत्र की उपस्थिति थी यह निरंकुश राज्यतंत्र मैंने आपसे कहा कि लुई फोर्टीन के काल में और बढ़ गया 215 के काल में उसने पूरी की पूरी शक्तियां अपने में समेट ली और खुद को राज्य घोषित कर दिया और यह सब कुछ चल रहा था इन कुलीन और सामंतों के माध्यम से तो इसीलिए यह दो वर्ग ऊपर के मलाई खा रहे थे ठीक है है तो यह दो जो वर्ग थे एक तो राधा चर्च वाला और दूसरा यह कुलीन और सामंत वाला यह दोनों एस्टेट आराम से जो है मजे से रहते थे इस तरह नौकरशाही पुलिंदा पर आधारित थी जहां सामंत और कुलीन जनता का शोषण कर रहे थे और यह शब्द आप ध्यान से देखो शोषण जहां कहीं भी जहां कहीं भी किसी भी प्रकार का शोषण होगा ना वहां क्रांति होगी शोषण अन्याय का प्रतीक होता है जब कभी भी जहां भी कैसा भी शोषण चाय सामाजिक शोषण हो आर्थिक शोषण हो किसी भी तरह का शोषण यदि आपको दिखाई देगा तो वहां पर कभी भी ना तो समानता आ सकती है और ना वहां कभी शांति रह सकती है ठीक है अब यह जो के शोषण होता है तो जनता दुखी होती है और जब जनता दुखी होती उसके मन में विरोध के स्वर आने लगते हैं ठीक है फिर वह क्रांति की भावना उसके अंदर धीरे-धीरे पैदा होने लगती है ऐसे ही थोड़ी भारत के संविधान में एक मौलिक यहां पर आपको दिया शोषण के विरुद्ध अधिकार फंडामेंटल राइट है पर भारत में इस तरीके से शोषण नहीं हो सकता क्योंकि अगर शोषण होगा तो देश में कभी भी शांति नहीं हो सकती फिर कई लोग उस अन्याय से जैसे आज नक्सलवाद की बात करते हैं नक्सलवाद किसी भी तरीके से सही नहीं और मैं कभी नक्सलवाद का समर्थन नहीं करता हूं क्योंकि हमारे कई सारे सैनिकों को कई सारे हमारे वीर जवानों की हत्या का वह कारण बनता है हर साल और आम जनता भी उसे परेशान है देश में भी इससे कई सारे नुकसान होता है लेकिन इतना तो आप भी जानते हो कि नक्सलवाद पैदा क्यों हुआ यह अन्याय नहीं होता है यदि शोषण नहीं होता तो क्या नक्सलवाद आता नक्सलवाद उसी अन्याय के प्रतिरोध से उसकी प्रतिक्रिया में आया हुआ है का आंदोलन था है तो आप अगर अन्याय करोगे शोषण करोगे तो ऐसी चीजें तो आपको आपको मिलेंगे इसे यह तो होगा यह सही और ऐसे में जब यह शोषण कर रहे थे तो आर्थिक दृष्टि से पूरा के पूरा जो कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था थी उसकी नींव हिल गई 80% लोग किसान देखो एक में आपको और बड़ी बात बता देता है अब आपको समझ में आएगा कि वैभव किस लेवल का तनिको मैंने आपसे कहा कि तीन व्यक्ति को समाज के तीन स्टेट हमने अभी देखे इस्टेट फर्स्ट पादरियों वाला स्टेट सेकंड कुलीन वर्ग वाला और स्टेट थर्ड जनसाधारण का यह तीन वर्गों में बंटा तरफ आपको मैं बताऊंगा कि कैसे शोषण हुआ है में आ रही समझ में सोशल कैसे हुआ जरा इसको समझ एक बात ज़रा सा देखो यह जो पहला वर्ग या पादरी वर्ग जनसंख्या में इनकी जनसंख्या एक प्रतिशक यह प्रतिशत यह बस यह 2% है और यह नोटिस 70% अब यहां देखो मतलब की जनसंख्या में 1970 परसेंट भाग जो है वह किसका है तीसरे वर्ग का मैं आपको संपत्ति के बारे में बता दे तो देश की राज्य की 10 पर सेंट संपत्ति इनके पास में है दिख रहा है कि नहीं दिख रहा है आपको यहां पर यह इसको चेंज करते कलर चेंज करते हैं 13 स्टेट है अभी दिख जाएगा आपको एक पहला स्टेट दूसरा कुलीन वर्ग का और तीसरा पात्र यह में जनसाधारण यह जनसंख्या में 1% है यह 2% है और यह नाइंथ स्टैंडर्ड परसेंट है ठीक है अब इसमें देखो इनके पास एक प्रतिशत के पास दस प्रतिशत भूमि संपत्ति इन 2% के पास में 25 प्रतिषत भूमिका और संपत्ति और इस 927 परसेंट के पास में सिक्सटी फाइव परसेंट भूमि और संपत्ति अर्जित समझ में आ यह देखिए यहां जरा ध्यान से देखो जनसंख्या का वह भाग जो पूरे देश की जनसंख्या का सिर्फ एक प्रतिशत लेकिन वह एक परसेंट दस प्रतिशत जमीन पर संपत्ति पर कब्जा करके बैठा है जनसंख्या का दूसरा वर्ग जो कुलीन वर्ग है वह 2% दें बस 2% लोग कुलीन वर्ग में है और इनके पास में 25 प्रतिषत टीके घूमी है संपत्ति व और बचे हुए 927 परसेंट जो जनसाधारण है 1971 के परसेंट के पास में सिक्सटी फाइव परसेंट जमीन है संपत्ति है तो इससे आपको पता चल जाएगा कि शुरुआती दोनों वर्ग के पास में थर्टी फाइव परसेंट संपत्ति है कितनी आगे समझ में अब देखो इससे बड़ा समाज में भेदभाव समझ में नहीं आएगा तो क्या क्या सर यह देखो अपना ही अलग लेवल चला गया वैभव का तीन परसेंट लोगों ने तीन परसेंट लोगों ने 35 प्रतिशत संसाधन यहां पर कब्जा करके रखा हुआ है आ गया समझ में कि नहीं नहीं आया तो बताओ जल्दी फटाफट आ गया समझ में मैंने क्या आपको बताया इस समय समाज के तीन प्रतिशत जैसे आप इसको बंटवारा अगर करते हो तो इस बंटवारे के आप देखोगे ना तो यह बंटवारा कितना गलत तरीके से हो चुका है कितना भेदभाव तीन पर से लोगों ने 35 पर सेंट संपत्ति पर कब्जा कर रखा है और बचे हुए 197 परसेंट के पास बचे हुए 90 पर सेंट के पास में सिक्सटी फाइव परसेंट है ए क्लियर अब आ गया समझ में आ है जैसे शो लोग हैं और उनमें ₹100 बांटना हो तो आपने तीन लोगों को 35 रुपए दे दिए मतलब तीन लोगों को 35 रुपए दे दिए और बचे हुए 927 लोगों को आपने rs.65 गया अब 197 97 लोग rs.65 को आपस में कैसे बाटेंगे और एक तरफ आपने तीन लोगों के rs.35 बांट दिया है कि इसके बाद तो क्रांति होगी ना कि आज भारत में भी तो आर्थिक असमानता है हमारे देश में भी तो देश का एक बहुत बड़ा जो संपत्ति है जो संसाधन है वह कुछ लोगों के हाथों में कुछ लोगों के पास में प्रदेश के एक बहुत बड़ी आबादी है जनसंख्या है जिसके पास में बिल्कुल भी संसाधन नहीं और संसाधन थोड़ी खाने को भी पर्याप्त नहीं है को लॉक डाउन में ऐसे लोगों की हालत खराब हुई थी क्योंकि लॉन्ग गाउन में उन लोगों के पास जिनके पास संपत्ति है जिनके पास पैसा है वह आराम से जो ए उसने घर में अपना जो है पकोड़े चलते हुए पकोड़े खाते हुए नई नई डिश खाते हुए अपना टाइम पास करते रहे थे कि उन्होंने जैसे-तैसे लोटन को छुट्टियों की तरफ बता दिया और दूसरी तरफ एक वर्ग ऐसा भी था जिसके माथे पर शिकन थी मीणा क्योंकि उस को यह चिंता सता रही थी कि आने वाले समय में घर कैसे चलेगा आईडी बंद हो गई कई लोगों के पास तो थोड़ा-बहुत सेविंग्स तो वहीं सेविंग खत्म हो गई कई लोगों के पास से विनती ही नहीं तो ऐसे लोगों के साथ ज्यादा समस्या हुई थी यही होता है और समानता के कारण अब इस प्रकार की व्यवस्था से क्या हुआ उत्पादन में कमी परिवहन सुविधाओं में कमी और कुशल वित्तीय