श्री संकष्ट नाशक स्तोत्र
परिचय
- उद्दे श्य: संकष्ट नाशक स्तोत्र का उद्देश्य भक्तों के संकष्ट को दूर करना है।
- महत्व: यह स्तोत्र भगवान दत्तात्रेय की स्तुति करता है जिनकी कृपा से संकटों का नाश होता है।
मुख्य विषय
भगवान दत्तात्रेय की महिमा
- सकल गुणों के अधिष्ठाता: भगवान दत्तात्रेय को सभी गुणों का स्रोत माना जाता है।
- संकष्ट हर्ता: वे संकटों को दूर करने वाले हैं।
- कैवल्य नायक: वे मोक्ष के दाता हैं।
भगवान के अनमोल गुण
- कृपालु और दयालु: भगवान का स्वभाव करुणामय और दया से पूर्ण है।
- त्रैलोक्य दाता: तीनों लोकों के दाता और पालनहार हैं।
- भक्तवत्सल: भक्तों के प्रति उनकी विशेष कृपा होती है।
स्तोत्र का प्रभाव
- संकट निवारण: भगवान की स्तुति करने से संकटों का नाश होता है।
- अभय दान: भगवान भय को दूर कर सुरक्षा का आश्वासन देते हैं।
भक्त की प्रार्थना
- संकल्प: भक्त भगवान से प्रार्थना करता है कि वे उसकी रक्षा करें और उसे संकष्टों से मुक्त करें।
- स्तुति और स्तवन: भगवान की स्तुति और स्तवन के माध्यम से भक्त अपनी भक्ति व्यक्त करता है।
निष्कर्ष
- भक्ति का महत्व: भगवान दत्तात्रेय की भक्ति करने से संकष्टों का समूल नाश होता है और जीवन में शांति आती है।
- शुभकामना: स्तोत्र के अंत में सभी के लिए शुभकामनाएँ और भगवान की कृपा की कामना की जाती है।
समर्पण
- स्तोत्र को सुनने और पाठ करने वाले भक्तों के लिए विशेष आशीर्वाद की कामना।
यह स्तोत्र भक्तों को संकटों से मुक्ति दिलाने और जीवन में सुख-शांति स्थापित करने में सहायक है।