संस्थाएं मौजूद थीं और सामाजिक स्तर पर कई तरह का वर्ग विभाजित समाज मौजूद था यह उस समय का फ्रांस का समाज है ऑन करो अच्छा ठीक है है जिसमें सामंत कुलीन और पादरी यह जो एक वर्ग यह था कि एक वर्ग यह था और दूसरा वर्ग यह इनको विशेष अधिकार दिए गए थे जब तक यह लोग टैक्स नहीं देते थे यह लोग टैक्स नहीं देते थे इनको टैक्स से छूट दी गई थी मुक्ति दी गई थी लेकिन यहां इन लोगों को टैक्स ना पर जनसाधारण जो था बेचारा जो टैक्स देता था वह अधिकारविहीन था और इसके साथ में धार्मिक चर्च व्यवस्था धार्मिक कर्मकांड और शोषण की प्रवृत्तियां मीण तो जो चर्च थी ना वितरण व्यवस्था थी वह धार्मिक कर्मकांडों और शोषण की प्रवृत्तियों से युक्त थी तो एक तरफ तो इन्होंने उस वर्ग को अधिकार भी नहीं दिए और दूसरा उसने उस वर्ग का क्या किया शोषण भी किया इस तरह यूरोप एक कमजोर संरचना से युक्त था यह दुर्बलता फ्रांस में मुख्य रुप से मौजूद थी तो फ्रांस में इसकी हालत सबसे ज्यादा खराब थी तो साथ ही इस कमजोरियों को उजागर करने वाला मध्यवर्ग अभी यहां मौजूद था इसी लिए यूरोप में सर्वप्रथम शुभेच्छुक फ्रांस में अब आपसे क्वेश्चन पूछा जा सकता है कि यूरोप में और विदेशों में राजतंत्र था और विदेशों में यही शासन था लगभग ऐसी स्थिति बल्कि कई जगह तो और ज्यादा खराब स्थिति थी लेकिन क्रांति सबसे पहले फ्रांस में ही क्यों हुई तो क्वेश्चन यह बनता है कि सबसे पहले अब आया समझ में सबसे पहले क्वेश्चन यह क्रांति फ्रांस में क्यों युद्ध फ्रांस में क्रांति होने का कारण यह है कि फ्रांस का जो राज्यतंत्र जो राजा था वह बहुत ज्यादा बहुत ज्यादा हम कहेंगे कि जनता से दूर हो चुका था उसको फर्क ही नहीं पड़ रहा था जनता पर क्या बीत रही है और वह उसी तरीके से कठोरता से शासन कर रहा था पूरी तरीके से उसको जनता की पीड़ा से दुखों से कोई लेना-देना नहीं था ठीक है तो एक तरफ तो शासन में बहुत सारी कमियां थी मैंने आपसे कहा कि वह उसकी जो पत्नी थी मीणा इनको शासन के बारे में तो कोई ज्ञान का ना अनुभव था शासन चलाने का नयोगिता थी लेकिन बस एक चीज जानते थे और वह था आराम और ऐशो-आराम और विलासिता के जीवन जीना यहां तक कि एक ऐसा दृष्टांत है हास्यास्पद कि जब लोग रोटी मांगने के लिए गए थे तो फ्रांस की जो महारानी हुआ करती थी उस समय उसको बिल्कुल लोगों के बारे में कुछ पता नहीं था यह पता चलता है कैसे कि जब लोग रोटी मांगने गए कि फ्रांस की महारानी ने पूछा कि इनको क्या दिक्कत है तो उनको बताया गया कि यह रोटी मांगने आए हैं इनको रोटी चाहिए तो उन्होंने कहा कि रोटी यह तो के लोगों के क्यों नहीं सकते यह फ्रांस की महारानी का स्टेटमेंट है कि अगर यह के पास रोटी यह तो यह के क्यों नहीं खाने से मतलब इससे आपको पता चलेगा कि उसको कितना नॉलेज था लोगों के बारे में जनता के बारे में उनकी स्थिति के बारे में कुछ नहीं जानते थे कि लोग कितने तकलीफों में जिन्हें जो आदमी रोटी नहीं बिगाड़ सकता वहां कहां से लेकर आया और वह ऑप्शन दे रही है कि रोटी यह तो गेम खेलो अब समझ में आ रहा आपको इससे ज्यादा हंसने वाली बात नहीं हो सकती है या गलत यह समय फ्रांस की शासक वर्ग की और वह लगातार वैसे जी रहा है उसकी कोई कमी नहीं हो रही हूं किस प्रकार की खर्चे में तो उसकी लाइफ स्टाइल वैसी चल रही है कि आगे समझ में तो एक तरफ तो फ्रांस में एक कमज़ोर संरचना थी बहुत ज्यादा यूरोप के दूसरे देशों में भी वह तो हालांकि लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि फ्रांस में इन कमजोरियों को सामने वाले सामने लाने वाले कुछ लोग ठीक हैं है अरे समझ में आ झाल साम्राज्य में ऐसे लोग भी थे जो कि पढ़े-लिखे समझदार थे या जिनको हम कहेंगे जागरूक से तो ऐसे विचारकों ने क्या किया इसको ज्यादा बेहतर तरीके से उजागर किया और इसी मध्यम वर्ग में फ्रांस की क्रांति का नेतृत्व किया इसीलिए सबसे पहले क्रांति फ्रांस में है अजय को अच्छा ठीक है क्लियर कि यह फ्रांस की क्रांति के कुछ चीजें आपको समझ में आ गए हुए कारण क्या रहे हैं फ्रांस की क्रांति के अब देखो कारण या उत्तर का यह तो बैकग्राउंड हो गया अब हम कारण पर बात करें सबसे पहले राजनीतिक कारण था सांस में लुई चौदहवें हुई प्रोटीन के समय से निरंकुश राज्यतंत्र था जो मैंने आपको बताया था और यह आधारित दैवीय सिद्धांत पर देवी सिद्धांत मतलब कि राजा जो है राजा ईश्वर का प्रतीक है उसमें दैवीय शक्तियां हैं और जो राजा कहेगा वही कानून है मतलब राजा की बात को टाला नहीं जा सकता जैसे आज का होता है हमारे यह सरकार अगर कोई कानून बनाएं और वह कानूनी यदि गलत है तो उसका विरोध किया जाता है उस कानून को रद्द भी करवाया जाता है हटाया भी जा सकता है लेकिन साइंस में उल्टा था ताकि इसमें राजा का देवी सिद्धांत पर चल रहा था इसे भारत में भी प्राचीन काल में ऐसे ही था प्राचीन काल में हमारे राजाओं ने भी अपने आपको देवी अंश या उनका दूध साबित करने की कोशिश की ये रा में देवत्व हमारे अभी पाया जाता है कई लोगों ने अपने आपको देवपुत्र जैसा अपने देवपुत्र के उपाध्यक्ष सुनील जो कुषाणों ने देवपुत्र की उपाधि धारण की अशोक अपने आप को देवताओं का प्रिय रहता है इसके अलावा हमारे यहां कई सारे यज्ञ वगैरह किए जाते हैं आपको पता बड़ी उपाधि राज्यों झारखंड की राजस्व यज्ञ दुनिया भर के यज्ञ किए जाते थे इसलिए कि राजा को दिव्य शक्तियां है ऐसी उनकी जनता में यह मैसेज जाना चाहिए यह बात फैल जानी चाहिए तभी तो वह इसके शासन को स्वीकार करेंगे और राजा की बात टाल नहीं सकते यह बात अगर आपके मन में अभी तो राजाओं कुछ भी करेगा तो सही लगेगा इसीलिए निरंकुश राज्यतंत्र इतना चल जाया करते थे निरंकुश राज्यतंत्र के चलने का सबसे बड़ा कारण यह था जनता के मन में यह बात डाल दो पीएसी राजा जो यह स्वयं देवता है यह भगवान है आपके लिए यह प्रजा आप इसकी प्रजा हो और यह आपका भगवान है है तो देवी सिद्धांत पर आधारित था जहां राजा की इच्छा ही कानून की जैसा कि मैंने आपसे कहा कि हुई चाहे तो अपने आप को घोषित कर दिया कि मैं ही राज्य हूं ठीक है मैं ही राज्य हूं किंतु हुई फोर्टीन के बाद में फ्रांस के जो शासक थे सूफीस और हुई 16वीं जो उत्तराधिकारी थे वह अयोग्य थे वह विलासी थे समझ में आया है कि यह राजतंत्र जन समस्याओं की समझ नहीं रखता जो मैंने अभी आपको एक बहुत बढ़िया एग्जांपल दिया था महारानी का कि जिसको समझ में ही नहीं आया कि जनता की समस्या क्या है ठीक है उसको लगा कि उनके पास रोटी नहीं है तो यह के क्यों नहीं खेले थे इससे पता चलता है कि जन समस्याओं की समझ है इनको थी नहीं यह जनसंवेदना से बहुत दूर थे राज्य में कानून की एकरूपता नहीं की और इसलिए जन कठिनाइयां बढ़ रही थी और जनता इस निरंकुश शासन से असंतुष्ट थी हर तरफ मनमानी राजा मनमानी कर रहा है राजा के नौकर मनमानी कर रहे हैं राज्य के प्रशासनिक वर्ग के लोग व मनमानी कर रहे हैं चर्च के पादरी मनमानी कर रहे हैं हर तरफ लोग निरंकुशता फैला रहे हैं ऐसे में जनता जाए तो जाए कहां है है तो लोगों ने मांग की समानता की लोगों ने मांग कि सब में सुधार की लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई सांसद का समाज के विभिन्न वर्गों में जैसा कि मैंने कुदरत इन वर्गों में बंटा था और यह विषमतामूलक था एक होता है समतामूलक जहां समाज में सभी लोगों को बराबर-बराबर अधिकार होते हैं यह पूरी तरीके से विषमतामूलक समाज था और यह समाज विशेषाधिकार वर्ग एक तो पादरी और कुली यह दोनों स्टेट को विशेष अधिकार थे और दूसरा वर्ग जो थर्ड स्टेज था तीसरा स्टेट वह अधिकारविहीन जिसमें किसान था मजदूर था मध्यमवर्ग था यह तीसरा स्टेट तो यह समाज तीन भागों में बंटा हुआ था अभी तक आपको समझ में आ गया होगा ना यह देखो इसमें आप में से कई लोग ऐसे होंगे जिन्होंने अभी शुरुआत क्योंकि जिनको बिल्कुल भी वर्ल्ड इस पर का कोई आईडिया नहीं है बसों में सुना होगा फ्रांस की क्रांति इसके बाद उनको कुछ नहीं पता तो यह सेक्शन चल रहा है ना यह मैं आपको इसी तरीके से बता रहा हूं ताकि आपको अगर एकदम बिल्कुल बेसिक नहीं है तो बेसिक से भी आपको समझ में आ जाएगा अगर आपने पढ़ रखा है तो आपका रिवीजन हो जाएगा और अगर कुछ छूटा हुआ तो वह कवर हो जाएगा इसमें एक तीन तरीके से पटा हुआ है और यह फ्रांस का समाज विभिन्न एस्टेट में बंटा था जहां पहले स्टेट में पादरी दूसरे में कूलिंग और तीसरे में कौन थे जो विशेष अधिकार संयुक्त और तीसरे में जनसाधारण था पादरी और सामंतों के अधिक भूमि का बड़ा हिस्सा मौजूद था जो मैंने आपसे कहा कि जनसंख्या तक तीन प्रतिशत थे और इनके पास 35 प्रतिशत भूमि थी तो तीन प्रतिशत जनसंख्या ने थर्टी फाइव परसेंट 35 प्रतिशत भूमि को क्या कर रखा था कि प्रतिशत भूमि पर कब्जा कर रखा था कुलियों को राज्य के विभिन्न पदों पर नियुक्त किया जाता तो इनके यह एक प्रकार से विशेषाधिकार में यह भी था कि जो बड़े-बड़े पद थे वह सारे उन दिनों के लिए छोटे वर्ग के लोगों को जनसाधारण को इन पदों पर नियुक्त नहीं किया जाता था यह वंशानुगत थे उन पर पर एक व्यक्ति जो बड़े पद पर है तो कुलीन वर्ग में तो उसका बेटा भी कुलीन वर्ग में आएगा वह भी बड़े पद पर जाएगा तो इन्होंने पूरे तरीके से कब्जा करके रखें इस तरह यह फ्रांस के शोषक वर्ग के रूप में मौजूद थे अब आता है तीसरा स्टेट जो राज्य की बहुसंख्यक जनता थी मैंने आपको काम 927 परसेंट जनता यही थी है जिसमें किसान मजदूर और मध्य वर्ग के लोग लेखक वकील शिक्षक व्यापारी पत्रकार कवि डॉक्टर यह सब थे यह अधिकार विहीन वर्ग था इस वर्ग को आप देखोगे तो आपको यह दिखेगा कि तीन पर से लोग तीन परसेंट लोग 197 परसेंट पर राज कर रहे हैं ऐसे दिखेगा आपको अगर मैं जनसंख्या में बांटो तो तीनों वर्ग की जनसंख्या क्या है पहले वर्ग की एक परसेंट दूसरे वर्ग के दो परसेंट तो तीन परसेंट लोगों ने 1974 सेंड लोगों पर रोए अधिकार कर रखा है यह उनका शोषण करते हैं और इसीलिए 197 परसेंट जब इकट्ठा हुआ तो फिर इन की एक नहीं चली आ हैं इसमें मौजूद मध्यवर्ग आर्थिक रूप से सक्षम था लेकिन सामाजिक स्तर पर जगह-जगह अपमान का सामना करना पड़ता था ठीक है यह वैसा था याद करो महात्मा गांधी जब अफ्रिका में गए तो महात्मा गांधी जब ट्रेन में सफर कर रहे थे आपने पढ़ा होगा कि बात उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था वैसे थोड़ी क्यों ऐसे उस डब्बे में चढ़ गए थे बिना टिकिट के यह वह विदाउट घूम रहे थे उसमें वह खरीद नहीं सकते थे फर्स्ट क्लास का टिकट था उनके पास मुफ्त में को सफर कर रहे थे और जब टीटी आया तो उस टिकट चेकर ने उनका टिकट देखकर बोला कि आप यहां नहीं बैठ सकते और उन्हें समझ में नहीं आया तू नहीं बैठ सकता मेरे पास को फस्र्ट क्लास का टिकट मेरा पूरा अधिकार है उसने कहा कि फर्स्ट क्लास का टिकट होगा तो जब मेरा लेकिन बैठो थर्ड क्लास में ध्यान नहीं बैठ सकते हैं आप तो टिकट फर्स्ट क्लास का होने के बाद भी आपके साथ जब थर्ड क्लास जैसा व्यवहार किया जाता है तो वह बुरा लगता है इस वर्ग में कुछ ऐसे लोग थे जो संपन्न अच्छे है कि जिनके पास पैसों की कमी नहीं थी लेकिन उनके साथ भी अपमान का व्यवहार किया जाता था तो उसको भी एक प्रकार से पीड़ा थी और वह इस विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग से ठीक है इर्ष्या रखता था उस विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग से विरोध करता था उसका कि हमें ऐसे ऐसा सम्मान क्यों नहीं दिया जाता हमें इसे अधिकार क्यों नहीं दिए जाते क्योंकि हमारे पास भी तो पैसा है ठीक है तो यह ऐसी ही व्यवस्था थी जिसको लेकर आप समझ रहे होंगे कि उनके मन में भी क्या चल रहा था तो आता है या अपने निम्न सामाजिक स्थिति से असंतुष्ट था और यह चाहता था क्या समानता इसीलिए वहां क्रांति का नेतृत्व करता भी यही मध्यमवर्ग बना इसी मध्यवर्ग ने क्योंकि आम व्यक्ति भले ही कितना दुखी हूं लेकिन उसके पास में पैसा कुड़ी नहीं होता संसाधन नहीं होता तो वह इतना ज्यादा अच्छी नहीं कर पाता क्रांति वगैरह इस वर्ग के पास पैसा था तो इसने हर तरीके से क्रांति में सहयोग किया और नेतृत्व किया यह कहा जाता है कि फ्रांस की क्रांति गरीबी के कारण नहीं संपन्नता के कारण हुई थी तो साथ ही यह भी कहा गया कि फ्रांस की क्रांति स्वतंत्रता के लिए नहीं समानता के लिए हुई थी अब यहां देखिए एक स्टेटमेंट आपको मिलेगा कि फ्रांस की क्रांति की अच्छा ठीक है फ्रांस की क्रांति के बारे में मैं आपको बता दूं कि इस क्रांति को लेकर यह बोला जाता है कि अमेरिका की क्रांति स्वतंत्रता के लिए थी आजादी के लिए थी फ्रांस की क्रांति आजादी के लिए नहीं थी फ्रांस की क्रांति स्वतंत्रता की जगह समान तक इसलिए आपको दोनों क्रांतियों के नारे भी अलग दिखेंगे अमेरिकी क्रांति का नारा क्या प्रतिनिधित्व नहीं तो करने सांस्कृतिक क्रांति का नारा क्या स्वतंत्रता समानता बंधुत्व है ना तो इन्हें समानता चाहिए तो इनकी क्रांति का स्वरूप भी वैसा है अमेरिका को स्वतंत्रता चाहिए थी आजादी चाहिए थी समानता नहीं चाहिए थी तो उसका आवे स स्वरूप आपको दिखाई देगा तो अलग-अलग दोनों क्रांतियों की तुलना करें तो दोनों के लक्ष्य अलग दोनों के उद्देश्य से अलग दोनों के नारे अलग यही तो फर्क है इन दोनों में तो यह कोई आजादी के लिए नहीं हुई थी यह तो सलमान तक क्विक गरीबी के कारण नहीं हुई थी संपन्नता के कारण जो लोग संपन्नता है और उनको समाज में सही उचित स्थान नहीं दिया गया था वह इस क्रांति के ध्वज वाहक बने थे अच्छा ठीक है है अर्थात तीसरे स्टेट में मौजूद जनसाधारण समानता की चाहत रखता था तो तीसरे वर्ग वाला व्यक्ति दूसरे वर्ग के लोग चाहते थे समानता मध्यमवर्ग विभिन्न प्रशासनिक नियुक्तियों में योग्यता को आधार बनाना चाहता था तो उस समय नियुक्तियों में भी वैभव जैसा कि मैंने आपसे कहा कि नियुक्तियों में ऐसा का चलता था कि बड़े-बड़े पद कुलीन वर्ग के लिए आरक्षित थे आम जनता को मध्यवर्ग को वहां पर नहीं बिठाया जाता था यह कार्नवालिस की प्रशासनिक नीति की तरह था जिसे कार्नवालिस ने कैसे यूरोपीय सेवा भारतीय सेवा का सिविल सेवा का यूरोपीयकरण किया था सारे बड़े-बड़े पर यूरोपियों के लिए आरक्षित किए गए भारतीयों को बड़े पदों पर नहीं बैठने दिया कार्नवालिस ने हमारी मांगें जाति योग्यता के आधार पर बैठा हुं फिर इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा आयोजित होना शुरू हो गई इनकी मांग थी मध्यम वर्ग की जैसे जनसाधारण सबकी अपनी अपनी मांग होती है क्रांति जो होते ना तो सबके अपने कुछ ना कुछ उसमें मांगे होती है इच्छाएं होती है जनसाधारण वर्ग यह चाहता था कि उसको समानता मिलेगी जो बेचारा बहुत असमानता का जो है वो ठीक है पीड़ित था समानता से दुखी था मध्यम वर्ग की समस्या क्या है मध्यम वर्ग प्रशासनिक नियुक्तियों में योग्यता चाहता था कि हमको भी मौका मिलेगा घर योग्यता आधार बनेगी और साथ ही किसान और मजदूर शोषण से मुक्ति चाहते थे किसानों और मजदूरों को क्या समस्या यह शोषण क्योंकि जो शोषण हो रहा था मैंने भी आपसे कहा कि इन्हीं लोगों से देश चलता था किसान बहुत बड़ी आबादी का जनसंख्या की तो किसानों की उपज का मोटा हिस्सा यह लेते थे अभी मैंने आपसे बात दो तिहाई तक तो किसान जो हुआ था वह सब प्रकार जाते थे और उसी से उतनी संपन्न में बने थे तो किसानों को मजदूरों को शोषण से मुक्ति चाहिए थी इस तरह फ्रांसीसी समाज में वर्गीय तनाव मौजूद था अब आपके सामने क्वेश्चन कैसा बनेगा क्वेश्चन बनेगा कि फ्रांसीसी क्रांति कि मैं ठीक है या वर्ग या तनाव को लेकर क्वेश्चन बने का यह कि फ्रांसीसी क्रांति में वहां मौजूद वर्गीय तनाव ने किस प्रकार से वह फ्रांस की क्रांति का आधार तैयार किया अब इसको आप लिख लो क्वेश्चन लिख लो मैं आपको नोट करवा देता हूं ठीक है क्वेश्चन मैं आपको नोट करवा रहा हूं लिखिए जल्दी से क्वेश्चन लिखो किस प्रकार फ्रांसीसी समाज में मौजूद वर्ग या तनाव ने फ्रांस की क्रांति का आधार तैयार किया किस हद तक किस हद तक फ्रांस की क्रांति में मौजूद वर्ग या तनाव ने फ्रांस की क्रांति का आधार तैयार किया आप लोगों को यह लिखना है आज सख्त जैसा भी आपके मन में जो आपको लिखना तो जो कि मैंने आपको बड़ा समझा दिया है तो अगर आपको नहीं समझ में आ रहा है तो एक बार फिर से देखने का रिकॉर्ड यह पूरा पूरा पूरा सेशन तो आंसर आ जाएगा लिया 18 अच्छी तो इसको टाइप करके कमेंट बॉक्स में भेज दे ताकि सभी लोगों को पता चल जाए क्या है क्वेश्चन किस हद तक प्योर किस प्रकार फ्रांस में मौजूद वर्ग या तनाव ने फ्रांस की क्रांति का आधार तैयार किया या फ्रांस की क्रांति का आधार वहां मौजूद वर्गीय तनाव था समाज का कि लिया लुट लिया आपने क्वेश्चन कि अगर लिख लिया हो तो अच्छी बातें आज तक इसका आंसर लिखिए का यह तो चलिए अब आगे चलते हैं यह तो वे राजनीतिक दशा है इसके बाद आर्थिक रूप से भी सबसे बड़ा कारण तो यह दरअसल इस क्रांति का एक तात्कालिक कारण आप देखेंगे इसमें सबसे ज्यादा समस्या पैदा की तो यही था आर्थिक दशा या आर्थिक कारण सबसे ज्यादा इसमें महत्वपूर्ण है कैसे दरअसल मैंने आपसे कहा कि सुई प्रोटीन के काल में अफीम के काल में सप्तवर्षीय युद्ध हुआ व हुई 16k काल में अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम हुआ और इस दोनों की वजह से इन दोनों के कारण छीकें इन दोनों के कारण फ्रांस की आर्थिक स्थिति बड़ी खराब हुई फ्रांस की निरंतर कमजोर होती हुई इस स्थिति ने इस क्रांति का आधार तैयार किया और इसी लिए फ्रांस के शासक इस क्रांति को टाल नहीं पाए यह जो शासक ही विभिन्न युद्धों में लगे रहे जिससे साम्राज्य के ऊपर वित्तीय बोझ बढ़ा जो सरकार का खजाना था ना सरकार का खजाना खा हो रहा था 2015 के बारे में मैंने आपसे कहा कि इसके काल में 1756 से 1763 तक सप्तवर्षीय युद्ध लड़ा गया इस युद्ध की वजह से फ्रांस की आर्थिक स्थिति को चोट पहुंचाई दूसरा हुई सिक्सटीन में अमेरिकी क्रांति में भागीदारी की हक यही तो समझने वाली बात है कि अब सांसद के अच्छा ठीक है फ्रांस के शासक को अपने यहां के सैनिकों को अमेरिका भेजने की क्या जरूरत है अमेरिकी क्रांति में इनको के हस्तक्षेप करने की क्या जरूरत थी लेकिन इन्होंने अमेरिकी क्रांति में भागीदारी करके अमेरिका को तो आजाद करवा लिया लेकिन इस युद्ध से क्या हुआ इससे उनका विवाह बढ़ गया और फ्रांस के ऊपर वित्तीय बोझ बढ़ गया राजकोष में धन आने के नवीन स्त्रोत की तलाश नहीं की गई और एक तरीके से फ्रांस दीवालिया होने के कगार पर आ गया तो पहले तो उन्होंने क्या किया पहले तो उन्हें दुनिया भर के युद्धों में अपना सारा पैसा ओढ़ा दें और जो बचा था वह अपने ऐशो आराम पर उडा दिया अब यह फंस गए क्योंकि इनकी साम्राज्य का जो खजाना था वह खाली हो गया अब क्या करें तो इन ना कुछ लोगों ने यह वित्तीय सलाहकारों ने सलाह दी कि इन बड़े वर्ग ऊपर कर लगाओ अब यहां कुछ अच्छे सुझाव है सुझाव या कि जो कुलीन वर्ग है जो पाद रिवर गए इन दोनों वर्गों पर अगर टैक्स लगा दिया हैं तो इस वित्तीय बोझ कि अ वित्तीय नुकसान की भरपाई हो सके और उनके पास पैसा था लेकिन उन्होंने विरोध किया कुलीन वर्ग और यही सोचता है कि जब गलत लोगों की चलती है ना तो फिर इसी प्रकार की गलत नीतियां बनती है और इसके परिणाम घातक होते हैं तो ऐसा ही हुआ कि जब अब आप देखो महाभारत के युद्ध विदुर धृतराष्ट्र को बहुत अधिक इसे सही सलाह देने की कोशिश की लेकिन धृतराष्ट्र ने विदुर की सलाह नहीं मानी पुत्र मोह में ऐसा अंधा हो गया था धृतराष्ट्र के उसके बाद वही करता चला गया जो दुर्योधन बोलता चला गया और इसी चक्कर में महाभारत का युद्ध हो गया और पूरा कौरव वंश नष्ट हो गए यही तो होता है कि हम इतिहास से सीखते नहीं इसीलिए हम लोगों के इतिहास पढ़ना चाहिए तो अब फ्रांस में क्या हो रहा था कि फ्रांस में शासक को यह सलाह दी गई कि कुलीन वर्ग उसे ऊपर के दोनों वर्गों से टैक्स लो लेकिन इनके दबाव में कि मानी नहीं गई यह बात स्वीकार नहीं की गई उल्टा इन्होंने क्या सोचा कि तीसरे वर्ग पर टैक्स बढ़ा दिया जाए जो बैक जो वर्ग पहले इसे बेचारा दबा हुआ था परेशान था पीड़ित था उस वर्ग पर और टैक्स बढ़ा दिया जाए और इस पूरी खर्चे की भरपाई वह लोग यह कहां का न्याय हुआ यह कोई न्याय है क्या है इससे ज्यादा अन्याय तो आपको कभी देखा भी नहीं अब इन्होंने क्या किया इन्होंने न अपनी आय के स्त्रोत तो बना ही नहीं और विशेषाधिकारों के कारण पादरी और जो कुलीन वर्ग था वह तो टैक्स फ्री था उससे तो टैक्स लेते नहीं थे एक मात्र जो करदाता था वह तो तीसरा वर्ग था जिस पर इन्होंने क्या किया और टैक्स में वृद्धि कर दी कर वृद्ध करते हुए वित्तीय स्थिति को सुधारने का प्रयास किया मतलब इन्होंने हैं इन्होंने क्या किया इन्होंने उस समस्या का निदान कहां खोजा तीनों ने उस समस्या का निदान जो है यह खोजा कि क्यों ना हम इस वर्ग पर टेक्स्ट और बढ़ा दें तो पैसे की भरपाई हो जाएगी अभी यह सोच नहीं रहे हैं कि वह वर्ग पैसा देगा कहां से वह तो वैसे पीड़ित है परेशान है उसकी हालत तो वैसे खराब है वह तो पूरा टेक्स्ट तो वहीं दे रहा है अब इस वर्ग के ऊपर टैक्स बढ़ा दिया गया उन्होंने और अधिक कर दी और इस अकुशल वित्तीय नीति से तीसरे वर्ग के ऊपर यह प्रति स्टेट पर लगातार कर का बोझ बढ़ गए इसलिए जनता संतुष्ट हुई और उसने प्रतिकूल आर्थिक दशाओं के विरूद्ध क्रांति की मतलब हीरो ने कहा कि हम टैक्स बढ़ा रहे तो उनका चेहरा देखने लायक होगा क्या मारोगे क्या अब पहले इतना टैक्स ले रहे हो पहले हमारी कमर तोड़ के रखिए खाने खाने को मोहताज करके रखा हुआ है ऊपर से और टैक्स चाहिए आपको हमसे भारत में भी ऐसा हो रहा था भारत में अंग कि सरकार क्या कर रही थी भारत में अंग्रेज सरकार किसानों से लाहौर लाहौर लाहौर लाहौर लव किसान बेचारा दिए जा रहा है जरा कहां से देगा एक समय के बाद जो खत्म हो गया तो महाजन से कर्जा लेकर दे दिया पर दिया नहीं देगा तो जमीन नीलाम हो जाती थी तो भारत में भी तो कई सारे कष्ट विद्रोह हुए भारत ने भी किसानों ने विद्रोह कि ये भारत में भी जनता को समझ में आ गया कि अंग्रेज़ सरकार खलील लूटना जानती है और ऐसा ही यहां भी क्रांति होगी उसके बाद ही कि यदि फिर फ्रांस की सरकार में मौजूद आर्थिक विचारकों ने आर्थिक सुधारों पर बल दिया उन्होंने कहा कि इस स्थिति से निपटने का एक ही तरीका है कि यदि हम अपने नीति में सुधार कर लें आर्थिक नीति को सुधार लेते हैं ठीक है तो ने अगर तुर्कों के लोन जैसे अर्थशास्त्रियों ने टैक्स रिफॉर्म्स को लेकर बोला सरकार से कहा कि आप क्या करिए आप कर सुधार करें टैक्स रिफॉर्म करें तो थे और उन्होंने यह कहा कि राज्य के व्यय पर नियंत्रण लगाओ मतलब सरकार के खर्चे में कटौती की जाए क्योंकि राजा का और पूरी सरकार का खर्चा जो है वह बहुत ज्यादा था ठीक है यह पूरी तरीके से मनमानी करके और ऐशो-आराम में पैसा खर्चा कर रहे थे किसानों को करो से मुक्त किया जाए इन्होंने किसानों को करों से मुक्त करने की बात की जी ने सामंतो उनके ऊपर लगाया करते थे किंतु सामंत और कुलीनों के दबाव के कारण इन्हें पद से हटा दिया गया है मैं बहुत पहले तुलसीदास एक बात बोल कर बैठ तुलसीदासजी ने एक दोहा बोला था सचिव वैद्य गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास के यदि आपका मंत्री आपका सचिव आपका वैद्य और आपका गुरु आपसे झूठ बोल रहा है आप से डर से आपके भाई से आपको सच नहीं बता रहा है आपको आपको कुछ झूठा वजह बताया जा रहा है या गलत यह गलतफहमी में रखा जा रहा है तो यह मानकर चलिए कि आपकी 3 चीज बहुत जल्दी नष्ट हो जाएगी तो कि आगे समझ में है कि आप का राज्य नष्ट हो जाएगा आपका साम्राज्य चला जाएगा आपकी जान चली जाएगी आपका शरीर खत्म हो जाएगा आयुर्वेद झूठ बोल दे तो ठीक है ना और आपका धर्म धन सब चला जाएगा तो यही होता है कि जब आप अपने आसपास और इसलिए बाद में इसी चीज को निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छबाय ने बोला कि अपने आस-पास ऐसे लोगों को रखिए है कि जो आपके बारे में सही बोलने का साहस करते हो आप की निंदा करने का सामर्थ्य रखते हो क्योंकि वह जो निंदा करेगा ना वह आपको आपके कमियां बताता है और आपको अगर चाटुकारिता पसंद है चमचे पसंद है आपको ऐसे लोग पसंद है जो आपकी हां में हां मिला लेते हैं और चीज में तो फिर आपको कोई बचाएगी क्या कोई बता सकता भी नहीं है ना तो हमारे यहां तो काफी सारी चीजें लिखू या ग्राम जाए ना तो हमारा साहित्य कम नहीं है तुलसीदास से लेकर तो और भी इसे बड़े लेखकों ने अलग-अलग चीजों में अलग-अलग चीजें हम को समझाइए अब यहां पर भी वही हो रहा था कि राजा को कुछ लोगों ने सही सलाह दी मतलब इन लोगों की बात यदि मानी जाती तो क्रांतिदल जाति आर्थिक सुधार भी हो जाता तो आर्थिक सुधार भी नहीं हो पाया क्योंकि इनकी बात नहीं सुनी गई क्रांति उल्टा हो गई क्योंकि अब राजा और सामंत वर्ग और कुलीन वर्ग के खिला लोगों के पास सिवाय क्रांति के कुछ बचा ही नहीं है अच्छा ठीक है क्लियर हैं तो इस प्रकार से इन्होंने क्या किया सामंत और कुलीन के दबाव के कारण उल्टा इनको पद से हटा दिया जो सही बात बोल रहे थे तो राज्य के हित में बोल रहे थे इसलिए आर्थिक सुधार लागू ही नहीं हुए और दिवालियापन के कगार पर राज्य गया इन आर्थिक सुधारों को लागू करके अब यह तो इतिहास हो गया बदल तो नहीं सकते लेकिन यह सच है कि यदि आर्थिक सुधार लागू हो गए होते तो शायद फ्रांस में क्रांति नहीं होती राजा कर आज भी बढ़ जाता है और जान भी बढ़ जाती क्योंकि अभी तो जान अभी तो रात जाएगा अभी तो शासन जाएगा क्रांति में फिर बाद में जान भी जाने वाली है इसको मौत के घाट उतार दिया गया तो यही होता है अच्छा ठीक है आ गया होगा मैं आपको इस पर प्रैक्टिकल एक्सांपल देता हूं जो हमारे आस पास है जो हम लोग देख सकते हैं इनको देखकर आप लोग समझ सकते हो कि कोई बहुत बड़ी बात नहीं समझना होता क्या है कि जब हम सी इसको पढ़ते हो खाली इसी को समझने की कोशिश करते हैं बहुत ज्यादा साहित्यिक हो जाते हैं बहुत ज्यादा बुक हो जाते हैं किताबी ज्ञान को एज इट इज रचने की कोशिश करते तो यह समझ में नहीं आती सबसे अच्छा तरीका होता है चीजों को अपने व्यवहारिक जीवन से जोड़ दो आप आप अपने व्यवहार में अपने जीवन में जो देखते हो जो अनुभव आप ने हासिल किया है ना उसी को अपने ज्ञान से जोड़ने की कोशिश करो गेहूं व ही अच्छा है जो व्यक्ति जो व्यवहारी कुछ प्रैक्टिकल हो सैद्धांतिक ज्ञान किसी काम का नहीं ठीक है ना तो यह बिल्कुल सही बात बोली है राज तिवारी विनाशकाले विपरित बुद्धि भी बोला जाता है बारिश हमारे यहां पर यह विनाशकाल था राजा का और राजा की बुद्धि विपरीत हो गई राजा को जो करना चाहिए था वह नहीं किया और जो नहीं करना चाहिए इसलिए तो बोला अयोग्य शासक था यह अयोग्यता पहचान है यह योग्यता वाले शासक नहीं करते हैं है अब इसमें क्रांति के कारण में एक कारण यह भी बताया जाता है दार्शनिकों का कि दार्शनिकों ने इस क्रांति में हवा दिया दार्शनिक इस क्रांति को लेकर इसको लेकर मैं आपको बता दूं कि क्वेश्चन नहीं बनता है कि मत भेज दे चुके क्वेश्चन यहां से बनता है कि क्या फ्रांस की क्रांति दार्शनिकों के कारण आई थी यह फ्रांस की क्रांति में दार्शनिकों की कोई भूमिका नहीं थी या इन्होंने क्रांति नहीं लाई तो इस पर हम लोग बात करेंगे कि फ्रांस की क्रांति अच्छा ठीक है 25 की क्रांति क्या दार्शनिकों ने उत्पन्न कि अब इसमें दो मत हैं एक मत यह कहता है कि फ्रांस की क्रांति दार्शनिकों ने उत्पन्न कि यह लोग ऐसा मानते हैं कि अगर रूसो नहीं होता जैसे रूसो भी उसमें से एक था कि अगर रूसों नहीं होता तो फ्रांस में क्रांति नहीं होती अब यहां एक स्टेटमेंट तो यह आता है कि अगर रूसो नहीं होता दार्शनिक नहीं होते तो फ्रांस की क्रांति होती ही नहीं मतलब तारे समस्या की जड़ दिया इस क्रांति का कारण यह दार्शनिक और खासकर कि रूस व था क्योंकि रूसो ने ही समानता की बात की थी स्वतंत्रता की बात की थी जो नारा बन गया आगे जाकर क्रांति का दूसरी तरफ कुछ लोग यह मानते हैं कि इस क्रांति में दार्शनिकों की कोई भूमिका नहीं थी यह क्रांति तो होनी ही थी इनका यह मानना है कि मूल क्रांति जो हुई थी ना वह एक प्रकार से वहां की आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक दशाओं के कारण मतलब जिस तरीके के कुकर में इस तरह के पाप किए थे ना वहां के शासक पूर्वक संपन्न वर्ग ने तो क्रांति तो होनी ही थी इस वर्ग का यह कहना है कि अगर रूसो पालने में भी मर जाता मतलब पुरुषों पर इतना बड़ा और कितना कुछ बोल गया तो आपको लग रहा है कि क्रांति हुई अगर रूसो पैदा होने के बाद पालने में भी मर जाता उसी अवस्था में तो भी क्रांति होती है अब यह एक हंसने वाली बात है लेकिन अपने स्टेटमेंट को साबित करने के लिए कुछ लोग ऐसा बोलते हैं कि रूस अगर पालने में भी मर जाता तो भी क्रांति तो होकर है कि अब भारत में भी ऐसा ही एक व है महात्मा गांधी को लेकर कि कई लोग कहते कि महात्मा गांधी नहीं आते तो भारत कभी आजाद नहीं होता या उस समय नहीं होता है कुछ लोग बोलते कि महात्मा गांधी आते नहीं आते भारत का आजाद होना चाहिए था क्योंकि अंग्रेजों की नीति है उसका जिम्मेदार थी तो अगर कोई यह मानता है कि भारत इस ले आ जाओ दुआ क्योंकि महात्मा गांधी आ गए उनके तरीकों से हुआ तो वह इस ऐसा स्टेटमेंट देखिए कुछ ही मानेंगे कि महात्मा गांधी से कोई लेना-देना नहीं है अंग्रेजों की नीतियां ही ऐसी ठीक है बाय स्वागत होना ही तब तक भारतीय सैनिक करते महात्मा गांधी आते नहीं आते तो भी आजादी तो आनी ही थी तो यहां क्रांति में दार्शनिकों की भूमिका को लेकर विवाद है अच्छा ठीक है समझ में आ रहा है जो लोग कहते हैं कि फ्रांस की क्रांति दार्शनिकों की वजह से हुई तो उनका यह मानना है कि रूसो नहीं होता तो क्रांति नहीं होती और दूसरे यह मानते हैं कि यह क्रांति में रूस हो या किसी दार्शनिक का कोई लेना-देना नहीं है यह तो वहां की सामाजिक आर्थिक परिस्थितियां थी मीणा और क्रांति तो होनी ही थी कि अब समझ में आ रहा है हैं और अगर रूपेश पाल ने भी मर जाता तो क्रांति तो फिर भी होती यह इस प्रकार के कुछ मत भेज यहां से आएंगे इसमें मैं आपको बता दूं कि क्या है पूरा मामला क्या समझो इसको फ्रांस की क्रांति में दार्शनिकों की भूमिका को लेकर दो मत है एक जो यह कहता है कि यह क्रांति दार्शनिकों ने उत्पन्न की और दूसरा यह कहते है कि क्रांति में दार्शनिकों की कोई भूमिका नहीं थी तो जो यह मानते हैं कि क्रांति दार्शनिकों की वजह से आई है तो उनका यह मानना है कि इस क्रांति का वजूद ही नहीं होता अस्तित्व नहीं होता अगर यह लोग नहीं होते क्लियर कि दूसरे यह कह रहे हैं कि क्रांति तो आनी ही थी क्रांति को कोई रोक नहीं सकता था क्योंकि इस क्रांति की वजह थी फ्रांस की तत्कालीन राजनीतिक आर्थिक सामाजिक स्थितियां ठीक है तो इसलिए यह लोग इस सब चीजों में विश्वास नहीं करते तो यह दोनों आपको समझ में आया अब हम चलें निष्कर्ष की तरफ कि इसका निष्कर्ष है क्या वास्तव में दार्शनिकों की भूमिका थी या नहीं थी कंफ्यूजन क्या होगा इसका इसके कंफ्यूजन में चलते हैं तो हम कोई भी निर्णय पर जाने से या निर्णायक टिप्पणी करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर इन दार्शनिकों ने कहा कि ऐसा क्यों दार्शनिकों की भूमिका महत्वपूर्ण मानते लोग फ्रांस की क्रांति में तो उसका कारण दार्शनिकों ने आखिर क्या कहा देखो समझो इसको वस्तुत और रूसो ने कहा कि मनुष्य प्रकृति में स्वतंत्र और यहां से देखो फ्रांस की क्रांति में माना जाता है कि स्वतंत्रता गई इसलिए उक्त स्वतंत्र पैदा हुआ है और सभ्यता के विकास के क्रम में विभिन्न संस्थाओं ने इस की स्वतंत्रता कोई छीन लिया उसका अंत कर दिया और से प्राकृतिक अधिकारों से वंचित कर दिया है इसलिए मनुष्य का यह जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह स्वतंत्र राय आजाद रहे हैं का कोई अधिकार नहीं रखता कि वह दूसरे व्यक्ति प्रशासन करें कोई अधिकार नहीं रखता कि वह दूसरे व्यक्ति का शोषण करें तो रूसियों के विचारों से फ्रांस की क्रांति में फर्क तो पढ़ा होगा निश्चित रूप से लोगों में यह विचार आया होगा कि जब हम स्वतंत्र रहे तो फिर हम क्यों दब के रह रहे हैं जब हम स्वतंत्र हैं तो क्या अधिकार है इन लोगों को जो हमारे ऊपर हीरो तीसरा स्टेट था कि बिल्कुल सोचेगा कि दो ऊपर के वर्ग हमारा शोषण क्यों कर रहे हैं हम स्वतंत्र हैं तो तो उसने कहा कि मनुष्य को प्रकृति की ओर लौटना चाहिए और इस तरह रूसो ने स्वतंत्रता में समानता और बंधुत्व की बात की ओर एक शोषण मुक्त समाज की स्थापना की अवधारणा प्रस्तुत की तो यह शोषण मुक्त समाज के बारे में बोलता है इसी को लेकर हम देखते हैं कि फ्रांस की चुकी यह बोलने का कारण है फ्रांस की क्रांति का नारा स्वतंत्रता समानता बंधुत्व तो यह माना जाता है कि अगर रूसो नहीं होता तो यह विचार नहीं आते ही विचार नहीं आते तो क्रांति नहीं होती यह दार्शनिकों के पक्ष वाले लोगों का यह मत है आगे चले इसी तरह वोल्टेज और ने तर्कपूर्ण तरीके से चर्च की बुराइयों को उजागर किया जो कि मैंने आपको बताया पादरी और चरित्र पहले वर्ग में थे वह भ्रष्ट थे करप्ट थे ठीक है और उन्हें कई सारी पूजा बुराइयां थी जिसको इस ने उजागर किया और इसका यह मानना था कि ईश्वर ह्रदय में है कहीं बाइबिल या चर्च में यह पुनर्जागरण की तरफ अब एक व्यक्ति और इसमें जिसका नाम था वह मोंटेज के मॉन्टेस्क्यू ने पुस्तक यह बड़ी बात तो उसकी पुस्तक बहुत सहमत हुई थी उस काल में दी स्प्रिट ऑफ लांच किताब का नाम लिख लीजिए बहुत काम की देवी स्प्रिट ऑफ को लॉक यह जो भी स्प्रिट ऑफ लॉस इन अ यह मॉन्टेस्क्यू कि एक फ्रेंच दार्शनिक की बहुत फेमस किताब जो उस काल में इतनी विक्की के इसके कई सारे एडिशन जो है वह प्रकाशित करने पड़े थे यह बहुत फेमस हुई थी किताब इसमें इसने क्या-क्या निरंकुश राज्यतंत्र पर प्रहार किया यदि जनता दुखी है क्योंकि शासक मनमानी कर रहा है शासक तानाशाह हो गया एक शासक निरंकुश हो गया है तो मॉन्टेस्क्यू ने बहुत बड़े आईडिया दिया इसमें बोला कि उसकी शक्ति को बांट दो स्पिरिट ऑफ़ लॉग में मोंटेग्यू ने शक्ति के पृथक्करण की अवधारणा दी स्प्रिट ऑफ लॉस में मॉन्टेस्क्यू ने शासन की शक्तियों को तीन अंगों में बांटने की किसको बांट दिया जाए इस प्रकार से उसने मानव अधिकारों पर बल दिया और इस तरह दार्शनिकों ने अपने लेख के माध्यम से स्वतंत्रता समानता और मानव अधिकारों की बात की और उन्होंने फ्रांस की उस समय की व्यवस्था पर तुम आप लगा दिया अब जरा सोचो मॉन्टेस्क्यू बात कर रहा है निरंकुशता के विरोध की बात वह निरंकुशता के विरोधी वह क्रांति थोड़ी लाना उसने नहीं कहा कि फ्रांस में क्रांति लाओ या प्रजातंत्र यार गणतंत्र लाओ मॉन्टेस्क्यू का मानना तो सिर्फ यह था कि निरंकुशता का अंत होना चाहिए यदि निरंकुशता से समस्या है तो उसकी शक्तियों को बांट कभी मॉन्टेस्क्यू ने यह नहीं बोला कि फ्रांस में क्रांति होनी चाहिए या क्रांति से ऐसा होगा क्रांति के बारे में तो यह बोला है तेरी मेरी बात समझ में आ मैं तो इस समय में मॉन्टेस्क्यू ने शक्ति का जो पृथक्करण का सिद्धांत दिया वह निरपेक्ष वह जो निरंकुशता के खिलाफ वह शासन व्यवस्था के खिलाफ है जो तानाशाही है जो मनमानी कर रही है ठीक है जो जनता को परेशान कर रही है इसीलिए वह इसकी बात करता है वाचिक क्रांति की कोई बात वॉन्टेड ट्यूनिक कहीं नहीं ही नहीं दार्शनिकों के विचार के संदर्भ में देखा जा सकता है कि उन्होंने स्पष्ट रूप से क्रांति की बात नहीं कि अभी मैंने आपको बताया रूस को क्रूसो ने नहीं बोला क्रांति करो ए वॉलिंटियर ने नहीं बोला कि क्रांति करो और नहीं मॉन्टेस्क्यू ने बोला कि क्रांति आओ तो इसीलिए इन्होंने स्पष्ट रूप से तो कहीं कहा ही नहीं कि क्रांति करो क्रांति का मूल वास्तव में उस समय फ्रांस की बहुत ही स्थितियों में देखा जा सकता है ठीक है तो क्रांति का जो कारण था क्रांति का वास्तविक कारण था उस समय फ्रांस की व्यवस्था जो एकदम से भ्रष्ट हो गई थी शोषण पर आधारित थी अन्याय पर आधारित थी और पूरे तरीके से आज समानता पर आधारित थी इस सबने ही इस पूरे क्रांति का बैकग्राउंड तैयार किया था हम यह मान सकते हैं कि इन विचारों को से लोगों को प्रेरणा मिली होगी हम यह मान सकते हैं कि इनकी वजह से और ज्यादा उनके अंदर टिकें उत्साह आया होगा और ज्यादा उन्होंने क्रांति के पैर छुए करने के उनके इरादे वह पके हुए होंगे और उन्हें अपना काम सही लग रहा होगा जब मान लीजिए कि मेरे दिमाग में यह क्वेश्चन आता है कि क्या क्रांतिक करूं कि नहीं करूं क्रांति करना सही रहेगा कि नहीं रहेगा ऐसा तो नहीं कि मैं कुछ गलत कर रहा हूं अपने ही राजा के खिलाफ अपनी ही सरकार के खिलाफ में जो कर रहा हूं कि गलत तो नहीं है तो ऐसे विचारों ने इस गलतफहमी को दूर कर दिया रूसो ने कहा कि आप स्वतंत्र हैं तो मुझे लगा कि मैं सही कर रहा हूं क्योंकि यही मेरा अधिकार है कि आगे समझ में आ जी हां अमेरिका के कॉन्स्टिट्यूशन में यहीं से तो लिया गया है जो अमेरिका के कॉन्स्टिट्यूशन में देखते ना शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत सेपरेशन और पावरफुल मॉन्टेस्क्यू की स्प्रिट ऑफ लॉस ही लिया गया क्योंकि इसी ने सबसे पहले यह सिद्धांत दिया था कि शासन की शक्तियों अलग-अलग अंगों में बटी हुई होनी चाहिए और एक अंग को दूसरे अंग के कार्य क्षेत्र में दखल देने का अधिकार नहीं होना चाहिए विधायिका को सिर्फ कानून बनाना चाहिए वह कार्यपालिका और न्यायपालिका के मामले में नहीं जाए कभी भी कार्यपालिका को सिर्फ कानून लागू करना चाहिए न वह कानून बनाएं और नव न्यायपालिका की तरफ जाए कभी और न्यायपालिका को सिर्फ न्याय करना चाहिए ना तो विधायिका की तरह कानून बनाएगी लागू करेगी कार्यपालिका की तरह यह आपको अमेरिका में दिखेगा कठोरता से इसका पालन किया जाता है कॉन्स्टिट्यूशन में अमेरिका के है है तो यह जो फ्रेंच रिवॉल्यूशन थी इसमें इस चीज को लेकर हम कह सकते हैं कि इन लोगों ने कभी द क्रांति की बात नहीं ही जहां देवी सिद्धांत पर आधारित निरंकुश राज्यतंत्र था और जन समस्याओं की समझ ही नहीं थी समाज में पादरी और कुलीन और सामंत जैसे विशेष अधिकार वर्ग मौजूद थे जो कि नीचे के तीसरे वर्ग का जनसाधारण वर्ग का शोषण कर रहे थे तो हैं तो फ्रेंड्स Vivo रिलेशन के बारे में आपसे स्टार्टिंग में क्या कहा था कि यह क्रांति इतिहास में मील का पत्थर दुनिया में ऐसे गिनी-चुनी घटनाओं जिन्होंने विश्व इतिहास को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है उसमें फ्रेंच रिवॉल्यूशन अमेरिका की क्रांति भी यह अमेरिका इश्वरी फ्रेंच रिवॉल्यूशन फ्रांस की क्रांति भी फ्रांस की क्रांति ने लोगों को प्रजातंत्र के बारे में गणतंत्र के बारे में संदेश दिया निरंकुश राज्यतंत्र के कमियां सामने लेकर आया निरंकुश राज्यतंत्र को हटाने के लिए प्रेरित किया कई प्रकार से इसने उस समय और आने वाले समय में क्योंकि इसके बाद कई देशों में प्रजातंत्र के लिए आंदोलन हुए दिखे लोकतंत्र लाने के प्रयास हुए राज्य तंत्र का विरोध हुआ या राजतंत्र की शक्तियों में कमी की गई बहुत तरीके से अलग-अलग पूरे भाग्य कहा जाता है कि यूरोप को हिलाकर रख दिया है इस क्रांति में कि अगर हम कहें कि यह वह क्रांति थी जिसने पूरे पाश्चात्य सभ्यता को ना सिर्फ हिला के रख दिया वर्किंग बल्कि चिंतन करने पर विवश कर दिया यह इतनी बड़ी क्रांति थी यह वह क्रांति नहीं थी जिसका प्रभाव सिर्फ देश तक सीमित था इसका प्रभाव विश्व व्यापी हो गया ठीक है तो आज भी फ्रांस की क्रांति की बात स्वतंत्रता समानता बंधुत्व भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में भी फ्रांस की क्रांति से प्रेरणा ली है हमने और विश्व के कई देशों में इस क्रांति से प्रणाली है ठीक है यहां तक क्लियर कि एक मात्र करदाता वह तीसरा टेस्ट था ठीक है जो वित्तीय बोझ का शिकार था और वह संतुष्ट तथा इस तरह दार्शनिकों ने ऐसी शोषणमूलक स्थितियां मानव अधिकारों को सीमित करने वाली संस्थाओं का उल्लेख किया और फ्रांसीसी समाज का जो हाय आई ना वह लोगों के समक्ष रखा और बताया कि दाग कहां है और इससे प्रेरित होकर फ्रांस की जनता क्रांति की ओर उन्मुख हुए अगर हम इनके भूमिका इनको योगदान के बारे में लिखना चाहें तो अंत में क्या लिखेंगे कंफ्यूजन में क्या लिखोगे कंफ्यूजन में आप देखोगे कि इन्होंने एक प्रकार से दर्पण का काम कहते हैं कि आईना कभी झूठ नहीं कहता तो इन्होंने दर्पण का काम किया आईने का काम किया उन्होंने सारा का सारा समाज का जो स्थिति रिवर खोल के रख दिया सामने सके इन्होंने बताया दरअसल कि समाज में कमियां कहां कहां है और इस समाज को ठीक कैसे किया जा सकता है इस समाज में दाग कहां कहां है और इसको ठीक कर के लिए जनता जो है वह क्रांति की तरफ आगे समझ में आ हो चली थी के निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि दार्शनिकों ने क्रांति को उत्पन्न नहीं किया किंतु प्रेरित जरूर कि यह लाइन ध्यान रखें अब इसमें हम यह कह सकते हैं कि इन्होंने क्रांति को उत्पन्न नहीं किया प्रांतीय लाए नहीं मतलब यह तो तय हो गया अब आपको समझ में आ गया होगा इस पर कंफ्यूजन यह है कि दार्शनिकों ने क्रांति को लाया नहीं इन्होंने क्रांति को पैदा नहीं किया क्रांति तो होनी ही थी क्योंकि उस समय की स्थिति है उसके लिए उत्तरदाई थी लेकिन इन्होंने क्रांति को प्रेरित जरूर किया इन्होंने हवा जरूर देव जैसे कहीं पर आग जल रही है धीमे-धीमे आग जल रही है तो वह जलेगी वह जलती रहेगी लेकिन अगर उसको हवा दें तो वह आग तेजी से फैली घी और भड़केगी तो इन्होंने उस आग को हवा देने का काम किया तो वह और तेजी से फैली आग तो वैसे भी लगी हुई ठीक है अच्छा ठीक है क्रांति का मूल तो फ्रांस के उस समय की राजनीतिक आर्थिक सामाजिक संरचना में निहित था जो मैंने आपको बताया व्यक्ति अब आ गया समझ में देखो अगर हम लोग एकदम बेसिक से एक चीज है कि पॉइंट बिंदु क्लियर करते हैं ना तो फिर आपको और देखो सबसे अच्छी बातें टॉपिक से चिपके रहते यदि में कई सारे स्टूडेंट के थी कि सिर्फ इधर-उधर की बात नहीं करते उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उससे टाइम तो पास हो जाएगा लेकिन आपका कौन से अपनी बनेगा क्योंकि मैं आपको और बताना कुछ और बात करने लग जाऊंगा तो फिर आपके दिमाग में वह चलेगा तो यह जो एक आपका पूरा फलों है ना वह क्लॉक खराब हो जाता है अगर हम शुरू से आखरी तक एक ही टॉपिक से चिपके रहे और उसी के बारे में बात करते रहे तो हमारा पूरा कंसंट्रेशन पूरा फोकस सब कुछ उसमें होता है और फिर हमारे दिमाग में चीजें अच्छे से जो ए बैठने लगती है इसी लिए शुरुआत से लास्ट तक सिर्फ एक बात ओनली स्टडी नथिंग एल्स वे मोटो और इसी पर मैं हमेशा काम करता हूं तो यह हो गया आज का हमारा फ्रांस की क्रांति को कि अब मैं आपको बताने वाला हूं उसके बाद में नेपोलियन के बारे में ठीक है और संवि क्विक राज्यतंत्र का चरण अलग-अलग चरण धोए क्रांति के समय फ्रांस की क्रांति के चरण और इस क्रांति से जुड़ी हुई अगली बातें कुछ और बहुत सारी चीजें हम लोग डिस्कस करेंगे वह मैं आपसे करूंगा अगले सेशन में अभी आपको मैं आपको बता दूं कि अनअकैडमी पर आपको इस समय जीएस क्लास ऑप्शनल में combo सब्सक्रिप्शन में ठीक है फुटपाथ पर सेंड आप चल रहा है वह पांच परसेंट यदि आपको यह टेंशन अच्छा लगे क्योंकि बहुत मेहनत करता हूं आप लोगों को एक-एक चीज समझ में आ जाए इसकी कोशिश करता हूं ठीक है ऐसा नहीं हो कि मुझे बुरा लगेगा कि मेरी क्लास में आने के बाद किसी को कोई पॉइंट नहीं समझता है कोई बिंदु नहीं समझ में आया उसका टाइम बेस्ट हुआ यह मुझे बिलकुल पसंद है तो अगर आपको यह अच्छा लगे तो आप इसको लाइक करिएगा शेयर जरूर करिए पीडीएफ मैं आपको टेलीग्राम चैनल चंचल कुमार सर ऑफिशियल पर ठीक है मैं आपको अवेलेबल करवा दूंगा ठीक है हो जाएगा आपको और यह रेफरल कोड है अगर आपको सब्सक्रिप्शन लेना हो तो यह बहुत बढ़िया टाइम है क्योंकि इस समय कि इस समय एकेडमी पर बंपर डिस्काउंट चलता है जिस ओर ऑप्शनल का सर्कुलेशन तो आपका एक साल का अभी का व नेता और कम हो गया है और टेन परसेंट का मतलब आपको लगभग 46,000 के आसपास पहले 44000 का सिर्फ जीपीएस का था अब 46 हजार के आसपास जिस हॉस्पिटल दोनों हो गया दूसरी तरफ आपका हर एक साल दो साल 3 साल तीनों का कोंबो सब्सक्रिप्शन बहुत घट गया है ठीक है साथ में आपको टेस्ट सीरीज में मिल जाएगी उस भी मिल जाएगी कई तरीके से आप को फायदा हो रहा है तो यह रैफरल कोड है 14 जुलाई के पहले पहले आप सब्सक्रिप्शन लेंगे तो आपको यह सारे फायदे मिलेंगे फिर मिलेंगे तब तक के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद थैंक यू बस इसी तरीके से दिल्ली 10:00 यह रिएक्शन होता है इस स्टेशन का टाइम है दिल्ली 10:00 सुबह 10:00 से क्लास हो जाती है तो आप लोग इस स्टेशन को जरूर अटेंड करें ठीक है अभी एक दिन स्पेक्ट्रम चल रहा है एक दिन जो है वर्ल्ड हिस्ट्री कल मैं आपको क्वालिटी के एनसीआरटी पढ़ाऊंगा कक्षा 6 की आईटी कैन सी आईटी हम लोग करेंगे मैराथन सेशन में तो फिर मुलाकात होगी बाय-बाय लेट्स रैकेट